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वासना से परिपूर्ण।पर वो लड़का आधे घंटे के पहले कभी ,... हाँ जब मैं झड़ने लगी तो वो रुक गए ,खूंटा पूरा अंदर धंसा पर मैं नहीं रुकी , जैसे ही मेरा झड़ना रुका , ... आखिर गाड़ी में डीज़ल पेट्रोल डालना भी तो जरुरी था , ... मैंने दूसरा समोसा उठाया और सीधे इनके मुंह में , आधा मेरे मुंह में भी , ...
फिर शुरुआत भी मैंने की , खूंटा तो उनका जड़ तक घुसा ही था मेरे अंदर।
और अब तक मैं समझ गयी थी , कसी बिल के अंदर मूसल डाल के अंदर बाहर करना इतना आसान भी नहीं , ...
लेकिन आगे पीछे करने से भी मज़ा कम नहीं आता था , बस मैंने वही शुरू किया। और थोड़ी देर बाद गोल गोल अपनी कमर उनकी गोद में बैठे बैठे , उनका खूंटा पूरा घोंटे , ... साथ में मेरे जोबन एक बार फिर से सीने से रगड़ रहे थे ,
वो चुपचाप बैठे थे , कमान अभी पूरी तरह मेरे हाथ में थी वो सिर्फ मज़ा ले रहे थे ,
गोल गोल कमर घुमाने के साथ मेरी गुलाबो अपने मोटे यार को कस के भींच रही थी , निचोड़ रही थी , दबोच रही थी।
मुंह उनका पूरा समोसे से भरा था , लेकिन मैंने अपने मुंह का भी उनका सर पकड़ के सीधे उनके मुंह में ठेल दिया अपनी जीभ साथ में ,
मेरा अधखाया , मेरे थूक में लिथड़ा , कुचा कुचाया , मेरा जूठा ,...
मेरा जूठा तो वो पहले दिन से खा रहे थे , सबसे पहले कोहबर में , ...
मैंने जो उन्हें पान खिलाया था ,
उसके अंदर एक छोटा सा पान था जो मैंने कई घण्टे अपने मुंह में रख कर चबाया कुचला चुभलाया था ,
माना ये जाता है की दुल्हन का जूठ खाने से दुलहा हरदम के लिए जोरू का गुलाम हो जाता है , मैंने कुछ मुंह बनाया , ( कुछ इसलिए भी सोच के , की वो तो ऐसे ही जब से उसने मुझे पहली बार देखा है तब से मेरा गुलाम हो गया है ) पर बुआ ने जोर से हड़काया , बोलीं
" आज कल क लड़की , ... अरे हम लोगन क जमाने मे इ पान क सुपाड़ी दुलहिन को ऊपर वाले मुंह में नहीं ,
नीचे वाले मुंह में घोंटना पड़ता था , ... और ज़रा भी छिनारपना किया तो उसकी भौजाई कुल पकड़ के जबरदस्ती , पूरा अंदर ठेल देती थीं ".
पान तो चलिए गनीमत था उन्होंने देखा नहीं था ,
लेकिन कोहबर में सबके सामने , हम दोनों लोग गाँठ जोड़ के बैठे थे , और इनकी सलहज ने ,
पानी पहले मुझे पिलाया , फिर वही पानी , ...
देखा उन्होंने भी था ,... पर बिना ना नुकुर किये , मेरा जूठा पानी गटक गए।
वो तो खैर उनकी ससुराल थी ,
मेरी ससुराल में भी ,... विदाई के बाद , हम दोनों गाँठ जोड़े कोहबर में बैठे थे ,
मेरी जेठानी ने पहले पानी मुझे पिला के वही ग्लास इनकी ओर बढ़ाया ,
एक चंट ननद ,... और कौन ,... वही गुड्डी रानी , एलवल वाली अपने भइया को वार्न करने लगी ,
" नहीं भैया , भाभी का जूठा है ,... "
पर वो उसकी अनसुनी कर के पूरा ग्लास पानी पी गए , ...
और उसकी याद आते ही , मैंने उनके कान में बोला ,
बस इतना कहना , और
मेरी कमर पकड़ कर उन्होंने मुझे ऊपर उठाया , खूंटा थोड़ा सा बाहर निकला ,
फिर तो बैठे बैठे नीचे से क्या धक्के मारने शूरु किये उन्होंने
और अब मैं भी पूरी तरह से उनका साथ दे रही थी , फर्श पर अपने दोनों हाथ रख के उनके साथ पुश कर रही थी ,
वो चोद रहे थे , मैं चुदवा रही थी दिन दहाड़े ,
फर्श पर बैठी अपने साजन की गोद में , ...
टाइम का न उन्हें ख्याल था न मुझे ,
बस इतना मजा आ रहा था बता नहीं सकती , ... और अबकी जब मैं झड़ी तो साथ में वो भी ,
ढेर सारी मलाई मेरे अंदर ,... और जब मैं उठी तो बस दो इंच अपने को ऊपर उठा के , ...
अपनी बुर सिकोड़ के , निचोड़ के ,... उनके खूंटे की सारी मलाई
उसी खूंटे पर , पहले ढेर सारी
फिर बूँद बूँद , ...
वो मूसलचंद रबड़ी मलाई से ढक गया , फिर हट कर , उनके बगल में बैठ कर , ..
अपनी ऊँगली का चम्मच बना कर , सीधे खूंटे पर से उठा के उन्हें दिखाते सब चाट गयी , और जो मेरे होंठों पर लगा था , ...
वो सब सीधे उनके होंठों पर , ...
देर तक हम दोनों एक दूसरे से चिपके , चूमते कस के पकडे , दबोचे ,...
फिर अचानक मुझे छोड़ कर वो उठे और बोले ,
मैं भी न कितना बुद्धू हूँ। और बाथरूम में भागे , जहाँ उनके कपडे मैंने टाँगे थे