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Adultery मै परिणीता (पति - पत्नी अंतर्दवंद)

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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:peep: दिख नहीं रहा
पढ़ लिया :D
अब शुरू होगी दोनों की असली परीक्षा
परिणीता तो शायद किसी का बलात्कार ना कर पाये लेकिन परिणीता के शरीर में मौजूद नयी स्त्री आशिकों की फौज ना खड़ी कर दे
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अब तक आपने मेरी कहानी में पढ़ा: मैं एक क्रोसड्रेसर हूँ जिसे भारतीय औरतों की तरह सजना अच्छा लगता है। मेरी शादी हो चुकी है और मेरी पत्नी परिणीता है। हम दोनों अमेरिका में डॉक्टर है। परिणीता को मेरा साड़ी पहनना या सजना संवारना बिलकुल पसंद नहीं है। अब तक मैं छुप छुप कर अपने अरमानो को पूरा करती रही थी। पर आज से ३ साल पहले एक रात हम दोनों का जीवन बदल गया। सुबह उठने पर हम दोनों का बॉडी स्वैप हो चूका था मतलब मैं परिणीता के शरीर में और वो मेरे शरीर में थी। दोनों आश्चर्यचकित थे।

जहाँ एक ओर परिणीता बड़ी परेशान थी और इस अजीबोगरीब स्थिति को ठीक करना चाहती थी, वहीं मैं इस बदलाव का जादुई असर महसूस कर रही थी। रह रह कर मेरा औरत वाला नया शरीर मुझे उत्तेजित कर रहा था। शरीर में न जाने कैसी आग लगी हुई थी। बस हर पल खुद को छूने की इच्छा हो रही थी। इस वक़्त परिणीता नहाने गयी हुई थी और मैं कमरे में तैयार हो रही थी। अब आगे –


आज परिणिता नहाने में बहुत समय लगा रही थी। बाथरूम में एकांत में वो न जाने क्या सोच रही होगी। उसका नाज़ुक शरीर अब पुरुष का हो गया था। ये बदलाव उसके लिए भी बहुत बड़ा बदलाव है। सँभलने और स्थिति को समझने में उसे कुछ समय तो लगेगा ही। इन सब के बीच मैं बाहर तैयार हो रही थी। मेरा नया नज़ाकत भरा शरीर मुझे मदहोश किये जा रहा था। मेरे दिमाग ने मुझसे कहा कि जब ऐसी अजीबोगरीब हालात में परिणिता परेशान है, मैं कैसे कामुक विचार अपने मन में ला सकती हूँ। मैंने खुद का ध्यान भटकाने के लिए इधर उधर देखना शुरू किया। मेरी नज़र फिर से परिणिता की सुन्दर साड़ियों पर चली गयी। उसके पास एक से एक महँगी साड़ियां है पर शादी के वक़्त उसकी माँ ने उसे बहुत सी घरेलु सस्ती साड़ियां भी दी थी ताकि परिणिता उन्हें घर के काम करते वक़्त पहने। सब की सब बस अलमारी में ही रखी हुई है! यहाँ अमेरिका में परी ने उन्हें कभी पहना ही नहीं! उनमे से एक साड़ी थी जो थोड़ी साटिन मटेरियल की थी। मैं हमेशा से उसे पहनना चाहती थी। मैं तो सोच कर ही मचल रही थी की वो साड़ी मेरी नयी कोमल त्वचा पर कितनी अच्छी लगेगी। जब वो मखमली साड़ी मेरी त्वचा को छुएगी और पल्लू उस कोमल त्वचा पर फिसल जायेगा तो मेरा रोम रोम झूम उठेगा। मेरे नए मख्खन की तरह मुलायम स्तन और मेरी बड़ी नितम्ब को साड़ी चूमते हुए जब चिपक जायेगी, यह तो सोच कर ही मैं मदहोश हो रही थी। मेरा मन फिर न चाहते हुए कामुक विचारो में खो गया था।

मैंने खुद को फिर ऐसा सोचने से रोका। मुझे ध्यान आया कि मेरे बाल अब तक गीले थे और मैंने अब तक गुंथे हुए बालो को सूधारा नहीं था। परिणिता के बाथरूम से बाहर आने के पहले ठीक कर लेती हूँ नहीं तो वो और नाराज़ हो सकती थी। मैं आईने की ओर बढ़ी। हेयर ड्रायर को चालू की। मैंने कभी हेयर ड्रायर का इस्तेमाल नहीं किया था पर परिणिता को उपयोग करते देखा ज़रूर था। पहले तो लगा की बहुत मुश्किल होगी। थोड़ी हुई भी क्योंकि मेरे बाल शैम्पू करने के बाद गूँथ गए थे। पर जितनी आसानी से मैंने पहली बार में ही ड्रायर का उपयोग किया, मुझे खुद पर गर्व हो रहा था कि मैं अपने लंबे बालो को अच्छे से सूखने में कामयाब रही। आईने में खुद को देखते हुए बाल सुखा रही थी मैं। और इस वक़्त मेरे घुटनो तक लंबी ड्रेस पहनी थी। इस ड्रेस के ऊपरी हिस्से में काफी गहरा तो नहीं पर थोड़ा झुक कर बाल सूखाने की वजह से स्तनों के बीच क्लीवेज दिख रहा था। और तो और मैंने पुशअप ब्रा पहन रखी थी तो स्तन उभरे हुए और बड़े लग रहे थे। मैं सोच रही थी कि इस शरीर के साथ औरतें बिना कामुक हुए कुछ काम कैसे कर पाती होगी। पर फिर भी शुक्र है ब्रा का जिसने मेरे स्तनों को कस कर एक जगह स्थिर रखा था। इसके पहले जब मैंने नाइटी पहनी हुई थी तब मेरे स्तनों का हर एक कदम पर उछाल मुझे ज्यादा उतावला कर रहा था। मेरा बेकाबू मन फिर कामुक विचारो की ओर मुझे धकेल रहा था।



तभी बाथरूम के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आयी। “मैं बस तैयार हूँ!”, मैंने तुरंत कहा ताकि परिणिता नाराज़ न हो कि इतना समय लगा कर भी मैं तैयार नहीं हूँ।

“प्रतीक, एक प्रॉब्लम है!”, परिणीता ने धीरे से कहा।

मैं जल्द से परिणिता की और बढ़ चली। नहाने के बाद भी उसने रात को पहनने वाले नाईट ड्रेस पहन लिया था जो कि मेरा पुरुषो वाला पैजामा और शर्ट था। परिणिता कभी ऐसा नहीं करती है। नहाने के बाद तुरंत वो साफ़ नए कपडे पहनती है। जब मैंने परिणिता को थोड़ा दूर से ही देखा तो मुझे हँसी आ गयी। मैं मुस्कुराने लगी।

परिणीता भले अब पुरुष शरीर में थी पर उसके चेहरे पर पहले वाली ही मासूमियत झलक रही थी। वही मासूमियत जब उसे लगता है कि उससे कोई गलती हो गयी है और उसे पता नहीं कि उस गलती को सुधारे कैसे। जैसे वो सॉरी कहना चाहती हो।

“मैं पिछले २० मिनट से कोशिश कर रही हूँ पर यह जा नहीं रहा है! हेल्प मी, प्रतीक!”, उसने मासूमियत से कहा। परिणीता का अपने तने हुए पुरुष लिंग की ओर इशारा किया।

मैं मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ चली। परिणीता अब मुझसे बहुत ऊँची हो चुकी थी। उससे आँखें मिलाने के लिए मुझे सिर उठा कर उसकी ओर देखना पड़ रहा था। “इसमें कोई मुश्किल नहीं है। मैं तो इतने सालो से इसको संभालता रहा हूँ।”, मैंने कहा। फिर मैंने उसकी पैंट में हाथ डाला, लिंग को पकड़ा और कहा, “देखो, इसे हाथ से यूँ पकड़ो और ऊपर की ओर पॉइंट करो। इससे यह बाहर उभर कर नहीं दिखेगा। और थोड़ी देर बाद खुद ही छोटा हो जायेगा।” मैंने उसे बड़ी प्यार से समझाया। और वैसे भी उसमे इतना भी तनाव नहीं आया था कि यह बड़ा कठिन काम हो।

पर यह क्या! लिंग को हाथ से छोड़ते ही मुझे कुछ अजीब से बेचैनी का एहसास होने लगा। बिना कुछ और सोचे, मैं शर्माती हुई पलट गयी। मैं शर्मा क्यों रही थी? क्या हो रहा था मुझे? शायद मैं नहीं चाहती थी कि परिणीता मुझे कामुक होते देखे। पर मैं इतना ज्यादा शर्मा रही थी जैसे नयी दुल्हन शर्माती हो। मैंने अपना चेहरा अपने हाथो से छुपा लिया। ज़रूर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था।



परिणिता मेरी ओर न देख कर अपनी मुसीबत से लड़ रही थी। “प्रतीक, यह तो और बड़ा हो गया है। इसे ठीक करो प्रतीक, प्लीज़!”, परिणिता अपनी पेंट में बढ़ते हुए लिंग को देखते हुए बोली। शायद उसने मुझे शरमाते हुए देखा न था। मैं अपने आप को सँभालते हुए फिर परिणिता की और पलटी। चेहरे पे गंभीर भाव लायी। अपने हाथो से ड्र्रेस को थोड़ा नीचे की और खींचते हुए ठीक की। फिर घुटनो के बल झुक कर परिणीता के पुरुष लिंग की ओर ऐसे देखने लगी जैसे अब मैं समस्या का निदान करने ही वाली हूँ।

