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Incest मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

aamirhydkhan

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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ


पेशे खिदमत है वो कहानी जिसके पहले भाग को पढ़ कर मैंने लिखना शुरू किया . जिनकी ये कहानी है अगर वो कभी इसे पढ़े तो अपने कमेंट जरूर दे .

कहानी के सभी भाग कहीं नहीं मिले तो उन्हें पूरा करने का प्रयास किया है

उम्मीद है मेरा लेखन पसंद आएगा .

आमिर हैदराबाद


मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

INDEX
UPDATE 01मेरे निकाह मेरी कजिन जीनत के साथ 01
UPDATE 02मेरे निकाह मेरी कजिन जीनत के साथ 02.
UPDATE 03रुकसाना के साथ रिज़वान का निकाह.
UPDATE 04मेरा निकाह मेरी कजिन के साथ- रुकसाना के साथ रिज़वान का निकाह.
UPDATE 05मेरी बहन का निकाह मेरे कजिन के साथ और सुहागरात.
UPDATE 06मेरी बहन सलमा की चुदाई की दास्ताँ.
UPDATE 07मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ - छोटी बीवी जूनि.
UPDATE 08मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ- छोटी बीवी जूनि.
UPDATE 09मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ - सेक्सी छोटी बीवी जूनी.
UPDATE 10चुदाई किसको कहते है.
UPDATE 11छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात.
UPDATE 12छोटी बेगम की जूनी. सुहागरात-2
UPDATE 13मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ- छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात.
UPDATE 14छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात की सुबह
UPDATE 15अल्हड़ छोटी बेगम जूनी. की सुहागरात की चटाकेदार सुबह.
UPDATE 16दोनों कजिन्स जूनी जीनत.चुदासी हुई.
UPDATE 17ज़ीनत आपा के साथ स्नान
UPDATE 18ज़ीनत आपा का स्तनपान
UPDATE 19में ही ऊपर से चोदूंगी फिर लंड चुसाई और चुदाई
UPDATE 20लंड चुत चुदाई और चुदाई
UPDATE 21कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई
UPDATE 22तीसरी बेगम कमसिन अर्शी
UPDATE 23तीसरी बेगम कमसिन अर्शी की चुदाई
UPDATE 24तीसरी बेगम अर्शी की चुदाई
UPDATE 25तीसरी बेगम अर्शी की तृप्ति वाली चुदाई
UPDATE 26तीन सौत कजिन जूनी जीनत अर्शी
UPDATE 27मीठा, नमकीन, खट्टा- जीनत जूनी अर्शी
UPDATE 28दुल्हन बनी चौथी कजिन रुखसार
UPDATE 29मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ चौथी दुल्हन रुखसार.
UPDATE 30मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ चौथी दुल्हन रुखसार.
UPDATE 31कुंवारी चौथी कजिन रुखसार.
UPDATE 32तीखा कजिन रुखसार
UPDATE 33लंड चुसाई
UPDATE 34बुलंद चीखे
UPDATE 35चारो बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत- जीनत जूनी अर्शी रुखसार
UPDATE 36बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत -जीनत जूनी अर्शी रुखसार
UPDATE 37जीनत जूनी अर्शी रुखसार बेगमो के साथ कहानी अभी बाकी है-
UPDATE 38ज़ीनत आपा की मदहोश अदा
UPDATE 39चारो बेगमो ने लंड चूसा और चाटा
UPDATE 40चलो अब एक साथ नहाते हैं
UPDATE 41नहाते हुए चुदाई
UPDATE 42खूबसूरती
UPDATE 43मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ मस्ती करने दो
 
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aamirhydkhan

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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 140


पड़ोसन को नौकरानी समझ मैंने की थी उसकी चुदाई


जब मैं वाशरूम से लंड धो कर अपना पायजामा पहन बाहर आया तो रेहाना ने भी अपने कपड़े पहन लिए थे और बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसने अपनी बाहें फैलाकर मुझे अपने पास बुलाया। एक बार
फिर मैंने उसके मुलायम चिकने शरीर को अपनी बाहों में भर लिया और उसके मुँह को अपने मुँह से बंद कर लिया। मेरा लिंग सख्त होने लगा। चुंबन तोड़ते हुए मैंने पूछा, "क्या तुम्हें नींद आ रही है?"

"नहीं, क्यों?"

"मैं तुम्हें फिर से चोदने जा रहा हूँ।"

"नहीं, तुम नहीं।"

"हाँ, मैं चाहता हूँ। क्या तुम नहीं चाहती?"

"हाँ, लेकिन, तुम मुझसे प्यार करोगे ; मान लो हम प्यार करने जा रहे हैं। क्या तुम तैयार हो?"

मैंने उसका हाथ अपने लंड की ओर बढ़ाया और पूछा, "क्या और सबूत चाहिए?"

उसने कहा नहीं, और अपना मुँह मेरे मुँह से चिपका दिया।

मैंने रेहाना को चूमा और चोदा , एक ऐसी लड़की जो सेक्स के बारे में मुझसे कहीं ज़्यादा जानती थी। मुझे एहसास हुआ कि मुझे अभी भी बहुत कुछ सीखना है।

मेरे होंठों पर उसके मुलायम होंठों का स्पर्श बहुत मीठा और रोमांचक था। जब उसने अपने बंद होंठों को मेरे होंठों पर रगड़ा तो यह और भी स्वादिष्ट हो गया। इससे पहले कि मैं कुछ कर पाता, उसने अपना मुँह खोला और मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच में ले लिया। फिर मैंने महसूस किया कि उसकी छोटी शर्मीली जीभ बाहर आई और मेरे होंठों को मुँह के एक कोने से दूसरे कोने तक चाटने लगी। शुरू में यह गंदा लगा, लेकिन यह आनंद इतना तीव्र और मेरे लिए कुछ नया था कि मैं बस निष्क्रिय ही रहा और मजे लेता रहा । पूरे पाँच मिनट तक उसने मेरे होंठों को चूसा और फिर अनिच्छा से अलग हो गई। हमारे चारों होंठ सूजे हुए और हमारी मिश्रित लार से गीले थे। मेरे होंठ झुनझुनी कर रहे थे।

रेहाना ने एक भी शब्द नहीं बोला, भूखे बिल्ली के बच्चे की तरह हमारे मुँह फिर से एक दूसरे की तलाश में थे। इस बार उसकी जीभ बाहर आई और मेरे होंठों को खोलने लगी। आनंद बढ़ रहा था और मैं भी उत्सुक था। मैंने उसे पूरी आज़ादी दी। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली और चारों ओर चाटने लगी। यह मेरी जीभ से टकराई और धीरे-धीरे बाहर निकल गई। मेरी जीभ उसके साथ चली गई जब तक कि वह उसके मुँह के अंदर तक नहीं पहुँच गई। मैंने उसके मुँह की चिकनी अंदरूनी त्वचा को भी चाटा। लेकिन वह और भी जानती थी। उसने मेरी जीभ को और तालू के बीच से चूसना शुरू कर दिया। फिर उसने लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू किया ।

कुछ देर बाद उसने मेरी जीभ छोड़ दी और मुझे अपनी जीभ चूसने के लिए दे दी। इस बीच मेरा लंड उसकी चूत में घुसने के लिए मचल रहा था, और बहुत सारा प्रीकम निकल रहा था। रेहाना भी कम उत्साहित नहीं थी। उसका चेहरा लाल हो गया था और उसका शरीर गर्म हो गया था। उसने चुंबन तोड़ा और उठकर बैठ गई। उसने मुझे पीठ के बल लिटा दिया, मेरे पजामे का नाड़ा खोला और उसे नीचे खींचकर मेरा फूला हुआ लंड बाहर निकाल दिया। उसे मुट्ठी में लेकर उसने पाँच-छह बार तेज़ झटके दिए और कहा, "सलमान, तूने लाजवाब लंड पाया है। तुम्हारा लंड अनोखा है। तुम्हारी कजिन कितनी किस्मतवाली हैं।"

