• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica मेरी बीवी अनुश्री

आपकी पसंदीदा कौन है?

  • अनुश्री

    Votes: 193 72.0%
  • रेखा

    Votes: 44 16.4%
  • अंब्दुल

    Votes: 57 21.3%
  • मिश्रा

    Votes: 18 6.7%
  • चाटर्जी -मुख़र्जी

    Votes: 28 10.4%
  • फारुख

    Votes: 12 4.5%

  • Total voters
    268

andypndy

Active Member
710
2,938
139
मै जनता हूँ दोस्त आप लोगो को इस कहानी से काफ़ी उम्मीद है

लेकिन लिखने मे वक़्त भी लगता है

अगला अपडेट भी जल्द ही मिलेगा.
धन्यवाद 🙏😁😍
 
  • Like
Reactions: Colonel_RDX

asha10783

Shy mermaid
207
354
78
अपडेट -19

पिछली रात
"तो भाई लोगो कहाँ घूमने का विचार है अब " अन्ना ने नशे मे लहराते हुए कहाँ.
मंगेश :- देखो भाई अन्ना हम तो आये है हनीमून मनाने कल बाइक लेनी है और मस्त घूमेंगे,तुम भी चलना राजेश हिचहम्म्म्म...
राजेश :- हाँ भैया क्यों नहीं मम्मी को भी अच्छा लगेगा बहुत दिन बाद आई है कही बहार.
देखा कितनी खुश थी पापा के जाने के बाद तो उनकी हसीं ही कही छुप गई थी लेकिन जब से यहाँ आई है चहक राही है.
"अरे चाहकेगी क्यों नहीं जगह ही ऐसी है अभी तो तुम्हारी माँ के खेलने कूदने के दिन है " अन्ना नशे मे शायद ज्यादा ही बोल गया था.
कमरे मे एक पल मे सन्नाटा छा गया, अन्ना कि घिघी बंध गई उसे अहसास हुआ कि वो ज्यादा ही बोल गया.
कि तभी "अन्ना भाई सही बोलते हो औरत कभी बूढ़ी होती है भला हाहाहाहाहा......मंगेश ने नशे मे चुटकी लेते हुए कहा.
तीनो हॅस पड़े... अन्ना कि सांस वापस लौट आई थी.
अन्ना :- वैसे मेरी शादी हो गई होती तो राजेश जैसा खूबसूरत बेटा होता मेरा भी" अन्ना दारू के जोश मे मन कि बात कह गया
उसे आज इन दोनों के साथ अपनापन सा महसूस हो रहा था

मंगेश :- दुखी क्यों होते हो अन्ना अभी तो जवान हो आप भी कोई अच्छी सुन्दर औरत क्यों नहीं देख लेते
मंगेश ने एक एक पैग और बना दिया.
अन्ना :- हाँ यार तुम सही कहते हो मैंने तो औरत के नाम पे कभी लंड भी नहीं हिलाया " अन्ना काँखियो से देखता हुआ बात कह गया उसकी नजरो मे राजेश ही था.
जैसे राजेश से ही सवाल पूछ रहा हो

दारू कि गर्मी अब सभी के दिमाग़ मे चढ़ने लगी थी

वैसे भी दारुबाज़ आपस मे कब दोस्त बन जाते है उन्हें खुद को पता नहीं चलता.
दारू का ही जोर था कि तीन अनजान लोग कामुक बाते कर रहे थे,उनका मुद्दा औरत था.
अन्ना :- तुम तो शादी सुदा हो मंगेश, लेकिन भाई राजेश तुम्हारा क्या तुम अपनी गर्मी कहाँ बुझाते हो? अन्ना ने जबरजस्त सवाल दाग दिया था.
राजेश :- वो...वो....मै..मै... राजेश बुरी तरह झेम्प गया था उसने तो कभी अपने ऊपर ध्यान ही नहीं दिया था.
मंगेश :- क्या यार राजेश मर्द हो के हकलाते हो? खड़ा तो होता है ना हाहाहाहा.... अन्ना और मंगेश बुरी तरह हॅस पड़े.
राजेश जो कि गंभीर सोच मे था उसे ध्यान आया कि आज तक उसने इस बारे मे सोचा ही नहीं, सोचा क्या उसने तो आज तक खुद का लंड खड़ा ही नहीं पाया कभी.
उसके लंड ने सिर्फ मूतने का ही काम किया था आज तक.
"अरे क्या बात करते हो खड़ा क्या... किसी कि लेने पे आ जाऊ तो नानी याद दिला दू " राजेश ने जैसे तैसे खुद को संभाला और फेंक दिया जोर का.
अन्ना :- वैसे तुम्हारी माँ को कोई देख ले तो सोचे कि तुम्हारी बड़ी बहन है.
ना जाने क्यों अन्ना का बार बार उसकी माँ के बारे मे बात करना उसे रोमांचित कर रहा था,उसे कही ना कही अन्ना कि बात पसंद आ रही थी.