मेरा चेहरा और लिंग दोनों अब एक ही लेवल पर थे। मैंने अपने चेहरे के भाव और गंभीर करने का असफल प्रयास किया। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू। फिर मैंने धीरे से परीणिता की पैंट को निचे सरकाया। उसका लिंग तुरंत पैंट से बाहर आकर मेरी चेहरे की ओर तन गया। मेरे मन में क्या हो रहा था, समझ नहीं आ रहा था। कल रात तक यह लिंग मेरा हुआ करता था। मैंने पिछले कई महीनो से उसको इतना कठोर और तना हुआ महसूस नहीं किया था। कितना बड़ा हो गया था ये! मेरा मन बेचैन हुए जा रहा था। कल तक जो मेरा लिंग था मैं उसी की ओर आकर्षित हो रही थी। मैं लंबी गहरी सांसें ले रही थी। मेरे स्तन, लग रहा था जैसे और बड़े हो गए हो। ब्रा में कसाव और ज्यादा लग रहा था। मुझे यकीं है कि मेरे निप्पल और कठोर हो गए थे। मैं अपनी ब्रा में कठोर निप्पल महसूस कर पा रही थी। पुरुष लिंग बढ़ कर और तन कर मेरे चेहरे के बहुत पास आ गया था। मेरे हाथ उस लिंग को पकड़ लेना चाह रहे थे। मेरे होंठ उसे चूमना चाह रहे थे। जी चाह रहा था कि बस आंखे बंद करके तुरंत उस लिंग को पकड़ कर अपने स्तनों के बीच रगड़ लूँ। हाय, ये क्या हो रहा था मुझे! मैं पुरुष लिंग की तरफ कैसे आकर्षित हो रही थी!! और तो और अब मेरी स्त्री योनि में भी जो होना शुरू हुआ जिसे मैं शब्दो में लिख भी नहीं सकती। सब कुछ बहुत नया था मेरे लिए।

मैं झट से अपने पैरो पे खड़ी हो गयी और उस लिंग से विपरीत दिशा की ओर पलट गयी। जल्दबाज़ी में उठने और पलटने से मेरे बाल मेरे चेहरे के सामने बिखर गए थे। अपने दोनों हाथों से बालो को ठीक करते हुए अपने कान के पीछे करते हुए मैंने परिणीता से कहा, “परी, जल्दी से ड्रावर से अंडरवियर निकाल कर पहन लो और फिर ये जीन्स और टी शर्ट पहन लो। और लिंग को ऊपर की ओर घूम कर रखना। अंडरवेअर, जीन्स और बेल्ट के नीचे वो दब कर रहेगा तो उभरेगा नहीं फिर।”



परिणीता ने वैसा ही किया। शर्ट पहन कर वो बोली, “लड़का होना कितना आसान है! झट से जीन्स टी शर्ट पहनो, ५ सेकंड में बाल भी कंघी हो गए, और मैं तैयार।” परिणीता मुस्कुराते हुए मेरे बगल में आकर बैठ गयी। उसके नए शरीर के सामने कितना छोटा महसूस कर रही थी मैं खुद को। मैं भी फिर मुस्कुरा दी, और झूठा सा गुस्सा दिखाते हुए उसके सीने पे अपनी नाज़ुक मुट्ठी से चोट की और उसके सीने पे सर रख दी। उसने भी मुझे बाहों में पकड़ लिया। सब कुछ इतना स्वाभाविक था जैसे हम दोनों सालों से इस तरह का उलट जीवन जी रहे है जिसमे वो पति हो और मैं पत्नी। परिणीता बोली, “अब अपने लंबे बालों को सुखाकर तुम्हे पता तो चल गया होगा कि लड़की होना आसान नहीं है! वहां मेरा पर्स रखा है, उसमे से लिपस्टिक निकाल लाओ। मैं तुम्हे लगा देती हूँ।” उसने पर्स की ओर इशारा किया। “परी, इतना भी मुश्किल नहीं है लड़की होना! मैंने पहली बार में ही सब सही से कर लिया। और लिपस्टिक लगाने के लिए मुझे तुम्हारी मदद की ज़रुरत नहीं है, मैं खुद लगा सकता हूँ।”, ऐसा बोलकर पर्स से लिपस्टिक निकाल कर मैं अपने होठो पे लगाने लगी। यम्मी! परिणीता की लिपस्टिक की क्वालिटी बहुत बेहतर थी उन लिपस्टिक से जिनका उपयोग मैं छुप छुप कर तैयार होते हुए करती थी। परिणीता भी मुस्कुरा दी मुझे परफेक्ट तरह से लिपस्टिक लगाए देख कर।

इस थोड़े से हंसी मज़ाक में हम दोनों की कामुक भावनायें ख़त्म सी हो गयी थी। पर पूरी तरह नहीं। सुबह से उठने के बाद से मुझे तो समझ आ चूका था कि एक छोटी से चिंगारी मेरी कामुक भावनाओं को फिर से जगाने के लिए काफी है। एक बात का एहसास हम दोनों को अभी तक नहीं हुआ था कि जहाँ एक तरफ नए शरीर में, दिमाग में जो विचार आ रहे थे वो तो हमारे अपने थे, पर इस शरीर में वो हॉर्मोन दौड़ रहे थे जिसकी हमें आदत नहीं थी। यही वजह थी कि हम अपनी कामुकता को वश में नहीं कर पा रहे थे। जहाँ पुरुष हॉर्मोन परिणीता के लिंग तो कठोर कर रहे थे वही स्त्री हॉर्मोन मुझे कामोत्तेजित कर रहे थे। और हम दोनों को उन्हें वश में करने का कोई अनुभव न था। न जाने आगे इसका क्या असर होने वाला था। हुम्, मैं तो जानती हूँ पर आप नहीं। जानना चाहते है तो पढ़ते रहिये। और कमेंट अवश्य करे। इंतज़ार करूंगी।
Shaandar super hot seductive update 🔥 🔥 🔥
 

Tiger 786

Well-Known Member
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अब तक आपने मेरी कहानी में पढ़ा: मैं एक क्रोसड्रेसर हूँ जिसे भारतीय औरतों की तरह सजना अच्छा लगता है। मेरी शादी हो चुकी है और मेरी पत्नी परिणीता है। हम दोनों अमेरिका में डॉक्टर है। परिणीता को मेरा साड़ी पहनना या सजना संवारना बिलकुल पसंद नहीं है। अब तक मैं छुप छुप कर अपने अरमानो को पूरा करती रही थी। पर आज से ३ साल पहले एक रात हम दोनों का जीवन बदल गया। सुबह उठने पर हम दोनों का बॉडी स्वैप हो चूका था मतलब मैं परिणीता के शरीर में और वो मेरे शरीर में थी। दोनों आश्चर्यचकित थे।

जहाँ एक ओर परिणीता बड़ी परेशान थी और इस अजीबोगरीब स्थिति को ठीक करना चाहती थी, वहीं मैं इस बदलाव का जादुई असर महसूस कर रही थी। रह रह कर मेरा औरत वाला नया शरीर मुझे उत्तेजित कर रहा था। शरीर में न जाने कैसी आग लगी हुई थी। बस हर पल खुद को छूने की इच्छा हो रही थी। इस वक़्त परिणीता नहाने गयी हुई थी और मैं कमरे में तैयार हो रही थी। अब आगे –


आज परिणिता नहाने में बहुत समय लगा रही थी। बाथरूम में एकांत में वो न जाने क्या सोच रही होगी। उसका नाज़ुक शरीर अब पुरुष का हो गया था। ये बदलाव उसके लिए भी बहुत बड़ा बदलाव है। सँभलने और स्थिति को समझने में उसे कुछ समय तो लगेगा ही। इन सब के बीच मैं बाहर तैयार हो रही थी। मेरा नया नज़ाकत भरा शरीर मुझे मदहोश किये जा रहा था। मेरे दिमाग ने मुझसे कहा कि जब ऐसी अजीबोगरीब हालात में परिणिता परेशान है, मैं कैसे कामुक विचार अपने मन में ला सकती हूँ। मैंने खुद का ध्यान भटकाने के लिए इधर उधर देखना शुरू किया। मेरी नज़र फिर से परिणिता की सुन्दर साड़ियों पर चली गयी। उसके पास एक से एक महँगी साड़ियां है पर शादी के वक़्त उसकी माँ ने उसे बहुत सी घरेलु सस्ती साड़ियां भी दी थी ताकि परिणिता उन्हें घर के काम करते वक़्त पहने। सब की सब बस अलमारी में ही रखी हुई है! यहाँ अमेरिका में परी ने उन्हें कभी पहना ही नहीं! उनमे से एक साड़ी थी जो थोड़ी साटिन मटेरियल की थी। मैं हमेशा से उसे पहनना चाहती थी। मैं तो सोच कर ही मचल रही थी की वो साड़ी मेरी नयी कोमल त्वचा पर कितनी अच्छी लगेगी। जब वो मखमली साड़ी मेरी त्वचा को छुएगी और पल्लू उस कोमल त्वचा पर फिसल जायेगा तो मेरा रोम रोम झूम उठेगा। मेरे नए मख्खन की तरह मुलायम स्तन और मेरी बड़ी नितम्ब को साड़ी चूमते हुए जब चिपक जायेगी, यह तो सोच कर ही मैं मदहोश हो रही थी। मेरा मन फिर न चाहते हुए कामुक विचारो में खो गया था।

