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Erotica मोहे रंग दे

komaalrani

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एक ऐप ऐसा










" ननदों के बारे में मेरी और रीत दी की राय में पूरी तरह से इत्तफाक था , और बल्कि दी बोलीं , " यार ननद के तो आठ दस यार एक साथ, जब तक गैंग बैंग न हो तो क्या मज़ा"

लग रहा था वो जाने वाली हैं फिर रुक गयीं, बोली उस अनारकली ऑफ़ आजमगढ़ का नंबर तो बता ज़रा,... और वो तो मुझे रटा पड़ा था, पल भर के लिए वो अदृश्य हुईं और लौट के बोलीं



"स्साली मस्त माल है , एकदम कच्ची अमिया कुतरने लायक कचर कचर,...

दी आपने कैसे देख लिया , मैं चकित हो गयी.

वो हंसने लगी, बोलीं, वही तो तू अकेले ननद का मजा लेगी, फिर सीरियस हो के बोलीं ,


" देख अभी तो मैंने डिफेन्स सिखाया था, सिक्योर बात हम दोनों के बीच लेकिन अभी मैंने तेरी ननद के फोन में एक जादू डाल दिया है और वही तेरे फोन में भी जब बैटरी लगा के ऑन करेगी, तो आ जाएगा , एक फूडी ऐप ऐसा, बस अब तू अपनी ननद की बात सुन सकती है उसे देख सकती है, यारों के साथ वो फोन आठ दस मीटर दूर भी रहेगी बैग में भी रखेगी तो भी तुझे सुनाई देगा , बाहर होगा तो दिखाई भी देगा वो क्या कर रही है , लेकिन उससे भी बड़ी बात, उसका जो बहनों वाला ग्रुप है न उसमे भी तू सेंध लगा सकती है , सहेलियों , भौरों, के फोन में भी उस ऐप में ४८ नंबर्स को टैग कर सकती है, तो उस ननद रानी के फोन के बाद उसकी जितनी कजिन्स हैं,



मैं फिर टोका उन्हें १४ तो कुँवारी है इनकी सारी कजिन्स और शादी शुदा में मुझे दिलचस्पी नहीं।



" तो बस उन चौदहों को अभी ,... और ज्यादा टाइम नहीं लगता घुसने में, ... और हरदम देखना भी पन्दरह दिन तक की तो वो रिकार्डिंग रखता है तू उसे किसी हार्ड ड्राइव पर सेव भी कर सकती है , पन्दरहवें दिन पुराने सात दिन की रिकार्डिंग डिलीट हो जाती है। "



मैंने मन ही मन दी का जय कारा बोला, मुझे यही परेशानी खाये जा रही थी,कल तो मैं चली जाउंगी और कम्मो की प्लानिंग कभी फेल नहीं होती, उसने होली के अगले ही दिन तीन तीन जबरदस्त पठान के लौंडो को अपने गाँव से बुलाया है, गुड्डी रानी की गाँड़ फाड़ने के लिए और मैं देख भी नहीं पाउंगी,



दुनिया का सबसे अच्छा संगीत चुदती हुयी ननद की चीख सुनना है , और अब वो मैं सुन सकती थी." तो चल मिलते हैं ब्रेक के बाद हाँ अगली बार बस यही डबल डिलडो, स्ट्रैप आन की जरूरत नहीं पड़ेगी , और उन खिलौनों में से पांच जो मैं बता रही हूँ अपने साथ रखना भले बाकी ननदों के लिए छोड़ दे."



उस डबल डिलडो और सुपर स्ट्रैप ऑन के अलावा दो वाइब्रेटर और एक इन्फ्लेटेबल डिलडो था, सब के सब लाल, या काले रंग के थे. बाकी अभी सात आठ बचे थे , मैंने तय किया था की एक १२ इंच वाला कम्मो को दे जाउंगी गुड्डी रानी की फाड़ने के लिए.



रीत अदृश्य हो गयीं।

और अब मैं उस डबल डिलडो को सहला रही थी लेकिन वो उभरी हुयी डाट नहीं महसूस हो रही थी. स्ट्रैप ऑन भी मैंने उतार दिया, पानी और म्यूजिक बंद किया और सारे मोबाइल्स में बैटरी डाली।



यस्स मैं जोर से उछली।

फूडी वाल ऐप था और मेंने उसे ऑन किया तो ननद रानी फोन पर अपने एक भवरे को चारा डाल रही थीं, आवाज एकदम साफ़ सुनाई दे रही थी और वो दिख भी रही थी छोटी सी फ्राक पहने अपने कमरे में अकेले। लेकिन मेरी प्रायर्टी कुछ और थी , मैं उसके व्हाट्सऐप ग्रुप में घुसी और चुन चुन कर उन चौदह कन्याओ को , इनकी कजिन्स के मोबाइल नंबर इकट्ठा करके उसी ऐप में,...