राजेश :- अब क्या करे भाई माँ जवानी मे ही विधवा हो गई.
मंगेश :- होता है भाई......जाने दे. मंगेश ने एक एक पैग और बना दिया.
तीनो ने ये पग भी ख़त्म किया....
"ठाक...ठाक...ठाक....साहेब अन्ना साहेब अपने बुलाया था " बहार से बहादुर कमरे पे दस्तक देता हुआ अंदर दाखिल हुआ.
अन्ना ने नजर उठा के ऊपर देखा " बहादुर.... नहीं बुलाया जा दरवाजे पे जा "
बहादुर जाने ही लगा था कि "रुक तो बहादुर....ये ये तेरी शर्ट गीली कैसे है? तू हांफ क्यों रह है?
बहादुर ने जैसे ही ये प्रश्न सजन उसकी सांसे अटक गई उसने सर झुका के नीचे देखा उसकी शर्ट गीली थी उसपे रेखा कि चुत से निकला पानी चिपका हुआ था.
"वो...वोओओओ.....मालिक " बहादुर के पास कोई जवाब नहीं था.
कमरे मे एक अजीब सी गंध फ़ैल गई थी,अजीब सी कामुक गंध वैसे ही तीनो का मुद्दा औरत ही थी ऊपर से बहादुर के कमरे मे आ जाने से रेखा को चुत रस से भीगी शर्ट बंद कमरे मे महकने लगी थी.
राजेश :- आआहहहह....शनिफ्फफ्फ्फ़.....ये अजीब सी गंध कैसी है?
मंगेश :- हाँ यार कुछ अजीब सा तो महक रहा है
अन्ना ने भू इस गंध को महसूस किया " क्यों बे बहादुर कहा गिर गया था जो महक रहा है?" हिचहह....
"वो...वो.....बहार मौसम ख़राब है " बहादुर धड़कते दिल के साथ पलट गया और कमरे से बहार ऐसे भगा जैसे भूत पीछे पड़ा हो.
तीनो मर्द उल्लू के चरखे ही थे जो एक औरत के कामरस कि खुसबू को भी ना पहचान सके. बात औरत कि हो रही थू और औरत कि खुसबू ही नहीं पता.
अन्ना,राजेश का तो समझ आता था कि कभी औरत का रस नहीं चखा लेकिन सबसे बढ़ा गधा मंगेश ही था जो जवाब कामुक बीवी का पति हो के भी काठ का उल्लू बना बैठा था.
शराब के नशे मे किसी का ध्यान इस तरफ गया भी नहीं
अन्ना :-हाहाहाबा.... बच्चा है अभी डर जाता है मुझसे अभी अभी नेपाल से आया है नौकरी करने.
मंगेश :- अब हमें चलना चाहिए अन्ना मौसम ख़राब हो रहा है, अनु भी इंतज़ार कर रही होंगी मेरा.
राजेश मंगेश, अन्ना से विदा ले चल पड़े अपने कमरे कि ओर
राजेश :- भैया वाकई मौसम ख़राब है
कि तभी धाड़.....करता हुआ अब्दुल टकरा गया दोनों से.
अब्दुल से निपट के मंगेश अपने रूम मे पहुंचते ही ढेर हो गया उसे रत्ती भर भी परवाह नहीं थी कि अनुश्री कमरे मे है भी या नहीं....थोड़ी ही देर मे नाक बजाने लगा.
रूम नंबर 103
राजेश भी जैसे तैसे लड़खड़ता अपने कमरे का दरवाजा खोल अंदर घुसा,अंदर अंधेरा था.
राजेश जैसे ही अंदर दाखिल हुआ उसे वापस से वही कामुक गंध का अहसास हुआ जो बहादुर के आने से हुआ था.
एक अजीब सी लेकिन कामुक गंध, "माँ...माँ....सो गई?" राजेश ने अँधेरे मे ही आवाज़ लगाई लेकिन रेखा कि तरफ से खोज उत्तर नहीं मिला
"शायद सो गई है माँ,लेकिन ये गंध कैसी है?" राजेश ने खुद से ही सवाल पूछा लेकिन नासमझ राजेश ने जवाब भी खुद ही दिया "मेरा भरम है लगता है सल दारू ज्यादा ही हो गई आज
राजेश सीधा बिस्तर के हवाले हो गया रेखा के बगल मे,रेखा जो बिल्कुल प्रस्सनचीत चुत रस से भीगी सो रही थी.
होटल मे सन्नाटा छा गया था, सभी के जीवन मे उथल पुथल मच गई थी.
बाहर तेज़ हवाओं ने तूफान माँ रूप ले लिया था.
समुन्दर के पानी किनारो को नेस्तनाबूत करने कि फिराक मे था.
क्या रंग लाएगा ये तूफान


सुबह हो चली थी,लेकिन आज सूरज नहीं निकला था
मंगेश अभी भी बिस्तर पे ही पड़ा हुआ खर्राटे भर रहा था, अनुश्री जो आंख मलती हुई उठ बैठी थी..
"गुडमॉर्नि....गगग.....मन....म....अनुश्री ने अंगड़ाई लेते हुए मगेश कि तरफ देखा तो उसकी आंखे खुली रह गई, एक पल मे ही उसे कल रात का वाक्य याद आ गया उसके बाजु मे ही मंगेश कमर से नीचे नंगा लेटा हुआ था,उसका लंड मुरझाया पड़ा था.
images-1.jpg

अनुश्री का दिमाग़ चकरा के राह गया उसने ऐसी हरकत कैसे कर दी थी उसने होने पति के लंड कि तुलना अब्दुल और मिश्रा के लंड से कैसे कर दी थी.
उसका दिल चित्कार उठा कि ये बाज़ारू हरकत कैसे कर दी उसने क्या हुआ था उसे कल रात.
"हे भगवान क्या हो रहा है मेरे साथ....अनुश्री ने जल्दी से अपने हाथ को आगे बढ़ा के मंगेश कि पैंट को ऊपर चढ़ा दिया और बाथरूम कि ओर दौड़ पड़ी.
धाड़....से दरवाजा बंद हो गया सामने आदम कद शीशे मे उसका अक्स दिख रहा था,एक पतले से कुर्ते और जाँघ से चिपकी लेगी मे क़यामत लग रही थी अनुश्री
एक पल को खुद को ही देख शर्मा गई,उसे कल रात बिता एक एक वाक्य याद आने लगा कैसे वो अब्दुल के लंड को देख अपनी गांड घिस रही थी.
आज अनुश्री अपने बदन के एक एक कटाव को देख रही थी.
20220108-233056.jpg

