manu@84
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चैन पड़ा जो अंग लागी रे सखी
थोड़ी देर में ही मेरी सावधानी सारी कोशिश ,... मेरी जाँघे खुली पड़ी थीं , ... और वो जाँघों के बीच ,
लेकिन अबकी न ये इतना झिझक रहे थे न मैं इतना सहम रही थी ,...
और अबकी नाइट लैम्प भी जल रहा था , हम दोनों एक दूसरे को साफ़ साफ़देख भी रहे थे ,
और मेरी नजर उनके ' उसपर' पड़ गयी , खूब मोटा , लम्बा ,...
लेकिन मेरी नजर उनकी आँखों पर जब गयी तो , ... वो झेंप रहे थे , शरमा रहे थे ,... मुझसे भी ज्यादा ,...
और मैंने निगाह वहां से हट कर जाने अनजाने ,... मैंने तकिया जरा सा सरकाया तो ,
उनके नीचे वैसलीन की बड़ी सी बॉटल ,... जो मेरी जेठानी ने वहां रखी थी ,... और पहली बार के बाद अभी भी उसका ढक्कन खुला हुआ था ,...
मेरी निगाह को उनकी निगाह देखती ही रहती थीं ,... और बस जैसे मेरा इशारा सा ,...
ढेर सारा वैसलीन ले के अपने 'उसपे ' उन्होंने अच्छी तरह लिथड़ लिया , फिर ' उसके मुंह ' पर भी ,...
डरते झिझकते मेरी निगाह उधर पहुँच ही जा रही थी , लेकिन कुछ मेरी झिझक ,
और कुछ उससे बढ़कर इनकी झिझक का डर ,...
और तबतक इन्होने अपनी उँगलियों में वैसलीन लगा कर मेरी चुनमुनिया में ,...
मारे लाज के अब मैंने आँख बंद कर ली , ...
पर पता तो चल ही रहा था , और अब मैं मना न कर सकती थी , न करना चाहती थी ,...
मेरी लम्बी लम्बी टाँगे , इनके कन्धों पर ,...
बस इनकी सलहज की सीख ,...
जब लगे की अब 'होना ही है ' तो ,... बस अपनी जाँघे जितना फैला सको , फैलाओ ,
' वो ' जीतनी ढीली कर सकती हो करो , वहां से ध्यान हटाओ ,...
वो नौसिखिये थे लेकिन इतने भी नहीं , और एक दो तकिये , मेरे हिप्स के नीचे ,
मुझे बस इतना याद है , की इनके दोनों हाथ मेरी कमर पे थे ,...
और कहीं दूर से एक के घंटे की आवाज आयी , और उसी के साथ ,...
अबकी मैंने चीख रोकने की जो कोशिश की , लेकिन तब भी चीख निकल गयी ,
दोनों हाथों से मैंने चददर दबोच रखी थी , टाँगे मेरी खूब फैली , इनके कंधे पर , ...
लेकिन उसी के साथ दूसरा तीसरा , चौथा धक्का , ...
और जब ' वो ' एकदम से अंदर ,... मेरी जोर की चीख निकल गयी ,...
और उसी के साथ ,.... मुझे अपनी गलती का अंदाज लग गया ,...
मैंने अपनी दियली सी आँखे खोली , सच में उनकी आँखों में ,...
लग रहा था जैसे उनसे कोई गलती हो गयी हो ,... बिना बोले उनकी आँखे पूछ रहीं थी , ' क्यों बहुत दर्द हो रहा है क्या ,... "
दर्द तो हो रहा था लेकिन ,... उनकी आँखों की परेशानी मेरी आँखे नहीं देख सकती ,
वो मुस्करायीं , मैंने कस के उन्हें अपनी बाँहों में न सिर्फ दबोच लिया और कस के अपनी ओर खींचा ,
एकदम अपने आप , मेरे होंठ उनके होंठों से ,...
बस उसके बाद , उनके सीने के नीचे मैं दब गयी , कुचल गयी ,...
और धक्के अब रुक नहीं रहे थे ,.....
रजाई कब सरककर पलंग नीचे चली गयी थी , नाइट लैम्प भी जल रहा था ,
और मैं उन्हें देख रही थी , उनकी ख़ुशी , उन के चेहरे पर छलकता मज़ा ,...
और उसका असर मेरे ऊपर भी कर रहा था , धीमे धीमे कई बार उनके धक्के के जवाब में मेरे भी नितम्ब हलके से ,
और साथ साथ हर धक्के के साथ मेरी पायल रुनझुन कर रही थी
चूड़ी चुरमुर कर रही थी ,
कमर छोड़ कर उनका एक हाथ अब मेरे उभार पर था और दूसरा मेरी मेरी कलाई पर ,
साथ में उनके होंठ कभी , मेरे होंठों पर कभी गालों पर कभी उभारों पर ,... मुझे भी सच बोलूं तो बहुत अच्छा लग रहा था ,... मैं चाह कर भी अपनी आँखे बंद नहीं कर पा रही थी , असली ख़ुशी तो उनकी खुशी देखने से हो रही थी ,... पर थोड़ी देर में पूरी देह में कुछ कुछ ,... उनकी एक ऊँगली कस कस के मेरे निप्स मसल रही थी ,
दूसरा निप्स , उनके मुंह में,...
और उनका वो पूरी तरह अंदर ,...
जाँघे तो अभी भी फटी पड़ रही थीं ,... पर देह मेरी शिथिल हो रही थी , मैं सिसक रही थी ,
एक अलग सी तरंग ,... मैंने देह को ढीली छोड़ दिया , कुछ देर बस ,... बस ,...
और उनके धक्के भी कुछ देर के लिए रुक गए , .... लेकिन फिर वो चालू हुए ,...
तो अबकी तो , ... मुझे दुहरा कर के एक बार फिर से मेरे पैर उनके कन्धों पर ,...
मैं अब एकदम उनके साथ साथ
और हम दोनों साथ साथ ही ,.. बहुत देर तक ,... मैं एकदम थेथर , थकी ,... और आँखे बंद कुछ थकान से कुछ लाज से ,... पलको पर उनके चुंबन ने ही मेरी आँखे खोलीं ,.... वो अभी भी मेरे अंदर ,.... उन्हें देख कर मैंने सिर्फ बोला
' धत्त " और फिर से आँखे बंद कर ली ,... पर उनकी सलहज ने जो गुदगुदी सिखाई थी , आँखे खुल ही गयी , ...
और हम दोनों ऐसी ही एक दूसरे से चिपके ,...
जल्दी से मैंने फर्श पर पड़ी रजाई उठायी और हम दोनों एक बार फिर रजाई के अंदर
और उनके बोल फूटे , ... लेकिन वही ,... मेरा मन बहुत करता है , ...
' क्या ' अब मैं भी हलके से बोलने लगी ,... पता तो मुझे अब तक चल ही गया था।
" तुम्हारा ,... तुमको पाने का " मेरे कानों के पास अपने होंठ कर बोले वो ,
और मैं जोर से उनके सीने से चिपक गयी , हलके से किसी तरह बोली ,...
' मिल गयी न "
आफरीन, नाजनीन्