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Erotica मोहे रंग दे

komaalrani

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२१ दिन


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इक्कीस दिन ,

सोचते ही मेरे दिमाग में कुछ चमका, मैं जोर से खिलखिलाई और उतरते उतरते एक पल के लिए ठहर गयी।

यही तो, यही तो। अब मेरी ननदिया की अच्छी तरह लिखी जायेगी मोटी वाली कलम और सफ़ेद स्याही से।

मैंने जेठ जेठानी और सासु जी का २१ दिन का ट्रेवेल पॅकेज तो बना दिया था, २१ दिन के लिए घर भी खाली , गुड्डी रानी भी राजी और मेरी सास ने उसके घर से भी,

कम्मो का शैतान दिमाग भी चालू हो गया था , गुड्डो रानी ने भी अपने भौंरो को दावत देना शुरू कर दिया था,... लेकिन,


यह एक बहुत बड़ा लेकिन था क्या वो सच में २१ दिन रह पाएगी। दो चार दिन की बात और. और मुझे लग रहा था की संडे को मेरी सास जेठ जेठानी जाएंगे, उसी दिन मेरी ननद रानी आ जाएंगी,... अगले दिन मंडे से , लेकिन उसी दिन सोमवार को ही तो अनुज की स्क्रीनिंग ही और उसके दो तीन दिन बाद, अनुज लौट आएगा, बृहस्पति हद से हद शुक्रवार, और वो अगर आगया तो घर रखाने की जिम्मेदारी उसके ऊपर, ... और कुछ नहीं तो वो भी आ जाएगा साथ साथ साथ रहने, फिर सारा प्लान,

मैंने खुद रीत दी वाले ऐप से सुना था , एक को उसने मंगल को दावत दी तो दूसरे को बृहस्पति को, और अगर एक बार उसने अपने स्कूल के यारों के सामने टाँगे फैलानी शुरू कर दी तो इतनी जल्दी पर्दा गिरने पर, ...


लेकिन अब एकदम पक्का २१ दिन होली के बाद अनुज बनारस में और मेरी ननदिया यहाँ, अकेले कम्मो भौजी की निगरानी में,... अब तो कोई रोक नहीं सकता उसकी दुरगत होने से,



मैं सीढ़ी पर खड़ी खड़ी यही सोच रही थी, ...

कल यहीं तो मैं और कम्मो उसे खूब चिढ़ा रही थीं जब उसके भैया ने उसकी नथ उतार दी थी, ' तेरे भैया के बाद अब हम दोनों के भैया लोगों का नंबर लगेगा, चार पांच से कम नहीं एक दिन में।


वो बेचारी एकदम घबड़ा रही थी, नहीं नहीं भाभी एक दिन में चार पांच बार नहीं , नहीं , पर कम्मो भौजी भी न, शीशे में उतारने में उनका कोई सानी नहीं, चाहे देवर हो चाहे ननदें। उन्होंने जोर से मेरी टीनेजर ननद के गाल पे चिकोटी काटी और मामला साफ़ किया , ... और बोलीं ,

" ननद रानी, चार पांच बार नहीं , चार पांच हम लोगों के भैया, अब तीन बार से कम तो कोई करेगा नहीं तो समझ लो पंद्रह बार,... "

मेरी मैथ्स अच्छी है जो मैंने ननद रानी की कच्ची अमिया दुलार से सहलाते जोड़ के बता भी दिया,

' यार पहली बात, तुझे तो कुछ करना नहीं , बस अपनी ये प्यारी प्यारी लम्बी गोरी टाँगे फैला देना, या कुतिया की तरह निहुर जाना, बस. उसके बाद तो करेंगे हमारे भैया लोग, तेरे शहर के यार ,... और फिर कितना टाइम पंद्रह, बीस मिनट। तो अगर बीस मिनट भी जोड़ा तो पन्दरह बार में कितना कुल ३०० मिनट या ६ घण्टे,... तो २४ घंटे के दिन में २५ % ही तो हुआ , बाकी टाइम में गली मोहल्ले वालों से नैन मटक्का करना नए नए जोबन मिसवाना। हाँ एक बात और तुम सब ननदें मुझे बहुत चिढ़ाती थी न, मेरी सेंचुरी २० दिन में लग गयी थी, तेरे भैया के साथ तो तेरी सेंचुरी देखना एक हफ्ते में लग जाएगी। "
 
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komaalrani

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सेंचुरी


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पूरे २१ दिन , २१ दिन में तो उसकी, कुछ दिन पहले की तो बात है जब मैं शादी में आयी थी, जरा सी गारी सुनने पर ऐसी उचकती थी, गरम तवे पर जैसे कोई छींटा मार दे वैसे छनकती थी, ...

