सुजाता ने सीमा को फोन लगाया,,
सीमा ने काल रिसीव की
सुजाता _हेलो सीमा बेटा,
सीमा _नमस्ते आंटी, आंटी कुछ काम था क्या है?
सुजाता _सीमा बेटा, राजेश बता रहा था कि एक्जाम खत्म होने पर, आज दोस्तो के साथ मूवी देखने का प्लान बनाया है।
मैं सोच रही हूं कि तुम और निशा भी राजेश के साथ मूवी देखने चले जाओ। तुम लोगो का भी माइंड फ्रेश हो जायेगा।
सीमा _आंटी ये तो बडी खुशी की बात है, कितने दिन हो गए हमे किसी टाकीज पे मूवी देखे।
मै निशा से कहती हूं, मुझे यकीन हैं वो न नही कहेगी।
सुजाता _ठीक है बेटा।
सीमा और निशा घर में ही थी।
निशा _, क्या huwa किसका काल था।
सीमा _आंटी का।
निशा _मॉम का
सीमा _हा हा तुम्हारी मॉम का।
निशा _क्या कह रही थी मॉम?
सीमा _आंटी कह रही थी कि राजेश और उसके दोस्तो नई आज मूवी देखने का प्लान बनाया है, तुम दोनो भी राजेश के साथ चली जाओ। तुम दोनो का माइंड फ्रेश हो जायेगा।
निशा _नही, मेरा मन नही है।
सीमा _क्यू? कितने दिनों बाद आंटी इजाजत दे रही है मूवी देखने जानें की, ओर तुम नहीं बोल रही हो।
निशा _पता नही, मेरा मन क्यू राजेश के साथ कही जानें का मन नहीं करता।
सीमा _मै जानती हूं तुम तुम ऐसा क्यू चाहती हो।
क्यू की तुम्हें डर है की राजेश के साथ रह कर तुम कमजोर न पढ़ जाओ।
पिछली बार पार्टी में लफड़ा कर बैठी थी।
रिया को थप्पड़ जड़ कर।
क्यू यही बात है न?
निशा _मुझे नही पता।
सीमा _चलो न यार कितने दिन हो गए टाकीज में हमे मूवी देखे। मेरे खातिर चलो। प्लीज,,,
सीमा के द्वारा काफी जिद करने पर,,,
निशा _ठीक है, तुम्हारे खुशी के लिए,,,
सीमा _ओह थैंक यू निशा,,,
सीमा ने सुजाता को फोन कर बता दिया कि निशा चलने को तैयार है।
सुजाता ने कहा की राजेश तुम दोनो को लेने आएगा, तुम दोनो तैयार रहना,,,
सीमा _ठीक है आंटी।
सीमा ने निशा को बताया कि राजेश हमे लेने आएगा हमे तैयार रहने बोली है।
निशा _इसमें तैयार होने की क्या बात है, हमे किसी पार्टी में थोड़ी ही जा रहे हैं। हम इसी ड्रेस में ठीक है।
वैसे भी किसी को दिखाना तो है नही।
सीमा _यार तुम भी न मन में बिल्कुल निराशा पाल कर बैठ गई हो, मै तो कहती हूं तुम आंटी को सब बता दो की तुम राजेश से प्यार करती हो।
अगर तुम नही कह सकती तो मुझे बोलो मैं आंटी से बात करु ।
निशा _खबरदार तुमने मॉम से इस बारे में कुछ बोली तो, मै मॉम के खुशी लिए एक राजेश तो क्या हजारों राजेश छोड़ने के लिए तैयार हूं।
यह बोलते हुवे उनकी आंखों से आंसू बहने लगीं।
सीमा ने जब निशा की आंखो में देखा,,
सीमा _ये क्या तुम्हारी आंखो में आंसू।
मै जानती हूं ये सब बोलना आसान है, तेरे अंदर क्या बीत रही होगी मै अच्छी तरह समझती हूं।
सीमा ने निशा को गले लगा कर वह भी रोने लगी।
कुछ देर बाद नौकर ने कमरे का दरवाजा खटखटाया ,
नौकर _बिटिया, राजेश बाबू आया हैं नीचे आप दोनो का इन्तजार कर रहा है।
सीमा _उनसे कहना हम थोड़ी देर में नीचे आ रहे है।
नौकर चला गया और नीचे जाकर राजेश को सूचना दिया,,
राजेश हाल में बैठ कर इन्तजार करने लगा,,
सीमा और निशा दोनो ने ड्रेस चेंज की और थोड़ी सी मेकप कर नीचे चली गईं।
सीमा _हेलो राजेश, कैसे हो?
