मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
खानदानी निकाह
अपडेट 147
सेक्सी फूफी
थोड़ी देर बाद मेरे लंड ने फूफी की चूत में जगह बना ली, चूत चौडी हो गयी थी और तीन बार झड़ चुकी थी और चुतरस से सरोबार थी और गीली चूत में लंड आराम से अन्दर बाहर होने लगा।
अब फूफी को भी चुदने में मज़ा आने लगा और वे अपनी गांड उठाती आह-आह करती चुद रही थी!
मैं फूफी की चूत में तेज-तेज धक्के मारने लगा। रुसी फूफी भी नीचे से अपनी गांड को उठा-उठा कर मेरे धक्कों का साथ देने लगीं।
पांच मिनट बाद ही रुसी फूफी ने मुझे जकड़ लिया और कहने लगीं-हजूर अब जल्दी-जल्दी धक्के मारिये ... मेरी चूत झड़ने वाली है!
मैंने अपने धक्कों की गति और तेज कर दी।
तभी फूफी नीचे से धक्के मारती हुई एकदम चिल्लाईं-आईई ... ईई मर गई. फिर कुछ दस मिंट मैं उसका नरम बदन पिसता रगड़ता मसलता रहा और फिर आखिरी तेज बुलंद झटका मारा और चूत को भर दिया, मेरा गर्म वीर्य उसे अपने अंदर महसूस हुआ। वो हांफ रही थी और मैं भी।
करीब 10 मिनट बाद मैं खड़ा हुआ और कमरे में टहलने लगा। मेरा पौने फुट का लण्ड कामरस और वीर्य से जड़ तक गीला था और पूरी तरह चमक रहा था।
तभी फूफी ने अपनी चूत पर हाथ लगा कर देखा की चूत को मेरी चुदाई ने पूरी तरह चौड़ा कर दिया था, चूत पूरी तरह से गहरा गड्ढा लग रही थी।
फूफी उठी मुश्किल से खड़ी हुई और हल्फनंगी जाकर शीशे की तरफ़ मुंह करके खड़ी हो गयी।
ओह! एक ही चुदाई में फूफी की क्या हालत हो गयी थी ... बाल बिल्कुल तार-तार हो कर बिखर गए थे ... चेहरा बेहद लाल हो गया था, आंखों का काजल बह के ऊपर नीचे फैल गया था। आँखें पूरी तरह मदहोश थीं और चढ़ी हुई थी। लिपस्टिक गालों पर गर्दन तक पहुँच गई थी। ग़ौर बदन-बदन पर हर जगह नील के निशाँ थे, ओंठ सूजे हुए थे।
रुसी फूफी लंड देख कर बोलीं-हाय दैया इस लम्बे और इतना मोठे लंड से चुदाई करवा कर मेरी चूत की बस हो गयी ... पर नवाब साहब अभी मज़ा बाक़ी है।
यह बोलते हुए उन्होंने सीधा मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले कर हाथ फिराने लगी और कुछ ही पल में लंड फिर तन गया और मैं बेहद गर्मा चुका था क्योंकि मुझे याद आया की अनवर ने कहा था कि "क्या माल है फूफी, लंड को मुँह में लेकर छोड़ने का नाम ही नहीं लेती।" ये याद कर मेरा लौड़ा बहुत ज़्यादा सता रहा था, मैंने रुसी फूफी को खींच कर नीचे घुटनों के बल बिठा दिया और लौड़े को रुसी फूफी के मुँह के सामने करके तुनके लगाने लगा।
रुसी फूफी समझ गई कि मैं लण्ड चुसवाना चाहता हूँ, तुरंत उसने टट्टों को बड़े प्यार से सहलाया, लण्ड की कुछ प्यार भरी चुम्मियाँ लीं। एक बूंद टोपे के छेद पर उभर आई थी जिसे रुसी फूफी ने तुरंत जीभ से लपक लिया और ख़ूब खुश होकर चहकी-हूंउउऊऊउउ... स्वाद आ गया!
