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Incest मुहबोला बेटा से प्यार पार्ट1

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Raaj Avani

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।। मुहबोला बेटा से प्यार।।
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#UPDATE 4

मुहबोला बेटा से प्यार S1
#update4

आज होली है और सुबह से ही काफी चहल पहल थी चारो ओर।
मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों मिलकर सुबह खाने की तैयारी करने लगे पूआ पकवान बनाने लगे और मेरे दोनों बेटे उठे, मुझे और सौम्या को गले लगाए और Happy holi, बोल कर गाल चूम लिया, फिर होली खेलने के लिए बाहर जाने लगे।


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बाहर काफी शोर सराभा हो रहा था कोई किसी को रंग लगा देता तो कोई बुजुर्ग आदमी उसे गाली देने लगता।

एक बुजुर्ग की आवाज आई। अरे तुम्हारी माइ के बूर चोदो तुम सभी को इधर ही रंग लगाना है।

तभी कुछ लड़के उन्हें बोलते हैं- अरे बाबा बुरा ना मानो होली है।

तभी बुजुर्ग की आवाज आती है- अरे सब रंगवा तोहरी माई के बुरिया में डाल देंगे भागता है कि नहीं साला हमारे संग होली खेलना है तुम सभी को?
मै और सौम्या ये आवाज़ सुनकर हसने लगे।

हमारे मोहल्ले के लड़के काफी बदमाश थे वह लोग किसी को छोड़ते नहीं थे नई नवेली भाभी हो या आंटी हो हर किसी को रंग लगा देते थे यहां तक की कोई आंटी अगर थोड़ी भी शरारत की तो उसकी दोनों चूची और बूर में रंग लगा दिया जाता था।

मैं तो इन शरारती लौंडो से बचकर ही रहती थी। मुझे आज भी पिछले साल की होली याद है। जब मैं इन लड़कों की बीच में फंस चुकी थी।

मुझे याद है कि मैं पूरी रंग से गीली हो चुकी थी और जब अपने घर वापस लौट रही थी तब इन लड़कों की टोली ने मुझे पकड़ लिया और मुझे रंग लगाने लगे मैं उन्हें बोल रही थी कि छोड़ दो मुझे घर जाना है पर

वह लोग बोले कि- कहां आंटी थोड़ा सा तो रंग लगाने दो? वही उसी लड़के में से कोई बोल रहा था यार आंटी तो काफी चिकनी और गोरी है इनके गाल के साथ-साथ पेट और जांघों पर भी लगा दो रंग यार।

मैं भी कहां कम थी मैं पकड़ कर उनके गालों पर रंग लगाने लगी? अभी वो लोग मेरे गालों पर रंग लगा रहे थे साथ ही साथ वह लोग मेरे पेट और गर्दन पर भी रंग लगा रहे थे उनमें से कई लोग तो मेरी चूची को भी दबा चुके थे।
एक लड़के ने शरारत की और उसने मेरी बूर को कपड़े के ऊपर से ही दबा दिया मैं काफी चटपटा गई और तुरंत उन लोगों को एक तरफ कर दी और वहां से भाग निकली।

तभी एक बुजुग बोले अरे बेटा ये तुम लोग से बच गयी।

पिछले साल में किसी तरह मैं लड़कों से अपनी जान बचाकर भाग निकली लेकिन उन लोगों ने जाते-जाते मुझे बोला ओ हमारी चिकनी आंटी अगर आप अगली होली मिलेगी तो हम पक्का आपका उद्घाटन कर ही देंगे।

बुजुर्ग फिर बोले-तुम्लोग् से तो इस मोहल्ले की कोई औरत ना बची पर ये बच गयी।

तभी एक ने बोला-ओ दादा इतनी मस्त माल हमारे मोहल्ले में हो और बच जाए यह तो हो ही नहीं सकता।

मैं तो पिछले साल की सोच सोच कर ही डर रही थी कि इस साल क्या होगा वह चार बंदे बहुत ही खतरनाक थे?
इस मोहल्ले की कई औरतों को वह लोगों ने चोद चुके थे।

तभी हम दोनों मां बेटे का खाना बनाना हो गया और सौम्या मुझे प्यार से बोली कहां खो गई थी मां सपनों में किसके साथ होली खेल रही थी?

मैं बोली कहीं नहीं चल तू अपना काम कर।

तभी बाहर से मेरे दोनों बेटे राज और आकाश होली खेल कर आए।
मै देखी कि यह दोनों पूरे लिटाये हुए थे तब मैंने इन्हें कहा अरे बेटा जाओ पहले दोनों अपने आप को साफ करो और खाना खा लो उसके बाद होली खेलना।
सौम्या उन्हे देख कर खूब हस रही थी।

मैं देखी की आकाश से ज्यादा राज लिटाया हुआ था राज को कोई बुरी तरह से पूरा अंदर तक रंग लगाया हुआ था।
तब मैंने कहा आकाश जाओ तुम रंग को साफ करो और राज बेटा तुम मेरी बाथरूम में जा और साफ कर ले।

और सौम्या से कहा- बेटा तुम खाना लगाओ मैं थोड़ा राज को देखकर आती हूं वह ज्यादा लेटाया हुआ है।

सौम्या मुझे देखने लगी तब मैं सौम्या से कहा अरे बेटा क्या हुआ तू खाना लगाना?

और मैं राज के पास चली गई। मैंने देखा राज अपने आप को पूरा साफ करने की कोशिश कर रहा था उसके पूरे अंदर तक कीचड़ भरा हुआ था।

मैं राज को पूरी तरह से नंगा किया और उसे पूरी तरह से साफ करने लगी।

राज ने कहा- मां मैं कर लूंगा।

मैंने कहा चुप कर और मुझे साफ करने दे फिर मैंने उसे पूरी तरह से साफ किया और मैं बाहर आ गई।

बाहर आई तो देखी सौम्या आकाश को खाना परोस रही थी तब मैं सौम्या से कहा कि दूसरा प्लेट भी लगा दे राज आ रहा है वह भी तैयार हो गया।

फिर हम सभी एक साथ खाना खाए और और मैं काम करने लगी
तभी मेरे पास सौम्या और आकाश आए और बोली चलना मां बाहर होली खेलने चलते हैं।

मैं बोली तुम लोग जाओ मुझे बाहर होली खेलने नहीं जाना है मैं यही ठीक हूं।

आकाश राज के पास गया और
बोला- राज चल बाहर चलते हैं होली खेलने

तब राज ने कहा- नहीं भैया मुझे होली नहीं खेलना वह लोग पूरा कीचड़ में मुझे लेटा देते हैं।

तब आकाश और सौम्या दोनों बाहर चले गए होली खेलने के लिए अब घर में सिर्फ मैं और मेरे बेटे राज ही रह गए थे।

फिर मैं बाहर की दरवाजा को बंद की और और अपने बेटे राज से कहा कि बेटा तुम्हें होली नहीं खेलना है क्या?

तब राज ने कहा नहीं मां मुझे होली नहीं खेलना वह लोग मुझे पूरा कीचड़ में लेटा देते हैं मैं यही ठीक हूं। उसकी मासूमियत को देखकर मैं बोली अच्छा मेरे राजा बेटा को होली नहीं खेलना, चल कोई बात नहीं मैं तुम्हें केवल गाल पर गुलाल लगाकर होली खेलती हूं।

मैं गुलाल को अपने हाथ में लगाइ और उसके गालो पर लगाने लगी।
राज ने भी अपने हाथ को मेरे हाथ से मिलाया और मेरे हाथ का लगा हुआ कुछ गुलाल मेरे गाल पर रगड़ने लगा।



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फिर मैंने शरारत की और उसके कपड़े को उठाकर उसके पेट में रंग लगा दी।

तभी राज ने मुझे कस के पकड़ा और दीवाल से चिपकाते हुए अपने गाल को मेरे चूचियों पर रगड़ने लगा।

मैं हंसने लगी वह भी खील खिला रहा था।

हम दोनों मां बेटे एक दूसरे को देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे
तभी राज ने धीरे से अपना होंठ को मेरे होठो पर लाकर रख दिया। मैंने प्यार से उसके होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगी।

मैं दीवार से सटी हुई थी और वह मेरे से सटा हुआ मेरे होंठ को चूस रहा था।
मैं उसके पीठ को तो कभी उसके बाल को सहला रही थी तो वही मेरे बेटे का हाथ कभी मेरे नाभि में तो कभी मेरे चूची को दबा रहा था।


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मैं अब अपने बेटे के आगोश में बिल्कुल गर्म हो चुकी थी।
बाहर होली का शोर सराभा और गाली सुनाई दे रहा था तो इधर हम दोनों की केवल चुम्मा चाती की आवाज आ रही थी।

तभी राज ने मेरे साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और धीरे से मेरी ब्लाउज का बटन खोल दिया और मैं सिर्फ ब्रा में हो गई।

उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को काटना शुरु कर दिया। मेरे पूरे शरीर में बिजलीया दौड़ गई मेरे बेटे के इस तरह काटने से मैं तो पूरी तरह से सिहर उठी थी।

थोड़ी ही देर में मैंने अपने बेटे का पेंट खोल दिया जिससे उसका लोअर पूरा नीचे गिर गया और वह अब केवल चड्डी में था।

मैं उसके मोटे से लन्ड को चढी के ऊपर से ही सहला रही थी और वह मेरी होठों को चूस रहा था और मेरे स्तन को दबा रहा था।

तभी उसने मेरे ब्रा का हूक् खोल दिया और मेरे दोनों चुचिया आजाद हो गई और दोनों चुचिया को उसने अपने हाथों से पकड़ कर दबाने लगा।
मैं पूरी तरह से सीहर उठी अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और उसे अपने चूचियों को चूसने को बोल रही थी चूस बेटा अपनी मां की चूचियों को चूस।

मैं वही दीवार से सटे खड़े हुए अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और बेटा मेरी चूचियों को कभी चूस रहा था तो कभी काट रहा था।

थोड़ी देर में मेरे बेटा थोड़ा और नीचे गया और अपना जीभ को मेरी नाभि में डालने लगा मैं एकदम से सीहर उठी।

ऊओ बेटा आआह्ह।

फिर मेरे बेटे ने मेरे साड़ी को खोल दिया और धीरे से मेरी साया का डोरी को खींचकर खोल दिया और साया एकदम से नीचे गिर गई मैं अब केवल पैन्टी में थी कि तभी उसने पैंटी को जबान से काटा और दांत से खींच कर नीचे उतार दिया थोड़ी ही देर में मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी।

फिर उसने अपने चड्डी को भी नीचे सरका दिया और उसका लंड एकदम से हवा में लहराने लगा मैं उसके लंड को हाथ में लेकर खड़ी थी कि वह मेरे मुंह के सामने आया और मेरे मुंह में अपना जबान डालकर चूसने लगा।

मैं उसको लन्ड को हिला रही थी और वह मेरी बूर को सहला रहा था और हम दोनों मिलकर एक दूसरे के मुंह मे जीभ डाले हुए थे। कभी वह मेरे मुंह में अपना जीभ् डालकर पेलता तो कभी मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर चुसता हम दोनों की यह होली काफी मजेदार हो रही थी।

फिर राज ने-अपने लंड को मेरे बूर पर सेट करने लगा मैं अपने टांग को थोड़ी सी फैला दी और दीवाल से सटे खड़े हुए उसने अपने लंड को मेरे बूर में डालने लगा,


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मैं उसके बाहों में पड़ी हुई थी।
वह मुझे दीवार से सटाये खड़ा किया था और अपना लंड को एक तेज झटका के साथ मेरे बुरे में घुसा दिया आआहहह की आवाज हुई


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तभी उसने मुझे अपने बाहों में पकड़े हुए अपने होंठ से मेरे होंठ को दबा दिया और फिर धीरे-धीरे वह धक्के लगाने शुरू किया ऐसे ही करते हैं वह मुझे खड़े-खड़े ही पेलने लगा और

बोलने लगा -ओह्ह्ह मां तुम्हारी कितनी मस्त बूर है मेरा तो लंड जैसे स्वर्ग में जा रहा है आआह्ह्ह मां और कभी मेरी गाल को काटता तो कभी होंठ को काटता तो कभी गार्डन को चूमता था आआह्ह मां और पेलते रहता
उसकी हर एक धक्को से मेरी चूचियां ऊपर नीचे होती।


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हम दोनों मां बेटे इस चुदाई का आनंद होली में खड़े-खड़े ही ले रहे थे कि तभी