मैंने खुद को फिर ऐसा सोचने से रोका। मुझे ध्यान आया कि मेरे बाल अब तक गीले थे और मैंने अब तक गुंथे हुए बालो को सूधारा नहीं था। परिणिता के बाथरूम से बाहर आने के पहले ठीक कर लेती हूँ नहीं तो वो और नाराज़ हो सकती थी। मैं आईने की ओर बढ़ी। हेयर ड्रायर को चालू की। मैंने कभी हेयर ड्रायर का इस्तेमाल नहीं किया था पर परिणिता को उपयोग करते देखा ज़रूर था। पहले तो लगा की बहुत मुश्किल होगी। थोड़ी हुई भी क्योंकि मेरे बाल शैम्पू करने के बाद गूँथ गए थे। पर जितनी आसानी से मैंने पहली बार में ही ड्रायर का उपयोग किया, मुझे खुद पर गर्व हो रहा था कि मैं अपने लंबे बालो को अच्छे से सूखने में कामयाब रही। आईने में खुद को देखते हुए बाल सुखा रही थी मैं। और इस वक़्त मेरे घुटनो तक लंबी ड्रेस पहनी थी। इस ड्रेस के ऊपरी हिस्से में काफी गहरा तो नहीं पर थोड़ा झुक कर बाल सूखाने की वजह से स्तनों के बीच क्लीवेज दिख रहा था। और तो और मैंने पुशअप ब्रा पहन रखी थी तो स्तन उभरे हुए और बड़े लग रहे थे। मैं सोच रही थी कि इस शरीर के साथ औरतें बिना कामुक हुए कुछ काम कैसे कर पाती होगी। पर फिर भी शुक्र है ब्रा का जिसने मेरे स्तनों को कस कर एक जगह स्थिर रखा था। इसके पहले जब मैंने नाइटी पहनी हुई थी तब मेरे स्तनों का हर एक कदम पर उछाल मुझे ज्यादा उतावला कर रहा था। मेरा बेकाबू मन फिर कामुक विचारो की ओर मुझे धकेल रहा था।



तभी बाथरूम के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आयी। “मैं बस तैयार हूँ!”, मैंने तुरंत कहा ताकि परिणिता नाराज़ न हो कि इतना समय लगा कर भी मैं तैयार नहीं हूँ।

“प्रतीक, एक प्रॉब्लम है!”, परिणीता ने धीरे से कहा।

मैं जल्द से परिणिता की और बढ़ चली। नहाने के बाद भी उसने रात को पहनने वाले नाईट ड्रेस पहन लिया था जो कि मेरा पुरुषो वाला पैजामा और शर्ट था। परिणिता कभी ऐसा नहीं करती है। नहाने के बाद तुरंत वो साफ़ नए कपडे पहनती है। जब मैंने परिणिता को थोड़ा दूर से ही देखा तो मुझे हँसी आ गयी। मैं मुस्कुराने लगी।

परिणीता भले अब पुरुष शरीर में थी पर उसके चेहरे पर पहले वाली ही मासूमियत झलक रही थी। वही मासूमियत जब उसे लगता है कि उससे कोई गलती हो गयी है और उसे पता नहीं कि उस गलती को सुधारे कैसे। जैसे वो सॉरी कहना चाहती हो।

“मैं पिछले २० मिनट से कोशिश कर रही हूँ पर यह जा नहीं रहा है! हेल्प मी, प्रतीक!”, उसने मासूमियत से कहा। परिणीता का अपने तने हुए पुरुष लिंग की ओर इशारा किया।

मैं मुस्कुराते हुए उसकी ओर बढ़ चली। परिणीता अब मुझसे बहुत ऊँची हो चुकी थी। उससे आँखें मिलाने के लिए मुझे सिर उठा कर उसकी ओर देखना पड़ रहा था। “इसमें कोई मुश्किल नहीं है। मैं तो इतने सालो से इसको संभालता रहा हूँ।”, मैंने कहा। फिर मैंने उसकी पैंट में हाथ डाला, लिंग को पकड़ा और कहा, “देखो, इसे हाथ से यूँ पकड़ो और ऊपर की ओर पॉइंट करो। इससे यह बाहर उभर कर नहीं दिखेगा। और थोड़ी देर बाद खुद ही छोटा हो जायेगा।” मैंने उसे बड़ी प्यार से समझाया। और वैसे भी उसमे इतना भी तनाव नहीं आया था कि यह बड़ा कठिन काम हो।

पर यह क्या! लिंग को हाथ से छोड़ते ही मुझे कुछ अजीब से बेचैनी का एहसास होने लगा। बिना कुछ और सोचे, मैं शर्माती हुई पलट गयी। मैं शर्मा क्यों रही थी? क्या हो रहा था मुझे? शायद मैं नहीं चाहती थी कि परिणीता मुझे कामुक होते देखे। पर मैं इतना ज्यादा शर्मा रही थी जैसे नयी दुल्हन शर्माती हो। मैंने अपना चेहरा अपने हाथो से छुपा लिया। ज़रूर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था।



परिणिता मेरी ओर न देख कर अपनी मुसीबत से लड़ रही थी। “प्रतीक, यह तो और बड़ा हो गया है। इसे ठीक करो प्रतीक, प्लीज़!”, परिणिता अपनी पेंट में बढ़ते हुए लिंग को देखते हुए बोली। शायद उसने मुझे शरमाते हुए देखा न था। मैं अपने आप को सँभालते हुए फिर परिणिता की और पलटी। चेहरे पे गंभीर भाव लायी। अपने हाथो से ड्र्रेस को थोड़ा नीचे की और खींचते हुए ठीक की। फिर घुटनो के बल झुक कर परिणीता के पुरुष लिंग की ओर ऐसे देखने लगी जैसे अब मैं समस्या का निदान करने ही वाली हूँ।

मेरा चेहरा और लिंग दोनों अब एक ही लेवल पर थे। मैंने अपने चेहरे के भाव और गंभीर करने का असफल प्रयास किया। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू। फिर मैंने धीरे से परीणिता की पैंट को निचे सरकाया। उसका लिंग तुरंत पैंट से बाहर आकर मेरी चेहरे की ओर तन गया। मेरे मन में क्या हो रहा था, समझ नहीं आ रहा था। कल रात तक यह लिंग मेरा हुआ करता था। मैंने पिछले कई महीनो से उसको इतना कठोर और तना हुआ महसूस नहीं किया था। कितना बड़ा हो गया था ये! मेरा मन बेचैन हुए जा रहा था। कल तक जो मेरा लिंग था मैं उसी की ओर आकर्षित हो रही थी। मैं लंबी गहरी सांसें ले रही थी। मेरे स्तन, लग रहा था जैसे और बड़े हो गए हो। ब्रा में कसाव और ज्यादा लग रहा था। मुझे यकीं है कि मेरे निप्पल और कठोर हो गए थे। मैं अपनी ब्रा में कठोर निप्पल महसूस कर पा रही थी। पुरुष लिंग बढ़ कर और तन कर मेरे चेहरे के बहुत पास आ गया था। मेरे हाथ उस लिंग को पकड़ लेना चाह रहे थे। मेरे होंठ उसे चूमना चाह रहे थे। जी चाह रहा था कि बस आंखे बंद करके तुरंत उस लिंग को पकड़ कर अपने स्तनों के बीच रगड़ लूँ। हाय, ये क्या हो रहा था मुझे! मैं पुरुष लिंग की तरफ कैसे आकर्षित हो रही थी!! और तो और अब मेरी स्त्री योनि में भी जो होना शुरू हुआ जिसे मैं शब्दो में लिख भी नहीं सकती। सब कुछ बहुत नया था मेरे लिए।

मैं झट से अपने पैरो पे खड़ी हो गयी और उस लिंग से विपरीत दिशा की ओर पलट गयी। जल्दबाज़ी में उठने और पलटने से मेरे बाल मेरे चेहरे के सामने बिखर गए थे। अपने दोनों हाथों से बालो को ठीक करते हुए अपने कान के पीछे करते हुए मैंने परिणीता से कहा, “परी, जल्दी से ड्रावर से अंडरवियर निकाल कर पहन लो और फिर ये जीन्स और टी शर्ट पहन लो। और लिंग को ऊपर की ओर घूम कर रखना। अंडरवेअर, जीन्स और बेल्ट के नीचे वो दब कर रहेगा तो उभरेगा नहीं फिर।”



परिणीता ने वैसा ही किया। शर्ट पहन कर वो बोली, “लड़का होना कितना आसान है! झट से जीन्स टी शर्ट पहनो, ५ सेकंड में बाल भी कंघी हो गए, और मैं तैयार।” परिणीता मुस्कुराते हुए मेरे बगल में आकर बैठ गयी। उसके नए शरीर के सामने कितना छोटा महसूस कर रही थी मैं खुद को। मैं भी फिर मुस्कुरा दी, और झूठा सा गुस्सा दिखाते हुए उसके सीने पे अपनी नाज़ुक मुट्ठी से चोट की और उसके सीने पे सर रख दी। उसने भी मुझे बाहों में पकड़ लिया। सब कुछ इतना स्वाभाविक था जैसे हम दोनों सालों से इस तरह का उलट जीवन जी रहे है जिसमे वो पति हो और मैं पत्नी। परिणीता बोली, “अब अपने लंबे बालों को सुखाकर तुम्हे पता तो चल गया होगा कि लड़की होना आसान नहीं है! वहां मेरा पर्स रखा है, उसमे से लिपस्टिक निकाल लाओ। मैं तुम्हे लगा देती हूँ।” उसने पर्स की ओर इशारा किया। “परी, इतना भी मुश्किल नहीं है लड़की होना! मैंने पहली बार में ही सब सही से कर लिया। और लिपस्टिक लगाने के लिए मुझे तुम्हारी मदद की ज़रुरत नहीं है, मैं खुद लगा सकता हूँ।”, ऐसा बोलकर पर्स से लिपस्टिक निकाल कर मैं अपने होठो पे लगाने लगी। यम्मी! परिणीता की लिपस्टिक की क्वालिटी बहुत बेहतर थी उन लिपस्टिक से जिनका उपयोग मैं छुप छुप कर तैयार होते हुए करती थी। परिणीता भी मुस्कुरा दी मुझे परफेक्ट तरह से लिपस्टिक लगाए देख कर।

