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बहुत ही अच्छा अपडेट। ब्राजील के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला, वैसे थोड़ा बहुत तो पता था, पर आप जब कहानी के माध्यम से बताते हो तो मजा आता है।
चैटबॉक्स, सायद आपको पता हो २०१२—१३ में याहू मैसेंजर बहुत प्रचलित था। वहा दुनिया भर के अलग अलग ओपन चैट रूम्स हुवा करते थे। फिर करीब १ २ साल बाद उन्होंने ओपन चैट रूम की सुविधा बंध करदी!!!
ओह, आपको गुस्सा आता है, लेकिन समझ में आता है, आपने अच्छा कंटेंट लिखने के लिए समय दिया और कोई प्रतिक्रिया नहीं मिले.इतने लम्बे लम्बे अपडेट लिखने में समय क्यों खपाना, जब किसी से एक लाइन कमेंट नहीं लिखे जा सकते।
कहानी बंद अब।
ओह, आपको गुस्सा आता है, लेकिन समझ में आता है, आपने अच्छा कंटेंट लिखने के लिए समय दिया और कोई प्रतिक्रिया नहीं मिले.
पहला प्रेम अध्याय पूरा पढ़ा। अमर और गैबी के बीच कितना प्यार है. साथ ही अमर के माता-पिता उन्हें कितना प्यार देते हैं। अमर की माँ का दोनों को स्तनपान करना और उसके बाद गैबी अमर की माँ की पूजा करती है। बहुत प्यारा.
बहुत मज़ा आता है, पढ़ते वक्त ऐसा लगता है जैसे मन मैं कोई वेब सीरीज देख रहे हो।गुस्सा आता था! अब नहीं।
प्रतिक्रिया न मिलने के कई कारण हैं - बेहया पाठक, इस वेबसाइट का यूज़र इंटरफ़ेस, इश्तिहारों के अनगिनत पॉप-अप इत्यादि!
इसलिए केवल मन बहलाने को लिखता हूँ। कुछ लोग वो सब पढ़ कर साथ हो लेते हैं, तो आनंद कई गुणा बढ़ जाता है। बस।
गैबी बहुत ही अच्छी और प्यारी लड़की है।
और अमर की माँ तो अलग ही प्रकार की स्त्री हैं - प्रेम और वात्सल्य का उदाहरण!
पढ़ती रहें - उम्मीद है आपको आनंद मिलता रहेगा
बहुत ही पहुंची हुई चीज है avsji सर । वगैर इन्सेस्ट डाले , वगैर एडल्टरी डाले , वगैर वाइफ स्वैपिंग डाले , वगैर ग्रूप सेक्स डाले अपनी स्टोरी मे उसका फीलिंग्स करवा देंगे ।बहुत मज़ा आता है, पढ़ते वक्त ऐसा लगता है जैसे मन मैं कोई वेब सीरीज देख रहे हो।
आशा है आप कोय अच्छा विषय ढूंढ के एक हॉरर स्टोरी लिखे। जिस तरह आप लिखते हो तो हॉरर स्टोरी में चार चांद लग जायेंगे। आप समय लेके कोय अच्छा विषय ढूंढे।
उनकी कहानी की दीवानी तो बना दिया है।बहुत ही पहुंची हुई चीज है avsji सर । वगैर इन्सेस्ट डाले , वगैर एडल्टरी डाले , वगैर वाइफ स्वैपिंग डाले , वगैर ग्रूप सेक्स डाले अपनी स्टोरी मे उसका फीलिंग्स करवा देंगे ।
सम्भल के रहिएगा हमारे avsji भाई से । कहीं आप उनके चिकनी चुपड़ी बातों से बहक न जाए !
बहुत ही पहुंची हुई चीज है avsji सर । वगैर इन्सेस्ट डाले , वगैर एडल्टरी डाले , वगैर वाइफ स्वैपिंग डाले , वगैर ग्रूप सेक्स डाले अपनी स्टोरी मे उसका फीलिंग्स करवा देंगे ।
सम्भल के रहिएगा हमारे avsji भाई से । कहीं आप उनके चिकनी चुपड़ी बातों से बहक न जाए !
