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Romance मोहब्बत का सफ़र [Completed]

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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प्रकरण (Chapter)अनुभाग (Section)अद्यतन (Update)
1. नींव1.1. शुरुवाती दौरUpdate #1, Update #2
1.2. पहली लड़कीUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19
2. आत्मनिर्भर2.1. नए अनुभवUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3. पहला प्यार3.1. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह प्रस्तावUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9
3.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21
3.3. पल दो पल का साथUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
4. नया सफ़र 4.1. लकी इन लव Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15
4.2. विवाह Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
4.3. अनमोल तोहफ़ाUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6
5. अंतराल5.1. त्रिशूल Update #1
5.2. स्नेहलेपUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10
5.3. पहला प्यारUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24
5.4. विपर्ययUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18
5.5. समृद्धि Update #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20
6. अचिन्त्यUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5, Update #6, Update #7, Update #8, Update #9, Update #10, Update #11, Update #12, Update #13, Update #14, Update #15, Update #16, Update #17, Update #18, Update #19, Update #20, Update #21, Update #22, Update #23, Update #24, Update #25, Update #26, Update #27, Update #28
7. नव-जीवनUpdate #1, Update #2, Update #3, Update #4, Update #5
 
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Tiger 786

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पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव - Update #2


गौर करने वाली बात है कि उसे अपने घर पर फोन किए हुए कोई दो महीने हो चुके थे! उसकी पढ़ाई के साथ बहुत व्यस्त बहुत होने, और अपनी कॉलों पर मिलने वाली बिलकुल शुष्क प्रतिक्रिया के कारण शनैः शनैः, गैबी की घर पर फ़ोन करने की संख्या कम होती गई। और वो और, उसको इस बात पर भी आश्चर्य होता कि आज तक ब्राज़ील से उसके लिए कभी कोई कॉल नहीं आया। क्या उसके घर वाले उसे याद नहीं करते? चलो, कॉल नहीं तो न सही, लेकिन ई-मेल तो किया ही जा सकता था! वो सुविधा तो उपलब्ध है आज कल! लेकिन वो भी नहीं। आमतौर पर हम उम्मीद करते हैं कि इतने लंबे समय के बाद अपने बच्चों की आवाज़ सुनने पर उसके माता-पिता खुश होंगे। लेकिन गैबी के माता-पिता नहीं! उनके साथ अच्छी बातचीत करने या उनसे अपनी सगाई और अपने होने वाले विवाह पर किसी प्रकार की सुखद प्रतिक्रिया प्राप्त करने की गैबी के मन में जो भी थोड़ी बहुत आशा थी, वह लगभग तुरंत ही फीकी पड़ गई।

अबसे पहले तो उसकी माँ ने इतने लंबे अंतराल के बाद कॉल करने के लिए उसे लताड़ा, और वो बात जल्दी ही आरोप और प्रत्यारोप में बदल गई। कौन कॉल कर सकता था, अगर दूसरा नहीं कर सकता था इत्यादि। यह बहस जल्दी ही बदसूरत होना शुरू हो गई, और इससे पहले कि उनकी बहस उबलने लगती, मैं बीच कूद गया। मैंने आज से पहले कभी गैबी की माँ से बात नहीं की थी।

“हेलो मिसेज़ सूसा!” मैंने मुस्कुराते हुए बात करने की कोशिश की।

बड़ी गलती हो गई! उनसे बात नहीं करी थी, तो आज भी नहीं करनी चाहिए थी।

“ओह ... अच्छा तो आज कल तू इसको रखे हुए है!” गैबी की माँ ने बड़े तिरस्कार से मुझे चिढ़ाते हुए कहा।

हे भगवान! ये कैसी घटिया औरत है! दिल से घटिया, मन से घटिया, और भाषा में भी घटिया!! क्या गैबी जैसी सभ्य लड़की, सच में उसकी बेटी हो सकती है?

“माफ़ कीजिए?”

“तुम इंडियंस को गोरी चमड़ी इतनी पसंद आती है, कि उसके लिए तुम कुछ भी करोगे? हह!”

मैं चौंक गया। क्या यह औरत पागल हो गई है!? इतना घटियापन! इतनी नीचता! वो भी अपनी ही बेटी को ले कर!

“क्या कह कर अपने पास रखे हो उसको? क्या वायदा किया है? घर का? पैसों का? ताकि तुम हर दिन उसको चोद सको?”

(यह सभी बातें अंग्रेजी में बोली गईं थीं - और उनके अंदाज़ में उतना ही या उससे अधिक घटियापन था, जितना यहाँ पढ़ने में लग रहा है)

हे प्रभु! ये औरत कैसा बकवास कर रही थी! मैंने कई सारे घटिया, और ओछे लोग देखें हैं, लेकिन गैबी की माँ एक अलग ही दर्ज़े की घटिया औरत लग रही थी। अब मैं उसकी गन्दगी और नहीं ले सकता था। गैबी पहले ही रोने लगी थी। हमारे सारे के सारे खुशनुमा माहौल का पूरा सत्यानाश हो गया था! कितना परफेक्ट दिन जा रहा था आज का! और इस औरत ने उस पर ज़हर डाल दिया।

“एक मिनट! एक मिनट!” मेरी आवाज़ अचानक ही ऊँची और कड़क हो गई - आज तक मैंने किसी भी औरत से इस तरह से बात नहीं करी थी, “आप ऐसी गंदी, ऐसी घटिया औरत हैं कि मैं सोच भी नहीं सकता था! मैं आपकी इन वाहियात बातों को सुनने के लिए एक मिनट भी खड़ा नहीं हो सकता। मुझे आश्चर्य है कि गैबी आपको अभी तक बर्दाश्त कैसे करती आई है! आज आपसे बात करी है, लेकिन आप जान लें, कि मेरी आपके साथ यह आखिरी बातचीत है। गैबी केवल इतना चाहती थी कि वो आपको हमारी सगाई, और होने वाली शादी के हमारे फैसले के बारे में आपको बता सके। आप मुझे सुन रही हैं न? समझ आ रहा है न? हम शादी कर रहे हैं - हाँ, गैबी और मैं! मुझे लगा कि यह खबर आपके घटिया से जीवन के लिए कुछ अच्छा कर सकती है। इसलिए हम यह खबर आपसे शेयर करने लगे। लेकिन शायद मैं ग़लत था!”

मैंने आवेश में आ कर न जाने क्या क्या कहा, और सब कुछ कह कर, फोन काट दिया।

गुस्से, अविश्वास, और अपमान से मेरा सर घूम रहा था। मैं अभी तक गैबी के घर के नकारात्मक माहौल की केवल कहानियाँ ही सुन रहा था, लेकिन आज जब मैंने खुद उस नकारात्मकता से सामना किया तो उस जहर की मात्रा की थाह ही नहीं ले पाया! आखिर उसकी माँ की समस्या क्या थी? अगर गैबी के जीवन में कुछ अच्छा हो रहा था तो वो उसके लिए खुश क्यों नहीं हो सकती थी?

मैंने गैबी की तरफ देखा - वो बेकाबू होकर रो रही थी। वो अपनी माँ के अशिष्ट व्यवहार के लिए मुझसे क्षमा याचना कर रही थी। उस बेचारी का, उस घटिया औरत के व्यवहार के लिए क्या दोष? मैंने गैबी को अपने आलिंगन में लिया, और उसे शांत करने की कोशिश करने लगा। गैबी को शांत करने में मुझे बहुत समय और प्रयास लगा। लेकिन अंततः, वो कम से कम बाहर से शांत हो गई। लेकिन मुझे मालूम था कि वो अंदर ही अंदर रो रही थी। मैं उसको स्वांत्वना देने के लिए, उसको आलिंगनबद्ध किये ही उसके बालों को सहलाता रहा, और रह रह कर उसको चूमता रहा, और उसको शांत करने के लिए प्रेम भरे शब्द बोलता रहा। वो कितनी शांत हुई, कहना तो मुश्किल है, लेकिन मुझे थोड़ी राहत हुई जब मैंने देखा कि वो मेरे बाहों में ही सो गई। चलो, कम से कम कुछ शांति तो मिलेगी! मैंने देखा कि उसकी बाहों पर रोंगटे खड़े हो गए थे। आज कल हवा में ठंडक थोड़ी बढ़ रही थी। नवंबर बीत रहा था। मैं कुछ देर उसको ऐसे ही, अपनी बाहों में लिए रहा, ताकि गैबी गहरी नींद में सो जाए। जब वो गहरी गहरी साँसे भरने लगी, तब मैंने चुपके से गैबी को अपनी बाँहों में उठाया, और उसको अपने कमरे में ले गया। वहां मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसको कंबल से ढक दिया।

काजल उस रात घर कुछ देर से आई। जब उसने कॉल-बेल दबाई, तो गैबी चौंक कर उठ गई, और जोर-जोर से रोने लगी। मैंने दरवाज़ा खोला और जब काजल अंदर आई तो उसने गैबी का रोना सुना, और उसको चिंता हुई।

“क्या हुआ दीदी को?” उसने पूछा।

“कुछ नहीं। वो बस चौंक कर उठ गई है। बस इतना ही …”

काजल ने मुझे शक वाली नज़र से देखा। मेरे जवाब ने उसको शांत नहीं किया। वो सीधा मेरे कमरे में घुस गई। अंदर गैबी को एक नज़र देखते ही वो व समझ गई कि गैबी बहुत रोई थी। उसकी आँखें रोने से सूज गई थीं; उसके आँसू उसके नाक और गालों पर सूख गए थे। ये सब निशान किसी और ही तरफ संकेत कर रहे थे। मैं कमरे के अंदर नहीं गया; मैं पहले से ही उदास था, और गैबी को और रोते नहीं देखना चाहता था। लगभग दस या पंद्रह मिनट के बाद, काजल कमरे से बाहर आई और मुझे खतरनाक नजर से देखने लगी।

“तुमने उसके साथ क्या किया? उसको मारा है?” आज तक काजल ने मुझसे ऐसे बात नहीं करी थी।

“मारा? अरे नहीं काजल। मैंने आज गैबी को ‘प्रोपोज़’ किया था, और वो अपनी मम्मी को इसके बारे में बताना चाहती थी। लेकिन उन दोनों का झगड़ा हो गया, इसलिए गैबी दुखी है।”

“ओह…” काजल ने कहा, और फिर कुछ पलों के बाद उसे होश आया कि मैंने क्या कहा, “क्या? तुमने दीदी को प्रपोज किया? वाह! वाआआआआह!!!”

काजल स्पष्ट रूप से खुश थी। बहुत खुश! उसने मुझे किलकारी मारते हुए अपने गले से लगा लिया और मुझे कई बार चूमा। अंत में, वह खुशी-खुशी रसोई में अपना काम करने चली गई। गैबी उस समय तक उठ कर, बिस्तर से बाहर आ गई, और उसने काजल को मुझे चूमते हुए देख लिया। मैंने जब गैबी को उठा हुआ देखा तो उसका हाथ थाम कर, बाहर बालकनी में उसके साथ बैठ गया।

“गैबी, आई ऍम सॉरी, कि मैंने तुम्हारी माँ के साथ बदतमीज़ी की।”

“ओह! नहीं डार्लिंग! तुम सॉरी मत कहो। उनको तुमसे जो मिला, वो उसी के लायक है। उनको तुमसे इस तरह बात करने का कोई अधिकार नहीं है। मैं तुमको और तुम्हारे स्वभाव को जानती हूँ। सॉरी तो मुझको कहना चाहिए - क्योंकि मेरे कारण.... मेरी मम्मी के कारण तुमको ठेस पहुँची है। तुम्हारी बेइज़्ज़ती हुई है। इसलिए आई ऍम सॉरी!”

