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नोट: इस कहानी को समझने के लिए आप इस सीरीज के सारे पार्ट्स को अवश्य पढ़ ले धन्यवाद।
अब तक आपने पढ़ा कि मैं मेरा बेटा और शीला वाटर पार्क में मस्ती कर रहे थे और मेरा बेटा और शीला पानी में ही एक दूसरे से सेट कर चुदाई कर रहे थे। तीन बदमाश ने मुझे घेर कर मदहोश कर दिया था।फिर हम तीनों वहां से घर के लिए निकल गए अब आगे।
हम तीनों वाटर पार्क से निकलकर मैं मेरा बेटा और शीला सीधे घर के लिए आ गये।
लगभग 3:00 बज रहा था जब मैं अपने घर पहुंची।
तब शिला बोली- मैं अपने घर में ही रेस्ट करना चाहती हूं।
तभी मेरा बेटा आकाश ने भी कहा-मैं भी शीला आंटी के साथ जाना चाहता हूं।
तब मैंने दोनों को बोला ठीक है तुम दोनों चले जाओ मैं अपने घर पर रेस्ट करूंगी थोड़ी।
और मैं अपने घर आई तो दरवाजा सौम्या ने खोला और पूछी की- मां शीला आंटी और भाई कहां रह गए?
तब मैंने उसे कह दिया कि वह दोनों शीला आंटी के घर ही आराम कर रहे हैं।
फिर मैं सौम्या से पूछी की राज कहां है?
तब सौम्या ने कहा कि राज सो रहा है।
फिर सौम्या मुझसे पूछी की मां आप लोग कहां-कहां घूमे?
तब मैंने उसे बताया कि कहीं नहीं बेटा बस वाटर पार्क में गए थे और वहीं पर जो हुआ सो एंजॉय हमने किया और चले आए।
तब समय मुझे गले लगाते हुए वालीफा में आप लोग वाटर पार्क है तब तो खूब मजा आया होगा।
तब मैं बोली हां बेटी मजा तो बहुत आया अब सब तुम अपने भाई से ही पूछ लेना मुझे थकावट हुई है मैं सोने जा रही हूं।
और फिर मैं सोने जाने लगती हूं।
और सौम्या भी अपने रूम में चली जाती है।
जब सौम्या अपने रूम में चली जाती है तब मैं टीवी वाले रूम में आती हूं और देखती हूं कि मोबाइल को मैं जहां रखी थी वहीं पर था लगभग 6 घंटे से उसका कैमरा मैंने ऑन करके वहीं पर रख दि थी।
मैं उस कैमरे में रिकॉर्ड हुए वीडियो को देखने लगी तब मुझे वह दिखा जिसके लिए मैंने कैमरा लगाया था फिर मैं वीडियो को पूरी तरह से देखी,
मैं तो एकदम से गर्म हो गई
पूरी वीडियो को मैं आप लोगों को कहानी के रूप में सुनती हूं।
जैसे ही हम लोग दरवाजे से निकलते हैं वैसे ही सौम्या ने बाय बोला और दरवाजा बंद किया और वह हाल में आकर बैठ गई तभी राज भी वहां दीदी दीदी करता हुआ आया।
तब सौम्या ने उसे डांटे हुए कहा कि दीदी दीदी की क्या रट लगा रखा है चल आ मेरे पास बैठ?
फिर सौम्या ने राज को बड़े प्यार से वहां बैठ कर उसके गाल पर एक किस करते हुए बोली की बोल मेरे भाई आज तू कौन सा डरावनी फिल्म दिखेगा?
तभी राज ने कहा -मुझे नहीं पता दीदी मैंने आज तक कोई भुतहा फिल्म नहीं देखी आप ही जो लगाओ वही ठीक है।
तभी सौम्या ने फिल्म को चला दिया वह फिल्म तो इस वीडियो में क्लियर नहीं आया था बस यही दोनों का चेहरा आ रहा था क्योंकि कैमरा लगभग टीवी के पास नहीं लगाई हुई थी?
फिल्म को या दोनों खूब इंजॉय करके देख रहे थे उसमें कुछ गरम सीन भी आ रही थी जिसकी वजह से यह दोनों एक दूसरे से सट जाते और एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा देते।
पूरी फिल्म खत्म हो गई फिर उन्होंने टीवी बंद किया और बोले कि चलो अब सोने चलते हैं दीदी।
तभी सौम्या बोली- क्यों यह नहीं सो सकता क्या मेरे गोद में मेरे साथ?
तभी राज बोला- क्यों नहीं दीदी और तुरंत उसके गोद में लेट गया और दोनों मुस्कुराने लगे?
सौम्या प्यार से अपने भाई राज के सर पर हाथ फेर रही थी और उसे दुलार रही थी।
और ऐसे ही कुछ देर करती रही और फिर दोनों सो गए।
फिर मैं वीडियो को काफी स्किप की तब एक जगह से वह पॉइंट मिले जहां से इन दोनों ने त्रिग्गेड होकर सेक्स करना शुरू किया था।
अचानक सौम्या का एक पर सोफे से नीचे चला गया और वह सोते हुए लगभग गिरने की अवस्था में आ गई।
तभी राज की आंख खुली और अपने दीदी को इस अवस्था में देखकर वह शायद गर्म हो चुका था उसे भी पता था कि कई महीने हो गए हैं दीदी को चोदे हुए वह लास्ट होली में ही एक बार चोद पाया था।
वह तुरंत उठा और अपने दीदी के पैर को सीधा करने लगा और उसके ऊपर लेट गया तभी सौम्या के अभी आंख खुली।
उसने अपने भाई को गले लगा लिया और दोनों धीरे-धीरे गर्म होने लगे एक दूसरे को चूमने लगे तुरंत राज ने अपने दीदी के होंठ में अपने होंठ को रगड़ते हुए अपने जीभ को अपने दीदी के मुंह में डालकर पेलने लगा और बड़े प्यार से सौम्या भी अपने छोटे भाई के जीभ को चूस रही थी।
दोनों एक दूसरे को चुम और चाट रहे थे वहीं सोफे पर लेटे हुए।
सौम्या अपने भाई के सर पर हाथ फेर रही थी तो कभी उसके बदन पर हाथ फेर रही थी तो वही राज अपने दीदी के दोनों गोल-गोल चूचियों को मसल रहा था और उसके होंठ को चूस रहा था।
फिर सौम्या उसे उठाई और राज खड़ा हो गया। दोनों खड़े-खड़े ही एक दूसरे से चिपक गए और फिर से एक दूसरे के होंठ को चूसना शुरू कर दिया।
और होंठ चूसते चूसते ही सौम्या ने अपने भाई राज के कपड़े को निकाल दिया टी-शर्ट निकलते ही राज ऊपर से पूरा नंगा हो गया फिर सौम्या ने अपने भाई के नीचे के पेट को भी खोल दिया अब राज सिर्फ चड्डी में था।
राज अपने दीदी के चूचियों को मसल रहा था कपड़े के ऊपर से ही फिर धीरे से राज ने अपने दीदी के सूट को पकड़ा और निकाल दिया।
राज ने सौम्या को ऊपर से नंगा कर दिया अब सौम्या उपर में सिर्फ ब्रा पहनी थी उसे राज ने अपने दांतों से काटने लगा।
सौम्या के चुचु को राज ऊपर से ही काट रहा था।
कि तभी सौम्या बोली रुक जा मेरे भाई इसे तो निकल ऊपर से क्या रखा है नीचे से चूसना?
फिर सौम्या ने खुद ही अपनी ब्रा को खोल दी और अपनी चूची को राज के मुंह में देने लगी और प्यार से चुस्वाने लगी राज भी बड़े प्यार से अपने दीदी के दोनों चूची को बारी-बारी से चूस रहा था और सौम्या अपनी आंखें बंद करके अपने भाई से पूरा मजा ले रही थी।
फिर आज थोड़ा और नीचे गया और समय के नाभि में अपनी चीज डालकर सौम्या को उत्तेजित करने लगा।
सौम्या बेचारी बेशुद्ध पड़ी अपनी आंखें बंद करके मदहोशी में सिर्फ मुंह से आह उउह्ह्ह मेरे भाई ओह्ह कर रही थी।
फिर राज और थोड़ा नीचे गया और सलवार के डोरी को प्यार से खींचकर उतार दिया अब सिर्फ और सिर्फ पेंटी में ही सौम्या बच गई थी पेंटी के ऊपर से ही अपनी जीभ से बुर को गिला करने लगा राज।
फिर राज ने बड़े प्यार से धीरे-धीरे पेन्टी को भी उतार दिया और अब सौम्या कि बूर एकदम सामने थी राज के,
राज भी अपनी ललचाया नजरों से अपनी बड़ी दीदी की बूर को देख रहा था उसने अपनी जीभ निकाली और सौम्या के बुरे को थोड़ा सा फैला कर उसमें अपनी जीभ को डाल दिया।
सौम्या अपनी आंखें बंद करके बूर चटाई का आनंद ले रही थी उसका छोटा भाई उसकी बूर में अपनी जीभ डालकर मस्त चाट रहा था सौम्या अपनी आंखें बंद करके मदहोशी में सिर्फ मुंह आह्ह् निकाल रही थी।
फिर सौम्या उठी और अपने भाई के चड्डी को उतार दिया और उसके लंड को हाथ में पकड़ ली राज भी अपने दीदी को बड़े प्यार से देख रहा था और फिर दीदी से बोला ओह्ह दीदी अपने मुंह में लो ना फिर सौम्या भी बड़े प्यार से अपने छोटे भाई के लंड को पूरा मुंह में भर लिया और गपा गप एकदम चूसने लगी राज तो आंखें बंद करके एकदम मदहोशी में डूबा हुआ था वाह दीदी और चूसो।
बड़े प्यार से अपने दीदी को चूसने के लिए राज बोल रहा था और सौम्या भी बड़े प्यार से अपने छोटे भाई के लन्ड को चूस रही थी।
फिर सौम्या उठी और सोफे पर अपनी टांग फैला कर लेट गई राज उनके दोनों टांगों के बीच में आया और अपने लंड को उसके बुरे के ठीक निशान पर लगाकर धक्का दे मारा जैसे ही धक्का मारा वैसे ही एक आह्ह निकली सौम्या के मुंह से
सौम्या एकदम से आंखें बंद करके सोफे के कोने को पकड़ ली और राज उसके बुर में धक्का लगाते हुए उसके ऊपर लेट गया अब दोनों एकदम एक दूसरे से सटे हुए एक दूसरे के मुंह में जीभ डालकर चूस रहे थे और राज अपने दीदी के बूर में लंड डालकर पेल रहा था।
धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाते गया और जैसे-जैसे स्पीड बढ़ती वैसे-वैसे सौम्या किसी के आअह्ह्ह् भी बड़ती है और
अपने भाई को कसकर पकड़ कर बोलती- ए मेरे भाई चोद और दोनों एकदम मस्ती में एक दूसरे को चोदाइ का आंनद ले रहे थे।
धक्को के स्पीड और बढ़ते गयी और उनकी आवाज और बढ़ती गई और धीरे-धीरे दोनों एकदम चरम सीमा पर आए और राज के मुंह से चिख निकलि आह्ह्ह् दीदी और फिर दोनों एक दूसरे से चिपक गए और वहीं पर कुछ देर लेटे रहे।
दोनों झड़ चुके थे और थक चुके थे मैं दूसरे को चिपकाए दोनों भाई-बहन लेते हुए थे।
तभी थोड़ी देर बाद सौम्या उठी और अपने भाई को किस करते हुए बोली भाई चल रूम में चलकर सो लेते हैं और फिर दोनों रूम में चले गए और तब तक कैमरा खाली ही रहा।
फिर शाम हुई और। हम सभी मां बेटे खेत की ओर गये वहां पर शीला भी आई हुई थी हम सभी खेतों की ओर खूब मजाक मस्ती कर रहे थे।
क्योंकि आज रक्षाबंधन खत्म हो चुकी थी और फिर कल मेरे दोनों बेटे और बेटी अपने पटना पढ़ने के लिए जाने वाले थे मैं और राज ही फिर से अकेले रहने वाले थे?
वहां खेत पर शीला मुझे छेढ़ते हुए बोली- आकाश कब तक तुम्हारी मां ऐसे ही उदास रहेगी तुम अपनी मां की उदासी को दूर क्यों नहीं कर देते?
