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मेरी रूपाली दीदी अपने बेडरूम से निकल कर बाहर आ गई.. उन्होंने सोनिया को नाश्ता करवाया फिर उसको तैयार करके घर से बाहर चली गई.. भीमा नाई की दुकान की तलाश में... जाने से पहले उन्होंने अपना दूध निकाल कर बोतल में भरकर मुझे दे दिया था और बोली थी कि अगर नूपुर रोने लगे तो उसे थोड़ी थोड़ी देर पर पिला देना...
मुझे और मेरे जीजू को नूपुर के साथ घर में छोड़कर मेरी बहन सोनिया के साथ उसके बाल कटवाने के लिए बाहर चली गई थी... ठाकुर साहब तो सुबह सुबह घर से निकल गए थे अपने काम से... जाने से पहले उन्होंने मेरी दीदी को भीमा हजाम की दुकान का एड्रेस अच्छी तरह बता दिया था.. फिर भी मेरी दीदी बाहर सड़क पर निकल कर परेशान हो रही थी... उनको भीमा की दुकान कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी...
मेरी रूपाली दीदी तो आज बेहद खूबसूरत लग रही थी.. खूब सजधज के तैयार होकर आज मेरी बहन घर से बाहर निकली थी...
मेरी रूपाली दीदी नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी.. काफी देर तक मेरी दीदी मोहल्ले की सड़कों पर घूमती रही... भीमा की तलाश में... मेरी रूपाली दीदी थकने लगी थी... सोनिया तो रोने ही लगी थी... वह बोलने लगी... नहीं मम्मी अब मैं और नहीं चल पाऊंगी प्लीज मुझे अपनी गोद में उठा लो ना.. मेरी रूपाली दीदी ने सोनिया को अपनी गोद में उठा लिया.. सोनिया 4 साल की हो चुकी थी.. मेरी दीदी को उसको उठाने में तकलीफ हो रही थी.. ऊपर से गर्मी... मेरी बहन पसीना पसीना हो चुकी थी...
सोनिया को अपनी गोद में लिए हुए मेरी रूपाली दीदी कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की उनको भीमा की दुकान दिखाई देने लगी... कुछ ही देर में मेरी बहन भीमा की दुकान के सामने खड़ी थी..
अब भीमा की दुकान के सामने खड़ी मेरी रूपाली दीदी खुश होने के बजाय दुविधा में फंसी हुई थी... दरअसल सामने का दृश्य ही कुछ ऐसा था.. उस दुकान के अंदर और बाहर भी बहुत सारे मर्द लाइन लगाकर बैठे हुए थे.. और फिर जब उन मर्दों में दुकान के बाहर खड़ी मेरी रूपाली दीदी, हुस्न परी को देखा तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई..
मेरी बहन को देखकर सब के सब अपने मुंह से लार टपका रहे थे.. लाल रंग की साड़ी, मैचिंग लाल रंग की चोली लो कट डीप टाइप की, मेरी बहन की आधी चूचीया तो चोली के बाहर ही झलक रही थी... सूरज की रोशनी में चमकता हुआ मंगलसूत्र मेरी बहन की छातियों के ऊपर टिका हुआ था.. मांग में गाढ़ा सिंदूर... बालों में गजरा... आंखों में कजरा... होठों पर लाली.. पतली कमर... गहरी नाभि... और चोली में दो बड़े बड़े उभरे हुए जोबन... देख वहां पर सारे के सारे मर्द मेरी रूपाली दीदी को अपने बिस्तर पर लाकर उनको नंगी करने के सपने देखने लगे थे..
उन सभी मर्दों की आंखों में अपने लिए हवस और वासना के लाल डोरे देखकर मेरी रूपाली दीदी घबरा उठी थी.. यह उनके लिए पहला अनुभव था... जब इतने सारे मर्दों उनको अपनी आंखों से ही हवस का शिकार बना रहे थे... मेरी दीदी डर के मारे थरथर कांप रही थी... साथ उनको यह अनुभव अजीब सा रोमांचक भी लग रहा था... लेकिन फिर भी मेरी दीदी वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी.... तभी पीछे से अचानक एक मर्द उस भीड़ को चीरता हुआ बाहर निकला और पीछे से मेरी दीदी को पुकारा..
