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मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक

manu@84

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स्त्री है वो
कुछ भी कर सकती है

और....
सब कुछ करा सकती है
क्या वो सच में स्त्रियाँ है....??? आप sure है??

ऐसा तो नही लोंडे/लड़के घागरा चोली पहनकर बैठे हो....???

जमाना खराब है.... Sir Ji
 

manu@84

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19 साल पहले ही नहीं बच पाये

अब बचा ही क्या है
पुरानी शराब ज्यादा मजा देती है....!!! 🥃🥃
 
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मैं देव आनन्द जी का फैन रहा हूँ...
"हर फिक्र को धुयें में उड़ाता चला गया"

जो डायलॉग आपको फिल्मी लगा... मैंने इसी उसूल पर ज़िन्दगी को जिया है....
जो हासिल करो वो पूरी तरह से हासिल हो...
"कुछ ना कुछ" की उम्मीद या "बहुत कुछ" की लालसा :nana: में ज़िन्दगी नहीं काटनी मुझे

..... या तो "सब कुछ" हो या फिर "कुछ नहीं"
हर फिक्र.....गीत को जयदेव साहब ने कम्पोज किया था। वो तीन नेशनल अवार्ड जीत चुके थे पर अंतिम समय पर कफन भी नसीब नही हुआ उन्हे। लावारिस बाॅडी की तरह म्यूनिसिपल्टी ने अंतिम संस्कार कर दिया था।
यह गीत देव साहब पर ही फ़िल्माया गया था।
जयदेव सर ने शायद इसलिए हर फिक्र को धुंये मे उड़ा दिया क्योकि उन्होने शादी नही की थी।
 
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एक जिज्ञासा है, यहाँ पर incest story लिखने वाले और पढ़ने वाले बहुत है, सभी स्टोरी लाइन में only for entertainment लिखते है....!

मेरा सवाल यही है कि incest relation को मनोरंजन के लिए चुनना क्या सही है...???

क्या सभी का सोच का स्तर इतना बदल गया है?????
जब बच्चे छोटे होते है और उनके गार्डियन किसी चीज के लिए बिल्कुल ही मना कर देते है तो यह स्वभाविक है कि बच्चे का मन उस चीज को जानने की इच्छा करेगा।
बच्चो को कोई फिल्म देखने के लिए मना कर दिया जाए...किसी से दोस्ती रखने के लिए मना कर दिए जाए...कोई काम करने से रोक दिया जाए तब बच्चे का दिमाग उन्ही चीजों पर केंद्रित हो जाता है कि ऐसा क्यो किया जा रहा है।
Prohibited शब्द ही ऐसा है जो युवा वर्ग की जिज्ञासा बन जाती है कि आखिर यह चीज है क्या और क्यो वर्जित है।
इसी तरह सेक्स भी है और सेक्स से रिलेटिव हर चीज भी है।
फाॅरविडेन सेक्स मे सबसे महत्वपूर्ण इन्सेस्ट रिलेशनशिप होता है। यह सब्जेक्ट सबसे ज्यादा कौतुहल का पार्ट है , यदि कोई सेक्स के हर सब्जेक्ट पर रूचि रखता हो। और यह ऐसा प्रतिबंधित दरवाजा है जिसे कोई भी गार्डियन नही चाहता है कि उसके बच्चे उस दरवाजे को खोले।
जैसा कि मानव स्वभाव है , बच्चे उस दरवाजे को जानने और समझने के लिए सबसे अधिक उत्सुक होते है।
और फिर यही से बच्चो के अंदर सेक्स और इन्सेस्ट की फीलिंग्स आनी शुरू होती है। शुरुआत मे फैंटेसी मात्र होती है लेकिन बाद मे इसे ओरिजिनल समझकर कुछ लोग इम्पलिमेंट भी शुरू कर देते है।