राज ने बोला- मां मैं सोफे पर बैठता हूं तुम मेरी ऊपर आ जाओ


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फिर राज सोफे पर बैठ गया और मैं उसके ऊपर आ गई और लंड को अपने बुरे में ले ली। फिर मैं ऊपर से उछालना शुरू की और मेरी चूचियों को उसके मुंह में दे दी वह बड़े प्यार से मेरी चूचियों को चूस रहा था और मैं बड़े प्यार से उसके लंड को अपने भीतर ले रही थी कभी उसके माथे को चूमती तो कभी उसके बाल को सहलाती वह तो बस मेरी चूचियों को चूसते जा रहा था। मेरी बूर में उसके लंड के धक्को से काफी हलचल मच रही थी एकदम से मेरी चुत पानी पानी हो रही थी फिर उसने मेरी चूचियों को छोड़ा और मेरे मुंह को चूमते हुए बोला मां तुम सोफे पर झुक जाओ मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूं।

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फिर मैं उसके ऊपर से उठी जैसे ही उठी उसके लंड गप्प् से मेरे बुर से बाहर निकली और मैं सोफे पर झुक गई वह मेरे पीछे आया और लंड को बूर में घुसा दिया मैं एकदम से सीहर उठी वह मेरे ऊपर झुक गया और मेरे गालों को काटते हुए कभी मेरे पीठ को चुमते हुए पीछे से धक्के लगना शुरू किया एकदम से धक्के लगा रहा था मैं आआआह्ह ओह्ह्ह की आवाज कर रही थी कि

तभी डोर बेल बजी पर हम दोनों मां बेटे को कोई शुद्ध नहीं रही और राज धक्के लगाता रहा और मैं उसे चुदवाती रही उसके लंड की हर एक धक्का के साथ मेरे मुंह से एक जोर की आआह्ह निकलती और वह लगातार धक्के लगाते जा रहा था।

हम दोनों चरम सीमा पर थे वह मुझे पकड़ कर मेरे गालों को चुमते हुए। चोदते जा रहा था। फिर एक आखिरी धक्का लगाया और बोला आआअह्ह्ह मां।
राज मेरे ऊपर निदाल हो गया। फिर से डोर बेल बजी।

हम दोनों मां बेटा उठै और अपने-अपने कपड़े पहनने लगे। मैं अपने कपड़े लेकर रूम में चली गई और राज यहीं पर कपड़े पहन कर डोर खोलने लगा। डोर खोलते ही सौम्या आई और बोली क्या कर रहे थे तुम दोनों इतनी देर से की डोर खोल नहीं पाए?

तभी मैं भी कपड़े पहन कर बाहर आई और बोली अरे बेटी तू तो पूरी तरह से लेटा गई है कहां इतनी होली खेली?

तभी राज यहां से निकल गया। और बाहर होली खेलने चला गया।

तभी सौम्या मेरे पास आई और बोली अरे मां तुम अभी तक क्या कर रही थी?

तब मैं बोली की क्या करूं बस सो रही थी? शायद हम दोनों में जो कुछ भी हुआ था सौम्या थोड़ा बहुत समझ रही थी।

तब सौम्या बोली अरे माँ चिंता मत कर मेरा बॉयफ्रेंड आने ही वाला है वह तो बहुत उतावला है बोल रहा था सबसे पहले तुझे ही रंग लगाएगा उसके बाद ही मुझे लगाएगा।

मैं बोली -मैं क्यों तेरे बॉयफ्रेंड से रंग लगाऊं तू लगवाओ?

तब सौम्या बोली अरे मां वह तो तेरे मालपुआ खाने के लिए बेचैन है।
आज होली है आज तो किसी को मना नहीं करते जो मालपुआ मांगते हैं उसे चखा ही दिया जाता है।

मैं बोली चल चुप कर बहुत बदमाश हो गई है।

फिर सौम्या बोली- अरे मां तुझे तो शीला चाची बुला रही थी होली खेलने के लिए चलो ना उनके घर में।

तब मैं बोली अच्छा ठीक है चलती हूं पहले तैयार तो हो जाऊं।

तब सौम्या बोली -अरे माँ यार क्यों तैयार होना है वहां तो आपकी साड़ी खोल ही दिया जाएगा?

मैं बोली क्या बकवास कर रही है मैं नहीं जाती फिर?

अरे मां मैं तो मजाक कर रही थी चलो ना ऐसे ही।
वैसे भी तो वहां लेटा ही जाओगी।

और यह राज का बच्चा कहां चला गया आज तो उसे छोडूंगी नहीं पूरा रंग लगाऊंगी मेरा लाडला भाई जो है और मेरे माँ का लाडला बेटा उसे तो रंग लगाए बिना मैं कैसे छोड़ सकती हूं?

तब मैंने कहा- अच्छा ठीक है जिसे रंग लगाना हो लगा लेना पहले चल उसके यहां चलते हैं।

मैं सब तैयारी करके अब शीला के घर जाने लगी।

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
होली की आश्लि खेल अभी बाकी है।
तो मिलते है अगले भाग मे।🙏
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है
मजा आ गया है
अब शुरु होगा होली का असली खेल जो बडा ही कामुक होने की संभावना लगती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Raaj Avani

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#UPDATE 2.

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#UPDATE 2


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अब तक आपने पढ़ा की
हम माँ बेटे नदी मे एक दूसरे से नंगे चिपके हुए थे,की तभी नदी की तरफ किसी की आने की आहत हुई।
अब आगे,

हम दोनों पानी से निकाल कर पास के झाड़ियां के तरफ भागे। पानी के पास कुछ झाड़ियां थी उसी के पास हम दोनों छुपे,

छुपने की जगह तो नहीं थी पर मैं उसके गोद में बैठी हुई अपने सर को उसके कंधे पर टिका कर छुपी हुई थी और वह मुझे अपने अगोष में लिए हुए छुपा हुआ था।
उसका लिंग मेरे योनि से दबा हुआ था और उसका लिंग इतना कठोर था कि ऐसा लग रहा था जैसे मेरे योनि मे अभी पैंटी फाड़ कर घुस जाएगा।

मुझे उसके लिंग के एहसास से पूरे तन बदन में आग लगी हुई थी।
मुझे शर्म से काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह मेरे बेटे जैसा था और मैं उसकी मां की जैसी वह मेरी उम्र का आधी उम्र का था पर मैं उसके साथ अधनंगी उसके गोद में बैठी हुई उसके लिंग का आभास अपने योनि पर कर रही थी और पूरे तन बदन को गर्माहट दे रही थी।


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मैं हल्की सी सर को उठाकर नदि कि ओर देखी कि वहा एक 60 साल का बुढ़ा आदमी नदी के किनरे बैठकर हगने लगा। मैं देख रही थी उसके लिंग को और वह गांड उठाकर हग रहा था। जब तक उसका हगना हो नहीं जाता तब तक मुझे अपने बेटे की गोद में बैठना था।

मैं अपने बेटे को देखी उसकी मासूम चेहरा। काफी खुशनुमा लग रहा था। मैं उसे देखकर मुस्कुराई। वह भी मुझे देखकर मुस्कुराया। उसके होठों के मुस्कान देखकर मुझे रहा नहीं गया और मैं उसके लाल-लाल होठों पर अपनी होंठ रखकर चूसने लगी। अब मुझे उसके लिंग का महसूस पूरी तरह से हो रहा था एकदम से कड़क हो चुका था अगर मैं पैंटी और उसने चड्डी ना पहनी होती तो उसका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ अंदर चला जाता।


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मेरी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मैं कई बार झढ़ चुकी थी अब मुझे रहा नहीं जा रहा था।

तभी पानी से कुछ आवाज हुई।
मैं देखी कि वह बुड्ढा आदमी अपने गांड को धोने के लिए पानी में जा रहा था। अपनी गांड को पानी से धोकर वह वहां से चला गया।

फिर हम दोनों मां बेटे वहां झाड़ी से निकाल कर पानी की तरफ आए और अपने कपड़े पहनने लगे। मैंने अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी और बिना पैंटी बरा के कपड़े पहन लिए। राज ने भी अपने चड्डी निकाल कर बिना चड्डी के ही अपने कपड़े पहन लिया।कपड़े बदलते समये हम दोनो एक दूसरे को देखे और मुश्कुरा दिये।

फिर हम दोनों मां बेटे घर जाकर सो गए। जब शाम हुई तो हम दोनों मां बेटे उठकर बाजार के लिए चल दिए तभी शीला भी आ गयी उसके साथ उसके पति भी आए हुए थे।


शीला के पति मुझे देखकर बोले- वाह भाभी जी आज तो आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हो।

तब मैं उनसे कहीं- आपको उससे क्या करना है मैं खूबसूरत लघु या ना लगून?

राज और शीला एक साथ चल रहे थे।
और इधर में और शीला के पति एक साथ शीला के पति मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे थे।

कभी-कभी तो वह अपने हाथ से मेरे गांड को भी टच कर देते थे। मैं सुबह से ही काफी गर्म थी उनका टच मुझे तनिक भी बुरा नहीं लग रहा था।


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फिर हम बाजार में आ गये और बाजार की सारी नजरे मेरी तरफ हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन्हें लुभाने के लिए आई हुई थी। तभी शीला के पति बोले सुनीता जी इस तरह न बन ठन कर निकाला कीजिए आपकी वजह से पूरी बाजार का माहौल गर्म हो जाता है।

तभी मैंने उनसे कहा चलिए चुप रहिए। फिर मैं सब्जी लेने के लिए जैसे ही मुड़ी की मेरा हाथ उनके लैंड से टच हो गया। हाथ तो मेरा गलती से टच हुआ था पर उन्हें लगा कि शायद मैंने जानबूझकर की है इसलिए वह मुझे देखकर मुस्कुराने लगे मैं तो एकदम शर्म से लाल हो गई।
जैसे ही मैं सब्जी लेने के लिए झुकी हुई थी सब्जी वाले का नजर मेरे दोनों चूचियों पर था। और इधर शीला के पति की नजर मेरी दोनों गांड पर। मैं तो शर्म से पानी पानी हो रही थी और गर्मी के कारण गीली भी हो रही थी।

जैसे ही मैं सब्जी लेकर खड़ी हुई वैसे ही शीला के पति का लंड मेरे गांड में घुस गया उनसे मैं टकरा गई वह मेरे पीछे ही खड़े थे मैंने झट से उन्हें पलट कर देखा वह देखकर मुझे मुस्कुराने लगे। मैं उन्हें गुस्से से देख रही थी पर वह मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए अपना जबान होंठ पर फिरा रहे थे।

बाजार में मुझे लगा कि यह तो अपने नजरों से ही मुझे चोद देंगे।

मैं जल्दी ही सब्जी लेकर अपने बेटे के साथ घर आ गई। मैं शाम को खाना बनाने लगी और राज टेरेस पर घूम रहा था।

मैं खाना बना रही थी तभी राज आया और मुझे पीछे से गले लगा कर मेरे गर्दन को चूम लिया।


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मैं- ऑफो राज छोड़ो भी क्या कर रहे हो मुझे खाना बनाने दो?

तभी राज ने कहा -मां मुझे अकेले टहलने में मन नहीं लग रहा है। तबमैंने कहा- तो क्या मैं भी तेरे साथ चलूं खाना कौन बनाएगा?
राज मुझे छोड़ने को राजी नहीं था वह मुझे चूमता ही जा रहा था उसका हाथ मेरे पेट पर लगातार चल रहे थे।
मैं फिर से गर्म होने लगी मेरी बूर फिर से पानी छोड़ने लगी। की तभी फोन की घंटी बजी और हम दोनों अलग हुए। फोन पर मेरे पति थे मैंने थोड़ी देर उनसे बात की वह बिजी थे इसलिए बोले कि बाद में करूंगा और फोन रख दिया।

मैं खाना बनाते-बनाते राज के बारे में सोचने लगी आज जो कुछ भी नदी पर हुआ क्या यह सही था क्या यह होना चाहिए था क्या एक मां और बेटे के बीच यह सब होना चाहिए था?

मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी पर एक मन कह रहा था यह सब गलत है तो दूसरा मन कर रहा था यह सब सही है दूसरे मन का कहना था कि वह मेरा अपना बेटा थोड़े ही है। तब एक मन करता कि वह भले ही अपना बेटा ना हो पर है तो बेटे जैसा ही मुंह बोला ही सही बेटा बेटा होता है बेटे के साथ पति जैसा संबंध नहीं बना सकते।

तब दूसरा मन कहता कि पति अगर परदेस में हो तब खाली बैठने से अच्छा है जो भी मिल रहा है उसी के साथ संबंध बनाकर खुश रहा जाए।

तब मुझे शीला के पति की हरकत याद आउन्होंने जो बाजार में अपना लंड को मेरे गांड में घुसेड दिया था उन्होंने अपने हाथ से जो मेरे गान्ड को दबाए थे उन्होंने।

मैं शीला के पति को नहीं चाहती थी कि वह यह सब करें क्योंकि मैं उन्हे तनिक् भी प्यार नहीं करती थी।

मुझे अपने बेटे से प्यार हो गया था उसके कोमल होंठ उसके मासूम चेहरा उसके मासूम दिल से मुझे प्यार था मुझे उसके एहसास में अपना एहसास मिलता था मुझे उसकी खुशी में अपना खुशी मिलती थी मैं उसी के साथ रहना चाहती थी?