NOTE: ये कहानी मूल लेखक babasandy द्वारा ही लिखी गयी है परन्तु इस फोरम पर अधूरी है .... मुझे इसके कुछ भाग अन्यत्र मिल गए तो उन्हें पोस्ट कर रहा हूँ
उन सभी मर्दों की आंखों में अपने लिए हवस और वासना के लाल डोरे देखकर मेरी रूपाली दीदी घबरा उठी थी.. यह उनके लिए पहला अनुभव था... जब इतने सारे मर्दों उनको अपनी आंखों से ही हवस का शिकार बना रहे थे... मेरी दीदी डर के मारे थरथर कांप रही थी... साथ उनको यह अनुभव अजीब सा रोमांचक भी लग रहा था... लेकिन फिर भी मेरी दीदी वापस जाने के लिए मुड़ चुकी थी.... तभी पीछे से अचानक एक मर्द उस भीड़ को चीरता हुआ बाहर निकला और पीछे से मेरी दीदी को पुकारा..
वह मर्द और कोई नहीं बल्कि भीमा था.
भीमा: काहे जात हो मैडम जी... क्या हुआ आपको...
भीमा की आवाज सुनकर जब मेरी रूपाली दीदी पीछे मुड़कर देखी तो दंग रह गई... 6 फुट 5 इंच लंबा... काला... तगड़ा मर्द हाथ में कैंची लिए उनकी आंखों के सामने खड़ा था... और उनको ही घूर रहा था..
भीमा लुंगी और बनियान में मेरी बहन के सामने खड़ा था.. उसकी चौड़ी छाती और लंबी मजबूत भुजाएं देखकर मेरी दीदी घबरा रही थी... तकरीबन 5 फीट लंबी मेरी रूपाली दीदी उसके आगे तो बिल्कुल बच्ची की तरह लग रही थी.. दीदी कुछ बोल पाती उसके पहले ही ...
भीमा: हम जानत हैं आप कौन हो... आप रूपाली मैडम हो ना... हमारे ठाकुर साहब तोहार हमारे पास भेजे हैं ना... तोहार बिटिया के बाल काटने की खातिर...
अपनी आंखों के सामने इतने लंबे चौड़े तगड़े मर्द को देखकर पहले तो मेरी रूपाली दीदी को घबराहट होने लगी, लेकिन फिर भीमा की मीठी मीठी बातें सुनकर मेरी बहन को अपने मन में कुछ राहत हुई...
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी... हम तो अपनी बेटी के बाल कटवाने के लिए आए थे आपके पास... लेकिन आपकी दुकान पर तो पहले से ही बहुत भीड़ है.. इसीलिए हम वापस जा रहे थे.
भीमा: अरे नहीं नहीं भौजी.... इस भीड़ का तुम चिंता मत करो... हम इन सब को अभी भगा देता हूं... ई सब तो यहां पर टीवी देखने के लिए बैठा हुआ है...
भीमा ने मेरी बहन को भौजी कहा था... उसकी बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई थी... ना जाने क्या बात थी भीमा की पर्सनालिटी में या फिर उसकी देहाती बातों में... मेरी दीदी उसकी तरफ देखने लगी थी मुस्कुराते हुए...
भीमा भी मेरी रुपाली दीदी को देखते हुए बड़ी मासूमियत से मुस्कुराने लगा था... पर उस मासूमियत भरी मुस्कान के पीछे एक हवास का पुजारी इंसान छुपा हुआ था..
भीमा: भौजी... हम अभी भगा देत इन सभी को... ऐसा बोलते हुए भीमा उसकी दुकान पर बैठे हुए लोगों को गंदी गंदी गालियां देता वहां से भगाने लगा... सारे मर्द भीमा के डर से वहां से उठकर जाने लगे थे... लेकिन जाते जाते हुए भी मेरी दीदी को देखते हुए अपनी आंखों से ही मेरी बहन को नंगा कर रहे थे... गंदी गंदी कामुक सिसकारियां ले रहे थे... उन सबके बीच में एक 24 बरस का जवान मर्द था... जिसका नाम बिल्लू था.... वह जब मेरी रूपाली दीदी के बगल से गुजरा तो उसने मेरी बहन को एक गंदा से इशारा किया अपने खड़े हुए हथियार की तरफ...