और अब मेरे ऐप पर वो पद्रह कन्याये थी , उनकी फोटुएं , अगर वो कही बात करतीं या मेसेज करती चैट करती तो एक लाइट सी जल जाती और मैं सब सुन सकती थी।

तब तक बाहर से कुछ आवाज आयी , मेरी सास और जेठानी आ गयी थीं।रात भर की जगी मैं थकी थी, निंदासी, बार बार उबासी आ रही थी, लेकिन मेरी सास और जेठानी तो मुझसे भी ज्यादा थकी लग रही थीं,



बताया तो था इनकी एक चचेरी बुआ हैं , आयी थी मेरी शादी में उनकी लड़की भी, मेरी ही उम्र की होगी, नन्दोई जी ने खूब मस्ती की थी उससे, मज़ाक में वो थी भी नंबरी, ... हाँ तो उसी की शादी तय हो गयी थी , शादी तो खैर जाड़े में होगी, लेकिन कोई रसम थी खास तो मेरी सास और जेठानी उसी में गयी थीं. मुझे कल इनकी ससुराल जाना था इसलिए मैं नहीं गयी थी, मैंने खिलखिलाते हुए सासू जी को छेड़ा,



" क्यों कल रात फूफा जी ने सोने नहीं दिया था क्या, ? "
 

komaalrani

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रतजगे की कहानी



" क्यों कल रात फूफा जी ने सोने नहीं दिया था क्या, ? "

" नहीं मैंने तेरी बुआ सास को सोने नहीं दिया,... " हँसते हुए मेरी सास बोलीं,

" अरे तेरी सास ने कल तेरी बुआ सास का नाड़ा खोल दिया था , रतजगे में , " जेठानी ने मुस्कराते हुए बतया लेकिन मैंने अपनी सास का ही साथ दिया,


" ठीक तो किया , इस घर की सब ननदे, ... अपने भैया से शलवार पेटीकोट का नाड़ा खुलवाती रहती हैं तो कभी कभार भौजाई ने खोल दिया या भौजाई के भाई ने खोल दिया तो कौन सी बड़ी बात हो गयी। "


" देखा मैं कह रही थी न मेरी बहू मेरा ही साथ देगी, बहू तुम देख समझ के एकदम अच्छी वाली देवरानी लायी हो "
सास ने एक ही वाक्य में मेरी और जेठानी दोनों की तारीफ़ कर दी,


मैं मुस्करा रही थी पर सास ने रतजगे की कहानी आगे बतानी शुरू की कि जेठानी जी ने क्या कारनामा किया , और उन्ही से बोली,



" चल मैंने अपनी ननद का नाड़ा खोल के , पेटीकोट उठा के उन की बुलबुल को जरा देर हवा खिला दी, लेकिन तूने तो अपनी ननद की बिल में ऊँगली डाल के गचागच, गचागच ,... "



मेरी जेठानी पर जब हंसने का दौर पड़ता था तो रुकता नहीं था, और वही हुआ जो हंसी रुकी तो वो बोलीं,



" ठीक तो किया। अपने नन्दोई का काम आसान कर रही थी, और वैसलीन का खरचा भी बचेगा, सीधे सटाया घुसाया और सटाक से अंदर , गप्प से घोंट लेगी। फिर मैंने ऊँगली से पहले टो लिया था, झिल्ली कब की फट चुकी थी , तो फिर मैं क्यों छोड़ती। पता नहीं अपने किस भाई से फड़वा लिया है मेरी ननद ने "



" अरे दी , तो क्या गलत किया, इस शहर की सारी ननदें यही करती हैं , चलिए आप लोग फ्रेश हो जाइये मैं चाय बनाती हूँ। "



चाय बन रही थी और मैं अपनी ख़ास ननद के बारे में सोच रही थी, कल की रात के बारे में नहीं आने वाली दिनों के बार में, कल से उसकी चिड़िया उसकी उड़ने लगी थी और क्या चिड़िया उड़ी थी , सुहागरात तो छोड़िये हनीमून में भी नहीं होता होगा , पहले दिन ही छह बार , दो बार शाम को और चार बार रात को , ... हर तरह का आसान, लिटा के निहुरा के खड़ी कर के,... इसलिए अब फिर से उसके शरमाने लजाने के चांसेज तो कम ही हैं।
 

