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Incest यह क्या हुआ

A.A.G.

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इधर सुनीता किचन मैं काम करते हुए सोच रही थी कि मेरा बेटा राजेश नेक, सुशील ,संस्कारी और मर्यादित लड़का है ।उसे अपने बेटे पर गर्व हो रहा था।

लेकिन भगत के द्वारा राजेश के को लेकर कही गई बातों को याद करते हैं ही ,उनके मन में एक एक डर भी घर करने लगा।

राजेश को सच में कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ।उसके मन में अजीब सी कश्मकश चलने लगी ।

इस तरह 10 दिन निकल गए। सुनीता ने पाया कि इन 10 दिनों तक राजेश को अपने हाथों से पेशाब कराने के बाद भी उनके लिंग में कोई तनाव नहीं आया ।उसे राजेश को लेकर बहुत चिंता होने लगी ।

सुनीता सोचने लगी हो सकता है कि मैं बूढ़ी हो चुकी हूं मुझ में कोई आकर्षण ही न रह गया हो ।मैं राजेश की मां हूं ,इसलिए भी उसे सेक्सुअल फीलिंग भी नहीं आ रहा हो। जिससे लिंग में तनाव ना आप आ रहा हो ।

तभी वह सोचती है , यह जानना आवश्यक है मेरे लिए कि राजेश नॉर्मल है ।पर वह क्या करें? उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा था।

तभी स्वीटी अपने मां के पास आती है

इस समय वह ब्लू कलर की लहंगा और चोली पहनी हुई थी ।

सुनीता स्वीटी से कहती है। अरे बेटी इतनी सजी-धजी हो ,कहीं जा रही हो क्या ?

स्वीटी ने अपने मां से कहा हां मा मैं तुम्हें बताने ही आई हूं ।मेरी सहेली की बहन की शादी है मैं वही जा रही हूं।

सुनीता ने स्वीटी को गौर से देखा ।
स्वीटी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ।उसकी नाभि और खुली हुई पेट उसकी सुंदरता में चार चार चांद लगा रहा था ।खूबसूरत के साथ-साथ बहुत ही हॉट भी लग रही थी। चोली की कसावट को को बाहर देख कर ही इसका अंदाजा लगाया जा सकता था। कि चोली के अंदर स्तनों का साइज क्या होगा?

सुनीता ने स्वीटी से कहा मेरी बेटी तो बहुत सुंदर लग रही है।

स्वीटी ने अपनी मां से कहा थैंक यू मम्मी ।
इसमें समय शाम के 7:00 बज रहे थे ।

सुनीता ने स्वीटी से कहा ठीक है बेटी तुम चली जाओ लेकिन 9:30 बजे से पहले ही चली आना ।ज्यादा देर ना करना ।

स्वीटी ने अपनी मां से कहा मामी 9:30 तक आ जाऊंगी ।

सुनीता ने कहा अच्छी बात है बेटी ।

स्वीटी घर से अपने सहेली के यहां चली गई ।घर से

इधर सुनीता किचन में सोच रही थी ,स्वीटी भी कितनी बड़ी हो गई है ।वह लहंगा और चोली मे इतनी सुंदर और हाट लग रही है ।कुछ समय के बाद फिर वह राजेश के बारे में सोचने लगी उसे उसी चिंता होने लगी ।

तभी अचानक से उसके मन में एक विचार आया ,हो सकता है कि मैं बूढ़ी हो चुकी हूं और मैं राजेश की मां भी हूं इस कारण राजेश के मन में कोई सेक्सुअल फिलिंग ना आप आ रहा हूं जिसके कारण उसके लिंग पर तनाव ना आप आ रहा हो पर स्वीटी तो बहुत ही खूबसूरत और हॉट है। क्यों ना आज राजेश की मदद करने के लिए स्वीटी से कहूं ।सिटी की सुंदरता को देखकर हो सकता है। राजेश के मन में कोई फीलिंग जागे और उसके लिंग मैं कोई हरकत हो और पता चल सके कि राजेश नॉर्मल है ।

फिर सोचती है,स्वीटी राजेश की बहन है ,क्या यह करना सही रहेगा?

सुनीता सोचती है राजेश नॉर्मल है कि नहीं यह पता लगाना बहुत ही जरूरी है। चाहे इसके लिए मुझे किसी की भी मदद लेनी पड़े ।

पर मैं स्वीटी से राजेश की मदद करने की बात कैसे कहूं।वह फिर से दुविधा में फंस गई ।

फिर उसके मन में एक विचार आया और वह सोच ली कि उसे क्या करना है। प्रतिदिन की तरह वह घर का सारा काम निपटाने लगी।

शेखर ड्यूटी से आया,सुनिता ने राजेश को खाना खिलाने के बाद, शेखर और सुनीता दोनों भी खाना खा लिए ।
सुनीता ने किचन के काम को निपटा ली और फिर अपने हाथों में मेहंदी लगाने लगी। वह अपने दोनों हाथों में मेहंदी लगा ली।

शेखर ने सुनीता को मेहंदी लगाते हुए देखा। आज क्या बात है जान हाथों पर मेहंदी लगा रही हो।

सुनिता बोली , मैं सोच रही थी कल संडे है तुम्हारा छुट्टी भी है, क्यों ना हम कल घर में में पूजा कराएं ताकि हमारा बेटा जल्दी स्वस्थ हो जाए ।