इस थोड़े से हंसी मज़ाक में हम दोनों की कामुक भावनायें ख़त्म सी हो गयी थी। पर पूरी तरह नहीं। सुबह से उठने के बाद से मुझे तो समझ आ चूका था कि एक छोटी से चिंगारी मेरी कामुक भावनाओं को फिर से जगाने के लिए काफी है। एक बात का एहसास हम दोनों को अभी तक नहीं हुआ था कि जहाँ एक तरफ नए शरीर में, दिमाग में जो विचार आ रहे थे वो तो हमारे अपने थे, पर इस शरीर में वो हॉर्मोन दौड़ रहे थे जिसकी हमें आदत नहीं थी। यही वजह थी कि हम अपनी कामुकता को वश में नहीं कर पा रहे थे। जहाँ पुरुष हॉर्मोन परिणीता के लिंग तो कठोर कर रहे थे वही स्त्री हॉर्मोन मुझे कामोत्तेजित कर रहे थे। और हम दोनों को उन्हें वश में करने का कोई अनुभव न था। न जाने आगे इसका क्या असर होने वाला था। हुम्, मैं तो जानती हूँ पर आप नहीं। जानना चाहते है तो पढ़ते रहिये। और कमेंट अवश्य करे। इंतज़ार करूंगी।
Awesome update
 
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बाॅडी स्वैप तो हुआ पर क्या चेहरा भी स्वैप हो गया ?
वगैर चेहरे स्वैपिंग के वो घर से बाहर नही निकल सकते । सार्वजनिक जीवन नही जी सकते ।
प्रतिक साहब के लिए तो लग रहा है कि उनके बल्ले बल्ले हो गए है लेकिन क्या उनकी वाइफ की सोच भी वही है ? लिंग उत्तेजित देखकर तो लग रहा है वह भी इस ट्रांसफार्मरेशन को एन्जॉय कर रही है ।
देखते हैं आगे क्या होता है !
आउटस्टैंडिंग अपडेट भाई ।
 

Rahul_Singh1

आपकी भाभी (Crossdesar)
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परिणीता और मुझे सुबह से जागे हुए ३ घंटे हो चुके थे। इन ३ घंटो में अब तक हमें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि हमारी बॉडी एक्सचेंज कैसे हो गयी। यदि जीवन एक सपने की तरह जीया जा सकता तो कोई परेशानी न होती। पर यह हकीकत थी। और हकीकत में हमें दुनिया के और भी लोगो से मिलना होता है, नौकरी करनी होती है, कई तरह के काम करने होते है। और हमारी घर की चारदीवारियों के बाहर हमारे लिए क्या नए सरप्राइज है, इस बात का हमें अंदाज़ा नहीं था। अब शायद समय आ गया था कि हम इस नयी वास्तविकता का सामना करे।

“परिणिता, देखो अब हमें कभी न कभी न तो इस नए शरीर की वास्तविकता और बाहर की दुनिया का सामना तो करना पड़ेगा। हम पूरे दिन घर में छुप कर नहीं बैठे रह सकते।”, मैंने परिणिता का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा। एक अच्छे पति की तरह मैं अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहती थी। पर सच कहूँ तो अपनी पत्नी को पुरुष रूप में देखना, वो भी उस रूप में जो कल तक मेरा था, बड़ा कंफ्यूज कर रहा था। मुझे अपनी पत्नी दिखाई न देती थी। जीवन में हर सुख दुःख में साथ देने का वादा किया था हमने, तो मैं वही कोशिश कर रही थी। और यही चीज़ तो उसके साथ भी हो रही थी, उसका पति एक नाज़ुक स्त्री रूप में उसके सामने था।


“हाँ, प्रतीक। वही सोच रही हूँ। चलो हम दोनों मिलकर हँसते हुए दुनिया का सामना करते है। घर में सब्जी किराना सब ख़त्म हो चूका है। क्यों न हम पटेल स्टोर जाकर किराना खरीद लाये?”, परिणीता ने कहा। उसकी आँखों में एक चमक थी जिसे मैं पहचानती थी। परिणीता कभी भी हाथ पे हाथ धरे बैठने वालो में से न थी।

“ठीक है, चलते है। पर मैं यह घुटनो तक लंबी ड्रेस पहन कर ठण्ड में बाहर नहीं जाऊँगा। मेरे पैरो में ठण्ड लगेगी।”, मैंने शिकायत भरे लहज़े में कहा।

“मेरे प्यारे पतिदेव, हम अमेरिका में रहते है! तुम यहाँ सलवार सूट या साड़ी पहन कर बाहर नहीं निकल सकते। सब तुम्हे ही घूर घूर कर देखने लगेंगे और विदेशी औरतें तुमसे तुम्हारे कपड़ो के बारे में पूछने लग जाएगी।”, परिणिता ने कहा।

“पर कम से कम थोड़ी लंबी ड्रेस तो पहन ही सकता हूँ न। ठण्ड का मौसम है परी!”

“ओह कम ऑन प्रतीक! पेंटीहोज पहने हो न! सब ठीक होगा। मैं और लाखों औरतें रोज़ ऐसी ड्रेस पहन कर बाहर जाती है। चलो अब झट से निकलते है। मैं अपना बड़ा पर्स लेकर आती हूँ| ” परिणिता से बहस करने का फायदा न था। सच ही बोल रही थी। पता नहीं औरतें कैसे यह सब करती है।

परिणीता एक कंधे पर बड़ा सा लेडिज़ पर्स टांगकर आयी। एक लड़का जब बड़ा सा लेडीज़ पर्स टांग कर आये तो अटपटा सा तो लगेगा ही। ऐसा ही कुछ परिणीता को देख कर मुझे लगा। “एक मिनट, मैं लड़के की बॉडी में पर्स टांग कर चलूंगी तो ठीक नहीं लगेगा। ये लो तुम पकड़ो इसे। मुझे तुम्हारा वॉलेट दो।” परिणीता ने कहा और मेरे कंधे पर पर्स टांग दिया जिसमे लिपस्टिक और न जाने क्या हज़ारो चीज़े रखी हुई थी।



“अच्छा ये तो ठीक है, पर अब तुम्हारे हज़ारो शूज़ में से कौनसा शूज पहनूँ इस ड्रेस के साथ? तुम्हारे कलेक्शन में सेलेक्ट करना मेरे बस की बात नहीं है!”, मैंने एक सही बात बोली। लड़के के रूप में मेरे पास सिर्फ ४ जोड़ी जूते थे और परिणीता के पास कम से कम १००। हर ड्रेस और मौके के हिसाब से कुछ अलग पहनना होता था उसे।

“हाँ। यह ड्रेस के साथ तो मैं ब्लैक हील्स पहनती हूँ। पर तुम हील्स पहन कर चल नहीं पाओगे। तुम्हारे बस की बात नहीं है। कुछ और सोचती हूँ।”

“अब जब ऐसी ड्रेस पहन कर मुझे बाहर जाना ही है तो तुम्हारी ऊँची हील वाली सैंडल भी पहन ही लेता हूँ।”, मैंने कहा। “प्रतीक! हील्स पहन कर चलना मज़ाक नहीं है।”, परिणीता बोली।

मैं न माना और उठ कर उसकी सैंडल पहन लिया। “देखा तुमने? कोई प्रॉब्लम नहीं हुई!”, मैंने ख़ुशी से कहा। इसके पहले मैं १-इंच हील वाली सैंडल अपने क्रोसड्रेसिंग के समय पहनी तो थी पर ये हील कुछ ज्यादा ही थी।

परिणीता मुझे देख कर हंसने लगी और बोली, “बस पहन लेना काफी नहीं है, पतिदेव। उसको पहन कर चलना भी पड़ता है!” मैंने भी जोश में कहा, “हाँ हाँ! अब देखो तुम्हारे पति का कमाल!” मैंने दो कदम चले हो होंगे कि मैं बुरी तरह लड़खड़ा गयी और बस गिरने ही वाली थी। तभी परिणीता ने मुझे पकड़ कर बचा लिया। मैं उसकी नयी मजबूत बांहों में थी। परिणीता को अपने इतने पास महसूस करके न जाने क्यों मेरी साँसे गहरी और दिल की धड़कने तेज़ हो गयी। हाय! यह फिर से मुझे क्या हो रहा था।

“मैंने तुमसे पहले ही कहा था हील्स पहन कर चलना आसान नहीं है!”, वो बोली। मैं फिर सीधे खड़ी होकर होश संभालकर अपनी भावनाओं को काबू में ला रही थी। “पर चिंता की कोई बात नहीं है। हम ५ मिनट घर में प्रैक्टिस करते है। मुझे यकीन है तुम चल सकोगे।”, वह बोली।

मैं निशब्द उसकी ओर कुछ देर देखती रह गयी। इस वक़्त मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि काश! मुझे अपना पुरुष रूप वापस मिल जाए। यह जो नई नई स्त्री वाली भावनाएँ मेरे दिल में आकर मुझे बेकाबू कर रही थी, मैं उससे विचलित हो गयी थी। डर लग रहा था कि मैं कुछ उल्टा सीधा न कर दू। मेरे उलट, परिणीता स्थिति को बेहतर तरह से संभाल रही थी। वह हमेशा से ही ऐसी थी। ज़िन्दगी में कोई भी सरप्राइज आये, वो ज्यादा देर परेशान नहीं रहती थी। वो मौके के अनुसार ढल जाती थी और साथ ही साथ धीरे धीरे समाधान भी सोचती रहती थी। मैं मन ही मन खुश थी कि परी मेरे साथ थी। हम दोनों कुछ न कुछ हल निकाल ही लेंगे हमारी बॉडी एक्सचेंज प्रोबलम का।