komaalrani

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रतजगे की बात



चाय में चीनी छोड़ते हुए मैं सोच रही थी , और फिर उसकी तीन घंटे की एडिटेड वीडियो और सैकड़ॉ स्टिल्स, सब मैं कम्मो को दे जाउंगी , अगर नाड़ा खोलने में ज़रा भी देर की , किसी दिन कम्मो के बुलाने से न आयी तो सब की सब,... और फिर जो कम्मो पठान के लौंडों की बात हो रही थी , वो तो खुद ही मार मार के चूतड़ लाल कर देंगे,... लेकिन फिर मेरे दिमाग में आया, कल रात की बात और थी , जेठानी और सासू जी घर पे नहीं थी। फिर कल से तो जेठ जी भी आएंगे , जेठ जेठानी का कमरा भी कम्मो के कमरे की ओर है, कुछ भी चीख पुकार होगी तो सुनाई देगी।
.
चाय में उबाल आ गया था मैं चाय छान ही रही थी की मेरी जेठानी और सासू जी आ गयीं और वहीँ रसोई में गपाष्टक शुरू हो गयी,

वही रतजगे की बात

उकसाया मैंने और बीच बीच में जेठानी जी भी बात आगे बढ़ा रही थीं , लेकिन किस्सा पूरा सासू जी ने ही सुनाया, बिना सेंसर किये अच्छे वाले शब्दों के साथ,

मैं गाँव की लड़की, कितने रतजगे देखे थे, कभी दुलहा बनती थी कभी दुलहन, ...

शुरुआत बुआ जी ने ही की थी अच्छा मौका था उनके पास अपनी भौजाई की रगड़ाई करने का, कुत्ता , गदहा, घोड़ा कोई नहीं बचा जिसे उन्होंने मेरे सासू पर नहीं चढ़ाया यहाँ तक की इनके सारे मामा लोगों का नाम ले लेकर, हर गारी में,

ननदें थी भी बहुत ज्यादा, जेठानी जी ने जोड़ा,

लेकिन मेरी सासू जी से पार पाना आसान है क्या, उन्होंने इशारे इशारे में बुआ जी की मोहल्ले की दो तीन बहुओं को पटा लिया, बस नाच शुरू हुआ और मेरी सास खड़ी हुयी तो उन्होंने खींच के बुआ जी को भी अपने साथ, ' अरे बन्नी की मम्मी तो सबसे बड़ी रंडी है उसके नाचे बिना,... " नाचते हुए उन्होंने अपने दोनों हाथों से बुआ जी के दोनों हाथों को कस के पकड़ रखा था. आँखों से उन्होंने हल्का सा इशारा किया तो दोनों बहुओं ने बस मिल के पीछे से बुआ जी की साड़ी साया दोनों कमर तक, बेचारी बुआ जी के दोनों हाथ तो जकड़े हुए थे , लेकिन मेरी सास इतने में कहाँ मानने वाली थीं , उन्होंने एक हाथ से अपनी ननद के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और वो सरसरा के नीचे गिर गया. एक बहु उसे उठाकर चम्पत। बुआ जी को गुदगुदी भी बहुत लगती थी, साड़ी कमर तक, और पूरे दस मिनट सास जी ने उन्हें चक्कर लगवाया, अरे पूरी दुनिया देख तो ले उस बुलबुल को जहाँ से ये बन्नी निकली है , अरे चलो फैला के दिखा देती हूँ , अंदर अभी तक गुलाबी है ,....

और उसके बाद तो एकदम फ्री फॉर ऑल, कोई ननद नहीं बची जिसकी स्कर्ट , शलवार, साया न खुला हो, एक भाभी खोलती और दूसरी लेकर गायब , जिससे बेचारी उघारे , जबतक अपने हाथ से खोल के भाभियों को न दिखाए , भाभियाँ मन भर ऊँगली न करें वापस नहीं मिलता, सुबह भोर होने तक चला, खूब मस्ती ,... इसलिए रात में वो दोनों लग ज़रा भी नहीं सोयीं , और सुबह तो यहाँ के लिए चलना ही था।

चाय पीते पीते हम तीनों बरामदे में आ गए थे,
जेठानी जी का फोन घनघनाया, और मैंने उचक कर देख लिया, जेठ जी का था.
 
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komaalrani

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snidgha12

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update kaisa laga ?
मम्मी जब छोटीसी थीं तबे यह सभ खुब होता रहा... पर हमसे छुपा कर ननद भौजी अबभी खुब हस.हस कर बात करतीं हैं और हमको देखकर चुप्प हो जाती हैं
 

komaalrani

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२०० पन्ने पुरे करने कि बहुत बहुत बधाई जिज्जी..


थैंक्स , आप के आने से कुछ चहल पहल सी आ गयी है , अच्छा लग रहा है।
 

komaalrani

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मम्मी जब छोटीसी थीं तबे यह सभ खुब होता रहा... पर हमसे छुपा कर ननद भौजी अबभी खुब हस.हस कर बात करतीं हैं और हमको देखकर चुप्प हो जाती हैं
एकदम सही बात है , बस कुरेद कुरेद कर, मैं उन पुरानी बातों को ताजा करने की कोशिश कर लेती हूँ , अब कहाँ ३ दिन की शादी , कहीं कहीं तो कोहबर भी बस उठौवा, कागज़ पर पेण्ट , पहले बुआ कोहबर लिखती थीं उसका नेग होता था.
 