वह धीमी गति से झटके देती रही, कभी-कभी उसका रस निचोड़ लेती। उसने लंड की टोपी खींची और लाल चमकते हुए सिर को बाहर निकाला । अचानक वह नीचे झुकी और लंड के सिर को अपने मुँह में ले लिया। पहले उसने अपनी जीभ को उसके पूरे शरीर पर फिराया और फिर नकारात्मक दबाव डालते हुए उसे चूसा। उसी समय उसने अपना सिर ऊपर-नीचे हिलाया जिससे लंड उसके मुँह में अंदर-बाहर हो रहा था। मेरा लंड फटने के कगार पर था और मुझे इसे जल्दी से बाहर निकालना पड़ा ताकि यह मेरा भार न छोड़ दे।

मैंने कहा, "तुमने मेरा लंड बहुत देखा है। अब मुझे तुम्हारे स्तन और योनि देखने दो।"

रेहाना एक साधारण पर सुंदर लड़की थी। करीब पाँच फुट दो इंच की, उसका वजन 120 पाउंड से ज़्यादा नहीं था। उसका रंग गोरा था, लेकिन उसकी त्वचा मक्खन की तरह कोमल और चिकनी थी। उसका चेहरा गोल था और बड़ी-बड़ी काली मासूम आँखें थीं। उसके होंठ भरे हुए और मुलायम थे, उसके बाल लंबे, रेशमी और काले थे।

उसकी छाती के ऊपरी हिस्से पर एकदम गोल स्तनों की जोड़ी थी। प्रत्येक के ऊपर दो इंच के आकार का एक गहरा घुंघराला घेरा था। प्रत्येक घेरा शंक्वाकार था, जो एक नुकीले निप्पल पर समाप्त होता था।

रेहाना के स्तन कुंवारी लड़कियों की तरह सख्त थे, जिनके निप्पल आसमान की ओर इशारा कर रहे थे। एक बार जब उसने अपने स्तनों को नंगा किया, तो मैं अपने हाथों को उनसे दूर नहीं रख सका।

मैं उठकर बैठ गया और अपनी उंगलियों और होंठों से उसे सहलाना जारी रखा। मैंने उसके प्रत्येक स्तन को एक के बाद एक चूमा और चूसा और फिर उसके सपाट पेट पर उतर गया। उसे वहाँ बहुत गुदगुदी हो रही थी। जबकि वह अपने पेट पर मेरे हाथ को बर्दाश्त कर सकती थी, वहाँ मेरे होंठों के स्पर्श से वह उछल पड़ी और मुझे दूर धकेलने लगी ।

धीरे-धीरे मैं चाटता और चूसता हुआ अपने अंतिम गंतव्य, उसकी योनि तक पहुँच गया। मैंने जो देखा वह मुझे पसंद आया। पीछे मुड़कर देखने पर, मैं कह सकता हूँ कि उसकी योनि काफी सुंदर थी।

ऊँची गद्देदार योनियाँ और उसकी मोटी बड़ी योनि के होंठों के बाहरी हिस्से काले, रेशमी झुर्रीदार बालों के घने जंगल से ढके हुए थे। उसने बालों को ट्रिम कर इतना छोटा कर लिया था कि चुभन महसूस हो रही थी। एप्नि के बड़े होंठ मोटे और मांसल थे, वे बीच में एक दूसरे को छू रहे थे, जिससे उसकी चूत का बाकी हिस्सा छिप गया।

मैंने अपनी उँगलियाँ हल्के से चारों ओर फिराईं। उसने अपनी श्रोणि को झटका दिया और अपने पैरों को ऊपर खींच लिया। मेरे लिए उसकी जाँघों को खोलना आसान था। ऐसा करने से उसकी चूत सुलभ हो गई। मैंने बड़े होंठों को अलग किया और चूत को खोला। चूत लगभग 2 इंच लंबी थी जिसके दोनों तरफ नाजुक पतले छोटे होंठ थे। छोटे होंठ भगशेफ के नीचे दरार के सामने के सिरे पर मिलते थे।

भट्ठा के पिछले सिरे पर लेबिया अलग-अलग रह गई थी क्योंकि उसकी चूत, चूत, योनि जो भी हो, खुल गई थी। उस समय उसकी भगशेफ मोटी और लम्बी हो गई थी । पूरा भोसड़ा मेरे वीर्य और अपने ही स्राव में भीगा हुआ था।

मैंने अपनी उँगलियों को भट्ठा में आगे-पीछे चलाया और दो उँगलियाँ उसकी चूत में डाल दीं। अपना अंगूठा भगशेफ पर रखते हुए मैंने उसे उँगलियों से चोदना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में उसके कूल्हे हिलने लगे और मेरी उँगलियाँ उसकी चूत में लहरों को महसूस कर सकती थीं।

वह इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकी। वह उठ बैठी और मुझे बिस्तर पर सीधा धकेल दिया। उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दस से पंद्रह झटके दिए। हर बार जब वह जोर से मुठी ऊपर खींचती तो मुझे थोड़ा दर्द होता। लेकिन उस दर्द ने मेरे लंड की कठोरता को और बढ़ा दिया। लंड को सीधा ऊपर उठाते हुए रेहाना मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लंड के सिरे पर ले आई।

चूत के मुँह में लंड को घुसाने के बाद उसने लंड को छोड़ दिया, अपने निप्पल को मेरे होंठों तक लाने के लिए आगे की ओर झुकी। उसने धीरे-धीरे अपनी गांड को नीचे किया और मेरा लंड एक अच्छी तरह से तेल लगे पिस्टन की तरह अंदर चला गया। जब उसकी योनि मेरे से दब गई और लंड पूरी तरह से उसकी योनि में समा गया तो वह थोड़ा आगे की ओर झुकी ताकि मैं उसके एक स्वादिष्ट निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूस सकूँ।

जैसे ही मेरे होंठ उसके एरोला से टकराए, उसकी योनि फड़कने लगी। मेरे लंड ने जोरदार झटके के साथ जवाब दिया।

अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर लंड को लगभग पूरा बाहर निकाल कर वह अचानक नीचे गिर गई और उसे पूरा अंदर ले लिया। पाँच या छह बार ऐसी हरकतों के बाद वह थक गई और मेरे शरीर पर लेट गई। मेरा लंड और उसकी योनि दोनों ही संतुष्ट नहीं थे। मैंने अपने हाथों को उसके कूल्हों के नीचे रखकर उन्हें थोड़ा दूर रखा। इससे मुझे अपने श्रोणि को हिलाने के लिए पर्याप्त जगह मिल गई। मैंने नीचे से ऊपर की ओर उसकी योनि में लंबे-लंबे स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए। जैसा कि उम्मीद थी, उसकी चूत से बहुत सारा प्यार भरा रस निकल रहा था, जिससे मेरा काम आसान हो गया।

वह अपना वजन अपनी बाहों पर ज़्यादा देर तक नहीं रख सकती थी। वह मेरी छाती पर गिर पड़ी, लेकिन अपना मुँह मेरे मुँह से चिपकाना नहीं भूली। कुछ मिनट बाद हमने अपनी स्थिति बदल ली। वह अपनी पीठ के बल लेट गई, उसके सिर के नीचे तकिया था और उसने दोनों पैर हवा में ऊपर उठा लिए। मैं फर्श पर खड़ा हो गया और अपना लंड उसकी चूत में धकेल दिया। जैसे-जैसे हम चुदाई करते रहे, हमारी उत्तेजना बढ़ती गई।

रेहाना खुद को नियंत्रित नहीं कर पा रही थी। वह संभोग को जल्दी से जल्दी करने के लिए पागल हो गई, जो उसे नहीं मिल रहा था। टूटे-फूटे शब्दों में उसने मुझसे कुछ कहा, जिसे मैं आंशिक रूप से समझ सकता था। उसने मुझे धक्का दिया और मैंने इशारा समझ लिया। अपना लंड बाहर निकालकर मैं बैठ गया। जल्दी से उसने मेरे बालों को पकड़ा और मेरा चेहरा अपनी भोस में दबा लिया। वह कुछ इस तरह बड़बड़ाई, "इसे अंदर ले लो, अंदर, इसे होंठों के बीच ले लो...ओह, क्या तुम इसे नहीं देख सकते?"

