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ekdm , jarrori tha ye sabProfessional ki bhi professional, pahle se seekh liye saare angle, koi bhi na choote. Good
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agar koi hindi reader tumhari story na pade to samjho usne gunah kar diya, ye gunah main karta aa raha tha beech beech mein jhalkiyan leta tha, par ab aur nahi badi shidadat se padunga aur guftgu bhi karunga ( ab tak ke liye maafi ka talabgar hun)काम का चरम रूप स्त्री -पुरुष, देह मन मस्तिष्क तीनो का संगम और रस की पराकाष्ठा,... मैं कुछ सायास सोच नहीं रहा था, गंगा की लहरें देखते हुए अपने आप मन में विचारों की भावों की लहरे बह रही थीं,...
जबरदस्त शुरुआत है...हमारे हथियार इतने दमखम से लगे है तो जन्म देना ही होगा इस प्रसंग को ।पिछले दो पन्नो पर ( २५७ और २५८ ) पर इस कहानी से जुडी जो कहानी मैं लिखने की कोशिश कर रही हूँ,
मज़े बनारस के
उसके कुछ अंश है , प्लीज पढ़ के अपने विचारों से अवगत कराये की इसे अजन्मा रहने देना ही उचित होगा या इसे भी इस फोरम में , सुधी पाठक पाठिकाओं के लिए प्रस्तुत करूँ, ....
अहह भौजी काश हमारा भी टेंशन ऐसे ही दूर किया जाता ...एक्जाम का टेंशन और गुड्डो की मम्मी
" भाभी, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. सर भन्ना रहा है, लग रहा है सब भूल गया हूँ, इत्ते दिनों की मेहनत,... बहुत परेशानी लग रही है "
" लाला, सो जाओ थोड़ी देर, इत्ते दिन से तो रात रात भर जग के, ... ठीक हो जाएगा " मेरे गाल सहलाते हुए दुलार से वो बोलीं।
" नहीं, भाभी, दो घंटों से कोशिश कर रहा था, नींद भी नहीं आ रही है, बस सर भन्ना रहा है, कुछ समझ में नहीं आ रहा है " मैंने उनके सीने पर अपने सर को रखे रखे अपनी परेशानी बतायी। मैं बस मुंह उठा के उनकी ओर देख रहा था.
वो भी थोड़ी देर मेरी ओर देखती रहीं, फिर मेरे पास से उठीं, और वहीँ पास में एक चटाई बिछाई फिर गुड्डो को आवाज लायी।
मेरी परेशान चेहरे को देख वो भी समझ गयी कुछ सीरियस है,...
भाभी ने गुड्डो को कुछ समझाया, और थोड़ी देर में गुड्डो तेल की एक बोतल, और एक छोटी सी कटोरी में कोई तेल हल्का गर्म कर के, ...
भाभी ने गुड्डो के जाते ही दरवाजा बंद किया, मेरी बनयाईन खींच कर उतारी, अपनी साड़ी भी उतारी, वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट , ... लेकिन मेरे ऊपर कुछ असर नहीं हो रहा था, उनको ब्लाउज पेटीकोट में देख कर. तबतक मेरी नेकर उन्होंने खींच कर उतार दिया और अपनी साड़ी लुंगी की तरह मेरे चारों ओर लपेट दिया, और मुझे पेट के बल चटाई पर लेटा दिया, और वो कटोरी वाला तेल मेरे पैर के तलुवें में,….
…......and ...after some more ,.....and....
