#UPDATE 3
मुहबोला बेटा से प्यार S1
#UPDATE 3
अब तक अपने पढ़ा की मेरे बेटा और बेटी शहर से आने वाले थे और मै घबराई हुई थी। तभी शिला ने कहा की सरी बात को वह संभाल लेगी। अब आगे।
होली को अभी एक हफ्ता टाइम था। कि आज के दिन मेरे बेटा और बेटी आने वाले थे। मैं सुबह-सुबह उनके लिए कुछ अच्छे खाने का इंतजाम कर रही थी और मेरा बेटा राज अपने दोनों भाई-बहन का इंतजार करता बैठा हुआ था। तभी सुबह-सुबह शीला भी आई, आते ही मेरे बेटे के सामने ही मेरी चुचिया दबा दी।
शीला मजाक मत कर क्या कर रही है यही राज बैठा हुआ है?मैने धीरे से कहा
तभी शीला बोली- तो क्या हुआ राज भी तो देखे उसकी मां का कितना कड़क कड़क चुचिया है और हंसने लगी?
मैं बोली- तुम नहीं सुधरने वाली।
की तभी सुबह-सुबह मेरे बेटे और बेटी घर में आए।
आते हैं दोनों मुझसे लिपट गए। मेरी बेटी मुझे पीछे से पकड़ ली और मेरा बेटा आकाश मुझे आगे से कस के दबा लिया। मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थी। उन दोनों के प्यार देखकर तो मेरे आंसू आ गए वहीं पर शीला भी बैठी हुई राज के साथ हमें देख रही थी।
तभी शीला बोली -कि वहां सारा प्यार अपने माँ को ही दे दोगे कुछ प्यार हमें भी दे दो।
तभी आकाश(मेरा अपना बेटा)- बोला क्यों नहीं शीला आंटी मैं अभी आपको देता हूं?
तभी आकाश गया और शीला को कस के आगे से हग कर लिया उसकी पूरी चुचिया ही दब गयी।
शीला की मुंह से एक जोर की आह निकल गई। यह देखकर हम मां बेटी हंसने लगी।
मेरा बेटा आकाश 18 साल का गबरू जवान हो चुका था वह तो शीला को अपनी बाहों में ऐसे पकड़ा हुआ था जैसे वह उसे छोड़ेगा ही नहीं वही चोद देगा।
मेरी बेटी सौम्या यह भी एकदम जवान हो गई थी और एकदम मुझ पर गई थी इसकी गोरी चिट्टी शरीर देखकर तो किसी का भी खड़ा हो जाएगा यह मुझे पकड़ कर मेरे पेट को सहला रही थी मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगाई और बोली क्या कर रही है बेटा मैं तेरी मां हूं यह सब क्या करती है?
तभी सौम्या बोली- मां आपकी तो खूबसूरती देखकर मैं दीवाना हो गई अगर मैं लड़का होती तो मैं आपको जरूर पटा लेती, ऐसे ही चिपकी रहती और आपसे खूब प्यार करती और सौम्या ने मेरी गर्दन और गाल पर किस कर दी।
मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगायी और
बोली- पटना में रहकर तुम एकदम से बिगड़ गई।
फिर सौम्या बोली- मां तुम चीज ही ऐसी हो यार छोड़ने का मन ही नहीं करता।
तभी शीला बोले तुम दोनों भाई-बहन का अगर प्यार हो गया हो तो जरा इसे भी मिलो।
शीला ने राज को बताते हुए कहा कि यह राज है और यह तुम्हारे माँ का मुंह बोला बेटा है।
यह सुनन्ना था कि मेरे दोनों बेटे बेटी का आंख चौड़ा हो गया मुंह खुल गया वह दोनों एकदम हैरानी से देख रहे थे और राज एकदम मासूमियत से बैठा हुआ था।
तभी शीला बोली- अरे ऐसे क्या देख रहे हो तुम दोनों का भाई है?
राज की मासूमियत देखकर उन दोनों ने भी अपने आप को खो दिया और जाकर राज को गले लगा कर बोले राज आज से तुम मेरे भाई हो आकाश राज को गले लगा कर एक किस कर दिया उसके माथे पर
तो वही सौम्या राज को आगे से गले लगा कर उसके गाल पर किस कर दी।
मैं अपने बेटे बेटियों का प्यार देखकर फुले नहीं समा रही थी मेरे आंखों में आंसू थे।
तभी शीला बोली अरे सुनीता तुम्हें क्या हो गया अपने बेटे बेटियों को खाना खिलाओ आज खुशी का दिन है?
तभी मैंने तीनों को बोला है कि बेटे तुम लोग हाथ मुंह धो कर आकर टेबल पर बैठो मैं खाना लगती हूं।
शीला मेरी मदद करने लगी मैंने तीनों बच्चों को खाना खिलाया फिर बाद में मैं और शीला भी खाना खाए।
अभी होली में एक हफ्ते समय था। तभी मैं बैठकर सोच रही थी।
राज के साथ में अब आगे कैसे मिलूं उसके साथ मैंने चुम्मा चाटी और एक दूसरे के गुप्तांग सलाना और चूसना तक ही हुआ था अब मैं उसके लिंग को अपने योनि में लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी मेरी बूर से रस टपक रही थी पर मैं आकाश और सौम्या घर में होने के कारण कुछ नहीं कर पा रही थी वही राज भी अब अकेले थोड़ा मायूस्सा रहता था पर वह तो अपने भाई बहन के साथ खुश था।
अब राज अपने दोनों भाई-बहन के साथ सोता था मैं अकेली ही सोती थी।
ऐसे ही समय बीतता गया और होली के एक दिन पहले जिस दिन होलिका दहन थी उसकी तैयारी चल रही थी।
पूरे मोहल्ले के लोग तैयारी में जुट गए थे होलिका दहन करने के लिए। हर जगह फगुआ गाया जा रहा था सभी बच्चे खुश थे औरतें और पुरुष सभी लोग होलिका दहन जलाने के लिए गंगा किनारे की तरफ जाने वाले थे।
गांव से थोड़ा बाहर निकलने पर खुले गंगा का विस्तृत मैदान था वहीं पर होलिका दहन का प्रोग्राम किया गया था सभी बच्चों ने होलिका दहन जलाने के लिए पूरा ऊंचा जलावन जमा कर रखा था जिसे आज शाम 8:00 बजे जलाने वाले थे।
मैं भी तैयारी कर चुकी थी अपने तीनों बच्चों को खाना खिलाकर उनसे बोल दी कि चलो आज होलिका दहन देखने चलना है। आज पूरा गांव होलिका दहन जलाने में व्यस्त रहता है तो वहीं कुछ लोग को की आज बाहर हो जाती है। देवरा अपने भोजी से मजाक करता है तो वही जिसकी गर्लफ्रेंड होती है वह बॉयफ्रेंड अपने गर्लफ्रेंड से मजाक करता है।और तो और बूढ़ो का भी बहार हो जाता है अपनी पड़ोस के नई दुल्हनो को रंग लगाते है।
फगुआ गाते बजाते गांव के लोग बाहर होलिका दहन जलाने के लिए जाने लगे तभी शीला मुझे आवाज देने लगी
शीला - सुनीता चलो होलिका दहन जलाने के लिए जाया जा रहा है नहीं चलना है क्या?
तभी मैं बोली- हां हां आ रही हूं बस हो गया मेरे तीनों बच्चों होलिका दहन देखने के लिए निकल चुके थे मैं भी शीला के साथ है ही चल दी।
शीला के साथ उसके पति भी थे। और मुझे देखकर काफी मुस्कुरा रहे थे। मैं भी उन्हें देखकर थोड़ा मुस्कुराई। तभी वो मेरे पास आकर बोले
समर- क्या बात है सुनीता जी आज तो आप रात में भी एकदम चांदनी की बहार लग रही हो मन कर रहा है यहीं पर आपको....
मैं बोली- क्या मतलब है आपका?
तभी समर जी बोले सब आप जानती हो और मुझसे मतलब पूछती हो और धीरे से मेरी चुतड पर एक चपत लगा दी।
मेरे मुंह से हल्की आह् निकल गई।
थोड़ी ही देर में हम लोग होलिका दहन के पास पहुंचे सभी लोग गाना बाना बजाते हुए होलिका का दहन करना शुरू कर दिया सभी बच्चे अपना होलरी मे आग धारा कर उसमें चारों ओर भांजने लगे यह नजारा काफी खूबसूरत है।
मेरे बेटे और बेटी काफी खुश लग रहे थे और मैं उन्हें देखकर खुश हो गई।
वहां पर काफी भीड़ थी जिसके वजह से मैं शीला और शीला के पति पीछे खड़े हुए थे और वहां पेड़ के पास थोड़ा अंधेरा था तभी शीला के पति ने मेरे चुतड़ पर हाथ रख दिए और धीरे-धीरे उनका उंगली मेरा गान्ड के दरार में घुसने लगी।
वह मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे। मैं भी कुछ कह नहीं पा रही थी आज का दिन देवर भाभी का मजाक का हि दिन होता है।
तभी समर जी का हिम्मत और बड़ा और उन्होंने मुझे अपने हाथों से पूरा कमर में डाल दिए और अपनी बाहों में लेने लगे। उनका एक हाथ मेरी नाभि में चलने लगे मेरी तो जैसे अब आंखें ही बंद होने लगी थी।
तभी मेरी नजर शीला भर गई उसकी भी चेहरे पर एक अजीब सी वासना थी ऐसा लग रहा था कि उसे भी कोई कुछ कर रहा हो। तभी मैंने देखा कि शीला अपनी गांड को किसी के लंड पर रगड़ रही थी वह आदमी उसके पीछे ही खड़ा हुआ था और उसे पूरा मजा ले रही थी शीला।
अब इधर समर जी की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और उनकी उंगली अब मेरी नाभि से होते हुए बूर की तरफ जा रही थी।
तभी मेरा बेटा राज मेरे पास आया और बोला मां चलो ना मेरे साथ। मैंने झटके से समर जी को अपने से दूर किया और राज के साथ चल दी।
मैंने राज से कहा बेटा मुझे कहां ले जा रहे हो उधर देखो होलिका दहन खत्म होने वाली है और सभी लोग घर जाने वाले हैं?
