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Incest मुहबोला बेटा से प्यार पार्ट1

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Raaj Avani

Incest Lover
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।। मुहबोला बेटा से प्यार।।
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।मुहबोला बेटा से प्यार।।
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Desi lugai

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#UPDATE 3

मुहबोला बेटा से प्यार S1
#UPDATE 3

अब तक अपने पढ़ा की मेरे बेटा और बेटी शहर से आने वाले थे और मै घबराई हुई थी। तभी शिला ने कहा की सरी बात को वह संभाल लेगी। अब आगे।

होली को अभी एक हफ्ता टाइम था। कि आज के दिन मेरे बेटा और बेटी आने वाले थे। मैं सुबह-सुबह उनके लिए कुछ अच्छे खाने का इंतजाम कर रही थी और मेरा बेटा राज अपने दोनों भाई-बहन का इंतजार करता बैठा हुआ था। तभी सुबह-सुबह शीला भी आई, आते ही मेरे बेटे के सामने ही मेरी चुचिया दबा दी।

शीला मजाक मत कर क्या कर रही है यही राज बैठा हुआ है?मैने धीरे से कहा

तभी शीला बोली- तो क्या हुआ राज भी तो देखे उसकी मां का कितना कड़क कड़क चुचिया है और हंसने लगी?

मैं बोली- तुम नहीं सुधरने वाली।
की तभी सुबह-सुबह मेरे बेटे और बेटी घर में आए।



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आते हैं दोनों मुझसे लिपट गए। मेरी बेटी मुझे पीछे से पकड़ ली और मेरा बेटा आकाश मुझे आगे से कस के दबा लिया। मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थी। उन दोनों के प्यार देखकर तो मेरे आंसू आ गए वहीं पर शीला भी बैठी हुई राज के साथ हमें देख रही थी।

तभी शीला बोली -कि वहां सारा प्यार अपने माँ को ही दे दोगे कुछ प्यार हमें भी दे दो।

तभी आकाश(मेरा अपना बेटा)- बोला क्यों नहीं शीला आंटी मैं अभी आपको देता हूं?


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तभी आकाश गया और शीला को कस के आगे से हग कर लिया उसकी पूरी चुचिया ही दब गयी।

शीला की मुंह से एक जोर की आह निकल गई। यह देखकर हम मां बेटी हंसने लगी।

मेरा बेटा आकाश 18 साल का गबरू जवान हो चुका था वह तो शीला को अपनी बाहों में ऐसे पकड़ा हुआ था जैसे वह उसे छोड़ेगा ही नहीं वही चोद देगा।

मेरी बेटी सौम्या यह भी एकदम जवान हो गई थी और एकदम मुझ पर गई थी इसकी गोरी चिट्टी शरीर देखकर तो किसी का भी खड़ा हो जाएगा यह मुझे पकड़ कर मेरे पेट को सहला रही थी मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगाई और बोली क्या कर रही है बेटा मैं तेरी मां हूं यह सब क्या करती है?

तभी सौम्या बोली- मां आपकी तो खूबसूरती देखकर मैं दीवाना हो गई अगर मैं लड़का होती तो मैं आपको जरूर पटा लेती, ऐसे ही चिपकी रहती और आपसे खूब प्यार करती और सौम्या ने मेरी गर्दन और गाल पर किस कर दी।
मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगायी और
बोली- पटना में रहकर तुम एकदम से बिगड़ गई।

फिर सौम्या बोली- मां तुम चीज ही ऐसी हो यार छोड़ने का मन ही नहीं करता।
तभी शीला बोले तुम दोनों भाई-बहन का अगर प्यार हो गया हो तो जरा इसे भी मिलो।
शीला ने राज को बताते हुए कहा कि यह राज है और यह तुम्हारे माँ का मुंह बोला बेटा है।
यह सुनन्ना था कि मेरे दोनों बेटे बेटी का आंख चौड़ा हो गया मुंह खुल गया वह दोनों एकदम हैरानी से देख रहे थे और राज एकदम मासूमियत से बैठा हुआ था।
तभी शीला बोली- अरे ऐसे क्या देख रहे हो तुम दोनों का भाई है?
राज की मासूमियत देखकर उन दोनों ने भी अपने आप को खो दिया और जाकर राज को गले लगा कर बोले राज आज से तुम मेरे भाई हो आकाश राज को गले लगा कर एक किस कर दिया उसके माथे पर

तो वही सौम्या राज को आगे से गले लगा कर उसके गाल पर किस कर दी।

मैं अपने बेटे बेटियों का प्यार देखकर फुले नहीं समा रही थी मेरे आंखों में आंसू थे।
तभी शीला बोली अरे सुनीता तुम्हें क्या हो गया अपने बेटे बेटियों को खाना खिलाओ आज खुशी का दिन है?

तभी मैंने तीनों को बोला है कि बेटे तुम लोग हाथ मुंह धो कर आकर टेबल पर बैठो मैं खाना लगती हूं।

शीला मेरी मदद करने लगी मैंने तीनों बच्चों को खाना खिलाया फिर बाद में मैं और शीला भी खाना खाए।

अभी होली में एक हफ्ते समय था। तभी मैं बैठकर सोच रही थी।

राज के साथ में अब आगे कैसे मिलूं उसके साथ मैंने चुम्मा चाटी और एक दूसरे के गुप्तांग सलाना और चूसना तक ही हुआ था अब मैं उसके लिंग को अपने योनि में लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी मेरी बूर से रस टपक रही थी पर मैं आकाश और सौम्या घर में होने के कारण कुछ नहीं कर पा रही थी वही राज भी अब अकेले थोड़ा मायूस्सा रहता था पर वह तो अपने भाई बहन के साथ खुश था।

अब राज अपने दोनों भाई-बहन के साथ सोता था मैं अकेली ही सोती थी।

ऐसे ही समय बीतता गया और होली के एक दिन पहले जिस दिन होलिका दहन थी उसकी तैयारी चल रही थी।

पूरे मोहल्ले के लोग तैयारी में जुट गए थे होलिका दहन करने के लिए। हर जगह फगुआ गाया जा रहा था सभी बच्चे खुश थे औरतें और पुरुष सभी लोग होलिका दहन जलाने के लिए गंगा किनारे की तरफ जाने वाले थे।

गांव से थोड़ा बाहर निकलने पर खुले गंगा का विस्तृत मैदान था वहीं पर होलिका दहन का प्रोग्राम किया गया था सभी बच्चों ने होलिका दहन जलाने के लिए पूरा ऊंचा जलावन जमा कर रखा था जिसे आज शाम 8:00 बजे जलाने वाले थे।

मैं भी तैयारी कर चुकी थी अपने तीनों बच्चों को खाना खिलाकर उनसे बोल दी कि चलो आज होलिका दहन देखने चलना है। आज पूरा गांव होलिका दहन जलाने में व्यस्त रहता है तो वहीं कुछ लोग को की आज बाहर हो जाती है। देवरा अपने भोजी से मजाक करता है तो वही जिसकी गर्लफ्रेंड होती है वह बॉयफ्रेंड अपने गर्लफ्रेंड से मजाक करता है।और तो और बूढ़ो का भी बहार हो जाता है अपनी पड़ोस के नई दुल्हनो को रंग लगाते है।


फगुआ गाते बजाते गांव के लोग बाहर होलिका दहन जलाने के लिए जाने लगे तभी शीला मुझे आवाज देने लगी

शीला - सुनीता चलो होलिका दहन जलाने के लिए जाया जा रहा है नहीं चलना है क्या?


तभी मैं बोली- हां हां आ रही हूं बस हो गया मेरे तीनों बच्चों होलिका दहन देखने के लिए निकल चुके थे मैं भी शीला के साथ है ही चल दी।

शीला के साथ उसके पति भी थे। और मुझे देखकर काफी मुस्कुरा रहे थे। मैं भी उन्हें देखकर थोड़ा मुस्कुराई। तभी वो मेरे पास आकर बोले

समर- क्या बात है सुनीता जी आज तो आप रात में भी एकदम चांदनी की बहार लग रही हो मन कर रहा है यहीं पर आपको....


मैं बोली- क्या मतलब है आपका?
तभी समर जी बोले सब आप जानती हो और मुझसे मतलब पूछती हो और धीरे से मेरी चुतड पर एक चपत लगा दी।
मेरे मुंह से हल्की आह् निकल गई।

थोड़ी ही देर में हम लोग होलिका दहन के पास पहुंचे सभी लोग गाना बाना बजाते हुए होलिका का दहन करना शुरू कर दिया सभी बच्चे अपना होलरी मे आग धारा कर उसमें चारों ओर भांजने लगे यह नजारा काफी खूबसूरत है।

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मेरे बेटे और बेटी काफी खुश लग रहे थे और मैं उन्हें देखकर खुश हो गई।

वहां पर काफी भीड़ थी जिसके वजह से मैं शीला और शीला के पति पीछे खड़े हुए थे और वहां पेड़ के पास थोड़ा अंधेरा था तभी शीला के पति ने मेरे चुतड़ पर हाथ रख दिए और धीरे-धीरे उनका उंगली मेरा गान्ड के दरार में घुसने लगी।

वह मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे। मैं भी कुछ कह नहीं पा रही थी आज का दिन देवर भाभी का मजाक का हि दिन होता है।

तभी समर जी का हिम्मत और बड़ा और उन्होंने मुझे अपने हाथों से पूरा कमर में डाल दिए और अपनी बाहों में लेने लगे। उनका एक हाथ मेरी नाभि में चलने लगे मेरी तो जैसे अब आंखें ही बंद होने लगी थी।


तभी मेरी नजर शीला भर गई उसकी भी चेहरे पर एक अजीब सी वासना थी ऐसा लग रहा था कि उसे भी कोई कुछ कर रहा हो। तभी मैंने देखा कि शीला अपनी गांड को किसी के लंड पर रगड़ रही थी वह आदमी उसके पीछे ही खड़ा हुआ था और उसे पूरा मजा ले रही थी शीला।

अब इधर समर जी की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और उनकी उंगली अब मेरी नाभि से होते हुए बूर की तरफ जा रही थी।
तभी मेरा बेटा राज मेरे पास आया और बोला मां चलो ना मेरे साथ। मैंने झटके से समर जी को अपने से दूर किया और राज के साथ चल दी।

मैंने राज से कहा बेटा मुझे कहां ले जा रहे हो उधर देखो होलिका दहन खत्म होने वाली है और सभी लोग घर जाने वाले हैं?

तब राज ने कहा मां चलो तो।
तभी राज ने मुझे भीड़ से थोड़ी दूर पर एक बालू के ढेर के पास ले आया।

बालू के ढेर के उस पार जाने पर कोई लोग उधर नहीं था बस हम मां बेटे और रात की चांदनी थी।

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मैं राज की मन को समझ गई थी कि वह क्या चाहता है दरअसल एक हफ्ते से हम दोनों मां बेटे ने मिलन नहीं हुआ था जिस वजह से मैं भी काफी ज्यादा उत्सुक थी और तुरंत राज से लिपट गई मुझसे रहा नहीं गया?

राज मेरे कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे मेरे कमर को सहला रहा था तो वही मैं अपने बेटे राज की बालों को सहलाते हुए उसके होठों को कसकर चूम रही थी।

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बालू के ढेर के इस पार हम दोनों मां बेटे का चुम्मा चाटी चल रही थी तो वही बालू के ढेर के उस पार लोग होलिका दहन का त्यौहार मना रहे थे।

उधर होलिका दहन जल रही थी और इधर हम दोनों मां बेटे के अंदर की वासना जल रही थी।

अब राज अपने दोनों हाथ से मेरे गान्ड को धीरे-धीरे सहलाते हुए मेरे गांड के छेद तक अपनी उंगली को पहुंचा दिया था।

राज मुझसे अलग हुआ और मेरे चेहरे को देखने लगा मेरा चेहरा चांदनी रात में काफी चमक रही थी तो वहीं राज का भी चेहरा एकदम से चमक रहा था उसका होंठ एकदम कोमल लाल लग रहा था।

फिर राज बैठ गया और मेरे नाभि को कसकर अपने दांतों से काटा मेरे तो मुंह से एक कश की आह निकल गई।
आआआह्ह्ह्हहा......

बेटे के इस हमले से काफी उत्तेजित हो गयी और उसके सर को सहलाने लगी राज अपने जीभ से मेरी नाभि में कसकर घुसाना चालू कर दिया मेरे पेट में काफी हलचल होने लगी थी वहीं बूर से रस टपकने लगा था।

फिर राज ने बोला मां तुम इस बालू के ढेर पर लेट जाओ। मैं ठीक वैसे ही किया। तभी राज ने मेरा साड़ी को कमर तक उठा दिया। और मेरे पैंटी को अपने दांत से काट दिया। मेरी तो कस के एक आह निकल गई।
अअअअअअअअह्ह्ह्हह......


फिर राज ने अपने हाथों से मेरी पैंटी को निकाल दिया और अपनी जीभ को मेरी बूर के क्लीटर्स पर हल्के-हल्के घूमना से चालू किया।

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मेरी तो उत्तेजना में आंखें ही बंद हो गई थी। राज मेरी बूर को चट्टता ही जा रहा था। आज मैं उसके इस बुर चटाई से एकदम उत्तेजित हो गई थी। तभी राज ने फिर उठा और मेरी नाभि पर किस किया और गर्दन पर किस किया और मेरे ऊपर आ गया। और फिर से हम दोनों के होंठ से होंठ मिल गए।

मैं राज के होंठ को चूसते हुए उसके लंड को सहला रही थी।
फिर राज मेरी सारे कपड़े निकल दिया और मुझे नंगा कर दिया।
हम दोनो बालू के ढेर के पीछे नंगे एक दूसरे मे लिपटे हुए किस कर रहे थे।
और उधर लोग होलीका दहन मना रहे थे।

तभी मेरे बूर पर किसी गर्म सरिया महसूस हुआ, वो मेरे बेटे का लंड था, जो अब मेरी बूर मे घुसना चाहता था।


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मेरी तो चीख निकल गयी जब उसने धक्का मरा ऊईफ्फफ्फ्फ़ अअअअअअअह्ह्ह्ह बेटा जरा धीरे से....
आअह्ह् मा थोड़ा बरदास करो।
फिर राज मेरे होंठ को चूसते हुए चोदने लगा।


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लोग होलिका दहन के जश्न मे डूबे हुए थे, और मेरा बेटा खुले आसमान मे मुझे चोद कर अनंत सुख दे रहा था।

मेअ अपनी आँखे बंद करके मजा से उसके होंठ चूस रही थी और मेरा बेटा मेरी बूर को चोदते हुए, मेरी चूचियाँ दबा रहा था।


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कभि मैं उसके ऊपर तो कभी वो मेरे साइड से लगातार चोद रहा था।
हम् दोनो चुदाई मे मस्त डूबे हुए, थे।
तभी गाने बजाने शोर शराबा कम होने लगा , मैं समझ गयी की लोग अब घर जा रहे है।
तभी राज ने जोर जोर से चोदना शुरु किया।


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और् थोड़ी देर मे हम दोनो झाड़ कर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।

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जब सभी लोग चले गय, तब पहले राज को घर भेज दी ,
फिर् मैं घर आई।

उस रात जब मैं घर पहुंची तो देखी की आकाश सो चुका था सौम्या इंतजार कर रही थी मुझे घर पहुंचते ही सौम्या ने मुझसे पूछा
क्या हुआ माँ कहां रह गई थी अभी तक?

तभी मैंने कहा कहीं नहीं बेटी वह शीला के साथ थोड़ी देरी हो गयी।

फिर मैंने कहा अच्छा बेटी चलो जल्दी से सो जाते हैं कल सुबह जल्दी उठकर तैयारी भी करनी है सुबह होली है।

मेरे साथ ही चिपक कर सोई हुई थी। उसकी चूची और मेरी चूची दोनों आपस में टकरा रही थी।
उसकी एक टांग मेरी योनि से सटी हुई थी।

तभी सौम्या ने मेरी गाल पर एक हल्की सी किस कर दी।

मैं उससे बोली क्या करती है चलो जल्दी से सो जाओ?

तभी सौम्या बोली- यार मम्मी अगर मैं लड़का होती ना तुम्हारे होंठ चूस लेती और मैं तुम्हारे साथ वह सब करती जो एक लड़का लड़की के साथ करता है।

तब मैंने उससे कहा- अच्छा तो पटना में तुम यही सब करती हो। और बताओ क्या-क्या किया अब तक तुमने तो सारी इज्जत को मिटा दी होगी?

तब सौम्या ने कहा -अरे नहीं मां मैं अब तक ऐसा कुछ नहीं किया बस एक बॉयफ्रेंड है उसे कभी कभार बात हो जाती है एक दो बार मिलना भी हुआ है बस किस तक हम दोनों सीमित रह चुके हैं।

अच्छा तुम मेरी बेटी इतनी होशियार हो चुकी है। और मैंने उसके गाल पर एक प्यार से चपट लगा दी।

मैं बोली की चल अब सो जा ज्यादा बात मत कर तभी उसके ब्वॉयफ्रेंड ने वीडियो कॉल किया। तब मैंने कहा मोबाइल को साइड में रख और सो जा।

फिर सौम्या बोली। मम्मी प्लीज एक बार बात करने दो ना यहीं पर थोड़ा सा बात करके फोन ऑफ कर दूंगी प्लीज मम्मी।

मैं बोली चल ठीक कर ले। फिर सौम्या कॉल उठाकर बात करने लगी।

कॉल उठाते हैं
उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- हेलो जान कैसी हो।

फिर सौम्या ने बोली- मैं ठीक हूं तुम बताओ कैसे हो और क्या कर रहे हो?

बॉयफ्रेंड- बस ठीक हूं मेरी जान और तुम्हारी याद में हिला रहा हूं

यह शब्द सुनकर हम दोनों के कान खड़े हो गए। मैं झूठ मूठ कर आंख बंद कर ली सोने का नाटक करने लगे। सौम्या तुरंत मुझे पलट कर देखी मैं सोने का नाटक कर रही थी।

तब सौम्या ने कहा- यार तुम तो मुझे मरवा ही देते बगल में ही मम्मी लेटी हुई है और तुम ऐसी बातें कर रहे हो।

तब उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो तुम्हारी मम्मी कैसी है।

क्यों मुझसे मन नहीं भर रहा क्या जो मम्मी को देखोगे?

बॉयफ्रेंड- अरे नहीं मेरी जान जब से तेरी बूर में लंड डाला है तब से बेचैन हूं। दोबारा तो तुमने कभी दी ही नहीं मुझे बस खाली चुम्मा दे कर दूर हो जाती है।

यह सब शब्द सुनकर मेरे तो फिर से गर्मी बढ़ने लगी थी माय गॉड कैसी बेटी है मेरी एकदम से छिनाल हो गई है मैं आंखें बंद कर सोने का नाटक कर रही थी।

तभी उसका बॉयफ्रेंड यार जान दिखाओ ना एक बार तुम्हारी मम्मी को।

तब सौम्या ने मोबाइल को मेरी तरफ किया।

बॉयफ्रेंड- यार यह तेरी मम्मी है। यह तो तुमसे भी बवाल है यार। इतनी मस्त है इसकी चेहरा इतनी खूबसूरत है तो और कितना खूबसूरत होगा।

तभी सौम्या बोली- अच्छा जी अब मेरे जनाब का दिल मेरी मम्मी पर आ गया।

बॉयफ्रेंड- अरे नहीं यार प्यार तो मैं तुमसे करता हूं पर क्या करूं तुम्हारी मम्मी को देखकर तो मेरा दिल ही बैठ गया मन कर रहा है अभी इनके पास आकर लेट जाऊं?

सौम्या- ओ जनाब अब बस भी करो कल होली है होली खेलने आ जाना तब मुझे और मेरी मम्मी दोनों का रंग लगा देना।
बॉयफ्रेंड- रंग तो मैं जरुर लगाऊंगा जान पर रंग के साथ में तुम्हारी मम्मी का मालपुआ भी खाऊंगा।
सौम्या- अच्छा जी अब आप मेरी मम्मी का मालपुआ भी चाहेंगे। चलो ठीक है कल आओ फिर देखते हैं। फिर कॉल कट कर दी।

मैं तो उनकी बातें सुनकर एकदम से गर्म हो गई थी और उससे भी ज्यादा हैरान थी कि मेरी बेटी कितनी गंदी हो गई है गंदी गंदी बातें कर रही थी वह भी अपनी मां के बारे में।।

जैसे ही सौम्या मेरी तरफ मुड़ी। वैसे ही मैंने अपनी आंखें खोली और पूरे गुस्से में थी। और उसे एक चपत लगाते हुए बोली। तुम इतनी बिगड़ गई हो मां के बारे में यह सब बातें करती हो और तो और तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ सब कुछ कर चुकी हो।

तब सौम्या बोली- अरे मां आजकल यह सब कौन नहीं करता और तो और आप इतनी खूबसूरत और जवान हो मेरे बॉयफ्रेंड का दिल तो आप पर ही आ गया और यह कहते हुए उसने कस के मेरी होठो को अपने दांत से काट दिया?

