Xabhi
"Injoy Everything In Limits"
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हेलो दोस्तों मैं एक्स फोरम का एक पाठक हूं। बहुत दिनों से मैं इसमें आप सभी दोस्तों का कहानी पढ़ते आ रहा हूं ।मेरी भी इच्छा हुआ कि मैं भी कहानी लिखू ।इसके पहले मैंने कभी कोई कहानी नहीं लिखा है, लेकिन मैं भी अपने अनुभव को आप लोगों के बीच कहानी के माध्यम से शेयर करना चाहता हूं ,हो सकता है ,लेखन में व्याकरण त्रुटियां हो ,मैं कोई लेखक नहीं हूं। मेरी यह कहानी इंसेस्ट कहानी है जिनको इंसेस्ट कहानी पसंद ना हो कृपया यह कहानी न पढ़ें तो चलो चलते हैं कहानी के पात्रों की ओर
शेखर - यह घर का मुखिया है ।इसका उम्र है 48 वर्ष यह बैंक मैनेजर है अच्छी तनखा है काफी मेहनती और अपने कार्य के प्रति ईमानदार इंसान हैं अपने परिवार से बहुत प्यार करता है इनको इधर-उधर की की बातों से कोई मतलब नहीं रहता यह अपनी ड्यूटी पर ही ज्यादा ध्यान देता है
सुनीता- शेखर की पत्नी है यह एक हाउसवाइफ है घर के कामों पर ही ज्यादा ध्यान देती है इसकी उम्र 42 वर्ष है दिखने में सुंदर है खूबसूरत बदन की मालकिन है अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है इनका सारा समय घर के कामों में ही निकल जाता है
राजेश- शेखर और सुनीता का पुत्र है यह कालेज का छात्र है इसकी उम्र 21 वर्ष है एक सीधा साधा लड़का है या सुबह जिम जाता है हैंडसम है यह शर्मीले स्वभाव का है पढ़ाई पर ध्यान देता है पढ़ लिख कर एक अच्छा शासकीय जॉब पर जाना चाहता है
स्वीटी- या शेखर और सुनीता की पुत्री है इसकी आयु 19 वर्ष है या इस वर्ष कॉलेज में प्रवेश ली है दिखने में काफी खूबसूरत है अपने मां की तरह यह भी खूबसूरत बदन की मालकिन हैं।
इस प्रकार इनके परिवार में 4 सदस्य हैं यह शहर में रहते हैं खुद का मकान है भाई बहन और मां बाप के लिए तीन अलग-अलग कमरे हैं सभी कमरे में अटैच बाथरूम है घर में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी राजेश के पास एक बाइक था जिसमें दोनों भाई बहन का ले जाते थे स्वीटी इसी वर्ष कॉलेज में प्रवेश ली थी वह प्रथम वर्ष की छात्रा थी अभी तक तो परिवार में बहुत बढ़िया चल रहा था लेकिन आगे ऐसा क्या हो जाता है इनके परिवार में यह आगे पता चलेगा।
चलिए कहानी को आगे बढ़ाते हैं सुनीता रोज सुबह 5:00 बजे उठ जाती थी और उठकर पहले नहाती थी नहाने के बाद बाद पूजा पाठ करती थी फिर चाय नाश्ता तैयार करना उसकी रोज का कार्य था
शेखर रोज सुबह 6:00 बजे उठता था और वह घर में ही थोड़ा-बहुत व्यायाम करता था घर में छोटा सा गार्डन था जिससे पौधों को वह सुबह पानी डालता था उसकी देखभाल और साफ सफाई करता था उसके बाद स्नान करना एवं अखबार पढ़ना फिर नाश्ता करना यही उसका रोज का कार्य था ड्यूटी के लिए तैयार हो जाता था वह 10:00 बजे ही बैंक के निकल जाता था
राजेश रोज सुबह प्रातः 6:00 बजे उठ जाता था उसे उठाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी वह रोज सुबह 6:00 6:00 बजे उठकर फ्रेश होता था फिर वह जिम चला जाता था डेढ़ घंटा व्यायाम करके वह घर आता था फिर नहान तथा चाय नाश्ता करता था प्रियंका रोज का कार्य था वह 10:30 बजे कॉलेज के लिए निकलता था