तब राज ने कहा मां चलो तो।
तभी राज ने मुझे भीड़ से थोड़ी दूर पर एक बालू के ढेर के पास ले आया।
बालू के ढेर के उस पार जाने पर कोई लोग उधर नहीं था बस हम मां बेटे और रात की चांदनी थी।
मैं राज की मन को समझ गई थी कि वह क्या चाहता है दरअसल एक हफ्ते से हम दोनों मां बेटे ने मिलन नहीं हुआ था जिस वजह से मैं भी काफी ज्यादा उत्सुक थी और तुरंत राज से लिपट गई मुझसे रहा नहीं गया?
राज मेरे कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे मेरे कमर को सहला रहा था तो वही मैं अपने बेटे राज की बालों को सहलाते हुए उसके होठों को कसकर चूम रही थी।
बालू के ढेर के इस पार हम दोनों मां बेटे का चुम्मा चाटी चल रही थी तो वही बालू के ढेर के उस पार लोग होलिका दहन का त्यौहार मना रहे थे।
उधर होलिका दहन जल रही थी और इधर हम दोनों मां बेटे के अंदर की वासना जल रही थी।
अब राज अपने दोनों हाथ से मेरे गान्ड को धीरे-धीरे सहलाते हुए मेरे गांड के छेद तक अपनी उंगली को पहुंचा दिया था।
राज मुझसे अलग हुआ और मेरे चेहरे को देखने लगा मेरा चेहरा चांदनी रात में काफी चमक रही थी तो वहीं राज का भी चेहरा एकदम से चमक रहा था उसका होंठ एकदम कोमल लाल लग रहा था।
फिर राज बैठ गया और मेरे नाभि को कसकर अपने दांतों से काटा मेरे तो मुंह से एक कश की आह निकल गई।
आआआह्ह्ह्हहा......
बेटे के इस हमले से काफी उत्तेजित हो गयी और उसके सर को सहलाने लगी राज अपने जीभ से मेरी नाभि में कसकर घुसाना चालू कर दिया मेरे पेट में काफी हलचल होने लगी थी वहीं बूर से रस टपकने लगा था।
फिर राज ने बोला मां तुम इस बालू के ढेर पर लेट जाओ। मैं ठीक वैसे ही किया। तभी राज ने मेरा साड़ी को कमर तक उठा दिया। और मेरे पैंटी को अपने दांत से काट दिया। मेरी तो कस के एक आह निकल गई।
अअअअअअअअह्ह्ह्हह......
फिर राज ने अपने हाथों से मेरी पैंटी को निकाल दिया और अपनी जीभ को मेरी बूर के क्लीटर्स पर हल्के-हल्के घूमना से चालू किया।
मेरी तो उत्तेजना में आंखें ही बंद हो गई थी। राज मेरी बूर को चट्टता ही जा रहा था। आज मैं उसके इस बुर चटाई से एकदम उत्तेजित हो गई थी। तभी राज ने फिर उठा और मेरी नाभि पर किस किया और गर्दन पर किस किया और मेरे ऊपर आ गया। और फिर से हम दोनों के होंठ से होंठ मिल गए।
मैं राज के होंठ को चूसते हुए उसके लंड को सहला रही थी।
फिर राज मेरी सारे कपड़े निकल दिया और मुझे नंगा कर दिया।
हम दोनो बालू के ढेर के पीछे नंगे एक दूसरे मे लिपटे हुए किस कर रहे थे।
और उधर लोग होलीका दहन मना रहे थे।
तभी मेरे बूर पर किसी गर्म सरिया महसूस हुआ, वो मेरे बेटे का लंड था, जो अब मेरी बूर मे घुसना चाहता था।
मेरी तो चीख निकल गयी जब उसने धक्का मरा ऊईफ्फफ्फ्फ़ अअअअअअअह्ह्ह्ह बेटा जरा धीरे से....
आअह्ह् मा थोड़ा बरदास करो।
फिर राज मेरे होंठ को चूसते हुए चोदने लगा।
लोग होलिका दहन के जश्न मे डूबे हुए थे, और मेरा बेटा खुले आसमान मे मुझे चोद कर अनंत सुख दे रहा था।
मेअ अपनी आँखे बंद करके मजा से उसके होंठ चूस रही थी और मेरा बेटा मेरी बूर को चोदते हुए, मेरी चूचियाँ दबा रहा था।
कभि मैं उसके ऊपर तो कभी वो मेरे साइड से लगातार चोद रहा था।
हम् दोनो चुदाई मे मस्त डूबे हुए, थे।
तभी गाने बजाने शोर शराबा कम होने लगा , मैं समझ गयी की लोग अब घर जा रहे है।
तभी राज ने जोर जोर से चोदना शुरु किया।
और् थोड़ी देर मे हम दोनो झाड़ कर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
जब सभी लोग चले गय, तब पहले राज को घर भेज दी ,
फिर् मैं घर आई।
उस रात जब मैं घर पहुंची तो देखी की आकाश सो चुका था सौम्या इंतजार कर रही थी मुझे घर पहुंचते ही सौम्या ने मुझसे पूछा
क्या हुआ माँ कहां रह गई थी अभी तक?
तभी मैंने कहा कहीं नहीं बेटी वह शीला के साथ थोड़ी देरी हो गयी।
फिर मैंने कहा अच्छा बेटी चलो जल्दी से सो जाते हैं कल सुबह जल्दी उठकर तैयारी भी करनी है सुबह होली है।
मेरे साथ ही चिपक कर सोई हुई थी। उसकी चूची और मेरी चूची दोनों आपस में टकरा रही थी।
उसकी एक टांग मेरी योनि से सटी हुई थी।
तभी सौम्या ने मेरी गाल पर एक हल्की सी किस कर दी।
मैं उससे बोली क्या करती है चलो जल्दी से सो जाओ?
तभी सौम्या बोली- यार मम्मी अगर मैं लड़का होती ना तुम्हारे होंठ चूस लेती और मैं तुम्हारे साथ वह सब करती जो एक लड़का लड़की के साथ करता है।
तब मैंने उससे कहा- अच्छा तो पटना में तुम यही सब करती हो। और बताओ क्या-क्या किया अब तक तुमने तो सारी इज्जत को मिटा दी होगी?
तब सौम्या ने कहा -अरे नहीं मां मैं अब तक ऐसा कुछ नहीं किया बस एक बॉयफ्रेंड है उसे कभी कभार बात हो जाती है एक दो बार मिलना भी हुआ है बस किस तक हम दोनों सीमित रह चुके हैं।
अच्छा तुम मेरी बेटी इतनी होशियार हो चुकी है। और मैंने उसके गाल पर एक प्यार से चपट लगा दी।
मैं बोली की चल अब सो जा ज्यादा बात मत कर तभी उसके ब्वॉयफ्रेंड ने वीडियो कॉल किया। तब मैंने कहा मोबाइल को साइड में रख और सो जा।
फिर सौम्या बोली। मम्मी प्लीज एक बार बात करने दो ना यहीं पर थोड़ा सा बात करके फोन ऑफ कर दूंगी प्लीज मम्मी।
मैं बोली चल ठीक कर ले। फिर सौम्या कॉल उठाकर बात करने लगी।
कॉल उठाते हैं
उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- हेलो जान कैसी हो।
फिर सौम्या ने बोली- मैं ठीक हूं तुम बताओ कैसे हो और क्या कर रहे हो?
बॉयफ्रेंड- बस ठीक हूं मेरी जान और तुम्हारी याद में हिला रहा हूं
यह शब्द सुनकर हम दोनों के कान खड़े हो गए। मैं झूठ मूठ कर आंख बंद कर ली सोने का नाटक करने लगे। सौम्या तुरंत मुझे पलट कर देखी मैं सोने का नाटक कर रही थी।
तब सौम्या ने कहा- यार तुम तो मुझे मरवा ही देते बगल में ही मम्मी लेटी हुई है और तुम ऐसी बातें कर रहे हो।
तब उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो तुम्हारी मम्मी कैसी है।
क्यों मुझसे मन नहीं भर रहा क्या जो मम्मी को देखोगे?
बॉयफ्रेंड- अरे नहीं मेरी जान जब से तेरी बूर में लंड डाला है तब से बेचैन हूं। दोबारा तो तुमने कभी दी ही नहीं मुझे बस खाली चुम्मा दे कर दूर हो जाती है।
यह सब शब्द सुनकर मेरे तो फिर से गर्मी बढ़ने लगी थी माय गॉड कैसी बेटी है मेरी एकदम से छिनाल हो गई है मैं आंखें बंद कर सोने का नाटक कर रही थी।
तभी उसका बॉयफ्रेंड यार जान दिखाओ ना एक बार तुम्हारी मम्मी को।
तब सौम्या ने मोबाइल को मेरी तरफ किया।
बॉयफ्रेंड- यार यह तेरी मम्मी है। यह तो तुमसे भी बवाल है यार। इतनी मस्त है इसकी चेहरा इतनी खूबसूरत है तो और कितना खूबसूरत होगा।
तभी सौम्या बोली- अच्छा जी अब मेरे जनाब का दिल मेरी मम्मी पर आ गया।
बॉयफ्रेंड- अरे नहीं यार प्यार तो मैं तुमसे करता हूं पर क्या करूं तुम्हारी मम्मी को देखकर तो मेरा दिल ही बैठ गया मन कर रहा है अभी इनके पास आकर लेट जाऊं?