एक किया दो किया साढ़े तीन किया , हिन्दू मुसलमान किया तुरक पठान किया, कोरी,चमार किया अरे सौ -सौ छैले हमरे मायके के , ...

कैसे बुरा मान के मुंह बिचकाती थी,

अब सही मौका है , तीन हफ्ते में सच मुच् सौ चढ़ जाएँ उसके ऊपर, सौ लौंडो की सेंचुरी बन जाए,... मेरा दिमाग तेजी से काम कर रहा था, कम्मो ने वैसे ही अपने गाँव जवार के , लेकिन अब जब २१ दिन का पक्का हो गया, ...


और जितना उसके शहर वाले, १४ भौंरे तो उसकी अपनी लिस्ट में ही थे, ... कम से कम ८ -१० तो उसमें से ही ,

फिर उनके भी कुछ यार दोस्त होंगे, फिर उसकी सहेलियां , उनके यार, भाई , उसकी पक्की सहेली लीला तो रोज बिना नागा अपने सगे भाई का लीलती है, तो उसका वो भाई ही,...


और वो दोनों पड़ोस वाली दोनों लड़कियां जो होली खेलने आयीं थी और मैंने और कम्मो ने पटक के , जबरदस्त ऊँगली, दोनों की अच्छी तरह पहले से फटी थी, उनके यार,..

असली मजा तो तब आएगा , जब उसकी सहेलियों के सामने, स्कूल मोहल्ले की लड़कियों के सामने लौंडे चढ़ेंगे, उसके ऊपर,...

मैंने तय कर लिया था अभी कम्मो से मिल के,... कम्मो ने तो अपने गाँव जवार के मैं भी रीतू भाभी से बात कर के,... नहीं तो जो ग्वालिन भौजी हैं दूध दुहने आती हैं , अहिराने के भरौटी के, अरे वो लड़के गाँव जवार के नाते मेरे भाई ही तो लगेंगे,...



लेकिन तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,



नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं


मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी.

लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, ...



" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,... "
 
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chodumahan

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सेंचुरी


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पूरे २१ दिन , २१ दिन में तो उसकी, कुछ दिन पहले की तो बात है जब मैं शादी में आयी थी, जरा सी गारी सुनने पर ऐसी उचकती थी, गरम तवे पर जैसे कोई छींटा मार दे वैसे छनकती थी, ...

एक किया दो किया साढ़े तीन किया , हिन्दू मुसलमान किया तुरक पठान किया, कोरी,चमार किया अरे सौ -सौ छैले हमरे मायके के , ...

कैसे बुरा मान के मुंह बिचकाती थी,

अब सही मौका है , तीन हफ्ते में सच मुच् सौ चढ़ जाएँ उसके ऊपर, सौ लौंडो की सेंचुरी बन जाए,... मेरा दिमाग तेजी से काम कर रहा था, कम्मो ने वैसे ही अपने गाँव जवार के , लेकिन अब जब २१ दिन का पक्का हो गया, ...


और जितना उसके शहर वाले, १४ भौंरे तो उसकी अपनी लिस्ट में ही थे, ... कम से कम ८ -१० तो उसमें से ही ,

फिर उनके भी कुछ यार दोस्त होंगे, फिर उसकी सहेलियां , उनके यार, भाई , उसकी पक्की सहेली लीला तो रोज बिना नागा अपने सगे भाई का लीलती है, तो उसका वो भाई ही,...


और वो दोनों पड़ोस वाली दोनों लड़कियां जो होली खेलने आयीं थी और मैंने और कम्मो ने पटक के , जबरदस्त ऊँगली, दोनों की अच्छी तरह पहले से फटी थी, उनके यार,..

असली मजा तो तब आएगा , जब उसकी सहेलियों के सामने, स्कूल मोहल्ले की लड़कियों के सामने लौंडे चढ़ेंगे, उसके ऊपर,...

मैंने तय कर लिया था अभी कम्मो से मिल के,... कम्मो ने तो अपने गाँव जवार के मैं भी रीतू भाभी से बात कर के,... नहीं तो जो ग्वालिन भौजी हैं दूध दुहने आती हैं , अहिराने के भरौटी के, अरे वो लड़के गाँव जवार के नाते मेरे भाई ही तो लगेंगे,...



लेकिन तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,



नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं


मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी.

लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, ...



" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,... "
प्लान तो जबरदस्त है 21 दिन का..
इन 21 दिनों में गुड्डी के सारे छेदों से सडका टपकते रहना चाहिए...
जहाँ मर्जी हों पकड़ के निहुरा दे...