भाभी ने अब ; उसको,.. मुझको लग रहा था शायद वो सुपाड़ा खोलेंगी, लेकिन उन्होंने चमड़े को पकड़ के उसका मुंह एकदम बंद कर दिया और कटोरी का बचा खुचा तेल,जैसे उसे नहला रही हों, तेल से एकदम चपाचप, बहुत अच्छा लग रहा जब तेल धीरे धीरे सरकता, सोखता, बूँद बूँद उस खड़े तने,... पर से एकदम नीचे तक, बस भाभी ने एक हाथ की मुट्ठी में, मुश्किल से उनकी भी मुट्ठी आ पा रहा था, लेकिन उन्होंने मुठीयाना नहीं शुरू किया, बस थोड़ी देर तक मुट्ठी हलके हलके खोलती बंद करती रहीं, फिर दो उँगलियों की टिप से मेरे उसके बेस पर हलके हलके, फिर कस के दबाना शुरू किया,... बहुत अच्छा लग रहा था, पूरी देह ढीली हो रही थी, तेल से इतना चिकना हो गया था की, बस हलके हलके सरकाते हुए अपनी मुट्ठी से उन्होंने मुठियाना शुरू किया, पहले हलके हलके , फिर जोर जोर से , उनके हाथ का टच बहुत अच्छा लग रहा था,
पूरा टेंशन एकदम जैसे घुल के उनके हाथों में जा रहा था , लेकिन वो वैसे का वैसे ही कड़ा, अब भाभी ने स्टाइल बदली,
जैसे कोई जवान ग्वालन दोनों हाथों से मथनी चलाये, दही बिलोडे, बस उसी तरह, दोनों हाथों के बीच उस मोटे मोटे चर्मदण्ड को, चार पांच मिनट तक बिना रुके,...
फिर वो रुक गयीं, उस मथानी को उन्होंने छोड़ दिया , एक हाथ मेरी बॉल्स को हलके हलके टच कर रहा था , कभी मुट्ठी में लेकर उसे वो हलके से दबा देतीं, तो कभी बस सहलाती रहतीं, और उनका दूसरी हथेली, अब मुट्ठी से तो उन्होंने ' उसे' छोड़ दिया था लेकिन उनकी चार उँगलियाँ बस हलके हलके कभी मेरे शिश्न को छू के रगड़ देतीं , कभी बस टैप कर देतीं, जैसे कोई कुशल सितार वादिका सितार के तारों को छेड़ रही हो,
अचानक उन्होंने डबल अटैक शुरू कर दिया, जो हाथ मेरे बॉल्स पकडे था वो अब उसे कस कस के सहला रहा था और उनकी तर्जनी मेरे पिछवाड़े की दरार भी सहला रही थी,... और दूसरे हाथ से वो जोर जोर से मुठियाने लगीं, बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन अभी भी नहीं लग रहा था की मैं किनारे पर पहुंचूंगा।
अब उन्होंने अपने दोनों हाथों से कटोरी में बचे खुचे तेल को निकाल के अपने उभारों पर लगा के, दोनों खूब कड़े कड़े बड़े बड़े उभारों के बीच मेरे चर्म दंड को लेकर , जोर जोर से, और पहले झटके में ही मेरा मोटा सुपाड़ा खुल गया. लेकिन वो अपने दोनों जोबन के बीच मेरे लंड को लेकर मसलती रगड़ती रहीं, फिर साथ साथ अपनी जीभ की टिप से कभी मेरे पी होल, वाले पेशाब के छेद को छू कर हटा लेतीं, तो कभी बार बार उस पेशाब के छेद में अपनी जीभ की टिप को ठेलने की कोशिश करतीं,
मेरी हालत ख़राब हो रही थी, उनकी जीभ, मेरे मोटे सुपाड़े पर बार बार अब सपड़ सपड़ , और गप्प से उन्होंने पूरा सुपाड़ा मुंह में भर लिया और लगी पूरी ताकत से चूसने,
Thanks so much, your gracing the thread itself is a privilege for me, i am just a pen pusher, purveyor of porn with repetitive themes,... thanks so much, It will be great if you can carve out some timeagar koi hindi reader tumhari story na pade to samjho usne gunah kar diya, ye gunah main karta aa raha tha beech beech mein jhalkiyan leta tha, par ab aur nahi badi shidadat se padunga aur guftgu bhi karunga ( ab tak ke liye maafi ka talabgar hun)
Please comment on post 2586 and 2587, posted after your earlier commentअहह भौजी काश हमारा भी टेंशन ऐसे ही दूर किया जाता ...
kitni komalta hai tummein aur tumhare lafzon mein kash aise komalta tum se seekh kar main apne lafzon mein la paaunThanks so much, your gracing the thread itself is a privilege for me, i am just a pen pusher, purveyor of porn with repetitive themes,... thanks so much, It will be great if you can carve out some time
Thanksजबरदस्त शुरुआत है...हमारे हथियार इतने दमखम से लगे है तो जन्म देना ही होगा इस प्रसंग को ।
Thanks for such nice and lyrical response, i am humbled.kitni komalta hai tummein aur tumhare lafzon mein kash aise komalta tum se seekh kar main apne lafzon mein la paaun