आकाश बड़े हैरानी से शीला की ओर देखा और बोला- आप किस उदासी की बात कर रही हैं आंटी।
मैं समझ गई थी आज जो कुछ भी वाटर पार्क में हुआ था वहां पर यह दोनों तो खूब चुदाई का आनंद लिए थे और घर पर भी मेरी बेटी आनंद ली थी।
लेकिन मैं अपनी बूर की प्यास नहीं बुझ पाई थी उसी की उदासी की यह सिला बात कर रही थी मुझे डर था कि कहीं यह आकाश को ना कह दे तभी मैं बात को बदलते हुए कहा। मेरे बेटे बेटी अगर खुश है तो मैं भी खुश हूं मुझे और किसी चीज की उदासी नहीं है।
तभी राज ने कहा हां क्यों नहीं मां मैं हूं तो आपको उदासी की क्या बात है पर मुझे गले लगा लिया।
तभी मेरी सौम्या बेटी ने भी हम दोनों को गले लगाते हुए कहा कि मां हमारे होते हुए कभी उदास हो ही नहीं सकती।
तभी आकाश भी आया और मुझे गले लगा कर बोला मां हम आपको कभी उदास नहीं होने देंगे और मुझे माथे पर चुम लिया।
और फिर हम सभी हंसने लगे।
फिर हम सभी घर आ गए और खाना खाकर अपने-अपने रूम में सोने चले गए।
तभी रात को मैं उठी और बाथरूम जाने लगी। मुझे बहुत जोरों की पेशाब लगी थी मैं अपने बाथरूम में जाने ही वाली थी देखी कि गेट तो पहले से बंद है।
फिर मैं दूसरे बाथरूम में गई और जाकर वहां मुटने लगी तभी किसी ने बाथरूम की लाइट जला दी मैं अचानक उठने ही वाली थी लेकिन इतनी जोर की पेशाब लगी थी कि मैं उठ नहीं पाई और वैसे ही बैठी रही तभी मेरे सामने मेरा बेटा आकाश आकर खड़ा हो गया मैं देखी कि वह अपनी आंखें फाड़े मेरी बूर को देख रहा था पर मैं उसे देख रही थी मैं उठ भी नहीं पाई।
फिर जब मेरे पेशाब करना हो गया तो मैं उठी।
तब तक आकाश में वहां से भाग कर हाल में आ चुका था। मैं वहां से उठी और अपने रूम में जाने लगी तभी देख की आकाश हाल में अपने सर पर हाथ रख कर बैठा है।
तब मुझे लगा कि कहीं वह शर्मिंदा तो नहीं है।
तब मैंने सोचा कि मैं अपने बेटे से एक बार बात कर लेती हूं। अपने बेटे आकाश के पास चली गई।
मैं आकाश के पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख दी वह घबरा रहा था मैंने उसे अपने गले लगा कर उसके गाल पर एक किस दि।
और बोली की कोई बात नहीं बेटा हो जाता है कभी-कभार ऐसा इसके लिए तुम्हें शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है।
फिर आकाश ने एक गहरी सांस ली और उसने मुझे कस के गले लगाया और मुझे एक किस देते हुए कहा थैंक यू मां मुझे तो लगा कि मैं क्या अनर्थ कर दिया बहुत घबरा रहा था मां?
फिर मैं आकाश को बोली कि जो अब जाकर सो जाओ और मैं भी सोने के लिए जाने लगी।
तभी आकाश ने मुझे कहा- मां।
मैं बोली हां बेटा बोलूं क्या बात है?
तब आकाश बोल नहीं कुछ नहीं मन बस ऐसे ही। और मुस्कुरा दिया।
उसको मुस्कुराता देख मेरा तो दिल एकदम से खिल उठा मैं तुरंत उसके पास गई और उसे अपनी बाहों में कस कर भर लि।
उसका फिर से लिंग का आकार मेरे अंदर महसूस होने लगी। मैं उसे वहीं छोड़कर जाना तो चाहती थी पर मेरा मन नहीं हुआ उसे छोड़ने का और मैं लगभग बहुत देर तक उसे ऐसे ही पकड़ी रही वह भी मेरे कमर में हाथ डालकर मुझे पकड़ा रहा।
उसका लिंग का आकार मुझे बहुत अच्छा फिल दे रहा था मैं आंखें बंद करके एकदम मस्त मदहोश होती जा रही थी अपने सगे बेटे के बाहों में वह भी मुझे खूब कस कर अपनी बाहों में पड़े हुए था।
तभी मेरी ध्यान आई कि यह मैं क्या कर रही हूं तभी मैंने उसे अपने आप से अलग किया उसके चेहरे को मैंने अपने हथेलियां में थाम कर उसके होठों पर एक किस करके तुरंत वहां से अपने बेडरूम में भाग आई।
सुबह हुई उसके बाद हम सभी उठे मेरे दोनों बेटे और बेटी तैयार हो रहे थे पटना जाने के लिए मैं भी उनके जाने की तैयारी कर रही थी।
सारी तैयारी करके मैं अपने बेटे और बेटी को विदा कर दी और स्टेशन छोड़ने के बाद मैं और राज अपने घर वापस आ गए।
कल जो भी रक्षाबंधन के दिन हुआ था उससे तो मैं बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी मैं अपने घर आते ही राज को बाहों में ले ली राज भी समझ गया था कि मैं क्या चाहती हूं वह भी मेरे चेहरे को ऊपर किया और तुरंत मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए?
।।। धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अब अगले भाग में।
वह दिन मुझे आज भी याद है जब मुझे मेरा मुंह बोला बेटा स्टेशन के पास रोते हुए मिला था और मैंने उसे एक नई जिंदगी दी। मां का प्यार दिया।
जब वह मुझे मिला था तब मैं उसे उदास देखकर काफी परेशान थी। मैं उसे पुलिस को सपने चली गई थी कि किसी का बच्चा हो तो उसे मिल जाए।
लेकिन पुलिस वाले मुझे यह कह कर भेज दिया है कि जब तक इसके माता-पिता का पता नहीं चलता तब तक इसे अपने पास रखिए।
और तब से लेकर अब तक 1 साल से एक दो महीना अधिक हो गए हैं यह मेरा मुहबोला बेटा बनकर बड़े प्यार से रहता है और हम सभी इस पूरे प्यार से रखते हैं।
और फिर आया वह एक मनहुश दिन जब मैं अपने बेटे के साथ सुबह-सुबह ।एक पतला चादर ओढ़े नंगे लेटी हुई थी।
और मेरा बेटा मेरी चूचियों के साथ खेल रहा था और मैं उसके बालों को बड़े प्यार से सहला रही थी वह मेरे स्तनों को कभी चूमता तो कभी चटता तो कभी दांतों से धीरे से काट लेता है और मैं उसके शैतानी पर मुस्कुरा कर उसके माथे को चूम लेती।
मेरा बेटा मेरे स्तनों को बड़े प्यार से चूस रहा था और मैं अपनी आंखों को बंद करके मदहोशी में खोये जा रही थी आअह्ह बेटा।
फिर वह थोड़ा सा नीचे की ओर झुका और मेरी नाभि में अपनी जीभ डालकर उसे चूसने लगा मैं तो पूरी तरह से एकदम मदहोश हो चुकी थी।
फिर वह उपर आया और मेरे होठो को चूसने लगा मैं भी उसके होठों को चूस रही थी और उसके इस चूसम चुसाई में पड़े आनंद ले रही थी।
फिर मेरा बेटा राज नीचे आ गया और मेरे दोनों पैर को थोड़ा सा फाइला कर और मेरे बुरे में उंगली करते हुए बोला मां कितनी गर्म हो तुम और और मुस्कुराने लगा।
मेरी भी हंसी छूट गई।
फिर राज मेरी मेरे ऊपर पूरी तरह से आ गया और अपने लंड को मेरे बुर पर लगाकर धक्का दे मारा लंड पूरा मेरे बुर के अंदर समा गया।
मैं अपनी मदहोशी में आंखें बंद कर ली और राज मेरे होंठ पर अपने होंठ रखकर चूसना शुरू किया और गांड को ऊपर नीचे उठा पटक करके मेरे बुरे में थक्का पल चुदाई शुरू कर दिया।
दोनों काफी मजे लेकर चुदाई कर रहे थे दोनों एकदम सातवें आसमान पर थे कि तभी फोन की घंटी बजी।
मैं चुदाई करते हुए ही फोन को रिसीव कर ली और मेरा बेटा मेरे गाल को चूमते हुए नीचे से धक्के लगा रहा था।
तभी
उधर से फोन पर कोई बोला- हेल्लो!
मैं अपनी दबी हुई आवाज में बोली- हां कौन बोल रहा है?
तभी उधर फोन से -मैं पुलिस इंस्पेक्टर बोल रहा हूं।
मेरे तो चेहरे की हवाइयां ही उड़ गई।
मैं समझ नहीं पाई की एक पुलिस इंस्पेक्टर का फोन मेरे घर पर क्यों आया है?
मेरे चेहरे को देखकर मेरा बेटा राज भी धक्के लगाना बंद कर दिया और अपने लंड को मेरे बुर में डाले हुए ही चुपचाप मेरे ऊपर लेटा रहा।
तभी उधर फोन से- मैम अपने जो 1 साल पहले रिपोर्ट लिखवाई थी एक बच्चे की, उसके माता-पिता आए हुए हैं थाने में आप, उस बच्चों को लेकर हमारे थाने में जल्दी से आ जाइए।
मेरा दिल दिमाग सब एकदम से सन पड़ गया मेरे कलेजे के टुकड़े को कोई लेने के लिए आया था अब मैं क्या करती कुछ समझ में ही नहीं आया?
तभी मै, राज को बोली कि तुम्हारे माता-पिता आए हुए हैं थाने में।
हमें चलना होगा वह झट से उठ गया और एकदम से उदास होकर एक साइड में बैठ गया।
मैं बोली राज बेटा कपड़े पहन लो हमें चलना होगा। लेकिन राज कुछ सुनने को तैयार ही नहीं था वह अपने माता-पिता के पास नहीं जाना चाहता था लेकिन पुलिस का ऑर्डर था मुझे तो उसे लेकर जाना ही था मुझे भी मन नहीं कर रहा था ले जाने का।
फिर मैं अपने कपड़े पहने और राज को भी कपड़े पहने और फिर मैं शीला को कॉल की।
शीला जब इस बात को सुनी तो वह दौड़कर मेरे घर पर आई और मुझसे लिपटकर बोली की सुनीता यार अगर इसके असली माता-पिता आए हुए हैं तो हमें तो ले जाना ही होगा।
मेरे आंख में आंसू थे फिर भी मैं राज को तैयार कि।
मैं शीला और राज तीनों थाने के लिए निकल गए।
जैसे ही मैं थाने पहुंची वहां पर थानेदार ने हमें एक तरफ बैठा दिया और फिर राज की माता पिता को उसने बुलाया।
इंस्पेक्टर ने हमें बताया कि राज का असली नाम राज नहीं अंश है।
और इसके पिता का नाम राज्यवर्धन सिंह है और इसकी माता है कौशल्या देवी।
ये बहुत बड़े बिजनेसमैन है।
इसके माता और पिता दोनों यहां पर आए हुए है और इन्हें अब आपको इनके माता पिता के हवाले करना होगा।
मेरे सामने ही राज के माता-पिता आकर खड़े हो गए मैं उनकी माता को रोते हुए देखी तो मेरा दिल भी करुणा से भर आया।
मैं सोचने लगी कि जब मैं मुंह बोली मां होकर इतना प्यार करती हूं तो उनकी सगी मां कितना प्यार करती होगी मैं अपने दिल पर पत्थर रखकर अपने करेज के टुकड़े राज को जो अब अंश था उसे मैंने उसकी माता-पिता को हवाले कर दिया। राज जब अपने माता-पिता के पास जाने लगा तब वह मुझे कस के लिपट गया मेरी तो आंखें भर आई मैं राज के सर पर हाथ फिर आया और बोली कि बेटा तुम्हारा असली माता-पिता के पास तो तुम्हें जाना ही होगा और उसके माथे पर एक चुंबन किया और उसे विदा कर दी।
मैं राज के माता-पिता को नमस्ते किया और शीला के साथ तुरंत थाने से निकलकर घर आ गई।
मेरे थाने से निकलते ही देखी की राज की माता-पिता राज को तुरंत हेलीकॉप्टर में बैठाये और वहां थाने से निकलकर अपने घर को चले गए मुझे तो यह भी नहीं पता कि वह था कहां का?
मैं जब अपने घर आई तो उस दिन बहुत रोई मुझे शीला दिन भर दिलासा देती रही मुझे तो उस दिन खाना भी नहीं खाया गया।
शाम हुई तब मैं शीला के साथ थोड़ा नदी की ओर घूमने के लिए गई और वहां भी मुझे राज की छवि दिखाई देती रही मेरा मन वहां भी नहीं लगा।
फिर शाम को जब मैं घर आई तो मेरा की तनिक भी घर में नहीं लग रहा था तब शीला बोली कि चलो आज तुम मेरे घर पर ही रहो और मैं शीला के साथ उसके घर पर चली गई।
जब मैं शीला के घर गई तब मुझे थोड़ा बहुत आराम मिल रहा था शीला के पति भी तब तक आ चुके थे और उनकी थोड़ी बहुत हंसी ठीठोलि मुझे रास आ रही थी।
पर मैं उसे दिन तनिक भी हंस ना पाई थी।
रात को हम तीनों ने खाना खाया और खाना खाकर मैं शीला के साथ सो गई और शीला के पति बाहर सो रहे थे मुझे शीला पकड़े हुए सो रही थी।
सीला मुझे इधर-उधर की बातों में बहलाने की कोशिश कर रही थी मैं भी सोचे कि थोड़ा बहल जाऊ।
पर जैसे हि राज की याद आती मे सिहर उठती थी।
तभी पटना से मेरे सौम्या बेटी का कॉल आया। और मैं उसे दिन अपने सौम्या से बहुत बातें की। फिर आकाश ने मुझसे बातें किया मुझे अपने दोनों बच्चों से बात करके उस दिन बहुत सुकून मिला और तब जाकर मैं चैन की सांस ली और शीला के साथ लेते हुए उसे दिन लगा कि अब मेरी जान में जान आई। मैं शीला को एक किस कर दी।
शीला बोली- अरे वाह मेरी जान अब जाकर लग रही हो मेरी पक्की सहेली अरे भूल जाओ जो हुआ सो हुआ अभी जो वर्तमान में है उसके साथ खुश रहो और उसने भी मुझे होंठ पर किस कर दिया।
फिर शीला बोली अरे मेरी जान तुम तो गर्म लग रही हो जाकर मेरे पति का अपने भीतर क्यों नहीं ले लेती?