मैं बोली तुम बहुत बिगड़ चुकी हो चलो अब जल्दी से सो जा सुबह उठकर हमें पकवान भी बनाने हैं।

और हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए। 🙏

धन्यबाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे जो होली स्पेशल है।

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Desi lugai

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#UPDATE 4

मुहबोला बेटा से प्यार S1
#update4

आज होली है और सुबह से ही काफी चहल पहल थी चारो ओर।
मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों मिलकर सुबह खाने की तैयारी करने लगे पूआ पकवान बनाने लगे और मेरे दोनों बेटे उठे, मुझे और सौम्या को गले लगाए और Happy holi, बोल कर गाल चूम लिया, फिर होली खेलने के लिए बाहर जाने लगे।


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बाहर काफी शोर सराभा हो रहा था कोई किसी को रंग लगा देता तो कोई बुजुर्ग आदमी उसे गाली देने लगता।

एक बुजुर्ग की आवाज आई। अरे तुम्हारी माइ के बूर चोदो तुम सभी को इधर ही रंग लगाना है।

तभी कुछ लड़के उन्हें बोलते हैं- अरे बाबा बुरा ना मानो होली है।

तभी बुजुर्ग की आवाज आती है- अरे सब रंगवा तोहरी माई के बुरिया में डाल देंगे भागता है कि नहीं साला हमारे संग होली खेलना है तुम सभी को?
मै और सौम्या ये आवाज़ सुनकर हसने लगे।

हमारे मोहल्ले के लड़के काफी बदमाश थे वह लोग किसी को छोड़ते नहीं थे नई नवेली भाभी हो या आंटी हो हर किसी को रंग लगा देते थे यहां तक की कोई आंटी अगर थोड़ी भी शरारत की तो उसकी दोनों चूची और बूर में रंग लगा दिया जाता था।

मैं तो इन शरारती लौंडो से बचकर ही रहती थी। मुझे आज भी पिछले साल की होली याद है। जब मैं इन लड़कों की बीच में फंस चुकी थी।

मुझे याद है कि मैं पूरी रंग से गीली हो चुकी थी और जब अपने घर वापस लौट रही थी तब इन लड़कों की टोली ने मुझे पकड़ लिया और मुझे रंग लगाने लगे मैं उन्हें बोल रही थी कि छोड़ दो मुझे घर जाना है पर

वह लोग बोले कि- कहां आंटी थोड़ा सा तो रंग लगाने दो? वही उसी लड़के में से कोई बोल रहा था यार आंटी तो काफी चिकनी और गोरी है इनके गाल के साथ-साथ पेट और जांघों पर भी लगा दो रंग यार।

मैं भी कहां कम थी मैं पकड़ कर उनके गालों पर रंग लगाने लगी? अभी वो लोग मेरे गालों पर रंग लगा रहे थे साथ ही साथ वह लोग मेरे पेट और गर्दन पर भी रंग लगा रहे थे उनमें से कई लोग तो मेरी चूची को भी दबा चुके थे।
एक लड़के ने शरारत की और उसने मेरी बूर को कपड़े के ऊपर से ही दबा दिया मैं काफी चटपटा गई और तुरंत उन लोगों को एक तरफ कर दी और वहां से भाग निकली।

तभी एक बुजुग बोले अरे बेटा ये तुम लोग से बच गयी।

पिछले साल में किसी तरह मैं लड़कों से अपनी जान बचाकर भाग निकली लेकिन उन लोगों ने जाते-जाते मुझे बोला ओ हमारी चिकनी आंटी अगर आप अगली होली मिलेगी तो हम पक्का आपका उद्घाटन कर ही देंगे।

बुजुर्ग फिर बोले-तुम्लोग् से तो इस मोहल्ले की कोई औरत ना बची पर ये बच गयी।

तभी एक ने बोला-ओ दादा इतनी मस्त माल हमारे मोहल्ले में हो और बच जाए यह तो हो ही नहीं सकता।

मैं तो पिछले साल की सोच सोच कर ही डर रही थी कि इस साल क्या होगा वह चार बंदे बहुत ही खतरनाक थे?
इस मोहल्ले की कई औरतों को वह लोगों ने चोद चुके थे।

तभी हम दोनों मां बेटे का खाना बनाना हो गया और सौम्या मुझे प्यार से बोली कहां खो गई थी मां सपनों में किसके साथ होली खेल रही थी?

मैं बोली कहीं नहीं चल तू अपना काम कर।

तभी बाहर से मेरे दोनों बेटे राज और आकाश होली खेल कर आए।
मै देखी कि यह दोनों पूरे लिटाये हुए थे तब मैंने इन्हें कहा अरे बेटा जाओ पहले दोनों अपने आप को साफ करो और खाना खा लो उसके बाद होली खेलना।
सौम्या उन्हे देख कर खूब हस रही थी।

मैं देखी की आकाश से ज्यादा राज लिटाया हुआ था राज को कोई बुरी तरह से पूरा अंदर तक रंग लगाया हुआ था।
तब मैंने कहा आकाश जाओ तुम रंग को साफ करो और राज बेटा तुम मेरी बाथरूम में जा और साफ कर ले।

और सौम्या से कहा- बेटा तुम खाना लगाओ मैं थोड़ा राज को देखकर आती हूं वह ज्यादा लेटाया हुआ है।

सौम्या मुझे देखने लगी तब मैं सौम्या से कहा अरे बेटा क्या हुआ तू खाना लगाना?

और मैं राज के पास चली गई। मैंने देखा राज अपने आप को पूरा साफ करने की कोशिश कर रहा था उसके पूरे अंदर तक कीचड़ भरा हुआ था।

मैं राज को पूरी तरह से नंगा किया और उसे पूरी तरह से साफ करने लगी।

राज ने कहा- मां मैं कर लूंगा।

मैंने कहा चुप कर और मुझे साफ करने दे फिर मैंने उसे पूरी तरह से साफ किया और मैं बाहर आ गई।

बाहर आई तो देखी सौम्या आकाश को खाना परोस रही थी तब मैं सौम्या से कहा कि दूसरा प्लेट भी लगा दे राज आ रहा है वह भी तैयार हो गया।

फिर हम सभी एक साथ खाना खाए और और मैं काम करने लगी
तभी मेरे पास सौम्या और आकाश आए और बोली चलना मां बाहर होली खेलने चलते हैं।

मैं बोली तुम लोग जाओ मुझे बाहर होली खेलने नहीं जाना है मैं यही ठीक हूं।

आकाश राज के पास गया और
बोला- राज चल बाहर चलते हैं होली खेलने

तब राज ने कहा- नहीं भैया मुझे होली नहीं खेलना वह लोग पूरा कीचड़ में मुझे लेटा देते हैं।

तब आकाश और सौम्या दोनों बाहर चले गए होली खेलने के लिए अब घर में सिर्फ मैं और मेरे बेटे राज ही रह गए थे।

फिर मैं बाहर की दरवाजा को बंद की और और अपने बेटे राज से कहा कि बेटा तुम्हें होली नहीं खेलना है क्या?

तब राज ने कहा नहीं मां मुझे होली नहीं खेलना वह लोग मुझे पूरा कीचड़ में लेटा देते हैं मैं यही ठीक हूं। उसकी मासूमियत को देखकर मैं बोली अच्छा मेरे राजा बेटा को होली नहीं खेलना, चल कोई बात नहीं मैं तुम्हें केवल गाल पर गुलाल लगाकर होली खेलती हूं।

मैं गुलाल को अपने हाथ में लगाइ और उसके गालो पर लगाने लगी।
राज ने भी अपने हाथ को मेरे हाथ से मिलाया और मेरे हाथ का लगा हुआ कुछ गुलाल मेरे गाल पर रगड़ने लगा।



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फिर मैंने शरारत की और उसके कपड़े को उठाकर उसके पेट में रंग लगा दी।

तभी राज ने मुझे कस के पकड़ा और दीवाल से चिपकाते हुए अपने गाल को मेरे चूचियों पर रगड़ने लगा।

मैं हंसने लगी वह भी खील खिला रहा था।

हम दोनों मां बेटे एक दूसरे को देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे
तभी राज ने धीरे से अपना होंठ को मेरे होठो पर लाकर रख दिया। मैंने प्यार से उसके होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगी।

मैं दीवार से सटी हुई थी और वह मेरे से सटा हुआ मेरे होंठ को चूस रहा था।
मैं उसके पीठ को तो कभी उसके बाल को सहला रही थी तो वही मेरे बेटे का हाथ कभी मेरे नाभि में तो कभी मेरे चूची को दबा रहा था।


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मैं अब अपने बेटे के आगोश में बिल्कुल गर्म हो चुकी थी।
बाहर होली का शोर सराभा और गाली सुनाई दे रहा था तो इधर हम दोनों की केवल चुम्मा चाती की आवाज आ रही थी।

तभी राज ने मेरे साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और धीरे से मेरी ब्लाउज का बटन खोल दिया और मैं सिर्फ ब्रा में हो गई।

उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को काटना शुरु कर दिया। मेरे पूरे शरीर में बिजलीया दौड़ गई मेरे बेटे के इस तरह काटने से मैं तो पूरी तरह से सिहर उठी थी।

थोड़ी ही देर में मैंने अपने बेटे का पेंट खोल दिया जिससे उसका लोअर पूरा नीचे गिर गया और वह अब केवल चड्डी में था।

मैं उसके मोटे से लन्ड को चढी के ऊपर से ही सहला रही थी और वह मेरी होठों को चूस रहा था और मेरे स्तन को दबा रहा था।

तभी उसने मेरे ब्रा का हूक् खोल दिया और मेरे दोनों चुचिया आजाद हो गई और दोनों चुचिया को उसने अपने हाथों से पकड़ कर दबाने लगा।
मैं पूरी तरह से सीहर उठी अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और उसे अपने चूचियों को चूसने को बोल रही थी चूस बेटा अपनी मां की चूचियों को चूस।

मैं वही दीवार से सटे खड़े हुए अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और बेटा मेरी चूचियों को कभी चूस रहा था तो कभी काट रहा था।

थोड़ी देर में मेरे बेटा थोड़ा और नीचे गया और अपना जीभ को मेरी नाभि में डालने लगा मैं एकदम से सीहर उठी।

ऊओ बेटा आआह्ह।

फिर मेरे बेटे ने मेरे साड़ी को खोल दिया और धीरे से मेरी साया का डोरी को खींचकर खोल दिया और साया एकदम से नीचे गिर गई मैं अब केवल पैन्टी में थी कि तभी उसने पैंटी को जबान से काटा और दांत से खींच कर नीचे उतार दिया थोड़ी ही देर में मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी।

फिर उसने अपने चड्डी को भी नीचे सरका दिया और उसका लंड एकदम से हवा में लहराने लगा मैं उसके लंड को हाथ में लेकर खड़ी थी कि वह मेरे मुंह के सामने आया और मेरे मुंह में अपना जबान डालकर चूसने लगा।

मैं उसको लन्ड को हिला रही थी और वह मेरी बूर को सहला रहा था और हम दोनों मिलकर एक दूसरे के मुंह मे जीभ डाले हुए थे। कभी वह मेरे मुंह में अपना जीभ् डालकर पेलता तो कभी मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर चुसता हम दोनों की यह होली काफी मजेदार हो रही थी।

फिर राज ने-अपने लंड को मेरे बूर पर सेट करने लगा मैं अपने टांग को थोड़ी सी फैला दी और दीवाल से सटे खड़े हुए उसने अपने लंड को मेरे बूर में डालने लगा,


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मैं उसके बाहों में पड़ी हुई थी।
वह मुझे दीवार से सटाये खड़ा किया था और अपना लंड को एक तेज झटका के साथ मेरे बुरे में घुसा दिया आआहहह की आवाज हुई


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तभी उसने मुझे अपने बाहों में पकड़े हुए अपने होंठ से मेरे होंठ को दबा दिया और फिर धीरे-धीरे वह धक्के लगाने शुरू किया ऐसे ही करते हैं वह मुझे खड़े-खड़े ही पेलने लगा और

बोलने लगा -ओह्ह्ह मां तुम्हारी कितनी मस्त बूर है मेरा तो लंड जैसे स्वर्ग में जा रहा है आआह्ह्ह मां और कभी मेरी गाल को काटता तो कभी होंठ को काटता तो कभी गार्डन को चूमता था आआह्ह मां और पेलते रहता
उसकी हर एक धक्को से मेरी चूचियां ऊपर नीचे होती।


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हम दोनों मां बेटे इस चुदाई का आनंद होली में खड़े-खड़े ही ले रहे थे कि तभी

राज ने बोला- मां मैं सोफे पर बैठता हूं तुम मेरी ऊपर आ जाओ


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फिर राज सोफे पर बैठ गया और मैं उसके ऊपर आ गई और लंड को अपने बुरे में ले ली। फिर मैं ऊपर से उछालना शुरू की और मेरी चूचियों को उसके मुंह में दे दी वह बड़े प्यार से मेरी चूचियों को चूस रहा था और मैं बड़े प्यार से उसके लंड को अपने भीतर ले रही थी कभी उसके माथे को चूमती तो कभी उसके बाल को सहलाती वह तो बस मेरी चूचियों को चूसते जा रहा था। मेरी बूर में उसके लंड के धक्को से काफी हलचल मच रही थी एकदम से मेरी चुत पानी पानी हो रही थी फिर उसने मेरी चूचियों को छोड़ा और मेरे मुंह को चूमते हुए बोला मां तुम सोफे पर झुक जाओ मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूं।

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फिर मैं उसके ऊपर से उठी जैसे ही उठी उसके लंड गप्प् से मेरे बुर से बाहर निकली और मैं सोफे पर झुक गई वह मेरे पीछे आया और लंड को बूर में घुसा दिया मैं एकदम से सीहर उठी वह मेरे ऊपर झुक गया और मेरे गालों को काटते हुए कभी मेरे पीठ को चुमते हुए पीछे से धक्के लगना शुरू किया एकदम से धक्के लगा रहा था मैं आआआह्ह ओह्ह्ह की आवाज कर रही थी कि

तभी डोर बेल बजी पर हम दोनों मां बेटे को कोई शुद्ध नहीं रही और राज धक्के लगाता रहा और मैं उसे चुदवाती रही उसके लंड की हर एक धक्का के साथ मेरे मुंह से एक जोर की आआह्ह निकलती और वह लगातार धक्के लगाते जा रहा था।

हम दोनों चरम सीमा पर थे वह मुझे पकड़ कर मेरे गालों को चुमते हुए। चोदते जा रहा था। फिर एक आखिरी धक्का लगाया और बोला आआअह्ह्ह मां।
राज मेरे ऊपर निदाल हो गया। फिर से डोर बेल बजी।

हम दोनों मां बेटा उठै और अपने-अपने कपड़े पहनने लगे। मैं अपने कपड़े लेकर रूम में चली गई और राज यहीं पर कपड़े पहन कर डोर खोलने लगा। डोर खोलते ही सौम्या आई और बोली क्या कर रहे थे तुम दोनों इतनी देर से की डोर खोल नहीं पाए?

तभी मैं भी कपड़े पहन कर बाहर आई और बोली अरे बेटी तू तो पूरी तरह से लेटा गई है कहां इतनी होली खेली?

तभी राज यहां से निकल गया। और बाहर होली खेलने चला गया।

तभी सौम्या मेरे पास आई और बोली अरे मां तुम अभी तक क्या कर रही थी?

तब मैं बोली की क्या करूं बस सो रही थी? शायद हम दोनों में जो कुछ भी हुआ था सौम्या थोड़ा बहुत समझ रही थी।

तब सौम्या बोली अरे माँ चिंता मत कर मेरा बॉयफ्रेंड आने ही वाला है वह तो बहुत उतावला है बोल रहा था सबसे पहले तुझे ही रंग लगाएगा उसके बाद ही मुझे लगाएगा।

मैं बोली -मैं क्यों तेरे बॉयफ्रेंड से रंग लगाऊं तू लगवाओ?

तब सौम्या बोली अरे मां वह तो तेरे मालपुआ खाने के लिए बेचैन है।
आज होली है आज तो किसी को मना नहीं करते जो मालपुआ मांगते हैं उसे चखा ही दिया जाता है।

मैं बोली चल चुप कर बहुत बदमाश हो गई है।

फिर सौम्या बोली- अरे मां तुझे तो शीला चाची बुला रही थी होली खेलने के लिए चलो ना उनके घर में।

तब मैं बोली अच्छा ठीक है चलती हूं पहले तैयार तो हो जाऊं।

तब सौम्या बोली -अरे माँ यार क्यों तैयार होना है वहां तो आपकी साड़ी खोल ही दिया जाएगा?

मैं बोली क्या बकवास कर रही है मैं नहीं जाती फिर?

अरे मां मैं तो मजाक कर रही थी चलो ना ऐसे ही।
वैसे भी तो वहां लेटा ही जाओगी।

और यह राज का बच्चा कहां चला गया आज तो उसे छोडूंगी नहीं पूरा रंग लगाऊंगी मेरा लाडला भाई जो है और मेरे माँ का लाडला बेटा उसे तो रंग लगाए बिना मैं कैसे छोड़ सकती हूं?

तब मैंने कहा- अच्छा ठीक है जिसे रंग लगाना हो लगा लेना पहले चल उसके यहां चलते हैं।

मैं सब तैयारी करके अब शीला के घर जाने लगी।

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
होली की आश्लि खेल अभी बाकी है।
तो मिलते है अगले भाग मे।🙏

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Agla update
 

Achin_Saha18

Don't trust anyone blindly
Supreme
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मुहबोला बेटा से प्यार show1
#UPDATE1

हाय दोस्तों। मैं सुनीता मेरी उम्र अभी 44 साल की हूँ।


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मेरे दो बच्चे हैं एक आकाश जो अभी 18 साल का है। और सौम्या जो अभी 20 साल की है।

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मेरे दोनों बच्चे पटना में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं।

मेरे पति का नाम अशोक है।इनकी उम्र 49 है और वह कनाडा में रहकर जॉब करते हैं।
मेरे पति साल में सिर्फ एक बार ही आते हैं।इनका कहानी मे कोई रोल नही है।


मैं आरा बिहार से हूं। मैं घर पर अकेली रहती हूं।

मेरी एक दोस्त है जिसका नाम है शीला। वह मेरी बहुत अच्छी सहेली है। इसकी उम्र मेरी जितनी है 44साल

पर् हम दोनो सहेलिया बिल्कुल भी इतनी ज्यादा उम्र की नही लगती।
हम् दोनो पर पुरा सोसायटी फ़िदा है।


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यह कहानी आज से 5 साल पहले की है जब मैं 38 साल की थी। मैं दिखने में काफी सुंदर हूं अभी जवान हूं। मेरी फिगर है 36 30 38। मेरे आस-पड़ोस के सभी मर्द मेरे दीवाने हैं और यहां तक की शीला के पति(समर 45yr) भी मुझे हमेशा पटाने की फिराक में रहते है लेकिन मै किसी को पति के अलावा भाव नही दिया।
शीला के पति उसके साथ रहते है और इसी शहर मे दुकान चलाते है।


मै अकेली घर पे रहकर खेती की देख रेख करती हु। वैसे करने को तो मजदूर है। मै केवल घुमने जाति थी।

एक दिन मै स्टेशन् पर किसी काम से गयी थी जब लौट रही थी तब मुझे वहा एक लड़का रोता हुआ दिखाई दिया। मै उसके पास गयी उसे सर पर हाथ फेरी तो उसने मुझे देखा और मुह फेर लिया।


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मै उसे बोली क्या हुआ बेटा। वो मुझे अपना बेटा जैसा लगा।उसकी उम्र कोई 18 साल रही होगी। मैने उसे आपने साथ् कार् मे ले ली और उसे उसके बारे मे पूछने लगी पर मुझे कुछ नही बताया।

मै उसे घर लेकर आई तभी शीला भी आ गयी मेने उसे सब बताया। तो शीला बोली पुलिस को बताते है मेने ऐसा करना ठीक समझा और शीला के साथ पुलिस के पास गयी। पुलिस ने रिपोर्ट लिख कर ये कह दिया की जब तक इसके घर का पता नही चल जाता इसे अपने पास रखिये। मै तो अब टेंसन मे आ गयी पर

शीला- कुछ दिन की बात है रख ले वैसे भी तु अकेली रहती है। तेरा मन भी लगा रहेगा ,देख बिचारे का क्या हाल हो गया है।


मै उसे लेकर घर आ गयी। उसने अब तक कुछ नही बोला था। पर अब थोड़ा ये नॉर्मल लग रहा था।

शाम को उसे खाना खिलाया और खूद खा कर सोने जाने लगी।

तभी देखी की वो फिर रोने लगा मैं बोली क्या हुआ बेटा तो

उसने बोला- माँ ।

मै सकपका गयी ऐसा लगा जैसे मेरे हि बच्चे मुझे पुकार रहे हो। मै उसके सर पर हाथ फेर कर बोली बोलो बेटे।

वो बोला- माँ मुझे अकेले नही सोना।

मेरा तो दिल रोने लगा। मै उसे गले लगा ली। और उसके साथ हि लेट गयी।
मै उससे उसकी नाम पूछी।

तब उसने बताया- उसका नाम राज है।

फिर उसने अपना सर मेरे छाती मे दबा कर रोने लगा। उसके बाद मे कितना भी मै पूछती रही पर उसने नही बताया।
मै वाही उसके साथ ही सो गयी।


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सुबह जब मेरी आंख खुली तो 5:00
रही थी। मैं जब उठी तो देखी की राज मेरे छाती पर अपना सर रखे सो रहा था। मैं उससे बड़े प्यार से देख रही थी। बहुत ही सुंदर और सुशील था। उसका चेहरा एकदम कमल सा था उसके मुंह पर हल्का-हल्का मूछ था। उसके होंठ एकदम लाल। इसका एक पैर मेरी दोनों जांघो के बीच में और हाथ मेरे कमर में लपेटे में सो रहा था। मैं उसके पैर को सीधा की और अपने से नीचे किया। फिर मैं काम करने के लिए जाने लगी।
तभी मेरा ध्यान उसके पैंट पर गया। उसके पैंट में आकार मोटा दिखाई दे रहा था। एकदम से फुला हुआ था।


मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। फिर मैं अपने काम करने के लिए जल्दी से उसे सोते हुए छोड़कर चली गयी।

जब मैं नाश्ता बना ली तब मैं जाकर उसे जगाया तो देखा कि उसका तो लन्ड पूरा खड़ा हुआ है।


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मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे बेटे जैसा था पर मैं उसके बारे में यह क्या सोच रही थी?

