बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैंUPDATE 1
मुहबोला बेटा से प्यार show1। #UPDATE1
हाय दोस्तों। मैं सुनीता मेरी उम्र अभी 44 साल की हूँ।
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मेरे दो बच्चे हैं एक आकाश जो अभी 18 साल का है। और सौम्या जो अभी 20 साल की है।
मेरे दोनों बच्चे पटना में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं।
मेरे पति का नाम अशोक है।इनकी उम्र 49 है और वह कनाडा में रहकर जॉब करते हैं।
मेरे पति साल में सिर्फ एक बार ही आते हैं।इनका कहानी मे कोई रोल नही है।
मैं आरा बिहार से हूं। मैं घर पर अकेली रहती हूं।
मेरी एक दोस्त है जिसका नाम है शीला। वह मेरी बहुत अच्छी सहेली है। इसकी उम्र मेरी जितनी है 44साल।
पर् हम दोनो सहेलिया बिल्कुल भी इतनी ज्यादा उम्र की नही लगती।
हम् दोनो पर पुरा सोसायटी फ़िदा है।
यह कहानी आज से 5 साल पहले की है जब मैं 38 साल की थी। मैं दिखने में काफी सुंदर हूं अभी जवान हूं। मेरी फिगर है 36 30 38। मेरे आस-पड़ोस के सभी मर्द मेरे दीवाने हैं और यहां तक की शीला के पति(समर 45yr) भी मुझे हमेशा पटाने की फिराक में रहते है लेकिन मै किसी को पति के अलावा भाव नही दिया।
शीला के पति उसके साथ रहते है और इसी शहर मे दुकान चलाते है।
मै अकेली घर पे रहकर खेती की देख रेख करती हु। वैसे करने को तो मजदूर है। मै केवल घुमने जाति थी।
एक दिन मै स्टेशन् पर किसी काम से गयी थी जब लौट रही थी तब मुझे वहा एक लड़का रोता हुआ दिखाई दिया। मै उसके पास गयी उसे सर पर हाथ फेरी तो उसने मुझे देखा और मुह फेर लिया।
मै उसे बोली क्या हुआ बेटा। वो मुझे अपना बेटा जैसा लगा।उसकी उम्र कोई 18 साल रही होगी। मैने उसे आपने साथ् कार् मे ले ली और उसे उसके बारे मे पूछने लगी पर मुझे कुछ नही बताया।
मै उसे घर लेकर आई तभी शीला भी आ गयी मेने उसे सब बताया। तो शीला बोली पुलिस को बताते है मेने ऐसा करना ठीक समझा और शीला के साथ पुलिस के पास गयी। पुलिस ने रिपोर्ट लिख कर ये कह दिया की जब तक इसके घर का पता नही चल जाता इसे अपने पास रखिये। मै तो अब टेंसन मे आ गयी पर
शीला- कुछ दिन की बात है रख ले वैसे भी तु अकेली रहती है। तेरा मन भी लगा रहेगा ,देख बिचारे का क्या हाल हो गया है।
मै उसे लेकर घर आ गयी। उसने अब तक कुछ नही बोला था। पर अब थोड़ा ये नॉर्मल लग रहा था।
शाम को उसे खाना खिलाया और खूद खा कर सोने जाने लगी।
तभी देखी की वो फिर रोने लगा मैं बोली क्या हुआ बेटा तो
उसने बोला- माँ ।
मै सकपका गयी ऐसा लगा जैसे मेरे हि बच्चे मुझे पुकार रहे हो। मै उसके सर पर हाथ फेर कर बोली बोलो बेटे।
वो बोला- माँ मुझे अकेले नही सोना।
मेरा तो दिल रोने लगा। मै उसे गले लगा ली। और उसके साथ हि लेट गयी।
मै उससे उसकी नाम पूछी।
तब उसने बताया- उसका नाम राज है।
फिर उसने अपना सर मेरे छाती मे दबा कर रोने लगा। उसके बाद मे कितना भी मै पूछती रही पर उसने नही बताया।
मै वाही उसके साथ ही सो गयी।
सुबह जब मेरी आंख खुली तो 5:00
रही थी। मैं जब उठी तो देखी की राज मेरे छाती पर अपना सर रखे सो रहा था। मैं उससे बड़े प्यार से देख रही थी। बहुत ही सुंदर और सुशील था। उसका चेहरा एकदम कमल सा था उसके मुंह पर हल्का-हल्का मूछ था। उसके होंठ एकदम लाल। इसका एक पैर मेरी दोनों जांघो के बीच में और हाथ मेरे कमर में लपेटे में सो रहा था। मैं उसके पैर को सीधा की और अपने से नीचे किया। फिर मैं काम करने के लिए जाने लगी।
तभी मेरा ध्यान उसके पैंट पर गया। उसके पैंट में आकार मोटा दिखाई दे रहा था। एकदम से फुला हुआ था।
मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। फिर मैं अपने काम करने के लिए जल्दी से उसे सोते हुए छोड़कर चली गयी।
जब मैं नाश्ता बना ली तब मैं जाकर उसे जगाया तो देखा कि उसका तो लन्ड पूरा खड़ा हुआ है।
मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे बेटे जैसा था पर मैं उसके बारे में यह क्या सोच रही थी?
फिर मैं उसके सर पर हाथ फेर कर उसे जगाया। और उसे नहाने के लिए बोलकर नीचे खाना लेकर आने लगी। वह नहा का टेबल पर आकर बैठ गया। मैंने उसे खाना देकर नहाने चली।
जब मैं नहा कर आइ तो देखी कि वह खाना खाकर बैठ चुका था। मैंने उसे बता दिया कि हम आज खेत पर घूमने जाने वाले हैं। तो वह एकदम से खुश हो गया उसका मुस्कुराता चेहरा देखकर मैं एकदम खुश हो गई।
मैं खेत पर घूमने के लिए शीला को भी बुला लिया और मैं और मेरे बेटे तीनों मिलकर हम खेत पर घूमने चल दिए।
मेरे खेत मे कुछ ईख लगी हुई थी और कुछ धान की खेती थी।
जैसे ही हम खेत पर पहुंचे हि थे की शीला के घर से फोन आ गई कि उसके पति उसे बुला रहे हैं तो वह चली गयी।
अब खेत पर मैं और मेरे बेटे राज दोनों ही बच गए थे। मैं सोची की राज का यहां मन बहल जाएगा
और कुछ उसके बारे में पता चलेगा।
राज ने यहां भी कुछ नहीं बताया। उल्टा फिर उदास हो गया। मैं उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और फिर हम दोनों मिलकर वहां नदी की ओर चल दिए। यहां धान के खेत में पानी नहीं थी तो मैंने धान के खेत में पानी कर दी।
राज खेत में जो मड़ई बना हुआ था उसमे बैठा हुआ था। मैं राज के पास गई तो देखा कि वह काफी शांत बैठा हुआ था। मैं उससे पूछी क्या हुआ राज यहां भी मन नहीं लग रहा क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां यहां तो काफी शांति और सुकून है। मुझे यहां आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है।
फिर वह आकर मेरे गले लग गया। हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से चिपके हुए थे उसी मड़ई में।
हमें वहां कोई देखने वाला नहीं था। जब वह मेरे से चिपका हुआ था तो मेरे दोनों चुचिया उसके छाती में दबी हुई थी और उसकी कठोर लन्ड मेरे योनि के पास लग रहा थी।
मैं बोली राज कब तक ऐसे ही रहोगे घर नहीं चलना है क्या? राज मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। मै उसके इस मुस्कान पर एकदम से खिल उठी और उसके गालों को चूम ली। वो शर्मा गया। तब मुझे हसी आ गयी। प्यार से वो मुझे फिर से अपनी बहों मे ले लिया।
फिर हम दोनों घर आ गए। आज मुझे कई दिनों के बाद बहुत खुशी मिली थी। आज मेरा सारा अकेलापन दूर हो गया था।
हम दोनों मां बेटे लिविंग रूम में चले गए जहां टीवी लगा हुआ था। वहां पर हम दोनों एक दूसरे के पास बैठकर टीवी देखने लगे जिस पर काफी हॉट फिल्म आ रही थी मैं सोची कि इस फिल्म को बदल दू।
पर उस वक्त मुझे रिमोट ही नहीं मिली हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए बैठकर टीवी देख रहे थे।
वह मेरे कंधे पर सर रखकर मूवी को देखने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने आगोश में ले लिया। और अपना एक पैर मेरे पैर पर रख दिया। मैं भी उसके सर को सहलाने लगी। और उसे खूब प्यार करने लगी। मुझे उसे दिन पता नहीं क्या हो गया था हम दोनों दूसरे से चिपके हुए थे? मुझे उसे पर बहुत प्यार आ रहा था। और ऐसे ही हम दोनों लेते हुए सो गए वहीं पर।
हम दोनों की नींद तब खुली जब शीला घर पर आई। मैं जाकर दरवाजा खोली। मैं राज को उठा दिया था की जा बाथरूम से फ्रेश हो जा।
शीला मुझे बाजार ले जाने के लिए आई थी। पर उसके साथ उसके पति भी थे। उसका पति बहुत मजाकिया थे मै उनके साथ नहीं जाना चाहती वह बहुत मुझे छेढ़ते थे।
मैं जैसे ही शीला से बोली कि मैं तुम्हारे पति के साथ नहीं जाऊंगी तभी वह पीछे से आकर बोले
समर- क्या हुआ सुनीता जी मेरे साथ जाने में क्या तकलीफ है?
मैं बोली- कुछ तकलीफ नहीं है जी बस आप जो मुझे परेशान करते हो उसे तकलीफ है। तभी
शीला बोली- हां हां तो सुनीता क्यों नहीं दे देती वह चीज जो इन्हें चाहिए?
मैं बोली -मैं क्यों दूं तुम्हारा पति है तुम दो?
तब
शीला बोली- एक बार दे दोगी तो क्या हो जाएगा घट थोड़ी जाएगा?
मै बोली- चल चुप कर शीला मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी। हमेशा अपने पति का ही साथ देती थी। वह भी मुझे अपने पति से चुदवाना चाहती थी।
मैं हमेशा कोई ना कोई बहाना बना ही देती थी।
फिर शाम को मैं मेरे बेटे और शीला और शीला के पति के साथ मार्केट गई वहां पर सभी मुझे घुर्र कर देख रहे थे।
तभी शीला के पति
समर- बोले क्या बात है सुनीता जी आपका तो पूरा मार्केट दीवाना है?
और सभी हंसने लगे। मैं अपने बेटे के साथ मार्केट में कुछ सब्जियों ले ली और उसके लिए कपड़े लेने के लिए दुकान पर जाने लगी। तभी शीला बोली की रूक मैं भी आती हूं।
मैं और शीला दोनों मिलकर अपने बेटे के लिए कपड़े लेने लगे।
फिर शीला अपने लिए कुछ ब्रा और कुछ पैंटी ली।
राज पेन्टी और ब्रा को बड़े ध्यान से देख रहा था मुझे तो शर्म आने लगी थी अपने बेटे के सामने तभी शीला बोली कि यह पेटी तो सुनीता तुम्हें अच्छी लगेगी।तभी
राज ने कहा- हां माँ ले लो तुम्हारे में अच्छा लगेगा। मैं शर्मा गई।
तभी
शीला बोली- सुनीता अब तो इसे भी पसंद आ गयी अब तो लेनी ही पड़ेगी।
उफ़ मैं शीला की इन बातों से एकदम शर्म से लाल हो रही थी।
फिर हम घर आ गए। रात को खाना पीना हुआ और मैं राज के साथ ही सो गई। राज ने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर मेरे छाती पर रखकर सो गया। मैं भी उसके सर को सहलाते हुए सो गई ।
ऐसे ही कई दिन गुजर गए। इतने दिन जो बीते वह काफी खुशनुमा थे मैं राज के साथ बहुत खुश थी। राज कहीं से भी आता और मुझे मां कहते हुए हमेशा लिपट जाता था। और उसकी कठोर सा लैंड मेरे गांड में घुसता चला जाता था। पर मैं इस अनुभव से काफी गर्म हो जाती थी।
फिर एक दिन में और राज नदी की ओर घूमने के लिए गए। हम दोनों नदी के किनारे बैठे हुए थे वहां पर हमें देखने वाला कोई नहीं था। हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे तभी
राज ने कहा- मां आप तो बहुत खूबसूरत हो। फिर आप अकेली क्यों हो? तब मैंने उसे बताया कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे पति बाहर में रहते हैं और मेरे तुम्हारे जैसे बच्चे भी हैं जो बाहर में रहकर पढ़ाई करते हैं और अपना तुम बताओ। तब राज ने मायूस होकर मुझसे लिपट गया और बोला मैं अपने अतीत को याद नहीं करना चाहता हूं मुझे यहां बहुत सुकून मिल रहा है
तब मैंने कहा की राज तुम्हारा भी तो माता-पिता होंगे। तुम्हें अपने घर तो जाना ही होगा ना। तब
राज ने कहा- नहीं मां मुझे अपने घर नहीं जाना। मुझे वहां कोई प्यार नहीं करता।
और राज फिर से रोने लगा। मैं उसे अपने सीने से लगा ली। और उसे चुप करने लगी।
उसके चेहरे को अपने हथेली में लेकर उसके आंसू को पोछी और उसके कोमल होंठ पर मैंने अपनी होंठ रखकर एक किस कर दी। और फिर उसे अपने सीने से लगा लिया।
फिर मैं राज से बोली चलो बेटा उधर ईख के तरफ खेत में पानी करना है।
फिर हम दोनों खेत में चले आए। मैं खेत में पानी करने लगी और वह खड़ा होकर मुझे देखने लगा। मैं झुक कर खेत में पानी कर रही थी। जिससे मेरी दोनों चूचियां आधि बाहर दिखाई दे रही थी। राज मेरी चूचियों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
पानी करते हुए मेरा पैर फिसल गया और मैं वही कीचड़ में गिर गई। फिर राज मेरे पास दौड़ते हुए आया।
मैंने राज से कहा कि बेटा तुम यहां मत आओ मैं कीचड़ से सन गई हूं तू भी कीचड़ में लेट जाएगा। पर उसने नहीं मानी और वह मुझे उठाने के लिए आया और वो भी फिसल के गिर गया।
हम दोनों कीचड़ में लेट गए। हम दोनों कीचड़ में लेट कर हंसने लगे। वह खेत चारों तरफ ईख से घिरा हुआ था जिससे हमें कोई वहां देख नहीं सकता था।
मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके पेट पर लगा दी और हंसने लगी। तभी राज ने भी थोड़ा सा कीचड़ लेकर मुझे लगाने के लिए आगे बढ़ा तभी मैंने उसके हाथ को झटक दिया और वह मेरे ऊपर आकर गिरा। उसके छाती से मेरे दोनों चूचियाँ दब गई। उसकी कठोर सा लिंग मेरे योनि में अनुभव होने लगा। उसका लिंग तो धीरे-धीरे आकर ले रहा था जो मेरे योनि पर दबाव पड़ रहा था। उसके कोमल होंठ एकदम मेरे होंठ के करीब था। उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रहा था।
हम दोनों मुस्कुरा रहे थे और कीचड़ में खेल रहे थे। मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके गालों पर लगा दिया। फिर उसने अपने कीचड़ से लगे हुए गाल को मेरे गाल से रगड़ने लगा। इसी बीच उसके कोमल होंठ मेरे होंठ से लग गए। हम दोनों कुछ पल के लिए एकदम स्थिर होकर रुक गए। हम दोनों को कुछ समझ नहीं आया और पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे योनि से नदी पर निकली हो। आज पहली बार मुझे अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द का एहसास महसूस हो रहा था। मैं अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने उसके होंठ को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
मैं अपने अंदर कई साल से वासना को दबा कर रखी थी। जो एक 18 साल की कोमल बच्चे ने जगा दिया था। वह बच्चा भले ही मेरा सगा बेटा ना हो पर वह मेरे बेटा जैसा था। उससे मैंने अपना बेटा माना था और वह मुझे हमेशा माँ ही कहा है।
ऐसे एहसास होते ही मैंने तुरंत उसे अलग हुई हम् दोनो के होंठ अलग हुए। उसे अपने ऊपर से हटाया और उठ खड़ी हुई। हम दोनों एक दूसरे से नजरे नहीं मिल पा रहे थे।
फिर
राज ने कहा- सॉरी मां मुझसे गलती हो गई।
मैं उसके मासूम चेहरे को देखकर पिघल गयी और उसे फिर से अपने गले से लगा लिया और बोली कि नहीं बेटा इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।
फिर मैं बोली -राज बेटा देखो हमारे कपड़े कितने गंदे हो गए हैं हम इस हालत में तो घर भी नहीं जा सकते हैं।
तब
राज ने कहा -अब क्या करेंगे माँ
तब
मैं बोली कि चलो बेटा हम दोनों नदी में चलकर नहा लेते हैं।
हम दोनों नदी में चले गए नहाने के लिए।
उसे वक्त मैंने देखी कि वहां पर कोई नहीं था।
फिर हम दोनों नदी में नहाने के लिए उतर गए। मैंने अपना कपड़ा साफ किया और फिर राज का भी कपड़े को साफ की और वहीं बाहर में सूखने के लिए झाड़ियां पर पसार दिया।
मैं अब सिर्फ पेंटी और ब्रा में नहा रही थी और राज सिर्फ अंडरवियर में था।
राज मुझे इस तरह देखकर मुस्कुरा रहा था
तब मैंने उससे पूछा- कि क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो? तब
राज ने कहा कि मां मैं इससे पहले इतनी सुंदर शरीर किसी की नहीं देखी तुम तो अभी बहुत सुंदर हो मां।
तब मैंने कहा चल झुटे कुछ भी बोलता है मैं तेरी मां हूं।
फिर
राज ने कहा -मां मैं सच कह रहा हूं। आपको देखकर मुझे पता नहीं क्या हो जा रहा था?
