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Incest मेरी माँ, बहने और उनका परिवार

Who do you suggest Raj should fuck first?

  • Shweta

    Votes: 89 75.4%
  • Soniya

    Votes: 29 24.6%

  • Total voters
    118
  • Poll closed .

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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173
माहौल इतना गरम हो चूका था पर विक्की मेरी और मौसा की ही चुदाई देखने में व्यस्त था । तभी अन्वी की माँ ने मौसी से कहा - कैसा मादरचोद बेटा पैदा किया है। साला इतनी चुदाई देखने के बाद भी लौड़ा ताने खड़ा है।
मौसी ने ये सुना तो विक्की की तरफ देखते हुए कहा - जब तुम्हारी गांड फाड़ेगा तो समझ आएगा।
विक्की ने उन दोनों की बात सुनी तो उनके पास आकर कहा - माँ , कहो तो पहले इसकी छूट का भोसड़ा बना दूँ।
मौसी ने आंटी की साडी कमर में हाथ डाल कर एक हो बार में निकाल दिया और कहा - चूत का भोसड़ा तो पहले ही तेरा बाप बना चूका होगा। तू इसके गांड का फाटक बना आज।
विक्की ने आंटी को डाइनिंग टेबल पर हाथो के सहारे झुका दिया। और उनके पेटीकोट को उठाने लगा। पेटीकोट उठा कर उसने सीधा अपना लंड आंटी के गांड में ठेल दिया।
आंटी - हरामी साले , आराम से कर।
मौसी - क्यों बे रंडी। तूने ही तो ललकारा है। अब आराम वराम भूल जा।

इधर मैं सोनी को सीधे लेता कर चोद रहा था और उसका मुँह आंटी के ठीक सामने था। आंटी ने झुक कर सोनी को चूम लिया। कमरे में सिसकारियां गूँज रही थीं। मौसम ठंढ का था पर माहौल एकदम गरमा चूका था। मौसा अब तक खलास हो चुके थे और वो हम दोनों को बड़े आराम से देख रहे थे। उन्हें पता था कि विक्की को उनकी मदद कि जरूरत पड़ेगी। मौसी अब सोफे पर जाकर अन्वी और मौसा के बगल में आराम से बैठ गईं थी। विक्की जैसे ही आने को हुआ , मौसा तपाक से उठे और विक्की को हटा कर उन्होंने अपना लौड़ा आंटी के गांड में ठेल दिया और कहा - रांड साली मेरे बेटे के बारे में क्या बोल रही थी। तेरी गांड फाड़ दूंगा अगर तूने मेरे बेटे के बारे में कुछ भी कहा तो।
आंटी - तुम तो फाड़ ही दोगे। मुझे पता है।

विक्की के लंड के साथ धोखा हुआ था। पर मौसा ने सही ही किआ था। उसे रोकना जरूरी था वर्ना आंटी को सनतुष्ट किये बिना ही वो झाड़ जाता। विक्की कुछ देर तक देखता तहा फिर सोफे पर मौसी और अन्वी के पास जाकर बैठ गया। अन्वी जो थकी हुई थी, उसने विक्की का उतरा हुआ चेहरा देखा तो बोली - भाई , निराश ना हो। माँ को तगड़ी वाली चुदाई चाहिए होती है। अंकल ही लेंगे उनकी। मैं तेरी गरमी निकाल देती हूँ।
ये कहकर वो झुकी और विक्की के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे केले कि तरह चूसने लगी।
अब मैं भी खलास हो चूका था पर मौसा आंटी कि गांड से लंड निकाल कर उनकी चूत का भोसड़ा बना रहे थे। कमरे में सब चुद रहे थे सिवाय मौसी के। मौसी पुरे कपडे में थीं। कुछ ही देर में अन्वी ने विक्की का लंड चूस कर उसका माल निकाल दिया। उधर मौसा भी खलास हो चुके थे। मौसी ने देखा कि खेल बंद है तो कहा - अब कुछ खाना पीना भी हो जाए ?
मौसा - हाँ। खाना खाते हैं। उसके बाद दूसरा राउंड। पर तुमने कपडे क्यों पहने हुए हैं। सबके तो उतर चुके हैं। क्यों राज , तू मौसी का ख्याल ऐसे रखेगा। घर पर तो भाभी को नंगा घुमाता है और यहाँ माँ कि बहन को छोड़ दिया।
मौसी - रहने दो। आज घर में नया माल है। उसका ख्याल रखो पहले।
हमें लग गया था कि मौसी थोड़ी नाराज हैं। सोनी और अन्वी ने ये भांप लिया था।
सोनी बोली - अरे हम खाना लगाते हैं तब तक तुम सब माँ का ख्याल रखो।

अन्वी भी उठ गई। दोनों पहले सफाई में जुट गईं। चारो तरफ बिखरे कपडे को समेटने में जुट गईं। इधर विक्की जो उनके बगल में बैठा था उसने मौसी की साडी हटा कर उनके ब्लॉउज खोलने में जुट गया। मैं भी मौसी के दुसरे तरफ आकर बैठ गया और उनको चूम कर बोला - मौसी , आपको तो सबसे ज्यादा मजे देंगे। वैसे आप माँ हो तो थोड़ा दूध पिलाओ ताकत आएगी।

मौसी ने मेरे किस का जवाब दिया और बोली - ले ले। इन थानों में जब दूध था तब भी तूने पिया है। अब भी चूस ले।

मैं और विक्की उनके दोनों मुम्मो को चूसने लगे। मौसी आनंद के सागर में गोते लगाने लगीं। तभी मौसा भी उनके पास आ गए और उन्होंने मौसी की साडी पेटीकोट से निकाल कर पेटीकोट की डोरी भी खोल दी। मौसी ने अपना गांड धीरे से उठा दिया और मौसा ने उनके पेटीकोट को भी उतार दिया। अब मौसा उनके चूत पर भीड़ गए। अब मौसी पर चौतरफा आक्रमण हो रहा था। कहाँ वो अन्वी की माँ की चूत फड़वाने की बात कर रही थी कहा अब कुछ ही देर में उनकी चूत का कबाड़ा होने वाला था। खैर ये ठीक ही था। उन्हें गर्व हो रहा होगा कि उनके घर में अब भी उनका राज है। उनको संतुष्ट करने में कोई भी सदस्य कोर कसार नहीं छोड़ेगा। हुआ भी वही। कुछ देर में मैं सोफे पर लेटा हुआ था। मौसी मेरे ऊपर थी। उनके चूत में मेरा लंड और मौसा का लंड पीछे से उनके गांड में। विक्की ने अपना लंड उनके मुँह में डाला हुआ था। उनके हर छेद में लौड़ा था। उनकी जबरजस्त चुदाई शुरू हो चुकी थी। मौसी कि हालत देखते ही बनती थी। सोफे लग रहा था आज टूट जायेगा। पर सभी जोश में थे। आखिर में जीत मौसी कि ही हुई। जबरजस्त चुदाई के बाद हम सबने फिर खाना खाया।

उस रात अन्वी और उसकी माँ हमारे यहाँ ही रुकीं। रात को बिस्तर पर उनकी मौसी वाली हालत हुई। उनके भी हर छेद को हम तीनो ने भर दिया। अन्वी को भरपूर चोदने का मौका मुझे नहीं मिला। पर पता था अब तो सिग्नल हो गया है। जब चाहूंगा उनके प्लेटफार्म पर अपनी गाडी दौड़ा दूंगा। मुझसे ज्यादा ये हरी झंडी विक्की के लिए जरूरी थी। वो बेचारा अन्वी के लिए कब से मारा जा रहा था।

अगले दिन मैं भी वापस आ गया। माँ को ज्यादा दिन अकेले नहीं छोड़ सकता था। फिर ये भी तय हो गया था कि सब होली एक जगह मनाएंगे वो भी नाना के यहाँ। नाना के यहाँ कि होली में ज्यादा मस्ती और खुलापन होना था। होली में सभी मौसी लोगों और उनके बच्चों का आना फिक्स हुआ था।

पर होली से पहले फैक्ट्री के लिए मेरा यहाँ आना तय था। डील फाइनल करनी थी। मौसा चाहते थे कि फैक्ट्री पर हम तीनो भाई बहनो का नाम चढ़े। इन्वेस्टमेंट हम तीनो का ही था। विक्की और सोनी काफी खुश थे। आखिर दोनों पूरी तरह से सेटल हो रहे थे।
Good update.
 

Premkumar65

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मौसी के यहाँ से लौटने के बाद मैं काफी व्यस्त हो गया था। परीक्षा की तैयारी भी करनी थी। इधर बीच श्वेता एक आध बार ही घर आई। हम दोनों तैयारी अच्छे से कर लेना चाहते थे क्योंकि होली में सबको इक्कठा होना था। करीब हफ्ता भर खराब हो जाता इस लिए अभी ही पढाई पूरी करनी थी। मुझे बाकी सभी विषयों में पूरा कॉन्फिडेंस था पर फिलोसफि समझ नहीं आ रही थी। एक दिन सरला दी का फ़ोन आया तो जब मैंने बताया की मुझे ये विषय समझ नहीं आ रहा तो उन्होंने कहा - अरे दीप्ति मैम से पढ़ ले। उनका सब्जेक्ट है। नोट्स भी दे देंगी।

मैं - अरे यार , मैं तो भूल ही गया था। उन्होंने कहा भी था कि डाउट होने पर पूछ लेना।
दीदी - ही ही , तुझे वो फिलोसोफि से ज्यादा सक्सोलोग्य कि टीचर जो लगती हैं।
मैं - हाँ , और अब तो तारा भी तैयार हो चुकी है।
दीदी - एक और कुँवारी चूत।
मैं - तुम भी ना। बात कहाँ थी कहा ले गई। अब क्या ख़ाक ही पढ़ पाउँगा।
दीदी - हाँ , पता चला फिलोसोफी तो समझ में आया नहीं , बाकी सब भी भूल जायगा। रहने दे।


पर दीदी ने दिमाग में खलल डाल दी थी। वैसे भी आखिरी बार दोनों माँ बेटी तैयार थी पर मैं सामने परोसी हुई थाली छोड़ आया था। पर उनसे बात करने का मतलब था वाकई पढाई नहीं होगी। उनके सेक्सी शरीर के सामने क्या ही पढाई होगी। मेरे मन में उधेड़ बन चल ही रही थी। निचे वाले भाई साहब भी मुँह उठा कर बार बार मुझे उकसा रहे थे। लंड और दिमाग में जंग चल रहा था। पर आखिर में जीत लंड महाराज कि ही हुई। मैंने फ़ोन घुमा ही लिया।