स्वीटी भी रोज 6:30 बजे उठ जाती थी और घर में ही हल्का-फुल्का व्यायाम करती थी फिर नहा कर मां के कार्य में सहयोग करती थी
अभी तक इनके परिवार में सब कुछ अच्छा चल रहा था राजेश और स्वीटी दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे वे प्रातः 10:30 बजे बाइक से रोज एक साथ कॉलेज के लिए जाते थे और शाम को 4:30 बजे कॉलेज से घर वापस आते थे इसी तरह समय निकलता रहा
आज स्वीटी कॉलेज के लिए तैयार हो रही है वह आज शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई है इधर राजेश्वरी कॉलेज जाने के लिए तैयार है
Rajesh- स्वीटी जल्दी करो हम कॉलेज के लिए लेट हो रहे हैं और कितने समय लगाएगी 10:30 हो चुका है
Switi- भैया बस रेडी हो गई मैं आ ही रही हूं अपना बाइक तैयार रखो
राजेश की मम्मी सुनीता स्वीटी की रूम में जाकर देखती है स्वीटी कर क्या रही है
Sunita- स्वीटी कितनी देर तक तैयार होती रहेगी कॉलेज के लिए लेट हो रही है जल्दी करो और यह क्या ड्रेस पहनी है इतनी शॉर्ट ड्रेस
Switi- मम्मी आज मैं कैसी लग रही हूं इस ड्रेस में
Sunita- मुझे तो यह सब अच्छा नहीं लग रहा इस निकालो और कोई दूसरा पहन लो
Switi- मम्मी यह आजकल का फैशन है मेरी कई सहेलियां पहनती है मैं अच्छी लग रही हूं ना
Sunita- सुनीता माथा पकड़ लेती है और कहती है यह लड़की भी ना हमेशा अपने मन की करेगी
Switi- अच्छा मम्मी मैं चलती हूं चलो भैया
स्वीटी इन शॉर्ट ड्रेस में बहुत ही हॉट लग रही थी पर राजेश को यह ड्रेस पसंद नहीं आया था पर स्वीटी को को कुछ बोला नहीं और दोनों भाई-बहन कॉलेज के लिए निकल पड़े
कॉलेज पहुंचने ही वाले थे कॉलेज पहुंचने के पहले एक पान का ठेला रास्ते पर खुला था जहां दो मनचले लड़के खड़े थे जैसे ही राजेश का बाइक वहां से गुजरा लड़कों ने प्रीति को देखा और एक लड़के ने स्वीटी को देख कर सीटी बजा दी और दूसरे लड़के ने बोला क्या माल है यार लड़कों की यह बात है राजेश ने सुन ली वह बाइक रोक दिया और वह बाइक से उतर कर उन लड़कों के पास आया और राजेश बोला क्या बोला बे और एक लड़के का कॉलर पकड़ लिया स्वीटी यह देख कर डर गई थी स्वीटी बोली भैया चलो उन्हें छोड़ो हम कॉलेज के लिए लेट हो रहे हैं
एक लड़के ने कहा हम तो तुम्हारी बहन की तारीफ कर रहे थे तुम्हारी बहन हॉट लग रही है यह सुनकर राजेश का गुस्सा बढ़ गया और वह उस लड़के को एक थप्पड़ लगा दिया इसके बाद दोनों लड़के और राजेश के बीच हाथापाई शुरू हो गया राजेश स्ट्रांग था आता है वह दोनों लड़कों पर भारी पड़ गया और दोनों लड़कों की खूब पिटाई कर दी फिर बाइक लेकर कॉलेज चले गए
इधर लड़के कराह रहे थे और यह लड़के भी कराते हुए अपने घर के तरफ चले गए असल में यह लड़कों का गैंग था जब अपने दोस्तों से मिले तो उन्होंने इस सारी घटना के बारे में बताएं फिर लड़कों ने राजेश को सबक सिखाने की बात कही और वे शाम को कॉलेज की छुट्टी के समय पान ठेले के पास खड़ा होकर राजेश का इंतजार करने लगे
Switi- भैया उन लोगों से झगड़ने की क्या जरूरत थी अगर कुछ हो जाता तो असल में गलती मेरी है मुझे इसतरह के ड्रेस नहीं पहननी चाहिए थी मम्मी ने मना भी की थी पर मैंने नहीं माना
Rajesh- तुम चुप रहो मेरे सामने मेरी बहन का कोई अपमान करें मैं नहीं सह सकता मैंने उन्हें अच्छा सबक सिखाया है
