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सुनील और सुमन
प्रपोज हो गया यानी इजहार ए मुहब्बत हो गया
पर सुनील के हर एक संवाद में एक एक सच्चे आशिक की भाव छलक रहे थे
कोई संदेह नहीं सुनील का यह पहला प्यार है
अब इस अंक ने मुझे मेरे बचपन का एक किस्सा याद दिला गया
तब हमारे मुहल्ले में एक विधवा महिला अपने बेटे के साथ रहती थी l उसकी बेटे की नौकरी हो जाने के बाद उसके बेटे की ऑफिस के कॉलीग के साथ उसका अफेयर हो गया था I बहुत थू थू हुई थी तब l वह लड़का घर छोड़ कर चला गया था और बाद में वह औरत वृंदावन चली गई थी l ऐसा सुना था
आज अचानक यह कहानी पढ़ कर वह किस्सा याद आ गया l
नैसर्गिक सुख और अलौकिक एहसास के साथ मानवीय भावना का यह उच्च कोटि का प्रस्तुति है
निसंदेह
अब कि बार कुछ ना छूटे इस लिए दो बार पढ़ा
![]()
उम्मम पता नहींसुमन के लिए
हँसी तो फंसी
जी भाई -- भावनाओं का बवंडर तो है।सुमन अब भावनाओ के बवंडर में फंस चुकी है। ना वो सुनील को अवॉइड कर सकती है और ना एक्सेप्ट। मगर कहीं ना कहीं सुनील से इंप्रेस्ड ज़रूर हो चुकी है। सुनील ने तो अपने दिल की बात भी कह दी है और किस करके उस पर मोहर भी लगा दी है। अब सुमन इस बात को किस तरह लेती है और क्या वो अपना निर्णय बदलती है वो देखना होगा। क्योंकि कहीं ना कहीं शादी करके अपने परिवार से दूर जाने का डर भी होगा इसके दिल में। शानदार अपडेट
चैप्टर - ३. अनुभाग -३.२ विवाह ।
इक्कीस अपडेट हैं इस अनुभाग में और सभी अपडेट्स बेहद ही शानदार थे । गांव में होने वाली शादी की बात ही अलग है । अपने परम्परागत तरीके से... अपने लोकगीतों से.... अपने लोगों के बीच होने वाली शादी मन मोह लेती है ।
शायद यह कहानी नब्बे के दशक की है जब ऐश्वर्या राय और सुश्मिता सेन मिस यूनिवर्स एवं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता जीती थी । वैसे इस समय शहरों की तरह गांवो में भी लोगों के रहन सहन में बदलना आना शुरू हो गया था लेकिन कुछ गांव ऐसे भी थे जहां बुनियादी सुविधाएं तब भी उपलब्ध नहीं थी ।
यह वो दौर था जब मैंने अपने होम टाउन से करीब दो हजार किलोमीटर दूर एक बड़े शहर में अपना व्यापारिक सफर चालू कर दिया था ।
बहुत बढ़िया लगा जो आपने इस अध्याय से आपने वही यादें फिर से ताजा करा दी ।
आप की देवनागरी लिपि पर अच्छी खासी पकड़ है । और साथ में भोजपुरी पर भी । कहीं कहीं तो ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जिसे मैं भुल भी चुका था । आउटस्टैंडिंग अमर भाई ।
अमर की शादी गैबी से हो गई । उनकी सुहागरात भी हो गई । बड़े बुजुर्गो से आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया उन्होंने । गांव के सबसे बुजुर्ग ब्राह्मण एवं पुजारी से भी आशिर्वाद प्राप्त किया ।
सब कुछ बहुत ही खूबसूरती से लिखा आपने । खासकर बुजुर्ग ब्राह्मण के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेना । और उनका कहना कि मुझे अमर के मां के हाथों का बनाया हुआ अचार खाने की इच्छा है ।
भावविह्वल दृश्य था मेरे लिए ।
एक समय था जब मैं भी अपने दादाजी और उनके भाई से खुलकर बातें किया करता था । उनके पास बैठकर उनकी बातों सुनना बहुत अच्छा लगता था । वो बताते थे कि हमारे जमाने में तो कभी कभी दुल्हा अपनी दुल्हन को बहुत दिनों के बाद ही देख पाता था क्योंकि घर में और आंगन में मर्द या तो सिर्फ भोजन करने जाते थे या रात में सोने । और उन दिनों बिजली की व्यवस्था थी ही नहीं । रात्रि पहर में सिर्फ लालटेन ही प्रकाश का एकमात्र साधन हुआ करता था ।
इसमें कोई दो राय नहीं कि अमर के माता पिता काफी ज्यादा स्वछंद विचार के थे । उन्हीं का विरासत पाया अमर ने भी । सेक्स के मामलों में इतना अधिक खुलापन तो फिरंगियों में भी शायद नहीं होता होगा । दुनिया में ऐसे कौन मां बाप हैं जो अपने ही बेटे और बहू के सामने ही सेक्सुअल सम्बन्ध बनाए !
