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अरे यार बनारस में रंग पंचमी होती है , होली के बाद भी पांच दिन तक होली , तो तुम्हारे एग्जाम के बाद भी तीन दिन तक तो होली रहेगी , लेकिन समझ लो , क्या करना है , गुड्डो की तूने ले ही ली है , अब गुड्डो की माँ उसकी सहेलियां , बनारस का रस सबको नहीं मिलता , और हम लोगों की नाक मत कटवाना , कोई बचनी नहीं चाहिए , उमर वुमार रिश्ता विस्ता मत देखना , बस सीधे , ...
और शुरू हो गयी कम्मो की पाठशाला ,
" देख, बनारस तो बना रस , बस पीने वाला चाहिए , तो वहां गुड्डो से तो कबड्डी खेलोगे ही , इतने दिनों का नागा, उसकी बिल में खुदै मोटे मोटे चींटे काट रहे होंगे ,... "
कम्मो भौजी ने पहला पाठ शुरू किया और अनुज ने भी अच्छे विद्यार्थी की तरह पढ़ा हुए पाठ के बारे में बताना शुरू कर दिया ,
" सही कह रही हो भौजी ,उसको तो छोडूंगा नहीं , रोज आठ दस फोन आते हैं ,
जिस दिन से नयकी भाभी ने उसके साथ मेरा टांका भिड़वाया था , और वो तो नयकी भाभी थीं , वरना तो मैं उसके आगे पीछे चक्कर काटता रहता , लार टपकाता रहता , लेकिन उसके बाद से कोई दिन नागा नहीं गया जब उस स्साली की शलवार का नाड़ा न खुला हो , बाद में तो वो खुदै मौका ढूंढती रहती थी , ... "
लेकिन कम्मो भौजी कुछ और कहना चाहती थीं , उसकी बात बीच में काटती बोलीं ,
" अरे यार देवर जी , भौजी का काम ही यही है , देवर की सेटिंग कराना , इसीलिए तो तुझे समझा रही हूँ , ... देख गुड्डो की कोई छोटी बहन तो है नहीं , घर की अकेली , पिता जी भी उसके बाहर रहते हैं , बस वो और उसकी मम्मी ,... तो गुड्डो के साथ उसकी सहेलियां , उसकी कोई रिश्तेदार , समौरिया , उनको तो वो चखवायेगी ही , थोड़ा सा जोर लगा दोगे , लेकिन जानते हो तेरा असली निशाना किस पर होना चाहिए ,?
देवर के गोरे गोरे गाल मीजते भौजाई ने पूछा।
बेचारा देवर नौसिखिया क्या बोलता , जवाब कम्मो भौजी ने ही दिया ,
" गुड्डो की मम्मी "
अनुज के बोल नहीं फूटे , देखा तो उसने भी था , माल तो मस्त थीं , लम्बी बहुत नहीं , लेकिन ५-५ तो होंगी ही , गोरी चम्पई , मांसल लेकिन मोटी एकदम नहीं , बड़ी बड़ी आँखे , गुड्डो उन्ही पर गयी थी , लेकिन जो चीज उन्हें अलग करती थी , उनके मस्त गदराये जोबन , डबल डी , ३६ और
उनकी पतली कमर पर वो और बड़े बड़े दीखते थे , एकदम कड़े कड़े , उमर भी ज्यादा नहीं थी , गुड्डो की बड़ी बहिन ही लगती थीं , शादी के ८-९ महीने के अंदर ही गुड्डो को उन्होंने उगल दिया था , ननदें चिढ़ाती थीं , दहेज़ में आयी है , अपने मामा की है , ... और उस समय शादी भी तो कम उमर में ,
३४ -३५ के आसपास , थोड़ा ऊपर , या कम , ... लेकिन उनके जोबन को जो मात करती थी वो उनकी जुबान , अगर कोई देवर ननदोई पकड़ में आ जाए , ननदें भी उनसे हार मानती थीं , एक से एक गालियां , खुले मजाक , जबरदस्त सेक्सी लुक भी अंदाज भी , और पति भी दो तीन साल में आते थे वो भी आठ दस दिन के लिए तो एकदम गरम तवे की तरह ,
अनुज का मुंह खुला रह गया , ये उसने सोचा भी नहीं था , ...