प्रिय लेखक जी, यहां आकर मेरे मन में शिकायत पैदा हो गई। मै जब तक अमर का लिंग डेवी योनि में प्रवेश नहीं कर गया तब तक यहीं सोचता रह कि शायद अब रुक जायेंगे अब रुक जायेंगे। लेकिन आपने पारिवारिक प्रेम को भुला कर व्यक्तिगत सेक्स की पटरी पर कहानी को डाल दिया । माना कि अमर के माता पिता को , काजल को अमर से कोई शिकायत नहीं होगी लेकिन फिर भी अगर आप चुदाई से पहले डेवी को अमर के परिवार से अवगत कराते तो शायद कहानी में इमोशंस बरकरार बने रहते। जबकि गेबी भी शिक्षित थी वो भी पहले चुदवा चुकी थी और वो सेक्स फ्री देश की रहने वाली थी और डेवी तो देसी है फिर भी उसने पहले सेक्स को प्राथमिकता दी परिवार की जगह।अमर का भोलापन, उसका वियोग, उसका पारिवारिक प्रेम, सबको खतम करके सेक्स का रोगी बना दिया।नया सफ़र - लकी इन लव - Update #9
“देवयानी,” मैंने उससे कहा, “तुम्हें ब्रा पहनने की ज़रूरत कोई नहीं है। अब से इन्हे मत पहना करो!”
वो खिलखिला कर हँसी और बोली, “ठीक है पतिदेव, अगली बार जब मैं आप से मिलूँगी, तो नहीं पहनूँगी। लेकिन हर कोई इनको इस तरह नहीं देख सकता!”
मतलब आगे भी हमको इस तरह के अनुभव होते रहेंगे! बढ़िया! खुला निमंत्रण! अब मैं उसके साथ यौन संबंध बनाने से बस कुछ ही क्षण दूर था! यह मेरा प्राथमिक उद्देश्य नहीं था... लेकिन अब उसके साथ संभोग करने की संभावना मुझे पागल कर रही थी। मेरे जुनून के सामने डेवी ने आत्मसमर्पण कर दिया था, तो मैं भी उसको भोगने के लिए मानसिक रूप से पूरी तरह से तैयार था! वैसे भी अब मैं सीधा सीधा नहीं सोच रहा था। मेरे दिमाग में उठता प्रत्येक विचार बस इसी प्रत्याशा से भरा हुआ था कि मेरे लिंग का उसकी योनि में फिसलना कैसा महसूस होगा?
मैंने उसके शरीर के हर अंग को बार बार चूमा, और ख़ास तौर पर उसके चूचकों को - जिनको मैंने कई बार चूसा। डेवी का निचला होंठ अब तक काफी सूज गया था। हो ही नहीं सकता कि उसको यह बात न मालूम पड़ी हो। डेवी की भावभंगिमा अब नटखट सी, सुंदर सी और क्यूट हो गई थी। उसकी योनि में से काम-रस भारी मात्रा में निकलने लगा। सोफे पर उसके गीलेपन के चिन्ह साफ़ दिखाई दे रहे थे। मेरा मुँह अभी भी उसके एक चूचक से लगा हुआ था, इसलिए, मैं एक हाथ बढ़ा कर उसकी योनि और भगशेफ के साथ खेलने लगा। डेवी को भी खेलने के लिए कुछ चाहिए था, इसलिए मैंने उसका हाथ अपने स्तंभित लिंग पर रख दिया। मेरे लिंग पर हाथ लगाते ही उसकी सिसकी निकल गई और वो हाथ हटा कर उसको देखने लगी। लिंग की हालत देख कर डेवी की सेक्स करने का जो भी साहस था, वो जाता रहा। फिर भी, डेवी ने उसको सहलाया अवश्य - यह न हो कि मैं बुरा मान जाऊं! सच में, बाकी दिनों के मुकाबले आज मेरा लिंग आकार में थोड़ा और बढ़ गया था। और इस कारण से वो डेवी को अजनबी सा लग रहा था।
डेवी के एक परिपक्व नितम्ब को पकड़कर मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा - मेरा उग्र स्तम्भन अब पहली बार उसके शरीर से छुआ! हमने फिर से चुम्बन किया - खुले मुँह वाला, और कामुक चुम्बन! समय आ गया था - डेवी भी इसको रोकने में असमर्थ थी! उसने अपना पाँव उठा कर मेरे पैरों के पीछे रख दिया। उधर मेरा हाथ उसकी योनि पर चला गया - जब मेरी उँगलियों ने उसकी नम योनि मुख को छुआ, तो वो मेरे मुँह में उस छुअन से कराह उठी। मैंने अपनी दो उँगलियों को उसके रेशमी भगोष्ठ के बीच सरकाते हुए, अपने लिंग को उसके पेट पर फिराया। डेवी की योनि गर्म और पूरी तरह से नम थी; उसकी योनि मेरे लिंग का स्वागत करने को तैयार थी। मैंने उसके भगशेफ को सहलाया और योनिमार्ग में अपनी उंगली सरकाई। इस भेदन से उसका पैर एकाएक सख्त हो गया। कामुकता से उसने अपनी योनि को मेरे शरीर पर दबा दिया।
“मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ, डेवी!” मैं फुुसफुसाया।
डेवी की आह निकल गई। उसने मुझे मुँह पर फिर से चूमा - जैसे वो कोई आश्वासन चाहती हो। मुझे चूमते समय उसका शरीर कांप रहा था, और उसकी बाहें मेरे चारों ओर लिपटी हुई थीं। चाहे कैसी भी घबराहट रही हो, लेकिन डेवी इस समय खुद को रोकने में असमर्थ थी। उसने फिर से अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ा - मुझे उसकी योनि से बहती फिसलन भरी नमी अपने लिंग पर महसूस हुई।
“बहुत दुखेगा न?”
डेवी को मेरे लिंग के आकार से शंका हो रही थी - वो समझ नहीं पा रही थी कि यह उसके अंदर ठीक से फिट भी होगा या नहीं! और अगर अंदर घुस भी गया, तो उसकी क्या हालत होगी!
“इसके साथ कुछ समय खेलोगी, तो ये डरावना नहीं लगेगा!” मैंने सुझाव दिया।
“कैसे?” उसने पूछा।
“जैसे तुम्हारा मन करे... मुँह में लो?” मैंने फिर से सुझाव दिया।
अनिश्चितता के साथ वो उठी और फिर उसने धीरे से मेरे अण्डकोषों को पकड़ लिया।
“मुँह...” मैंने अपनी बात दोहराई।
इस बार उसने मेरी बात मान ली, और उसने मेरे लिंग को पकड़ कर उस पर अपनी जीभ फिराई। उसके मुँह की गर्म अनुभूति ने मुझे बहुत सुख दिया। मैंने थोड़े प्रयास से शिश्नाग्रच्छद को पीछे सरकाया, जिससे मेरा शिश्नाग्र खुल जाए।
हालाँकि वो जानती थी कि मेरा लिंग साफ है, लेकिन फिर भी वो इसे मुँह में लेने का मन नहीं बना पा रही थी। झिझकते हुए उसने मेरे शिश्नाग्र को चाटा। अनायास ही उसने मेरे लिंग को थोड़ा दबाया, जिससे उसके सिरे पर प्री-कम की बूँद निकल आई। उसने कुछ सोचा, और फिर प्री-कम को चाट लिया। अब तक उसकी झिझक थोड़ी कम हो गई थी - उसने अपने होठों को मेरे शिश्न के चारों ओर लपेटा और फिर लिंग को चाटा और चूसा! एक दो बार उसने उसको हलके से काट भी लिया। शिश्नाग्र पर काटा जाना कोई बहुत सुखद अनुभूति नहीं होती - तो मेरी हलकी से आह निकल गई। इस पर डेवी मुस्कुरा दी। शायद मैंने जो उसको इतनी देर सताया था, ये उसका दण्ड था! बहुत क्यूट दण्ड! डेवी को मुख-मैथुन के बारे में अवश्य ही मालूम था - उसने अपना ध्यान मेरे लिंग को धीरे धीरे, और देर तक चूसने पर केंद्रित किया, और कोशिश करी कि जितना हो सके, वो मेरे लिंग की लम्बाई अपने मुँह में फिट कर सके! कुछ प्रयास लगे, लेकिन वह कुछ ही मिनटों में वो मेरे लिंग की दो तिहाई लंबाई को निगलने में सक्षम हो गई। साथ में वो अपनी उँगलियों का इस्तेमाल करके मेरे अण्डकोषों के साथ खेलने लगी। एक बार जब उसे लय मिल गया, तो उसने मुझे जन्नत की सैर करा दी! मेरा लिंग अब तक और भी सख्त और मोटा हो गया था। इस मुख मैथुन से डेवी ने अपने लिए ही मुसीबत खड़ी कर ली थी। खैर, अंत में, थक कर उसने मुझे छोड़ दिया।
“दुखेगा तो नहीं, ना?” उसने पूछा।
यह एक सवाल नहीं - बल्कि उसका खुद के लिए आश्वासन था।
वह जानती थी कि ये उसके अंदर फिट ही नहीं हो पायेगा! न जाने कैसा लिंग उसने लिया था! खैर, मैंने अपने लिंग को पकड़ा और शिश्न के सिरे को उसकी योनि के अंदर धक्का दिया। उसकी योनि में ऐसी अद्भुत चिकनाई थी कि मेरा लिंग उसकी योनि में फिसल कर अंदर घुस गया। अद्भुत एहसास! कितना लम्बा अर्सा हो गया था!
