उधर माँ जब अपने कमरे में पहुंची तो देखा श्वेता बेड पर दूसरी तरफ मुँह करके सोइ हुई थी। उसने दोबारा से टी -शर्ट और शार्ट डाल लिया था पर अंदर न ही ब्रा था न ही पैंटी। उसकी पीठ माँ की तरफ थी। माँ ने लेटते ही उसके कमर पर हाथ रख कर पुछा - सो गई क्या ?
श्वेता ने पीठ माँ की तरफ ही रखा और ना में सर हिलाते हुए कहा - नहीं।
माँ उससे चिपक गई उन्होंने अपने एक हाथ को आगे किया और श्वेता की चूचियों पर रख दिया। उन्होंने उसे अपने तरफ खींचा। श्वेता पीछे हो गई।
अब माँ से एकदम चिपकी हुई थी। माँ ने उसका चेहरा अपनी तरफ घुमा कर पुछा - शाम अच्छा नहीं लगा क्या ?
श्वेता एकदम से पलट गई और माँ के बाँहों में सिमट गई। बोली - नहीं बड़ी माँ , बहुत अच्छा लगा। शरीर एकदम हल्का लग रहा है। लगता है की बहुत बड़ा बोझ लेकर घूम रही थी और अब सब उतर गया।
माँ- ऐसा ही होता है मेरी बच्ची। तू इस सुख से ना जाने कितने दिनों से वंचित थी।
श्वेता - सच में। मुझे पता ही नहीं था की खुद को इतना खुश भी किया जा सकता है।
माँ - अभी तो तुमने खुद से कुछ किया ही नहीं। अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है।
श्वेता - तो सिखाओ न बड़ी माँ।
माँ ने उसके माथे पर किस कर लिया। कहा - सब सिखाऊंगी। उसके लिए कपडे उतारने पड़ेंगे।
श्वेता पुरे मूड में थी वो झट से बैठ गई और उसने अपना शर्ट निकाल फेंका। माँ भी उठ कर बैठ गई। उन्होंने उससे कहा - मेरा भी ब्लॉउस खोल दे। श्वेता ने कांपते हाथो से माँ का ब्लॉउस खोल दिया। माँ के बड़े बड़े मुम्मे और उनके चूचक देख वो बोली - कितने सुन्दर हैं।
माँ ने कहा - तेरे भी सुन्दर हैं। जरा देख तेरा निप्पल कितना तीखा है। एकदम तीर की तरह निकला हुआ है।
माँ ने श्वेता का हाथ पकड़ा और उसके खुद निप्पल को पकड़ा दिया। श्वेता अब अपने ही निप्पल को महसूस कर रही थी। उसके निप्पल सच में एरेक्ट हो रखे थे। उसके बूब्स बड़े नहीं थे पर निप्पल आश्चर्यजनक रूप से नुकीले थे।
माँ ने कहा - अपने पुरे मुम्मे को महसूस करो, उसका साइज , शेप। थोड़ा थोड़ा मालिश करो। जैसे मैं कर रही हूँ
माँ ने अपने दोनों मुम्मे अपने दोनों हाथो से दबाने शुरू कर दिए। वो कभी उनकी मालिश करती , कभी अपने निप्पल को नीचोड़ती।
श्वेता भी वैसे ही करने लगी। अब उस पर मस्ती चढ़ने लगी। उसके धड़कनो की गति तेज हो गई। उसे अपने पेट के निचले हिस्से में अजीब सा लगने लगा।
उसने माँ से कहा - बड़ी माँ , मेरे पेट में कुछ हो रहा है।
माँ - अरे पागल पेट में नहीं चूत में हो रहा है। चल पेंट उतार।
माँ ने उसकी पैंट उतारने में मदद की। उसकी चिकनी चूत रिसने लगी थी।
माँ ने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और खुद भी पूरी नंगी हो गई। माँ ने अपनी चूत की दोनों फैंको को अलग किया और कहा - देख जब औरत चुदास होती है तो उसकी चूत पनियाने लगती है। मेरी चूत से भी रस निकल रहा है।
माँ ने फिर उसके चूत के पास उंगली फेरी और उसके पानी से भिंगो कर कहा - देख तेरी चूत भी पानी छोड़ रही है। उसे अब चुदना है। वो लंड लेने के लिए तैयार है। पर देख सैटिस्फाई होने के लिए लंड हो जरूरी नहीं।
माँ ने फिर अपने क्लीट को दिखाया और कहा - औरत के पास भी एक छोटा सा लंड होता है। अगर इसका ख्याल रखना जान जाओ तो खुश रहना जान जाओगी।
माँ का क्लीट नार्मल से थोड़ा बड़ा था। बल्कि मेरी घर की हर औरतों का ऐसा ही था। सुधा दी और सरला का भी। श्वेता का भी क्लीट उत्तेजना में उभर गया था।