फिर
मैं बात को बदलते हुए कही -चल छोड़ जब तक कपड़े सुख नहीं जाते तब तक हमें तो नहाने ही है तो तब तक हम पकड़म पकड़ाई खेलते हैं तो तुम मुझे पकड़ना मैं इधर से उधर नदी में भागूंगी।
फिर राज मुझे पकड़ने के लिए भागा मैं नदी के बीच में भागने लगी। मैं नदी में अच्छी तरह से तैरना जानती थी इसलिए मैं बीच में भाग रही थी। तभी राज भी मुझे पकड़ने के लिए बीच में आने लगा।
अचानक तेज धारा ने राज को धकेल दिया जिससे वह अनबैलेंस होकर नीचे की ओर डूबने लगा। फिर मैं उसे बचाने के लिए गई और उसे अपने सीने से लगाकर दूसरे किनारे की ओर ले गई। तब मैंने देखा कि वह ठीक था और वह मुझे बोला मां मैं तो आपको पकड़ लिया। मुझे गुस्सा आ गया और मैं राज से बोली यह तो चीटिंग किया है बेटा।
मैं उससे नाराज होकर दूसरी तरफ मुंह फेर ली। तभी राज ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया और बोला सॉरी मा गलती हो गई।
उसने जैसे ही मुझे पीछे से पकड़ा उसकी कठोर सा लैंड मेरी गांड में घुसता चला गया और मैं एकदम से सिहर उठी ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
इसका एक हाथ मेरे पेट पर चिकनी पेट पर चल रहे थे और दूसरा हाथ मेरे जांघों पर थे। हम दोनों पानी के अंदर गर्दन तक थे जो कि कुछ अंदर दिखाई नहीं दे रहा था पर महसूस पूरा हो रहा था ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में कैद है। उसका लंड का एहसास मेरे दिमाग पर जोर डाल रहा था जिससे मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी और उसके बाहों के आगोश में खोते चली जा रही थी।
थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे योनि के पास जाने लगी जिससे मैं पूरी तरह से सीहर उठी। उसका मुंह मेरे गरद्न के पास था उसके गर्म सांस मुझे गर्म कर रही थी।
मैं कुछ कर नहीं पा रही थी बस उसके हर एहसास को अपने एहसास से जिए जा रही थी।
तभी नदी की ओर किसी की आने की आहत हुई। हम दोनों की ही तंद्रा टूट गयी।
Update1 धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
मिलते है Update2 मे।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं#UPDATE 2.
मुहबोला बेटा से प्यार S1
#UPDATE 2
अब तक आपने पढ़ा की
हम माँ बेटे नदी मे एक दूसरे से नंगे चिपके हुए थे,की तभी नदी की तरफ किसी की आने की आहत हुई।
अब आगे,
हम दोनों पानी से निकाल कर पास के झाड़ियां के तरफ भागे। पानी के पास कुछ झाड़ियां थी उसी के पास हम दोनों छुपे,
छुपने की जगह तो नहीं थी पर मैं उसके गोद में बैठी हुई अपने सर को उसके कंधे पर टिका कर छुपी हुई थी और वह मुझे अपने अगोष में लिए हुए छुपा हुआ था।
उसका लिंग मेरे योनि से दबा हुआ था और उसका लिंग इतना कठोर था कि ऐसा लग रहा था जैसे मेरे योनि मे अभी पैंटी फाड़ कर घुस जाएगा।
मुझे उसके लिंग के एहसास से पूरे तन बदन में आग लगी हुई थी।
मुझे शर्म से काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह मेरे बेटे जैसा था और मैं उसकी मां की जैसी वह मेरी उम्र का आधी उम्र का था पर मैं उसके साथ अधनंगी उसके गोद में बैठी हुई उसके लिंग का आभास अपने योनि पर कर रही थी और पूरे तन बदन को गर्माहट दे रही थी।
मैं हल्की सी सर को उठाकर नदि कि ओर देखी कि वहा एक 60 साल का बुढ़ा आदमी नदी के किनरे बैठकर हगने लगा। मैं देख रही थी उसके लिंग को और वह गांड उठाकर हग रहा था। जब तक उसका हगना हो नहीं जाता तब तक मुझे अपने बेटे की गोद में बैठना था।
मैं अपने बेटे को देखी उसकी मासूम चेहरा। काफी खुशनुमा लग रहा था। मैं उसे देखकर मुस्कुराई। वह भी मुझे देखकर मुस्कुराया। उसके होठों के मुस्कान देखकर मुझे रहा नहीं गया और मैं उसके लाल-लाल होठों पर अपनी होंठ रखकर चूसने लगी। अब मुझे उसके लिंग का महसूस पूरी तरह से हो रहा था एकदम से कड़क हो चुका था अगर मैं पैंटी और उसने चड्डी ना पहनी होती तो उसका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ अंदर चला जाता।
मेरी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मैं कई बार झढ़ चुकी थी अब मुझे रहा नहीं जा रहा था।
तभी पानी से कुछ आवाज हुई।
मैं देखी कि वह बुड्ढा आदमी अपने गांड को धोने के लिए पानी में जा रहा था। अपनी गांड को पानी से धोकर वह वहां से चला गया।
फिर हम दोनों मां बेटे वहां झाड़ी से निकाल कर पानी की तरफ आए और अपने कपड़े पहनने लगे। मैंने अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी और बिना पैंटी बरा के कपड़े पहन लिए। राज ने भी अपने चड्डी निकाल कर बिना चड्डी के ही अपने कपड़े पहन लिया।कपड़े बदलते समये हम दोनो एक दूसरे को देखे और मुश्कुरा दिये।
फिर हम दोनों मां बेटे घर जाकर सो गए। जब शाम हुई तो हम दोनों मां बेटे उठकर बाजार के लिए चल दिए तभी शीला भी आ गयी उसके साथ उसके पति भी आए हुए थे।
शीला के पति मुझे देखकर बोले- वाह भाभी जी आज तो आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हो।
तब मैं उनसे कहीं- आपको उससे क्या करना है मैं खूबसूरत लघु या ना लगून?
राज और शीला एक साथ चल रहे थे।
और इधर में और शीला के पति एक साथ शीला के पति मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे थे।
कभी-कभी तो वह अपने हाथ से मेरे गांड को भी टच कर देते थे। मैं सुबह से ही काफी गर्म थी उनका टच मुझे तनिक भी बुरा नहीं लग रहा था।
फिर हम बाजार में आ गये और बाजार की सारी नजरे मेरी तरफ हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन्हें लुभाने के लिए आई हुई थी। तभी शीला के पति बोले सुनीता जी इस तरह न बन ठन कर निकाला कीजिए आपकी वजह से पूरी बाजार का माहौल गर्म हो जाता है।
तभी मैंने उनसे कहा चलिए चुप रहिए। फिर मैं सब्जी लेने के लिए जैसे ही मुड़ी की मेरा हाथ उनके लैंड से टच हो गया। हाथ तो मेरा गलती से टच हुआ था पर उन्हें लगा कि शायद मैंने जानबूझकर की है इसलिए वह मुझे देखकर मुस्कुराने लगे मैं तो एकदम शर्म से लाल हो गई।
जैसे ही मैं सब्जी लेने के लिए झुकी हुई थी सब्जी वाले का नजर मेरे दोनों चूचियों पर था। और इधर शीला के पति की नजर मेरी दोनों गांड पर। मैं तो शर्म से पानी पानी हो रही थी और गर्मी के कारण गीली भी हो रही थी।
जैसे ही मैं सब्जी लेकर खड़ी हुई वैसे ही शीला के पति का लंड मेरे गांड में घुस गया उनसे मैं टकरा गई वह मेरे पीछे ही खड़े थे मैंने झट से उन्हें पलट कर देखा वह देखकर मुझे मुस्कुराने लगे। मैं उन्हें गुस्से से देख रही थी पर वह मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए अपना जबान होंठ पर फिरा रहे थे।
बाजार में मुझे लगा कि यह तो अपने नजरों से ही मुझे चोद देंगे।
मैं जल्दी ही सब्जी लेकर अपने बेटे के साथ घर आ गई। मैं शाम को खाना बनाने लगी और राज टेरेस पर घूम रहा था।
मैं खाना बना रही थी तभी राज आया और मुझे पीछे से गले लगा कर मेरे गर्दन को चूम लिया।
मैं- ऑफो राज छोड़ो भी क्या कर रहे हो मुझे खाना बनाने दो?
तभी राज ने कहा -मां मुझे अकेले टहलने में मन नहीं लग रहा है। तबमैंने कहा- तो क्या मैं भी तेरे साथ चलूं खाना कौन बनाएगा?
राज मुझे छोड़ने को राजी नहीं था वह मुझे चूमता ही जा रहा था उसका हाथ मेरे पेट पर लगातार चल रहे थे।
मैं फिर से गर्म होने लगी मेरी बूर फिर से पानी छोड़ने लगी। की तभी फोन की घंटी बजी और हम दोनों अलग हुए। फोन पर मेरे पति थे मैंने थोड़ी देर उनसे बात की वह बिजी थे इसलिए बोले कि बाद में करूंगा और फोन रख दिया।
मैं खाना बनाते-बनाते राज के बारे में सोचने लगी आज जो कुछ भी नदी पर हुआ क्या यह सही था क्या यह होना चाहिए था क्या एक मां और बेटे के बीच यह सब होना चाहिए था?
मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी पर एक मन कह रहा था यह सब गलत है तो दूसरा मन कर रहा था यह सब सही है दूसरे मन का कहना था कि वह मेरा अपना बेटा थोड़े ही है। तब एक मन करता कि वह भले ही अपना बेटा ना हो पर है तो बेटे जैसा ही मुंह बोला ही सही बेटा बेटा होता है बेटे के साथ पति जैसा संबंध नहीं बना सकते।
तब दूसरा मन कहता कि पति अगर परदेस में हो तब खाली बैठने से अच्छा है जो भी मिल रहा है उसी के साथ संबंध बनाकर खुश रहा जाए।
तब मुझे शीला के पति की हरकत याद आउन्होंने जो बाजार में अपना लंड को मेरे गांड में घुसेड दिया था उन्होंने अपने हाथ से जो मेरे गान्ड को दबाए थे उन्होंने।
मैं शीला के पति को नहीं चाहती थी कि वह यह सब करें क्योंकि मैं उन्हे तनिक् भी प्यार नहीं करती थी।
मुझे अपने बेटे से प्यार हो गया था उसके कोमल होंठ उसके मासूम चेहरा उसके मासूम दिल से मुझे प्यार था मुझे उसके एहसास में अपना एहसास मिलता था मुझे उसकी खुशी में अपना खुशी मिलती थी मैं उसी के साथ रहना चाहती थी?
यही सब सोचते सोचते मैंने खाना बना लिया और मैं खाना को टेबल पर लगाने लगी। तब मैं देखी की राज टीवी देख रहा था मैंने राज को आवाज़ लगाई की राज बेटा आ जाओ खाना खा लो फिर सोना भी है।
फिर राज हाथ मुह धोकर आ गया मैं और राज दोनों एक साथ ही खाना खाए और फिर मैं बर्तन धोने लगी और राज को बोली बेटा जाकर तुम सो जाओ।
तब राज ने कहा मां मैं भी तुम्हारे साथ काम कर देता हूं। अरे नहीं बेटा तुम जाओ आराम करो मैं तुरंत काम निपटा कर तुम्हारे पास आती हूं।
यह बस सुना था कि राज एकदम से खुश हो गया और मुझे भी एहसास हुआ कि मैं यह क्या बोल दी मैं उसके पास क्यों जाऊंगी आखिर क्यों? तभी
राज ने कहा -सच में मां आओगी ना मुझे अकेले नींद नहीं आएगी।
मै -ठीक है बेटा मैं काम खत्म करके तुरंत तुम्हारे पास आती हूं।
और फिर मैं जल्दी से काम निपटा कर राज के पास चलि आई।
राज अभी जाग रहा था मैं जैसे ही राज के पास लेटी उसने तुरंत मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर को मेरे छाती पर रख लिया और बोला मां मुझे तुम्हारे बिना नींद नहीं आती मां।
मुझे राज के साथ रहते हुए अब एक महीना से अधिक हो गया था। राज से मैं कई बार पूछ चुकी थी कि क्या तुम कभी घर नहीं जाओगे तब राज कहता मुझे यहां जितना सुकून कहीं नहीं मिलता मैं कहीं नहीं जाऊंगा जाऊंगा तो सीधा अब ऊपर मुझे नहीं जीना तुम्हारे सिवा?
मैं बोली क्यों बेटा? अगर मैं उस दिन ना मिली होती तब तुम क्या करते?
तब राज बोला- मां उस दिन तुम मिली भी होती और अगर तुम मुझे पुलिस को दे देती तो मैं आत्महत्या कर लेता मुझे नहीं जीना यहां मुझे कोई प्यार नहीं करता।
मैं राज के मासूमियत देखकर पिघल गई और उसके बालों को सहलाते हुए उसके गालों को चूम लिया। राज बेटे तुम्हें मुझ में ऐसा क्या दिख रहा है जो तुम मुझे छोड़ कर नहीं जाना चाहते तुम्हारी कोई शादी अच्छी लड़की से हो जाएगी? तब
राज ने कहा- मुझे आजकल की लड़कियों पर भरोसा नहीं है मां मैं तुम्हारे साथ ही जीवन बिताना चाहता हूं।
आपके और दो बच्चे तो है न इसमें क्या मैं एक नहीं हो सकता?
मैं बोली -क्यों नहीं मेरे बच्चे एकदम हो सकता है तुम मेरे लाडले हो?