राजेश _मै तो ठीक हूं, आप दोनो कैसी है?
सीमा _हम दोनो भी ठीक है।
राजेश _मैम ने कहा कि आप दोनो को भी मूवी दिखाने ले जाएं।
सीमा _चलो हम रेडी है।
राजेश ने अपना बाइक वही छोड़ दिया और निशा की कार लेकर तीनो मूवी देखने निकल पड़े,,
रास्ते में,,
राजेश _निशा जी आप चुप है कुछ बोल नहीं रही,,
वैसे आप लोगो का मूवी देखने का मन तो है न, कि मैम के कहने के कारण जा रही हो।
सीमा _राजेश मै तो काफी खुश हूं कितने दिनों बाद जा रहे है किसी टाकीज में मूवी देखने, पर निशा का शायद मूवी देखने का मन नहीं,,
राजेश _क्यू निशा जी आपको मूवी देखना पसन्द नहीं क्या?
निशा _नही ऐसी कोई बात नहीं।
राजेश _फिर,,
निशा _ऐसे ही,,
राजेश _कोई बात नही निशा जी, मूवी तो एक बहाना है असल में तो एक्जाम के कारण दोस्तो से ठीक से मेल मिलाप नही हो पा रहा था, तो मिलने एवम गपसप करने का एक बहाना है, मूवी देखना।
वैसे आपको किस हीरो की मूवी पसन्द है शाहरुख सलमान या अजय देवगन की।
निशा _आपको किसकी पसन्द हैं।
राजेश _मेरा तो कोई विशेष पसन्द है , है नही स्टोरी अच्छी हो और लोग फिल्म की तारीफ करे तो चला जाता हूं, दोस्तों के साथ मूवी देखने।
निशा _मेरी भी कोई विशेष पसन्द का नही,,
राजेश _ओह, मुझे तो लगा की शाहरुख की फिल्म आपको विषेश पसन्द होगी।अधिकांश युवतियां को शाहरुख की मूवी पसन्द होती है।
सीमा _हमारी मैम साहिबा उन लड़कियो में नही है।
राजेश _लो हम टाकीज पहुंच गए।
वहा पर भगत और उनके दोस्त पहले से मौजूद थे जो राजेश का इन्तजार कर रहे थे।
भगत _भाई कहा रह गए थे हम कब से इन्तजार कर रहे थे।
राजेश _मै निशा और सीमा को लेने उनका घर चला गया था।
सीमा _हेलो भगत कैसे है आप लोग?
भगत _नमस्ते सीमा और निशा जी हम तो आज बहुत खुश है एक्जाम का बोझ जो उतर गया। इसलिए तो आज मूवी देखने का प्लान बनाया गया है बडी खुशी हुई आप लोग भी मूवी देखने आए हैं।
तभी रिया और उसकी सहेलियां भी टाकीज पहुंची,,
रिया _हाई राजेश , हेलो भगत कैसे हैं आप सभी?
भगत _अरे रिया जी आप भी, ये तो चौकाने वाली बात है।
रिया _मुझे पता चला की आप लोग मूवी देखने जानें वाले है तो हम लोग भी आ गए।
निशा और सीमा मन ही मन में रिया को गाली देने लगीं, ये चुड़ैल यहां भी पहुंच गई।
राजेश _यार यहां तो काफी भीड़ लग रही है। टिकट तो मिलेगी न।
रिया _उसकी चिंता आप लोग न कीजिए, इस टाकीज के मालिक से मैंने बात कर ली है जितनी सीट चाहिए मिल जाएगी।
भगत _भाई वैसे कौन सी सीट चाहिए बालकनी की या लोवर की।
दोस्त लोग _भाई हम परदे के सामने बैठेंगे।
भगत _क्यू बे?
दोस्त लोग _भाई जब फिल्म में सॉन्ग आएगा न तो नाचेंगे?