तब मैं बोली हां गर्म तो हु पर फिर तेरा क्या होगा अगर मै तेरे पति का लेने लगूं तो?
तब शिला बोली- अरे मेरी जान तू मेरी फिक्र छोड़ अपनी सोच एक बार लेकर देख कितना मजा आएगा।
फिर मैं बोली की चल चुप कर और सो जा।
फिर हम दोनों सोने लगे कि तभी मुझे कस के पेशाब लगी और मैं उठकर बाथरूम की ओर जाने लगी।
शीला नल पर ही पेशाब करती थी तो बोली कि जो नल पर ही पेशाब कर लो। मैं उठकर जाकर नाल पेशाब करने लगी। रात में पेशाब की धार इतनी तेज थी कि पूरा आवाज गूंजने लगा। और वही आंगन में शीला के पति सोए हुए थे।
मैं जब पेशाब करके उठी तो अच्छी की शीला के पति भी जाग चुके थे। मुझे भी पता नहीं क्या सूजी की मैं तुमसे मजाक कर दिया?
मैं शीला के पति से बोली- ऐसे क्या देख रहे हो आप?
तब शिला के पति बोले- अरे उतना ही जितना आपने दिखाई पूरा तो कुछ दिखी ही नहीं।
मैं शर्मा कर वहां से भाग गई और आगे शीला के पास सो गई।
फिर सुबह हुई मैं अपने घर चली गई सुबह भी मन मेरा थोड़ा उदास था लेकिन सुबह कुछ ठीक लग रहा था फिर शाम हुई तब शीला मेरे पास आई और बोली चलना मेरे ही घर पर क्यों अकेले यहां पर जान दे रही है?
मुझे शीला की बात ठीक लगी मैं उसके घर आ गई और हम दोनों ने मिलकर रात का खाना बनाया और जब शीला के पति खाने के लिए बैठे तब शीला ने बोला जा मेरे पति को थोड़ा खाना दे आ।
शीला के पति वहीं आंगन में बैठे हुए थे मैं गई और शीला के पति को खाना देने लगी वह नीचे बैठे हुए थे तो मैं उन्हें झुक कर खाना देने लगी।।
शीला के पति की नजर मेरे दोनों गोल-गोल चूचियों पर थी। जब हम कि नजर मिली हम दोनों एकदम शर्मा गए वह भी अपने नजर झुका लिए और मैं भी।
फिर मैं उन्हें खाना देकर चली आई। शीला बोली ऐसे क्या मटक मटक कर चल रही है मेरे पति का क्या अब जान लेगी देख कितने गौर से तेरे गान्ड को देख रहे थे।
फिर हम दोनों ने भी खाना खाया।फिर
हम सभी सोने चलें गये।
शीला के पति फिर आज आंगन में सोए हुए थे और मैं शीला के साथ सोई हुई थी।
अरे सीला तेरे पास तो दो दिन से मैं सो रही हूं तेरी बूर तो ऐसे ही उदास रहती होगी ना।
तब शिला ने मेरी बूर में एक उंगली करते हुए बोली- अच्छा मुझे कह रही है और तू खुद उदास रहती है तो नहीं कहती है।
मैं तो कहती हूं कि अभी भी वक्त है 2 दिन से मेरा मरद भुखाया हुआ है जा उसके पास सो जा तुझे खाकर शांत हो जाएगा।
मैं भी उससे बोली- हां शीला चाहती तो मैं भी हूं पर क्या करूं मन नहीं कर रहा?
अच्छा मेरी रानी को मन नहीं कर रहा है।
तभी शीला ने मेरी चूची को दबाते हुए कही की जान वह सो गए होंगे तो बस उसके बगल में सो जाना और तुम्हें कुछ नहीं करना है।
मैं शीला से बोली- नहीं मुझे नहीं जाना चुपचाप मुझे सोने दो।
तभी शीला मुझे बार-बार जोर देने लगी।
फिर मेरे मन में भी एक कौतूहल हुई कि आज देखी लेते हैं जो होगा मैं धीरे से उठी और जाकर इसके पति के पास लेट गई। दूसरी और करके लेते हुए थे और मैं दूसरी चुपचाप लेट गयी।
तभी उन्होंने कुछ देर बाद अपना करवट बदला और मुझे अपनी बाहों में पकड़ लिया।
मैं एकदम से सन रह गई।
उनका लंड मेरे गांड में एकदम से हलचल मचा रहा था?
मेरे बुर से थोड़ा पानी आने लगा था।
तभी उन्हें एक और प्रहार किया और अपना हाथ को मेरे नाभि में और चिकने पेट पर चलने शुरू कर दिए और उनके गर्म सांसे अब मुझे मेरे गालों और कंधों पर महसूस हो रही थी।
फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपने हाथ को ऊपर ले जाना शुरू किया और मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही मेरी चूची को धीरे-धीरे सहला रहे थे।
उन्होंने धीरे-धीरे सहलाने के साथ-साथ अब मेरी स्तन को दबाना शुरू कर दिया।
फिर उनकी थोड़ी हरकत और बढ़ी और उन्होंने अपने हाथ को धीरे-धीरे नीचे ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही मेरी योनि को छूने लगे। मेरी तो आंखें बंद थी और मैं मदहोशी में चुपचाप इस फिल् का मजा ले रही थी।
तभी उन्होंने एक और हरकत किया और अपनी ऊँगली को मेरे साड़ी के भीतर डालने लगे मैं और एकदम से मदहोशी में अपनी आंखें बंद कर ली थी।
उन्होंने अपनी उंगली से मेरी पेंटिं को कुरेदने लगे जिससे कि मेरी योनि का पानी उनकी उंगली को चिपचिपा कर रहा था मेरी योनि के पानी से मेरा पेन्टी पूरा गीली हो गई थी और उनका लिंग का जोर मेरे गान्ड में इतनी तेज लग रही थी कि मैं एकदम से मदहोशी में पानी पानी हो रही थी।
वह मुझे पीछे से एकदम से पागल बना रहे थे।
मैं आंखें बंद करके इस फिल् की मजा ले रही थी कि तभी मुझे मेरे बेटे राज की याद आने लगी मैं धीरे-धीरे फिर से उस स्थिति में पहुंचने लगी मेरे आंखों से आंसू आने लगे मैं झट से उनको पीछे धकेल उनके हाथ को खींचकर पीछे फेंक दी।
मैं वहां से उठी और रोते हुए छत की और भाग गई।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए अब मिलते हैं अगले भाग में।
मुंह बोला बेटा से प्यार। UPDATE 12
(शीला के पति का सहारा)
अब तक आपने पढ़ा कि मेरा बेटा राज मुझसे अलग हो गया उसके बाद शीला ने मुझे उक्सा कर अपने पति के पास भेज दिया उसके पति मेरे साथ जो हरकत कर रहे थे उससे मैं दुखी होकर छत की और भाग गई।
मैं छत पर उदास बैठी रो रही थी कि तभी मेरे कंधे पर किसी का हाथ पड़ा।
मैं जब पलट कर देखी तो वह हाथ शीला के पति का था उन्होंने मुझे उठाया और बोला कि सुनीता जी क्या हम लोग आपके परिवार नहीं है जो हमसे आप नहीं बात कर रही?
मैं रोते हुए उनसे लिपट गई उन्होंने भी मुझे गले लगा लिया। मैं काफी देर तक उनसे ऐसे ही लिपटी रही मेरा अब रोना भी बंद हो गया था पर मुझे उस मजबूत बाहो को छोड़ने का मन नहीं कर रहा था इसलिए मैं उसे लिपटी छत पर खड़ी हुई थी।
धीरे-धीरे अब शीला के पति का हाथ मेरे दोनों नितंबों पर चलने लगा था। मैं उनके हाथ के छुवन को खूब अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी।
मुझे काफी सुकून दे रहा था उनके मजबूत बाहे मैं उनकी बाहों को एकदम जकड़ी हुई उनके पीठ को सहला रही थी।
धीरे-धीरे शीला के पति मेरे नितंबों को सहलाते हुए अब दबाना भी शुरू कर दिया था उनके हाथ अब मेरे नितंबों को मजबूती से दबा रहे थे मेरे मुंह से अब हल्की-हल्की सिसकी निकल रही थी।
अब मैं अपने आप को समर के हवाले कर चुकी थी वह मेरे नितंब को सहलाने के साथ-साथ दबा भी रहे थे और मेरे मुंह से सिसकियां निकल रही थी जैसे-जैसे मेरी मुंह की सिसकियां तेज होती वैसे-वैसे वह भी सलाना दबाना और तेज कर देते थे।
शीला के पति समर मुझे बाहों में पकड़े हुए काफी सुकून दे रहे थे कि तभी उन्होंने अपनी उंगली को मेरे नितंबों से थोड़ा नीचे ले जाकर जांघों के बीच में ऐसे दबाया कि मेरी योनि पर जा लगी और मैं एकदम से चीहुक उठी।
फिर उन्होंने अपने हाथ को मेरे दोनों जांघों को दबाया और फिर ऊपर लाकर मेरे नितंबों को दबाते हुए कमर को दबाए और पीठ को सहलाते हुए अब अपना हाथ को मेरे कंधे तक लाकर मेरे बाल को और कंधे को सहलाने लगे।
फिर उन्होंने मुझे बड़े प्यार से कहा सुनीता जरा इधर तो देखो। मैं उनके चेहरे की ओर देखने लगी उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हथेलियां में थाम लिया और मेरे आंसू को पूछ कर अपने होंठ को मेरे चेहरे के पास लेकर आए।
मैं बड़े प्यार से उन्हे देख रही थी और वह भी मुझे बड़े प्यार से देखते हुए मुझे ऊपर से चूमना शुरू किया पहले मेरे ललाट को चुम्मा उसके बाद दोनों आंखों को चुम्मा फिर नाक को चुम्मा फिर दोनों गाल को चुम्मा और मेरे ठुद्दी को चुम्मा उसके बाद लास्ट में अपने होंठ को मेरे होंठ पर लाकर विराम दे दिया।
हम दोनों कुछ देर एक दूसरे से होंठ सताए खड़े रहे की फिर उन्होंने धीरे से अपने होंठ को मेरे होंठ पर रगड़ कर अब मेरे नीचे वाले होंठ को अपने होंठ से दबा लिए।
मैं भी उनके ऊपर वाले होंठ को अपने होठों में दबाकर अब धीरे-धीरे चूसना शुरू की थी कि उन्होंने भी मेरे नीचे वाले होंठ को प्यार से चूसना शुरू कर दिए।
हम दोनों कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के होंठ चूसते रहे और चूसने के बाद फिर से उन्होंने अब मेरे मुंह को खोलकर अपने जीभ को मेरे मुंह में डालकर पेलने लगे।
मैं बड़े प्यार से उनके जीभ को चूस रही थी और वह भी बड़े प्यार से अपने जीभ को मेरे मुंह में अंदर बाहर कर रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे मुंह में से वह कुछ खाने की कोशिश कर रहे हैं
अंदर जब डालते और फिर निकलते जैसे ही जीभ् अंदर जाति में उसे बड़े प्यार से चुस्ती और जैसे ही वह निकल जाती मैं उनके होठो को चूस लेती और हम दोनों का ऐसे ही कि काफी देर तक चलते रहा।
फिर उन्होंने मेरे होंठ को अपने मुंह में लेकर चूसते हुए मेरे जीभ को अपने मुंह में लेने लगे वह बड़े प्यार से मेरे जीभ को चूसते थे कभी अपने जीभ को मेरे अंदर डालकर चुस्वाते थे हम दोनों एक दूसरे को चुस रहे थे।
फिर उन्होंने अपने हाथ को नीचे की ओर लेकर गए और मेरे साड़ी को कमर से निकाल कर एकदम से अलग कर दिए मैं और छत पर केवल पेटिकोट और ब्लाउज में थी फिर उन्होंने अपने लूंगी को खोलकर अलग किया अब वह केवल अंडरवियर में रह गए थे।
उन्होंने मुझे फिर से पलटा और मेरे गर्दन को तो कभी पीठ को चूमने लगे और मेरे ब्लाउज में कैद दोनों स्तनों को प्यार से दबाने लगे।
जैसे-जैसे मेरे स्तन को चूसते थे वैसे-वैसे मेरे मुंह से काफी मादक आवाज निकलने लगती। मुझे यह भी होश नहीं रहा की आस पड़ोस वाले अगर सुन लेंगे तो क्या होगा या फिर नीचे सोई हुई शीला वह क्या सोचेगी?
