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मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक

kamdev99008

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manu@84

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चोर और डकैत में अंतर समझ जाओगे तो इस बदलाव का अंतर भी समझ आ जाएगा...............
परिवर्तन सब आर्थिक हैं........... लेकिन बहुत जल्द ही ये दिखावटी विकास की लहर शांत हो जाएगी.... क्योंकि ये किसी धरातल से टकराई नहीं अब तक.........
फिर उसी ढर्रे पर आ जाएगी जहां थी........ क्योंकि भारत के 90% बच्चे से बूढ़े तक आज भी आर्थिक समृद्धि नौकरी में मानते-जानते हैं
लेकिन भविष्य का अर्थशास्त्र कुछ और ही कह रहा है

भविष्य का तो पता नही गुरु..... लेकिन वर्तमान में 150 साल बाद ऐसा संयोग बना है...
150 के टमा टर 🍅
150 का कुवाटर 🥃
150 की बियर 🍾

😜😂
 

kamdev99008

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भविष्य का तो पता नही गुरु..... लेकिन वर्तमान में 150 साल बाद ऐसा संयोग बना है...
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150 का कुवाटर 🥃
150 की बियर 🍾

😜😂
मेरे यहाँ सब फ्री है ................

गेंहू, चावल, दाल, तेल सरकार फ्री भी देती है, और अपने खेत का भी
सब्जियाँ अपने खेत में
फल अपने खेत में
दूध अपनी गाय का .......
दारू अपनी हैंडमेड
पपीता, अमरूद, केला, टमाटर मिर्च सारी सलाद अपने खेत की

लेकिन सबको नहीं मिलता.....................
इसको कहते हैं......... मेहनत का फल
 
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Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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गुरु जी इस बात का प्रमाण मिल गया कि आप शुद्ध मारवाड़ी है, जहा ना पहुँचे बेलगाडी वहा पहुँचे मारवाड़ी... 😂😂 मुझे बैठे बैठे निशुल्क अमरिका, यूरोप, फ्रांस् ना जा जाने घुमा दिया..... 🙏 लेकिन इतना गोल गोल घुमाया पर मुद्दे की बात पर ज्ञान प्रकाश नही डाला 🤔🤔



मैंने अपने लेख में जो अन्य अपने देश के प्रदेश पर आपकी राय मांगी उसे छोड़ कर पूरी दुनिया की कहानी बया कर दी। मेरे लेख में जिन मुद्दों की जानकारी चाही गयी है वो निम्न लिखित है....

1. South India, west india, में जो बुआ मामा मौसी बच्चों की शादी की प्रथा गलत/सही है...???? इस प्रथा के फायदे/नुकसान क्या है...????

2. कितने प्रतिशत कजिन आपस में राखी बंधवा कर एक दूसरे को भाई बहन का दर्जा देते है???

3. अदलतो में सबसे ज्यादा विवाद कजिन रिश्तों में ही क्यों विचाराधीन है, क्यों जबरदस्ती उन्हें भाई बहन का ठप्पा लगा कर दकियानोओसी प्रथा को बढ़वा दिया जाये???

4. हिंदी प्रदेशों में अधेड़ हो रहे युवा जिनके ब्याह नही हो रहे है और उनके दूर के रिश्तेदार दूर ही रहते है, और मुहबोले रिश्तेदार मुह नही लगाते..... वो युवा अधेड़ हो कर कुँवारे मरने से अच्छा नजदीकी रिश्तों में ब्याह कर ले तो कोनसा पाप हो जायेगा????

5. नजदीकी रिश्तों की हुयी शादी क्यों सफल रहती है, उनमे प्यार ज्यादा और तलाक़ कम क्यो होता है????




आप ना पूर्ण रूप से धार्मिक है और ना ही अधार्मिक बस मिला जुला रूप है... 😜


गुरु मै आपके ही प्रदेश, परिवेश, यहाँ तक की पड़ोसी हू... बस आपकी नजरे पहचान नही पा रही है।




गुरु 2030--3020 तो छोड़ो ये संस्कृति बदलना शुरू हो चुकी है, राजस्थान पत्रिका मै आये दिन sibilng शादी, affair की खबरे पढ़ना शुरु कीजिये.....



आज के दौर में जितनी तेजी से बदलाव शुरु हो चुका है और संस्कारी घरों की बहु, बेटियों, लुगाइयो ने जिस तरह इंस्टा वीडियो बना बना कर अपनी मर्यादाओं की धज्जिया उड़ाना शुरु कर दी है उस पर दो लाइन लिख कर अपने शब्दों को विराम दूंगा....

"" सुर्खियों में आने की ऐसी होड़ लगी है.... मनु
कि तवायफ् के कोठो पर मखियां उड़ रही है..
और मोबाइल पर संस्कारी घरों की अर्ध नग्न स्त्रियाँ नाच रही है""

धन्यवाद.....
Jyada gehrai me gote lagane wale aksar satah par nahi aa pate :sigh2:
Simple chij ko apne hawyas ke chalte complicated karna aur bakheda khada karna yah manushya ki prakriti rahi he , aur jab jab manushya aise rayta failata he tab use sametne ke liye use atit me he jana padta he !
Ek sarv sadharan natural rule he ke najdiki rishto me shadi karne se aane vali santano pe uska viparit parinam hoga he. Iss niyam ko tod ke logo ab tak wahi mila he jo ab tak milta tha !

Baki isko aap aasani se samze ya iske viruddh ek ke upar ek flawed logic rakhe, yah natural laws he, inbreeding ki shiksha hogi he !
 
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HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मेरे यहाँ सब फ्री है ................

