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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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Kala Nag

Mr. X
Prime
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काम में बहुत व्यस्त लग रहे हैं आज कल आप!
मेरी तो छोड़िए, आप अपनी कहानी पर भी नहीं आ पाते! खैर!!
हाँ बात एकदम सही है
जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि मैं एक राष्ट्रायत उद्योग में कार्यरत हूँ
और सितंबर सत्रह तारीख़ को बाबा विश्वकर्मा जी की पूजा है और मैं सेंट्रल पूजा कमेटी मेंबर्स में कंपनी के तरफ से प्रतिनिधि हूँ
जाहिर है कंपनी के काम के साथ साथ कमेटी का काम की देख रेख करना पड़ रहा है l इसलिए थोड़ा व्यस्त भी हूँ l
प्रेम में क्या अनैतिक हो सकता है, मुझे यह समझ नहीं आता।
बस उम्र के कारण? पता नहीं!
हाँ ना रीति ना नीति प्रेम के आगे कुछ भी नहीं
वह सोनू निगम का एक गाना है शायद सुनील बार बार अपनी दुल्हनिया को कह रहा है
मज़बूर भी कर रहा है

कुछ तुम सोचो..
कुछ हम सोचें
फिर खुशी का मौसम आए

तन्हा-तन्हा कौन जिया है
रहके तन्हा दिल घबराए
आजाओ मिलके
रिश्ता ये जोड़ें
शर्तें बदल दें,
रस्मो को तोड़े
इस्से पहले के ये दुनिया,
हमे आज़माए
होओ..
कुछ तुम सोचो..
कुछ हम सोचें
फिर खुशी का मौसम आए

आई है खुशियों का,
पेगाम लेके बहारें
येपल है अपना,
इस पल में आओ..
तक़दीर अपनी सँवारें
खाली-खाली इस जीवन में
प्यार भर ले हम तुम दोनो
दीवाने जो करते अक्सर
वोही करले हम तुम दोनो
इन फासलों को आओ मिटादे
इक दूसरे में खुद को छुपादें
इस्से पहले के ये दुनिया हमे आज़माए

होओ..
कुछ तुम सोचो कुछ हम सोचे
फिर खुशी का मौसम आए
दुनिया की रस्मो को..
चाहत में शामिल ना करना
मंज़िल हम अपनी पाके रहेंगे
हाँ तुम किसी से ना डरना
पागल रस्मे,
पागल दुनिया
और थोड़े हम तुम पागल
किस्मत में हो ना जाने क्या,
सोचते हैं बस ये हर पल
अरमान हैं जिसका सपना वो, बुनले
तुम हुमको चुनलो,
हम तुमको चुनले
इस्से पहले के ये दुनिया हमे आज़माए
होओ.. कुछ तुम सोचो कुछ हम सोचे
फिर खुशी का मौसम आए

धन्यवाद! चलो - कुछ पाठकों को तो समझा यह सब! :)
भाई इस में ना समझने वाली बात कहाँ से आ गई
माना यह थ्रेड कुछ अलग किस्म की है
पर आप जो लिख रहे हो
वह एक क्रांति है
दकियानूसी सोच पर कहीं चोट भी है
पर अच्छा है कम से कम किसी खुनी रिश्ते की झोल नहीं है
लेकिन यह रिश्ते बच कर निकलने वाले में शुमार नहीं है।
काजल सब कुछ छोड़ कर आई है अमर, आभा, और सुमन को सम्हालने।
और अब...
हाँ तभी तो उस गाने को थोड़ा एडिट कर लिखा है मैंने
धन्यवाद!
उम्मीद है है कि यह आपने 'सकारात्मक' रूप से कहा है! हा हा :)
हाँ सकारात्मक ही है
मैंने कहीं पढ़ा था
सेक्स इस द अल्टीमेट डाईमेनशन ऑफ लव
बाकी आप तो जानते हो ऐसे मामलों में कमेंट करने में और लिखने में मेरे हाथ बहुत तंग हैं

आप यह कभी ना भूलें आप मेरे पसंदीदा लेखकों में से एक हैं

प्रतीक्षा रहेगी अगली कड़ी का
 

KinkyGeneral

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avsji bhaiya, agle updates ka intezaar mushkil ho ra, pehle bhi badi mushkil se din guzaare thay jab suman maa ji k blouse khulne ka pata chala hai. Umeed hai ki aap jald hi agli peshkash karenge.
 