लेकिन ये बीच में सस्पेंस छोड़ कर उत्सुकता और बढ़ा देती है.....और सेंचुरी टाईटल का खुलासा नहीं हुआ...
 
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प्लान तो जबरदस्त है 21 दिन का..
इन 21 दिनों में गुड्डी के सारे छेदों से सडका टपकते रहना चाहिए...
जहाँ मर्जी हों पकड़ के निहुरा दे...

लेकिन ये बीच में सस्पेंस छोड़ कर उत्सुकता और बढ़ा देती है.....और सेंचुरी टाईटल का खुलासा नहीं हुआ...

एकदम, पक्का प्लान यही है।
 
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हमें खिंच कर इशक लाया है तेरा,
ते रे दर पे हम ने लगया है डेरा,
हमे होगा जब तक न दीदार तेरा ,
यहीं सुबहो होगी यहीं रात होगी,

कहते है अच्छे लोगो को खुदा अपने पास जल्दी बुला लेता है,बहुत सारे अच्छे लोग अब हमारे साथ नही ,कितने गीत खो गए,हजारों किस्से गुम हो गये,
कितने सपने बिखर गये, कोई हिसाब नही,
खुदा उन की रूहो को जन्नत बक्से,

कमब्खत हम हैं के अब भी जिये जाते है,
गुजरे बख्त में चलीं मौत की आंधियो (कोरोना) के सैलाब ने दुनियां को तबाह कर दिया,लेकिन आप के प्यार और आशिर्वाद के कवच ने हमें जिंदा रखा,

आप को पुरानी तरन्नुम के साथ नये मैकदे में देख कर हसरतें मचल उठी,खुद को रोका न गया,
लो तो हम भी चले आए है दरे साकी पर,
मैकदे का तो भरम बना रक्खा है,नशा तो शराब में होता है,चश्मे साकी में होता है,कोमला दीदी की कलम में होता है,
आप को देख कर देखता रह गया,
क्या कहूँ? क्या कहूं?और कहने को क्या रह गया,

जन्नत में शराब की नहरे सूख गईं,सारीं हूरे बूढ़ी हो गई,इसलिये ख़ुदा ने आप को यही रहने दिया,
तो चले चलो तुम भी लेकर अपनी सुराही,ओर पीने वालों को पिलाते जाओ होश उड़ाते जाओ,
छलका दो अपनी गागर कोमला,होश उड़ा दो रिन्दों के,
हर पीने वाला बस यही कहे बस यही कहे,
तूने दीवाना बनाया तो में दीवाना बना,अब मुझे होश की दुनिया मे तमासा न वना,

बहुत दिनों के बाद आप के दर्शन का सौभाग्य मिला,दिल मे तो आप हमेशा रहे,आँखों को सुकू अब पहुँचा, उम्मीद है अब न बिछड़ेगे,

त ज़िंदगी आप के आशिर्वाद की मुन्तजिर रहूंगी,
आप के चरणों में है जन्नत मेरी,आप के और आप का परिवार की सलामती की दुआ करती हूं, खुदा आप सभी को खुशियां बक्से ,अभी के लेये विदा,
आप की नादान छोटी बहिन,
सोफिया आलम नकवी
 
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हमें खिंच कर इशक लाया है तेरा,
ते रे दर पे हम ने लगया है डेरा,
हमे होगा जब तक न दीदार तेरा ,
यहीं सुबहो होगी यहीं रात होगी,

कहते है अच्छे लोगो को खुदा अपने पास जल्दी बुला लेता है,बहुत सारे अच्छे लोग अब हमारे साथ नही ,कितने गीत खो गए,हजारों किस्से गुम हो गये,
कितने सपने बिखर गये, कोई हिसाब नही,
खुदा उन की रूहो को जन्नत बक्से,

कमब्खत हम हैं के अब भी जिये जाते है,
गुजरे बख्त में चलीं मौत की आंधियो (कोरोना) के सैलाब ने दुनियां को तबाह कर दिया,लेकिन आप के प्यार और आशिर्वाद के कवच ने हमें जिंदा रखा,

आप को पुरानी तरन्नुम के साथ नये मैकदे में देख कर हसरतें मचल उठी,खुद को रोका न गया,
लो तो हम भी चले आए है दरे साकी पर,
मैकदे का तो भरम बना रक्खा है,नशा तो शराब में होता है,चश्मे साकी में होता है,कोमला दीदी की कलम में होता है,
आप को देख कर देखता रह गया,
क्या कहूँ? क्या कहूं?और कहने को क्या रह गया,