यही सब सोचते सोचते मैंने खाना बना लिया और मैं खाना को टेबल पर लगाने लगी। तब मैं देखी की राज टीवी देख रहा था मैंने राज को आवाज़ लगाई की राज बेटा आ जाओ खाना खा लो फिर सोना भी है।

फिर राज हाथ मुह धोकर आ गया मैं और राज दोनों एक साथ ही खाना खाए और फिर मैं बर्तन धोने लगी और राज को बोली बेटा जाकर तुम सो जाओ।

तब राज ने कहा मां मैं भी तुम्हारे साथ काम कर देता हूं। अरे नहीं बेटा तुम जाओ आराम करो मैं तुरंत काम निपटा कर तुम्हारे पास आती हूं।

यह बस सुना था कि राज एकदम से खुश हो गया और मुझे भी एहसास हुआ कि मैं यह क्या बोल दी मैं उसके पास क्यों जाऊंगी आखिर क्यों? तभी

राज ने कहा -सच में मां आओगी ना मुझे अकेले नींद नहीं आएगी।
मै -ठीक है बेटा मैं काम खत्म करके तुरंत तुम्हारे पास आती हूं।

और फिर मैं जल्दी से काम निपटा कर राज के पास चलि आई।


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राज अभी जाग रहा था मैं जैसे ही राज के पास लेटी उसने तुरंत मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर को मेरे छाती पर रख लिया और बोला मां मुझे तुम्हारे बिना नींद नहीं आती मां।

मुझे राज के साथ रहते हुए अब एक महीना से अधिक हो गया था। राज से मैं कई बार पूछ चुकी थी कि क्या तुम कभी घर नहीं जाओगे तब राज कहता मुझे यहां जितना सुकून कहीं नहीं मिलता मैं कहीं नहीं जाऊंगा जाऊंगा तो सीधा अब ऊपर मुझे नहीं जीना तुम्हारे सिवा?

मैं बोली क्यों बेटा? अगर मैं उस दिन ना मिली होती तब तुम क्या करते?

तब राज बोला- मां उस दिन तुम मिली भी होती और अगर तुम मुझे पुलिस को दे देती तो मैं आत्महत्या कर लेता मुझे नहीं जीना यहां मुझे कोई प्यार नहीं करता।
मैं राज के मासूमियत देखकर पिघल गई और उसके बालों को सहलाते हुए उसके गालों को चूम लिया। राज बेटे तुम्हें मुझ में ऐसा क्या दिख रहा है जो तुम मुझे छोड़ कर नहीं जाना चाहते तुम्हारी कोई शादी अच्छी लड़की से हो जाएगी? तब

राज ने कहा- मुझे आजकल की लड़कियों पर भरोसा नहीं है मां मैं तुम्हारे साथ ही जीवन बिताना चाहता हूं।
आपके और दो बच्चे तो है न इसमें क्या मैं एक नहीं हो सकता?

मैं बोली -क्यों नहीं मेरे बच्चे एकदम हो सकता है तुम मेरे लाडले हो?

और मैं उसके फिर से गालों को चूम लिया। इस बार उसने भी मेरे गालों को कसकर चूम लिया। उसके चुंबन से मैं सिहर उठी।
इसका एक पैर मेरे ठीक योनि के पास सटा हुआ था और उसका लिंग मेरे जांघों से टकरा रहा था उसके गर्म सांसे मुझे गर्म कर रही थी।

मैंने उसके फिर से गालों को चूमना चाहा पर जैसे ही मैं उसके गालों को चूमने की कोशिश की तभी उसने अपना सर उठा लिया और हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।


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हम दोनों एकदम से शर्मा गए और दोनों अलग हो गए।
फिर मुझे रहा नहीं गया और मैं अपने बेटे के बालों में फिर से हाथ फेरना शुरू किया। तभी उसने मुझे फिर से अपनी बाहों में ले लिया। और फिर से हम दोनों का चेहरा एकदम एक दूसरे के सामने था उसके उसके कोमल होंठ ठीक मेरे होंठ के सामने थे मन तो कर रहा था कि बस उसके होठो को अभी चूम लूं।हम दोनों एक दूसरे के आंखों में देख रहे थे हम दोनों के शरीर एक दूसरे से एकदम सटे हुए थे। उसका लिंग का उभार मेरे योनि में महसूस हो रहा था और मेरे चूचियां उसके सीने में दबी हुई थी।धीरे-धीरे हम दोनों और पास आते गए और हम दोनों का होंठ एक दूसरे से मिल गया वह मेरे होठों को एकदम रस लेकर चूस रहा था और मैं उसके निचले होंठ को अपने होंठ से दबा कर चूस रही थी मुझे उसके होंठ चूसते हुए काफी रास आ रहा था मेरी बूर पूरी तरह से गीली हो गई थी।

की तभी मुझे कपड़ों के ऊपर से ही अपनी बूर में किसी की उंगली महसूस किया।


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राज मेरे कपड़ों के ऊपर से बूर में उंगली घुसा रहा था।
मैं उसके होठों को चूस रही थी और उसके पीठ और बाल को सहला रही थी। वह मेरे होठों को चूसते हुए मेरे बूर में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ से मेरे गाल को साल रहा था।

थोड़ी ही देर में राज अपनी उंगली को मेरे नाभि में करने लगा मेरे नाभि में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से मेरी बूर से पानी रिसने लगा ऐसा लगा जैसे मेरे पेट से कोई नल खुल गया हो एकदम से मेरी आंखें बंद हो गई और उसके बाल को जोर से सहलाने लगी उसके होंठ को जोर से चूसने लगी वह मेरे नाभि में उंगली करता हुआ नीचे की ओर जा रहा था एकदम से जाते हुए उसने अपनी उंगली को मेरी बूर के एकदम से निचे तक उतार दिया।

मेरी बूर की क्लीटर्स को वह अपने उंगलियों से मसलने लगा जिससे मुझे बूर में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी और मैं नीचे से पानी पानी होती जा रही थी।

फिर राज मेरे ऊपर चढ़ने लगा मैं उसके मुंह से अपना मुंह को छुड़ाएं और बोली

मै -राज जरा धीरे से...

वह बोला -मां अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं।
और यह बोलते हैं उसने फिर से मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद कर दिया उसने फिर से मेरे होंठ को चूसने लगा इस बार वह अपनी जीभ् को मेरे मुंह में घुसा कर मेरे मुंह को पेलने लगा।

और अब राज अपनी एक हाथ से मेरी चूची को दबाने लगा। मैं तो पूरी तरह से गर्म हो गई थी।

उउउम्म्म्म ऊऊफफ्फ्फ़
आआआअह्ह्ह
ोूह्ह्ह्ह राज
ओफ्फ्फ्फ़
मेरे मुंह से केवल दबी हुई शित्कारी। निकल रही थी।
फिर मैं राज को नीचे लेटा दी और मैं उसके ऊपर जाकर उसके होठों को चूसने लगी। तभी मेरा हाथ उसके लंड से जा लगा है।

मैं महसूस किया कि वह नीचे कुछ भी नहीं पहना था। शायद इसने मेरे आने से पहले अंदर से सब कुछ निकाल कर सोया था। तभी इसकी लंड मेरे गांड में बहुत ज्यादा गढ़ रही थी।

मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके लंड को हल्की-हल्के हिलने लगे। मैं उसके होंठ को चूस रही थी और उसके लन्ड को हिला रही थी।

थोड़ी ही देर में राज ने एक पिचकारी मारी और पूरी तरह से गिला कर दिया। हम दोनों काफी इस खेल में थक चुके थे। मैं भी कई दफा झड़ चुकी थी। मैं राज को बाहों में लेकर उसे चूमते हुए उसके साथ ही सो गई।

सुबह जब नींद खुली तब देखी की राज का लन्ड सुबह-सुबह खड़ा हुआ है। मेरा फिर से मन होने लगा था। हम दोनों एकदम से अस्त व्यस्त हालत में पड़े हुए थे एक दूसरे से लिपटे हुए। तभी

मैं राज के लैंड को हाथ में लेकर फिर से हिलने लगी। राज ने मुझे देखकर फिर से मेरा होंठ को अपने होंठ से मिला लिया।

सुबह-सुबह उसका तो पिचकारी निकालने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं उसके लंड को जोर-जोर से हिलाने लगी। तभी

राज बोला - माँ धीरे से मैंने आज तक इसे नहीं हिलाया है और ना ही किसी को दिया है। मैं समझ गई कि यह अभी कुंवारा है और इसका उद्घाटन मुझे ही करना पड़ेगा।

जब राज का वीर्य हिलाने से भी नहीं निकला तब मुझे उसके लंड को अपने मुंह में लेना पड़ा। अब राज एकदम से छटपटाने लगा मेरे मुंह से लगते हैं उसका लंड एकदम तन सा गया।


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उसके मुंह से बहुत प्यारी सीत्कार निकल रही थी।
ोूह्ह्ह्हह्ह मआआआ आआआह्ह्ह्ह ऊऊओफ्फ्फफ्फ्ऊऊऊओ मआआआ
आअह्ह्ह्ह।

मैं उसके लंड को बड़े ही प्यार से चूस रही थी। मैं उसके लंड को चूसते चूसते वीर्य को बाहर निकाल दी। वीर्य का धार इतना तेज था कि मेरा सरक गया मुझे खांसी आ गई। और उसका लंड से लगातार वीर्य की धार निकलते जा रही थी। मैं इसके लंड को प्यार से चूस रही थी।

फिर वह एकदम से निढाल पड़ गया और मैं उसे अपने बाहों में लेकर उसके होंठ को चूमने लगे।

फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में नहाने लगे।

नहाने के बाद राज थोड़ा सा घूमने के लिए बाहर चला गया। मैं घर पर खाना बनाने लगी कि तभी शीला घर में आई। मेरे मन में थोड़ी बहुत पछतावा भी थी कि मैं अपने ही बेटे के साथ रात में वह सब किया।शीला ने आकर तुरंत मुझे आवाज दिया। कहां हो सुनीता मेरी जान?

मैं उसे बोली- किचन में हूं यहीं पर आ जाओ। शीला आते ही मेरी चूचियों को कस कर दबा दी। मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।


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शिला- यार सुनीता तुम्हारे तो चुचिया काफी टाइट है। कहो तो मैं अपने समर जी से तुम्हारी चूचियों को मसालवा दूं।

मैं बोली- रहने दो उन्हें कहने की जरूरत नहीं वह तो हमेशा ही मसलने को तैयार बैठे रहते हैं।शीला- हां तो मसालवा क्यों नहीं लेती?