माँ ने अपने दाहिने हाथ की दो उँगलियों के बीच में क्लीट को फंसाया और क्लीट फंसाये हुए ही उँगलियों को हलके से आगे पीछे हिलाने लगी, श्वेता उन्हें देख रही थी। माँ क आँखे बंद होने ले थी। श्वेता को महसूस होने लगा की माँ को मजा आ रहा है।
उसने धीरे से कहा - बड़ी माँ
माँ ने आँखे खोली और देखा तो श्वेता उन्हें ही देख रही है। माँ ने फिर अपना क्लीट छोट दिया और हाथ बढ़ा अपनी उँगलियों के बीच में श्वेता की क्लीट को फंसा कर वैसे ही करने लगी। उनकी इस हरकत से श्वेता की चीख निकल गई - उफ्फ्फ्फ़ माअअअअअ
माँ ने कुछ देर वैसा करने के बाद श्वेता के हाथ को पकड़ा और उसकी खुद की उँगलियों के बीच में उसका क्लीट फंसा दिया। माँ के हिलाने से उसका क्लीट और एरेक्ट हो गया था। बाहर की तरफ निकलने से अब श्वेता की उँगलियों में वो आराम से फांसी हुई थी।
माँ बोली - अब कर अपने लंड को प्यार।
दोनों अपने अपने क्लीट को ऐसे ही हिलाने लगी।
श्वेता को शुरू में तो थोड़ी दिक्कत हुई पर कुछ ही मिंटो में उसकी उँगलियों को पता चल गया था की क्या करना है। अब श्वेता आनंद के सागर में थी।
श्वेता - इस्सस , आह आह , माआ , क्या मजा है। उह्ह्ह ुह्ह्हह्ह स्स्स्सस्स्स्स मा
माँ ने उसके सर को अपने कंधे पर रख लिया। श्वेता अपने हाथ की उँगलियों को तेजी से हिलाये जा रही थी। उसका कमर एप आप आगे पीछे करने लगा था जैसे वो चुद रही हो।
कुछ ही मिनटों में उसका पूरा शरीर कांपने लगा। उसकी चूत ने खूब सारा पानी छोड़ दिया। उसने अपना हाथ चूत से हटा लिया और माँ को जोर से जकड लिया।
कहने लगी - माँ बचाओ , मैं तो उडी जा रही हूँ। पकड़ लो , बचा लो मुझे। ये क्या हो रहा है। चूत के अंदर कुछ घुस रहा है। माँ कोई कीड़ा है क्या ?
माँ ने भी उसे पूरी तरह से जकड लिया। थोड़ी देर में श्वेता शांत हो गई। उसे महसूस हुआ की उसके साथ क्या हुआ है। उसने अपना चेहरा आगे किया और माँ के होठो पर जोरदार किस किया। माँ ने भी उसे किस किया।
थोड़ी देर होठो का रसपान करने के बाद श्वेता बोली - मजा आ गया।
माँ - अभी तूने पुरे मजे लिए कहाँ हैं। ये जो चूत गीली हुई है इस लिए हुई है की लंड आराम से जा सके। तुम्हे जो अंदर कुछ महसूस हो रहा था दरअसल वो लंड की प्यास थी। इस समय तुम्हारे सामने लंड लेकर खड़ा हो तो तू आराम से चुद जाएगी।
श्वेता - धत्त। मैं ऐसे ही ठीक हूँ।
माँ - लंड न सही ऊँगली डाल ले।
श्वेता - वो कैसे ? वो एकदम से अगले कदम के लिए तैयार थी।
माँ ने कहा - मुझे बाथरूम जाना है।
श्वेता - मुझे भी आई है।
माँ - चल फिर।
श्वेता - आप जाओ। मैं फिर चली जाउंगी।
माँ अंदर चली गई। उनके लौटने पर श्वेता भी गई। तब तक माँ को प्यास लगी तो वो बाहर नंगी ही किचन की तरफ चली गई। श्वेता भी बाथरूम निकली तो माँ को न पाकर ऐसे ही नंगे बाहर झांकी। उसने माँ को नंगे ही किचन में देखा तो , खुद भी वैसे चली गई। दोनों वहीँ उसी हालत में पानी पीने लगी।
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इधर अपने कमरे में मैं सुधा दी को एक राउंड चोद चूका था। मुझे और दीदी को भी प्यास लगी थी । दीदी ने कहा - जरा किचन से ठंढा पानी ले आ।
मैं भी बिना कपड़ो के अपने कमरे से निकल गया। जैसे ही किचन में पहुंचा वहां माँ और श्वेता नंगी खड़ी पानी पीते हुए बात कर रही थी। उन दोनों को लगा था की शायद हम सो गए है। मुझे देखते ही श्वेता चौंक पड़ी। जैसे ही उसे एहसास हुआ की वो बिना कपड़ो के है वो माँ के पीछे छुप गई। चीखते हुए बोली - तुम यहाँ क्या कर रहे हो। भागो।