भगत _ये भी ठीक है। आखिर हम इंजॉय करने ही आए है?
राजेश _सीमा जी आप लोग कहा बैठना पसन्द करेंगी?
सीमा _निशा कहा बैठेंगे?
निशा _सामने बैठेंगे तो सिर दर्द करेगा।
मै तो हाल के बीच में बैठूंगी।
राजेश _ठीक है।
भगत देखो, बीच वाली सीट मिल जाए तो।
रिया _मै टाकीज के मालिक से बात कर लेती हूं सभी के लिए हाल के बीच वली पंक्ति में सीट के लिए।
भगत _अच्छी बात है रिया जी।
रिया ने बात टाकीज के मालिक से बात की और मन वहा सीट मिल गया।
सभी हाल में प्रवेश किए।
राजेश बीच में बैठ गया, उसके बाजू में निशा फिर सीमा। एक और रिया और उसकी सहेलियां।
उनके दोस्त सामने वाली पंक्ति में बैठ गए।
दोस्त लोग खाने पीने की चीजे ले आए थे।
वे सभी मूवी का मज़ा लेने लगे।
जब कोई सॉन्ग चलता दोस्त लोग सिटी बजातेऔर नाचने लगते।
इधर निशा को रिया का राजेश के बगल में बैठना पसन्द नहीं आ रहा था। वह बार बार रिया की ओर देखती कही वह राजेश के साथ कोई हरकत तो नही कर रही।
राजेश दोस्तों से पॉप कार्न मांगा,
राजेश ने निशा की ओर पॉप कार्न बढ़ाते हुए कहा,,
निशा जी लीजिए न पॉप कार्न,,
रिया _राजेश मुझे भी खाना है पॉप कार्न, मुझे भी दो।
राजेश ने पॉप कार्न का अपने हाथ में रख लिया रिया और निशा और राजेश पॉप कार्न निकाल कर खाने लगे।
दोस्तो ने सभी को उनकी पसन्द की चीजे खाना के लिए बांट दिए जो वे लेकर आए थे।
सभी कुछ न कुछ खाते हुए फिल्म का मज़ा लेने लगे।
दोस्त ने बीच बीच में सिटी बजाते और नाचने लगते।
इंटर वेल में सभी ने इंजॉय किया और मूवी कब ख़त्म हुआ पता ही नहीं चला।
रिया _यार आप लोगो के साथ मूवी देखने में तो मज़ा ही आ गया।
कभी और प्लानिंग बने तो हमे भी बताना।
भगत _ओह रिया जी क्यों नहीं?
रिया _यार अब सभी लोग यहां मौजूद हैं तो चलो न किसी अच्छी सी होटल में चलकर डिनर करते हैं।
क्यू राजेश क्या कहते हो?
राजेश _यार बुरा मत मानना निशा की मॉम ने डिनर के लिए कहा है, मैंने हां कह दिया है, यदि होटल चला गया तो, वह बुरा मान जायेगी।
रिया _ओह कोई बात नही, फिर कभी कर लेंगे साथ में डिनर।
इसके बाद सभी दोस्त अपने अपने घर के लिए निकल गए।
भगत _भाई, कल मिलते हैं हम लोग।
राजेश _ठीक है भगत।
निशा, राजेश और सीमा तीनो कार से घर निकल गए। जब वे घर पहुंचे तब सुजाता उन लोगो का ही इन्तजार कर रहे थे।
सुजाता _आ गए तुम लोग।
सीमा _हां आंटी।
सुजाता _कैसा था मूवी, इंजॉय किए की नही।
सीमा _हां आंटी खूब मज़ा आया।
क्यू निशा?
सुजाता _डिनर तैयार हो गया है। तुम लोग फ्रेस हो कर डाइनिंग टेबल पर आ जाओ।
राजेश चलो तुम भी फ्रेस हो जाओ।
सुजाता ने राजेश को मेहमानों वाले एक कमरे मे ले गया।
सीमा, निशा के साथ उसकी कमरे मे चली गई।
जब राजेश और सुजाता कमरे मे गए।
सुजाता ने राजेश के गले में अपने दोनो हाथ डाल कर बोली,
जब से इन्तजार कर रही थी तुम्हारे आने का?
