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Incest यह क्या हुआ

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Kaushalsony

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कौशल्या देवी के रूम से बाहर चले जाने के बाद भगत रूम में बेड पर आराम से लेट गया। वह पुरानी यादों में खो गया ।

जब वह किराए मकानपर खोज रहा था ,तब उसे ढंग का कोई मकान मिल नहीं रहा था । एक रिश्तेदार की सिफारिश पर यह मकान उसे किराए पर बड़ा मुश्किल से मिल पाया ।

जब शुरू शुरू में वह यहां रह रहा था ,एक ही मकान में रहने के बावजूद कौशल्या देवी और कामता प्रसाद से आमना सामना कभी कभार ही हो पाता था और हेलो अंकल और हेलो आंटी तक ही सीमित था ।

कौशल्या देवी दिन भर नीचे ही समय व्यतीत करती थी ।वह बहुत कम दूसरी मंजिल पर जाति थी ।

कभी-कभी ऊपर छत पर कुछ सुखाने के लिए चली जाती थी ।

भगत घर में खाना नहीं बनाता था ।वह रात मेंढाबे पर खाने के लिए चला जाता दोपहर में भोजन कॉलेज के कैंटीन में करता था ।इस तरह रहते रहते उसे तीन-चार माह हो गया था।

इन तीन चार माह में कौशल्या देवी और भगत के बीच हाय हेलो के अलावा कोई ज्यादा वार्तालाप नहीं हुआ था ।

तभी एक घटना घटित हो गय रात की 1:00 बजे का समय था ।उस समय भगत अपने बेड पर सोया हुआ था ।तभी किसी ने उसकी दरवाजा खटखटाया ।

भगत ने सोचा इस समय कौन हो सकता है ।वहउठा और दरवाजा खोलने के लिए चला गया।

भगत जैसे ही दरवाजा खोला उसने देखा सामने आंटी खड़ी थी। वह रो रही थे बेटा जल्दी चलो तुम्हारे अंकल बाथरूम में गिर गया है मेरी मदद करो।

उसके सिर पर चोट लगी है ।खून बह रहा है ।इस समय भगत लोवर और टी शर्ट पहना हुआ था ।

आंटी की बातों को सुना और वह तुरंत ही आंटी के साथ नीचे चला गया।

उसने देखा बाथरूम में अंकल नीचे पड़ा हुआ है ।उसके सिर से खून बह रहा है ।बाथरूम में भी बहुत सारा खून फैल गया था।

भगत कौशल्या देवी से कहा आंटी अंकल के सिर पर गहरी चोट लगी है। इसे तुरंतअस्पताल ले जाना होगा।

कामता प्रसाद इस समय बेहोश हो गया था ।

कौशल्या देवी डरी हुई थी और रोए जा रही थी।

भगत सिंह ने कौशल्या देवी से कोई कपड़ा लाने के लिए कहा ताकि कामता प्रसाद जी के सिर पर बांधा जा सके जिससे खून का बहना कुछ कम हो जाए ।

कौशल्या देवी तुरंत कपड़ा लेकर आई ।

भगत ने कामता प्रसाद के सिर को कपड़े से बांध दिया उसके चेहरे पर पूरा खून लगा हुआ था। वह उसे कपड़े से पूछा और उसे कौशल्या देवी की मदद से उठाकर बेड पर सुला दिया।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा आंटी अंकल को तुरंत अस्पताल ले जाना होगा मैं ले जाने का कोई साधन जुगाड़ करता हूं और वह घर के बाहर सड़क की ओर चला गया।

वह इधर-उधर ऑटो की तलाश करने लगा ,तभी सड़क के किनारे उसे एक ऑटो खड़ा हुआ दिखाई पड़ा। ऑटो के अंदर कोई सोया हुआ था ।उसने ऑटो वाले को जगाया और उससे कहा भैया तुम्हारी मदद चाहिए ।

ऑटो वाले ने उससे पूछा क्या हुआ भाई ।

उसने सारी बातें ऑटो वाले को बताया ।

ऑटो वाले ने भगत की बातों को सुनकर उसकी मदद के लिए तैयार हो गया ।

भगत ऑटो वाले के साथ ऑटो में बैठ कर घर की ओर आया ।ऑटो वाले की मदद से कांता प्रसाद जी को बेड से उठाकर ऑटो पर बिठाया ।

भगत और कौशल्या देवी भी आटो पर बैठ गए और अस्पताल की ओर चले गए ।

अस्पताल में जाने के बाद भगत ने डॉक्टरों से मुलाकात किया हादसे के बारे में डॉक्टरों को बताया ।

कामता प्रसाद के आपातकाल चिकित्सकीय रूम में ले जाया गया ।रूम के बाहर भगत और कौशल्या देवी चेयर पर बैठकर डॉक्टरों का बाहर निकलने का इंतजार करने लगे ।

कौशल्या देवी रोए जा रही थी ।

भगत ने उसे कहा आंटी रोइए मत सब ठीक हो जाएगा मैं हूं ना ।

भगत ने उससे पूछा कि यह हादसा हुआ कैसे ?

आंटी ने बताया बेटा तुम्हारे अंकल बाथरूम के लिए उठे थे ।बाथरूम के अंदर जाते ही उसे चक्कर आ गया और वह गिर पड़ा। मैं दौड़ते हुए उसके पास गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू तब मैं तुमसे मदद मांगने के लिए तुम्हारे पास गई।

एक नर्स रूम से बाहर आई उसने सामान की एक लिस्ट कौशल्या देवी के हाथों में दिया और उसने उसे मेडिकल से तुरंत लाने के लिए कहा।

भगत ने कहा आंटी लिस्ट मुझे दो मैं मेडिकल से ले आता हूं वह कौशल्या देवी के हाथों से पर्ची लिया और मेडिकल स्टोर की ओर चला गया ।

वह मेडिकल सामान लेकर तुरंत अस्पताल पहुंचा और नर्स को वह सामान दे दिया।

डॉक्टरों के द्वारा इलाज जारी था ।लगभग 2 घंटे इलाज के करने के के बाद एक डॉक्टर चिकित्सकीय रूम से से बाहर आया ।

डॉक्टर को आते देख भगत उसके पास जाकर उससे पूछा।

सर अंकल की हालत कैसी है अंकल ठीक तो है है ना ।

डॉक्टर ने भगत से कहा तुम लोग उसे ठीक समय पर अस्पताल ले आए ,थोड़ा भी लेट होता तो उसकी जान भी जा सकती थी ।पेशेंट का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है ।जिसके कारण उसे चक्कर आया ।गिरने से उसके सर पे , गहरी चोट लगी है जिसमें बहुत सारा खून शरीर से बह गया है ।उसकी सर्जरी कर दिया गया है लेकिन उससे खून चढ़ाना होगा। जिस ग्रुप की खून की आवश्यकता ,वह हमारे अस्पताल में अभी उपलब्ध नहीं है। तुम अगर कहीं से जुगाड़ सकते हो तो, ब्लड की व्यवस्था जल्दी करो ।

कौशल्या देवी डॉक्टर की बात को सुनकर रोन् लगी बेटा अब क्या होगा ?खून की व्यवस्था कैसे होगा ?

भगत ने कहा आंटी तुम चिंता मत करो ।मैं कुछ करता हूं और वह अपने दोस्तों को फोन कर ब्लड के लिए मदद मांगने लगा ,लेकिन उस ब्लड ग्रुप वाला कोई मिल नहीं रहा था ।

तभी उसे याद आया कि यह ग्रुप तो राजेश का भी है उसने राजेश को फोन लगाया। राजेश ने फोन उठाया इस समय सुबह का 5:00 बज चुके थे।

राजेश ने अपनी मां सुनीता को इस बारे में बताया। सुनीता ने उसकी दोस्त की मदद के लिए हामी भर दी ।

राजेश तुरंत घर से बाहर निकल कर अपना बाइक से अस्पताल के लिए चल पड़ा ।
वह अस्पताल पहुचा

भगत उसका इंतजार कर रहा था ।वह राजेश को डॉक्टरों के पास ले गया ।

डॉक्टर ने राजेश का खून चेक किया दोनों का ही ग्रुप मैच पाया गया।

डॉक्टरों ने राजेश का खून कामता प्रसाद के शरीर में चढ़ा दिया ।

2 घंटे बाद राजेश रूम से बाहर निकला। भगत ने राजेश को देखकर गले लगा लिया थैंक यू यार ।

कौशल्या देवी ने राजेश को देखकर राजेश से कहा बेटा मैं तुम्हारी शुक्रिया अदा किस प्रकार से करू। तूने मेरे पति को नया जीवनदान दिया है। तुम्हारा बहुत धन्यवाद बेटा ।

राजेश ने आंटी से कहा नहीं आंटी जी यह तो मेरा फर्ज है। मेरे कारण किसी की जान बची यह तो मेरे लिए खुशी की बात है।

राजेश कुछ समय तक अस्पताल में रुका फिर वह भगत से कहकर अच्छा यार मैं चलता हूं मां राह देख रही होगी। मेरी जरूरत पड़े तो फोन पर बताना मैं आ जाऊंगा।

भगत राजेश को एक बार फिर अपने गले से लगा लिया थैंक यू यार तू मेरा सच्चा दोस्त है।

राजेश अस्पताल से चला गया ।

2 घंटे के बाद कामता प्रसाद को आपातकाल की रूम से निकालकर वार्ड रूम में लाया गया वह होश में आ चुका था ।

कौशल्या देवी और भगत दोनों उनसे मिलने के लिए वार्ड रूम में गए ।
कौशल्या देवी अपने पति को खतरे से बाहर देख कर और होश में आया देखकर वह खुश हो गई और भगवान की को शुक्रिया अदा करने लगी।

फोन के माध्यम से कौशल्या देवी ने अपने बेटे और बेटियों को इस घटना की जानकारी दे दी ।