उसने मुखरस से तर करके जीभ बाहर निकाली और धीरे-धीरे सुपारी को चाटने लगी, उसने टोपा चारों तरफ़ चाट-चाट के मुझे जन्नत दिखा दी।
हर थोड़ी देर बाद एक बूंद लौड़े के छेद पर आ जाती जिसे रुसी फूफी फौरन में-में ले लेती। ब रुसी फूफी लण्ड की सुपारी चूसे जा रही थी और दोनों हाथों से लण्ड को पंप कर रही थी। बीच-बीच में एक हाथ से मेरे अंडकोश भी सहलाती जाती।
मस्त चुसाई चल रही थी, सच में लौड़ा चूसने की रुसी फूफी एक्सपर्ट थी। कभी वह सिर्फ़ टोपा चाटती चारों ओर जीभ फिरा-फिरा के, तो कभी वह पूरा लण्ड मुँह में घूसा लेती और मुँह के भीतर जीभ से लण्ड चाटती। कई बार रुसी फूफी लण्ड को ऐसे चूसती जैसे बच्चे लॉलीपॉप चूसते हैं।
लण्ड की उत्तेजना बढ़े चले जा रही थी, मेरा बदन अब तपने लगा था, गला घुटा घुटा-सा लगने लगा था।
उसने मुखरस से तर करके जीभ बाहर निकाली और धीरे-धीरे सुपारी को चाटने लगी, उसने टोपा चारों तरफ़ चाट-चाट के मुझे जन्नत दिखा दी।
फूफी मस्ती में चूर होकर आहें भर रही थी, उसकी कसमसाहट बढ़ती ही जा रही थी, उसके चूचुक और भी गर्म हो गए थे। मेरे लण्ड का तो हाल पूछो ही मत, गुस्साये सर्प की तरह फुनकार रहा था, मेरे टट्टों में दबाब बहुत बढ़ चुका था, लगता था कि बस फटने ही वाले हैं। फूफी साथ में अपनी फुद्दी भी सहलाती जा रही थी ।
'तेरी फिर से चौदूँगा कुछ देर में, चूस, ले पहले इसे अच्छे से चूस... पूरा का पूरा अंदर जाना चाहिए!' इतना कह कर मैं बिस्तर पर बैठ गया और फूफी का सर पकड़ कर उसके मुँह में एकदम से लंड आगे धकेल दिया।
फूफी के गले से गऊ-गऊ की अव्वाज निकली और फिर उसने मुँह पीछे कर लंड बाहर निकाला और पहले तो पूरे लौड़े को नीचे से ऊपर तक चूमा, टट्टे सहलाये।
टोपे को नीचे ऊपर से पहले तो सूंघा और फिर प्यार से उसने जीभ इसके सब तरफ़ फिरानी शुरू कर दी, चाट-चाट के सुपारी को टुन्न कर डाला।
लण्ड फुदक-फुदक के अपनी बेसबरी दिखा रहा था।
सुपारी को ख़ूब चाटने के बाद फूफी ने लण्ड मुँह में घुसा लिया मुँह में मोटाई की वज़ह से जा नहीं रहा था तो रुसी फूफी की गर्दन पकड़ के एक झटका मार दिया, उनकी आँखें बाहर आ गईं और मुंह फट गया।
लेकिन फूफी भी बहुत पक्की थी, लंड बाहर नहीं निकाला और मुट्ठियाँ बंद कर लीं और पूरा ज़ोर लगा के मुंह आगे पीछे करने लगी, जितना ही सकता था। मैंने बहुत कोशिश की लेकिन फूफी लंड चार इंच से ज़्यादा मुँह में न ले पायी। 2-3 झटके मार कर पूरा लौड़ा उनके मुँह में घुसेड़ा, तो वे खाँसने लगीं फिर धीमे-धीमे मुँह और फैला कर पूरा का पूरा जड़ तक लण्ड मुँह में ले लिया।
अब वह चटखारे ले-ले कर चूसने लगी जैसे लोग आम चूसते हैं।
यह तो एक ख़ूब खेली खाई चुदाई की खिलाड़ी थी। लण्ड का टोपा, जो फूल के कुप्पा हो गया था, रुसी फूफी के मुँह के अन्दर गले से सटा हुआ था और वह मुखरस निकाल-निकाल के दबादब चूसे जा रही थी। जब वह मुँह आगे पीछे करती तो उसके महा उत्तेजक मम्मे भी फ़ड़क-फ़ड़क कर इधर उधर हिलते डुलते और मेरे मज़े को सैंकड़ों गुणा बढ़ा देते।
उसे देख, मस्ती में मैं चूर हो गया था!