मेरे मजनू,,,
सुजाता राजेश का ओंठ, चुसने लगी।
राजेश भी सुजाता की ओंठ चुसने लगा।
कुछ देर तक एक दूसरे के किस करते रहे फिर,,
सुजाता _अब जाओ बाथरुम में फ्रेस हो जाओ, पहले डिनर कर लो उसके बाद जो करना है कर लेना,,
राजेश _डिनर के बाद रुका तो निशा और सीमा जी क्या समझेंगी?
सुजाता _मै निशा से कह दूंगी, मुझे राजेश से कुछ काम है।
फिर तुम अपना काम कर लेना।
राजेश _कौन सा काम?
सुजाता _अरे वही काम जो आफिस मे अधूरा हुवा था।
राजेश _मै तो कहता हूं वह काम अभी कर लू, डिनर के बाद, सीमा और निशा को तुम्हारे कमरे में रुकना, अच्छा नही लगेगा।
सुजाता _तुम बहुत देर में झड़ते हो, डिनर के लिए लेट हो जायेगा।
अब चलो जाओ बाथरुम में फ्रेस हो कर नीचे आ जाना मै डिनर के लिए वेट कर रही।
राजेश _ओके।
सुजाता नीचे आ गई।
कुछ देर बाद निशा, सीमा डाइनिंग टेबल पर पहुंच गई उसके बाद राजेश भी।
खाने में बहुत सारे व्यंजन बने थे,राजेश , निशा और सीमा तीनो के पसन्द के।
राजेश _यहां तो मेरे सारे पसंदिदा व्यंजन बना huwa है, समझ नहीं आ रहा शुरुवात कहा से करू?
सुजाता _राजेश पहले ये खाओ, इसे मैंने तुम्हारे लिए अपने हाथो से बनाई है।
लो टेस्ट करो।
सुजाता ने व्यंजन चम्मच में निकालकर राजेश की ओर बढ़ाया।
राजेश ने व्यंजन चखा,,
राजेश _वाउ, व्यंजन बहुत स्वादिष्ट बना है।
निशा जी आप भी इसका टेस्ट लीजिए न, सच में मैम ने बहुत स्वादिष्ट व्यंजन बनाया है।
राजेश ने व्यंजन चम्मच से निकालकर कर निशा की ओर बढ़ाया।
निशा थोड़ा तुम भी चख कर देखो,
निशा राजेश की ओर देखने लगीं। उसने व्यंजन मुंह में ले लिया।
राजेश _राजेश, है न बडा स्वादिष्ट।
निशा ने हा में सर हिलाया।
सभी डिनर करने में व्यस्त थे तभी सुजाता को शरारत सूझी
सुजाता राजेश के बगल में बैठी थी।
वह एक हाथ से राजेश के land को सहलाने लगी।
राजेश चौंका, वह अपने पैंट की ओर देखा सुजाता उसकी land सहला रही थीं।
राजेश ने सुजाता की ओर देखा सुजाता ऐसा एक हाथ से डिनर करने में व्यस्त थी दूसरे से land सहलाने।
राजेश ने सीमा और निशा की ओर देखा।
निशा और सीमा दोनो डिनर करने में व्यस्त थे।
राजेश ने सुजाता की आंखो में देख कर इशारा किया।
ऐसा न करने की,,
सुजाता मुस्कुराने लगीं।
वह लगातार सहलाती रही।
जिससे राजेश का land तन गया।
सीमा _राजेश क्या huwa खा क्यों नहीं रहे?
अभी तो खाने की बडी तारीफ कर रहे थे,,,
सुजाता लगातार land सहला रहीं थी।
सुजाता _हां राजेश कुछ प्रॉब्लम है क्या?
राजेश _न में सर हिलाया।
सुजाता _फिर खाओ।
राजेश को डर था कि सुजाता की हरकतों का पता निशा और सीमा को न चल जाए।
इधर सुजाता ने राजेश का चैन खीच कर। राजेश का land बाहर निकाल दिया। और राजेश के land पर मूठ मारने लगी।
राजेश के land तनकर खूब मोटा हो गया।
राजेश को बहुत अच्छा लगने लगा।
उसके मुंह से आह निकल गया,,
निशा ने राजेश की ओर देखा।
निशा _राज क्या huwa? कोई प्रॉब्लम है।
राजेश _न,,
निशा _फिर ये आवाज़ कैसी?