“मेरी गैबी! कृपया सॉरी मत कहो। आई ऍम योर फॅमिली नाउ! माँ और डैड दोनों ही तुमसे इतना प्यार करते हैं। तुमको तो वो अपनी बेटी ही मानते हैं।”

“यस, माय लव! मैं भी उनसे बहुत प्यार करती हूँ। माँ मुझसे बहुत प्यार करती हैं। डैड भी उतना कहते नहीं, लेकिन उनका सारा प्यार उनकी आँखों में दिखता है! और तुम बिलकुल सही हो, अब तुम सब ही मेरा परिवार हो… और मैं बहुत खुश हूँ - यह बात मैं जितनी बार भी कहूँ, कम है! सच में!!”

मैंने उसकी इस बात पर उसको चूम लिया! हम दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को चूमते रहे। जब हम अंत में हमने अपना चुम्बन तोड़ा, तो गैबी ने पूछा,

“हनी, क्या तुमने काजल दीदी के साथ सेक्स किया है?”

यह बात गैबी ने केवल पूछने के इरादे से कही थी। उसमे कोई शिकायत नहीं थी। उसके चेहरे पर कोई उद्विग्नता नहीं थी। न कोई ईर्ष्या। वो बस जानना चाहती थी, तो मैंने भी गैबी को काजल और मेरे सम्बन्ध के बारे में सब कुछ सच सच बताने का निर्णय लिया।

“नहीं यार, सेक्स तो नहीं किया। लेकिन काजल ने मुझे इतनी बार नंगा देखा है, कि अब मेरे पास उससे छिपाने के लिए कुछ नहीं है।”

वह समझ रही थी कि मैं क्या कह रहा था, लेकिन फिर भी उसने मुझे चिढ़ाया, “हाँ हाँ! अब तुम इतने भी सीधे नहीं हो!” उसने मजाक में टिप्पणी की।

फिर मैंने गैबी को काजल के साथ अपने सभी अंतरंग क्षणों के बारे में संक्षेप में बताया। काजल ने मेरे लिए क्या क्या किया, यह सब जान कर, सुन कर गैबी जैसे मंत्रमुग्ध सी हो गई, और शायद थोड़ी उत्तेजित भी!

काजल इस ए ब्यूटीफुल वुमन! मुझे जान कर बहुत खुशी हुई, कि उसने तुमको इतनी सारी खुशियाँ दी हैं।” उसने कहा।

“मतलब कि तुम .... नाराज नहीं हो?”

“बकवास! मैं भला नाराज़ क्यों होऊं? क्या तुम इस बात को जान कर मुझसे नाराज़ हो कि मैंने कई लोगों के साथ सेक्स किया है?”

“नहीं।” यह सच था।

“तो फिर मैं कैसे और क्यों तुमसे नाराज होऊंगी? लेकिन हाँ - मैं एक बात से थोड़ा दुखी हूं! मैं यहां आ कर, वो सब चीज़ें तुम्हारे लिए कर सकती थी। और भी बहुत कुछ कर सकती थी।”

इट इस नेवर टू लेट टू से सॉरी!” मैं मुस्कुराया।

“सच में!”

वह कुछ देर रुकी; उसका चेहरा गंभीर था। वह कुछ तो सोच रही थी। मैंने उसके कुछ कहने का इंतजार किया। कुछ देर बाद गैबी ने कहा,

“हनी, क्या तुम जानते हो, कि जब भी मैं हमारे पहले सेक्स के बारे में सोचती हूँ, तो मैं बस यही चाहती हूँ, कि यह तुम्हारे और मेरे लिए ख़ास एक्सपीरियंस हो। खास और बढ़िया! बिलकुल स्पेशल!” फिर बिलकुल से पिघलते हुए वो बड़ी कोमलता से बोली,

हनी, इफ़ यू वांट टू मेक लव टू मी, देन टेल मी! मैं अब तुमको बिल्कुल भी मना नहीं करूंगी। यू हैव मोर दैन हंड्रेड परसेंट राइट्स ओवर मी! लेकिन मैं बस इसलिए तुमको अपने से दूर रख रही हूँ, क्योंकि मैं हमारे पहले एक्सपीरियंस को हमारे लिए बिलकुल खास बनाना चाहती हूँ!”

“ओह गैबी! गैबी!” कह कर मैंने उसको अपने आलिंगन में भर लिया, “तुम मेरे लिए आप स्पेशल हो! तुम्हारे साथ होना मेरे हर पल को स्पेशल बनाता है। उसके लिए मुझे टाइम और सेटिंग्स की परवाह नहीं है। अगर मैं तुम्हारे साथ झोपड़ी में भी रहूँ, तो वो मेरे लिए एक महल समान है। मैं तुमसे प्यार करता हूं, और बस यही एक चीज है जो कोई मायने रखती है।”

गैबी मुस्कुराई; उसकी आँखों से आँसू की एक बूँद ढलक गई।

“तुम वेट करना चाहती हो, तो मैं भी वेट करना चाहता हूँ!”

“ओह हनी! आई लव यू!” फिर थोड़ा रुक कर, “क्या मैं एक बात पूछ सकती हूँ?”

“क्या?” मैं भी मुस्कुराया।

“क्या तुमको काजल पर भरोसा है?”

“भरोसा मतलब?”

“मतलब, क्या तुम उस पर भरोसा करते हो?” मुझे पता था कि गैबी के पूछने का क्या मतलब था।

“हाँ, मैं करता हूँ। पूरा भरोसा। मुझे हर चीज में उस पर भरोसा है।”

“बढ़िया! बढ़िया! हनी, क्या तुम काजल को आज रात यहाँ रुकने के लिए कह सकते हो?”

“हाँ! ज़रूर। लेकिन यह उसके ऊपर है, कि वो यहाँ रहना चाहती है, या नहीं। क्या बात है, डार्लिंग?”

“कुछ नहीं मेरी जान! आज मैं उन सभी लोगों के साथ रहना चाहती हूँ, जो हम दोनों से खूब प्यार करते हैं।”

“... और मैं, एक अकेला, काफ़ी नहीं हूँ?”

हनी, यू आर मोर दैन एनफ! बट, आई थिंक, आई नीड ए वुमंस ओर से, ए मदर्स टच! प्लीज हनी! आस्क हर?”

गैबी को इतना कहने की ज़रुरत नहीं थी। मैंने काजल से आज रात यहीं रुक जाने के लिए कहा, और वो ख़ुशी ख़ुशी इस बात के लिए राज़ी हो गई। मुझे मालूम था कि उसके साथ उसके बच्चे भी आएंगे, लेकिन मुझे इस बात से कोई परेशानी नहीं थी। मुझे सुनील और लतिका दोनों ही बहुत प्यारे लगते थे, और उनके साथ खेलना और बात करना मुझे पसंद था। काजल को एक और घर जा कर अपना काम खत्म करना था, इसलिए हमने उसके लौटने का इंतजार करने का फैसला किया, ताकि हम सभी साथ ही में खाना खा सकें। चूँकि उसके वापस आने में कुछ समय था, इसलिए मैंने इसी बीच बाहर जाकर सुनील के लिए आइसक्रीम खरीदी, और लतिका के लिए मोतीचूर के लड्डू। दोनों बच्चों को ये बहुत पसंद है, और हमको भी! साथ ही मैंने बाहर से ही थोड़ा और खाना पैक करवा लिया, क्योंकि यह प्लान थोड़ा देर से बना, और हम चारों के लिए खाना थोड़ा कम हो जाता।

खैर, कोई एक घंटा बाद काजल और दोनों बच्चे घर आ गए। जैसा कि मैंने कहा, सुनील एक खुशमिजाज बच्चा था, और वो हंसी ख़ुशी रहता था। लतिका भी वैसी ही खुशमिज़ाज़ बच्ची थी। हम पाँचों ने साथ ही में खाना खाया, और फिर उसके बाद हम चारों ने लूडो खेला, जो बेहद मजेदार रहा। हम चारों ने जो खूब मज़ा किया और देखने से साफ़ लग रहा था कि गैबी का दुःख लगभग समाप्त हो गया था। सोने से पहले सुनील और हम तीनों ने आइसक्रीम खाई, और लतिका ने लड्डू। जल्दी ही दोनों बच्चो को नींद आने लगी।

काजल, हमेशा के जैसे ही, फर्श पर सोने की व्यवस्था करने के लिए बढ़ी, लेकिन मैंने उसे मना किया। रात में ठंड बढ़ गई थी, और अब हमारे बीच में ऐसी किसी औपचारिकता की न तो कोई जरूरत थी, और न ही उसके लिए कोई स्थान। काजल का स्थान बहुत खास था - मेरे दिल में भी, और मेरे घर में भी। गैबी ने भी उसको नीचे लेटने से साफ़ मना कर दिया, और उसको अपने साथ, अपने बिस्तर पर लेटने के लिए कहा। गैबी ने कहा कि उसे भी नींद आ रही थी, इसलिए चारों ही साथ में आ सकते हैं। मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी देखने लगा।
Jitne bi update padhe hai sab ke sab LAZWAAB
 

Tiger 786

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पहला प्यार - विवाह प्रस्ताव – Update #4


हनी, वी आर सो लकी दैट वी आर टुगेदर!” उसने कहा।

मुझे अब गैबी के दिल की धड़कनें जोर से सुनाई दे रही थीं। मैंने उसके गाल को प्यार से सहलाया।

“आई लव यू!” मैं उसके कान में फुसफुसाया।

मूड तो बन ही गया था - हलके मदिरा-पान से सेक्स की इच्छा तो बढ़ ही जाती है। मैंने धीरे से गैबी की ऊपरी बांह और कंधे को सहलाना शुरू कर दिया! गैबी भी मूड में थी। वो मेरे थोड़ा और करीब आने के लिए थोड़ा सा नीचे खिसकी। सहलाते सहलाते मेरा हाथ उसके कंधे से नीचे चला गया, और मेरी उँगलियाँ उसके स्तनों को हल्का हल्का सा सहलाने लगीं। मैंने जैसे ही उसकी नाइट शर्ट के माध्यम से उसकी त्वचा को महसूस किया, वह कांप गई। एक कामुक कम्पन! गैबी ने धीरे से आह भरी और थोड़ा सा इस प्रकार खिसकी, कि मेरे हाथ में उसका पूरा स्तन आ जाए, और मेरा हाथ उसके एक पूरे स्तन को ढँक ले। अब मैं उसके स्तन को पूरी तरह से सहला रहा था, और धीरे धीरे से उसे दबा रहा था। इसके साथ ही मैं महसूस कर रहा था कि उसके स्तन का चूचक मेरी हथेली के नीचे सख्त हो रहा था! उधर, गैबी मेरे पजामे के ऊपर से मेरी जांघ को धीरे से सहलाने लगी।

मैंने बड़ी नरमी से उसके स्तनों को दबाया; हाँलाकि कमीज़ के ऊपर से ही, मैं उसके स्तन के आकार और बनावट को अच्छी तरह से जाँच और महसूस कर रहा था। गैबी ने ब्रा नहीं पहनी थी, और हमारे बीच केवल यह शर्ट का पतला सा कपड़ा था। मैंने अपना हाथ थोड़ा सरकाया - अब मेरी उंगलियाँ उसके शर्ट के फ्लैप के अंदर से, उसके स्तनों के बीच की घाटी [cleavage] पर दौड़ने लगीं।

गैबी ने मेरी तरफ़ देखते हुए एक कामुक आह भरी, “ओह्ह्ह ... दैत फील्स सो लवली!”

