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Romance मेरी प्यारी जिन्नी (Completed)

Shetan

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Is topic pe muje bhi story likhni thi par ek story chalu hone ke karan likh nahi pai. Aasa he ki jo mere maind me fantacy he ye story bhi vesi hi hogi
 

Manisha48

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भाग ८




शहजादा बहुत ही समझदार था उसे पता था कि परीबानू को केसे अपनी बातों में लेना है। शहजादे ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और चूम कर कहा, ऐसी बात मेरे मन में आ नहीं सकती। मुझे सिर्फ यह ख्याल है कि मेरे बूढ़े बाप मेरे अचानक गायब हो जाने से बहुत परेशान होंगे। मैंने तो पहले भी कहा था और अब भी कहता हूँ कि जीवन भर तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाऊँगा। मुझे सिर्फ अपने पिता के दुख का ख्याल है इसलिए जाना चाहता था। अगर तुम नहीं चाहती तो जाने दो, वहाँ नहीं जाऊँगा। परीबानू ने देखा कि शहजादा सच्चे दिल से यह बातें कर रहा है और पत्नी का प्यार उसके दिल से कम नहीं हुआ है। उसने बड़े प्यार से कहा । मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। सचमुच ही तुम्हारे पिता तुम्हारी अनुपस्थिति से बहुत दुखी होंगे। तुम उन्हें देखने जरूर जाओ किंतु जल्दी लौटना।
अगर तुम यहां ना आए तो में वहा आ जाऊंगी और इसका परिणाम सभी भुगतेंगे। अहमद ने इस बात पे अपनी हामी भरदी।



उधर अहमद के पिता यानी हिंदोस्तान के बादशाह का हृदय वास्तव में बहुत दुखी रहता था। उसका एक बेटा नूरुन्निहार से विवाह करके अति सुख से रहता था और इसका बादशाह को संतोष था किंतु हुसैन और अहमद के चले जाने से उसे हृदयविदारक कष्ट भी था। अली के विवाह के दो-चार दिन बाद उसने महल के कर्मचारियों से पूछा कि हुसैन और अहमद क्यों नहीं दिखाई देते। उन्होंने कहा, शहजादा हुसैन तो संसार त्याग करके ईश्वर की खोज में फकीर बन कर निकल गए हैं लेकिन शहजादा अहमद अचानक न मालूम कहाँ गायब हो गए हैं। बादशाह ने शहजादा अहमद की खोज में बहुत घौदे दौड़ाए किंतु शहजादे का पता किसी को न चल सका। बादशाह बड़ा चिंतित हुआ।


एक दिन उसे मालूम हुआ कि इसी शहर में एक होशियार जादूगरनी रहती है जो तंत्र-विद्या से अज्ञात बातें जान लेती है। बादशाह ने उसे बुला कर कहा, जब से मैंने नूरुन्निहार से शहजादा अली का विवाह किया है शहजादा अहमद का कुछ पता नहीं चलता। मैं इससे बहुत परेशान हूँ। तुम अपने जादू से मुझे बताओ कि अहमद जीवित है या नहीं, जीवित है तो किस दिशा में है और मुझसे उसकी भेंट होगी या नहीं। जादूगरनी ने कहा, इसी क्षण तो मैं कुछ भी न बता सकूँगी। कई क्रियाएँ करनी होती हैं। कल जरूर मैं आपके प्रश्नों का उत्तर दूँगी। बादशाह ने कहा, तुमने ठीक सूचना दी तो तुम्हें मालामाल कर दूँगा। इस समय तुम घर जाओ और जो क्रियाएँ जरूरी हैं वह करो। जादूगरनी दूसरे दिन आ कर बोली, मैंने जादू से यह तो जान लिया है कि शहजादा अहमद सही-सलामत हैं। किंतु वे कहाँ हैं इसका पता नहीं लग सका। मालूम होता है कि कहीं बड़े रहस्यमय स्थान में हैं जिससे मुझे कुछ पता नहीं चलता। बादशाह को इतने से ही बहुत संतोष हुआ कि अहमद जिंदा है।



इधर शहजादा अहमद अपने पिता के घर आने को तैयार हुआ तो परीबानू ने कहा, तुम एक बात का ध्यान जरूर रखना। अपने पिता तथा अन्य संबंधियों, मित्र आदि को यह हरगिज न बताना कि तुम कहाँ रहते हो और कैसे यहाँ पर पहुँचे। तुम सिर्फ यह कहना कि मेरा विवाह हो गया है और मैं जहाँ भी रहता हूँ बड़े सुख और संतोष के साथ रहता हूँ। किसी विचित्र बात का उल्लेख न करना और इसके अलावा कुछ न कहना कि दो-चार दिन के लिए पिता के मन को धैर्य देने को आया हूँ। शहजादे ने इसे स्वीकार किया।


परीबानू ने एक बढ़िया घोड़ा, जिसका साज-सामान रत्न-जटित था, शहजादे की सवारी के लिए मँगाया। यात्रा के लिए अन्य उपयुक्त और आवश्यक सामग्री का प्रबंध किया और बीस सवार, जो सब के सब जिन्न थे, शहजादे के साथ चलने के लिए बुलाए। विदाई के समय शहजादे ने फिर परीबानू से हर रहस्य को गुप्त रखने का वादा किया और अपने साथी सवारों को ले कर अपने पिता के महल की ओर चल पड़ा। महल अधिक दूर था। परन्तु जिन्नों की ताकत से यह लोग घंटे-आधे घंटे में राजधानी पहुँच गए।
 
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