उनकी बेटियां कविता और काजल दोनों को जब यह मालूम हुआ कि उसके पिताजी अस्पताल में एडमिट है,वे अपने पतियों एवं बच्चों के केसाथ अपने अस्पताल के लिए निकल पड़े।

इधर भगत अस्पताल में ही रुका था और हर प्रकार की मदद कर रहा था ।

जब का कौशिल्या देवी की बेटियां अस्पताल पहुंचे अपने पिताजी को देखने ,तब कौशल्या देवी ने अपनी बेटियों को भगत के बारे में बताया कि किस प्रकार से भगत ने मदद की अगर भगत नहीं होता तो तो पता नहीं क्या हो जाता ।

उनकी बेटियों ने बेटियों ने भगत को मदद के लिए धन्यवाद दिया और उनसे कहा कि अब से तुम हमारे छोटे भाई के समान हो।

भगत ने कहा मैं तुम्हारा छोटा भाई ही हूं आंटी और अंकल का मदद करना मेरा फर्ज है ।

उनकी बेटियों के आने के बाद कुछ समय तक और अस्पताल में भगत रुका फिर वह आंटी के पास जाकर बोला अच्छा आंटी अब मैं चलता हूं और किसी प्रकार की जरूरत हो तो मुझे फोन करना ।मैं तुरंत आ जाऊंगा ।

तब कौशल्या देवी ने कहा बेटा मैं तुम्हारा एहसान का बदला जिंदगी भर नहीं चुका सकूंगी तुमने मेरी सुहाग को बचाया है ।अगर तुमने मदद नहीं की होती तो पता नहीं क्या हो जाता ।

फिर भगत ने कौशल्या देवी से कहा आंटी में तुम्हारे बेटे जैसा ही तुम्हें जब भी कोई मदद की जरूरत पड़े मुझे बता देना ।

कौशल्या देवी ने कहां थैंक्यू बेटा और भगत अस्पताल से घर की ओर चला गया ।चार-पांच दिन अस्पताल में रहने के बाद कामता प्रसाद जी को अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया। और वे घर आ गए उनकी बेटियां भी ससुराल चली गई ।

शाम को कॉलेज से वापस आने के बाद भगत सीधे कामता प्रसाद जी की हाल चाल पूछने के लिए उसके रूम में चला गया।

कामता प्रसाद जी से भगत ने कहा अंकल अब आपकी तबीयत कैसी है ।

कांता प्रसाद जी ने कहा मैं अच्छा हूं बेटा ।कौशिल्या ने बताया तुमने हमारी मदद किस प्रकार की । इतनी मदद तो कोई सगा बेटा भी नहीं करता ।एक हमारा बेटा किशोर है जिसको खबर देने के बाद भी अभी तक मिलने के लिए भी नहीं आया ।

भगत ने कामता प्रसाद से कहा अंकल जी आप मुझे अपना बेटा ही समझिए।

तब कौशल्या देवी इस समय बना रही थी वह चाय लेकर के रूम में आई लो बेटा चाय पी लो ।

भगत ने कहा थैंक्यू आंटी और चाय का कप उठाकर पीने लगा ।

कौशल्या देवी भगत से बोली बेटा अब से तुम मुझे आंटी मत बोलना ,अब तुम मुझे मा जी बुलाना, मुझे अच्छा लगेगा ।

भगत ने कहा ठीक है मा जी आजसे मैं आपको मा जी ही कहूंगा ।

कौशिल्या देवी ने कहा एक बात और कहनी थी बेटे तुम रात का भोजन हमारे साथ ही किया करो ।साथ ही सुबह का चाय नाश्ता भी मैं तेरे लिए बना दिया करूंगी ।
भगत ने कहा मा जी आपको मेरे लिए कष्ट उठाने की जरूरत नहीं है।

कौशल्या देवी ने कहा बेटा तुमने हमारी इतनी मदद की मैं तुम्हारे लिए इतना नहीं कर सकती ।

आज से तुम मेरे बेटे जैसा ही हो।

तब भगत ने कहा ठीक है मा जी जैसी आपकी इच्छा ।

और भगत आज से कौशल्या देवी को मा जी कहकर बुलाने लगा ।

अगली सुबह जब भगत सोया हुआ था किसी ने दरवाजा खटखटाया ।भगत ने सोचा इस वक्त कौन होगा।इस समय सुबह के 7:00 बज गए थे ।

भगत ने दरवाजा खोला सामने कौशल्या देवी खड़ी थी ।अरे बेटा मैं तुम्हारे लिए चाय लाई हूं चाय पी लो ।।भगत ने कहा अरे माजी आप अंदर आइए ना ।

कौशल्या देवी चाय लेकर अंदर आई बेटा चाय ठंडी हो जाएगी इसे पी लो ।

भगत ने चाय का कप उठा लिया और उसने कौशल्या देवी से कहां थैंक यू मा जी ।

भगत चाय पीने लगा उधर कौशल्या देवी कमरे के अंदर मुआयना किया उसने देखा कि कमरे में तो काफी धूल जमा हुआ। उसने भगत से कहा अरे बेटा कमरे में तो बहुत धूल जमा हुआ है ।बेटा आज से में झाड़ू पोछा कर दिया करूंगी ।

भगत ने कहा मां जी इ मैं कर लूंगा ।

बेटा तुम नहा कर तैयार हो जाना ,मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना रही हू। कॉलेज जाने से पहले तुम नाश्ता कर लेना ।

भगत ने कहा ठीक है मा जी और हां बेटा अपने रूम की चाबी मुझे दे देना मैं तुम्हारे कमरे की साफ सफाई कर दूंगी ।भगत ने कहा ठीक है मा जी ।

इस तरह से कुछ दिन और निकल गए कौशल्या देवी और भगत के बीच अपनापन और बढ़ता गया।

कौशल्या देवी भगत को अपने बेटा जैसे मानने लगी भगत की सेवा करने लगी ।

इधर भगत भी कौशल्या देवी को अपने मां के समान ही मानने लगा ।

एक दिन की बात है भगत कॉलेज नहीं गया था वह घर पर ही रुक गया था । वह पलंग पर लेटा हुआ था। तभी का कौशल्या देवी भगत के कि रूम में सफाई करने के लिए आई।

कौशल्या देवी भगत को देख कर बोली अरे बेटा आज तू कॉलेज नहीं गया ।

भगत ने कहा मा जी आज कॉलेज में छुट्टी है ।

कौशल्या देवी कमरे में झाड़ू लगाने लगी ।कौशल्या देवी को भगत झाड़ू लगाते हुए देख रहा था ।

कौशल्या देवी नीचे झुक कर झाड़ू लगा रही थी तभी अचानक कौशल्या देवी के साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया ।पल्लू के नीचे गिरते ही कौशल्या देवी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी ब्लाउज सी बाहर झाकते हुए दिखाई दिया ।

उनके बड़े-बड़े गोल गोल स्तन भगत की नजर पर पड़ी कौशल्या देवी के स्तनों के गोलियों को देखकर भगत की शरीर की नसों में खून की रफ्तार बढ़ने लगा ।टकटकी नजरों से वह कौशल्या देवी के स्तनों को को देख रहा था ।

तभी कौशल्या देवी को लगा की भगत उसके स्तनों कौन निहार रहा है उसने साड़ी के पल्लू को जल्दी से ठीक किया और झाड़ू लगाने लगी ।

भगत मन में सोचने लगा मां जी की चुटिया कितनी सुंदर है काफी बड़ी और गोल गोल है ।ना चाहते हुए भी उसके लमड में तनाव आने लगा ।

इसके पहले भगत न कौशल्या देवी के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था भगत को चुदाई की हुई काफी दिन हो गए थे। जब वह अपना घर गांव जाता था तो वहां की कुछ औरतों को वह चोदता था और अपना प्यास बुझा कर शहर आता था ।

आज कौशल्या देवी स्तनों को द देख फिर उसकी प्यास जागने लगी ।

कौशल्या देवी झाड़ू लगाने के बाद पोछा लगाने फिर से भगत के रूम में आई और फर्श पर उकड़ू बैठकर पोछा लगाने लगी। उकड़ू बैठन से उसके घुटनों से उसके स्तन दब गए थे। उसके स्तन उसके ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश कर रही थी ।केवल निप्पल ही बचा हुआ था ।स्तन की पूरी गोलाई ब्लाउज से बाहर झांक रही थी ।

भगत की नजर उस पर फिर से एक बार पड़ी ।

कौशल्या देवी की स्तनों को देखकर भगत का शरीर गर्म होने लगा।

भगत अपनी आंखों से नयन सुख ने ने लगा ।कभी-कभी उसे डर लगता की मा जी कही अपनी चुचियों को निहारते पकड़ न ले । मां जी मेरे बारे में क्या सोचेगी।

इधर कौशल्या देवी को लगा की भगत की नजर मेरी चूचियों पर है। उसने अपनी चुचियों को साड़ी के पल्लू से ढकने की कोशिश की लेकिन झुक कर पोछा लगाने से साड़ी का पल्लू स्तनों से हट जा रहा था ।

इधर भगत कौशल्या देवी के स्तनों को देखकर काफी गर्म हो चुका था ।उसका लंड खड़ा हो गया था ।

कौशल्या देवी पोछा लगाने के बाद भगत से बोला ।मैं तुम्हारे लिए दोपहर का भोजन बना दूंगी । भगत ने कहा ठीक है मां जी।

दोपहर में जब भोजन बनकर तैयार हो गया तब कौशल्या देवी ने भगत को खाने के लिए बुलाया ।


भगत भोजन के लिए नीचे चला गया।

भ गत की नजर अब कौशल्या देवी के लिए बदल चुका था ।अब वह उसे मां की नजर से नहीं बल्कि एक औरत की नजर से देखने लगा ।