उसने मेरे होंठों को अपनी भगशेफ पर ले जाया था। पहले तो मुझे यह थोड़ा गंदा लगा, लेकिन फिर उसकी योनि से आने वाली गंध इतनी मादक थी कि मैंने कहा कि यह क्या है, देखते हैं क्या होता है। मैंने धीरे से उसके उभरे हुए लिंग पर अपने होंठ बंद किए और वह चिल्लाते हुए उछल पड़ी, "वहाँ, वहाँ, ठीक वहाँ "

मैंने अपनी जीभ को भगशेफ की छोटी लंबाई पर फिराया और एक बार फिर से उसे अपने होंठों के बीच ले लिया। दो झटके और रेहाना एक ज़बरदस्त संभोग में चिल्ला उठी। वह पागल घोड़ी की तरह उछली और उछली, मेरे बालों को मुट्ठी में खींचा और अपने नाखूनों से मेरी पीठ को खरोंचा। उसका संभोग अनंत काल तक चला।

बवंडर के चले जाने के बाद वह एक चीथड़े की गुड़िया की तरह नीचे गिर गई, उसकी ऊर्जा खत्म हो गई। एक कमज़ोर प्रयास के साथ उसने मुझे अपने ऊपर खींचा और मेरे कान में कहा, "काश उस दिन अगर मैंने तुमने नहीं रोका होता तो, मैं तुम्हारी बीवी होती। मुझे खेद है कि मैंने तुम्हारे साथ पहले से संभोग शुरू नहीं किया। क्या तुम आए?"

मैंने जवाब नहीं दिया। मैंने बस उसके पैर उठाए, अपना लंड अंदर धकेला और जोरदार तरीके से धक्के देकर शानदार संभोग सुख प्राप्त किया। जब मेरा शरीर संभोग की पीड़ा में झटके खा रहा था, तब उसने मेरी पीठ और नितंबों को कोमल स्पर्श से सहलाया।

मुझे नहीं पता था कि हम कब और कैसे सो गए। शाम होने को थी जब मेरी आँख खुली। रेहाना चुपचाप चली गई थी। लेकिन उस रात मैं एक मूर्ख की तरह मैं रेहाना के बारे में सोचता रहा यहाँ तक की जब मैं अपने बीवी अर्शी की चुदाई कर रहा था तब भी मैंने उसके साथ वही सब आजमाया जो मैंने रेहाना के साथ किया था और अर्शी बहुत तेज और देर तक कराहती रही । अगली दोपहर वह फिर से आई और हमने पाँच दिन दोपहर में नियमित रूप से संभोग किया। फिर वह गायब हो गई। वह बहुत जल्दी और अचानक चली गई।

उसके जाने के बाद फिर असली नाटक शुरू हुआ।

मैंने उसे आसपास नहीं देखा। खाला ने तुरंत देखा कि मेरी आँखें किसी को खोज रही थीं। उसने मुझे एक कोने में ले जाकर पूछा, "तुम किसे खोज रहे हो? कोई खास?"

मैंने कहा वो नौकरानी .... कहाँ गयी उससे सफाई करवानी थी अपने स्टडी रूम की


खाला के कहा अरे रेहाना वो नौकरानी थोड़ा थी पड़ोस की महरूनीसा फूफी की बेटी है मैंने उसे घर के काम में मदद के लिए बुलवाया था

जारी रहेगी
 
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aamirhydkhan

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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 141

पड़ोस की फूफी की बहू की सुहागरात

रेहाना हमारी पड़ोस में किराए पर रहने वाली एक बेवा महरूनीसा जिन्हे हम फूफी कहते थे उनकी बेटी थी और हमारी हवेली पर अक्सर घरेलू काम में मदद के लिए आ जाती थी । महरूनीसा के घर के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे इसलिए वह भी हमारी हवेली में काम करती थी ।

हमारी रामपुर के पास बहुत बड़ी ज़मीन है, बहुत से नौकर-चाकर खेतों में और हवेली में काम करते हैं। उन्ही की तरह हमारी हवेली की एक और नौकरानी तर्रनुम जिन्हे हम खाला कहते थे उनका बेटा अनवर मेरा एक ख़ास नौकर है! अनवर सिर्फ़ मेरा नौकर ही नहीं, अनवर मेरा वफादार राजदार है, एक बात मैं उससे करता हूँ। अनेक कुंवारी लड़कियों को उसने मेरे लिए पटाया और मेरे नीचे लिटाया। अपने निकाह से पहले उसकी और रेहाना की बड़ी बहन को मैंने अनवर की मदद से तीन साल तक चोदा, तब जाकर उनकी अम्मी ने उनकी शादी की।

उन दिनों एक जगह अनवर के रिश्ते की बात चली, लेकिन बात ज़मीन पर आकर अड़ गई। बिना ज़मीन जायदाद वाले लड़के को लड़की मिलना बहुत मुश्किल है।

अनवर मेरा ख़ास और राजदार था जब बात मुझे पता चली तब मैंने उसके होने वाले सास ससुर को विश्वास दिलवाया कि अनवर और उसके परिवार के रोज़गार की मैं गारंटी लेता हूँ। आप निकाह के लिए हाँ कीजिये। लड़की वाले भी गरीब थे, मेरा इतने विश्वास दिलवाने से वह मान गए। शादी पक्की हो गई।

अनवर की अम्मी जल्दी पोता चाहती थी इसलिए जल्दी से उन्ही दिनों में निकाह तय हुआ, उस दिन अपने ख़ास राजदार अनवर के निकाह में मैं न सिर्फ़ शरीक हुआ बल्कि अपने राजदार अनवर मिया के निकाह वाले दिन मैं ख़ुद अपनी मर्सेडीज़ में उसकी दुल्हन को लेकर आया। उसके ससुराल वाले बहुत खुश थे कि नवाब साहब ख़ुद अपनी गाड़ी में डोली ले कर गए हैं।

उसकी दुल्हन का नाम अफ़रोज़ा है। 18 साल की भरे-पूरे शरीर की गोरी-सी खूबसूरत लड़की, मदमस्त, गदराई जवानी, बहुत खूबसूरत हाथ और पैर॥ आँखें और मोम्मे बहुत बड़े-बड़े और गांड भी थोड़ी बाहर को निकली हुई. बिलकुल गदराया हुआ मस्त माल, मर्दों को चुनौती देती हुई तीखी गोल चूचियाँ, रेशम जैसी चिकनी और मुलायम त्वचा। उसके अंग-अंग से कामुकता टपकती थी। खैर शाम के समय डोली हवेली में आ गई।

अब रिवाज़ है दुल्हन के स्वागत में दूल्हे के घर वाले वलीमा की दावत देते हैं, तर्रनुम खाला के यहाँ रिवाज़ है कि निकाह के दूसरे दिन के बाद वलीमा की दवात के बाद जब रिश्तेदार वगैरा चले जाते हैं, तो सुहाग रात मनाई जाती है। लेकिन अनवर की अम्मी (तर्रनुम खाला) के इरादे कुछ और थे। वह मेरे एहसान का बदला उसी दिन चुकाना चाहती थी। वलीमा के बाद खाला ने अनवर को मनाया और अफ़रोज़ा को समझाया की नवाब साहब को खुश रखेगी और मेरे साथ सुहागरात मनाने के लिए राजी कर लिया।