“तुम्हारे स्तन बहुत सुंदर हैं, गैबी!” मैंने जवाब में कहा, “मुझे उनको छूना और महसूस करना बहुत पसंद है।”

“वे तो हमेशा से तुम्हारे हैं... जैसे मैं हमेशा से तुम्हारी हूँ…” वो कसमसाते हुए बुदबुदाई।

गैबी, हालांकि बहुत धीमी आवाज़ में यह सब बोल रही थी, लेकिन उसकी आवाज़ में एक तरह की दृढ़ता थी, एक तरह की निश्चितता थी। मुझे कुछ अलग सा लग रहा था। जैसे कि वो चाहती हो कि अब हमारा मिलान हो जाए। हाँ, मुझे तो यही लग रहा था। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोलना शुरू कर दिया। जब उसकी शर्ट पूरी तरह से खुल गई, तब मैंने उसके पल्ले को अलग किया, और उसके गर्म गर्म शरीर को महसूस करते हुए अपना हाथ अंदर सरका दिया। मैंने उसके चूचकों ढूँढा, और बारी बारी से उनको अपनी उँगलियों के बीच ले कर घुमाया। अब तक दोनों चूचक बहुत सख्त और पूरी तरह से स्तंभित हो गए थे! गैबी सोफे पर थोड़ा पीछे की ओर झुक कर आराम से बैठ गई, और उसने अपने पैरों को थोड़ा सा फ़ैला कर अलग कर लिया। मैं अपने दूसरे हाथ से, उसकी योनि के ऊपर के सहलाने लगा। गैबी ने एक हल्की सी, ‘हम्म’ जैसी आवाज़ निकाली और अपने पैरों को थोड़ा और खोलने लगी।

ऐसे खुले निमंत्रण को कैसे ठुकराया जाए? मैंने उसकी टांगों के बीच सहलाना शुरू कर दिया - उसकी योनि पर अपनी उँगलियों को हल्के हल्के से सहलाते हुए, उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी गर्म कोमलता को महसूस करने लगा। उधर गैबी ने अपना हाथ मेरे लिंग की ओर बढ़ाया, और मेरे बढ़ते हुए स्तम्भन को महसूस करने लगा। मैंने जैसे ही उसकी भगशेफ पर अपनी उँगलियाँ दबाई, उसके मुँह से मीठी आहें और कराहें निकलने लगीं।

वो मेरे कान में फुसफुसाई, “ओह हनी, यू आर मेकिंग मी सो हॉट!”

मैंने गैबी की पैंटी नीचे सरका दी। गैबी ने अपने नितंबों को सोफे से ऊपर उठाया, लेकिन वह पैंटी उतारने ले लिए पर्याप्त नहीं था। उधर गैबी अधीरता से अपने कपड़ों से मुक्त होना चाहती थी। वह सोफे से उठ गई - कामोत्तेजना से उसका शरीर काँप रहा था, और उसके पैर अस्थिर हो रहे थे। मैंने जल्दीी से उसे उसके कपड़े उतारने में मदद की। जाहिर सी बात है कि काजल ने हमारी तरफ देखा। मुझे इस तरह से गैबी को निर्वस्त्र करते देख कर वो खुश भी थी, हैरान भी, और शर्मिंदा थी! गैबी और मैं, इस समय जो कर रहे थे, वो दो प्रेमियों के बीच की एक निजी बात थी। इसलिए काजल को लगा कि उसको हमें एकांत दे देना चाहिए, और वो सोफे से उठने लगी।

ठीक उसी समय गैबी ने कहा, “हनी, काजल ने ब्लाउज नहीं पहना है।”

मैंने गैबी की बात को सुनते ही तुरंत काजल की तरफ देखा। ‘हाँ! वाकई!’ मैंने इस बात को पहले नोटिस नहीं किया था, क्योंकि काजल ने अपने पल्लू को कुछ इस तरह से लपेटा था कि उसके स्तन अच्छी तरह से ढक गए थे, ध्यान से देखने पर समझ आ रहा था कि उस पल्लू के नीचे उसके स्तन पूरी तरह से नंगे थे। मैंने उसका हाथ पकड़ कर वापस सोफे पर बिठा दिया।

“काजल, बैठो न, प्लीज!”

“नहीं बाबा, मैं अंदर जा रही हूँ... सोने! और तुम दोनों पहले से ही मूड में लग रहे हो। अगर मैं तुम दोनों को कुछ और देर ऐसे देखूँगी, तो मेरा मन भी बेक़ाबू हो जायेगा…” और यह कहते हुए कि काजल सोफे से उठी और ड्राइंग रूम से निकल गई।

हम दोनों उसको जाते देखते रहे। फिर गैबी बोली,

“हनी, एक बात बताओ - तुमको नहीं लगता कि एक बैचलर्स पार्टी होनी चाहिए तुम्हारी? शादी के पहले एक बिलकुल पागलपन वाली पार्टी! उसके बाद तो तुम डोमेस्टिकेटेड हो जाओगे! हा हा हा हा!”

“हा हा!”

“हनी! आई ऍम बैड! मैं तुम्हारे लिए कुछ करने की कोशिश भी नहीं कर रही हूँ!”

“हनी, इसकी ज़रुरत नहीं है। हम भारत में बैचलर्स पार्टी जैसा कोई काम नहीं करते हैं, और मुझे इसकी कोई ज़रुरत भी नहीं है। इसलिए, तुम इस बात के लिए चिंता न करो!” मैं मुस्कुराया और गैबी के होंठों पर चूमा।

“हम्म्म! अच्छा, लेकिन एक बात बताओ, अगर मैं तुमको एक बात के लिए कहूँ, तो तुम बुरा तो नहीं मानोगे?” उसने बड़े मोहक ढंग से पूछा।

अगर गैबी जैसी बला की हसीन और पूर्ण नग्न लड़की, किसी से कुछ करने के लिए कहे, तो वो व्यक्ति कैसे मना कर सकता है? व्यक्ति क्या, साक्षात् देवता भी मना न कर सकेंगे - मैं सिर्फ एक साधारण सा आदमी हूँ!

“हा हा! क्या चल रहा है दिमाग में?”

“हनी, तुमको तो मालूम ही है, कि मैंने कई आदमियों के साथ सेक्स किया है... मुझे इस बात पर बिल्कुल भी गर्व नहीं है, लेकिन है तो यह एक फैक्ट [तथ्य] ही!”

“गैबी, तुमको यह बात मुझे याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है।” मैंने एक तरह से शिकायत भरे लहज़े में कहा।

मैं वास्तव में नहीं चाहता था कि हम इस विषय पर चर्चा करें। जो हो चुका, उस पर चर्चा कर के क्या हाथ हासिल होना है?

“ओह डिअर! नहीं नहीं! प्लीज, मुझे गलत मत समझो। मैं केवल इतना कह रही हूँ, कि मेरे पास सेक्स का एक्सपीरियंस है, लेकिन तुम्हारे पास नहीं! इसलिए, मैं चाहती हूँ, कि हमारी शादी से पहले कम से कम एक बार.... तुम किसी से सेक्स कर लो!”

“क्या बकवास है, गैबी!” मैंने गुस्से में कहा।

“हनी प्लीज। ऐसे मत गुस्साओ। कम से कम मेरी पूरी बात तो सुन लो।” गैबी ने बड़ी निरीहता से मेरी तरफ देखा - मेरा दिल पसीज गया, “हनी, मुझे अपने सेक्सुअल एक्सपीरियंस की किसी भी बात पर कैसा भी गर्व नहीं है! मैंने बेकार, और वाहियात लोगो के साथ यह सब किया - ऐसे लोग, जिनका मेरे जीवन में कोई महत्त्व नहीं है, ऐसे लोग, जिन्हें मैंने कभी प्यार नहीं किया ... कई लोगों के तो नाम भी मुझे नहीं मालूम! लेकिन मैं चाहती हूँ, कि तुम किसी ऐसी औरत से सेक्स करो, जिससे तुम प्यार करते हैं, और जो तुमसे प्यार करती है!”

“लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूँ, गैबी - और मैं इसे सिर्फ तुमसे सेक्स करना चाहता हूँ।”

मेरी बात पर गैबी के चेहरे पर एक चौड़ी सी मुस्कान आ गई - उसने मेरा हाथ पकड़ कर, मेरी उंगली को अपनी योनिमुख पर फिराया। मेरी उंगली तुरंत ही उसके सुगंधित शहद जैसे रस से सन गई। उसने अपने रस से सनी हुई मेरी उंगली मुझे ही दिखाते हुए कहा,

“ये देख रहे हो, मेरी जान? यह इस बात की निशानी है कि मैं तुमसे सेक्स करने के लिए कितनी आतुर हूँ! अब तो केवल तुमको देख भर लेने से, सुन भर लेने से.... अरे, केवल तुम्हारा नाम भी सोच लेने से, मैं गीली हो जाती हूँ! मेरा मन है कि मैं अभी तुम्हारे सामने बिछ जाऊँ, और तुम मुझसे खूब प्यार करो! अभी के अभी! और मुझे मालूम है, कि यह अगर कुछ और दिन चला, तो मैं निश्चित रूप से पागल हो जाऊंगी। यह तो बस तुम्हारा प्यार है, जो मुझे ऐसा करने से रोक रहा है। मेरी जान, क्या तुम मेरी बात समझ रहे हो? मैंने अपने आप को कैसे सम्हाला हुआ है, यह तो बस मुझे ही मालूम है। मैंने तुम्हारे सामने ही शादी से पहले सेक्स नहीं करने की कसम खाई है। मुझे अब बस तुमसे ही करना है। मैं केवल तुम्हें चाहती हूँ।”

गैबी बोल रही थी, और उसके शरीर पर कामोत्तेजना के स्पष्ट भाव दिखाई दे रहे थे - उसके होंठ और गाल थरथरा रहे थे, और चेहरे पर पसीने की एक झीनी सी परत चमक रही थी,

“हे भगवान्! तुमसे एक होने की इच्छा! तुमको नहीं मालूम, हनी, कि मेरी क्या हालत है! मुझे तुम अब हर तरीके से चाहिए! हम अब बस जल्दीी ही एक होने वाले हैं, यही सोच कर मेरी योनि काँप रही है। लेकिन मैं खुद को बचा रही हूँ! हमारी शादी के दिन के लिए! लेकिन हनी, माय लव! मैं सच में चाहती हूँ, कि तुम शादी से पहले किसी लड़की का स्वाद चखो.... यह जानो कि उसके अंदर कैसा लगता है!”

“लेकिन गैबी, आई लव यू! मुझे तुम्हारे अंदर जाना है। मुझे तुम्हारा स्वाद चखना है!”

“माय हार्ट! क्या तुमको यह कहने की कोई ज़रुरत है? क्या मुझे नहीं मालूम कि मैं कितनी लकी हूँ कि तुम मुझे मिले? यह केवल तुम्हारा प्यार है जो मुझे जिन्दा रखे है! तुमने मुझे बहुत कुछ दिया है, और मेरे लिए बहुत कुछ किया है... कृपया इसे मेरी तरफ से एक छोटा सा उपहार मान कर ही कर लो?”

मैंने कुछ देर सोचा जो गैबी ने अभी कहा था। मैं किसी अन्य स्त्री से सेक्स करने के खिलाफ नहीं हूँ! मैं क्या, कोई भी आदमी नहीं होगा! लेकिन मैं गैबी से प्यार करता हूँ, और मैं वास्तव में केवल उसी से सेक्स करना चाहता था। ठीक है, कि काजल और मैं सेक्स करने के बहुत करीब आ गए थे, लेकिन गैबी के आने के बाद, अब मैं उसी को चाहता था। वैसे भी काजल, और बहुत पहले रचना के साथ मौका मिलने के बाद और अन्यत्र मौके नहीं मिले थे। और जहाँ तक काजल की बात थी, वो मेरे सबसे करीब थी, लेकिन उसने भी यह स्पष्ट कर दिया कि उसकी योनि मेरे लिए पहुंच से बाहर है। जाहिर है, मैंने पूछा,

“… किससे जानू?”