और मैं उसके फिर से गालों को चूम लिया। इस बार उसने भी मेरे गालों को कसकर चूम लिया। उसके चुंबन से मैं सिहर उठी।
इसका एक पैर मेरे ठीक योनि के पास सटा हुआ था और उसका लिंग मेरे जांघों से टकरा रहा था उसके गर्म सांसे मुझे गर्म कर रही थी।
मैंने उसके फिर से गालों को चूमना चाहा पर जैसे ही मैं उसके गालों को चूमने की कोशिश की तभी उसने अपना सर उठा लिया और हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।
हम दोनों एकदम से शर्मा गए और दोनों अलग हो गए।
फिर मुझे रहा नहीं गया और मैं अपने बेटे के बालों में फिर से हाथ फेरना शुरू किया। तभी उसने मुझे फिर से अपनी बाहों में ले लिया। और फिर से हम दोनों का चेहरा एकदम एक दूसरे के सामने था उसके उसके कोमल होंठ ठीक मेरे होंठ के सामने थे मन तो कर रहा था कि बस उसके होठो को अभी चूम लूं।हम दोनों एक दूसरे के आंखों में देख रहे थे हम दोनों के शरीर एक दूसरे से एकदम सटे हुए थे। उसका लिंग का उभार मेरे योनि में महसूस हो रहा था और मेरे चूचियां उसके सीने में दबी हुई थी।धीरे-धीरे हम दोनों और पास आते गए और हम दोनों का होंठ एक दूसरे से मिल गया वह मेरे होठों को एकदम रस लेकर चूस रहा था और मैं उसके निचले होंठ को अपने होंठ से दबा कर चूस रही थी मुझे उसके होंठ चूसते हुए काफी रास आ रहा था मेरी बूर पूरी तरह से गीली हो गई थी।
की तभी मुझे कपड़ों के ऊपर से ही अपनी बूर में किसी की उंगली महसूस किया।
राज मेरे कपड़ों के ऊपर से बूर में उंगली घुसा रहा था।
मैं उसके होठों को चूस रही थी और उसके पीठ और बाल को सहला रही थी। वह मेरे होठों को चूसते हुए मेरे बूर में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ से मेरे गाल को साल रहा था।
थोड़ी ही देर में राज अपनी उंगली को मेरे नाभि में करने लगा मेरे नाभि में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से मेरी बूर से पानी रिसने लगा ऐसा लगा जैसे मेरे पेट से कोई नल खुल गया हो एकदम से मेरी आंखें बंद हो गई और उसके बाल को जोर से सहलाने लगी उसके होंठ को जोर से चूसने लगी वह मेरे नाभि में उंगली करता हुआ नीचे की ओर जा रहा था एकदम से जाते हुए उसने अपनी उंगली को मेरी बूर के एकदम से निचे तक उतार दिया।
मेरी बूर की क्लीटर्स को वह अपने उंगलियों से मसलने लगा जिससे मुझे बूर में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी और मैं नीचे से पानी पानी होती जा रही थी।
फिर राज मेरे ऊपर चढ़ने लगा मैं उसके मुंह से अपना मुंह को छुड़ाएं और बोली
मै -राज जरा धीरे से...
वह बोला -मां अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं।
और यह बोलते हैं उसने फिर से मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद कर दिया उसने फिर से मेरे होंठ को चूसने लगा इस बार वह अपनी जीभ् को मेरे मुंह में घुसा कर मेरे मुंह को पेलने लगा।
और अब राज अपनी एक हाथ से मेरी चूची को दबाने लगा। मैं तो पूरी तरह से गर्म हो गई थी।
उउउम्म्म्म ऊऊफफ्फ्फ़
आआआअह्ह्ह
ोूह्ह्ह्ह राज
ओफ्फ्फ्फ़
मेरे मुंह से केवल दबी हुई शित्कारी। निकल रही थी।
फिर मैं राज को नीचे लेटा दी और मैं उसके ऊपर जाकर उसके होठों को चूसने लगी। तभी मेरा हाथ उसके लंड से जा लगा है।
मैं महसूस किया कि वह नीचे कुछ भी नहीं पहना था। शायद इसने मेरे आने से पहले अंदर से सब कुछ निकाल कर सोया था। तभी इसकी लंड मेरे गांड में बहुत ज्यादा गढ़ रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके लंड को हल्की-हल्के हिलने लगे। मैं उसके होंठ को चूस रही थी और उसके लन्ड को हिला रही थी।
थोड़ी ही देर में राज ने एक पिचकारी मारी और पूरी तरह से गिला कर दिया। हम दोनों काफी इस खेल में थक चुके थे। मैं भी कई दफा झड़ चुकी थी। मैं राज को बाहों में लेकर उसे चूमते हुए उसके साथ ही सो गई।
सुबह जब नींद खुली तब देखी की राज का लन्ड सुबह-सुबह खड़ा हुआ है। मेरा फिर से मन होने लगा था। हम दोनों एकदम से अस्त व्यस्त हालत में पड़े हुए थे एक दूसरे से लिपटे हुए। तभी
मैं राज के लैंड को हाथ में लेकर फिर से हिलने लगी। राज ने मुझे देखकर फिर से मेरा होंठ को अपने होंठ से मिला लिया।
सुबह-सुबह उसका तो पिचकारी निकालने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं उसके लंड को जोर-जोर से हिलाने लगी। तभी
राज बोला - माँ धीरे से मैंने आज तक इसे नहीं हिलाया है और ना ही किसी को दिया है। मैं समझ गई कि यह अभी कुंवारा है और इसका उद्घाटन मुझे ही करना पड़ेगा।
जब राज का वीर्य हिलाने से भी नहीं निकला तब मुझे उसके लंड को अपने मुंह में लेना पड़ा। अब राज एकदम से छटपटाने लगा मेरे मुंह से लगते हैं उसका लंड एकदम तन सा गया।
उसके मुंह से बहुत प्यारी सीत्कार निकल रही थी।
ोूह्ह्ह्हह्ह मआआआ आआआह्ह्ह्ह ऊऊओफ्फ्फफ्फ्ऊऊऊओ मआआआ
आअह्ह्ह्ह।
मैं उसके लंड को बड़े ही प्यार से चूस रही थी। मैं उसके लंड को चूसते चूसते वीर्य को बाहर निकाल दी। वीर्य का धार इतना तेज था कि मेरा सरक गया मुझे खांसी आ गई। और उसका लंड से लगातार वीर्य की धार निकलते जा रही थी। मैं इसके लंड को प्यार से चूस रही थी।
फिर वह एकदम से निढाल पड़ गया और मैं उसे अपने बाहों में लेकर उसके होंठ को चूमने लगे।
फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में नहाने लगे।
नहाने के बाद राज थोड़ा सा घूमने के लिए बाहर चला गया। मैं घर पर खाना बनाने लगी कि तभी शीला घर में आई। मेरे मन में थोड़ी बहुत पछतावा भी थी कि मैं अपने ही बेटे के साथ रात में वह सब किया।शीला ने आकर तुरंत मुझे आवाज दिया। कहां हो सुनीता मेरी जान?
मैं उसे बोली- किचन में हूं यहीं पर आ जाओ। शीला आते ही मेरी चूचियों को कस कर दबा दी। मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।
शिला- यार सुनीता तुम्हारे तो चुचिया काफी टाइट है। कहो तो मैं अपने समर जी से तुम्हारी चूचियों को मसालवा दूं।
मैं बोली- रहने दो उन्हें कहने की जरूरत नहीं वह तो हमेशा ही मसलने को तैयार बैठे रहते हैं।शीला- हां तो मसालवा क्यों नहीं लेती?
मै- नहीं मेरी जान यह तो किसी और के लिए है।
शीला- पर वह तो अभी नहीं आने वाले नही तब तक तो इसे काम चला ले।
मैं -मुझे कोई काम वाम नहीं चलाना तुम ही दिन भर लगी रह उनसे।
शीला- मैं तो दिन भर में चुदाती ही रहती हूं।
मैं- उफ्फ् शीला तुम कितनी गंदी हो गई हो।
शिला- एक बार उनका लेकर देख फिर तुम भी बहुत गंदी हो जाओगी मेरी जान। वैसे भी होली नजदीक आ रही है। जम के इस होली उनके लन्ड से चुद जाओ।
यह सब बातों से मैं एकदम गरम हो चुकी थी पर मुझे पता ही नहीं चला कि कब शीला मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपनी एक उंगली मेरी चूत में कर रही थी?
मेरा बूर एकदम पानीआ गयी थी।
मेरी आंखें बंद हो रही थी। की तभी फोन की घंटी बजी मैं हड़बड़ा आ गई।
मैंने एक झटके में शीला से अलग हुई और जाकर फोन को उठाया। मेरे बेटे का कॉल आया था मैं उनसे बात करने लगी तभी आकाश ने कहा मां हम लोग इस होली आ रहे हैं। यह मेरा बेटा आकाश था जो अभी 18 साल का था। मुझे अपने बेटे से मिले हुए दो-तीन महीने हो चुके। मैं भी उनकी बेसब्री से इंतजार कर रही थी इस होली मेरे बेटे और (बेटी 20साल् कि है) दोनों आने वाले थे पर मुझे एक बात की समस्या थी और वह था राज मैं राज के बारे में उन लोगों को कुछ नहीं बताई थी।
मैं इस बात को शीला से कहा तब शीला ने मुझे कहा तुम डरती क्यों हो सुनीता? राज तुम्हारा बेटा है कोई बॉयफ्रेंड नहीं और शीला हंसने लगी।
पर इस बात को तो मैं ही जानती थी कि राज मेरा बॉयफ्रेंड भी था पति भी था और बेटा भी था और लाडला भी
राज तो मुझे कहीं भी पकड़ कर किस कर लेता है बाहों में पकड़ लेता है अब उनके सामने अगर कर लिया और पकड़े गए हम दोनों तब क्या होगा? मैं यही सब सोच रही थी कि तभी शीला ने मुझे झकझोरा।
शीला बोली- अरे सुनीता कहां खो गई?
मैं बोली कहीं नहीं।
तब
शिला बोली- तुम चिंता मत करो आने दो तुम्हारे बेटे और बेटी को मैं उन दोनों को सब समझा दूंगी।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे।
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है मजा आ गया#UPDATE 3
मुहबोला बेटा से प्यार S1
#UPDATE 3
अब तक अपने पढ़ा की मेरे बेटा और बेटी शहर से आने वाले थे और मै घबराई हुई थी। तभी शिला ने कहा की सरी बात को वह संभाल लेगी। अब आगे।
होली को अभी एक हफ्ता टाइम था। कि आज के दिन मेरे बेटा और बेटी आने वाले थे। मैं सुबह-सुबह उनके लिए कुछ अच्छे खाने का इंतजाम कर रही थी और मेरा बेटा राज अपने दोनों भाई-बहन का इंतजार करता बैठा हुआ था। तभी सुबह-सुबह शीला भी आई, आते ही मेरे बेटे के सामने ही मेरी चुचिया दबा दी।
शीला मजाक मत कर क्या कर रही है यही राज बैठा हुआ है?मैने धीरे से कहा
तभी शीला बोली- तो क्या हुआ राज भी तो देखे उसकी मां का कितना कड़क कड़क चुचिया है और हंसने लगी?
मैं बोली- तुम नहीं सुधरने वाली।
की तभी सुबह-सुबह मेरे बेटे और बेटी घर में आए।
आते हैं दोनों मुझसे लिपट गए। मेरी बेटी मुझे पीछे से पकड़ ली और मेरा बेटा आकाश मुझे आगे से कस के दबा लिया। मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थी। उन दोनों के प्यार देखकर तो मेरे आंसू आ गए वहीं पर शीला भी बैठी हुई राज के साथ हमें देख रही थी।
तभी शीला बोली -कि वहां सारा प्यार अपने माँ को ही दे दोगे कुछ प्यार हमें भी दे दो।
तभी आकाश(मेरा अपना बेटा)- बोला क्यों नहीं शीला आंटी मैं अभी आपको देता हूं?
तभी आकाश गया और शीला को कस के आगे से हग कर लिया उसकी पूरी चुचिया ही दब गयी।
शीला की मुंह से एक जोर की आह निकल गई। यह देखकर हम मां बेटी हंसने लगी।
मेरा बेटा आकाश 18 साल का गबरू जवान हो चुका था वह तो शीला को अपनी बाहों में ऐसे पकड़ा हुआ था जैसे वह उसे छोड़ेगा ही नहीं वही चोद देगा।
मेरी बेटी सौम्या यह भी एकदम जवान हो गई थी और एकदम मुझ पर गई थी इसकी गोरी चिट्टी शरीर देखकर तो किसी का भी खड़ा हो जाएगा यह मुझे पकड़ कर मेरे पेट को सहला रही थी मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगाई और बोली क्या कर रही है बेटा मैं तेरी मां हूं यह सब क्या करती है?
तभी सौम्या बोली- मां आपकी तो खूबसूरती देखकर मैं दीवाना हो गई अगर मैं लड़का होती तो मैं आपको जरूर पटा लेती, ऐसे ही चिपकी रहती और आपसे खूब प्यार करती और सौम्या ने मेरी गर्दन और गाल पर किस कर दी।
मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगायी और
बोली- पटना में रहकर तुम एकदम से बिगड़ गई।
फिर सौम्या बोली- मां तुम चीज ही ऐसी हो यार छोड़ने का मन ही नहीं करता।
तभी शीला बोले तुम दोनों भाई-बहन का अगर प्यार हो गया हो तो जरा इसे भी मिलो।
शीला ने राज को बताते हुए कहा कि यह राज है और यह तुम्हारे माँ का मुंह बोला बेटा है।
यह सुनन्ना था कि मेरे दोनों बेटे बेटी का आंख चौड़ा हो गया मुंह खुल गया वह दोनों एकदम हैरानी से देख रहे थे और राज एकदम मासूमियत से बैठा हुआ था।
तभी शीला बोली- अरे ऐसे क्या देख रहे हो तुम दोनों का भाई है?
राज की मासूमियत देखकर उन दोनों ने भी अपने आप को खो दिया और जाकर राज को गले लगा कर बोले राज आज से तुम मेरे भाई हो आकाश राज को गले लगा कर एक किस कर दिया उसके माथे पर
तो वही सौम्या राज को आगे से गले लगा कर उसके गाल पर किस कर दी।
मैं अपने बेटे बेटियों का प्यार देखकर फुले नहीं समा रही थी मेरे आंखों में आंसू थे।
तभी शीला बोली अरे सुनीता तुम्हें क्या हो गया अपने बेटे बेटियों को खाना खिलाओ आज खुशी का दिन है?
तभी मैंने तीनों को बोला है कि बेटे तुम लोग हाथ मुंह धो कर आकर टेबल पर बैठो मैं खाना लगती हूं।
शीला मेरी मदद करने लगी मैंने तीनों बच्चों को खाना खिलाया फिर बाद में मैं और शीला भी खाना खाए।
अभी होली में एक हफ्ते समय था। तभी मैं बैठकर सोच रही थी।
राज के साथ में अब आगे कैसे मिलूं उसके साथ मैंने चुम्मा चाटी और एक दूसरे के गुप्तांग सलाना और चूसना तक ही हुआ था अब मैं उसके लिंग को अपने योनि में लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी मेरी बूर से रस टपक रही थी पर मैं आकाश और सौम्या घर में होने के कारण कुछ नहीं कर पा रही थी वही राज भी अब अकेले थोड़ा मायूस्सा रहता था पर वह तो अपने भाई बहन के साथ खुश था।
अब राज अपने दोनों भाई-बहन के साथ सोता था मैं अकेली ही सोती थी।
ऐसे ही समय बीतता गया और होली के एक दिन पहले जिस दिन होलिका दहन थी उसकी तैयारी चल रही थी।
पूरे मोहल्ले के लोग तैयारी में जुट गए थे होलिका दहन करने के लिए। हर जगह फगुआ गाया जा रहा था सभी बच्चे खुश थे औरतें और पुरुष सभी लोग होलिका दहन जलाने के लिए गंगा किनारे की तरफ जाने वाले थे।
गांव से थोड़ा बाहर निकलने पर खुले गंगा का विस्तृत मैदान था वहीं पर होलिका दहन का प्रोग्राम किया गया था सभी बच्चों ने होलिका दहन जलाने के लिए पूरा ऊंचा जलावन जमा कर रखा था जिसे आज शाम 8:00 बजे जलाने वाले थे।
मैं भी तैयारी कर चुकी थी अपने तीनों बच्चों को खाना खिलाकर उनसे बोल दी कि चलो आज होलिका दहन देखने चलना है। आज पूरा गांव होलिका दहन जलाने में व्यस्त रहता है तो वहीं कुछ लोग को की आज बाहर हो जाती है। देवरा अपने भोजी से मजाक करता है तो वही जिसकी गर्लफ्रेंड होती है वह बॉयफ्रेंड अपने गर्लफ्रेंड से मजाक करता है।और तो और बूढ़ो का भी बहार हो जाता है अपनी पड़ोस के नई दुल्हनो को रंग लगाते है।
फगुआ गाते बजाते गांव के लोग बाहर होलिका दहन जलाने के लिए जाने लगे तभी शीला मुझे आवाज देने लगी
शीला - सुनीता चलो होलिका दहन जलाने के लिए जाया जा रहा है नहीं चलना है क्या?