दीप्ति मैम - हेलो राज , कैसे हो? बड़े दिनों बाद हमारी याद आई ?
मैं - हेलो मैम। सॉरी , मैं थोड़ा बीजी हो गया था। आपसे बात नहीं कर पाया।
मैम - हाँ भाई , जिसके लिए लड़कियों कि लाइन लगी हो उसको क्या ही फ़िक्र होगी। श्वेता भी कह रही थी आजकल मौसी के यहाँ के बहुत चक्कर लग रहे हैं। तुम्हारे पास तो उसके लिए भी समय नहीं है।
मैं - अरे मैम , ऐसा नहीं है। श्वेता से तो अभिमुलाकत हुई थी। और उसने तो खुद ही ऐसी शर्त लगा रखी है। आप तो सब जानती हैं।
मैम - हम्म , अरे मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी। बहुत अच्छी लड़की है वो। पढ़ लिख कर कुछ बन जाओ तो फिर मौज के लिए तो जिंदगी पड़ी है।
मैं - हाँ मैम , मौसी के यहां भी बिजनेस के चक्कर में ही जाना पड़ रहा है।
मैम - मुझे पता है। और सुनाओ कैसे याद किया इस बुढ़िया मैडम को।
मैं - मैम आप फिर शुरू हो गईं। आपके सामने तो जवान भी फेल हैं।
मैम - तारीफ रहने दो। असली बात बताओ।
मैं - मैम वो दरअसल परीक्षा नजदीक है और मुझे आपका सब्जेट समझ नहीं आ रहा है।
मैम - कौन सा सब्जेक्ट समझ नहीं आ रहा है ? तुम तो एक्सपर्ट हो उसमे
मैं - ही ही ही। वो सब्जेक्ट तो क्लियर है। उसमे आप जब चाहो एग्जाम ले लो। फिलोसोफी नहीं समझ आ रही है।
मैम - आ जाओ घर पर। चार पांच दिन आओ। सब समझा दूंगी। नोट्स भी रखे हैं। दे दूंगी।
मैं - वही सोच रहा था। पर आप और तारा दोनों होंगी तो दुसरे सब्जेक्ट कि ही पढाई होगी।
मैम - हम्म। बात तो सही यही।
फिर कुछ सोच कर बोलीं - तुम आओ। मैं कुछ होने नहीं दूंगी।
मैं - आपके कहने से क्या होगा।
मैम - तुम आओ तो सही।
मैंने माँ को बताया तो वो बोलीं - देख लो। पढ़ना तुम्हे है। वहां पढाई हो तो चले जाओ।

माँ से परमिशन मिलने के बाद तय हुआ कि मैं रोज दोपहर में मैम के यहाँ चला जाया करूँगा और रात को लौटूंगा। उन्होंने बाकी सब्जेक्ट के भी नोटस माँगा लेने का वाद किया था।

मैं अगले दिन दोपहर को मैम के यहाँ पहुँच गया। दरवाजा तारा ने खोला। उसने सलवार कुरता पहना हुआ था।ऊपर से स्वेटर। उसके कपडे एकदम संस्कारी बच्चों वाले थे। वैसे भी सर्दी आ चुकी थी। उसने मुझे गले लगाया। शिकायतों के नोक झोंक के साथ हम ड्राइंग रूम में बैठे ही थे कि अंदर से मैम निकली। वो भी सलवार सूट में थी और ऊपर से शाल डाला हुआ था। कुछ देर चाय पानी के बाद मैम ने तारा को अपने कमरे में जाने को कहा। उसकी भी परीक्षाएं थी। मेरा मन था कुछ देर वो साथ रहे। बहुत दिनों बाद मिल रहा था। पर मैम ने स्ट्रिक्टली मन कर दिया। बोलीं ब्रेक में तुम लोग बातें कर लेना। फिर मैम मुझे अपने कमरे में लेकर गईं। उनके कमरे में भी एक टेबल कुर्सी लगी हुई थी। कमरे में हीटर चलने कि वजह से अच्छी खासी गर्मी थी।

मैम ने मुझे स्टडी टेबल के पास बैठा कर पूछा - बताओ क्या क्या समझ नहीं आ रहा है ?
मैं - आपको देख कर तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।
मैम - देखो , पढाई करनी है तो बोलो वरना अपने घर जाओ।

मैं मैम के इस रूप को देख कर थोड़ा चकित था। खैर सही ही कह रही थी। मैंने किताबें निकाल ली। उनको अपने प्रॉब्लम वाले एरिया बताये। मैम ने पहले वो चैप्टर समझाया फिर नोट्स दिए।

नोट्स समझाने के बाद उन्होंने कहा - अब ये रट जाओ। इसमें इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स लिखे हैं उसे याद करो तब तक मैं तारा को देख कर आती हूँ। मुझे आने में थोड़ा टाइम लगेगा। उसे भी समझाना है। पर तुम बिना डिस्ट्रक्शन के याद करो, मैं आकर पूछूँगी।

मैं एक आज्ञाकारी बच्चे कि तरह याद करने लगा। वो फिर चली गईं। उन्होंने इतने अच्छे से समझाया था कि याद करने में कोई दिक्कत नहीं आ रही थी।

करीब चालीस मिनट बाद मैम हाथ में चाय का प्याला लेकर आईं। मैम ने मुझे चाय थमाई और फिर मुझसे नोट्स लेकर क्वेश्चन करने लगीं। मुझे सब याद हो गया था। मैं सवालों का जवाब देता चला गया। सब सुनने के बाद मैम बोलीं - तुम्हे सब आता तो है। क्यों परेशान थे ?
मैं - आपके समझाने से समझ आया है और आपके नोट्स इतने बढ़िया हैं कि सब जल्दी से याद हो गया।
मैम हंसने लगीं और बोलीं - चलो अब थोड़ा ब्रेक ले लो। फिर दूसरा चैप्टर भी पढ़ा दूंगी।
मैम सोफे पर थी। मैं उठकर उनके पास पहुंचा और बोला - ब्रेक में क्या करू ?

मैम कि धड़कन तेज हो गई। उन्होंने शव और दुपट्टा उतार रखा था। मैंने उनके गालों को चूम लिया और कहा - आपको पता है, पढाई के बाद जब मुझे स्ट्रेस काम करना होता है तो मैं क्या करता हूँ ?
मैम - क्या करते हो ?
मैं - माँ के गोद में सर रख कर लेट जाता हूँ और उनके दूध पीता हूँ , उनके दूध पीने और दबाने से मेरा सारा स्ट्रेस निकल जाता है।
तभी कमरे में तारा आई और बोली - मुझे लगा था कि पढाई हो रही होगी पर यहाँ तो आशिकी हो रही है। माँ ये तो चीटिंग हैं।
मैं - मैं तो स्ट्रेस हल्का कर रहा था। मैम ने ब्रेक दिया है।
तारा - ब्रेक तो मुझे भी चाहिए थे और ऐसे स्ट्रेस काम होता है या बढ़ता है। अपने पेंट के निचे देखो। कितना स्ट्रेस है।
मैं - अब तुम जैसी सुन्दर लड़की सामने होगी तो ये स्ट्रेस में आएगा ही।
तारा हँसते हुए - देख रही हो माँ। ये साला अभी तुम्हारे बाँहों में था अब मुझे देख मुझे लाइन मार रहा है।
मैं - अरे आप दोनों लोग एकदम माल हो।
मैम - रहने दे अपने बहाने। तू अपना स्ट्रेस कम कर ले।
मैं उनके मुम्मो पर हाथ लगाते हुए बोला - सच में ?
मैम - हम्म।
मैं मैम के मुम्मे दबाने लगा और उन्हें चूमने चाटने लगा। कुछ देर तो तारा हमर देखती रही फिर बोली - हम्म्म्म मैं चलती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर अपने गोद में बिठा लिया। मैंने कहा - लाओ तुम्हारा स्ट्रेस भी काम कर दूँ ,
तारा ने नखड़े दिखाते हुए कहा - मुझे कोई स्ट्रेस नहीं है।
मैंने उसके छोटे सेब पकड़ लिए और कहा - तुम्हारे ये टाइट से निप्पल तो पुरे स्ट्रेस में हैं।
तारा ने मेरा हाथ हटाते हुए कहा - अब ऐसी हरकत देख कर इनका ये हाल नहीं होगा तो क्या होगा।

मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। वो सिसकने लगी थी। उधर मैम भी गरम हो चुकीं थी। पर उन्हें पता था कि समय खराब करने से पढाई डिस्टर्ब होगी।
उन्होंने हमें कुछ देर मस्ती करने दिया और फिर कहा - अब ब्रेक ख़त्म , तारा तुम अपने कमरे में जाओ। राज चलो अगला चैप्टर।
मैं - मैम , प्लीज।
मैम - नो। आज का टारगेट पूरा करो तो तुम दोनों को रिलैक्स कर दूंगी। पर अभी नही। तारा , तुम अपना अगला चैप्टर तैयार करो।

हम दोनों के साथ खेल हो गया। पर मैम एकदम स्ट्रिक्ट बानी हुई थी। मैम ने मुझे अगला चैप्टर समझाया , उसके नोट्स याद करने को दिए और कहा - मैं खाना बनाने जा रही हूँ। तब तक ये याद कर लो।
मैम ने माँ को कहा था कि खाना यहीं होगा। मैम रोकना चाह रही थी पर माँ ने मना कर दिया। पढाई के बाद रात में मुझे वापस जाना था। मेरा फोकस वापस आ गया था। मैं समझने और याद करने में जुट गया।

करीब एक घंटे बाद मैम वापस आईं। उनके हाथ में गरमा गरम सूप था। वो मुझसे सवाल पूछने लगीं। मैं जवाब देता गया। वो मेरे आंसर से बेहद खुश थी। उन्होंने मुझे कुछ करेक्शन करने को कहा और बोली - ये दो तीन पॉइंट दोबारा याद कर लो फिर खाना खाते हैं।

मैं - मैम खाना बाद मे। पहले आपने जो वादा किया था वो।
मैम - पहले ये याद करो। मैं आधे घंटे में वापस आती हूँ फिर देखते हैं।

मैं फिर पढाई में जुट गया। कुछ देर बाद कमरे में मैम वापस आईं। इस बार तारा भी उनके साथ थी। उसने कपडे बदल लिए थे और एक मिनी पहनी हुई थी। मिनी के ऊपर से एक गरम लबादा ओढ़ा हुआ था। कमरे में आकर वो भी उतार दिया। उसे देखते ही मेरे मुँह से सिटी निकल गई। एकदम सेक्सी लग रही थी। उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और शायद पैंटी भी।
मैम - सब याद हो गया ?
मैं - हाँ।
मैम - गुड। खाना खाना है ?
मैं - अभी नहीं। आपने जो वादा किया था वो पूरा कीजिये।
मैम - हम्म्म। मानोगे नहीं।
मैं - अब कैसे मान सकता हूँ।
मैम - फिर खाने के बाद रुक कर अपने दुसरे सब्जेक्ट के भी एक चैप्टर को तैयार करना होगा।
मैं - मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
मैम - ठीक है। मैं ज़रा बाथरूम से आती हूँ।

मैं अब सोफे पर तारा के बगल में बैठ गया था। तारा शर्मा रही थी। मैंने उसे अपने गोद में बिठाना चाहा तो उसने मन कर दिया।
मैं - पिछली बार तो हर चीज के लिए तैयार थी पर अब क्या हुआ ?
तारा - मैं बेशरम लड़की नहीं हूँ। कुछ तो शर्म करो।
मैं - अभी मैम से चूत चटवाओगी तो शर्म कहाँ जाएगी ?
तारा - मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं कावाने वाली।
मैं - अच्छा , तो इस ड्रेस में क्यों हो ?
तारा - ये मेरा रोज का है। मेरा घर है मेरी मर्जी।

मैं उसके नंगे जांघो को सहला रहा था जिसमे उसे कोई अप्पति नहीं थी। उसके रोयें खड़े हो गए थे और मेरा लंड। हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे। कुछ ही पल में हम दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। इतनी ठंढ में भी हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे।