गैबी ने काजल की ओर इशारा किया।

“तुम चाहती हो कि मैं काजल के साथ सेक्स करूं?”

“हाँ जानू!”

ठीक है, फिर तो मैं बच गया।

“ओह! हनी, लेकिन काजल मेरे साथ सेक्स नहीं करेगी।” मैंने कहा, “उसने मुझसे बहुत पहले ही कह दिया है कि उसकी योनि उसके पति के लिए ही है!”

“हा हा हा हा हा! मेरे भोले सजन, तुम्हारी यही भोली अदा तो हम दोनों की जान ले लेती है!” गैबी निहाल होते हुए मुझसे बोली, “मेरे प्यार... काजल पिछले कई महीनों से खुद को सिर्फ तुम्हारे लिए बचा रही है।”

यह एक नहीं बात पता चली!

“क्या! वाक़ई ...? तुम्हारा मतलब है ...?”

“हाँ हनी,” गैबी हँसी, “काजल ने मुझे अभी अभी बताया है कि वो तुमसे कितना प्यार करती है। और बहुत दिनों से तुमसे सेक्स करना चाहती है। उसने भी एक लंबे अरसे से तुम्हारा इंतज़ार किया है, जैसे मैं कर रही हूँ। उसको मालूम है कि तुम जैसा जेंटलमैन उसकी इज़ाज़त के बिना उसको हाथ भी नहीं लगाएगा! वो क्यों न तुमसे प्यार करे? लेकिन और क्या ही करे वो बेचारी? आज उसने मुझसे कहा कि तुमसे मिलने के एक महीना बाद से उसने अपने पति को खुद को छूने की भी अनुमति नहीं दी है! तो वो और उसकी योनि - सब कुछ तुम्हारी है, और फिलहाल अंदर कमरे में तुम्हारा इंतज़ार कर रही है!”

गैबी थोड़ा सा रुकी, और फिर गंभीर आवाज में बोली, “जानू, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ - बहुत प्यार! मैं तुम्हारी हूँ, मेरी आत्मा तुम्हारी है, और मेरा शरीर तुम्हारा है! यहाँ आने से पहले ही मेरा सब कुछ तुम्हारा हो चुका है! तुम यह भी जान लो, कि यदि तुम चाहते हो, तो मैं अभी के अभी तुमको अपना सब कुछ अर्पण कर दूँगी! लेकिन तुम एक कम्पलीट जेंटलमैन हो, और तुम हमेशा मेरी हर स्टुपिड डिमांड को पूरा करते हो! तुमने हम दोनों के लिए खूब किया है। अब हमको भी कुछ कर लेने दो! हमारी इस भेंट को स्वीकार कर लो! प्लीज हनी?”

“और तुमको बुरा नहीं लगेगा?”

“मुझे क्यों बुरा लगेगा, मेरी जान? मैं ही तो हूँ, जो तुमसे यह करने को कह रही हूँ! मुझे मालूम है कि मेरे और काजल की इच्छा के बिना तुम कुछ नहीं करोगे, चाहे भले ही तुम खूब करना चाहते हो.... तुम.... काजल से सेक्स करना तो चाहते हो न, डिअर? हो ना?”

“गैबी, हाँ - मैं काजल को बहुत पसंद करता हूँ! मैं इस बात से इनकार नहीं करूंगा। हाँ - मैं उससे सेक्स करना चाहता हूँ!” मैंने स्वीकार किया।

“तो, मेरे प्यारे, प्लीज जाओ ... और जा कर काजल से प्यार करो। शी विल लव इट विद यू! और मुझे यकीन है कि तुम भी खूब एन्जॉय करोगे!”

यह कह कर गैबी ने मेरे मुंह पर एक स्मूच दिया। उसकी योनि का रस उसकी भीतरी जाँघों को भिगो रहा था।

‘ओह गॉड! ये कितनी सेक्सी है! इससे सेक्स कर के क्या मज़ा आएगा!”

मैं अपने ही कामुक विचार पर मुस्कुराने लगा! मेरा जीवन जल्दी ही पूरी तरह से बदलने वाला था। लेकिन फ़िलहाल, मुझे काजल को रिझाना था। मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद गैबी को मेरे और काजल के बारे में मालूम पड़ने पर नाराज़गी हो - लेकिन यहाँ तो उलटे ही वो मुझको खुद ही काजल से सेक्स करने के लिए कह रही थी! यहाँ तक तो सब ठीक है! लेकिन क्या काजल इसके लिए रज़ामंद होगी? क्या वो खुद को ‘दूसरी औरत’ तो नहीं मानेगी? ऐसा होना तो नहीं चाहिए! खासकर तब, जब गैबी ने मुझे खुद बताया कि काजल मेरे बारे में क्या सोचती है? देखते हैं।
Amazing update
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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Rachna ke pehle Milan ko apne kitne somya or saral shabdo Mai wyaqt Kiya hai.amar bhai bohot badiya

Awesome update

Jitne bi update padhe hai sab ke sab LAZWAAB

Amazing update

बहुत बहुत धन्यवाद मेरे भाई! बहुत बहुत धन्यवाद! :)
यह एक बहुत लम्बी कहानी होने के साथ साथ बहुत ही अतरंगी कहानी भी है।
कुछ बातें आपको अजीब और विवादित भी लग सकती हैं, लेकिन मेरी गुज़ारिश है कि पढ़ते रहें।
बड़ी मोहब्बत से लिखी है इस सफ़र की कहानी :)
आशा है कि आगे भी, इससे भी अधिक आनंद और मनोरंजन होगा!
 

avsji

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अरे भयंकर इरोटिक, avsji भैया ने तो सब अस्तर-शस्त्र एक साथ चला दिये। 😍

तूणीर में बस कुछ ही बाण बचे हैं; बस उनको चलाना शेष है।
फिर कहानी ख़तम! :)
 

KinkyGeneral

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तूणीर में बस कुछ ही बाण बचे हैं; बस उनको चलाना शेष है।
फिर कहानी ख़तम! :)
सब अच्छी चीज़ों की तरह, खत्म! :feelsbadman:
 
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avsji

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अचिन्त्य - Update #25


अगले कुछ सप्ताह जैसे हरहराते हुए निकल गए। हम सभी अपने अपने कामों में व्यस्त थे। और इसी बीच हमारे कई सारे अटके अथवा मनोवांछित काम अच्छे बन पड़े। सबसे पहला और सबसे अच्छा काम हुआ माँ - पापा के दिल्ली आने का! जैसा कि पाठकों को याद होगा, कि वो पिछले कुछ महीनों से कोशिश कर रहे थे कि दिल्ली में कोई बढ़िया नौकरी मिल जाए, तो हम सब साथ रह सकें - तो वो प्रयास सार्थक हो गया।

हुआ यह कि, उन्ही की कंपनी ने उनको प्रमोशन दे कर दिल्ली भेज दिया। पापा न जाने क्या सोच कर अपनी कंपनी में ट्रांसफर की बात नहीं कर रहे थे। लेकिन जब कंपनी में पता चला कि वो दिल्ली जाने की सोच रहे हैं, और इसलिए जॉब छोड़ना चाहते हैं, तो सबसे पहले उनको ही उस पोजीशन के लिए ऑफर दिया गया। और होता भी क्यों न - उनको पिछले नौ सालों में छः बार बेस्ट एम्प्लॉई का अवॉर्ड मिल चुका था, और लगभग उतने ही प्रोमोशन्स! उस कंपनी की पॉलिसी थी कि अपने बेस्ट एम्प्लॉईज़ को यूँ ही न चले जाने दिया जाए! दिल्ली में कम्पनी के रीजनल हेड को सीधा रिपोर्टिंग थी उनकी! इतनी जल्दी, इतनी तरक्की बहुत कम लोग कर पाते हैं। सबसे बढ़िया बात यह कि कंपनी की तरफ़ से उनको बच्चों के एक्साम्स वगैरह हो जाने के बाद जाने की सहूलियत भी पेश की गई; साथ ही नया घर ढूंढने और रिलोकेशन का खर्चा इत्यादि भी। बड़ी अच्छी बात थी! दिल्ली तो खैर, अपना घर ही है! लेकिन फिर भी, यह सब जान कर बड़ा आनंद आया।

हाँ - ये एक अलग बात है कि अम्मा और बापू को माँ और पापा का दिल्ली आना उतना अच्छा नहीं लगा। उनके लिए तो जैसे उनका पूरा परिवार ही उनसे अलग होने वाला था... एक बार में ही उनके सभी बच्चे उनसे दूर होने वाले थे। छोटी माँ डिलीवरी के लिए अपने बच्चों के साथ अपने मायके चली गईं थीं, इसलिए अचानक ही पूरा घर सूना सूना हो गया था। और अब माँ भी! इसलिए उन दोनों का चेहरा उतरा हुआ रहता। लेकिन उनको भी पता था कि यह हम सभी के लिए बेहतर बात है, इसलिए वो इस बात का अफ़सोस भी नहीं मना पा रहे थे। मैंने भी उनको स्वांत्वना दी कि दिल्ली और मुंबई में दूरी ही कितनी है? एक फ्लाइट पकड़ो, बस, घर आ जाओ! ठीक बात है! माँ पापा के दिल्ली आने तक मिष्टी के भी बोर्ड एक्साम्स ख़तम हो गए थे। हाँ, लतिका के दो पेपर बचे हुए थे, लेकिन उसको इस बात से कोई समस्या नहीं थी - वो बस इस बात से खुश थी कि उसकी बोऊ-दी और मम्मा अब वापस उसके साथ रहने आ गई थीं।

इतने सभी लोगों के लिए दिल्ली वाले बंगले में थोड़ी कम जगह पड़ती। हमारा परिवार बढ़ रहा था, और बच्चे बड़े हो रहे थे। इसलिए हमने उसको बेच कर एक दूसरा बड़ा बंगला ख़रीदा। यह नई जगह ऑफिस से अपेक्षाकृत दूर थी, लेकिन ससुर जी के और देवयानी के घर के पास थी। मैंने देवयानी के घर को अभी भी सम्हाल कर रखा हुआ था। हाँलाकि वो घर मेरे नाम था, लेकिन उसको छोड़ने या बेचने का साहस मेरे अंदर नहीं था। मिष्टी से पहले वो घर आया था - इसलिए वो मुझको उसके जितना ही अज़ीज़ था। देवयानी और मेरी कई सारी यादें उस घर में शामिल थीं। लतिका को इस बारे में पता था। उसने भी मुझसे कहा कि मैं उस घर को न बेचूँ और उसका सही से रख-रखाव करूँ... ठीक वैसे ही जैसा मैं गाँव वाले घर और डैड वाले घर का कर रहा था। उसने तो यह भी सुझाया कि अगर मैं ये घर अपने नाम नहीं रखना चाहता था, तो मिष्टी के नाम कर दूँ! अपनी माँ की कोई निशानी उसके पास हो जाएगी! उसकी बात मुझे जँच गई, लेकिन वैसा करने के लिए मैंने मिष्टी के बालिग़ होने तक का इंतज़ार करना ठीक समझा।

डेवी और मेरा घर एक तीन कमरे का घर था, जो मेरे, लतिका और मिष्टी के आराम से रहने के लिए पर्याप्त था। लेकिन जब माँ और पापा को इस बारे में पता चला, तो हमसे अलग रहने का विचार उनको कत्तई पसंद नहीं आया। पापा ने तो कसम दे दी, कि अगर हमने उनसे अलग रहने का सोचा तो ठीक नहीं होगा। एक तरह से सही भी था - वो ट्रांसफर ले कर दिल्ली आए ही इसलिए थे कि हम सब साथ रह सकें! वैसा न हो पाने की स्थिति में मुंबई ही क्या बुरा था? इसलिए नया बंगला लेना ही पड़ा। हमारे इस वाले बंगले का बढ़िया दाम मिल रहा था, इसलिए सही समय पर उसको निकाल देना ठीक था। नया बंगला पहले के मुकाबले काफ़ी बड़ा था... उसमें पहले से अधिक ज़मीन भी थी, अधिक कमरे भी थे, और पहले से बड़ा बगीचा भी! मतलब आने वाले समय में परिवार में जो वृद्धि होती, वो आसानी से खप जाती!