जन्नत में शराब की नहरे सूख गईं,सारीं हूरे बूढ़ी हो गई,इसलिये ख़ुदा ने आप को यही रहने दिया,
तो चले चलो तुम भी लेकर अपनी सुराही,ओर पीने वालों को पिलाते जाओ होश उड़ाते जाओ,
छलका दो अपनी गागर कोमला,होश उड़ा दो रिन्दों के,
हर पीने वाला बस यही कहे बस यही कहे,
तूने दीवाना बनाया तो में दीवाना बना,अब मुझे होश की दुनिया मे तमासा न वना,

बहुत दिनों के बाद आप के दर्शन का सौभाग्य मिला,दिल मे तो आप हमेशा रहे,आँखों को सुकू अब पहुँचा, उम्मीद है अब न बिछड़ेगे,

त ज़िंदगी आप के आशिर्वाद की मुन्तजिर रहूंगी,
आप के चरणों में है जन्नत मेरी,आप के और आप का परिवार की सलामती की दुआ करती हूं, खुदा आप सभी को खुशियां बक्से ,अभी के लेये विदा,
आप की नादान छोटी बहिन,
सोफिया आलम नकवी
 

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हमें खिंच कर इशक लाया है तेरा,
ते रे दर पे हम ने लगया है डेरा,
हमे होगा जब तक न दीदार तेरा ,
यहीं सुबहो होगी यहीं रात होगी,

कहते है अच्छे लोगो को खुदा अपने पास जल्दी बुला लेता है,बहुत सारे अच्छे लोग अब हमारे साथ नही ,कितने गीत खो गए,हजारों किस्से गुम हो गये,
कितने सपने बिखर गये, कोई हिसाब नही,
खुदा उन की रूहो को जन्नत बक्से,

कमब्खत हम हैं के अब भी जिये जाते है,
गुजरे बख्त में चलीं मौत की आंधियो (कोरोना) के सैलाब ने दुनियां को तबाह कर दिया,लेकिन आप के प्यार और आशिर्वाद के कवच ने हमें जिंदा रखा,

आप को पुरानी तरन्नुम के साथ नये मैकदे में देख कर हसरतें मचल उठी,खुद को रोका न गया,
लो तो हम भी चले आए है दरे साकी पर,
मैकदे का तो भरम बना रक्खा है,नशा तो शराब में होता है,चश्मे साकी में होता है,कोमला दीदी की कलम में होता है,
आप को देख कर देखता रह गया,
क्या कहूँ? क्या कहूं?और कहने को क्या रह गया,

जन्नत में शराब की नहरे सूख गईं,सारीं हूरे बूढ़ी हो गई,इसलिये ख़ुदा ने आप को यही रहने दिया,
तो चले चलो तुम भी लेकर अपनी सुराही,ओर पीने वालों को पिलाते जाओ होश उड़ाते जाओ,
छलका दो अपनी गागर कोमला,होश उड़ा दो रिन्दों के,
हर पीने वाला बस यही कहे बस यही कहे,
तूने दीवाना बनाया तो में दीवाना बना,अब मुझे होश की दुनिया मे तमासा न वना,

बहुत दिनों के बाद आप के दर्शन का सौभाग्य मिला,दिल मे तो आप हमेशा रहे,आँखों को सुकू अब पहुँचा, उम्मीद है अब न बिछड़ेगे,

त ज़िंदगी आप के आशिर्वाद की मुन्तजिर रहूंगी,
आप के चरणों में है जन्नत मेरी,आप के और आप का परिवार की सलामती की दुआ करती हूं, खुदा आप सभी को खुशियां बक्से ,अभी के लेये विदा,
आप की नादान छोटी बहिन,
सोफिया आलम नकवी

स्वागत है, बस यहीं बस जाइये। आपके आने से चमन की रंगत और खुशबू दोनों बदल गयी. उम्मीद है मुलाकात होती रहेगी।
 
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स्वागत है, बस यहीं बस जाइये। आपके आने से चमन की रंगत और खुशबू दोनों बदल गयी. उम्मीद है मुलाकात होती रहेगी।




आप की आज्ञा सर माथे,बस आप का आशिर्वाद बना रहे दुनिया जीत लेंगे, हुक्म की लब्ज व लब्ज तालीम होगी,,,
 
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आप की आज्ञा सर माथे,बस आप का आशिर्वाद बना रहे दुनिया जीत लेंगे, हुक्म की लब्ज व लब्ज तालीम होगी,,,


साथ बनाये रखिये
 

komaalrani

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