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माई गाॅड , क्या था ये ! सुमन जी और सुनील का हमबिस्तर होना और साथ साथ लतिका और अमर का भी हमबिस्तर होना - और वह भी एक ही बिस्तर पर !
दिस वाज अनविलिवल ।
मां अपने जवान बेटे के आंखो के सामने अपने हसबैंड के साथ सेक्स करती है और एक बहन अपने बड़े भाई के सामने अपने मंगेतर के साथ सेक्स करती है। यह ग्रूप सेक्स के कैटिगरी मे आता है।
ये एक इरोटिका सेक्सुअल इवेंट्स की पराकाष्ठा थी। ताज्जुब इस बात का है कि इतना सबकुछ होने के बाद भी अमर के मन मे अपनी खुबसूरत और हसीन मां के लिए सेक्सुअल जज्बात ना जगे और उसी तरह एक कमसिन , जवान किशोरी बहन को सेक्सुअल क्रीड़ा करते देख सुनील भी बिल्कुल उदासीन सा रवैया अपनाया।
ऐसे फैमिली बहुत मुश्किल से मिलते हैं जहां न्यूडिटि , और ओपन सेक्स कोई मायने नही रखते। पर इस पुरे सीन्स को आपने अत्यधिक कामुक भी बना दिया। एक बेहतरीन आर्ट फिल्म के उस सेक्स सीन्स की तरह जिसकी सिर्फ प्रशंसा ही की जाती है।
लेकिन भाई साहब , यह जरूर बताने की कोशिश कीजिएगा कि आपने इस अपडेट का कौन सा पार्ट लिखा है और मेरी छोटी बहन ने कौन सा पार्ट लिखा है।
बहुत ही खूबसूरत और शायद दूसरी बार हाॅट अपडेट।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग अपडेट avsji भाई।
अद्भुत क्षमता के लेखक श्रीमती अंजलि एवं भ्राता श्री avsji .. दीपोत्सव पुर्व आपके दो विस्फोटक अद्यतन। स्वागत योग्य है।
आज के ०२ अध्यतनों में संभोग का ऐसा अपुर्व वर्णन, पहले किसी कथानक में न लिखा गया है न कभी भारतीय जनमानस ने विचारा होगा...
बड़ा ही अद्भुत, अविस्मरणीय, क्लिष्ट एवं विशद वर्णन है कि एक परिवार कैसे एक ही कक्ष में अपने स्नेहीजनों के समक्ष अपने प्रियतम से कामुक आचरण करे
{माता के समक्ष एक पुत्र एवं ज्येष्ठ भ्राता (पितृ सम) के समक्ष सहोदरा भगिनी... न सिर्फ अपने प्रियतम से प्रणय निवेदन करें एवं उनके समक्ष अपनी रति क्रीड़ा में रत हों... तथा उनके द्वारा किए जा रहे संभोग क्रिया के प्रत्यक्ष रूप में साक्षी होकर उसका रसास्वादन भी करें}
तथापि पुत्र का अपनी जननी एवं पिता के समान भ्राता का अपनी पुत्री के समान बहन के प्रति ग्लानि/ घृणा अथवा कामना के भाव जागृत न हों... ऐसा अनुरक्ति {कामोत्तेजना} का चित्रण इतने विरक्त मनोभाव से वर्णन... अहो अहो
आपको सादर अभिवादन... एवं बहुमान ... जय जय... जय जय।
Never in the wildest of my dreams had I expected a foursome scene. Mind = Blown.
avsji bhaiya keeps peaking. Absolutely GOATed writing.
यह तो नाइंसाफ़ी है पर कोई बात नहीं बाक़ी सब तो जानते ही हैं।तुम तो मेरे सबसे प्रिय, छोटे भाई हो - तुमको मेरा किया हुआ कुछ खराब लगता ही नहीं।
इसलिए तुम्हारी बात मानी नहीं जाएगी
बुरा लग ही नहीं सकता था, बुरा क्या एक बार भी कोई ऐसा वैसा विचार तक उत्पन्न नहीं हुआ। इतना सौम्य दृश्य दर्शाया है आपने। कोई छल नहीं, कोई कपट नहीं, सिर्फ़ प्रेम।संजू भाई - आप उन गिने चुने पाठकों में से हैं, जो जैसी भी कहानी हो, लेखक को अवश्य प्रोत्साहित करते हैं।
ग्रुप सेक्स तो है, लेकिन फिर भी, एक अलगाव है। दोनों में कोई इंटरेक्शन नहीं है।
लिखते समय मैं समझ रहा था कि पाठकों को कत्तई अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन अब लग रहा है कि जितना डर था, उतना बुरा नहीं लगा।
कुछ दिनों पहले मैं और अंजलि एक फिल्म देख रहे थे - 'द ड्रीमर्स' (जेम्स बांड वाली एवा ग्रीन है इसमें हेरोईन)! वहाँ से ये आईडिया आया।
अंत में, बहुत बहुत धन्यवाद। सोच रहा हूँ, इसको ख़तम कर के ही 'श्राप' पर काम शुरू करूँ।
दोनों कहानियाँ ख़तम कर देना चाहता हूँ 'बहुत बिजी' होने से पहले