पापा, माँ और लतिका ने ससुर जी को भी हमारे साथ ही आ कर रहने को कहा। मुझको तो वो कुछ न कुछ कह कर टाल देते, लेकिन अपनी प्यारी बेटियों के कहने पर इंकार न कर सके। पहले के ही जैसे उन्होंने थोड़ी आना-कानी अवश्य करी, लेकिन फिर उन्होंने भी हथियार डाल दिए। कारण? सबसे बड़ा कारण तो यह था कि ये नया घर उनके अभी वाले घर के बहुत निकट था... और उस कारण से वो अपने मित्रों और अपने सोशल सर्किल से दूर नहीं हो सकते थे। यह वाला नया घर लेने के पीछे एक बहुत बड़ा मंतव्य यह भी था कि उनको भी साथ आने को कहा जा सकता था। इतने सालों के बाद जा कर सब कुछ पटरी पर आता महसूस हो रहा था!

नए घर में शिफ्ट होने के लिए हमने लतिका के एक्साम्स ख़तम होने का इंतज़ार किया। माँ का भी आठवाँ / नौवाँ महीना चल रहा था, इसलिए उनको बहुत परेशान करना सही नहीं था। घर में उठने वाली महीन धूल इत्यादि से संक्रमण होने का डर था, इसलिए माँ और तीनों छोटे बच्चों को कुछ दिनों के लिए ससुर जी पास रहने को भेज दिया गया। इस बीच हमने शिफ्टिंग का पूरा बंदोबस्त कर लिया। लेकिन फिर भी, पूरी तरह से नए घर में शिफ़्ट होने में तीन दिन लगे। जब सब सामान ठीक से व्यवस्थित हो गया, तब ससुर जी, माँ और बच्चों को लिवा लाया गया। ऐसा था हमारा गृह-प्रवेश! गृह-प्रवेश के अगले दिन यज्ञ-पूजन और प्रीती-भोज का आयोजन किया गया, जिसमें हमारा लगभग पूरा ख़ानदान शामिल था। अम्मा बापू भी उस आयोजन में उपस्थित थे। छोटी माँ को एक और पुत्र की प्राप्ति हुई थी, लिहाज़ा वो इस समय अपने मायके में थीं।

यज्ञ-पूजन में हमारे परिवार के मुखिया के तौर पर ससुर जी बैठे। और हम तीनों जोड़े - अम्मा-बापू, माँ-पापा, और लतिका-मैं - उनके साथ बैठे। पुजारी जी ने भी दो तीन बार कहा कि इतना समृद्ध, इतना बड़ा, और इतना प्रगाढ़ प्रेम रखने वाला परिवार उन्होंने अपनी यजमानी में पहली बार देखा था।

जब सब कुछ ऐसे हँसी ख़ुशी, शुभ तरीक़े से होता है, तो मन में भी यकीन आ जाता है कि आगे भी सब कुछ बढ़िया ही होगा।

*

गृह प्रवेश के दो दिनों बाद, एक शनिवार को हम सभी साथ में बैठे हुए थे। बच्चे बाहर खेलने कूदने में व्यस्त थे, और हम बड़े लोग लतिका और मेरी शादी के बारे में विचार-विमर्श कर रहे थे। मैं कोर्ट वेडिंग के समर्थन में था। लतिका को इस बात से कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता दिख रहा था। ससुर जी खुले विचारों वाले व्यक्ति थे, लेकिन फिर भी वो चाहते थे कि हमारी शादी कोर्ट में नहीं, बल्कि पूजा-पाठ के साथ हो! वैदिक रीति से, और हवन इत्यादि कर के! उनकी बात शायद ही कोई काट सके - इसलिए सभी ने मान लिया। वैसे अम्मा, बापू, माँ और पापा सभी ऐसा ही चाहते थे। कोई सामने न बोले वो अलग बात है, लेकिन मन में सभी के यही बात थी कि ‘इस बार’ ये जोड़ी न टूटे! लोग यह बड़ी आसानी से भूल गए कि पहले भी मंदिरों में ही, रीति अनुकूल ही मेरी शादियाँ हुई थीं, फिर भी दोनों बार मेरी पत्नियाँ नहीं रहीं! लेकिन ऐसे ख़ुशी की बातों में ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।

बहुत देर तक बात चीत और विचार-विमर्श करने के बाद निर्णय यह लिया गया, कि माँ की डिलीवरी के एक महीना बाद हमारी शादी कर दी जाए... अगर माँ का स्वास्थ्य ठीक रहता है तो! वैसे अभी तक उनके स्वास्थ्य में कोई कठिनाई दिखाई नहीं दी थी, तो आशा थी कि आगे भी सब ठीक रहेगा। दो तीन तारीखें उपलब्ध थीं - गर्मी में वैसे भी अधिक शुभ साईत नहीं मिलतीं। इसलिए जो मिले, वही ठीक था। मई माह के अंत और जून के शुरू में डिलीवरी की डेट्स बताई गईं थीं, लिहाज़ा जुलाई में जो सही समय मिले, उसमें विवाह होना तय किया गया। अच्छा है! फिर हमने अपने परिवार के अतिरिक्त अपने सबसे क़रीबी मित्रों की सूची बनाई जिनको समारोह में आमंत्रित किया जा सकता था - कुल मिला कर कोई चालीस लोगों की लिस्ट बनी। अच्छी बात थी - इसका मतलब यह था कि हमारी शादी इस नए घर में ही हो जाएगी। दिन में शादी, और फिर रात में या फिर अगले दिन एक भव्य रिसेप्शन! रिसेप्शन में गेस्ट्स की लिस्ट दो सौ के आस पास होने वाली थी - जो भारतीय शादी के स्टैण्डर्ड के हिसाब से कम है। आसान काम था - इसलिए मैंने ऑफिस में अपने एक सहयोगी को फोन करके इस बारे में बताया, और उनको हमारी शादी का कार्यक्रम आयोजित करने में उनकी मदद माँगी। उन्होंने मुझको सबसे पहले तो हमारी शादी के लिए ‘अग्रिम’ शुभकामनाएँ दीं, और फिर आश्वासन दिया कि वो सब इंतज़ाम देख लेंगे - और यह कि हम चिंता न करें!

उस रात भोजन के बाद माँ ने लतिका को और मुझे ‘चुपके से’ अपने कमरे में बुलाया। चुपके से इसलिए कि कहीं बच्चे भी आने की ज़िद न करने लगे - नहीं तो रात भर बस हुड़दंग होती रहेगी। खैर, बच्चों के सोने के बाद जब हम उनके कमरे में पहुँचे, तो देखा माँ और पापा हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे। माँ बिस्तर पर बैठी हुई थीं, और उनके गोद में प्लास्टिक के पारदर्शी बण्डल में कोई कपड़ा तह कर के रखा हुआ था।

“आ बेटू...” हमको देखते ही माँ ने लतिका से कहा, “ये तेरे लिए है...” माँ ने बड़े लाड़ से कहा।

“क्या है ये माँ?”

“ये वो लहंगा और चोली का सेट है, जो मैंने अपनी शादी के दिन... मतलब पहली बार... पहना था! इसको पहन कर मैं पहली बार सुहागिन बनी थी... और अब मैं यह तुझे सौंपना चाहती हूँ!”

“क्या!” लतिका बिल्कुल हैरान हो कर बोली, “माँ... आर यू श्योर?”

“हाँ बेटू... वैसे भी, मैंने कभी नहीं भी सोचा था कि इसको कभी दोबारा इस्तेमाल भी किया जा सकता है… लेकिन न जाने क्यों मैंने इसे इतने सालों से सम्हाल कर रखा हुआ है! ... शायद इमोशनल कनेक्शन के कारण! क्या पता...” कहते कहते माँ जैसे किसी अनजाने ख़याल में डूब गईं।

मैंने पापा की तरफ़ देखा - वो मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुराए। सच में - अगर अपना साथी इतना अधिक अंडरस्टैंडिंग हो, फिर कहने ही क्या! माँ वाक़ई लकी हैं! माँ अपने ख़यालों से बाहर निकलीं,

“... लेकिन जब तुम दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया, तो मैंने तेरे दादा से कहा कि इसको हमारे घर (जो डैड ने बनवाया था) से ले आएँ! मन में आया कि शायद ये तुमको फिट आ जाय... हाँ, पुराना तो है... इसलिए अगर मन नहीं है, तो कोई बात नहीं!” माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “... लेकिन इसको रख लो!”

मैं समझ सकता था कि माँ को उम्मीद थी कि ‘शायद’ लतिका हमारी शादी के दिन उनकी इस पोशाक को पहनने के लिए तैयार हो जाएगी। पाठकगण शायद आश्चर्य करें कि अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण दिन में कोई मंगनी का कपड़ा कैसे पहन सकता है! लेकिन ऐसी बात नहीं है। जब बड़े बूढ़े अपनी कोई वस्तु देते हैं, तो वो वस्तु नहीं, बल्कि उनका आशीर्वाद होती है। इसीलिए आपने देखा होगा कि वर-वधू कभी कभी अपने माता-पिता, या दादा-दादी/नाना-नानी की दी हुई वस्तुएँ, जैसे कि गहने, घड़ी, इत्यादि पहनते हैं। लेकिन माँ लतिका को अपना पहना हुआ वस्त्र दे रही थीं। उसकी स्टाइल पुरानी थी।

“माँ... मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा है कि आपने अपनी शादी का जोड़ा अभी तक सम्हाल कर रखा हुआ है!” मैं भी चकित रह गया, “अनबिलीवेबल...”

“हाँ... सच में... इतनी सुन्दर सी ड्रेस... और तुमने इसे हमारी शादी के टाइम पहना ही नहीं! क्यों नहीं पहना, जानेमन?” पापा ने माँ को चिढ़ाते हुए कहा।

माँ ने अपने पति की टिप्पणी पर अपनी आँखें नचाईं, फिर उनकी बाँह को प्यार से थाम कर बोलीं, “आप भी ना! ... आपने तो इसकी फिटिंग देखी ही है न! मैं इसमें फिट थोड़े ही हो सकती हूँ! ... ये तो तब की है, जब मैं केवल एक लड़की थी…”

“अभी भी कौन सा...”

माँ ने कहा, “हाँ हाँ... मस्का लगाने की ज़रुरत नहीं है आपको... तब से मेरा शरीर बहुत बदल गया है। मैं... हर जगह से बड़ी हो गई हूँ!” वो हँसने लगीं!

उनका इशारा अपने गर्भ की तरफ़ था।

“जानेमन, तुम्हारा शरीर बदल गया है… लेकिन पहले से बेहतर और पहले से बहुत अधिक सुंदर हो गया है! मेरी जान...”