फिर मैं उसके सर पर हाथ फेर कर उसे जगाया। और उसे नहाने के लिए बोलकर नीचे खाना लेकर आने लगी। वह नहा का टेबल पर आकर बैठ गया। मैंने उसे खाना देकर नहाने चली।

जब मैं नहा कर आइ तो देखी कि वह खाना खाकर बैठ चुका था। मैंने उसे बता दिया कि हम आज खेत पर घूमने जाने वाले हैं। तो वह एकदम से खुश हो गया उसका मुस्कुराता चेहरा देखकर मैं एकदम खुश हो गई।

मैं खेत पर घूमने के लिए शीला को भी बुला लिया और मैं और मेरे बेटे तीनों मिलकर हम खेत पर घूमने चल दिए।

मेरे खेत मे कुछ ईख लगी हुई थी और कुछ धान की खेती थी।
जैसे ही हम खेत पर पहुंचे हि थे की शीला के घर से फोन आ गई कि उसके पति उसे बुला रहे हैं तो वह चली गयी।
अब खेत पर मैं और मेरे बेटे राज दोनों ही बच गए थे। मैं सोची की राज का यहां मन बहल जाएगा

और कुछ उसके बारे में पता चलेगा।
राज ने यहां भी कुछ नहीं बताया। उल्टा फिर उदास हो गया। मैं उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और फिर हम दोनों मिलकर वहां नदी की ओर चल दिए। यहां धान के खेत में पानी नहीं थी तो मैंने धान के खेत में पानी कर दी।
राज खेत में जो मड़ई बना हुआ था उसमे बैठा हुआ था। मैं राज के पास गई तो देखा कि वह काफी शांत बैठा हुआ था। मैं उससे पूछी क्या हुआ राज यहां भी मन नहीं लग रहा क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां यहां तो काफी शांति और सुकून है। मुझे यहां आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है।

फिर वह आकर मेरे गले लग गया। हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से चिपके हुए थे उसी मड़ई में।


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हमें वहां कोई देखने वाला नहीं था। जब वह मेरे से चिपका हुआ था तो मेरे दोनों चुचिया उसके छाती में दबी हुई थी और उसकी कठोर लन्ड मेरे योनि के पास लग रहा थी।
मैं बोली राज कब तक ऐसे ही रहोगे घर नहीं चलना है क्या? राज मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। मै उसके इस मुस्कान पर एकदम से खिल उठी और उसके गालों को चूम ली। वो शर्मा गया। तब मुझे हसी आ गयी। प्यार से वो मुझे फिर से अपनी बहों मे ले लिया।
फिर हम दोनों घर आ गए। आज मुझे कई दिनों के बाद बहुत खुशी मिली थी। आज मेरा सारा अकेलापन दूर हो गया था।

हम दोनों मां बेटे लिविंग रूम में चले गए जहां टीवी लगा हुआ था। वहां पर हम दोनों एक दूसरे के पास बैठकर टीवी देखने लगे जिस पर काफी हॉट फिल्म आ रही थी मैं सोची कि इस फिल्म को बदल दू।
पर उस वक्त मुझे रिमोट ही नहीं मिली हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए बैठकर टीवी देख रहे थे।

वह मेरे कंधे पर सर रखकर मूवी को देखने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने आगोश में ले लिया। और अपना एक पैर मेरे पैर पर रख दिया। मैं भी उसके सर को सहलाने लगी। और उसे खूब प्यार करने लगी। मुझे उसे दिन पता नहीं क्या हो गया था हम दोनों दूसरे से चिपके हुए थे? मुझे उसे पर बहुत प्यार आ रहा था। और ऐसे ही हम दोनों लेते हुए सो गए वहीं पर।

हम दोनों की नींद तब खुली जब शीला घर पर आई। मैं जाकर दरवाजा खोली। मैं राज को उठा दिया था की जा बाथरूम से फ्रेश हो जा।

शीला मुझे बाजार ले जाने के लिए आई थी। पर उसके साथ उसके पति भी थे। उसका पति बहुत मजाकिया थे मै उनके साथ नहीं जाना चाहती वह बहुत मुझे छेढ़ते थे।
मैं जैसे ही शीला से बोली कि मैं तुम्हारे पति के साथ नहीं जाऊंगी तभी वह पीछे से आकर बोले

समर- क्या हुआ सुनीता जी मेरे साथ जाने में क्या तकलीफ है?

मैं बोली- कुछ तकलीफ नहीं है जी बस आप जो मुझे परेशान करते हो उसे तकलीफ है। तभी

शीला बोली- हां हां तो सुनीता क्यों नहीं दे देती वह चीज जो इन्हें चाहिए?

मैं बोली -मैं क्यों दूं तुम्हारा पति है तुम दो?
तब

शीला बोली- एक बार दे दोगी तो क्या हो जाएगा घट थोड़ी जाएगा?

मै बोली- चल चुप कर शीला मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी। हमेशा अपने पति का ही साथ देती थी। वह भी मुझे अपने पति से चुदवाना चाहती थी।
मैं हमेशा कोई ना कोई बहाना बना ही देती थी।

फिर शाम को मैं मेरे बेटे और शीला और शीला के पति के साथ मार्केट गई वहां पर सभी मुझे घुर्र कर देख रहे थे।


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तभी शीला के पति

समर- बोले क्या बात है सुनीता जी आपका तो पूरा मार्केट दीवाना है?

और सभी हंसने लगे। मैं अपने बेटे के साथ मार्केट में कुछ सब्जियों ले ली और उसके लिए कपड़े लेने के लिए दुकान पर जाने लगी। तभी शीला बोली की रूक मैं भी आती हूं।

मैं और शीला दोनों मिलकर अपने बेटे के लिए कपड़े लेने लगे।
फिर शीला अपने लिए कुछ ब्रा और कुछ पैंटी ली।

राज पेन्टी और ब्रा को बड़े ध्यान से देख रहा था मुझे तो शर्म आने लगी थी अपने बेटे के सामने तभी शीला बोली कि यह पेटी तो सुनीता तुम्हें अच्छी लगेगी।तभी

राज ने कहा- हां माँ ले लो तुम्हारे में अच्छा लगेगा। मैं शर्मा गई।
तभी

शीला बोली- सुनीता अब तो इसे भी पसंद आ गयी अब तो लेनी ही पड़ेगी।

उफ़ मैं शीला की इन बातों से एकदम शर्म से लाल हो रही थी।

फिर हम घर आ गए। रात को खाना पीना हुआ और मैं राज के साथ ही सो गई। राज ने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर मेरे छाती पर रखकर सो गया। मैं भी उसके सर को सहलाते हुए सो गई ।


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ऐसे ही कई दिन गुजर गए। इतने दिन जो बीते वह काफी खुशनुमा थे मैं राज के साथ बहुत खुश थी। राज कहीं से भी आता और मुझे मां कहते हुए हमेशा लिपट जाता था। और उसकी कठोर सा लैंड मेरे गांड में घुसता चला जाता था। पर मैं इस अनुभव से काफी गर्म हो जाती थी।

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फिर एक दिन में और राज नदी की ओर घूमने के लिए गए। हम दोनों नदी के किनारे बैठे हुए थे वहां पर हमें देखने वाला कोई नहीं था। हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे तभी

राज ने कहा- मां आप तो बहुत खूबसूरत हो। फिर आप अकेली क्यों हो? तब मैंने उसे बताया कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे पति बाहर में रहते हैं और मेरे तुम्हारे जैसे बच्चे भी हैं जो बाहर में रहकर पढ़ाई करते हैं और अपना तुम बताओ। तब राज ने मायूस होकर मुझसे लिपट गया और बोला मैं अपने अतीत को याद नहीं करना चाहता हूं मुझे यहां बहुत सुकून मिल रहा है
तब मैंने कहा की राज तुम्हारा भी तो माता-पिता होंगे। तुम्हें अपने घर तो जाना ही होगा ना। तब

राज ने कहा- नहीं मां मुझे अपने घर नहीं जाना। मुझे वहां कोई प्यार नहीं करता।

और राज फिर से रोने लगा। मैं उसे अपने सीने से लगा ली। और उसे चुप करने लगी।
उसके चेहरे को अपने हथेली में लेकर उसके आंसू को पोछी और उसके कोमल होंठ पर मैंने अपनी होंठ रखकर एक किस कर दी। और फिर उसे अपने सीने से लगा लिया।


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फिर मैं राज से बोली चलो बेटा उधर ईख के तरफ खेत में पानी करना है।

फिर हम दोनों खेत में चले आए। मैं खेत में पानी करने लगी और वह खड़ा होकर मुझे देखने लगा। मैं झुक कर खेत में पानी कर रही थी। जिससे मेरी दोनों चूचियां आधि बाहर दिखाई दे रही थी। राज मेरी चूचियों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
पानी करते हुए मेरा पैर फिसल गया और मैं वही कीचड़ में गिर गई। फिर राज मेरे पास दौड़ते हुए आया।

मैंने राज से कहा कि बेटा तुम यहां मत आओ मैं कीचड़ से सन गई हूं तू भी कीचड़ में लेट जाएगा। पर उसने नहीं मानी और वह मुझे उठाने के लिए आया और वो भी फिसल के गिर गया।

हम दोनों कीचड़ में लेट गए। हम दोनों कीचड़ में लेट कर हंसने लगे। वह खेत चारों तरफ ईख से घिरा हुआ था जिससे हमें कोई वहां देख नहीं सकता था।

मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके पेट पर लगा दी और हंसने लगी। तभी राज ने भी थोड़ा सा कीचड़ लेकर मुझे लगाने के लिए आगे बढ़ा तभी मैंने उसके हाथ को झटक दिया और वह मेरे ऊपर आकर गिरा। उसके छाती से मेरे दोनों चूचियाँ दब गई। उसकी कठोर सा लिंग मेरे योनि में अनुभव होने लगा। उसका लिंग तो धीरे-धीरे आकर ले रहा था जो मेरे योनि पर दबाव पड़ रहा था। उसके कोमल होंठ एकदम मेरे होंठ के करीब था। उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रहा था।


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हम दोनों मुस्कुरा रहे थे और कीचड़ में खेल रहे थे। मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके गालों पर लगा दिया। फिर उसने अपने कीचड़ से लगे हुए गाल को मेरे गाल से रगड़ने लगा। इसी बीच उसके कोमल होंठ मेरे होंठ से लग गए। हम दोनों कुछ पल के लिए एकदम स्थिर होकर रुक गए। हम दोनों को कुछ समझ नहीं आया और पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।

मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे योनि से नदी पर निकली हो। आज पहली बार मुझे अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द का एहसास महसूस हो रहा था। मैं अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने उसके होंठ को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।


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मैं अपने अंदर कई साल से वासना को दबा कर रखी थी। जो एक 18 साल की कोमल बच्चे ने जगा दिया था। वह बच्चा भले ही मेरा सगा बेटा ना हो पर वह मेरे बेटा जैसा था। उससे मैंने अपना बेटा माना था और वह मुझे हमेशा माँ ही कहा है।

ऐसे एहसास होते ही मैंने तुरंत उसे अलग हुई हम् दोनो के होंठ अलग हुए। उसे अपने ऊपर से हटाया और उठ खड़ी हुई। हम दोनों एक दूसरे से नजरे नहीं मिल पा रहे थे।
फिर

राज ने कहा- सॉरी मां मुझसे गलती हो गई।

मैं उसके मासूम चेहरे को देखकर पिघल गयी और उसे फिर से अपने गले से लगा लिया और बोली कि नहीं बेटा इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।

फिर मैं बोली -राज बेटा देखो हमारे कपड़े कितने गंदे हो गए हैं हम इस हालत में तो घर भी नहीं जा सकते हैं।
तब

राज ने कहा -अब क्या करेंगे माँ

तब
मैं बोली कि चलो बेटा हम दोनों नदी में चलकर नहा लेते हैं।

हम दोनों नदी में चले गए नहाने के लिए।

उसे वक्त मैंने देखी कि वहां पर कोई नहीं था।
फिर हम दोनों नदी में नहाने के लिए उतर गए। मैंने अपना कपड़ा साफ किया और फिर राज का भी कपड़े को साफ की और वहीं बाहर में सूखने के लिए झाड़ियां पर पसार दिया।

मैं अब सिर्फ पेंटी और ब्रा में नहा रही थी और राज सिर्फ अंडरवियर में था।

राज मुझे इस तरह देखकर मुस्कुरा रहा था

तब मैंने उससे पूछा- कि क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो? तब

राज ने कहा कि मां मैं इससे पहले इतनी सुंदर शरीर किसी की नहीं देखी तुम तो अभी बहुत सुंदर हो मां।

तब मैंने कहा चल झुटे कुछ भी बोलता है मैं तेरी मां हूं।
फिर

राज ने कहा -मां मैं सच कह रहा हूं। आपको देखकर मुझे पता नहीं क्या हो जा रहा था?

फिर
मैं बात को बदलते हुए कही -चल छोड़ जब तक कपड़े सुख नहीं जाते तब तक हमें तो नहाने ही है तो तब तक हम पकड़म पकड़ाई खेलते हैं तो तुम मुझे पकड़ना मैं इधर से उधर नदी में भागूंगी।

फिर राज मुझे पकड़ने के लिए भागा मैं नदी के बीच में भागने लगी। मैं नदी में अच्छी तरह से तैरना जानती थी इसलिए मैं बीच में भाग रही थी। तभी राज भी मुझे पकड़ने के लिए बीच में आने लगा।
अचानक तेज धारा ने राज को धकेल दिया जिससे वह अनबैलेंस होकर नीचे की ओर डूबने लगा। फिर मैं उसे बचाने के लिए गई और उसे अपने सीने से लगाकर दूसरे किनारे की ओर ले गई। तब मैंने देखा कि वह ठीक था और वह मुझे बोला मां मैं तो आपको पकड़ लिया। मुझे गुस्सा आ गया और मैं राज से बोली यह तो चीटिंग किया है बेटा।

मैं उससे नाराज होकर दूसरी तरफ मुंह फेर ली। तभी राज ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया और बोला सॉरी मा गलती हो गई।
उसने जैसे ही मुझे पीछे से पकड़ा उसकी कठोर सा लैंड मेरी गांड में घुसता चला गया और मैं एकदम से सिहर उठी ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
इसका एक हाथ मेरे पेट पर चिकनी पेट पर चल रहे थे और दूसरा हाथ मेरे जांघों पर थे। हम दोनों पानी के अंदर गर्दन तक थे जो कि कुछ अंदर दिखाई नहीं दे रहा था पर महसूस पूरा हो रहा था ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में कैद है। उसका लंड का एहसास मेरे दिमाग पर जोर डाल रहा था जिससे मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी और उसके बाहों के आगोश में खोते चली जा रही थी।


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थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे योनि के पास जाने लगी जिससे मैं पूरी तरह से सीहर उठी। उसका मुंह मेरे गरद्न के पास था उसके गर्म सांस मुझे गर्म कर रही थी।

मैं कुछ कर नहीं पा रही थी बस उसके हर एहसास को अपने एहसास से जिए जा रही थी।

तभी नदी की ओर किसी की आने की आहत हुई। हम दोनों की ही तंद्रा टूट गयी।

Update1 धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
मिलते है Update2 मे।
Nice update
 
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Raaj Avani

Incest Lover
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UPDATE 05

मुहबोला बेटा से प्यार S1 #UPDATE 5
(होली स्पेशल)

मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों शीला के घर आ गए।

शीला का घर बहुत बड़ा था वह पुराने जमाने का था उसमें गलियारा, ओसारे भी थे और बहुत बड़ा आंगन था जिसमें पूरा कीचड़ माटी करके एकदम होली खेलने के लिए तैयार किया गया था।

यहां तो पहले से ही होली चल रही थी शीला पूरा लेटी हुई थी और उसके पति समर भी पूरे लेटाए हुए थे मेरा बेटा आकाश भी यही था और राज भी यही था।

जैसे ही मैं यहां आई वैसे ही शीला के पति समर मेरे पास आ गए और
बोले- सुनीता जी आज तो मैं आपको पूरी तरह से लगाऊंगा ऊपर भी नीचे भी और भीतर भी।

यह सुनकर वहां जो भी खड़े थे सब हंसने लगे।
मैं भी कहां चुप रहने वाली थी मैं भी उनसे कह दी हां तो आप भी तैयार रहना मैं भी आपको पूरी तरह से लगा दूंगी आज और,
देखती हूं आपका कितना भीतर तक आप लगा पाते हैं मुझे?