ब्रा के ना होने से स्तन के निप्पल साफ साफ अपनी मौजूदकी का अहसास करवा रहे थे.
उभरे हुए स्तन,उसके नीचे सपाट पेट,बहार को निकली मदमस्त गांड "क्या गांड है मैडम आपकी " जैसे ही अनुश्री कि नजर खुद कि गांड पे पड़ी उसके जहन मे अब्दुल के कहे शब्द याद आ गए.
वो बिस्तर से उठी तो थी यही सोच के कि जो हुआ वो अब से नहीं होगा,लेकिन ना जाने क्यों खुद को देख के ही उसका बदन मचलने लगा.
कपड़ो के अंदर ना ब्रा थी ना पैंटी.
लेगी पूरी तरह चुत मे धसी हुई अपना आकार बतला रही थी.
images-2.jpg

"क्या मै वाकई इतनी सुन्दर हूँ कि अब्दुल और मिश्रा मुझे देख खुद को रोक नहीं पाते " अनुश्री कि नजर अपने ही बदन पे ऊपर से नीचे दौड़ गई.
अनुश्री को ये सब देखा नहीं गया,अपने ही जिस्म कि बनावट से शर्मा गई.
खुद से ही पीठ फेर ली थी उसने " मंगेश सब तुम्हारी वजह से हो रहा है तुम क्यों ध्यान नहीं देते मुझपे " अनुश्री मन ही मन खुद से ही शिकायत कर रही थी
वो रोज़ सुबह उठ के खुद को समझाती लेकिन परिस्थिति ऐसी बन जाती कि सारे वचन सारी प्रतिज्ञा धरी कि धरी रह जाती.
आज भी कुछ ऐसा ही था उसने वादा किया कि वो सिर्फ मंगेश कि है वो मंगेश के अंदर का मर्द जगा के रहेगी.
" हाँ हाँ.....मेरा पति है मंगेश मुझपे सिर्फ उसका ही हक़ है किसी ऐरे गैरे का नहीं " अनुश्री निर्णय ले चुकी थी कि उसे अपना हनीमून कैसे मानना है.
अनुश्री जल्द से फ्रेश हुई,नहा के बहार निकली...
सामने मंगेश अपना माथा पकड़े बिस्तर पे बैठा था.
जैसे ही उसकी नजर सामने अनुश्री पे पड़ी उसका सारा हैंगओवर उतरता चला गया "क्या बात है जान आज किसपे बिजली गिरानी है "

अनुश्री ने आज मस्त टाइट जीन्स और टॉप पहना था सिर्फ अपने पति के लिए जिसका फल उसे मिला भी मंगेश ने बासी मुँह ही उसकी तारीफ के पुल बाँध दिये थे.
अनुश्री के स्तन और चुत का आकर साफ साफ दिख रहा था.
जीन्स कुछ ज्यादा ही टाइट हो चली थी परन्तु अनुश्री विश्वास से भरी थी उसे कोई समस्या नहीं थी इन कपड़ो मे
अनुश्री अभी शर्मा ही रही थी कि मंगेश उसके करीब पहुंच गया "क्या लग रही हो जान " बोलते हुए मंगेश ने अपने होंठ आगे बढ़ा दिये.
"छी....मंगेश रात मे खूब दारू भी अभी तक महक रहे हो जाओ पहले नहा लो " अनुश्री ने अपना मुँह दूसरी ओर फैर लिया उस से वाकई वो बदबू बर्दाश्त नहीं हो रही थी

मंगेश मुँह लटकाये बाथरूम कि और बढ़ चला.
"रात भर तो बीवी का ख्याल ही नहीं था कहा है क्या कर रही है,अब देखो कैसे प्यार आ रहा है " बोलती अनुश्री शीशे के सामने पहुंच के हल्का मेकअप करने लगी.
कि तभी "ठाक ठाक.....किसी ने दरवाजे पे दस्तक दी "
"अब कौन आ गया ये? शायद राजेश कि माँ होंगी " अनुश्री बेबाकी से कुलाचे भरते हुए दरवाजा खोल दिया
जैसे ही दरवाजा खुला अनुश्री सन्न रह गई उसकी सांसे थमने bलगी.
सामने मिश्रा हाथ मे चाय कि ट्रे पकडे खड़ा था,मुँह खोले आंख फाडे एक टक अनुश्री को घूरे जा रहा था,अनुश्री का बदन पूरा मिश्रा के सामने नुमाइश हो रहा था,स्तन स्लीवलेस टॉप मे बहार को निकलने पे आतुर थे,टॉप इस कदर टाइट था कि अनुश्री के स्तन को भींचे हुए था, टॉप के नीचे नाभि का कुछ कुछ हिस्सा झलक रहा था.
मिश्रा कि नजारा स्तन से होती हुई नीचे फिसलने लगी,इस फिसलन को अनुश्री साफ साफ महसूस कर रही थी
मिश्रा कि नजर जैसे उसके बदन ले चुभ रही हो, अनुश्री खुद बूत बनी खड़ी थी ना जाने कहाँ चले गए थे उसके वादे,उसकी कसमें वो बस खड़ी थी चुप चाप जैसे खुद को देखने कि इज़ाज़त दी हो उसने.
images-3.jpg