तभी मैम कि आवाज आई - तुम दोनों आपस में ही रिलैक्स हो लोगे या मेरी जरूरत है भी। देखा तो मैम सिर्फ एक ब्रा और पैंटी में थी।
तारा शर्माते हुए बोली - माँ।
मैम बिस्तर पर लेट गईं और बोलीं - आ भी जाओ। राज , अपने कपडे उतार देना।

मैं फटाफट से अपने कपडे उतारने लगा। तब तक तारा बिस्तर पर अपनी माँ के बाँहों में थी। मैं भी वहां पहुँच गया। अब मैं मैम के एक तरफ था और दूसरी तरफ तारा। तारा एक तरफ मैम के नंगे पेट और नाभि को चूम रही थी तो मैं उनके चेहरे के बाद मुम्मो पर अटैक कर चूका था। कुछ देर कि चुम्मा चाटी के बाद मैम ने कहा - ऐसे करोगे तो घंटो बीत जायेंगे। टाइम नहीं है। राज तुम लेट जाओ।

मैं सीधा होकर लेट गया। मैम ने मेरा अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड एकदम शानदार तरीके से लहरा रहा था। मेरे लंड को देखते ही तारा बोली - माँ ये तो गधे के लंड से भी बड़ा लग रह है।
मैम - तभी कह रही हूँ इसके चक्कर में मत पड़। एग्जाम दे ले फिर तुझे ये दिलवाऊंगी। अभी तू बस अपनी चटवा। जा।

तारा एक आज्ञाकारी लड़की की तरह मेरे चेहरे की तरफ आई और पलंग का सिरहाना पकड़ कर इस तरह हो गई जैसे उसकी चूत मेरी मुँह पर आ गई। मैं उसकी चिकिनी कुँवारी चूत को देखते ही उस पर लपक पड़ा। मेरे जीभ के लगते ही वो सिसक पड़ी। इधर मैम ने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया था।

तारा - आह , तुम तो चाटने में एक्सपर्ट हो। मजा आ गया , उफ्फ्फ , थोड़ा अंदर। हाँ। तेज और तेज। चाटो , चाट ार खा जाओ।
मैं लपालप उसके चूत को चाट रहा था और मैम गपागप मेरे लंड का स्वाद लिए जा रही थी। तारा तो कुछ ही देर मेरे मुँह पर खूब सारा पानी उड़ेल कर फ्री हो गई। पर मैम को पता था मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानुगा। मैम ने ने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा लंड अपनी चूत में दाल लीं।

मैम - बस अब जल्दी से चोद और फ्री हो जा।
मैं - मैम आप चढ़ी है , आप चप्पू चलाइये।

मैम ने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी। मैंने उनके स्तन पकड़ लिए और दबाते हुए कहा - आह मस्त चुदास औरत हो आप। बस चले तो आपकी चूत में ही घुसा रहूं।
मैम - मादरचोद , अपनी माँ और बहन की चूत से फुर्सत मिले तो ना मेरे पास आएगा। भोसड़ी के अपनी मौसी और मौसेरी बहन तक की चूत मार आया पर यहाँ हम दोनों माँ बेटी तरस रही हैं
मैं - आपको इशारा करना था मैम , आपकी चूत की फाटक बना देता। तारा के अंदर का भी डर निकल जाता।
मैम - साली इसने जब से तेरे लंड के कारनामे सुने हैं जिद्द मारे बैठी है चढ़ेगी तो तुझ पर ही। पर मुझे पता है अभी चुदवाया तो एग्जाम नहीं दे पायेगी। तुम सब पास हो जाओ फिर इसकी चूत भी दिला दूंगी।
मैं - हम्म उफ़ क्या मस्त चुचे हैं आपके। मन करता है दबाते रहूं।
मैम - दबा न।
अब मैं मैम के चुचे बेरहमी से दबा रहा था और मैम भी उतनी ही तेजी से मेरे ऊपर उछल उछल कर चुद रही थी। तारा बेचारी आँखे फाड़े हमें देख रही थी।
कुछ ही देर में मैम और मैं दोनों एक साथ आना पानी छोड़ दिए। पानी छोड़ते ही मैम मेरे बगल में लेट गईं। उनके लेटते ही तारा ने पहले मेरे लंड को साफ़ किया और फिर अपनी माँ की चूत को।
हम तीनो के फारिग होते ही मैम ने कहा - चलो फटाफट खाना खाते हैं फिर एक एक चैप्टर और ख़त्म करना है।
मैं - मैम , ऐसे पढ़ाओगी तो मैं क्लास में टॉप कर जाऊंगा।
तारा - टॉप पर तो माँ ही रहेंगी।
ये सुन हम सब हंस पड़े।
उस रात घर लौटते समय मैम ने कहा - घर जाकर भी पढ़ना है। कल फिर दोपहर में मिलेंगे।

इस तरह कुछ हफ्ते में ही मेरा कोर्स मैम ने चुदाई के साथ ख़त्म करवाया। मुझे तारा की चूत रिजल्ट के बाद मिलनी थी। पर इतने दिनों में अब आलम ये हो गया था की कमरे में हीटर चला कर हम सब नंगे ही रहने लगे थे और नंगे ही पढाई के साथ चुदाई होती थी।
Very very hot update.
 
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Premkumar65

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मौसी के यहाँ से लौटने के बाद मैं काफी व्यस्त हो गया था। परीक्षा की तैयारी भी करनी थी। इधर बीच श्वेता एक आध बार ही घर आई। हम दोनों तैयारी अच्छे से कर लेना चाहते थे क्योंकि होली में सबको इक्कठा होना था। करीब हफ्ता भर खराब हो जाता इस लिए अभी ही पढाई पूरी करनी थी। मुझे बाकी सभी विषयों में पूरा कॉन्फिडेंस था पर फिलोसफि समझ नहीं आ रही थी। एक दिन सरला दी का फ़ोन आया तो जब मैंने बताया की मुझे ये विषय समझ नहीं आ रहा तो उन्होंने कहा - अरे दीप्ति मैम से पढ़ ले। उनका सब्जेक्ट है। नोट्स भी दे देंगी।

मैं - अरे यार , मैं तो भूल ही गया था। उन्होंने कहा भी था कि डाउट होने पर पूछ लेना।
दीदी - ही ही , तुझे वो फिलोसोफि से ज्यादा सक्सोलोग्य कि टीचर जो लगती हैं।
मैं - हाँ , और अब तो तारा भी तैयार हो चुकी है।
दीदी - एक और कुँवारी चूत।
मैं - तुम भी ना। बात कहाँ थी कहा ले गई। अब क्या ख़ाक ही पढ़ पाउँगा।
दीदी - हाँ , पता चला फिलोसोफी तो समझ में आया नहीं , बाकी सब भी भूल जायगा। रहने दे।


पर दीदी ने दिमाग में खलल डाल दी थी। वैसे भी आखिरी बार दोनों माँ बेटी तैयार थी पर मैं सामने परोसी हुई थाली छोड़ आया था। पर उनसे बात करने का मतलब था वाकई पढाई नहीं होगी। उनके सेक्सी शरीर के सामने क्या ही पढाई होगी। मेरे मन में उधेड़ बन चल ही रही थी। निचे वाले भाई साहब भी मुँह उठा कर बार बार मुझे उकसा रहे थे। लंड और दिमाग में जंग चल रहा था। पर आखिर में जीत लंड महाराज कि ही हुई। मैंने फ़ोन घुमा ही लिया।

दीप्ति मैम - हेलो राज , कैसे हो? बड़े दिनों बाद हमारी याद आई ?
मैं - हेलो मैम। सॉरी , मैं थोड़ा बीजी हो गया था। आपसे बात नहीं कर पाया।
मैम - हाँ भाई , जिसके लिए लड़कियों कि लाइन लगी हो उसको क्या ही फ़िक्र होगी। श्वेता भी कह रही थी आजकल मौसी के यहाँ के बहुत चक्कर लग रहे हैं। तुम्हारे पास तो उसके लिए भी समय नहीं है।
मैं - अरे मैम , ऐसा नहीं है। श्वेता से तो अभिमुलाकत हुई थी। और उसने तो खुद ही ऐसी शर्त लगा रखी है। आप तो सब जानती हैं।
मैम - हम्म , अरे मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी। बहुत अच्छी लड़की है वो। पढ़ लिख कर कुछ बन जाओ तो फिर मौज के लिए तो जिंदगी पड़ी है।
मैं - हाँ मैम , मौसी के यहां भी बिजनेस के चक्कर में ही जाना पड़ रहा है।
मैम - मुझे पता है। और सुनाओ कैसे याद किया इस बुढ़िया मैडम को।
मैं - मैम आप फिर शुरू हो गईं। आपके सामने तो जवान भी फेल हैं।
मैम - तारीफ रहने दो। असली बात बताओ।
मैं - मैम वो दरअसल परीक्षा नजदीक है और मुझे आपका सब्जेट समझ नहीं आ रहा है।
मैम - कौन सा सब्जेक्ट समझ नहीं आ रहा है ? तुम तो एक्सपर्ट हो उसमे
मैं - ही ही ही। वो सब्जेक्ट तो क्लियर है। उसमे आप जब चाहो एग्जाम ले लो। फिलोसोफी नहीं समझ आ रही है।
मैम - आ जाओ घर पर। चार पांच दिन आओ। सब समझा दूंगी। नोट्स भी रखे हैं। दे दूंगी।
मैं - वही सोच रहा था। पर आप और तारा दोनों होंगी तो दुसरे सब्जेक्ट कि ही पढाई होगी।
मैम - हम्म। बात तो सही यही।
फिर कुछ सोच कर बोलीं - तुम आओ। मैं कुछ होने नहीं दूंगी।
मैं - आपके कहने से क्या होगा।
मैम - तुम आओ तो सही।
मैंने माँ को बताया तो वो बोलीं - देख लो। पढ़ना तुम्हे है। वहां पढाई हो तो चले जाओ।

माँ से परमिशन मिलने के बाद तय हुआ कि मैं रोज दोपहर में मैम के यहाँ चला जाया करूँगा और रात को लौटूंगा। उन्होंने बाकी सब्जेक्ट के भी नोटस माँगा लेने का वाद किया था।

मैं अगले दिन दोपहर को मैम के यहाँ पहुँच गया। दरवाजा तारा ने खोला। उसने सलवार कुरता पहना हुआ था।ऊपर से स्वेटर। उसके कपडे एकदम संस्कारी बच्चों वाले थे। वैसे भी सर्दी आ चुकी थी। उसने मुझे गले लगाया। शिकायतों के नोक झोंक के साथ हम ड्राइंग रूम में बैठे ही थे कि अंदर से मैम निकली। वो भी सलवार सूट में थी और ऊपर से शाल डाला हुआ था। कुछ देर चाय पानी के बाद मैम ने तारा को अपने कमरे में जाने को कहा। उसकी भी परीक्षाएं थी। मेरा मन था कुछ देर वो साथ रहे। बहुत दिनों बाद मिल रहा था। पर मैम ने स्ट्रिक्टली मन कर दिया। बोलीं ब्रेक में तुम लोग बातें कर लेना। फिर मैम मुझे अपने कमरे में लेकर गईं। उनके कमरे में भी एक टेबल कुर्सी लगी हुई थी। कमरे में हीटर चलने कि वजह से अच्छी खासी गर्मी थी।

मैम ने मुझे स्टडी टेबल के पास बैठा कर पूछा - बताओ क्या क्या समझ नहीं आ रहा है ?
मैं - आपको देख कर तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।
मैम - देखो , पढाई करनी है तो बोलो वरना अपने घर जाओ।