फिर सभी लोग हंसने लगे।
सौम्या उठी और राज के पास गई और बोली

सौम्या- राज आज तो मैं तुझे छोड़ने वाली नहीं हूं कहां बच रहा है बच्चु मुझसे?
फिर वह उसके साथ होली खेलने लगी और उसके कपड़े के भीतर ऊपर हर जगह रंग लगाने लगी।



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आकाश ने मुझे चुटकी भर रंग निकाला और गाल पर लगाकर हैप्पी होली काहा। मैं भी आकाश को रंग लगाकर बोला कि हैप्पी होली बेटा और तभी शीला आई और

बोली ऐसे होली नहीं खेलते उसने पूरा रंग लिया और उसके कमर में लगाने लगी आकाश वहां छटपटाने लगा छटपटाने के साथ ही उसका लंड शीला से टच हो गया।

शीला ने शरारत की और मेरे सामने ही उसके लंड को पकड़ कर मसल दिया और हंसने लगी।

फिर थोड़ी देर में- शीला के पति मुझे मेरे गालों पर रंग लगाए। और मैं वहां से चटपटाती हुई भाग गई।

वह मेरे पीछे दौड़े और मुझे पकरने के लिए आंगन की तरफ आए मैं आंगन में भागी पर मेरा पैर फिसल गया और मैं वहीं गिर गई। फिर शीला के पति मुझे सहारा देकर उठाएं और बोले कहीं चोट तो नहीं लगी ना और मेरे कमर को दबाने लगे।

मुझे कुछ खास चोट तो नहीं लगी थी पर जहां पर गिरी थी वहां से थोड़ी सी कमर में चोट लगी थी वह दबा रहे थे तो थोड़ा आराम मिल रहा था मैं बोली कि हां थोड़ा बहुत लगा है।

वे बोले कोई बात नहीं मैं आपको दबाकर ठीक कर देता हूं।

फिर उन्होंने मेरे कमर को दबाने लगे और दबाते दबाते हुए कभी मेरे कमर को दबाते तो कभी वह मेरे नाभि के पास चले जाते हैं मैं उन्हें यह सब करते देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।

कभी कमर को दबाते तो कभी मेरे दोनों कूल्हों को दबा देते हैं फिर कभी वह मेरे नाभि में उंगली कर देते मैं उनकी यह शरारत से काफी खुश थी मजा आ रहा था।

मैंने भी कभी-कभी उनके बालों का सहला देती तो कभी उनके बालों को कस कर खींच देती जिससे उनकी आह निकल जाती। उनकी आह्ह् सुनकर मुझे हंसी आ जाती थी।

फिर वह मुझे कसकर कमर में कभी चिकोटी काट लेते तो कभी नाभि में कस कर उंगली कर देते जिससे कि मेरी आह निकल जाती।

हम दोनों को काफी मजा आ रहा था। तभी उनकी शरारत और बड़ी और वह मेरे साड़ी के अंदर हाथ डालने लगे।

मैं उन्हें कसकर धक्का दे दी और वह नीचे गिर गये मैं वहां से दौड़कर भाग गई।

जब मैं भाग कर हॉल वाले रूम के पास आई तो देखी कि मेरी बेटी सौम्या और मेरा बेटा राज दोनों मिलकर होली खेल रहे थे सौम्या राज के ऊपर चढ़ी हुई थी जिससे कि राज का लंड सौम्या के योनि से दबी हुई थी और सौम्या उसे जबरदस्ती रंग लगाने की कोशिश कर रही थी राज भी उसे हटाने का नाकामयाब कोशिश कर रहा था जिससे कि कई बार सौम्या की चूचियों को वह हाथ से लगा देता था।


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इन दोनों के जुगलबंदी चलती रही कभी सौम्या उसके लंड पर बैठी रहती तो कभी राज उसके ऊपर चढ़कर उसे रंग लगाने लगता और इन दोनों मिलकर भाई-बहन खूब होली खेल रहे थे फिर मैं वहां से भागी क्योंकि यहां भी शीला के पति मेरे पीछे आ रहे थे।

मैं यहां से भाग कर ओसारे के तरफ गई तब दिखै की शीला और मेरा बेटा आकाश दोनों एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं।
आकाश ने शीला को पीछे से जबरदस्ती पकड़ा हुआ था और शीला झुकी हुई थी जिससे की शिला की गांड का भार आकाश के लंड पर था।


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तभी मैं उनके सामने गई तब शीला मुझे देखकर बोली है रे सुनीता बचा अपने इस नौजवान बेटे से यह तो मेरी फाड़ ही डालेगा कितनी जबरदस्ती रंग लगा रहा है।
तब मैं बोली नहीं बेटा आकाश इसे छोड़ना मत यह बहुत उछल कूद कर रही थी कब से, अब तो पूरा रंग लगा।

तभी मैं भी उन दोनों का साथ देने के लिए गई तब शीला ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे भी झुका दिया जिससे कि मैं
अपने बेटे आकाश के गले के पास मेरा मुंह चला गया और हम दोनों का मुंह एक दूसरे के पास आ गया ऐसा लग रहा था कि और थोड़ी हलचल होती तो हम दोनों के होंठ एक दूसरे से सट्ट जाते। तभी शीला ने एक हरकत की और मुझे खींच लिया और आकाश भी थोड़ा आगे की ओर हो गया जिससे कि हम दोनों मां बेटे का होंठ एक दूसरे से मिल गए शीला तो नीचे की ओर झुकी हुई थी और उसकी गांड मेरे बेटे के लंड से दबा हुआ था और मैं और मेरे बेटे का मुंह एक दूसरे से सटा हुआ था ।
मैं झट से अलग हुई और शीला के दोनों चूचियों को अपने बेटे के सामने ही मसल दी।


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मेरा बेटा भी शीला को कसकर पकड़ लिया और अपने से सटा लिया जिससे कि अब उसका लंड शीला के गांड में जबरदस्त घुस रहा था मेरा तो मन हुआ कि अभी इसकी सलवार को फाड़ दू जिससे कि मेरा बेटे का लैंड पूरी तरह से घुस जाए।


मुझे जाने क्या हुआ और मैं शीला के सलवार पर हाथ लगा दी? मेरा जैसे ही शीला की सलवार पर हाथ लगा मैंने महसूस किया कि उसकी बूर तो खुली हुई है उसने कोई पैंटी पहनी ही नहीं थी वह सिर्फ सलवार में थी अगर सलवार गलती से भी खुल जाती तो मेरे बेटे का लंड उसकी बूर में समा जाता है।

तभी शीला मेरी चूची को दबाने लगी और मुझे गुस्सा आया और मैं उसकी सलवार को खींच दी जिससे कि उसकी बूर की जगह पर थोड़ी सी सलवार फट गई और उसकी बूर एकदम साफ नजर आने लगी।

मैं अपने बेटे के सामने यह सब देखकर काफी शर्मिंदा महसूस की और तुरंत वहां से भागने लगी।

जैसे ही मैं वहां से भागी

मैं देखी की शीला के पति मुझे ही ढूंढ रहे हैं तो मैं एक खिड़की के पास छुप गई।

वहां से मुझे शीला और आकाश साफ नजर आ रहे थे। आकाश ने शीला को छोड़ दिया था तभी शीला ने आकाश पर हमला किया और उसके लोअर को खींचकर उतार दिया जिससे कि आकाश का फनफानाता हुआ लंड एकदम से टनटना कर बाहर निकाला और शीला के मुंह के पास आ गया।

अब आकाश को गुस्सा आया और उसने शीला के गाल को धर के पूरा मिस दिया।

वह इस हमले में दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर गए और शीला के चूचियां आकाश के सीने से दब गई और उसका लंड शीला के बूर पर लगने लगी।

फिर शीला ने जोर लगाया और उसके ऊपर आ गई आकाश को नीचे कर दी और पास में पड़े कीचड़ मिट्टी को उसके छाती पर रगड़ने लगी इसी हमले में आकाश ने नीचे से ही उसकी चूची को पकड़ लिया।

तभी शीला ने कसकर उसके बालों को खींचा और उसके गाल पर एक दांत गड़ा दी।

फिर आकाश ने उसके चूचियों को कस कर खींचा और उसके होंठ को अपने होंठ में मिलाकर चूसने लगा।

अब दोनों गर्म हो चुके थे दोनों एक दूसरे के ऊपर पड़े एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और आकाश उसके दोनों चूचियों को दबा रहा था।

तभी शीला ने थोड़ी सी अपनी गांड को उठाई और हाथ को उसके लंड पर ले गई जो की पूरी तरह से टाइट थी।

शीला अपनी बूर को चौड़ा करके थोड़ी सी जगह बनाई और लंड को अपनी बूर पर सेट करके धीरे से अंदर की ओर ले ली।

आकाश उसकी चूचियों को चूस रहा था और शीला उसके लंड पर उठक बैठक कर रही थी।


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फिर आकाश शीला को नीचे किया और उसके बूर में फटी सलवार की जगह से ही लंड को पेल दिया और उसे चुदाई करने लगा और धीरे-धीरे उसकी दोनों चूचियों को मसल मसल कर चूस रहा था और कभी काट रहा था तो कभी उसके होंठ पर चुमा ले रहा था।

मैं यह सदृश्य देखकर एकदम से गर्म हो रही थी कि तभी मेरे पीछे से कुछ हमला हुआ।

यह हमला था शीला के पति का जो आते ही मेरे दोनों चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबा दिए थे मैं एकदम से सीहर उठी।

शीला के पति की हमला से मै एकदम से अछामहित् थी।


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उन्होंने आकर मुझसे कहा -क्या बात है सुनीता जी आप केवल देखकर मजा लोगी चलो आज सब करके मजा लेते हैं?

इधर शीला को मेरे बेटे आकाश ने पूरे जोर से चोदना शुरू किया था।

और इधर शीला के पति मुझे अपने गोद में उठकर फिर से मुझे आंगन में ले जा रहे थे जहां कोई नहीं था।

जैसे ही उन्होंने मुझे आंगन में उतारा मैं तुरंत भगाने की कोशिश की पर उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया फिर से पकड़ लिया।
आंगन में रंगों से भरा हुआ एक टब था वह पास में ही था मैंने उन्हें टब के पास ले गई और प्यार से उनके गाल को सहलाते हुए एक किस की और टब में धकेल दिया। वह बेचारे उस गिर कर रंग से नहा लिए। और मैं वहां से हंसते हुए भाग गई?

जैसे ही मैं हाल में आई मैं देखी कि वहां राज और सौम्या नहीं थे तो मुझे लगा कि यह दोनों आखिर कहां चले गए होली खेलते खेलते, तो मैं थोड़ा सा आगे बड़ी तब
मुझे ऊपर जाती सीढ़ियों के पास से कुछ आवाज आई?

मैं देखी कि सीढ़ियों के पास मेरे बेटे राज लेटा हुआ है और मेरी बेटी सौम्या उसके ऊपर चढ़ी हुई है और वह दोनों बिल्कुल नंगे हैं।

मेरा मुंहबोला बेटा मेरी सगी बेटी को चोद रहा था यह देखकर मेरी तो फिर से बूर गीली होने लगी थी एकदम से उसकी चूचियां हिल रही थी वह अभी छोटी-छोटी चूचियां थी मेरी बेटी पटना में रहकर काफी चुदक्कड़ हो गई थी जिसकी वजह से वह अपने भाई के ऊपर चढ़कर खूब मजे लेकर चुदाई कर रही थी।


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राज उसके छोटे-छोटे चूचियों को अपने हाथ से धर कर दबा रहा था और सौम्या उसके ऊपर चढ़कर धीरे-धीरे हिल रही थी और आंखें बंद कर आआआह्ह कर रही थी। आज अपनी सगी बेटी की चुदाई अपने मुंहबोले बेटे से होते देखी तो फिर से मेरी बूर एकदम से पानी पानी होने लगी मैं वहां से जल्दी ही भाग गई।

मैं भाग कर जैसे ही हाल के तरफ आई की फिर से मुझे शीला के पति ने पकड़ लिया और इस बार वह मुझे गोद में उठाकर मेरी गालों को दांत से काटते हुए बोले क्यों सुनीता जी पक्की खिलाड़ी हो एकदम से मुझे चक्मा देकर भाग रही हो?

वह मुझे उठा कर ले गए और टब में खुद भी घुसे और मुझे भी
टब का पानी अधिक नहीं था हम दोनों उसमें बैठ गए वह मुझे कसकर पकड़ के अपने लंड पर बैठाये हुए थे मेरी साड़ी कमर तक उन्होंने उठा दी और पानी में बैठने की वजह से छाती तक डूब गए थे जिसकी वजह से बाहर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह मेरी साड़ी को ऊपर उठाकर अपने लंड को मेरे पैंटी के ऊपर से ही बुर को रगड़ रहे थे और बैठे हुए थे।

फिर उनकी हरकत शुरु हुई और वह मेरी चूचियों को दबाने लगे और मेरे गाल को काटने लगे।

कभी वह मेरे गाल को चूमते तो कभी गर्दन को चूमते तो कभी पीठ को चुमते तो कभी बालों को सहलाते और नीचे से लंड को मेरी बूर पर रगड़ रहे थे और एक हाथ से मेरी बूर को सहला रहे थे तो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को दबा रहे थे।

यही सब कर रहे थे कि अचानक मेरा बेटा आकाश आंगन में आ गया। हम दोनों हड़बड़ा गए और उन्होंने मुझे छोड़ दिया मैं डरकर तुरंत से वहां से उठी और निकाल कर भाग गई।

मैं बेटे के पास से जब निकल रही थी तब मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं किसी गैर के बाहों में पड़ी हुई थी और मेरा बेटा मुझे देख लिया हालांकि वह अभी-अभी शीला की चुदाई करके आ रहा था।

शीला के पति काफी गुस्सा हुए वह एकदम गर्म जोशी में थे और ऐसा लगा कि उनके गर्म तवे पर किसी ने पानी फेंक दिया उन्होंने तुरंत मेरे बेटे को अपने पास बुलाया और आकाश के दोनों गाल पकड़ कर गुस्से से बोले अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गए वहीं क्यों नहीं रहे?

तब आकाश बोला अरे मैं तो आपको बुलाने के लिए आया था वह शीला आंटी आपको खाने के लिए बुला रही थी।
मैं वहीं खड़ी, खिड़की के पास सब देख रही थी कि तभी उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी मैं तुरंत वहां से भाग कर अपने घर की ओर निकलने लगी कि तभी जैसे ही शीला के घर से मैं निकली और दरवाजे से बाहर जा ही रही थी कि एक सफेद बांग्ला कुर्ता पहने हुए आदमी से मैं टकरा गई वह देखने में काफी हैंडसम था काला चश्मा लगाए हुए बड़ी-बड़ी दाढ़ी रखे हुए एकदम से गोर फुले हुए गाल और मजबूत बाहो वाला मैं जैसे ही उसे टकराई उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।

वह मुझे देख रहा था पर मैं उसे देख रही थी वह मुझे शायद पहचान लिया था इसलिए उसने बोला अरे आप अभी गिर जाती?

मेरा बदन गीला था सब अंग झलक रहे थे और मेरे शरीर पर कीचड़ भी लगे हुए थे जो उसके सफेद कपड़े को गंदा कर दिया था मैं उसे देखते ही काफी शर्मा गई और

मै बोली-- मैंने तो आपका कपड़ा गंदा कर दिया सॉरी तब

उसने बोला- अरे कोई बात नहीं मैं तो आपसे ही मिलने आ रहा था।


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मैं एकदम से सकपका गई कि यह हैंडसम आदमी मुझसे क्यों मिलने आ रहा था यह कौन था मैं तो पहचान ही नहीं पाई?

धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए। अब मैं आपसे अगले भाग में मिलेगी अभी होली जारी है।🙏
 

Raaj Avani

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UPDATE 05

मुहबोला बेटा से प्यार S1 #UPDATE 5
(होली स्पेशल)

मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों शीला के घर आ गए।

शीला का घर बहुत बड़ा था वह पुराने जमाने का था उसमें गलियारा, ओसारे भी थे और बहुत बड़ा आंगन था जिसमें पूरा कीचड़ माटी करके एकदम होली खेलने के लिए तैयार किया गया था।

यहां तो पहले से ही होली चल रही थी शीला पूरा लेटी हुई थी और उसके पति समर भी पूरे लेटाए हुए थे मेरा बेटा आकाश भी यही था और राज भी यही था।

जैसे ही मैं यहां आई वैसे ही शीला के पति समर मेरे पास आ गए और
बोले- सुनीता जी आज तो मैं आपको पूरी तरह से लगाऊंगा ऊपर भी नीचे भी और भीतर भी।

यह सुनकर वहां जो भी खड़े थे सब हंसने लगे।
मैं भी कहां चुप रहने वाली थी मैं भी उनसे कह दी हां तो आप भी तैयार रहना मैं भी आपको पूरी तरह से लगा दूंगी आज और,
देखती हूं आपका कितना भीतर तक आप लगा पाते हैं मुझे?

फिर सभी लोग हंसने लगे।
सौम्या उठी और राज के पास गई और बोली

सौम्या- राज आज तो मैं तुझे छोड़ने वाली नहीं हूं कहां बच रहा है बच्चु मुझसे?
फिर वह उसके साथ होली खेलने लगी और उसके कपड़े के भीतर ऊपर हर जगह रंग लगाने लगी।



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आकाश ने मुझे चुटकी भर रंग निकाला और गाल पर लगाकर हैप्पी होली काहा। मैं भी आकाश को रंग लगाकर बोला कि हैप्पी होली बेटा और तभी शीला आई और

बोली ऐसे होली नहीं खेलते उसने पूरा रंग लिया और उसके कमर में लगाने लगी आकाश वहां छटपटाने लगा छटपटाने के साथ ही उसका लंड शीला से टच हो गया।

शीला ने शरारत की और मेरे सामने ही उसके लंड को पकड़ कर मसल दिया और हंसने लगी।

फिर थोड़ी देर में- शीला के पति मुझे मेरे गालों पर रंग लगाए। और मैं वहां से चटपटाती हुई भाग गई।

वह मेरे पीछे दौड़े और मुझे पकरने के लिए आंगन की तरफ आए मैं आंगन में भागी पर मेरा पैर फिसल गया और मैं वहीं गिर गई। फिर शीला के पति मुझे सहारा देकर उठाएं और बोले कहीं चोट तो नहीं लगी ना और मेरे कमर को दबाने लगे।

मुझे कुछ खास चोट तो नहीं लगी थी पर जहां पर गिरी थी वहां से थोड़ी सी कमर में चोट लगी थी वह दबा रहे थे तो थोड़ा आराम मिल रहा था मैं बोली कि हां थोड़ा बहुत लगा है।

वे बोले कोई बात नहीं मैं आपको दबाकर ठीक कर देता हूं।

फिर उन्होंने मेरे कमर को दबाने लगे और दबाते दबाते हुए कभी मेरे कमर को दबाते तो कभी वह मेरे नाभि के पास चले जाते हैं मैं उन्हें यह सब करते देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।

कभी कमर को दबाते तो कभी मेरे दोनों कूल्हों को दबा देते हैं फिर कभी वह मेरे नाभि में उंगली कर देते मैं उनकी यह शरारत से काफी खुश थी मजा आ रहा था।

मैंने भी कभी-कभी उनके बालों का सहला देती तो कभी उनके बालों को कस कर खींच देती जिससे उनकी आह निकल जाती। उनकी आह्ह् सुनकर मुझे हंसी आ जाती थी।

फिर वह मुझे कसकर कमर में कभी चिकोटी काट लेते तो कभी नाभि में कस कर उंगली कर देते जिससे कि मेरी आह निकल जाती।

हम दोनों को काफी मजा आ रहा था। तभी उनकी शरारत और बड़ी और वह मेरे साड़ी के अंदर हाथ डालने लगे।

मैं उन्हें कसकर धक्का दे दी और वह नीचे गिर गये मैं वहां से दौड़कर भाग गई।

जब मैं भाग कर हॉल वाले रूम के पास आई तो देखी कि मेरी बेटी सौम्या और मेरा बेटा राज दोनों मिलकर होली खेल रहे थे सौम्या राज के ऊपर चढ़ी हुई थी जिससे कि राज का लंड सौम्या के योनि से दबी हुई थी और सौम्या उसे जबरदस्ती रंग लगाने की कोशिश कर रही थी राज भी उसे हटाने का नाकामयाब कोशिश कर रहा था जिससे कि कई बार सौम्या की चूचियों को वह हाथ से लगा देता था।


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इन दोनों के जुगलबंदी चलती रही कभी सौम्या उसके लंड पर बैठी रहती तो कभी राज उसके ऊपर चढ़कर उसे रंग लगाने लगता और इन दोनों मिलकर भाई-बहन खूब होली खेल रहे थे फिर मैं वहां से भागी क्योंकि यहां भी शीला के पति मेरे पीछे आ रहे थे।

मैं यहां से भाग कर ओसारे के तरफ गई तब दिखै की शीला और मेरा बेटा आकाश दोनों एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं।
आकाश ने शीला को पीछे से जबरदस्ती पकड़ा हुआ था और शीला झुकी हुई थी जिससे की शिला की गांड का भार आकाश के लंड पर था।


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तभी मैं उनके सामने गई तब शीला मुझे देखकर बोली है रे सुनीता बचा अपने इस नौजवान बेटे से यह तो मेरी फाड़ ही डालेगा कितनी जबरदस्ती रंग लगा रहा है।
तब मैं बोली नहीं बेटा आकाश इसे छोड़ना मत यह बहुत उछल कूद कर रही थी कब से, अब तो पूरा रंग लगा।

तभी मैं भी उन दोनों का साथ देने के लिए गई तब शीला ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे भी झुका दिया जिससे कि मैं
अपने बेटे आकाश के गले के पास मेरा मुंह चला गया और हम दोनों का मुंह एक दूसरे के पास आ गया ऐसा लग रहा था कि और थोड़ी हलचल होती तो हम दोनों के होंठ एक दूसरे से सट्ट जाते। तभी शीला ने एक हरकत की और मुझे खींच लिया और आकाश भी थोड़ा आगे की ओर हो गया जिससे कि हम दोनों मां बेटे का होंठ एक दूसरे से मिल गए शीला तो नीचे की ओर झुकी हुई थी और उसकी गांड मेरे बेटे के लंड से दबा हुआ था और मैं और मेरे बेटे का मुंह एक दूसरे से सटा हुआ था ।
मैं झट से अलग हुई और शीला के दोनों चूचियों को अपने बेटे के सामने ही मसल दी।


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मेरा बेटा भी शीला को कसकर पकड़ लिया और अपने से सटा लिया जिससे कि अब उसका लंड शीला के गांड में जबरदस्त घुस रहा था मेरा तो मन हुआ कि अभी इसकी सलवार को फाड़ दू जिससे कि मेरा बेटे का लैंड पूरी तरह से घुस जाए।


मुझे जाने क्या हुआ और मैं शीला के सलवार पर हाथ लगा दी? मेरा जैसे ही शीला की सलवार पर हाथ लगा मैंने महसूस किया कि उसकी बूर तो खुली हुई है उसने कोई पैंटी पहनी ही नहीं थी वह सिर्फ सलवार में थी अगर सलवार गलती से भी खुल जाती तो मेरे बेटे का लंड उसकी बूर में समा जाता है।

तभी शीला मेरी चूची को दबाने लगी और मुझे गुस्सा आया और मैं उसकी सलवार को खींच दी जिससे कि उसकी बूर की जगह पर थोड़ी सी सलवार फट गई और उसकी बूर एकदम साफ नजर आने लगी।

मैं अपने बेटे के सामने यह सब देखकर काफी शर्मिंदा महसूस की और तुरंत वहां से भागने लगी।

जैसे ही मैं वहां से भागी

मैं देखी की शीला के पति मुझे ही ढूंढ रहे हैं तो मैं एक खिड़की के पास छुप गई।

वहां से मुझे शीला और आकाश साफ नजर आ रहे थे। आकाश ने शीला को छोड़ दिया था तभी शीला ने आकाश पर हमला किया और उसके लोअर को खींचकर उतार दिया जिससे कि आकाश का फनफानाता हुआ लंड एकदम से टनटना कर बाहर निकाला और शीला के मुंह के पास आ गया।

अब आकाश को गुस्सा आया और उसने शीला के गाल को धर के पूरा मिस दिया।

वह इस हमले में दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर गए और शीला के चूचियां आकाश के सीने से दब गई और उसका लंड शीला के बूर पर लगने लगी।

फिर शीला ने जोर लगाया और उसके ऊपर आ गई आकाश को नीचे कर दी और पास में पड़े कीचड़ मिट्टी को उसके छाती पर रगड़ने लगी इसी हमले में आकाश ने नीचे से ही उसकी चूची को पकड़ लिया।

तभी शीला ने कसकर उसके बालों को खींचा और उसके गाल पर एक दांत गड़ा दी।

फिर आकाश ने उसके चूचियों को कस कर खींचा और उसके होंठ को अपने होंठ में मिलाकर चूसने लगा।

अब दोनों गर्म हो चुके थे दोनों एक दूसरे के ऊपर पड़े एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और आकाश उसके दोनों चूचियों को दबा रहा था।

तभी शीला ने थोड़ी सी अपनी गांड को उठाई और हाथ को उसके लंड पर ले गई जो की पूरी तरह से टाइट थी।

शीला अपनी बूर को चौड़ा करके थोड़ी सी जगह बनाई और लंड को अपनी बूर पर सेट करके धीरे से अंदर की ओर ले ली।

आकाश उसकी चूचियों को चूस रहा था और शीला उसके लंड पर उठक बैठक कर रही थी।


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फिर आकाश शीला को नीचे किया और उसके बूर में फटी सलवार की जगह से ही लंड को पेल दिया और उसे चुदाई करने लगा और धीरे-धीरे उसकी दोनों चूचियों को मसल मसल कर चूस रहा था और कभी काट रहा था तो कभी उसके होंठ पर चुमा ले रहा था।

मैं यह सदृश्य देखकर एकदम से गर्म हो रही थी कि तभी मेरे पीछे से कुछ हमला हुआ।

यह हमला था शीला के पति का जो आते ही मेरे दोनों चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबा दिए थे मैं एकदम से सीहर उठी।

शीला के पति की हमला से मै एकदम से अछामहित् थी।


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उन्होंने आकर मुझसे कहा -क्या बात है सुनीता जी आप केवल देखकर मजा लोगी चलो आज सब करके मजा लेते हैं?