  • Love
Reactions: avsji

avsji

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हाँ बात एकदम सही है
जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि मैं एक राष्ट्रायत उद्योग में कार्यरत हूँ
और सितंबर सत्रह तारीख़ को बाबा विश्वकर्मा जी की पूजा है और मैं सेंट्रल पूजा कमेटी मेंबर्स में कंपनी के तरफ से प्रतिनिधि हूँ
जाहिर है कंपनी के काम के साथ साथ कमेटी का काम की देख रेख करना पड़ रहा है l इसलिए थोड़ा व्यस्त भी हूँ l

व्यस्त रहना अच्छी बात है भाई! :)
अपना ख़याल रखें! स्वस्थ रहें! प्रसन्न रहें!

हाँ ना रीति ना नीति प्रेम के आगे कुछ भी नहीं
वह सोनू निगम का एक गाना है शायद सुनील बार बार अपनी दुल्हनिया को कह रहा है
मज़बूर भी कर रहा है

कुछ तुम सोचो..
कुछ हम सोचें
फिर खुशी का मौसम आए

हाँ - न्यूटन का जड़ता का सिद्धांत काम आ रहा है यहाँ।
जब तक कोई बाहरी शक्ति आ कर नहीं लगती, तब तक हम अपने ढर्रे पर चलते रहते हैं। सुनील थोड़ा ज़ोर तो लगा रहा है, लेकिन मजबूर नहीं कर रहा है।
बिना ज़ोर लगाए सुमन अपने वर्तमान वाली जीवन पद्धति को छोड़ नहीं सकेगी। कम से कम उसके आने से सुमन को अपनी इच्छाओं को जीने की प्रेरणा तो जागी!

भाई इस में ना समझने वाली बात कहाँ से आ गई
माना यह थ्रेड कुछ अलग किस्म की है
पर आप जो लिख रहे हो
वह एक क्रांति है
दकियानूसी सोच पर कहीं चोट भी है
पर अच्छा है कम से कम किसी खुनी रिश्ते की झोल नहीं है

नहीं भाई! किराँती विराँती करने नहीं आए हैं यहाँ अपन :)
लेकिन इतना समझ आता है कि माँ बेटे के सम्बन्ध को ले कर यहाँ अधिक स्वीकृति है, बनिस्बत इसके कि कोई कम उम्र का व्यक्ति अपने से अधिक उम्र की महिला से सम्बन्ध बना सके! कमाल की बात है! रक्त संबंधों का यहाँ इतने चटख़ारे ले ले कर मखौल उड़ाया जाता है। वो तो संभव नहीं है मुझसे - फिलहाल।

लेकिन समझने वाली बात तो है ही। पात्रों के मन में क्या चल रहा है, उसी पर तो उनके एक्शन्स निर्भर करते हैं। हर पात्र की अपनी एक अलग सोच है।

हाँ तभी तो उस गाने को थोड़ा एडिट कर लिखा है मैंने

हाँ - अब ध्यान दिया!

हाँ सकारात्मक ही है

धन्यवाद भाई :)

मैंने कहीं पढ़ा था
सेक्स इस द अल्टीमेट डाईमेनशन ऑफ लव
बाकी आप तो जानते हो ऐसे मामलों में कमेंट करने में और लिखने में मेरे हाथ बहुत तंग हैं

हाँ - एक तरह से प्रेम की परिणति तो है सेक्स!
लेकिन वो अंत में है! विश्वास, आदर, प्रेम, सुरक्षा, और न जाने कौन कौन से भाव पहले आते हैं उसके।

आप यह कभी ना भूलें आप मेरे पसंदीदा लेखकों में से एक हैं

प्रतीक्षा रहेगी अगली कड़ी का

धन्यवाद मित्रवर! :)
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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avsji bhaiya, agle updates ka intezaar mushkil ho ra, pehle bhi badi mushkil se din guzaare thay jab suman maa ji k blouse khulne ka pata chala hai. Umeed hai ki aap jald hi agli peshkash karenge.

अरे यार! ये भी क्या बात हुई!
फिलहाल तो प्रेम प्रसंग का आनंद उठाइए!
कुछ समय दीजिए - अगली कड़ी पर काम चल रहा है :)
 

A.A.G.