वलीमा की शाम तर्रनुम खाला मेरे पास आयी थी और विनती करते हुए बोली थी -हजूर! इस निकाह के लिए हम आप का एहसान ज़िन्दगी भर नहीं भूलेंगे। हजूर मेरी इल्तिजा है कि नई दुल्हन के साथ सुहागरात अनवर नहीं आप ही मानाओगे! "

कुंवारी लड़कियाँ चोदना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी लेकिन किसी और की कुंवारी बीवी के साथ, वलीमा की दवात के बाद, सुहागरात मनाने का यह पहला मौका था, थोड़े नखरे के बाद मैंने तो मानना ही था।

मैं कमरे में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद शरमाती हुई अफरोजा आई। दूध का गिलास मेज पर रखवा कर मैंने उसको बिठाया उसका घूँघट उठाया, और बातें करने लगा।

मैंने उससे शादी के पहले सेक्स के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसने कभी सेक्स नहीं किया। वह जिस जमींदार के घर काम करती थी, वह उसे अपनी बेटी की तरह मानते थे और खाने पीने की कोई कमी नहीं थी, इसलिए वह इतनी गदरा गई थी। मैंने सोचा कि साली ड्रामे कर रही है! कोई कैसे छोड़ देगा ऐसे गदराये हुए माल को।

मैंने उसे अपनी बाहों में लिया, वह शरमाई लेकिन मैं तो पक्का खिलाड़ी था।

हम दोनों चुपचाप कमरे में गए, मैंने उसे गोदी में उठा लिया, मैंने उसे अपने से लिपटा लिया और उसके मुँह से मुँह चिपका कर उसके होंठ चूसने लगा। उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी जिससे उसका मुख़रस मेरे मुँह में आना शुरू हो गया। ये उसका पहला चुंबन था ।

मैं उसके चेहरे को देखता जा रहा था । अफ़रोज़ा शर्मा रही थी अपर उसके चेहरे पर ख़ुशी झलक रही थी।

खाला ने कमरे का बेड गुलाब के फूलों से सजवा दिया था। मैं अफ़रोज़ा को बेड पर ले गया।

मैंने उस पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मैंने होंठ गीले कर-कर के उस बार-बार पलकों पर, होंठों पर, गालों पर और माथे पर चुम्मियाँ लीं, कान की लौ चूसी, दोनों गाल बारी-बारी से चूसे, फिर मैंने उसके कंधों के ऊपरी भाग पर जीभ फिराई, उसके बाज़ू ऊंचे करके बगलें चाटीं।

फिर मैं उसके हाथों को चूमता हुआ उसके गाल को किस करने लगा । अफ़रोज़ा ने अपनी आंखें बंद की हुई थीं। मेरे होंठ उसके होंठों को मिलने के लिए तरस रहे थे। उसके भी होंठों में कंपन हो रही थी और गला सूख रहा था।

मैंने उसके होंठो के कम्पन से ये सब जान लिया और जब मैंने अपने होंठों को उसके मुलायम होंठों पर रगड़ा तो यह और भी स्वादिष्ट हो गया। । मेरे होंठों पर उसके मुलायम होंठों का स्पर्श बहुत मीठा और रोमांचक था। और उसके निचले होंठ को किस करते हुए उसके होंठों को अलग कर दिया। इससे पहले कि अफरोजा कुछ कर पाती, मैंने अपना मुँह खोला और उसके होंठों को अपने होंठों के बीच में ले लिया। फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और अफरोजा के होंठों को मुँह के एक कोने से दूसरे कोने तक चाटने लगा। शुरू में उसे यह थोड़ा अजीब लगा, लेकिन यह आनंद इतना तीव्र और अफरोजा के लिए ये सब नया था कि बस निष्क्रिय ही रही और मैं उसे चूमने चाटने का मजे लेता रहा। पूरे दस मिनट तक मैंने उसके रे होंठों को चूसा उसके होंठ सूजे हुए और हमारी मिश्रित लार से गीले थे। उसके होंठ झुनझुनी कर रहे थे।

अब उसकी जीभ बाहर आई और मेरे होंठों को खोलने लगी। मैंने उसे पूरी आज़ादी दी। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली और चारों ओर चाटने लगी। यह मेरी जीभ से टकराई और धीरे-धीरे बाहर निकल गई। मेरी जीभ उसके साथ चली गई जब तक कि वह उसके मुँह के अंदर तक नहीं पहुँच गई। मैंने उसके मुँह की चिकनी अंदरूनी त्वचा को भी चाटा। मैंने उसकी जीभ को और तालू के बीच से चूसना शुरू कर दिया। फिर उसकी जीभ को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू किया।

कुछ देर बाद मैंने उसकी जीभ छोड़ दी और उसके मुँह में अपने जीभ डाल उसे अपनी जीभ चूसने के लिए दे दी। अफरोजा भी उत्तेजित हो गयी थी। उसका चेहरा लाल हो गया था और उसका शरीर गर्म हो गया था। अब अफरोजा मेरा साथ देने लगी। मैं अपने मुँह का पानी उसके मुँह में डालने लगा और वह दहोशी के आलम में उसे पीने लगी। उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बड़े प्यार से चुम्मी देती रही। उसके मुँह की सुगंध कामाग्नि भड़काने वाली थी और उसके मुख रस का स्वाद बहुत मज़ेदार था तो लंड खड़ा हो गया और टनटनाने लगा।

मैं मजे से उसके होंठो को चूमे जा रहा था। उसकी 'उउउ ... ममंमम ... अहा ...' की सेक्सी आवाज़ निकलने लगीं।

मैं अपने हाथों से उसके बालों को सहलाने लगा । फिर मैंने उसकी चोली में हाथ डालकर ब्रा में हाथ घुसा कर और दोनों हाथ अंदर करके उसके चूचुक सहलाये। मदमस्त मम्मे थे, बड़े-बड़े टाइट कंधारी अनार की तरह।

मैंने चोली के एक अंदर निगाह मारी, देख कर मज़ा आ गया। बड़े-बड़े दायरों वाली बड़ी-बड़ी निप्पल।

गुलाबी था निप्पल का रंग और निप्पलों के दायरों का रंग हल्का गुलाबी था। दबाया तो बहुत ही आनन्दायक चूचुक लगे, नर्म-नर्म लेकिन पिलपिले नहीं, इनको निचोड़ने और चूसने में बेतहाशा मज़ा आयेगा।

जारी रहेगी
 

aamirhydkhan

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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 142


नौकर की बीवी की सुहागरात

कुछ देर बाद मैंने अफरोजा की जीभ छोड़ दी और उसके मुँह में अपने जीभ डाल उसे अपनी जीभ चूसने के लिए दे दी। अफरोजा भी उत्तेजित हो गयी थी। उसका चेहरा लाल हो गया था और उसका शरीर गर्म हो गया था। अब अफरोजा मेरा साथ देने लगी। मैं अपने मुँह का पानी उसके मुँह में डालने लगा और वह दहोशी के आलम में उसे पीने लगी। उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बड़े प्यार से चुम्मी देती रही। उसके मुँह की सुगंध कामाग्नि भड़काने वाली थी और उसके मुख रस का स्वाद बहुत मज़ेदार था तो लंड खड़ा हो गया और टनटनाने लगा।

मैं मजे से अफरोजा के होंठो को चूमे जा रहा था। उसकी 'उउउ ... ममंमम ... अहा ...' की सेक्सी आवाज़ निकलने लगीं।

मैं अपने हाथों से अफरोजा के बालों को सहलाने लगा । फिर मैंने उसकी चोली में हाथ डालकर ब्रा में हाथ घुसा कर और दोनों हाथ अंदर करके उसके चूचुक सहलाये। मदमस्त मम्मे थे, बड़े-बड़े टाइट कंधारी अनार की तरह।