Black horse

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रतजगे की बात



चाय में चीनी छोड़ते हुए मैं सोच रही थी , और फिर उसकी तीन घंटे की एडिटेड वीडियो और सैकड़ॉ स्टिल्स, सब मैं कम्मो को दे जाउंगी , अगर नाड़ा खोलने में ज़रा भी देर की , किसी दिन कम्मो के बुलाने से न आयी तो सब की सब,... और फिर जो कम्मो पठान के लौंडों की बात हो रही थी , वो तो खुद ही मार मार के चूतड़ लाल कर देंगे,... लेकिन फिर मेरे दिमाग में आया, कल रात की बात और थी , जेठानी और सासू जी घर पे नहीं थी। फिर कल से तो जेठ जी भी आएंगे , जेठ जेठानी का कमरा भी कम्मो के कमरे की ओर है, कुछ भी चीख पुकार होगी तो सुनाई देगी।
.
चाय में उबाल आ गया था मैं चाय छान ही रही थी की मेरी जेठानी और सासू जी आ गयीं और वहीँ रसोई में गपाष्टक शुरू हो गयी,

वही रतजगे की बात

उकसाया मैंने और बीच बीच में जेठानी जी भी बात आगे बढ़ा रही थीं , लेकिन किस्सा पूरा सासू जी ने ही सुनाया, बिना सेंसर किये अच्छे वाले शब्दों के साथ,

मैं गाँव की लड़की, कितने रतजगे देखे थे, कभी दुलहा बनती थी कभी दुलहन, ...

शुरुआत बुआ जी ने ही की थी अच्छा मौका था उनके पास अपनी भौजाई की रगड़ाई करने का, कुत्ता , गदहा, घोड़ा कोई नहीं बचा जिसे उन्होंने मेरे सासू पर नहीं चढ़ाया यहाँ तक की इनके सारे मामा लोगों का नाम ले लेकर, हर गारी में,

ननदें थी भी बहुत ज्यादा, जेठानी जी ने जोड़ा,

लेकिन मेरी सासू जी से पार पाना आसान है क्या, उन्होंने इशारे इशारे में बुआ जी की मोहल्ले की दो तीन बहुओं को पटा लिया, बस नाच शुरू हुआ और मेरी सास खड़ी हुयी तो उन्होंने खींच के बुआ जी को भी अपने साथ, ' अरे बन्नी की मम्मी तो सबसे बड़ी रंडी है उसके नाचे बिना,... " नाचते हुए उन्होंने अपने दोनों हाथों से बुआ जी के दोनों हाथों को कस के पकड़ रखा था. आँखों से उन्होंने हल्का सा इशारा किया तो दोनों बहुओं ने बस मिल के पीछे से बुआ जी की साड़ी साया दोनों कमर तक, बेचारी बुआ जी के दोनों हाथ तो जकड़े हुए थे , लेकिन मेरी सास इतने में कहाँ मानने वाली थीं , उन्होंने एक हाथ से अपनी ननद के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और वो सरसरा के नीचे गिर गया. एक बहु उसे उठाकर चम्पत। बुआ जी को गुदगुदी भी बहुत लगती थी, साड़ी कमर तक, और पूरे दस मिनट सास जी ने उन्हें चक्कर लगवाया, अरे पूरी दुनिया देख तो ले उस बुलबुल को जहाँ से ये बन्नी निकली है , अरे चलो फैला के दिखा देती हूँ , अंदर अभी तक गुलाबी है ,....

और उसके बाद तो एकदम फ्री फॉर ऑल, कोई ननद नहीं बची जिसकी स्कर्ट , शलवार, साया न खुला हो, एक भाभी खोलती और दूसरी लेकर गायब , जिससे बेचारी उघारे , जबतक अपने हाथ से खोल के भाभियों को न दिखाए , भाभियाँ मन भर ऊँगली न करें वापस नहीं मिलता, सुबह भोर होने तक चला, खूब मस्ती ,... इसलिए रात में वो दोनों लग ज़रा भी नहीं सोयीं , और सुबह तो यहाँ के लिए चलना ही था।

चाय पीते पीते हम तीनों बरामदे में आ गए थे,
जेठानी जी का फोन घनघनाया, और मैंने उचक कर देख लिया, जेठ जी का था.
200 वे पेज पर दुगना धमाल,
सच में दिल से बधाई इस मुकाम तक पहुँचने की.
 
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