मै- नहीं मेरी जान यह तो किसी और के लिए है।

शीला- पर वह तो अभी नहीं आने वाले नही तब तक तो इसे काम चला ले।

मैं -मुझे कोई काम वाम नहीं चलाना तुम ही दिन भर लगी रह उनसे।

शीला- मैं तो दिन भर में चुदाती ही रहती हूं।

मैं- उफ्फ् शीला तुम कितनी गंदी हो गई हो।

शिला- एक बार उनका लेकर देख फिर तुम भी बहुत गंदी हो जाओगी मेरी जान। वैसे भी होली नजदीक आ रही है। जम के इस होली उनके लन्ड से चुद जाओ।

यह सब बातों से मैं एकदम गरम हो चुकी थी पर मुझे पता ही नहीं चला कि कब शीला मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपनी एक उंगली मेरी चूत में कर रही थी?
मेरा बूर एकदम पानीआ गयी थी।
मेरी आंखें बंद हो रही थी। की तभी फोन की घंटी बजी मैं हड़बड़ा आ गई।

मैंने एक झटके में शीला से अलग हुई और जाकर फोन को उठाया। मेरे बेटे का कॉल आया था मैं उनसे बात करने लगी तभी आकाश ने कहा मां हम लोग इस होली आ रहे हैं। यह मेरा बेटा आकाश था जो अभी 18 साल का था। मुझे अपने बेटे से मिले हुए दो-तीन महीने हो चुके। मैं भी उनकी बेसब्री से इंतजार कर रही थी इस होली मेरे बेटे और (बेटी 20साल् कि है) दोनों आने वाले थे पर मुझे एक बात की समस्या थी और वह था राज मैं राज के बारे में उन लोगों को कुछ नहीं बताई थी।

मैं इस बात को शीला से कहा तब शीला ने मुझे कहा तुम डरती क्यों हो सुनीता? राज तुम्हारा बेटा है कोई बॉयफ्रेंड नहीं और शीला हंसने लगी।

पर इस बात को तो मैं ही जानती थी कि राज मेरा बॉयफ्रेंड भी था पति भी था और बेटा भी था और लाडला भी

राज तो मुझे कहीं भी पकड़ कर किस कर लेता है बाहों में पकड़ लेता है अब उनके सामने अगर कर लिया और पकड़े गए हम दोनों तब क्या होगा? मैं यही सब सोच रही थी कि तभी शीला ने मुझे झकझोरा।

शीला बोली- अरे सुनीता कहां खो गई?
मैं बोली कहीं नहीं।
तब
शिला बोली- तुम चिंता मत करो आने दो तुम्हारे बेटे और बेटी को मैं उन दोनों को सब समझा दूंगी।


धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे।
🙏

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Desi lugai

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मुहबोला बेटा से प्यार show1
#UPDATE1

हाय दोस्तों। मैं सुनीता मेरी उम्र अभी 44 साल की हूँ।


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मेरे दो बच्चे हैं एक आकाश जो अभी 18 साल का है। और सौम्या जो अभी 20 साल की है।

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मेरे दोनों बच्चे पटना में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं।

मेरे पति का नाम अशोक है।इनकी उम्र 49 है और वह कनाडा में रहकर जॉब करते हैं।
मेरे पति साल में सिर्फ एक बार ही आते हैं।इनका कहानी मे कोई रोल नही है।


मैं आरा बिहार से हूं। मैं घर पर अकेली रहती हूं।

मेरी एक दोस्त है जिसका नाम है शीला। वह मेरी बहुत अच्छी सहेली है। इसकी उम्र मेरी जितनी है 44साल

पर् हम दोनो सहेलिया बिल्कुल भी इतनी ज्यादा उम्र की नही लगती।
हम् दोनो पर पुरा सोसायटी फ़िदा है।


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यह कहानी आज से 5 साल पहले की है जब मैं 38 साल की थी। मैं दिखने में काफी सुंदर हूं अभी जवान हूं। मेरी फिगर है 36 30 38। मेरे आस-पड़ोस के सभी मर्द मेरे दीवाने हैं और यहां तक की शीला के पति(समर 45yr) भी मुझे हमेशा पटाने की फिराक में रहते है लेकिन मै किसी को पति के अलावा भाव नही दिया।
शीला के पति उसके साथ रहते है और इसी शहर मे दुकान चलाते है।


मै अकेली घर पे रहकर खेती की देख रेख करती हु। वैसे करने को तो मजदूर है। मै केवल घुमने जाति थी।

एक दिन मै स्टेशन् पर किसी काम से गयी थी जब लौट रही थी तब मुझे वहा एक लड़का रोता हुआ दिखाई दिया। मै उसके पास गयी उसे सर पर हाथ फेरी तो उसने मुझे देखा और मुह फेर लिया।


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मै उसे बोली क्या हुआ बेटा। वो मुझे अपना बेटा जैसा लगा।उसकी उम्र कोई 18 साल रही होगी। मैने उसे आपने साथ् कार् मे ले ली और उसे उसके बारे मे पूछने लगी पर मुझे कुछ नही बताया।

मै उसे घर लेकर आई तभी शीला भी आ गयी मेने उसे सब बताया। तो शीला बोली पुलिस को बताते है मेने ऐसा करना ठीक समझा और शीला के साथ पुलिस के पास गयी। पुलिस ने रिपोर्ट लिख कर ये कह दिया की जब तक इसके घर का पता नही चल जाता इसे अपने पास रखिये। मै तो अब टेंसन मे आ गयी पर

शीला- कुछ दिन की बात है रख ले वैसे भी तु अकेली रहती है। तेरा मन भी लगा रहेगा ,देख बिचारे का क्या हाल हो गया है।


मै उसे लेकर घर आ गयी। उसने अब तक कुछ नही बोला था। पर अब थोड़ा ये नॉर्मल लग रहा था।

शाम को उसे खाना खिलाया और खूद खा कर सोने जाने लगी।

तभी देखी की वो फिर रोने लगा मैं बोली क्या हुआ बेटा तो

उसने बोला- माँ ।

मै सकपका गयी ऐसा लगा जैसे मेरे हि बच्चे मुझे पुकार रहे हो। मै उसके सर पर हाथ फेर कर बोली बोलो बेटे।

वो बोला- माँ मुझे अकेले नही सोना।

मेरा तो दिल रोने लगा। मै उसे गले लगा ली। और उसके साथ हि लेट गयी।
मै उससे उसकी नाम पूछी।

तब उसने बताया- उसका नाम राज है।

फिर उसने अपना सर मेरे छाती मे दबा कर रोने लगा। उसके बाद मे कितना भी मै पूछती रही पर उसने नही बताया।
मै वाही उसके साथ ही सो गयी।


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सुबह जब मेरी आंख खुली तो 5:00
रही थी। मैं जब उठी तो देखी की राज मेरे छाती पर अपना सर रखे सो रहा था। मैं उससे बड़े प्यार से देख रही थी। बहुत ही सुंदर और सुशील था। उसका चेहरा एकदम कमल सा था उसके मुंह पर हल्का-हल्का मूछ था। उसके होंठ एकदम लाल। इसका एक पैर मेरी दोनों जांघो के बीच में और हाथ मेरे कमर में लपेटे में सो रहा था। मैं उसके पैर को सीधा की और अपने से नीचे किया। फिर मैं काम करने के लिए जाने लगी।
तभी मेरा ध्यान उसके पैंट पर गया। उसके पैंट में आकार मोटा दिखाई दे रहा था। एकदम से फुला हुआ था।


मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। फिर मैं अपने काम करने के लिए जल्दी से उसे सोते हुए छोड़कर चली गयी।

जब मैं नाश्ता बना ली तब मैं जाकर उसे जगाया तो देखा कि उसका तो लन्ड पूरा खड़ा हुआ है।


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मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे बेटे जैसा था पर मैं उसके बारे में यह क्या सोच रही थी?

फिर मैं उसके सर पर हाथ फेर कर उसे जगाया। और उसे नहाने के लिए बोलकर नीचे खाना लेकर आने लगी। वह नहा का टेबल पर आकर बैठ गया। मैंने उसे खाना देकर नहाने चली।

जब मैं नहा कर आइ तो देखी कि वह खाना खाकर बैठ चुका था। मैंने उसे बता दिया कि हम आज खेत पर घूमने जाने वाले हैं। तो वह एकदम से खुश हो गया उसका मुस्कुराता चेहरा देखकर मैं एकदम खुश हो गई।

मैं खेत पर घूमने के लिए शीला को भी बुला लिया और मैं और मेरे बेटे तीनों मिलकर हम खेत पर घूमने चल दिए।

मेरे खेत मे कुछ ईख लगी हुई थी और कुछ धान की खेती थी।
जैसे ही हम खेत पर पहुंचे हि थे की शीला के घर से फोन आ गई कि उसके पति उसे बुला रहे हैं तो वह चली गयी।
अब खेत पर मैं और मेरे बेटे राज दोनों ही बच गए थे। मैं सोची की राज का यहां मन बहल जाएगा

और कुछ उसके बारे में पता चलेगा।
राज ने यहां भी कुछ नहीं बताया। उल्टा फिर उदास हो गया। मैं उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और फिर हम दोनों मिलकर वहां नदी की ओर चल दिए। यहां धान के खेत में पानी नहीं थी तो मैंने धान के खेत में पानी कर दी।
राज खेत में जो मड़ई बना हुआ था उसमे बैठा हुआ था। मैं राज के पास गई तो देखा कि वह काफी शांत बैठा हुआ था। मैं उससे पूछी क्या हुआ राज यहां भी मन नहीं लग रहा क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां यहां तो काफी शांति और सुकून है। मुझे यहां आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है।

फिर वह आकर मेरे गले लग गया। हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से चिपके हुए थे उसी मड़ई में।


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हमें वहां कोई देखने वाला नहीं था। जब वह मेरे से चिपका हुआ था तो मेरे दोनों चुचिया उसके छाती में दबी हुई थी और उसकी कठोर लन्ड मेरे योनि के पास लग रहा थी।
मैं बोली राज कब तक ऐसे ही रहोगे घर नहीं चलना है क्या? राज मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। मै उसके इस मुस्कान पर एकदम से खिल उठी और उसके गालों को चूम ली। वो शर्मा गया। तब मुझे हसी आ गयी। प्यार से वो मुझे फिर से अपनी बहों मे ले लिया।
फिर हम दोनों घर आ गए। आज मुझे कई दिनों के बाद बहुत खुशी मिली थी। आज मेरा सारा अकेलापन दूर हो गया था।

हम दोनों मां बेटे लिविंग रूम में चले गए जहां टीवी लगा हुआ था। वहां पर हम दोनों एक दूसरे के पास बैठकर टीवी देखने लगे जिस पर काफी हॉट फिल्म आ रही थी मैं सोची कि इस फिल्म को बदल दू।
पर उस वक्त मुझे रिमोट ही नहीं मिली हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए बैठकर टीवी देख रहे थे।

वह मेरे कंधे पर सर रखकर मूवी को देखने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने आगोश में ले लिया। और अपना एक पैर मेरे पैर पर रख दिया। मैं भी उसके सर को सहलाने लगी। और उसे खूब प्यार करने लगी। मुझे उसे दिन पता नहीं क्या हो गया था हम दोनों दूसरे से चिपके हुए थे? मुझे उसे पर बहुत प्यार आ रहा था। और ऐसे ही हम दोनों लेते हुए सो गए वहीं पर।

हम दोनों की नींद तब खुली जब शीला घर पर आई। मैं जाकर दरवाजा खोली। मैं राज को उठा दिया था की जा बाथरूम से फ्रेश हो जा।

शीला मुझे बाजार ले जाने के लिए आई थी। पर उसके साथ उसके पति भी थे। उसका पति बहुत मजाकिया थे मै उनके साथ नहीं जाना चाहती वह बहुत मुझे छेढ़ते थे।
मैं जैसे ही शीला से बोली कि मैं तुम्हारे पति के साथ नहीं जाऊंगी तभी वह पीछे से आकर बोले

समर- क्या हुआ सुनीता जी मेरे साथ जाने में क्या तकलीफ है?

मैं बोली- कुछ तकलीफ नहीं है जी बस आप जो मुझे परेशान करते हो उसे तकलीफ है। तभी

शीला बोली- हां हां तो सुनीता क्यों नहीं दे देती वह चीज जो इन्हें चाहिए?

मैं बोली -मैं क्यों दूं तुम्हारा पति है तुम दो?
तब

शीला बोली- एक बार दे दोगी तो क्या हो जाएगा घट थोड़ी जाएगा?

मै बोली- चल चुप कर शीला मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी। हमेशा अपने पति का ही साथ देती थी। वह भी मुझे अपने पति से चुदवाना चाहती थी।
मैं हमेशा कोई ना कोई बहाना बना ही देती थी।

फिर शाम को मैं मेरे बेटे और शीला और शीला के पति के साथ मार्केट गई वहां पर सभी मुझे घुर्र कर देख रहे थे।


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तभी शीला के पति

समर- बोले क्या बात है सुनीता जी आपका तो पूरा मार्केट दीवाना है?