Well-Known Member
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सुमन शायद अमर की मां है और सुनील शायद काजल का पुत्र ।
मैं अभी तक कहानी के इस पड़ाव तक नहीं पहुंच पाया हूं इसलिए कहानी और इन दोनों के सम्बन्धों पर अपनी कोई राय नहीं दे सकता ।
लेकिन अगर इन दोनों के बीच कोई रोमांस वगैरह हो रहा है तो क्या बुरा है ! प्रेम उम्र के दायरों में बंधी नहीं होती ।
और अगर दोनों के दरम्यान सिर्फ हवस ही है तो भी हमें क्या ! दो बालिग लोग अपने मर्जी से कुछ भी करें । हमें सिर्फ पढ़ना है और अपडेट्स के अनुसार अपनी राय देना है ।

रीडर्स का काम कहानी पढ़ना और गलत सही पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करना होता है । अपनी इच्छानुसार कहानी को बदलने के लिए राइटर्स पर अपनी मर्जी थोपना नहीं ।

अगर कोई सीन्स हमें पसंद नहीं तो हम उसे स्किप कर सकते हैं । मैंने कई बार ऐसा किया है । लेकिन कहानी का स्क्रिप्ट बदलने के लिए राइटर्स पर हमारा कोई अधिकार नहीं है । और होना भी नहीं चाहिए ।

A.A.G. भाई बहुत अच्छे रीडर है । उनका रिव्यू मुझे बहुत पसंद हैं । और मैं यह भी जानना हूं कि वो बहुत ज्यादा संवेदनशील इंसान भी हैं । कहानी के पात्रों के साथ गहराई से जुड़ जाते हैं । अगर किसी किरदार के कैरेक्टर में सच्चाई देखते हैं तो उसके लिए कभी बुरा नहीं सोचते है । बहुत सारे राइटर्स को अपने रिव्यू से मोटिवेट करते आए हैं । इसीलिए तो इन्हें बेस्ट रीडर्स का अवार्ड भी इस साल का मिल चुका है ।

मुझे विश्वास है वो एक राइटर्स के नजरिए से सोचेंगे तो उन्हें तस्वीर का दूसरा पहलू भी समझ में आ जायेगा ।

दुनिया विभिन्नताओं और विचित्रताओं से भरा हुआ है । यहां वो वो भी हो सकता है जिसके बारे में हम सपनों में भी नहीं सोच सकते । सुमन और सुनील का सम्बन्ध तो फिर भी समझने लायक है ।
bhai aapne meri reader ke taur pe sarahna ki bahot achha laga..dil se aapka shukriya..!! aur rahi meri baat toh mai iss kahani se dil se jud gaya hu..muze amar aur suman ke characters pehle se hi dilchasp aur pasandida lage hai..mai pehle se yahi sochta aaya tha ki inn dono ke bich kuchh aisa rishta hai jo aage chalkar dekhne ko milega..amar aur suman ka bond incest ban jata isliye mai aisa bol raha hu aisi baat nahi hai..mai incest bhi padhta hu aur adultery bhi..lekin aapne bhi padha hai starting se aur dekha bhi hoga ki amar aur suman ka bond hamesha maa bete se badhkar lagta hai..yeh meri iss kahani ko lekar soch hai..mai aapse yeh nahi kahunga ki aapki bhi yahi soch ho..!! lekin ab yeh sunil aaagya hai aur achanak se pyar ka ijhar kar raha hai aur sab suman ke dimag me shaadi ki baat daal rahe hai..yeh muze pasand nahi aaya..kyunki mai amar aur suman ke bich yeh bond dekhna chahta tha..lekin yeh maeri khwahish ya kaho soch hosakti hai aur maine amar aur suman ke liye comments iss part me hi kiye hai kyunki yaha sunil ka pehla pyaar ka part suru kar diya suman ke sath isliye..aur maine jo bhi comments kiye hai woh uss update ko madde najar rakhte huye hi kiye hai..lekin mai yeh kabhi nahi chahunga ki meri wajah se writer sahab pe koi pressure bane..matlab mai unpe apni marji thopne ka koi prayas nahi kar raha hu..mai bas apne vichar rakh raha hu..aur mai apni marji thopna kabhi nahi chahunga..aur agar writer sahab ko lag raha hai ki mai unpar apni marji thopne ka prayas kar raha hu toh mai yeh sunil wala part skip kar deta hu..mera amar ki tarah hi suman ke character se bahot lagav tha lekin ab suman aur sunil ke bich jo horaha hai uss wajah se suman ke character se woh lagav nahi raha hai..isliye mai iss part se dur hi rahunga kyunki writer sahab ko lag raha hai ki mai behes kar raha hu toh fir muzse kuchh galat ho raha hai..lekin mai bas itna kehna chahunga ki maine kabhi bhi unse behes karne ke liye comments nahi kiye hai..maine update ke anusar aur dil jo iss story se lagaw hai uss wajah se comments kiye hai..isliye ab jab tak yeh sunil ka chapter chalega tab tak story se duri banana hi achha hai..kyunki muze malum hai ki writer sahab suman aur sunil ko ek karne ka hi soch rahe hai..toh ab yeh muzse padha nahi jayega..iska matlab yeh nahi hai ki writer sahab achha nahi likhte..writer sahab bahot achha likhte hai aur unki likhne ki shaili bahot hi umda hai..bas ab majburi hai ki mai suman aur sunil ka rishta nahi padh paunga..isliye jab yeh khatam hoga tab padhna firse start kar dunga..lekin usme agar firse sunil aur suman ka jikr aaye toh firse duri bana lunga..!!
writer sahab se ek nivedan hai ki jab sirf amar ki life ka chapter suru hojaye jisme suman aur sunil ka jikr na ho..tab muze bata dijiyega..tab me firse story padhna chalu kar dunga..kyunki aapki sotry padhne ka alag hi maja hai..woh maja mai firse lena chahunga jab amar ki kahani suru hogi tab..!!
aur ek baat writer sahab ke liye ki mai unke writing ka bahot bada fan hu..toh firse jaldi mulaqat hogi..!! 🙏🙏🙏🙏
aur sanju bhai aapke reviews bhi bahot hi zabardast rehte hai..aapke reviews padhkar hi dil khush hojata hai..kuchh kuchh kahaniyon me maine sirf aapke reviews padhe hai..toh aise hi reviews dete rahiye..shukriya..!! 🙏🙏🙏🙏
 
