बहुत बहुत धन्यवाद, वो कहानी जहाँ मैंने पोस्ट की थी, ( और दुबारा कहीं भी नहीं पोस्ट की ) वो फोरम तो बंद हो गया. और उस के कारण मेरी एक दूसरी लम्बी कहानी अधूरी रह गयी, जोरू का गुलाम जिसे मैं यहाँ फिर से पोस्ट कर पूरी करने की कोशिश कर रही हूँ ,
एक अन्य फोरम में एक मित्र ने उसे पी डीएफ फ़ार्म में पोस्ट किया था , लेकिन मेरे ही नाम से,
अगर लोग चाहेंगे , हो सकेगा तो कम से कम पीडीफ फ़ार्म में ही सही , मैं यहाँ शेयर करने की कोशिश करुँगी ,
वह कहानी नहीं बल्कि उपन्यास है , करीब डेढ़ हजार पन्नो का , अगर छपता तो भी ६००- ७०० पेज होते, और कलेवर की दृष्टि से भी भारत के उनके शहरों ( बनारस, मुम्बई , वड़ोदरा) के साथ विदेश की भी पृष्ठभूमि है उसमें