परिणीता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सिखाने लगी, हील्स पहन कर कैसे चलना है। और मैं ५ ही मिनट में यूँ चलने लगी जैसे सालों से ऊँची हील पहनने का अनुभव हो। आईने में अपनी चाल देख कर तो मैं दंग रह गयी। नज़ाकत भरी हिरनी वाली चाल थी मेरी। मेरी घुटनो तक की ड्रेस में ४ इंच की हील के साथ मटकती हुई कमर, कोई देख ले तो बस दीवाना हो जाए। इतने जल्दी यह सीख लेना मेरे लिए थोड़ा आश्चर्यजनक था क्योंकि जब मैं पुरुष के शरीर में क्रोसड्रेस करती थी, तब मैंने कई बार प्रैक्टिस की थी सैंडल के साथ। पर मेरी चाल हमेशा मर्दानी ही दिखती थी। मैंने ख़ुशी से पलटकर परिणीता की ओर देखा। मेरे इतनी ऊँची हील पहनने के बाद भी वो मुझसे अब भी ऊँची लग रही थी। मैंने अपनी आँखों से उसे धन्यवाद दिया और उसने प्यार से अपनी आँखों से स्वीकार भी कर लिया।

“तुम तो इतने जल्दी परफेक्ट हो गए प्रतीक! unbelievable! चलो, अब जल्द से जल्द किराना खरीद कर आते है।”, परिणीता ने कहा। “हाँ डार्लिंग!”, मैंने जवाब दिया।

हम दोनों अब घर से बाहर निकले। मैंने दरवाज़े पर ताला लगाया और चाबी अपने बड़े पर्स में रख दी। परिणीता ने मेरी तरफ देखा और बोली, “एक मिनट! कुछ कमी लग रही है।” उसने मेरे कंधे पर टंगे लेडीज़ पर्स को खोल कुछ ढूंढने लगी। उसने पर्स से एक prada का सनग्लास निकाल कर मेरी आँखों पे लगाया। “हाँ। अब लग रहे हो परिणीता की तरह हॉट एंड सेक्सी!”, ऐसा बोल कर वो हंसने लगी।

“परी! ज्यादा हॉट न बनाओ मुझे। तुम्हारे पति को जब दुसरे आदमी घूर घूर कर देखने लगेंगे तो तुम्हे और मुझे दोनों को ही अच्छा नहीं लगेगा।”, मैंने कहा, और घर से बाहर हमारी कार की ओर मैं बढ़ चली।


“प्रतीक, तुम मेरा हाथ न पकड़ोगे?”, परिणीता ने रूककर मुझसे कहा। शायद उसे अहसास हो रहा था कि अब हमें नए रूप में दुनिया से रूबरू होना है। शायद कुछ पल के लिए नयी परिस्थिति से घबरा गयी थी वो।

“हाँ! ऑफ़ कोर्स , परी!” सचमुच मैं अपनी पत्नी परिणीता का हाथ पकड़ कर चलना चाहती थी।

हम दोनों ने एक दुसरे का हाथ थाम लिया और साथ में चल पड़े। बाहर की दुनिया और हमारे नए रूप के नए challenges से अनजान, बस एक दुसरे के साथ के भरोसे और इस विश्वास के साथ कि अंत में सब ठीक ही होगा। अब हम बाहर आ चुके थे और इस दुनिया के लिए अब मैं प्रतीक नहीं थी। मैं थी नई परिणिता!
 

Rahul_Singh1

आपकी भाभी (Crossdesar)
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Awesome update
Dilchasp banti ja rahi hai kahani,
Pariniti ki situation bhi abhi parteek ki najar se hi dikhi hai , uttejit ling ke karan pariniti ki manosthiti sahi se nahi samne aayi
I think body swap hone se blood Circulation ki wajh se parinita k ling me exitement ho raha hoga.

Thanks for review. New update posted.
 

Rahul_Singh1

आपकी भाभी (Crossdesar)
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पढ़ लिया :D
अब शुरू होगी दोनों की असली परीक्षा
परिणीता तो शायद किसी का बलात्कार ना कर पाये लेकिन परिणीता के शरीर में मौजूद नयी स्त्री आशिकों की फौज ना खड़ी कर दे
Shaandar super hot seductive update 🔥 🔥 🔥
Awesome update
बाॅडी स्वैप तो हुआ पर क्या चेहरा भी स्वैप हो गया ?
वगैर चेहरे स्वैपिंग के वो घर से बाहर नही निकल सकते । सार्वजनिक जीवन नही जी सकते ।
प्रतिक साहब के लिए तो लग रहा है कि उनके बल्ले बल्ले हो गए है लेकिन क्या उनकी वाइफ की सोच भी वही है ? लिंग उत्तेजित देखकर तो लग रहा है वह भी इस ट्रांसफार्मरेशन को एन्जॉय कर रही है ।
देखते हैं आगे क्या होता है !
आउटस्टैंडिंग अपडेट भाई ।
आप सभी पाठकों के मन के सवालों का यही जबाब है कि अब.... वक्त है बदलाव का...। :D

Thanks all of you... New update posted.
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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परिणीता और मुझे सुबह से जागे हुए ३ घंटे हो चुके थे। इन ३ घंटो में अब तक हमें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि हमारी बॉडी एक्सचेंज कैसे हो गयी। यदि जीवन एक सपने की तरह जीया जा सकता तो कोई परेशानी न होती। पर यह हकीकत थी। और हकीकत में हमें दुनिया के और भी लोगो से मिलना होता है, नौकरी करनी होती है, कई तरह के काम करने होते है। और हमारी घर की चारदीवारियों के बाहर हमारे लिए क्या नए सरप्राइज है, इस बात का हमें अंदाज़ा नहीं था। अब शायद समय आ गया था कि हम इस नयी वास्तविकता का सामना करे।

“परिणिता, देखो अब हमें कभी न कभी न तो इस नए शरीर की वास्तविकता और बाहर की दुनिया का सामना तो करना पड़ेगा। हम पूरे दिन घर में छुप कर नहीं बैठे रह सकते।”, मैंने परिणिता का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा। एक अच्छे पति की तरह मैं अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहती थी। पर सच कहूँ तो अपनी पत्नी को पुरुष रूप में देखना, वो भी उस रूप में जो कल तक मेरा था, बड़ा कंफ्यूज कर रहा था। मुझे अपनी पत्नी दिखाई न देती थी। जीवन में हर सुख दुःख में साथ देने का वादा किया था हमने, तो मैं वही कोशिश कर रही थी। और यही चीज़ तो उसके साथ भी हो रही थी, उसका पति एक नाज़ुक स्त्री रूप में उसके सामने था।


“हाँ, प्रतीक। वही सोच रही हूँ। चलो हम दोनों मिलकर हँसते हुए दुनिया का सामना करते है। घर में सब्जी किराना सब ख़त्म हो चूका है। क्यों न हम पटेल स्टोर जाकर किराना खरीद लाये?”, परिणीता ने कहा। उसकी आँखों में एक चमक थी जिसे मैं पहचानती थी। परिणीता कभी भी हाथ पे हाथ धरे बैठने वालो में से न थी।

“ठीक है, चलते है। पर मैं यह घुटनो तक लंबी ड्रेस पहन कर ठण्ड में बाहर नहीं जाऊँगा। मेरे पैरो में ठण्ड लगेगी।”, मैंने शिकायत भरे लहज़े में कहा।

“मेरे प्यारे पतिदेव, हम अमेरिका में रहते है! तुम यहाँ सलवार सूट या साड़ी पहन कर बाहर नहीं निकल सकते। सब तुम्हे ही घूर घूर कर देखने लगेंगे और विदेशी औरतें तुमसे तुम्हारे कपड़ो के बारे में पूछने लग जाएगी।”, परिणिता ने कहा।

“पर कम से कम थोड़ी लंबी ड्रेस तो पहन ही सकता हूँ न। ठण्ड का मौसम है परी!”