शेखर ने कहा यह तो बड़ी अच्छी बात है तुमने अच्छा सोचा है ।

सुनिता बोली पूजा हम प्रातः 11:00 बजे ही करा देते हैं। पंचांग के अनुसार 11:00 बजे का समय कल पूजा के लिए अच्छा है।

शेखर ने कहा जैसी तुम्हारी इच्छा।

मेहंदी लगाकर सुनीता, स्वीटी के घर आने का इंतजार करने लगी ।वह दरवाजा बंद नहीं की थी। हाथों पर मेहंदी लगाने के कारण उसे दरवाजा खोलने में दिक्कत होती ।

शेखर सो चुका था ।करीब 10:00 बजे स्वीटी घर पहुंची स्वीटी घर के अंदर आई उसे देखकर सुनीता ने कहा। आ गई बेटी कैसा रहा पार्टी।

स्वीटी ने कहा पार्टी में बहुत मजा आया मम्मी ।

स्वीटी अपने रूम की ओर जाने लगी। तभी सुनीता ने स्वीटी से कहा बेटी दरवाजा बंद कर दो मेरी हाथों पर मेहंदी लगी है।

स्वीटी ने अपने मां से कहा क्या बात है मम्मी? हाथों पर मेहंदी लगाई हो।

तब सुनीता ने कहां, बेटा घर में कल पूजा है तुम्हारे भाई जल्दी स्वस्थ हो ,इसके लिए घर में पूजा करा रहे है।

स्वीटी ने कहा यह तो बड़ी अच्छी बात है मा।

स्वीटी ने घर के दरवाजा बंद कर दी और वह अपने रूम में जाने लगी।तब सुनीता स्वीटी से बोली बेटी रुको। मुझे तुमसे कुछ काम है।

स्वीटी ने अपनी मां से कहा क्या काम है मां ।

बेटा तुम्हें तुम्हारी भाई की हेल्प करनी होगी। स्वीटी यह सुनकर चौक गई।वह बोली मा कैसी मदद?

सुनिता-- बेटा उस दिन तो तुमने देखी थी कि तुम्हारे भाई की मदद में कैसे करती हूं।

अपनी मां की बात को सुनते ही स्वीटी के दिल की धड़कन बढ़ने लगा। उसे वह दृश्य फिर से याद आने लगी। किस तरह से उसकी मां उसके भाई के लंड को हाथों से पकड़कर उसे मूतवाती है ।

सुनीता स्वीटी से कहती है बेटा मेरे दोनों हाथों पर मेहंदी लगी है। मैं तुम्हारी भाई की मदद अभी नहीं कर सकती ।सोने से पहले राजेश को पेशाब कराना जरूरी है नहीं तो रात में से परेशानी होगी।

अपनी मां की बात को सुनते ही स्वीटी कि दिल की धड़कन बढने लगी । उसके शरीर कपकपाने लगी।

वह लड़खडाते शब्दों में अपने मां से कहती है मा मुझे बहुत शर्म आएगी। यह कहते हुए उसने अपना सिर नीचे झुका ली ।उसके गाल शर्म के मारे लाल हो गए थे ।

सुनीता ने कहा बेटी शर्म छोड़कर हमें राजेश की मदद तो करनी ही पड़ेगी और कोई रास्ता ही नहीं है।

स्वीटी कहती है मा मैं यह कैसे कर पाऊंगी कोई दूसरा तरीका ढूंढो ना ।

सुनीता ने कहा नहीं बेटा या तुम्हें करना ही होगा ।

स्वीटी ने कहा ठीक है मम्मी मैं अपने कपड़े बदल लेती हूं ।उसके बाद मैं भैया की मदद करूंगी।

तब सुनीता कहती है नहीं बेटा पहले तुम अपनी भैया की मदद करो ।रात काफी हो चुकी है। उसे पेशाब भी लग रहा होगा ।उसे पिशाब किए बहुत समय भी हो गयाहै।

तुम पहले राजेश की मदद कर दो उसके बाद कपड़े चेंज कर लेना ।

सुनीता चाहती थी कि स्वीटी इसी ड्रेस पहने हुए राजेश को पेशाब कराएं ,क्योंकि स्वीटी इस ड्रेस में बहुत ही हॉट और खूबसूरत लग रही थी।लहंगा और चोली में देखकर हो सकता है राजेश के लिंग में कोई हरकत हो ।
स्वीटी --ठीक है मां ,मैं भैया की पहले में मदद कर लेती हूं ।उसके बाद मै कपड़ा चेंज करूंगी और स्वीटी राजेश की कमरे की ओर चली जाती है।

आगे क्या होने वाला है यह सो सोच कर उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई थी। वह राजेश के कमरे में प्रवेश कर गई ।

राजेश सोच रहा था कि उसकी मां होगी ।लेकिन कमरे में स्वीटी थी ।

राजेश ने स्वीटी से कहा क्या बात है? स्वीटी ।कुछ काम था।

स्वीटी ने अपने भाई से लड़खड़ाते हुए शब्दों में कहा। भैया मुझे मा ने भेजा है। आपकी हेल्प करने के लिए ।

ऐसा बोलकर वह शर्म से गाड़ी जा रही थी ।उसके गाल लाल हो गए थे। उसके दिल की धड़कन बढ़ गई थी ।

राजेश ने चौकते हुए कहा मम्मी क्यों नहीं आई ?