इन्सेस्ट एक ऐसा विषय है जिस पर बहुत ज्यादा वाद-विवाद हो सकता है लेकिन यह भी सत्य है कि इन्सेस्ट की उत्पति मानव जीवन के अवतरित होने से ही शुरू हो गई थी।
जैसे जैसे मानव संख्या की बढ़ोत्तरी हुई...जैसे जैसे मानव विकसित होते गया...जैसे जैसे समाज और कानून ने एक नियम को निर्धारित किया....जैसे जैसे एजुकेशन प्राप्त कर लोग शिक्षित होते गए .....वैसे वैसे लोग की सोच बदलते गई।
लेकिन यह ऐसा विषय है जो नवयुवक को सबसे अधिक आकर्षित करता है।
 
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manu@84

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जब बच्चे छोटे होते है और उनके गार्डियन किसी चीज के लिए बिल्कुल ही मना कर देते है तो यह स्वभाविक है कि बच्चे का मन उस चीज को जानने की इच्छा करेगा।
बच्चो को कोई फिल्म देखने के लिए मना कर दिया जाए...किसी से दोस्ती रखने के लिए मना कर दिए जाए...कोई काम करने से रोक दिया जाए तब बच्चे का दिमाग उन्ही चीजों पर केंद्रित हो जाता है कि ऐसा क्यो किया जा रहा है।
Prohibited शब्द ही ऐसा है जो युवा वर्ग की जिज्ञासा बन जाती है कि आखिर यह चीज है क्या और क्यो वर्जित है।
इसी तरह सेक्स भी है और सेक्स से रिलेटिव हर चीज भी है।
फाॅरविडेन सेक्स मे सबसे महत्वपूर्ण इन्सेस्ट रिलेशनशिप होता है। यह सब्जेक्ट सबसे ज्यादा कौतुहल का पार्ट है , यदि कोई सेक्स के हर सब्जेक्ट पर रूचि रखता हो। और यह ऐसा प्रतिबंधित दरवाजा है जिसे कोई भी गार्डियन नही चाहता है कि उसके बच्चे उस दरवाजे को खोले।
जैसा कि मानव स्वभाव है , बच्चे उस दरवाजे को जानने और समझने के लिए सबसे अधिक उत्सुक होते है।
और फिर यही से बच्चो के अंदर सेक्स और इन्सेस्ट की फीलिंग्स आनी शुरू होती है। शुरुआत मे फैंटेसी मात्र होती है लेकिन बाद मे इसे ओरिजिनल समझकर कुछ लोग इम्पलिमेंट भी शुरू कर देते है।

इन्सेस्ट एक ऐसा विषय है जिस पर बहुत ज्यादा वाद-विवाद हो सकता है लेकिन यह भी सत्य है कि इन्सेस्ट की उत्पति मानव जीवन के अवतरित होने से ही शुरू हो गई थी।
जैसे जैसे मानव संख्या की बढ़ोत्तरी हुई...जैसे जैसे मानव विकसित होते गया...जैसे जैसे समाज और कानून ने एक नियम को निर्धारित किया....जैसे जैसे एजुकेशन प्राप्त कर लोग शिक्षित होते गए .....वैसे वैसे लोग की सोच बदलते गई।
लेकिन यह ऐसा विषय है जो नवयुवक को सबसे अधिक आकर्षित करता है।

Thanks
काफी हद तक आपने मेरी जिज्ञासा का समाधान incest पर निबंध लिख कर दिया है।

पर यहाँ से मेरा अगला सवाल उठ रहा है.....!

Incest रिलेशन फीलिंग्स है या सेक्स पूर्ति का फ्री का जरिया।

क्योकि

सेक्स पूर्ती के जरिये आज के आधुनिक युग सुलभ हैं। पैसा फेंको तमाशा देखो।
 

kamdev99008

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Thanks
काफी हद तक आपने मेरी जिज्ञासा का समाधान incest पर निबंध लिख कर दिया है।

पर यहाँ से मेरा अगला सवाल उठ रहा है.....!

