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मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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Kobra sathiya gaya he shayad :ffool:
 
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Thakur

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Idhar gyan bohot milta he bas padhne ke liye sandarbh granth leke baithana padta he :book:
 
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king cobra

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Thakur

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60 ka kammo hue hue aur sathiya hum gaye had hai ek aur aa gawa ye kammo kam tha :bat:
Umar ka kaam he badhna :laughing: kam thode he hogi.
Baate hume jiski sahi lagi hum uski side ho liye aur kya :dontmention:
 

R. S. S.

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Keep posting
 

kamdev99008

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फेमिनिज़्म, पुरुषों से बराबरी और महिलाओं के सामाजिक व कानूनी विशेषाधिकार ने उन्हें महिला नहीं रहने दिया
समाज महिलाओं से इसीलिए बनता है क्योंकि पुरुष सामाजिक प्राणी नहीं है..... हमारे पूर्वज कहा करते थे कि घर स्त्री का होता है और वंश पुरुष का.... घर की मालकिन वो है और पुरुष अपना वंश चलाने के लिए स्त्री और उसके बच्चों का जीवनभर पालन-पोषण करता है, अपने जीवन की उपलब्धियां व पूर्वजों की भी उपलब्धियां उन्हें देता है
लेकिन पढ़ी-लिखी साथ ही फेमिनिस्ट महिलाओं की मनोवृत्ति पुरुषों से भी ज्यादा असामाजिक हो गयी है...... विशेष रूप से घर से बाहर दूसरे पुरुषों के संपर्क में रहने वाली कामकाजी महिलाओं की
वो अपनी स्वच्छंदता और अनैतिकता को पुरुष की स्वच्छंदता और अनैतिकता के बराबर या आगे तो ले जाना चाहती हैं ....... लेकिन पुरुषों की तरह अपनी गलतियों को स्वीकारना या सामाजिक अवमानना सहन करने को तैयार नहीं

और यही व्यवस्था के विनाश की शुरुआत है........ क्योंकि स्त्री शक्ति का स्वरूप है....... पुरुष की गलतियाँ केवल स्वयं उसका विनाश करती हैं, जबकि स्त्री की गलती सम्पूर्ण समाज का विनाश कर देती है.... शक्ति का प्रभाव
 

kamdev99008

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Thodi baat aur karni hai meko lekin ek baat mai pahle bata deta hun yahan mera uddeshya khud ko bada kisi ko chota sabit karna nahi hai aur na hi mai ankh mund kar kisi par yakin karta hun yani faltu baat uske jo bhi mere paas gyan hai wo kitabon se paya kuch gurujano se suna hai kuch tv par dekha hai ab jinna anubhav hai meko log tak chamatkaar par yakin na karte jab tak unke sath ho na jaye jaise kuyen ka medhak kabhi yakin nai karega ki samundar uske kuyen se bada hai
ज्ञान सबसे मिलता है......
लेकिन सबसे बड़ा गुरु........... अपना निजी अनुभव है
अपना अपना अनुभव जो सिखाता है.... वो कोई भी नहीं सिखा सकता

Kobra sathiya gaya he shayad :ffool:
हो जाता है कभी-कभी दौरे पड़ते हैं ऐसे....... सबको :D
Idhar gyan bohot milta he bas padhne ke liye sandarbh granth leke baithana padta he :book:
दुनिया से जो लिया है वही बाँट रहा हूँ.......... इसीलिए संदर्भ ग्रंथ भी दुनिया भर के चाहिए :hehe:
60 ka kammo hue hue aur sathiya hum gaye had hai ek aur aa gawa ye kammo kam tha :bat:
अभी 50 तक भी नहीं पहुंचा ....... 60 तक तो पता नहीं क्या-क्या बदल दूंगा दुनिया में
 