मैं मैम के इस रूप को देख कर थोड़ा चकित था। खैर सही ही कह रही थी। मैंने किताबें निकाल ली। उनको अपने प्रॉब्लम वाले एरिया बताये। मैम ने पहले वो चैप्टर समझाया फिर नोट्स दिए।

नोट्स समझाने के बाद उन्होंने कहा - अब ये रट जाओ। इसमें इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स लिखे हैं उसे याद करो तब तक मैं तारा को देख कर आती हूँ। मुझे आने में थोड़ा टाइम लगेगा। उसे भी समझाना है। पर तुम बिना डिस्ट्रक्शन के याद करो, मैं आकर पूछूँगी।

मैं एक आज्ञाकारी बच्चे कि तरह याद करने लगा। वो फिर चली गईं। उन्होंने इतने अच्छे से समझाया था कि याद करने में कोई दिक्कत नहीं आ रही थी।

करीब चालीस मिनट बाद मैम हाथ में चाय का प्याला लेकर आईं। मैम ने मुझे चाय थमाई और फिर मुझसे नोट्स लेकर क्वेश्चन करने लगीं। मुझे सब याद हो गया था। मैं सवालों का जवाब देता चला गया। सब सुनने के बाद मैम बोलीं - तुम्हे सब आता तो है। क्यों परेशान थे ?
मैं - आपके समझाने से समझ आया है और आपके नोट्स इतने बढ़िया हैं कि सब जल्दी से याद हो गया।
मैम हंसने लगीं और बोलीं - चलो अब थोड़ा ब्रेक ले लो। फिर दूसरा चैप्टर भी पढ़ा दूंगी।
मैम सोफे पर थी। मैं उठकर उनके पास पहुंचा और बोला - ब्रेक में क्या करू ?

मैम कि धड़कन तेज हो गई। उन्होंने शव और दुपट्टा उतार रखा था। मैंने उनके गालों को चूम लिया और कहा - आपको पता है, पढाई के बाद जब मुझे स्ट्रेस काम करना होता है तो मैं क्या करता हूँ ?
मैम - क्या करते हो ?
मैं - माँ के गोद में सर रख कर लेट जाता हूँ और उनके दूध पीता हूँ , उनके दूध पीने और दबाने से मेरा सारा स्ट्रेस निकल जाता है।
तभी कमरे में तारा आई और बोली - मुझे लगा था कि पढाई हो रही होगी पर यहाँ तो आशिकी हो रही है। माँ ये तो चीटिंग हैं।
मैं - मैं तो स्ट्रेस हल्का कर रहा था। मैम ने ब्रेक दिया है।
तारा - ब्रेक तो मुझे भी चाहिए थे और ऐसे स्ट्रेस काम होता है या बढ़ता है। अपने पेंट के निचे देखो। कितना स्ट्रेस है।
मैं - अब तुम जैसी सुन्दर लड़की सामने होगी तो ये स्ट्रेस में आएगा ही।
तारा हँसते हुए - देख रही हो माँ। ये साला अभी तुम्हारे बाँहों में था अब मुझे देख मुझे लाइन मार रहा है।
मैं - अरे आप दोनों लोग एकदम माल हो।
मैम - रहने दे अपने बहाने। तू अपना स्ट्रेस कम कर ले।
मैं उनके मुम्मो पर हाथ लगाते हुए बोला - सच में ?
मैम - हम्म।
मैं मैम के मुम्मे दबाने लगा और उन्हें चूमने चाटने लगा। कुछ देर तो तारा हमर देखती रही फिर बोली - हम्म्म्म मैं चलती हूँ।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और खींच कर अपने गोद में बिठा लिया। मैंने कहा - लाओ तुम्हारा स्ट्रेस भी काम कर दूँ ,
तारा ने नखड़े दिखाते हुए कहा - मुझे कोई स्ट्रेस नहीं है।
मैंने उसके छोटे सेब पकड़ लिए और कहा - तुम्हारे ये टाइट से निप्पल तो पुरे स्ट्रेस में हैं।
तारा ने मेरा हाथ हटाते हुए कहा - अब ऐसी हरकत देख कर इनका ये हाल नहीं होगा तो क्या होगा।

मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। वो सिसकने लगी थी। उधर मैम भी गरम हो चुकीं थी। पर उन्हें पता था कि समय खराब करने से पढाई डिस्टर्ब होगी।
उन्होंने हमें कुछ देर मस्ती करने दिया और फिर कहा - अब ब्रेक ख़त्म , तारा तुम अपने कमरे में जाओ। राज चलो अगला चैप्टर।
मैं - मैम , प्लीज।
मैम - नो। आज का टारगेट पूरा करो तो तुम दोनों को रिलैक्स कर दूंगी। पर अभी नही। तारा , तुम अपना अगला चैप्टर तैयार करो।

हम दोनों के साथ खेल हो गया। पर मैम एकदम स्ट्रिक्ट बानी हुई थी। मैम ने मुझे अगला चैप्टर समझाया , उसके नोट्स याद करने को दिए और कहा - मैं खाना बनाने जा रही हूँ। तब तक ये याद कर लो।
मैम ने माँ को कहा था कि खाना यहीं होगा। मैम रोकना चाह रही थी पर माँ ने मना कर दिया। पढाई के बाद रात में मुझे वापस जाना था। मेरा फोकस वापस आ गया था। मैं समझने और याद करने में जुट गया।

करीब एक घंटे बाद मैम वापस आईं। उनके हाथ में गरमा गरम सूप था। वो मुझसे सवाल पूछने लगीं। मैं जवाब देता गया। वो मेरे आंसर से बेहद खुश थी। उन्होंने मुझे कुछ करेक्शन करने को कहा और बोली - ये दो तीन पॉइंट दोबारा याद कर लो फिर खाना खाते हैं।

मैं - मैम खाना बाद मे। पहले आपने जो वादा किया था वो।
मैम - पहले ये याद करो। मैं आधे घंटे में वापस आती हूँ फिर देखते हैं।

मैं फिर पढाई में जुट गया। कुछ देर बाद कमरे में मैम वापस आईं। इस बार तारा भी उनके साथ थी। उसने कपडे बदल लिए थे और एक मिनी पहनी हुई थी। मिनी के ऊपर से एक गरम लबादा ओढ़ा हुआ था। कमरे में आकर वो भी उतार दिया। उसे देखते ही मेरे मुँह से सिटी निकल गई। एकदम सेक्सी लग रही थी। उसने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी थी और शायद पैंटी भी।
मैम - सब याद हो गया ?
मैं - हाँ।
मैम - गुड। खाना खाना है ?
मैं - अभी नहीं। आपने जो वादा किया था वो पूरा कीजिये।
मैम - हम्म्म। मानोगे नहीं।
मैं - अब कैसे मान सकता हूँ।
मैम - फिर खाने के बाद रुक कर अपने दुसरे सब्जेक्ट के भी एक चैप्टर को तैयार करना होगा।
मैं - मुझे कोई दिक्कत नहीं है।
मैम - ठीक है। मैं ज़रा बाथरूम से आती हूँ।

मैं अब सोफे पर तारा के बगल में बैठ गया था। तारा शर्मा रही थी। मैंने उसे अपने गोद में बिठाना चाहा तो उसने मन कर दिया।
मैं - पिछली बार तो हर चीज के लिए तैयार थी पर अब क्या हुआ ?
तारा - मैं बेशरम लड़की नहीं हूँ। कुछ तो शर्म करो।
मैं - अभी मैम से चूत चटवाओगी तो शर्म कहाँ जाएगी ?
तारा - मैं ऐसा वैसा कुछ नहीं कावाने वाली।
मैं - अच्छा , तो इस ड्रेस में क्यों हो ?
तारा - ये मेरा रोज का है। मेरा घर है मेरी मर्जी।

मैं उसके नंगे जांघो को सहला रहा था जिसमे उसे कोई अप्पति नहीं थी। उसके रोयें खड़े हो गए थे और मेरा लंड। हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे। कुछ ही पल में हम दोनों एक दुसरे के बाहों में थे। इतनी ठंढ में भी हम दोनों एकदम गरम हो चुके थे।

तभी मैम कि आवाज आई - तुम दोनों आपस में ही रिलैक्स हो लोगे या मेरी जरूरत है भी। देखा तो मैम सिर्फ एक ब्रा और पैंटी में थी।
तारा शर्माते हुए बोली - माँ।
मैम बिस्तर पर लेट गईं और बोलीं - आ भी जाओ। राज , अपने कपडे उतार देना।

मैं फटाफट से अपने कपडे उतारने लगा। तब तक तारा बिस्तर पर अपनी माँ के बाँहों में थी। मैं भी वहां पहुँच गया। अब मैं मैम के एक तरफ था और दूसरी तरफ तारा। तारा एक तरफ मैम के नंगे पेट और नाभि को चूम रही थी तो मैं उनके चेहरे के बाद मुम्मो पर अटैक कर चूका था। कुछ देर कि चुम्मा चाटी के बाद मैम ने कहा - ऐसे करोगे तो घंटो बीत जायेंगे। टाइम नहीं है। राज तुम लेट जाओ।

मैं सीधा होकर लेट गया। मैम ने मेरा अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड एकदम शानदार तरीके से लहरा रहा था। मेरे लंड को देखते ही तारा बोली - माँ ये तो गधे के लंड से भी बड़ा लग रह है।
मैम - तभी कह रही हूँ इसके चक्कर में मत पड़। एग्जाम दे ले फिर तुझे ये दिलवाऊंगी। अभी तू बस अपनी चटवा। जा।

तारा एक आज्ञाकारी लड़की की तरह मेरे चेहरे की तरफ आई और पलंग का सिरहाना पकड़ कर इस तरह हो गई जैसे उसकी चूत मेरी मुँह पर आ गई। मैं उसकी चिकिनी कुँवारी चूत को देखते ही उस पर लपक पड़ा। मेरे जीभ के लगते ही वो सिसक पड़ी। इधर मैम ने मेरे लौड़े को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया था।

तारा - आह , तुम तो चाटने में एक्सपर्ट हो। मजा आ गया , उफ्फ्फ , थोड़ा अंदर। हाँ। तेज और तेज। चाटो , चाट ार खा जाओ।
मैं लपालप उसके चूत को चाट रहा था और मैम गपागप मेरे लंड का स्वाद लिए जा रही थी। तारा तो कुछ ही देर मेरे मुँह पर खूब सारा पानी उड़ेल कर फ्री हो गई। पर मैम को पता था मैं इतनी आसानी से हार नहीं मानुगा। मैम ने ने अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा लंड अपनी चूत में दाल लीं।