जब का कौशिलेया देवी उसके सामने आती थी तब भगत की नजर उसके स्तनों पर चला जाता था। उसके स्तनों को के दर्शन के लिए लालायित रहता था। जब पीछे मुड़कर जाने का होती तो उसकी चुतड को निहारने लगता और गर्म हो जाता ।उसके नसों में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता।

इधर कौशिलेया देवी को भी एहसास होने लगा कि भगत उन्हें अलग ही नजरों से देखने लगा है ।इस तरह दो-तीन दिन और बीत गए ।


कौशल्या देवी झाड़ू पोछा करने के लिए कमरे में आई

कौशल्या देवी भगत को देखकर बोला । आज कॉलेज नहीं जा रहे हो ।आज भी छुट्टी है क्या ?
भगत ने कहा मा जी आज मुझे मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है मेरे सिर पर दर्द है आज मैं कॉलेज नहीं जाऊंगा ।घर में आराम करूंगा ।

कौशल्या देवी भगत के पास गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखा कि उसका माथा गर्म था।

कौशल्या देवी ने कहा बेटा तुम्हे तो बुखार है तुमने दवाई ली कि नहीं ।

भगत ने कहा हां माजी दवाई ली है

कौशल्या ने कहा ने कहा ठीक है बेटा तुम आराम करो ।और वह पोछा लगाने लगी ।

भगत की नजर फिर से उनके स्तनों पर चला गया क्योंकि कौशल्या देवी पोछा लगाने उकडू बैठने के कारण स्तन का काफी हिस्सा ब्लाउज के बाहर दिखाई पड़ रहा था ।

स्तनों को देखकर भगत गर्र्म हो गया। उसका लंड खड़ा हो गया था ।वह अपने शरीर को चादर से ढक लिया और एक हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा ।

उसकी नजर कौशल्या देवी की चूचियों पर गढी थी ।

भगत ने सोचा अब मैं और नहीं सहन कर सकता।

मुझे कुछ करना ही होगा नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगा ।वह सोचने लगा कि क्या करें ।

इधर पोछा लगाने के बाद कौशल्या देवी नीचे जाने को हुई ।

तभी भगत ने कौशल्या देवी से कहा मा जी मैंने टेबलेट लिया पर सिर पर दर्द अभी भी है ।तुम्हारे पास बाम वगैरह है क्या सिर पर लगाने के लिए।

तब का कौशिल्या देवी ने कहा अरे बेटा बाम तो नहीं है। लेकिन मैं सरसों तेल को गर्म करके लाती हूं मैं तुम्हारे सिर पर मालिश कर दूंगी तुम्हें अच्छा लगेगा।

कौशल्या देवी नीचे चली गई ।

भगत को एक मौका दिखाई देने लगा।

कौशल्या देवी कुछ समय के बाद सरसों का तेल कटोरी में लेकर भगत के कमरे में आई ।

भगत अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था ।

कौशल्या देवी भगत के विस्तार पर उसकी छाती के बगल में बैठ गई । भगत से बोली बेटा मैं तुम्हारी सिर के मालिश कर देती हूं ।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा माजी तुम मेरा कितना ख्याल रख रही हो ।

तब कौशिलेया देवी ने भगत से कहा बेटा तुमने भी तो हमारी बहुत मदद की है ।

कौशल्या देवी अपने हाथों में सरसों तेल लगा कर भगत के माथे और सिर को मालिश करने लगी।

इस समय कौशल्या देवी मालिश करते हुए थोड़ा झुक गई ।जिससे उसका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया ।कौशल्या देवी की चूचिया भगत के आंखों के सामनेझूलने लगा ।वह उसे खाए जाने वाली नजरों से देखने लगा।

कौशल्या देवी भगत की नजरों को देखा। भगत की नजर उसकी चूचियां पर टिकी हुई थी ।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा क्या देख रहा है बेटा ।

भगत शर्मा गया, कुछ नहीं मा जी।

कैशिल्या अपने स्तनों को अपने पल्लू से ढक लिया।

भगत ने एक हाथ से कौशल्या के एक स्तन को हाथों पर रखकर उसे उसे सहलाने लगा ।

कौशल्या देवी ने भगत ने कहा बेटा यह क्या कर रहा है ।

तब भगत ने कहा मां जी आपके दूदू बहुत सुंदर हैं ।

कौशल्या देवी शर्मा गई ।वह भगत से बोली बेटा मैं तुम्हारी मां जैसी हूं ऐसा नहीं बोलते।

कौशल्या देवी सरसों के तेल से भगत के सिर और माथे पर मालिश कर रहा था ।इधर भगत एक हाथ से कौशल्या देवी एक चूची पर अपना हाथ फिरा रहा रहा था। वह उसे अपने हाथों से सहलाने लगा।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा मां जी आप के दूदू कितने बड़े और सुंदर है।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा चल हट पगला कहीं का ।मैं तुम्हारी मां समान हू तुम्हें मुझसे ऐसा नहीं कहना चाहिए ।

मां जी मैं तो तुम्हारे बेटा जैसा हू ।मुझे अपना बेटा बना लो न।

कौशल्या ने भगत से कहा मैं तो तुम्हें अपना बेटा ही मानती हूं।

तब भगत ने कहा मा मोी जी मै ऐसे ही आपका बेटा थोडे ही हो जाऊगा ।मुझे अपना पूरा बेटा बनाने के लिए तुम्हे अपना दूध पिलाना पड़ेगा ।

मैंने तो आपका दूध पिया ही नहीं है तो आपका बेटा कैसे बन जाऊंगा ।

कौशल्या ने भगत से कहा धत बदमाश ।दूध पीने की बातें करता है यह तुम्हारी दूध पीने की उम्र है क्या? तू बिगड़ गया है।

भगत ने कौशलिया देवी के एक स्तन को सहलाते हुए कहा मां जी मुझे अपना दूध पिलाओ ना ।

कौशल्या देवी ने कहा नहीं बेटा तू बड़ा हो गया है यह तुम्हारी दूध पीने की उम्र नहीं है ।

तब भगत ने कौशल्या से कहा नहीं मां माजी मुझे तुम्हारा दूध पीकर तुम्हारा पूरा बेटा बनना है।

और वह एक हाथों से कौशिल्या देवी के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा ।

कौशल्या भगत से बोले जा रही थी नहीं बेटा ऐसा मत करो पर ।

भगत ने नहीं माना और उसके ब्लाउज की सारी बटन खोल डाले।

बटन खोलते ही कौशल्या के दोनों चूचिया नंगी हो गई क्योंकि कौशल्या देवी ब्रा नहीं पहनती थी ।दोनों चूचियां भगत के आंखों के सामने लटक रहे थे। उसकी नंगी चूचियो को देखकर भगत का लंड खड़ा होकर लोहे की रातड की तरह कठोर हो गया ।उसका लंड ठूनकी मरने लगा ।कौशल्या देवी के दोनों चुचियों को भगत अपने हाथों से पकड़ लिया और उसकी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा ।

कौशल्या देवी भगत से बोले जा रही थी बेटा यह क्या कर रहा है ।यह ठीक नहीं है। मत कर ऐसा ।

भगत ने कौशिल्या देवी से बोला ,नहीं माझी मुझे तुम्हारा पूरा बेटा बनना है ।मुझे तुम्हारा दूध पीने दो और वह दोनों चुचियों को अपने हाथों से मसलते हुए चूसने लगा ।

एक मर्द की कड़े हाथों का एहसास पाकर कौशल्या देवी का शरीर सिहरने लगी ।

भगत उसकी चुचियों को को जोर जोर से मसल कर उसकी निप्पल को चूसने लगा ।उसके निप्पल को अपने दांतों में दबाकर खींचने लगा ।


भगत के ऐसा करने से कौशल्या देवी कि शरीर में कपकपी आने लगी । उसकी सांसे तेज होने लगी ।उसकी आंखें बंद होने लगी। कौशल्या देवी की चूचियां फुल ने और पिचकने लगी ।उसकी निप्पल कड़क हो गए ।

भगत समझ गया मा जी गरम हो गई है तब उसने कौशल्या देवी से कहा मा जी आपके हाथों में जादू है ।आप की तेल मालिश से मेरा सिर दर्द ठीक हो गया ।

कौशल्या देवी अपनी आंखें खोली वह भगत से बोला ठीक है बेटा अब तुम आराम करो ।मैं चलती हू ।

तब भगत ने कौशलिया से कहा नहीं मा जी अभी तुम्हारे दूध पीने से मेरा मन भरा नहीं है ।मुझे अच्छे से पी लेने दो ।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा नहीं बेटा यह ठीक नहीं है। छोडो मुझे ।

भगत ने कहां मा जी क्या तुम अपने बेटे से प्यार नहीं करती।
कौशल्या ने भगत से कहा मैंने ऐसा कब कहा बेटा ।तो मुझे जी भर के अपना दूध पी लेने दो ना ।

कौशिल्या तेल मालिश को बंद कर बिस्तर पर पर सीधा बैठ गई ।भगत भी उठ कर बैठ गया ।और कौशल्या देवी के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। कौशल्या देवी के सासे फिर से तेज तेज चलने लगी। कौशल्या देवी को भी अब बर्दाश्त से बाहर होने लगा ।वह बिस्तर से उठ कर वह दरवाजे की तरफ जाने लगी। भगत ने उसके एक हाथ को पकड़ लिया कौशल्या देवी भगत से कहा अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश की ।

भगत बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया ।वह कौशल्या देवी को पीछे जकड़ लिया और दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसलने लगा और अपने खड़े हुए लंड को कौशल्या देवी की गांड पर हल्का-हल्का धक्का मारने लगा।

कौशल्या देवी भगत का लंड का एहसास अपने गांड मेपाते ते ही मदहोश सी होने लगी ।

कुछ समय तक ऐसे ही खड़े-खड़े भगत कौशल्या देवी की चुचियों को मसलता रहा ।

कौशल्या देवी कि संास तेज तेज चलने लगी उसके मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

