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समधन समधन
तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,
नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं
मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी.लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, ...
" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,... "
मामला ये था की मेरी सास ने अपनी समधन के बारे में पूछा था की मिठाई विठाई कुछ ले जा रहे हो की नहीं , और ये भी बोल बैठे, आपने इतनी गुझिया वुझिया बनायी तो है अपनी समधन के लिए. और ऊपर से कम्मो, उनकी भौजी, उन्हें भी अपने देवर की खिंचाई करने में मजा आता था, झट्ट से डेढ़ पाव शुद्ध देशी घी आग में छोड़ दिया , भोली बन के बोलीं,
" अरे हम लोगों का जमाना होता न, पहली बार बहू अपने मायके जा रही है, कम से कम पांच झाँपा, एक झाँपा खाजा, एक झाँपा लड्डू, ,..."
और उनकी बात काट के मेरी सास झुंझला के बोल उठीं,
" तो कौन सा जमाना बदल गया है, पांच झाँपा न सही पांच किलो तो कम से कम ले जाना चाहिए न,... "
मुझे देख कर मेरी सास थोड़ा सा मुस्करायीं , और अपनी तोप का मुंह मेरी जेठानी की ओर मोड़ दिया लेकिन उनके गुस्से में कोई कमी नहीं आयी,...
" बहू, तुझसे बोला था न की अपनी देवरानी ज़रा सोच समझ के ले आना, ठोंक बजा के देख लेना , सब जिम्मेदारी मैंने तुम्हारे ऊपर छोड़ दी थी , लेकिन ये कैसी , इतनी बुद्धू,,... "
जेठानी मुझे देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थीं , सच में अगर मेरी जेठानी न होतीं न , तो हम लोगों का जो चट मंगनी पट ब्याह हुआ एकदम नहीं हो पता, शादी में इनके देवर से मेरे नैना चार हुए थे, ये भी आयी थीं, बस देख भी उन्होंने लिया था मेरी जबरदस्त गारियाँ भी सुन ली थीं, उन्होंने खुद ही रीतू भाभी से बात की , दो दिन में इन्ही के यहाँ से फोन आया, और पहली लगन में शहनाई,... इनकी सास ने जो जो शर्तें रखीं सब मेरी सास ने मान ली, गाँव की शादी,
लेकिन मेरी सास अब मुझे देख रही थीं और मुस्कराते हुए बोलीं ,
" लेकिन तेरी गलती भी कम नहीं है,... ' और मुझे कुछ समझ में आता उन्होंने अर्था के बता दिया,
" तूने इस लड़के से बहुत जल्दी हाँ बोल दी, कम से कम तीन महीने रोज नाक रगड़वाती न , तब हाँ बोलती तब इसको ससुराल का मतलब समझ में आता। "
मैंने झट ५०० ग्राम मक्खन लगाया, और सासू जी से बोली,
" पर मुझे तो आप के पास आने की जल्दी थी न "
और जा के एकदम अपनी सास को पकड़ के चिपक के खड़ी हो गयी। मेरी सास ने भी मुझे बहुत दुलार से मुझे दुबका लिया लेकिन इनके ऊपर डांट की बारिश कम नहीं हुयी,
" इतनी, प्यारी, अच्छी, मीठी, सुन्दर मेरी बहू इतनी आसानी से मिल गयी न इसलिए,... अब मुंह क्या देख रहे हो जाओ पांच किलो और मेरी समधन के लिए अलग से ,... "
कम्मो मज़ाक के मामले में रिश्ता विश्ता नहीं देखती थी, और ख़ास तौर पर देवर खड़ा हो, मेरी सास की हाँ में हाँ मिलाती इनसे बोली,
" मालूम है इनकी समधन को कौन सी मिठाई पसंद है ? " , फिर खुद ही जवाब भी दे दिया, अपना बित्ता पूरी तरह फैला के खोल के दिखाते हुए,
तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,
नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं
मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी.लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, ...
" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,... "
मामला ये था की मेरी सास ने अपनी समधन के बारे में पूछा था की मिठाई विठाई कुछ ले जा रहे हो की नहीं , और ये भी बोल बैठे, आपने इतनी गुझिया वुझिया बनायी तो है अपनी समधन के लिए. और ऊपर से कम्मो, उनकी भौजी, उन्हें भी अपने देवर की खिंचाई करने में मजा आता था, झट्ट से डेढ़ पाव शुद्ध देशी घी आग में छोड़ दिया , भोली बन के बोलीं,
" अरे हम लोगों का जमाना होता न, पहली बार बहू अपने मायके जा रही है, कम से कम पांच झाँपा, एक झाँपा खाजा, एक झाँपा लड्डू, ,..."
और उनकी बात काट के मेरी सास झुंझला के बोल उठीं,
" तो कौन सा जमाना बदल गया है, पांच झाँपा न सही पांच किलो तो कम से कम ले जाना चाहिए न,... "
मुझे देख कर मेरी सास थोड़ा सा मुस्करायीं , और अपनी तोप का मुंह मेरी जेठानी की ओर मोड़ दिया लेकिन उनके गुस्से में कोई कमी नहीं आयी,...
" बहू, तुझसे बोला था न की अपनी देवरानी ज़रा सोच समझ के ले आना, ठोंक बजा के देख लेना , सब जिम्मेदारी मैंने तुम्हारे ऊपर छोड़ दी थी , लेकिन ये कैसी , इतनी बुद्धू,,... "
जेठानी मुझे देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थीं , सच में अगर मेरी जेठानी न होतीं न , तो हम लोगों का जो चट मंगनी पट ब्याह हुआ एकदम नहीं हो पता, शादी में इनके देवर से मेरे नैना चार हुए थे, ये भी आयी थीं, बस देख भी उन्होंने लिया था मेरी जबरदस्त गारियाँ भी सुन ली थीं, उन्होंने खुद ही रीतू भाभी से बात की , दो दिन में इन्ही के यहाँ से फोन आया, और पहली लगन में शहनाई,... इनकी सास ने जो जो शर्तें रखीं सब मेरी सास ने मान ली, गाँव की शादी,
लेकिन मेरी सास अब मुझे देख रही थीं और मुस्कराते हुए बोलीं ,
" लेकिन तेरी गलती भी कम नहीं है,... ' और मुझे कुछ समझ में आता उन्होंने अर्था के बता दिया,
" तूने इस लड़के से बहुत जल्दी हाँ बोल दी, कम से कम तीन महीने रोज नाक रगड़वाती न , तब हाँ बोलती तब इसको ससुराल का मतलब समझ में आता। "
मैंने झट ५०० ग्राम मक्खन लगाया, और सासू जी से बोली,
" पर मुझे तो आप के पास आने की जल्दी थी न "
और जा के एकदम अपनी सास को पकड़ के चिपक के खड़ी हो गयी। मेरी सास ने भी मुझे बहुत दुलार से मुझे दुबका लिया लेकिन इनके ऊपर डांट की बारिश कम नहीं हुयी,
" इतनी, प्यारी, अच्छी, मीठी, सुन्दर मेरी बहू इतनी आसानी से मिल गयी न इसलिए,... अब मुंह क्या देख रहे हो जाओ पांच किलो और मेरी समधन के लिए अलग से ,... "
कम्मो मज़ाक के मामले में रिश्ता विश्ता नहीं देखती थी, और ख़ास तौर पर देवर खड़ा हो, मेरी सास की हाँ में हाँ मिलाती इनसे बोली,
" मालूम है इनकी समधन को कौन सी मिठाई पसंद है ? " , फिर खुद ही जवाब भी दे दिया, अपना बित्ता पूरी तरह फैला के खोल के दिखाते हुए,
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