मैंने अफरोजा की चोली के एक अंदर निगाह मारी, देख कर मज़ा आ गया। बड़े-बड़े दायरों वाली बड़ी-बड़ी निप्पल। गुलाबी था निप्पल का रंग और निप्पलों के दायरों का रंग हल्का गुलाबी था। दबाया तो बहुत ही आनन्दायक चूचुक लगे, नर्म-नर्म लेकिन पिलपिले नहीं, इनको निचोड़ने और चूसने में बेतहाशा मज़ा आयेगा।

मैंने अफरोजा को खड़ा किया फिर उसके चारो तरफ़ घूम कर उसका मुयाना किया । 18 साल की भरे-पूरे शरीर की गोरी-सी खूबसूरत लड़की, मदमस्त, गदराई जवानी, बहुत खूबसूरत हाथ और पैर॥ आँखें और मोम्मे बहुत बड़े-बड़े, कमर पतली, कही भी फ़ालतू मॉस नहीं, और गांड भी थोड़ी बाहर को निकली हुई. बिलकुल गदराया हुआ मस्त माल, मर्दों को चुनौती देती हुई तीखी गोल चूचियाँ, रेशम जैसी चिकनी और मुलायम त्वचा। उसके अंग-अंग से कामुकता टपकती थी। फिर मैंने उसके हाथों का मुआयना किया, बड़े सुन्दर, सलोने और सुडौल हाथ थे। मखमल-सी मुलायम, लम्बी मांसल उंगलियाँ, सलीकेदार और लम्बे आयताकार सुन्दर नाखून जो बस ज़रा से ही उंगलियों से बढ़े हुए थे, त्वचा एकदम रेशम जैसी चिकनी!

मैंने अब अफरोजा के पैरो का मुआयना किया, पैर भी बहुत खूबसूरत थे, अंगूठा साथ वाली उंगली से ज़रा-सा छोटा। सभी उंगलियाँ ऐसा लगता था किसी मूर्तिकार ने तराश कर बनाईं हैं। नाखून साफ़ और सुन्दर, थोड़े-थोड़े ही आगे निकले हुए। तलवे मुलायम।

मैंने झुककर एक-एक करके अफरोजा के गूठा और सब उंगलियाँ चूसीं, तलवे चूसे और एड़ी पर जीभ घुमाई। बहुत स्वादिष्ट और फिर उसके पूरे जिस्म को अपने बाँहों में जकड़ लिया। मैंने उसे दीवार के साथ खड़ा कर दिया। उसके दोनों हाथ दीवार के साथ सटे हुए थे गांड मेरी तरफ़ थी, मैंने पीछे से उसके मोम्मे पकड़ लिए और दबाना शुरू कर दिया, वह कसमसाने लगी। मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराते हुए उसे गर्म कर दिया और जल्द ही हम दोनों एक्शन में आ गए और मैंने उसका लहंगा उतार दिया और धीरे-धीरे उसे नंगी करने लगा। फिर उसकी चुनरी निकाल फेंक दी और उसकी चोली की डोरी निकाल कर चोली भी खिंच करे अलग कर दी, उसके गोरे खूबसूरत शरीर का हुस्न का जलवा देखकर अपने होश खो बैठा ।

अफरोजा अब केवल नेट की काले रंग की ब्रा और चड्डी में थी। गोरे रंग का मखमली जिस्म काले रंग की ब्रा पैंटी में कयानात ढा रहा था । मैं उसके गले को चूमते हुए ब्रा के ऊपर से ही उसके सुडोल स्तनों को किस करने लगा।

अफरोजा के मुँह से आवाज़ निकलने लगी-आउच अह ... ऊंह ... आह ओह और उसके निप्पल खड़े हो गए थे।

मैं अपने एक हाथ से अफरोजा के स्तन पकड़ कर रगड़ने लगा, साथ में दूसरा स्तन मुँह में लेकर स्तनपान करने लगा। फिर दोनों हाथों को स्तनों पर रख कर रगड़ने लगा।

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और ब्रा में हाथ डाल कर उसके स्तन मसल कर मैंने अफरोजा की ब्रा को ज़ोर से खींच लिया। ब्रा के हुक टूट गए और ब्रा निकल कर मेरे हाथ में आ गई. अफरोजा आ ... आउच ... ऊह ...' करती जा रही थी।

अफरोजा के तने हुए चूचुक मेरे सामने आ गए नग्न और मानो मुझे न्योता दे रहे थे कि आओ और हमें चूसो। माशाल्लाह... क्या मम्मे थे! भारी, लेकिन तने हुए।

मैंने दोनों चूचियों को दबाया।

उस वक़्त अफरोजा को महसूस होने लगा था कि उसकी चूत में से पानी आ रहा था, जिससे उसकी चड्डी गीली हो गई थी। मैंने पेंटी पर हाथ फिराया तो मुझे वह गीली मिली मैंने जोश में भर कर फिर मैंने उसकी पेंटी में हाथ घुसा के चूत में उंगली थोड़ी-सी घुसाई। चूत गर्म और गीली थी। उंगली बाहर निकल के मैंने मुँह में डाल के चूतरस का स्वाद चखा।

अब अफरोजा की पेंटी में दूसरा हाथ डाल कर जब मैंने पैंटी भी खींची तो पैंटी भी फट कर मेरे हाथ में आ गयी अब उसे नंगी करके उसके पूरे शरीर को चूम चाट कर मेरे अंदर एक लावा-सा भर गया ।

अफरोजा शरमा रही थी लेकिन मैं वासना से पागल हुआ जा रहा था। एक भरी-पूरी 18 साल की जवान लड़की मेरे सामने नंगी खड़ी थी। लेकिन मुझ से रहा नहीं गया। मैंने दोनों चूचियों को दबाया। अफरोजा रानी चिहुँक उठी, बोली-हजूर इन में हमेशा अकड़न-सी रहती है और ये गर्म भी हो जाती हैं अपने आप। जब गर्म होती हैं तो अकड़न कई गुना बढ़ जाती है। ऐसा क्यों होता है हजूर!

'चिन्ता ना कर रानी, अभी इनकी सारी गर्मी और अकड़न दूर कर दूँगा!' मैं बोला और बड़े ज़ोर से दोनों चूचुक निचोड़े और निप्पलो को कस के उमेठा।

वो-सी सी करने लगी तो मैंने लपक कर एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और दूसरी चूची को पूरे ज़ोर से दबाता रहा। हाय, कितनी ज़ायकेदार चूचियाँ थी! उसे भी मज़ा आने लगा!

मैं बारी-बारी से दोनों चूचियाँ चूसता गया, एक चूची चूसता तो दूसरी को दबा-दबा कर निचोड़ता।

फिर पहली चूची दबाता और दूसरी को चूसता।

अफरोजा भी मस्ती में चूर होकर आहें भर रही थी, उसकी कसमसाहट बढ़ती ही जा रही थी, उसके चूचुक और भी गर्म हो गए थे।

मेरे लण्ड का तो हाल पूछो ही मत, गुस्साये सर्प की तरह फुनकार रहा था, मेरे टट्टों में दबाब बहुत बढ़ चुका था, लगता था कि बस फटने ही वाले हैं।


जारी रहेगी
 
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aamirhydkhan

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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

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नौकर की बीवी के साथ सुहागरात में मुक्कमल मजे
इस सारी चूमा छाती में मेरी उत्तेजना बढ़ गयी थी और अब मैं जल्दी से जल्दी उसे चोदना चाहता था। जब मुझसे न रहा गया तो मैंने अफरोजा की चूची छोड़कर जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके। कोई इधर गिरा कोई उधर जाके पड़ा। मैं भी नंगा हो गया। 'हाय...हाय...अम्मा री...कितना लंबा और मोटा है हजूर आपका लंड ...मेरी तो इतनी छोटी-सी है यह तो मुझे फाड़ देगा नीचे... प्लीज़ हजूर ज़रा धीमे-धीमे करियेगा!'