भगत कौशल्या को घुमा कर अपनी अपनी ओर कर लिया । कौशल्या की आंखें बंद थी ।भगत कौशिल्या को अपनी बाहों में जकड़ कर उसके होंठों को चूसने लगा। इस समय कौशिल्या की सांसे तेज तेज चल रही थी ।आंखें बंद थी।

भगत कौशल्या को अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी बिस्तर पर चड गया। और उसकी चुचियों को चूसने लगा ।

कौशल्या के मुख से सिसकारी निकल रही थी। भगत कौशल्या की चूची को एक हाथ से मसल रहा था और एक चूची को मुंह में भर कर चूस रहा था।

अब वह थोड़ा चूची से नीचे आया और पेट को चूमने लगा पेट को चुमते चुमते वह साड़ी को कमर से थोड़ा खिसका दिया है ।साड़ी के हटते ही कौशल्या की नाभि भगत को दिखाई पड़ा। भगत उसके बदन की खूबसूरती को देखकर बावरा हो गया ।वह पागलों की तरह उसकी नाभि को चूमने लगा ।उसे चाटने लगा।

भगत की इस हरकत से कौशल्या देवी जोर जोर से सिसकने लगी ।

अब भगत से रहा नहीं गया वह बिस्तर से से उठा और अपने लोवर और अंडरवियर निकाल कर नीचे से नंगा हो गया ।

कौशल्या देवी भगत की इस हरकत को देख रही थी ।उसकी नजर उसके लंड पर पड़ी जो काफी लंबा था ।उसका लंड ठूनकी मार रहा था।

कौशल्या देवी भगत के लंड को देखकर उसके दिल जोर-जोर से धड़कने लगा ।

भगत देर न करते हुए वह फिर से बिस्तर पर चढ़ गया और कौशल्या देवी के ऊपर लेट गया। फिर से उसके होंठों को चूसने चूसते हुए वह नीचे की ओर गया ।

उसकी चूची को मसलने लगा और उससे निप्पल को चूसने लगा। फिर वह नीचे की ओर जाकर उसके पेट को चूसने लगा। उसकी नाभि पर हाथ फेरने लगा फिर उसके नाभि को चूसने लगा। कौशल्या देवी के मुख से सिसकारी लगातार फुटे जा रही थी ।

भगत कौशल्या देवी के टांगों के बीच जाकर बैठ गया उसके पेटीकोट को ऊपर खींच उसके कमर तक चढ़ा ।

दिया पेटिकोट के ऊपर उठते ही उसे कौशल्या देवी की पेंटी नजर आया ।वह पेंटी के ऊपर से ही अपने हाथ उसके चूत र पर रखकर उसे सहलाने लगा ।

कौशल्या देवी अपनी आंखें बंद कर लगातार सिसक रही थी। नहीं बेटा वहां नहीं ।

भगत ने देर ना करते हुए दोनों हाथों से उसकी पैंटी को पकड़ा आर उसको खींचने लगा।
कमर से पेंटी दबे होने के कारण निकालने में दिक्कत होने लगी।

तभी कौशल्या देवी ने अपना कमर ऊपर उठा दिया ।

कौशल्या देवी की इस हरकत को देखकर भगत बावरा हो गया ।वह समझ गया कि कौशल्या देवी अब खुद चुदना * चाहती है ।

वह कौशल्या देवी की पैंटी को पकड़ उसे खींचकर उसके पैरों से अलग कर दिया ।

भगत कौशल्या देवी की फूली हुई चिकनी चूत को देखकर बावरा हो गया ।उसने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा। उसकी उंगलियां योनि रस से भीग गया ।

कौशल्या देवी आनंद के मारे जो जोर-जोर से सिसकने लगी ।
भगत अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ लिया और कौशल्या देवी के योनि के पास ले गया ।अपने लंड के टोपे को योनि मुख पर रखकर उसे योनी पर घिसने लगा।

कौशी ल्या जाेर जोर से सिसक रही थी। वह अपने दोनों टांगों को पूरा खोल दी। अपनी दोनों टांगों को खोल कर वह चुदाई के लिए अपनी सहमति दे रही थी।

अब भगत को भी बर्दाश्त से बाहर लग रहा था उसने अपने लंड को कौशल्या देवी के चूत के छेद पर पर रखकर हल्का धक्का मारा। चूत बूर** रस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी। अतः लंड पहले ही धक्के में सरसराते हुए आधा घुस गया ।

कौशल्या देवी के मुख से सिसकने की जोर से आवाज आई ।

भगत अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के चुचियों को पकड़कर मसला और एक जोरदार धक्का अपने लंड से चूत पर मारा। उसका ल़ड चूत को चीरते हुए फच की आवाज के साथ पूरे जड़ तक अंदर घुस गया ।कौशल्या देवी के मुंह से उई मां की आवाज निकल पड़ी ।

अब भगत अपने दोनों हाथों को कौशल्या देवी की चूची पर रख कर। अपने लंड* को कौशल्या देवी की चूत मे* धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा ।

कौशल्या देवी की आंखें बंद थी और उसके मुख से सिसकारी निकल रही थी।

इधर भगत कौशल्या देवी की चूची को जोर जोर से मसलते हुए, अपने लंड से तेज झटके लगाते हुए कौशल्या देवी के चूत में अपना लंड तेजी से अंदर-बाहर करने लगा ।

उसका लंड * चूत * के रस से पूरा गीला होजाने से आसानी से सर सर अंदर बाहर हो रहा था

कौशल्या देवी की योनि से बू र रस बहते हुए उसके गांड में भरने लगी थी।

अब भगत का लैंड कौशल्या देवी के चूत* के अंदर फच फच गच गच आवाज करते हुए अंदर बहार होने लगा ।

दोनों को चुदाई में इतना मजा आ रहा था कि कौशल्या देवी अपने दोनों हाथों से भगत के पीठ को पकड़ लिया और उसे अपने शरीर से चिपकाने लगी वह अपने कमर को ऊपर उठा उठा कर लंड बूर मे गहराई तक लेने लगी।

कौशल्या देवी को अपने पति से चुदाई * में ऐसा मजा कभी नहीं आया था ।तभी कौशल्या देवी का शरीर अकड़ने लगा औरअगले ही पल वह झड़ने लगी ।

कौशि ल्या जब झड रही थी तब लंड पर उसके चूत का कसाव बढ़ गया था उसकी चत खुलने और सिकुडने लगी ।

भगत जान गया कि कौशल्या देवी झड़ गई है ।भगत ने चुदाई बंद कर, कौशल्या देवी के ऊपर लेट गया। इस समय कौशल्या देवी झड़ने की की आनंद ले रही थी ।

जब उसका शरीर शांत हुआ तब भगत कौशल्या देवी की आंखों में देखा।

कौशल्या देवी शर्मा गई ।
भगत कौशल्या देवी की होंठों को अपने होंठों पर दबाकर चूसने लगा ।

कुछ देर तक होंठ चूसने के बाद वह नीचे गया और उसके चूची को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा फिर उसके निप्पल को चूसने लगा।

कौशल्या देवी फिर से धीरे-धीरे गर्म होने लगी। चू ची के नीचे पेट को चुमते हुए ।

भगत उसके नाभि को चाटने चूमने लगा। कौशल्या देवी अपने हाथों से भगत के सिर को पकड़ कर,अपने नाभि पर दबा दी और शिसकने ने की आवाज निकालने लगी।

भगत समझ गया कि कौशल्या देवी फिर से गर्म हो चुकी है उसने कौशल्या देवी को ऊपर उठा दिया और पलट दिया ।उसे उसके कमर को पकड़ कर ऊपर की ओर खींचा और उसे कुतिया बना दीया ।

भगत अपने लमड को अपने हाथों से पकड़ा जो चूत के अंदर जाने के लिए फड़फड़ा रहा था

वह लंड को चूत* के मुख पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा ।फच की आवाज के साथ लंड पूरा जड़ तक अंदर घुस गया ।

भगत अपने दोनों हाथों को सामने ले जाकर कौशल्या देवी की चूचियों को पकड़ कर मसल लगा।

कुछ देर मसलने के बाद वह उसके चूतड़ को चूमने लगा।
कौशिल्या उसकी हरकतों से पागल सी हो गई और अपने कमर को हिला कर खुद ही लंड* पर धक्के मारने लगी ।

भगत समझ गया कि कोशल्या क्या चाहती है वह अपने लंड * से बूर मे धक्का मारना शुरू कर दिया ।

लंड चूत पर सर सर अंदर बाहर होने लगा । कुछ देर बाद वह लंड को चूत में तेजी से अंदर बाहर करना शुरू कर कर दिया ।लंड चूत में गपा गप अंदर बाहर जा रहा था ।कमरे में कौशल्या देवी की लगातार शि सकने और लंड का चूत में गपा गप अंदर जाने की आवाज गूंज रही थी ।

एक बार फिर से कौशल्या देवी और भगत स्वर्ग में चले गए थे । भगत कौशल्या देवी के कमर को अपने हाथों में कस के पकड़ कर हुमच हुमच कर चोदने लगा।

वह ल़ड को चूत से पूरे टोपी तक बाहर निकाल लेता था और फच की आवाज के साथ पूरे जड़ तक लंड को चूत * के अंदर डाल देता था।

इधर कौशल्या देवी को बर्दाश्त से बाहर हो रहा था उसके शरीर अकड़ने लगी और वह फिर से झड़ने लगी ।उसकी चूत की कसावट लंड पर बढ़ गई उसकी चूत खुलने और सिकुडने लगी।