हम दोनों अपने मस्ती में खोए हुए थे कि समर अब मेरी ब्लाउज को खोलकर अलग कर दिया और फिर मेरी ब्रा को भी खोल दिया अब मेरे स्तन एकदम से बाहर निकाल कर आजाद हो चुके थे।
उन्होंने मुझे फिर से आगे की ओर पलटा और मेरे स्तनों को चूमते हुए धीरे-धीरे चूसना शुरू किया।
वे जैसे-जैसे मेरे स्तनों को चुस रहे थे वैसे-वैसे मेरी प्रतिक्रिया बढ़ती जा रही थी मैं अपने मदहोश हवास में कोई जा रही थी।
उन्होंने मेरे स्तन को चूसना और काटना शुरु कर दिया था मैं एकदम से अपनी आंखें बंद करके अपने स्तन चुसाई का पूर्णत: मजा ले रही थी।
फिर उन्होंने मुझे स्तन के साथ-साथ थोड़ा नीचे पेट को भी चाटना शुरू किया और धीरे-धीरे वह मेरे नाभि तक पहुंच गए गजब चूस रहे थे।
फिर उन्होंने मेरे पीछे आए और अपने लंड को मेरे गांड में सताए हुए मेरे कान के पास चूमना शुरू किया और मेरे कान को चबाने लगे।
वह बहुत ही मादक तरीके से मेरे कान को चुस रहे थे कभी मेरे कान के पीछे चुंबन लेते मैं एकदम से मदहोश हो चुकी थी मैं पूर्ण रूप से अपने आप को उनके हवाले कर चुकी थी वह बहुत ही अच्छे तरीके से मेरे स्तन को दबाते हुए मेरे गर्दन और मेरे दोनों कान के पीछे चुंबन कर रहे थे।
मैं मदहोशी में एकदम खोई हुई थी और वह मेरे कभी पीठ को चूमते तो कभी मेरे गर्दन को चुमते और स्तन को दबाते जा रहे थे और तभी उनके हाथ मेरी पेटिकोट की डोरी लग गई उन्होंने खींचा और तुरंत पेटिकोट मुझसे अलग होकर नीचे गिर गई अब मैं सिर्फ और सिर्फ पेंटी में बच गई थी उन्होंने मुझे पेटीस के ऊपर से ही चूमना चाटना शुरू कर दिया।
उनके जीव जैसे ही मेरी पैंटी के ऊपर से योनि को लगता है एकदम से मेरी मुंह से मादक आवाज निकल जाती।
रात के चांदनी की चमक से मेरी पूरा शरीर चमक रहा था और वह नीचे बैठ मेरे योनि के रस को चूस रहे थे।
फिर उन्होंने बड़े प्यार से मेरे पैंटी को उतारा और एकदम से अलग कर दिया।
फिर उन्होंने मेरे पर को बड़े प्यार से थोड़ा सा फैला है और अपनी जीत को नीचे बैठकर मेरे योनि में डालकर चाटने लगे।
मैं पूरी तरह से मदहोश होकर एकदम अपनी योनि चटाई का मजा ले रही थी मेरी दोनों आंखें पूरी तरह से बंद और मुंह से मादक आवाज निकल रही थी।
मुझे अब रहा नहीं जा रहा था मैं उनके सर को पकड़ के सहलाने लगी और धीरे-धीरे अपनी योनि में दबाने लगी वह भी बड़े प्यार से अपने जीभ को मेरी योनि में घुसा देते और पूरा रस को चाट जाते हैं।
समर मेरे योनि को खूब अच्छी तरीके से चाट रहे थे वह योनि को चाटते-चाटते मेरी क्लीटोरिस को भी काटने लगे थे फिर वह ऊपर की ओर बढ़ते और अगल-बगल चूम लेते और उसे भी काटते फिर ऊपर बढ़ते और पेट को चुमते उसके बाद नाभि में अपनी जीभ डालते उसके बाद पेट के अगल-बगल को चूमते और फिर नीचे आते कभी जांघों को काटते तो कभी उसे चुनते तो कभी चाटते बहुत मदहोश कर दिया था मुझे समर ने आज।
समर मेरी योनि को चाटते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगे और वह खड़े हो गए मेरे स्तनों को चूसते चाटते काटते फिर मेरी गर्दन को चुमते और चुमते हुए मेरे फिर से होंठ के पास आ गए हम मेरे होंठ को चूमने लगे चुमत्ते हुए वह मेरे होठो को चूसने लगे चूसते चूसते वह कभी अपनी जीभ मेरे अंदर डालते तो कभी मेरी जीभ को लेकर चूसने लगते।
फिर उन्होंने अपनी जांघिया और चड्डी को खोल और पूरी तरह से नंगे हो गए मैं उनके लैंड को अच्छी काफी बड़ा और मोटा था एकदम से देखकर मेरे तो रोम रोम खड़े हो गए।
फिर मुझे वही छत पर लेटा दिए और मेरी टांगों को मोड कर जांघों को फैला दिया जिससे कि मेरी योनि एकदम से खुल गई और वह अपना मोटा सा लंड मेरे योनि में लगाकर धक्का मारने लगे मेरी तो आंखें एकदम बंद हो चुकी थी।
मेरी आंखें बंद हो गई और मुंह से जोर की सिसकारी निकलने लगी वह अपना लंड को धीरे-धीरे मेरे योनि में पूरी तरह से उतार दिए और अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिए और मैं तो एकदम से निहाल पड़ी हुई।
वह अब धीरे-धीरे मेरे योनि में धक्का लगना शुरू किया और अपने लिंग को कभी बाहर निकलते तो कभी पूरा अंदर डाल देते और इसी तरह से धक्के लगाना चालू कर दिए वह मेरे ऊपर लेते हुए मेरे होंठ को चूमने लगे।
उनका धक्का लगाना जारी रहा और मेरे मुंह से मादक आवाज निकालना भी जारी रहा मैं एकदम से मदहोश पड़ी मुंह से केवल मादक आवाज निकल रही थी और वह अपना जीभ कभी मेरे मुंह में डाल देते तो कभी निकाल कर मेरी होठों को चूसने लगते तो कभी मेरे गाल को चाटते तो कभी काटते। मुझे आज पूरी तरह से उन्होंने जूठा कर दिया था।
मेरे मदन के हर हिस्से को वह अपने जब से चाट लिए थे।
समर धक्के लगाना और तेज कर दिए थे और मैं अपनी मादक आवाज निकालना भी।
मैं अब होश में नहीं थी उन्हें पकड़ कर कभी उन्हे नखोर देती तो कभी अपनी नाखून को उनके पीठ में चुभो हो देती वह भी जैसे-जैसे उनके पीठ में नाखून चुभति वैसे-वैसे वह और धक्के तेज लागाते और मैं तो एकदम से उन्माद होकर पड़ी हुई थी। तभी उन्होंने अचानक से अपने लिंग को मेरे योनि से खींच लिया ऐसा लगा जैसे मेरे योनि से किसी ने गर्म सरिया को निकाल लिया हो मैं एकदम से चिहुक उठी।
फिर समर उठे और मुझे पलट दिया और मेरे ऊपर पीछे से लेट गए और अपने लिंग को मेरे पीछे से डाल दिया अब वह मेरी गाल को, तो कभी पीठ को चूमने लगे और अब मेरे स्तन को भी उन्होंने दबाना शुरू कर दिया मैं एकदम से उनके भार में दबी हुई मदहोश आवाज निकल रही थी।
अब उनकी धाक्को की रफ्तार और तेज हो गई थी और मैं मादक आवाज और तेज निकलना शुरू कर दी थी।
वह मेरे सर को पलट कर अपनी होठो को मेरी होंठ से मिलाकर चुस रहे थे और पीछे से लगातार तेज धक्के लगा रहे थे और कभी-कभी मेरी कस के चूचियों को भी दबा देते थे।
ऐसे ही तेज ढके लगाते रहे और फिर एक तेज दहाड़ के साथ वह मेरे अंदर झढ़ गए और मेरे ऊपर ही लेट गए मैं उसे दिन एकदम परिपूर्ण होकर उनके साथ छत पर पड़ी रही।
सुबह के 3:00 हम दोनों की नींद खुली तो हम दोनों जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने और छत पर से भाग कर नीचे आ गए।
मुझे थोड़ा शर्मिंदगी महसूस हो रही थी इसलिए मैं तुरंत से भाग कर अपने घर पर चली आई सुबह को और अपने बिस्तर में आकर लेट गई।
फिर सुबह के 8:00 मेरी नींद खुली तब फोन पर देखी कि कई सारी फोन आए हुए थे।
वह फोन था सौम्या का।
मैंने तुरंत सौम्या को इधर से कॉल किया।
उधर से सौम्या बोली- हेलो मां कहां थी कब से मैं कॉल कर रही हूं?
मैं उसे बता दे कि मैं ठीक हूं बेटा बस सो रही थी इसलिए कॉल नहीं उठा पाई।
फिर उधर से सौम्या बोली- मां कुछ दिन में नवरात्रि शुरू होने वाली है तो तुम यहीं पर आ जाओ तुम्हें लेने के लिए आकाश आज में जाएगा तुम रेडी रहना।
मैं यह बात सुनकर एकदम से खुश हो गई मैं अपने बेटे बेटियों से कब से मिलना चाहती थी जब से राज मेरे से दूर हुआ था मेरे तो एकदम चैन ही उड़ गए थे?
मैं सौम्या को बता दी की ठीक है बेटा आकाश को आने दो मैं रेडी होकर रहूंगी।
फिर उसने कॉल रख दिया।
फिर मैं जल्दी-जल्दी तैयारी करने लगी खाना-वाना बनाने लगी क्योंकि आज मेरा बेटा आकाश आ रहा था मुझे लेने के लिए?
मैं खाना बना ही रही थी कि तभी शीला आई और मुझे पीछे से गले लगा कर बोली- और मेरी रानी कैसी रही कल रात।
कल रात के बारे में सोची तो एकदम से मेरे होश ही उड़ गए पता नहीं मुझे कल क्या हो गया था इतनी मदहोश हो गई थी कि मुझे होश कि नहीं रहा?
फिर शीला ने मुझे झांकछोड़ते हुए कहा कि अरे क्या हो गया कहां सोच में पड़ गई?
फिर मैं बोली अरे कहीं नहीं।
फिर शीला बोली अरे तो बताओ ना कैसी रही कल रात।
मैं उसे बोल दी जो अपने पति से ही पूछ लो कैसे रहे?
फीर शीला बोली- अच्छा जी ठीक है मैं उनसे तो पूछी लूंगी और हंसने लगी।
फिर मैं शीला को बताइए कि आज आकाश आने वाला है उसी के लिए तैयारी कर रही हूं वह मुझे पटना लेकर जाने वाला है आज।
फिर से sheela boli- अच्छा ठीक है चली जाना मैं कौन सी रोक रही हूं?
मुझे प्यार से गले लगा कर गाल पर किस देकर शीला चली गई।
और फिर मैं भी अपने बेटे का इंतजार करने लगी।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए अब मिलते हैं अगले भाग में।
मुंह बोला बेटा से प्यार। पार्ट 13।
(नवरात्रि के मेला स्पेशल)
कब तक आपने पढ़ाई की मेरा बेटा मुझे पटना ले जाने के लिए घर आने वाला था और मैं उसका इंतजार कर रही थी अब आगे।
मैं घड़ी की ओर देख रही थी कि कब मेरा बेटा आकाश आए?
