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असाधारण*अरे साधारण सी कहानी है
अरे बहुते ग़ज़ब भैया।इसलिए सोचा कि यहाँ कुछ लिख दूँ! वैसे भी फिलहाल तो सुनील-सुमन ही सेक्सुअली एक्टिव जोड़ा हैं इस कहानी में।
प्रेम कब , किस से और कैसे हो जाए , कोई नही जानता। जगजीत सिंह की एक गजल है - " ना उम्र की सीमा हो , ना जन्म का हो बन्धन , जब प्यार करे कोई , तो देखे केवल मन"
लतिका के दिल मे प्रेम के फल अंकुरित अवश्य हो रहे है और यह जरूर थोड़ा अटपटा सा हो सकता है लेकिन इस मे कोई अपवित्रता या अप्राकृतिक नही है।
उसका संस्कार काजल , सुमन और अमर के सानिध्य मे विकसित हुआ। वो बचपन से ही अच्छे लोगों के सम्पर्क मे रही। और शायद इसीलिए जब मुंबई मे स्थाई रूप से सैट होने की बात उठी तो उसने बुजुर्ग ससुर जी के भविष्य मे आने वाले प्रॉब्लम की बात कह दी।
इसका मतलब यह नही हुआ कि अमर को अपने बूढ़े ससुर जी की कोई परवाह थी ही नही। वो हरगिज ही उन्हे अपनी साली या उन्ही के रहमोकरम पर नही छोड़ता।
कभी-कभार कुछ चीजें दिमाग से जरूर उतर जाया करती है लेकिन ऐन वक्त पर वो चीजे याद आ जाती है।
मुझे सबसे बढ़िया लगा कि लतिका और आभा दोनो बच्चे अधिकतर समय बुजुर्ग के साथ समय व्यतीत करती है। उम्र के चौथे पड़ाव मे जब इंसान अकेलापन महसूस करने लगे , पत्नी छोड़कर परलोक सिधार जाए , बच्चे शादी-ब्याह कर अपने अपने क्षेत्र मे व्यस्त हो जाए तब उस इंसान की मनो स्थिति और शारीरिक स्थिति कैसी होगी , आकलन करने मात्र से ही जी घबराने लगता है। लतिका और आभा ने बहुत बहुत बढ़िया काम किया है। हर बुजुर्ग चाहता है कि कोई तो हो जो उसके साथ बैठकर थोड़ी बाते करे ! कोई तो हो जिसके साथ रहकर अपने दिल के बोझ को हल्का करे !
खैर , सुमन की पारखी नजरों ने लतिका के चरित्र मे आए बदलाव को पकड़ ही लिया। और सुनील को भी इस बदलाव से खुशी ही हुई।
अर्थात अब सिर्फ अमर को इस बदलाव से गुजरना है । अब देखना यह है कि अमर के दिल मे स्वयं ही लतिका के प्रति कुछ बदलाव आता है या किसी के कहने पर !
बहुत बहुत खुबसूरत अपडेट अमर भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग।
Too erotic..and very natural.
Universal truth of every couple having love making beside sleeping kidsand whispering each other.
avsji भाई एक नए प्रेम कहानी की पृष्ठभूमि प्रस्तुत हो रहा है
पिता पुत्र माता पुत्र वात्सल्य प्रेम सब कुछ और तो और परिणय समय पुत्र का संज्ञान में होना
हर क्षण और मुहूर्त को अपने कैमरा में यादों के लिए कैद कर लेना
अंत में लतिका का अपनी उम्र से भी आगे निकल कर सयानी भरी बातेँ करना
अद्भुत था सच कहूँ तो यह छटा अपडेट बहुत ही ज़बरदस्त और सुंदर था
प्रेम में सेक्स अंतिम पड़ाव होता है या होना चाहिए
सर्व प्रथम एक दुसरे के प्रति इज़्ज़त और सम्मान होना चाहिए
आज लतिका ने जो किया अमर के दिल में उसके लिए सम्मान हिमालय के समान हो गया है l
और निसंदेह यह तो मैं जानता ही हूँ लतिका मन ही मन अमर को अपना मान चुकी है
बस उसकी मन को अमर पढ़ेगा और उसी सम्मान के साथ उसे सिर्फ स्वीकारेगा
जब दोनों की प्रेम उनके अपनों के समक्ष जाएगा तब कैसे सम्बंध पर मोहर लगेगा
वैसे यह घटना आने से पहले प्रेम निवेदन, प्रेम प्रकाश.,प्रेम स्वीकार पर्व होगा
रोमांटिक क्षण भरी कहानियाँ हमेशा मेरे प्रिय रहे हैं
आप इन मामलों में बेहतरीन हैं
प्रतीक्षा रहेगी अगली अपडेट के लिए
जहां तक मुझे याद है , पिछले साल भी USC का रिजल्ट शायद दो महीने के आसपास आया था। एक बार तो शायद तीन महीने बाद आया था।संजू भाई साहब - कैसे हैं आप? USC में विजेताओं में से आपका नाम देख कर अच्छा लगा।
लेकिन जैसा मैंने कहा था - मेरे लिए तो वो नीरस प्रयोजन ही रहा।
मेरे लिए ही क्या, प्रथम विजेता और उसके मित्रों को छोड़कर सभी के लिए भी! इसीलिए समय निर्धारित रहना आवश्यक है! खैर...