मुझे हंसी आ गई। मुझसे दोनों को जन्मजात नंगे देख समझ आ गया की क्या हुआ होगा।
मैंने कहा - मुझे भी प्यास लगी है। मैं क्यों जाऊ।
मैंने फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और माँ से कहा - लगता है ट्रेनिंग दे रही थी तुम।
माँ मुश्कुराते हुए बोली - सभी बेटियों को सिखाया है , इसे भी सीखा दिया।
मैं - तुम्हारी बाकी बेटियां तो मुझसे शरमाई नहीं। ये बड़ी शर्मीली है।
माँ - है तो है। सब थोड़े ही तुम्हारे लंड की दीवानी हो जाएँगी।
माँ श्वेता का ध्यान मेरे बड़े लंड की तरफ ले आना चाह रही थी। पर वो उस विकराल को पहले ही देख चुकी थी।
मैं - बात तो सही है। कुछ लंड के अलावा प्यार भी देखते ह। पर इसे तो न मेरा प्यार दीखता है न ही मेरी तड़प।
श्वेता पीछे से बोली - बड़ी माँ , इस नालायक को बोलो यहाँ से जाए। बातें बाद में कर लेगा।
मैं - नहीं जाता। सामने आएगी एक बार तो जाऊंगा।
श्वेता - बकवास बंद कर। भाग यहाँ से।
मुझे देर होता देख और आवाज को सुन कर सुधा दी भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन देखते ही उन्हें हंसी आ गई। वो माँ के पास पहुंच गई।
उन्होंने मेरे हाथ से बोतल लिया। पानी के कुछ घूँट लगाए और शरारत में थोड़ा पानी बोतल से श्वेता के ऊपर गिरा दिया।
श्वेता ठंढा पानी गिरते ही माँ के पीछे से हटी और सामने आ गई।
उसका शरीर हम सबके सामने नुमाया हो गया। मैं पहली बार उसे इस हालात में देख रहा था। तराशा हुआ गोरा बदन। लग रहा था ऊपर वाले ने फुर्सत में बनाया हो। आइडियल फिगर । ३४ के बूब्स , नुकीले निप्पल , पतली कमर , सपाट पेट जिस पर गहरी गोल नाभि। केले के तने जैसे जांघ और चौड़ा पिछवाड़ा। एकदम सेक्सी शरीर।
मैं खो सा गया। श्वेता भी कुछ पल के लिए ठहर सी गई। पर मेरी हालत देख , मुझे धक्का देते हुए माँ के कमरे की तरफ भाग गई। मैं तो उसके दौड़ने से हिलते हुए गांड ही देखता रह गया। उधर माँ और दीदी हँसे जा रही थी।
दीदी - लगता है शाम का अधूरा काम पूरा हो रहा था।
माँ - हाँ। प्यास लगी तो आ गए थे। तुम लोग सोये नहीं।
दीदी - तुम्हारा हब्सी बेटा सोने कहाँ देता है।
मैं - अच्छा , मैं हब्सी हूँ। " तू अपने कमरे में चल मैं आती हूँ " किसने कहा था।
मेरे बोलने के स्टाइल से दोनों फिर हंसने लगी। अबकी मुझे भी हंसी आ गई।
माँ ने कहा - चलो मैं उसे देखू।
मैं और दीदी भी मेरे कमरे की तरफ बढ़ गए।
माँ के कमरे में श्वेता रो रही थी।
माँ ने कहा - अरे पगली रो क्यों रही है। घर वाले ही तो हैं।
श्वेता - देखा नहीं राज कैसे घूर रहा था।
माँ - मेरी बेटी इतनी सुन्दर है। उसे तो कपड़ो में भी लोग घूरेंगे। तू तो नंगी थी। देखा नहीं कैसे खो गया था बेचारा तुम्हे देख क।
श्वेता अब चुप हो गई। वो फिर से माँ की बाँहों में आ गई। बोली - आप बड़ी गन्दी हो।
माँ - अच्छा।
श्वेता ने धीरे से माँ के मुम्मे अपने मुँह में डाल लिया और एक बच्चे की तरह दूध पीने लगी।
माँ- पी ले। तेरा भी हक़ है। तू हम सबकी प्यारी है ।
श्वेता - हम्म हम्म
माँ उसके बालों में हाथ फेरने लगी। सोच रही थी की राज इसका दीवाना हो रहा है। उन्हें राज की नजर में श्वेता के लिए प्यार दिख रहा था। उन्हें श्वेता में भी बदलाव दिख रहा था। वो जान गई थी की श्वेता भी बहुत जल्दी राज की हो जाएगी।