मिश्रा कि नजर कमर से नीचे फिसली ही थी कि उसके हाथ मे थमी चाय कि ट्रे काँपने लगी
अनुश्री कि जीन्स इस कदर टाइट थी कि उसने से चुत का आकर साफ साफ झलक रहा था.
images-4.jpg

मिश्रा के हाथ काँपते देख ना जाने क्यों अनुश्री को हसीं आ गई "हाहाहाहाहा.....भूत देख लिया क्या "
अनुश्री अच्छे से जानती थी ये उसके कामुक कसे हुए बदन का कमाल है.
"वो...वो....मैडम आप बहुत सुन्दर है " मिश्रा ने खुद को सभालते हुए तारीफ कर दी थी, अब भला कोई नामर्द ही होगा जो इतनी सुन्दर अप्सरा को सामने पा के भी तारीफ के दो शब्द ना बोल सके.
मिश्रा कमरे मे अंदर दाखिल हो गया था चाय कि ट्रे को सामने टेबल पे रख वापस अनुश्री कि तरफ मुड़ गया.
अनुश्री अभी भी कनखियो से मिश्रा को देख रही थी, वो इसी चीज के लिए तो तरसती थी कि,खुद कि तारीफ के लिए,वो जानती थी कि वो सुंदर है लेकिन उसकी सुंदरता का अहसास कराने वाला कोई मर्द होना चाहिए जो वो अपने पति मे तलाश करती थी लेकिन बदकिस्मती उसे कही ऐसा सौभाग्य नसीब ना हुआ.
हुआ भी तो मिश्रा और अब्दुल जैसे लोगो से.
"मैडम.....मै बोल रहा था मौसम ख़राब है आज, घूमने नहीं जा पाएंगे आप लोग " मिश्रा कि नजर बराबर अनुश्री के स्तन पे ही टिकी थी.
अनुश्री मिश्रा कि नजर से थोड़ी असहज हो गई,उसका चेहरा उदासी से लटक गया उसने आज अपने पति के साथ घूमने का प्लान बनाया था.
मिश्रा कि मनहूस खबर ने सब प्लान पे पानी फैर दिया.
"अरे....अरे मदाम उदास क्यों होती है आप? आप पे उदासी अच्छी नहीं लगती,मेरा मतलब है आप लोग बाइक से नहीं जा पाएंगे घूमने होटल कि बस तो जाती है ना उस मे चले जाओ आप लोग "
मिश्रा ने तुरंत अनुश्री कि समस्या का समधान कर दिया था.
अनुश्री का चेहरा वापस से खिल उठा.
मिश्रा वापस जाने को पलट गया दरवाजे तक पंहुचा ही था कि "मैडम एक बात बोलू?"
"अअअअअ...हनन हाँ बोलो " अनुश्री ने चौकते हुए कहा
" बहुत छोटी चुत है आपकी.....संभल के जरा..धमममम..." से दरवाजा बंद हो गया
अनुश्री एक दम सन्न रह गई,बंद दरवाजे के सामने मूर्ति बने खड़ी रही उसे यकीन नहीं जो रहा था जो उसने सुना अभी,उसकी सांसे तेज़ हो गई "चुत" शब्द सुन के.
"मममम....मेरी चू....चू..." अनुश्री ने अपनी गर्दन नीचे कर के देखा तो उसकी चुत का आकर साफ झलक रहा था उसकी पतली सी जीन्स नुमा लेगी से.
"कौन था जान...." पीछे से आई आवाज़ से अनुश्री एकदम चौंक गई
मंगेश फ्रेश हो के बहार आ चूका था.
"कककम्म.....कोई नहीं वो...वो...चाय देने आया था.
अनुश्री ने जैसे तैसे खुद पे काबू पाया उसका बदन पसीने से नहा गया था.
"संभल के मैडम आपकी छोटी सी चुत है" उसके जहन मे बार बार मिश्रा के कहे यही शब्द चोट कर रहे थे.
कुछ ही देर मे अनुश्री और मंगेश होटल के बहार बस का इंतज़ार कर रहे थे.अनुश्री ने अभी भी वही टाइट जीन्स और टॉप पहना हुआ था ना जाने क्यों मिश्रा कि चेतावनी के बाद भी उसने अपने कपडे नहीं बदले थे.
शायद वो मंगेश को रिझाना चाहती थी.
वो सिर्फ और सिर्फ अपने पति के लिए ही तैयार हुई थी,
"दादा थोड़ा साइड हटना,चढ़ने दो होमारा बोस छूट जायेगा "दो अधेड़ उम्र के बंगाली आदमी धोती कुर्ता पहने अनुश्री और मंगेश को लगभग चिरते हुए उनके बीच से निकल गए, एक बंगाली आदमी का हाथ सीधा अनुश्री कि गांड से जा टकराया चटटटटट.....कि आवाज़ के साथ
"आउच.....ये क्या....बद....." अनुश्री कुछ बोल पाति कि वो दोनों आदमी बस मे अंदर घुस गए. अनुश्री जैसे इस टक्कर से होश मे आई.
मंगेश तो अभी भी हैंगओवर के नशे मे ही था " ये राजेश और उसकी माँ कहा रह गई?"
दोनों इंतज़ार मे थे बस के निकलने का वक़्त हो चला था.
ये ख़राब मौसम मे बस का सफर कहा ले के जायेगा अनुश्री को ये तो वक़्त ही बताएगा.
बारिश अभी भी बदस्तूर जारी ही थी.
बने रहिये कथा जारी है....
बहोत अच्छा जी लेकिन अपडेट बड़ा दिया कीजिएगा
 