“ओह कम ऑन प्रतीक! पेंटीहोज पहने हो न! सब ठीक होगा। मैं और लाखों औरतें रोज़ ऐसी ड्रेस पहन कर बाहर जाती है। चलो अब झट से निकलते है। मैं अपना बड़ा पर्स लेकर आती हूँ| ” परिणिता से बहस करने का फायदा न था। सच ही बोल रही थी। पता नहीं औरतें कैसे यह सब करती है।

परिणीता एक कंधे पर बड़ा सा लेडिज़ पर्स टांगकर आयी। एक लड़का जब बड़ा सा लेडीज़ पर्स टांग कर आये तो अटपटा सा तो लगेगा ही। ऐसा ही कुछ परिणीता को देख कर मुझे लगा। “एक मिनट, मैं लड़के की बॉडी में पर्स टांग कर चलूंगी तो ठीक नहीं लगेगा। ये लो तुम पकड़ो इसे। मुझे तुम्हारा वॉलेट दो।” परिणीता ने कहा और मेरे कंधे पर पर्स टांग दिया जिसमे लिपस्टिक और न जाने क्या हज़ारो चीज़े रखी हुई थी।



“अच्छा ये तो ठीक है, पर अब तुम्हारे हज़ारो शूज़ में से कौनसा शूज पहनूँ इस ड्रेस के साथ? तुम्हारे कलेक्शन में सेलेक्ट करना मेरे बस की बात नहीं है!”, मैंने एक सही बात बोली। लड़के के रूप में मेरे पास सिर्फ ४ जोड़ी जूते थे और परिणीता के पास कम से कम १००। हर ड्रेस और मौके के हिसाब से कुछ अलग पहनना होता था उसे।

“हाँ। यह ड्रेस के साथ तो मैं ब्लैक हील्स पहनती हूँ। पर तुम हील्स पहन कर चल नहीं पाओगे। तुम्हारे बस की बात नहीं है। कुछ और सोचती हूँ।”

“अब जब ऐसी ड्रेस पहन कर मुझे बाहर जाना ही है तो तुम्हारी ऊँची हील वाली सैंडल भी पहन ही लेता हूँ।”, मैंने कहा। “प्रतीक! हील्स पहन कर चलना मज़ाक नहीं है।”, परिणीता बोली।

मैं न माना और उठ कर उसकी सैंडल पहन लिया। “देखा तुमने? कोई प्रॉब्लम नहीं हुई!”, मैंने ख़ुशी से कहा। इसके पहले मैं १-इंच हील वाली सैंडल अपने क्रोसड्रेसिंग के समय पहनी तो थी पर ये हील कुछ ज्यादा ही थी।

परिणीता मुझे देख कर हंसने लगी और बोली, “बस पहन लेना काफी नहीं है, पतिदेव। उसको पहन कर चलना भी पड़ता है!” मैंने भी जोश में कहा, “हाँ हाँ! अब देखो तुम्हारे पति का कमाल!” मैंने दो कदम चले हो होंगे कि मैं बुरी तरह लड़खड़ा गयी और बस गिरने ही वाली थी। तभी परिणीता ने मुझे पकड़ कर बचा लिया। मैं उसकी नयी मजबूत बांहों में थी। परिणीता को अपने इतने पास महसूस करके न जाने क्यों मेरी साँसे गहरी और दिल की धड़कने तेज़ हो गयी। हाय! यह फिर से मुझे क्या हो रहा था।

“मैंने तुमसे पहले ही कहा था हील्स पहन कर चलना आसान नहीं है!”, वो बोली। मैं फिर सीधे खड़ी होकर होश संभालकर अपनी भावनाओं को काबू में ला रही थी। “पर चिंता की कोई बात नहीं है। हम ५ मिनट घर में प्रैक्टिस करते है। मुझे यकीन है तुम चल सकोगे।”, वह बोली।

मैं निशब्द उसकी ओर कुछ देर देखती रह गयी। इस वक़्त मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि काश! मुझे अपना पुरुष रूप वापस मिल जाए। यह जो नई नई स्त्री वाली भावनाएँ मेरे दिल में आकर मुझे बेकाबू कर रही थी, मैं उससे विचलित हो गयी थी। डर लग रहा था कि मैं कुछ उल्टा सीधा न कर दू। मेरे उलट, परिणीता स्थिति को बेहतर तरह से संभाल रही थी। वह हमेशा से ही ऐसी थी। ज़िन्दगी में कोई भी सरप्राइज आये, वो ज्यादा देर परेशान नहीं रहती थी। वो मौके के अनुसार ढल जाती थी और साथ ही साथ धीरे धीरे समाधान भी सोचती रहती थी। मैं मन ही मन खुश थी कि परी मेरे साथ थी। हम दोनों कुछ न कुछ हल निकाल ही लेंगे हमारी बॉडी एक्सचेंज प्रोबलम का।


परिणीता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सिखाने लगी, हील्स पहन कर कैसे चलना है। और मैं ५ ही मिनट में यूँ चलने लगी जैसे सालों से ऊँची हील पहनने का अनुभव हो। आईने में अपनी चाल देख कर तो मैं दंग रह गयी। नज़ाकत भरी हिरनी वाली चाल थी मेरी। मेरी घुटनो तक की ड्रेस में ४ इंच की हील के साथ मटकती हुई कमर, कोई देख ले तो बस दीवाना हो जाए। इतने जल्दी यह सीख लेना मेरे लिए थोड़ा आश्चर्यजनक था क्योंकि जब मैं पुरुष के शरीर में क्रोसड्रेस करती थी, तब मैंने कई बार प्रैक्टिस की थी सैंडल के साथ। पर मेरी चाल हमेशा मर्दानी ही दिखती थी। मैंने ख़ुशी से पलटकर परिणीता की ओर देखा। मेरे इतनी ऊँची हील पहनने के बाद भी वो मुझसे अब भी ऊँची लग रही थी। मैंने अपनी आँखों से उसे धन्यवाद दिया और उसने प्यार से अपनी आँखों से स्वीकार भी कर लिया।

“तुम तो इतने जल्दी परफेक्ट हो गए प्रतीक! unbelievable! चलो, अब जल्द से जल्द किराना खरीद कर आते है।”, परिणीता ने कहा। “हाँ डार्लिंग!”, मैंने जवाब दिया।

हम दोनों अब घर से बाहर निकले। मैंने दरवाज़े पर ताला लगाया और चाबी अपने बड़े पर्स में रख दी। परिणीता ने मेरी तरफ देखा और बोली, “एक मिनट! कुछ कमी लग रही है।” उसने मेरे कंधे पर टंगे लेडीज़ पर्स को खोल कुछ ढूंढने लगी। उसने पर्स से एक prada का सनग्लास निकाल कर मेरी आँखों पे लगाया। “हाँ। अब लग रहे हो परिणीता की तरह हॉट एंड सेक्सी!”, ऐसा बोल कर वो हंसने लगी।

“परी! ज्यादा हॉट न बनाओ मुझे। तुम्हारे पति को जब दुसरे आदमी घूर घूर कर देखने लगेंगे तो तुम्हे और मुझे दोनों को ही अच्छा नहीं लगेगा।”, मैंने कहा, और घर से बाहर हमारी कार की ओर मैं बढ़ चली।


“प्रतीक, तुम मेरा हाथ न पकड़ोगे?”, परिणीता ने रूककर मुझसे कहा। शायद उसे अहसास हो रहा था कि अब हमें नए रूप में दुनिया से रूबरू होना है। शायद कुछ पल के लिए नयी परिस्थिति से घबरा गयी थी वो।

“हाँ! ऑफ़ कोर्स , परी!” सचमुच मैं अपनी पत्नी परिणीता का हाथ पकड़ कर चलना चाहती थी।

हम दोनों ने एक दुसरे का हाथ थाम लिया और साथ में चल पड़े। बाहर की दुनिया और हमारे नए रूप के नए challenges से अनजान, बस एक दुसरे के साथ के भरोसे और इस विश्वास के साथ कि अंत में सब ठीक ही होगा। अब हम बाहर आ चुके थे और इस दुनिया के लिए अब मैं प्रतीक नहीं थी। मैं थी नई परिणिता!
Shaandar Lovely update 💓 🔥
 

Rekha rani

Well-Known Member
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परिणीता और मुझे सुबह से जागे हुए ३ घंटे हो चुके थे। इन ३ घंटो में अब तक हमें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि हमारी बॉडी एक्सचेंज कैसे हो गयी। यदि जीवन एक सपने की तरह जीया जा सकता तो कोई परेशानी न होती। पर यह हकीकत थी। और हकीकत में हमें दुनिया के और भी लोगो से मिलना होता है, नौकरी करनी होती है, कई तरह के काम करने होते है। और हमारी घर की चारदीवारियों के बाहर हमारे लिए क्या नए सरप्राइज है, इस बात का हमें अंदाज़ा नहीं था। अब शायद समय आ गया था कि हम इस नयी वास्तविकता का सामना करे।

“परिणिता, देखो अब हमें कभी न कभी न तो इस नए शरीर की वास्तविकता और बाहर की दुनिया का सामना तो करना पड़ेगा। हम पूरे दिन घर में छुप कर नहीं बैठे रह सकते।”, मैंने परिणिता का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा। एक अच्छे पति की तरह मैं अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहती थी। पर सच कहूँ तो अपनी पत्नी को पुरुष रूप में देखना, वो भी उस रूप में जो कल तक मेरा था, बड़ा कंफ्यूज कर रहा था। मुझे अपनी पत्नी दिखाई न देती थी। जीवन में हर सुख दुःख में साथ देने का वादा किया था हमने, तो मैं वही कोशिश कर रही थी। और यही चीज़ तो उसके साथ भी हो रही थी, उसका पति एक नाज़ुक स्त्री रूप में उसके सामने था।


“हाँ, प्रतीक। वही सोच रही हूँ। चलो हम दोनों मिलकर हँसते हुए दुनिया का सामना करते है। घर में सब्जी किराना सब ख़त्म हो चूका है। क्यों न हम पटेल स्टोर जाकर किराना खरीद लाये?”, परिणीता ने कहा। उसकी आँखों में एक चमक थी जिसे मैं पहचानती थी। परिणीता कभी भी हाथ पे हाथ धरे बैठने वालो में से न थी।

“ठीक है, चलते है। पर मैं यह घुटनो तक लंबी ड्रेस पहन कर ठण्ड में बाहर नहीं जाऊँगा। मेरे पैरो में ठण्ड लगेगी।”, मैंने शिकायत भरे लहज़े में कहा।

“मेरे प्यारे पतिदेव, हम अमेरिका में रहते है! तुम यहाँ सलवार सूट या साड़ी पहन कर बाहर नहीं निकल सकते। सब तुम्हे ही घूर घूर कर देखने लगेंगे और विदेशी औरतें तुमसे तुम्हारे कपड़ो के बारे में पूछने लग जाएगी।”, परिणिता ने कहा।

“पर कम से कम थोड़ी लंबी ड्रेस तो पहन ही सकता हूँ न। ठण्ड का मौसम है परी!”