कॉलेज में दिन भर पढ़ाई करने के बाद शाम को 4:30 बजे छुट्टी हो गई दोनों भाई बहन फिर बाइक से घर के लिए निकले
इधर मनचली लड़की अपने गैंग के साथ डंडे लेकर उन दोनों का इंतजार कर कर रहे थे और जैसे ही राजेश का बाइक पान ठेले के पास पहुंचा लड़के रोड पर बाइक के सामने खड़े हो गए राजेश और स्वीटी बाइक से उतरे
एक लड़का ने राजेश का कलर का कर दीजिए अबे साले तेरी इतनी हिम्मत तुमने हमारे दोस्तों की पिटाई की राजेश ने कहा तुम्हारे हैं दोस्त मेरी बहन का अपमान किया क्यों बे ऐसा क्या बोल दिया तेरी बहन को इन्होंने मेरी बहन को माल बोला तेरी बहन तो एक नंबर की माल है माल को माल नहीं बोलेगा तो क्या बोलेगा इतना सुनते ही राजेश को गुस्सा आ गया और वह उस लड़के के घर में एक थप्पड़ मारा इसे देखकर गांव की लड़की राजेश को पीटने लगे राजेश अकेला पड़ गया मूवी 6 लड़के थे साथ में डंडे रखे थे और डंडे से राजेश को पीटने राजेश बुरी तरह घायल हो गया उसके सर से खून निकलने लगा स्वीटी रो रही थी चिल्ला रहे थे लोगों से मदद मांग रही थी तभी कॉलेज के कुछ स्टूडेंट बाइक से उधर आ रहे थे उन्होंने देखा राजेश की पिटाई करते हुए भीड़ इकट्ठा होते देख पिटाई करना बंद कर मनचले लड़के भाग गए इधर राजेश बुरी तरह घायल हो चुका था सर से खून बह रहा था वह खड़ा नहीं हो पा रहा था सिटी रो रही थी कॉलेज के स्टूडेंट उन्हें अपने साथ बाइक पर बिठाकर हॉस्पिटल ले गए स्वीटी इसकी जानकारी अपने मम्मी और पापा को दी घटना की जानकारी होने के बाद सुनीता और शेखर दोनों भागे भागे हॉस्पिटल की ओर दौड़े घर डालो राजेश को इमरजेंसी रूम में ले गए थे और उनका इलाज कर रहे थे बाहर स्वीटी अपने मम्मी पापा के साथ इंतजार कर रहे थे सारी घटना की जानकारी वे अपने मम्मी पापा को बता रहे थे कॉलेज में स्टूडेंट कुछ समय तक वहां रुके थे उसके बाद में अपने घर चले गए
कुछ समय के बाद डॉक्टर रूम से बाहर निकले सुनीता और शेखर डॉक्टर को देख कर पूछने लगे डॉक्टर साहब हमारा बेटा तो ठीक है ना
Docter- देखिए तुम्हारे बेटे को सिर पर और हाथों में काफी चोटें आई हैं उनका दोनों हाथ फैक्चर हो गया है हाथों और सिर पर पट्टी बांध दी है डरने की कोई बात नहीं है हाथ को ठीक होने मैं दो 3 माह का समय लग सकता है
Sunita_ डॉक्टर साहब क्या हम अपने बच्चे को देख सकते हैं
Docter- हां क्यों नहीं कुछ समय के बाद आप हमसे मिल सकते हैं आज हम उसे निगरानी में रखेंगे कल उसे अपने घर भी ले जा सकते हैं
डॉक्टर की बातों को सुनकर शेखर और सुनीता को थोड़ा राहत महसूस हुआ और भगवान की शुक्रिया अदा करने लगे
फिर दोनों राजेश से मिलने के लिए उसके रूम में चले गए राजेश को देखकर सुनीता रोने लगी बेटा यह क्या हो गया राजेश अपनी मम्मी पापा को देख कर मम्मी मुझे कुछ नहीं हुआ है तुम रो मत सुनीता ने देखा कि राजेश के दोनों हाथों में पट्टी बंधा है और वह हाथों को उठा नहीं पा रहा है नर्स वहीं पर खड़ी थी उसने सुनीता से कहा आप लोग घबराइए नहीं इनका हाथ फैक्चर है जो दो-तीन माह में ठीक हो जाएगा तब तक यह पट्टी बंधी रहेगी एक दो घंटा रुकने के बाद शेखर ने सुनीता से कहा तुम लोग घर चले जाओ मैं यहां आज रात हॉस्पिटल में यही रुकता हूं सुनीता का जाने का मन नहीं था किंतु साथ में स्वीटी भी थी बतावे जाने को तैयार