तभी मैं बोली- हां हां आ रही हूं बस हो गया मेरे तीनों बच्चों होलिका दहन देखने के लिए निकल चुके थे मैं भी शीला के साथ है ही चल दी।
शीला के साथ उसके पति भी थे। और मुझे देखकर काफी मुस्कुरा रहे थे। मैं भी उन्हें देखकर थोड़ा मुस्कुराई। तभी वो मेरे पास आकर बोले
समर- क्या बात है सुनीता जी आज तो आप रात में भी एकदम चांदनी की बहार लग रही हो मन कर रहा है यहीं पर आपको....
मैं बोली- क्या मतलब है आपका?
तभी समर जी बोले सब आप जानती हो और मुझसे मतलब पूछती हो और धीरे से मेरी चुतड पर एक चपत लगा दी।
मेरे मुंह से हल्की आह् निकल गई।
थोड़ी ही देर में हम लोग होलिका दहन के पास पहुंचे सभी लोग गाना बाना बजाते हुए होलिका का दहन करना शुरू कर दिया सभी बच्चे अपना होलरी मे आग धारा कर उसमें चारों ओर भांजने लगे यह नजारा काफी खूबसूरत है।
मेरे बेटे और बेटी काफी खुश लग रहे थे और मैं उन्हें देखकर खुश हो गई।
वहां पर काफी भीड़ थी जिसके वजह से मैं शीला और शीला के पति पीछे खड़े हुए थे और वहां पेड़ के पास थोड़ा अंधेरा था तभी शीला के पति ने मेरे चुतड़ पर हाथ रख दिए और धीरे-धीरे उनका उंगली मेरा गान्ड के दरार में घुसने लगी।
वह मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे। मैं भी कुछ कह नहीं पा रही थी आज का दिन देवर भाभी का मजाक का हि दिन होता है।
तभी समर जी का हिम्मत और बड़ा और उन्होंने मुझे अपने हाथों से पूरा कमर में डाल दिए और अपनी बाहों में लेने लगे। उनका एक हाथ मेरी नाभि में चलने लगे मेरी तो जैसे अब आंखें ही बंद होने लगी थी।
तभी मेरी नजर शीला भर गई उसकी भी चेहरे पर एक अजीब सी वासना थी ऐसा लग रहा था कि उसे भी कोई कुछ कर रहा हो। तभी मैंने देखा कि शीला अपनी गांड को किसी के लंड पर रगड़ रही थी वह आदमी उसके पीछे ही खड़ा हुआ था और उसे पूरा मजा ले रही थी शीला।
अब इधर समर जी की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और उनकी उंगली अब मेरी नाभि से होते हुए बूर की तरफ जा रही थी।
तभी मेरा बेटा राज मेरे पास आया और बोला मां चलो ना मेरे साथ। मैंने झटके से समर जी को अपने से दूर किया और राज के साथ चल दी।
मैंने राज से कहा बेटा मुझे कहां ले जा रहे हो उधर देखो होलिका दहन खत्म होने वाली है और सभी लोग घर जाने वाले हैं?
तब राज ने कहा मां चलो तो।
तभी राज ने मुझे भीड़ से थोड़ी दूर पर एक बालू के ढेर के पास ले आया।
बालू के ढेर के उस पार जाने पर कोई लोग उधर नहीं था बस हम मां बेटे और रात की चांदनी थी।
मैं राज की मन को समझ गई थी कि वह क्या चाहता है दरअसल एक हफ्ते से हम दोनों मां बेटे ने मिलन नहीं हुआ था जिस वजह से मैं भी काफी ज्यादा उत्सुक थी और तुरंत राज से लिपट गई मुझसे रहा नहीं गया?
राज मेरे कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे मेरे कमर को सहला रहा था तो वही मैं अपने बेटे राज की बालों को सहलाते हुए उसके होठों को कसकर चूम रही थी।
बालू के ढेर के इस पार हम दोनों मां बेटे का चुम्मा चाटी चल रही थी तो वही बालू के ढेर के उस पार लोग होलिका दहन का त्यौहार मना रहे थे।
उधर होलिका दहन जल रही थी और इधर हम दोनों मां बेटे के अंदर की वासना जल रही थी।
अब राज अपने दोनों हाथ से मेरे गान्ड को धीरे-धीरे सहलाते हुए मेरे गांड के छेद तक अपनी उंगली को पहुंचा दिया था।
राज मुझसे अलग हुआ और मेरे चेहरे को देखने लगा मेरा चेहरा चांदनी रात में काफी चमक रही थी तो वहीं राज का भी चेहरा एकदम से चमक रहा था उसका होंठ एकदम कोमल लाल लग रहा था।
फिर राज बैठ गया और मेरे नाभि को कसकर अपने दांतों से काटा मेरे तो मुंह से एक कश की आह निकल गई।
आआआह्ह्ह्हहा......
बेटे के इस हमले से काफी उत्तेजित हो गयी और उसके सर को सहलाने लगी राज अपने जीभ से मेरी नाभि में कसकर घुसाना चालू कर दिया मेरे पेट में काफी हलचल होने लगी थी वहीं बूर से रस टपकने लगा था।
फिर राज ने बोला मां तुम इस बालू के ढेर पर लेट जाओ। मैं ठीक वैसे ही किया। तभी राज ने मेरा साड़ी को कमर तक उठा दिया। और मेरे पैंटी को अपने दांत से काट दिया। मेरी तो कस के एक आह निकल गई।
अअअअअअअअह्ह्ह्हह......
फिर राज ने अपने हाथों से मेरी पैंटी को निकाल दिया और अपनी जीभ को मेरी बूर के क्लीटर्स पर हल्के-हल्के घूमना से चालू किया।
मेरी तो उत्तेजना में आंखें ही बंद हो गई थी। राज मेरी बूर को चट्टता ही जा रहा था। आज मैं उसके इस बुर चटाई से एकदम उत्तेजित हो गई थी। तभी राज ने फिर उठा और मेरी नाभि पर किस किया और गर्दन पर किस किया और मेरे ऊपर आ गया। और फिर से हम दोनों के होंठ से होंठ मिल गए।
मैं राज के होंठ को चूसते हुए उसके लंड को सहला रही थी।
फिर राज मेरी सारे कपड़े निकल दिया और मुझे नंगा कर दिया।
हम दोनो बालू के ढेर के पीछे नंगे एक दूसरे मे लिपटे हुए किस कर रहे थे।
और उधर लोग होलीका दहन मना रहे थे।
तभी मेरे बूर पर किसी गर्म सरिया महसूस हुआ, वो मेरे बेटे का लंड था, जो अब मेरी बूर मे घुसना चाहता था।
मेरी तो चीख निकल गयी जब उसने धक्का मरा ऊईफ्फफ्फ्फ़ अअअअअअअह्ह्ह्ह बेटा जरा धीरे से....
आअह्ह् मा थोड़ा बरदास करो।
फिर राज मेरे होंठ को चूसते हुए चोदने लगा।
लोग होलिका दहन के जश्न मे डूबे हुए थे, और मेरा बेटा खुले आसमान मे मुझे चोद कर अनंत सुख दे रहा था।
मेअ अपनी आँखे बंद करके मजा से उसके होंठ चूस रही थी और मेरा बेटा मेरी बूर को चोदते हुए, मेरी चूचियाँ दबा रहा था।
कभि मैं उसके ऊपर तो कभी वो मेरे साइड से लगातार चोद रहा था।
हम् दोनो चुदाई मे मस्त डूबे हुए, थे।
तभी गाने बजाने शोर शराबा कम होने लगा , मैं समझ गयी की लोग अब घर जा रहे है।
तभी राज ने जोर जोर से चोदना शुरु किया।
और् थोड़ी देर मे हम दोनो झाड़ कर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
जब सभी लोग चले गय, तब पहले राज को घर भेज दी ,
फिर् मैं घर आई।
उस रात जब मैं घर पहुंची तो देखी की आकाश सो चुका था सौम्या इंतजार कर रही थी मुझे घर पहुंचते ही सौम्या ने मुझसे पूछा
क्या हुआ माँ कहां रह गई थी अभी तक?
तभी मैंने कहा कहीं नहीं बेटी वह शीला के साथ थोड़ी देरी हो गयी।
फिर मैंने कहा अच्छा बेटी चलो जल्दी से सो जाते हैं कल सुबह जल्दी उठकर तैयारी भी करनी है सुबह होली है।
मेरे साथ ही चिपक कर सोई हुई थी। उसकी चूची और मेरी चूची दोनों आपस में टकरा रही थी।
उसकी एक टांग मेरी योनि से सटी हुई थी।
तभी सौम्या ने मेरी गाल पर एक हल्की सी किस कर दी।
मैं उससे बोली क्या करती है चलो जल्दी से सो जाओ?
तभी सौम्या बोली- यार मम्मी अगर मैं लड़का होती ना तुम्हारे होंठ चूस लेती और मैं तुम्हारे साथ वह सब करती जो एक लड़का लड़की के साथ करता है।
तब मैंने उससे कहा- अच्छा तो पटना में तुम यही सब करती हो। और बताओ क्या-क्या किया अब तक तुमने तो सारी इज्जत को मिटा दी होगी?
तब सौम्या ने कहा -अरे नहीं मां मैं अब तक ऐसा कुछ नहीं किया बस एक बॉयफ्रेंड है उसे कभी कभार बात हो जाती है एक दो बार मिलना भी हुआ है बस किस तक हम दोनों सीमित रह चुके हैं।
अच्छा तुम मेरी बेटी इतनी होशियार हो चुकी है। और मैंने उसके गाल पर एक प्यार से चपट लगा दी।
मैं बोली की चल अब सो जा ज्यादा बात मत कर तभी उसके ब्वॉयफ्रेंड ने वीडियो कॉल किया। तब मैंने कहा मोबाइल को साइड में रख और सो जा।
फिर सौम्या बोली। मम्मी प्लीज एक बार बात करने दो ना यहीं पर थोड़ा सा बात करके फोन ऑफ कर दूंगी प्लीज मम्मी।
मैं बोली चल ठीक कर ले। फिर सौम्या कॉल उठाकर बात करने लगी।
कॉल उठाते हैं
उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- हेलो जान कैसी हो।
फिर सौम्या ने बोली- मैं ठीक हूं तुम बताओ कैसे हो और क्या कर रहे हो?
बॉयफ्रेंड- बस ठीक हूं मेरी जान और तुम्हारी याद में हिला रहा हूं
यह शब्द सुनकर हम दोनों के कान खड़े हो गए। मैं झूठ मूठ कर आंख बंद कर ली सोने का नाटक करने लगे। सौम्या तुरंत मुझे पलट कर देखी मैं सोने का नाटक कर रही थी।
तब सौम्या ने कहा- यार तुम तो मुझे मरवा ही देते बगल में ही मम्मी लेटी हुई है और तुम ऐसी बातें कर रहे हो।
तब उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो तुम्हारी मम्मी कैसी है।
क्यों मुझसे मन नहीं भर रहा क्या जो मम्मी को देखोगे?
बॉयफ्रेंड- अरे नहीं मेरी जान जब से तेरी बूर में लंड डाला है तब से बेचैन हूं। दोबारा तो तुमने कभी दी ही नहीं मुझे बस खाली चुम्मा दे कर दूर हो जाती है।
यह सब शब्द सुनकर मेरे तो फिर से गर्मी बढ़ने लगी थी माय गॉड कैसी बेटी है मेरी एकदम से छिनाल हो गई है मैं आंखें बंद कर सोने का नाटक कर रही थी।
तभी उसका बॉयफ्रेंड यार जान दिखाओ ना एक बार तुम्हारी मम्मी को।
तब सौम्या ने मोबाइल को मेरी तरफ किया।
बॉयफ्रेंड- यार यह तेरी मम्मी है। यह तो तुमसे भी बवाल है यार। इतनी मस्त है इसकी चेहरा इतनी खूबसूरत है तो और कितना खूबसूरत होगा।
तभी सौम्या बोली- अच्छा जी अब मेरे जनाब का दिल मेरी मम्मी पर आ गया।
बॉयफ्रेंड- अरे नहीं यार प्यार तो मैं तुमसे करता हूं पर क्या करूं तुम्हारी मम्मी को देखकर तो मेरा दिल ही बैठ गया मन कर रहा है अभी इनके पास आकर लेट जाऊं?
सौम्या- ओ जनाब अब बस भी करो कल होली है होली खेलने आ जाना तब मुझे और मेरी मम्मी दोनों का रंग लगा देना।
बॉयफ्रेंड- रंग तो मैं जरुर लगाऊंगा जान पर रंग के साथ में तुम्हारी मम्मी का मालपुआ भी खाऊंगा।
सौम्या- अच्छा जी अब आप मेरी मम्मी का मालपुआ भी चाहेंगे। चलो ठीक है कल आओ फिर देखते हैं। फिर कॉल कट कर दी।
मैं तो उनकी बातें सुनकर एकदम से गर्म हो गई थी और उससे भी ज्यादा हैरान थी कि मेरी बेटी कितनी गंदी हो गई है गंदी गंदी बातें कर रही थी वह भी अपनी मां के बारे में।।
जैसे ही सौम्या मेरी तरफ मुड़ी। वैसे ही मैंने अपनी आंखें खोली और पूरे गुस्से में थी। और उसे एक चपत लगाते हुए बोली। तुम इतनी बिगड़ गई हो मां के बारे में यह सब बातें करती हो और तो और तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ सब कुछ कर चुकी हो।
तब सौम्या बोली- अरे मां आजकल यह सब कौन नहीं करता और तो और आप इतनी खूबसूरत और जवान हो मेरे बॉयफ्रेंड का दिल तो आप पर ही आ गया और यह कहते हुए उसने कस के मेरी होठो को अपने दांत से काट दिया?