'तेरी फाड़ूँगा बाद में, पहले इसे अच्छे से चूस... पूरा का पूरा अंदर जाना चाहिए!' इतना कह कर मैं बिस्तर पर बैठ गया और जैसे ही मैंने अफरोजा से लंड चूसने को कहा तो वह बड़ी हैरान हुई। मैंने उसे समझाया कि इसे चूसने के बाद ही सेक्स होता है। वह मना नहीं कर सकती थी क्योंकि उसकी मजबूरी थी और फिर मैंने उसे चूसने और चूमने के लिए कहा और अफरोजा का सर पकड़ कर उसका मुँह एकदम लण्ड से सटा दिया।

'अफरोजा ने झिझकते हुए पहले तो पूरे लौड़े को नीचे से ऊपर तक चूमा, फिर टट्टे सहलाये और फिर

अफरोजा ने लंड को नीचे ऊपर से पहले तो सूंघा और फिर प्यार से उसने जीभ इसके सब तरफ़ फिरानी शुरू कर दी, चाट-चाट के सुपारी को टुन्न कर डाला। मेरा लण्ड फुदक-फुदक के अपनी बेसबरी दिखा रहा था।

सुपारी को ख़ूब चाटने के बाद अफरोजा ने किसी तरह मुँह पूरा खोला और लण्ड मुँह में घुसा लिया और धीमे-धीमे पूरा का पूरा जड़ तक लण्ड मुँह में ले लिया। अब वह चटखारे ले-ले कर चूसने लगी जैसे लोग आम चूसते हैं।

लण्ड का टोपा, जो फूल के कुप्पा हो गया था, अफरोजा के मुँह के अन्दर गले से सटा हुआ था और वह लार निकाल के दबादब चूसे जा रही थी। जब वह मुँह आगे पीछे करती तो उसके महा उत्तेजक मम्मे भी फ़ड़क-फ़ड़क कर इधर उधर हिलते डुलते और मेरे मज़े को सैंकड़ों गुणा बढ़ा देते।

मस्ती में मैं चूर हो गया था!

अफरोजा लण्ड चूसने के साथ-साथ मेरे अंडे भी बड़े हल्के-हल्के हाथ से सहला रही थी। मेरे मुँह से अब आहें निकल रही थीं, -सी सी करता हुआ मैं झड़ने के क़रीब जाने लगा, मेरी उत्तेजना बढ़ी हुई थी जिससे मुझे लगा कहीं माल ना निकल जाए इसलिए मैंने सोचा कि सारी ज़िन्दगी पड़ी है लंड चुसवाने के लिए, आज पहले इसकी चूत फाड़ी जाये।

अफरोजा मेरे बग़ल में लेट गई और बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी।

' हजूर इसे मुँह में तो ले लिया जैसे तैसे लेकिन नीचे का छेद तो बहुत छोटा है। कैसे जायेगा ये मूसली जैसा भीतर? "

मैं उसके निप्पल उमेठता हुआ बोला-अरे बन्नो बड़े मज़े से घुसेगा... औरत की चूत हाथी का लण्ड भी लील सकती है... यह तो इंसान का है... अच्छा तो लगा तुझे, मज़ा आया? मैंने प्यार से उसकी चूचियाँ मसलीं।

'आह...हाय हजूर क्या करते हो? आप बहुत सताते हो। जब आप इन्हें दबाते हो तो पता नहीं क्यों मेरे बदन में बिजली दौड़ने लगती है मेरा दिल करता है कि आप मुझे जकड़ कर मेरी चटनी पीस दो। पूरा बदन ऐंठ जाता है, जी में आता है कि कोई मेरे शरीर को कुचल के रख दे। ऐसा क्यों होता है... बताओ ना हजूर?'

'अफरोजा ! मेरी जान यह इस बात की निशानी है कि तुझे वासना ने जकड़ लिया है... अब जब तक तेरी एक मोटे तगड़े लण्ड से, जम कर चुदाई नहीं होगी यह अकड़न और यह गर्मी यूँ ही तुझे दुखी करती रहेगी!'

और मैंने अफरोजा को खींच कर अपने ऊपर लिटा दिया।

आजा अफरोजा ...आज तेरा कचूमर बना ही दूँ! ' उसका सुन्दर मुखड़ा अपने मुँह से चिपका कर मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये और साथ ही साथ उसकी चूचियाँ दबोच कर उन्हें पूरी ताक़त से मसलने लगा।

अफरोजा ने भी बड़े मज़े ले-ले के अपने होंठ चुसवाये और बीच-बीच में मुझे अपनी जीभ भी दे देती थी जिससे मेरे मुँह में उसकी लार भी आ जाती थी और मैं अपनी लार उसके मुँह में डाल देता था ऐसे ही रस का आदान प्रदान करता हुआ मैं उसका बदन सहलाते हुए मसलते हुए उसे चूमता रहा ।

फिर कुछ देर के बाद मैंने उसकी कमर पकड़ कर थोड़ा उसे ऊपर को घसीटा ताकि मम्मे मेरे मुँह के पास आ जाएँ। जैसे ही अफरोजा के बड़े-बड़े चुचुक जैसे ही मेरे मुँह के सामने आये, बूब्स सख्त हो चुके थे, मेरे बदन में वासना की आग भड़क उठी, मैंने बड़े ज़ोर से एक चूची में दांत गाड़ दिये और दूसरी चूची को पूरी ताक़त से हाथों से ऐसे निचोड़ा जैसे धुलने के बाद तौलिये को निचोड़ते हैं। चूचुक भी वाकई में बहुत सख्ताये हुए थे।

अब अफरोजा कराहती हुई गहरी-गहरी साँसें लेने लगी। बदल-बदल के मैंने चूचियों को चूसना, काटना और मसलना जारी रखा।

मैंने एक बार फिर अफरोजा के खूबसूरत नंगे जिस्म का मुआयना किया, सपाट पेट, लहराती हुई कमर, गहरी नाभि और गोल-गोल बड़े बड़े बूब्स पर तनी हुई निपल्स, आँखे अधमुंदी, सुंदर चेहरा, चिकनी शेव्ड हल्के ब्राउन कलर की चूत, केले के खंभे जैसी चिकनीजांघे और गोरा बदन। फिर उसके पेट, कमर। चाटते हुए उसकी नाभि की अपनी जीभ से ही चुदाई कर डाली, उसका सपाट पेट, लहराती हुई कमर, गहरी नाभि और बूब्स पर तनी हुई निपल्स, आँखे अधमुंदी चेहरा और गला मेरे चाटने के कारण गीला था ।

और केले के खंभे जैसी चिकनी जांघे और गोरा बदन हाथ से सहलाने लगा। चिकनी शेव्ड हल्के ब्राउन कलर की चूत पर हाथ फिराया जिससे अफरोजा अब तड़पने लगी थी, उस पर कामावेश पूरा चढ़ गया था। फिर में उठकर उनकी जाँघो के बीच में आ गया और अपने मुँह में उनकी निपल्स लेते हुए अपनी एक उंगली उनकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा, लेकिन उनकी टाईट चूत बहुत सख्त और तंग थी और मेरी ऊँगली घुसाने कोशिश पर अफरोजा चीखने लगती थी, लेकिन बड़ी मुश्किल से मेरी 1 उंगली उनकी चूत में अंदर जा पाई। जब मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली, चूत पूरी तरह रस से सराबोर थी।

उंगली घुसते ही अफरोजा एकदम से कंपकंपा उठी और हाय-हाय करने लगी, उसने मेरे बाल कस के जकड़ लिये थे और वहशियों की तरह वह मेरा मुँह अपने चूचुकों में ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी जैसे कि मेरा मुँह चूचियों में घुसेड़ देना चाहती हो। मैंने ऊँगली और आगे घुसेड़ी जैसे ही उंगली थोड़ी-सी अंदर घुसी, उसकी चूत का पर्दा रास्ते में आ गया, मैं भौंचक्क हो गया।