इधर शीला को मेरे बेटे आकाश ने पूरे जोर से चोदना शुरू किया था।

और इधर शीला के पति मुझे अपने गोद में उठकर फिर से मुझे आंगन में ले जा रहे थे जहां कोई नहीं था।

जैसे ही उन्होंने मुझे आंगन में उतारा मैं तुरंत भगाने की कोशिश की पर उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया फिर से पकड़ लिया।
आंगन में रंगों से भरा हुआ एक टब था वह पास में ही था मैंने उन्हें टब के पास ले गई और प्यार से उनके गाल को सहलाते हुए एक किस की और टब में धकेल दिया। वह बेचारे उस गिर कर रंग से नहा लिए। और मैं वहां से हंसते हुए भाग गई?

जैसे ही मैं हाल में आई मैं देखी कि वहां राज और सौम्या नहीं थे तो मुझे लगा कि यह दोनों आखिर कहां चले गए होली खेलते खेलते, तो मैं थोड़ा सा आगे बड़ी तब
मुझे ऊपर जाती सीढ़ियों के पास से कुछ आवाज आई?

मैं देखी कि सीढ़ियों के पास मेरे बेटे राज लेटा हुआ है और मेरी बेटी सौम्या उसके ऊपर चढ़ी हुई है और वह दोनों बिल्कुल नंगे हैं।

मेरा मुंहबोला बेटा मेरी सगी बेटी को चोद रहा था यह देखकर मेरी तो फिर से बूर गीली होने लगी थी एकदम से उसकी चूचियां हिल रही थी वह अभी छोटी-छोटी चूचियां थी मेरी बेटी पटना में रहकर काफी चुदक्कड़ हो गई थी जिसकी वजह से वह अपने भाई के ऊपर चढ़कर खूब मजे लेकर चुदाई कर रही थी।


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राज उसके छोटे-छोटे चूचियों को अपने हाथ से धर कर दबा रहा था और सौम्या उसके ऊपर चढ़कर धीरे-धीरे हिल रही थी और आंखें बंद कर आआआह्ह कर रही थी। आज अपनी सगी बेटी की चुदाई अपने मुंहबोले बेटे से होते देखी तो फिर से मेरी बूर एकदम से पानी पानी होने लगी मैं वहां से जल्दी ही भाग गई।

मैं भाग कर जैसे ही हाल के तरफ आई की फिर से मुझे शीला के पति ने पकड़ लिया और इस बार वह मुझे गोद में उठाकर मेरी गालों को दांत से काटते हुए बोले क्यों सुनीता जी पक्की खिलाड़ी हो एकदम से मुझे चक्मा देकर भाग रही हो?

वह मुझे उठा कर ले गए और टब में खुद भी घुसे और मुझे भी
टब का पानी अधिक नहीं था हम दोनों उसमें बैठ गए वह मुझे कसकर पकड़ के अपने लंड पर बैठाये हुए थे मेरी साड़ी कमर तक उन्होंने उठा दी और पानी में बैठने की वजह से छाती तक डूब गए थे जिसकी वजह से बाहर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह मेरी साड़ी को ऊपर उठाकर अपने लंड को मेरे पैंटी के ऊपर से ही बुर को रगड़ रहे थे और बैठे हुए थे।

फिर उनकी हरकत शुरु हुई और वह मेरी चूचियों को दबाने लगे और मेरे गाल को काटने लगे।

कभी वह मेरे गाल को चूमते तो कभी गर्दन को चूमते तो कभी पीठ को चुमते तो कभी बालों को सहलाते और नीचे से लंड को मेरी बूर पर रगड़ रहे थे और एक हाथ से मेरी बूर को सहला रहे थे तो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को दबा रहे थे।

यही सब कर रहे थे कि अचानक मेरा बेटा आकाश आंगन में आ गया। हम दोनों हड़बड़ा गए और उन्होंने मुझे छोड़ दिया मैं डरकर तुरंत से वहां से उठी और निकाल कर भाग गई।

मैं बेटे के पास से जब निकल रही थी तब मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं किसी गैर के बाहों में पड़ी हुई थी और मेरा बेटा मुझे देख लिया हालांकि वह अभी-अभी शीला की चुदाई करके आ रहा था।

शीला के पति काफी गुस्सा हुए वह एकदम गर्म जोशी में थे और ऐसा लगा कि उनके गर्म तवे पर किसी ने पानी फेंक दिया उन्होंने तुरंत मेरे बेटे को अपने पास बुलाया और आकाश के दोनों गाल पकड़ कर गुस्से से बोले अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गए वहीं क्यों नहीं रहे?

तब आकाश बोला अरे मैं तो आपको बुलाने के लिए आया था वह शीला आंटी आपको खाने के लिए बुला रही थी।
मैं वहीं खड़ी, खिड़की के पास सब देख रही थी कि तभी उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी मैं तुरंत वहां से भाग कर अपने घर की ओर निकलने लगी कि तभी जैसे ही शीला के घर से मैं निकली और दरवाजे से बाहर जा ही रही थी कि एक सफेद बांग्ला कुर्ता पहने हुए आदमी से मैं टकरा गई वह देखने में काफी हैंडसम था काला चश्मा लगाए हुए बड़ी-बड़ी दाढ़ी रखे हुए एकदम से गोर फुले हुए गाल और मजबूत बाहो वाला मैं जैसे ही उसे टकराई उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।

वह मुझे देख रहा था पर मैं उसे देख रही थी वह मुझे शायद पहचान लिया था इसलिए उसने बोला अरे आप अभी गिर जाती?

मेरा बदन गीला था सब अंग झलक रहे थे और मेरे शरीर पर कीचड़ भी लगे हुए थे जो उसके सफेद कपड़े को गंदा कर दिया था मैं उसे देखते ही काफी शर्मा गई और

मै बोली-- मैंने तो आपका कपड़ा गंदा कर दिया सॉरी तब

उसने बोला- अरे कोई बात नहीं मैं तो आपसे ही मिलने आ रहा था।


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मैं एकदम से सकपका गई कि यह हैंडसम आदमी मुझसे क्यों मिलने आ रहा था यह कौन था मैं तो पहचान ही नहीं पाई?

धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए। अब मैं आपसे अगले भाग में मिलेगी अभी होली जारी है।🙏
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Raaj Avani

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UPDATE 06
मुहबोला बेटा से प्यार
(होली स्पेशल)

अब तक आपने पढ़ा की जब मैं शीला के घर से निकल रही थी तब किसी सफेद कुर्ते वाले आदमी से टकरा गई जिसकी मजबूत बाहों में मैं समा गई थी मैं उसे देख रही थी और वह मुझे देख रहा था वह मुझे पहचान लिया था पर मैं उसे नहीं पहचान पाई थी। अब आगे।

उन्होंने मुझसे कहा -लगता है आप मुझे नहीं पहचानी मैं सौम्या के दोस्त हूं आलम।

मैं एकदम चक्कीत रह गयी ये तो मुसलमान है सौम्या का दोस्त यानी कि उसका बॉयफ्रेंड है।
इसलिए मुझे बोल रहा था कि मेरे साथ ही यह होली खेलने आया है।
मैं उन्हें बोली चलिए घर चलते हैं। और मैं उन्हें अपने घर लेकर आ गई।

मैं उन्हें हाल में सोफे पर बैठा दिया और सौम्या को बुलाने लगी।

पर सौम्या तो आई ही नहीं मैं उसके रूम में जाकर देखी तो वह तो टांग पसार कर सो रही थी।


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राज से चुदवाने के बाद थक गई होगी इसलिए सो रही है।
मैं सौम्या को सोते हुए छोड़कर आलम के पास आई और उनसे पूछने लगी कि आप क्या लेंगे?

तब उन्होंने कहा मैं तो बस आपके मालपुआ खाने आया हूं।

मैं एकदम से शकपका गई। फिर मैं जल्दी से किचन में गई और उनके लिए पानी और कुछ बने हुए मालपुआ उठाकर लाइ और उनके सामने रख दिए।

तभी वह खड़ा हुआ मेरे पास आया मैं उनके सामने ही खड़ी थी।
आलम ने बोला- अरे मैं इस मालपुआ की बात नहीं कर रहा था।

मैं काफी डर गई थी कि यह बंदा मेरे साथ किया करने वाला है और यह किस मालपुए की बात कर रहा है।

फिर मैं डरती हुई बोली की जी आप कौन से मालपुआ खाएंगे?

फिर आलम बोला अरे आप तो डर रही है मैं तो बस मजाक कर रहा था।

तब जाकर मेरी जान में जान आई और वह हंसने लगा।

आलम फिर से बोलना शुरू किया। और उसने बोला मैं तो बस आपको अपने पिचकारी से रंग डालने के लिए आया था अगर आप तैयार हो तो बोलो मैं यही खड़े-खड़े आपको डाल देता हूं।

मैं फिर से डर गई। मुझे डर लग रहा था कि कहीं यह अपनी उस पिचकारी की तो बात नहीं कर रहा क्योंकि यह तो और कोई पिचकारी लेकर आया नहीं है ना ही कोई रंग लाया है बिल्कुल सफेद सा हो कर आया है आखिर किस पिचकारी की बात कर रहा था?

फिर वह मेरे पास आया और बोला कि बोलिए भाभी जी अगर आपकी इजाजत है तो मैं आप में मेरी पिचकारी डाल दूँ।

मैं एकदम से घबरा गई। तब उसने फिर से हंसने लगा और बोला अरे मैं तो मजाक कर रहा था और उसने एक रंग की पुड़िया निकाली और मेरे गालों पर लगाकर बोला हैप्पी होली भाभी जी।


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फिर मैं बोली अरे आप तो मेरे बेटी के दोस्त हो और मेरे बेटे जैसे हो और मैं आपकी भाभी कैसे हो गई?

आलम ने कहा- अरे इतनी खूबसूरत औरत को भला कोई कैसे आंटी का सकता है आप तो बिल्कुल सौम्या की बड़ी बहन जैसी लगती हो अगर मुझे सौम्या पहले ना मिली होती तो मैं आप ही को पसंद करता और आपसे ही शादी करने की डिमांड करता।

मैं उसकी बातों से एकदम से घबरा गई यह क्या कह रहा है?

अच्छा ठीक है आपको जो कहना हो कहो पर चलो अब आप मालपुए खा लो?

आलम ने कहा- अरे मैं सच में यह मालपुआ खाने नहीं आया मैं तो आपकी मालपुआ खाने के लिए आया हूं।

मैं फिर से चक्रा गई यह क्या बात को घुमा रहा था?

मैंने उससे कहा- किस मालपुआ की बात कर रहे हैं बोलिए मैं अभी फिर से बना कर ला दूंगी।

तब आलम ने कहा- अरे मैं कोई मालपुए खाने नहीं आया मैं तो मजाक कर रहा हूं मैं बस आपके साथ होली खेलने आया हूं।

मैं बोली- ठीक है।

फिर आलम में भरमुथि रंग लिया और मेरे पेट पर रगड़ते हुए गालों पर और मेरी गर्दन पर लगा दिया।

फिर मैं भी रंग लिया उनके गालों पर लगाने लगी जो काफी मुलायम थे और बड़े-बड़े दाढ़ी भी थे उनके गाल पर रंग लगाते ही मेरे अंदर पता नहीं कौन सी वासना भड़क उठी मैं उससे चिपक गई और वह भी मुझे अपनी बाहों में ले लीये।


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मेरी दोनों चूचियाँ उनके चौड़ी छाती में दबी हुई थी और उनका लंड का भर मेरे योनि पर लग रहा था।

वह अपना चेहरा थोड़ा नीचे किये और उनका गर्म सांसे मेरे चेहरे से टकराने लगे हम दोनों का चेहरा बिल्कुल एकदम पास में था अगर वह थोड़ा और झुक जाते तो हम दोनों के होंठ एकदम से मिल जाते मैं भी नहीं चाहती थी कि उनसे दूर होउ मैं भी थोड़ा सा गरदन उठाई और वह भी थोड़ा सा नीचे झुके और हम दोनों के होंठ एकदम से मिल गए।


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मेरी आंखें तो बंद हो गई और वह मेरे होंठ को एकदम से चूसने लगा। मुझे डर था कि कहीं मेरे बेटी अंदर से जाग न जाए।

तभी मैं उससे अलग हुई।
और बोली यह ठीक नहीं है आप रंग लगाइए और मालपुआ खा लीजिए?

तब आलम ने बोला- अरे मैं तो आपके मालपुआ खाने के लिए आया हूं और वह फिर से मुस्कुराने लगे।

मैं इस बार सब समझ रही थी कि वह
किस मालपुए की बात कर रहे थे।

तभी वह मेरे पास आए और मेरे गालों को रंग लगाते हुए अपने चेहरे को मेरे चेहरे के करीब लाये और मेरे होंठ पर फिर से अपने होंठ रख दिए और उन्होंने चूसना शुरू कर दिया। मुझ में भी वासना भड़क उठी थी मुझे भी ना रहा गया और मैं भी अपनी दोनों हाथ उनके गले में डालकर चुप चाप अपनी होंठ चुसाई के आनंद लेने लगी आंखें बिल्कुल बंद कर ली और एकदम रस लेकर उनके कोमल होंठ को चूस रही थी और अपने कोमल मुलायम होंठ को चुसवा रही थी मेरी दोनों चूचियां उनके सीने में दबी हुई थी।


तभी डोर बेल बजी और हम दोनों की तंद्रा टूट गई।
मैं उनसे अलग हुई और किचन में भाग गई।

वह भी भाग कर मेरे साथ किचन में आये और बोले मैं इस हालत में कैसे वहां जाऊं?

तब मैंने उन्हें उनके हाथ धुलवाई और मैं अपने आप को ठीक किया और उन्हें सोफे पर बैठ कर मालपुआ परोसी और तब जाकर दरवाजा खोला।

दरवाजे पर मेरा बेटा आकाश आया हुआ था।

वह आलम को देखते ही बोला
आकाश- अरे आलम तुम यहां?
आलाम- हां मेरे दोस्त मैं तो यहां किसी के मालपुआ खाने आया था।


आकाश- हां तो खाए कि नहीं मालपुए।

आलम- अरे बस बस खा ही रहा हूं।

मैं वहां से उठकर अंदर चली गई।

मैं अंदर बिस्तर पर बैठी ही थी कि सौम्या जाग गई और मुझसे बोली।


सौम्या- आप कब होली खेल कर आई?
मैं बोली जब तुम टांग पसारकर सो रही थी तब आई थी।

मैं सौम्या को बताई कि उसका दोस्त आलम घर पर आया हुआ है।

तब सौम्या मुझे छेढ़ते हुए बोली- अरे माँ तो आप उन्हें अपनी मालपुआ चखाई या नहीं।

तब मैंने बोला हां जाकर देखो मालपुआ ही खा रहे हैं और कब से तुझे बुला रहे हैं जा?

तब सोम्या बोली- झूठ मत बोलो माँ वह होली मुझसे नहीं तुमसे खेलने आया था और तो फोन पर ही बोल दिया था कि तुम सो जाना मैं तुम्हारी मां के साथ खेलूंगा।

तब मैं बोली अच्छा तो मेरी बेटी का ये प्लानिंग थी। अभी तुझे बताती हूं रुक जा तू।

तभी सौम्या वहां से उठकर दौड़कर बाथरूम में घुस गई और खुद को लॉक कर ली और बोली अब मैं नहीं खोलूंगी मां जब तक तुम्हारा गुस्सा शांत नहीं हो जाता और मुझे छेढ़ते हुए बोली जाओ मां बाहर देखो कहीं मालपुया घट तो नहीं रहा अपनी मालपुआ खिला दो मां उन्हें। और हंसने लगी।

तभी बाहर से आवाज आई आकाश की -मां हम लोग बाहर जा रहे हैं।
तभी मैं दौड़कर बाहर आई तो देखी कि वह दोनों लोग जा रहे थे पहले आकाश निकाला और फिर आलम निकले।

मैं दरवाजे के पास ही खड़ी थी कि थोड़ी देर में आलम फिर से आए और बोले अरे मेरा घड़ी छूट गया था उन्होंने घड़ी टेबल से उठाया और पहने और दरवाजे के पास आकर मुझे फिर से कसकर कमर से पकड़ लिया मैं एकदम से सकपका गई।


आलम ने कहा- आज तो मैं आपके मालपुआ नहीं चख पाया पर किसी दिन जरूर मैं आपके मालपुआ चाखुन्गा और अपनी पिचकारी का रंग आपकी झोली में जरूर भर दूंगा एक दिन और फिर उन्होंने मुझे होंठ पर एक किस कर लिया और निकल गया।
जब आलम यहां से निकल रहे थे मुझे किस करके तब मैं पलटी तो देखी कि मेरी बेटी दरवाजे से खड़ी होकर सब देख रही थी तब मैंने उसे डाटा सब तुम्हारी ही करतूत है तुम क्या चाहती हो?

तब सौम्या बोली मां अपनी मालपुआ बस उन्हें चढ़ा दो और उनकी पिचकारी एक बार लेकर देखो बहुत मजा आएगा मां।
मैं बोली- बहुत शैतान हो गई हो।

आकाश उन्हें बाहर छोड़ने चला गया!
तभी मुझे याद आया कि राज तो घर पर है ही नहीं आखिर राज कहां चला गया?


फिर मैं सौम्या से बोली कि मैं राज को देखकर आती हूं कहां रह गया?
और मैं घर से निकल गई।

शाम के करीब 6:00 बज रहे थे होली अब खत्म हो गई थी कुछ-कुछ लोग पर अभी भी होली चढ़ी हुई थी कुछ लोग नशा में बड़बड़ा रहे थे तो कुछ लोग गाली बक रहे थे तो कुछ लफुओ की टोली अभी भी भाभियों को पेलने के फिराक मे थे।

मैं यहां से निकल कर शीला के घर जाने लगी कि शायद मेरा राज वहीं पर होगा कि तभी मुझे कुछ लोगों की टोली ने घेर लिया।
और बोला- भाभी पिछले साल आप बच गई थी पर इस साल नहीं बचेगी।


पिछले साल की होली मुझे ठीक से याद थी यही चार लफुए थे जिन्होंने मुझे घेर कर मेरी चूचियां दवाई चूतड़ दबाए और मुझे रंग लगाया था फिर भी किसी तरह मैं बच निकली थी लेकिन आज कोई चांस नहीं लग रहा था।

मैं भी कहां काम थी!
मैं उन लोगों से बोली- तो चलो ना देख लेती हूं कौन किसको और कितना अंदर तक रंग लगता है?

उन्होंने बोला कि क्या आप यही लगवाना पसंद करेंगी हम तो पूरा भीतर तक डालेंगे?

तब मैं समझ गई कि ये कुछ ज्यादा करना चाहते हैं?