स्वीटी ने इसके बारे में बताया की मां के दोनों हाथों में मेहंदी लगी हुई है। कल घर में पूजा रखा गया है ,ताकि तुम जल्दी स्वस्थ हो, इसलिए माने तुम्हारे हेल्प के लिए मुझे भेजा है फिर वह अपने सिर झुका ली और मुस्कुराने लगी ।

राजेश असहज महसूस करने लगा वह स्वीटी से कहा तुम्हें क्या करना होगा पता है ?

स्वीटी ने अपना सिर हिला कर हां कहीं। शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए थे ।उनके दिल की धड़कन बढ़ गई थी ।

राजेश अपने बिस्तर से उठा और बाथरूम की ओर जाने लगा ।स्वीटी भी उसके पीछे-पीछे बाथरूम की ओर चली गई ।

राजेश यूरिनल पाट के सामने जाकर खड़ा हो गया ।

स्वीटी राजेश के पीछे खड़ी हो गई। राजेश भी कुछ असहज महसूस कर रहा था।

स्वीटी की तो हालत ही खराब थी। बहुत ही शर्म महसूस कर रही थी ।

स्वीटी अपने कपकपाते हाथों को आगे ले जाकर राजेश के लोवर को खींचते हुए उसे घुटने तक खीच दिया ।हांथ लंड पर रख दिया और उसे पकड़ कर उसके लटके लंड को सीधा कर दिया। उसकी सांसे तेज होने लगी ।

राजेश के कूल्हे को देखकर स्वीटी की शरीर में उत्तेजना बढ़ने लगी। स्वीटी को मालूम था कि आगे उसे क्या करना है ।उसके दिल जोर-जोर से धड़कने लगी।

राजेश का लंड काफी बड़ा था ।स्वीटी क हाथों मैं लेने के बाद भी आधा लंड उसके हाथ से बाहर बचा हुआ था ।

स्वीटी झुककर राजेश के लंड* को देखने लगी। उसने सही पकड़ी है कि नहीं, ताकि राजेश की मूत यूरिनल पाट में सही तरीके से जाए।

इसके पहले स्वीटी ने किसी का लंड नहीं देखा था। वह बहुत ही उत्तेजित हो गई। उसकी चूची फुलने पिचकने लगी। उसकी निप्पल कड़क हो गई। उसकी चूत मे खलबली मचने लगी । वह रस बहाने शुरू कर शुरू कर दी ।

इधर राजेश अपने लंड* पर दबाव बनाया ।उसके लंड से पेशाब तेज गति से निकलकर यूरिनल पाट मे जाने लगा ।

राजेश की मूतने की आवाज बाथरूम में गूंजने लगा।

उसे सुनकर स्वीटी मदहोश हो गई। स्वीटी का बुरा हाल हो रहा था। उसके चूत का पानी बह कर उसकी पैंटी को भिगो रही थी।

स्वीटी की दिल की धड़कन काफी बढ़ गई थी। उसकी सांसे तेज तेज चल रही थी ।अब सिटी से बर्दाश्त करना मुश्किल था। उसका शरीर अकड़ने लगा और वह झड़ने लगी ।

झड़ने के बाद स्वीटी जब आंख खोली उसका ध्यान दरवाजे की तरफ गया। दरवाजे के सामने सुनीता खड़ी होकर राजेश के लंड* को ही देख रही थी।

इस समय स्वीटी राजेश के लंड को पकड़ा उसकी मां के द्वारा देखे जाने से हां बहुत ही शर्म महसूस करने लगी।

दरअसल सुनीता की यह एक योजना थी कि वह जाकर देखेगी जब स्वीटी राजेश को पेशाब करा रहेगी तब राजेश के लिंग में तनाव आता है कि नही और समय देखकर राजेश के कमरे में आ गई थी ।

सुनीता ने जब देखा स्वीटी के द्वारा पेशाब कराए जाने के बाद भी राजेश के लंड में तनाव नहीं आया। तब वह निराश हो गई।

, राजेश को पेशाब कराता मा के द्वारा देखे जाने से ।स्वीटी बहुत ही शर्म महसूस कर रही थी। राजेश को पेशाब करा कर, वह सीधे अपने कमरे में चली गई ।

स्वीटी अपने कमरे में जाने के बाद राहत की सांस ली और वह अपने लहंगा और चोली को उतारने लगी ।

उसने अपने लहंगा को हाथो से उठाकर देखा तो उसका एक हिस्सा उसके चूत के रस् से गीला हो गया था ।

उसने अपनी पैंटी की ओर देखा ।उसका तो और बुरा हाल हो गया था जैसे कि वह अपने पेंटी में मूत डाली हो ।

उसे जोरों की मूत भी आ रही थी वह पेंटी को निकालकर अपने बाथरूम में घुस गई औरउकडू बैठककर मूतूने लगी ।

वह मूतते हुए अपनी चूत को देखने लगा । उसके साथ उसके चुत के साथ उसकी चूत का पानी भी मिलकर साथ साथबाहर आ रहा था। मूतने के बाद उसको कुछ अच्छा महसूस होने लगा ।

इधर सुनीता भी राजेश के कैमरे से निकलकर अपने कमरे में आ गई ।अपने बिस्तर पर लेट कर सोचने लगी ।

सिटी के द्वारा द्वारा पेशाब कराए जाने के बाद भी राजेश के लंड में कोई हरकत नहीं हुआ यह सोच कर सुनीता की चिंता और बढ़ गई ।

अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या करें ।

अगली सुबह सुनीता नहाने के बाद वह घर के काम निपटाने के बाद वह पूजा की तैयारी मैं लग गई। शेखर ने पंडित को फोन करके घर में पूजा करने की बात कही।

पंडित जी ने समय समय पर आने के लिए हामी भर दी।शेखर , पूजा सामग्री लेने के लिए मार्केट चला गया और वह सामग्री लेकर घर आया।

इधर सुनीता , पूजा की सारी तैयारी कर ली थी पंडित जी भी 11:00 बजे पूजा के लिए शेखर के घर पहुंच गया ।

पूजा में बैठने के लिए सुनीता तैयार हो गई थी इस समय लाल रंग की साड़ी पहनी थी ।साडी काफी फैशनेबल था। वह नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी ।

स्वीटी ने अपनी मां को देखकर कहा, मां तुम तो नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही रही हो।

स्वीटी की बात सुनकर सुनीता ने स्वीटी से कहा ,चुप बेशर्म और वह मुस्कुराने लगी।

राजेश को पूजा में शामिल होने के लिये बुला लिया गया।

पंडित जी के सामने की ओर शेखर और सुनीता बैठी थी ।पंडित जी के दाएं और राजेश बैठा था और बाएं और स्वीटी बैठी थी और पूजा का कार्यक्रम 2 घंटे तक चला ।

पंडित जी ने पूजा विधिवत पूर्ण कराया ।पूजा का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद पंडित जी चला गया ।

स्वीटी ने अपने मम्मी और पापा से कहा आप लोग यहां आइए मुझे सेल्फी लेनी है। फैमिली सेल्फी ।

,सेल्फी लेने के बाद स्वीटी ने अपनी मां से कहा मां मुझे आपकी फोटो लेनी है ।तुम् आज दुल्हन की तरह लग रही हो। बहुत ही सुंदर। मैं अपनी सहेलियों को दिखा उंगी कि मेरी मां कितनी सुंदर है।

सुनीता -- धत पगली मेरा मजाक उड़ाती है !मैं बूड़ी हो चुकी हूं।

स्वीटी-- नहीं मैं झूठ नहीं बोल रही हूं बहुत ही सुंदर लग रही हो !तुम तो मेरी बड़ी बहन जैसी लग रही हो।

राजेश भाई से वह , बोलो भैया क्या मैं झूठ बोल रही हूूं।
तब राजेश की नजर अपनी मा पर गया ।उसने देखा कि उसकी मां सच में खूबसूरत लग रही थी किसी नई नवेली दुल्हन की तरह।वह एक एकटक अपनी मां को ही देखने लगा ।

सुनीता की नजर राजेश् पर पड़ी ।सुनीता ने देखा कि राजेश उसकी और नजर गड़ाए देख रहा है ।उसे शर्म आने लगी ।शर्म से उसकी गाल लाल हो गई ।

स्वीटी ने राजेश से कहा भैया कुछ बोलते क्यों नहीं ?

राजेश कहीं खो सा गया था ।वह सोते जागा। वह अपनी मां से कहा हा मा आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो ।किसी नई नवेली दुल्हन की तरह ।

अपने बेटे की बात को सुनकर सुनीता शर्म से पानी पानी हो गई और वह सीधी अपने कमरे में चली गई ।

शाम को 4:00 बज गया था। आज राजेश को हॉस्पिटल ले जाना था। चेकअप के लिए। शेखर ने राजेश को हॉस्पिटल जाने कीबात बताया ,फिर दोनों तैयार होकर कार से अस्पताल के लिए चले गए ।

अस्पताल जाने के बाद डॉक्टरों ने राजेश का चेकअप किया। डॉक्टरों ने पाया कि राजेश उमिद से भी ज्यादा ज्यादा तेजी से उसके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है ।उसके हाथ में मूवमेंट होना शुरू हो गया था। डॉक्टर ने राजेश के के हाथों में लगी पट्टी को निकाल दिया ।राजेश लगभग 70% ठीक हो चुका था लेकिन राजेश को अपने हाथों को उठाने और नीचे ले जाने में अभी दर्द महसूस हो रहा था। राजेश के हाथों को सहारा के लिए एक हाथ में पट्टा डालकर उसके गले से लटका दिया गया ।यह पट्टा वाटरप्रूफ था जो पानी से भीगने पर भी खराब नहीं होता। डॉक्टरों न राजेश के हाथों पर मालिश करने के लिए एक तेल दिया। जिससे हाथों पर मालिश करने से हाथ जल्दी ठीक हो जाएगा। उन्हें 1 सप्ताह के लिए दवाइयां भी दिया गया ।शेखर बहुत खुश था कि उसका बेटा बहुत तेजी से ठीक हो रहा है ।वे दोनों अस्पताल से घर आए ,घर में आते ही सुनीता ने देखा।

राजेश के हाथों पट्टी खोल दिया गया है सुनीता ने शेखर से कहा क्या हुआ जी? राजेश की हाथों मैं लगी पट्टी कहां गया।

शेखर ने बताया राजेश बहुत जल्दी ठीक हो जाएगा डॉक्टरों ने कहा अब पट्टी लगाने की जरूरत नहीं है। उसने हाथों पर मालिश करने के लिए कोई तेल दिया है जिससे सुबह-शाम राजेश के हाथों को तेल से मालिश करना है ।वह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाएगा।