और सभी हंसने लगे। मैं अपने बेटे के साथ मार्केट में कुछ सब्जियों ले ली और उसके लिए कपड़े लेने के लिए दुकान पर जाने लगी। तभी शीला बोली की रूक मैं भी आती हूं।

मैं और शीला दोनों मिलकर अपने बेटे के लिए कपड़े लेने लगे।
फिर शीला अपने लिए कुछ ब्रा और कुछ पैंटी ली।

राज पेन्टी और ब्रा को बड़े ध्यान से देख रहा था मुझे तो शर्म आने लगी थी अपने बेटे के सामने तभी शीला बोली कि यह पेटी तो सुनीता तुम्हें अच्छी लगेगी।तभी

राज ने कहा- हां माँ ले लो तुम्हारे में अच्छा लगेगा। मैं शर्मा गई।
तभी

शीला बोली- सुनीता अब तो इसे भी पसंद आ गयी अब तो लेनी ही पड़ेगी।

उफ़ मैं शीला की इन बातों से एकदम शर्म से लाल हो रही थी।

फिर हम घर आ गए। रात को खाना पीना हुआ और मैं राज के साथ ही सो गई। राज ने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर मेरे छाती पर रखकर सो गया। मैं भी उसके सर को सहलाते हुए सो गई ।


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ऐसे ही कई दिन गुजर गए। इतने दिन जो बीते वह काफी खुशनुमा थे मैं राज के साथ बहुत खुश थी। राज कहीं से भी आता और मुझे मां कहते हुए हमेशा लिपट जाता था। और उसकी कठोर सा लैंड मेरे गांड में घुसता चला जाता था। पर मैं इस अनुभव से काफी गर्म हो जाती थी।

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फिर एक दिन में और राज नदी की ओर घूमने के लिए गए। हम दोनों नदी के किनारे बैठे हुए थे वहां पर हमें देखने वाला कोई नहीं था। हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे तभी

राज ने कहा- मां आप तो बहुत खूबसूरत हो। फिर आप अकेली क्यों हो? तब मैंने उसे बताया कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे पति बाहर में रहते हैं और मेरे तुम्हारे जैसे बच्चे भी हैं जो बाहर में रहकर पढ़ाई करते हैं और अपना तुम बताओ। तब राज ने मायूस होकर मुझसे लिपट गया और बोला मैं अपने अतीत को याद नहीं करना चाहता हूं मुझे यहां बहुत सुकून मिल रहा है
तब मैंने कहा की राज तुम्हारा भी तो माता-पिता होंगे। तुम्हें अपने घर तो जाना ही होगा ना। तब

राज ने कहा- नहीं मां मुझे अपने घर नहीं जाना। मुझे वहां कोई प्यार नहीं करता।

और राज फिर से रोने लगा। मैं उसे अपने सीने से लगा ली। और उसे चुप करने लगी।
उसके चेहरे को अपने हथेली में लेकर उसके आंसू को पोछी और उसके कोमल होंठ पर मैंने अपनी होंठ रखकर एक किस कर दी। और फिर उसे अपने सीने से लगा लिया।


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फिर मैं राज से बोली चलो बेटा उधर ईख के तरफ खेत में पानी करना है।

फिर हम दोनों खेत में चले आए। मैं खेत में पानी करने लगी और वह खड़ा होकर मुझे देखने लगा। मैं झुक कर खेत में पानी कर रही थी। जिससे मेरी दोनों चूचियां आधि बाहर दिखाई दे रही थी। राज मेरी चूचियों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
पानी करते हुए मेरा पैर फिसल गया और मैं वही कीचड़ में गिर गई। फिर राज मेरे पास दौड़ते हुए आया।

मैंने राज से कहा कि बेटा तुम यहां मत आओ मैं कीचड़ से सन गई हूं तू भी कीचड़ में लेट जाएगा। पर उसने नहीं मानी और वह मुझे उठाने के लिए आया और वो भी फिसल के गिर गया।

हम दोनों कीचड़ में लेट गए। हम दोनों कीचड़ में लेट कर हंसने लगे। वह खेत चारों तरफ ईख से घिरा हुआ था जिससे हमें कोई वहां देख नहीं सकता था।

मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके पेट पर लगा दी और हंसने लगी। तभी राज ने भी थोड़ा सा कीचड़ लेकर मुझे लगाने के लिए आगे बढ़ा तभी मैंने उसके हाथ को झटक दिया और वह मेरे ऊपर आकर गिरा। उसके छाती से मेरे दोनों चूचियाँ दब गई। उसकी कठोर सा लिंग मेरे योनि में अनुभव होने लगा। उसका लिंग तो धीरे-धीरे आकर ले रहा था जो मेरे योनि पर दबाव पड़ रहा था। उसके कोमल होंठ एकदम मेरे होंठ के करीब था। उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रहा था।


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हम दोनों मुस्कुरा रहे थे और कीचड़ में खेल रहे थे। मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके गालों पर लगा दिया। फिर उसने अपने कीचड़ से लगे हुए गाल को मेरे गाल से रगड़ने लगा। इसी बीच उसके कोमल होंठ मेरे होंठ से लग गए। हम दोनों कुछ पल के लिए एकदम स्थिर होकर रुक गए। हम दोनों को कुछ समझ नहीं आया और पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।

मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे योनि से नदी पर निकली हो। आज पहली बार मुझे अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द का एहसास महसूस हो रहा था। मैं अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने उसके होंठ को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।


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मैं अपने अंदर कई साल से वासना को दबा कर रखी थी। जो एक 18 साल की कोमल बच्चे ने जगा दिया था। वह बच्चा भले ही मेरा सगा बेटा ना हो पर वह मेरे बेटा जैसा था। उससे मैंने अपना बेटा माना था और वह मुझे हमेशा माँ ही कहा है।

ऐसे एहसास होते ही मैंने तुरंत उसे अलग हुई हम् दोनो के होंठ अलग हुए। उसे अपने ऊपर से हटाया और उठ खड़ी हुई। हम दोनों एक दूसरे से नजरे नहीं मिल पा रहे थे।
फिर

राज ने कहा- सॉरी मां मुझसे गलती हो गई।

मैं उसके मासूम चेहरे को देखकर पिघल गयी और उसे फिर से अपने गले से लगा लिया और बोली कि नहीं बेटा इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।

फिर मैं बोली -राज बेटा देखो हमारे कपड़े कितने गंदे हो गए हैं हम इस हालत में तो घर भी नहीं जा सकते हैं।
तब

राज ने कहा -अब क्या करेंगे माँ

तब
मैं बोली कि चलो बेटा हम दोनों नदी में चलकर नहा लेते हैं।

हम दोनों नदी में चले गए नहाने के लिए।

उसे वक्त मैंने देखी कि वहां पर कोई नहीं था।
फिर हम दोनों नदी में नहाने के लिए उतर गए। मैंने अपना कपड़ा साफ किया और फिर राज का भी कपड़े को साफ की और वहीं बाहर में सूखने के लिए झाड़ियां पर पसार दिया।

मैं अब सिर्फ पेंटी और ब्रा में नहा रही थी और राज सिर्फ अंडरवियर में था।

राज मुझे इस तरह देखकर मुस्कुरा रहा था

तब मैंने उससे पूछा- कि क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो? तब

राज ने कहा कि मां मैं इससे पहले इतनी सुंदर शरीर किसी की नहीं देखी तुम तो अभी बहुत सुंदर हो मां।

तब मैंने कहा चल झुटे कुछ भी बोलता है मैं तेरी मां हूं।
फिर

राज ने कहा -मां मैं सच कह रहा हूं। आपको देखकर मुझे पता नहीं क्या हो जा रहा था?

फिर
मैं बात को बदलते हुए कही -चल छोड़ जब तक कपड़े सुख नहीं जाते तब तक हमें तो नहाने ही है तो तब तक हम पकड़म पकड़ाई खेलते हैं तो तुम मुझे पकड़ना मैं इधर से उधर नदी में भागूंगी।

फिर राज मुझे पकड़ने के लिए भागा मैं नदी के बीच में भागने लगी। मैं नदी में अच्छी तरह से तैरना जानती थी इसलिए मैं बीच में भाग रही थी। तभी राज भी मुझे पकड़ने के लिए बीच में आने लगा।
अचानक तेज धारा ने राज को धकेल दिया जिससे वह अनबैलेंस होकर नीचे की ओर डूबने लगा। फिर मैं उसे बचाने के लिए गई और उसे अपने सीने से लगाकर दूसरे किनारे की ओर ले गई। तब मैंने देखा कि वह ठीक था और वह मुझे बोला मां मैं तो आपको पकड़ लिया। मुझे गुस्सा आ गया और मैं राज से बोली यह तो चीटिंग किया है बेटा।

मैं उससे नाराज होकर दूसरी तरफ मुंह फेर ली। तभी राज ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया और बोला सॉरी मा गलती हो गई।
उसने जैसे ही मुझे पीछे से पकड़ा उसकी कठोर सा लैंड मेरी गांड में घुसता चला गया और मैं एकदम से सिहर उठी ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
इसका एक हाथ मेरे पेट पर चिकनी पेट पर चल रहे थे और दूसरा हाथ मेरे जांघों पर थे। हम दोनों पानी के अंदर गर्दन तक थे जो कि कुछ अंदर दिखाई नहीं दे रहा था पर महसूस पूरा हो रहा था ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में कैद है। उसका लंड का एहसास मेरे दिमाग पर जोर डाल रहा था जिससे मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी और उसके बाहों के आगोश में खोते चली जा रही थी।


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थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे योनि के पास जाने लगी जिससे मैं पूरी तरह से सीहर उठी। उसका मुंह मेरे गरद्न के पास था उसके गर्म सांस मुझे गर्म कर रही थी।

मैं कुछ कर नहीं पा रही थी बस उसके हर एहसास को अपने एहसास से जिए जा रही थी।

तभी नदी की ओर किसी की आने की आहत हुई। हम दोनों की ही तंद्रा टूट गयी।

Update1 धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
मिलते है Update2 मे।

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हाय दोस्तों। मैं सुनीता मेरी उम्र अभी 44 साल की हूँ।


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मेरे दो बच्चे हैं एक आकाश जो अभी 18 साल का है। और सौम्या जो अभी 20 साल की है।

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मेरे दोनों बच्चे पटना में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं।

मेरे पति का नाम अशोक है।इनकी उम्र 49 है और वह कनाडा में रहकर जॉब करते हैं।
मेरे पति साल में सिर्फ एक बार ही आते हैं।इनका कहानी मे कोई रोल नही है।


मैं आरा बिहार से हूं। मैं घर पर अकेली रहती हूं।

मेरी एक दोस्त है जिसका नाम है शीला। वह मेरी बहुत अच्छी सहेली है। इसकी उम्र मेरी जितनी है 44साल

पर् हम दोनो सहेलिया बिल्कुल भी इतनी ज्यादा उम्र की नही लगती।
हम् दोनो पर पुरा सोसायटी फ़िदा है।


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यह कहानी आज से 5 साल पहले की है जब मैं 38 साल की थी। मैं दिखने में काफी सुंदर हूं अभी जवान हूं। मेरी फिगर है 36 30 38। मेरे आस-पड़ोस के सभी मर्द मेरे दीवाने हैं और यहां तक की शीला के पति(समर 45yr) भी मुझे हमेशा पटाने की फिराक में रहते है लेकिन मै किसी को पति के अलावा भाव नही दिया।
शीला के पति उसके साथ रहते है और इसी शहर मे दुकान चलाते है।


मै अकेली घर पे रहकर खेती की देख रेख करती हु। वैसे करने को तो मजदूर है। मै केवल घुमने जाति थी।

एक दिन मै स्टेशन् पर किसी काम से गयी थी जब लौट रही थी तब मुझे वहा एक लड़का रोता हुआ दिखाई दिया। मै उसके पास गयी उसे सर पर हाथ फेरी तो उसने मुझे देखा और मुह फेर लिया।


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मै उसे बोली क्या हुआ बेटा। वो मुझे अपना बेटा जैसा लगा।उसकी उम्र कोई 18 साल रही होगी। मैने उसे आपने साथ् कार् मे ले ली और उसे उसके बारे मे पूछने लगी पर मुझे कुछ नही बताया।

मै उसे घर लेकर आई तभी शीला भी आ गयी मेने उसे सब बताया। तो शीला बोली पुलिस को बताते है मेने ऐसा करना ठीक समझा और शीला के साथ पुलिस के पास गयी। पुलिस ने रिपोर्ट लिख कर ये कह दिया की जब तक इसके घर का पता नही चल जाता इसे अपने पास रखिये। मै तो अब टेंसन मे आ गयी पर

शीला- कुछ दिन की बात है रख ले वैसे भी तु अकेली रहती है। तेरा मन भी लगा रहेगा ,देख बिचारे का क्या हाल हो गया है।


मै उसे लेकर घर आ गयी। उसने अब तक कुछ नही बोला था। पर अब थोड़ा ये नॉर्मल लग रहा था।

शाम को उसे खाना खिलाया और खूद खा कर सोने जाने लगी।

तभी देखी की वो फिर रोने लगा मैं बोली क्या हुआ बेटा तो

उसने बोला- माँ ।

मै सकपका गयी ऐसा लगा जैसे मेरे हि बच्चे मुझे पुकार रहे हो। मै उसके सर पर हाथ फेर कर बोली बोलो बेटे।

वो बोला- माँ मुझे अकेले नही सोना।

मेरा तो दिल रोने लगा। मै उसे गले लगा ली। और उसके साथ हि लेट गयी।
मै उससे उसकी नाम पूछी।

तब उसने बताया- उसका नाम राज है।

फिर उसने अपना सर मेरे छाती मे दबा कर रोने लगा। उसके बाद मे कितना भी मै पूछती रही पर उसने नही बताया।
मै वाही उसके साथ ही सो गयी।


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सुबह जब मेरी आंख खुली तो 5:00
रही थी। मैं जब उठी तो देखी की राज मेरे छाती पर अपना सर रखे सो रहा था। मैं उससे बड़े प्यार से देख रही थी। बहुत ही सुंदर और सुशील था। उसका चेहरा एकदम कमल सा था उसके मुंह पर हल्का-हल्का मूछ था। उसके होंठ एकदम लाल। इसका एक पैर मेरी दोनों जांघो के बीच में और हाथ मेरे कमर में लपेटे में सो रहा था। मैं उसके पैर को सीधा की और अपने से नीचे किया। फिर मैं काम करने के लिए जाने लगी।
तभी मेरा ध्यान उसके पैंट पर गया। उसके पैंट में आकार मोटा दिखाई दे रहा था। एकदम से फुला हुआ था।


मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। फिर मैं अपने काम करने के लिए जल्दी से उसे सोते हुए छोड़कर चली गयी।

जब मैं नाश्ता बना ली तब मैं जाकर उसे जगाया तो देखा कि उसका तो लन्ड पूरा खड़ा हुआ है।


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मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे बेटे जैसा था पर मैं उसके बारे में यह क्या सोच रही थी?