" क्यों लेने लायक नहीं है क्या ,... " कम्मो ने चिढ़ाते हुए पूछा ,
" क्यों लेने लायक नहीं है क्या ,... " कम्मो ने चिढ़ाते हुए पूछा ,
कुछ देर के बाद अनुज का मुंह खुला ,
" नहीं ये बात नहीं , असल में मैं गुड्डो के साथ और वो उसकी मम्मी ,.. " हिचकते हुए उसके बोल फूटे।
" तो क्या हुआ , अरे वो खाई देख लेना जहाँ से तेरी माल निकली है , ... अरे स्साले गांडू लोग सगी सास नहीं छोड़ते , सगी बहन नहीं छोड़ते और तू , किस जमाने में है , अब तू ये पूछेगा की वो पटेंगी कैसे तो मैं सिखाती हूँ , तीन स्टेप ,... "
अब अनुज अच्छे विद्यार्थी की तरह सुन रहा था ,
" पहली बात तो तेरे जैसे चिकने लौंडे के लिए बड़ी उम्र की औरतें छनछनाई रहती हैं और तेरा औजार भी मस्त है , और तेरी गुड्डो की मम्मी कुछ जयादा ही गरम हैं , दो तीन साल में एक बार तो उसके पापा आते हैं तो कोई भी ,... तुझे मालूम है डबल मीनिंग डायलॉग , चिढ़ाने में ,... "
अबकी अनुज ने बात काटी ,
"एकदम सही कह रही हैं , एक दो बार मैं मिल चुका हूँ , इतना चिढ़ाती हैं , उनक बस चले तो दो साल पहले आयी थीं मैं टेंथ में था , बड़ी भाभी से मुझे देख के पूछ रही थीं ,
" हे बिन्नो ये तेरा देवर है की ननद , एक बार खोल के चेक किया की नहीं , .. अंदर लटकन राम हैं की गुलाबो , इसको फ्राक पहना के दकह बहुत मस्त माल लगेगी ये ,... "
और इसी लिए मैं वहां नहीं रुक रहा था , लेकिन नयकी भाभी एकदम पीछे पड़ गयीं और उन्होंने बोला की एक्जाम तक कमरा बाद रहेगा तुम्हारा बस और तेरी भाभी की भाभी हैं , तो डबल देवर तो थोड़ा बहुत लेकिन तेरी पढ़ाई में कोई डिस्टर्ब नहीं होगा , हाँ उसके बाद रुक जाना दो चार दिन फिर गुड्डी भी तो है,
" वही बोल रही थी मैं ,... "
कम्मो ने पाठ जारी रखा ,
" अरे ये नयी उमर की नयी फसल का लजाना शरमाना , बस मन करता है पटक कर रेप कर दें , तो तुझे चिढ़ाएँगीं , छेड़ेंगी , ... और कमरा बंद करोगे तो बीच बीच में खाना पानी , ... आखिर एकदम तो नहीं , ... तो जब छेड़ें तो लजाना , और वो तुम अविसे ही छुई मुई हो लौंडिया मात , ... मैं जानती नहीं क्या , ... लेकिन कुछ कुछ बात का जवाब देना उनका शुरू करना , कुछ बोल के , कुछ देख के खास तौर से उनके जोबन को , और कुछ दिखा के ,... "
" दिखा के मतलब "
अनुज को तो एक एक चीज समझानी पड़ती थी पर कम्मो भाभी उसकी असली भाभी थीं , उन्होंने ट्रिक बतायी