Incest रिलेशन फीलिंग्स है या सेक्स पूर्ति का फ्री का जरिया।

क्योकि

सेक्स पूर्ती के जरिये आज के आधुनिक युग सुलभ हैं। पैसा फेंको तमाशा देखो।
संसार में हमेशा से सबकुछ फ्री था....
कुछ कमीनी मानसिकता के लोगों ने मुद्रा/करैंसी/पैसा का आविष्कार किया और हर चीज़ की कीमत होने लगी.... और बहुत सारे बेवकूफों ने पैसे की अहमियत बढ़ानी शुरू कर दी....
अब हर कोई चाहे अनचाहे पैसे के लिये ही जी रहा है, मर रहा है और मार भी रहा है....
कुछ कमीनों और उनके पिछलग्गू बेवकूफों के कमीनेपन की पराकाष्ठा फ्री के वादे करनेवाले धूर्तों ने स्थापित कर दी.....

अगर पैसे से सबकुछ हो जाता है तो भारत के हजारों जमींदार और लाखों व्यापारी 1947 में बेघर ना होते, 2022 में भी श्रीलंका और यूक्रेन के हजारों रईस बूँद -बूँद पैट्रोल, पानी, अनाज के लिये हफ्तों लाइन में ना लगते

औकात पैसे की नहीं आपकी जरूरत की चीज मौजूद होने की है.... अगर मिलेगी तभी तो खरीदोगे या उसकी कीमत लगाओगे.... जो मिले ही नहीं उसे तो फ्री भी कोई लेने की औकात नहीं रखता....
 

ashik awara

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Thanks
काफी हद तक आपने मेरी जिज्ञासा का समाधान incest पर निबंध लिख कर दिया है।

पर यहाँ से मेरा अगला सवाल उठ रहा है.....!

Incest रिलेशन फीलिंग्स है या सेक्स पूर्ति का फ्री का जरिया।

क्योकि

सेक्स पूर्ती के जरिये आज के आधुनिक युग सुलभ हैं। पैसा फेंको तमाशा देखो।
अपने अपने समय पर हर चीज की अहमियत होती हे मानु जी , बहुत सारे किस्से देखने और सुनने में भी आये हें. की पैसा धरा रह जाता हे आदमी भूखा ही मर जाता हे , ग्रेटर केलाश की घटना कई साल पुरानि हे , जब एक वृद्ध दम्पति सब कुछ होने के बाद भी भूख से तडपकर जान दे बेठे थे , पैसा बहुत कुछ हे पर सब कुछ नही , रही बात फीलिंग्स की इसे कोई पैसा खरीदकर नहीं दे सकता , पैसा माध्यम हे पर साध्य नही कहानियों में हम चाहे जितना मर्जी दूसरों से सेक्स के बारे लिखें पर सत्य यही हे की आप सिर्फ अपनी पत्नी से ही सेक्स करने के अधिकारी हें वो भी उसकी मर्जी से बाकि जितना मर्जी कल्पना कर लीजिये इक्का दुक्का घटनाओं को छोडकर सभी रिश्ते नोर्मल रूप से ही जिए जाते हें , और इसमें पैसा बहुत अहमियत नहीं रखता
 

manu@84

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संसार में हमेशा से सबकुछ फ्री था....
कुछ कमीनी मानसिकता के लोगों ने मुद्रा/करैंसी/पैसा का आविष्कार किया और हर चीज़ की कीमत होने लगी.... और बहुत सारे बेवकूफों ने पैसे की अहमियत बढ़ानी शुरू कर दी....
अब हर कोई चाहे अनचाहे पैसे के लिये ही जी रहा है, मर रहा है और मार भी रहा है....
कुछ कमीनों और उनके पिछलग्गू बेवकूफों के कमीनेपन की पराकाष्ठा फ्री के वादे करनेवाले धूर्तों ने स्थापित कर दी.....

अगर पैसे से सबकुछ हो जाता है तो भारत के हजारों जमींदार और लाखों व्यापारी 1947 में बेघर ना होते, 2022 में भी श्रीलंका और यूक्रेन के हजारों रईस बूँद -बूँद पैट्रोल, पानी, अनाज के लिये हफ्तों लाइन में ना लगते

औकात पैसे की नहीं आपकी जरूरत की चीज मौजूद होने की है.... अगर मिलेगी तभी तो खरीदोगे या उसकी कीमत लगाओगे.... जो मिले ही नहीं उसे तो फ्री भी कोई लेने की औकात नहीं रखता....