फिर मैं उसके सर पर हाथ फेर कर उसे जगाया। और उसे नहाने के लिए बोलकर नीचे खाना लेकर आने लगी। वह नहा का टेबल पर आकर बैठ गया। मैंने उसे खाना देकर नहाने चली।

जब मैं नहा कर आइ तो देखी कि वह खाना खाकर बैठ चुका था। मैंने उसे बता दिया कि हम आज खेत पर घूमने जाने वाले हैं। तो वह एकदम से खुश हो गया उसका मुस्कुराता चेहरा देखकर मैं एकदम खुश हो गई।

मैं खेत पर घूमने के लिए शीला को भी बुला लिया और मैं और मेरे बेटे तीनों मिलकर हम खेत पर घूमने चल दिए।

मेरे खेत मे कुछ ईख लगी हुई थी और कुछ धान की खेती थी।
जैसे ही हम खेत पर पहुंचे हि थे की शीला के घर से फोन आ गई कि उसके पति उसे बुला रहे हैं तो वह चली गयी।
अब खेत पर मैं और मेरे बेटे राज दोनों ही बच गए थे। मैं सोची की राज का यहां मन बहल जाएगा

और कुछ उसके बारे में पता चलेगा।
राज ने यहां भी कुछ नहीं बताया। उल्टा फिर उदास हो गया। मैं उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और फिर हम दोनों मिलकर वहां नदी की ओर चल दिए। यहां धान के खेत में पानी नहीं थी तो मैंने धान के खेत में पानी कर दी।
राज खेत में जो मड़ई बना हुआ था उसमे बैठा हुआ था। मैं राज के पास गई तो देखा कि वह काफी शांत बैठा हुआ था। मैं उससे पूछी क्या हुआ राज यहां भी मन नहीं लग रहा क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां यहां तो काफी शांति और सुकून है। मुझे यहां आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है।

फिर वह आकर मेरे गले लग गया। हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से चिपके हुए थे उसी मड़ई में।


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हमें वहां कोई देखने वाला नहीं था। जब वह मेरे से चिपका हुआ था तो मेरे दोनों चुचिया उसके छाती में दबी हुई थी और उसकी कठोर लन्ड मेरे योनि के पास लग रहा थी।
मैं बोली राज कब तक ऐसे ही रहोगे घर नहीं चलना है क्या? राज मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। मै उसके इस मुस्कान पर एकदम से खिल उठी और उसके गालों को चूम ली। वो शर्मा गया। तब मुझे हसी आ गयी। प्यार से वो मुझे फिर से अपनी बहों मे ले लिया।
फिर हम दोनों घर आ गए। आज मुझे कई दिनों के बाद बहुत खुशी मिली थी। आज मेरा सारा अकेलापन दूर हो गया था।

हम दोनों मां बेटे लिविंग रूम में चले गए जहां टीवी लगा हुआ था। वहां पर हम दोनों एक दूसरे के पास बैठकर टीवी देखने लगे जिस पर काफी हॉट फिल्म आ रही थी मैं सोची कि इस फिल्म को बदल दू।
पर उस वक्त मुझे रिमोट ही नहीं मिली हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए बैठकर टीवी देख रहे थे।

वह मेरे कंधे पर सर रखकर मूवी को देखने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने आगोश में ले लिया। और अपना एक पैर मेरे पैर पर रख दिया। मैं भी उसके सर को सहलाने लगी। और उसे खूब प्यार करने लगी। मुझे उसे दिन पता नहीं क्या हो गया था हम दोनों दूसरे से चिपके हुए थे? मुझे उसे पर बहुत प्यार आ रहा था। और ऐसे ही हम दोनों लेते हुए सो गए वहीं पर।

हम दोनों की नींद तब खुली जब शीला घर पर आई। मैं जाकर दरवाजा खोली। मैं राज को उठा दिया था की जा बाथरूम से फ्रेश हो जा।

शीला मुझे बाजार ले जाने के लिए आई थी। पर उसके साथ उसके पति भी थे। उसका पति बहुत मजाकिया थे मै उनके साथ नहीं जाना चाहती वह बहुत मुझे छेढ़ते थे।
मैं जैसे ही शीला से बोली कि मैं तुम्हारे पति के साथ नहीं जाऊंगी तभी वह पीछे से आकर बोले

समर- क्या हुआ सुनीता जी मेरे साथ जाने में क्या तकलीफ है?

मैं बोली- कुछ तकलीफ नहीं है जी बस आप जो मुझे परेशान करते हो उसे तकलीफ है। तभी

शीला बोली- हां हां तो सुनीता क्यों नहीं दे देती वह चीज जो इन्हें चाहिए?

मैं बोली -मैं क्यों दूं तुम्हारा पति है तुम दो?
तब

शीला बोली- एक बार दे दोगी तो क्या हो जाएगा घट थोड़ी जाएगा?

मै बोली- चल चुप कर शीला मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी। हमेशा अपने पति का ही साथ देती थी। वह भी मुझे अपने पति से चुदवाना चाहती थी।
मैं हमेशा कोई ना कोई बहाना बना ही देती थी।

फिर शाम को मैं मेरे बेटे और शीला और शीला के पति के साथ मार्केट गई वहां पर सभी मुझे घुर्र कर देख रहे थे।


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तभी शीला के पति

समर- बोले क्या बात है सुनीता जी आपका तो पूरा मार्केट दीवाना है?

और सभी हंसने लगे। मैं अपने बेटे के साथ मार्केट में कुछ सब्जियों ले ली और उसके लिए कपड़े लेने के लिए दुकान पर जाने लगी। तभी शीला बोली की रूक मैं भी आती हूं।

मैं और शीला दोनों मिलकर अपने बेटे के लिए कपड़े लेने लगे।
फिर शीला अपने लिए कुछ ब्रा और कुछ पैंटी ली।

राज पेन्टी और ब्रा को बड़े ध्यान से देख रहा था मुझे तो शर्म आने लगी थी अपने बेटे के सामने तभी शीला बोली कि यह पेटी तो सुनीता तुम्हें अच्छी लगेगी।तभी

राज ने कहा- हां माँ ले लो तुम्हारे में अच्छा लगेगा। मैं शर्मा गई।
तभी

शीला बोली- सुनीता अब तो इसे भी पसंद आ गयी अब तो लेनी ही पड़ेगी।

उफ़ मैं शीला की इन बातों से एकदम शर्म से लाल हो रही थी।

फिर हम घर आ गए। रात को खाना पीना हुआ और मैं राज के साथ ही सो गई। राज ने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर मेरे छाती पर रखकर सो गया। मैं भी उसके सर को सहलाते हुए सो गई ।


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ऐसे ही कई दिन गुजर गए। इतने दिन जो बीते वह काफी खुशनुमा थे मैं राज के साथ बहुत खुश थी। राज कहीं से भी आता और मुझे मां कहते हुए हमेशा लिपट जाता था। और उसकी कठोर सा लैंड मेरे गांड में घुसता चला जाता था। पर मैं इस अनुभव से काफी गर्म हो जाती थी।

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फिर एक दिन में और राज नदी की ओर घूमने के लिए गए। हम दोनों नदी के किनारे बैठे हुए थे वहां पर हमें देखने वाला कोई नहीं था। हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे तभी

राज ने कहा- मां आप तो बहुत खूबसूरत हो। फिर आप अकेली क्यों हो? तब मैंने उसे बताया कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे पति बाहर में रहते हैं और मेरे तुम्हारे जैसे बच्चे भी हैं जो बाहर में रहकर पढ़ाई करते हैं और अपना तुम बताओ। तब राज ने मायूस होकर मुझसे लिपट गया और बोला मैं अपने अतीत को याद नहीं करना चाहता हूं मुझे यहां बहुत सुकून मिल रहा है
तब मैंने कहा की राज तुम्हारा भी तो माता-पिता होंगे। तुम्हें अपने घर तो जाना ही होगा ना। तब

राज ने कहा- नहीं मां मुझे अपने घर नहीं जाना। मुझे वहां कोई प्यार नहीं करता।

और राज फिर से रोने लगा। मैं उसे अपने सीने से लगा ली। और उसे चुप करने लगी।
उसके चेहरे को अपने हथेली में लेकर उसके आंसू को पोछी और उसके कोमल होंठ पर मैंने अपनी होंठ रखकर एक किस कर दी। और फिर उसे अपने सीने से लगा लिया।


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फिर मैं राज से बोली चलो बेटा उधर ईख के तरफ खेत में पानी करना है।

फिर हम दोनों खेत में चले आए। मैं खेत में पानी करने लगी और वह खड़ा होकर मुझे देखने लगा। मैं झुक कर खेत में पानी कर रही थी। जिससे मेरी दोनों चूचियां आधि बाहर दिखाई दे रही थी। राज मेरी चूचियों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
पानी करते हुए मेरा पैर फिसल गया और मैं वही कीचड़ में गिर गई। फिर राज मेरे पास दौड़ते हुए आया।

मैंने राज से कहा कि बेटा तुम यहां मत आओ मैं कीचड़ से सन गई हूं तू भी कीचड़ में लेट जाएगा। पर उसने नहीं मानी और वह मुझे उठाने के लिए आया और वो भी फिसल के गिर गया।

हम दोनों कीचड़ में लेट गए। हम दोनों कीचड़ में लेट कर हंसने लगे। वह खेत चारों तरफ ईख से घिरा हुआ था जिससे हमें कोई वहां देख नहीं सकता था।

मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके पेट पर लगा दी और हंसने लगी। तभी राज ने भी थोड़ा सा कीचड़ लेकर मुझे लगाने के लिए आगे बढ़ा तभी मैंने उसके हाथ को झटक दिया और वह मेरे ऊपर आकर गिरा। उसके छाती से मेरे दोनों चूचियाँ दब गई। उसकी कठोर सा लिंग मेरे योनि में अनुभव होने लगा। उसका लिंग तो धीरे-धीरे आकर ले रहा था जो मेरे योनि पर दबाव पड़ रहा था। उसके कोमल होंठ एकदम मेरे होंठ के करीब था। उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रहा था।


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हम दोनों मुस्कुरा रहे थे और कीचड़ में खेल रहे थे। मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके गालों पर लगा दिया। फिर उसने अपने कीचड़ से लगे हुए गाल को मेरे गाल से रगड़ने लगा। इसी बीच उसके कोमल होंठ मेरे होंठ से लग गए। हम दोनों कुछ पल के लिए एकदम स्थिर होकर रुक गए। हम दोनों को कुछ समझ नहीं आया और पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।

मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे योनि से नदी पर निकली हो। आज पहली बार मुझे अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द का एहसास महसूस हो रहा था। मैं अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने उसके होंठ को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।


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मैं अपने अंदर कई साल से वासना को दबा कर रखी थी। जो एक 18 साल की कोमल बच्चे ने जगा दिया था। वह बच्चा भले ही मेरा सगा बेटा ना हो पर वह मेरे बेटा जैसा था। उससे मैंने अपना बेटा माना था और वह मुझे हमेशा माँ ही कहा है।

ऐसे एहसास होते ही मैंने तुरंत उसे अलग हुई हम् दोनो के होंठ अलग हुए। उसे अपने ऊपर से हटाया और उठ खड़ी हुई। हम दोनों एक दूसरे से नजरे नहीं मिल पा रहे थे।
फिर

राज ने कहा- सॉरी मां मुझसे गलती हो गई।

मैं उसके मासूम चेहरे को देखकर पिघल गयी और उसे फिर से अपने गले से लगा लिया और बोली कि नहीं बेटा इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।

फिर मैं बोली -राज बेटा देखो हमारे कपड़े कितने गंदे हो गए हैं हम इस हालत में तो घर भी नहीं जा सकते हैं।
तब

राज ने कहा -अब क्या करेंगे माँ

तब
मैं बोली कि चलो बेटा हम दोनों नदी में चलकर नहा लेते हैं।

हम दोनों नदी में चले गए नहाने के लिए।

उसे वक्त मैंने देखी कि वहां पर कोई नहीं था।
फिर हम दोनों नदी में नहाने के लिए उतर गए। मैंने अपना कपड़ा साफ किया और फिर राज का भी कपड़े को साफ की और वहीं बाहर में सूखने के लिए झाड़ियां पर पसार दिया।

मैं अब सिर्फ पेंटी और ब्रा में नहा रही थी और राज सिर्फ अंडरवियर में था।

राज मुझे इस तरह देखकर मुस्कुरा रहा था

तब मैंने उससे पूछा- कि क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो? तब

राज ने कहा कि मां मैं इससे पहले इतनी सुंदर शरीर किसी की नहीं देखी तुम तो अभी बहुत सुंदर हो मां।

तब मैंने कहा चल झुटे कुछ भी बोलता है मैं तेरी मां हूं।
फिर

राज ने कहा -मां मैं सच कह रहा हूं। आपको देखकर मुझे पता नहीं क्या हो जा रहा था?