तब मैं बोली ठीक है फिर जहां तुम लोग ले चलो मैं वही चलने को तैयार हूं।

यह चार लोग थे इनमें से एक का नाम था कालू, सरोज पंडित, तीसरे का नाम था सुखना शर्मा, और चौथा इन सब का लीडर यादव।

यादव ने बोला -कि चलो भाभी जी को यादव जी के खटाल पर ले चलो वहीं पर मस्त रगड़ के इनका रंग लगाएंगे।


मैंने उनसे बोली पिछले साल तो तुम लोग मुझे आंटी बोल रहे थे अब मैं भाभी कैसे हो गई? तब कालू ने बोला- अरे भाभी को भाभी ही कहा जाता है भाभी आपकी उम्र तो देखो एकदम छोटी लग रही हो ऐसा लग रहा है आपसे से उम्र मे तो बडे हम ही हैं पर क्या करें आपकी एकदम से छोटी होगी और हम लोग का बहुत लंबा है आप बस सह् लेना भाभी?

मैं बोली- ओ मेरे देवर लोग मेरे चेहरे पर मत जाना मैं दिखने में भले ही कम उम्र की लगु, जवान लगु पर मेरे तुम जैसे दो-दो जवान बेटे बेटियां हैं।

फिर कालू बोला - वह भाभी हमें फर्क नहीं पड़ता है बस हमें तो आपके में डालना है और निकालना है बस आप मजे लेना और हमें मजे देना।

और सभी हंसने लगे तभी खटाल भी आ गया उन्होंने मुझे खटाल में ले जाकर एक तरफ जहां चार रखा हुआ था पशुओं का वहां पर लेटा दिया।

मैं उनसे बोली चारों अब क्या एक ही बार करोगे एक-एक बार आओगे?

तब उन सब का लीडर यादव बोला की सबसे पहले इस बुर का उद्घाटन यादव जी करेंगे मैडम आप बस लेटी रहो।

मेरी भी बुर में कब से चुनचुनी मच रही थी चुदवाने को?


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तभी यादव ने रंग लिया और मेरे पूरे शरीर घसने लगा और मेरे ब्लाउज को खोल दिया और चूचियों को आजाद कर दिया।
मैं भी आनंद में अपनी आंखें बंद कर ली और उसे अपनी चूचियों को चुस्वाने लगी।

पास में पड़े अबीर को मैंने उठाया और यादव के पूरे मुंह पर पोत दिया।

वहां पर सभी उसे देखकर हंसने लगे मैं भी हंसने लगी तभी यादव गुस्सा हुआ और मेरी चूची को कसकर कट कट कर चूसने लगा और मेरे मुंह से सीस्कारी निकलने लगी।

ओ मेरे यादव जी चूसोना सब तुम्हारे लिए तो है।
फिर यादव ने मेरी जांघों को फैले और साड़ी को कमर तक उठा दिया मेरी पैंटी को निकाला और मेरी बूर में मुंह लगा दिया और उसे जोर-जोर से चूसने लगा।


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मैं वहां पास के रखे सारे पुवाल को छीटने लगी एकदम तड़प रही थी एकदम से गर्म हो रही थी मेरी बूर पानी छोड़ रही थी और वह लगातार कहते जा रहि थी गजब मेरे यादव जी एकदम बूर को चाट चाट कर लाल कर दो। मेरी मुलायम बूर को अअअअअअह्ह्ह।

तभी यादव उठा और अपने लंड को मेरे चुत के निशाने पर लगाया और सट से पूरा चूत में उतार दिया मैं तो एकदम से कराह उठी कि वो यह क्या गरम सरिया डाल दिया मेरे बूर के अंदर?
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इसी तरह यादव जोर-जोर से मेरे अंदर अपने लंड को घुसता रहा। मैं उसके हर धक्के से पूरी तरह सिहर उठती थी।
और इसी तरह यादव के बाद कालू कालू के बाद सरोज और सरोज के बाद कालू ने मुझे चोदा।

फिर उन्होंने कहा कि भाभी जी अब आगे कब दोगी?

तब मैंने उन्हें कहा कि अब आगे का सपना मत देखो आज होली थी बस आज ले लिया बहुत है।
तब यादव ने कहा कि अरे भाभी जी हम तो कभी भी ले लेते हैं बस अगर आपका मन करे तो आ जाना हमारे खटाल में हम आपकी खूब बाजा बजा कर लेंगे।

मैं यादव के गोद में बैठ गई और उसे पूरा प्यार से बोली अरे मेरी यादव जी अगर मेरा मन हुआ तो मैं आपका लेने जरूर आऊंगी।

और फिर मैं वहां से निकल गई। वहां से निकाल कर मैं सीधे अपने घर आई। घर आते ही देखा कि राज तो घर आ चुका है और वह टीवी देख रहा था उसके साथ ही सौम्या भी बैठकर टीवी देख रही थी और आकाश बगल में बैठा हुआ था मैं जाकर आकाश के पास बैठ गई।

सौम्या ने मुझसे पूछा कहां इतनी देर लगा दी थी मां? मैं सौम्या को कोई जवाब दे नहीं पाई फिर मैं वहां से उठकर सीधे बाथरूम में चली गई।

जब मैं बाथरुम से निकाल कर आई तब आकाश मेरे पास आया और मेरे गले लग गया और बोला मां आज तो होली खत्म हो गई मुझे और दीदी को कल यहां से निकलना है पटना जाने के लिए वहां पर कोचिंग तुरंत ही स्टार्ट होने वाली है।

फिर मैं अपने आकाश को उसके गालों पर एक किस देते हुए बोली की ठीक है बेटा मैं तुम लोगों की तैयारी कर दूंगी कल चले जाना और उसे प्यार से मैं उसके गालों पर किस दे रही थी कि तभी सौम्या ने आवाज लगाया और आकाश अपना मुंह उसके उधर से इधर किया वैसे ही उसका मुंह और मेरा दोनों का एक में सेट किया और फिर से एक दूसरे के होंठ को चूसने लगे।


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मुझे पता नहीं क्या हुआ मेरी आंख अपने आप बंद हो गई और उसे के होंठ को मैं चूसने लगी कि तभी एक और आवाज लगाई सौम्या और हम दोनों अलग हो गए?

फिर आकाश जाकर सौम्या के पास बैठ गया और मैं अपने काम में लग गई।

रात में मैं और सौम्या सोई हुई थी और आकाश और राज दोनों एक साथ सोए हुए थे कि तभी रात को मेरी नींद खुली तो देखी की सौम्या मेरे पास नहीं थी तो मैं उठकर जाकर बाहर देखने लगी तब किचन से कुछ आवाज आ रही थी।

मैं किचन में देखे की सौम्या का एक पैर किचन के ऊपर पड़ा हुआ है और एक नीचे और पीछे से मेरा बेटा राज उसके बूर में लगातार तेज धक्के लगा रहा था और सौम्या की धीरे-धीरे सिसकारी निकल रही थी।


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उन दोनों को वैसे ही छोड़ कर जाकर सो गई। सुबह में उठकर जल्दी से खाना पीना बना दी क्योंकि आज मेरे बेटे और बेटी बाहर निकलने वाले थे? मैं जाकर सौम्या को उठाई और बोली जाओ जाकर फ्रेश हो जाओ और खाना खा लो आज तुम लोगों को निकलना भी है।
फिर मैं राज और आकाश को भी उठा दी और इन तीनों लोगों को खाना खिलाकर फिर इन दोनों को तैयार करके मैं और राज दोनों इन लोगों को स्टेशन पर छोड़ने गए।

सौम्या और आकाश दोनों ही मुझे और राज से गले मिले और फिर ट्रेन पकड़े और पटना के लिए निकल गए।

मैं और राज दोनों ही घर जाकर थोड़ा आराम करने लगे राज सो गया।

तभी मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया।
हेलो भाभी
मेरा मालपुआ अभी आपके पास है मैं जल्द ही आ रहा हूं आपके मालपुए को खाने के लिए आप बस रेडी रहना।

यह मैसेज तो आलम का था पर उससे मेरा नंबर कहां से मिला और वह कब आ रहा है? यह सोचते सोचते मैं सो गई।

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए
हैं अगले भाग में।🙏
 

Raaj Avani

Incest Lover
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UPDATE 07

मुहबोला बेटा से प्यार S1 #UPDATE 7
(बेटी के बॉयफ्रेंड स्पेशल)

अब तक आपने पढ़ा की होली खत्म हो चुकी थी और मेरे बेटी और बेटे पटना जा चुके थे और मैं और मेरा राज दोनों साथ में आकर लेटे ही थे कि एक मैसेज आया आलम का कि वह मेरे मालपूए अभी भी चाहता है।
अब आगे।

होली के दिन शीला के पति और आलम यह दोनों लोग अभी भी मेरी मालपुए नही चख पाये थे। और मैं उन्हें देना भी नहीं चाहती थी।

सुबह हुई मैं थोड़ी परेशान थी मालपुए और उस मैसेज को लेकर।

तभी राज मुझे प्यार से एक किस दिया।

और बोला- क्या हुआ माँ आप आज परेशान लग रही हैँ।

मै- अरे नही बेटा मै क्यू परेशान होउंगी फिर मै भी उसे किस दी।

फिर अपनी काम मे लग गयी।
मै किचेन मे खाना बनाने की तैयारी कर रही थी।
फिर राज मुझे बाहों मे कस कर पकड़ लिया और बोला- मां आप इस तरह परेशान ना हुआ कीजिए मैं आपको परेशान देकर खुद परेशान हो जाता हूं। मुझे बहुत बुरा लगता है मां।

और फिर राज ने मेरे होंठ पर एक किस कर दिया। राज मुझे पीछे से पकड़ा हुआ था मेरी गांड उसके लंड से दबी हुई थी और उसके हाथों से मेरी दोनों चूचियां बाहों में कैद थी और फिर मैं भी हल्की से उसकी तरफ मुड़ी जिससे कि उसका लंड अब मेरी योनि को टच हो रहा था।

मैं अपने दोनों हाथ उसके गले में डालकर बोली की अरे मेरा बिट्टू जी आप परेशान मत हुआ कीजिए मैं बस ठीक हूं।

और मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिया वह भी अपनी आंखें बंद करके मेरे होठो का रस लेने लगा।

मैं भी उसके होठों का रस लेने लगी और इसी तरह हम मां बेटे दोनों ही किचन में ही गर्म और उत्तेजित होकर एक दूसरे का रसपान करने लगे।

फिर राज ने मुझे गोद में उठाया और किचन में बनी खाने रखने की चीज पर मुझे बैठा दिया और मेरी साड़ी को जांघों तक उठाकर अपने जीभ को मेरी योनि में डालने लगा।

सुबह-सुबह मैं बिना पेंटि के ही थी इसलिए उसे सीधा मेरी योनि की दर्शन हुए और वह मैं अपनी जीभ को मेरी बूर में डालने लगा मैं एकदम से मदहोश हो गई आंखों को बंद कर ली और उसके साथ पुरा इंजॉय करने लगी।

फिर वह उठा और मुझे नीचे उतारा और मेरी एक टांग को किचन के ऊपर रखकर नीचे से अपनी लंड को मेरी बूर में डालने लगा मैं एकदम से सीहर उठी उसका लंड मेरा बूर में पूरी तरह से घुस गया वह अब मेरे बालों को पकड़ के मेरी गालों को चूमने लगा और धीरे-धीरे लंड का धक्का मेरे बुर मे मारने लगा।

सुबह-सुबह मैं अपने बेटे से चूद कर एकदम से धन्य हो गई थी वह मुझे लगातार धक्के लगा रहा था और मेरे मुंह से सिर्फ शिस्कार ही उत्पन्न हो रही थी।
अअअअअअह्ह्ह बेटा ूईूओह्ह्ह्ह ओह आअह्ह
और ऐसे ही लगातार 15 मिनट तक मुझे पेलने के बाद मेरी बूर में ही अपना रस छोड़ दिया।
और फिर मुझे गले लगा कर बोला- मां आई लव यू और मेरे होंठ को चूमने लगा मैं भी उसके होंठ को चूमने लगी।

फिर हम दोनों अलग हुए और बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ किया और फिर मैं अपने काम में लग गई और राज घर में बैठकर टीवी देखने लगा।


तब शीला मेरे पास आई और आते ही मेरी चूचियां दबाने लगी और
बोली वाह मेरी जान तुम तो उस दिन बच गई और मुझे चुदवा दिया।

तब मैंने कहा-- मैं कहा कुछ कि थी तब तुम और मेरे बेटे ने ही किया तुम ही खुद उसके लंड पर उछल-कूद कर रही थी और मुझे बोल रही हो। चल हटो यहां से।
और फिर मैं काम करने लगे।

तभी शीला-- लेकिन यार सुनीता उस रात मुझे मेरे पति ने तुम्हारे बुर के बारे में सोच कर बहुत चोदा यार बहुत और उसे दिन के बाद से वह तो रोज तुम्हारे ही बूर का कल्पना करते रहते हैं। बस एक बार दे दो ना उन्हें।

फिर मैं बोली कि मैं क्यों दूं उन्हे तुम दे ही रही हो बस इतना काफी है?

फिर शिला बोली कि- अच्छा ठीक है मत देना चल मेरे घर चल अभी थोड़ा कुछ काम है तुमसे।

फिर मैं उससे बोली की अरे नहीं अभी नही

तब शीला बोली की- अरे चल ना!

फिर मैं बोली- अच्छा ठीक है चलती हु।

और हम दोनो यहा आ गये।

शीला के पति घर में ही बैठे हुए थे मैं उन्हें जाते ही नमस्ते की।
फिर उन्होंने भी मुझे नमस्ते किया और बोले आप तो कभी मुझसे बात भी नहीं करती ऐसा क्या गुनाह कर दिया मैंने?

फिर शीला बोली कि तुम दोनों बैठकर बात करो मैं थोड़ा चाय बना कर तुम दोनों के लिए लाती हूं।

फिर
मैं बस उन्हें मुस्कुरा कर जवाब दे दी वह भी इस बात को समझ गए कि मैं कोई उनसे गुस्सा नहीं हूं।

उन्होंने कहा- अच्छा सुनीता जी क्या आपको मैं अच्छा नहीं लगता?

यह सवाल मेरे लिए बहुत भारी सवाल था। मैं उन्हें क्या जवाब देती कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था? मैं खामोशी में बैठी हुई थी कि तभी उनका हाथ है मेरे हाथ के ऊपर चलने लगा।

मैं खामोश बैठी हुई थी कि धीरे-धीरे उनका हाथ अब मेरी जांघो तक पहुंचने लगा था। मैं उनकी इस हरकत से अपने आप को गर्म होता महसूस कर रही थी फिर से मुझे अब गर्माहट महसूस हो रहा था ऐसा मालूम हो रहा था जैसे अभी के अभी मैं अपने आप को खो मत दूं। तभी वहां पर चाय लेकर शीला आ गई और हम दोनों अलग हुए। हम तीनों आपस में बातें किया और चाय पी और फिर मैं शीला के पति से बोली कि मैं किसी से नाराज नहीं हूं बस सही समय का इंतजार कीजिए आप लोग?

दरअसल मैं उन्हें अपनी चुदाई का न्योता ही दे आई थी। इस बात का मुझे एहसास हो गयी।

मै घर आई।
तब राज मुझे बहो मे पकड़ कर प्यार करने लगा, मै भी उसके प्यार मे खो गयी और वह मेरे होंठ को चूसना शुरू कर दिया मैंने भी उसके होंठ को चूसने लगी और मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया मैं एक हाथ से उसके लंड को सहलाती और होंठ को चुस्ती तो वह भी एक हाथ से मेरे चूचियां को मसल रहा था।

फिर उसने अपना एक हाथ से मेरे साड़ी के कमर तक उठा दिया पैंटी को खींचकर निकाल दिया।

फिर राज सीधा हुआ और मेरे ऊपर आ गया और अपना लंड को मेरे बूर के निशाने पर लगाकर धीरे से ढेल दिया फिर उसने धीरे-धीरे धक्का लगाना चालू किया और मैं उत्साह में उसके होंठ को चूसने लगी फिर वह मुझे चोदता रहा और मैं उसके बालों को सहलाती रही और ऐसे ही लगभग आधा घंटा तक चला और फिर हम दोनों झड़ गए और फिर हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से निहाल होकर सो गये।

और ऐसे हि 4 महीने बित गये उस आलम की massage को मे भी इधर से कोई रिप्लाई नही की थी।

फिर एक सुबह।
सुबह उठकर मैं अपने काम में लगी हुई थी की तभी राज मेरे पास आया और पीछे से गले लगा कर बोला आई लव यू मां।
मैं भी उसे कसकर गले लगाया और एक चुम्मा देते हुए बोली आई लव यू टू बेटा।

फिर राज नहाने के लिए चला गया और मैं अपने काम में लग गई।

तभी भी फोन की घंटी बजी और मैं जाकर फोन उठाई।

मैं इधर से बोली- हेलो कौन बोल रहा है?

उधर से बोले- हेलो भाभी जी मैं बोल रहा हूं आलम।

मेरा नाम सुनकर मेरे तो रोङते ही खड़े हो गए।

मैं फिर कुछ बोल ही नहीं पाई।

तभी उधर से बोले -और कैसे हो भाभी जी?

तब मैंने जवाब दिया- हा ठीक हूं।

तब उधर से बोले- कि मैं आपके ही शहर में आया हुआ हूं। बोलिए कि अब कब मिलना है?

मैं एकदम से सीहर गई उनकी वह मिलन के बाद मैंने उनसे दोबारा कभी बात तक नहीं की थी।

उनकी massage वाली बात बीते भी अब तीन-चार महीने हो चुके थे।

मैं उनकी बात की जवाब देते हुए कही- आज।

मैं घबरा रही थी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या जवाब दूं और हड़बड़ा कर मैं बोल दी आज?

फिर आलम बोले- ठीक है भाभी जी मिलते हैं आज दोपहर को 11:00 आपके घर पर आप मेरा वेट कीजिएगा मैं आपके मालपुआ चखने के लिए आऊंगा बस मेरी मालपुआ को आप रेडी रखना।

मैं इस मालपुआ के नाम सुनकर अपने आप में एक अजीब सी उत्तेजना को महसूस कर रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उनकी मतलब था कि वह मेरी बूर को खाना चाहते हैं और अपना पिचकारी मेरी बूर में डालना चाहते हैं।

मैं तो यह सोचकर गनगना गयी और सोची कि मुसलमान लोगों का तो बहुत बड़ा होता है और उनका तो आगे टोपी जो होता है वह बहुत नुकीला होता है मेरा क्या होगा मेरी बूर का क्या होगा, यह सोचकर एकदम रोंगटे मेरी खड़ी हो रही थी?

यह सब सोच ही रही थी कि ध्यान आया कि वह तो आज 11:00 ही आने वाले हैं और घर में राज होगा तब क्या होगा सब कैसे मैनेज करूंगी एकदम से मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया और मैं क्या करूं कुछ समझ में नहीं आया कि तभी मैं उठी और शीला के पास जाने लगी।

तब राज आया मेरे पास और
बोला मां कहां जा रही हो?

तब मैंने उसे हड़बड़ाते हुए कहा बेटा मैं कहीं नहीं जा रहा हूं बस शीला से थोड़ा सा काम था, मिलकर आ रही हू तुम ,तुम बस यहीं पर आराम करो।

मेरी आवाज में साफ हड़बड़ाहत थी।
मैं राज को इससे आगे कुछ नहीं बताइए और
तुरंत शीला के पास चली गई जब शीला के घर गई तो देखी की शिला काम कर रही थी और
उसके पति काम पर जाने की तैयारी।

शीला के पति समर जी यहीं इसी शहर में अपनी उनकी दुकान है तो वह इस पर हर रोज चले जाते हैं और शाम को आ जाते हैं जैसे ही वह निकल रहे थे कि मैं आई।

तब उन्होंने मुझे देखते ही बोला-अरे सुनीता जी आप इतनी हरबढ़ाते हुए कहां जा रही हैं आप तो एकदम हमें भूल ही गई है?

तब मैंने उनसे कहा- आपको मैं क्यों भूलने लगी आप तो वैसे भी मेरे सहेली के पति हो और हमारे पड़ोसी तो आपको भला मैं कैसे भूल सकती हूं आप तो हमेशा हमारे बगल में ही रहते हो और और मैं बस मुस्कुरा दी।

समर जी मेरी मुस्कान को अपनी किस्मत समझते हुए वह अपने दुकान पर सुबह-सुबह चले गए और मैं जाकर झट से शीला को गले लगा ली।

मैंने शीला से कहा -अरे मेरी जान क्या कर रही हो और मैं उसकी चूची को दबा दी?

तभी शीला भी पलटी और एक मेरी चूची को दबाते हुए बोली तुम कहो मेरी सुनीता जान आज भोरे भोरे मेरी याद कैसे आ गई?

तब मैं शीला से कही- एक बहुत जरूरी काम है मेरी जान तुम बोलो करोगी क्या?