भगत इस समय अपना धक्का और बढ़ा दिया ।अब वह कौशल्या देवी के चूतड़ के के ऊपर बैठ गया और कमर पकड़ कर लंड को तेजी चूत डालने लगा ।अब वह भी झड़ने वाला था ।तभी वह जोर से एक धक्का मारा कौशल्या देवी के कमर को जोर से खींच कर अपने लंड से सटा लिया ।उसके लंड* से वीर्य की फव्वारा निकलकर कौिशल्या चूत को भरने लगा ।

जब उसका लंड वीर्य निकालना बंद कर दिया। भगत हांपते हुए बिस्तर पर लुढ़क गया ।
कौशल्या देवी भी बेड पर पेट के बल लेट गई और वह भी सुस्ताने लगी ।

जब दोनों होश में आए तो दोनों की नजरें मिली कौशल्या देवी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। वह बिस्तर से उठी और भागते हुए रूम से बाहर चली गई।
Top class story after so long. Pure desi lust.
 

rajesh bhagat

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सुनीता प्रतिदिन की तरह सुबह उठती है । उठ कर नहा कर, पूजा करने के बाद वह किचन में काम करने के लिए चली जाती है।

किचन में काम करते हैंसमय वह सोच रही थी आज से राजेश को नहलाना है ।

उसने आज सोच लिया था कि आज वह अंतिम प्रयास करेगी ताकि पता लगा सके कि राजेश है नार्मल है की नहीं ।

अतः वह जो कुछ भी कर सकती है आज करेगी वह मंद मंद मुस्कुराने लगी कि वह क्या क्या करने वाली है ।

कभी वह मन में मुस्कुरा रही थी और खुद से ही शर्म आ रही थी ।तो कभी-कभी उसके चेहरे पर गंभीरता के भाव आ रहे थे ।

वह राजेश को लेकर चिंतित भी हो रही थी।
इधर स्वीटी और शेखर नहा धोकर प्रतिदिन की तरह डायनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आ चुके थे।

सुनीता ने अपने पति और अपने बेटी के लिए नाश्ता लगाया ।

शेखर ने कहा सुनीता तुम नाश्ता नहीं करोगी ।

सुनीता ने कहा मैं आज राजेश को नहलाऊंगी उसके बाद ही नाश्ता करुंगी।

शेखर ने कहा राजेश ने नाश्ता किया कि नहीं ।

सुनीता बोली राजेश भी नहा कर नाश्ता करेगा।

शेखर ने कहां ठीक है।

स्वीटी और शेखर नाश्ता करने के बाद ,शेखर अपने ड्यूटी पर चला गया।

स्वीटी भी कुछ समय के बाद अपने कालेज चली गई ।

सुनीता आौर राजेश घर में अकेले रह गए थे ।

सुनीता को राजेश को नहलाना था इसके लिए तैयार होने के लिए वह अपने बेडरूम में चली गई।


वह अपनी अलमारी से एक ब्लाउज निकाली ।यह ब्लॉउज, उसने कभी पहनी नहीं थी। यह ब्लाउज स्वीटी के जिद करने पर माल से खरीदी थी ।

लेकिन जब घर में उसे पहन कर देखी उसे बहुत ही शर्म आने लगी क्योंकि ब्लाउज से उसकी चूचिया पूरी बाहर दिखाई पड़ रही थी। केवल उसके निप्पल ही ढक पा रहे थे ।

उसके पीछे वाला हिस्सा भी पूरा खुला हुआ था। जब उसने यह ब्लाउज पहनकर आईने में देखा तो बहुत ही शर्म महसूस की।

वह ब्लाउज निकालकर अलमारी में ही रख दी और फिर उसे कभी नहीं पहनी।

आज वह उस ब्लाउज काउपयोग करना चाहती थी । उस ब्लाउज को अलमारी से प हनने के लिए निकाल ली।

पुराने ब्लाउज जो पहनी थी उसे निकालकर उस ब्लाउज को पहन ली।

अपने पेटीकोट को भीअपने नाभि के काफी नीचे बांध ली और आईने के सामने जाकर खुद को निहारने लगी।

वह इस समय काम की देवी लग रही थी। वह खुद को आईने मे देखकर अपने बदन पर उन्हें गर्व महसूस होने लगी कि आज भी कितनी हॉट है।

वह पेटीकोट को भी अपने नाभि के काफी नीचे बांध ली थी जिसकी वजह से बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी लग रहेी थेी।

उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां बाहर आने के लिए उतावले लग रहे थे।

वह यह सब जतन सोए हुए कामदेव को जगाने के लिए कर रही थी ।वह सोए हुए कामदेव पर काम बाण चलाकर उसे जगाना चाहती थी।

वह अपने को इस रूप में देख कर शर्म भी महसूसरही थी ।लेकिन उसे आज अंतिम प्रयास करना था ताकि वह पता कर लगा सके कि राजेश नॉर्मल है कि नहीं और इसलिए वह अपने को काम देवी के रूप में सोए हुए कामदेव को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी ।

वह ऊपर से एक साड़ी लपेट कर वह राजेश के कमरे की ओर चल पड़ी।

राजेश के कैमरे पर जाने के बाद वह देखती है राजेश मोबाइल चला रहा था ।

सुनीता कहती है चलो बेटा तुम नहाने के लिए तैयार हो जाओ ।आज तुम्हें नहाना है।

राजेश कहता हैं ठीक है मा ।मै काफी दिनों से नहाया नहीं हू ।मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा है ।

अनीता ने राजेश से कहा चलो तुम खड़े हो जाओ मैं तुम्हारे कपड़ा निकाल देती हूं ।

राजेश बेड से उतर कर खड़ा हो गया।

सुनीता राजेश की टी-शर्ट ,लोअर को निकाल दी ।राजेश कुछ असहज महसूस करने लगा।

सुनीता ने राजेश के अंडरवियर को भी दोनों हाथों से पकड़ कर खींच कर उसके पैरों से अलग कर दी ।अंडर वियर निकलते ही राजेश का लंड बाहर आ गया ।इस समय लटका हुआ था।

राजेश शर्माने लगा। वह अपनी लंड को अपने हाथ से छुपाने लगा।

सुनीता उसकी हरकत को देख कर मुस्कुराने लगी और वह राजेश से कहती है बेटा इसमें शर्माना क्या मैंने तो तुम्हें कई बार नंगा नहलाया है।

राजेश ने कहा मा ,मै उस समय छोटा था अब बड़ा हो गया हूं ।

सुनीता ने कहा अब शर्म आना बंद करो चलो बाथरूम में नहला देती हूं।

राजेश बाथरूम की ओर जाने लगा ।पीछे पीछे सुनीता की बाथरूम में जाने लगी।

बाथरूम में जाने के बाद सुनीता ने राजेश से कहा ।बेटा तुम नीचे बैठ जाओ ।

राजेश बाथरूम में नीचे बैठ गया सुनीता ने बाल्टी में पानी भर ली और जग के द्वारा पानी डालकर राजेश को नहलाने लगी ।पानी उसकी साड़ी में पड़ने पर वह राजेश ने बोली बेटा मेरा साडी गीला हो रही है। मुझे साड़ी निकाल देना होगा ।

वह बाथरूम से बाहर आ गई वह अपने साड़ी निकाल दी साड़ी की निकलती ही वह अपने काम देवी रूप में आ गई थी और मैं बाथरूम में चली गई ।

जब वह बाथरुम में गई तब राजेश की नजर अपनी मां पर पड़ी ।आज से पहले उसने अपनी मां को ऐसे रूप में कभी नहीं देखा था। वह असहज महसूस करने लगा और अपने सिर को नीचे कर लिया।

सुनिता ने राजेश के ऊपर जग से पानी डालकर उसे नहलाने लगी पानी डाल लेने के बाद वह साबुन से उसके सर वह उसके बालों पर साबुन लगाने के लिए झुकी और उसके बालों पर साबुन लगाने लगी।

सुनीता की नजर राजेश के लंड पर बार-बार जा रही थी वह देख रही थी कि उसके लंड पर कोई हरकत हो रहीहै या नहीं और वह निराश हो जाती थी ।

राजेश ने अपनी आंख बंद कर लिया था कुछ समय के बाद राजेश ने अपने आप खोला ।राजेश ने अपना आख खोला तो इस समय सुनीता नीचे झुक कर उसके बालों पर साबुन लगा रही थी उसकी चुचिया उसकी आंखों के सामने आ गया था।

राजेश ने जैसी आंख खोला तो उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी आंखों के सामने झूल रहे थे। राजेश ना चाहते हुए भी वह अपनी मां कीचुचियो को देखने लगा ।

उनकी चुचियों को देखने से उसकी शरीर में अजीब सी अनुभूति होने लगा। इधर सुनीता और झुक गई ताकि उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां राजेश की आंखों के सामने रहे ।

उसने राजेश को अपनी चुचियों को घूरते हुए देखा और मुस्कुराने लगी ।

इधर राजेश आप अपनी मां की चुचियों को एकटक देखने लगा ।उनकी इस शरीर में अब सरसराहट महसूस होने लगा आखिर राजेश भी एक इंसान था और वह एक जवान था अब तक वह अपने आप को संयमित करके रखा था वह अपने आप पर नियंत्रण रख सका था पर अब उसका उसका हिम्मत जवाब देने लगा ।

जब सुनीता खड़ी होती थी तो उसकी नाभि उसकी राजेश की आंखों के सामने आ जाता था उनकी खूबसूरत बदन को देख कर राजेश अपने पर नियंत्रण रख पाना उसके लिए मुश्किल महसूस हो पा रहा था ।
अब उसका शरीर गर्म होने लगा था और उसके लिंग में तनाव आने शुरु हो गया था। अपनी मां के काम रूप को देखकर उसका लिंग में तनाव आना शुरू हो गया ।

उसका लिंक आधा खड़ा हो गया ।

सुनीता देवी की नजर जब राजेश के लंड पर गया तो उसकी आंखों में चमक आ गया।

उसके लंड पर हरकत होते हुए देखा देखा तो वह मुस्कुराने लगी ।उसे खुशी का अनुभव होने लगी।