और फिर धीरे से बोला मेरी दीदी के बिल्कुल पास गुजरते हुए उनके कान में.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......ह ह ह.. !! बहन चोद.. !!
मेरी बहन पहले तो बिल्लू की हरकत पर घबरा उठी थी... फिर उन्होंने मन ही मन सोच लिया क्या इसको भाव देने से क्या फायदा है...
कौन है बिल्लू.. आखिर क्या रिश्ता है मेरी बहन के साथ उसका.. क्या चाहता है वह.. इनसभी सवालों का जवाब दोस्तों आपको कहानी के अगले भाग में पता चलेगा... लेकिन फिलहाल मेरी रूपाली दीदी उसकी गंदी हरकतें और इशारों को देखते हुए भी उसको नजरअंदाज कर रही थी...
भीमा: बहुत सुंदर बिटिया बा तोहार भौजी...
वह सोनिया को अपनी गोद में लेकर अपनी दुकान के अंदर ले जा रहा था.. मेरी दीदी भी उसके पीछे-पीछे उसकी दुकान के अंदर चली गई थी.. दुकान के अंदर ले जाकर भीमा ने सोनिया को एक कुर्सी के ऊपर बिठा दिया था... और अपनी कैंची लेकर उसके बाल काटने की कोशिश करने लगा था... लेकिन सोनिया तो बस 4 साल की थी... वह रोने लगी थी और झटपट आने लगी थी... मेरी रूपाली दीदी बगल में ही खड़ी हो कर देख रही थी रही थी...
मेरी रूपाली दीदी: भैया जी... काहे आप हमारे लिए इतना कर रहे हैं.. आप तो अपने दोस्तों को भी अपनी दुकान से भगा दिया.. हमारी खातिर.. काहे इतना करते हो हमारी खातिर...
मेरी रूपाली दीदी अपनी टूटी फूटी देहाती भाषा में बात करने की कोशिश कर रही थी भीमा से..
भीमा: अरे नहीं भौजी.... कोनो दिक्कत की बात ना.... ई दुकान तोहारा बा
भौजी.... ठाकुर साहब के हमरा ऊपर बहुत एहसान बा... उनका खातिर तो हम कुछ भी कर सके ला... आवा अपन बिटिया रानी के जरा पकड़ ला...
मेरी रूपाली दीदी ने आगे बढ़कर सोनिया को पकड़ लिया है जबरदस्ती.. भीमा को हेल्प करने के लिए... अब सोनिया बीच में थी... और मेरी रूपाली दीदी और भीमा एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े देख रहे थे मुस्कुरा रहे थे...
भीमा सोनिया के बाल काटते हुए मेरी रूपाली दीदी की तरफ ही देख रहा था... उसकी कैंची सोनिया के बालों के ऊपर चल रही थी लेकिन उसकी निगाहें मेरी रूपाली दीदी के लाल चोली के अंदर से झांकती हुई बड़ी-बड़ी चूचियां देख मन ही मन अजीब अजीब गंदी कल्पनाएं कर रही थी... भीमा का बाबूराव उसकी लूंगी मैं तन के खड़ा हो गया था और रूपाली दीदी को देख कर लूंगी डांस कर रहा था... मेरी दीदी की निगाहें अभी भी उसके नागराज के ऊपर नहीं गई थी.. वह तो सोनिया को संभालने में लगी हुई थी... और इसी चक्कर में उनकी साड़ी का पल्लू भी सीने से नीचे गिर गया था... हाहाकारी मदमस्त नजारा था भीमा की आंखों के सामने.....
NOTE: ये कहानी मूल लेखक babasandy द्वारा ही लिखी गयी है परन्तु इस फोरम पर अधूरी है .... मुझे इसके कुछ भाग अन्यत्र मिल गए तो उन्हें पोस्ट कर रहा हूँ