देख तुम इम्तहान तक तो दो चार दिन कमरे में ही रहोगे , बस ,एक काम करना बजाय पैंट पाजामे के शार्ट पहनना , कोई पतली सी और उसके अंदर कुछ नहीं , बस आते जाते उन्हें खूंटे की झलक मिल जायेगी , फागुन है देवर है , खूंटा है , हाँ खड़ा हो तो छिपाने की कोशिश जरूर करना जैसे लड़कियां लड़कों को देखकर दुपट्टा एडजस्ट करती हैं , कोई न देखने वाला हो तो भी जोबन देख ले , ... बस उसी तरह और हिम्मत कर के एक दो मजाक का हलका फुल्का जवाब भी दे देना , तो ये रहा पहला स्टेप "
" देख स्साले ,चिकने , तेरी बहन की चूत मारुं , बोल , लौंडे भी तो देखते हैं सबसे पहले ये लौंडिया पटेगी की नहीं , और अगर पटेगी तो देगी की नहीं, उसी पर चारा डालते हैं , "
एक बार फिर कम्मो ने अनुज को धकेलते हुए फर्श पर गिरा दिया।
" एकदम भौजी , अब यही गुड्डो , ... मुझे लग रहा था की स्साली पट तो जायेगी , लेकिन देगी की नहीं पता नहीं , पर नयकी भौजी , उन्होंने साफ़ साफ़ बोला , अरे पटेगी तो देगी भी , वरना पटाने का क्या फायदा , और किस की हिम्मत है मेरे देवर को मना करे , बस थोड़ी सी हिम्मत मैंने की , थोड़ा सा नयकी भौजी ने मंतर फूका और बस २४ घंटे के अंदर बज गया उसका बाजा ,और उसके बाद तो रोज फिर भाभी ने कुछ जुगत लगा के , सब लोग चले गए उसके बाद भी हफ्ते दस दिन , और रोज बिना नागा कबड्डी ,... आप ने एकदम सही कहा , लड़के उसी के पीछे पड़ते हैं जिसके नाड़ा खुलने की कुछ उम्मीद होती है ,"
अनुज ने कम्मो भौजी की बात को सपोर्ट किया।
" बस यही बात तो गुड्डो की मम्मी को लगना चाहिए पहले दिन से ही की ये स्साला चिकना न सिर्फ पटेगा बल्कि देगा भी और खूंटा भी इसका जबरदस्त है , इसलिए कह रही हूँ , अपना शार्ट ही पहनना और आते जाते उन्हें खूंटे की झलक दिखा देना , पहले दिन से ही , और जब मजाक करेंगी , तो लजाना , झिझकना , लेकिन ललचाते हुए उनके उभार चोरी छुपे जरूर देखना , वो तुझे छुएं तो तू ,भी हाथ हटाने के बहाने , .. और कभी कभी मज़ाक का जवाब भी दे देना , असली चीज़ छूना है , और वही है दूसरा स्टेप , ... यही तुझे समझाना है , तलवार तो तेरी जबरदस्त है , तलवार बाजी भी थोड़ी बहुत आती है , लेकिन असली दांव पेंच , छूने में है , मर्द के पास सिर्फ लंड नहीं होता लड़कियों को पागल करने के लिए , उनकी उँगलियाँ , होंठ , आँखे ,... चलो तुझे सब आज सीखा देती हूँ लेकिन गुरु दक्षिणा भी लुंगी अभी से बता दे रही हूँ ,... :
कम्मो ने बात आगे बढ़ाई।
" एकदम भाभी , गुरु दक्षिणा के लिए तो अभी से मेरी हाँ , लेकिन क्या लेंगी गुरु दक्षिणा में " अनुज ने लिबराते हुए पूछा।
" गुरु दक्षिणा नहीं बुर दक्षिणा , तेरी बहन की , गुड्डी की कच्ची कोरी बुर , लेकिन तू अभी ध्यान से सुन "
" एकदम भाभी , गुरु दक्षिणा के लिए तो अभी से मेरी हाँ , लेकिन क्या लेंगी गुरु दक्षिणा में " अनुज ने लिबराते हुए पूछा।