की तभी डोर बेल बजी और मैं जाकर डोर को खोली और आकाश आते ही मुझे गले से लगा लिया।
मैं आकाश से एकदम लिपट गई। ऐसा लग रहा था कि कई जन्मों से उसे बिछड़ी हुई है।
मैं आकाश के माथे को चुमा और उसे अंदर ले आइ।
मैं उसे हाथ में धोने के लिए बोलकर जाकर खाना लगने लगी जैसे ही मैंने खाना लगा लिया वह जाकर टेबल पर बैठ गया।
मैं उससे बड़े प्यार से खाना खिला रही थी ऐसा लग रहा था जैसे कुछ भूल सा गया हो मुझसे।
जैसे ही उसका खाना पीना हो गया मैं बोली की थोड़ी आराम कर ले उसके बाद हम दोनों चलेंगे पटना के लिए।
मैं अपने बेडरूम में आराम करने जाने लगी कि
तभी आकाश बोला- मां मैं तुम्हारे साथ आराम करना चाहता हूं।
मैं उसके हाथ पकड़ी और तुरंत अपने बेडरूम में ले गई। मैं तो जैसे यही चाहती थी।
वह मेरे साथ मेरे बेडरूम में मेरे सीने पर सर रखकर आराम करने लगा मैं भी उससे बड़े प्यार से सुला रही थी। फिर हम दोनों मां बेटा एक दूसरे को बाहों में पकड़े हुए सो गए।
दोपहर में जब हमारी नींद खुली तो देखी की समय होने ही वाला था। हम जल्दी से तैयार हुए और स्टेशन के लिए निकल गये। स्टेशन पर पहुंचकर मैं ट्रेन पकड़ी और पटना पहुंच गए।
जब मैं पटना पहुंची और स्टेशन पर उतरी तब मैं देखी कि मेरी बेटी सौम्या के साथ उसका बॉयफ्रेंड आलम भी आया हुआ था मुझे पिकअप करने के लिए।
हम सभी एक साथ अपनी बेटी सौम्या और आकाश के रूम पर गए वहां पर दो रूम थे एक में मुझे शिफ्ट किया और सौम्या को और दूसरे में आकाश था।
तभी सौम्या बोली चलो जल्दी से हाथ मुह धोलो और खाना खा लो आप लोग।
हम लोगों ने वैसा ही किया और उसके बाद सौम्या बोली- कल से नवरात्रि शुरू हो रही है तो,
आपको पूरा पटना घूमने की जिम्मेदारी में आकाश को देता हूं।
आकाश भी बड़े प्यार से बोला ठीक है मैं अपनी मां को जिम्मेदारी अपने ऊपर लेता हूं।
और फिर हम सभी बड़ी जोर से हंसने लगते हैं।
ऐसे ही हंसी मजाक में दो-तीन दिन बीत गए।
एक दिन आकाश मुझे नवरात्रि में घूमने के लिए बाहर लेकर आया था रात का समय था काफी भीड़ थी।
मैं आकाश का हाथ पकड़े चारों ओर घूम रही थी मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
इस मेले में हर तरह के लोग थे कई लोग पूजा पाठ करने के लिए आए हुए थे तो कई लोग केवल घूमने के लिए आए हुए थे उसमें हम लोग भी थे।
और कुछ लोग बदमाशी भी थे जो औरतों की गांड को खोद देते थे या गांड को दबा देते थे।
जब भी भीड़ भड़क वाली जगह आती थी मैं तो सतर्क हो जाती थी कि पता नहीं कौन कब गांड ढाबा जाए?
मैं आकाश के साथ बोली मेला में चारों ओर घूम रही थी।
सभी आकाश बोला- मा, चलो चरखी पर बैठते हैं।
मैं बोली- ना आकाश मुझे बहुत डर लगता है।
तब आकाश बोल कोई बात नहीं मां मैं हूं ना चलो।
मैं आकाश की बात से सहमत हुई और उसके साथ चरखी पर बैठ गई।
जब चरखी दो चार राउंड घूमी तो मुझे खूब अच्छा लगा लेकिन जैसे ही कुछ और राउंड घूमी तो थोड़ा और अच्छा लगा लेकिन जैसे ही तेज हुई मुझे तो लगा कि मैं गिर ही जाऊंगी मैं अपने बेटे को बहुत कस के पकड़ ली और अपने सर को उसके सीने में छुपा ली।
मैं अपने बेटे को पकड़े हुए थी और मेरा बेटा मुझे पकड़ के मेरे सर को प्यार से सहला रहा था और बोल रहा था मन डरो मत इंजॉय करो मां।
मैं अपने बेटे के सीने में सर छुपाए हुए ही धीरे-धीरे बाहर की दुनिया को देखने लगी मुझे फिर अच्छा लगने लगा मैं अपने बेटे के सीने से सर को चिपकाए हुए ही सब देख रही थी और अब सब अच्छा लग रहा था मैं अपने बेटे को कस के पकड़ी हुई थी और बेटा मुझे प्यार से सहला रहा था।
फिर चरखी धीरे-धीरे रुक गई और मैं उसके सीने से ही चिपकी रही।
फिर आकाश धीरे से बोल मां चलो उतरे अब खत्म हो गया है।
वह मुझे इतना प्यार से बोला था की मन किया और उसे चिपकी रहु पर उतरना तो था ही मैं उतर गई वह भी उतरा और हम साथ में फिर से घूमने लगे।
हम मेला में ऐसे ही तीन-चार दिन तक खूब इंजॉय करते रहे।
आकाश मुझे पूरा पटना घुमाया है तीन में भी और रात में भी हमें खूब मजा आया।
आकाश के साथ पटना घूम कर मैं खूब मजाक की।
मैं आकाश के साथ नवरात्रि के आखिरी दिन घूम रही थी कि तभी मैं घूमते घूमते आकाश के साथ बोली कि चलो ना थोड़ा और से आगे चलते हैं।
आगे भी भीड़ था पर झाड़ी छु में अधिक थी मुझे नहीं लग रहा था कि उधर मेला है पर फिर भी गाड़ियां थी तो मुझे लगे लोग तो होंगे मैं उसे जबरदस्ती खींच कर ले जाने लगी।
आकाश भी मुझे मना नहीं कर पाया और हम लोग उधर किनारे की ओर आ गये और जैसे ही किनारे की और आए मैं देखी की एक गाड़ी हिल रही थी। आकाश ने मुझे मना किया देखने को मैं नहीं मानी और पीछे से देखी तब मेरा तो आंख ही फटी रह गई।
आकाश फिर से मुझे मना कर रहा था की मां नजदीक मत जाओ दिक्कत होगी।
पर मैं नहीं मानी और गाड़ी के नजदीक गई और शीशे से अपना सर सटकर देखने लगी तो अंदर अच्छी की दो लोग एक लड़की के पेल रहे थे।
एक आदमी उसके योनि में अपना लिंग डाल रहा था तो दूसरा आदमी उसके मुंह में अपना लिंग डाल रहा था और वह बड़े प्यार से दोनों का ले रही थी।
तभी उनमें से एक आदमी ने मुझे देख लिया जागता हुआ और वह गुस्से में गेट खोला।
और हमें गालियां देने लगा तभी आकाश मेरा हाथ खींच कर मुझे भागने लगा हम दोनों भागने लगे और बहुत हंस रहे थे।
वह लोग नंगे थे इसलिए तोड़कर हमारे पास नहीं आ सकते थे और मैं और आकाश दोनों वहां से भाग कर आगे की ओर भीड़ में आ गए और दोनों साइड में बैठकर बहुत हंसे।
मैं तो आकाश की बाहे, पकड़ कर हंसने लगी भोले की आकाश यह लोग क्या-क्या करते रहते हैं?
फिर हम लोग आगे के हैं और तो मैं चिड़िया घर दिखाई दिया। तब आकाश बोला कि चलो मैन चिड़िया घर घूम लेते हैं। हम दोनों चिड़ियाघर में भी घूमने लगे। चिड़ियाघर में अलग-अलग पशु पक्षी देखकर मुझे बहुत मजा आया।
जब हम लोग निकल रहे थे तभी मुझे जंगल की ओर एक और अलग चीज दिखाई थी।
एक लड़की अपने बॉयफ्रेंड के साथ बैठी हुई थी चिपकी हुई और उसके होठों को चूस रही थी।
वह लड़का उसके स्तनों को निकाल कर खूब प्यार से दबा रहा था।
मैं आकाश की ओर देखी तो वह शर्मा रहा था मैं भी शर्म से लाल हो चुकी थी हम दोनों मुस्कुरा कर वहां से चलने लगी।
फिर हम लोग चिड़ियाघर से बाहर आए और नवरात्रि में अलग-अलग जगह पर घूमे।
आज नवरात्रि खत्म हो रही थी और कल विजयदशमी थी जब रावण का लंका दहन होने वाला था।
हम लोग रूम पर बैठे हुए थे कि तभी वहां पर सौम्या का बॉयफ्रेंड आया और बोला कि कल आपको विजयदशमी में दिखाने ले जाऊंगा।
तब सौम्या भूली अच्छा ठीक है बाबा आप ही मेरी मां को घुमा देना मैं आकाश के साथ कल विजयदशमी देखने चली जाऊंगी।
तब आलम ने बोला है अरे मैं विजयदशमी तो रात तक दिखलाऊंगा क्या आपकी मां मेरे साथ रात तक देखने को तैयार है?
तभी मैं बोल पड़ी आप मुझे रात भर भी दिखलाएंगे तो मैं देखने को तैयार हूं।
तभी मेरे दोनों बच्चे मेरे बात पर तालियां बजाने लगे।
तब आलम बोला तो ठीक है कल तैयार रहना मैं अपनी कर तैयार रखूंगा आपको अपनी कर से घुमाऊंगा कल।
मैं भी रेडी हो गई थी घूमने के लिए।
विजयदशमी के दिन दशहरा खत्म हो जाती है और रावण दहन किया जाता है अलग-अलग जगह पर।
मै आलम के साथ रात मे निकल गयी।
पुरी रात को घूमने का प्लान था।
हम दोनो खूब हसी मजाक करते हुए जा रहे थे अलग अलग जगह पर घूमे हमे घूमते हुए रात के 2 बज् गये।
अब सरा रास्ता भी सुनसान हो चुका था।
तभी आलम बोले-जान कही आपको डर तो नही लग रहा?
तब मै बोली- डर क्यू लगेगी जब आप मेरे साथ हो।
मै आलम के साथ आगे हि बैठी थी की उन्होंने मेरे गाल को खींचते हुए बोले- अरे वाह मेरी जान तुम तो होशियार हो बहुत।
मै बस मुस्कुरा दी।
फिर उन्होंने कहा-जान् मेरा तो अब मालपुआ खाने का मन कर रहा है।
यह सुनते हि मेरे मन मे वासना भड़क उठी।
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई।
आलम ने मेरे चेहरे की मुस्कान को बाप लिए थे वह आधी रात को गाड़ी को सुनसान सड़क पर रोक दिए।
मैं उनकी तरफ देखी।
तभी वह सारी लाइट भी बुझा दिए।
बाहर की चांदनी लाइट ही हमारे चेहरे को चमक रही थी थोड़ा बहुत।
मेरा दिल अब धक-धक करने लगा था। वह अब मेरे करीब बढ़ने लगे।
वह अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास ला दिये।
मुझे भी अब रहना गया मैं भी अपने चेहरे को हल्का सा आगे की ओर बधाई।
तभी हम दोनों का होंठ एक दूसरे से मिल गए। हम दोनों ने कर में ही एक दूसरे को स्मूचिंग करना शुरू कर दिए।
वह अभी भी गाड़ी का स्टीयरिंग पकड़े हुए थे और मैं दूसरी छोर पर बैठी हुई उनकी तरफ झुकी हुई थी। और वह मेरी तरफ झुक कर हम दोनों का स्मूचिंग चल रहा था।
मैं काफी उत्तेजित हो गई थी मैंने अपने दोनों हाथ बधाई और उनके सर को पकड़ कर अपने बाहे उनके गले में डाल दी।
दोनों काफी उत्तेजक तरीके से एक दूसरे के होंठ को चुस रहे थे।
बाहर से कोई गाड़ी आती तो हम दोनों पर लाइट पड़ती है और हम दोनों का स्मूचिंग चमक जाता है पर हमारा स्मूचिंग रुक नहीं रहा था।
हम दोनों एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे वह अब स्ट्रिंग छोड़े और मेरे कंधे को पकड़ कर मेरे होंठ को काटने लगे।
वह एकदम से उत्तेजक हो गए और स्टेरिंग से उठे और मेरे सीट पर आ गए। हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए एकदम एक दूसरे को काफी उत्तेजक तरीके से किस कर रहे थे। वह अपना सीने को मेरी स्तन से रगड़ते हुए काफी उत्तेजक तरीके से मुझे अपनी बाहों में पकढ़ते हुए मेरे दोनों गाल को अपने हथेली में थाम कर मेरे रसीले होंठ को जबरदस्त तरीके से एकदम चूस रहे थे।
बाहर से आई गाड़ी के लाइटों से हम दोनों को काफी तकलीफ हो रही थी तभी उन्होंने दरवाजा खोला और हम दोनों बाहर आ गए।
फिर उन्होंने बीच वाली सीट को अच्छी तरीके से बिस्तर की तरह सेट कर दिया और मुझे उसी पर लेटा कर मेरे ऊपर आ गये।
मेरे ऊपर चढ़कर अपने सीने से मेरे स्तन को दबा लिए और मुझे कसकर चूसना शुरू कर दिया।
उनका हाथ कभी मेरे बालों में चलता तो कभी मेरे स्तन पर तो कभी मेरे पूरे शरीर को टटोल रहे थे।
मैं उनके शर्ट को धीरे-धीरे खोल दी और उनके शर्ट को निकाल दी अब ऊपर से एकदम से नंगे हो गए थे वह मेरे होंठ को चूसते जा रहे थे और मैं उनके पेट को धीरे-धीरे खोल रही थी।
फिर मैं उनके पेट भी खोल दी अब वह सिर्फ अंडरवियर में बच गए थे।
तभी मैंने उनके अंडरवियर को भी नीचे सरका दी और और उनका लिंग निकाल दिया बाहर की ओर।
उनका लिंग में देखी थी बहुत ही विकराल था।
वह उठे और अपना अंडरवियर को भी निकलने लगे उनका लिंग इतना विकराल नजर आ रहा था रात में मैं तो देख कर एकदम से चकित रह गई।
फिर वह मुझे भी उठा और मेरे साड़ी को खोलकर अलग रख दिया और ब्लाउज को भी तुरंत खोल दिया और ब्रा को भी उतार दिया और मेरे स्तन को चूसना शुरू कर दिया।
वह जोर-जोर से और बारी-बारी से मेरी दोनों स्तनों को चूस रहे थे।
मेरे मुंह से काफी मादक आवाज निकल रही थी। मैं उनके बालों को जोर-जोर से सहला रही थी तो कभी उनके पीठ पर अपने नाखून गड़ा रही थी।
वह मुझे चूमना चाटना चालू रखें।
और फिर उन्होंने मेरी पेटिकोट का डोरी खींच और धीरे से मेरी पेटिकोट उतार दिए अब मैं केवल पेटी में बची थी।
वह मेरे स्तनों को चूस रहे थे चूसते हुए वह थोड़ा नीचे गए और मेरे पेट को चूमने लगे और मेरे नाभि में जीभ् डालने लगे फिर वह मेरे जाँघ को चूमा और धीरे से कट लिए। मेरी तो सिसकियां ही निकल गई
फिर वह और नीचे गए और मेरे पैर के अंगूठे को अपने मुंह में लेकर चूसने लगे।
वह जैसे-जैसे मेरे पैर के अंगूठे को कस रहे थे मैं एकदम से मादक आवाज निकलते जा रही थी वह मेरे पैर के अंगूठे को कस रहे थे तो कभी मेरे जांघों को मसल रहे थे।
बाहर से गाड़ियां कभी-कभी जाती तो हम दोनों पर लाइट पड़ती और हम दोनों का जिस एकदम से चमक उठता था।
फिर मैं उठे और मेरे पेटी को निकाल दिया और मेरी मालपुआ एकदम उनके सामने आ गई।
अब उनसे रहा नहीं गया और मैं छत से मेरे मालपुआ को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगे।
मैं अब पूरी तरह से तैयार थी उनके लिंग को अपने अंदर लेने के लिए।
जैसे ही वह अपने लिंग को मेरी योनि में डालने के लिए हुए की तभी तो गाड़ियां हमारे अगल-बगल जाकर लग गई।
मैं तो कुछ समझ नहीं पाई पर। आलम सब समझ गए थे उन्होंने झट से उठा और बिना कपड़े पहने ही आगे सीट पर बैठे और गाड़ी को आगे भगा दिया। मैं गाड़ी में ही धीरे-धीरे अपने कपड़े पहने लगी वह गाड़ियां हमारी पीछा भी कर रही थी। वे नंगे ही आगे भगाते जा रहे थे।
मैं आलम से पूछा कि यह कौन लोग हैं? तब आलम ने बताया कि रोड पर सेक्स करने से नहीं है अगर लोगों को पता चल जाए तो वह लोग तो मरने के लिए आएंगे ही ना।
तब मैं उनसे बोली यह हमें जान से मार देंगे क्या?