सौम्या- ओ जनाब अब बस भी करो कल होली है होली खेलने आ जाना तब मुझे और मेरी मम्मी दोनों का रंग लगा देना।
बॉयफ्रेंड- रंग तो मैं जरुर लगाऊंगा जान पर रंग के साथ में तुम्हारी मम्मी का मालपुआ भी खाऊंगा।
सौम्या- अच्छा जी अब आप मेरी मम्मी का मालपुआ भी चाहेंगे। चलो ठीक है कल आओ फिर देखते हैं। फिर कॉल कट कर दी।
मैं तो उनकी बातें सुनकर एकदम से गर्म हो गई थी और उससे भी ज्यादा हैरान थी कि मेरी बेटी कितनी गंदी हो गई है गंदी गंदी बातें कर रही थी वह भी अपनी मां के बारे में।।
जैसे ही सौम्या मेरी तरफ मुड़ी। वैसे ही मैंने अपनी आंखें खोली और पूरे गुस्से में थी। और उसे एक चपत लगाते हुए बोली। तुम इतनी बिगड़ गई हो मां के बारे में यह सब बातें करती हो और तो और तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ सब कुछ कर चुकी हो।
तब सौम्या बोली- अरे मां आजकल यह सब कौन नहीं करता और तो और आप इतनी खूबसूरत और जवान हो मेरे बॉयफ्रेंड का दिल तो आप पर ही आ गया और यह कहते हुए उसने कस के मेरी होठो को अपने दांत से काट दिया?
मैं बोली तुम बहुत बिगड़ चुकी हो चलो अब जल्दी से सो जा सुबह उठकर हमें पकवान भी बनाने हैं।
और हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए।
धन्यबाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे जो होली स्पेशल है।
#UPDATE 4
मुहबोला बेटा से प्यार S1
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आज होली है और सुबह से ही काफी चहल पहल थी चारो ओर।
मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों मिलकर सुबह खाने की तैयारी करने लगे पूआ पकवान बनाने लगे और मेरे दोनों बेटे उठे, मुझे और सौम्या को गले लगाए और Happy holi, बोल कर गाल चूम लिया, फिर होली खेलने के लिए बाहर जाने लगे।
बाहर काफी शोर सराभा हो रहा था कोई किसी को रंग लगा देता तो कोई बुजुर्ग आदमी उसे गाली देने लगता।
एक बुजुर्ग की आवाज आई। अरे तुम्हारी माइ के बूर चोदो तुम सभी को इधर ही रंग लगाना है।
तभी कुछ लड़के उन्हें बोलते हैं- अरे बाबा बुरा ना मानो होली है।
तभी बुजुर्ग की आवाज आती है- अरे सब रंगवा तोहरी माई के बुरिया में डाल देंगे भागता है कि नहीं साला हमारे संग होली खेलना है तुम सभी को?
मै और सौम्या ये आवाज़ सुनकर हसने लगे।
हमारे मोहल्ले के लड़के काफी बदमाश थे वह लोग किसी को छोड़ते नहीं थे नई नवेली भाभी हो या आंटी हो हर किसी को रंग लगा देते थे यहां तक की कोई आंटी अगर थोड़ी भी शरारत की तो उसकी दोनों चूची और बूर में रंग लगा दिया जाता था।
मैं तो इन शरारती लौंडो से बचकर ही रहती थी। मुझे आज भी पिछले साल की होली याद है। जब मैं इन लड़कों की बीच में फंस चुकी थी।
मुझे याद है कि मैं पूरी रंग से गीली हो चुकी थी और जब अपने घर वापस लौट रही थी तब इन लड़कों की टोली ने मुझे पकड़ लिया और मुझे रंग लगाने लगे मैं उन्हें बोल रही थी कि छोड़ दो मुझे घर जाना है पर
वह लोग बोले कि- कहां आंटी थोड़ा सा तो रंग लगाने दो? वही उसी लड़के में से कोई बोल रहा था यार आंटी तो काफी चिकनी और गोरी है इनके गाल के साथ-साथ पेट और जांघों पर भी लगा दो रंग यार।
मैं भी कहां कम थी मैं पकड़ कर उनके गालों पर रंग लगाने लगी? अभी वो लोग मेरे गालों पर रंग लगा रहे थे साथ ही साथ वह लोग मेरे पेट और गर्दन पर भी रंग लगा रहे थे उनमें से कई लोग तो मेरी चूची को भी दबा चुके थे।
एक लड़के ने शरारत की और उसने मेरी बूर को कपड़े के ऊपर से ही दबा दिया मैं काफी चटपटा गई और तुरंत उन लोगों को एक तरफ कर दी और वहां से भाग निकली।
तभी एक बुजुग बोले अरे बेटा ये तुम लोग से बच गयी।
पिछले साल में किसी तरह मैं लड़कों से अपनी जान बचाकर भाग निकली लेकिन उन लोगों ने जाते-जाते मुझे बोला ओ हमारी चिकनी आंटी अगर आप अगली होली मिलेगी तो हम पक्का आपका उद्घाटन कर ही देंगे।
बुजुर्ग फिर बोले-तुम्लोग् से तो इस मोहल्ले की कोई औरत ना बची पर ये बच गयी।
तभी एक ने बोला-ओ दादा इतनी मस्त माल हमारे मोहल्ले में हो और बच जाए यह तो हो ही नहीं सकता।
मैं तो पिछले साल की सोच सोच कर ही डर रही थी कि इस साल क्या होगा वह चार बंदे बहुत ही खतरनाक थे?
इस मोहल्ले की कई औरतों को वह लोगों ने चोद चुके थे।
तभी हम दोनों मां बेटे का खाना बनाना हो गया और सौम्या मुझे प्यार से बोली कहां खो गई थी मां सपनों में किसके साथ होली खेल रही थी?
मैं बोली कहीं नहीं चल तू अपना काम कर।
तभी बाहर से मेरे दोनों बेटे राज और आकाश होली खेल कर आए।
मै देखी कि यह दोनों पूरे लिटाये हुए थे तब मैंने इन्हें कहा अरे बेटा जाओ पहले दोनों अपने आप को साफ करो और खाना खा लो उसके बाद होली खेलना।
सौम्या उन्हे देख कर खूब हस रही थी।
मैं देखी की आकाश से ज्यादा राज लिटाया हुआ था राज को कोई बुरी तरह से पूरा अंदर तक रंग लगाया हुआ था।
तब मैंने कहा आकाश जाओ तुम रंग को साफ करो और राज बेटा तुम मेरी बाथरूम में जा और साफ कर ले।
और सौम्या से कहा- बेटा तुम खाना लगाओ मैं थोड़ा राज को देखकर आती हूं वह ज्यादा लेटाया हुआ है।
सौम्या मुझे देखने लगी तब मैं सौम्या से कहा अरे बेटा क्या हुआ तू खाना लगाना?