फूफी लण्ड चूसने के साथ-साथ मेरे अंडे भी बड़े हल्के-हल्के हाथ से सहला रही थी। रुसी फूफी ने अब जीभ को मोड़ के सिरे की नोक-सी बना कर सुपारे के सुराख में घुसेड़ दिया तो मेरे बदन में एक ज़बरदस्त सनसनी दौड़ी, लण्ड में सुर सुरी होने लगी।
तब रुसी फूफी ने जीभ घुसाए-घुसाए अपने होंठ पूरी ताक़त से लण्ड पर जमा दिए और होटों से लण्ड को ज़ोर से दबाए-दबाए चूसने लगी। सारे कमरे में सुड़प-सुड़प की आवाज़ गूँजने लगी।
आनन्द की हद पार होने लगी थी, रुसी फूफी ने मुझे सताना चालू कर दिया था।
मेरे मुँह से अब आहें निकल रही थीं, -सी सी करता हुआ मैं झड़ने के क़रीब जाने लगा, उसका सिर पकड़ कर जो मैंने चार तगड़े धक्के मारे और फिर जैसे ही उसे लगता कि मैं झड़ने वाला हो रहा हूँ, वह एकदम लण्ड पर से होंठों का दबाब कम कर लेती और थोड़ी-सी जीभ भी छेद से बाहर कर लेती।
जैसे ही मैं काबू पा लेता, वह दुबारा अपने विशेष स्टाइल से चूसने लगती।
मेरा लण्ड चूस-चूस कर रुसी फूफी ने मेरा हाल बिगाड़ दिया।
मैं उत्तेजना के मारे कांप रहा था। मेरे मुँह से आह... आह... अय्या... आ... आ... आहा जैसी आवाज़ें आने लगीं।
लण्ड कबू से बाहर हुए जा रहा था। मैंने लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया और मेरी गति धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी।
रुसी फूफी जान गई कि मैं खलास होने के बहुत करीब हूँ, उसने पूरा लौडा मुँह में ठूंस लिया था और बडी तेज़ी से मुँह को आगे पीछे करके वह चूस रही थी। उसने अपने मुँह के अंदर और बाहर जाने की एक स्थिर गति विकसित कर ली थी, जब उसने देखा कि मैं उसके लंड को हिलाने और चूसने की लय के साथ अपने लंड को उसके मुँह के अंदर धकेल रहा था।
उसके बाद मेरा लंड काफ़ी सख्त और मोटा हो गया और उसकी गेंदों की त्वचा कड़ी हो गई और उसके हाथ में भी वास्तव में सिकुड़न आ गई। मैंने अपने पैरों पर नियंत्रण खो दिया और वे हिंसक रूप से हिलने लगे। मुझे को लगा कि शायद मैं उसे चोट पहुँचा रहा है, क्योंकि हर धक्के के बाद उसका लिंग हमेशा बहुत संवेदनशील हो जाता था और जिस तरह से वह मुड़ रही थी उसके सिर पर, उसकी जीभ उसके लिंग के सिर के सामने और किनारे पर फिसल रही थी।
लेकिन मैं अभी भी उसके मुँह में वार कर रहा था, इसलिए उसने सोचा कि यह उसे बहुत ज़्यादा चोट नहीं पहुँचा रहा। मैंने महसूस किया कि मेरा लिंग धड़कने लगा और उछलने लगा, मुझे लगा अब जितनी बार मुझे झड़ने की कगार प् ला कर फूफी ने सताया है उतनी ही बार मेरे शुक्राणु मेरे अंडकोष से बाहर निकलने के लिए त्यार बैठे है और अब एक साथ बहुत सारे निकलेंगे और यही हुआ, उसका मुँह रस से भर गया था जिससे लौड़ा तर होकर चुसाई का मज़ा लूट रहा था। जब लण्ड मुँह में घुसता तो पिच-पिच की आवाज़ निकलती।