तब आलम बोले अरे जान से नहीं रेप कर देंगे तुम्हारा और हो सकता है मुझे मार भी दे। तभी एक गाडी आगे से आकर लग गई और हम दोनों वहीं पर फंस गए।
धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए हम लोग मिलते हैं अगले भाग में।
अब तक आपने पढ़ा की मैं और आलम विजयदशमी के दिन घूमने गए थे और रोड पर ही सेक्स कर रहे थे कि तभी हमें कुछ गुंडे खादेर ने लगे और एक गाड़ी आगे से आकर लगी अब आगे।
हम रास्ते में बहुत तेजी से भाग रहे थे कि तभी एक गाड़ी आगे से आकर लगी। और अब हम घिर चुके थे।
पर आगे से जो गाड़ी लगी थी वह पुलिस की थी। और पीछे जितनी गाड़ियां थी वह तुरंत ही घूम कर भाग गई।
आगे एक पुलिस वाला खड़ा था और आकर हमारी गाड़ी में बैठा। और हमें बोलने लगा। क्यों भाई आप लोगों में इतनी गर्मी है कि रोड पर ही गर्मी शांत करने लगते हो? मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। तभी उसने मेरे मांग में सिंदूर देखा और। आलम के लिंग को देख लिया जो अभी तक नंगा था। वह समझ गया कि सेक्स अंतरधार्मिक है?
पुलिस वाला मुझे बोलने लगा क्यों मैडम जी आपको हिंदुओं के लिंग पसंद नहीं आ रहे हैं जो मुसलमान को लेने के लिए तुली हुई हो?
मैं बहुत तेज पुलिस वाले को डांट दी।
जवान संभाल कर बात करो मिस्टर। यह हमें बताने वाले आप कोई नहीं होते कि मुझे किसके साथ सेक्स करना है और किसके साथ नहीं करना है। अब तक आलम ने भी अपना कपड़ा पहन लिया था।
तब पुलिस वाला ने बोला कि अच्छा की अब तुम मुझे अपना गर्मी दिखाओगी।
थाने में ले जाकर ऐसा डालूंगा ना कि दोबारा यह सब करने की हिम्मत नहीं होगी।
मैं डर गई।
तभी आलम ने बात संभालते हुए कहा कि हमने गलती क्या किया है जो आप हमें थाने में डालेंगे?
कौन सा कैसे लगाएंगे आप हम पर हमने क्या गुनाह किया है?
क्या सेक्स करना गुनाह है क्या हम सेक्स नहीं कर सकते अपनी मर्जी से?
क्या हम अपनी मर्जी से पार्टनर नहीं चुन सकते हैं सेक्स करने के लिए अब आप हमें बताएंगे?
आलम ने पुलिस वाले की बोलती बंद कर दी थी।
तभी पुलिस वाला ने बोला अच्छा बेटा।
तेरी भी जबान अब कैची की तरह चल रही है।
पुलिस वाले ने आलम को धमकाते हुए। तेरे ऊपर तो ऐसा कैसे लगाऊंगा की हमेशा के लिए अंदर चला जाएगा?
पुलिस वाले ने मुझे बोला और विशेष सुंदरी तुम तो शादीशुदा हो।
फिर क्यों इस मुल्ले से चुदवा रही हो?
मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं वही उसे कस के दांत दी। जापान संभाल के बोलो और मैं तुम्हारी जवान काट दूंगी। निकल गाड़ी में से। पुलिस वाला डर गया। और बोला।
देखो मैं चाहूं तो तुम लोगों पर उल्टा सीधा कैसे लगाकर तुम्हारा करियर पर बात कर सकता हूं अभी तुम पढ़ने वाले लगते हो?
और मैडम तुम्हारी शादी भले ही हो गई पर तुम्हारी भी उम्र ज्यादा नहीं लगती मुझे लगता है कि आप भी अभी तैयारी ही करती होगी गवर्नमेंट जॉब की सब खत्म हो जाएगी।
तभी मैंने डांटे हुए उसे कहा कि कि मेरे हस्बैंड बहुत बड़ा बिजनेसमैन है मैं यह गवर्नमेंट वाला जॉब की तैयारी नहीं करती।
पुलिस वाला ब्लाउज अच्छा ठीक है चलो लेते के पूरा करते हैं।
फिर आलम ने कहा ठीक है लिए बाहर हम लोग बात करते हैं। पुलिस वाला दांत दिखाते हुए बाहर आया।
पुलिस वाले ने कुछ कहा और तुरंत ही आलम उसे पर भड़क उठे। आलम पुलिस वाले को बहुत कुछ सुनाने लगे।
मैं समझ गई कि कुछ अनहोनी क्या डिमांड किया था यह पुलिस वाला?
पुलिस वाला बार-बार मेरी तरफ इशारा करके कुछ करने की कोशिश कर रहा था।
मैं समझ गई कि पुलिस वाला मुझे चाह रहा है तभी मैं गाड़ी से उतरी और आलम को मोबाइल देते हुए बोली कि मुझे मंजूर है जो भी डिमांड है। पुलिस वाला एकदम से खुश हो गया। पुलिस वाला मेरे साथ मेरे गाड़ी में घुसने लगा। मैंने तुरंत ही पुलिस वाले की वर्दी को उतारने लगी। और उतार कर अपने ऊपर खींच लिया।
तभी आलम ने सतासत तीन-चार फोटो क्लिप खींच लिए।
और फिर मैं पुलिस वाले को धक्के देकर अपने ऊपर से हटा दिया।
सभी आलम ने पुलिस वाले की फोटो दिखाइए और बोला। तुम्हारी फोटो भी अच्छी आई है और तुम्हारा नाम प्लेट भी वर्दी का अब तो तुम्हारा वर्दी उतरने से कोई रोक ही नहीं सकता। तभी पुलिस वाला डर गया। मैं झट से गाड़ी में बैठी आलम भी गाड़ी में बैठा। पुलिसवाला विनती करने लगा कि उसकी फोटो डिलीट कर दो। तब आलम ने कहा तुम मेरे रस्ते में मत आओ और मैं तुम्हारे रास्ते में।
फिर हम दोनों वहां से निकल गए। मैं आलम के साथ आगे बैठी हुई थी। आलम मुझे वहां से गाड़ी को जल्दी से भागकर अपने रूम की तरफ ले।
वहां से जैसे ही हम लोग निकले हमें बहुत हंसी जोर से आई। उसे पुलिस वाले की हालत देखकर हम दोनों बहुत हंसे।
फिर आलम ने मेरी तरफ देखा और मैं आलम की तरफ। और हम दोनों फिर से एक छोटा सा किस कर लिए।
फिर आलम ने गाड़ी को जल्दी से पार्किंग में घुसा दिया। अब सुबह के 3:00 रहे थे। अभी तक पीछे वाला सेट बिस्तर की तरह ही सेट थी।
आलम ने जल्दी से गाड़ी के लाइट को बुझाया और मुझे तुरंत ही पीछे वाली सीट पर लेकर चला आया। आलम की अभी तक गर्मी शांत नहीं हुई थी वह तुरंत ही मेरे होंठ को चूसना शुरू कर दिया। मेरे होंठ को चूसते चूसते वह मेरे स्तन को दबा रहा था मैं भी काफी उतजीत् थी उसके होंठ को चूसते हुए उसके गर्दन को बाहों में लपेट ली।
वह मेरे होंठ को चूस रहा था तो कभी गालों को चूम रहा था। मैं भी उसके होंठ को चूमती तो कभी गालों को चूमती। वह मेरे सीने को कभी दबाता तो मैं उसके सीने को कभी-कभी चूमती और अपने दांतों से काटने की कोशिश करती।
वह मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर एकदम से चिपकाए हुआ था और मेरे होंठ को चूस रहा था।
मैं उसके शर्ट को तुरंत से निकलती और पेंट को भी।
आलम ने मेरे सारे कपड़े को झट से उतरना शुरू किया और मेरे स्तन को काटते हुए पैन्टी को भी सरका कर पूरा मुझे नंगा कर दिया।
मेरे घर घर बदन को वह काफी अच्छे तरीके से अपनी जबान से चाट रहा था।
वह पुलिस वाला बिल्कुल सच कर रहा था मैं इस मुसलमान की दीवानी हो गई थी इसके लिंग की दीवानी थी।
इसके यह मर्दाना शरीर की मैं दीवानी हो गई थी।
वह मेरे बदन को पूरा नहीं छोड़ रहा था और चूम रहा था मैं भी उसके बदन से एकदम पीस रही थी। हम दोनों एक दूसरे की बदन को टकराकर खूब अच्छे तरीके से एक दूसरे को पीस रहे थे।
वह मेरे कभी कान को चूमता तो कभी कान को काट लेता मैं भी उसके कभी कान को काट लेती तो कभी गर्दन को चूमती।
वह मेरे होठों को चूमते हुए गाल को काटते हुए मेरे और रोज को दबा रहा था।
अब मैं पूरी तरह से नंगी थी वह मेरे जांघों को चुम्मा और मेरे फिर से मालपुआ को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।
थोड़ी देर मेरी मालपुआ को चूस कर एकदम से गिला कर दिया और फिर से ऊपर आया और मेरे मुंह के ऊपर अपना कटा हुआ लिंग को मेरे पास लाकर बोला कि लो मेरी जान अपनी मुंह में ले लो।
मैं बड़े प्यार से उसके लिंग को अपने मुंह में लेकर पूरी तरह से गिला कर रही थी। मैं कोई चांस नहीं छोड़ रही थी पुरा अच्छी तरीके से उसके लिंग को चूस रही थी वह अपनी आंखें बंद किए आगह्ह् की आवाज कर रहा था।
फिर अपने लिंग को मेरे मुंह से खींचा और नीचे आया और मेरे दोनों पैर को अपने कंधों पर रख लिया और अपने लिंग को मेरी योनि के पास सेट करके धीरे-धीरे धक्का लगने लगा।
पहली बार कोई इतनी मोटा टोपी वाला लिंग मेरे योनि में जा रहा था मेरी तो एकदम आंखें बंद हो गई थी और मुंह से केवल आआअह्ह्ह निकल रही थी।
वह धीरे-धीरे करके पूरा लिंग मेरे योनि में प्रवेश कर दिया और मैं अपनी आंखें बंद करके जोर-जोर से बस सिसकी ले रही थी।
आलम मेरे पर को अपने कंधे पर रखकर अच्छी तरीके से मेरे योनि में धक्के की बरसात कर रहा था।
मैं बस आअह्ह्ह् उउउउउफ्फ्फ्फ़ की आवाज कर रही थी।
आलम बोल रहा था वह मेरी जान।
इस मालपुआ के लिए तो मैं कहीं से भी तुम्हारे पास आ सकता हूं।
मेरी गर्लफ्रेंड तो तुम्हारी बेटी सौम्या है पर उसका मालपुआ तुम्हारी तरह बिल्कुल भी नहीं है।
तुम्हारा तो यानी गजब का है एकदम स्वर्ग जैसा लग रहा है।
आलम आंखें बंद करके यही सब बड़बड़ा रहा था।
ओ मेरी जान क्या मालपुआ है? और मेरे योनि में थक्कू की एकदम बरसात किया जा रहा था।
फिर वह अपने लिंग को निकाला और मुझे अपनी बाहों में ले लिया। और मेरी पर को थोड़ा सा फैला कर। अपना लिंग को मेरे योनि में प्रवेश कर दिया।
आज दशहरे के दिन मै इसके साथ खूब मजा की थी और आज बारी मेरी थी कि मैं इसे खूब मजा कराउ।
मैं ने इसे अपनी पूरा मालपुआ परोस दिया था जितना मजा करना है कर लो मेरे जान।
वह अपने लिंग के धक्को से मेरे पूरे शरीर को झकझोर दे रहा था।
फिर आलम ने मुझे वहीं पर नीचे की ओर झुकाया और पीछे से अपना लिंग को मेरी योनि में प्रवेश कर दिया। मैं भी अपने आप को उसके हवाले करते हुए पूरी तरह से झुक गई और वह अपने लिंग को सत्सत पेलते हुए खूब मजे से मजा ले रहा था।
उसका मोटा सा लिंग मेरे योनि में पूरा गर्दा मचाए हुए था मेरे मुंह से केवल सिस्कार ही निकल रही थी।
मैं अपने आप को तो एकदम से भूल गई थी ऐसा लग रहा था कि किसी अलग दुनिया में खो गई हूं जहां केवल मजा ही मजा था।
आलम के लिंग से मैं पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ रही थी मैं एकदम भूल गई थी खुद को।
वह मुझे बालों से पकड़ कर खींचा और अपने लिंग को मेरे योनि में लगातार पेलने लगा और फिर एक जोर की दहाड़ के साथ हि मेरे ऊपर गिर गया।
फिर मैं उसे एक तरफ उठाकर की और अपने कपड़े पहने लगी। मैं फिर आलम को ही बोला कि आप अपने कपड़े पहन लो।
आलम अपने कपड़े पहनने के बाद गाड़ी की अंदर की लाइट चलाई और मेरे चेहरे को दिखा।
और फिर आलम ने बोला वाह मेरी जान तेरे चेहरा तो गजब चमक रहा है।
तब मैं आलम को बोली- क्यों नहीं चमकेगा मेरे बेटी का बॉयफ्रेंड जी आप जैसे मर्द मेरे योनि में अपनी लिंग को प्रवेश करेंगे और इतनी खुशी देंगे तो उसका चमक तो चेहरे पर आएगा ही ना?