राजेश _लगता है भोजन में कंकड़ था।
सुजाता _क्या? ऐसा कैसे हो सकता है भोजन में कंकड़, ये नौकर भी न,,, भोजन बनाने में लापरवाही करते है इन लोगो की खबर लेनी पड़ेगी।
राजेश ने गुस्से से सुजाता की ओर देखा।
सुजाता _मुस्कुराने लगीं।
वह लगातार मूठ मारने लगी एक हाथ से।
निशा और सीमा सामने बैठे थे उन्हे सुजाता की हरकतों का पता नहीं चल पा रहा था।
लेकिन उन दोनो को लगने लगा था कि कुछ गडबड है।
सीमा _राज कुछ देर से देख रही हूं कि तुम खाने में फोकस ही नही कर पा रहे हो। कुछ प्रॉब्लम है क्या?
राजेश _मेरा पेट भर गया, अब मैं और नही खा पाऊंगा।
निशा _राज इतनी जल्दी, अभी तो तुम कुछ खाए ही नहीं।
सुजाता _देखो राजेश मैंने बड़े प्यार से तुम्हारे लिए ये व्यंजन बनाए है। इन सबको तुम्हें खत्म करना पड़ेगा।
सीमा _हा, आंटी ठीक कह रही।
राजेश _जी कोशिश करता हूं।
इधर सुजाता को बडा मजा आ रहा था। इस खेल में।
कुछ देर बाद वह राजेश के land पर तेज तेज मूठ मारने लगी।
राजेश की हालत खराब होने लगा।
राजेश का धैर्य जवाब दे गया, आह, मां,, आह कराहते हुवे, land से वीर्य की लम्बी लम्बी पिचकारी मारने लगा।
जो सामने बैठी सीमा की टांगो पे गिरने लगा।
सीमा चौकी उसके टांगो पर गीलापान महसूस किया जो गर्म लग रहा था।
निशा _क्या huwa राज, तुम कराह क्यू रहे।
कही चोट लगी है क्या।
राजेश कुछ देर बाद राहत की सांस लेने के बाद,,
राजेश _ लगता है मेरे पैर का नस अकड़ गया था।
तेज दर्द huwa
सुजाता _खाना खा लो फिर मै मूव से मालिश कर दूंगी।
इधर सीमा ने उस गीलेपन को अपने हाथ से छूकर देखा।
काफी चिपचिपा लगा।
उसने उसे सूंघ कर देखा।
अजीब सा गंध जो आज से पहले कभी नहीं सुंघी थी।
सीमा अपने मन में,, ये आया कहा से,,,
अचानक मेरे टांगो पर, और ये है क्या?
सीमा _वह अपने सीट से उठी,,
निशा _अब तुमको क्या हुआ?
सीमा _मेरा हो गया,,
सीमा हाथ धोने वाशबेसिंग के पास गईं।
अपने टांगो को देखने लगीं वहा बहुत सारा चिपचिपा पदार्थ लगा huwa था।
वह हाथ धोए फिर उस चिपचिपे पदार्थ को उंगली में ले कर देखने लगी।
आज से पहले वह कभी किसी पुरुष का वीर्य देखी नही थी।
पर उसने वीर्य के बारे में सुनी और पड़ी जरूर थी की पुरष का वीर्य काफी गाड़ा, चिपचिपा, सफेद और स्वाद में नमकीन होता है।
उसने उसे चख कर देखा।
नमकीन लगा,,,
उसे लगने लगा कि ये वीर्य हो सकता है, पर मेरे टांगो पर अचानक से आया कैसे?
