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कम्मो का स्कूल
cat metaphor poems
" स्साली चौदह भौंरे, चौदह चौदह यार पाल रखे हैं और अभी तक चुदी नहीं थी ,... " कम्मो गुड्डी से बोली।
" अरे अपने असली वाले यार के लिए बचा रखा था ,अपने भइया के लिए "
मैंने चिढ़ाया पर कम्मो मेरी बात अनसुनी कर के गुड्डी से बोल रही थी ,
" अरे मेरी पन्दरह की गिनती में तो तेरे भौंरे शामिल ही नहीं थे , छिनार , अब इनको भी जोड़ ले तो सच में अगले हफ्ते से , तेरी जबरदस्त ,... "
cat metaphor poems
लेकिन तबतक किचेन में से प्रेशर कूकर की सीटी बजी , और मैं वापस किचेन में , खाना भी तो जल्दी बनाना था।किचेन में अभी सारा काम पड़ा था और अगले घंटे भर में सब समेट लेना था,
मैं काम तो कर रही थी लेकिन कान मेरे कम्मो की बातों में अटके थे, पक्की गुरु थी , गुड्डी को तो उसने अच्छी तरह लपेट लिया था, और एक एक बार गुड्डी रानी , मेरी टीनेज ननदिया ध्यान से सुन रही थी.
कम्मो समझा रही थी चल जरा एक बार फिर अपने पंदहों भौंरो के बारे में बताओ। गुड्डी ने सब कुछ बता दिया , सच में कम्मो गले में उंगली डाल के बात उगलवाने की कला जानती थी.
कम्मो ने उनको तीन हिस्से में बाँट दिया ,
देख ये जो तेरी गली के बाहर वाली दूकान पर बैठता है , और दो तुझे जो गली से स्कूल छोड़ने, लेने जाते हैं पिछले छह महीने से , और वो तेरी सहेली का भाई , और हाँ ये भी बहुत तगड़ा लगता है , जिसकी दूकान है और तुझे पिक्चर के लिए पांच बार बोल चुका है, बस ये पांच सबसे पहले इनके साथ कबड्डी शुरू कर , अरे वही जो आज अपने भैया के साथ खेल रही थी वही वाली,
cat metaphor poems
" पांच " गुड्डी को विश्वास नहीं हुआ, वो चीखी और कम्मो ने कस के उसकी चूँची मसल दी।
" अरे तेरे जैसी जोबन वाली का तो छह सात से कम में काम नहीं चलना चाहिए , ... और फिर कौन रोज , एक दिन दो -तीन के साथ, एक को सुबह दूसरे को दोपहर और तीसरे को शाम , बाकी दो को अगले दिन, कौन रोज रोज , लेकिन ज्यादा इन्तजार भी मत करना , दो तीन दिन ज्यादा से ज्यादा तो पहले हफ्ते इन पांच को ट्राई कर , और ज्यादा लम्बा इन्तजार नहीं बस तीन चार दिन के बाद से ,... फिर तुम्हे पता चल जाएगा कौन नंबरी चोदू है , कौन ज्यादा घुमा फिरा सकता है , ... और हफ्ते बार बाद ये अगले पांच का भी नंबर,
गुड्डी पहले तो ध्यान से सुनती रही फिर खिलखिलाने लगी और ये पांच आखिरी वाले,
कम्मो भी हंसने लगी फिर समझाया, देख लड़की किसी को भी हाँ नहीं कहती तो किसी को ना भी नहीं कहती , हलकी सी मुस्कान , दुपट्टा सरका के जोबन की एक झलक, कभी होंठ काट लो उसे देख के, मुस्करा के, उन सब को भी ,मालूम हो जाना चाहिए पटेगी भी सटेगी भी।
कूकर की सीटी बज रही थी, मैं उसे उतारने में लग गयी ,
थोड़ी देर बाद फिर मेरा ध्यान कम्मो की बातों की ओर गया , अब वो सीधे , कैसे चुम्मा लेना चाहिए , पहले थोड़ा झिझको शर्माओ, फिर बाद में जीभ मुंह के अंदर डाल , जीभ से जीभ लड़ाओ , वो जीभ डाल दे तो हलके हलके , फिर कस के चूसो , और हाँ साथ में नीचे सहलाओ , फिर पकड़ा कैसे जाता है , सीधे लंड के बेस पर हलके हलके दबाओ सिर्फ दो ऊँगली से फिर पूरी मुट्ठी में हलके हलके ,
फिर दबाना सहलाना और हलके हलके मुठियाना , हाँ लेकिन याद रहे बीच बीच में आँख सीधे लौंडे की आँख में , मुस्कराते हुए उसे देख कर थोड़ा हलके हलके , जैसे उसे लगे की तुझे भी उसका पकड़ने में दबाने में मजा आ रहा है.