बहुत बहुत धन्यवाद भाई!सभी अपडेट्स बहुत बहुत बढ़िया था अमर भाई ।
कहानी रोमांटिक होकर भी इरोटिका का तत्व लिए हुए है ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट अपडेट्स ।
Meri toh bas yahi khwahish hai ki Sunil jald hi apni galti samjhe..mana ki uska pehla pyaar hai yeh leklekin Sunil ki yeh nadani bhi hai..jaise bahot se young bachho ka pehla pyaar koi teacher ya pados wali aunty hoti hai waise hi Sunil ka hai..aur yeh pehla pyaar kisi ko milta bhi nahi hai..Sunil jald se jald yeh baat samajh le toh achha hai..aur Suman hi usse yeh baat samjha de ki Sunil ko chahat thi ki Suman jaisi uski biwi ho lekin ab Suman akeli hai toh Sunil Suman ko hi pana chahta hai lekin yeh asambhav hai..kyunki pehli dono ka age difference aur most important baat yeh hai ki Suman ne Sunil ko apne bete ki tarah hi paal pos kar bada kiya hai toh woh kabhi aisa nahi karegi..aur Sunil apni nadani ko samajh kar apni zindagi me aage badhe kyunki usse abhi bahot duniya dekhni baki hai..toh Suman ko woh bas ek maa ki tarah hi dekhe na ki premika ki tarah aur apni job karne Mumbai chala jaye..waha Sunil ke liye koi na koi ladki milegi hi Jo uske liye bani hogi..!!भाई साहब -- आपकी बातें अपने स्थान पर ठीक हैं।
ऐसी बहुत सी कमियाँ हैं कहानी में जो गलत हैं।
बहरहाल, अब कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
साथ बने रहें। आनंद की पूरी गारंटी है![]()
भाई साहब, कहानी लिखने का यही तो आनंद है। पाठक अपने तरीके से पात्रों का जैसा चित्रण चाहें, कर सकते हैं।
bhai aur ek baat kehni thi bura mat manana..muze toh bas suman aur amar ka woh bond dekhna hai jo starting se tha jo ab kahi kho gaya hai..bahot time se unn dono ko ek sath dekhne ke liye aankhe taras gayi hai..!!Meri toh bas yahi khwahish hai ki Sunil jald hi apni galti samjhe..mana ki uska pehla pyaar hai yeh leklekin Sunil ki yeh nadani bhi hai..jaise bahot se young bachho ka pehla pyaar koi teacher ya pados wali aunty hoti hai waise hi Sunil ka hai..aur yeh pehla pyaar kisi ko milta bhi nahi hai..Sunil jald se jald yeh baat samajh le toh achha hai..aur Suman hi usse yeh baat samjha de ki Sunil ko chahat thi ki Suman jaisi uski biwi ho lekin ab Suman akeli hai toh Sunil Suman ko hi pana chahta hai lekin yeh asambhav hai..kyunki pehli dono ka age difference aur most important baat yeh hai ki Suman ne Sunil ko apne bete ki tarah hi paal pos kar bada kiya hai toh woh kabhi aisa nahi karegi..aur Sunil apni nadani ko samajh kar apni zindagi me aage badhe kyunki usse abhi bahot duniya dekhni baki hai..toh Suman ko woh bas ek maa ki tarah hi dekhe na ki premika ki tarah aur apni job karne Mumbai chala jaye..waha Sunil ke liye koi na koi ladki milegi hi Jo uske liye bani hogi..!!
यह क्या करवा दिया आपने avsji भाई ! एक लड़की जिसे अभी अभी ही खुशियां मिलना शुरू हुआ था कि उसे इस दुनिया से रुखसत करवा दिया । अपने परिवार से दूर , अपने देश से हजारों किलोमीटर दूर प्रेम की तलाश में यहां हमारे देश में आई और हमारे देश में ही उसकी समाधी बनवा दी ।
बेचारी को न ही कभी मां बाप का प्यार मिला और न ही किसी दोस्त का । जो कुछ लड़के दोस्त बनें भी तो वो उसके मात्र जिस्म भर से खेलने वाले ही मिले ।
प्रेम और पनाह की तलाश में इंडिया आई । मात्र साल भर का साथ मिला अमर का जब उसे कुछ खुशियां नसीब हुई । बहुत बहुत बुरा हुआ उसके साथ ।
इससे तो अच्छा होता कि आप यह दिखा देते कि वो अपने देश वापस चली गई । कुछ वीजा प्रोब्लम की वजह से उसे वापस ब्राजील जाना पड़ा ।
उसकी आकस्मिक निधन से मुझे बहुत ज्यादा दुःख हुआ । अमर की मनोदशा का हम बखुबी अनुमान लगा सकते हैं । मरने वाले तो चले जाते हैं लेकिन गमों का पहाड़ तो उनके चाहने वालों पर गिरता है ।
मुझे अभी भी याद है । उसका एयरपोर्ट पर बच्चियों की तरह उछलते कूदते अमर से लिपटना.... शादी के बाद ही सहवास की आरजू पालना.... गांव में उसका दुल्हन बनना.... 'यशोमती मैया से बोले नंदलाला ' गीत गाना.... प्रेगनेंट होने पर एक नन्ही बच्ची की तरह घबरा जाना ।
क्या ही कहूं भाई ! आपने मुझे इमोशनल कर दिया ।
मुझे गैबी के गर्भ में पल रहे बच्चे और काजल के जन्मे बच्चे की मौत से उतना दुःख नहीं है जितना गैबी के मौत से है ।
बच्चे अगर गर्भ में या जन्मते ही स्वर्ग सिधार जाएं तो वो दुख कुछ समय के लिए ही होता है । लेकिन बच्चे अगर थोड़े बड़े हो जाएं या जवान हो जाएं तब उनकी मृत्यु सालों सालों तक लोग नहीं भुला सकते । जिंदगी भर उनकी यादें हमें इमोशनल करते रहती है ।
पुरा चैप्टर ही काफी भावनात्मक रहा ।
अमर की दशा का बहुत ही बढ़िया विवरण दिया है आपने ।
पुरा अध्याय सुपर से भी उपर था ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट एंड
जगमग जगमग अपडेट्स ।