Black horse
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wowरेनू
लेकिन तब तक मेरी निगाह रेनू पर पड़ी ,
वो पहले ही मुझसे बहुत खुली थी।
वो लीला के बगल में खड़ी उचक उचक कर अपनी सहेली के खुले उभार पर जो मैंने दांतों से निशान बनाये थे ,
वो देख रही थी और उसे चिढ़ा रही थी ,
बस मुझे मौका मिल गया ,
उसकी छोटी सी नेवी ब्लू कलर की स्कर्ट से रेनू की चिकनी मांसल गदरायी जाँघे झांक रही थीं ,
थोड़ी खुली और फैली भी ,
बस , एक भाभी को इससे ज्यादा क्या चाहिए , ...
और मैंने स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया ,
वो चौंकी ,
उचकी और जाँघे सिकोड़ने की कोशिश की ,
पर इन सबका इलाज मुझे मालूम था ,
हल्की सी गुदगुदी और जांघ के एकदम ऊपरी हिस्से पर , एक जोर की चिकोटी काटी , बस ,... जाँघे पहले से भी ज्यादा फ़ैल गयीं।
मेरी गदोरी , अब जाँघों के सबसे ऊपर के हिस्से में थी , एकदम उसकी पैंटी को छूती , ...
और अब मुझे जल्दी भी नहीं थी।
हलके हलके मैं जाँघों के ऊपरी हिस्से को सहला रही थी , रेनू की आंखे मुंद रही थी , उसकी देह सिहर रही थी ,
पर बड़ी मुश्किल से बेचारी बोली ,
" भाभी , निकालिये न "
जवाब में मैंने हथेली सीधे उसकी पैंटी में घुसेड़ दिया और हँसते हुए बोली ,
" अरे ननद रानी , दो बातें तेरी गलत हैं , पहले तो अभी मैंने डाला भी नहीं है , ...
दूसरे ये तुम तीनों की बाली उमर डलवाने की है , और ऐसे मस्त माल को , ... अरे देखना लौंडे डालेंगे पहले , पूछेंगे बाद में। "
सच में एकदम मस्त माल थी , पूरी मक्खन मलाई , ... झांटे तो आ गयी थीं , लेकिन बहुत छोटी छोटी , ... खूब मुलायम , ...
मैंने प्रेमगली का हाल चाल लिया ,
हथेली से दोनों पपोटों को थोड़ा रगड़ा मसला , और वो गीली होने लगी , ...
तर्जनी से उस कच्ची चूत की दोनों फांको के बीच हलके से ,
उफ़ , सच में जिस लड़के को ये पहली बार मिलेगी न उसकी किस्मत खुल जायेगी।
ऊँगली की टिप से खोद कर दोनों फांको के बीच मैंने थोड़ी सी जगह बनाई , फिर हलके से तर्जनी का जोर लगाया , नहीं घुसी।
फिर कलाई का पूरा जोर लगाया , तब भी टस से मस नहीं हुयी , ...बात साफ़ थी।
माल अभी कोरा है , एकदम कच्ची कसी , सील बंद ,...
लेकिन मजा लेने को तैयार ,
जिस तरह उसकी चुनमुनिया गीली हो रही थी , वो सिसक रही थी , ये भी साफ़ था ,
ननद रानी ने ऊँगली करना न सिर्फ सीख लिया है बल्कि , बिना नागा अपनी कुंवारी चूत रानी का हाल चाल पूछती रहती हैं।
मैंने ऊँगली घुसाने की कोशिश छोड़ अंगूठे और तर्जनी के बीच दोनों फांको को पकड़ कर मसलना शुरू किया।
ये ट्रिक मैंने रीतू भाभी से सीखी थी , कच्ची से कच्ची उमर की ननद ,
जबरदस्त उचकने वाली सती साध्वी कन्या कुँवारी भी दो मिनट में पानी छोड़ देती है।
तंग मैं रेनू को कर रही थी पर निगाह मेरी उनकी ममेरी बहन पर टिकी थी , गुड्डी रानी पर।
वो भी देख रही थी उसी की समौरिया , सहेली की रगड़ाई कैसे खुल के हो रही थी।
परपज भी मेरा यही था , वो भी मज़ा लेना सीख जाए।
उसकी सहेलियां खुल के अपने जोबन मिजवा रही थीं , चुसवा कटवा रही थीं , बिलिया में ऊँगली डलवा रही थीं , ...