मैम - बस अब जल्दी से चोद और फ्री हो जा।
मैं - मैम आप चढ़ी है , आप चप्पू चलाइये।

मैम ने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी। मैंने उनके स्तन पकड़ लिए और दबाते हुए कहा - आह मस्त चुदास औरत हो आप। बस चले तो आपकी चूत में ही घुसा रहूं।
मैम - मादरचोद , अपनी माँ और बहन की चूत से फुर्सत मिले तो ना मेरे पास आएगा। भोसड़ी के अपनी मौसी और मौसेरी बहन तक की चूत मार आया पर यहाँ हम दोनों माँ बेटी तरस रही हैं
मैं - आपको इशारा करना था मैम , आपकी चूत की फाटक बना देता। तारा के अंदर का भी डर निकल जाता।
मैम - साली इसने जब से तेरे लंड के कारनामे सुने हैं जिद्द मारे बैठी है चढ़ेगी तो तुझ पर ही। पर मुझे पता है अभी चुदवाया तो एग्जाम नहीं दे पायेगी। तुम सब पास हो जाओ फिर इसकी चूत भी दिला दूंगी।
मैं - हम्म उफ़ क्या मस्त चुचे हैं आपके। मन करता है दबाते रहूं।
मैम - दबा न।
अब मैं मैम के चुचे बेरहमी से दबा रहा था और मैम भी उतनी ही तेजी से मेरे ऊपर उछल उछल कर चुद रही थी। तारा बेचारी आँखे फाड़े हमें देख रही थी।
कुछ ही देर में मैम और मैं दोनों एक साथ आना पानी छोड़ दिए। पानी छोड़ते ही मैम मेरे बगल में लेट गईं। उनके लेटते ही तारा ने पहले मेरे लंड को साफ़ किया और फिर अपनी माँ की चूत को।
हम तीनो के फारिग होते ही मैम ने कहा - चलो फटाफट खाना खाते हैं फिर एक एक चैप्टर और ख़त्म करना है।
मैं - मैम , ऐसे पढ़ाओगी तो मैं क्लास में टॉप कर जाऊंगा।
तारा - टॉप पर तो माँ ही रहेंगी।
ये सुन हम सब हंस पड़े।
उस रात घर लौटते समय मैम ने कहा - घर जाकर भी पढ़ना है। कल फिर दोपहर में मिलेंगे।

इस तरह कुछ हफ्ते में ही मेरा कोर्स मैम ने चुदाई के साथ ख़त्म करवाया। मुझे तारा की चूत रिजल्ट के बाद मिलनी थी। पर इतने दिनों में अब आलम ये हो गया था की कमरे में हीटर चला कर हम सब नंगे ही रहने लगे थे और नंगे ही पढाई के साथ चुदाई होती थी।
Very very hot update.
 

Premkumar65

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एक दिन ऐसे ही रात को मैं दीप्ति मैम के यहाँ से लौट रहा था कि श्वेता का फ़ोन मेरे पास आया।
मैं - आज मेरी याद कैसे आ गई ?
श्वेता - तेरी याद मेरे जेहन से कभी गई ही नहीं। बल्कि तू चुतों के समंदर में गोते लगा रहा है।
मैं - तुमने ही तो शर्त रख दी थी
श्वेता - रखी तो थी पर तुम तो शर्त रखने वाले को ही भूल गए।
मैं ये सुनकर थोड़ा इमोशनल हो गया। मुझे लग गया था कि श्वेता वास्तव में मुझे मिस कर रही थी। क्या उसे अपने शर्त पर पछतावा हो रहा था या फिर बस ऐसे ही थोड़ी उदासी थी ?
मैंने उससे पुछा - तुम कहो तो आज ही सब छोड़ छाड़ कर तुम्हारे साथ भाग चलूँ।
श्वेता ने हँसते हुए कहा - रहने दो। बस तुम मुझे आज घर ले चलो।
मैं - जो हुकुम मेरे सरकार।
मैंने गाडी उसके हॉस्टल की तरफ मोड़ लिया। वहां गेट पर वो पहले से मेरा इंतजार कर रही थी। ठंढ में उसके गाल सेव जैसे एकदम लाल हो रखे थे। मैंने उसके गाल पकड़ का रखीँच लिए तो उसने चिढ़ते हुए कहा - क्या कर रहे हो ?
मैंने कहा - एकदम सेव लग रही हो। काट कर खा जाने का मन कर रहा है।
श्वेता - क्यों अभी जिस बागान से आ रहे हो , वहां सेव नहीं थे क्या ?
मैं - कुछ जलने जैसा क्यों लग रहा है ?
श्वेता - मैं क्यों जलूँगी भाई ?
मैं - हम्म। मुझे कुछ कुछ ऐसा ही लग रहा है।
श्वेता - घर चलो ठंढ लग रही है।
मैंने गाडी घर की तरफ कर ली। श्वेता को देखते ही माँ एकदम से खुश हो गईं। उन्होंने उसे गले लगाया और फिर उसके माथे और गाल पर चूमते हुए कहा - हमें भूल गई थी हमारी बिटिया।
श्वेता - नहीं माँ , भूली नहीं थी। बस एग्जाम की तैयारी में बीजी थी।
माँ - ये जनाब भी तैयारी में हैं। रोज अपनी मैडम के यहाँ चले जाते हैं। भगवान् जाने दोनों माँ बेटी क्या पढ़ाते हैं इसे।
माँ के अंदर से भी उनका दर्द बाहर आ रहा था। मुझे लग गया आज ये दोनों मुझे बहुत ताने मारेंगी। मैं चुप चाप अपने कमरे में चला गया। श्वेता ड्राइंग रूम में बैठ गई और माँ किचन में हमारे लिए कॉफ़ी बनाने लगीं।
मैं जब आया तो श्वेता फिर से बोल पड़ी - और बताओ पढाई कैसी चल रही है ?
मैं - तू सरकास्टिक बोल रही है या सच में पूछ रही है ?
श्वेता - सच में बता दो भाई।
मैं - पढाई सही चल रही है। मैडम ने लगभग लगभग कोर्स ख़त्म करा दिया है। गजब पढ़ाती हैं वो।
किचन से माँ बोली - हाँ गजब तो पढ़ाती होंगी। पढ़ाने के बाद तो इंटरकोर्स भी करती होंगी। कोर्स तो ख़त्म होगा ही।
श्वेता ये सुनकर जोर जोर से हंसने लगी। मुझे तो पहले खीज आई फिर मुझे भी हंसी आ गई।
मैंने हँसते हुए कहा - माँ , इंटरकोर्स तो आपके साथ ही होता है। श्वेता ने मना कर रखा है। अब क्या ही कर सकता हूँ।
श्वेता - और बता , अब तक तो तारा की चूत तो दरवाजा हो गई होगी।
मन - नहीं यार। अभी नहीं। उसकी लेने का मौका ही नहीं मिला। एग्जाम के बाद शायद मिले।
श्वेता - उम्म्म्म , बच्चे को कितना दुःख है। देख रही हो माँ। बेचारे के सामने थाली राखी रहती है पर खा नहीं पा रहा।
माँ - हाँ , उसकी अम्मा पहले इसे छोड़े तब न।
मैं - यार तुम दोनों को मेरी खिंचाई करनी है तो मैं जा रहा हूँ।
श्वेता - यार बैठो भी। अब इतने दोनों बाद मिले हैं कुछ तो मजे कर लेने दो।

हम तीनो ने कॉफी पी। उसके बाद दोनों किचन में काम करने लग गईं। मैंने भी थोड़ी बहुत मदद की। काफी दिनों बाद मिलने की वजह से मेरी नजर श्वेता के चेहरे से हट ही नहीं रही थी। उसका चेहरा बहुत सुन्दर लग रहा था। मैं बीच बीच में उसे किस कर लेता था। माँ भी उसे बहुत प्यार भरी नजरों से देख रही थी। खाना खाने के बाद हम ड्राइंग रूम में ही टीवी देखने लगे। माँ एक कोने में शॉल ओढ़े बैठी थी। कमरे में हीटर चल रहा था फिर भी श्वेता एक कम्बल ओढ़े माँ के गोद में सर रख कर लेती थी। मैं भी उसी सोफे में घुसने की कोशिश कर रहा था पर उसने मुझे भगा दिया। मजबूरन मुझे दुसरे पर कम्बल ओढ़ कर बैठना पड़ा। माँ प्यार से कभी श्वेता के गाल सहलाती तो कभी उसके गालों को चूम लेती। कुछ ही देर में दोनों मस्ती में आ गईं। मैंने देखा की माँ का हाथ अब कम्बल के अंदर से ही श्वेता के कुर्ती के अंदर जा चूका था और वो उसके मुम्मे हलके से दबा रही थी। श्वेता उन्हें मना नहीं कर रही थी बल्कि उसका हाथ अपने चूत पर पहुँच गया था। उसने चूत में ऊँगली करनी शुरू कर दी थी।