मैं बोली तुम बहुत बिगड़ चुकी हो चलो अब जल्दी से सो जा सुबह उठकर हमें पकवान भी बनाने हैं।
और हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए।
धन्यबाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे जो होली स्पेशल है।
hot update.UPDATE 1
मुहबोला बेटा से प्यार show1। #UPDATE1
हाय दोस्तों। मैं सुनीता मेरी उम्र अभी 44 साल की हूँ।
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मेरे दो बच्चे हैं एक आकाश जो अभी 18 साल का है। और सौम्या जो अभी 20 साल की है।
मेरे दोनों बच्चे पटना में हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करते हैं।
मेरे पति का नाम अशोक है।इनकी उम्र 49 है और वह कनाडा में रहकर जॉब करते हैं।
मेरे पति साल में सिर्फ एक बार ही आते हैं।इनका कहानी मे कोई रोल नही है।
मैं आरा बिहार से हूं। मैं घर पर अकेली रहती हूं।
मेरी एक दोस्त है जिसका नाम है शीला। वह मेरी बहुत अच्छी सहेली है। इसकी उम्र मेरी जितनी है 44साल।
पर् हम दोनो सहेलिया बिल्कुल भी इतनी ज्यादा उम्र की नही लगती।
हम् दोनो पर पुरा सोसायटी फ़िदा है।
यह कहानी आज से 5 साल पहले की है जब मैं 38 साल की थी। मैं दिखने में काफी सुंदर हूं अभी जवान हूं। मेरी फिगर है 36 30 38। मेरे आस-पड़ोस के सभी मर्द मेरे दीवाने हैं और यहां तक की शीला के पति(समर 45yr) भी मुझे हमेशा पटाने की फिराक में रहते है लेकिन मै किसी को पति के अलावा भाव नही दिया।
शीला के पति उसके साथ रहते है और इसी शहर मे दुकान चलाते है।
मै अकेली घर पे रहकर खेती की देख रेख करती हु। वैसे करने को तो मजदूर है। मै केवल घुमने जाति थी।
एक दिन मै स्टेशन् पर किसी काम से गयी थी जब लौट रही थी तब मुझे वहा एक लड़का रोता हुआ दिखाई दिया। मै उसके पास गयी उसे सर पर हाथ फेरी तो उसने मुझे देखा और मुह फेर लिया।
मै उसे बोली क्या हुआ बेटा। वो मुझे अपना बेटा जैसा लगा।उसकी उम्र कोई 18 साल रही होगी। मैने उसे आपने साथ् कार् मे ले ली और उसे उसके बारे मे पूछने लगी पर मुझे कुछ नही बताया।
मै उसे घर लेकर आई तभी शीला भी आ गयी मेने उसे सब बताया। तो शीला बोली पुलिस को बताते है मेने ऐसा करना ठीक समझा और शीला के साथ पुलिस के पास गयी। पुलिस ने रिपोर्ट लिख कर ये कह दिया की जब तक इसके घर का पता नही चल जाता इसे अपने पास रखिये। मै तो अब टेंसन मे आ गयी पर
शीला- कुछ दिन की बात है रख ले वैसे भी तु अकेली रहती है। तेरा मन भी लगा रहेगा ,देख बिचारे का क्या हाल हो गया है।
मै उसे लेकर घर आ गयी। उसने अब तक कुछ नही बोला था। पर अब थोड़ा ये नॉर्मल लग रहा था।
शाम को उसे खाना खिलाया और खूद खा कर सोने जाने लगी।
तभी देखी की वो फिर रोने लगा मैं बोली क्या हुआ बेटा तो
उसने बोला- माँ ।
मै सकपका गयी ऐसा लगा जैसे मेरे हि बच्चे मुझे पुकार रहे हो। मै उसके सर पर हाथ फेर कर बोली बोलो बेटे।
वो बोला- माँ मुझे अकेले नही सोना।
मेरा तो दिल रोने लगा। मै उसे गले लगा ली। और उसके साथ हि लेट गयी।
मै उससे उसकी नाम पूछी।
तब उसने बताया- उसका नाम राज है।
फिर उसने अपना सर मेरे छाती मे दबा कर रोने लगा। उसके बाद मे कितना भी मै पूछती रही पर उसने नही बताया।
मै वाही उसके साथ ही सो गयी।
सुबह जब मेरी आंख खुली तो 5:00
रही थी। मैं जब उठी तो देखी की राज मेरे छाती पर अपना सर रखे सो रहा था। मैं उससे बड़े प्यार से देख रही थी। बहुत ही सुंदर और सुशील था। उसका चेहरा एकदम कमल सा था उसके मुंह पर हल्का-हल्का मूछ था। उसके होंठ एकदम लाल। इसका एक पैर मेरी दोनों जांघो के बीच में और हाथ मेरे कमर में लपेटे में सो रहा था। मैं उसके पैर को सीधा की और अपने से नीचे किया। फिर मैं काम करने के लिए जाने लगी।
तभी मेरा ध्यान उसके पैंट पर गया। उसके पैंट में आकार मोटा दिखाई दे रहा था। एकदम से फुला हुआ था।
मैं एकदम शर्म से लाल हो गई। फिर मैं अपने काम करने के लिए जल्दी से उसे सोते हुए छोड़कर चली गयी।
जब मैं नाश्ता बना ली तब मैं जाकर उसे जगाया तो देखा कि उसका तो लन्ड पूरा खड़ा हुआ है।
मैं शर्म से लाल हो गई। मेरे बेटे जैसा था पर मैं उसके बारे में यह क्या सोच रही थी?
फिर मैं उसके सर पर हाथ फेर कर उसे जगाया। और उसे नहाने के लिए बोलकर नीचे खाना लेकर आने लगी। वह नहा का टेबल पर आकर बैठ गया। मैंने उसे खाना देकर नहाने चली।
जब मैं नहा कर आइ तो देखी कि वह खाना खाकर बैठ चुका था। मैंने उसे बता दिया कि हम आज खेत पर घूमने जाने वाले हैं। तो वह एकदम से खुश हो गया उसका मुस्कुराता चेहरा देखकर मैं एकदम खुश हो गई।
मैं खेत पर घूमने के लिए शीला को भी बुला लिया और मैं और मेरे बेटे तीनों मिलकर हम खेत पर घूमने चल दिए।
मेरे खेत मे कुछ ईख लगी हुई थी और कुछ धान की खेती थी।
जैसे ही हम खेत पर पहुंचे हि थे की शीला के घर से फोन आ गई कि उसके पति उसे बुला रहे हैं तो वह चली गयी।
अब खेत पर मैं और मेरे बेटे राज दोनों ही बच गए थे। मैं सोची की राज का यहां मन बहल जाएगा
और कुछ उसके बारे में पता चलेगा।
राज ने यहां भी कुछ नहीं बताया। उल्टा फिर उदास हो गया। मैं उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझी और फिर हम दोनों मिलकर वहां नदी की ओर चल दिए। यहां धान के खेत में पानी नहीं थी तो मैंने धान के खेत में पानी कर दी।
राज खेत में जो मड़ई बना हुआ था उसमे बैठा हुआ था। मैं राज के पास गई तो देखा कि वह काफी शांत बैठा हुआ था। मैं उससे पूछी क्या हुआ राज यहां भी मन नहीं लग रहा क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां यहां तो काफी शांति और सुकून है। मुझे यहां आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है।
फिर वह आकर मेरे गले लग गया। हम दोनों मां बेटे एक दूसरे से चिपके हुए थे उसी मड़ई में।
हमें वहां कोई देखने वाला नहीं था। जब वह मेरे से चिपका हुआ था तो मेरे दोनों चुचिया उसके छाती में दबी हुई थी और उसकी कठोर लन्ड मेरे योनि के पास लग रहा थी।
मैं बोली राज कब तक ऐसे ही रहोगे घर नहीं चलना है क्या? राज मुझे देखकर मुस्कुराने लगा। मै उसके इस मुस्कान पर एकदम से खिल उठी और उसके गालों को चूम ली। वो शर्मा गया। तब मुझे हसी आ गयी। प्यार से वो मुझे फिर से अपनी बहों मे ले लिया।
फिर हम दोनों घर आ गए। आज मुझे कई दिनों के बाद बहुत खुशी मिली थी। आज मेरा सारा अकेलापन दूर हो गया था।
हम दोनों मां बेटे लिविंग रूम में चले गए जहां टीवी लगा हुआ था। वहां पर हम दोनों एक दूसरे के पास बैठकर टीवी देखने लगे जिस पर काफी हॉट फिल्म आ रही थी मैं सोची कि इस फिल्म को बदल दू।
पर उस वक्त मुझे रिमोट ही नहीं मिली हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल चिपके हुए बैठकर टीवी देख रहे थे।
वह मेरे कंधे पर सर रखकर मूवी को देखने लगा। फिर उसने अपने दोनों हाथों से मुझे अपने आगोश में ले लिया। और अपना एक पैर मेरे पैर पर रख दिया। मैं भी उसके सर को सहलाने लगी। और उसे खूब प्यार करने लगी। मुझे उसे दिन पता नहीं क्या हो गया था हम दोनों दूसरे से चिपके हुए थे? मुझे उसे पर बहुत प्यार आ रहा था। और ऐसे ही हम दोनों लेते हुए सो गए वहीं पर।
हम दोनों की नींद तब खुली जब शीला घर पर आई। मैं जाकर दरवाजा खोली। मैं राज को उठा दिया था की जा बाथरूम से फ्रेश हो जा।
शीला मुझे बाजार ले जाने के लिए आई थी। पर उसके साथ उसके पति भी थे। उसका पति बहुत मजाकिया थे मै उनके साथ नहीं जाना चाहती वह बहुत मुझे छेढ़ते थे।
मैं जैसे ही शीला से बोली कि मैं तुम्हारे पति के साथ नहीं जाऊंगी तभी वह पीछे से आकर बोले
समर- क्या हुआ सुनीता जी मेरे साथ जाने में क्या तकलीफ है?
मैं बोली- कुछ तकलीफ नहीं है जी बस आप जो मुझे परेशान करते हो उसे तकलीफ है। तभी
शीला बोली- हां हां तो सुनीता क्यों नहीं दे देती वह चीज जो इन्हें चाहिए?
मैं बोली -मैं क्यों दूं तुम्हारा पति है तुम दो?
तब
शीला बोली- एक बार दे दोगी तो क्या हो जाएगा घट थोड़ी जाएगा?
मै बोली- चल चुप कर शीला मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती थी। हमेशा अपने पति का ही साथ देती थी। वह भी मुझे अपने पति से चुदवाना चाहती थी।
मैं हमेशा कोई ना कोई बहाना बना ही देती थी।
फिर शाम को मैं मेरे बेटे और शीला और शीला के पति के साथ मार्केट गई वहां पर सभी मुझे घुर्र कर देख रहे थे।
तभी शीला के पति
समर- बोले क्या बात है सुनीता जी आपका तो पूरा मार्केट दीवाना है?
और सभी हंसने लगे। मैं अपने बेटे के साथ मार्केट में कुछ सब्जियों ले ली और उसके लिए कपड़े लेने के लिए दुकान पर जाने लगी। तभी शीला बोली की रूक मैं भी आती हूं।
मैं और शीला दोनों मिलकर अपने बेटे के लिए कपड़े लेने लगे।
फिर शीला अपने लिए कुछ ब्रा और कुछ पैंटी ली।
राज पेन्टी और ब्रा को बड़े ध्यान से देख रहा था मुझे तो शर्म आने लगी थी अपने बेटे के सामने तभी शीला बोली कि यह पेटी तो सुनीता तुम्हें अच्छी लगेगी।तभी
राज ने कहा- हां माँ ले लो तुम्हारे में अच्छा लगेगा। मैं शर्मा गई।
तभी
शीला बोली- सुनीता अब तो इसे भी पसंद आ गयी अब तो लेनी ही पड़ेगी।
उफ़ मैं शीला की इन बातों से एकदम शर्म से लाल हो रही थी।
फिर हम घर आ गए। रात को खाना पीना हुआ और मैं राज के साथ ही सो गई। राज ने मुझे कसकर अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर मेरे छाती पर रखकर सो गया। मैं भी उसके सर को सहलाते हुए सो गई ।
ऐसे ही कई दिन गुजर गए। इतने दिन जो बीते वह काफी खुशनुमा थे मैं राज के साथ बहुत खुश थी। राज कहीं से भी आता और मुझे मां कहते हुए हमेशा लिपट जाता था। और उसकी कठोर सा लैंड मेरे गांड में घुसता चला जाता था। पर मैं इस अनुभव से काफी गर्म हो जाती थी।
फिर एक दिन में और राज नदी की ओर घूमने के लिए गए। हम दोनों नदी के किनारे बैठे हुए थे वहां पर हमें देखने वाला कोई नहीं था। हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे तभी
राज ने कहा- मां आप तो बहुत खूबसूरत हो। फिर आप अकेली क्यों हो? तब मैंने उसे बताया कि मैं अकेली नहीं हूं। मेरे पति बाहर में रहते हैं और मेरे तुम्हारे जैसे बच्चे भी हैं जो बाहर में रहकर पढ़ाई करते हैं और अपना तुम बताओ। तब राज ने मायूस होकर मुझसे लिपट गया और बोला मैं अपने अतीत को याद नहीं करना चाहता हूं मुझे यहां बहुत सुकून मिल रहा है
तब मैंने कहा की राज तुम्हारा भी तो माता-पिता होंगे। तुम्हें अपने घर तो जाना ही होगा ना। तब
राज ने कहा- नहीं मां मुझे अपने घर नहीं जाना। मुझे वहां कोई प्यार नहीं करता।
और राज फिर से रोने लगा। मैं उसे अपने सीने से लगा ली। और उसे चुप करने लगी।
उसके चेहरे को अपने हथेली में लेकर उसके आंसू को पोछी और उसके कोमल होंठ पर मैंने अपनी होंठ रखकर एक किस कर दी। और फिर उसे अपने सीने से लगा लिया।
फिर मैं राज से बोली चलो बेटा उधर ईख के तरफ खेत में पानी करना है।
फिर हम दोनों खेत में चले आए। मैं खेत में पानी करने लगी और वह खड़ा होकर मुझे देखने लगा। मैं झुक कर खेत में पानी कर रही थी। जिससे मेरी दोनों चूचियां आधि बाहर दिखाई दे रही थी। राज मेरी चूचियों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
पानी करते हुए मेरा पैर फिसल गया और मैं वही कीचड़ में गिर गई। फिर राज मेरे पास दौड़ते हुए आया।
मैंने राज से कहा कि बेटा तुम यहां मत आओ मैं कीचड़ से सन गई हूं तू भी कीचड़ में लेट जाएगा। पर उसने नहीं मानी और वह मुझे उठाने के लिए आया और वो भी फिसल के गिर गया।
हम दोनों कीचड़ में लेट गए। हम दोनों कीचड़ में लेट कर हंसने लगे। वह खेत चारों तरफ ईख से घिरा हुआ था जिससे हमें कोई वहां देख नहीं सकता था।
मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके पेट पर लगा दी और हंसने लगी। तभी राज ने भी थोड़ा सा कीचड़ लेकर मुझे लगाने के लिए आगे बढ़ा तभी मैंने उसके हाथ को झटक दिया और वह मेरे ऊपर आकर गिरा। उसके छाती से मेरे दोनों चूचियाँ दब गई। उसकी कठोर सा लिंग मेरे योनि में अनुभव होने लगा। उसका लिंग तो धीरे-धीरे आकर ले रहा था जो मेरे योनि पर दबाव पड़ रहा था। उसके कोमल होंठ एकदम मेरे होंठ के करीब था। उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रहा था।
हम दोनों मुस्कुरा रहे थे और कीचड़ में खेल रहे थे। मैं थोड़ी सी कीचड़ लेकर उसके गालों पर लगा दिया। फिर उसने अपने कीचड़ से लगे हुए गाल को मेरे गाल से रगड़ने लगा। इसी बीच उसके कोमल होंठ मेरे होंठ से लग गए। हम दोनों कुछ पल के लिए एकदम स्थिर होकर रुक गए। हम दोनों को कुछ समझ नहीं आया और पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे योनि से नदी पर निकली हो। आज पहली बार मुझे अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द का एहसास महसूस हो रहा था। मैं अब धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने उसके होंठ को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।
मैं अपने अंदर कई साल से वासना को दबा कर रखी थी। जो एक 18 साल की कोमल बच्चे ने जगा दिया था। वह बच्चा भले ही मेरा सगा बेटा ना हो पर वह मेरे बेटा जैसा था। उससे मैंने अपना बेटा माना था और वह मुझे हमेशा माँ ही कहा है।
ऐसे एहसास होते ही मैंने तुरंत उसे अलग हुई हम् दोनो के होंठ अलग हुए। उसे अपने ऊपर से हटाया और उठ खड़ी हुई। हम दोनों एक दूसरे से नजरे नहीं मिल पा रहे थे।
फिर
राज ने कहा- सॉरी मां मुझसे गलती हो गई।
मैं उसके मासूम चेहरे को देखकर पिघल गयी और उसे फिर से अपने गले से लगा लिया और बोली कि नहीं बेटा इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।
फिर मैं बोली -राज बेटा देखो हमारे कपड़े कितने गंदे हो गए हैं हम इस हालत में तो घर भी नहीं जा सकते हैं।
तब
राज ने कहा -अब क्या करेंगे माँ
तब
मैं बोली कि चलो बेटा हम दोनों नदी में चलकर नहा लेते हैं।
हम दोनों नदी में चले गए नहाने के लिए।
उसे वक्त मैंने देखी कि वहां पर कोई नहीं था।
फिर हम दोनों नदी में नहाने के लिए उतर गए। मैंने अपना कपड़ा साफ किया और फिर राज का भी कपड़े को साफ की और वहीं बाहर में सूखने के लिए झाड़ियां पर पसार दिया।
मैं अब सिर्फ पेंटी और ब्रा में नहा रही थी और राज सिर्फ अंडरवियर में था।
राज मुझे इस तरह देखकर मुस्कुरा रहा था
तब मैंने उससे पूछा- कि क्या हुआ बेटा ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हो? तब
राज ने कहा कि मां मैं इससे पहले इतनी सुंदर शरीर किसी की नहीं देखी तुम तो अभी बहुत सुंदर हो मां।
तब मैंने कहा चल झुटे कुछ भी बोलता है मैं तेरी मां हूं।
फिर
राज ने कहा -मां मैं सच कह रहा हूं। आपको देखकर मुझे पता नहीं क्या हो जा रहा था?