गेंहू, चावल, दाल, तेल सरकार फ्री भी देती है, और अपने खेत का भी
सब्जियाँ अपने खेत में
फल अपने खेत में
दूध अपनी गाय का .......
दारू अपनी हैंडमेड
पपीता, अमरूद, केला, टमाटर मिर्च सारी सलाद अपने खेत की

लेकिन सबको नहीं मिलता.....................
इसको कहते हैं......... मेहनत का फल
मेरे हिस्से की दो रोटी फिर भी नहीं थाली मे
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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इसी को कुतर्क कहते हैं :hehe: जब कोई जवाब ना हो तो ऐसे ही लीपापोती की जाती है................ HalfbludPrince फौजी भाई और Chutiyadr डॉ साहब इसमे आपसे भी आगे हैं :D
:D
 
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HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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मैंने भी अपनी पहली मोटरसाइकिल बुलट 350 ली थी 2002 में... उससे पहले सिर्फ कार ही रखता था...
अब पैदल चलना ज्यादा पसन्द है.... :)
मैंने साइकिल पर जिंदगी जी है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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सामर्थ्य/सफलता/संपन्नता के बाद स्त्री और पुरुष का परिवार के प्रति दृष्टिकोण

एक विवाहित पुरुष दुनिया के हर काम को करता है, समय, मेहनत और तिकड़में सब लगाता है, हर रास्ता ढूँढता है, हर तरीका अपनाता है, पैसा-साधन-संसाधन जुटाता है................ और जब उसके पास कुछ जुट जाता है तो वो हमेशा परिवार से उनकी अपेक्षाएँ, उनकी इच्छाएँ पूंछता है कि उन्हें क्या चाहिए ।

जबकि एक विवाहित स्त्री किसी भी कार्य को करके कोई उपलब्धि प्राप्त करती है, परिवार के लिए कुछ करने में सक्षम होती है तो वह उनकी इच्छाओं को जानने की बजाय स्वयं अपनी समझ से निर्णय लेती है कि परिवार में किसके लिए या सारे परिवार के लिए क्या सही है, और वैसा ही करती भी है, बिना किसी पुनर्विचार के।
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यदि पुरुष अविवाहित है तो वह सारे प्रयास परिवार के लिए कुछ उपलब्धि हासिल करने हेतु करता है और अपने प्रयासों से कोई उपलब्धि प्राप्त करता है तो वह सबसे पहले वह मौजूदा परिवार में विस्तार देने की सोचता है, माता-पिता, भाई-बहन के साथ साथ पत्नी और बच्चे भी हों.... उस घर को आगे भविष्य तक बनाए रखने के लिए एक नयी पीढ़ी का परिवार, उसे लगता है कि बिना विवाह और बच्चों के उसका अपना परिवार ही नहीं होगा, और परिवार के बिना जीने के लिए कुछ करने की आवश्यकता ही क्या है।

जबकि एक अविवाहित स्त्री अपने प्रयास अपने आप को परिवार व दुनिया के सामने सफल प्रमाणित करने के लिए करती है, जब वह सफल हो जाती है तो सबसे वो अपने मौजूदा परिवार के लिए जो उसे स्वयं को सही लगता है वो करती है, उनके लिए निर्णय लेना अपना अधिकार समझती है और साथ ही उसे परिवार का विस्तार अपनी कामयाबी में बाधा लगने लगता है, विवाह और बच्चे एक दक़ियानूसी सोच लगने लगती है, उसे लगता है कि बिना विवाह और बच्चों के भी जीवन जिया जा सकता है।

विशेष : 1%-2% अपवाद हो सकते हैं, इसलिए उनका उदाहरण देकर कुतर्क ना करें..... साथ ही अपराधी, नशेड़ी, जुआरी या अन्य किसी प्रकार की असामान्य/अवैध/असामाजिक गतिविधि से जुड़े व्यक्तियों को इसमें अपवाद समझें, क्योंकि वे स्वयं के लिए ही उचित निर्णय नहीं ले सकते।
क्या मेंने जो लिखा है यदि वो 50% से ज्यादा लोगों के प्रत्यक्ष जीवन में नहीं हो रहा?...... हर घर-परिवार-समाज और दुनिया के हर देश में यही स्थिति है चाहे वो विकसित देश हों, विकासशील देश हों या पिछड़े देश हों....
आप सब भी इस पर अपने विचार रखें ..............निमंत्रण/आमंत्रण का इंतज़ार न करें.... वो तो अपने बच्चों की शादी में ही दूंगा :D


Rockstar_Rocky HalfbludPrince SANJU ( V. R. ) Studxyz brego4 Rekha rani komaalrani Ankitarani nain11ster Moon Light juhi gupta avsji एवं अन्य सभी मित्रगण भी​
अक्सर मेरे पास कुछ होता नहीं कहने को. मैं अपने नि खुमारी मे ही डूबा रहता हूं. इस तालाब से इतना लगाव हुआ है मुझे की हर एक हलचल मे मैं निशा को तलाशता हूं यथार्थ से दूर भागने का मेरा ये बहाना देखो कब तक चलता है
 

Rusev

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अक्सर मेरे पास कुछ होता नहीं कहने को. मैं अपने नि खुमारी मे ही डूबा रहता हूं. इस तालाब से इतना लगाव हुआ है मुझे की हर एक हलचल मे मैं निशा को तलाशता हूं यथार्थ से दूर भागने का मेरा ये बहाना देखो कब तक चलता है
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king cobra

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अक्सर मेरे पास कुछ होता नहीं कहने को. मैं अपने नि खुमारी मे ही डूबा रहता हूं. इस तालाब से इतना लगाव हुआ है मुझे की हर एक हलचल मे मैं निशा को तलाशता हूं यथार्थ से दूर भागने का मेरा ये बहाना देखो कब तक चलता है
khusi hui tumka dekhkar dadu
 
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