मुझसे भी रहा नहीं गया मैं उसके पैरों के पास जाकर बैठ गया और कम्बल में घुस गया। मैं चाहता था की मैं खुद ही ऊँगली करूँ। उसने पहले तो मुझे भगाने की कोशिश की पर अंत में उसने हार मान लिया। उसने मेरे जांघो पर पेअर रख दिया। मैं इस तरह से खिसक गया जिससे मैं उसके पैरों के बीच में आ गया। मैंने हाथ बढ़ा कर उसके सलवार उतारने की कोशिश की तो उसने रोक दिया। मैं जबजस्ती करके उसका मूड खराब नहीं करना चाहता था तो मैंने सीधे सलवार के अंदर हाथ डालकर उसके पैंटी के ऊपर से उसके चूत को अपने पंजे के कब्जे में कर लेता हूँ। मेरे ऐसा करते ही उसने जोर से सिसकारी ली और अपने दोनों पैरों को सिकोड़ लिया। उधर माँ ने अपने शाल के अंदर से अपना कुर्ती ऊपर कर लिया और श्वेता के मुँह में अपने मुम्मे डाल दिए। अब श्वेता आराम से उनके स्तनों को चूसने लगी। माँ ने भी उसके कुर्ते को ऊपर तक कर दिया था और उसके स्तनों को दबा रही थी। इस सर्दी में भी कमरे के अंदर का माहौल गरम हो चूका था।
मैंने कुछ देर बाद श्वेता की पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया और धीरे धीरे से उसके चूत को सहलाने लगा।
श्वेता कुछ मिनटों बाद मेरी तरफ देख कर बोली - क्लीट को मसलो।
मैंने उसके क्लीट को अपने दो उँगलियों के बीच में दबा लिया और उँगलियों को रगड़ने लगा। इस तरह से उन उंगलियों के बीच में फंसे उसके क्लीट की मालिश होने लगी।
श्वेता - उफ्फ्फ। हाँ। इस्सस। माँ तुमने कितना बढ़िया सिखाया है इसे। उफ्फ्फ
उसके बदन में हलचल होने लगी थी। उसने सलवार और पैंटी पहनी हुई थी तो मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी। उसे इस बात का अंदाजा लग गया था। उसे भी मजा नहीं आ रहा था। उसने आखिर खुद ही अपना सलवार और पैंटी हाथ डाल कर घुटने तक कर दिया। मैंने फिर उसे पूरी तरह से निकाल ही दिया। अब मेरे हाथो को कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। मैंने एक हाथ की उँगलियों से उसके क्लीट को सहलाना शुरू किया और दुसरे हाथ की उँगलियों को उसके चूत में डाल दिया। अब मेरे दोनों हाथ हरकत कर रहे थे। उसने अब माँ के स्तन पीना छोड़ दिया बल्कि उनके हाथो को अपने स्तनों पर रख दिया और माँ को झुकाकर उन्हें चूमने लगी । माँ ने भी इशारा समझ लिया। माँ ने उसके कुर्ते को ब्रा सहित उतार दिया और उसके स्तनों को मसलते हुए उसे चूमने लगीं। कम्बल के अंदर श्वेता पुरी तरह से नंगी थी और हम माँ बेटे उसके शरीर को आनंद दे रहे थे। कुछ ही देर में उसका शरीर अकड़ने लगा। उसने वहीँ छटपटाना शुरू कर दिया था। मुझे समझ आ गया था उसकी चूत पानी छोड़ने वाली है।
उसने भी उत्तेजना में बोलना शुरू कर दिया था - तेज , और तेज करो। मसल डालो। आह आह। बहुत दिनों से प्यासी थी मैं।
तुमने मुझे प्यासा ही रख रखा था और दूसरी लड़कियों के चक्कर में पड़ गए। मेरी चूत कितना शिकायत कर रही थी। उफ़ आह आह आह। माआआ संभाल लो मुझे , मैं गई। माआआ
उसका शरीर काँप रहा था। उसने मेरे हाथ को जोर से पकड़ लिया और अपने जांघों के बीच फंसा लिया। मेरी उँगलियाँ उसके चूत में ही थी। उसका शरीर काँप रहा था। मैं और माँ उसे स्खलित होता देख रहे थे। उसने माँ को झुकाकर एकदम से जकड लिया था। पूरी तरह से ओर्गास्म का आनंद लेने के बाद उसे जब होश आया तो वो शर्मा गई।
मेरा हाथ अभी उसके चूत के ऊपर था। मैं मन्त्रमुघ्ध होकर उसके संतुष्ट से सुन्दर चेहरे को देख रहा था।
उसने शर्माते हुए कहा - ऊँगली बाहर निकालो। मेरा हो गया।
मैं - हम्म , ओह्ह। तुम कितनी खूबसूरत लग रही हो।
श्वेता - पहले नहीं थी क्या ?
मैं - तुम हमेशा से थी। पर तुमने मुझे खुद से दूर कर दिया है।
पता नहीं ये बिजलकार मैं इमोशनल हो गया और मेरे आँखों में आंसू आ गए। मेरी हालत देख वो उठ कर बैठ गई और मुझे गले लगाते हेउ बोली - मैंने कभी तुम्हे खुद से दूर नहीं किया। ना ही तुम मेरे दिल से दूर गए हो। बस मज़बूरी है।
मैंने उसे गले लगा लिया। माँ ने उसे पीछे से कम्बल ओढ़ा दिया और उठ कर किचन में चली गईं।
मैं - ये कैसी मज़बूरी है जो अपने ही प्यार को दूर करता है।
श्वेता - तुम कितना भी दूर जाओ। अंत में मेरे पास ही आओगे। बोलो मुझे छोड़ कर तो नहीं चले जाओगे ?
मैंने उसके आँखों को किस किस किया और कहा - तुम कहो तो आज ही शादी कर लें और मैं फिर किसी के पास नही जाऊंगा।
श्वेता - पहले दोनों अपने पैरों पर खड़े हो जाएँ फिर देखते हैं। तब तक तुम्हे आजादी है।
मैं - मैं आजादी नहीं चाहता हूँ। बस तुम्हारा प्यार चाहिए।
श्वेता - मेरा प्यार सिर्फ तुम्हारे लिए ही है।
मैं - मेरा भी। सच कहूं तो जब भी किसी के नजदीक जाता हूँ तो शरीर भले वहां रहता है पर मन में तुम ही रहती हो। मैं यही कल्पना करता रहता हूँ की मैं तुम्हारे साथ हूँ।
तभी माँ ने गुनगुने गरम पानी के ग्लास टेबल पर रख दिया। उन्होंने हमारे बालों पर हाथ फेरा और जाने लगीं तो श्वेता ने उनका हाथ पकड़ लिया और बोली - मत जाओ न प्लीज।
उसके प्यार भरी बात सुनकर माँ भी अचानक से रोने लगीं। पुरे कमरे का माहौल इमोशनल सा हो गया। माँ श्वेता से चिपक कर बैठ गईं। श्वेता हम दोनों के सहारे थी। कुछ देर हम सब चुप बैठे थे। शांत से कमरे में तीन धड़कने सुनाई पड़ रही थी। आज मैंने श्वेता को प्यार दिया था पर आश्चर्य की बात थी मेरा लंड एकदम शांत था। आज के प्यार में हवस नहीं था।। सिर्फ प्यार था।
Shweta is Raj's Darling .
 
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Reactions: Shan shah and Gokb

Premkumar65

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Shaandar Mast Hot Update 🔥 🔥 🔥
पर कहते हैं न जब दो बदन मिलते हैं वो भी जन्मजात नग्न अवस्था में तो हवस हावी होने ही लगता है और यहाँ तो तीन बदन थे। श्वेता ने माँ के कंधे पर सर रखा हुआ था और उसके एक हाथ माँ के दुसरे कंधे पर लगा हुआ था। एक तरह से वो माँ के ऊपर बिना कपडे के थी पर ऊपर से कम्बल ओढ़ा हुआ था। मैं भी उसी कम्बल में था। श्वेता की छूट सहलाते सहलाते मैंने अपना पैजामा उतार दिया था। कम्बल में मेरे और श्वेता के पैर आपस में उलझे हुए थे। श्वेता का हाथ अब माँ के स्तनों पर आ चूका ठौर वो धीरे धीरे उसे दबा रही थी। माँ फिर से गरम होने लगीं थी। उनकी धड़कन तेज हो चुकी थी। श्वेता को समझ आ गया था अब माँ को भी ख़ुशी चाहिए।
उसने धीरे से कहा - माँ , मैं तो पूरी तरह से नंगी हूँ। आपके बहनचोद बेटे ने भी अपना पैजामा उतार रखा है पर आप पुरे कपडे में हैं।
माँ - हम्म , ठंढ है न।
श्वेता - माँ ठंढ तो जा चुकी है। कमरे में हीटर है और उसके ऊपर से बदन की गर्मी।
माँ - सही कह रही है। अब मेरे बदन में गर्मी बढ़ रही है।
माँ ने ये कहकर अपना कुरता उतार दिया। माँ अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी तो कुर्ती उतारते ही उनके मुम्मे बाहर आ गए। जसे लपक कर श्वेता ने मुह में भर लिया। अब माँ ने सोफे के साइड का सहारा लिया और सोफे पर लेटने वाली अवस्था में हो गईं। श्वेता उनके ऊपर हो गई और उनके स्तनों को दाने चूसने लग गई।
मेरे लिए सोफे पर जगह बची ही नहीं। मुझे उतरना पड़ा। मुझे उतरता देख माँ बोली - बेटा अब अपना गरम गरम रॉड दे दे मेरे मुँह मे। तेरी भी गर्मी उतर जाएगी।
मैं ये सुनकर एकदम खुश हो गया। उन्होंने मेरी समस्या ही दूर कर दी थी। मैं लपक कर उनके पास पहुंचा और उनके सर के पास खड़ा हो गया। उनका सर सोफे के हेडरेस्ट से टिका हुआ था उन्होंने मेरा लैंड अपने मुँह में डाल लिय। मैं अब अपने कमर को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। मैंने थोड़ा झुक कर उनके एक मुम्मे को पकड़ लिया। श्वेता ने जब मेरी स्थिति देखि तो वो फिर निचे सरक कर माँ के छूट के तरफ चली गई। उसने माँ के सलवार और पैंटी को उतार दिया और उनके चूत को चाटने लगी।
माँ ने मेरा लैंड छोड़ दिया और बोली - उफ्फ्फ , हाँ ऐसे ही। चाट ऊपर से निचे तक चाट। मेरी मुनिया को भी चूसते रहना।
माँ का आदेश पाकर श्वेता उनके हिसाब से चूत चाटने लगी और माँ ने मेरा लैंड फिर मुँह में ले लिया और मैं उनके मुह चोदने लगा। कुछ देर की चुसाई के बाद माँ से रहा नहीं गया। उन्होंने कहा - अब तू मुझे और मत तड़पा चोद दे मुझे। बहुत हुआ। आजा अब घुसा दे अपना लौड़ा माँ की चूत में।
माँ का आदेश पाते ही मैंने उनके कमर की तरफ रुख किया। माँ सोफे से उतर गेन और सोफे का हेडरेस्ट पकड़ कर झुक कर कड़ी हो गईं। मैं उनके पीछे पहुँच गया। उनके उभरे हुए गांड को देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनके गांड पर एक थप्पड़ मारा और कहा - मन तो कर रहा है गांड ही मार लूँ।
माँ - मादरचोद , मारता क्यों है ? पहले चूत की खुड़जलि मिटा।
मैंने मजाक में एक थप्पड़ और मारा और कहा - गांड भी दोगी न?
माँ - भोसड़ी के , अबकी हाथ लगा तो श्वेता से चटवा के झड़ लुंगी और तेरे लौड़े को कभी नहीं लुंगी।
उनके गुस्से भरे अंदाज से मुझे समझ आ गया था की उनके चूत में भयंकर खुजली मची है। चुदे बिना मानेंगी नहीं। मैंने अपना लैंड उनके चूत पर सेट किया और एक ही झटके में अंदर तक घुसा दिया।
उधर श्वेता उनके हाथों के बीच में उनके नीचे आ गई थी। उसका मुँह माँ के एकदम सामने था। उसने माँ को किस करते हुए कहा - चल राज चोद माँ को।
अब मेरी फटफटी चल पड़ी। मैं माँ के पीठ को सहला भी रहा था और उन्हें चोदे जा रहा था। श्वेता उनके स्तनों से खेलने लग गई थी। बीच बीच में वो उन्हें किस भी कर ले रही थी।
माँ - उह्ह्हह्ह ,चोद जोर से चोद। पेल दे अपनी माँ को बहनचोद।
मैं - एकदम कुतिया लग रही हो माँ। इतनी बार चोदा है फिर भी तुम्हारी चूत हर बार नै सी लगती है
माँ - भोसड़ी वाले , ये चूत जब नई लग रही है तो श्वेता की मारेगा तो कैसा लगेगा। उसकी कुंवारी चूत में तो बैगन तक नहीं गया है।
श्वेता का नाम सुनकर मैंने उसकी तरफ देखा तो वो बोल पड़ी - मेरे बारे में सोचना भी मत। तुम्हारा ये बांस जैसा लंडदेख कर तो मेरी चूत और सिकुड़ जाती है। पता नहीं क्या होगा मेरा।
माँ - इस्सस , चिंता नकार बेटी , मैं और तेरी माँ दोनों सुहागरात के दिन साथ में ही रहेंगे। एकदम दर्द नहीं होने देंगे।
श्वेता - पूरा खानदान बुला लेना माँ।
माँ - हिही ही , बस चले तो आ ही जाएँ।
श्वेता - भोसड़ी के तू क्या देख रहा है ? चल चोद अपनी माँ को। सुहागरात तो इन्ही के साथ मनाना।
मैं - चिंता न करो रानी , सुहागरात में तुम्हे और तुम्हारी माँ दोनों को चोद दूंगा।
श्वेता - वो तो एक नंबर की छिनाल है , वो सबसे पहले चुदेगी।
मस्ती भरी बातें और ख़ास कर चाची की गुदाज शरीर को याद करके मेरे धक्कों की स्पीड और तेज हो गई।
श्वेता ने अब अपना एक हाथ निचे से ही माँ के चूत पर लगा दिया था। एक तरफ मेरा लंड उनके चूत में हाहाकार मचा रहा था तो दूसरी तरफ श्वेता की उँगलियाँ माँ के क्लीट को रगड़ रही थी। माँ का शरीर अब दो तरफ से मिलने वाले आनंद के सागर में गोते लगाने लगा था। उनकी चूत अब कभी भी पानी छोड़ सकती थी। लगभग यही हाल मेरा भी था। कुछ ही देर में माँ का पूरा शरीर कांपने लगा और उनके पैर थरथराने लगे। उनकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। मेरे लंड ने भी उसी समय जवाब दे दिया और पुरे वेग से अपना माल उनके चूत में छोड़ने लगा। मैंने माँ को थामना चाहा और सोचा की अपना माल हमेशा की तरह उनके चूत में पूरा उड़ेल दूँ। पर माँ अपने चरम पर बहुत तेजी से गईं थी और धम्म से वहीँ बैठ गईं। मेरा लंड अब भी पिचकारी छोड़ रहा था जो की माँ के ऊपर ही गिरने लगा। तभी ना जाने क्या हुआ श्वेता आगे बढ़ी और मेरे लंड को अपने मु में भर ली। उसने मेरे लंड से निकलते माल को चाटना शुरू कर दिया। मेरा लंड मेरे रस के साथ साथ माँ के चूत के रस से भी भींगा हुआ था और श्वेता मजे से उसे चाटे जा रही थी। मुझे लगा था की मेरा लंड माल निकालने के बाद शांत होगा पर श्वेता के होठों ने उसे शांत नहीं होने दिया। मैंने सोचा की श्वेता की चूत ना सही उसके मुँह को ही चोद दूँ। पर उसने मेरे अरमानो पर पानी फेर दिया। पूरा माल चाट जाने के बाद उसने मुझसे कहा - मस्त माल है भाई। मजा आ गया।
मैं - चोदने दे ना।
श्वेता - यही बहुत है। शादी से पहले ऊपर से ही जो मिले उसके मजे ले लो।
मैं बेचारा क्या क्या करता वहीँ माँ के बगल में बैठ गया। मैं और माँ दोनों एक दुसरे से लिपटे सोफे के पास बिछे कार्पेट पर बैठ गए। उस रात खाने के बाद माँ और श्वेता ने फिर से एक दुसरे के चूत को चाटा। मैं थक गया था तो अपने कमरे में जाकर सो गया । दीप्ति मैम के यहाँ चुदाई फिर यहाँ माँ की चुदाई, मुझे तुरंत नींद आ गई थी। पर माँ और श्वेता लगता हो पागल सी हो गईं थी। पूरी रात एक दुसरे के बदन के साथ खेलती रहीं।