कही ये राज का वीर्य तो नही,,,
जब मेरे टांगो पर आया उस समय राजेश के मुंह से कराहने की आवाज़ निकल रहा था।
हे भगवान, ये राजेश का वीर्य मेरे टांगो पर।
वह बाथरुम में चली गईं। और अपने टांगो और कपड़ो पर लगे वीर्य को साफ कर ने के लिए अपनी रुमाल निकाल ली और पोछने ही वाली थी की वह रुक गई।
पता नही उसे क्या huwa, उसकी शरीर में अजीब से बेचैनी बढ़ गई। पूरे शरीर में रक्त संचार बड़ गया और सांसे तेज हो गई।
वह राजेश के वीर्य को अपने हाथ से इकट्ठा कर उसे देखने लगी।
उसे सूंघती रही।
उसकी सांस तेज तेज चल रही थी, पता नही उसे क्या हुआ वह राजेश के वीर्य को चाट ली। और निगल गई।
तभी निशा बाथरुम में आई,
सीमा तुम बाथ रूम में क्या कर रही हो? और तुम्हारी सांस तेज क्यू हो गई है?
सीमा हड़बड़ा गई,,,
सीमा _कुछ नही, मूत आ रहा था तो, मूतने आई थीं।
निशा को कुछ अजीब लगा।
सीमा _पर तुम यहां,,
निशा मै देखने आई की तुम अचानक से उठ कर बाथरुम में चली आई, कोई प्रॉब्लम तो नही,,,
सीमा _अरे नही ऐसी कोई बात नही,,,
तुम चलो मैं फ्रेस होकर आती हूं।
इधर राजेश _मैम ये कैसी शरारत है सीमा और निशा को पता चल जाता तो,,
सुजाता _हसने लगीं, मुझे तुम्हारी हालत देखकर मजा आ रहा था।
सॉरी ।
वैसे ऑफिस में तुम झड़े नही थे।
तो तुम्हें यही झाड़ कर राहत दी। वैसे कैसा लगा?
राजेश _मै तो डर गया था कही निशा और सीमा को पता न चल जाए की आप टेबल के नीचे क्या गुल खिला रही हो।
सुजाता हसने लगी।
राजेश _अच्छा, अब मै चलता हूं, रात भी काफी हो गई है। मां परेशान हो रही होगी।
सुजाता _ओके। हा जरा सुनो।
राजेश _क्या?
सुजाता _परशो होली है? सुबह आ जाना, मुझे रंग लगाने, पहले तुम ही लगाओगे मुझे रंग।
राजेश _क्या?
सुजाता _हां, नही आए तो होली नही खेलूंगी।
तभी सीमा और निशा भी वहा आ गई।
राजेश ने उन दोनो से इजाजत लेकर घर निकल गया।
इधर रिया और उसकी सहेलियां होटल में डिनर कर रहे थे।
एक सहेली_यार रिया तुम तो निशा से अपने अपमान का बदला लेना चाहती थीं, पर अब तक ऐसा कुछ नहीं की।
रिया _अब वो समय आ गया है। निशा को रुलाने का।
सहेली _वो कैसे?
रिया _परशो, होली है न, उस दिन देखना क्या करती हूं?
सहेलियां_क्या करने वाली है उस दिन?
रिया _राजेश को सिर्फ चूमने सी उसने सब के सामने मेरे गालों पर थप्पड़ जड़ा था न, देखना होली की दिन, राजेश जब अपनी पिचकारी से हम सब पर अपना पानी डालेगा।
उसका वीडियो बनाएंगे। और फिर निशा के भेज देंगे।
सहेलियां _क्या? पर ये होगा कैसे?