माफ कीजिये पर आपकी सोच को पढ़कर रहा नही जा रहा है।

आपके पास बहुत पैसा है, लेकिन पैसे का उपयोग, भोग करना नही आया। इसलिए अप ऐसी बात बोल रहे है।

Shrilnaka ukrane अफगनिस्तां में जिसके जेब में माल था सब बच गये। जो रह गये उनके पास माल कम पड़ गया।

जरूरत भी पैसे आने से बढ़ती है, बिना पैसे के सिर्फ adjustment होता है। जैसे जैसे पैसा आयेगा जरूरत बढ़ती जायेगी। समझदार वो ही है जो सही समय पर सही काम कर जिंदगी के मजे ले।
 
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manu@84

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अपने अपने समय पर हर चीज की अहमियत होती हे मानु जी , बहुत सारे किस्से देखने और सुनने में भी आये हें. की पैसा धरा रह जाता हे आदमी भूखा ही मर जाता हे , ग्रेटर केलाश की घटना कई साल पुरानि हे , जब एक वृद्ध दम्पति सब कुछ होने के बाद भी भूख से तडपकर जान दे बेठे थे , पैसा बहुत कुछ हे पर सब कुछ नही , रही बात फीलिंग्स की इसे कोई पैसा खरीदकर नहीं दे सकता , पैसा माध्यम हे पर साध्य नही कहानियों में हम चाहे जितना मर्जी दूसरों से सेक्स के बारे लिखें पर सत्य यही हे की आप सिर्फ अपनी पत्नी से ही सेक्स करने के अधिकारी हें वो भी उसकी मर्जी से बाकि जितना मर्जी कल्पना कर लीजिये इक्का दुक्का घटनाओं को छोडकर सभी रिश्ते नोर्मल रूप से ही जिए जाते हें , और इसमें पैसा बहुत अहमियत नहीं रखता
मुझे लगता है आजकल हर रिश्ता पैसे की नींव पर ही टिका हुआ है। पति ना कमाए तो पत्नी भी धिक्कार देती हैं, बेटा ना कमाए तो माँ बाप, रिश्तेदार भी पैसे देखकर ही इज्जत देती हैं।

कितनी आपराधिक घटनाएं सिर्फ पैसे की वजह से रोज हो रही है।

जिनके पास चने नही है, उनके पास ही दांत है।
 

ashik awara

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मुझे लगता है आजकल हर रिश्ता पैसे की नींव पर ही टिका हुआ है। पति ना कमाए तो पत्नी भी धिक्कार देती हैं, बेटा ना कमाए तो माँ बाप, रिश्तेदार भी पैसे देखकर ही इज्जत देती हैं।

कितनी आपराधिक घटनाएं सिर्फ पैसे की वजह से रोज हो रही है।

जिनके पास चने नही है, उनके पास ही दांत है।
नही दोस्त एसी बात नहीं हे रिश्ते दोनों तरफ से ही निभाए जाते हें , मेने अपने जीवन में अपने परिवार में कभी पेसे के लिए मारामारी कभी नहीं देखि , रही बात पत्नी की तो मेरे बुरे समय में ,जब काम से बेरोजगार हो गया था , ऐसे समय में उसने मेरा कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया हे , और वो दिवाली मुझे कभी नहीं भूलती जब उसने पता नही कब के बचाए हुए पेसे निकाल कर मेरे सामने रख दिए , और बिजनिस को दुबारा खड़ा करने में मेरा पूरा साथ दिया माँ बाप ने भी पुरे परिवार को हमेशा जोडकर रखा हे ,और फिर ब्लेक एंड व्हाइट तो हर जगह हे , पर मेने कभी पेसे को महत्व नही दिया
 
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