अगले दिन मैं उनके कमरे में जगाने गया तो माँ ने कहा - अभी सोने दे। सुबह पांच बजे तो सोये हैं।
मैनें दोनों को सोने दिया। दोपहर बारह बजे दोनों उठीं। मैंने दोनों को चाय भी पिलाया और नाश्ता भी कराया। श्वेता और माँ दोनों के चेहरे पर अजीब सी संतुष्टि थी।
मैंने उन्हें कहा - लगता है आप दोनों बहुत दिनों से प्यासी थी।
माँ - हां, तू इधर बीच बीजी हो गया था।
श्वेता - हमारे लिए इसके पास टाइम ही कहाँ है।
मैं अभी जवाब देने ही वाला था कि सोनी का फ़ोन आ गया। श्वेता ने सोनी का नाम देख कर कहा - देखा , इसकी प्रेमिकाओं कि कमी नहीं है।
मैंने फ़ोन उठा लिया। अगले हफ्ते फैक्ट्री के कागज़ पर साइन करने थे। मेरा मन नहीं था पर मज़बूरी थी। कुछ देर काम कि बात करने के बाद होली कि प्लानिंग होने लगी। तय यही हुआ कि सब नाना के यहाँ चलेंगे। होली का असली मजा वहीँ आने वाला था। बड़ी मौसी, लीला दी और विकास और सुरभि भी वहां आने के लिए तैयार थे।
सोनी ने श्वेता के बारे में पुछा तो मैंनेउसे कहा - खुद ही पूछ लो।
सोनी और श्वेता कि बात होने लगी। कुछ देर औपचारिकता के बाद जब सोनी ने श्वेता को नाना के यहाँ होली पर आने को कहा तो श्वेता शायद हाँ कहने वाली थी कि माँ ने उसे ना का इशारा किया। ये देख श्वेता ने कहा - देखती हूँ। मेरे एग्जाम भी होंगे।
कुछ देर सोनी ने और बात कि फिर फ़ोन रख दिया।
मैंने माँ से पुछा - आपने श्वेता को जाने से मना क्यों किया ?
माँ - साले तेरे सुहागरात से पहले ही इसकी चूत का भोसड़ा बन जाना है वहां।
मैं - क्या मतलब ?
माँ - तेरे नाना के यहाँ होली पर कोई नियम नहीं है। जिसका मन करे किसी को चोद सकता है। लौंडिया मन नहीं कर सकती।
श्वेता - ये अजीब नियम नहीं है ?
माँ - जिसके लिए अजीब है वो नहीं जाता। जो जा रहा है मतलब वो चुदने को तैयार है।
मैं - इसका मतलब विकास और सुरभि।
माँ - तू भोला है। तेरी मेरी चुदाई तो बहुत बाद में शुरू हुई। विकास तो अपनी माँ कि कबसे ले रहा है।
आश्चर्य से मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
माँ - तुझे क्या लगता है जिस घर में लीला जैसी लड़की हो वहा कैसा माहौल होगा। लीला को देख कर भी तुझे समझ नहीं आया।
श्वेता - पर माँ , सुरभि ?
माँ - वो लीला से कम नहीं ह। जीजा ने उसकी सील उसके अठारवें जन्मदिन पर ही तोड़ दी थी।
मैं और श्वेता दोनों खामोश थे। माँ ने कहा - कभी उनकी कहानी सुनाऊँगी।
मैं - अभी बताओ न। सुरभि कि सील कैसे टूटी ? नाना ने भी उसे पेला है क्या ? विक्की और मौसा के तो मजे हैं। तीन तीन चूत।
माँ - चल खाना बनाने दे। दोपहर में सुनाऊँगी उनकी बात।
श्वेता - मजा आएगा। आज दोपहर में।
मैं - बस सुन कर मजे लेगी। देख तेरे बराबर कि लौंडिया चूत का भोसड़ा बना चुकी है और तू मुझसे शर्त शर्त खेल रही है।
श्वेता - सबकी अपनी मर्जी होती है। मेरी मर्जी है कि पति से सुहागरात को ही सील खुलवाउंगी।
मैं - यार पति सामने खड़ा है। चल अभी शादी करते हैं।
श्वेता - अपना मुँह देखा है। पहले शादी के लायक बनो। अपने पैर पर खड़े हो जाओ। फिर सोचूंगी।
मैं - शादी के लायक जिसे होना है वो हो चूका है। और अपने दोनों पैरों के बल पर खड़ा हूँ। तीसरे के बल पर तुझे खड़ा कर दूंगा।
श्वेता - ही ही ही , मजाक अच्छा है।
मैं - मजाक लग रहा है। माँ बता इसे मेरे पैरों के बारे में।
माँ - लड़कर क्या फायदा। आज नहीं तो कल इसकी चूत मिल ही जाएगी। तब तक तू अपने हथियार कि धार को बाकी चुतों से रगड़ रगड़ कर तेज करो।
ये सुनकर मैं और श्वेता हंस पड़े। माँ किचन में लग गईं। मैं और श्वेता पढाई में जुट गए। आज दोपहर फिर एक कहानी माँ सुनाने वाली थी।
mast mast update.
 