रिया _कैसे होगा ये मुझ पर छोड़ दो।
एक सहेली _यार क्या सच में ऐसा होगा, राजेश हम सबके उपर अपने पिचकारी से रंग डालेगा। हाय मैं कितनी बार सपने में राजेश को देखकर झड़ी हूं। अगर ऐसा हो गया तो, सच में यह जीवन में होली का सबसे बड़ा गिफ्ट होगा।
एक सहेली _यार मेरे बुर में तो अभी से पानी छूटने लगा है, पता नही मै २दिन तक कैसे इन्तजार करुंगी।
एक सहेली _यार तू हम लोगो के साथ मजाक तो नही कर रही न।
राजेश की पिचकारी से हमे भी खेलने देगी न।
रिया _जानती हूं साली रंडियों,तुम सब सपने में राज से चुदती हो।
ये सपना तुम लोगो का मै पुरा करूंगी।
पर हमारी योजना की भनक भी किसी को नही लगना चाहिए।
सभी सहेलियां _तुम बेफिक्र रहो किसी को कुछ नहीं बताएंगे।
रिया _तो ठीक है, तो अपनी अपनी बुर को सजा कर रखो होली के दिन के लिए।
राज अपने पिचकारी से उसमे अपना पानी डालेगा।
सभी हसने लगे।
इधर राजेश जब घर पहुंचा।
सुनीता दरवाजा खोली।
सुनीता _आ गया।
राजेश _, हा मां ।
सुनीता _खाना खाया है कि लगाऊं।
राजेश _मां, आपको तो बताया ही था खाना खाकर आऊंगा।
सुनीता _हा, बताया तो था, फिर भी,,,
राजेश ने सुनीता को अपनी बाहों मे भर लिया,,
सुनीता _छोड़ो मां की चिंता होती तो इतना रात नही करते, जाकर सो जाओ अपने कमरे मे।
राजेश _लगता है मेरी मां मुझसे नाराज़ हैं।
सुनीता _मैंने कितने प्यार से तुम्हारे पसन्द की सब्जी बनाई थीं। और तुमने खा कर आने की बात कह दिया।
राजेश _ओह सॉरी मॉम, आप कहो तो और खा लूं।
चलो खाना लगा दो।
सुनीता _रहने दो ज्यादा खायेगा तो पेट दर्द करेगा?
अब जाओ सो जाओ रात काफी हो गई है।
राजेश _ओके मां, गुड नाईट।
सुनीता ने राजेश के माथे को चूम कर, गुड नाईट मेरा प्यारा बेटा,
अगले दिन सुबह, राजेश उठा और जिम के लिए निकल गया। छूटी का दिन था तो आज शेखर भी ऑफिस नही गया था।
सभी नास्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठने वाले ही थे की किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई।
जब सुनीता दरवाजा खोली, सामने रीता उसका पति और रोहन खड़ा था।
रीता _नमस्ते, सुनीता जी,
सुनीता _जी, नमस्ते,,, आप लोग, ,,
रीता _आप मुझे पहचानती है न,,,
सुनीता _जी आपको कौन नही पहचानेगा, आप लोग बड़े उद्योग पति है। आपके बारे में तो अखबारों, टीवी चैनलो पर खबर आता ही रहता है।
पर आप लोग हमारे घर।
रीता _आप चौकिए मत, दरअसल मैं तो उसी दिन आने वाली थी जब राजेश ने रोहन की जान बचाया।
पर काम में व्यस्तता के कारण आ नही पाई।
सुनीता _ओह, आइए न, आइए भाई साहब, आइए रोहन बेटा।
संजय _शुक्रिया भाभी जी।
रोहन _थैंक यू आंटी।
सुनीता _, बेटा राजेश देखो कौन आए है।
राजेश _अरे रीता मैम, रोहन तुम लोग, अंकल भी।
राजेश _नमस्ते अंकल।
सभी एक दूसरे को अभिवादन किए।
सुनीता _रीता जी क्या पियेंगी आप लोग चाय या काफी।
रीता _सुनीता जी, रहने दीजिए न इसकी कोई आवश्यकता नहीं,
सुनीता _ऐसा कैसे हो सकता है आप लोग पहली बार हमारे घर आए है।
मै काफी बना देती हूं।
रीता _जी ठीक है।
राजेश कैसा गया पर्चा तुम्हारा।
राजेश _बहुत अच्छा मैम।
रीता _और स्वीटी तुम्हारा
स्वीटी _जी आंटी, बहुत अच्छा।
रीता _गुड
सुनीता सबके लिए काफी बना कर ले आई।
सभी काफी पीने लगे।
रीता _सुनीता जी, हम तो राजेश के अहसान का बदला कभी चुका ही नहीं सकेंगे।
अगर राजेश नही होता तो, पता नही रोहन का क्या होता। हमारा तो सब कुछ लूट जाता।
शेखर _बहन जी, ये तो राजेश का फर्ज बनता है। इसमें अहसान कैसा?