सुनीता यह सुनकर बहुत ही खुश हो गई पूजा रूम में गई और भगवान की शुक्रिया अदा करने लगी ।

भगवान को शुक्रिया अदा करने के बाद सुनीता फिर से शेखर के पास गई जो हाल में ही बैठा था। राजेश भी हाल मैं बैठा था।

शेखर सुनीता को राजेश को डॉक्टरों के द्वारा दी गई तेल और दवाइयों को दिखाने लगी। किस समय ककौन सी दवाई को खिलानी है।सुनिता को समझाने लगा और अंत में बताया कि अब राजेश को हम नहला भी सकते हैं ।राजेश पिछले 10 दिनों नहाया नहीं है। कल से तुम उसे रोज नहला ला सकती हो ।

बाते समझकर सुनीता अपने किचन में चली गई। राजेश अपने रूम में चला गया। शेखर भी अपने रूम में चला गया।

इधर राजेश अपने रूम मे लेटा हुआ था ।अपने हाथों को हल्का हल्का मूवमेंट भी करा पा रहा था। उसकी हाथों की कलाइयां और उंगलियां पूरी तरह से कार्य कर रहा था ।वह अब मोबाइल उठा एवं उसे चला भी सकता था। वह मोबाइल उठा कर उसे चलाने लगा ,अपने दोस्तों को व्हाट्सएप मैसेज करने लगा।

रात में सुनीता अपने बिस्तर पर लेटे लेटे सोच रही थी। मेरा बेटा बहुत कुछ ठीक हो गया है और जल्दीही पूरा ठीक हो जाएगा ।यह सोचकर वह मन ही मन बहुत खुश हो रही थी ।

तभी याद आया कि राजेश कैसी उसकी ओर टकटकी की की नजरों से देख रहा था और उसने कहा कि मैं नई नवेली दुल्हन की तरह लग रही हू। यह सोच कर वह शर्माने लगी ।वह मंद मंद मुस्कुराने लगी ।

कुछ समय बाद फिर से चिंता सताने लगी कि राजेश सेक्सुवली रुप से नॉर्मल तो है ना ।

वह कैसे पता करें इसके बारे में वह सोचने लगी। तब उसे एक रास्ता सुझा । उसे याद आया कि राजेश को कल नहलाना है और उसने यह मन में ठान ली जो भी करना है वह कल करेगी। अगर राजेश के लिंग में फिर भी तनाव नहीं हुआ ,तो इसके बाद वह यह मान लेगी कि राजेश को सचमुच में कोई प्रॉब्लम है ।

कल राजेश को नहलाते समय वह क्या क्या करेगी इसी के बारे में सोचने लगी। वह सोच कर ही शर्माने लगी और मंद मंद मुस्कुराने लगी।
nice update..!!
sunita ne rajesh ko check karne ke liye sweety ka bhi use kiya lekin rajesh apni maa aur behen ke liye aisi soch abhi tak nahi laya isliye uska khada nahi huva hai..ab dekhte hai sunita nahlate waqt kya karti hai..bhai ab time aagaya hai rajesh ka lund khada karne ka..!!
 

sunoanuj

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Waiting for next update…
 
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Satyaultime123

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Bhai story ko thoda dirty aur erotic banao, double meaning baatein, sex karte waqt gandi baatein aur gaaliya, role-play etc...aur aag bhadak jayegi... story bahut achchi hai aapki
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Samay aane par beti ka bhi number aayega abhi to suru huwa hai
भाई गजब की अपडेट ओर जबरदस्त कहानि चल रही है ।
शानदर 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻😍😍
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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रात्रि 8:00 बजे शेखर ड्यूटी से अपने घर आता है वैसे तो बैंक का कार्य आम लोगों के लिए शाम के 5:00 बजे तक के लिए ही रहता है लेकिन कर्मचारियों को दिन भर का हिसाब किताब करना होता है हिसाब किताब करते-करते रात्रि के 7 से 8 बज जाते हैं इस तरह शेखर को घर आने में रोज रात्रि के 8:00 से 8:30 बजे का समय हो ही जाता है

घर आते ही वह अपने रूम में चला जाता है और वहां कपड़े चेंज कर फ्रेश होता है वह कीचन में जाता सुनीता किचन में काम कर रही होती है

सुनीता से पूछता है राजेश कहां है उसकी तबीयत कैसी है

सुनीता कहती है राजेश अपने रूम में आराम कर रहा होगा

शेखर राजेश के कमरे की ओर चला जाता है

वहां जाकर देखता है तो राजेश सोया हुआ रहता है

राजेश से कहता है कैसे हो बेटा तबीयत कैसी है

अपने पापा के बातों को सुनकर राजेश कहता है मैं ठीक हूं पापा आप ड्यूटी से कब आए

शेखर ने कहा जस्ट अभी आया हूं

फिर राजेश से पूछता है तुम्हारे बदन का दर्द ठीक हुआ राजेश कहता है पहले से ठीक हूं पापा पहले से दर्द कम है

शेखर कहता है अच्छी बात है तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे

तब राजेश कहता है जी पापा

फिर शेखर राजेश से कहता है ठीक है बेटा तुम आराम करो और वह राजेश के कमरे से चला जाता है

और हाल में जाकर बैठ जाता है और टीवी पर आज तक न्यूज़ देखने लगता है

इधर संगीता रात का भोजन तैयार कर चुकी होती है वह भोजन लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती है