हो गई गाना मां बेटी घर चले गई इधर शेखर हॉस्पिटल में ही ठहर गया अगली सुबह जब डॉक्टर हॉस्पिटल आया और राजेश का चेकअप किया तो सब कुछ ठीक पाया शेखर ने डॉक्टर से पूछा डॉक्टर साहब राजेश अब कैसा डॉक्टर ने कहा सब कुछ ठीक है आप इसे घर ले जा सकते लेकिन इन्हें जो दवाइयां दी जा रही है उसे निर्देश के अनुसार खिलाते रहेंगे बीच-बीच में सिर्फ एक कराने के लिए हॉस्पिटल ले आना किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो फोन करके जानकारी देना शेखर ने फोन करके सुनीता को इस बात इस बात की जानकारी दे दी की राजेश को छुट्टी मिल गई है अब हम हॉस्पिटल से घर आ रहे हैं सुनीता या सुनकर खुश हो गई और भगवान की शुक्रिया करने लगी
सुबह 10:30 बजे शेखर अपने कार से राजेश को लेकर घर पहुंच गया घर पहुंच गई सुनीता झड़ते हुए दरवाजे के पास आई और राजेश को गले लगा ज़ी स्वीटी भी खड़ी थी वह भी अपने भाई से लिपट गई स्वीटी रोने लगी भैया यह सब मेरे कारण ही हुआ है मुझे माफ कर दो राजेश ने उन्हें चुप रहने को बोला और कहा कि तुम अपने को दोषी मत समझो शेखर राजेश को उसके कमरे में ले गया और राजेश ने अपने पापा से कहां है पापा मुझे कपड़े चेंज करनी है शेखर ने राजेश के कमरे की अलमारी की एक लोवर और टी-शर्ट निकाला और पहना दिया क्योंकि राजेश के दोनों हाथों में पट्टी होने के कारण वह कपड़ा नहीं पहन सकता था शेखर राजेश फिल्म से बाहर आकर सुनीता को उनके दवाइयों के बारे में सारी जानकारियां बता दिया कब किस समय कौन सी दवाई देना है और खाना में क्या खिलाना है क्योंकि शेखर बैंक मैनेजर था आज बैंक में कोई जरूरी काम भी था तो वह बैंक जाने के लिए तैयार होने लगा वह घर में नहा कर नाश्ता करके बैंक के लिए चला गया स्वीटी का आज का ले जाने का मन नहीं था किंतु सुनीता ने कहा तुम पढ़ाई का नुकसान मत करो और कॉलेज चली जाओ मैं सब संभाल लूंगी मां की बातों को सुनकर ना चाहते हुए भी बे मन से कॉलेज चली गई अब घर में केवल राजेश और उसकी मम्मी सुनीता रह गई सुनीता अपने घर का काम निपट आती है और नाश्ता लेकर राजेश के रूम में चली गई
इधर राजेश अपने कमरे में लेटा था सुनीता कमरे में पहुंच
Sunita- क्या कर रहे हो बेटा मैं नाश्ता लाया हूं चलो नाश्ता कर लो फिर तुम्हें दवाई भी खानी है सुनीता राजेश को बेड से उठाती है क्योंकि दोनों हाथ पर पट्टी बंधी होने के कारण उसे बिस्तर से उठने कठिनाई हो रहा था
सुनीता राजेश को अपने हाथों से नाश्ता कराती है उसे पानी पिलाती है फिर उसे आराम करने को कहती है
वह कमरे से चली जाती है 10 मिनट बाद वह दवाई लेकर राजेश के कमरे में आती है उठो बेटा दवाई खा लो वह राजेश को दवाई खिला देती है और राजेश से कहती है
कि
Sunita- बेटा मैं घर का काम कर रही हूं किसी प्रकार का कोई तकलीफ हो तो मुझे आवाज देना
Rajesh- ठीक है मम्मी
दवाई खिलाकर वह राजेश के रूम से बाहर चली जाती है और घर का काम करने लगती है
आधा घंटा बीत चुका होता है इधर राजेश को जोरों से पेशाब लग रहा होता है वह क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि पेशाब करने के लिए बहुत से लोग और और अंडर वियर नीचे करना पड़ता क्योंकि हाथों में पट्टी बंद है बंधा था और दोनों हाथ गले से पट्टी द्वारा द्वारा लटका हुआ था वह कमरे में ही इधर उधर टहल रहा था