rkv66

Member
269
295
63
अपडेट -19

पिछली रात
"तो भाई लोगो कहाँ घूमने का विचार है अब " अन्ना ने नशे मे लहराते हुए कहाँ.
मंगेश :- देखो भाई अन्ना हम तो आये है हनीमून मनाने कल बाइक लेनी है और मस्त घूमेंगे,तुम भी चलना राजेश हिचहम्म्म्म...
राजेश :- हाँ भैया क्यों नहीं मम्मी को भी अच्छा लगेगा बहुत दिन बाद आई है कही बहार.
देखा कितनी खुश थी पापा के जाने के बाद तो उनकी हसीं ही कही छुप गई थी लेकिन जब से यहाँ आई है चहक राही है.
"अरे चाहकेगी क्यों नहीं जगह ही ऐसी है अभी तो तुम्हारी माँ के खेलने कूदने के दिन है " अन्ना नशे मे शायद ज्यादा ही बोल गया था.
कमरे मे एक पल मे सन्नाटा छा गया, अन्ना कि घिघी बंध गई उसे अहसास हुआ कि वो ज्यादा ही बोल गया.
कि तभी "अन्ना भाई सही बोलते हो औरत कभी बूढ़ी होती है भला हाहाहाहाहा......मंगेश ने नशे मे चुटकी लेते हुए कहा.
तीनो हॅस पड़े... अन्ना कि सांस वापस लौट आई थी.
अन्ना :- वैसे मेरी शादी हो गई होती तो राजेश जैसा खूबसूरत बेटा होता मेरा भी" अन्ना दारू के जोश मे मन कि बात कह गया
उसे आज इन दोनों के साथ अपनापन सा महसूस हो रहा था

मंगेश :- दुखी क्यों होते हो अन्ना अभी तो जवान हो आप भी कोई अच्छी सुन्दर औरत क्यों नहीं देख लेते
मंगेश ने एक एक पैग और बना दिया.
अन्ना :- हाँ यार तुम सही कहते हो मैंने तो औरत के नाम पे कभी लंड भी नहीं हिलाया " अन्ना काँखियो से देखता हुआ बात कह गया उसकी नजरो मे राजेश ही था.
जैसे राजेश से ही सवाल पूछ रहा हो

दारू कि गर्मी अब सभी के दिमाग़ मे चढ़ने लगी थी

वैसे भी दारुबाज़ आपस मे कब दोस्त बन जाते है उन्हें खुद को पता नहीं चलता.
दारू का ही जोर था कि तीन अनजान लोग कामुक बाते कर रहे थे,उनका मुद्दा औरत था.
अन्ना :- तुम तो शादी सुदा हो मंगेश, लेकिन भाई राजेश तुम्हारा क्या तुम अपनी गर्मी कहाँ बुझाते हो? अन्ना ने जबरजस्त सवाल दाग दिया था.
राजेश :- वो...वो....मै..मै... राजेश बुरी तरह झेम्प गया था उसने तो कभी अपने ऊपर ध्यान ही नहीं दिया था.
मंगेश :- क्या यार राजेश मर्द हो के हकलाते हो? खड़ा तो होता है ना हाहाहाहा.... अन्ना और मंगेश बुरी तरह हॅस पड़े.
राजेश जो कि गंभीर सोच मे था उसे ध्यान आया कि आज तक उसने इस बारे मे सोचा ही नहीं, सोचा क्या उसने तो आज तक खुद का लंड खड़ा ही नहीं पाया कभी.
उसके लंड ने सिर्फ मूतने का ही काम किया था आज तक.
"अरे क्या बात करते हो खड़ा क्या... किसी कि लेने पे आ जाऊ तो नानी याद दिला दू " राजेश ने जैसे तैसे खुद को संभाला और फेंक दिया जोर का.
अन्ना :- वैसे तुम्हारी माँ को कोई देख ले तो सोचे कि तुम्हारी बड़ी बहन है.
ना जाने क्यों अन्ना का बार बार उसकी माँ के बारे मे बात करना उसे रोमांचित कर रहा था,उसे कही ना कही अन्ना कि बात पसंद आ रही थी.