राजेश के कमरे में जाकर वह राजेश हुए कहती है उठो बेटा भोजन करो

सुनीता राजेश को सहारा देकर बेड से उठाती है और वह राजेश को अपने हाथों से भोजन कराने लगती है

राजेश अपनी मां की सेवा को देखकर उसकी आंख भर आता है

सुनीता उनकी आंखों में आंसू देख कर राजेश से पूछती है क्या हुवा बेटा तुम्हारी आखो मे आंसू कैसी

मम्मी तुम कितना प्यार करती हो हमें तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मम्मी

सुनीता कहती है यह तो हर मां अपने बच्चों के लिए करती है बेटा

और आंखों से उसके बहते हुए आंसू को पूछने लगती है

सुनीता राजेश को अपने गले से लगा लेती

कुछ समय तक वह राजेश को अपने गले से लगाए रखती है फिर सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा अब खाना जल्दी से खत्म करो तुम्हारे पापा भी खाने के लिए इंतजार कर रहे होंगे

राजेश कहता है ओके मम्मी

भोजन कर लेने के बाद सुनीता राजेश के कमरे से बाहर जाने लगती है जाते हुए हुआ राजेश से कहती है बेटा कुछ समय के बाद में दवाई लेकर फिर आऊंगी

तब तक तुम आराम करो

और वह राजेश के कमरे से चली जाती है

वहां से वह सीधे किचन में चली जाती है किचन से ही शेखर को आवाज लगाती है चलिए आप लोग भी खाना खा लीजिए

और बेटी को खाने के लिए बुला
लो
शेखर स्वीटी को आवाज लगाती है

स्वीटी पढ़ाई कर रही होती है अपने पापा की आवाज सुनकर वह खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठजाती है
सुनीता डाइनिंग टेबल पर खाना लगाती है तीनों भोजन कर लेते हैं

स्वीटी भोजन करके अपने रूम में चली जाती है शेखर हार में बैठकर टीवी देखने लगता है

सुनीता दवाई लेकर राजेश के कैमरे में चली जाती है और उसे दवाई खिलाकर वापस आ जाती है

इधर शेखर टीवी देख रहा हूं ता है कुछ समय टीवी देखने के बाद उसे नींद आने लगती है वह सोने के लिए अपने रूम में चला जाता है

सुनीता किचन का काम निपटाने के बाद अपने रूम में चली जाती है

शेखर अभी सोया नहीं रहता सुनीता को देखकर वह

सुनीता से कहता है तुम्हें राजेश की मदद करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं हुई

सुनीता शर्माते हुए बोली नहीं जी हमारा बेटा बहुत समझदार है

राजेश ने कहा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी

सुनीता बोली मैं उनकी मां हूं तो यह मेरा फर्ज भी है कि मैं अपने बेटे का मदद करू

शेखर ने आगे कहा तुम सोने से पहले एक बार राजेश के पास जाकर उससे पूछ लेना उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं
नहीतो रात में उसे परेशानी होगी

सुनीता अपने पति से कहती है ठीक है जी

सुनीता सोने की तैयारी करने लगती है वह सोने के लिए नाइटी पहन लेती है

सोने से पहले वह घर हो अच्छे से चेक कर लेती है सब दरवाजा खिड़की से बंद है कि नहीं और

सीधे राजेश के कैमरे की ओर चल देती है राजेश के कमरे में जाने के बाद वह देखती है कि राजेश सो रहा है

वाह राजेश को जगाती है बेटा सो गया क्या

मां की आवाज को सुनकर राजेश उठजाता है

मम्मी नींद लग गई थी क्या बात है

मैं पूछने आई थी कि तुम्हें किसी चीज जरूरत तो नहीं है नहीं तो रात में तुम्हें परेशानी होगी

राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहा मां तुमने अच्छा किया जो यहां आ गई

बोलो बेटा कुछ काम काम है क्या राजेश में सुनीता से थोड़ा शर्माते हुए संकोच करते हुए कहा मां मुझे रात में पेशाब करके सोने की आदत है परंतु पेशाब अभी नहीं लग रही

सुनीता ने कहा ठीक है बेटा चलो तुम्हें पेशाब करा देती हूं नहीं तो रात में तुम परेशान हो जाओगे

पेशाब ज्यादा ना लगे होने पर भी राजेश पेशाब करने बाथरूम की ओर जाने लगता है सुनीता भी उसके पीछे-पीछे चली जाती है

राजेश पेशाब करने के लिए नयूरिनल पारट के सामने खड़ा हो जाता है
राजेश का दिल फिर से धड़कने लगता है क्योंकि वह
सोचने लगता है कि उसकी मां उसके लिंग को फिर से अपने हाथों में लेने वाली है

सुनीता राजेश के पीछे खड़े होकर अपना दाया हाथ राजेश के लिंग की ओर बढ़ा देती है उसका भी दिल धड़कने लगता है
आखिर वह एक मां होने के साथ-साथ एक औरत भी थी और इस तरह किसी के लिंग को अपने हाथ से पकड़ लेना राजेश अब छोटा नहीं था इसलिए उसके हाथों में भी कपकपी आने लगता है

अपने कप कपाते हाथों से राजेश के लिंग को फिर से एक बार पकड़ लेती है

राजेश को बहुत ही अच्छा महसूस होने लगता है

राजेश पेशाब करने के लिए अपने लिंग पर जोर लगाता है पर पेशाब ज्यादा ना लगे होने के कारण पेशाब बाहर नहीं निकलता