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अध्याय - ४....... प्रकरण ४.२ विवाह ।

अंतिम तीन चैप्टर को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी चैप्टर्स अमर और देवयानी के विवाह और हनीमून पर ही आधारित था । आखिरी तीन चैप्टर्स में कुछ ऐसा था जिसका परिकल्पना हमने की ही नहीं थी ।
सबसे पहले तो बिजेंद्र लाल राय की बंगाली कविता से हमारा मन ही मोह लिया आपने । चूंकि लतिका बंगाली परिवार से ताल्लुक रखती थी तो उसका बंगला में ज्ञान अर्जित करना स्वाभाविक ही था ।
शादी बहुत ही सिंपल और साधारण तरीके से हुई जो मुझे बहुत पसंद आया । शादी ब्याह पर बेफिजूल खर्चे बहुत ज्यादा होते हैं । मध्यमवर्गीय परिवारों में लड़की वालों को इस खर्च से फाइनेंशियल प्रोब्लम तो होती ही होती है लड़कों वालों का भी अनाप शनाप खर्चा हो जाता है ।
मेरा भी यही मानना है शादी सिम्पल और साधारण तरीके से की जाए और बाद में एक भव्य रिसेप्शन आयोजित कर दिया जाए जिसका खर्चा लड़की और लड़का वाले आपसी सहमति से मिल बांट कर कर लें । कोर्ट मैरिज और फिर मंदिर में शादी सबसे बेहतर तरीका है आज के महंगाई के दौर में ।

मुझे यह भी बहुत अच्छा लगा कि उन्होंने शादी पिछली बार की तरह गांव में न करके शहर में ही करने का निर्णय किया । गैबी की यादें शादी के माहौल को गमगीन कर सकती थी ।

बहुत ही खूबसूरत तरीके से शादी वाला अध्याय लिखा था आपने । सुमन , जयंती और काजल का ड्रेस कोड एक ही था । वैसे भी तीनों हमउम्र ही तो थी ।
मुझे पता है पंजाबी फेमिली में शादी के अवसरों पर वाइन एक पसंदीदा पेय पदार्थ होता है । लड़कियां भी बड़े चाव से पीती है । जयंती का वाइन पीना मुझे जरा भी हैरान नहीं किया । मुझे विश्वास है देवयानी भी जरूर कभी कभार ड्रींक करती होगी ।

सुहागरात का भी अच्छा खासा शमां बांधा आपने । खासकर देवयानी का अपने पति का चरण स्पर्श करना । उम्र बड़ा होने का यह मतलब नहीं कि हम अपने संस्कार और परम्पराओं से दूरियां बना लें । महिलाओं का धर्म होता है अपने हसबैंड की इज्जत करना । बशर्ते पति भी अपना धर्म निभा रहा हो ।
" कभी कभी " मूवी यश चोपड़ा की एक बेहतरीन मूवी थी । मैंने यह फिल्म रिलीज के समय ही देखा था । सभी गीत शानदार थे खासकर" कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है ।"
उन दिनों फिल्मों में फुहड़ता नहीं होती थी । अश्लिलता भी यदि होता था तो वो सभ्य तरीके से । शशि कपूर और राखी जी का सुहागरात सीन्स उस दृश्य को सभ्य तरीके से दिखाने का उदाहरण मात्र ही था ।