राजेश :- अब क्या करे भाई माँ जवानी मे ही विधवा हो गई.
मंगेश :- होता है भाई......जाने दे. मंगेश ने एक एक पैग और बना दिया.
तीनो ने ये पग भी ख़त्म किया....
"ठाक...ठाक...ठाक....साहेब अन्ना साहेब अपने बुलाया था " बहार से बहादुर कमरे पे दस्तक देता हुआ अंदर दाखिल हुआ.
अन्ना ने नजर उठा के ऊपर देखा " बहादुर.... नहीं बुलाया जा दरवाजे पे जा "
बहादुर जाने ही लगा था कि "रुक तो बहादुर....ये ये तेरी शर्ट गीली कैसे है? तू हांफ क्यों रह है?
बहादुर ने जैसे ही ये प्रश्न सजन उसकी सांसे अटक गई उसने सर झुका के नीचे देखा उसकी शर्ट गीली थी उसपे रेखा कि चुत से निकला पानी चिपका हुआ था.
"वो...वोओओओ.....मालिक " बहादुर के पास कोई जवाब नहीं था.
कमरे मे एक अजीब सी गंध फ़ैल गई थी,अजीब सी कामुक गंध वैसे ही तीनो का मुद्दा औरत ही थी ऊपर से बहादुर के कमरे मे आ जाने से रेखा को चुत रस से भीगी शर्ट बंद कमरे मे महकने लगी थी.
राजेश :- आआहहहह....शनिफ्फफ्फ्फ़.....ये अजीब सी गंध कैसी है?
मंगेश :- हाँ यार कुछ अजीब सा तो महक रहा है
अन्ना ने भू इस गंध को महसूस किया " क्यों बे बहादुर कहा गिर गया था जो महक रहा है?" हिचहह....
"वो...वो.....बहार मौसम ख़राब है " बहादुर धड़कते दिल के साथ पलट गया और कमरे से बहार ऐसे भगा जैसे भूत पीछे पड़ा हो.
तीनो मर्द उल्लू के चरखे ही थे जो एक औरत के कामरस कि खुसबू को भी ना पहचान सके. बात औरत कि हो रही थू और औरत कि खुसबू ही नहीं पता.
अन्ना,राजेश का तो समझ आता था कि कभी औरत का रस नहीं चखा लेकिन सबसे बढ़ा गधा मंगेश ही था जो जवाब कामुक बीवी का पति हो के भी काठ का उल्लू बना बैठा था.
शराब के नशे मे किसी का ध्यान इस तरफ गया भी नहीं
अन्ना :-हाहाहाबा.... बच्चा है अभी डर जाता है मुझसे अभी अभी नेपाल से आया है नौकरी करने.
मंगेश :- अब हमें चलना चाहिए अन्ना मौसम ख़राब हो रहा है, अनु भी इंतज़ार कर रही होंगी मेरा.
राजेश मंगेश, अन्ना से विदा ले चल पड़े अपने कमरे कि ओर
राजेश :- भैया वाकई मौसम ख़राब है
कि तभी धाड़.....करता हुआ अब्दुल टकरा गया दोनों से.
अब्दुल से निपट के मंगेश अपने रूम मे पहुंचते ही ढेर हो गया उसे रत्ती भर भी परवाह नहीं थी कि अनुश्री कमरे मे है भी या नहीं....थोड़ी ही देर मे नाक बजाने लगा.
रूम नंबर 103
राजेश भी जैसे तैसे लड़खड़ता अपने कमरे का दरवाजा खोल अंदर घुसा,अंदर अंधेरा था.
राजेश जैसे ही अंदर दाखिल हुआ उसे वापस से वही कामुक गंध का अहसास हुआ जो बहादुर के आने से हुआ था.
एक अजीब सी लेकिन कामुक गंध, "माँ...माँ....सो गई?" राजेश ने अँधेरे मे ही आवाज़ लगाई लेकिन रेखा कि तरफ से खोज उत्तर नहीं मिला
"शायद सो गई है माँ,लेकिन ये गंध कैसी है?" राजेश ने खुद से ही सवाल पूछा लेकिन नासमझ राजेश ने जवाब भी खुद ही दिया "मेरा भरम है लगता है सल दारू ज्यादा ही हो गई आज
राजेश सीधा बिस्तर के हवाले हो गया रेखा के बगल मे,रेखा जो बिल्कुल प्रस्सनचीत चुत रस से भीगी सो रही थी.
होटल मे सन्नाटा छा गया था, सभी के जीवन मे उथल पुथल मच गई थी.
बाहर तेज़ हवाओं ने तूफान माँ रूप ले लिया था.
समुन्दर के पानी किनारो को नेस्तनाबूत करने कि फिराक मे था.
क्या रंग लाएगा ये तूफान


सुबह हो चली थी,लेकिन आज सूरज नहीं निकला था
मंगेश अभी भी बिस्तर पे ही पड़ा हुआ खर्राटे भर रहा था, अनुश्री जो आंख मलती हुई उठ बैठी थी..
"गुडमॉर्नि....गगग.....मन....म....अनुश्री ने अंगड़ाई लेते हुए मगेश कि तरफ देखा तो उसकी आंखे खुली रह गई, एक पल मे ही उसे कल रात का वाक्य याद आ गया उसके बाजु मे ही मंगेश कमर से नीचे नंगा लेटा हुआ था,उसका लंड मुरझाया पड़ा था.
images-1.jpg

अनुश्री का दिमाग़ चकरा के राह गया उसने ऐसी हरकत कैसे कर दी थी उसने होने पति के लंड कि तुलना अब्दुल और मिश्रा के लंड से कैसे कर दी थी.
उसका दिल चित्कार उठा कि ये बाज़ारू हरकत कैसे कर दी उसने क्या हुआ था उसे कल रात.
"हे भगवान क्या हो रहा है मेरे साथ....अनुश्री ने जल्दी से अपने हाथ को आगे बढ़ा के मंगेश कि पैंट को ऊपर चढ़ा दिया और बाथरूम कि ओर दौड़ पड़ी.
धाड़....से दरवाजा बंद हो गया सामने आदम कद शीशे मे उसका अक्स दिख रहा था,एक पतले से कुर्ते और जाँघ से चिपकी लेगी मे क़यामत लग रही थी अनुश्री
एक पल को खुद को ही देख शर्मा गई,उसे कल रात बिता एक एक वाक्य याद आने लगा कैसे वो अब्दुल के लंड को देख अपनी गांड घिस रही थी.
आज अनुश्री अपने बदन के एक एक कटाव को देख रही थी.
20220108-233056.jpg