पापा ने कहा और माँ की तरफ़ वह झुके - मुझे लगा कि वो उनको चूमने वाले हैं। लेकिन उन्होंने माँ का एक स्तन ‘चोरी से’ पकड़ा और उसे थोड़ा दबाया, और फिर उनके होंठों को चूमा।

उनकी इस हरकत पर लतिका और मैं हँसने लगे। उन दोनों की छेड़खानी हमेशा से थी। और पापा माँ के प्रति अपने प्यार का इज़हार करने में बिलकुल बेफिक्र रहते थे। कोई शर्म नहीं, कोई मिलावट नहीं! वो माँ से बहुत प्रेम करते थे, माँ उनसे! इस बात में कोई संदेह नहीं है! लेकिन, मेरे लिए यह देखना आश्चर्यजनक था कि उनके प्यार में आज भी उतना ही जुनून था, जितना नौ साल पहले था! उन दोनों के बीच की घनिष्ट अंतरंगता देख कर मुझको अंदर ही अंदर एक गर्म एहसास हुआ! दांपत्य को ले कर मेरे मन में सुनहरे सपने फिर से सजने लगे।

“धत्त...” माँ ने उनका हाथ अपने स्तन से हटाते हुए कहा, “आपका पेट कभी नहीं भरता...”

माँ समझती थीं कि उनके स्तनों में दूध भरा हुआ था, और थोड़ा सा भी दबाव होने पर वो बाहर निकलने लगता। माँ उस स्थिति से बचना चाहती थीं।

“कैसे भरेगा मेरी जान… तुम हो ही इतनी सेक्सी!” पापा ने बिना किसी झिझक के, उनको फिर से चूमा, और फिर से उनके दूसरे स्तन को दबाया।

“दादा बिल्कुल सही कह रहे हैं, बोऊ-दी! ... आई मीन, मम्मा... आप सच में बहुत सेक्सी हैं!” लतिका ने अपने भाई की बात का पुरज़ोर समर्थन किया।

माँ ने मेरी ओर देखा तो मैं मुस्कुरा दिया और बोला, “सब पापा के कारण है...”

“देखा? सब जानते हैं!” पापा ने मुस्कुराते हुए कहा।

माँ ने जैसे हथियार डालते हुए सर हिलाया, और लतिका से पूछा, “... बोलो बेटा... ठीक लगा?”

“माँ, सबसे पहले तो इस सुन्दर से गिफ़्ट के लिए खूब थैंक यू! ... ये आपका आशीर्वाद है और अपनी शादी के दिन आपकी शादी का जोड़ा पहनना मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात होगी! ... मैं पहले ही बहुत लकी फ़ील कर रही हूँ... लेकिन ये तो बड़े सम्मान की बात है!”

“ओह मेरी बिटिया...” माँ ने आह्लादित होते हुए कहा, “थैंक यू! ... लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, अगर तुम्हारा मन हो, तो ही इसे पहनो... नहीं तो नहीं! इसको बहुत सहेज कर रखा है मैंने! इसलिए साफ़ है। ... कभी सोचा था कि मैं मेरी कोई बेटी होगी, तो उसको दूँगी... तो आ गई मेरी बेटी, इसको पहनने!”

सच तो यह था कि लतिका यह सम्मान पाकर बहुत खुश हो गई थी! उसने उस लहँगा चोली को निकाल कर देखा - अभी भी उसमें वैसी ही चमक धमक थी, जैसी चार दशकों पहले थी। लेकिन उसमें वो ‘कच्ची’ सी गंध आ रही थी, जो कपड़ों को लंबे समय तक पैक कर के रखने से आती है। चोली को देख कर मुझे लगा कि लतिका के लिए वो थोड़ी तंग रहेगी - लतिका छरहरी अवश्य थी, लेकिन उतनी नहीं, जितनी माँ चौदह साल की आयु में रही होंगी! शादी का ये जोड़ा बनारसी नारंगी रंग के रेशम का बना हुआ था; उसमें लाल लाल बूटे बने हुए थे। लहँगा उसी से मैचिंग लाल और नारंगी रंग में था।

नाना-नानी अमीर नहीं थे, लेकिन उन्होंने अपनी बेटी को उसकी शादी के दिन के लिए बहुत अच्छा सा जोड़ा दिया था। शायद यही कारण था कि माँ ने इस जोड़े को इतने लंबे समय तक सुरक्षित रखा हुआ था! बड़ा ही सुंदर सा ड्रेस!

“यह तो बहुत सुंदर जोड़ी है, बोऊ-दी! थैंक यू! थैंक यू सो मच!” लतिका ने कपड़ों का बड़ी बारीकी से निरीक्षण करते हुए कहा।

“पहन के देखो?” पापा ने सुझाया।

“अभी?”

माँ और पापा ने मुस्कुराते हुए सर हिलाया, “और कब?”

लतिका का भी मन था। कोई नई वस्तु पाने का उत्साह, ख़ास कर तब, जब वो इतिहास का भी हिस्सा रहा हो, सभी में सुलभ होता है। वो अपनी नाइट-शर्ट उतारने ही वाली थी कि उसे याद आया कि मैं भी वहाँ मौजूद था।

“आप… कुछ देर के लिए बाहर जाइए न, प्लीज़...” उसने मेरी ओर देखते हुए अनुरोध किया।

मुझे ऐसा लगा कि मुझे कमरे से बाहर जाने के लिए कहने पर उसे गिल्ट महसूस हुआ... जैसे कि उसे देखने का अधिकार मेरा था, लेकिन अभी मेरे अलावा बाकी सब उसे देखेंगे!

“अरे क्यों? तू मेरे बेटे को बाहर जाने को क्यों कह रही है?” पापा ने विरोध किया।

“अरे कोई बात नहीं, पापा,” मैं उठने लगा, “आई अंडरस्टैंड!” मैं लतिका की ओर देख कर मुस्कुराया...

यह कोई शिकायत नहीं थी।

“अरे ठीक है न!” माँ ने लतिका का पक्ष लेते हुए कहा, “... वैसे भी, दूल्हे को अपनी दुल्हन, शादी से पहले, शादी के जोड़े में नहीं देखनी चाहिए।”

“कुछ भी...” पापा ने कहना शुरू किया।

लेकिन मैं बाहर जाने लगा, “हाँ हाँ... जा रहा हूँ माँ।”

“मैं भी आता हूँ बेटे!” पापा बोले, और उठने लगे।

“आप रुक जाओ दादा... आप और बोऊ-दी दोनों मुझे फीडबैक दीजिए...”

“ठीक है पापा! ... जब आप लोगों का काम पूरा हो जाए, तो मुझे बुला लीजिएगा...” मैंने कहा और कमरे से बाहर चला गया।

मुझे लगा शायद ससुर जी जाग रहे होंगे, लेकिन देखा कि वो अपने कमरे में चले गए थे, और उनके कमरे की बत्ती बंद थी। तो मैं बालकनी में आ कर आराम-कुर्सी पर बैठ गया और भविष्य के बारे में सोचने लगा।

उधर, मेरे जाने के बाद, लतिका अपनी नाईट शर्ट की बटन खोलने लगी, तो माँ ने उससे ठिठोली करती हुई बोलीं, “लाडो मेरी, हम अपनी आँखें बंद कर लें?”

बोऊ-दी! आप दोनों तो मेरे पेरेंट्स हैं।” वो बोली, “आप दोनों से कैसी शर्म?”

पापा ने मुस्कुराते हुए सर हिलाया, “वो तो है ही! ... समझी दुल्हनिया? तुम मेरी बहन को उसकी भाभी की तरह छेड़ नहीं सकती!” फिर लतिका की तरफ़ मुखातिब हो कर बोले, “तुम मेरी बेटी हो, पुचुकी। ... लेकिन भई, मैं सबसे अधिक प्यार करता हूँ अपनी मिष्टी से... वो मेरी सबसे प्यारी बच्ची है... फिर मैं प्यार करता हूँ अमर से... उसके बाद आता है तुम्हारा नंबर... और फिर आते हैं मेरे तीनों नन्हे मुन्ने...!”

“हाँ… मुझे पता है... अब आप मुझसे प्यार नहीं करते।” लतिका अपनी नाइट शर्ट और पायजामा उतारते हुए बोली।

“अपने दादा के मज़ाक को सीरियसली मत ले... तू तो मुझे हमेशा से बहुत प्यारी लगी है! ... और अब तो पहले से भी अधिक...” माँ ने कहा।

लतिका ने नीचे केवल चड्ढी पहनी हुई थी।

माँ उसकी बढ़ाई करती हुई बोलीं, “तो तो और भी सुंदर हो गई है, मेरी पुचुकी।”

“हाँ…” पापा भी बोले, “बिलकुल तुम्हारे जैसी, दुल्हनिया!”

“आप भी न...” माँ ने विरोध किया,

लेकिन, “ओह दादा! ये तो बेस्ट कॉम्पलिमेंट है!” लतिका खुश हो गई, “... सच में! अगर मैं बोऊ-दी जैसी सुन्दर लगती हूँ, तो उससे अधिक मुझे कुछ नहीं चाहिए!’

“नहीं... मेरे जैसी नहीं... मुझसे कहीं अधिक सुन्दर! सबसे सुन्दर...” माँ बोलीं, “मेरी पुचुकी बहुत ही खूबसूरत हो गई है... और अपने बेटे के लिए मैं बहुत खुश भी हूँ! वो सच में बहुत लकी है!”

“हाँ! ये बात तो सच है, दुल्हनिया! मेरा बेटा लकी है, और मेरी ये पुचुकी भी... और, दोनों की जोड़ी बहुत सुन्दर है... बहुत सुन्दर! नज़र न लग जाए इन दोनों को!”

लतिका अपनी तारीफ़ सुन कर मुस्कुरा दी।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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अचिन्त्य - Update #26


माँ ने लतिका को वो ड्रेस पहनने में मदद की। लतिका जब उस जोड़े को पहन कर खड़ी हुई, तो माँ और पापा दोनों ही सहमत थे कि लतिका दुल्हन के लिबास में बेहद खूबसूरत लग रही थी! एकदम परी जैसी! जैसा कि मेरा संदेह था, वो चोली लतिका के लिए थोड़ी चुस्त थी, जिससे कारण उसकी क्लीवेज गहरी दिख रही थी - लेकिन बड़े ही सुन्दर तरीके से! लहँगा थोड़ा भारी था, और उसको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वो उसकी कमर से नीचे की तरफ़ बह रहा हो। चुनरी मैचिंग कलर की थी! गाँव के कारीगर के काम में भी एक अलग ही तरीक़े की तफ़सीलियत हो सकती है।

“अति सुंदर! ... मेरी सुन्दर सी बिटिया!” पापा ने उसको गले लगाते और उसका माथा चूमते हुए कहा, “... तुझे दुल्हन के जोड़े में देख कर, मेरा दिल खिल उठा मेरी गुड़िया!” और उसका माथा चूम लिया।

“थैंक यू, दादा।”

“हाँ... बहुत बहुत सुन्दर लग रही है! हाय भगवान... इसको तो मेरी ही नज़र लग जाएगी!”

बोऊ-दी!” लतिका शर्म से हँसती हुई बोली, “आपकी नज़र मुझे लगेगी?”

माँ केवल मुस्कुरा दीं।

“दुल्हनिया, तुम भी लहँगा चोली पहना करो कभी कभी!” पापा ने माँ को सुझाया।

माँ ने हँसते हुए कहा, “ये अच्छी कही आपने... पहले तो मेरा सब ट्रेडिशनल कपड़े पहनना कम करवा दिए... शादी से पहले साड़ी ही पहनती थी... वहाँ से शलवार सूट और अब ये सब... इतना चेंज करवाने के बाद अब ये बोल रहे हैं!”

“हाँ... चेंज होते रहना चाहिए न! ... वैसे भी तुम पर तो सब अच्छा लगता है!”

“रहने दीजिए… वैसे भी... आपके सामने कपड़े पहनने न पहनने का क्या ही मतलब रहता है!”

“हाआआS... क्या हो गया बोऊ-दी?”

“ये मुझ पर कपड़े रहने ही नहीं देते! इतनी मेहनत से, इतना समय लगा के कपड़े पहनो, सजो धजो... और दो मिनट में सब गायब... इतने बच्चों के बाप हैं, लेकिन बचपना ज्यों का त्यों!” माँ ने अपनी झोंक में कह दिया, लेकिन जब उनको समझा कि वो क्या बोल गईं, तो उनके गाल शर्म से लाल हो गए।

“हाआआS... दादा...”