मैंने हाँफते हुए कहा, “ओह हनी!”
जोर से धक्का लगाने का मन हो रहा था - लेकिन डेवी को चोट न लग जाए, उसका भी डर था। अभी भी लिंग पूरी तरह से अंदर नहीं गया था, बस समझिये कि शिश्नमुण्ड का उसके भगोष्ठ से चुम्बन ही हुआ था। इसके पहले डेवी अपना मन बदल ले, उसको सोचने का मौका ही नहीं देना है! मैं उठा खड़ा हुआ, और उसके पैरों को ठीक से फैला कर एक पल उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार किया। जब डेवी बिलकुल भी नहीं हिली, तो मुझे समझ आ गया कि अब समय आ गया है! मैंने थोड़ा दबाव बनाया तो डेवी भी अपने कूल्हों को ऊपर उठा कर मेरी मदद करने लगी - जैसे यह कोई प्राकृतिक प्रतिक्रिया हो! दबाव बनाते हुए मैंने एक हल्का सा धक्का लगाया। डेवी जैसे सम्मोहित हो कर देखती रही, क्योंकि मेरा लिंग मेरी इस हरकत से उसकी योनि में प्रविष्ट हो गया! उसकी योनि जिस तरह से खिंच कर मेरे लिंग को प्रवेश होने दे रही थी, वो उसके लिए अविश्वसनीय था।
“उम उम… आह आह आआआह्ह्ह!!” डेवी की चीख निकल गई।
यह होना अटल था, क्योंकि मेरे लिंग ने वाकई उसकी योनि को बुरी तरह से फैला दिया था, और उस पहले ही धक्के में मेरा लिंग लगभग पूरा ही उसके अंदर चला गया था। डेवी की योनि अच्छी तरह से चिकनी हो गई थी इसलिए काम आसान हो गया था। लेकिन मेरे न चाहते हुए भी, निश्चित रूप से, डेवी को चोट लगी होगी! उसकी आँखों में आँसू भर आए! मैं उसे अपने आलिंगन में भर लिया - उसका शरीर काँप रहा था।
मैं धीरे से बड़बड़ाया, “माफ़ कर दो हनी! मैंने तुम्हें चोट पहुँचाई है? है ना? तुम ठीक हो?”
अपने दर्द के बीच, देवयानी मुस्कुराई और फुसफुसाई, “मेरी जान, माफ़ी मत माँगो! चोट तो लगी है, लेकिन कोई बात नहीं! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, और मैं चाहती थी कि हम सेक्स करें!”
फिर वो एक आह भरते हुए बोली, “अंदर पूरी तरह से भरा हुआ महसूस हो रहा है! चलो, अब मुझसे जी भर के प्यार करो।”
मैंने लिंग को थोड़ा सा बाहर निकाला, और वापस धक्का लगाया। डेवी की फिर से आह निकल गई। योनि की दीवारों ने मेरे समूचे लिंग को कस के पकड़ रखा था। उनमे स्वतः ही संकुचन हो रहा था। अत्यधिक चिकनाई के बावजूद, उसकी योनि की माँस-पेशियाँ मेरे लिंग पर जकड़ गईं, जिससे धक्के लगाना मुश्किल हो रहा था!