ब्रा के ना होने से स्तन के निप्पल साफ साफ अपनी मौजूदकी का अहसास करवा रहे थे.
उभरे हुए स्तन,उसके नीचे सपाट पेट,बहार को निकली मदमस्त गांड "क्या गांड है मैडम आपकी " जैसे ही अनुश्री कि नजर खुद कि गांड पे पड़ी उसके जहन मे अब्दुल के कहे शब्द याद आ गए.
वो बिस्तर से उठी तो थी यही सोच के कि जो हुआ वो अब से नहीं होगा,लेकिन ना जाने क्यों खुद को देख के ही उसका बदन मचलने लगा.
कपड़ो के अंदर ना ब्रा थी ना पैंटी.
लेगी पूरी तरह चुत मे धसी हुई अपना आकार बतला रही थी.
images-2.jpg

"क्या मै वाकई इतनी सुन्दर हूँ कि अब्दुल और मिश्रा मुझे देख खुद को रोक नहीं पाते " अनुश्री कि नजर अपने ही बदन पे ऊपर से नीचे दौड़ गई.
अनुश्री को ये सब देखा नहीं गया,अपने ही जिस्म कि बनावट से शर्मा गई.
खुद से ही पीठ फेर ली थी उसने " मंगेश सब तुम्हारी वजह से हो रहा है तुम क्यों ध्यान नहीं देते मुझपे " अनुश्री मन ही मन खुद से ही शिकायत कर रही थी
वो रोज़ सुबह उठ के खुद को समझाती लेकिन परिस्थिति ऐसी बन जाती कि सारे वचन सारी प्रतिज्ञा धरी कि धरी रह जाती.
आज भी कुछ ऐसा ही था उसने वादा किया कि वो सिर्फ मंगेश कि है वो मंगेश के अंदर का मर्द जगा के रहेगी.
" हाँ हाँ.....मेरा पति है मंगेश मुझपे सिर्फ उसका ही हक़ है किसी ऐरे गैरे का नहीं " अनुश्री निर्णय ले चुकी थी कि उसे अपना हनीमून कैसे मानना है.
अनुश्री जल्द से फ्रेश हुई,नहा के बहार निकली...
सामने मंगेश अपना माथा पकड़े बिस्तर पे बैठा था.
जैसे ही उसकी नजर सामने अनुश्री पे पड़ी उसका सारा हैंगओवर उतरता चला गया "क्या बात है जान आज किसपे बिजली गिरानी है "

अनुश्री ने आज मस्त टाइट जीन्स और टॉप पहना था सिर्फ अपने पति के लिए जिसका फल उसे मिला भी मंगेश ने बासी मुँह ही उसकी तारीफ के पुल बाँध दिये थे.
अनुश्री के स्तन और चुत का आकर साफ साफ दिख रहा था.
जीन्स कुछ ज्यादा ही टाइट हो चली थी परन्तु अनुश्री विश्वास से भरी थी उसे कोई समस्या नहीं थी इन कपड़ो मे
अनुश्री अभी शर्मा ही रही थी कि मंगेश उसके करीब पहुंच गया "क्या लग रही हो जान " बोलते हुए मंगेश ने अपने होंठ आगे बढ़ा दिये.
"छी....मंगेश रात मे खूब दारू भी अभी तक महक रहे हो जाओ पहले नहा लो " अनुश्री ने अपना मुँह दूसरी ओर फैर लिया उस से वाकई वो बदबू बर्दाश्त नहीं हो रही थी

मंगेश मुँह लटकाये बाथरूम कि और बढ़ चला.
"रात भर तो बीवी का ख्याल ही नहीं था कहा है क्या कर रही है,अब देखो कैसे प्यार आ रहा है " बोलती अनुश्री शीशे के सामने पहुंच के हल्का मेकअप करने लगी.
कि तभी "ठाक ठाक.....किसी ने दरवाजे पे दस्तक दी "
"अब कौन आ गया ये? शायद राजेश कि माँ होंगी " अनुश्री बेबाकी से कुलाचे भरते हुए दरवाजा खोल दिया
जैसे ही दरवाजा खुला अनुश्री सन्न रह गई उसकी सांसे थमने bलगी.
सामने मिश्रा हाथ मे चाय कि ट्रे पकडे खड़ा था,मुँह खोले आंख फाडे एक टक अनुश्री को घूरे जा रहा था,अनुश्री का बदन पूरा मिश्रा के सामने नुमाइश हो रहा था,स्तन स्लीवलेस टॉप मे बहार को निकलने पे आतुर थे,टॉप इस कदर टाइट था कि अनुश्री के स्तन को भींचे हुए था, टॉप के नीचे नाभि का कुछ कुछ हिस्सा झलक रहा था.
मिश्रा कि नजारा स्तन से होती हुई नीचे फिसलने लगी,इस फिसलन को अनुश्री साफ साफ महसूस कर रही थी
मिश्रा कि नजर जैसे उसके बदन ले चुभ रही हो, अनुश्री खुद बूत बनी खड़ी थी ना जाने कहाँ चले गए थे उसके वादे,उसकी कसमें वो बस खड़ी थी चुप चाप जैसे खुद को देखने कि इज़ाज़त दी हो उसने.
images-3.jpg

मिश्रा कि नजर कमर से नीचे फिसली ही थी कि उसके हाथ मे थमी चाय कि ट्रे काँपने लगी
अनुश्री कि जीन्स इस कदर टाइट थी कि उसने से चुत का आकर साफ साफ झलक रहा था.
images-4.jpg