“ओह कम ऑन प्रतीक! पेंटीहोज पहने हो न! सब ठीक होगा। मैं और लाखों औरतें रोज़ ऐसी ड्रेस पहन कर बाहर जाती है। चलो अब झट से निकलते है। मैं अपना बड़ा पर्स लेकर आती हूँ| ” परिणिता से बहस करने का फायदा न था। सच ही बोल रही थी। पता नहीं औरतें कैसे यह सब करती है।

परिणीता एक कंधे पर बड़ा सा लेडिज़ पर्स टांगकर आयी। एक लड़का जब बड़ा सा लेडीज़ पर्स टांग कर आये तो अटपटा सा तो लगेगा ही। ऐसा ही कुछ परिणीता को देख कर मुझे लगा। “एक मिनट, मैं लड़के की बॉडी में पर्स टांग कर चलूंगी तो ठीक नहीं लगेगा। ये लो तुम पकड़ो इसे। मुझे तुम्हारा वॉलेट दो।” परिणीता ने कहा और मेरे कंधे पर पर्स टांग दिया जिसमे लिपस्टिक और न जाने क्या हज़ारो चीज़े रखी हुई थी।



“अच्छा ये तो ठीक है, पर अब तुम्हारे हज़ारो शूज़ में से कौनसा शूज पहनूँ इस ड्रेस के साथ? तुम्हारे कलेक्शन में सेलेक्ट करना मेरे बस की बात नहीं है!”, मैंने एक सही बात बोली। लड़के के रूप में मेरे पास सिर्फ ४ जोड़ी जूते थे और परिणीता के पास कम से कम १००। हर ड्रेस और मौके के हिसाब से कुछ अलग पहनना होता था उसे।

“हाँ। यह ड्रेस के साथ तो मैं ब्लैक हील्स पहनती हूँ। पर तुम हील्स पहन कर चल नहीं पाओगे। तुम्हारे बस की बात नहीं है। कुछ और सोचती हूँ।”

“अब जब ऐसी ड्रेस पहन कर मुझे बाहर जाना ही है तो तुम्हारी ऊँची हील वाली सैंडल भी पहन ही लेता हूँ।”, मैंने कहा। “प्रतीक! हील्स पहन कर चलना मज़ाक नहीं है।”, परिणीता बोली।

मैं न माना और उठ कर उसकी सैंडल पहन लिया। “देखा तुमने? कोई प्रॉब्लम नहीं हुई!”, मैंने ख़ुशी से कहा। इसके पहले मैं १-इंच हील वाली सैंडल अपने क्रोसड्रेसिंग के समय पहनी तो थी पर ये हील कुछ ज्यादा ही थी।

परिणीता मुझे देख कर हंसने लगी और बोली, “बस पहन लेना काफी नहीं है, पतिदेव। उसको पहन कर चलना भी पड़ता है!” मैंने भी जोश में कहा, “हाँ हाँ! अब देखो तुम्हारे पति का कमाल!” मैंने दो कदम चले हो होंगे कि मैं बुरी तरह लड़खड़ा गयी और बस गिरने ही वाली थी। तभी परिणीता ने मुझे पकड़ कर बचा लिया। मैं उसकी नयी मजबूत बांहों में थी। परिणीता को अपने इतने पास महसूस करके न जाने क्यों मेरी साँसे गहरी और दिल की धड़कने तेज़ हो गयी। हाय! यह फिर से मुझे क्या हो रहा था।

“मैंने तुमसे पहले ही कहा था हील्स पहन कर चलना आसान नहीं है!”, वो बोली। मैं फिर सीधे खड़ी होकर होश संभालकर अपनी भावनाओं को काबू में ला रही थी। “पर चिंता की कोई बात नहीं है। हम ५ मिनट घर में प्रैक्टिस करते है। मुझे यकीन है तुम चल सकोगे।”, वह बोली।

मैं निशब्द उसकी ओर कुछ देर देखती रह गयी। इस वक़्त मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि काश! मुझे अपना पुरुष रूप वापस मिल जाए। यह जो नई नई स्त्री वाली भावनाएँ मेरे दिल में आकर मुझे बेकाबू कर रही थी, मैं उससे विचलित हो गयी थी। डर लग रहा था कि मैं कुछ उल्टा सीधा न कर दू। मेरे उलट, परिणीता स्थिति को बेहतर तरह से संभाल रही थी। वह हमेशा से ही ऐसी थी। ज़िन्दगी में कोई भी सरप्राइज आये, वो ज्यादा देर परेशान नहीं रहती थी। वो मौके के अनुसार ढल जाती थी और साथ ही साथ धीरे धीरे समाधान भी सोचती रहती थी। मैं मन ही मन खुश थी कि परी मेरे साथ थी। हम दोनों कुछ न कुछ हल निकाल ही लेंगे हमारी बॉडी एक्सचेंज प्रोबलम का।


परिणीता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सिखाने लगी, हील्स पहन कर कैसे चलना है। और मैं ५ ही मिनट में यूँ चलने लगी जैसे सालों से ऊँची हील पहनने का अनुभव हो। आईने में अपनी चाल देख कर तो मैं दंग रह गयी। नज़ाकत भरी हिरनी वाली चाल थी मेरी। मेरी घुटनो तक की ड्रेस में ४ इंच की हील के साथ मटकती हुई कमर, कोई देख ले तो बस दीवाना हो जाए। इतने जल्दी यह सीख लेना मेरे लिए थोड़ा आश्चर्यजनक था क्योंकि जब मैं पुरुष के शरीर में क्रोसड्रेस करती थी, तब मैंने कई बार प्रैक्टिस की थी सैंडल के साथ। पर मेरी चाल हमेशा मर्दानी ही दिखती थी। मैंने ख़ुशी से पलटकर परिणीता की ओर देखा। मेरे इतनी ऊँची हील पहनने के बाद भी वो मुझसे अब भी ऊँची लग रही थी। मैंने अपनी आँखों से उसे धन्यवाद दिया और उसने प्यार से अपनी आँखों से स्वीकार भी कर लिया।

“तुम तो इतने जल्दी परफेक्ट हो गए प्रतीक! unbelievable! चलो, अब जल्द से जल्द किराना खरीद कर आते है।”, परिणीता ने कहा। “हाँ डार्लिंग!”, मैंने जवाब दिया।

हम दोनों अब घर से बाहर निकले। मैंने दरवाज़े पर ताला लगाया और चाबी अपने बड़े पर्स में रख दी। परिणीता ने मेरी तरफ देखा और बोली, “एक मिनट! कुछ कमी लग रही है।” उसने मेरे कंधे पर टंगे लेडीज़ पर्स को खोल कुछ ढूंढने लगी। उसने पर्स से एक prada का सनग्लास निकाल कर मेरी आँखों पे लगाया। “हाँ। अब लग रहे हो परिणीता की तरह हॉट एंड सेक्सी!”, ऐसा बोल कर वो हंसने लगी।

“परी! ज्यादा हॉट न बनाओ मुझे। तुम्हारे पति को जब दुसरे आदमी घूर घूर कर देखने लगेंगे तो तुम्हे और मुझे दोनों को ही अच्छा नहीं लगेगा।”, मैंने कहा, और घर से बाहर हमारी कार की ओर मैं बढ़ चली।


“प्रतीक, तुम मेरा हाथ न पकड़ोगे?”, परिणीता ने रूककर मुझसे कहा। शायद उसे अहसास हो रहा था कि अब हमें नए रूप में दुनिया से रूबरू होना है। शायद कुछ पल के लिए नयी परिस्थिति से घबरा गयी थी वो।

“हाँ! ऑफ़ कोर्स , परी!” सचमुच मैं अपनी पत्नी परिणीता का हाथ पकड़ कर चलना चाहती थी।

हम दोनों ने एक दुसरे का हाथ थाम लिया और साथ में चल पड़े। बाहर की दुनिया और हमारे नए रूप के नए challenges से अनजान, बस एक दुसरे के साथ के भरोसे और इस विश्वास के साथ कि अंत में सब ठीक ही होगा। अब हम बाहर आ चुके थे और इस दुनिया के लिए अब मैं प्रतीक नहीं थी। मैं थी नई परिणिता!
Intersting update
 

Tiger 786

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परिणीता और मुझे सुबह से जागे हुए ३ घंटे हो चुके थे। इन ३ घंटो में अब तक हमें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि हमारी बॉडी एक्सचेंज कैसे हो गयी। यदि जीवन एक सपने की तरह जीया जा सकता तो कोई परेशानी न होती। पर यह हकीकत थी। और हकीकत में हमें दुनिया के और भी लोगो से मिलना होता है, नौकरी करनी होती है, कई तरह के काम करने होते है। और हमारी घर की चारदीवारियों के बाहर हमारे लिए क्या नए सरप्राइज है, इस बात का हमें अंदाज़ा नहीं था। अब शायद समय आ गया था कि हम इस नयी वास्तविकता का सामना करे।

“परिणिता, देखो अब हमें कभी न कभी न तो इस नए शरीर की वास्तविकता और बाहर की दुनिया का सामना तो करना पड़ेगा। हम पूरे दिन घर में छुप कर नहीं बैठे रह सकते।”, मैंने परिणिता का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा। एक अच्छे पति की तरह मैं अपनी पत्नी का ख्याल रखना चाहती थी। पर सच कहूँ तो अपनी पत्नी को पुरुष रूप में देखना, वो भी उस रूप में जो कल तक मेरा था, बड़ा कंफ्यूज कर रहा था। मुझे अपनी पत्नी दिखाई न देती थी। जीवन में हर सुख दुःख में साथ देने का वादा किया था हमने, तो मैं वही कोशिश कर रही थी। और यही चीज़ तो उसके साथ भी हो रही थी, उसका पति एक नाज़ुक स्त्री रूप में उसके सामने था।