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Thakur

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ज्ञान सबसे मिलता है......
लेकिन सबसे बड़ा गुरु........... अपना निजी अनुभव है
अपना अपना अनुभव जो सिखाता है.... वो कोई भी नहीं सिखा सकता

हो जाता है कभी-कभी दौरे पड़ते हैं ऐसे....... सबको :D

दुनिया से जो लिया है वही बाँट रहा हूँ.......... इसीलिए संदर्भ ग्रंथ भी दुनिया भर के चाहिए :hehe:

अभी 50 तक भी नहीं पहुंचा ....... 60 तक तो पता नहीं क्या-क्या बादल दूंगा दुनिया में
: :goteam:
 

manu@84

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गुरुदेव....... गुरु पूर्णिमा पर नमन 🙏👣🙏

एक लेख समर्पित करता हूँ..... जिसे आप fminism के विरोधी को समझाए.....

आज रविवार सुबह सब्जी लेने बाजार निकला था, सब्जियाँ खरीद रहा था तो बगल में कुछ महिलाओं के बीच चर्चा इसी विषय पर हो रही थी कि कैसे एक पति ने अपनी पत्नी को उसके सपने के लिए साथ और समर्थन दिया उसे पढ़ाया लिखाया, काबिल बनाया तो पत्नी ने ऊंची पोस्ट पर पहुंच कर उस पति को ही धोखा दे दिया।

“चर्चा का सार ये निकला कि गलती उस पति की ही है।” उसने लगाम नहीं लगाई, ससुराल वाले “बहु भी कमा के लाएगी” इस के चक्कर में उसे पढ़ाते रहे और फिर देखो क्या हुआ।

अफसोस यही है कि ऐसी सोच और मान्यताओं को मजबूती कुछ इन्हीं उदाहरणों से मिलती है। और बात ये भी तो है कि ये समाज ने जो “feminism” के नाम पर उल्टी और गलत हवा चला रखी है उसका भी दोष भारी है।

लड़का मेहनत करता है, कमाता है, घर की और परिवार की जिम्मेदारियों को उठाने के लिए।

और ‘feminist’ का slogan क्या है?
“Independent बनना है, हम ख़ुद के लिए कमाएंगे, केवल खुद का सोचेंगे।”

आज इस एक गलत उदाहरण ने समाज में पढ़ रही, नौकरी कर रही, आगे बढ़ने की चाह रखने वाली उन तमाम लड़कियों, महिलाओं के लिए न जाने कितनी नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। उनका आने वाला भाविष्य खतरे में पड़ चुका है। अब कैसे कोई अपनी बेटियों, बहुओं, पत्नियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा। हमारे समाज में स्त्रियाँ पहले ही ऐसी दकियानूसी परंपराओं के बीच सामंजस्य बिठाने की कोशिश करती आ रही हैं। और ये उनके सामने एक नई मुसीबत और खड़ी कर दी है एसडीएम साहिबा ने।

एक के फरेब से कई सपनों के दरवाज़े बंद हो चुके हैं। ”बेटियों को पढ़ाओ, बहुओं को नहीं।” इस स्लोगन को अब और मजबूती मिल चुकी है।

पूरा बेड़ा गर्क कुछ इन्हीं एक तरफा सोच और मुहीमों के पीछे भागने वाली भीड़ ने ही कर रखा है। इसलिए कहता हूँ संस्कार, विचार और व्यवहार ऐसे चुनों जो केवल खुद का नहीं आपके संपर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति, जीव और परिवेश को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही सूरतों में लाभ, हित या अच्छाई परोस सके।

और याद रहे, कुछ एक बुरे उदाहरण हैं तो अच्छे भी हैं उनके प्रति अपनी सजगता जगाइए, और बेफिजूल के फितूर ख़ुद से कोषों दूर रखिए, ध्यान रखें मंगल कामनाएं।❤️

गुरुदेव अपने शब्दों की आशीर्वाद की कृपा दृष्टि मेरी कहानी पर टिकाइये.....
 
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