सुनीता पूछती है क्या हुआ बेटा पेशाब क्यों नहीं कर रहे
राजेश अपनी मम्मी से कहता है पेशाब ज्यादा नहीं लगे होने के कारण बाहर आने मैं थोड़ा समय लगेगा

सुनीता को समझ नहीं आ रहा था अब क्या करें

कुछ समय के बाद फिर से वह राजेश से कहती है बेटा पेशाब आ रही है

राजेश अपने मां से कहती है मैं कोशिश कर रहा हूं अब शायद आने वाली है

सुनीता को ना जाने क्या सुझता है कि वह राजेश के लिंग पर अपने अंगूठे दबाव बढ़ा देता है और लिंग को आगे की ओर खींचने लगती है
अंगूठे का दबाव लिंग के मुख पर पढ़ते हैं राजेश को बहुत ही अच्छा लगने लगता वह दूसरी दुनिया में खो जाता है
कुछ देर सुनीता के ऐसे करने के बाद पेशाब की धार लिंग से बाहर निकलने लगता है

पेशाब रुक जाने के बाद सुनीता राजेश के लिंग को हिलाती है ताकि पेशाब की बूंद अगर लिंग में में रुका हो वह बाहर निकल जाए

इधर राजेश होश में आता है उसकी मम्मी उसके लोवर को ऊपर कर देती है

दोनों मां-बेटे बाथरूम से बाहर आ जाते हैं

सुनीता राजेश को गुड नाईट बेटा करके उसके कमरे से चली जाती है अपने कमरे में आकर देखती है शेखर सो चुका था सुनीता भी बेड पर लेट जाती है

सुनीता बेड पर लेट कर आज दिनभर हुई घटना को याद करती है

मैं किस प्रकार अपने बेटे के लिए को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करायी

यह सोचकर ही उसे बहुत ही शर्म महसूस होने लगती है और मन में कहती है यह भगवान यह मुझे क्या दिन देखने पड़ रहे हैं

कुछ पल के बाद फिर वह राजेश के लिंग को याद करने लगती है
राजेश का अंडकोष कितना बड़ा है सोए हुए भी वह कितना बड़ा लगता है
फिर अगले ही पल वाह ग्लानि से भर जाती है

यह क्या सोचने लगी अपने ही बेटे बेटे के बारे में

हे भगवान मुझे क्षमा कर दो यह सब सोचते सोचते हैं उसे पता नहीं कब नींद लग जाती है
बोहोत हि मस्त ओर कामुक update
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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सुनीता रोज की तरह अगली सुबह सोकर उठती है फिर नहाने की तैयारी करनी लगती है

वह बाथरूम में जाकर व्रश करने लगती है

जब वह ब्रश कर रही होती है तब उसे राजेश का ख्याल आता है

वह अपने मन में कहती हैं राजेश को अगर किसी चीज की जरूरत होगी तो कहीं वह सोकर उठ न गया हो

अरे मुझे उसके कमरे में जाकर देखना चाहिए

वह ब्रश करने के बाद वह नाइटी पहने हुए राजेश के कमरे की ओर चल पड़ती है

राजेश के कमरे का दरवाजा लॉक नहीं था क्योंकि वह दरवाजा बंद नहीं कर सकता था अतः वह दरवाजा धकेल कर कमरे में प्रवेश कर गई

सुनीता ने राजेश को देखा कि वह लेटा हुआ परंतु उसकी आंख खुली हुई है वह राजेश से कहती है गुड मॉर्निंग बेटा कैसे हो

राजेश अपनी मां सुनीता से कहती हैं गुड मॉर्निंग मम्मी मैं ठीक हूं मम्मी

सुनीता कहती है बेटा मैं यहां देखने आई थी कि तुम्हे किसी चीज की जरूरत तो नहीं है तुम्हें मेरी मदद की आवश्यकता तो नहीं है

राजेश कुछ बोलता नहीं है इस समय राजेश को जोरो से पेशाब के साथ-साथ टॉयलेट भी लग रहा होता है लेकिन एक बड़ी समस्या हो गई थी पेशाब के कारण उसका लिंग पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जैसा किअधिकांश लोगों के साथ सुबह-सुबह होता है इसलिए राजेश वह अपनी मां को बताने में हिचकी जा रहा था कि उसे जोरों की पेशाब और टॉयलेट लग रहा है

वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करें

तभी सुनीता को ये महसूस हो जाता है की राजेश को जरूर कोई समस्या है पर वह मुझे बता नहीं पा रहा है

वह राजेश को फिर से पूछती है बेटा बताओ क्या कुछ समस्या है तुम शरमाओ मत

मां के जोर देने पर राजेश शर्माते हुए धीरे से कहता है
मां वह पेशाब और टॉयलेट भी लगी है

सुनीता कहती हैं बेटा इसमें शर्माने की क्या बात है चलो उठो

इस समय राजेश का शरीर चादर से ढका हुआ था और उसका लिंग उसके लोवर मे सीधा खड़ा हुआ था

अभी सुनीता इससे अनजान थी

इधर राजेश सोच रहा था अब क्या होगा इस हालत में देखेगी तो क्या समझेगी

इधर सुनीता राजेश को उठाने के लिए चादर उसके शरीर से हटा देती है

जैसे ही चादर उठाती है तो उसकी नजर राजेश के लोअर पर जाती है वह देखती है कि लोवर का सामने वाला भाग एकदम उठा हुआ है