“यू आर वैरी टाइट, हनी!” मैं सीधा हो कर डेवी को धीरे-धीरे भोगने लगा।
उधर डेवी के दिमाग में तरह-तरह के विचार आ जा रहे थे : मैं उसके साथ सेक्स कर रहा था... तो इसका मतलब था कि हम दोनों के बीच में हमेशा के लिए सब कुछ बदल गया है! अगर वह प्रेग्नेंट हो गई, तो? बाप रे! लेकिन ये सारे विचार उसको मिलने वाले कामुक आनंद के कारण जाते रहे। अचानक ही वो वर्तमान के रोमांच का आनंद उठाने लगी।
“हनी, कैसा लग रहा है?” मैंने उसके कान में पूछा।
“ओह अमर! बता नहीं सकती! आप... आपका बहुत बड़ा है!” वो हाँफते हुए बोली।
“बड़ा हो सकता है, लेकिन तुम भी तो टाइट हो! ओह गॉड! बहुत अच्छा लग रहा है,” मैंने जवाब दिया, “क्या अब भी दर्द हो रहा है?”
“नहीं, उतना नहीं।”
“अच्छा,” मैंने फुसफुसाया, “अच्छी बात है! क्योंकि अब तो मैं हमेशा तुम्हारे ही अंदर रहूँगा मेरी जान!”
अपने दर्द में भी देवयानी हँस पड़ी। उसकी योनि हर खिलखिलाहट के साथ और कस जाती, और मेरे लिंग को अद्भुत ढंग से निचोड़ देती! मैं बहुत तेजी से अपने चरमोत्कर्ष की तरफ चल दिया था, इसलिए मैंने धक्के लगाना रोक दिया। मैं नहीं चाहता था कि हमारा खेल इतनी जल्दी खत्म हो जाए! लेकिन बिना धक्के लगाए मन भी नहीं मान रहा था। यह कितनी अद्भुत सी बात थी न - मैं आखिरकार देवयानी से प्यार कर रहा था! मैं इस अद्भुत महिला से प्यार कर रहा था! मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। उन पहले कुछ धक्कों से उसकी योनि गीली हो गई, और शीघ्र ही यह घर्षण डेवी को बुरी तरह उत्तेजित करने लगा। उसने गहरी साँस ली और मेरे नितम्बों को उत्साह से अपनी ओर खींच लिया! इतने निकट होने पर, मेरा लिंग उसकी योनि में कम फिसल रहा था, और वो अधिक भरा हुआ महसूस कर रही थी। शीघ्र ही, हर धक्के के साथ, हम दोनों के जघन क्षेत्र आपस में पूरी तरह से मिलने लगे। और डेवी सम्भोग के दौरान अपने पहले चरमोत्कर्ष को बनते हुए महसूस करने लगी।
“ओह गॉड! यस अमर! फ़क मी माय लव!”
डेवी शायद ही जानती थी कि ये शब्द कहाँ से आए! क्योंकि ये शब्द उसकी सामान्य शब्दावली का हिस्सा नहीं थे!
डेवी गीली से और गीली होती जा रही थी, और इस कारण मेरा लिंग उसकी योनि में और अधिक स्वतंत्र रूप से फिसल रहा था। मैंने तेजी से कई धक्के लगाता, फिर रुक जाता, और फिर से तेजी से कई धक्के लगाता। डेवी की हालत खराब हो चली थी। लेकिन मेरा स्खलन अभी भी दूर ही था। मेरी साँसे बहुत तेज़ हो गईं थीं, और शरीर पसीने से लथपथ हो गया था। जनवरी का महीना था - इसका कोई मतलब ही नहीं रह गया था! देवयानी ने अचानक ही अपनी योनि में वो मीठी, कामुक लहर बनती हुई महसूस करी, जो सम्भोग के चरम पर पहुँच कर कोई स्त्री महसूस करती है। उसके गले से कामुक और मीठी किलकारी निकल गई, और वो पीछे की तरफ़ किसी कमानी की तरह झुक गई। उसका शरीर एक पल को सख्त हो गया, और फिर शांत हो कर शिथिल पड़ गया। उसका शरीर उस पहले चरमोत्कर्ष के आनंद से भरा हुआ लग रहा था, जो मैंने उसे अभी अभी दिया था!