इधर सुनीता घर का काम हटाने के बाद वाह राजेश के कमरे की तरह चली जाती है राजेश किसी चीज की जरूरत तो नहीं है
सुनीता कमरे में आने के बाद देखता है कि राजेश इधर उधर टहल रहा है
Sunita-बेटा तुम आराम क्यों नहीं कर रहे इधर-उधर टहल क्यों रहे हो कुछ परेशान लग रहे हो क्या बात है
Rajesh-. कुछ नहीं मैं बस ऐसे ही
Sunita-नहीं बेटा कुछ तो बात है बताओ क्या परेशानी है
सुनीता बताने के लिए जिद करने लगी मां की जिद करने पर राजेश हकलाआते हुए कहां
Rajhesh - मां मुझे जोरो की पिशाब लगी है
और वह शर्म आने लगा सुनीता राजेश को शर्म आता देख राजेश से मुस्कुराते हुए कहा
sunita- बेटा इसमें शर्माने की क्या बात है मैं तुम्हारी मां हूं मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है कोई भी बात रहती है तो मुझे बता दिया करो चलो बाथरूम मे
दोस्तों अब आगे क्या होगा क्या होने वाला है कहानी में कॉमेंट्स में जरूर बताना
दोस्तों पिछले अपडेट में आपने पढ़ा था कि राजेश को जोरों से पेशाब लगी है उसकी मम्मी सुनीता उसे बाथरूम में जाने के लिए कहती है और साथ ही राजेश के पीछे पीछे सुनीता भी बाथरूम की ओर जाने लगती है
शेखर जब ड्यूटी पर जा रहा था उस समय वह सुनीता को इसके बारे में बताया था तुम्हें राजेश की मदद करनी होगी तब सुनीता ने कहादेखो जी यह मुझसे कैसे हो पाएगा अब राजेश छोटा नहीं है वह बड़ा हो गया है
राजेश ने कहा अब तुम्हें ही मदद करनी होगी तुम उसे छोटा बच्चा ही समझो क्योंकि मुझे ड्यूटी में जाना है घर में रहता तो मैं राजेश का मदद करता अब तुम ही उसकी मदद करनी होगी
सुनीता कहती है जी कोशिश करूंगी
साथ ही शेखर ने ने सुनीता को यह भी बताया था कि जब राजेश को पेशाब लगे तब तुम उसके लोअर और अंडरवियर थोड़ा नीचे कर देना फिर राजेश पेशाब कर लेगा
राजेश बाथरूम के अंदर चला पहुच गया पेशाब करने के लिए यूरिनल पाट के सामने खड़ा हो गया सुनीता उसके पीछे खड़ी थी राजेश कुछ बोल नहीं रहा था सुनीता को कुछ अजीब सी लग रही थी पर उसे राजेश की मदद करनी थी तब सुनीता ने शेखर के बताए अनुसार राजेश के लोअर और अंडरवियर को पकड़ के कमर से थोड़ा नीचे किया
सुनीता इस समय राजेश के पीछे खड़ी थी और वह दोनों हाथों से कमर के आजू-बाजू लोअर को पकड़कर थोड़ा नीचे की उसे आभास हो गया कि राजेश कॉलिंग लोअर के बाहर आ गया है तब उसने राजेश से कहा बेटा तुम पेशाब कर लो पर राजेश ऐसे ही खड़ा था क्योंकि उसका लिंग लटका हुआ था अगर वह पेशाब करता तो पेशाब पॉट में न जाकर उसके लोअर में ही गिरता इसलिए वह वैसे ही खड़ा था सुनीता ने जब देखा कि राजेश पेशाब नहीं कर रहा है तो सुनीता राजेश से कहती है
बेटा खड़े क्यों हो पेशाब करो जल्दी
इधर राजेश कुछ कह नहीं पा रहा था राजेश को जोरों से पेशाब लगी थी उसे पेशाब रोक पाना अब संभव नहीं लग रहा था इसलिए वह पेशाब करना शुरू कर दिया जैसे ही राजेश पेशाब शुरू किया पेशाब यूरिनल पाट में ना जाकर उसके लोवर मे में ही गिरने लगा
राजेश पेशाब करना बंद कर दिया
इधर सुनीता को पेशाब गिरने की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी तो वह राजेश को फिर बोला बेटा पेशाब क्यों नहीं कर रहे हो
राजेश ने कहा मां मेरा लो वर गंदा हो गया पेशाब मेरे लोवर में गिर गया