और मैं राज के पास चली गई। मैंने देखा राज अपने आप को पूरा साफ करने की कोशिश कर रहा था उसके पूरे अंदर तक कीचड़ भरा हुआ था।
मैं राज को पूरी तरह से नंगा किया और उसे पूरी तरह से साफ करने लगी।
राज ने कहा- मां मैं कर लूंगा।
मैंने कहा चुप कर और मुझे साफ करने दे फिर मैंने उसे पूरी तरह से साफ किया और मैं बाहर आ गई।
बाहर आई तो देखी सौम्या आकाश को खाना परोस रही थी तब मैं सौम्या से कहा कि दूसरा प्लेट भी लगा दे राज आ रहा है वह भी तैयार हो गया।
फिर हम सभी एक साथ खाना खाए और और मैं काम करने लगी
तभी मेरे पास सौम्या और आकाश आए और बोली चलना मां बाहर होली खेलने चलते हैं।
मैं बोली तुम लोग जाओ मुझे बाहर होली खेलने नहीं जाना है मैं यही ठीक हूं।
आकाश राज के पास गया और
बोला- राज चल बाहर चलते हैं होली खेलने
तब राज ने कहा- नहीं भैया मुझे होली नहीं खेलना वह लोग पूरा कीचड़ में मुझे लेटा देते हैं।
तब आकाश और सौम्या दोनों बाहर चले गए होली खेलने के लिए अब घर में सिर्फ मैं और मेरे बेटे राज ही रह गए थे।
फिर मैं बाहर की दरवाजा को बंद की और और अपने बेटे राज से कहा कि बेटा तुम्हें होली नहीं खेलना है क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां मुझे होली नहीं खेलना वह लोग मुझे पूरा कीचड़ में लेटा देते हैं मैं यही ठीक हूं। उसकी मासूमियत को देखकर मैं बोली अच्छा मेरे राजा बेटा को होली नहीं खेलना, चल कोई बात नहीं मैं तुम्हें केवल गाल पर गुलाल लगाकर होली खेलती हूं।
मैं गुलाल को अपने हाथ में लगाइ और उसके गालो पर लगाने लगी।
राज ने भी अपने हाथ को मेरे हाथ से मिलाया और मेरे हाथ का लगा हुआ कुछ गुलाल मेरे गाल पर रगड़ने लगा।
फिर मैंने शरारत की और उसके कपड़े को उठाकर उसके पेट में रंग लगा दी।
तभी राज ने मुझे कस के पकड़ा और दीवाल से चिपकाते हुए अपने गाल को मेरे चूचियों पर रगड़ने लगा।
मैं हंसने लगी वह भी खील खिला रहा था।
हम दोनों मां बेटे एक दूसरे को देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे
तभी राज ने धीरे से अपना होंठ को मेरे होठो पर लाकर रख दिया। मैंने प्यार से उसके होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगी।
मैं दीवार से सटी हुई थी और वह मेरे से सटा हुआ मेरे होंठ को चूस रहा था।
मैं उसके पीठ को तो कभी उसके बाल को सहला रही थी तो वही मेरे बेटे का हाथ कभी मेरे नाभि में तो कभी मेरे चूची को दबा रहा था।
मैं अब अपने बेटे के आगोश में बिल्कुल गर्म हो चुकी थी।
बाहर होली का शोर सराभा और गाली सुनाई दे रहा था तो इधर हम दोनों की केवल चुम्मा चाती की आवाज आ रही थी।
तभी राज ने मेरे साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और धीरे से मेरी ब्लाउज का बटन खोल दिया और मैं सिर्फ ब्रा में हो गई।
उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को काटना शुरु कर दिया। मेरे पूरे शरीर में बिजलीया दौड़ गई मेरे बेटे के इस तरह काटने से मैं तो पूरी तरह से सिहर उठी थी।
थोड़ी ही देर में मैंने अपने बेटे का पेंट खोल दिया जिससे उसका लोअर पूरा नीचे गिर गया और वह अब केवल चड्डी में था।
मैं उसके मोटे से लन्ड को चढी के ऊपर से ही सहला रही थी और वह मेरी होठों को चूस रहा था और मेरे स्तन को दबा रहा था।
तभी उसने मेरे ब्रा का हूक् खोल दिया और मेरे दोनों चुचिया आजाद हो गई और दोनों चुचिया को उसने अपने हाथों से पकड़ कर दबाने लगा।
मैं पूरी तरह से सीहर उठी अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और उसे अपने चूचियों को चूसने को बोल रही थी चूस बेटा अपनी मां की चूचियों को चूस।
मैं वही दीवार से सटे खड़े हुए अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और बेटा मेरी चूचियों को कभी चूस रहा था तो कभी काट रहा था।
थोड़ी देर में मेरे बेटा थोड़ा और नीचे गया और अपना जीभ को मेरी नाभि में डालने लगा मैं एकदम से सीहर उठी।
ऊओ बेटा आआह्ह।
फिर मेरे बेटे ने मेरे साड़ी को खोल दिया और धीरे से मेरी साया का डोरी को खींचकर खोल दिया और साया एकदम से नीचे गिर गई मैं अब केवल पैन्टी में थी कि तभी उसने पैंटी को जबान से काटा और दांत से खींच कर नीचे उतार दिया थोड़ी ही देर में मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी।
फिर उसने अपने चड्डी को भी नीचे सरका दिया और उसका लंड एकदम से हवा में लहराने लगा मैं उसके लंड को हाथ में लेकर खड़ी थी कि वह मेरे मुंह के सामने आया और मेरे मुंह में अपना जबान डालकर चूसने लगा।
मैं उसको लन्ड को हिला रही थी और वह मेरी बूर को सहला रहा था और हम दोनों मिलकर एक दूसरे के मुंह मे जीभ डाले हुए थे। कभी वह मेरे मुंह में अपना जीभ् डालकर पेलता तो कभी मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर चुसता हम दोनों की यह होली काफी मजेदार हो रही थी।
फिर राज ने-अपने लंड को मेरे बूर पर सेट करने लगा मैं अपने टांग को थोड़ी सी फैला दी और दीवाल से सटे खड़े हुए उसने अपने लंड को मेरे बूर में डालने लगा,
मैं उसके बाहों में पड़ी हुई थी।
वह मुझे दीवार से सटाये खड़ा किया था और अपना लंड को एक तेज झटका के साथ मेरे बुरे में घुसा दिया आआहहह की आवाज हुई
तभी उसने मुझे अपने बाहों में पकड़े हुए अपने होंठ से मेरे होंठ को दबा दिया और फिर धीरे-धीरे वह धक्के लगाने शुरू किया ऐसे ही करते हैं वह मुझे खड़े-खड़े ही पेलने लगा और
बोलने लगा -ओह्ह्ह मां तुम्हारी कितनी मस्त बूर है मेरा तो लंड जैसे स्वर्ग में जा रहा है आआह्ह्ह मां और कभी मेरी गाल को काटता तो कभी होंठ को काटता तो कभी गार्डन को चूमता था आआह्ह मां और पेलते रहता
उसकी हर एक धक्को से मेरी चूचियां ऊपर नीचे होती।
हम दोनों मां बेटे इस चुदाई का आनंद होली में खड़े-खड़े ही ले रहे थे कि तभी
राज ने बोला- मां मैं सोफे पर बैठता हूं तुम मेरी ऊपर आ जाओ
फिर राज सोफे पर बैठ गया और मैं उसके ऊपर आ गई और लंड को अपने बुरे में ले ली। फिर मैं ऊपर से उछालना शुरू की और मेरी चूचियों को उसके मुंह में दे दी वह बड़े प्यार से मेरी चूचियों को चूस रहा था और मैं बड़े प्यार से उसके लंड को अपने भीतर ले रही थी कभी उसके माथे को चूमती तो कभी उसके बाल को सहलाती वह तो बस मेरी चूचियों को चूसते जा रहा था। मेरी बूर में उसके लंड के धक्को से काफी हलचल मच रही थी एकदम से मेरी चुत पानी पानी हो रही थी फिर उसने मेरी चूचियों को छोड़ा और मेरे मुंह को चूमते हुए बोला मां तुम सोफे पर झुक जाओ मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूं।
फिर मैं उसके ऊपर से उठी जैसे ही उठी उसके लंड गप्प् से मेरे बुर से बाहर निकली और मैं सोफे पर झुक गई वह मेरे पीछे आया और लंड को बूर में घुसा दिया मैं एकदम से सीहर उठी वह मेरे ऊपर झुक गया और मेरे गालों को काटते हुए कभी मेरे पीठ को चुमते हुए पीछे से धक्के लगना शुरू किया एकदम से धक्के लगा रहा था मैं आआआह्ह ओह्ह्ह की आवाज कर रही थी कि
तभी डोर बेल बजी पर हम दोनों मां बेटे को कोई शुद्ध नहीं रही और राज धक्के लगाता रहा और मैं उसे चुदवाती रही उसके लंड की हर एक धक्का के साथ मेरे मुंह से एक जोर की आआह्ह निकलती और वह लगातार धक्के लगाते जा रहा था।
हम दोनों चरम सीमा पर थे वह मुझे पकड़ कर मेरे गालों को चुमते हुए। चोदते जा रहा था। फिर एक आखिरी धक्का लगाया और बोला आआअह्ह्ह मां।
राज मेरे ऊपर निदाल हो गया। फिर से डोर बेल बजी।
हम दोनों मां बेटा उठै और अपने-अपने कपड़े पहनने लगे। मैं अपने कपड़े लेकर रूम में चली गई और राज यहीं पर कपड़े पहन कर डोर खोलने लगा। डोर खोलते ही सौम्या आई और बोली क्या कर रहे थे तुम दोनों इतनी देर से की डोर खोल नहीं पाए?
तभी मैं भी कपड़े पहन कर बाहर आई और बोली अरे बेटी तू तो पूरी तरह से लेटा गई है कहां इतनी होली खेली?
तभी राज यहां से निकल गया। और बाहर होली खेलने चला गया।
तभी सौम्या मेरे पास आई और बोली अरे मां तुम अभी तक क्या कर रही थी?
तब मैं बोली की क्या करूं बस सो रही थी? शायद हम दोनों में जो कुछ भी हुआ था सौम्या थोड़ा बहुत समझ रही थी।
तब सौम्या बोली अरे माँ चिंता मत कर मेरा बॉयफ्रेंड आने ही वाला है वह तो बहुत उतावला है बोल रहा था सबसे पहले तुझे ही रंग लगाएगा उसके बाद ही मुझे लगाएगा।
मैं बोली -मैं क्यों तेरे बॉयफ्रेंड से रंग लगाऊं तू लगवाओ?
तब सौम्या बोली अरे मां वह तो तेरे मालपुआ खाने के लिए बेचैन है।
आज होली है आज तो किसी को मना नहीं करते जो मालपुआ मांगते हैं उसे चखा ही दिया जाता है।
मैं बोली चल चुप कर बहुत बदमाश हो गई है।
फिर सौम्या बोली- अरे मां तुझे तो शीला चाची बुला रही थी होली खेलने के लिए चलो ना उनके घर में।
तब मैं बोली अच्छा ठीक है चलती हूं पहले तैयार तो हो जाऊं।
तब सौम्या बोली -अरे माँ यार क्यों तैयार होना है वहां तो आपकी साड़ी खोल ही दिया जाएगा?
मैं बोली क्या बकवास कर रही है मैं नहीं जाती फिर?
अरे मां मैं तो मजाक कर रही थी चलो ना ऐसे ही।
वैसे भी तो वहां लेटा ही जाओगी।
और यह राज का बच्चा कहां चला गया आज तो उसे छोडूंगी नहीं पूरा रंग लगाऊंगी मेरा लाडला भाई जो है और मेरे माँ का लाडला बेटा उसे तो रंग लगाए बिना मैं कैसे छोड़ सकती हूं?