फिर
मैं बात को बदलते हुए कही -चल छोड़ जब तक कपड़े सुख नहीं जाते तब तक हमें तो नहाने ही है तो तब तक हम पकड़म पकड़ाई खेलते हैं तो तुम मुझे पकड़ना मैं इधर से उधर नदी में भागूंगी।

फिर राज मुझे पकड़ने के लिए भागा मैं नदी के बीच में भागने लगी। मैं नदी में अच्छी तरह से तैरना जानती थी इसलिए मैं बीच में भाग रही थी। तभी राज भी मुझे पकड़ने के लिए बीच में आने लगा।
अचानक तेज धारा ने राज को धकेल दिया जिससे वह अनबैलेंस होकर नीचे की ओर डूबने लगा। फिर मैं उसे बचाने के लिए गई और उसे अपने सीने से लगाकर दूसरे किनारे की ओर ले गई। तब मैंने देखा कि वह ठीक था और वह मुझे बोला मां मैं तो आपको पकड़ लिया। मुझे गुस्सा आ गया और मैं राज से बोली यह तो चीटिंग किया है बेटा।

मैं उससे नाराज होकर दूसरी तरफ मुंह फेर ली। तभी राज ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया और बोला सॉरी मा गलती हो गई।
उसने जैसे ही मुझे पीछे से पकड़ा उसकी कठोर सा लैंड मेरी गांड में घुसता चला गया और मैं एकदम से सिहर उठी ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
इसका एक हाथ मेरे पेट पर चिकनी पेट पर चल रहे थे और दूसरा हाथ मेरे जांघों पर थे। हम दोनों पानी के अंदर गर्दन तक थे जो कि कुछ अंदर दिखाई नहीं दे रहा था पर महसूस पूरा हो रहा था ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में कैद है। उसका लंड का एहसास मेरे दिमाग पर जोर डाल रहा था जिससे मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी और उसके बाहों के आगोश में खोते चली जा रही थी।


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थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे योनि के पास जाने लगी जिससे मैं पूरी तरह से सीहर उठी। उसका मुंह मेरे गरद्न के पास था उसके गर्म सांस मुझे गर्म कर रही थी।

मैं कुछ कर नहीं पा रही थी बस उसके हर एहसास को अपने एहसास से जिए जा रही थी।

तभी नदी की ओर किसी की आने की आहत हुई। हम दोनों की ही तंद्रा टूट गयी।

Update1 धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
मिलते है Update2 मे।

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So hot update
#UPDATE 2.

मुहबोला बेटा से प्यार S1
#UPDATE 2


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अब तक आपने पढ़ा की
हम माँ बेटे नदी मे एक दूसरे से नंगे चिपके हुए थे,की तभी नदी की तरफ किसी की आने की आहत हुई।
अब आगे,

हम दोनों पानी से निकाल कर पास के झाड़ियां के तरफ भागे। पानी के पास कुछ झाड़ियां थी उसी के पास हम दोनों छुपे,

छुपने की जगह तो नहीं थी पर मैं उसके गोद में बैठी हुई अपने सर को उसके कंधे पर टिका कर छुपी हुई थी और वह मुझे अपने अगोष में लिए हुए छुपा हुआ था।
उसका लिंग मेरे योनि से दबा हुआ था और उसका लिंग इतना कठोर था कि ऐसा लग रहा था जैसे मेरे योनि मे अभी पैंटी फाड़ कर घुस जाएगा।

मुझे उसके लिंग के एहसास से पूरे तन बदन में आग लगी हुई थी।
मुझे शर्म से काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह मेरे बेटे जैसा था और मैं उसकी मां की जैसी वह मेरी उम्र का आधी उम्र का था पर मैं उसके साथ अधनंगी उसके गोद में बैठी हुई उसके लिंग का आभास अपने योनि पर कर रही थी और पूरे तन बदन को गर्माहट दे रही थी।


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मैं हल्की सी सर को उठाकर नदि कि ओर देखी कि वहा एक 60 साल का बुढ़ा आदमी नदी के किनरे बैठकर हगने लगा। मैं देख रही थी उसके लिंग को और वह गांड उठाकर हग रहा था। जब तक उसका हगना हो नहीं जाता तब तक मुझे अपने बेटे की गोद में बैठना था।

मैं अपने बेटे को देखी उसकी मासूम चेहरा। काफी खुशनुमा लग रहा था। मैं उसे देखकर मुस्कुराई। वह भी मुझे देखकर मुस्कुराया। उसके होठों के मुस्कान देखकर मुझे रहा नहीं गया और मैं उसके लाल-लाल होठों पर अपनी होंठ रखकर चूसने लगी। अब मुझे उसके लिंग का महसूस पूरी तरह से हो रहा था एकदम से कड़क हो चुका था अगर मैं पैंटी और उसने चड्डी ना पहनी होती तो उसका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ अंदर चला जाता।


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मेरी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मैं कई बार झढ़ चुकी थी अब मुझे रहा नहीं जा रहा था।

तभी पानी से कुछ आवाज हुई।
मैं देखी कि वह बुड्ढा आदमी अपने गांड को धोने के लिए पानी में जा रहा था। अपनी गांड को पानी से धोकर वह वहां से चला गया।

फिर हम दोनों मां बेटे वहां झाड़ी से निकाल कर पानी की तरफ आए और अपने कपड़े पहनने लगे। मैंने अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी और बिना पैंटी बरा के कपड़े पहन लिए। राज ने भी अपने चड्डी निकाल कर बिना चड्डी के ही अपने कपड़े पहन लिया।कपड़े बदलते समये हम दोनो एक दूसरे को देखे और मुश्कुरा दिये।

फिर हम दोनों मां बेटे घर जाकर सो गए। जब शाम हुई तो हम दोनों मां बेटे उठकर बाजार के लिए चल दिए तभी शीला भी आ गयी उसके साथ उसके पति भी आए हुए थे।


शीला के पति मुझे देखकर बोले- वाह भाभी जी आज तो आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हो।

तब मैं उनसे कहीं- आपको उससे क्या करना है मैं खूबसूरत लघु या ना लगून?

राज और शीला एक साथ चल रहे थे।
और इधर में और शीला के पति एक साथ शीला के पति मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे थे।

कभी-कभी तो वह अपने हाथ से मेरे गांड को भी टच कर देते थे। मैं सुबह से ही काफी गर्म थी उनका टच मुझे तनिक भी बुरा नहीं लग रहा था।


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फिर हम बाजार में आ गये और बाजार की सारी नजरे मेरी तरफ हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन्हें लुभाने के लिए आई हुई थी। तभी शीला के पति बोले सुनीता जी इस तरह न बन ठन कर निकाला कीजिए आपकी वजह से पूरी बाजार का माहौल गर्म हो जाता है।

तभी मैंने उनसे कहा चलिए चुप रहिए। फिर मैं सब्जी लेने के लिए जैसे ही मुड़ी की मेरा हाथ उनके लैंड से टच हो गया। हाथ तो मेरा गलती से टच हुआ था पर उन्हें लगा कि शायद मैंने जानबूझकर की है इसलिए वह मुझे देखकर मुस्कुराने लगे मैं तो एकदम शर्म से लाल हो गई।
जैसे ही मैं सब्जी लेने के लिए झुकी हुई थी सब्जी वाले का नजर मेरे दोनों चूचियों पर था। और इधर शीला के पति की नजर मेरी दोनों गांड पर। मैं तो शर्म से पानी पानी हो रही थी और गर्मी के कारण गीली भी हो रही थी।

जैसे ही मैं सब्जी लेकर खड़ी हुई वैसे ही शीला के पति का लंड मेरे गांड में घुस गया उनसे मैं टकरा गई वह मेरे पीछे ही खड़े थे मैंने झट से उन्हें पलट कर देखा वह देखकर मुझे मुस्कुराने लगे। मैं उन्हें गुस्से से देख रही थी पर वह मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए अपना जबान होंठ पर फिरा रहे थे।

बाजार में मुझे लगा कि यह तो अपने नजरों से ही मुझे चोद देंगे।

मैं जल्दी ही सब्जी लेकर अपने बेटे के साथ घर आ गई। मैं शाम को खाना बनाने लगी और राज टेरेस पर घूम रहा था।

मैं खाना बना रही थी तभी राज आया और मुझे पीछे से गले लगा कर मेरे गर्दन को चूम लिया।


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मैं- ऑफो राज छोड़ो भी क्या कर रहे हो मुझे खाना बनाने दो?

तभी राज ने कहा -मां मुझे अकेले टहलने में मन नहीं लग रहा है। तबमैंने कहा- तो क्या मैं भी तेरे साथ चलूं खाना कौन बनाएगा?
राज मुझे छोड़ने को राजी नहीं था वह मुझे चूमता ही जा रहा था उसका हाथ मेरे पेट पर लगातार चल रहे थे।
मैं फिर से गर्म होने लगी मेरी बूर फिर से पानी छोड़ने लगी। की तभी फोन की घंटी बजी और हम दोनों अलग हुए। फोन पर मेरे पति थे मैंने थोड़ी देर उनसे बात की वह बिजी थे इसलिए बोले कि बाद में करूंगा और फोन रख दिया।

मैं खाना बनाते-बनाते राज के बारे में सोचने लगी आज जो कुछ भी नदी पर हुआ क्या यह सही था क्या यह होना चाहिए था क्या एक मां और बेटे के बीच यह सब होना चाहिए था?

मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी पर एक मन कह रहा था यह सब गलत है तो दूसरा मन कर रहा था यह सब सही है दूसरे मन का कहना था कि वह मेरा अपना बेटा थोड़े ही है। तब एक मन करता कि वह भले ही अपना बेटा ना हो पर है तो बेटे जैसा ही मुंह बोला ही सही बेटा बेटा होता है बेटे के साथ पति जैसा संबंध नहीं बना सकते।

तब दूसरा मन कहता कि पति अगर परदेस में हो तब खाली बैठने से अच्छा है जो भी मिल रहा है उसी के साथ संबंध बनाकर खुश रहा जाए।

तब मुझे शीला के पति की हरकत याद आउन्होंने जो बाजार में अपना लंड को मेरे गांड में घुसेड दिया था उन्होंने अपने हाथ से जो मेरे गान्ड को दबाए थे उन्होंने।

मैं शीला के पति को नहीं चाहती थी कि वह यह सब करें क्योंकि मैं उन्हे तनिक् भी प्यार नहीं करती थी।

मुझे अपने बेटे से प्यार हो गया था उसके कोमल होंठ उसके मासूम चेहरा उसके मासूम दिल से मुझे प्यार था मुझे उसके एहसास में अपना एहसास मिलता था मुझे उसकी खुशी में अपना खुशी मिलती थी मैं उसी के साथ रहना चाहती थी?