मेरी जवाब सुनकर आलम में मेरे चेहरे को अपने हथेलियां में थमा और कसकर मेरी होंठ पर एक चुंबन कर दिया।
मैं उनके इस प्रहार से एकदम सिहर उठी।
फिर आलम ने मुझे सुबह ही मेरे बेटी बेटे के पास छोड़ दिया।
मेरी बेटी को पता चल चुका था कि क्या हुआ है उसने तुरंत मुझे आकर गले लगा कर मेरे गाल पर किस करते हुए कहीं क्यों मन अपनी मालपुआ चखा आई?
मैंने अपनी बेटी को छेड़ते हुए कहा हां अपने मालपुआ तो चखाई ही साथ ही साथ मैंने उनका आइसक्रीम भि खाई।
और फिर हम दोनों हंसने लगे।
मेरा मुंहबोला बेटा राज के साथ मैंने जितने भी समय बिताई थी वह बहुत ही खुशनसीब और खुश मिजाज पल था।
पर राज जब गया तब मैं एकदम से अंधेर में पड़ गई ऐसा लगा कि मेरे सामने एकदम काला सा पड़ गया। पर मेरा परिवार मेरे बेटे बेटी और मेरी दोस्त ने मुझे संभाल लिया और फिर से मैं खुश रहने लगी।
और ऐसे ही दो-तीन साल निकल गए इस बीच मेरे पति भी कई बार आए और मुझे बहुत ही खुशी दिए।
तो 3 साल बीतने के साथ में बहुत कुछ बदल भी गया और बहुत कुछ वैसा ही है।
3 साल में बदल ये गया था कि मेरे दोनों बच्चे जो थे अब जॉब में लग गए थे और दोनों अब काम करने लगे थे प्राइवेट सेक्टर में।
और नहीं बदला था तो बस मेरा और मेरे पति का जुनून। मैं आज भी सभी से प्यार करती हूं और जो मुझसे प्यार करता है मैं उसे पर अपना पुरी जान् लुटा देती हूं। और नहीं बदले थे मेरे पति वह भी आज भी काम करने के शौकीन थे और वह आज भी विदेश में साल साल डेटेड साल्ट कभी दो-दो साल तक घर नहीं आते थे।
आकाश का यह मानना है कि वह जॉब नहीं करेगा वह हमारे साथ ही रहकर खेती करना से चाहता है।
मैं भी बोलती हूं की तेरा जो मन हो वहि कर कोई तुम्हें रोक-टोक नहीं।
सब कुछ बहुत खुशहरी से बीत रहा था।
एक दिन मुझे आलम ने बोले की चलिए मैं आपको दिल्ली घूमाने ले चलता हूं।
मेरे बेटे और बेटी भी जिद करने लगे कि माँ चली जाओ घूम कर आ जाओ आखिर क्या करोगी घर पर?
मैं जाना तो नहीं चाहती थी पर उनके फोर्स करने से मैं बोली भी कही की ठीक है मैं चलूंगी बाकी मैं आलम का इरादा तो जानती थी।
वह मुझे दिल्ली ले जाकर कहां-कहां दिल्ली घुमाएंगे और क्या-क्या मेरे साथ करेंगे पर मुझे भी इससे अच्छा लगता था और मैं जाने के लिए बिल्कुल तैयार थी?
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अगले भाग।
मुंह बोला बेटा से प्यार। पार्ट्स 15
(सीरीज की अंतिम पार्ट:दिल्ली स्पेशल)
अब तक आपने पढ़ा की हेलो मुझे दिल्ली ले जाना चाहते थे और मैं भी जाने के लिए तैयार हो गई थी अब आगे।
आलम से मेरे रिलेशन को 3 साल से अधिक होने को हो गए थे। इन तीन साल में मैं आलम से कई बार चुद चुकी हूं।
उनकी सबसे मुझे खास बात यह लगती है कि यह मुझे बहुत ही एडवेंचरस तरीके से चोदते हैं।
जब हम लोग पटना से दिल्ली के लिए फ्लाइट में बैठे थे आलम मेरे पास ही बैठे हुए थे और कोई भी हरकत करने से चुक् नहीं रहे थे मैं उन्हें बार-बार मना कर रही थी फिर भी वह मेरे कभी स्तन को दबाते तो कभी मेरी योनि को ऊपर से ही सहला देते तो कभी मेरी नाभि में उंगली कर देते थे।
उनके साथ रहती थी तो कितना भी उनसे चुद जाऊं वह मुझे गम ही करके रखते थे।
जैसे ही हम लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे वहां से तुरंत हम लोग रूम के लिए निकल गए।
आलम मुझे अपने होटल पर ले गए जहां बहुत ही आलीशान रूम मिला था हमें और बहुत ही मस्त लग रहा था वह जगह।
हम लोग जैसे ही होटल में पहुंचे आलम ने मुझे तुरंत डोर लॉक करते हैं अपनी बाहों में पकड़ लिया और पढ़ते हैं बिस्तर पर पटक दिया।
वह मेरे होठो को चूमना चालू कर दिए थे।
आलम बोले कम ऑन डार्लिंग तुम तो 3 साल के बाद भी एकदम वैसी की वैसी जवान हो और तो और खूबसूरत भी होती जा रही हो तुम्हें तो मन करता है कि बस चोदता ही रहूं।
मैं उनको रोकते हुए बोली पहले ड्रेस तो चेंज कर लो।
वह बोले कि एक ही शर्त पर चेंज करेंगे।
मैं बोली - क्या?
तब वह बोले कि पहले हम दोनों नहाएंगे उसके बाद ड्रेस चेंज करेंगे।
मैं उनकी इरादा को बाप गई थी तो फिर वह मुझे उठा लिया गोद में और सीधे बाथरूम में लेकर चले आए।
बाथरूम में आते ही झरना को चालू किया और झरना के नीचे मुझे खड़ा करके चूमना चालू कर दिए।
खड़े-खड़े ही मेरे होठों पर रस को पूरा मजा ले रहे थे वह।
कभी मेरे होठों को चूमते तो कभी मेरे गालों को तो कभी मेरे गर्दन पर चुम्मा लेकर मुझे एकदम से मदहोश कर रहे थे।
मैं खड़े-खड़े ही उनके साथ दे रही थी कभी उनके बाल को सहलाती तो कभी उनके पीठ को कुरेदति। ऐसे ही करते मैंने उनके कपड़े को उतार दिया लोअर भी नीचे से खोल दी।
बेबी मेरे साड़ी को उतार कर फिर मेरे ब्लाउज को भी उतार दिया और मेरे स्तन को काटते हुए मेरे ब्रा को ही उतार दिया और फिर मेरे स्तन को चाटने और चूमने लगे।
थोड़ी ही देर में हम दोनों के बदन से सारे कपड़े गायब हो चुके थे हम झरने के नीचे हम दोनों पूरी तरह से गीले थे और ऊपर से होंठ के रस का रसपान हो रहा था हम दोनों का।
फिर हम दोनों ने वहीं पर एक दूसरे को चूमने चाटने के बाद।
आलम खड़े-खड़े ही मेरे दोनों पैरों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसके बाद अपने लिंग को मेरे योनि में सबसे अंदर डाल दिए।
मैंने अपने पूरे बदन का भार आलम पर दे दिया उनके गले में मैं अपने हाथ डालकर उनके गले पर पड़ी हुई थी और वह मेरे नीचे से सट्टासत धक्के लगाए जा रहे थे।
फिर वह मुझे उठाए और बाथ् टब में लेकर चले गए वह खुद नीचे लेट गए और मैं उनके ऊपर बैठकर उनके लिंग पर उछल कूद करना शुरू कर दी।
थोड़ी ही देर में हम दोनों का रस निकल गया और मैं आलम के होंठ को चूसते हुए उनके शरीर पर अपना सारा भार देकर उनके गले लग गई।
हम दोनों में है और नहा कर फ्रेश हो लिए और घूमने के लिए निकल गए।
पहले दिन हम घूमने के लिए जमा मस्जिद गये।
वहां जाने के बाद मुझे काफी शांति महसूस हुई।
आलम जमा मस्जिद में भी स्थिर नहीं रहते थे वह वहां भी कभी मेरे गाल को सहलाते तो कभी मेरी नाभि को और कई बार तो मुझे किस करने की भी कोशिश किया पर मैंने मना कर दिया कि कम से कम यहां तो छोड़ दो।
फिर हम लोटस टेंपल।
उसके बाद हम वापस होटल लौट आये।
दिल्ली में आलम कुछ काम से आए हुए थे तो वह सुबह-सुबह अपने काम के लिए निकल जाते और दोपहर को वापस आते दोपहर को वापस आते ही सबसे पहले मेरी चुदाई करते फिर हम दोनों नहाते और घूमने के लिए निकल जाते थे।
घूमने जाते थे तो वहां भी छेड़खानी होती ही थी और कई कई जगह तो वह मुझे चोद भी देते थे।
एक दिन हम लोग घूमने के लिए पार्क में गए पार्क में काफी गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड एक दूसरे को किसिंग कर रहे थे तो वही यह मुझे एक कोने मे बैठाए और मेरा किस करना शुरू कर दिए।
वहां पर बैठे लोग हम दोनों को देख रहे थे।
पर वह बोले कि देखने दो ना जिनके पास नहीं है वह तो देख कर ही आनंद लेंगे ना आज उनको पूरा पोर्न ही हम लोग यहां दिखा देते हैं।
और फिर वह मुझे नीचे बैठा है और अपना लिंग को निकाल कर मेरे सर को झुका कर अपने लिंग पर दे दिया मैंने भी झट से उनके लिंग के मोटा टोपी को मुंह में ले लिया।
मैं मस्त उनके लिंग को चूस रही थी और वहां पर बाकी लोग सब देखकर मुस्कुरा रहे थे।
थोड़ी ही देर में मुझे बोले कि आओ इस पर बैठ जा मैं शर्म आ रही थी कि वह तभी मेरी साड़ी को उठा और मुझे खींचकर अपने लिंग पर बैठा लिया और मैं भी धीरे-धीरे ढके लगने लगी।
लगभग 10 15 मिनट तक वह मुझे इसी में तरफ चोदते हुए झड़ गए और फिर हम दोनों वहां से हंसते हुए निकल गए।
इसी तरह एक दिन और हम लोग लाल किला घूमने चले गए।
लाल किला में घूमते घूमते हम काफी थक चुके थे कि वह मुझे अंदर घूम रहे थे। जानते हुए अंदर में एक जगह में अंधेरा जगह दिखा।
वह मेरे हाथ को खींचते हुए वहां अंधेरे जगह के पास ले गए और मुझे स्मूच करना शुरू कर दिए।
वह मेरे होठो चूस रहे थे और मैं उनके बाहों में अपने हाथ डाले चुपचाप अपनी समूचिंग का आनंद ले रही थी उस अंधेरे वाली जगह के पास।
मुझे चुमते हुए थोड़े ही देर में वह मुझे झुका दिए और मेरी साड़ी को कमर तक उठाकर अपने लिंग को निकाला और मेरे योनि में सताक से एक बार में पेल दिया मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।
तभी बाहर से दौड़कर गार्ड अंदर आया और बोलने लगा कौन है अंदर?