यह अफरोजा तो सच में अभी तक कुमारी थी। पर चुत के अंदर ऊँगली हिलाने से अब उसे एक तगड़े लण्ड से चुदवाने की गहरी इच्छा बावली बनाये जा रही थी।

जब मैंने चुत पर हाथ फेरा था और देखा अफरोजा की चुत सफाचट थी और वहाँ बालो या झांटो का नामोनिशान नहीं था मुझे लगा था कि तो वह चुद जाने के लिये पूरी तत्पर होकर आई थी। इसलिए शक हुआ की शायद चुदी चुदाई है । पर जब मेरी ऊँगली उसकी चुत के परदे से टकराई तब मुझे लगा की साफ़-साफ़ करके इसलिए आयी है शायद सोचा होगा कि एक ना एक दिन तो चुदना है ही, तो आज क्यों नहीं और चलो जब खसम भी राजी है तब आज मालिक को ही खुश कर देती हूँ।

मेरी तो अब ऐश लग गयी थी कि एक और कुमारी लड़की को चुदी हुई औरत बनाने का मौक़ा मिला। और फिर अनवर को अच्छी तरह मालूम था कि मुझे कुंवारी बुर मारने का कितना शौक है क्योंकि कुमारी टाइट फुद्दी या बुर को चोदने का मज़ा भी तो बेहिसाब आता है।

मैंने करवट लेकर अफरोजा को बेड पर पटक दिया और ख़ुद उसके ऊपर चढ़ गया, तुरंत उसने अपनी टांगें फैला लीं। एक तकिया मैंने उसके चूतड़ों के नीचे टिका दिया और पहले उसकी चुत पर हाथ फेरा। और मैंने लंड उसकी चूत पर रख दिया। फिर मैंने उसे चूमते हुए और बूब्स दबाते हुए अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर सेट किया और उसे चूमता चाटता रहा। अब उसकी सुगंध से मेरा लंड जो कि अब पूरा 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा हो गया था, फंनफना कर चूत में घुसने की कोशिश करने लगा था। मैंने एक दो बार लंड उसकी चूत पर रगड़ा और उसकी भाग के दाने को मसला ।

लण्ड अफरोजा की चूत के मुहाने पर जमा के मैंने एक ज़ोर का धक्का दिया, फिर चूत के छेद को ऊँगली से खोल उसमे लंड लगा कर अंदर धकेला दो तीन बार ज़ोर लगाने से बड़ी मुश्किल से मेरा लंड अंदर घुसा ही था कि अफरोजा चीखने लगी, मेरा लौड़ा उस बारीक-सी झिल्ली को फाड़ता हुआ चूत में घुस गया। उसकी कुमारी बुर बहुत कसी थी जैसी अनचुदी चूतें होती हैं। फटे हुए पर्दे से गर्म-गर्म लहू निकलने लगा जिससे चूत में ख़ूब पिच-पिच मच गई जबकि लण्ड को उबलते उफनते खून की बौछार में भीग के तो बड़ा मज़ा आया!

फिर जैसे ही मैंने धक्का लगाया अफरोजा सिहर उठी। उसकी चूत कसी थी। जैसे ही मैंने ज़ोर लगाया वह रोने लगी। मैंने ज़ोर से धक्का लगाया, लंड पूरा नादर घुस गया और वह चीख पड़ी-मर गई अम्मी फाड़ दिया! मार दिया, बचाआआआओ! कोई है मुझे इस ज़ालिम से बचाओ! फाड़ दी मेरी, मैंने खा था हजूर धीरे डालो! पर आपने इतनी तेज घुसा दिया। अफरोजा कराहने लगी और रोते-रोते बोली-हजूर मैंने कहा था इतना बड़ा मेरे छोटे से छेद में कैसे घुसेगा...हाय...हाय... बहुत दर्द हो रहा हे... उई माँ...अब ना बचूंगी... आपने पूरा घुसेड़ के मुझे नीचे से फाड़ डाला... अब क्या होगा सर? ...हाय...मेरा क्या होगा? '

मैंने उसे बड़े प्यार से चूमा, अफरोजा के आँसू पौंछे और उसका पूरा मुँह पर बहुत सारी चुम्बन लिये।

मुझे पता था कुमारी लड़कियाँ चूत की झिल्ली फटने पर एक बार दहशत में आ जाती हैं, घबरा जाती हैं और उनको काफ़ी प्यार से हिम्मत देने की ज़रूरत होती है। अभी दस मिनट में ये पहली सभी लड़कियों की तरह ही मस्त होकर चूतड़ कुदा-कुदा के चुदवायेगी और बार-बार खुश होकर चूत मरवाएगी।

फिर लगा अफरोजा का दर्द ख़त्म हो गया था क्योंकि अब उसका सुबकना काम हो गया था और चूत दुबारा से रस बहाने लगी थी और अफरोजा भी मेरी चुम्मियों के जवाब में मुझे चूमने लगी थी।

अब मैंने हल्के-हल्के धक्के भी देने शुरू कर दिये। अब अफरोजा को दर्द न हुआ क्योंकि उसने भी मज़े लेते हुए अपने नितम्ब हिला कर धक्के के जवाब में धक्के लगाये।

मैंने फिर अफरोजा के होंठों को चूसते-चूसते धक्के थोड़ा तेज़ शुरू किये।

मेरे धक्के बढ़ने लगे और अफरोजा को भी स्वाद आने लगा। वह लगातार बोले जा रही थी-हाय री अम्मी, कैसी क़िस्मत दी भगवान ने मुझे, गाँव के मुश्टंडो और अपने मालिक से, नवाब साहब से बड़ी मुश्किल से जवानी बचा कर लाई थी, अपने खसम के लिए, यहाँ कोई और ऊपर चढ़ गया। हाय ज़ालिम हाय धीरे-धीरे कर। इतना क्यों जुलम कर रहे हो हजूर। मैं अब यहीं हूँ! आपके नीचे ही तो लेटना है हर रोज़!

ले अफरोजा मेरी जान, मेरा लंड खा, सारी ज़िन्दगी की किसी चीज़ की कमी नहीं आने दूंगा। ले-ले ले! वह भी बोले जा रही थी-धीरे! धीरे! हजूर! आज अम्मी चुद गई तेरी अफरोजा! फट गई कुंवारी चूत आह-आह आह आआआआआआआअह!

मैं- अफरोजा मेरी जान ... बिल्कुल फिकर न कर... अभी दर्द ठीक हो जायेगा... बस दो मिनट तसल्ली रख... हाँ मेरी रानी... बस दो मिनट... इतना कह कर मैंने उस पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। मैंने होंठ गीले कर-कर के उस बार-बार पलकों पर, होंठों पर, गालों पर और माथे पर चुम्मियाँ लीं, कान की लौ चूसी, दोनों गाल बारी-बारी से चूसे, फिर मैंने उसके कंधों के ऊपरी भाग पर जीभ फिराई, उसके बाज़ू ऊंचे करके बगलें चाटीं।

इतना प्यार भरे मधुर चुम्बन पा के अफरोजा की घबराहट फौरन कम हो गई और उसे भी मज़ा आने लगा।

इस दौरान मैंने लण्ड एकदम शांत रखा हुआ था, कोई धक्का नहीं मारा, बस थोड़ी-थोड़ी देर में एक दो तुनके मार देता था।

अफरोजा चीखे जा रही थी, मैं धक्के मारता चला जा रहा था। मज़ा दोनों को आ रहा था। मैं भी चिल्लाने लगा-हाय अफरोजा मेरी जान! मज़ा आ गया तेरी सील तोड़ कर! साली क्या जवानी है! फुद्दू था वह नवाब जिसने तुझे कुंवारी को ससुराल भेज दिया।

अफरोजा में भी वासना का आवेश बढ़ता जा रहा था, वह बड़े उत्साह से मुँह उचका-उचका के अपने होंठ चुसवा रही थी।