सुनीता राजेश की बात सुनती है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें
सुनीता राजेश से कहती है बेटा पहले कैसे पेशाब करते थे
राजेश चुप था राजेश को भी यह सब अच्छा नहीं लग रहा था
सुनीता फिर राजेश से पूछती है बेटा कुछ बताते क्यों नहीं
सुनीता के बार बार पूछने पर राजेश अपनी मम्मी से हकलाते हुए कहती है
मम्मी नन्नू को पकड़ना पड़ता है तब पेशाब यूरिनल पाट मे जाएगा
सुनीता क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा था सुनीता का दिल धड़कने लगा था उसे बहुत गंदा फीलिंग हो रहा था वह सोचती है अब क्या करूं मुझे राजेश की मदद करनी पड़ेगी उसने जोरों की पेशाब लगी है पर मुझे उसके नन्नू को पकड़ना होगा हे भगवान अब मैं क्या करूं कुछ देर सोचती रहती है फिर वह अपने मन मे कहती है यहां पर और कोई है भी नहीं जो राजेश की मदद करें मुझे ही करना पड़ेगा और ना चाहते हुए वह अपने दाहिने हाथ को धीरे धीरे राजेश के लिंग की ओर आगे बढ़ाई
सुनीता राजेश के पीछे खड़ी थी वह लिंग को नहीं देख रही थी वह अपने ने हाथ धीरे धीरे लिंग की ओर बढ़ाने लगी उसका उसका हाथ कापने ने लगा दिल धक धक करने लगा उसका हाथ लिंग से टच हुआ
राजेश कॉलिंग जो लटका हुआ था उसे वह हाथों से हल्का पकड़ ली और उसे उठाकर सीधा कर ली
इधर राजेश को बहुत शर्म महसूस हो रहा था उसका दिल भी धड़क रहा था सुनीता राजेश से कहती है लो बेटा अब जल्दी पेशाब करो
राजेश अपने लिंग पर दबाव डालता है राजेश के लिंग से पेशाब निकल करें यूरिनल पाटमें जाने लगता है पेशाब करने की आवाज आने लगती है साथ ही पेशाब की गंध उड़ने लगती है आवाज सुनीता सुनती है उसे बहुत ही शर्म महसूस हो रही थी
पेशाब की गंध सुनीता के नाक तक पहुंचती है सुनीता को अजीब सा लगने लगता है सुनीता का दिल जोरों से धड़क रहा था
इधर राजेश को भी अजीब लग रहा था उसे भी बहुत शर्म महसूस हो रहा था उसका भी दिल धड़क रहा था राजेश ने पेशाब करना बंद कर दिया
सुनीता राजेश से कहती है बेटा हो गयाक्या
तब राजेश अपने मां से कहती है हां मां हो गया
सुनीता राजेश के लिंग को थोड़ा हिलाती है ताकि पेशाब के बुंदे लोअर में ना गिरे बची हुई बुंदे भी यूरिनल पाट में चली जाए
राजेश को बहुत ही शर्म महसूस हो रहा था और उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था
सुनीता राजेश के लिंग को छोड़ देती है और उसके लोवर को ऊपर उठा देती है
राजेश अपने मां से कहता है मालोवर गंदा हो गया है इस पर पेशाब लगी है इसको बदलना पड़ेगा
सुनीता कहती है ठीक है बेटा तुम्हारे पास और भी अंडरवियर और लोअर होगा इसे तुम बदल लो कहां रखते हो तुम अपने लोअर और अंडरवियर
राजेश ने कहा मां अलमारी में होगा
दोनों मां-बेटे बाथरूम से बाहर आ जाते हैं
राजेश पलंग किनारे बैठ जाता है सुनीता लोअर और अंडरवियर ढूंढने लगती हैं उसे अलमारी में लोअर और अंडरवियर मिल जाता है
सुनीता लोअर और अंडरवियर लेकर राजेश के पास आती है वह राजेश से कहती है बेटा यह रहा तुम्हारा लोअर और अंडरवियर और वह राजेश को खड़ा होने के लिए कहती है
राजेश का दिल फिर धड़कने लगता है सुनीता दोनों हाथों से राजेश के लोअर को पकड़कर नीचे खींचती है और लोअर को निकाल देती है