वैसे बड़ी साली जयंती जी ने काफी बढ़िया नेग मांगा अमर बाबू से । जरूर इनके मन में भी कुछ रंगीन सपने पनप रहे होंगे ।

शादी के तुरंत बाद ही वो हनीमून मनाने अंडमान द्वीप चले गए । जगह , नो डाउट , काफी खूबसूरत है । यह जगह अंग्रेज सरकार के जमाने में काला पानी सजा काटने के लिए फेमस था । हनीमून और उनके सेक्सुअल सम्बन्ध बहुत ही बढ़िया रहा । इसी दरम्यान उनकी मुलाकात एक फ्रैंच जोड़े से होती है । मरी और गेल । एक मिडिल एज एंड स्मार्ट पेयर्स । गेल को देखते ही देवयानी की एक दबी हुई सेक्सुअल फैंटेसी जागृत हो जाती है । किसी दूसरे मर्द के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाना । भले ही सिर्फ एक बार के लिए क्यों न हो ।
यह आसान नहीं होता किसी भी पति पत्नी के लिए कहना कि वो दूसरे के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाना चाहते हैं । फैंटेसी पालना अलग बात है पर उस फैंटेसी का उजागर करना अलग ।
शायद यह इसलिए सम्भव हो पाया कि अमर और देवयानी के बीच कुछ भी पर्सनल छुपा हुआ नहीं था । एक दूसरे के सेक्सुअल रिलेशन का भी भान था उन्हें । सेक्स के बारे में उनकी सोच दकियानूसी नहीं थी ।
कुछ क्षण के लिए अमर भले ही असमंजस एवं उहापोह अवस्था में रहा लेकिन बाद में खुद को तैयार कर लिया । एक कारण यह भी था कि बदले में उसे गेल की खुबसूरत पत्नी मरी प्राप्त हो रही थी ।
पर जो भी हो शादी के तुरंत बाद ही ऐसा फैसला काफी डेयरिंग और रिस्की भरा था ।

वाइफ स्वैपिंग आधुनिक खयालात की पैदावार है । हो सकता है कि आज से हजारों लाखों साल पहले मनुष्य काफी स्वछंद और खुलेपन माहौल में अपनी जिंदगी गुजर बसर करते होंगे । लेकिन आज के तारिख में यह अब भी अवैध और असंवैधानिक माना जाता है । इसलिए ऐसे सम्बन्ध चोरी चुपके फलते फुलते है ।

एक जगह आपने अपने रिव्यू में ऋषि श्वेत केतु का जिक्र किया था । यह दिखाता है कि आप को पौराणिक कथाओं और धर्म के बारे में अच्छी खासी जानकारी है ।
आप ने सच कहा था कि ऋषि श्वेत केतु की वजह से ही सभ्य समाज पनपना शुरू किया और परिवारवाद का जन्म हुआ ।

सभी अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे अमर भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट एंड
जगमग जगमग ।
 
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अध्याय - ४....... प्रकरण ४.२ विवाह ।

अंतिम तीन चैप्टर को छोड़ दिया जाए तो बाकी सभी चैप्टर्स अमर और देवयानी के विवाह और हनीमून पर ही आधारित था । आखिरी तीन चैप्टर्स में कुछ ऐसा था जिसका परिकल्पना हमने की ही नहीं थी ।

वो इसलिए कि अपनी तो फितरत ही ऐसी है!
आया हूँ, तो कुछ तो अचम्भा करने वाला दे कर जाऊँगा!

सबसे पहले तो बिजेंद्र लाल राय की बंगाली कविता से हमारा मन ही मोह लिया आपने ।

😍

चूंकि लतिका बंगाली परिवार से ताल्लुक रखती थी तो उसका बंगला में ज्ञान अर्जित करना स्वाभाविक ही था ।

हाँ - लेकिन सिखाने वाली उसकी मम्मा थी!

शादी बहुत ही सिंपल और साधारण तरीके से हुई जो मुझे बहुत पसंद आया । शादी ब्याह पर बेफिजूल खर्चे बहुत ज्यादा होते हैं । मध्यमवर्गीय परिवारों में लड़की वालों को इस खर्च से फाइनेंशियल प्रोब्लम तो होती ही होती है लड़कों वालों का भी अनाप शनाप खर्चा हो जाता है ।
मेरा भी यही मानना है शादी सिम्पल और साधारण तरीके से की जाए और बाद में एक भव्य रिसेप्शन आयोजित कर दिया जाए जिसका खर्चा लड़की और लड़का वाले आपसी सहमति से मिल बांट कर कर लें । कोर्ट मैरिज और फिर मंदिर में शादी सबसे बेहतर तरीका है आज के महंगाई के दौर में ।