“हाँ, प्रतीक। वही सोच रही हूँ। चलो हम दोनों मिलकर हँसते हुए दुनिया का सामना करते है। घर में सब्जी किराना सब ख़त्म हो चूका है। क्यों न हम पटेल स्टोर जाकर किराना खरीद लाये?”, परिणीता ने कहा। उसकी आँखों में एक चमक थी जिसे मैं पहचानती थी। परिणीता कभी भी हाथ पे हाथ धरे बैठने वालो में से न थी।

“ठीक है, चलते है। पर मैं यह घुटनो तक लंबी ड्रेस पहन कर ठण्ड में बाहर नहीं जाऊँगा। मेरे पैरो में ठण्ड लगेगी।”, मैंने शिकायत भरे लहज़े में कहा।

“मेरे प्यारे पतिदेव, हम अमेरिका में रहते है! तुम यहाँ सलवार सूट या साड़ी पहन कर बाहर नहीं निकल सकते। सब तुम्हे ही घूर घूर कर देखने लगेंगे और विदेशी औरतें तुमसे तुम्हारे कपड़ो के बारे में पूछने लग जाएगी।”, परिणिता ने कहा।

“पर कम से कम थोड़ी लंबी ड्रेस तो पहन ही सकता हूँ न। ठण्ड का मौसम है परी!”

“ओह कम ऑन प्रतीक! पेंटीहोज पहने हो न! सब ठीक होगा। मैं और लाखों औरतें रोज़ ऐसी ड्रेस पहन कर बाहर जाती है। चलो अब झट से निकलते है। मैं अपना बड़ा पर्स लेकर आती हूँ| ” परिणिता से बहस करने का फायदा न था। सच ही बोल रही थी। पता नहीं औरतें कैसे यह सब करती है।

परिणीता एक कंधे पर बड़ा सा लेडिज़ पर्स टांगकर आयी। एक लड़का जब बड़ा सा लेडीज़ पर्स टांग कर आये तो अटपटा सा तो लगेगा ही। ऐसा ही कुछ परिणीता को देख कर मुझे लगा। “एक मिनट, मैं लड़के की बॉडी में पर्स टांग कर चलूंगी तो ठीक नहीं लगेगा। ये लो तुम पकड़ो इसे। मुझे तुम्हारा वॉलेट दो।” परिणीता ने कहा और मेरे कंधे पर पर्स टांग दिया जिसमे लिपस्टिक और न जाने क्या हज़ारो चीज़े रखी हुई थी।



“अच्छा ये तो ठीक है, पर अब तुम्हारे हज़ारो शूज़ में से कौनसा शूज पहनूँ इस ड्रेस के साथ? तुम्हारे कलेक्शन में सेलेक्ट करना मेरे बस की बात नहीं है!”, मैंने एक सही बात बोली। लड़के के रूप में मेरे पास सिर्फ ४ जोड़ी जूते थे और परिणीता के पास कम से कम १००। हर ड्रेस और मौके के हिसाब से कुछ अलग पहनना होता था उसे।

“हाँ। यह ड्रेस के साथ तो मैं ब्लैक हील्स पहनती हूँ। पर तुम हील्स पहन कर चल नहीं पाओगे। तुम्हारे बस की बात नहीं है। कुछ और सोचती हूँ।”

“अब जब ऐसी ड्रेस पहन कर मुझे बाहर जाना ही है तो तुम्हारी ऊँची हील वाली सैंडल भी पहन ही लेता हूँ।”, मैंने कहा। “प्रतीक! हील्स पहन कर चलना मज़ाक नहीं है।”, परिणीता बोली।

मैं न माना और उठ कर उसकी सैंडल पहन लिया। “देखा तुमने? कोई प्रॉब्लम नहीं हुई!”, मैंने ख़ुशी से कहा। इसके पहले मैं १-इंच हील वाली सैंडल अपने क्रोसड्रेसिंग के समय पहनी तो थी पर ये हील कुछ ज्यादा ही थी।

परिणीता मुझे देख कर हंसने लगी और बोली, “बस पहन लेना काफी नहीं है, पतिदेव। उसको पहन कर चलना भी पड़ता है!” मैंने भी जोश में कहा, “हाँ हाँ! अब देखो तुम्हारे पति का कमाल!” मैंने दो कदम चले हो होंगे कि मैं बुरी तरह लड़खड़ा गयी और बस गिरने ही वाली थी। तभी परिणीता ने मुझे पकड़ कर बचा लिया। मैं उसकी नयी मजबूत बांहों में थी। परिणीता को अपने इतने पास महसूस करके न जाने क्यों मेरी साँसे गहरी और दिल की धड़कने तेज़ हो गयी। हाय! यह फिर से मुझे क्या हो रहा था।

“मैंने तुमसे पहले ही कहा था हील्स पहन कर चलना आसान नहीं है!”, वो बोली। मैं फिर सीधे खड़ी होकर होश संभालकर अपनी भावनाओं को काबू में ला रही थी। “पर चिंता की कोई बात नहीं है। हम ५ मिनट घर में प्रैक्टिस करते है। मुझे यकीन है तुम चल सकोगे।”, वह बोली।

मैं निशब्द उसकी ओर कुछ देर देखती रह गयी। इस वक़्त मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि काश! मुझे अपना पुरुष रूप वापस मिल जाए। यह जो नई नई स्त्री वाली भावनाएँ मेरे दिल में आकर मुझे बेकाबू कर रही थी, मैं उससे विचलित हो गयी थी। डर लग रहा था कि मैं कुछ उल्टा सीधा न कर दू। मेरे उलट, परिणीता स्थिति को बेहतर तरह से संभाल रही थी। वह हमेशा से ही ऐसी थी। ज़िन्दगी में कोई भी सरप्राइज आये, वो ज्यादा देर परेशान नहीं रहती थी। वो मौके के अनुसार ढल जाती थी और साथ ही साथ धीरे धीरे समाधान भी सोचती रहती थी। मैं मन ही मन खुश थी कि परी मेरे साथ थी। हम दोनों कुछ न कुछ हल निकाल ही लेंगे हमारी बॉडी एक्सचेंज प्रोबलम का।


परिणीता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे सिखाने लगी, हील्स पहन कर कैसे चलना है। और मैं ५ ही मिनट में यूँ चलने लगी जैसे सालों से ऊँची हील पहनने का अनुभव हो। आईने में अपनी चाल देख कर तो मैं दंग रह गयी। नज़ाकत भरी हिरनी वाली चाल थी मेरी। मेरी घुटनो तक की ड्रेस में ४ इंच की हील के साथ मटकती हुई कमर, कोई देख ले तो बस दीवाना हो जाए। इतने जल्दी यह सीख लेना मेरे लिए थोड़ा आश्चर्यजनक था क्योंकि जब मैं पुरुष के शरीर में क्रोसड्रेस करती थी, तब मैंने कई बार प्रैक्टिस की थी सैंडल के साथ। पर मेरी चाल हमेशा मर्दानी ही दिखती थी। मैंने ख़ुशी से पलटकर परिणीता की ओर देखा। मेरे इतनी ऊँची हील पहनने के बाद भी वो मुझसे अब भी ऊँची लग रही थी। मैंने अपनी आँखों से उसे धन्यवाद दिया और उसने प्यार से अपनी आँखों से स्वीकार भी कर लिया।

“तुम तो इतने जल्दी परफेक्ट हो गए प्रतीक! unbelievable! चलो, अब जल्द से जल्द किराना खरीद कर आते है।”, परिणीता ने कहा। “हाँ डार्लिंग!”, मैंने जवाब दिया।

हम दोनों अब घर से बाहर निकले। मैंने दरवाज़े पर ताला लगाया और चाबी अपने बड़े पर्स में रख दी। परिणीता ने मेरी तरफ देखा और बोली, “एक मिनट! कुछ कमी लग रही है।” उसने मेरे कंधे पर टंगे लेडीज़ पर्स को खोल कुछ ढूंढने लगी। उसने पर्स से एक prada का सनग्लास निकाल कर मेरी आँखों पे लगाया। “हाँ। अब लग रहे हो परिणीता की तरह हॉट एंड सेक्सी!”, ऐसा बोल कर वो हंसने लगी।

“परी! ज्यादा हॉट न बनाओ मुझे। तुम्हारे पति को जब दुसरे आदमी घूर घूर कर देखने लगेंगे तो तुम्हे और मुझे दोनों को ही अच्छा नहीं लगेगा।”, मैंने कहा, और घर से बाहर हमारी कार की ओर मैं बढ़ चली।


“प्रतीक, तुम मेरा हाथ न पकड़ोगे?”, परिणीता ने रूककर मुझसे कहा। शायद उसे अहसास हो रहा था कि अब हमें नए रूप में दुनिया से रूबरू होना है। शायद कुछ पल के लिए नयी परिस्थिति से घबरा गयी थी वो।

“हाँ! ऑफ़ कोर्स , परी!” सचमुच मैं अपनी पत्नी परिणीता का हाथ पकड़ कर चलना चाहती थी।

हम दोनों ने एक दुसरे का हाथ थाम लिया और साथ में चल पड़े। बाहर की दुनिया और हमारे नए रूप के नए challenges से अनजान, बस एक दुसरे के साथ के भरोसे और इस विश्वास के साथ कि अंत में सब ठीक ही होगा। अब हम बाहर आ चुके थे और इस दुनिया के लिए अब मैं प्रतीक नहीं थी। मैं थी नई परिणिता!
Bohot badiya update
 
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