सिर के बालों पर साबुन लगा ली तब उसने राजेश को खड़ा करा दिया और उसकी उसके शरीर पर साबुन लगाने लगी ।

शरीर पर साबुन लगाते लगाते हुए उसके हाथ उसके लंड* की ओर जाने लगी।
राजेश के शरीर में उत्तेजना बढ़ने लगा ।सांसे भारी होने लगी।

उसका लंड* आधा खड़ा हो गया था राजेश अपने पर नियंत्रण नहीं रख पाया। वह अपनी मां की काम रुक को देखकर उसकी सांसे तेज होने लगी उसके हृदय की धड़कन भी अब बढ़ने लग गया था ।

उसकी मां अभिषेक औरत नजर आने लगे एक गदराए बदन की मल्लिका ।

जिसे देखकर वह चाहकर भी अपने पर काबू नहीं रख सका ।

उसके लंड पर असर साफ दिखाई पड़ रहा था ।

इधर सुनीता देवी बहुत ही खुश हो रही थी मन ही मन मुस्कुरा रही थी ।सुनीता देवी ने अपनी अंतिम काम-बाण का भी प्रयोग में लाने के लिए उचित समय समझा और उसने अपने हाथों पर साबुन लगाया और राजेश के लंड को पकड़ कर उसे मुठ मारने लगी।
सुनीता की हरकत से राजेश के शरीर में करंट दौड़ पड़
राजेश के लंड जो आधाखडा हुआ था। सुनीता देवी की साबुन से चिकनाई युक्त हाथ पढ़ने से वह अद्भुत आनंद उसे प्राप्त होने लगा ।उसका असर यह हुआ उसकी क सांसे तेज होने लगी और वह उसका लंड अकड़ने लगा और लोहे की राड की तरह हो गया।

अब वह सुनीता के हाथों पर ठूनकी भी मारने लगा सुनीता देवी बहुत हीखुश हो गई और वो मुस्कुराने लगी ।उसे पता चल चुका था कि राजेश नॉर्मल है।

इधर राजेश को अपने आप पर शर्म महसूस होने लगा इस समय उसका लंड* खड़ा हुआ था और सुनीता देवी अपने हाथों पर साबुन लगाकर उस मुट्ठ मार रही थी ।

शर्म के साथ-साथ राजेश को बहुत ही आनंद का अनुभव हो रहा था। वह अपने शर्म को भूल गया और मूठ मारने का आनंद लेने लगा ।

मां के द्वारा मुठ मारने का आनंद लेने लगा। इस समय राजेश की नजर उसकी मां की चूचियों पर थी। वह अपनी मां की चुचियों पर कहीं खो गया था।

इस समय उसकी मां एक गदराए माल लग रही थी ।वह अपनी मां की चूचिये को घूरे जा रहा था ।

राजेश इस समय अपनी मां के कामरूप पर पूर्ण रुप से मोहित हो गया।

इधर सुनीता देवी बहुत ही खुश थी और वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी साबुन लगाने के बाद सुनीता देवी ने पानी से राजेश को नहलाया।

अब भी राजेश का लखड़ा होकर ठूनकी मार रहा था राजेश को नहलाने के बाद सुनीता देवी ने राजेश से कहा चलो बेटा अब तुम नहा लिए।

राजेश का लंड खड़ा हुआ था वह बाथरूम से बाहर आया उसका लंड ठूनकी मार रहा था ।

सुनीता की नजर उसके लंड पर ही थी वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

राजेश़़़बाथरूम से बाहर आया सुनीता देवी भी उसके पीछे-पीछे बाहर आई और टावेल से राजेश के शरीर को पोछने लगी।

शरीर को पोछते समय सूनिता की नजर राजेश के लंड पर थी ।अपने लंड को देखते हुए राजेश ने जब देखा तो वह शर्म महसूस करने लगा।

सुनीता देवी ने देखा कि राजेश असहज महसूस कर रहा है तब उसने राजेश से कहा ।बेटा यहां सब नॉर्मल है ।

राजेश ने कहा सॉरी मां मुझे पता नहीं है सब कैसे हो गया ।

सुनीता ने कहा बेटा अब तू जवान हो गए हो जवानी में यह सब होता है। यह सब नॉर्मल है इसमें शर्माने की जरूरत नहीं है।

इधर सुनीता देवी इस समय पेटीकोट और ब्लाउज में ही थी राजेश की नजर बार-बार उसकी चुचियों पर ही जा रही थी। जिससे उसका लंड ठूनकी मारने लगता था।

इधर सुनीता देवी मुस्कुराए जा रही थी उसे अपने शरीर पर भी गर्व महसूस हो रहा था जो सोए हुए कामदेव को जगा चुकी थी ।

सुनीता ने कहा बेटा कुछ समय के बाद यह नॉर्मल हो जाएगा और वह राजेश को कपड़ा पहना कर अपने साड़ी उठाकर राजेश के कमरे से जाने लगी जाते समय वाह राजेश से बोली बेटा तुम नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर आ जाना ।मैं वही तुम्हें नाश्ता करा दूंगी।

सुनीता देवी राजेश के रूम से निकलकर वहां किचन में आ गई अपनी साड़ी को लपेट ली ।

खुश हो रही थी कि उसका बेटा राजेश नॉर्मल है वह सोचने भी लगी की उसके बेटे का लैंड कितना बड़ा है ।कितना मोटा है। वह जिसके चूत में जाएगा उसकी चूतफाड़ कर रख देगा ।
सुनीता की मां के जाने के कुछ समय के बाद राजेश का लंड * कुछ डीला पड़ा ।वह राहत के सास लेने लगा। वह अपने आप पर शर्मिंदा था ।किमां के सामने उसका लंड खड़ा हो गया । लंड ढीला पढ़ने के बाद राजेश को पेशाब आने लगी।

इधर सुनीता ने नाश्ता लगाकर राजेश को आवाज दी बेटा आ जाओ नाश्ता लग चुका है। राजेश इस समय असहज महसूस कर रहा था कि वह मां के सामने कैसे जाए फिर भी वहां संकोच करते हुए अपने रूम से बाहर निकला और हाल पर लगे हुए डाइनिंग टेबल की ओर चला गया ।
हुआ नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ गया परंतु से पेशाब आ रही थी तो उसने अपना हाथ अपने ल** पर रखकर दबाने लगा जिससे सुनीता ने देख लिया सुनीता ने राजा से कहा बेटा कुछ प्रॉब्लम है क्या तब राजेश ने अपने मां से संकोच करते हुए कहा मां को पेशाब आ रही है सुनीता ने राजा से कहा चलो पहले तुम्हें पेशाब करा देती हूं तब नाश्ता करना और हाल पर ही एक बाथरूम के होने पर बना हुआ था वहां उसे राजेश को पेशाब कराने के लिए ले गई पेशाब कराने के लिए जैसे ही सुनीता नीचे बैठ गए और राजेश के ल** को पकड़ ली राजेश की नजर सुनीता की छुट्टियों पर पर चली गई जिसके कारण राजेश का ल** खड़ा हो गया ल** खड़ा हो जाने पर पेशाब ल** से बाहर नहीं आ सका सुनीता समझ गई कि माजरा क्या है कुछ देर तक राजेश वैसा ही खड़ा रहा तब सुनीता जी राजेश जी का बेटा ऐसे में पेशाब नहीं आई जब यह डीला पड़ेगा तभी पेशाब कर आओगे तब राजेश ने कहा ना मुझे पता नहीं है कैसे खड़ा हो जाता है मुझे माफ कर दो ना तब सुनीता ने कहा बेटा यह सब नॉर्मल है चलो जब याद दिला हो जाएगा तब भी साफ करा दूंगी तब तक तुम नाश्ता कर लो राजेश ने कहा ठीक है मां और वह बाथरूम से निकलकर डाइनिंग टेबल की ओर चले गए और नाश्ता करने लगी नाश्ता करते हुए वाह
 

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सुनीता प्रतिदिन की तरह सुबह उठती है । उठ कर नहा कर, पूजा करने के बाद वह किचन में काम करने के लिए चली जाती है।

किचन में काम करते हैंसमय वह सोच रही थी आज से राजेश को नहलाना है ।

उसने आज सोच लिया था कि आज वह अंतिम प्रयास करेगी ताकि पता लगा सके कि राजेश है नार्मल है की नहीं ।

अतः वह जो कुछ भी कर सकती है आज करेगी वह मंद मंद मुस्कुराने लगी कि वह क्या क्या करने वाली है ।

कभी वह मन में मुस्कुरा रही थी और खुद से ही शर्म आ रही थी ।तो कभी-कभी उसके चेहरे पर गंभीरता के भाव आ रहे थे ।

वह राजेश को लेकर चिंतित भी हो रही थी।
इधर स्वीटी और शेखर नहा धोकर प्रतिदिन की तरह डायनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आ चुके थे।

सुनीता ने अपने पति और अपने बेटी के लिए नाश्ता लगाया ।

शेखर ने कहा सुनीता तुम नाश्ता नहीं करोगी ।

सुनीता ने कहा मैं आज राजेश को नहलाऊंगी उसके बाद ही नाश्ता करुंगी।

शेखर ने कहा राजेश ने नाश्ता किया कि नहीं ।

सुनीता बोली राजेश भी नहा कर नाश्ता करेगा।

शेखर ने कहां ठीक है।

स्वीटी और शेखर नाश्ता करने के बाद ,शेखर अपने ड्यूटी पर चला गया।

स्वीटी भी कुछ समय के बाद अपने कालेज चली गई ।

सुनीता आौर राजेश घर में अकेले रह गए थे ।

सुनीता को राजेश को नहलाना था इसके लिए तैयार होने के लिए वह अपने बेडरूम में चली गई।