मध्यम-वर्गीय परिवारों की सबसे बड़ी दिक्कत उनका दिखावा ही है।
मेरी शादी के रिसेप्शन में ऐसे ऐसे लोग आए थे, जिनको मैंने अपने पूरे जीवन में कभी नहीं देखा।
खैर, भगवान ने बरकत दी है, इसलिए खर्च करने में बुरा नहीं लगा। फिर भी, दिल में टीस सी हुई, कि ख़ैरात में जा रहा है सब! 🤣

मुझे यह भी बहुत अच्छा लगा कि उन्होंने शादी पिछली बार की तरह गांव में न करके शहर में ही करने का निर्णय किया । गैबी की यादें शादी के माहौल को गमगीन कर सकती थी ।

जी!

बहुत ही खूबसूरत तरीके से शादी वाला अध्याय लिखा था आपने । सुमन , जयंती और काजल का ड्रेस कोड एक ही था । वैसे भी तीनों हमउम्र ही तो थी ।
मुझे पता है पंजाबी फेमिली में शादी के अवसरों पर वाइन एक पसंदीदा पेय पदार्थ होता है । लड़कियां भी बड़े चाव से पीती है । जयंती का वाइन पीना मुझे जरा भी हैरान नहीं किया । मुझे विश्वास है देवयानी भी जरूर कभी कभार ड्रींक करती होगी ।

ज़रूर ही!

सुहागरात का भी अच्छा खासा शमां बांधा आपने । खासकर देवयानी का अपने पति का चरण स्पर्श करना । उम्र बड़ा होने का यह मतलब नहीं कि हम अपने संस्कार और परम्पराओं से दूरियां बना लें । महिलाओं का धर्म होता है अपने हसबैंड की इज्जत करना । बशर्ते पति भी अपना धर्म निभा रहा हो ।

इस मामले में कई मत हो सकते हैं।
कई औरतें इसको पितृ-सत्तात्मक बोझ मान सकती हैं, और कई, इसको एक तरह का एम्पावरमेंट!
डेवी एम्पॉवर्ड वीमेन है! उसको अपने पति के सामने झुकने की ज़रुरत नहीं।
लेकिन सही मायने में प्यार वही है, जो उम्र, जाति, धर्म, भाषा, देश, समाज - इन सभी और अन्य भी - सीमाओं को लांघ जाए!
सच्चा प्यार एक तरह का transcendence होता है। वही दिखाया है। लेकिन कुछ पाठकों को रास नहीं आ रही ये बात! 😂😂

" कभी कभी " मूवी यश चोपड़ा की एक बेहतरीन मूवी थी । मैंने यह फिल्म रिलीज के समय ही देखा था । सभी गीत शानदार थे खासकर" कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है ।"
उन दिनों फिल्मों में फुहड़ता नहीं होती थी । अश्लिलता भी यदि होता था तो वो सभ्य तरीके से । शशि कपूर और राखी जी का सुहागरात सीन्स उस दृश्य को सभ्य तरीके से दिखाने का उदाहरण मात्र ही था ।

इसीलिए उस फिल्म का ज़िक्र है!

वैसे बड़ी साली जयंती जी ने काफी बढ़िया नेग मांगा अमर बाबू से । जरूर इनके मन में भी कुछ रंगीन सपने पनप रहे होंगे ।

जयंती का किरदार मुख्य नहीं है। लेकिन आवश्यक है।
बाद में समझ आएगा!

शादी के तुरंत बाद ही वो हनीमून मनाने अंडमान द्वीप चले गए । जगह , नो डाउट , काफी खूबसूरत है । यह जगह अंग्रेज सरकार के जमाने में काला पानी सजा काटने के लिए फेमस था । हनीमून और उनके सेक्सुअल सम्बन्ध बहुत ही बढ़िया रहा । इसी दरम्यान उनकी मुलाकात एक फ्रैंच जोड़े से होती है । मरी और गेल । एक मिडिल एज एंड स्मार्ट पेयर्स । गेल को देखते ही देवयानी की एक दबी हुई सेक्सुअल फैंटेसी जागृत हो जाती है । किसी दूसरे मर्द के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाना । भले ही सिर्फ एक बार के लिए क्यों न हो ।
यह आसान नहीं होता किसी भी पति पत्नी के लिए कहना कि वो दूसरे के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाना चाहते हैं । फैंटेसी पालना अलग बात है पर उस फैंटेसी का उजागर करना अलग ।
शायद यह इसलिए सम्भव हो पाया कि अमर और देवयानी के बीच कुछ भी पर्सनल छुपा हुआ नहीं था । एक दूसरे के सेक्सुअल रिलेशन का भी भान था उन्हें । सेक्स के बारे में उनकी सोच दकियानूसी नहीं थी ।