तब मैंने कहा- अच्छा ठीक है जिसे रंग लगाना हो लगा लेना पहले चल उसके यहां चलते हैं।
मैं सब तैयारी करके अब शीला के घर जाने लगी।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
होली की आश्लि खेल अभी बाकी है।
तो मिलते है अगले भाग मे।
Nice updateUPDATE 1
मुहबोला बेटा से प्यार show1। #UPDATE1
हाय दोस्तों। मैं सुनीता मेरी उम्र अभी 44 साल की हूँ।
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मेरे दो बच्चे हैं एक आकाश जो अभी 18 साल का है। और सौम्या जो अभी 20 साल की है।
मेरे दोनों बच्चे पटना में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं।
मेरे पति का नाम अशोक है।इनकी उम्र 49 है और वह कनाडा में रहकर जॉब करते हैं।
मेरे पति साल में सिर्फ एक बार ही आते हैं।इनका कहानी मे कोई रोल नही है।
मैं आरा बिहार से हूं। मैं घर पर अकेली रहती हूं।
मेरी एक दोस्त है जिसका नाम है शीला। वह मेरी बहुत अच्छी सहेली है। इसकी उम्र मेरी जितनी है 44साल।
पर् हम दोनो सहेलिया बिल्कुल भी इतनी ज्यादा उम्र की नही लगती।
हम् दोनो पर पुरा सोसायटी फ़िदा है।
यह कहानी आज से 5 साल पहले की है जब मैं 38 साल की थी। मैं दिखने में काफी सुंदर हूं अभी जवान हूं। मेरी फिगर है 36 30 38। मेरे आस-पड़ोस के सभी मर्द मेरे दीवाने हैं और यहां तक की शीला के पति(समर 45yr) भी मुझे हमेशा पटाने की फिराक में रहते है लेकिन मै किसी को पति के अलावा भाव नही दिया।
शीला के पति उसके साथ रहते है और इसी शहर मे दुकान चलाते है।
मै अकेली घर पे रहकर खेती की देख रेख करती हु। वैसे करने को तो मजदूर है। मै केवल घुमने जाति थी।
एक दिन मै स्टेशन् पर किसी काम से गयी थी जब लौट रही थी तब मुझे वहा एक लड़का रोता हुआ दिखाई दिया। मै उसके पास गयी उसे सर पर हाथ फेरी तो उसने मुझे देखा और मुह फेर लिया।
मै उसे बोली क्या हुआ बेटा। वो मुझे अपना बेटा जैसा लगा।उसकी उम्र कोई 18 साल रही होगी। मैने उसे आपने साथ् कार् मे ले ली और उसे उसके बारे मे पूछने लगी पर मुझे कुछ नही बताया।
मै उसे घर लेकर आई तभी शीला भी आ गयी मेने उसे सब बताया। तो शीला बोली पुलिस को बताते है मेने ऐसा करना ठीक समझा और शीला के साथ पुलिस के पास गयी। पुलिस ने रिपोर्ट लिख कर ये कह दिया की जब तक इसके घर का पता नही चल जाता इसे अपने पास रखिये। मै तो अब टेंसन मे आ गयी पर
शीला- कुछ दिन की बात है रख ले वैसे भी तु अकेली रहती है। तेरा मन भी लगा रहेगा ,देख बिचारे का क्या हाल हो गया है।
मै उसे लेकर घर आ गयी। उसने अब तक कुछ नही बोला था। पर अब थोड़ा ये नॉर्मल लग रहा था।
शाम को उसे खाना खिलाया और खूद खा कर सोने जाने लगी।
तभी देखी की वो फिर रोने लगा मैं बोली क्या हुआ बेटा तो
उसने बोला- माँ ।
मै सकपका गयी ऐसा लगा जैसे मेरे हि बच्चे मुझे पुकार रहे हो। मै उसके सर पर हाथ फेर कर बोली बोलो बेटे।
वो बोला- माँ मुझे अकेले नही सोना।
मेरा तो दिल रोने लगा। मै उसे गले लगा ली। और उसके साथ हि लेट गयी।
मै उससे उसकी नाम पूछी।
तब उसने बताया- उसका नाम राज है।
फिर उसने अपना सर मेरे छाती मे दबा कर रोने लगा। उसके बाद मे कितना भी मै पूछती रही पर उसने नही बताया।
मै वाही उसके साथ ही सो गयी।
सुबह जब मेरी आंख खुली तो 5:00
रही थी। मैं जब उठी तो देखी की राज मेरे छाती पर अपना सर रखे सो रहा था। मैं उससे बड़े प्यार से देख रही थी। बहुत ही सुंदर और सुशील था। उसका चेहरा एकदम कमल सा था उसके मुंह पर हल्का-हल्का मूछ था। उसके होंठ एकदम लाल। इसका एक पैर मेरी दोनों जांघो के बीच में और हाथ मेरे कमर में लपेटे में सो रहा था। मैं उसके पैर को सीधा की और अपने से नीचे किया। फिर मैं काम करने के लिए जाने लगी।
तभी मेरा ध्यान उसके पैंट पर गया। उसके पैंट में आकार मोटा दिखाई दे रहा था। एकदम से फुला हुआ था।
मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। फिर मैं अपने काम करने के लिए जल्दी से उसे सोते हुए छोड़कर चली गयी।
जब मैं नाश्ता बना ली तब मैं जाकर उसे जगाया तो देखा कि उसका तो लन्ड पूरा खड़ा हुआ है।
मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे बेटे जैसा था पर मैं उसके बारे में यह क्या सोच रही थी?
फिर मैं उसके सर पर हाथ फेर कर उसे जगाया। और उसे नहाने के लिए बोलकर नीचे खाना लेकर आने लगी। वह नहा का टेबल पर आकर बैठ गया। मैंने उसे खाना देकर नहाने चली।
जब मैं नहा कर आइ तो देखी कि वह खाना खाकर बैठ चुका था। मैंने उसे बता दिया कि हम आज खेत पर घूमने जाने वाले हैं। तो वह एकदम से खुश हो गया उसका मुस्कुराता चेहरा देखकर मैं एकदम खुश हो गई।
मैं खेत पर घूमने के लिए शीला को भी बुला लिया और मैं और मेरे बेटे तीनों मिलकर हम खेत पर घूमने चल दिए।
मेरे खेत मे कुछ ईख लगी हुई थी और कुछ धान की खेती थी।
जैसे ही हम खेत पर पहुंचे हि थे की शीला के घर से फोन आ गई कि उसके पति उसे बुला रहे हैं तो वह चली गयी।
अब खेत पर मैं और मेरे बेटे राज दोनों ही बच गए थे। मैं सोची की राज का यहां मन बहल जाएगा
और कुछ उसके बारे में पता चलेगा।
राज ने यहां भी कुछ नहीं बताया। उल्टा फिर उदास हो गया। मैं उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और फिर हम दोनों मिलकर वहां नदी की ओर चल दिए। यहां धान के खेत में पानी नहीं थी तो मैंने धान के खेत में पानी कर दी।
राज खेत में जो मड़ई बना हुआ था उसमे बैठा हुआ था। मैं राज के पास गई तो देखा कि वह काफी शांत बैठा हुआ था। मैं उससे पूछी क्या हुआ राज यहां भी मन नहीं लग रहा क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां यहां तो काफी शांति और सुकून है। मुझे यहां आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है।
फिर वह आकर मेरे गले लग गया। हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से चिपके हुए थे उसी मड़ई में।
हमें वहां कोई देखने वाला नहीं था। जब वह मेरे से चिपका हुआ था तो मेरे दोनों चुचिया उसके छाती में दबी हुई थी और उसकी कठोर लन्ड मेरे योनि के पास लग रहा थी।
मैं बोली राज कब तक ऐसे ही रहोगे घर नहीं चलना है क्या? राज मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। मै उसके इस मुस्कान पर एकदम से खिल उठी और उसके गालों को चूम ली। वो शर्मा गया। तब मुझे हसी आ गयी। प्यार से वो मुझे फिर से अपनी बहों मे ले लिया।
फिर हम दोनों घर आ गए। आज मुझे कई दिनों के बाद बहुत खुशी मिली थी। आज मेरा सारा अकेलापन दूर हो गया था।
हम दोनों मां बेटे लिविंग रूम में चले गए जहां टीवी लगा हुआ था। वहां पर हम दोनों एक दूसरे के पास बैठकर टीवी देखने लगे जिस पर काफी हॉट फिल्म आ रही थी मैं सोची कि इस फिल्म को बदल दू।
पर उस वक्त मुझे रिमोट ही नहीं मिली हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए बैठकर टीवी देख रहे थे।
वह मेरे कंधे पर सर रखकर मूवी को देखने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने आगोश में ले लिया। और अपना एक पैर मेरे पैर पर रख दिया। मैं भी उसके सर को सहलाने लगी। और उसे खूब प्यार करने लगी। मुझे उसे दिन पता नहीं क्या हो गया था हम दोनों दूसरे से चिपके हुए थे? मुझे उसे पर बहुत प्यार आ रहा था। और ऐसे ही हम दोनों लेते हुए सो गए वहीं पर।
हम दोनों की नींद तब खुली जब शीला घर पर आई। मैं जाकर दरवाजा खोली। मैं राज को उठा दिया था की जा बाथरूम से फ्रेश हो जा।
शीला मुझे बाजार ले जाने के लिए आई थी। पर उसके साथ उसके पति भी थे। उसका पति बहुत मजाकिया थे मै उनके साथ नहीं जाना चाहती वह बहुत मुझे छेढ़ते थे।
मैं जैसे ही शीला से बोली कि मैं तुम्हारे पति के साथ नहीं जाऊंगी तभी वह पीछे से आकर बोले
समर- क्या हुआ सुनीता जी मेरे साथ जाने में क्या तकलीफ है?