" गुरु दक्षिणा नहीं बुर दक्षिणा , तेरी बहन की , गुड्डी की कच्ची कोरी बुर , लेकिन तू अभी ध्यान से सुन "
और कम्मो भौजी ने उसे स्त्री के ३६ अंग जहाँ छूने से उसकी कामोत्तेजना बढ़ती है , होंठ उरोज या योनि नहीं , ये तो सब जानते हैं और ये सम्भोग के समय , लेकिन उसके पहले , उन्होंने अनुज की ऊँगली रख कर , लड़की के गले के साइड का हिस्सा , कंधे , पीठ के बीच की नाली , काँखे ,
और जब ज़रा पट जाए तो जाँघों का निचला हिस्सा , एक एक कर के सारे भाग , फिर ये भी की लड़कियों को पटाने के लिए क्या होगा और खेली खायी औरतों के लिए फिर खास तैर से गुड्डो की मम्मी के लिए , फिर ऊँगली में भी कब ऊँगली से सिर्फ हलके से छू कर के हटा लेना है , कब ,
जैसे एकांत हो तो कभी मलाई या कुछ भी होंठ पर से हटाने के बहाने , ऊँगली से होंठ धीरे धीरे रगड़ो
और वो आँखे बंद कर ले , सिसके , बदन पर सिहरन हो समझ ले न वो सिर्फ पट गयी है बल्कि दे भी देगी , ...
लेकिन इस पढ़ाई के दौरान ही देवर का खूंटा खूब खड़ा हो गया , और फागुन में कौन भौजी मना कराती ,
लेकिन अनुज ने जब ठेलने की कोशिश की कम्मो ने रोक दिया ,
" न न। इतनी जल्दी नहीं , ... मान लो मैं गुड्डो की मम्मी हूँ , तो पहले देर तक जांघ सहलाओ , वो खुद जाँघे खोल देगी , फिर खूंटे को खाली उसके निचले होंठों पर रगड़ो , हलके हलके छुला कर हटा दो , फिर रगड़ो , जब वो एकदम मस्ता जाए , तुझे पकड़ के अपनी ओर खींचो , .. हाँ चल कर ,.. "
और अनुज ने थ्योरी से प्रैक्टिकल किया , हालत तो उसकी भी खराब हो रही थी , पर भौजी की बात मानना भी जरूरी था ,
" हाँ बस , एक बार जैसे गलती से लग गया , क्लिट से हलके से छुला के हटा लो , ... अरे यहाँ नहीं यहाँ ,... "
कम्मो भौजी ने अपने देवर के खूंटे को अपने हाथ से पकड़ा कर अपनी क्लिट पर लगा कर देवर को समझाया।
" हाँ अब पेलो , लेकिन बस सुपाड़ा , और एक धक्के में नहीं रगड़ते , दरेरते , यहीं सब नर्व्स होती हैं , थोड़ा सा दरेरो , रगडोगे , ख़ास तौर से गुड्डो की मम्मी को न तो मजे से पागल हो जायेगी , नयी उम्र की लड़कियां तो थोड़ी घबड़ायी रहती हैं पर वो , उनका मरद तो दो तीन साल में आता है , खुदै छुंछियाई होंगी ,
हाँ अब इसके बाद होंठ , पहले पलक पर फिर गाल पर , होंठ पर और साथ साथ दोनों जोबन बस हलके हलके सहलाओ , कभी निप्स फ्लिक कर दो ,
और जब वो खुद चूतड़ उचकाने लगे , तो थोड़ा सा और ठेल दो , लेकिन उसी तरह से रगड़ते घिसटते , ... हाँ पूरा अभी नहीं ,... और अब होंठ से एक निप्स और दूसरा हाथ से , अब जोबन मसलना शुरू कर ,
हाँ ऐसे ही , और अब बाकी का ,... हाँ धीमे धीमे , ... "