जैसा कि मैंने कहा - सच्चा प्यार एक तरह का transcendence होता है।

कुछ क्षण के लिए अमर भले ही असमंजस एवं उहापोह अवस्था में रहा लेकिन बाद में खुद को तैयार कर लिया । एक कारण यह भी था कि बदले में उसे गेल की खुबसूरत पत्नी मरी प्राप्त हो रही थी ।
पर जो भी हो शादी के तुरंत बाद ही ऐसा फैसला काफी डेयरिंग और रिस्की भरा था ।

हाँ! वो तो है!

वाइफ स्वैपिंग आधुनिक खयालात की पैदावार है । हो सकता है कि आज से हजारों लाखों साल पहले मनुष्य काफी स्वछंद और खुलेपन माहौल में अपनी जिंदगी गुजर बसर करते होंगे । लेकिन आज के तारिख में यह अब भी अवैध और असंवैधानिक माना जाता है । इसलिए ऐसे सम्बन्ध चोरी चुपके फलते फुलते है ।

हमारा समाज बहुत खुला हुआ था। उसकी सोच बड़ी व्यापक थी।
लेकिन मध्य युग में ऐसा बट्टा लगा हमारी सोच को, कि अभी तक उस कचरे-नुमा सोच के बोझ को ढो रहे हैं!

एक जगह आपने अपने रिव्यू में ऋषि श्वेत केतु का जिक्र किया था । यह दिखाता है कि आप को पौराणिक कथाओं और धर्म के बारे में अच्छी खासी जानकारी है ।

बस भाई - थोड़ा बहुत पढ़ लेते हैं! :)
A.A.G. भाई के objection को आपने देखा ही।
लेकिन हमारी प्राचीन कथाओं में सुमन-सुनील से मिलती कहानी है। मायावती और प्रद्युम्न की।
पढ़िएगा कभी! प्राचीन घटनाओं की पुनरावृत्ति क्यों नहीं हो सकती?

आप ने सच कहा था कि ऋषि श्वेत केतु की वजह से ही सभ्य समाज पनपना शुरू किया और परिवारवाद का जन्म हुआ ।

सभी अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे अमर भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट एंड
जगमग जगमग ।

बहुत बहुत धन्यवाद! :)
 
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A.A.G.

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A.A.G. भाई के objection को आपने देखा ही।
लेकिन हमारी प्राचीन कथाओं में सुमन-सुनील से मिलती कहानी है। मायावती और प्रद्युम्न की।
bhai please suman sunil ko mayawati aur pradyuman ki kahani se compare na hi karo toh achha hai yaar..sunil sirf mouke ka fayda utha raha hai..aur suman ke dimag se itne logo ne khela hai ki woh sunil ko fayda uthane de rahi hai..mai aisa isliye kahunga ki amar ke maa baap ne sunil ko bete ki tarah hi bada kiya lekin sunil suman ko nangi dekhne ke baad hi uske vichar suman ke prati badal aur amar ke baap ke marne ke baad usse suman ke sath hone ka chance mil gaya..aur iss chance ka woh fayda utha raha hai..yaha pe aap suman aur sunil ka blood relation nahi hai isliye inka rishta dikha rahe hai..lekin agar sunil ko bete ki tarah pala hai toh woh bhi amar ki tarah beta hi huva na..blood relation ka yaha koi role hi nahi hota fir beta beta hota hai..waise dekha jaye toh suman amar ki taraf pehle ek aurat ki tarah attract bhi hochuki thi jab gaby thi..sunil ko toh suman hamesha beta hi manti aayi thi..lekin ab achanak se aap sunil aur suman ke bich dikha rahe hai toh unko mayawati-pradyuman se compare na kare toh achha hai..kyunki koi comparison banta hi nahi..sunil ka pehla pyaar bolkar suman pe yeh rishta thopa ja raha hai aur suman bhi itni logo ki baate sunkar ab usne bhi virodh karna band kar diya hai..!!
 
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प्रकरण - ४ & ५...... अनुभाग - " अनमोल तोहफा " और " त्रिशूल "

अनमोल तोहफा के बाद ये कैसा त्रिशूल घोंप दिया आपने भाई ! एक बार फिर से हमारे दिल को छलनी कर दिया आपने ।
देवयानी और अमर के पिता जी की मौत हजम ही नहीं हो रहा है मुझसे । इतने कम उम्र में ही मौत !