मैं बोली- कुछ तकलीफ नहीं है जी बस आप जो मुझे परेशान करते हो उसे तकलीफ है। तभी
शीला बोली- हां हां तो सुनीता क्यों नहीं दे देती वह चीज जो इन्हें चाहिए?
मैं बोली -मैं क्यों दूं तुम्हारा पति है तुम दो?
तब
शीला बोली- एक बार दे दोगी तो क्या हो जाएगा घट थोड़ी जाएगा?
मै बोली- चल चुप कर शीला मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी। हमेशा अपने पति का ही साथ देती थी। वह भी मुझे अपने पति से चुदवाना चाहती थी।
मैं हमेशा कोई ना कोई बहाना बना ही देती थी।
फिर शाम को मैं मेरे बेटे और शीला और शीला के पति के साथ मार्केट गई वहां पर सभी मुझे घुर्र कर देख रहे थे।
तभी शीला के पति
समर- बोले क्या बात है सुनीता जी आपका तो पूरा मार्केट दीवाना है?
और सभी हंसने लगे। मैं अपने बेटे के साथ मार्केट में कुछ सब्जियों ले ली और उसके लिए कपड़े लेने के लिए दुकान पर जाने लगी। तभी शीला बोली की रूक मैं भी आती हूं।
मैं और शीला दोनों मिलकर अपने बेटे के लिए कपड़े लेने लगे।
फिर शीला अपने लिए कुछ ब्रा और कुछ पैंटी ली।
राज पेन्टी और ब्रा को बड़े ध्यान से देख रहा था मुझे तो शर्म आने लगी थी अपने बेटे के सामने तभी शीला बोली कि यह पेटी तो सुनीता तुम्हें अच्छी लगेगी।तभी
राज ने कहा- हां माँ ले लो तुम्हारे में अच्छा लगेगा। मैं शर्मा गई।
तभी
शीला बोली- सुनीता अब तो इसे भी पसंद आ गयी अब तो लेनी ही पड़ेगी।
उफ़ मैं शीला की इन बातों से एकदम शर्म से लाल हो रही थी।
फिर हम घर आ गए। रात को खाना पीना हुआ और मैं राज के साथ ही सो गई। राज ने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर मेरे छाती पर रखकर सो गया। मैं भी उसके सर को सहलाते हुए सो गई ।
ऐसे ही कई दिन गुजर गए। इतने दिन जो बीते वह काफी खुशनुमा थे मैं राज के साथ बहुत खुश थी। राज कहीं से भी आता और मुझे मां कहते हुए हमेशा लिपट जाता था। और उसकी कठोर सा लैंड मेरे गांड में घुसता चला जाता था। पर मैं इस अनुभव से काफी गर्म हो जाती थी।
फिर एक दिन में और राज नदी की ओर घूमने के लिए गए। हम दोनों नदी के किनारे बैठे हुए थे वहां पर हमें देखने वाला कोई नहीं था। हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे तभी
राज ने कहा- मां आप तो बहुत खूबसूरत हो। फिर आप अकेली क्यों हो? तब मैंने उसे बताया कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे पति बाहर में रहते हैं और मेरे तुम्हारे जैसे बच्चे भी हैं जो बाहर में रहकर पढ़ाई करते हैं और अपना तुम बताओ। तब राज ने मायूस होकर मुझसे लिपट गया और बोला मैं अपने अतीत को याद नहीं करना चाहता हूं मुझे यहां बहुत सुकून मिल रहा है
तब मैंने कहा की राज तुम्हारा भी तो माता-पिता होंगे। तुम्हें अपने घर तो जाना ही होगा ना। तब
राज ने कहा- नहीं मां मुझे अपने घर नहीं जाना। मुझे वहां कोई प्यार नहीं करता।
और राज फिर से रोने लगा। मैं उसे अपने सीने से लगा ली। और उसे चुप करने लगी।
उसके चेहरे को अपने हथेली में लेकर उसके आंसू को पोछी और उसके कोमल होंठ पर मैंने अपनी होंठ रखकर एक किस कर दी। और फिर उसे अपने सीने से लगा लिया।
फिर मैं राज से बोली चलो बेटा उधर ईख के तरफ खेत में पानी करना है।
फिर हम दोनों खेत में चले आए। मैं खेत में पानी करने लगी और वह खड़ा होकर मुझे देखने लगा। मैं झुक कर खेत में पानी कर रही थी। जिससे मेरी दोनों चूचियां आधि बाहर दिखाई दे रही थी। राज मेरी चूचियों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
पानी करते हुए मेरा पैर फिसल गया और मैं वही कीचड़ में गिर गई। फिर राज मेरे पास दौड़ते हुए आया।
मैंने राज से कहा कि बेटा तुम यहां मत आओ मैं कीचड़ से सन गई हूं तू भी कीचड़ में लेट जाएगा। पर उसने नहीं मानी और वह मुझे उठाने के लिए आया और वो भी फिसल के गिर गया।
हम दोनों कीचड़ में लेट गए। हम दोनों कीचड़ में लेट कर हंसने लगे। वह खेत चारों तरफ ईख से घिरा हुआ था जिससे हमें कोई वहां देख नहीं सकता था।
मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके पेट पर लगा दी और हंसने लगी। तभी राज ने भी थोड़ा सा कीचड़ लेकर मुझे लगाने के लिए आगे बढ़ा तभी मैंने उसके हाथ को झटक दिया और वह मेरे ऊपर आकर गिरा। उसके छाती से मेरे दोनों चूचियाँ दब गई। उसकी कठोर सा लिंग मेरे योनि में अनुभव होने लगा। उसका लिंग तो धीरे-धीरे आकर ले रहा था जो मेरे योनि पर दबाव पड़ रहा था। उसके कोमल होंठ एकदम मेरे होंठ के करीब था। उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रहा था।
हम दोनों मुस्कुरा रहे थे और कीचड़ में खेल रहे थे। मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके गालों पर लगा दिया। फिर उसने अपने कीचड़ से लगे हुए गाल को मेरे गाल से रगड़ने लगा। इसी बीच उसके कोमल होंठ मेरे होंठ से लग गए। हम दोनों कुछ पल के लिए एकदम स्थिर होकर रुक गए। हम दोनों को कुछ समझ नहीं आया और पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे योनि से नदी पर निकली हो। आज पहली बार मुझे अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द का एहसास महसूस हो रहा था। मैं अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने उसके होंठ को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
मैं अपने अंदर कई साल से वासना को दबा कर रखी थी। जो एक 18 साल की कोमल बच्चे ने जगा दिया था। वह बच्चा भले ही मेरा सगा बेटा ना हो पर वह मेरे बेटा जैसा था। उससे मैंने अपना बेटा माना था और वह मुझे हमेशा माँ ही कहा है।
ऐसे एहसास होते ही मैंने तुरंत उसे अलग हुई हम् दोनो के होंठ अलग हुए। उसे अपने ऊपर से हटाया और उठ खड़ी हुई। हम दोनों एक दूसरे से नजरे नहीं मिल पा रहे थे।
फिर
राज ने कहा- सॉरी मां मुझसे गलती हो गई।
मैं उसके मासूम चेहरे को देखकर पिघल गयी और उसे फिर से अपने गले से लगा लिया और बोली कि नहीं बेटा इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।
फिर मैं बोली -राज बेटा देखो हमारे कपड़े कितने गंदे हो गए हैं हम इस हालत में तो घर भी नहीं जा सकते हैं।
तब
राज ने कहा -अब क्या करेंगे माँ
तब
मैं बोली कि चलो बेटा हम दोनों नदी में चलकर नहा लेते हैं।
हम दोनों नदी में चले गए नहाने के लिए।
उसे वक्त मैंने देखी कि वहां पर कोई नहीं था।
फिर हम दोनों नदी में नहाने के लिए उतर गए। मैंने अपना कपड़ा साफ किया और फिर राज का भी कपड़े को साफ की और वहीं बाहर में सूखने के लिए झाड़ियां पर पसार दिया।
मैं अब सिर्फ पेंटी और ब्रा में नहा रही थी और राज सिर्फ अंडरवियर में था।
राज मुझे इस तरह देखकर मुस्कुरा रहा था
तब मैंने उससे पूछा- कि क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो? तब
राज ने कहा कि मां मैं इससे पहले इतनी सुंदर शरीर किसी की नहीं देखी तुम तो अभी बहुत सुंदर हो मां।
तब मैंने कहा चल झुटे कुछ भी बोलता है मैं तेरी मां हूं।
फिर
राज ने कहा -मां मैं सच कह रहा हूं। आपको देखकर मुझे पता नहीं क्या हो जा रहा था?