कम्मो भौजी देवर को सिखा भी रही थीं , गाइड भी कर रही थीं और मजे भी ले रही थीं , नए जवान होते लौंडे का।
फिर दसो तरीके धक्के मारने के , शुरू में हलके से ठेलते , पेलते , दरेरते ,... और जब एक बार पूरा घुस जाए , तो थोड़ी देर ऐसे ही छोड़ दो , बुर को उसकी लमबी मोटाई का अहसास होने दे , उसके बाद आधा निकाल के आठ दस धक्के , धीमे धीमे ,
साथ में जोबन की मसलाई , चुम्मा , चूँची चूसो , फिर सब काम रोक कर , आलमोस्ट पूरा निकाल के , कमर पकड़ के जोरदार धक्का सीधे बच्चेदानी पर सुपाड़े की थाप लगनी चाहिए , और ऐसे पांच सात धक्के , एक के बाद एक ,
फिर रुक के लंड के बेस से ही क्लिट की रगड़ाई कर , दो चार मिनट तक , फिर वही जोरदार धक्के शर्तिया झड़ जायेगी , फिर चाहो तो आसान बदल के या वैसे ही घीमे धक्के , पहली बार में ऊपर चढ़ के ही ठीक रहता है , बाकी सब तरीके बाद में , ...
अब अनुज कम्मो भौजी की बताये तरीके कम्मो भौजी पर ही अपना रहा था , चुदाई पूरी तेजी में चल रही थी , नीचे से कम्मो भाभी भी जोर जोर से चूतड़ के धक्के मारती , उसकी बहन गुड्डी का नाम ले के गरियाती ,
" चोद स्साले , चोद गुड्डी के भंडुए , तेरी बहन को खूब चुदवाउंगी , पक्की चुदवासी , चुदक्कड़ बन जायेगी जब तक तू बनारस से लौटेगा , चोद स्साले देखतीं हूँ कितनी ताकत है ,... "
गाली सुन के अनुज दूने जोश से , दस पन्दरह मिनट तक लगातार बिना रुके , और वो और कम्मो भाभी साथ साथ झड़े "
कटोरी भर सफ़ेद मलाई , गाढ़ी थक्केदार ,
और जब अनुज उठ के उन के बगल में बैठा , तो कम्मो ने अपनी जाँघों के बीच बह रहे सफ़ेद रंग को ऊँगली में लपेट कर , अनुज के होंठ पर ,
" चाट ले स्साले तेरा माल है , .... "
और बात उन्होंने आगे बात बढ़ाई , तो ये रहा दूसरा स्टेप ,
पहली चुदाई में ही लड़की हो या औरत , पागल बना दे , तेरी गुलाम हो जाए , और हां कभी एक बार चोद कर मत छोड़ना , चाहे लड़की हो या औरत , उसके मन में कई बार ये अहसास हो जाता है , की गलत हुआ , आगे से नहीं करवाउंगी , और अगर कुछ देर रुक के उसे दुबारा चोद देगा न तो बस वो अहसास कभी नहीं होगा , उसके मन में खाली मजे का अहसास बचेगा , और हाँ लड़की हो या औरत पहले उसे झड़ना चाहिए , खास तौर से गुड्डो की मम्मी को , एक दो बार कम से कम उसे झाड़ के झड़ोगे न तो एकदम दीवानी हो जायेगी , खुद तो देगी ही औरों की दिलवाएगी , लेकिन रुक यार , कुछ खाने को लाती हूँ , दो बार तेरी टंकी खाली हो गयी ,
कम्मो भौजी स्टोर से थाली भर कर गुझिया , नमकीन समोसे , और दो बड़े ग्लासों में ठंडाई भर के लायीं और उन की ज्ञान गंगा चालू हो गयी