पहले गैबी की मौत फिर देवयानी की मौत और फिर पिताजी की मौत । इसके अलावा गैबी के गर्भ में पल रही बच्चे की मौत और काजल के नवजात शिशु की मौत ।
इतना दर्द चंद सालों के भीतर ही कैसे कोई बर्दाश्त कर सकता है ! क्या बीत रहा होगा अमर पर !
मुझे समझ ही नहीं आ रहा है कि इस घड़ी को कैसे व्यक्त करूं !

कितना अच्छा लग रहा था कि देवयानी ने एक लक्ष्मी को जन्म दिया था । कितना अच्छा महसूस हो रहा था कि फ्रांस में भी मरी ने अमर के बच्चे को जन्म दिया ।
कितना बढ़िया लग रहा था ....अमर के मां बाप , देवयानी की बहन डैडी , काजल और उसके बच्चे सभी लक्ष्मी आने की खुशियां मना रहे थे । पर्व त्यौहार मना रहे थे ।
अमर और देवयानी का फ्रांस जाना और गेल - मरी और नन्हें बालक राॅबीन के साथ छुट्टियां मनाना.... मानवता का रिश्ता कायम करना... एक दूसरे के बच्चे का अभिभावक बनना... उसके बाद दोनों पति पत्नी का आस्ट्रेलिया जाना.....सब कुछ कितना प्यारा एहसास था ! ऐसा लगता था जैसे भगवान ने इनके जीवन में अब सिर्फ खुशियां ही खुशियां देनी है ।

लेकिन उन्हें क्या पता था कि खुशियों के पल क्षणभंगुर होते हैं । इंसान का असल साथी दुख ही होता है ।

देवयानी की मौत और उसके मौत से पहले उसकी भावभंगिमा मुझे आहत कर गई । सिर्फ छत्तीस साल की उम्र में ही स्वर्ग सिधार गई । लेकिन मुझे खुशी है कि वो अपनी मृत्यु से पहले तक एक जिंदादिल इंसान बनकर रही । छोटी सी उम्र में ही वो सब हासिल की जो उसने ख्वाइश की थी । मान सम्मान , धन दौलत , अच्छी नोकरी , अच्छा हसबैंड , एक प्यारी बच्ची , कुछ सेक्सुअल फैंटेसी , विदेश भ्रमण , अच्छी बहन , अच्छे सास ससुर , काजल जैसी फ्रैंड , दोस्त जैसे पिता....सब कुछ मिला उसे ।
मधुबाला जी की भी मौत एक बिमारी की वजह से मात्र छत्तीस वर्ष में ही हो गई थी । अपने कम उम्र में ही उन्होंने वो मुकाम हासिल कर लिया था जो हर किसी के वश में नहीं होता ।

अमर के डैड की मृत्यु भी हार्ट अटैक की वजह से हो गई और कारण कहीं ना कहीं देवयानी की आकस्मिक मौत ही रही होगी ।
इनकी भी उम्र अभी मरने की नहीं थी । दुःख तो बहुत होता है लेकिन हम और कर भी क्या सकते हैं ! मौत ऊपर वाले के हाथ में होता है । नशेड़ी भंगेडी को सौ साल जीवन दे दे और जिसने कभी नशा या खराब भोजन ही नहीं किया हो उसे अल्पायु में ही उठा ले !

आज ही मैंने कोमल रानी के एंटरटेनमेंट थ्रिड पर सुर्यकांत निराला जी के लिए एक पोस्ट किया है । तीन वर्ष की आयु में उनकी मां का देहांत हो गया । बीस वर्ष की आयु में पिता का छत्रछाया उठ गया । प्रथम विश्व युद्ध के समय भीषण महामारी की वजह से उनकी पत्नी , बेटी , भाई , भाभी और चाचा का निधन हो गया । आर्थिक स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब । फिर भी आजीवन लोगों की मदद करते रहे और अपने दर्द भरी कविताओं से हमारे आंखों में पानी लाते रहे ।
प्रेरणा देती है ऐसे महापुरुष की जीवनी।

सभी अपडेट्स बहुत ही सुन्दर थे अमर भाई । यह ऐसी कहानी है जहां अब तक दुःख ही ज्यादा देखा है मैंने ।
हिंदी आप की तो बेहतरीन है ही ।
अगर हम अपनी भावनाएं किसी अन्य भाषा में व्यक्त करते हैं तो वो ह्रदय से नहीं बल्कि दिमाग से व्यक्त होता है जिसमें आपकी भावनाओं की मृत्यु हो जाती है । अपनी मातृभाषा और अपनी मिट्टी से हमेशा जुड़े हुए रहना चाहिए ।

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