फिर
मैं बात को बदलते हुए कही -चल छोड़ जब तक कपड़े सुख नहीं जाते तब तक हमें तो नहाने ही है तो तब तक हम पकड़म पकड़ाई खेलते हैं तो तुम मुझे पकड़ना मैं इधर से उधर नदी में भागूंगी।
फिर राज मुझे पकड़ने के लिए भागा मैं नदी के बीच में भागने लगी। मैं नदी में अच्छी तरह से तैरना जानती थी इसलिए मैं बीच में भाग रही थी। तभी राज भी मुझे पकड़ने के लिए बीच में आने लगा।
अचानक तेज धारा ने राज को धकेल दिया जिससे वह अनबैलेंस होकर नीचे की ओर डूबने लगा। फिर मैं उसे बचाने के लिए गई और उसे अपने सीने से लगाकर दूसरे किनारे की ओर ले गई। तब मैंने देखा कि वह ठीक था और वह मुझे बोला मां मैं तो आपको पकड़ लिया। मुझे गुस्सा आ गया और मैं राज से बोली यह तो चीटिंग किया है बेटा।
मैं उससे नाराज होकर दूसरी तरफ मुंह फेर ली। तभी राज ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़ लिया और बोला सॉरी मा गलती हो गई।
उसने जैसे ही मुझे पीछे से पकड़ा उसकी कठोर सा लैंड मेरी गांड में घुसता चला गया और मैं एकदम से सिहर उठी ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में बिजलियां दौड़ गई।
इसका एक हाथ मेरे पेट पर चिकनी पेट पर चल रहे थे और दूसरा हाथ मेरे जांघों पर थे। हम दोनों पानी के अंदर गर्दन तक थे जो कि कुछ अंदर दिखाई नहीं दे रहा था पर महसूस पूरा हो रहा था ऐसा लग रहा था जैसे हम दोनों नंगे ही एक दूसरे की बाहों में कैद है। उसका लंड का एहसास मेरे दिमाग पर जोर डाल रहा था जिससे मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी और उसके बाहों के आगोश में खोते चली जा रही थी।
थोड़ी ही देर में उसका हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे योनि के पास जाने लगी जिससे मैं पूरी तरह से सीहर उठी। उसका मुंह मेरे गरद्न के पास था उसके गर्म सांस मुझे गर्म कर रही थी।
मैं कुछ कर नहीं पा रही थी बस उसके हर एहसास को अपने एहसास से जिए जा रही थी।
तभी नदी की ओर किसी की आने की आहत हुई। हम दोनों की ही तंद्रा टूट गयी।
Update1 धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
मिलते है Update2 मे।
Very hot update.#UPDATE 2.
मुहबोला बेटा से प्यार S1
#UPDATE 2
अब तक आपने पढ़ा की
हम माँ बेटे नदी मे एक दूसरे से नंगे चिपके हुए थे,की तभी नदी की तरफ किसी की आने की आहत हुई।
अब आगे,
हम दोनों पानी से निकाल कर पास के झाड़ियां के तरफ भागे। पानी के पास कुछ झाड़ियां थी उसी के पास हम दोनों छुपे,
छुपने की जगह तो नहीं थी पर मैं उसके गोद में बैठी हुई अपने सर को उसके कंधे पर टिका कर छुपी हुई थी और वह मुझे अपने अगोष में लिए हुए छुपा हुआ था।
उसका लिंग मेरे योनि से दबा हुआ था और उसका लिंग इतना कठोर था कि ऐसा लग रहा था जैसे मेरे योनि मे अभी पैंटी फाड़ कर घुस जाएगा।
मुझे उसके लिंग के एहसास से पूरे तन बदन में आग लगी हुई थी।
मुझे शर्म से काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह मेरे बेटे जैसा था और मैं उसकी मां की जैसी वह मेरी उम्र का आधी उम्र का था पर मैं उसके साथ अधनंगी उसके गोद में बैठी हुई उसके लिंग का आभास अपने योनि पर कर रही थी और पूरे तन बदन को गर्माहट दे रही थी।
मैं हल्की सी सर को उठाकर नदि कि ओर देखी कि वहा एक 60 साल का बुढ़ा आदमी नदी के किनरे बैठकर हगने लगा। मैं देख रही थी उसके लिंग को और वह गांड उठाकर हग रहा था। जब तक उसका हगना हो नहीं जाता तब तक मुझे अपने बेटे की गोद में बैठना था।
मैं अपने बेटे को देखी उसकी मासूम चेहरा। काफी खुशनुमा लग रहा था। मैं उसे देखकर मुस्कुराई। वह भी मुझे देखकर मुस्कुराया। उसके होठों के मुस्कान देखकर मुझे रहा नहीं गया और मैं उसके लाल-लाल होठों पर अपनी होंठ रखकर चूसने लगी। अब मुझे उसके लिंग का महसूस पूरी तरह से हो रहा था एकदम से कड़क हो चुका था अगर मैं पैंटी और उसने चड्डी ना पहनी होती तो उसका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ अंदर चला जाता।
मेरी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी मैं कई बार झढ़ चुकी थी अब मुझे रहा नहीं जा रहा था।
तभी पानी से कुछ आवाज हुई।
मैं देखी कि वह बुड्ढा आदमी अपने गांड को धोने के लिए पानी में जा रहा था। अपनी गांड को पानी से धोकर वह वहां से चला गया।
फिर हम दोनों मां बेटे वहां झाड़ी से निकाल कर पानी की तरफ आए और अपने कपड़े पहनने लगे। मैंने अपनी पैंटी और ब्रा निकाल दी और बिना पैंटी बरा के कपड़े पहन लिए। राज ने भी अपने चड्डी निकाल कर बिना चड्डी के ही अपने कपड़े पहन लिया।कपड़े बदलते समये हम दोनो एक दूसरे को देखे और मुश्कुरा दिये।
फिर हम दोनों मां बेटे घर जाकर सो गए। जब शाम हुई तो हम दोनों मां बेटे उठकर बाजार के लिए चल दिए तभी शीला भी आ गयी उसके साथ उसके पति भी आए हुए थे।
शीला के पति मुझे देखकर बोले- वाह भाभी जी आज तो आप बहुत ही खूबसूरत लग रही हो।
तब मैं उनसे कहीं- आपको उससे क्या करना है मैं खूबसूरत लघु या ना लगून?
राज और शीला एक साथ चल रहे थे।
और इधर में और शीला के पति एक साथ शीला के पति मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे थे।
कभी-कभी तो वह अपने हाथ से मेरे गांड को भी टच कर देते थे। मैं सुबह से ही काफी गर्म थी उनका टच मुझे तनिक भी बुरा नहीं लग रहा था।
फिर हम बाजार में आ गये और बाजार की सारी नजरे मेरी तरफ हो गई ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन्हें लुभाने के लिए आई हुई थी। तभी शीला के पति बोले सुनीता जी इस तरह न बन ठन कर निकाला कीजिए आपकी वजह से पूरी बाजार का माहौल गर्म हो जाता है।
तभी मैंने उनसे कहा चलिए चुप रहिए। फिर मैं सब्जी लेने के लिए जैसे ही मुड़ी की मेरा हाथ उनके लैंड से टच हो गया। हाथ तो मेरा गलती से टच हुआ था पर उन्हें लगा कि शायद मैंने जानबूझकर की है इसलिए वह मुझे देखकर मुस्कुराने लगे मैं तो एकदम शर्म से लाल हो गई।
जैसे ही मैं सब्जी लेने के लिए झुकी हुई थी सब्जी वाले का नजर मेरे दोनों चूचियों पर था। और इधर शीला के पति की नजर मेरी दोनों गांड पर। मैं तो शर्म से पानी पानी हो रही थी और गर्मी के कारण गीली भी हो रही थी।
जैसे ही मैं सब्जी लेकर खड़ी हुई वैसे ही शीला के पति का लंड मेरे गांड में घुस गया उनसे मैं टकरा गई वह मेरे पीछे ही खड़े थे मैंने झट से उन्हें पलट कर देखा वह देखकर मुझे मुस्कुराने लगे। मैं उन्हें गुस्से से देख रही थी पर वह मुझे मुस्कुरा कर देखते हुए अपना जबान होंठ पर फिरा रहे थे।
बाजार में मुझे लगा कि यह तो अपने नजरों से ही मुझे चोद देंगे।
मैं जल्दी ही सब्जी लेकर अपने बेटे के साथ घर आ गई। मैं शाम को खाना बनाने लगी और राज टेरेस पर घूम रहा था।
मैं खाना बना रही थी तभी राज आया और मुझे पीछे से गले लगा कर मेरे गर्दन को चूम लिया।
मैं- ऑफो राज छोड़ो भी क्या कर रहे हो मुझे खाना बनाने दो?
तभी राज ने कहा -मां मुझे अकेले टहलने में मन नहीं लग रहा है। तबमैंने कहा- तो क्या मैं भी तेरे साथ चलूं खाना कौन बनाएगा?
राज मुझे छोड़ने को राजी नहीं था वह मुझे चूमता ही जा रहा था उसका हाथ मेरे पेट पर लगातार चल रहे थे।
मैं फिर से गर्म होने लगी मेरी बूर फिर से पानी छोड़ने लगी। की तभी फोन की घंटी बजी और हम दोनों अलग हुए। फोन पर मेरे पति थे मैंने थोड़ी देर उनसे बात की वह बिजी थे इसलिए बोले कि बाद में करूंगा और फोन रख दिया।
मैं खाना बनाते-बनाते राज के बारे में सोचने लगी आज जो कुछ भी नदी पर हुआ क्या यह सही था क्या यह होना चाहिए था क्या एक मां और बेटे के बीच यह सब होना चाहिए था?
मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी पर एक मन कह रहा था यह सब गलत है तो दूसरा मन कर रहा था यह सब सही है दूसरे मन का कहना था कि वह मेरा अपना बेटा थोड़े ही है। तब एक मन करता कि वह भले ही अपना बेटा ना हो पर है तो बेटे जैसा ही मुंह बोला ही सही बेटा बेटा होता है बेटे के साथ पति जैसा संबंध नहीं बना सकते।
तब दूसरा मन कहता कि पति अगर परदेस में हो तब खाली बैठने से अच्छा है जो भी मिल रहा है उसी के साथ संबंध बनाकर खुश रहा जाए।
तब मुझे शीला के पति की हरकत याद आउन्होंने जो बाजार में अपना लंड को मेरे गांड में घुसेड दिया था उन्होंने अपने हाथ से जो मेरे गान्ड को दबाए थे उन्होंने।
मैं शीला के पति को नहीं चाहती थी कि वह यह सब करें क्योंकि मैं उन्हे तनिक् भी प्यार नहीं करती थी।
मुझे अपने बेटे से प्यार हो गया था उसके कोमल होंठ उसके मासूम चेहरा उसके मासूम दिल से मुझे प्यार था मुझे उसके एहसास में अपना एहसास मिलता था मुझे उसकी खुशी में अपना खुशी मिलती थी मैं उसी के साथ रहना चाहती थी?
यही सब सोचते सोचते मैंने खाना बना लिया और मैं खाना को टेबल पर लगाने लगी। तब मैं देखी की राज टीवी देख रहा था मैंने राज को आवाज़ लगाई की राज बेटा आ जाओ खाना खा लो फिर सोना भी है।
फिर राज हाथ मुह धोकर आ गया मैं और राज दोनों एक साथ ही खाना खाए और फिर मैं बर्तन धोने लगी और राज को बोली बेटा जाकर तुम सो जाओ।
तब राज ने कहा मां मैं भी तुम्हारे साथ काम कर देता हूं। अरे नहीं बेटा तुम जाओ आराम करो मैं तुरंत काम निपटा कर तुम्हारे पास आती हूं।
यह बस सुना था कि राज एकदम से खुश हो गया और मुझे भी एहसास हुआ कि मैं यह क्या बोल दी मैं उसके पास क्यों जाऊंगी आखिर क्यों? तभी
राज ने कहा -सच में मां आओगी ना मुझे अकेले नींद नहीं आएगी।
मै -ठीक है बेटा मैं काम खत्म करके तुरंत तुम्हारे पास आती हूं।
और फिर मैं जल्दी से काम निपटा कर राज के पास चलि आई।
राज अभी जाग रहा था मैं जैसे ही राज के पास लेटी उसने तुरंत मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपना सर को मेरे छाती पर रख लिया और बोला मां मुझे तुम्हारे बिना नींद नहीं आती मां।
मुझे राज के साथ रहते हुए अब एक महीना से अधिक हो गया था। राज से मैं कई बार पूछ चुकी थी कि क्या तुम कभी घर नहीं जाओगे तब राज कहता मुझे यहां जितना सुकून कहीं नहीं मिलता मैं कहीं नहीं जाऊंगा जाऊंगा तो सीधा अब ऊपर मुझे नहीं जीना तुम्हारे सिवा?
मैं बोली क्यों बेटा? अगर मैं उस दिन ना मिली होती तब तुम क्या करते?
तब राज बोला- मां उस दिन तुम मिली भी होती और अगर तुम मुझे पुलिस को दे देती तो मैं आत्महत्या कर लेता मुझे नहीं जीना यहां मुझे कोई प्यार नहीं करता।
मैं राज के मासूमियत देखकर पिघल गई और उसके बालों को सहलाते हुए उसके गालों को चूम लिया। राज बेटे तुम्हें मुझ में ऐसा क्या दिख रहा है जो तुम मुझे छोड़ कर नहीं जाना चाहते तुम्हारी कोई शादी अच्छी लड़की से हो जाएगी? तब
राज ने कहा- मुझे आजकल की लड़कियों पर भरोसा नहीं है मां मैं तुम्हारे साथ ही जीवन बिताना चाहता हूं।
आपके और दो बच्चे तो है न इसमें क्या मैं एक नहीं हो सकता?
मैं बोली -क्यों नहीं मेरे बच्चे एकदम हो सकता है तुम मेरे लाडले हो?