सत्य ही है - प्रेम में किस बात की सीमा? आप ही धर्म है और आप ही ईमान है इश्क
जो स्वयं ही धारण करने योग्य है, ऐसा होता है प्रेम! और मोहब्बत के इस सफर में तो बस प्रेम ही प्रेम है।
बिल्कुल भी नहीं।
लतिका (भाभी) का किरदार और व्यवहार इस कहानी के मुकाबले भी (असल जीवन में) बहुत अच्छा है।
छुपाने का कोई मतलब नहीं - अमर भाई साहब (असली वाले) की पत्नी ये ही हैं। मुझे, अंजली और दोनों बच्चों को इनसे इतना प्रेम मिलता है कि क्या कहें!
इनके कारण ही परदेस में घर जैसे फीलिंग आती रही। जब हमको इतना प्रेम मिल सकता है उनसे, तो ससुर जी को तो बहुत ही मिलेगा - इसमें कोई संदेह ही नहीं।
परवाह तो थी, लेकिन पहले अपडेट में मैंने बताया था कि ससुर जी ने जब अमर से कह दिया कि वो आगे की सुध लें, तो वो लेने लग गए।
जी भाई! मनुष्य अपनी संतान की संतानों में "ब्याज" देखता है।
संतान "मूल-धन" होती है और उसकी संतान "ब्याज"! ब्याज अधिक प्रिय होता है
अमर के ससुर जी अपनी समधन को अपनी बेटी मानते हैं। उस हिसाब से लतिका और आभा तो समझिए उनके लिए किसी ख़ज़ाने समान ही हैं।
कोई ऐसे ही अपनी कंपनी में किसी और के बच्चों के नाम मिलकियत नहीं बना देता।
हाँ - सुमन/सुनील/काजल की तरफ से इस मामले में कोई रूकावट नहीं होनी है।
अमर के ही मन में कोई फाँस है, जो निकालनी है।
वो कैसे निकलती है, बस अब यही कहानी शेष है
बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहेब!![]()
जहां तक मुझे याद है , पिछले साल भी USC का रिजल्ट शायद दो महीने के आसपास आया था। एक बार तो शायद तीन महीने बाद आया था।
यह कोई बड़ा इशू नही था। रिजल्ट देर-सवेर तो आना ही था।
यह बात अलग है कि रिजल्ट से कौन संतुष्ट है और कौन असंतुष्ट ।
इस फोरम पर बहुत लोग मेरे दोस्त है। सभी के साथ मेरा रिलेशन अच्छा है। इसलिए रिजल्ट पर प्रश चिन्ह उठाना मेरे लिए सही नही होगा।
लेकिन यह जरूर कहूंगा " बन्नो " कहानी भी इनाम के लिए डिजर्व करती थी ।
पहली बार मोस्ट लाइक और मोस्ट कमेन्ट वाले स्टोरी पर भी अवार्ड दिया गया और इसकी डिमांड मै पिछले साल से कर रहा था।
और यह बहुत अच्छी बात है कि लूसी सर ने आखिरकार मेरे राय पर अपनी मोहर लगा दी।
वैसे इस कांटेस्ट मे Valentine rider , Riky0007 , Shetan madam , Sanki Rajput, Adirshi bhai ने सबसे अधिक मेहनत किया। ये सभी बधाई के पात्र है।