अफरोजा ने अपनी बाहें कस के मेरे बदन से लिपटा ली थीं और उसने अपनी मुलायम-मुलायम टांगें चौड़ा कर मेरी फैली हुई टांगों में लपेट रखी थीं, उसके पैर मेरे टखनों में फंसे हुए थे।

अफरोजा का रेशमी साटिन जैसा बदन मेरे बदन से चिपक के मेरी वासनाग्नि को अंधाधुंध भड़काए जा रहा था, मेरी सांस तेज़ हो चली थी, माथे पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं।

मैंने अफरोजा के होंठ छोड़ कर उसकी तरफ़ देखा, वह भी अब पूरी गर्म हो चली थी, उसने आधी मुंदी हुई मस्त आँखों से मेरी तरफ़ बड़े प्यार से देखा, दोनों हाथों मेरा चेहरा पकड़ा और फिर अपनी तरफ़ खींच के मेरे होंठ चूसने लगी।

थोड़ी देर इसी प्रकार चूसने के बाद अफरोजा बोली-हजुर अआपने मुझे कितना मस्त कर दिया है... अब ज़रा भी दर्द नहीं हो रहा... बड़ा मज़ा आ रहा है... हजूर मेरा बदन में फिर से अकड़न महसूस होने लगी है... ऐसा क्यों हो रहा है?

मैंने उसका एक चुम्बन लिया और कहा- अफरोजा रानी... तू चुदासी हो रही है... मैं सब अकड़न ठीक कर दूंगा... तुझे चोद-चोद के... अब तो दर्द होने का काम भी ख़त्म हो चुका... अब तो रानी बस मस्ती और बस मस्ती में डूबे रहना है।

इतना कह कर मैंने दोनों हाथों से अफरोजा के उरोज पकड़ लिये और उन्हें भींचे-भींचे ही धक्के पर धक्का लगाने लगा। धक्के के साथ-साथ चूचुक मर्दन भी ख़ूब ज़ोरों से हो रहा था।

फिर 10 मिनट की बेरहम चुदाई के बाद जब अफरोजा की चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो मैंने अपना लंड आधा बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा। फिर अचानक से अफरोजा ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और झड़ गयी और मुझे चूमने लगी।

अफरोजा अब मस्तानी होकर चुदाये जा रही थी और साथ में सीत्कार भी भरती जाती थी, कामुकता के नशे में चूर होकर उसकी आँखें मुंद गई थीं, मुँह थोड़ा-सा खुल गया था और चूत दबादब रस छोड़े जा रही थी। अचानक मैंने धक्कों की स्पीड कम कर दी और बहुत ही हौले-हौले लण्ड पेलना शुरू किया।

मैं लौड़ा पूरा चूत के बाहर निकलता और फिर धीरे से जड़ तक बुर के अंदर घुसेड़ देता।

अब अफरोजा तड़प उठी, कहने लगी-हजूर बड़ा मज़ा आ रहा है... मेरा एसा दिल कर रहा है कि आप मेरा कचूमर निकल दो... आप धीरे हो जाते हो तो ये बदन काट खाने को हो रहा है... अब हजूर पूरी ताक़त से धक्के ठोको। मुझे पता नहीं क्या हो रहा है...बस जी कर रहा है कि आप मुझे दबोच कर मेरा मलीदा बना दो...

फिर अफरोजा की आवाज़ और ऊँची हो गई-हजूर ...तोड़ दो...अब पीस दो मेरा बदन... मैं दुखी आ गई इससे... हाय...हाय... अब मसलो ना... किस बात का इंतज़ार कर रहे हो... मेरी जान निकली जा रही है!

मुझे उसे तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मैंने अफरोजा के होंठ चूसने शुरू कर दिये जिससे उसका मुँह बंद हो गया।

अब अफरोजा आराम से होंठ चुसाये जा रही थी, चुदाई करवाये जा रही थी और मुँह बंद होने के कारण अपनी तड़पन दूर करने के लिये पूरा बदन कसमसाये जा रही थी।

जब मैंने दस बारह ख़ूब तगड़े धक्के ठोके, तो अफरोजा पागल-सी होकर मुझ से पूरी ताक़त से लिपट गई, उसकी गर्म-गर्म तेज़ तेज़ चलती सांस सीधे मेरे नथुनों में आ रही थी, चूत से रस छूटे जा रहा था।

और फिर जैसे ही मैंने एक तगड़े धक्के के बाद लण्ड को रोक के तुनका मारा, अफरोजा चरम सीमा पर पहुँच गई, उसने मेरा सिर कस के भींच लिया और अपनी कमर उछालते हुए कुछ धक्के मारे।

अफरोजा झड़े जा रही थी। अब तक कई दफ़ा चरम आनन्द पा चुकी थी, झड़ती, गरम होती और ज़ोर का धक्का खा के फिर झड़ जाती।

ऐसा कई मर्तबा हुआ। अब तक मैं भी झड़ने को हो लिया था, मैंने अफरोजा के उरोज जकड़े-जकड़े ही कई ताक़तवर धक्के ठोके इस दौरान अफरोजा भी कई बार फिर से झड़ी।

15 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने जा रहा था। और झड़ गया। अफरोजा भी तीन बार झड़ चुकी थी।

हमारी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। झड़ के मैं अफरोजा के ऊपर ही पड़ा हुआ था। अफरोजा आँखें मींचे चुप चाप पड़ी थी और अभी-अभी हुई विस्फोटक चुदाई का मज़ा भोग कर सुस्ता रही थी।

कुछ देर के बाद जब हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैंने अफरोजा के मुँह को प्यार से चूमा, उसके चहरे पर बहुत संतुष्टि का भाव था जैसे कोई बच्चा अपना मनपसंद खिलौना पाकर तृप्त दिखाई देता है।

चुदी हुई अफरोजा बड़ी प्यारी-सी गुड़िया-सी लग रही थी।

मैंने देखा चादर पर खून के धब्बे लग गए थे। वह वाकई कुंवारी थी और मैं खुशनसीब था जिसने उसकी जवानी का पहला रस पिया।

उस रात हवेली में मौजूद सभी लोग अनवर के सारे रिश्तेदार सोए नहीं। सारी रात हमारी चुदाई की बातें सुनते रहे। पूरी रात में मैंने अफरोजा को तीन बार चोदा। सुबह अफरोजा से ठीक तरीके से चला नहीं जा रहा था। उसकी सास (तर्रनुम खाला) बहुत खुश थी। अनवर भी बहुत खुश था। उसकी बीवी को पहली रात मैंने चोदा और वह फिर भी खुश था।

पूछने पर उसने बताया-"नवाब हजूर, अफरोजा को तो इक न इक दिन आपसे चुदना ही था, लेकिन कल रात मैंने अपनी बिचोलन, अफरोजा की बुआ" रुसी "जो वलीमा की दावत के लिए उसके साथ आई हुई थी उसको चोदा। क्या माल है हजूर, लंड को मुँह में लेकर छोड़ने का नाम ही नहीं लेती। उसकी बुआ की लड़की" महरीन "भी कुंवारी है और मुझे अफरोजा ने बताया की उसने आपकी और अफरोजा की पूरी चुदाई रात में छिप कर देखि है और वह भी आपकी चुदाई की दीवानी बन गयी है, आज दोपहर को ही हवेली पहुँचाता हूँ।"

हालाँकि लेकिन मेरा मूड नहीं था। मैं अफरोजा को ही चोदना चाहता था। मैंने मना करा और अनवर से रात को दोबारा अफरोजा को तैयार रखने के लिए कहा तब अनवर ने कहा"हजूर अफरोजा अब यहीं है आप उसे जब चाहे तब चोद लेना! आप से मेरी इल्तिजा है एक बार महरीन को देख लीजिये बहुत सुंदर है और ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते! " ,

"ठीक है जैसा तुम ठीक समझो वैसा करो" और ये बोल कर अपनी हवेली वापिस आ गया।

जारी रहेगी
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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