“क्या हाआआ?” पापा ने अपनी बहन से छुपा कर माँ के कान की लोलकी को प्यार से चूमते हुए कहा, “मेरी दुल्हनिया... तुम तो मेरे लिए गॉड्स गिफ़्ट हो!”

फिर अपनी बहन की तरफ़ मुखातिब होते हुए बोले, “अब तुम ही बताओ पुचुकी, अगर मैं अपने गिफ़्ट को खोल कर देखना चाहता हूँ, तो क्या कुछ गलत करता हूँ?”

कहते हुए वो माँ के पीछे चिपक कर बैठ गए थे। माँ अपने कान पर पापा के चुम्बन को महसूस कर के काँप उठीं। और अब पापा के इतने निकट बैठने से उनका शरीर भी स्वेच्छा से प्रतिक्रियाएँ कर रहा था।

माँ फुसफुसा कर बोलीं, “हाँ...”

लतिका हँसते हुए बोली, “नहीं दादा! कुछ भी गलत नहीं है... बोऊ-दी हैं ही इतनी प्यारी!”

लतिका ख़ुशी से अपने बड़े भाई द्वारा मेरी माँ को दी जा रही चंचल छेड़खानी को देख रही थी। वो दोनों एक-दूसरे के प्यार में पूरी तरह से डूबे हुए थे - और दोनों न केवल शारीरिक स्तर पर, बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी मज़बूती से जुड़े हुए थे। जब कोई व्यक्ति किसी से मोहब्बत करता है, तो उसमें अगले के लिए एक उम्मीद, एक भरोसा, और एक अपनापन होता है, और हक़ भी! जो लोग मोहब्बत में गिरते हैं, वो गिरते नहीं - बल्कि और भी कद्दावर हो जाते हैं। जब मोहब्बत गाढ़ी हो जाती है, तो मामूली चीनी की चाशनी भी शहद बन जाती है। उसकी बोऊ-दी और उसके दादा की मोहब्बत वैसी ही थी... हम सभी के लिए प्रेरणा! और लतिका को बड़ी उम्मीद थी कि हमारी मोहब्बत भी उन्ही के जैसी रहेगी!

उसने एक बार फिर अपने गेटअप को देखा, और फिर उन दोनों को, फिर गहरी साँस छोड़ कर बोली, “ओके लव-बर्ड्स... मैं जाती हूँ... आप दोनों अपना काम कर लो...”

उसकी बात सुन कर दोनों जैसे वापस धरातल पर आ गए, “अरे… ओह!” पापा ने कहा, “तुझको कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है, पुचुकी... मैं और तेरी बोऊ-दी बाद में ‘प्यार’ कर लेंगे!”

“धत्त!” माँ ने मज़ाक में विरोध किया।

“अरे क्या धत्त! ... हम दोनों अकेले होते हैं, तो अलग नहीं रह पाती, और अभी धत्त कह रही हो!”

“बदमाश हो आप! ... सच में! छोटी बहन के सामने भी बेशर्मी...!”

“नहीं बोऊ-दी! आप दोनों खेलिए! मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं! ... आप दोनों खेलते हुए बहुत क्यूट भी तो लगते हैं!”

“सुना? अच्छा दुल्हनिया...” पापा ने मसखरी करते हुए कहा, “अभी के लिए बस दिखा ही दे।”

“क्या दिखा दूँ?” माँ बोलीं - यह अच्छी तरह जानते हुए भी कि पापा क्या चाहते हैं।

“तेरे दुद्धू... अब तो दो दिन हो गए...”

“अच्छा जी! ... अभी तो आप कह रहे थे कि जब मैं आप के साथ अकेली होती हूँ, तो खुद पर कण्ट्रोल नहीं कर पाती! ... और अब ये नया नाटक...”

“अच्छा, बस थोड़ा सा...”

उनकी ये हालत देख कर लतिका और माँ दोनों ही हँसने लगीं, “बोऊ-दी! आप बहुत स्वीट हो!”

“दुल्हनिया देख न... इनसे दूध निकल रहा है।” कह कर पापा माँ की ब्लाउज़ के बटन खोलने लगे।

“दादा आपको बहुत सताते हैं न, बोऊ-दी...” लतिका को अपनी भाभी से सहानुभूतिपूर्वक कहा।

“बहुत ज्यादा!” माँ सहमति में मुस्कुराईं।

“अरे, अपने लिए थोड़े ना कह रहा हूँ...” पापा बटन खोलते हुए बोले, “... ये तो मेरे बेटे और मेरी बहू के पीने के लिए हैं!”

“आहाहाहा! कितने भोले हैं आप दादा।” लतिका ने उनको चिढ़ाया, “अपने लिए आपको जैसे कुछ भी नहीं चाहिए!”

“और क्या! ... सब तुम बच्चा लोगों का ही तो है! हाँ, अगर तुम दोनों से कुछ बच जाएगा, तो मैं भी पी लूँगा।” उन्होंने माँ का ब्लाउज उतारते हुए कहा।

माँ ने शायद नोटिस नहीं किया, जब पापा उनसे सटे हुए बैठे थे, तब उन्होंने उनकी साड़ी भी पेटीकोट से निकाल दी थी। लिहाज़ा माँ अब केवल पेटीकोट में थीं।

“इसको भी क्यों छोड़ दिया आपने?” माँ ने अपने पेटीकोट की ओर इशारा करते हुए कहा।

वो शिकायत नहीं कर रही थीं - बल्कि अपने पति के नायाब शरारतों पर ज़ोर दे रही थीं।

“ओह! अभी लो मेरी जान...” पापा ने उत्साह में कहा, “उतार दूँ?”

“पिटेंगे आप अब...”

“हा हा! दादा... आप सचमुच बहुत बदमाश हैं।”

“अरे! एक तो मैं अपनी पत्नी से रिक्वेस्ट कर रहा हूँ, कि वो तुम्हें और तुम्हारे हस्बैंड को अपना दूध पिला दें... और तुम मुझे बदमाश कह रही हो! ... वैरी बैड, पुचुकी!”

“दादा, बोऊ-दी... आई लव यू बोथ सो मच!”

“मैं भी मेरी बच्ची,” पापा ने कहा और लतिका को अपने गले से लगा लिया।

मी टू... मेरी जान है तू! हमेशा से...” माँ भी उनके साथ ही शामिल हो गईं।

आई विश, आप दोनों की मैरीड लाइफ खूब लम्बी रहे, और आप दोनों इसी तरह से एक-दूसरे को प्यार करते रहें।” लतिका ने जैसे उन दोनों को आशीर्वाद दिया हो! उसकी आँखों में पानी आ गया।

“ओह मेरा बच्चा,” माँ ने लतिका को अपने सीने में भींचते हुए कहा, “थैंक यू बेटू! ... मैंने तुझको नहीं जना तो क्या... तू मेरी ही बेटी है!”

“हाँ बोऊ-दी... मैं हूँ आपकी ही बेटी।” लतिका ने कहा, और माँ के स्तनों को बारी बारी से चूम लिया।

“सिर्फ चूमो मत... पियो... ये तुम बच्चों के लिए ही हैं!” माँ ने उसका हौसला बढ़ाया।

लतिका शरमाकर मुस्कुरा दी। माँ लतिका का हाथ पकड़ कर, बिस्तर अधलेटी अवस्था में लेट गईं। लतिका माँ के साथ हो ली और उनके बगल करवट लेकर लेट गई। फिर उसने माँ के एक स्तन को अपने दोनों हाथों में लिया और उसके चूचक को अपने मुँह में के कर दूध पीने लगी। तुरंत ही उसको अपना पुरस्कार मिल गया।

उधर पापा को वो दृश्य इतना सुन्दर लगा कि उन्होंने जल्दी से उठ कर, कैमरा निकाल कर उन दोनों की कई तस्वीरें निकाल लीं।

लतिका ने कुछ क्षण स्तनपान कर के कहा, “बोऊ-दी, बहुत मीठा दूध है...”

“थैंक यू, बेटा! ... आई ऍम हैप्पी कि तुम्हें ब्रेस्टफीड करना इतना अच्छा लगता है! ... मैं चाहती हूँ कि जब तेरे बच्चे हों, तो उनको भी ऐसा ही मीठा दूध मिले!”

“बोऊ-दी!” लतिका ने शरमाते हुए कहा, और अपना चेहरा माँ के सीने में छिपा लिया।

“क्या बोऊ-दी?” पापा ने उसको टोकते हुए कहा, “तेरे बच्चे नहीं होंगे, तो मैं दादा कैसे बनूँगा? और जब तेरे बच्चे होंगे, तो तुझे दूध भी तो आएगा!”

“आप बनोगे मामा... दादा नहीं।” लतिका बोली।

“अरे! लेकिन, अमर तो मेरा बेटा है ना... और तू उसकी बीवी, मतलब, मेरी बहू... फ़िर कैसे?”

“हा हा! ठीक है... आप दादा भी बन जाना! दादा और मामा दोनों! ... अब खुश?”

“बहुत खुश!” पापा ने कहा, और उठते हुए बोले, “... बेटे को भी बुला लेता हूँ,” उन्होंने कहा और कमरे से बाहर चले गए।

लतिका ने माँ के गर्भ पर प्यार से हाथ रखते हुए अंदर पलते हुए बच्चे की गतिविधियाँ महसूस करीं। बच्चा रह रह कर कुछ हरकतें करता, तो बाहर से सब कुछ महसूस होता।

“मम्मा... बेबी मूव कर रहा है...” लतिका आश्चर्यचकित आनंद से बोली।

“हाँ... पूरा टाइम योगा करता रहता है अब तो!” माँ ने हँसते हुए कहा, “कम सोता है, और बहुत उधम मचाता है!”

“हा हा! बाप रे! अभी से पूरी पर्सनालिटी बन गई है उसकी! ... वैसे बोऊ-दी, आपको कैसा महसूस होता है?”

“मतलब?”

“मतलब... आपको अच्छा लगता है... कि डर?”

“जनरली अच्छा लगता है बेटू... लेकिन, बुढ़ापे में माँ बनना... तुम्हारे दादा को समझाने की बड़ी कोशिश करी मैंने, लेकिन वो कुछ समझते ही नहीं!”

“अरे! ऐसे क्यों कह रही हैं आप? कहाँ बुढ़ापा है?”

“और क्या! अब मेरी उम्र है क्या बच्चे करने की?”

“बोऊ-दी... क्यों नहीं है? और वैसे भी, आप अपनी उम्र की लगती भी कहाँ हैं!”

“हा हा...!”

“दादा की आँखें देख कर कोई भी कह सकता है कि उनके मन में केवल आप ही बसती हैं... और आप भी दादा की दीवानी हैं पूरी! ... इतनी सच्चाई है आप दोनों के प्यार में, इसीलिए तो आप दोनों की छेड़खानी भी इतनी क्यूट लगती है!”

“हा हा हा हा!”

“और आप ऐसा वैसा क्यों सोचती हैं, बोऊ-दी? ये तो बड़ी बात है न कि आपको अभी भी बेबीज़ हो रहे हैं! ... कितने किस्मत वाले होते हैं जिनको इच्छा के अनुसार बच्चे होते हैं! ... अम्मा और बापू भी तो एक और बेबी ट्राई कर रहे हैं कुछ टाइम से...”

“हा हा! हाँ...”

“अच्छा बोऊ-दी, बापू अम्मा को खुश रखते हैं न?”

“बहुत! ... बहुत खुश भी रखते हैं, बहुत प्यार भी करते हैं... तुम उनकी चिंता न करो!”

“बोऊ-दी?”