रीता _फिर भी भाई साहब हर कोई ऐसा नहीं सोचता। आप लोग बड़े दिल वाले है। बच्चो को बहुत अच्छे संस्कार दिए हैं।
आप लोगो से एक और बात करनी थीं।
सुनीता _जी कहिए न, निः संकोच कीजिए।
रीता _आप लोगो को पता ही होगा कि रोहन और स्वीटी एक दूसरे के अच्छे दोस्त हैं।
रोहन स्वीटी को पसन्द भी करता है।
आप लोगो को ऐतराज न हो तो, मै स्वीटी को अपने घर की बहु बनाना चाहती हूं।
सुनीता _रीता जी, ये आप क्या कह रही है। आप इतने बड़े लोग है और कहा हम, साधारण लोग।
रिश्तेदारी तो बराबर के बीच होनी चाहिए न।
रीता _सुनीता जी,राजेश और स्वीटी जैसे बच्चे है आपके पास, आप तो हम लोगो से ज्यादा धनी है।
वैसे भी हमें एक सुशील और संस्कारी बहु चहिए।
जो स्वीटी में है, हमे और कुछ नहीं चाहिए।
सुनीता _रीता जी आपको तो मालूम हैं आजकल शादी ब्याह के मामलो में बच्चो से भी राय लेनी जरूरी है। पहले जैसा समय नहीं रहा जन्हा माता पिता ही सारे फैसले लेते थे।
रीता जी _जी सुनीता जी आप बिलकुल सही कह रही हैं। आप बच्चो से उनकी राय पूछ लीजिए।
जैसे ही रीता ने स्वीटी को बहु बनाने की बात छेड़ी वह शर्मा कर अपने कमरे मे जा चुकी थी।
सुनीता, स्वीटी के कमरे मे पहुंची। राजेश और शेखर को भी साथ आने को कहा,
सुनीता _स्वीटी क्या तुम्हें रोहन पसन्द है।
स्वीटी ने जवाब नही दिया शर्माने लगी।
सुनीता _स्वीटी, अगर रोहन तुम्हें पसन्द नहीं है तो साफ साफ बता दो, मै मना कर देती हूं।
बताओ क्या तुम्हें रोहन पसन्द है।
स्वीटी ने हा में सिर हिलाया।
सुनीता _हूं, कब से चल रहा था तुम लोगो का मुझे बताया ही नहीं।
स्वीटी _मां ऐसा कुछ भी नहीं है, हम सिर्फ अच्छे दोस्त थे।
सुनीता _राजेश तुम्हारा क्या खयाल है रोहन के बारे में।
राजेश _रोहन में पहले अहम की भावना था पर पहले से काफी ज्यादा बदलाव आया है, उसमे वह अब अच्छा लडका बन चुका है मां।
सुनीता _और आपकी क्या राय है जी।
शेखर _दोनो बच्चे राजी है तो मेरे विचार कैसे अलग हो सकते हैं भाग्यवान।
सुनीता _सुनो स्वीटी, शादी के पहले ऐसा कुछ भी गंदी हरकत न करना जिससे हमारी नाक कट जाए।
स्वीटी _मां, मुझे इसकी चिंता है।
सुनीता _मुझे तुमसे यही उम्मीद है।
सुनीता , वहा से चली गई। राजेश और शेखर भी।
रीता _सुनीता जी, क्या बोली स्वीटी ने। उन्हे इस रिश्ते से एतराज तो नही।
सुनीता _ रीता जी स्वीटी को भी रोहन पसंद है, पर अभी तो उसकी पढाई बाकी है।
दो साल बाद ही उसकी शादी के बारे में सोचेंगे।
रीता _सुनीता जी, हमे भी कोई जल्दी नहीं है। अभी तो रोहन को भी पढाई करनी है।
दो साल बाद शादी करेंगे
तब तक हम कोई अच्छा सा मूर्हत देखकर शादी की घोषणा कर देंगे।
सुनीता _ठीक है रीता जी,
शेखर _भाग्यवान अब तो मुंह मीठा कराइए मेहमानों का।
रीता _बेटा रोहन, अपने से बड़ों का आशीर्वाद लो।
रोहन ने, शेखर, सुनीता, अपने मॉम डैड का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। जब राजेश का पैर छूना चाहा तो, राजेश ने उसे गले लगाया।
सुनीता ने स्वीटी को आवाज़ लगाई। स्वीटी शरमाते हुवे वहा पहुंचीं।
और सबका पैर छूकर आशीर्वाद ली,,,,,,,,,,