हुआ समझ जाती है कि उसके बेटा कॉ लिंग इस समय खड़ा हुआ है

यह सोचते ही उसके शरीर में कपकपी आने लगती है

उसे बहुत ही शर्मिंदा महसूस होने लगती है वह सोचने लगती है हे भगवान मैं कहां फस गई यह मेरी कैसे परीक्षा ले रहे हो

फिर भी वह सोचती है कि मुझे राजेश की मदद तो करनी होगी और वह हिम्मत जुटा कर कहती है चलो बेटा उठो और राजेश को बेड से उठाती है बेटा चलो बाथरूम में

इस समय राजेश बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रहा था क्योंकि उसने अपनी मां को अपने लोवर को घूरते हुए देख लिया था उसे बहुत ही खराब महसूस हो रहा था

राजेश बाथरूम की ओर जाने लगता है पीछे पीछे सुनीता चली जाती है सुनीता का दिल जोरों से धड़क रहा था अब क्या होगा

राजेश टॉयलेट सीट के पास जाकर खड़ा हो जाता है वह टॉयलेट सीट में बैठने के लिए घुम जाता है

सुनीता को मालूम था कि अब क्या करना होगा वह नीचे झुक कर राजेश लोवर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे खींच कर उसके पैरों से पूरा अलग कर देती है

इस समय सुनीता अपनी नजरों को दूसरी ओर कर ली थी अब अंडरवियर निकालने की बारी थी

सुनीता का हाथ कापने लगा

वह अपने कांपते हुए हाथों से राजेश के अंदर वियर को पकड़ कर धीरे-धीरे नीचे करने लगी

जैसे ही वह नीचे की राजेश का लिंग उछलकर उसके मुख के सामने आ गया सुनीता की नजरें ना चाहते हुए भी उसके लिंग की ओर चला गया

इस समय सुनीता का दिल की धड़कन बड़ गई थी उसकी सांसे तेज होने लगी थी

सुनीता विकास के विशाल लंड को देखकर उसके शरीर में सिहरन होने लगी

वह अपने आप को बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी कुछ छन राजेश के लंड* को देखने के बाद वह खड़ाीहो गई
इस समय राजेश भी बहुत ही शर्म महसूस कर रहा था

सुनीता राजेश से बोली लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो

मैं बाहर बैठी हूं जब टॉयलेट हो जाए तो मुझे बताना और बाहर चली गई

बाहर जाते हुए व बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा बंद कर दी ताकि राजेश बिना किसी झिझक के अच्छे से टॉयलेट कर सके और जाकर वह बेड पर बैठ गई और अभी जो घटना घटित हुई उसे सोच कर बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी

इधर राजेश टॉयलेट सीट पर बैठ जाता है उसका लंड सीधा खड़ा था

जब राजेश टॉयलेट करने के लिए अपनी गांड पर जोर लगाता है उसके लंड से मूत निकल कर बाथरूम के दरवाजे पर पड़ने लगता है क्योंकि राजेश का लिंग खड़ा था जिससे उसकी मूत टॉयलेट सीट के अंदर ना जाकर उड़ता हुआ सीधे बाथरूम के दरवाजे पर गिरने लगा

पेशाब के दरवाजे पर गिरने की आवाज सुनकर सुनीता चौक जाती है और वह बाथरूम की ओर चली जाती है

यह देखने के लिए कि क्या हुआ वह दरवाजा खोल देती है जैसे ही दरवाजा खोलती है पेशाब सुनीता के ऊपर गिरने लगता है

राजेश या देख कर डर जाता है यह क्या हो गया वह पेशाब करना बंद कर देता है

सुनीता राजेश बेटा यह क्या किया मेरा पूरा कपड़ा खराब हो गया

मुझे माफ कर दो मा वह बहुत ही शर्मिंदा होने लगा

मैंने यह जानबूझकर नहीं किया मुझे माफ कर दो

सुनीता यह सोचने लगती है कि आखिर यह हुआ कैसे

तब वह राजेश के लंड* की ओर देखती है जो कि अभी भी खड़ा हुआ था

वह समझ जाती है माजरा क्या है

बेटा गलती मेरी है पहले तुम्हें पेशाब करा देना चाहिए था

हां मम्मी तुम सही कह रही

सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा तुम पहले पेशाब कर लो

राजेश टॉयलेट सीट से खड़ा हो जाता है इस समय उसका लंड खड़ा हुआ था

वह यूरिनल पाट के सामने जाकर खड़ा हो जाता है

इस समय उसका लंड ऊपर की ओर था

सुनीता समझ चुकी थी उसे क्या करना है

वह राजेश के लिंग को पीछे से अपने दाएं हाथ से पकड़ लेती है और सीधा कर देती है ताकि पेशाब यूरिनल पाठ में चली जाए

सुनीता लिंग को पकड़कर शर्म महसूस कर रही थी फिर सोचने लगी कि राजेश का लैंड कितना मोटा और लंबा है

उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी इधर राजेश को अपनी मां द्वारा लंड को पकड़ना बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था उसका भी शरीर कप कपा रहा था

पेशाब कर लेने के बाद सुनीता राजेश से कहती है लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो मैं बाहर बैठी हूं

राजेश टॉयलेट सीट में बैठकर टॉयलेट करने लगता है
क्या बात है गजब्👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
धीरें धीरे बात आगे बढ़ रही है
 
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