मैंने दो पल के लिए धक्के लगाना बंद कर दिया, और अपने नीचे लेती उस खूबसूरत, रति की प्रतिमूर्ति लड़की को प्यार से निहारने लगा - उसका मुँह खुला हुआ था और आँखें बंद थीं। उसकी योनि कामुक आनंद की लहार के साथ मेरे लिंग पर रह रह कर दबाव बना रही थी। उसके चूचक कामोत्तेजना में खड़े हुए थे, और उसके दिल की धड़कनें तेजी से चल रही थीं। उसके गले की नसों से बहता हुआ रक्त उत्तेजना को साफ़ साफ़ दर्शा रहा था। अपनी होने वाली सहचरी को इस तरह का सुख देना, बहुत संतोष देने वाला अनुभव था! यह दृश्य मेरे लिए बहुत ही कामुक था। मेरा खुद का दबाव बन रहा था, और मैं शीघ्र ही स्खलित होने वाला था! इस बार मैंने खुद को नहीं रोका और जल्दी जल्दी धक्के लगा कर वीर्य की ढेर सारी मात्रा डेवी की इच्छुक कोख में खाली कर दी।
जैसे-जैसे हमारे कामुक उन्माद में कमी आई, हम सोफे पर स्पून पोजीशन में लेट गए! मैं उसके कंधे को चूम रहा था और उसके शरीर को सहला रहा था। हम दोनों स्पष्ट रूप से थक गए थे - अपने पहले संभोग की भावनात्मक और शारीरिक तीव्रता के कारण!
“इट वास् अनबिलिवेबल!” मैंने धीरे से कहा!
देवयानी ने मेरे गालों को इतने प्यार से सहलाया कि मैं और भी पिघल गया!
“हाउ वास् आई हनी? क्या मैंने आपको मज़ा दिया?” डेवी ने पूछा।
उसके सवाल ने मुझे चौंका दिया। क्या वो मेरी खुशी के बारे में अनिश्चित थी? मेरे चेहरे पर छाया हुआ संतोष उसको नहीं दिख रहा था? मैंने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा,
“हनी, यह सबसे बेस्ट एक्सपीरियंस था मेरे लिए! और मेरी जान, जैसा कि मैंने कहा, हम इसे खूब करेंगे - रोज़ करेंगे! पूछना तो मुझे चाहिए - क्या तुमको मज़ा आया?”
उसने संतोष के साथ कहा, “ओह हनी! मुझे बहुत मज़ा आया।”
मैंने इंतजार किया... ऐसा लगा कि वो आगे कुछ और बोलेगी! उसने थोड़ा सोच कर आगे कहा, “आई मेड लव, माय हनी! व्ही मेड लव!” डेवी मुस्कुराई और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
“तुमको दर्द है अभी भी?”
“नहीं! हाँ... थोड़ा सा! शायद! लेकिन एक अलग तरह का दर्द। मीठा मीठा!”
“एनी रिग्रेट्स?” मैंने पूछ लिया।
“नोओओओओ! क्यों कोई पछतावा होगा मेरी जान? मैं पूरी तरह सैटिस्फाइड हूँ! और ये सुख आपने मुझे दिया है!”
इस बात पर मैंने उसे उसके मुँह पर चूमा! हम चूमते चूमते ही मुस्कुराने लगे। ऐसी ही मीठी बातें करते करते हम एक साथ ही एक गहरी नींद की आगोश में चले गए। जब मैं उठा तो मैंने देखा कि हम लगभग एक घण्टा सो चुके थे। क्या बात है! डेवी ने मुझे थका दिया था - जो मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ। यह एक बढ़िया संकेत था हमारी सेक्स लाइफ के लिए! ऐसे नंगे नंगे, एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए, हम आश्चर्यजनक रूप से सहज लग रहे थे। लेकिन जैसे ही मैं उठा, देवयानी भी उठ गई। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी, संतुष्टि वाली लालिमा थी।
उसने कहा, “हनी, मुझे जाना है,” और वो सोफे से उठने लगी।
“क्यों?” मैंने पूछा! मुझे लगा कि शायद वो अपने घर जाना चाहती है।
इसलिए मैंने उसका हाथ पकड़ लिया।
“बिकॉज़!” वो ठुनकते हुए बोली, “प्लीज हनी! मुझे जाने दो!” उसने अपनी बाँह छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।
“क्यों?”
उसके गालों की लालिमा शर्म से और भी लाल हो गई। उस समय डेवी के गाल सेब जैसे लग रहे थे। उसने मेरी तरफ देखा। ओह, वो बहुत प्यारी लग रही थी।
“क्योंकि मैं लीक कर रही हूँ, यू डफ़र!”