और मैं उसके फिर से गालों को चूम लिया। इस बार उसने भी मेरे गालों को कसकर चूम लिया। उसके चुंबन से मैं सिहर उठी।
इसका एक पैर मेरे ठीक योनि के पास सटा हुआ था और उसका लिंग मेरे जांघों से टकरा रहा था उसके गर्म सांसे मुझे गर्म कर रही थी।
मैंने उसके फिर से गालों को चूमना चाहा पर जैसे ही मैं उसके गालों को चूमने की कोशिश की तभी उसने अपना सर उठा लिया और हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।
हम दोनों एकदम से शर्मा गए और दोनों अलग हो गए।
फिर मुझे रहा नहीं गया और मैं अपने बेटे के बालों में फिर से हाथ फेरना शुरू किया। तभी उसने मुझे फिर से अपनी बाहों में ले लिया। और फिर से हम दोनों का चेहरा एकदम एक दूसरे के सामने था उसके उसके कोमल होंठ ठीक मेरे होंठ के सामने थे मन तो कर रहा था कि बस उसके होठो को अभी चूम लूं।हम दोनों एक दूसरे के आंखों में देख रहे थे हम दोनों के शरीर एक दूसरे से एकदम सटे हुए थे। उसका लिंग का उभार मेरे योनि में महसूस हो रहा था और मेरे चूचियां उसके सीने में दबी हुई थी।धीरे-धीरे हम दोनों और पास आते गए और हम दोनों का होंठ एक दूसरे से मिल गया वह मेरे होठों को एकदम रस लेकर चूस रहा था और मैं उसके निचले होंठ को अपने होंठ से दबा कर चूस रही थी मुझे उसके होंठ चूसते हुए काफी रास आ रहा था मेरी बूर पूरी तरह से गीली हो गई थी।
की तभी मुझे कपड़ों के ऊपर से ही अपनी बूर में किसी की उंगली महसूस किया।
राज मेरे कपड़ों के ऊपर से बूर में उंगली घुसा रहा था।
मैं उसके होठों को चूस रही थी और उसके पीठ और बाल को सहला रही थी। वह मेरे होठों को चूसते हुए मेरे बूर में उंगली कर रहा था और दूसरे हाथ से मेरे गाल को साल रहा था।
थोड़ी ही देर में राज अपनी उंगली को मेरे नाभि में करने लगा मेरे नाभि में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी जिसकी वजह से मेरी बूर से पानी रिसने लगा ऐसा लगा जैसे मेरे पेट से कोई नल खुल गया हो एकदम से मेरी आंखें बंद हो गई और उसके बाल को जोर से सहलाने लगी उसके होंठ को जोर से चूसने लगी वह मेरे नाभि में उंगली करता हुआ नीचे की ओर जा रहा था एकदम से जाते हुए उसने अपनी उंगली को मेरी बूर के एकदम से निचे तक उतार दिया।
मेरी बूर की क्लीटर्स को वह अपने उंगलियों से मसलने लगा जिससे मुझे बूर में काफी गुदगुदी महसूस हो रही थी और मैं नीचे से पानी पानी होती जा रही थी।
फिर राज मेरे ऊपर चढ़ने लगा मैं उसके मुंह से अपना मुंह को छुड़ाएं और बोली
मै -राज जरा धीरे से...
वह बोला -मां अभी तो मैंने कुछ किया ही नहीं।
और यह बोलते हैं उसने फिर से मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद कर दिया उसने फिर से मेरे होंठ को चूसने लगा इस बार वह अपनी जीभ् को मेरे मुंह में घुसा कर मेरे मुंह को पेलने लगा।
और अब राज अपनी एक हाथ से मेरी चूची को दबाने लगा। मैं तो पूरी तरह से गर्म हो गई थी।
उउउम्म्म्म ऊऊफफ्फ्फ़
आआआअह्ह्ह
ोूह्ह्ह्ह राज
ओफ्फ्फ्फ़
मेरे मुंह से केवल दबी हुई शित्कारी। निकल रही थी।
फिर मैं राज को नीचे लेटा दी और मैं उसके ऊपर जाकर उसके होठों को चूसने लगी। तभी मेरा हाथ उसके लंड से जा लगा है।
मैं महसूस किया कि वह नीचे कुछ भी नहीं पहना था। शायद इसने मेरे आने से पहले अंदर से सब कुछ निकाल कर सोया था। तभी इसकी लंड मेरे गांड में बहुत ज्यादा गढ़ रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके लंड को हल्की-हल्के हिलने लगे। मैं उसके होंठ को चूस रही थी और उसके लन्ड को हिला रही थी।
थोड़ी ही देर में राज ने एक पिचकारी मारी और पूरी तरह से गिला कर दिया। हम दोनों काफी इस खेल में थक चुके थे। मैं भी कई दफा झड़ चुकी थी। मैं राज को बाहों में लेकर उसे चूमते हुए उसके साथ ही सो गई।
सुबह जब नींद खुली तब देखी की राज का लन्ड सुबह-सुबह खड़ा हुआ है। मेरा फिर से मन होने लगा था। हम दोनों एकदम से अस्त व्यस्त हालत में पड़े हुए थे एक दूसरे से लिपटे हुए। तभी
मैं राज के लैंड को हाथ में लेकर फिर से हिलने लगी। राज ने मुझे देखकर फिर से मेरा होंठ को अपने होंठ से मिला लिया।
सुबह-सुबह उसका तो पिचकारी निकालने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं उसके लंड को जोर-जोर से हिलाने लगी। तभी
राज बोला - माँ धीरे से मैंने आज तक इसे नहीं हिलाया है और ना ही किसी को दिया है। मैं समझ गई कि यह अभी कुंवारा है और इसका उद्घाटन मुझे ही करना पड़ेगा।
जब राज का वीर्य हिलाने से भी नहीं निकला तब मुझे उसके लंड को अपने मुंह में लेना पड़ा। अब राज एकदम से छटपटाने लगा मेरे मुंह से लगते हैं उसका लंड एकदम तन सा गया।
उसके मुंह से बहुत प्यारी सीत्कार निकल रही थी।
ोूह्ह्ह्हह्ह मआआआ आआआह्ह्ह्ह ऊऊओफ्फ्फफ्फ्ऊऊऊओ मआआआ
आअह्ह्ह्ह।
मैं उसके लंड को बड़े ही प्यार से चूस रही थी। मैं उसके लंड को चूसते चूसते वीर्य को बाहर निकाल दी। वीर्य का धार इतना तेज था कि मेरा सरक गया मुझे खांसी आ गई। और उसका लंड से लगातार वीर्य की धार निकलते जा रही थी। मैं इसके लंड को प्यार से चूस रही थी।
फिर वह एकदम से निढाल पड़ गया और मैं उसे अपने बाहों में लेकर उसके होंठ को चूमने लगे।
फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में नहाने लगे।
नहाने के बाद राज थोड़ा सा घूमने के लिए बाहर चला गया। मैं घर पर खाना बनाने लगी कि तभी शीला घर में आई। मेरे मन में थोड़ी बहुत पछतावा भी थी कि मैं अपने ही बेटे के साथ रात में वह सब किया।शीला ने आकर तुरंत मुझे आवाज दिया। कहां हो सुनीता मेरी जान?
मैं उसे बोली- किचन में हूं यहीं पर आ जाओ। शीला आते ही मेरी चूचियों को कस कर दबा दी। मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।
शिला- यार सुनीता तुम्हारे तो चुचिया काफी टाइट है। कहो तो मैं अपने समर जी से तुम्हारी चूचियों को मसालवा दूं।
मैं बोली- रहने दो उन्हें कहने की जरूरत नहीं वह तो हमेशा ही मसलने को तैयार बैठे रहते हैं।शीला- हां तो मसालवा क्यों नहीं लेती?
मै- नहीं मेरी जान यह तो किसी और के लिए है।
शीला- पर वह तो अभी नहीं आने वाले नही तब तक तो इसे काम चला ले।
मैं -मुझे कोई काम वाम नहीं चलाना तुम ही दिन भर लगी रह उनसे।
शीला- मैं तो दिन भर में चुदाती ही रहती हूं।
मैं- उफ्फ् शीला तुम कितनी गंदी हो गई हो।
शिला- एक बार उनका लेकर देख फिर तुम भी बहुत गंदी हो जाओगी मेरी जान। वैसे भी होली नजदीक आ रही है। जम के इस होली उनके लन्ड से चुद जाओ।
यह सब बातों से मैं एकदम गरम हो चुकी थी पर मुझे पता ही नहीं चला कि कब शीला मुझे अपनी बाहों में पकड़ कर अपनी एक उंगली मेरी चूत में कर रही थी?
मेरा बूर एकदम पानीआ गयी थी।
मेरी आंखें बंद हो रही थी। की तभी फोन की घंटी बजी मैं हड़बड़ा आ गई।
मैंने एक झटके में शीला से अलग हुई और जाकर फोन को उठाया। मेरे बेटे का कॉल आया था मैं उनसे बात करने लगी तभी आकाश ने कहा मां हम लोग इस होली आ रहे हैं। यह मेरा बेटा आकाश था जो अभी 18 साल का था। मुझे अपने बेटे से मिले हुए दो-तीन महीने हो चुके। मैं भी उनकी बेसब्री से इंतजार कर रही थी इस होली मेरे बेटे और (बेटी 20साल् कि है) दोनों आने वाले थे पर मुझे एक बात की समस्या थी और वह था राज मैं राज के बारे में उन लोगों को कुछ नहीं बताई थी।
मैं इस बात को शीला से कहा तब शीला ने मुझे कहा तुम डरती क्यों हो सुनीता? राज तुम्हारा बेटा है कोई बॉयफ्रेंड नहीं और शीला हंसने लगी।
पर इस बात को तो मैं ही जानती थी कि राज मेरा बॉयफ्रेंड भी था पति भी था और बेटा भी था और लाडला भी
राज तो मुझे कहीं भी पकड़ कर किस कर लेता है बाहों में पकड़ लेता है अब उनके सामने अगर कर लिया और पकड़े गए हम दोनों तब क्या होगा? मैं यही सब सोच रही थी कि तभी शीला ने मुझे झकझोरा।
शीला बोली- अरे सुनीता कहां खो गई?
मैं बोली कहीं नहीं।
तब
शिला बोली- तुम चिंता मत करो आने दो तुम्हारे बेटे और बेटी को मैं उन दोनों को सब समझा दूंगी।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे।
Wowww ab beti ke Bf se bai chudegi#UPDATE 3
मुहबोला बेटा से प्यार S1
#UPDATE 3
अब तक अपने पढ़ा की मेरे बेटा और बेटी शहर से आने वाले थे और मै घबराई हुई थी। तभी शिला ने कहा की सरी बात को वह संभाल लेगी। अब आगे।
होली को अभी एक हफ्ता टाइम था। कि आज के दिन मेरे बेटा और बेटी आने वाले थे। मैं सुबह-सुबह उनके लिए कुछ अच्छे खाने का इंतजाम कर रही थी और मेरा बेटा राज अपने दोनों भाई-बहन का इंतजार करता बैठा हुआ था। तभी सुबह-सुबह शीला भी आई, आते ही मेरे बेटे के सामने ही मेरी चुचिया दबा दी।
शीला मजाक मत कर क्या कर रही है यही राज बैठा हुआ है?मैने धीरे से कहा
तभी शीला बोली- तो क्या हुआ राज भी तो देखे उसकी मां का कितना कड़क कड़क चुचिया है और हंसने लगी?
मैं बोली- तुम नहीं सुधरने वाली।
की तभी सुबह-सुबह मेरे बेटे और बेटी घर में आए।
आते हैं दोनों मुझसे लिपट गए। मेरी बेटी मुझे पीछे से पकड़ ली और मेरा बेटा आकाश मुझे आगे से कस के दबा लिया। मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी हुई थी। उन दोनों के प्यार देखकर तो मेरे आंसू आ गए वहीं पर शीला भी बैठी हुई राज के साथ हमें देख रही थी।
तभी शीला बोली -कि वहां सारा प्यार अपने माँ को ही दे दोगे कुछ प्यार हमें भी दे दो।
तभी आकाश(मेरा अपना बेटा)- बोला क्यों नहीं शीला आंटी मैं अभी आपको देता हूं?
तभी आकाश गया और शीला को कस के आगे से हग कर लिया उसकी पूरी चुचिया ही दब गयी।
शीला की मुंह से एक जोर की आह निकल गई। यह देखकर हम मां बेटी हंसने लगी।
मेरा बेटा आकाश 18 साल का गबरू जवान हो चुका था वह तो शीला को अपनी बाहों में ऐसे पकड़ा हुआ था जैसे वह उसे छोड़ेगा ही नहीं वही चोद देगा।
मेरी बेटी सौम्या यह भी एकदम जवान हो गई थी और एकदम मुझ पर गई थी इसकी गोरी चिट्टी शरीर देखकर तो किसी का भी खड़ा हो जाएगा यह मुझे पकड़ कर मेरे पेट को सहला रही थी मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगाई और बोली क्या कर रही है बेटा मैं तेरी मां हूं यह सब क्या करती है?
तभी सौम्या बोली- मां आपकी तो खूबसूरती देखकर मैं दीवाना हो गई अगर मैं लड़का होती तो मैं आपको जरूर पटा लेती, ऐसे ही चिपकी रहती और आपसे खूब प्यार करती और सौम्या ने मेरी गर्दन और गाल पर किस कर दी।
मैं सौम्या को हल्की सी चपत लगायी और
बोली- पटना में रहकर तुम एकदम से बिगड़ गई।
फिर सौम्या बोली- मां तुम चीज ही ऐसी हो यार छोड़ने का मन ही नहीं करता।
तभी शीला बोले तुम दोनों भाई-बहन का अगर प्यार हो गया हो तो जरा इसे भी मिलो।
शीला ने राज को बताते हुए कहा कि यह राज है और यह तुम्हारे माँ का मुंह बोला बेटा है।
यह सुनन्ना था कि मेरे दोनों बेटे बेटी का आंख चौड़ा हो गया मुंह खुल गया वह दोनों एकदम हैरानी से देख रहे थे और राज एकदम मासूमियत से बैठा हुआ था।
तभी शीला बोली- अरे ऐसे क्या देख रहे हो तुम दोनों का भाई है?
राज की मासूमियत देखकर उन दोनों ने भी अपने आप को खो दिया और जाकर राज को गले लगा कर बोले राज आज से तुम मेरे भाई हो आकाश राज को गले लगा कर एक किस कर दिया उसके माथे पर
तो वही सौम्या राज को आगे से गले लगा कर उसके गाल पर किस कर दी।
मैं अपने बेटे बेटियों का प्यार देखकर फुले नहीं समा रही थी मेरे आंखों में आंसू थे।
तभी शीला बोली अरे सुनीता तुम्हें क्या हो गया अपने बेटे बेटियों को खाना खिलाओ आज खुशी का दिन है?