मिश्रा के हाथ काँपते देख ना जाने क्यों अनुश्री को हसीं आ गई "हाहाहाहाहा.....भूत देख लिया क्या "
अनुश्री अच्छे से जानती थी ये उसके कामुक कसे हुए बदन का कमाल है.
"वो...वो....मैडम आप बहुत सुन्दर है " मिश्रा ने खुद को सभालते हुए तारीफ कर दी थी, अब भला कोई नामर्द ही होगा जो इतनी सुन्दर अप्सरा को सामने पा के भी तारीफ के दो शब्द ना बोल सके.
मिश्रा कमरे मे अंदर दाखिल हो गया था चाय कि ट्रे को सामने टेबल पे रख वापस अनुश्री कि तरफ मुड़ गया.
अनुश्री अभी भी कनखियो से मिश्रा को देख रही थी, वो इसी चीज के लिए तो तरसती थी कि,खुद कि तारीफ के लिए,वो जानती थी कि वो सुंदर है लेकिन उसकी सुंदरता का अहसास कराने वाला कोई मर्द होना चाहिए जो वो अपने पति मे तलाश करती थी लेकिन बदकिस्मती उसे कही ऐसा सौभाग्य नसीब ना हुआ.
हुआ भी तो मिश्रा और अब्दुल जैसे लोगो से.
"मैडम.....मै बोल रहा था मौसम ख़राब है आज, घूमने नहीं जा पाएंगे आप लोग " मिश्रा कि नजर बराबर अनुश्री के स्तन पे ही टिकी थी.
अनुश्री मिश्रा कि नजर से थोड़ी असहज हो गई,उसका चेहरा उदासी से लटक गया उसने आज अपने पति के साथ घूमने का प्लान बनाया था.
मिश्रा कि मनहूस खबर ने सब प्लान पे पानी फैर दिया.
"अरे....अरे मदाम उदास क्यों होती है आप? आप पे उदासी अच्छी नहीं लगती,मेरा मतलब है आप लोग बाइक से नहीं जा पाएंगे घूमने होटल कि बस तो जाती है ना उस मे चले जाओ आप लोग "
मिश्रा ने तुरंत अनुश्री कि समस्या का समधान कर दिया था.
अनुश्री का चेहरा वापस से खिल उठा.
मिश्रा वापस जाने को पलट गया दरवाजे तक पंहुचा ही था कि "मैडम एक बात बोलू?"
"अअअअअ...हनन हाँ बोलो " अनुश्री ने चौकते हुए कहा
" बहुत छोटी चुत है आपकी.....संभल के जरा..धमममम..." से दरवाजा बंद हो गया
अनुश्री एक दम सन्न रह गई,बंद दरवाजे के सामने मूर्ति बने खड़ी रही उसे यकीन नहीं जो रहा था जो उसने सुना अभी,उसकी सांसे तेज़ हो गई "चुत" शब्द सुन के.
"मममम....मेरी चू....चू..." अनुश्री ने अपनी गर्दन नीचे कर के देखा तो उसकी चुत का आकर साफ झलक रहा था उसकी पतली सी जीन्स नुमा लेगी से.
"कौन था जान...." पीछे से आई आवाज़ से अनुश्री एकदम चौंक गई
मंगेश फ्रेश हो के बहार आ चूका था.
"कककम्म.....कोई नहीं वो...वो...चाय देने आया था.
अनुश्री ने जैसे तैसे खुद पे काबू पाया उसका बदन पसीने से नहा गया था.
"संभल के मैडम आपकी छोटी सी चुत है" उसके जहन मे बार बार मिश्रा के कहे यही शब्द चोट कर रहे थे.
कुछ ही देर मे अनुश्री और मंगेश होटल के बहार बस का इंतज़ार कर रहे थे.अनुश्री ने अभी भी वही टाइट जीन्स और टॉप पहना हुआ था ना जाने क्यों मिश्रा कि चेतावनी के बाद भी उसने अपने कपडे नहीं बदले थे.
शायद वो मंगेश को रिझाना चाहती थी.
वो सिर्फ और सिर्फ अपने पति के लिए ही तैयार हुई थी,
"दादा थोड़ा साइड हटना,चढ़ने दो होमारा बोस छूट जायेगा "दो अधेड़ उम्र के बंगाली आदमी धोती कुर्ता पहने अनुश्री और मंगेश को लगभग चिरते हुए उनके बीच से निकल गए, एक बंगाली आदमी का हाथ सीधा अनुश्री कि गांड से जा टकराया चटटटटट.....कि आवाज़ के साथ
"आउच.....ये क्या....बद....." अनुश्री कुछ बोल पाति कि वो दोनों आदमी बस मे अंदर घुस गए. अनुश्री जैसे इस टक्कर से होश मे आई.
मंगेश तो अभी भी हैंगओवर के नशे मे ही था " ये राजेश और उसकी माँ कहा रह गई?"
दोनों इंतज़ार मे थे बस के निकलने का वक़्त हो चला था.
ये ख़राब मौसम मे बस का सफर कहा ले के जायेगा अनुश्री को ये तो वक़्त ही बताएगा.
बारिश अभी भी बदस्तूर जारी ही थी.
बने रहिये कथा जारी है....
Very erotic
 
  • Like
Reactions: andypndy

Rishiii

Active Member
697
1,229
124
Hot update, maza aaya . Next update lamba dena.
 
  • Like
Reactions: andypndy

Thakur a

Member
391
206
58
Next update jaldi do please intezar nahin ho raha hai
 
  • Like
Reactions: andypndy

Kalukalu

New Member
86
68
34
Anny Sahab update 18 missing hai shayad update 18 par vichar kare
Dhanyavaad
 

Kalukalu

New Member
86
68
34
Wetiing
 
  • Like
Reactions: andypndy
Top