तब शीला ने कहीं- अरे मेरी जान तुम बोलो तो तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है और उसने मेरी गाल को अपने दांत से काटते हुए बोला।
तब मैं शीला से बोली- अरे छोड़ो तो मुझे पहले ऐसे कैसे बताऊं?
फिर उसने मुझे छोड़ा और मैंने उसे सब कहानी बताई।

तब वह जाकर मुझसे बोली कि-- बस इतनी सी बात है?

मैंने उसे कहा- बस इतनी सी बात नहीं है वह मेरे घर आ रहा है और मैं उसे कैसे मैनेज करूं कुछ समझ नहीं आ रहा है?

फिर शीला बोली- तुम बस अपने बेटी के दोस्त को संभालो, मैं तुम्हारे राज को संभालती हूं,
अरे तुम क्या अपने बेटी के दोस्त को संभालेगी वह खुद ही तुम्हें संभाल लेगा बस तुम खुद अपने आप पर कुछ कंट्रोल करना और राज को खाना खिलाकर मेरे पास भेज दो आज दिन भर मेरे पास ही रहेगा ठीक है?

मैंने ऐसा करना ही ठीक समझा और मैंने गले लगा कर शीला को एक किस देते हुए कहीं थैंक यू मेरी जान तुम तो मेरी परेशानी ही दूर कर दी।

फिर मैं घर आई और राज को खाना पीना खिलाकर 10:00 तक उसे शीला के पास ले है।

तब शीला राज को समझाते हुए बोली- राज आज तुम्हारी मां का कुछ काम है सो वह दिन भर थोड़ा काम में बिजी रहेगी इसलिए तुम्हें मेरे पास रहना होगा।

मैं भी बस मुस्कुराहट को राज को सर पर हाथ फिरते हुए हा बेटा थोड़ा काम है।
शीला के बोलने पर वह कोई सवाल नहीं किया और वह वहां रहने को राजी हो गया मैं भी अपने बेटे राज को शीला के पास छोड़कर अपने घर चली आई।

11:00 तक अपने आप को तैयार कर चुकी थी और चुपचाप बैठी ही थी कि तभी डोर बेल बजे मेरे दिल की धड़कन तो एकदम से बुलेट ट्रेन की तरह दौड़ रही थी समझ नहीं आ रहा था क्या करूं, मुझे पसीने आ रहे थे?

मैं तुरंत जाकर डोर खोली जैसे ही डोर ओपन हुआ सामने एक लंबा चौड़ा आदमी लंबी दाढ़ी वाला।

मुझे तो उसे देखते ही पता नहीं क्या हो गया बस उसकी आंखों में देखे जा रही थी कि

तभी उन्होंने कहा अरे आप मुझे अंदर बुलाएंगे की बाहर ही देखती रहेगी?

फिर मैं झट से ध्यान आया अरे क्यों नहीं मैं तो बस एसे ही और उन्हें अंदर बुलाई और दरवाजे को लॉक किया दरवाजा जैसे ही लोक हुआ वह अंदर आए और मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे मेरे मालपुए को अभी एकदम से खा जाएंगे मेरी भी हवास बढ़ रही थी?

मैं उनके लिए पानी लाई पानी पिए और कुछ नाश्ते का इंतजाम किया उसके बाद उन्होंने नाश्ता करने के बाद।

मै उन्हे हाथ धुलवाने लगी। वो हाथ धोते वक्त मुझे देख रहे थे।
हाथ मुह धो लिए,
फिर मै उन्हे हाथ पोछने के लिए तौलिया दी।

फिर मेरे सामने आये तो मै उन्हे देख मुस्कुराई।

फिर वे बोले- क्या हुआ ?
तब मै बोली- आपके चेहरे पर कुछ लगा है।

फिर वे अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास लाकर बोले आप ही साफ कर दीजिए ना आखिर क्या लगा है?

तब मैं उनके चेहरे पर से थोड़ा सा झूठन जो लगा था उसे साफ की इसी बीच मै उनके एकदम से करीब आ गई थी मेरी चुचिया उनके सीने में टच हो रही थी और उनकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर लग रही थी।

उन्होंने अपने चेहरे को और मेरे चेहरे के करीब लाया और मेरे होठों पर अपने होंठ रखना चाहे तभी मैं पलट गयी।
और शर्मा कर दूसरी तरफ देखने लगी तभी उन्होंने मुझे पीछे से खींच कर अपनी बाहों में कसलियां।

उनके लंड का उभार अब मेरे गांड पर महसूस हो रही थी मैं धीरे-धीरे गर्म हो रही थी उनका हाथ मेरी पेट पर चल रहा था और मेरी सांसे तेज चल रही थी उनके सान्से मेरी गर्दन से टकरा रही थी कि थोड़ी ही देर में उनका कोमल होंठ मेरी गर्दन पर पड़ी मैं एकदम से सीहर उठी उन्होंने मेरे गर्दन को चुम्मा उसके बाद मेरे गाल को चुम्मा और फिर धीरे से मेरी चिकनी पेट पर हाथ फेरते हुए मेरे गाल को अपने दांतों से काटा में काँप उठी और तुरंत उन्हें धक्का देकर दूर करके दीवार से सट कर मुस्कुराने लगी।

फिर वह मेरे पास आए मुझे दीवार से सटे हुए हैं मेरे गान्ड पर अपना लंड रगड़ते हुए फिर से मेरे गाल पर एक किस किया और अपना हाथ मेरे चिकने पेट पर चलाने लगे मैं एकदम मदहोश होकर दीवार से सटी हुई थी कि उनका लंड मेरे गांड में के छेद कर अंदर घुसता जा रहा था अगर कपड़े की दीवार न होती तो पक्का उनका लंड तो मेरी पेट तक चला जाता गांड के रास्ते से।

फिर मैं पलटी और उनका और मेरा चेहरा दोनों का एक दूसरे के सामने था उनका लिंग मेरी योनि से एकदम सेट हुए थे।

उनका होंठ मेरे होंठ के बिल्कुल करीब था ऐसा लग रहा था कि बस अब हम दोनों एक दूसरे में खो जाएंगे मैं पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी आंखें बंद किए हुए थी और वह मेरे मदहोश चेहरे को बड़े गौर से देख रहे थे।

कभी-कभी मेरे दिमाग में आ रही थी कि मैं यह सब क्या कर रही हूं?
यह जो शख्स मेरे सामने खड़ा है वह मेरी सगी बेटी का बॉयफ्रेंड है। मैं इसके साथ यह सब कैसे कर सकती हूं?
की तभी दूसरी बात भी दिमाग में आती है यह आदमी इतना हैंडसम है की अगर इतना हैंडसम आदमी मेरा सगा बेटा भी हो तभी मैं इसके लंड पर झूल जाऊंगी?

तभी आलम का लंड का उभार मेरी योनि पर महसूस होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे अभी अंदर घुस जाएगा मैं मदहोश हो रही थी। मेरे चेहरे पर उसका गर्म सांसे मुझे मदहोश कर रही थी मैं बस आंखें बंद करके उसके सामने खड़ी थी और वह अपना लंड मेरी योनि में सटाए खड़ा मेरी चूचियों को अपने सीने से दबा कर मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया हुआ मेरे चेहरे को गौर से देख रहा था और मेरी आंखें बंद थी उसकी मदहोशी के कारण।
उउउफ्फ्फ़ गजब सुकून थी।

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अब अगले भाग में।🙏
 

Raaj Avani

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UPDATE 08


मुहबोले बेटे से प्यार। S1 UPDATE 08
(बेटी के बॉयफ्रेंड स्पेशल)

(नोट्स: आप सभी से अनुरोध है कि कहानी का संपूर्ण आनंद लेने के लिए पहले शुरुआत से सभी पार्ट्स को पढ़ें।)

अब तक आपने पढ़ा कि आलम मुझे कस के बाहों में पकड़ा हुआ था और फिर दीवार के सहारे मुझे सटाकर मेरी होंठ को चुमने की कोशिश कर रहा था अब आगे।

आलम की गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी मैं आंखें बंद करके पूरे मदहोशी में उसके कमर में हाथ डालकर चुपचाप दीवाल से सटे खड़ी थी और उसके लिंग का उभार जो मेरे योनि पर महसूस हो रहा था उसे काफी शालीनता से मैं महसूस कर रही थी।

की तभी धीरे से आलम ने मेरे होठों पर अपने होंठ को रगड़ने लगे मैं एकदम से उत्तेजित हो गई और अपने हाथों को उनकी कमर मे कस ली इससे उनका लंड का उभार और ज्यादा मेरे योनि पर लगने लगा।

और वह मेरे होंठ को रगड़ते हुए मेरे निचले होंठ को अपने दांतों में पकड़ कर धीरे-धीरे चूसने लगी मैं पूरी मदहोशी में उनके ऊपर के होंठ को चूस रही थी।
मेरी आंख बिल्कुल बंद थी और उनका हाथ मेरे दोनों नीतम्ब पर चल रहे थे मेरी गांड को धीरे-धीरे वह सहला रहे थे और मेरी होंठ को चूम रहे थे मुझे तो ऐसा लग रहा था कि आज मेरी मालपुआ नहीं बचने वाली यह जो शख्स है आज मेरी मालपुआ को चट कर जाएगा।

मैं उनकी होठो की चुसाई और लंड की रगड़ाई से खुद को मदहोशी में महसूस कर रही थी।

कि तभी उन्होंने मुझे छोड़ दिया मैं एक तुमसे छटपटा उठी।
यह क्या हो गया ऐसा लगा जैसे किसी बच्चे से उसका खिलौना छिन गया?

मैं उनके चेहरे की ओर देखने लगी वह मेरे चेहरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे और मेरे कमर पर अभी भी उनके हाथ थी। फिर वह धीरे से अलग हुए।

मैं उन्हें बोली- क्या हुआ?

तब वह मुस्कुराए और मुझे कस के गले लगा कर बोले- मेरी जान मैं आज आपको शॉपिंग करना चाहता हूं चलिए कहीं मॉल घूम कर आते हैं।

मैंने उनसे कहा- अरे कहां इस शहर में इतना भी बड़ा मॉल नहीं है आपके शहर में होता होगा?

तब उन्होंने कहा कि आपके साथ घूमने के लिए तो माल बहुत छोटा भी हो तो वह बहुत बड़ा होगा बस आप रेडी हीईये और चलिए।

फिर हम दोनो उनके कार मे बैठ के निकल गये।

आलम बोले- मैं तो आपकी बेटी के पास 4 महीने रहा अब वाही कुछ काम से आया था तो सोचा अपना मालपुआ खाता चलू।

उनकी बात से हम दोनो हसने लगे।

तब मैं बोली- हां आज से लगभग होली के बाद आपका मैसेज आया था कि आप आने वाले हैं और आप 4 महीने बाद आये है।

उन्होंने कहा- मेरी जान मैं थोड़ा बिजी हो गया था।

उनके मुंह से जान शब्द सुनकर मेरी तो जान ही अटक गई।

फिर
हम माल पहुंच गए मॉल में जाते ही उनकी छेड़खानी शुरू रही हुई,
वह कभी मेरे गांड को दबा देते तो कभी मेरी नाभि में उंगली करते थे तो कभी मेरी गाल को टच करते मैं सब चीज से काफी मजा ले रही थी वह भी बहुत खुश थे हम दोनों मॉल गए कुछ कपड़े सिलेक्ट किया और लेकर हम चेंजिंग रूम में चले गए।

हम दोनों चेंजिंग रूम में एक साथ घूसे थे वह मेरे सामने खड़े थे और बोले कि भाभी जी आप बस पहन कर मुझे दिखाइए।

मैं उनके सामने शर्मा रही थी कि तभी उन्होंने मेरे होठो पर अपने होंठ रखकर एक लंबा किस कर दिया

और बोले- अब मत शरमाओ मेरी जान मेरे सामने ही चेंज करो।

उन्होंने खुद मेरी साड़ी खींचकर खोल दी मैं बस पेटिकोट और ब्लाउज में खड़ी थी।

मुझे थोड़ा शर्म आ रही थी, मै अपने बेटी के बॉयफ्रेंड के साथ ये सब।

तभी उन्होंने एक अच्छी सी साड़ी मुझे दी और बोले की इसे ट्राई करो। कहा खो जाति हो?

मैंने उसे जैसे ही पहना उनकी तो आंखों में चमक आ गई उन्होंने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ लिया।

और बोले- वाह मेरी जान कितनी सुंदर लग रही हो और मेरे होंठ पर अपने होंठ लगा दिये।
मेरी आंख तो अपने आप ही बंद हो गई और हम दोनों एक दूसरे में खो गए वह मेरी होठो को चुस रहे थे और मैं उनके होठों को चूस रही थी वह कभी मेरे अंदर अपना जीभ डालते तो मैं उनकी जीभ को चूस लेती।

उनकी मैं बालों को सहला रही थी तो वह मेरी गांड को सलाह रहे थे ऐसे ही हम दोनों का कुछ लंबा किस्स्स चला?

फिर बाहर से कोई दरवाजा पीटने लगा और हम दोनों अलग हुए फिर मैंने पहनी हुई साड़ी खोली और अपने जो पहन कर आई थी वह साड़ी पहन ली और इस साड़ी को ले लिया और उसके साथ ब्रा भी थी ब्लाउज भी था सब ले लिया और हम दोनों काउंटर पर चले गए।

बिल पे किया और वहां से निकाल लिए।

घर आते आते हमें शाम हो गई वह मुझे घर पर छोड़े और अंदर आए मैंने उन्हें खाना खिलाया खुद खाया और फिर उन्होंने बोला कि अब आप आराम करो मैं जाता हूं।

मैं थोड़ी मायूस हुई कि तभी वह मेरे पास आए और मुझे गले लगा कर मुझे किस करना फिर से चालू कर दिया।
मेरी गांड को दबाने लगे धीरे-धीरे वह मेरी बूर के पास पहुंच गए और उसे रगड़ने लगे। मैं वहीं सोफे पर बैठ गई फिर उन्होंने मुझे एक टांग को सोफे पर रखा और एक को नीचे किया और साड़ी को ऊपर कमर तक सरका दिया मैं तो एकदम से शर्मा रही थी कि तभी उन्होंने पैन्टी के ऊपर से ही अपना जुबान फिराना शुरू किया और एक झटके में अपने दांतों से मेरी पैंटी को खींचकर नीचे कर दिया फिर मेरी फुली हुई बूर उनके सामने आ गई उसे देख उनके मन में एकदम से लड्डू फूटने लगे।

वे इसी मालपुए की कितने दिन से आस लगाए बैठे थे। वह मालपुआ उनके सामने था उन्होंने अपना जीभ को निकाला और मेरी मालपुआ में घुसाकर उसका रस को चूसने लगे मेरी तो आंखें ही बंद हो गई मैं एकदम से मदहोश हो गयी।
कभी मै उनके बाल को सहलाती तो कभी उनकी मुंडी को अपने मालपुआ में घुसेड देती आज मैं भी उन्हें अपनी मालपुआ चखा ही दिया था वह भी पूरा रस लेकर मेरी मालपुआ को अपनी जीभ से कुरेद कर उसे चूसने लगे?

मेरी मालपुआ के रस को वह चूसते जा रहे थे।
कि फिर उन्होंने उठे और उठकर अपनी जीभ को मेरे मुंह में देने लगे मैं तो बस मदहोश होने लगी और उनकी जीभ को चूस रही थी।

फिर उन्होंने अपने पैंट को नीचे सरकाया और अपने लंड को हाथ में ले लिया फिर उन्होंने मेरे सर को पकड़ कर बोले

आलम- लो मेरी जान आज इसे चुस लो आज से अब यह तुम्हारा है, तुम्हारे बेटी का नहीं।

मेरी आंखों में चमक आ गई उनका लंड देखकर गजब का था देखते ही मेरी तो हालत खराब हो गई।

आगे गजब का नुकीला था और उस पर तो चमडी भी नहीं थी आधा चमडी कटी हुई थी और पूरा लंबा सा लैंड मेरे सामने में एकदम से हैरान थी उन्होंने पूरी तरह से मेरी हाथ को पकड़ा और अपने लैंड पर रख दिया मेरे हाथ एकदम काप रहे थे।

उन्होंने लंड को हाथ में लेते हुए बोले- लो ना मेरी जान इससे चूसो मैं उस लंड को पकड़ कर आगे पीछे करने लगी। और फिर मुंह को लगाइ हल्का सा जीभ फिराया तो उनकी आंखें बंद हो गई और वह भी मदहोश हो गये।

मैं उनके टोपा को मुंह में लिया मेरे अंदर केवल टोपा ही जा रहा था पूरा मुंह में नहीं जा पा रहा था मैं उसे कस रही थी कि तभी उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और अपने लंड को पूरा मेरे मुंह में दे दिया मैं इसे सकपका गई और मुझे खांसी होने लगी।

मैं खांसने लगी तभी उन्होंने मुझे उठाया और अपने जीव को मेरे मुंह में डालकर चूसने लगे मेरे होंठ को चूसने लगे हम दोनों एकदम से मदहोश हो चुके थे कि तभी उनका कॉल बजने लगा फिर उन्होंने मुझे छोड़ा।

कॉल को उन्होंने उठाया और कॉल पर उन्होंने किसी से बात की और फिर मुझसे बोले- भाभी जी अब मुझे जाना होगा कोई मुझे बुला रहा है फिर मैं थोड़ा जल्दी में अपने आप को ठीक किया और मुझे गले लगा कर एक किस देते हुए चले गए।

इस बीच अब शाम हो गई थी तो मैं भी सोची की राज को बुला लूं तो राज को बुलाने के लिए शीला के घर जाने लगी। जैसे ही मैं शीला के घर पहुंची तो देख की दरवाजा तो खुला ही है तो मैं अंदर जाने लगी मैं अंदर जा ही रही थी कि तभी मुझे कुछ आवाज सुनाई दी।

मैं जैसे ही आवाज की पिछा की तो मैं देखी कि यह तो आवाज रूम से आ रही है मैं रूम की तरफ गई तो देखी की दरवाजा और खिड़की सब खुले हुए हैं मैं दरवाजे से नहीं गई खिड़की के पास गई और देखने लगी अंदर का नजारा देख मेरा मुंह तो खुला का खुला ही रह गया। मेरी बूर से फिर से पानी रिसने लगी।

मैं अंदर देखी कि मेरी मुंहबोला बेटा राज मेरी सहेली शीला को नीचे लेटा कर उसके बुर में अपना मोटा सा लन्ड सतासत पेल रहा था।

शीला की आंखें बंद थी पैर हवा में थे और राज उसकी बूर में लंड डाले धक्का लगा रहा था और राज उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था।

शीला मेरी पहले से ही बहुत बड़ी चुडक्कड़ दोस्त है वह बस चुदाई का मौका देखती हैं।
मुझे लगा ही था कि आज राज के साथ ये कुछ ना कुछ जरूर कर लेगी।

दिन भर में उसने राज को सेट किया और सेट करके शाम को पूरी होशो हवास में सtaसत लंड को अंदर ले रही थी और उसे पूरा इंजॉय कर रही थी।

कभी उसके बाल सहलाती तो कभी उसके गाल और थक्का लगवाते रहती इसी बीच दोनों एक दूसरे के बाहों में पकड़ कर झड़ गए और लेटे रहे।

फिर देखी की तुरंत उन दोनों ने उठे और अपने आप को साफ करने लगे तभी मैं वहां से भाग गई।

थोड़ी देर बाद फिर से मैं अंदर आई तो देखी की शिला अपने काम कर रही है और राज उसी के साथ बैठकर उसको देख रहा था।
राज ने जैसे ही मुझे देखे वह दौड़कर मेरे पास आया और एकदम से गले लग गए।

तभी शीला बोली- वाह रे मैं दिन भर तुम्हारा ख्याल रखी और मां के आते ही तू मां का हो गया।
और फिर हम तीनों हंसने लगे।

राज मेरे गले इतना जोर से लगा हुआ था कि मेरी दोनों चूचियां उसे दबी हुई थी और वह मेरी गर्दन के पास अपने सर रखा हुआ था बहुत प्यार से मुझे गले लगाया हुआ था मैं उसके बाल को सहलाई और बोली चलो बेटा अब घर चलते हैं। फिर हम दोनों घर आ गए मैं राज के लिए खाना तैयार की और रात का खाना हम दोनों ने खाया और खाकर फिर सोने चले गये।
राज, आज उसकी शीला की चुदाई करके काफी थक गया था, सो वह तुरंत ही सो गया मैं भी उसके सीने पर सर रखे उसके बालो को सहलाते हुए सोने की कोशिश कर रही थी।

मैं भी थकी हुई थी परंतु मुझे आज आलम के साथ की हुई हरकत मुझे वह सब याद आ रहा था।
उसका वह बड़ा सा लंड मेरे तो दिमाग में और आंखों के सामने ही घूम रहा था एकदम गोरा सा लंड था और आगे का हिस्सा कटा हुआ मोटा सा टोपी दिखाई दे रहा था मुझे तो अभी तक मेरे आंखों के सामने दिखाई दे रहा था।

और फिर ऐसे ही दिन और रात काटने लगे।

मुझे कोई उनकी फोन ही नहीं आई और मुझे इधर से उन्हें फोन करने की कभी हिम्मत ही नहीं हुई।
इसी बीच रक्षाबंधन का दिन भी आ गया और मेरी बेटी और मेरा बेटा आकाश दोनों घर पर आए हुए थे काफी धमाल चौकड़ी मची हुई थी मेरी बेटी सौम्या मेरे बेटे राज को छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी कि वही शीला भी आजकल मेरे घर पर बहुत ज्यादा आने लगी थी मेरे बेटे आकाश के लिए।

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अगले भाग में।
 

Raaj Avani

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UPDATE 09
मुंहबोला बेटा से प्यार part9
(रक्षाबंधन+वाटरपर्क स्पेशल)

आज रक्षाबंधन का दिन था और चारों तरफ रक्षाबंधन की तैयारी चल रही थी।
मेरे घर में भी काफी रक्षाबंधन की धूमधाम थी। शीला सुबह से ही मेरे घर पर थी, और मेरे साथ तैयारी में हाथ बता रही थी।
वही सौम्या अपने दोनों भाइयों के लिए राखी तैयार कर रही थी।

मेरे नैहर में कोई भी भाई नहीं है। और शीला की नईहर में एक भाई था तो उसने अपने भाई के लिए राखी कोरियर कर दी थी।

तभी कमरे से राज की आवाज आती है मां मेरी तोलिया नहीं मिल रही।
राज दरअसल नहाने के लिए गया हुआ था और वह भी बिना तोलिये के।

तभी शीला बोली- अरे सुनीता मैं उसे तोलिया दे देती हूं तुम तो जल्दी से मिठाई बना लो।

फिर शीला तौलिया ले जाकर दे आई।

तभी आकाश ने मुझे बुलाया मां इधर आओ ना?