हम दोनों एकदम से स्थिर खड़े हुए थे। आलम अपने लिंग को एकदम से बराबर मेरी योनि में डालें चुपचाप खड़े थे मुझे बाहों में पकड़े हुए।
मुझे अपनी योनि में लिंग डलवा कर उनके साथ चुपचाप मूर्ति बनकर खड़े होने में बड़ा आनंद आ रहा था और गार्ड हमें गौर से घूर रहा था पर हम इतने अंधेरे में थे कि दिखाई ही नहीं दे रहे थे वह चुपचाप इधर-उधर देखा और फिर से चला गया?
जैसे ही गार्ड बाहर निकाला था कि आलम ने अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर की ओर खींचा और सत्ताक से मेरी योनि में फिर से पेल दिया।
यह प्रहार इतना तेज था कि मैं सहन नहीं कर पाई और मेरे मुंह से एक और जोरदार आह निकल गई।
गार्ड फिर भाग कर इधर आया और फिर से बोला कौन है अंदर?
हम दोनों फिर से मूर्ति बन खड़े हुए थे अबकी बार मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी योनि को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी आलम को भी नहीं रहा गया और वह भी मेरी गांड को पकड़े और अपने लिंग को आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
अब तक आवाज तो नहीं हो रही थी पर वह धीरे-धीरे लिंग को आगे पीछे कर रहे थे और इसमें मुझे आनंद आ रही थी और मैं चुपचाप बिना आवाज की वहां खड़ी थी कि तभी धीरे से वो अपने लिंग को पीछे खींचे और एक और जोरदार धक्का मारा अंदर और मैं फिर से एक जोर की आह निकाल दी।
इस पर गार्ड फिर से चिल्लाया और चिल्लाने के साथ ही वह हम दोनों पर टॉर्च बार दिया हम दोनों रोशनी में आते ही उनका लिंग और मेरी योनि चमक उठी वह मेरे पीछे से योनि में लिंग को प्रवेश किए हुए थे और हम दोनों खड़े थे उसका चित्र उसकी आंखों के सामने एकदम घूमने लगा उन्होंने जल्दी से अपना लिंग को खींचा और पेंट में डाली ।
मैं भी अपनी साड़ी को नीचे की और उनका हाथ पकड़ी और हम दोनों दूसरे रास्ते की और तुरंत भगाने लोग।
गार्डन में गालियां दे रहा था और हम दोनों हंसते हुए भाग रहे थे।
तो यह थे हमारे लाल किले के करमाने उसके बाद हमने कुतुब मीनार में भी ऐसा कुछ किया था और उसके बाद कई जगह पर हमने समूचिंग किया।
फिर हम अपने होटल पर आ गए और होटल में रात में तो दिल्ली का रूटीन था कि खाने के बाद एक बार चुदाई जरूर होगी।
हम दोनों ने अपने होटल के रूम में पर कोने में सेक्स कर लिए थे बाथरुम से लेकर बालकनी तक।
बालकनी में तो यह मुझे सुबह-सुबह जाने से पहले भी चोद देते थे।
मैं बालकनी में खड़े होकर सुबह-सुबह बाहर गाड़ी हो या फिर लोगों को देखती रहती थी कि तभी वह मेरे पीछे से आते और प्यार करने लगते हैं।
प्यार उनका मेरे स्तन दबाने से शुरू होता है और फिर पूरे बदन को टटोलने से फिर किस करते उसके बाद गाल को चुमते उसके बाद में मेरी होंठ पर आ जाते मैं तब तक गर्म हो जाती थी और उनके होंठ को मैं भी चूसने लगती थी और ऐसे ही करते-करते मुझे बालकनी पर ही झूका देते और मेरे साड़ी को पीछे से उठाकर पैंटी को थोड़ा सा नीचे सरका देते और अपना लिंग निकालकर मेरे योनि में पीछे से ही प्रवेश कर देते मैं चुपचाप बालकनी में अपनी मदहोश से चेहरे लेकर चुदाई का फुल आनंद लेने लगती थी कुछ लोग हमें देखते थे तो समझ जाते थे कि हम सेक्स कर रहे थे कुछ लोग बस देखकर निकल जा रहे थे।
और ऐसे ही कुछ दूर चोदते हुए झड़ जाते थे।
फिर मैं उनके लिए खाना तैयार करती और वह नहा कर आते फिर हम दोनों खाते और वह निकल जाते थे अपने काम पर और मैं दिन भर यहीं पर बैठी रह जाती है।
फिर दोपहर को आते ही मुझे जबरदस्ती खींच कर बाथरूम में नहाने के लिए ले जाते और वहीं पर मेरे साथ जम के सेक्स करते फिर हम दोनों नहा कर बाहर आते तब खाना खाते थे और फिर कहीं घूमने जाते थे अगर घूमने की जगह हमें कोई सेक्स करने लायक लगा तो वहां भी हम जमकर सेक्स करते थे और खूब इंजॉय करते थे और तब जाकर शाम को हम लोग लगभग रात के 8:00 तक घर आते थे।
आलम आज मुझसे बोले कि हमें कल वापस अब जाना है लगभग पूरा दिल्ली हम घूम चुके थे तब वह बोले कि चलो आज हम लोग छत के ऊपर सेक्स करते हैं।
और वह मुझे होटल के सबसे ऊपर छत पर ले गए जहां से नीचे देखने पर आदमी मच्छर के जैसा दिखाई दे रहा था। वहां पर भी किसी के आने का खतरा था तो वह मुझे टंकी के पीछे ले गए और वहां मुझे लेटा कर किस करना शुरू कर दिया।
फिर मेरी साड़ी को कमर तक उठा दिए और मेरी पैंटी को निकाल कर अपने हाथ में ले लिए।
फिर मेरी मालपुआ जैसी योनि को उन्होंने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया।
और चूसते हुए फिर वह ऊपर आए और अपना जीभ को मेरे मुंह में डाल दिए मैं उनके जीभ को चूसने लगी और फिर उनके होठो को चूसी और इसी तरह हम दोनों का चुदाई चला रहा कि तभी उन्होंने अपने लिंग को मेरे योनि में डालकर तुरंत चोदना शुरू कर दिए खचाखच योनि में अपने लिंग को प्रवेश करा रहे थे।
मैं पूरे जोश में सीस्कार मार रही थी और वह मेरे योनि को एकदम धज्जिया उड़ा दिए थे।
फिर मेरे योनि में ही झाड़कर मेरे ऊपर लेट गए।
हम दोनों खुले आसमान में सबसे ऊपरी मंजिला पर एक दूसरे के बाहों में लेते हुए थे।
तभी ऊपर कोई आया हम दोनों ने जल्दी से कपड़े ठीक किया और दूसरे साइड से निकले और तुरंत भाग्य नीचे।
हम दोनों रूम में जाकर खूब हंसे।
उसके बाद कल जब सुबह हुई तो हम दोनों उठे और पटना के लिए फ्लाइट लेने के लिए एयरपोर्ट पहुंच चुके थे। जब मैं एयरपोर्ट पहुंची तो वहां काफी भीड़ थी।
आलम बोले कि तुम थोड़ा यहां वेट करो मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं।
मैं आलम का वेट करने लगी कि तभी भीड़ कुछ ज्यादा ही लगने लगी वह मेरे सामने से निकल गए मैं भीड़ को थोड़ा देखने लगी कि आखिर किसके लिए इतनी भीड़ थी।
मैं देखी कि वहां एक कोई बहुत ही हॉट बंदा कुछ भाषण की तरह दे रहा था और लोग बड़े ध्यान से उसे सुन रहे थे इंग्लिश में बड़बड़ा रहा था कुछ मीडिया वाले अपने माइक को उसके मुंह के पास एकदम तुमसे जा रहे थे।
और वह बंदा बाद कॉल था तुम शांति से उनकी हर सवालों को जवाब देता जा रहा था।
थोड़ी ही देर में वह वहां से निकाला और जैसे भीड़ को वह सब अपनी और आकर्षित कर रहा था वहां से निकाला और बड़ी से उसके लिए गाड़ी लगी थी काले शीशे वाली उसमे बैठा और निकल गया मैं तो उसके चेहरा देख ही नहीं पाई।
फिर आलम मेरे पास आए और मुझे बाहों में भरते हुए बोले क्या हुआ जान कहां खो गई हो?
मुस्कुराते हुए बोली अरे कहीं नहीं।
फिर मैं एयरपोर्ट के लिए अंदर जाने लगी तभी वहां पर एक बड़ी सी होर्डिंग दिखाई दी मुझे।
उसे पर एक फोटो लगा था जो बिल्कुल मेरे राज की तरह लग रहा था। मैंने ध्यान से देखा तो उसे पर लिखा हुआ था अंश मान सिंह।
और मेरे बेटे राज का नाम भी अंश था।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह मेरा बेटा राज ही है और आज मैं अपने बेटे राज से ही मिली थी लेकिन मेरी बुरी किस्मत की मैं उसका चेहरा भी ना देख पाई कितना हॉट हो चुका था 3 साल में वह तो काफी बदल चुका था और शायद अब तो वह बहुत बड़ा आदमी बन गया है मुझे पहचानेगा की नहीं पहचानेगा इस बात को लेकर मैं बहुत ज्यादा ही फिक्र करने लगी।
मेरे दिमाग में फिर से 3 साल पहले की उसकी मासूम चेहरा उसका मासूम दिल सब मेरे सामने आने लगा उसके साथ बिताए वह पूरे 1 साल मुझे खूब याद आने लगे।
मुझे लगा था कि राज मेरी जिंदगी से 3 साल पहले चला गया लेकिन वह तो एक बार फिर से मेरे सामने आ गया था। राज भले ही मेरा मुंहबोला बेटा था पर मैं उससे प्यार एकदम सच्चा प्रेमिका वाली करती थी।
मैं दिल्ली से पटना आते-आते पूरे सिर्फ और सिर्फ उसे आसमान से वाले कोडिंग के ही बारे में सोचती रही कि मैं राज को आज देखी पर पूरी तरह देख भी ना पाए कैसी थी मेरी किस्मत।
मैं रास्ते में आलम से एक बार भी ना बोली वह कितनी बार मुझसे बोलने की कोशिश किया और मैं तो अपने बेटे राज के बारे में ही सोचती रही।
राज अब मेरा सिर्फ मुंह बोला बेटा नहीं बल्कि इस देश का सबसे बड़ा बिजनेसमैन अंश मानसिंह बन चुका था मेरी किस्मत को मैं कोष रही थी कि क्या मेरी किस्मत है दोबारा मैं अंशुमन से मिल भी पाऊंगी या नहीं मैं अपने बेटे राज से मिल पाऊंगी या नहीं यही सोचते सोचते मैं अपने घर आ गई?
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
नोट: (मुंहबोला बेटे से प्यार) की सीरीज को मैं 15 पाठ तक ही सीमित कर रही हूं इसके आगे अगर आप लोगों को यह सीरीज पसंद आ रही हो तो आप मुझे फिर से मेल करें मैं इसके आगे की सीरीज को किसी और नाम से फिर से लाने की पूरी कोशिश करूंगा।