फिर
मैं बात को बदलते हुए कही -चल छोड़ जब तक कपड़े सुख नहीं जाते तब तक हमें तो नहाने ही है तो तब तक हम पकड़म पकड़ाई खेलते हैं तो तुम मुझे पकड़ना मैं इधर से उधर नदी में भागूंगी।
फिर राज मुझे पकड़ने के लिए भागा मैं नदी के बीच में भागने लगी। मैं नदी में अच्छी तरह से तैरना जानती थी इसलिए मैं बीच में भाग रही थी। तभी राज भी मुझे पकड़ने के लिए बीच में आने लगा।
अचानक तेज धारा ने राज को धकेल दिया जिससे वह अनबैलेंस होकर नीचे की ओर डूबने लगा। फिर मैं उसे बचाने के लिए गई और उसे अपने सीने से लगाकर दूसरे किनारे की ओर ले गई। तब मैंने देखा कि वह ठीक था और वह मुझे बोला मां मैं तो आपको पकड़ लिया। मुझे गुस्सा आ गया और मैं राज से बोली यह तो चीटिंग किया है बेटा।
मैं उससे नाराज होकर दूसरी तरफ मुंह फेर ली। तभी राज ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया और बोला सॉरी मा गलती हो गई।
उसने जैसे ही मुझे पीछे से पकड़ा उसकी कठोर सा लैंड मेरी गांड में घुसता चला गया और मैं एकदम से सिहर उठी ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
इसका एक हाथ मेरे पेट पर चिकनी पेट पर चल रहे थे और दूसरा हाथ मेरे जांघों पर थे। हम दोनों पानी के अंदर गर्दन तक थे जो कि कुछ अंदर दिखाई नहीं दे रहा था पर महसूस पूरा हो रहा था ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में कैद है। उसका लंड का एहसास मेरे दिमाग पर जोर डाल रहा था जिससे मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी और उसके बाहों के आगोश में खोते चली जा रही थी।
थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे योनि के पास जाने लगी जिससे मैं पूरी तरह से सीहर उठी। उसका मुंह मेरे गरद्न के पास था उसके गर्म सांस मुझे गर्म कर रही थी।
मैं कुछ कर नहीं पा रही थी बस उसके हर एहसास को अपने एहसास से जिए जा रही थी।
तभी नदी की ओर किसी की आने की आहत हुई। हम दोनों की ही तंद्रा टूट गयी।
Update1 धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
मिलते है Update2 मे।
UPDATE is readyUPDATE 05मुहबोला बेटा से प्यार S1 #UPDATE 5
(होली स्पेशल)
मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों शीला के घर आ गए।
शीला का घर बहुत बड़ा था वह पुराने जमाने का था उसमें गलियारा, ओसारे भी थे और बहुत बड़ा आंगन था जिसमें पूरा कीचड़ माटी करके एकदम होली खेलने के लिए तैयार किया गया था।
यहां तो पहले से ही होली चल रही थी शीला पूरा लेटी हुई थी और उसके पति समर भी पूरे लेटाए हुए थे मेरा बेटा आकाश भी यही था और राज भी यही था।
जैसे ही मैं यहां आई वैसे ही शीला के पति समर मेरे पास आ गए और
बोले- सुनीता जी आज तो मैं आपको पूरी तरह से लगाऊंगा ऊपर भी नीचे भी और भीतर भी।
यह सुनकर वहां जो भी खड़े थे सब हंसने लगे।
मैं भी कहां चुप रहने वाली थी मैं भी उनसे कह दी हां तो आप भी तैयार रहना मैं भी आपको पूरी तरह से लगा दूंगी आज और,
देखती हूं आपका कितना भीतर तक आप लगा पाते हैं मुझे?
फिर सभी लोग हंसने लगे।
सौम्या उठी और राज के पास गई और बोली
सौम्या- राज आज तो मैं तुझे छोड़ने वाली नहीं हूं कहां बच रहा है बच्चु मुझसे?
फिर वह उसके साथ होली खेलने लगी और उसके कपड़े के भीतर ऊपर हर जगह रंग लगाने लगी।
आकाश ने मुझे चुटकी भर रंग निकाला और गाल पर लगाकर हैप्पी होली काहा। मैं भी आकाश को रंग लगाकर बोला कि हैप्पी होली बेटा और तभी शीला आई और
बोली ऐसे होली नहीं खेलते उसने पूरा रंग लिया और उसके कमर में लगाने लगी आकाश वहां छटपटाने लगा छटपटाने के साथ ही उसका लंड शीला से टच हो गया।
शीला ने शरारत की और मेरे सामने ही उसके लंड को पकड़ कर मसल दिया और हंसने लगी।
फिर थोड़ी देर में- शीला के पति मुझे मेरे गालों पर रंग लगाए। और मैं वहां से चटपटाती हुई भाग गई।
वह मेरे पीछे दौड़े और मुझे पकरने के लिए आंगन की तरफ आए मैं आंगन में भागी पर मेरा पैर फिसल गया और मैं वहीं गिर गई। फिर शीला के पति मुझे सहारा देकर उठाएं और बोले कहीं चोट तो नहीं लगी ना और मेरे कमर को दबाने लगे।
मुझे कुछ खास चोट तो नहीं लगी थी पर जहां पर गिरी थी वहां से थोड़ी सी कमर में चोट लगी थी वह दबा रहे थे तो थोड़ा आराम मिल रहा था मैं बोली कि हां थोड़ा बहुत लगा है।
वे बोले कोई बात नहीं मैं आपको दबाकर ठीक कर देता हूं।
फिर उन्होंने मेरे कमर को दबाने लगे और दबाते दबाते हुए कभी मेरे कमर को दबाते तो कभी वह मेरे नाभि के पास चले जाते हैं मैं उन्हें यह सब करते देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।
कभी कमर को दबाते तो कभी मेरे दोनों कूल्हों को दबा देते हैं फिर कभी वह मेरे नाभि में उंगली कर देते मैं उनकी यह शरारत से काफी खुश थी मजा आ रहा था।
मैंने भी कभी-कभी उनके बालों का सहला देती तो कभी उनके बालों को कस कर खींच देती जिससे उनकी आह निकल जाती। उनकी आह्ह् सुनकर मुझे हंसी आ जाती थी।
फिर वह मुझे कसकर कमर में कभी चिकोटी काट लेते तो कभी नाभि में कस कर उंगली कर देते जिससे कि मेरी आह निकल जाती।
हम दोनों को काफी मजा आ रहा था। तभी उनकी शरारत और बड़ी और वह मेरे साड़ी के अंदर हाथ डालने लगे।
मैं उन्हें कसकर धक्का दे दी और वह नीचे गिर गये मैं वहां से दौड़कर भाग गई।
जब मैं भाग कर हॉल वाले रूम के पास आई तो देखी कि मेरी बेटी सौम्या और मेरा बेटा राज दोनों मिलकर होली खेल रहे थे सौम्या राज के ऊपर चढ़ी हुई थी जिससे कि राज का लंड सौम्या के योनि से दबी हुई थी और सौम्या उसे जबरदस्ती रंग लगाने की कोशिश कर रही थी राज भी उसे हटाने का नाकामयाब कोशिश कर रहा था जिससे कि कई बार सौम्या की चूचियों को वह हाथ से लगा देता था।
इन दोनों के जुगलबंदी चलती रही कभी सौम्या उसके लंड पर बैठी रहती तो कभी राज उसके ऊपर चढ़कर उसे रंग लगाने लगता और इन दोनों मिलकर भाई-बहन खूब होली खेल रहे थे फिर मैं वहां से भागी क्योंकि यहां भी शीला के पति मेरे पीछे आ रहे थे।
मैं यहां से भाग कर ओसारे के तरफ गई तब दिखै की शीला और मेरा बेटा आकाश दोनों एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं।
आकाश ने शीला को पीछे से जबरदस्ती पकड़ा हुआ था और शीला झुकी हुई थी जिससे की शिला की गांड का भार आकाश के लंड पर था।
तभी मैं उनके सामने गई तब शीला मुझे देखकर बोली है रे सुनीता बचा अपने इस नौजवान बेटे से यह तो मेरी फाड़ ही डालेगा कितनी जबरदस्ती रंग लगा रहा है।
तब मैं बोली नहीं बेटा आकाश इसे छोड़ना मत यह बहुत उछल कूद कर रही थी कब से, अब तो पूरा रंग लगा।
तभी मैं भी उन दोनों का साथ देने के लिए गई तब शीला ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे भी झुका दिया जिससे कि मैं
अपने बेटे आकाश के गले के पास मेरा मुंह चला गया और हम दोनों का मुंह एक दूसरे के पास आ गया ऐसा लग रहा था कि और थोड़ी हलचल होती तो हम दोनों के होंठ एक दूसरे से सट्ट जाते। तभी शीला ने एक हरकत की और मुझे खींच लिया और आकाश भी थोड़ा आगे की ओर हो गया जिससे कि हम दोनों मां बेटे का होंठ एक दूसरे से मिल गए शीला तो नीचे की ओर झुकी हुई थी और उसकी गांड मेरे बेटे के लंड से दबा हुआ था और मैं और मेरे बेटे का मुंह एक दूसरे से सटा हुआ था ।
मैं झट से अलग हुई और शीला के दोनों चूचियों को अपने बेटे के सामने ही मसल दी।
मेरा बेटा भी शीला को कसकर पकड़ लिया और अपने से सटा लिया जिससे कि अब उसका लंड शीला के गांड में जबरदस्त घुस रहा था मेरा तो मन हुआ कि अभी इसकी सलवार को फाड़ दू जिससे कि मेरा बेटे का लैंड पूरी तरह से घुस जाए।