cat metaphor poems
किचेन में मेरा काम चालू था, ऊपर इनकी कांफ्रेंस चालू थी और बाहर कम्मो का स्कूल।
cat metaphor poems
" स्साली चौदह भौंरे, चौदह चौदह यार पाल रखे हैं और अभी तक चुदी नहीं थी ,... " कम्मो गुड्डी से बोली।
" अरे अपने असली वाले यार के लिए बचा रखा था ,अपने भइया के लिए "
मैंने चिढ़ाया पर कम्मो मेरी बात अनसुनी कर के गुड्डी से बोल रही थी ,
" अरे मेरी पन्दरह की गिनती में तो तेरे भौंरे शामिल ही नहीं थे , छिनार , अब इनको भी जोड़ ले तो सच में अगले हफ्ते से , तेरी जबरदस्त ,... "
cat metaphor poems
लेकिन तबतक किचेन में से प्रेशर कूकर की सीटी बजी , और मैं वापस किचेन में , खाना भी तो जल्दी बनाना था।किचेन में अभी सारा काम पड़ा था और अगले घंटे भर में सब समेट लेना था,
मैं काम तो कर रही थी लेकिन कान मेरे कम्मो की बातों में अटके थे, पक्की गुरु थी , गुड्डी को तो उसने अच्छी तरह लपेट लिया था, और एक एक बार गुड्डी रानी , मेरी टीनेज ननदिया ध्यान से सुन रही थी.
कम्मो समझा रही थी चल जरा एक बार फिर अपने पंदहों भौंरो के बारे में बताओ। गुड्डी ने सब कुछ बता दिया , सच में कम्मो गले में उंगली डाल के बात उगलवाने की कला जानती थी.
कम्मो ने उनको तीन हिस्से में बाँट दिया ,
देख ये जो तेरी गली के बाहर वाली दूकान पर बैठता है , और दो तुझे जो गली से स्कूल छोड़ने, लेने जाते हैं पिछले छह महीने से , और वो तेरी सहेली का भाई , और हाँ ये भी बहुत तगड़ा लगता है , जिसकी दूकान है और तुझे पिक्चर के लिए पांच बार बोल चुका है, बस ये पांच सबसे पहले इनके साथ कबड्डी शुरू कर , अरे वही जो आज अपने भैया के साथ खेल रही थी वही वाली,
cat metaphor poems
" पांच " गुड्डी को विश्वास नहीं हुआ, वो चीखी और कम्मो ने कस के उसकी चूँची मसल दी।
" अरे तेरे जैसी जोबन वाली का तो छह सात से कम में काम नहीं चलना चाहिए , ... और फिर कौन रोज , एक दिन दो -तीन के साथ, एक को सुबह दूसरे को दोपहर और तीसरे को शाम , बाकी दो को अगले दिन, कौन रोज रोज , लेकिन ज्यादा इन्तजार भी मत करना , दो तीन दिन ज्यादा से ज्यादा तो पहले हफ्ते इन पांच को ट्राई कर , और ज्यादा लम्बा इन्तजार नहीं बस तीन चार दिन के बाद से ,... फिर तुम्हे पता चल जाएगा कौन नंबरी चोदू है , कौन ज्यादा घुमा फिरा सकता है , ... और हफ्ते बार बाद ये अगले पांच का भी नंबर,
गुड्डी पहले तो ध्यान से सुनती रही फिर खिलखिलाने लगी और ये पांच आखिरी वाले,
कम्मो भी हंसने लगी फिर समझाया, देख लड़की किसी को भी हाँ नहीं कहती तो किसी को ना भी नहीं कहती , हलकी सी मुस्कान , दुपट्टा सरका के जोबन की एक झलक, कभी होंठ काट लो उसे देख के, मुस्करा के, उन सब को भी ,मालूम हो जाना चाहिए पटेगी भी सटेगी भी।
कूकर की सीटी बज रही थी, मैं उसे उतारने में लग गयी ,
थोड़ी देर बाद फिर मेरा ध्यान कम्मो की बातों की ओर गया , अब वो सीधे , कैसे चुम्मा लेना चाहिए , पहले थोड़ा झिझको शर्माओ, फिर बाद में जीभ मुंह के अंदर डाल , जीभ से जीभ लड़ाओ , वो जीभ डाल दे तो हलके हलके , फिर कस के चूसो , और हाँ साथ में नीचे सहलाओ , फिर पकड़ा कैसे जाता है , सीधे लंड के बेस पर हलके हलके दबाओ सिर्फ दो ऊँगली से फिर पूरी मुट्ठी में हलके हलके ,
फिर दबाना सहलाना और हलके हलके मुठियाना , हाँ लेकिन याद रहे बीच बीच में आँख सीधे लौंडे की आँख में , मुस्कराते हुए उसे देख कर थोड़ा हलके हलके , जैसे उसे लगे की तुझे भी उसका पकड़ने में दबाने में मजा आ रहा है.
cat metaphor poems
किचेन में मेरा काम चालू था, ऊपर इनकी कांफ्रेंस चालू थी और बाहर कम्मो का स्कूल।