और गुड्डी के भी छोटे छोटे उभार पथरा रहे थे , चेहरे पर उसके बजाय झिझक और चिढ़ने के , उत्तेजना भरी हुयी थी।
लेकिन तबतक मेरा ध्यान तीनो के ड्रेस पर पड़ा , सफ़ेद टॉप और नेवी ब्ल्यू स्कर्ट।
स्कूल की ड्रेस , मैंने बताया था न गुड्डी जी जी आई सी ( गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ) में पढ़ती थी ,
एकदम हम लोगों के घर के पास। छत पर से स्कूल भी दिखता था और स्कूल से आती जाती लड़कियां भी और उनको तकते , ललचाते घर तक छोड़ते ले आते लड़के भी , ...
रेनू और लीला भी वहीँ , इसलिए स्कूल से छुट्टी होने पर तीनों सीधे यहाँ ,
" हे संडे के दिन स्कूल "
रेनू की स्कर्ट से हाथ बाहर निकाल कर चौंकते हुए मैंने पूछा।
" भाभी , एक्स्ट्रा क्लास थी "
लीला बोली।
" मैं सब समझती हूँ , ये बोल तुम तीनो के एक ही यार थे , या अलग अलग जिसके साथ एक्स्टा क्लास थी ,
और यार ने एक ही बार ली या दो बार। "
हँसते हुए मैंने अपनी तीनों किशोर नंदों को छेड़ा।
" भाभी , आप सबको अपनी तरह समझती हैं , आप यही बहाना बनाती थीं न यारों से मिलने के लिए। "
लीला बोली।
ननद कौन जो भाभी का जवाब न दे , और लीला तो एकदम , ... मुझे पूरा शक था ,... घोंट चुकी है।
और मैं सीधे गाली पर आ गयी ,
" चलो देख आएं आज़मगढ़ का जी जी आई सी स्कूल , चलो देख आएं ,
" चलो देख आएं आज़मगढ़ का जी जी आई सी स्कूल , चलो देख आएं ,
जहाँ पढ़े हमारी गुड्डी रानी , अरे लीला रानी , अरे रेनू रानी , हमार ननद रानी
न पढ़े में तेज , न पढ़ावे में तेज , अरे न पढ़े में तेज न पढ़ावे में तेज ,
अरे रेनू छिनार , नौ नौ लौंडा फँसावे में तेज , अरे नौ नौ यार पटावे में तेज
अरे गुड्डी छिनार नौ नौ लौंडा फँसावे में तेज , अरे नौ नौ यार पटावे में तेज
अरे लीला छिनार , अरे नौ नौ लौंडन से चोदवावे में तेज , बुर मरवावे में तेज
अब तीनो मजा ले रही थी , मैंने भी फिर लीला को छेड़ा ,
" क्यों लीला , मैंने कहीं कम तो नहीं बोल दिया , नौ से ज्यादा तो नहीं है , ...
बस गलती से उसके मुंह से निकल गया नहीं भाभी नौ नहीं सिर्फ एक और वो भी बस , ...
जब तक वो चुप होती , बात बनाती तीर कमान से निकल चुका था , और अब रेनू और गुड्डी भी मेरे साथ दोनों ही उसकी हम राज ,
ताजी बच्चियों को अपने रंग में रंगना, कोई तुमसे सीखें।
बेहतरीन अपडेट।
wow
what a description
ek ladki dusri ke sath kaise maje le sakti hai ye sab itni details me aap hi bata sakte ho
ek-2 pal ko itne details ke sath batana aur dikhana, its simply marvelous
gaanv me nando ko kaise masla jata hai, unko kaisa maja diya jata hai ye sab jaankar accha laga, ched-chaad ke sath pyar ki bochaar ne sama baandh diya, nanad-bhoji ki ye raasleela kamaal kar gayi
keep writing like this
hungry for more
Bhut shandaar li aapne nando ki
तो आपकी और आपकी भाभी के कारनामे आपकी जुबान से अगली कहानी में,ये सब भाभियों की डुयटी में आता है , और ननद कोई भाभी के लिए 'बच्ची ' नहीं होती ,
जैसा मेरी भौजाइयों ने मुझे सिखाया पढ़ाया ,... बस थोड़ा सूद जोड़ के , अपनी ननदों को , ...