तभी शीला आई और बोली- तुम्हारे बच्चे भी ना जाओ तुम संभालो मैं यहां बना लेती हूं।

फिर शीला यहां काम करने लगी और मैं आकाश के पास चली गई तो देखी की बाथरूम में वह भी खड़ा था।

आकाश सिर्फ चड्डी में पूरे बदन पर साबुन लगाये खड़ा हुआ था।

मैं बोली क्या हुआ बेटा?
आकाश- मां इसमें पानी नहीं आ रहा है एक बाल्टी पानी ला दो ना।

मैं वहां से बाल्टी उठाई और दूसरे नल से पानी लेकर आई और उसके बाथरूम में रख दी।

आकाश के पूरे बदन पर साबुन लगने के कारण उसके आंख अब जल रही थी।
तो वह
बोला- मां जल्दी करो ना बहुत जल रही है मैं बोली कि ले यहीं पर रखती हूं अब नहा ले जल्दी से।

वह जैसे ही आगे बढ़ा उसका पैर फिसल गया और एकदम से वह मेरे ऊपर आकर गिर गया।

मैं दीवाल से चिपक गई और वह मेरे ऊपर चिपक कर खड़ा हो गया।

फिर आकाश ने कहा -सॉरी माँ गलती हो गई।

मैंने उसे उठाया और पास मे बैठा कर
फिर बाल्टी से पानी निकाली और उसे नहलाने लगी?

बचपन में मैं इसे ऐसे ही नहलाया करती थी आज तो उसका बचपन मुझे याद आ गया।
मैं उसे नहला रही थी उसके पूरे बदन के साबुन को धो रही थी तब वह खड़ा हुआ फिर मैं उसके पैर को कमर को पेट को सब धोने लगी।

मैं एकदम उसके करीब आ गई थी मेरा चूची कभी-कभी उसको टच हो जाता है तो नीचे पानी डालते वक्त मेरा हाथ उसके लंड से लग जाता है उसका लंड एकदम से टाइट खड़ा हुआ था मुझे देखकर तो शर्म आ रही थी और वह तो बेचारा आंख ही नहीं खोल रहा था शर्म से।

मैं मुस्कुरा रही थी और उसे नहला रही थी।

फिर उसे नहला कर मैं बाहर चली आई।

तभी शीला ने मुझे ताने मारते हुए कहा- क्या कर रही थी रे अपने बेटे के साथ?

मैं उसे आंख चौड़ी करते हुए बोली मैं क्या कर सकती हु बेटा है। मेरा तुम ज्यादा सोच मत समझी?

तब उसने कहा- हां हां जानती हु बेटा है तेरा पर उस दिन देखा था ना उसका कैसा(लंड) है अब वह तुम्हारा छोटा सा बच्चा नहीं रह गया जवान है उसके साथ ज्यादा समय बिताएगी तो....


फिर मैं बोली- चल ज्यादा जबान ना चला और चुपचाप तैयारी कर।

फिर मेरे दोनों बेटे तैयार होकर बैठ गए मैं भी मिठाइयां तैयार कर ली थी और सौम्या तो कब से राखी लेकर तैयार बैठी थी और मुस्कुरा रही थी?

सौम्या आज ढीले थोड़े कपड़े पहने हुए थे जिससे कि उसकी चुचिया थोड़ा बाहर दिखाई दे रही थी पता नहीं उसकी क्या इरादा थी?

मैं और शीला दोनों एक साथ बैठी हुई थी।

और सौम्या अपने दोनों भाई राज और आकाश को राखी बंधने लगी।
राखी बांधते समय सौम्या थोड़ा झुक कर रखी बांध रही थी जिससे कि उसका आधा से अधिक स्तन बाहर दिखाई दे रहे थे।

राज काफी ललचाया नजरों से सौम्या के स्तन को देख रहा था। मैं भी समझ गई उसके मन को बेचारे को होली के दिन के बाद आज देख रहा था कहां उसे भी चैन आने वाली थी?

तभी शीला बोली- देखना! सुनीता, राज को, कैसे वह ललचाया नजरों से सौम्या की ओर देख रहा है और मुझे देखकर हंसने लगी?

मैं कुछ बोल नहीं पाई।

फिर सौम्या उन्हें राखी बांधकर तिलक लगाने,
तिलक लगाते वक्त सौम्या के स्तन ऐसा लग रहा था जैसे आकाश के मुंह में ही घुस जाएगा।
और तो और राज, तो ऐसा लग रहा था जैसे सौम्या के स्तन को आज खा ही जाएगा।

राखी बांधने के बाद सौम्या ने आकाश से और राज से अपने गिफ्ट्स की डिमांड करने लगी तभी आकाश और राज ने अपने जो गिफ्ट्स लाए थे वह दे दिए।

तभी सौम्या ने बोली सिर्फ इतनी गिफ्ट् से काम नहीं चलेगा मेरे भाई, तुम दोनों की सिर्फ मै एक बहन हूं मुझे तो कुछ स्पेशल गिफ्ट चाहिए।

तभी सौम्या ने आकाश को कहा- आकाश, तुम्हें मां और शीला आंटी को बाहर घूमाने ले जाना होगा वे लोग घर में कितनी काम करती है कभी घूमने नहीं जाती।

और,
राज तो मेरा छोटू सा प्यारा सा भाई इससे ज्यादा बड़ा गिफ्ट में नहीं माँगूगी बस इतना चाहती हूं कि आज तू बिना डरे मेरे साथ हि भूत वाला पिक्चर दिखेगा बोल तैयार है।

तब राज ने कहा- ठीक है दीदी मैं तैयार हूं।

शिला अजीब सी मुंह बना ली बोली- ये कैसा डिमांड है? मैं सौम्या की जज्बात को समझ रही थी वह होली के बाद से राज के साथ समय नहीं बिताई थी वह होली का बच्चा कुछा सारा कसर आज रक्षाबंधन के दिन पूरा करना चाहती थी और आकाश को मेरे और शीला के साथ बाहर भेजना चाहती थी ताकि घर में कोई ना बच्चे।

मैं मुस्कुरा दी और बोली-- ठीक है मैं तैयार होती हूं और
शीला को बोली तुम भी तैयार हो जाओ आकाश के साथ आज बाहर चलते हैं।

आकाश भी हमें घूमाने के लिए तैयार था।
घर से जैसे ही निकले सौम्या ने हमें बाय बोला और दरवाजा को बंद कर दिया मैं समझ गई कि आज मेरी सौम्य बेटी कसर पूरा करने वाली है अपने मुंहबोले भाई के साथ।

गाड़ी मै ही ड्राइव कर रही थी और आकाश और शीला दोनों पीछे बैठे थे।
मैं, आकाश और शीला को भी पूरा मौका देना चाहती थी ताकि वह भी होली के बाद का जो बच्चा कुचा कसर है वह पूरा कर सके।

फिर आकाश बोला वॉटरपार्क् ले चलो माँ।

मैंने वैसे ही किया और हम थोड़ा ही देर में वाटर पार्क पहुंच गए। वाटरपार्क पर पहुंचते ही हमें टीशर्ट और हाफ पेंट दिया गया पहनने के लिए।

मेरी शरीर स्लीम थी इसलिए मुझे टीशर्ट और हाफ पैंट काफी अच्छा फिट हो रहा था और मेरी गोरी गोरी जाँघे दिख रही थी।

शीला भी मोटी नही थी तो उसे भी शर्ट और हाफ पैंट अच्छे लगे।

फिर हम तीनों नहाने के लिए वाटर पार्क में चले गए।
हम तीनों मस्त नहा रहे थे तभी बीच-बीच में आकाश शीला के चूचियों को दबा देता तो कभी उसकी गांड मे लंड सटा देता।
और हम सभी हसने लगते।

शीला कभी-कभी मेरी चुचियों को दवा देती मेरे बेटे के सामने और हसने लगती। मै शर्मा जाती।

हम सभी जमके इंजॉय कर रहे थे।
तभी वाहा पर काफी मजेदार भोजपूरी हॉट गाना बजने लगता है।

मैं शीला और मेरे बेटे तीनों गाने पर थीरकने लगते हैं और गाने से ताल से ताल मिलाकर शीला अपनी गांड को आकाश के लंड पर रगड़ रही थी आकाश भी खूब इंजॉय करते हुए कभी उसकी चूचियों को दबा लेता तो कभी उसके गाल को मसल देता तो कभी उसके बूर में उंगली कर देता और खूब नाच रहे थे।

फिर शीला ने मुझे भी अपने ऊपर खींचा और हम दोनों की चूचियां एक दूसरे से रगड़ गई हम दोनों खूब जोर से हंसने लगे कि हमारी चुचिया हिलने लगी।

तभी आकाश हम दोनों के बीच में आ गया। आकाश जैसे ही हम दोनों के बीच में आया मेरी चूची और शीला की चूची दोनों आकाश से एकदम रगड़ गई और बीच में निकला तो हम दोनों पर पानी के छीटे पड़े मैं अपनी आंख बंद कर ली और आकाश तो एकदम मेरे ऊपर गिर गया मेरी चुचिया उसके सीने में दब गयी और उसका लंड मेरे हाफ पेंट से होते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मेरे बूर में घुस जाएगा।

फिर शीला ने मुझे मेरे हाथ को पकड़ा और मेरे बेटे को की तरफ खींचने लगी जिससे कि आकाश का लंड और मेरी बूर में घुसे जा रहा था।

फिर शीला ने एक शरारत की और आकाश का पेंट को थोड़ा नीचे सरका दिया जिससे कि उसका एकदम टाइट खड़ा बाहर निकल गया
पानी के अंदर हम छाती तक थे तो किसी को कुछ दिख नहीं पा रहा था।

मुझे पता तो नहीं था कि उसने ऐसी शरारत की है लेकिन जब उसका लंड मेरे बूर में पूरा घुसने को तैयार हुआ तब लगा कि वह कुछ नहीं पहना है और शीला मुझे और आकाश के तरफ खींच रही थी जिससे कि मै, आकाश के ऊपर और दबी जा रही थी जिसके कारण उसका लंड मेरे बुर में जा रहा था हम दोनों एकदम मदहोश हो चुके थे।

फिर मैंने एक जोर का धक्का दिया और आकाश शीला के ऊपर जा गिरा और शीला आकाश को पकड़ कर नीचे दब गई।


दोनों पानी में जा गिरे और डूब गए फिर जब ऊपर आए तो दोनों जोर-जोर से सांस लेने लगी।

तभी शीला बोली- अच्छा तुम मुझसे शरारत करती हो रुक जा अभी बताती हूं।
और वह मुझे कसकर पकड़ ली मैं भागने को सोची पर भाग नहीं पाई और पकड़ कर मुझे नीचे पानी में डुबो दिया मैं जैसे ही पानी में गई मेरा मुंह एकदम आकाश के लंड के पास आ गया और ऐसा लगा कि एक पल तो की मेरी मुंह में आकाश का लंड चला जाएगा।

फिर मैं छटपटाने लगी उसमें छटपटाते वक्त आकाश का लैंड को मैं कई बार टच कर दी और उसका लंड मेरे मुंह को भी लग रहा था मुझे सांस लेने में नहीं बनी तो मैं मुंह खोल ली जिससे कि अब आकाश का लंड मेरे मुंह के पास आ गया लगभग घुसने को ही था कि मैं झट से ऊपर को आई और तेज तेज सांस लेने लगी।

मैं शीला से बोली- क्या करती है शीला अभी तो मेरी जान ही ले लेती?

तभी सीला बोली -अरे ऐसे कैसे ले लेती एक ही तो मेरी जान हो और हंसने लगी, आकाश भी हंस रहा था उसका लंड अभी भी पानी में नंगा ही था?

हम तीनों की मस्ती देखकर वहां आसपास खड़े लोग भी खूब इंजॉय कर रहे थे तभी कुछ बदमाश लड़के भी हमारे पास आ गए।

वे लोग वापस ही बात कर रहे थे और एक ने बोला क्या बात है भाई यहां तो एक आदमी पर दो-दो माल है और हमारे पास तो कुछ भी नहीं? म्यूजिक काफी लाउड में बज रहा था फिर भी उनकी आवाज एकदम से पास आकर बोल रहे थे तो सुनाई दे रहा था असल में वह लोग तो सुनाने के लिए ही बोल रहे थे मैं थोड़ी गुस्सा हुई।
पर हम उधर ध्यान नहीं दिए और हम फिर से तीनों अपने इंजॉय करने लगे कि वह लड़के भी हमारे साथ ही नाचने लगे और नाचते-नाचते कभी वह मेरे गांड को टच कर देते तो कभी मेरे कमर में हाथ डाल देते।

आकाश और शीला तो जैसे किसी की सुध ही नहीं वह दोनों आपस में नाच रहे थे और नाचते-नाचते एक-दूसरे को टच कर रहे थे और अपना लंड को आकाश उसके बूर में कभी रगड़ देता तो कभी गांड मे कर देता है और खूब इंजॉय कर रहे थे मैं भी इधर नाच रही थी और मेरे तरफ तीन लड़के थे तीनों खूब नाच रहे थे मैं समझ गई कि यह मेरे लिए हि आये हैं।

मैं शीला और अपने बेटे आकाश को एक दूसरे के साथ इंजॉय करते हुए छोड़कर मैं भीड़ की तरफ चली गई उधर काफी भीड़ थी काफी लड़के लड़कियां आपस में डांस कर रहे थे।

पानी से झरना बह रहा था सब खूब इंजॉय कर रहे थे एकदम हॉट सीन था हॉट गाने बज रहे थे जिसके गर्लफ्रेंड थी वह तो बेचारा पकड़ पकड़ करना नाच रहा था और जिसके नहीं थी वह बेचारा अकेले नाच रहा था।

मैं भीड़ में नाच रही थी कि तभी मेरे गांड में कुछ घुसने जैसा महसूस हुआ।
मैं देख की मेरे अगल-बगल वही तीन बदमाश लड़के थे मेरे पीछे से एक लड़का अपना लंड को मेरी गांड में रगड था और वही मुझे गरम-गरम महसूस हो रहा था।

फिर से तीनो मेरे से एकदम से सट गए और नाचने लगे मैं भी मदहोशी में थिरक रही थी मुझे भी कुछ होश नहीं था कि धीरे-धीरे एक ने अपना हाथ को मेरे पेंट में डालने लगा मैं मदहोश होती जा रही थी।

मेरे पेंट में वह हाथ को डालकर मेरी पैंटी के ऊपर से ही बूर को सहलाने लगा और बोला यार यह तो बहुत गर्म है।
तीनों मुस्कुराने लगे, तीनों का कहीं ना कहीं हाथ मेरे बदन पर चल हीं रहा था कोई मेरे पेट सहला रहा था तो कोई मेरी बाई गांड को दबा रहा था तो कोई मेरी पीठ पर हाथ चल रहा था कोई मेरी जांघो को मसल रहा था।

मैं भी काफी मदहोश हो चुकी थी अपने बेटे के लंड देखकर मैं भी सोची थोड़ा इंजॉय कर लेती हूं क्या ही हो जाएगा और उन तीनों ने तो हद ही कर दी मेरे जांघो पर हाथ चलते-चलते एक ने अपना हाथ को मेरी पैंटी के अंदर डाल दिया और मेरे बूर में उंगली डाल दी।

मैं एकदम मदहोश हो गई और मेरी मुंह से एक आह निकल गई। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा पूरा शरीर सुन पड़ गया मेरी पूरी शरीर में बिजलियां दौड़ गई मैं पानी में पूरी तरह से स्थिर हो गई।

और वह तीनों मेरी मेरे पूरे बदन को मसल रहे थे कोई जांघों को मसलता तो कोई मेरी जननांग को मसलते तो कोई मेरी गांड को मसलते ऊपर चूची पानी में नहीं थी नहीं तो वे लोग तो इसे भी नहीं छोड़ते।

म्यूजिक इतना तेज बज रहा था कि वहां कोई किसी की कुछ सुनने के लायक नहीं था बस सभी एक दूसरे के बदन से सट कर नाच रहे थे।

थोड़ी ही देर में एक लड़के ने मेरी पेंट को उतारने की कोशिश की अब मुझे लगा कि यह ज्यादा हो रहा था।

थोड़ी ही देर में उसने मेरी पैंट को उतार दी और पैंटी को भी जांघों तक नीचे कर दी और मेरी बूर और गांड दोनों बिल्कुल नंगी पानी में थे।

मुझे तीन तरफ से तो इन्हीं लोगों ने घेर रखा था और बाकी अगल-बगल लोग नाच रहे थे जिससे किसी को फर्क नहीं पड़ रहा था अब मैं एकदम से स्थिर पड़ गई की धीरे से उसका लंड मेरे बूर पर महसूस हुआ।

उसने अपने लंड को मेरे बुर में डालने की कोशिश करने लगे लेकिन जा नही रहा था।

तभी अचानक से म्यूजिक रुक गया और सभी लोग स्थिर हो गए मैं भी झट से उनसे आगे हुई और अपने आप को अकेला करके अपनी पैंट को ऊपर चढ़ाई।
मुझे ऐसा लगा जैसे नशे से अभी-अभी बहार आई हूं मैं एकदम से स्थिर हो गई मैं सोच में पड़ गई कि यह मै क्या कर रही थी?

सभी लोग शोर मचा रहे थे म्यूजिक क्यों बंद हो गया तभी म्यूजिक बजने लगी और फिर से सभी लोग नाचने लगी मैं उन तीनों से बच के शीला के पास भागी?

मैं देखी की शीला भी वहीं पर थोड़ी दूर आगे भिड़ मे खड़ी है और आकाश उसके पीछे खड़ा था पता नहीं वह दोनों क्या कर रहे थे?

शायद वह दोनों भी चुदाई कर रहे हो।

इसलिए मैं उन दोनों को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और यहीं पर रुक गई तभी शीला की मुझ पर नजर पड़ गयी

मैं समझ गई कि यह दोनो चुदाई ही कर रहे थे शीला झट से हाथ नीचे करके अपने पेंट ऊपर चढ़ाई और तब मेरे पास आई फिर देखी की आकाश भी अपना पेंट को चढ़ा रहा था।

शीला मेरे पास शरारती मुस्कान के साथ आई और बोली- सुनीता मेरी जान तुम थोड़ी देर हम लोग का वेट करो बस में थोड़ी देर में हम लोग आते हैं।


वाटरपार्क के दूसरी तरफ कुछ कूड़े करकट रखे हुए थे उधर काफी झाड़ियां थी। यह लोग उधर ही चले गए।

मै भी थोड़ी देर मे निकल गयी।

थोड़ा झाड़ियों के तरफ दूसरी ओर गयी तो देखी की शीला को दीवाल से सटा के उसके पैन्ट निचे करके अपना लंड आगे पीछे कर रहा था। और दोनो एक दूसरे को चूम रहे थे ।
मै ये सब देख् कर गर्म हो गयी।

मेरे बेटे के चूतड एकदम तेजी से आगे पीछे हो रहा था।
और अपना जीभ शीला के मुह मे पेल रहा था।

तभी देखी की एक गार्ड इधर आ रहा था।
मै जल्दी से उसके पास गयी और इसे फालतू बात मे फसा दी, वो सुंदर स्त्री को देख के मजे से बात करने लगा। तभी उन दोनो का हो गया और वो लोग निकल गये तो मै भी फिर भाग आई।

हमने अपने कपड़े पहने और वहा से घर की ओर निकल गये।

धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते हैं अब अगले भाग में।🙏
 
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