वह अपनी अलमारी से एक ब्लाउज निकाली ।यह ब्लॉउज, उसने कभी पहनी नहीं थी। यह ब्लाउज स्वीटी के जिद करने पर माल से खरीदी थी ।

लेकिन जब घर में उसे पहन कर देखी उसे बहुत ही शर्म आने लगी क्योंकि ब्लाउज से उसकी चूचिया पूरी बाहर दिखाई पड़ रही थी। केवल उसके निप्पल ही ढक पा रहे थे ।

उसके पीछे वाला हिस्सा भी पूरा खुला हुआ था। जब उसने यह ब्लाउज पहनकर आईने में देखा तो बहुत ही शर्म महसूस की।

वह ब्लाउज निकालकर अलमारी में ही रख दी और फिर उसे कभी नहीं पहनी।

आज वह उस ब्लाउज काउपयोग करना चाहती थी । उस ब्लाउज को अलमारी से प हनने के लिए निकाल ली।

पुराने ब्लाउज जो पहनी थी उसे निकालकर उस ब्लाउज को पहन ली।

अपने पेटीकोट को भीअपने नाभि के काफी नीचे बांध ली और आईने के सामने जाकर खुद को निहारने लगी।

वह इस समय काम की देवी लग रही थी। वह खुद को आईने मे देखकर अपने बदन पर उन्हें गर्व महसूस होने लगी कि आज भी कितनी हॉट है।

वह पेटीकोट को भी अपने नाभि के काफी नीचे बांध ली थी जिसकी वजह से बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी लग रहेी थेी।

उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां बाहर आने के लिए उतावले लग रहे थे।

वह यह सब जतन सोए हुए कामदेव को जगाने के लिए कर रही थी ।वह सोए हुए कामदेव पर काम बाण चलाकर उसे जगाना चाहती थी।

वह अपने को इस रूप में देख कर शर्म भी महसूसरही थी ।लेकिन उसे आज अंतिम प्रयास करना था ताकि वह पता कर लगा सके कि राजेश नॉर्मल है कि नहीं और इसलिए वह अपने को काम देवी के रूप में सोए हुए कामदेव को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी ।

वह ऊपर से एक साड़ी लपेट कर वह राजेश के कमरे की ओर चल पड़ी।

राजेश के कैमरे पर जाने के बाद वह देखती है राजेश मोबाइल चला रहा था ।

सुनीता कहती है चलो बेटा तुम नहाने के लिए तैयार हो जाओ ।आज तुम्हें नहाना है।

राजेश कहता हैं ठीक है मा ।मै काफी दिनों से नहाया नहीं हू ।मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा है ।

अनीता ने राजेश से कहा चलो तुम खड़े हो जाओ मैं तुम्हारे कपड़ा निकाल देती हूं ।

राजेश बेड से उतर कर खड़ा हो गया।

सुनीता राजेश की टी-शर्ट ,लोअर को निकाल दी ।राजेश कुछ असहज महसूस करने लगा।

सुनीता ने राजेश के अंडरवियर को भी दोनों हाथों से पकड़ कर खींच कर उसके पैरों से अलग कर दी ।अंडर वियर निकलते ही राजेश का लंड बाहर आ गया ।इस समय लटका हुआ था।

राजेश शर्माने लगा। वह अपनी लंड को अपने हाथ से छुपाने लगा।

सुनीता उसकी हरकत को देख कर मुस्कुराने लगी और वह राजेश से कहती है बेटा इसमें शर्माना क्या मैंने तो तुम्हें कई बार नंगा नहलाया है।

राजेश ने कहा मा ,मै उस समय छोटा था अब बड़ा हो गया हूं ।

सुनीता ने कहा अब शर्म आना बंद करो चलो बाथरूम में नहला देती हूं।

राजेश बाथरूम की ओर जाने लगा ।पीछे पीछे सुनीता की बाथरूम में जाने लगी।

बाथरूम में जाने के बाद सुनीता ने राजेश से कहा ।बेटा तुम नीचे बैठ जाओ ।

राजेश बाथरूम में नीचे बैठ गया सुनीता ने बाल्टी में पानी भर ली और जग के द्वारा पानी डालकर राजेश को नहलाने लगी ।पानी उसकी साड़ी में पड़ने पर वह राजेश ने बोली बेटा मेरा साडी गीला हो रही है। मुझे साड़ी निकाल देना होगा ।

वह बाथरूम से बाहर आ गई वह अपने साड़ी निकाल दी साड़ी की निकलती ही वह अपने काम देवी रूप में आ गई थी और मैं बाथरूम में चली गई ।

जब वह बाथरुम में गई तब राजेश की नजर अपनी मां पर पड़ी ।आज से पहले उसने अपनी मां को ऐसे रूप में कभी नहीं देखा था। वह असहज महसूस करने लगा और अपने सिर को नीचे कर लिया।

सुनिता ने राजेश के ऊपर जग से पानी डालकर उसे नहलाने लगी पानी डाल लेने के बाद वह साबुन से उसके सर वह उसके बालों पर साबुन लगाने के लिए झुकी और उसके बालों पर साबुन लगाने लगी।

सुनीता की नजर राजेश के लंड पर बार-बार जा रही थी वह देख रही थी कि उसके लंड पर कोई हरकत हो रहीहै या नहीं और वह निराश हो जाती थी ।

राजेश ने अपनी आंख बंद कर लिया था कुछ समय के बाद राजेश ने अपने आप खोला ।राजेश ने अपना आख खोला तो इस समय सुनीता नीचे झुक कर उसके बालों पर साबुन लगा रही थी उसकी चुचिया उसकी आंखों के सामने आ गया था।

राजेश ने जैसी आंख खोला तो उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी आंखों के सामने झूल रहे थे। राजेश ना चाहते हुए भी वह अपनी मां कीचुचियो को देखने लगा ।

उनकी चुचियों को देखने से उसकी शरीर में अजीब सी अनुभूति होने लगा। इधर सुनीता और झुक गई ताकि उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां राजेश की आंखों के सामने रहे ।

उसने राजेश को अपनी चुचियों को घूरते हुए देखा और मुस्कुराने लगी ।

इधर राजेश आप अपनी मां की चुचियों को एकटक देखने लगा ।उनकी इस शरीर में अब सरसराहट महसूस होने लगा आखिर राजेश भी एक इंसान था और वह एक जवान था अब तक वह अपने आप को संयमित करके रखा था वह अपने आप पर नियंत्रण रख सका था पर अब उसका उसका हिम्मत जवाब देने लगा ।

जब सुनीता खड़ी होती थी तो उसकी नाभि उसकी राजेश की आंखों के सामने आ जाता था उनकी खूबसूरत बदन को देख कर राजेश अपने पर नियंत्रण रख पाना उसके लिए मुश्किल महसूस हो पा रहा था ।
अब उसका शरीर गर्म होने लगा था और उसके लिंग में तनाव आने शुरु हो गया था। अपनी मां के काम रूप को देखकर उसका लिंग में तनाव आना शुरू हो गया ।

उसका लिंक आधा खड़ा हो गया ।

सुनीता देवी की नजर जब राजेश के लंड पर गया तो उसकी आंखों में चमक आ गया।

उसके लंड पर हरकत होते हुए देखा देखा तो वह मुस्कुराने लगी ।उसे खुशी का अनुभव होने लगी।

सिर के बालों पर साबुन लगा ली तब उसने राजेश को खड़ा करा दिया और उसकी उसके शरीर पर साबुन लगाने लगी ।

शरीर पर साबुन लगाते लगाते हुए उसके हाथ उसके लंड* की ओर जाने लगी।
राजेश के शरीर में उत्तेजना बढ़ने लगा ।सांसे भारी होने लगी।

उसका लंड* आधा खड़ा हो गया था राजेश अपने पर नियंत्रण नहीं रख पाया। वह अपनी मां की काम रुक को देखकर उसकी सांसे तेज होने लगी उसके हृदय की धड़कन भी अब बढ़ने लग गया था ।

उसकी मां अभिषेक औरत नजर आने लगे एक गदराए बदन की मल्लिका ।

जिसे देखकर वह चाहकर भी अपने पर काबू नहीं रख सका ।

उसके लंड पर असर साफ दिखाई पड़ रहा था ।

इधर सुनीता देवी बहुत ही खुश हो रही थी मन ही मन मुस्कुरा रही थी ।सुनीता देवी ने अपनी अंतिम काम-बाण का भी प्रयोग में लाने के लिए उचित समय समझा और उसने अपने हाथों पर साबुन लगाया और राजेश के लंड को पकड़ कर उसे मुठ मारने लगी।
सुनीता की हरकत से राजेश के शरीर में करंट दौड़ पड़
राजेश के लंड जो आधाखडा हुआ था। सुनीता देवी की साबुन से चिकनाई युक्त हाथ पढ़ने से वह अद्भुत आनंद उसे प्राप्त होने लगा ।उसका असर यह हुआ उसकी क सांसे तेज होने लगी और वह उसका लंड अकड़ने लगा और लोहे की राड की तरह हो गया।

अब वह सुनीता के हाथों पर ठूनकी भी मारने लगा सुनीता देवी बहुत हीखुश हो गई और वो मुस्कुराने लगी ।उसे पता चल चुका था कि राजेश नॉर्मल है।

इधर राजेश को अपने आप पर शर्म महसूस होने लगा इस समय उसका लंड* खड़ा हुआ था और सुनीता देवी अपने हाथों पर साबुन लगाकर उस मुट्ठ मार रही थी ।

शर्म के साथ-साथ राजेश को बहुत ही आनंद का अनुभव हो रहा था। वह अपने शर्म को भूल गया और मूठ मारने का आनंद लेने लगा ।

मां के द्वारा मुठ मारने का आनंद लेने लगा। इस समय राजेश की नजर उसकी मां की चूचियों पर थी। वह अपनी मां की चुचियों पर कहीं खो गया था।