यही सब सोचते सोचते मैंने खाना बना लिया और मैं खाना को टेबल पर लगाने लगी। तब मैं देखी की राज टीवी देख रहा था मैंने राज को आवाज़ लगाई की राज बेटा आ जाओ खाना खा लो फिर सोना भी है।

फिर राज हाथ मुह धोकर आ गया मैं और राज दोनों एक साथ ही खाना खाए और फिर मैं बर्तन धोने लगी और राज को बोली बेटा जाकर तुम सो जाओ।

तब राज ने कहा मां मैं भी तुम्हारे साथ काम कर देता हूं। अरे नहीं बेटा तुम जाओ आराम करो मैं तुरंत काम निपटा कर तुम्हारे पास आती हूं।

यह बस सुना था कि राज एकदम से खुश हो गया और मुझे भी एहसास हुआ कि मैं यह क्या बोल दी मैं उसके पास क्यों जाऊंगी आखिर क्यों? तभी

राज ने कहा -सच में मां आओगी ना मुझे अकेले नींद नहीं आएगी।
मै -ठीक है बेटा मैं काम खत्म करके तुरंत तुम्हारे पास आती हूं।

और फिर मैं जल्दी से काम निपटा कर राज के पास चलि आई।


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राज अभी जाग रहा था मैं जैसे ही राज के पास लेटी उसने तुरंत मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर को मेरे छाती पर रख लिया और बोला मां मुझे तुम्हारे बिना नींद नहीं आती मां।

मुझे राज के साथ रहते हुए अब एक महीना से अधिक हो गया था। राज से मैं कई बार पूछ चुकी थी कि क्या तुम कभी घर नहीं जाओगे तब राज कहता मुझे यहां जितना सुकून कहीं नहीं मिलता मैं कहीं नहीं जाऊंगा जाऊंगा तो सीधा अब ऊपर मुझे नहीं जीना तुम्हारे सिवा?

मैं बोली क्यों बेटा? अगर मैं उस दिन ना मिली होती तब तुम क्या करते?

तब राज बोला- मां उस दिन तुम मिली भी होती और अगर तुम मुझे पुलिस को दे देती तो मैं आत्महत्या कर लेता मुझे नहीं जीना यहां मुझे कोई प्यार नहीं करता।
मैं राज के मासूमियत देखकर पिघल गई और उसके बालों को सहलाते हुए उसके गालों को चूम लिया। राज बेटे तुम्हें मुझ में ऐसा क्या दिख रहा है जो तुम मुझे छोड़ कर नहीं जाना चाहते तुम्हारी कोई शादी अच्छी लड़की से हो जाएगी? तब

राज ने कहा- मुझे आजकल की लड़कियों पर भरोसा नहीं है मां मैं तुम्हारे साथ ही जीवन बिताना चाहता हूं।
आपके और दो बच्चे तो है न इसमें क्या मैं एक नहीं हो सकता?

मैं बोली -क्यों नहीं मेरे बच्चे एकदम हो सकता है तुम मेरे लाडले हो?

और मैं उसके फिर से गालों को चूम लिया। इस बार उसने भी मेरे गालों को कसकर चूम लिया। उसके चुंबन से मैं सिहर उठी।
इसका एक पैर मेरे ठीक योनि के पास सटा हुआ था और उसका लिंग मेरे जांघों से टकरा रहा था उसके गर्म सांसे मुझे गर्म कर रही थी।

मैंने उसके फिर से गालों को चूमना चाहा पर जैसे ही मैं उसके गालों को चूमने की कोशिश की तभी उसने अपना सर उठा लिया और हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।


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हम दोनों एकदम से शर्मा गए और दोनों अलग हो गए।
फिर मुझे रहा नहीं गया और मैं अपने बेटे के बालों में फिर से हाथ फेरना शुरू किया। तभी उसने मुझे फिर से अपनी बाहों में ले लिया। और फिर से हम दोनों का चेहरा एकदम एक दूसरे के सामने था उसके उसके कोमल होंठ ठीक मेरे होंठ के सामने थे मन तो कर रहा था कि बस उसके होठो को अभी चूम लूं।हम दोनों एक दूसरे के आंखों में देख रहे थे हम दोनों के शरीर एक दूसरे से एकदम सटे हुए थे। उसका लिंग का उभार मेरे योनि में महसूस हो रहा था और मेरे चूचियां उसके सीने में दबी हुई थी।धीरे-धीरे हम दोनों और पास आते गए और हम दोनों का होंठ एक दूसरे से मिल गया वह मेरे होठों को एकदम रस लेकर चूस रहा था और मैं उसके निचले होंठ को अपने होंठ से दबा कर चूस रही थी मुझे उसके होंठ चूसते हुए काफी रास आ रहा था मेरी बूर पूरी तरह से गीली हो गई थी।

की तभी मुझे कपड़ों के ऊपर से ही अपनी बूर में किसी की उंगली महसूस किया।


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राज मेरे कपड़ों के ऊपर से बूर में उंगली घुसा रहा था।
मैं उसके होठों को चूस रही थी और उसके पीठ और बाल को सहला रही थी। वह मेरे होठों को चूसते हुए मेरे बूर में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ से मेरे गाल को साल रहा था।

थोड़ी ही देर में राज अपनी उंगली को मेरे नाभि में करने लगा मेरे नाभि में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से मेरी बूर से पानी रिसने लगा ऐसा लगा जैसे मेरे पेट से कोई नल खुल गया हो एकदम से मेरी आंखें बंद हो गई और उसके बाल को जोर से सहलाने लगी उसके होंठ को जोर से चूसने लगी वह मेरे नाभि में उंगली करता हुआ नीचे की ओर जा रहा था एकदम से जाते हुए उसने अपनी उंगली को मेरी बूर के एकदम से निचे तक उतार दिया।

मेरी बूर की क्लीटर्स को वह अपने उंगलियों से मसलने लगा जिससे मुझे बूर में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी और मैं नीचे से पानी पानी होती जा रही थी।

फिर राज मेरे ऊपर चढ़ने लगा मैं उसके मुंह से अपना मुंह को छुड़ाएं और बोली

मै -राज जरा धीरे से...

वह बोला -मां अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं।
और यह बोलते हैं उसने फिर से मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद कर दिया उसने फिर से मेरे होंठ को चूसने लगा इस बार वह अपनी जीभ् को मेरे मुंह में घुसा कर मेरे मुंह को पेलने लगा।

और अब राज अपनी एक हाथ से मेरी चूची को दबाने लगा। मैं तो पूरी तरह से गर्म हो गई थी।

उउउम्म्म्म ऊऊफफ्फ्फ़
आआआअह्ह्ह
ोूह्ह्ह्ह राज
ओफ्फ्फ्फ़
मेरे मुंह से केवल दबी हुई शित्कारी। निकल रही थी।
फिर मैं राज को नीचे लेटा दी और मैं उसके ऊपर जाकर उसके होठों को चूसने लगी। तभी मेरा हाथ उसके लंड से जा लगा है।

मैं महसूस किया कि वह नीचे कुछ भी नहीं पहना था। शायद इसने मेरे आने से पहले अंदर से सब कुछ निकाल कर सोया था। तभी इसकी लंड मेरे गांड में बहुत ज्यादा गढ़ रही थी।

मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके लंड को हल्की-हल्के हिलने लगे। मैं उसके होंठ को चूस रही थी और उसके लन्ड को हिला रही थी।

थोड़ी ही देर में राज ने एक पिचकारी मारी और पूरी तरह से गिला कर दिया। हम दोनों काफी इस खेल में थक चुके थे। मैं भी कई दफा झड़ चुकी थी। मैं राज को बाहों में लेकर उसे चूमते हुए उसके साथ ही सो गई।

सुबह जब नींद खुली तब देखी की राज का लन्ड सुबह-सुबह खड़ा हुआ है। मेरा फिर से मन होने लगा था। हम दोनों एकदम से अस्त व्यस्त हालत में पड़े हुए थे एक दूसरे से लिपटे हुए। तभी

मैं राज के लैंड को हाथ में लेकर फिर से हिलने लगी। राज ने मुझे देखकर फिर से मेरा होंठ को अपने होंठ से मिला लिया।

सुबह-सुबह उसका तो पिचकारी निकालने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं उसके लंड को जोर-जोर से हिलाने लगी। तभी

राज बोला - माँ धीरे से मैंने आज तक इसे नहीं हिलाया है और ना ही किसी को दिया है। मैं समझ गई कि यह अभी कुंवारा है और इसका उद्घाटन मुझे ही करना पड़ेगा।

जब राज का वीर्य हिलाने से भी नहीं निकला तब मुझे उसके लंड को अपने मुंह में लेना पड़ा। अब राज एकदम से छटपटाने लगा मेरे मुंह से लगते हैं उसका लंड एकदम तन सा गया।


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उसके मुंह से बहुत प्यारी सीत्कार निकल रही थी।
ोूह्ह्ह्हह्ह मआआआ आआआह्ह्ह्ह ऊऊओफ्फ्फफ्फ्ऊऊऊओ मआआआ
आअह्ह्ह्ह।

मैं उसके लंड को बड़े ही प्यार से चूस रही थी। मैं उसके लंड को चूसते चूसते वीर्य को बाहर निकाल दी। वीर्य का धार इतना तेज था कि मेरा सरक गया मुझे खांसी आ गई। और उसका लंड से लगातार वीर्य की धार निकलते जा रही थी। मैं इसके लंड को प्यार से चूस रही थी।

फिर वह एकदम से निढाल पड़ गया और मैं उसे अपने बाहों में लेकर उसके होंठ को चूमने लगे।

फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में नहाने लगे।

नहाने के बाद राज थोड़ा सा घूमने के लिए बाहर चला गया। मैं घर पर खाना बनाने लगी कि तभी शीला घर में आई। मेरे मन में थोड़ी बहुत पछतावा भी थी कि मैं अपने ही बेटे के साथ रात में वह सब किया।शीला ने आकर तुरंत मुझे आवाज दिया। कहां हो सुनीता मेरी जान?

मैं उसे बोली- किचन में हूं यहीं पर आ जाओ। शीला आते ही मेरी चूचियों को कस कर दबा दी। मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।


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शिला- यार सुनीता तुम्हारे तो चुचिया काफी टाइट है। कहो तो मैं अपने समर जी से तुम्हारी चूचियों को मसालवा दूं।

मैं बोली- रहने दो उन्हें कहने की जरूरत नहीं वह तो हमेशा ही मसलने को तैयार बैठे रहते हैं।शीला- हां तो मसालवा क्यों नहीं लेती?

मै- नहीं मेरी जान यह तो किसी और के लिए है।

शीला- पर वह तो अभी नहीं आने वाले नही तब तक तो इसे काम चला ले।

मैं -मुझे कोई काम वाम नहीं चलाना तुम ही दिन भर लगी रह उनसे।

शीला- मैं तो दिन भर में चुदाती ही रहती हूं।

मैं- उफ्फ् शीला तुम कितनी गंदी हो गई हो।

शिला- एक बार उनका लेकर देख फिर तुम भी बहुत गंदी हो जाओगी मेरी जान। वैसे भी होली नजदीक आ रही है। जम के इस होली उनके लन्ड से चुद जाओ।

यह सब बातों से मैं एकदम गरम हो चुकी थी पर मुझे पता ही नहीं चला कि कब शीला मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपनी एक उंगली मेरी चूत में कर रही थी?
मेरा बूर एकदम पानीआ गयी थी।
मेरी आंखें बंद हो रही थी। की तभी फोन की घंटी बजी मैं हड़बड़ा आ गई।

मैंने एक झटके में शीला से अलग हुई और जाकर फोन को उठाया। मेरे बेटे का कॉल आया था मैं उनसे बात करने लगी तभी आकाश ने कहा मां हम लोग इस होली आ रहे हैं। यह मेरा बेटा आकाश था जो अभी 18 साल का था। मुझे अपने बेटे से मिले हुए दो-तीन महीने हो चुके। मैं भी उनकी बेसब्री से इंतजार कर रही थी इस होली मेरे बेटे और (बेटी 20साल् कि है) दोनों आने वाले थे पर मुझे एक बात की समस्या थी और वह था राज मैं राज के बारे में उन लोगों को कुछ नहीं बताई थी।

मैं इस बात को शीला से कहा तब शीला ने मुझे कहा तुम डरती क्यों हो सुनीता? राज तुम्हारा बेटा है कोई बॉयफ्रेंड नहीं और शीला हंसने लगी।

पर इस बात को तो मैं ही जानती थी कि राज मेरा बॉयफ्रेंड भी था पति भी था और बेटा भी था और लाडला भी

राज तो मुझे कहीं भी पकड़ कर किस कर लेता है बाहों में पकड़ लेता है अब उनके सामने अगर कर लिया और पकड़े गए हम दोनों तब क्या होगा? मैं यही सब सोच रही थी कि तभी शीला ने मुझे झकझोरा।

शीला बोली- अरे सुनीता कहां खो गई?
मैं बोली कहीं नहीं।
तब
शिला बोली- तुम चिंता मत करो आने दो तुम्हारे बेटे और बेटी को मैं उन दोनों को सब समझा दूंगी।


धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे।
🙏

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