अचानक एक तरंग मेरे सिर से तेज़ रफ़्तार शुरू होकर मेरे बदन से गुज़री और लण्ड से होती हुई मेरे लौड़े के छेद से निकली और साथ ही मैं झड़ा। उसके मुंह में, जब अचानक, यह फट गया। मोटी, गांठदार शुक्राणु के विशाल विस्फोट इतनी तेजी से निकले कि पहली बौछार से उबरने की कोशिश करते समय, दूसरा उसके गले के पीछे फंस गया जिससे उसका दम घुट गया और वीर्य निकलने के साथ ही उसे खांसी आने लगी उसकी नाक से पानी बाहर निकल गया। यह ऐसा था जैसे आपकी नाक में पानी चला गया हो।
तो लण्ड झड़ा, ऐसा लगा कि लण्ड एक पटाखे की तरह फट गया हो।
झर झर करके लण्ड तुनके मरता और हर तुनके के साथ एक बड़ी-सी वीर्य की बूंद फूफी के मुँह में डाल देता। फूफी ने अब लौड़ा थोड़ा बाहर कर लिया था, सिर्फ़ सुपारी मुँह में थी, वह सारा का सारा मक्खन पी गई।
जब लण्ड उसके मुँह में ही बैठ गया तो उसने बाहर निकाल दिया।
एक छोटी बूंद लौड़े के छेद पर बैठी हुई थी, फूफी ने उसे भी अपनी जीभ से चाट लिया।
मैं भी लण्ड की तरह मुरझा के बिस्तर पर लेट गया। नीलम रानी मेरे बग़ल में लेट गई और बड़े प्यार से मेरे बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी।
लण्ड को फिर रुसी फूफी ने एक कागज़ का नॅपकिन लेकर अच्छे से पौंछ-पौंछ कर साफ़ व सुखा दिया।
मैं फूफी से बोला-फूफी अब दूसरी पोजीशन में आ जाऔ और फूफी को उलटा लेटा दिया। उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया, जिससे उनकी गांड ऊपर की तरफ़ उठ गई।
फिर उनकी चूत के छेद पर अपना लंड रख कर मैंने एक ही धक्के में अपना पूरा लंड चूत में उतार दिया और धक्के मारने लगा।
मैंने रुसी फूफी के बाल पकड़े और घोड़े की तरह धक्के लगाने लगा।
रुसी फूफी 'आह ... आह ...' करती रहीं और कहने लगीं-नवाब साहब आप पक्के खिलाड़ी है और तेज-तेज चोदो मेरी चूत को ... ।
मैं फूफी को लगातार चोदता रहा।
थोड़ी ही देर में फूफी कांपने लगीं और ' आह ... आह ... करके झड़ने लगीं। रुसी फूफी का पानी हॉट पुसी से बाहर टपकने लगा।
फूफी गिरी और फिर कुछ देर में उठी हो गया।
मैंने कहा-रुसी फूफी, अब तू मेरे लंड पर बैठ जा और इसे अपनी चूत के अन्दर ले।
रुसी ने मेरे लंड पर अपनी चूत रख दी और बैठने लगीं। अब चूत चौड़ी हो चुकी थी और तर थी हल्का-सा दबाव पड़ते ही मेरा लंड पूरा का पूरा चूत में घुस गया।
फूफी चिल्ला दीं-आह ... आह ... आई!