इस समय उसकी मां एक गदराए माल लग रही थी ।वह अपनी मां की चूचिये को घूरे जा रहा था ।

राजेश इस समय अपनी मां के कामरूप पर पूर्ण रुप से मोहित हो गया।

इधर सुनीता देवी बहुत ही खुश थी और वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी साबुन लगाने के बाद सुनीता देवी ने पानी से राजेश को नहलाया।

अब भी राजेश का लखड़ा होकर ठूनकी मार रहा था राजेश को नहलाने के बाद सुनीता देवी ने राजेश से कहा चलो बेटा अब तुम नहा लिए।

राजेश का लंड खड़ा हुआ था वह बाथरूम से बाहर आया उसका लंड ठूनकी मार रहा था ।

सुनीता की नजर उसके लंड पर ही थी वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी।

राजेश़़़बाथरूम से बाहर आया सुनीता देवी भी उसके पीछे-पीछे बाहर आई और टावेल से राजेश के शरीर को पोछने लगी।

शरीर को पोछते समय सूनिता की नजर राजेश के लंड पर थी ।अपने लंड को देखते हुए राजेश ने जब देखा तो वह शर्म महसूस करने लगा।

सुनीता देवी ने देखा कि राजेश असहज महसूस कर रहा है तब उसने राजेश से कहा ।बेटा यहां सब नॉर्मल है ।

राजेश ने कहा सॉरी मां मुझे पता नहीं है सब कैसे हो गया ।

सुनीता ने कहा बेटा अब तू जवान हो गए हो जवानी में यह सब होता है। यह सब नॉर्मल है इसमें शर्माने की जरूरत नहीं है।

इधर सुनीता देवी इस समय पेटीकोट और ब्लाउज में ही थी राजेश की नजर बार-बार उसकी चुचियों पर ही जा रही थी। जिससे उसका लंड ठूनकी मारने लगता था।

इधर सुनीता देवी मुस्कुराए जा रही थी उसे अपने शरीर पर भी गर्व महसूस हो रहा था जो सोए हुए कामदेव को जगा चुकी थी ।

सुनीता ने कहा बेटा कुछ समय के बाद यह नॉर्मल हो जाएगा और वह राजेश को कपड़ा पहना कर अपने साड़ी उठाकर राजेश के कमरे से जाने लगी जाते समय वाह राजेश से बोली बेटा तुम नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर आ जाना ।मैं वही तुम्हें नाश्ता करा दूंगी।

सुनीता देवी राजेश के रूम से निकलकर वहां किचन में आ गई अपनी साड़ी को लपेट ली ।

खुश हो रही थी कि उसका बेटा राजेश नॉर्मल है वह सोचने भी लगी की उसके बेटे का लैंड कितना बड़ा है ।कितना मोटा है। वह जिसके चूत में जाएगा उसकी चूतफाड़ कर रख देगा ।
सुनीता की मां के जाने के कुछ समय के बाद राजेश का लंड * कुछ डीला पड़ा ।वह राहत के सास लेने लगा। वह अपने आप पर शर्मिंदा था ।किमां के सामने उसका लंड खड़ा हो गया । लंड ढीला पढ़ने के बाद राजेश को पेशाब आने लगी।

इधर सुनीता ने नाश्ता लगाकर राजेश को आवाज दी बेटा आ जाओ नाश्ता लग चुका है। राजेश इस समय असहज महसूस कर रहा था कि वह मां के सामने कैसे जाए फिर भी वहां संकोच करते हुए अपने रूम से बाहर निकला और हाल पर लगे हुए डाइनिंग टेबल की ओर चला गया ।
हुआ नाश्ता करने के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ गया परंतु से पेशाब आ रही थी तो उसने अपना हाथ अपने लंड पर रखकर दबाने लगा ।जिससे सुनीता ने देख लिया ।

सुनीता ने राजेश से कहा बेटा कुछ प्रॉब्लम है क्या तब राजेश ने अपने मां से संकोच करते हुए कहा मां पेशाब आ रही है ।

सुनीता ने राजेश से कहा चलो पहले तुम्हें पेशाब करा देती हूं तब नाश्ता करना और हाल पर ही एक बाथरूम के कोने पर बना हुआ था वहां उसे राजेश को पेशाब कराने के लिए ले गई ।

पेशाब कराने के लिए जैसे ही सुनीता नीचे बैठ गए और राजेश के लंड को पकड़ ली राजेश की नजर सुनीता की चूचियों पर पर चली गई जिसके कारण राजेश का लंड खड़ा हो गया।

लंड खड़ा हो जाने पर पेशाब लंड से बाहर नहीं आ सका। सुनीता समझ गई कि माजरा क्या है।

कुछ देर तक राजेश वैसा ही खड़ा रहा तब। सुनीता ने राजेश से कहा का बेटा ऐसे में पेशाब नहीं आएगा । जब यह डीला पड़ेगा तभी पेशाब बाहर आएगा ।

तब राजेश ने कहा मा मुझे पता नहीं है कैसे खड़ा हो जाता है। मुझे माफ कर दो ।

तब सुनीता ने कहा बेटा यह सब नॉर्मल है चलो जब यह दढीला हो जाएगा, तब पेशाब करा दूंगी ।तब तक तुम नाश्ता कर लो ।

राजेश ने कहा ठीक है मां और वह बाथरूम से निकलकर डाइनिंग टेबल की ओर चले गए और सुनीता राजेश को नाश्ता कराने लगी और नाश्ता करा कर स्वयं भी नाश्ता कर ली ।

नाश्ता करने के बाद राजेश हाल में ही बैठा था उसका लंड अब ढीला पड़ गया था। अब पेशाब आने लगा था।

सुनीता राजेश के पास आई और राजेश से बोली बेटा अब नॉर्मल हो गया हो तो फिर पेशाब करा दू।

राजेश ने कहा हां मा पेशाब करा दो और वे दोनों बाथरूम की ओर चले गए लेकिन जैसे ही सुनीता ने राजेश के लंड को पेशाब कराने के लिए पकड़ा तो राजेश का लंड* सरसराता हुआ वह फिर से खड़ा हो गया ।वह बहुत ही शर्मिंदा हो गया।

सुनीता देवी भी कुछ कह नहीं पा रही थी तब राजेश ने अपनी मां से कहा पता नहीं यह सब कैसे हो जाता है सॉरी मां तुम्हारे हाथ लगते ही या खड़ा हो जाता है ।

सुनीता देवी समझ गई अब यह मेरे हाथ लगने से उत्तेजित हो जाता है ।उसने राजेश से कहा बेटा तुम घबराओ नहीं यह सब नॉर्मल है ऐसा जवान लड़कों के साथ होता है।

तब राजेश ने कहा ऐसे में तो मैं पेशाब भी नहीं कर पाऊंगा । अब क्या करूं कोई उपाय है तो बताओ।

सुनीता ने कुछ सोचते हुए कहा बेटा इसका एक उपाय है ।तुम्हारे लिंग को हिलाना पड़ेगा उससे कुछ पानी निकलेगा तो तुम्हारा लिंग नॉर्मल हो जाएगा। चलो मैं तुम्हारे लिंग को हिला देती हूं तुम नॉर्मल हो जाओगे। फिर तुम पेशाब कर पाओगे।

सुनीता देवी ने राजेश के लिंग को पकड़ कर मुठ मारने लगी । वह राजेश लंड के सामने आ कर बैठ गई और एक हाथ से उसके अंडकोष को सहलाने लगी और दूसरे हाथ से उसके लंड* को मुठ मारने लगी ।

राजेश की नजर उसकी मां की चूचियो पर चला गया वह उसे देखकर और उत्तेजित होने लगा। उसकी मां के द्वारा मुठ मारने से उसे बहुत ही आनंद आने लगा उसकी सांस तेज तेज चलने लगी।

सुनीता मुठ मारने में खो गई उसकी साड़ी की पल्लू नीचे गिर गया था। जिसेसे चूचियां बाहर आने को उतावले हो रहे थे। जिस पर राजेश की नजर गड़ी हुई थी ।

राजेश के सास तेज होने लगी उसके दिल की धड़कन बढ़ गई इधर सुनीता राजेश के लंड को पकड़कर तेज तेज मुठ मारने लगी। तब राजेश ने अपनी मां से कहा मां और तेज करो, और तेज मारो ,बहुत आनंद आ रहा है ,बहुत मजा आ रहा है मां, और तेज करो मैं और तेज करो ना।

सुनीता राजेश की बात को सुनकर और जोर-जोर से मुठ मारने लगी ।

अब राजेश का ल** अकड़ने लगा ।उसकी सास तेज तेज चलने लगी थी और उसका धैर्य जवाब दे गया और वह वीर्य की लंबी लंबी पिचकारी मारने लगा।

इस समय उसके मुंह से आह आह आह मम्मी की आवाज निकल रहा था।

वीर्य की पिचकारी सूनिता के चेहरे पर पड़ा और उसके चेहरे से होता है वह उसके चुचियों पर वीर्य टपकने लगा ।

ढेर सारा वीर्य उसके उसके लंडसे निकलने लगा पता नहीं कितने दिनों से यह वीर्य इकट्ठा था ।मूठ मारने का पहला अनुभव था राजेश के लिए वह किसी दूसरी दुनिया में खो गया था झड़ते समय ।

जब उसके लंड से वीर्य निकालना बंद हुआ तब राजेश ने आंखें खोली। सुनीता की नजरें राजेश की नजर से मिली ।

जब राजेश ने देखा कि उसकी मां उसके वीर्य से नहा डाली
राजेश ने अपनी मां से कहा सॉरी मां गलती हो गई

सुनीता ने राजेश से कहा बेटा यह तूने क्या किया मुझे पूरा गंदा कर दिया और वह बनावटी गुस्सा करने लगी और मुस्कुराने लगी ।
 
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