Urlover

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अगला एक हफ्ता कैसे बीता पता ही नहीं चला। गोवा जाने की वजह से कॉलेज का काफी काम बचा हुआ था। मुझे वो सारा करना था। फिर सुधा दीदी आ रही थी तो माँ ने उनके लिए और मेरे लिए खूब साड़ी पौस्टिक चीजें बनाई , जसिमे मैंने मदद की। माँ चाहती थी कि गर्भ धारण के वक़्त दीदी एकदम स्वस्थ रहे। उन्होंने गोंद और ड्राई फ्रूट इत्यादि ले लड्डू बनाये। मेवे की मिठाई , फल वगैरह से घर भरवा लिया।
दिन आते ही मैं उनको लेने के लिए चला गया। उनका ससुराल पास के ही शहर में था तो मैंने अपनी ही गाडी से खुद ही लाने को सोचा। प्लान था की मैं शनिवार को जाऊंगा , रात वहीँ रुकूंगा और रविवार की सुबह लेकर आ जाऊंगा।
शनिवार को मैं सुबह सुबह ही निकल पड़ा। उनके यहाँ दोपहर को पहुंचा।
मैंने वहा पहुँच कर उनकी सास और ससुर के पैर छुए। दोनों ने खूब आशीर्वाद दिया। जीजा जी भी घर पर ही थे। उन्होंने भी मुझे गले से लगा लिया। मेरा स्वागत सब ऐसे कर रहे थे जैसे मैं उनके घर का दामाद हूँ और उनकी लड़की विदा कराने आया हूँ। मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया गया। दीदी की सास ने मेरा और माँ का हाल चाल पूछना शुरू किया।
तभी एक बहुत ही खूबसूरत सी लड़की सलवार सूट में मेरे लिए कुछ मिठाई, पानी और नमकीन लेकर आई। वो दीदी की ननद सोनिया थी। दूध सी गोरी गोलू मोलू , बड़ी बड़ी आँखे , लम्बे लम्बे बाल जो उसके कमर तक लटक रहे थे। उसके गोर फुले गाल जैसे दो टमाटर हो। उसने पिंक कलर का सूट पहन रखा था। उसे देख कर मैं खो सा गया। जैसे ही उसने ट्रे टेबल पर रखा , उसकी आवाज से मैं होश में आया। मैंने सकपका कर चरों तरफ देखा तो दीदी मुश्कुरा रही थी और सोनिया शर्मा गई थी।
खैर चाय नाश्ते के बाद उनकी सास ने कहा - सोनिया राज को सुधा के कमरे में ले जाओ।
मेरा सामान पहले से ही दीदी के कमरे में रखा था। दीदी और सोनिया मेरे साथ ही कमरे में आये। दीदी की सास खाने पीने की व्यवस्था में लग गई। मैं दीदी के कमरे में।
दीदी ने कहा - तुम बैठो मैं माजी की मदद करता हूँ
सोनिया वही खड़ी थी। मैंने कहा - आप खड़ी क्यों है बैठिये न।
सोनिया - आप मुझे आप मत कहिये। मेरे नाम से बुला सकते हैं। हम दोनों एक ही उम्र के होंगे। नहीं , आप मुझसे बड़े ही होंगे।
मैं - मैं बड़ा हूँ पर आप भी छोटी नहीं है।
सोनिया - जी, ऐसा कैसे हो सकता है।
मैं - अरे मेरे कहने का मतलब था , आप बह ीबड़ी हो गई हैं। दीदी के शादी में देखा था तो आप छोटी बच्ची से लगती थी।
सोनिया - आप भी लम्बे चौड़े हो गए हैं।
मैं - मैं लम्बा चौड़ा हो सकता हूँ पर स्मार्ट नहीं हूँ।
सोनिया - नहीं आप काफी स्मार्ट है। भाभी से आपकी बहुत तारीफ सुनी थी।
मैं- कहाँ। आजतक कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी। स्मार्ट होता तो लड़कियां आगे पीछे होती
सोनिया - भाभी तो जब से लौट कर आई हैं आपकी दीवानी हो गई है। अभी आपको देखकर समझ आ रहा है क्यों दीवानी है ? आप कह रहे हैं आपकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है भाभी जैसी स्मार्ट ाकि दीवानी है।
मैं - आपको क्या बताएं वो क्यों मेरी दीवानी है ?
सोनिया - बताइये क्यों?
मैं अब उसे क्या बताता दीदी ने मेरा लौड़ा देखा है इस लिए दीवानी है। मुझे भी ये नहीं पता था की दीदी ने इसे मेरे लंड के बारे में बता दिया है तभी ये भी मेरे पीछे पड़ी है। खैर ऐसी सुन्दर लड़की को पीछे नहीं पड़ना पड़ता । लोग इसके पीछे पड़ते ।
मैं - आते कुछ नहीं। मैं उनका भाई हूँ। एक बहन भाई को नहीं प्यार करेगी तो किसे प्यार करेगी। बहन की नजर में तो भाई प्यारा ही होता है न।
सोनिया ने धीरे से कहा - काश आप जैसा भाई सब बहनो का होता। मेरा तो लुल्ल है।
मैं - जी आपने कुछ कहा क्या ?
सोनिया - नहीं , आप सही कह रहे हैं।
तभी दीदी कमरे में आई। बोली - अरे तुमने अभी तक चेंज नहीं किया। लगता है मेरी लाडो ने बातों में फंसा लिया।
मैं - कहा फंसाया दीदी।
दीदी - कोई नहीं। कहे तो कहीं और फंसा दू
सोनिया शर्मा कर कमरे से चली गई। मैंने दीदी को किस कर लिया। दीदी ने भी मुझे किस किया। उन्होंने कहा - चल खाना खा ले। आज रात मेरे साथ ही सोयेगा। जितनी पपिया झपियाँ करनी हो कर लेना। फिर कल से तो अपने घर में मौज ही मौज है।
मैंने भी उन्हें छोड़ दिया और तैयार होकर बाहर आ गया। दीदी और सोनिया ने हम सबको पहले खाना खिलाया। फिर जीजा जी बाहर चले गए। मैं दीदी के कमरे में लेटने चला गया। थोड़ी देर बाद दीदी कमरे में आई। दीदी ने कमरे का दरवाजा बैंड किया और अपनी साडी उतार दी। वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में ही मेरे बगल में आकर लेट गई। मैंने उन्हें बाहों में भर लिया और उनके चेहरे पर कुम्मियों की झड़ी लगा दी। मुझे ऐसे लग रहा था की मैं अपनी बीवी से कितने दिनों बाद मिला हूँ। दीदी भी मुझसे उतनी ही चिपक रही थी । हम दोनों एक दुसरे में समां जाना चाहते थे। कुछ देर ऐसे ही एक दुसरे के बाँहों में एक दुसरे को रगड़ने के बाद दीदी ने कहा - सब्र कर।
मैं - तुमको देख कर सब्र कहाँ होता है। बस मन करता है ~~
दीदी - क्या मन करता है ?
मैं - कि पटक कर चोद दू
दीदी - पर आज तो सोनिया को देख कर लार टपका रहे थे ।
मैं - नहीं यार , बस मजे ले रहा था।
दीदी - मजे लेने वाली चीज ही है। कहे तो बुला दूँ। खोल दे उसकी भी सील।
मैं - भक , क्या बात करती हो।
दीदी - ऊपर से जितनी भोली है अंदर से उतनी ही चुदास है। साली एक पल में मुझे नहीं छोड़ती। उसे बस मेरी चूत चाहिए होती है।
मैं - पर सुना तो मैंने है की चुतरस की प्यासी तो तुम हो।
दीदी - मुझे भी मजा आता है। पर ये मुझसे भी बड़ी वाली है।
मैं - पर ये हुआ कैसे ?
दीदी - तुझे कहानियों का बड़ा शौक है। माँ बता रही थी मुझे।
मैं - माँ ने तुम्हे सब बता दिया ?
दीदी - शुरू में तो तुम दोनों के चुदाई के किस्से मुझे नहीं पता थे। माँ मुझसे डरती थी। पर बाद में हमारे गोवा ट्रिप के बाद सब बता दिया।
मैं - सरला दी बता रही थी की माँ ने सबसे पहले तुम्हे ही ट्रेनिंग दी थी।
दीदी - हाँ , सबसे पहले जवान हुई तो सीधी सी बात है मुझे ही बताएंगी।
मैं - फिर तुम तीनो ने आपस में भी ?
दीदी - बाहर जाकर किसी से भी चुद कर बदनामी करवाने से ये अच्छा था।
मैं - और नाना के साथ ?
दीदी - उनके साथ कुछ नहीं। जवान हुई तो उन्होंने मजे लेने शुरू किये थे। पर मैं नहीं चाहती थी। मैंने अपने चूत को अपने पति के लिए बचा कर रखा था। पर क्या पता था की मेरा पति भी एकदम नल्ला निकलेगा।
मैं - मैं हूँ न।
दीदी ने मुझे किस कर लिया। कहा - अब तू ही मेरा पति है , और तू ही मेरे बच्चों का बाप भी बनेगा। मेरे शरीर पर अब किसी का हक़ नहीं।
मैं - सोनिया का भी नहीं ?
दीदी - अरे मेरा मतलब है किसी भी और मर्द का नहीं।
मैं - ओह्ह। पर घर की परंपरा का क्या होगा ?
दीदी - परंपरा गई माँ चुदाने।
मैं हंस पड़ा। मैंने दीदी के ब्लाउज खोल लिया और उसके मुम्मे पीने लगा।
दीदी - इसससस , आराम से पी ले। कुछ महीनो में इनमे दूध आएगा तो वो भी पिलाऊंगी। तब तक तू इन्हे निचोड़ निचोड़ कर बड़ा कर दे। मसल डाल इनको।
मैं दीदी के मुम्मे को मजे से पीने लगा। निचे मेरा लंड शिकायत करने लगा कि उसे चूत चाहिए। वो लगातार दीदी के सिमट चुके पेटीकोट के ऊपर से ही उनके चूत पर दस्तक दे रहा था। दीदी को समझ आ गया।
दीदी ने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई। उन्होंने अपने पेटीकोट को सर के ऊपर से ही उतार दिया। वो अब पूरी तरह से नंगी होकर अपने चूत को मेरे लंड पर सेट कर ली। उन्होंने धीरे धीरे मेरे लंड को अपने चूत में लेना शुरू किया। पर मेरा लंड बेकाबू हो चूका था। मैंने नीचे से एक जोरदार झटका ऊपर की तरफ डाला और उनके चूत में पूरा अंदर कर दिया।
दीदी की चीख निकल गई - बहनचूऊऊद , भोसड़ीवाले आराम से ले रही थी तो चैन नहीं है। तेरी बहन की चूत अब भी संकरी है। टाइम लगेगा पूरा अंदर लेने में।
मैं - सॉरी दीदी
उनकी चीख सुनकर बाहर उनकी सास दौड़े चली आई। बोली - सुधा तू ठीक तो है।
दीदी - चुप रंडी। भाग यहाँ से। एक तेरा बेटा है उसका ३ इंच का खड़ा नहीं होता यहाँ मैं एक गधे जितने बड़े लंड को अंदर डालूंगी तो चीख नहीं निकलेगी।
सास- आराम से । राज बेटा अपनी बहन का ध्यान रखो
दीदी - ध्यान रख रहा है। तेरा भी ध्यान रखवाना है क्या ? खोल दूँ दरवाजा , चुदेगी क्या ? बुला ले आ अपनी बिटिया को भी। एक साथ तीनो को प्रेग्नेंट कर देगा। आह आह। साले तू क्यों रुक गया , चोद न बहनचोद।
दीदी का ये रौद्र रूप मैंने पहली बार देखा था। गोवा में जीजा को लताड़ते देखा था पर अपने ही ससुराल में ऐसे गरियाते नहीं देखा था। कहाँ सरला दी का सासुराल और कहा सुधा दी का ससुराल। खैर दीदी की बातें सुन कर मुझे भी जोश आ गया। मुझे उनका स्टाइल समझ आ गया था।
मैंने निचे से धक्का लगाते हुए कहा - साली रंडी बहन, तू इतनी चुदक्क्कड़ है पता नहीं तह । चोद कर तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा तब मेरा लंड ले पायेगी न।
दीदी - आह आह।, गांड में दम है तो चोद न। ले ले अपनी बहन की चूत। फाड़ दे। ससुराल वाले तो कुछ न कर सके तू ही पेल ले। साल ससुर और पति दोनों के दोनों निकम्मे हैं। चोद के मुझे माँ बना दे। देख सास भी अभी मालदार है। उसकी कोख भी भर दे। आया है ये तो भी कर ले।
मैं - बुलाओ उसकी भी चूत फाड़ देता हूँ। मुझे तो लगता है दोनों बच्चे भी किसी और के हैं।
दीदी - कोई भरोसा नहीं रंडी का।
हम दोनों मजे में इसी तरह बातें करते करते चुदाई किये जा रहे था।
बाहर उनकी सास अब भी कान लगाए खड़ी थी। वो बार बार मुझे कह रही थी - मेरी बहु का ख्याल रखो। देखो अभी वो नाजुक है।
फिर कभी कहती - यहाँ रहने दो। घर में आराम से चोद लेना। वहां उसकी जो=इतनी लेनी हो ले लेना। यहाँ मत चीख निकलवाओ।
उनकी बातों से लग रहा था की वो वहीँ दरवाजे पर खड़ी अपनी चूत में ऊँगली कर रही है।
हम दोनों की जबरदस्त पेले कुछ देर तक चली। हम दोनों चुदाई में मदहोश थे। जब मेरे लंड ने और उनकी चूत ने एक साथ सर्रेंडर किया तप समझ आया हम कर क्या रहे थे।
साँसे जब ठीक हुई तो मैंने दीदी से कहा - यार , क्या सोचेंगे तुम्हारे ससुराल वाले।
दीदी - सालों से सोच पाने की उम्मीद में नहीं थे। अभी सोचा है तो मुझे तेरे हवाले करके सही ही सोचा है। तू घबरा मत।
मैं - पर सोनिया क्या सोचेगी ?
दीदी - उसकी बड़ी चिंता है। मेरी सौतन बनाने का है क्या ? मुझे बड़ी अच्छी लगता है। मैंने उसे तेरे लिए सोच रखा है। कहे तो शादी करा कर ले चलूँ ?
मैं - क्या दीदी तुम भी। अभी शादी वादी कौन सोचता है।
दीदी - तो बिना शादी पेल दे। लौंडिया एकदम तैयार है।
मैं - तुम तो ले नहीं पा रही, उसकी तैयारी धरी की दरी रह जाएगी। मेरा हथ्यार गया तो उसका ऑपरेशन करवाना पड़ेगा।
दीदी - औरत की चूत को तूने समझा क्या है। तुझ जैसे वहीँ से निकलते है। थोड़ा दर्द होगा पर ले लेगी।
मैं - चुप करो। अभी अपना सोचो।
दीदी - अपना सोचने के लिए तो अब वक़्त ही वक़्त है। अब मेरा और तुम्हारा ही तो वक़्त है।
हम दोनों ऐसे ही बातें करते रहे। कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई। मैं लम्बा गाडी चलाकर आया था उसके ऊपर से यहाँ दीदी की सवारी। थकान से चूर था।
46..
 
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yog Singh

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Nice update 👌
 

urc4me

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Shweta ne rok laga rakhi hai to Raj dusri chuton ka shikar kar raha hai. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

Siharkio

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