तभी मैंने तीनों को बोला है कि बेटे तुम लोग हाथ मुंह धो कर आकर टेबल पर बैठो मैं खाना लगती हूं।
शीला मेरी मदद करने लगी मैंने तीनों बच्चों को खाना खिलाया फिर बाद में मैं और शीला भी खाना खाए।
अभी होली में एक हफ्ते समय था। तभी मैं बैठकर सोच रही थी।
राज के साथ में अब आगे कैसे मिलूं उसके साथ मैंने चुम्मा चाटी और एक दूसरे के गुप्तांग सलाना और चूसना तक ही हुआ था अब मैं उसके लिंग को अपने योनि में लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी मेरी बूर से रस टपक रही थी पर मैं आकाश और सौम्या घर में होने के कारण कुछ नहीं कर पा रही थी वही राज भी अब अकेले थोड़ा मायूस्सा रहता था पर वह तो अपने भाई बहन के साथ खुश था।
अब राज अपने दोनों भाई-बहन के साथ सोता था मैं अकेली ही सोती थी।
ऐसे ही समय बीतता गया और होली के एक दिन पहले जिस दिन होलिका दहन थी उसकी तैयारी चल रही थी।
पूरे मोहल्ले के लोग तैयारी में जुट गए थे होलिका दहन करने के लिए। हर जगह फगुआ गाया जा रहा था सभी बच्चे खुश थे औरतें और पुरुष सभी लोग होलिका दहन जलाने के लिए गंगा किनारे की तरफ जाने वाले थे।
गांव से थोड़ा बाहर निकलने पर खुले गंगा का विस्तृत मैदान था वहीं पर होलिका दहन का प्रोग्राम किया गया था सभी बच्चों ने होलिका दहन जलाने के लिए पूरा ऊंचा जलावन जमा कर रखा था जिसे आज शाम 8:00 बजे जलाने वाले थे।
मैं भी तैयारी कर चुकी थी अपने तीनों बच्चों को खाना खिलाकर उनसे बोल दी कि चलो आज होलिका दहन देखने चलना है। आज पूरा गांव होलिका दहन जलाने में व्यस्त रहता है तो वहीं कुछ लोग को की आज बाहर हो जाती है। देवरा अपने भोजी से मजाक करता है तो वही जिसकी गर्लफ्रेंड होती है वह बॉयफ्रेंड अपने गर्लफ्रेंड से मजाक करता है।और तो और बूढ़ो का भी बहार हो जाता है अपनी पड़ोस के नई दुल्हनो को रंग लगाते है।
फगुआ गाते बजाते गांव के लोग बाहर होलिका दहन जलाने के लिए जाने लगे तभी शीला मुझे आवाज देने लगी
शीला - सुनीता चलो होलिका दहन जलाने के लिए जाया जा रहा है नहीं चलना है क्या?
तभी मैं बोली- हां हां आ रही हूं बस हो गया मेरे तीनों बच्चों होलिका दहन देखने के लिए निकल चुके थे मैं भी शीला के साथ है ही चल दी।
शीला के साथ उसके पति भी थे। और मुझे देखकर काफी मुस्कुरा रहे थे। मैं भी उन्हें देखकर थोड़ा मुस्कुराई। तभी वो मेरे पास आकर बोले
समर- क्या बात है सुनीता जी आज तो आप रात में भी एकदम चांदनी की बहार लग रही हो मन कर रहा है यहीं पर आपको....
मैं बोली- क्या मतलब है आपका?
तभी समर जी बोले सब आप जानती हो और मुझसे मतलब पूछती हो और धीरे से मेरी चुतड पर एक चपत लगा दी।
मेरे मुंह से हल्की आह् निकल गई।
थोड़ी ही देर में हम लोग होलिका दहन के पास पहुंचे सभी लोग गाना बाना बजाते हुए होलिका का दहन करना शुरू कर दिया सभी बच्चे अपना होलरी मे आग धारा कर उसमें चारों ओर भांजने लगे यह नजारा काफी खूबसूरत है।
मेरे बेटे और बेटी काफी खुश लग रहे थे और मैं उन्हें देखकर खुश हो गई।
वहां पर काफी भीड़ थी जिसके वजह से मैं शीला और शीला के पति पीछे खड़े हुए थे और वहां पेड़ के पास थोड़ा अंधेरा था तभी शीला के पति ने मेरे चुतड़ पर हाथ रख दिए और धीरे-धीरे उनका उंगली मेरा गान्ड के दरार में घुसने लगी।
वह मुझे देखकर मुस्कुरा रहे थे। मैं भी कुछ कह नहीं पा रही थी आज का दिन देवर भाभी का मजाक का हि दिन होता है।
तभी समर जी का हिम्मत और बड़ा और उन्होंने मुझे अपने हाथों से पूरा कमर में डाल दिए और अपनी बाहों में लेने लगे। उनका एक हाथ मेरी नाभि में चलने लगे मेरी तो जैसे अब आंखें ही बंद होने लगी थी।
तभी मेरी नजर शीला भर गई उसकी भी चेहरे पर एक अजीब सी वासना थी ऐसा लग रहा था कि उसे भी कोई कुछ कर रहा हो। तभी मैंने देखा कि शीला अपनी गांड को किसी के लंड पर रगड़ रही थी वह आदमी उसके पीछे ही खड़ा हुआ था और उसे पूरा मजा ले रही थी शीला।
अब इधर समर जी की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और उनकी उंगली अब मेरी नाभि से होते हुए बूर की तरफ जा रही थी।
तभी मेरा बेटा राज मेरे पास आया और बोला मां चलो ना मेरे साथ। मैंने झटके से समर जी को अपने से दूर किया और राज के साथ चल दी।
मैंने राज से कहा बेटा मुझे कहां ले जा रहे हो उधर देखो होलिका दहन खत्म होने वाली है और सभी लोग घर जाने वाले हैं?
तब राज ने कहा मां चलो तो।
तभी राज ने मुझे भीड़ से थोड़ी दूर पर एक बालू के ढेर के पास ले आया।
बालू के ढेर के उस पार जाने पर कोई लोग उधर नहीं था बस हम मां बेटे और रात की चांदनी थी।
मैं राज की मन को समझ गई थी कि वह क्या चाहता है दरअसल एक हफ्ते से हम दोनों मां बेटे ने मिलन नहीं हुआ था जिस वजह से मैं भी काफी ज्यादा उत्सुक थी और तुरंत राज से लिपट गई मुझसे रहा नहीं गया?
राज मेरे कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर धीरे-धीरे मेरे कमर को सहला रहा था तो वही मैं अपने बेटे राज की बालों को सहलाते हुए उसके होठों को कसकर चूम रही थी।
बालू के ढेर के इस पार हम दोनों मां बेटे का चुम्मा चाटी चल रही थी तो वही बालू के ढेर के उस पार लोग होलिका दहन का त्यौहार मना रहे थे।
उधर होलिका दहन जल रही थी और इधर हम दोनों मां बेटे के अंदर की वासना जल रही थी।
अब राज अपने दोनों हाथ से मेरे गान्ड को धीरे-धीरे सहलाते हुए मेरे गांड के छेद तक अपनी उंगली को पहुंचा दिया था।
राज मुझसे अलग हुआ और मेरे चेहरे को देखने लगा मेरा चेहरा चांदनी रात में काफी चमक रही थी तो वहीं राज का भी चेहरा एकदम से चमक रहा था उसका होंठ एकदम कोमल लाल लग रहा था।
फिर राज बैठ गया और मेरे नाभि को कसकर अपने दांतों से काटा मेरे तो मुंह से एक कश की आह निकल गई।
आआआह्ह्ह्हहा......
बेटे के इस हमले से काफी उत्तेजित हो गयी और उसके सर को सहलाने लगी राज अपने जीभ से मेरी नाभि में कसकर घुसाना चालू कर दिया मेरे पेट में काफी हलचल होने लगी थी वहीं बूर से रस टपकने लगा था।
फिर राज ने बोला मां तुम इस बालू के ढेर पर लेट जाओ। मैं ठीक वैसे ही किया। तभी राज ने मेरा साड़ी को कमर तक उठा दिया। और मेरे पैंटी को अपने दांत से काट दिया। मेरी तो कस के एक आह निकल गई।
अअअअअअअअह्ह्ह्हह......
फिर राज ने अपने हाथों से मेरी पैंटी को निकाल दिया और अपनी जीभ को मेरी बूर के क्लीटर्स पर हल्के-हल्के घूमना से चालू किया।
मेरी तो उत्तेजना में आंखें ही बंद हो गई थी। राज मेरी बूर को चट्टता ही जा रहा था। आज मैं उसके इस बुर चटाई से एकदम उत्तेजित हो गई थी। तभी राज ने फिर उठा और मेरी नाभि पर किस किया और गर्दन पर किस किया और मेरे ऊपर आ गया। और फिर से हम दोनों के होंठ से होंठ मिल गए।
मैं राज के होंठ को चूसते हुए उसके लंड को सहला रही थी।
फिर राज मेरी सारे कपड़े निकल दिया और मुझे नंगा कर दिया।
हम दोनो बालू के ढेर के पीछे नंगे एक दूसरे मे लिपटे हुए किस कर रहे थे।
और उधर लोग होलीका दहन मना रहे थे।
तभी मेरे बूर पर किसी गर्म सरिया महसूस हुआ, वो मेरे बेटे का लंड था, जो अब मेरी बूर मे घुसना चाहता था।
मेरी तो चीख निकल गयी जब उसने धक्का मरा ऊईफ्फफ्फ्फ़ अअअअअअअह्ह्ह्ह बेटा जरा धीरे से....
आअह्ह् मा थोड़ा बरदास करो।
फिर राज मेरे होंठ को चूसते हुए चोदने लगा।
लोग होलिका दहन के जश्न मे डूबे हुए थे, और मेरा बेटा खुले आसमान मे मुझे चोद कर अनंत सुख दे रहा था।
मेअ अपनी आँखे बंद करके मजा से उसके होंठ चूस रही थी और मेरा बेटा मेरी बूर को चोदते हुए, मेरी चूचियाँ दबा रहा था।
कभि मैं उसके ऊपर तो कभी वो मेरे साइड से लगातार चोद रहा था।
हम् दोनो चुदाई मे मस्त डूबे हुए, थे।
तभी गाने बजाने शोर शराबा कम होने लगा , मैं समझ गयी की लोग अब घर जा रहे है।
तभी राज ने जोर जोर से चोदना शुरु किया।
और् थोड़ी देर मे हम दोनो झाड़ कर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे।
जब सभी लोग चले गय, तब पहले राज को घर भेज दी ,
फिर् मैं घर आई।
उस रात जब मैं घर पहुंची तो देखी की आकाश सो चुका था सौम्या इंतजार कर रही थी मुझे घर पहुंचते ही सौम्या ने मुझसे पूछा
क्या हुआ माँ कहां रह गई थी अभी तक?
तभी मैंने कहा कहीं नहीं बेटी वह शीला के साथ थोड़ी देरी हो गयी।
फिर मैंने कहा अच्छा बेटी चलो जल्दी से सो जाते हैं कल सुबह जल्दी उठकर तैयारी भी करनी है सुबह होली है।
मेरे साथ ही चिपक कर सोई हुई थी। उसकी चूची और मेरी चूची दोनों आपस में टकरा रही थी।
उसकी एक टांग मेरी योनि से सटी हुई थी।
तभी सौम्या ने मेरी गाल पर एक हल्की सी किस कर दी।
मैं उससे बोली क्या करती है चलो जल्दी से सो जाओ?
तभी सौम्या बोली- यार मम्मी अगर मैं लड़का होती ना तुम्हारे होंठ चूस लेती और मैं तुम्हारे साथ वह सब करती जो एक लड़का लड़की के साथ करता है।
तब मैंने उससे कहा- अच्छा तो पटना में तुम यही सब करती हो। और बताओ क्या-क्या किया अब तक तुमने तो सारी इज्जत को मिटा दी होगी?
तब सौम्या ने कहा -अरे नहीं मां मैं अब तक ऐसा कुछ नहीं किया बस एक बॉयफ्रेंड है उसे कभी कभार बात हो जाती है एक दो बार मिलना भी हुआ है बस किस तक हम दोनों सीमित रह चुके हैं।
अच्छा तुम मेरी बेटी इतनी होशियार हो चुकी है। और मैंने उसके गाल पर एक प्यार से चपट लगा दी।
मैं बोली की चल अब सो जा ज्यादा बात मत कर तभी उसके ब्वॉयफ्रेंड ने वीडियो कॉल किया। तब मैंने कहा मोबाइल को साइड में रख और सो जा।
फिर सौम्या बोली। मम्मी प्लीज एक बार बात करने दो ना यहीं पर थोड़ा सा बात करके फोन ऑफ कर दूंगी प्लीज मम्मी।
मैं बोली चल ठीक कर ले। फिर सौम्या कॉल उठाकर बात करने लगी।
कॉल उठाते हैं
उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- हेलो जान कैसी हो।
फिर सौम्या ने बोली- मैं ठीक हूं तुम बताओ कैसे हो और क्या कर रहे हो?
बॉयफ्रेंड- बस ठीक हूं मेरी जान और तुम्हारी याद में हिला रहा हूं
यह शब्द सुनकर हम दोनों के कान खड़े हो गए। मैं झूठ मूठ कर आंख बंद कर ली सोने का नाटक करने लगे। सौम्या तुरंत मुझे पलट कर देखी मैं सोने का नाटक कर रही थी।
तब सौम्या ने कहा- यार तुम तो मुझे मरवा ही देते बगल में ही मम्मी लेटी हुई है और तुम ऐसी बातें कर रहे हो।
तब उसके बॉयफ्रेंड ने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो तुम्हारी मम्मी कैसी है।
क्यों मुझसे मन नहीं भर रहा क्या जो मम्मी को देखोगे?
बॉयफ्रेंड- अरे नहीं मेरी जान जब से तेरी बूर में लंड डाला है तब से बेचैन हूं। दोबारा तो तुमने कभी दी ही नहीं मुझे बस खाली चुम्मा दे कर दूर हो जाती है।
यह सब शब्द सुनकर मेरे तो फिर से गर्मी बढ़ने लगी थी माय गॉड कैसी बेटी है मेरी एकदम से छिनाल हो गई है मैं आंखें बंद कर सोने का नाटक कर रही थी।
तभी उसका बॉयफ्रेंड यार जान दिखाओ ना एक बार तुम्हारी मम्मी को।
तब सौम्या ने मोबाइल को मेरी तरफ किया।
बॉयफ्रेंड- यार यह तेरी मम्मी है। यह तो तुमसे भी बवाल है यार। इतनी मस्त है इसकी चेहरा इतनी खूबसूरत है तो और कितना खूबसूरत होगा।
तभी सौम्या बोली- अच्छा जी अब मेरे जनाब का दिल मेरी मम्मी पर आ गया।
बॉयफ्रेंड- अरे नहीं यार प्यार तो मैं तुमसे करता हूं पर क्या करूं तुम्हारी मम्मी को देखकर तो मेरा दिल ही बैठ गया मन कर रहा है अभी इनके पास आकर लेट जाऊं?
सौम्या- ओ जनाब अब बस भी करो कल होली है होली खेलने आ जाना तब मुझे और मेरी मम्मी दोनों का रंग लगा देना।
बॉयफ्रेंड- रंग तो मैं जरुर लगाऊंगा जान पर रंग के साथ में तुम्हारी मम्मी का मालपुआ भी खाऊंगा।
सौम्या- अच्छा जी अब आप मेरी मम्मी का मालपुआ भी चाहेंगे। चलो ठीक है कल आओ फिर देखते हैं। फिर कॉल कट कर दी।
मैं तो उनकी बातें सुनकर एकदम से गर्म हो गई थी और उससे भी ज्यादा हैरान थी कि मेरी बेटी कितनी गंदी हो गई है गंदी गंदी बातें कर रही थी वह भी अपनी मां के बारे में।।
जैसे ही सौम्या मेरी तरफ मुड़ी। वैसे ही मैंने अपनी आंखें खोली और पूरे गुस्से में थी। और उसे एक चपत लगाते हुए बोली। तुम इतनी बिगड़ गई हो मां के बारे में यह सब बातें करती हो और तो और तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ सब कुछ कर चुकी हो।
तब सौम्या बोली- अरे मां आजकल यह सब कौन नहीं करता और तो और आप इतनी खूबसूरत और जवान हो मेरे बॉयफ्रेंड का दिल तो आप पर ही आ गया और यह कहते हुए उसने कस के मेरी होठो को अपने दांत से काट दिया?
मैं बोली तुम बहुत बिगड़ चुकी हो चलो अब जल्दी से सो जा सुबह उठकर हमें पकवान भी बनाने हैं।
और हम दोनों एक दूसरे से लिपटकर सो गए।
धन्यबाद अंत तक बने रहने के लिए मिलते है अगले भाग मे जो होली स्पेशल है।