“हाँ बच्चा?”

“बहुत अच्छा किया आप लोग सब यहीं आ गए! ... अपने बड़ों के साथ रहने में बहुत अच्छा लगता है!”

“यहाँ आओ मेरी बच्ची,” माँ ने उसे अपने स्तनों में भींचते हुए कहा, “तुम सबसे अलग हो कर भी कहाँ रहूँ! मुंबई में रहते हुए ऐसा लगता था कि जैसे मेरे दिल के कई हिस्से कर दिए गए हों! ... अब सुकून आ गया है!”

कह कर माँ ने अपने उस स्तन को थोड़ा दबाया, तो उसमें से दूध का एक छोटा सा फव्वारा फूट कर लतिका के मुँह में जा गिरा, जिसे वो ख़ुशी से पी गई।

“बोऊ-दी?”

“हाँ बेटा?”

“आप बहुत छोटी थीं न, जब ‘ये’ हुए थे?”

“हाँ,” माँ मुस्कुराईं, “लेकिन वो पुरानी बातें हैं...” माँ जैसे पुरानी यादों में खोती हुई बोलीं, “कितनी नादान थी मैं तब!”

“भोली थीं आप... और अभी भी हैं! भोली और बहुत प्यारी! और बहुत ही सुन्दर...” लतिका ने कहा।

“तुम बहुत ही स्वीट हो, मेरी बच्ची!”

“वैसे, नादान क्यों कहा आपने खुद को?”

“नादान नहीं तो और क्या? ... शादी होते ही बच्चा हो गया! और कच्ची उम्र... नादानी ही तो है!”

“तो क्या आप दादा के साथ शादी करते समय भी नादान थीं?”

“मैं नहीं! लेकिन तुम्हारे दादा तो हैं नादान!” माँ के गाल शर्म से लाल सुर्ख़ हो गए, “... इनको ढेर सारे बच्चे चाहिए थे, और मैं इनकी सब इच्छाएँ पूरी करना चाहती थी... सोचा कि कहीं उम्र न निकल जाए हाथ से!”

“इसीलिए तो मैंने आपको भोली कहा! ... आप हम सबके लिए ईश्वर का आशीर्वाद बन के आई हैं!”

“अरे बस बस! ऐसे चने के झाड़ पर न चढ़ा मुझे! ... सच कहूँ पुचुकी… उन्होंने मुझे पिछले नौ सालों में वो सुख दिए हैं, जिनके बारे में मैं सोच भी नहीं सकती थी! ... मेरा जीवन ख़ुशियों से भर दिया!”

आई ऍम सो हैप्पी नोइंग इट, बोऊ-दी!”

“... अमर की पढ़ाई लिखाई के लिए अपनी खुशियों से बहुत से समझौते कर लिए थे हमने... वो अच्छा बच्चा निकला... सोचा कि वो ही कई सारी इच्छाएँ पूरी कर देगा! लेकिन फिर एक के बाद एक...” माँ हमारे उस दुःख भरे अंतराल को याद कर के द्रवित हो गईं, फिर आँसू पोंछते हुए बोलीं, “... लेकिन तेरे दादा ने... उन्होंने न केवल सब इच्छाएँ पूरी करीं, बल्कि नई इच्छाओं को पनपने का भी मौका दिया! ... इसीलिए तो अमर भी इनको दिल से अपना पापा मानता है।”

“हाँ बोऊ-दी! यह तो हमको पता ही है। … और इसीलिए मेरे मन में एक दबी हुई इच्छा थी कि आपको अभया के बाद कम से कम एक और बेबी हो।”

माँ मुस्कुराईं, “हे प्रभु! … जिसको देखो वही ये मना रहा था भगवान से! लेकिन अब और न माँगना! अब मैं संतुष्ट हूँ… चार… नहीं, पाँच बच्चे काफी हैं। … भगवान की दया से सबको पालने के लिए सामर्थ्य भी है!”

“पाँच?” लतिका ने विरोध किया.

“ओह, सॉरी सॉरी बेटू… पाँच नहीं, सात!” माँ मुस्कुराती हुई बोलीं।

“करेक्ट!” लतिका ने कहा, मुस्कुराई, और वापस दूध पीने लगी।

“अच्छा पुचुकी…” माँ ने पूछा, “तुम दोनों ने कुछ किया?”

“क्या बोऊ-दी?”

“सेक्स… और क्या?”

“हमने एक बार ट्राई किया था बोऊ-दी…” लतिका ने हिचकते हुए बताया, “... लेकिन जब मुझे बहुत दर्द होने लगा तो इन्होने रोक लिया!”

“शुरू शुरू में तकलीफ़ होती ही है...”

“हाँ बोऊ-दी... वो तो मैं भी समझती हूँ... लेकिन...”

“उसका नुनु बड़ा है न?” माँ ने समझते हुए कहा।

लतिका ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

माँ बोलीं, “इस मामले में ये दोनों बाप बेटा एक जैसे हैं! दोनों के नुनु बड़े और मज़बूत हैं!”

बोऊ-दी!” लतिका ने शर्मा कर अपना चेहरा माँ के सीने में छिपा लिया।

“अरे… अपने हस्बैंड का नुनु तो मजबूत होना ही चाहिए।” माँ बोलीं, “कमज़ोर अंग का मतलब ये है कि हम माँओं ने ठीक से नहीं पाला पोसा अपने लड़कों को!”

“बोऊ-दी, आपने अपने बेटे को इतने अच्छे से पाला है, कि मेरी ही दिक्कत हो गई!”

“हा हा...” माँ ने हँसते हुए लतिका के लहँगे की डोर को ढीला कर के उसको, उसकी चड्ढी समेत नीचे सरका दिया। और फिर उसकी योनि क्षेत्र का निरीक्षण करने लगीं। यह ऐसी कोई बड़ी बात नहीं थी - स्तनपान करते समय बच्चों को नग्न करा जाना बड़ी सामान्य सी बात थी। लेकिन फिलहाल माँ का उद्देश्य अलग था।

“ये तो छोटी सी है, बेटू...” माँ ने उसकी योनि का निरीक्षण करते हुए कहा।

“हाँ बोऊ-दी...”

माँ ने अपनी उँगली उसकी योनि के होठों पर फिराई; लतिका ने अपनी जाँघें थोड़ी चौड़ी कर दीं, जिससे माँ ठीक से जाँच सकें। माँ ने लतिका की योनि में अपनी तर्जनी प्रविष्ट करने की कोशिश की, लेकिन वो समझ गईं कि रास्ता तंग था।

“उस दिन टेंशन में थी क्या?”

लतिका ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

माँ मुस्कुराईं, “बिटिया रानी… सेक्स के समय रिलैक्स रहना ज़रूरी है... तेरी म्यानी छोटी सी है, लेकिन ऐसी छोटी नहीं कि सेक्स हो ही न पाए! ... अच्छी बात ये भी है कि तू एथलीट है... तुम्हारे पैर की मसल्स मज़बूत हैं। इसलिए तुम पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइसेज़ किया करो। उससे म्यानी में और उसके आस पास की मसल्स में फ्लेक्सिबिलिटी आती है, और इंटरकोर्स का पेन ईज़ होता है।” उन्होंने समझाया।

लतिका कुछ न बोली।

फिर कुछ सोच कर माँ बोलीं, “आई ऍम श्योर वो इस बात का ध्यान रखता होगा कि फोरप्ले पर ज्यादा टाइम बिताए... और आयल रखा करो... जैसे ऑलिव आयल या कोकोनट!” माँ ने आगे दबी आवाज़ में कहा, “... सरक के अंदर घुस जाएगा... हा हा हा!”

लतिका ने कुछ नहीं कहा, लेकिन वो शर्म से लाल हो गई।

“मेरी बन्नो, शरमाओ मत... तू तो छोटी है… मेरा ही ले लो... तेरे दादा और मैंने जब पहली बार सेक्स किया था, तब मैं खुद भी परेशान हो गई थी दर्द से! ... और ये तब है जब मैं एक बच्चा जन चुकी थी, और चालीस के ऊपर हो चली थी!”

“इतना बड़ा है दादा का, बोऊ-दी?”

“हाँ न… तब मैंने भी अम्मा से यही शिकायत करी थी, जो तू मुझसे कर रही है!” माँ ने हँसते हुए बताया।

“ओह बोऊ-दी, आप सच में बहुत क्यूट हो!” लतिका ने कहा, और वापस माँ के स्तन से जा लगी।

उतने में पापा और मैंने कमरे में प्रवेश किया। लतिका एक पल को अचकचाई, लेकिन माँ की गोद में लेटी होने के कारण वो शांत भी हो गई। पापा ने भी इस बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी कि उनकी बहन नीचे से पूरी नग्न थी। वैसे भी स्तनपान के समय बच्चों का नग्न रहना एक सामान्य सी बात थी।

“अरे पुचुकी! सब पी लेगी, या मेरे बेटे के लिए भी कुछ छोड़ेगी?” पापा बोले।

इन दोनों भाई बहन की नोंक झोंक बड़ी निराली थी।

दादा!”

“आप मेरी बच्ची को न सताईये!” माँ बोलीं, “... यहाँ आओ बेटे!” और मुझे अपने पास बुलाईं।

मैं इस बात को कहते हुए थक नहीं सकता कि माँ बेहद सुन्दर स्त्री हैं! पापा कितने भाग्यशाली हैं, कि उनको माँ जैसी सुन्दर और उर्वर स्त्री के संग का आनंद मिल रहा है। मैं स्वयं उनका प्रेम पा कर खुद को बहुत भाग्यशाली महसूस करता हूँ! मैं इस उम्र में भी उनके स्तनपान का सुख ले पा रहा हूँ, यह स्वयं में ही एक चमत्कार था! मानो भगवान स्वयं अपनी अमृत वर्षा से मुझे आशीर्वाद दे रहे हों। मैं माँ के सामने आ खड़ा हुआ।

माँ ने प्रसन्नतापूर्वक कहा, “मेरे बच्चे अगर मेरा दूध नहीं पी सकते, तो क्या फायदा?” और फिर मेरी नाइट-शर्ट के बटन खोलती हुई बोलीं, “मेरा तो मन है कि इन दोनों के बच्चों को भी अपना दूध पिलाऊँ!”

माँ की बात पर मुस्कुराए बिना रहा नहीं जा सकता! गज़ब का विशेषाधिकार है न - मैं भी माँ का स्तनपान कर सकूँ, मेरी बीवी भी, और मेरे बच्चे भी! ऐसा ही सौभाग्य अम्मा को ले कर भी है...

“माँ...” मैंने कहा, “आप बेस्ट हैं!”

माँ ने मेरे पजामे को भी नीचे सरकाना शुरू कर दिया।

“आई नो!” माँ ने मुझे पूरी तरह से निर्वस्त्र कर दिया, “आजा मेरे पास... मेरे बेटा बहू आज साथ में ब्रेस्टफीड करेंगे!”

माँ ने आदेश दिया।

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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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सब अच्छी चीज़ों की तरह, खत्म! :feelsbadman:

अरे उसके पहले फिलहाल ये 6500+ शब्दों का अपडेट हाज़िर है।
 
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Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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अहो avsji भाई, बेहतरीन उपलब्धि... देवनागरी में लिखे ०२ अपडेट... खैर आप का रिकॉर्ड उससे ज्यादा का है...

इस मामले में आपके समक्ष मात्र komaalrani जिज्जी ही ठहर पाती हैं... आप ही के समान कुछ और भी अद्वितीय अद्भुत क्षमता वाले लेखक हैं परंतु उनकी लेखनी में निरन्तरता का अथाह अभाव है।

अब कथानक अंतिम चरणों में है, परन्तु आप से असीम अनंत अपेक्षाएं हैं।

साधुवाद जय जय
 
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