“ओह! तो चलो एक साथ नहा लेते हैं?” मैंने मुस्कुराते हुए सुझाया।
“तुम बहुत खराब हो!” डेवी फिर से ठुनकी, उसकी मुस्कान लौट आई, “... हनी, मुझे सूसू करनी है!”
“साथ में कर लेते हैं...!”
तब तक उसने बाँह छुड़ा ली, और ड्राइंग रूम के निकट वाले बाथरूम में चली गई। जब वो जा रही थी तो मैं उसके शानदार नितंबों की मन ही मन प्रशंसा कर रहा था। भगवान् की इस खूबसूरत सी रचना के साथ मैंने कुछ देर पहले ही सम्भोग किया था! मैंने! बहुत खूब! कुछ देर में वो बाथरूम से निकली, तो मैं बाहर ही उसका इंतज़ार कर रहा था। उसके बाहर आते ही, मैंने उसका हाथ पकड़ कर बाथरूम के अंदर घसीट लिया। मैंने शॉवर पहले ही ऑन कर दिया था, और उसमे से गरम पानी आने लगा था।
“आओ मेरी जान! साथ में नहाते हैं?”
उसने मुझे जिस अदा से देखा, तो मैं उसकी नग्न सुंदरता की प्रशंसा किए बिना नहीं रह सका! डेवी बहुत, बहुत सेक्सी थी!
उसने अपना सर झुका लिया और अपने बालों के पोनीटेल को खोल दिया। उसने अपना सिर हिलाया, और अपने घने बालों को आज़ादी से अपने कंधों पर गिर जाने दिया। उसने एक हाथ से पानी के तापमान का परीक्षण किया। संतुष्ट होकर, उसने मुझे शॉवर में उसको ज्वाइन करने के लिए इशारा किया।
मैं आश्चर्यचकित था कि डेवी के साथ रहना मुझे बहुत स्वाभाविक लग रहा था!
“हनी,” मैंने कहा, “मैं एक काम करना चाहता हूँ, अगर तुम गुस्साओ नहीं, तो!”
“आपको लगता है कि हमने अभी अभी जो किया है, उसके बाद मैं आप से किसी भी बात पर गुस्सा हो सकती हूँ?” डेवी हँस पड़ी।
“हो सकता है... अगर तुम पहले से जानती हो, तो!”
“अच्छा तो सरकार, आप वो काम करना ही क्यों चाहते हैं जिस पर मैं गुस्सा होऊँ?” डेवी को भी इस बातचीत में आनंद आ रहा था।
“क्या बताऊँ! फंतासी है एक!”
“फंतासी है? हम्म... अच्छा? तो वो क्या काम है?”
“मैं नहीं बताऊंगा।”
“अच्छा जी! आप मेरे साथ कुछ कुछ करना तो चाहते हैं, लेकिन मुझे बताना नहीं चाहते?”
“ठीक समझी!”
डेवी ने एक पल सोचा, और बोली, “ठीक है! कर लीजिए! बीवी हूँ, इतना तो एकोमोडेट करना पड़ेगा!”
मैंने डेवी को आश्चर्य से देखा। वो मुझ पर इतना भरोसा करती है! क्या बात है! लेकिन जो इच्छा मेरे मन में इतने दिनों से बन रही थी, उसको मैं पूरा करना चाहता था। मैंने अपने लिंग को हाथ में पकड़ लिया और डेवी की तरफ़ उसका रुख कर दिया। उसने देखा कि मैं क्या कर रहा था, और इससे पहले कि वो कुछ समझ पाती, मैंने गर्म पेशाब की धार उस पर छोड़ दी!
“आऊ... व्हाट द... अमर... बहुत गर्म है... आह!”
डेवी ने यह सब कहा तो, लेकिन उसने अपने ऊपर मेरे पेशाब करने पर कोई आपत्ति नहीं की! मेरी आदत है - खूब पानी पीने की - फिर वो चाहे गर्मी का मौसम हो चाहे सर्दी का! रात में सोने से पहले एक लीटर पानी पीता हूँ, और सवेरे उठते ही एक लीटर। दिन में न जाने कितने ही गिलास पानी! लिहाज़ा, बहुत देर से प्रेशर बना हुआ था! कम से कम एक मिनट की सप्लाई थी, और वो भी पूरे फ़ोर्स के साथ! तो मैंने डेवी के पूरे शरीर को गर्म मूत्र से नहलाया - सर से ले कर पाँव तक! बेचारी मेरी इस हरकत को जैसे भी हो, बर्दाश्त करती गई। जब वो पूरी तरह से नहा चुकी, और मेरा ब्लैडर खाली हो गया तब वो हँसते हुए बोली,
“हो गई आपकी मनमर्ज़ी?”