कुछ ही समय में वे ऊपर नीचे कूदने लगीं और कहने लगीं-हजूर आपके लंड का जवाब नहीं!
मैं नीचे से धक्के मारता रहा, फूफी को अब मज़ा आने लगा था।
फूफी अपनी गांड को बेखौफ तेज-तेज मेरी जांघों पर पटक रही थीं और पूरे कमरे में पट-पट पट पट की आवाज़ आ रही थी।
मैंने फूफी को अपनी बांहों में भर लिया और नीचे से तेज-तेज धक्के लगाने लगा।
फूफी 'आह ... आह ...' करने लगीं और मेरे होंठों को काटने लगीं।
करीब 10 मिनट बाद रुसी फूफी की रफ़्तार धीमी होने लगी और वे कहने लगीं-अब मैं थक गई हूँ ... तू ही ऊपर आ जा और चोद ले मुझे!
मैं-आप कुतिया बन जाओ. मैंने उसे कुतिया बनाया और चूत में लंड डाल कर धक्के मारने लगा।
रुसी फूफी चुदती हुई कराह रही थीं-मैंने फूफी की गांड पर थप्पड़ मारा, तो वे एकदम से उचकने लगीं।
अब मैं दोनों हाथों से रुसी फूफी की गांड पर थप्पड़ मारने लगा।
फूफी ‘आह … आह …’ करती रहीं और अपनी गांड को हिलाने लगीं. और अपनी गांड आगे पीछे करती हुई लंड को धक्के मारने लगीं. थोड़ी ही देर में फूफी की चूत ने पानी छोड़ दिया।
वे बोलीं- मेरा हो गया,आप भी जल्दी से अपना भी गिरा ले।
उनकी बात सुन कर मैं रुसी फूफी की कमर पकड़ कर बहुत तेजी से पट पट पट पट धक्के मारने लगा।
रुसी फूफी का शरीर हिलने लगा और वे ‘आई … आई … उहह .. उम्म्म’ करने लगीं।
करीब 2 मिनट बाद मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। मैंने रुसी फूफी से कहा- मौसी मैं झड़ने वाला हूँ, फिर से अन्दर लेगी?
रुसी फूफी ने मुझे रुकने को कहा, मैं सोफे से उतर कर खड़ा हो गया। वे तुरंत घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड की मुट्ठी मारने लगीं। कुछ ही समय में मेरे लंड ने एकदम से पिचकारी मारी।
रुसी फूफी ने पिचकारी अपने मुँह में ले ली और मेरे वीर्य से रुसी फूफी का मुँह भर गया।
रुसी फूफी में मेरे पूरे वीर्य को पी लिया और चाट कर मेरे लंड को साफ किया. कुछ देर हम ऐसे ही रहे,
फिर फूफी वाशरूम गयी अपनी हालत कुछ ठीक की , और फिर फूफी मुझे चुम कर अभी आती हूँ हजूर! कह बाहर चली गयी ।
फिर कुछ देर में जब फूफी अपनी बुरका पहने बेटी के साथ आईं तो मैं उन्हें पड़ोस वाली हवेली में ले गया और एक कमरे की चाबियां देते हुए कहा आप अपना और महरीन का सामान इसमें रखवा दीजिये। आप और आपके शौहर इस हवेली की देखभाल कीजिये । मैं इसमें अपनी सभी बेगमे रखने वाला हूँ। अभी तक महरीन बुर्के में थी और मैंने उसका चेहरा भी नहीं देखा था और फिर महरीन और फूफी को वहीँ उस कमरे में छोड़ मैं वापिस अपनी पुरानी हवेली में आ गया।
जारी रहेगी