मुझे जाने क्या हुआ और मैं शीला के सलवार पर हाथ लगा दी? मेरा जैसे ही शीला की सलवार पर हाथ लगा मैंने महसूस किया कि उसकी बूर तो खुली हुई है उसने कोई पैंटी पहनी ही नहीं थी वह सिर्फ सलवार में थी अगर सलवार गलती से भी खुल जाती तो मेरे बेटे का लंड उसकी बूर में समा जाता है।
तभी शीला मेरी चूची को दबाने लगी और मुझे गुस्सा आया और मैं उसकी सलवार को खींच दी जिससे कि उसकी बूर की जगह पर थोड़ी सी सलवार फट गई और उसकी बूर एकदम साफ नजर आने लगी।
मैं अपने बेटे के सामने यह सब देखकर काफी शर्मिंदा महसूस की और तुरंत वहां से भागने लगी।
जैसे ही मैं वहां से भागी
मैं देखी की शीला के पति मुझे ही ढूंढ रहे हैं तो मैं एक खिड़की के पास छुप गई।
वहां से मुझे शीला और आकाश साफ नजर आ रहे थे। आकाश ने शीला को छोड़ दिया था तभी शीला ने आकाश पर हमला किया और उसके लोअर को खींचकर उतार दिया जिससे कि आकाश का फनफानाता हुआ लंड एकदम से टनटना कर बाहर निकाला और शीला के मुंह के पास आ गया।
अब आकाश को गुस्सा आया और उसने शीला के गाल को धर के पूरा मिस दिया।
वह इस हमले में दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर गए और शीला के चूचियां आकाश के सीने से दब गई और उसका लंड शीला के बूर पर लगने लगी।
फिर शीला ने जोर लगाया और उसके ऊपर आ गई आकाश को नीचे कर दी और पास में पड़े कीचड़ मिट्टी को उसके छाती पर रगड़ने लगी इसी हमले में आकाश ने नीचे से ही उसकी चूची को पकड़ लिया।
तभी शीला ने कसकर उसके बालों को खींचा और उसके गाल पर एक दांत गड़ा दी।
फिर आकाश ने उसके चूचियों को कस कर खींचा और उसके होंठ को अपने होंठ में मिलाकर चूसने लगा।
अब दोनों गर्म हो चुके थे दोनों एक दूसरे के ऊपर पड़े एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और आकाश उसके दोनों चूचियों को दबा रहा था।
तभी शीला ने थोड़ी सी अपनी गांड को उठाई और हाथ को उसके लंड पर ले गई जो की पूरी तरह से टाइट थी।
शीला अपनी बूर को चौड़ा करके थोड़ी सी जगह बनाई और लंड को अपनी बूर पर सेट करके धीरे से अंदर की ओर ले ली।
आकाश उसकी चूचियों को चूस रहा था और शीला उसके लंड पर उठक बैठक कर रही थी।
फिर आकाश शीला को नीचे किया और उसके बूर में फटी सलवार की जगह से ही लंड को पेल दिया और उसे चुदाई करने लगा और धीरे-धीरे उसकी दोनों चूचियों को मसल मसल कर चूस रहा था और कभी काट रहा था तो कभी उसके होंठ पर चुमा ले रहा था।
मैं यह सदृश्य देखकर एकदम से गर्म हो रही थी कि तभी मेरे पीछे से कुछ हमला हुआ।
यह हमला था शीला के पति का जो आते ही मेरे दोनों चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबा दिए थे मैं एकदम से सीहर उठी।
शीला के पति की हमला से मै एकदम से अछामहित् थी।
उन्होंने आकर मुझसे कहा -क्या बात है सुनीता जी आप केवल देखकर मजा लोगी चलो आज सब करके मजा लेते हैं?
इधर शीला को मेरे बेटे आकाश ने पूरे जोर से चोदना शुरू किया था।
और इधर शीला के पति मुझे अपने गोद में उठकर फिर से मुझे आंगन में ले जा रहे थे जहां कोई नहीं था।
जैसे ही उन्होंने मुझे आंगन में उतारा मैं तुरंत भगाने की कोशिश की पर उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया फिर से पकड़ लिया।
आंगन में रंगों से भरा हुआ एक टब था वह पास में ही था मैंने उन्हें टब के पास ले गई और प्यार से उनके गाल को सहलाते हुए एक किस की और टब में धकेल दिया। वह बेचारे उस गिर कर रंग से नहा लिए। और मैं वहां से हंसते हुए भाग गई?
जैसे ही मैं हाल में आई मैं देखी कि वहां राज और सौम्या नहीं थे तो मुझे लगा कि यह दोनों आखिर कहां चले गए होली खेलते खेलते, तो मैं थोड़ा सा आगे बड़ी तब
मुझे ऊपर जाती सीढ़ियों के पास से कुछ आवाज आई?
मैं देखी कि सीढ़ियों के पास मेरे बेटे राज लेटा हुआ है और मेरी बेटी सौम्या उसके ऊपर चढ़ी हुई है और वह दोनों बिल्कुल नंगे हैं।
मेरा मुंहबोला बेटा मेरी सगी बेटी को चोद रहा था यह देखकर मेरी तो फिर से बूर गीली होने लगी थी एकदम से उसकी चूचियां हिल रही थी वह अभी छोटी-छोटी चूचियां थी मेरी बेटी पटना में रहकर काफी चुदक्कड़ हो गई थी जिसकी वजह से वह अपने भाई के ऊपर चढ़कर खूब मजे लेकर चुदाई कर रही थी।
राज उसके छोटे-छोटे चूचियों को अपने हाथ से धर कर दबा रहा था और सौम्या उसके ऊपर चढ़कर धीरे-धीरे हिल रही थी और आंखें बंद कर आआआह्ह कर रही थी। आज अपनी सगी बेटी की चुदाई अपने मुंहबोले बेटे से होते देखी तो फिर से मेरी बूर एकदम से पानी पानी होने लगी मैं वहां से जल्दी ही भाग गई।
मैं भाग कर जैसे ही हाल के तरफ आई की फिर से मुझे शीला के पति ने पकड़ लिया और इस बार वह मुझे गोद में उठाकर मेरी गालों को दांत से काटते हुए बोले क्यों सुनीता जी पक्की खिलाड़ी हो एकदम से मुझे चक्मा देकर भाग रही हो?
वह मुझे उठा कर ले गए और टब में खुद भी घुसे और मुझे भी
टब का पानी अधिक नहीं था हम दोनों उसमें बैठ गए वह मुझे कसकर पकड़ के अपने लंड पर बैठाये हुए थे मेरी साड़ी कमर तक उन्होंने उठा दी और पानी में बैठने की वजह से छाती तक डूब गए थे जिसकी वजह से बाहर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह मेरी साड़ी को ऊपर उठाकर अपने लंड को मेरे पैंटी के ऊपर से ही बुर को रगड़ रहे थे और बैठे हुए थे।
फिर उनकी हरकत शुरु हुई और वह मेरी चूचियों को दबाने लगे और मेरे गाल को काटने लगे।
कभी वह मेरे गाल को चूमते तो कभी गर्दन को चूमते तो कभी पीठ को चुमते तो कभी बालों को सहलाते और नीचे से लंड को मेरी बूर पर रगड़ रहे थे और एक हाथ से मेरी बूर को सहला रहे थे तो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को दबा रहे थे।
यही सब कर रहे थे कि अचानक मेरा बेटा आकाश आंगन में आ गया। हम दोनों हड़बड़ा गए और उन्होंने मुझे छोड़ दिया मैं डरकर तुरंत से वहां से उठी और निकाल कर भाग गई।
मैं बेटे के पास से जब निकल रही थी तब मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं किसी गैर के बाहों में पड़ी हुई थी और मेरा बेटा मुझे देख लिया हालांकि वह अभी-अभी शीला की चुदाई करके आ रहा था।
शीला के पति काफी गुस्सा हुए वह एकदम गर्म जोशी में थे और ऐसा लगा कि उनके गर्म तवे पर किसी ने पानी फेंक दिया उन्होंने तुरंत मेरे बेटे को अपने पास बुलाया और आकाश के दोनों गाल पकड़ कर गुस्से से बोले अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गए वहीं क्यों नहीं रहे?
तब आकाश बोला अरे मैं तो आपको बुलाने के लिए आया था वह शीला आंटी आपको खाने के लिए बुला रही थी।
मैं वहीं खड़ी, खिड़की के पास सब देख रही थी कि तभी उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी मैं तुरंत वहां से भाग कर अपने घर की ओर निकलने लगी कि तभी जैसे ही शीला के घर से मैं निकली और दरवाजे से बाहर जा ही रही थी कि एक सफेद बांग्ला कुर्ता पहने हुए आदमी से मैं टकरा गई वह देखने में काफी हैंडसम था काला चश्मा लगाए हुए बड़ी-बड़ी दाढ़ी रखे हुए एकदम से गोर फुले हुए गाल और मजबूत बाहो वाला मैं जैसे ही उसे टकराई उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
वह मुझे देख रहा था पर मैं उसे देख रही थी वह मुझे शायद पहचान लिया था इसलिए उसने बोला अरे आप अभी गिर जाती?
मेरा बदन गीला था सब अंग झलक रहे थे और मेरे शरीर पर कीचड़ भी लगे हुए थे जो उसके सफेद कपड़े को गंदा कर दिया था मैं उसे देखते ही काफी शर्मा गई और
मै बोली-- मैंने तो आपका कपड़ा गंदा कर दिया सॉरी तब
उसने बोला- अरे कोई बात नहीं मैं तो आपसे ही मिलने आ रहा था।
मैं एकदम से सकपका गई कि यह हैंडसम आदमी मुझसे क्यों मिलने आ रहा था यह कौन था मैं तो पहचान ही नहीं पाई?
धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए। अब मैं आपसे अगले भाग में मिलेगी अभी होली जारी है।