“डेवी, आई ऍम सॉरी! न जाने क्या सोच कर मैंने ये सब कर दिया!”
“ओये! सॉरी वोरी हमारे बीच में नहीं चलेगी - आपने ही कहा था न?”
मैं चुप ही रहा।
“जानू, आपको जो कुछ करना है, वो सब कुछ करिए! नहीं तो मेरे बीवी होने का क्या फायदा है?”
“तुमको बुरा नहीं लगा?”
“ओले मेला बच्चा!” डेवी ने मुझे पुचकारते हुए कहा, “मुझे क्यों बुरा लगेगा? मेरी जान, आप मुझसे छोटे भी तो हैं! आपने मुझ पर सूसू कर दिया तो इसका मैं बुरा मानूँगी?” उसने मज़ाक करते हुए, लेकिन दुलार से कहा।
“हा हा हा!”
“और कोई इच्छा है मेरे ठाकुर जी की?”
“डेवी?”
“हाँ जी?”
“तुमको जब दूध बने, तो मुझे भी पिलाना?”
“मेले बच्चू को मेला दूधू पीना है?”
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
“अपनी गोदी में लिटा कर अपना दूधू पिलाऊँगी आपको!” वो मुस्कुराई, “और कुछ?”
“और इच्छाएँ बाद में बताऊँ?”
“हाँ, लेकिन बताइएगा ज़रूर!”
वो अदा से मुस्कुराई, और मुझे चूम कर मेरे साथ शॉवर के नीचे खड़ी हो गई। हम देर तक साथ में शॉवर का लुत्फ उठाते रहे!
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प्रिय लेखक जी, यहां आकर मेरे मन में शिकायत पैदा हो गई। मै जब तक अमर का लिंग डेवी योनि में प्रवेश नहीं कर गया तब तक यहीं सोचता रह कि शायद अब रुक जायेंगे अब रुक जायेंगे। लेकिन आपने पारिवारिक प्रेम को भुला कर व्यक्तिगत सेक्स की पटरी पर कहानी को डाल दिया । माना कि अमर के माता पिता को , काजल को अमर से कोई शिकायत नहीं होगी लेकिन फिर भी अगर आप चुदाई से पहले डेवी को अमर के परिवार से अवगत कराते तो शायद कहानी में इमोशंस बरकरार बने रहते। जबकि गेबी भी शिक्षित थी वो भी पहले चुदवा चुकी थी और वो सेक्स फ्री देश की रहने वाली थी और डेवी तो देसी है फिर भी उसने पहले सेक्स को प्राथमिकता दी परिवार की जगह।अमर का भोलापन, उसका वियोग, उसका पारिवारिक प्रेम, सबको खतम करके सेक्स का रोगी बना दिया।
मेरे विचार से सेक्स करने से पहले डेवी को परिवार से अवगत कराना था, पारिवारिक प्रेम से अवगत कराना था, माता पिता कि सहमति से सेक्स करना था, गेबी को विशेष दर्जा देना था, गेबी के माता पिता को भी परिवार का प्रेम दिखा कर उनकी विचार धारा को बदलना था और फिर डेवी और अमर का सेक्स को विशेष बनाना था।
खैर और भी कहना चाहता हूँ मगर अभी कहानी को यहीं तक पढ़ा है तो इस अपडेट को पढ कर कहने से रोक नहीं सका।जानता कहानी पूरी हो रखी है शायद कुछ नया और दिलचस्प मिले आगे । क्योंकि आपकी कहानी इतनी अच्छी है और आप इतना अच्छा लिखते हो कि मुझे नही लगता कि शायद ही पाठक को कुछ कहने का मौका मिले।
पूरी बात समझने से पहले बोलने की इन्सान की जो प्रवृति होती है उसके रहते ये सब कह दिया।
इसके। लिये क्षमा चाहता हूँ हो सकता है आप इसको पढ़े ही नहीं क्यों कि कहानी पूर्ण हो चुकी है।
अब आगे पढ़ता हूं।