अब राजेश केवल अंडरवियर में था उसे बहुत ही शर्म महसूस हो रहा था
सुनीता को भी बहुत शर्म महसूस हो रही थी दोनों मां-बेटे अजीब से सिचुएशन में फंस गए थे
सुनीता ना चाहते हुए भी अपने बेटे के अंडर वियर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे करने लगी अंडर वियर नीचे होने पर राजेश कॉलिंग सुनीता के आंखों के सामने आ गया सुनीता उससे नजरें चुराने लगी फिर भी वाह उसे तिरछी नजरों से देखने लगी राजेश का लिंग इस समय लटका हुआ था
राजेश कालिंग काफी लंबा था उसका अंडकोष भी काफी बड़ा था उसके लिंग और अंडकोष पर काले काले बाल थे
सुनीता तुरंत अपनी नजरें हटा ली राजेश के अंडरवियर को हुआ पैरों से अलग कर बोली लो बेटा अब अंडरवियर को पहन लो
राजेश अंडरवियर पहनने के लिए अपने पैर को उठाया और अंडरवियर में पैर डाला
सुनीता अंडरवियर को राजेश के पैरों के ऊपर खींचने लगी
सुनीता जैसे ही अंडरवियर को पैरों क् ऊपर की ओर खींची एक बार फिर राजेश का लिंग सुनीता के नजरों के सामने आ गया
सुनीता फिर से ना चाहते हुए भी उसे देखने लगी
राजेश कॉ लिंग काफी लंबा था एकदम गोरा था काले काले घने बालों से घिरा हुआ था वह इस समय लटका हुआ था
राजेश अपनी मां को अपने लिंग को देखते हुए पाया
उसे बहुत शर्म महसूस होने लगा
सुनीता राजेश की ओर देखा राजेश अपनी मां की और ही देख रहा था दोनों की नजरें मिली
सुनीता ने अपनी नजरें झुका ली और शर्म महसूस करने लगी सुनीता जल्दी से राजेश को लोअर पहना दी और निकाले हुए अंडर वियर और लोवर को उठाकर उसे धोने के लिए अपने साथ ले गई
जाते हुए वह राजेश से बोली ठीक है बेटा अब तुम आराम करो किसी चीज की कोई जरूरत हो तो मुझे आवाज देना
उसके मां के जाने के बाद राजेश सोचने लगा यह क्या हो गया उसे अभी भी शर्म महसूस हो रहा था
राजेश अभी तक अपने मां के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था और अभी जो हादसा हुआ उसे भी एक मजबूरी ही समझ रहा था
इधर सुनीता अपने रूम में जाकर थोड़ा आराम करने लगी और वह सोचने लगी हे भगवान यह क्या हो गया मुझे राजेश का लिंग को हाथ लगाना पड़ा और राजेश अभी मुझे उसके लिंग की ओर देखते हुए देख लिया वह बहुत ही गिल्टी फील कर रही थी
फिर वह सोचती है मैं उसकी मां हूं मैं मदद भी करूंगी तो और कौन करेगी औरयह सब सोंचते उसकी आंख लग गई कुछ समय के बाद उसकी आंख खुली फिर वह किचन में चले गई और खाना बनाने लगी
खाना बनाने के बाद वह खाना लेकर राजेश के कमरे की ओर चल दी
राजेश इस समय सो रहा था
सुनीता ने राजेश को आवाज देकर उठाई बेटा उठो खाना खा लो फिर तुम्हें दवाई भी खानी है
राजेश अपनी मां की आवाज सुनकर उठ जाता है सुनीता राजेश को खाना खिलाती हैं उसे पानी पिलाती है और उसे आराम करने के लिए कहती है
सुनीता कमरे से जाते समय राजेश से कहती है बेटा मै10 मिनट के बाद दवाई लेकर आऊंगी
सुनीता किचन में जाकर स्वयं खाना खाती हैउसके बाद फिर दवाई लेकर वहां राजेश के कमरे में आती है
सुनीता राजेश को दवाई खिलाकर कमरे से चली जाती है जाते हुए राजीव से कहती है कि बेटा किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे आवाज देना
सुनीता कमरे चली जाती है और वह अपने कमरे में जाकर आराम करने लगती है दोपहर 3:30 बजे उसकी नींद खुलती है नींद खुलने के बाद उसे राजेश की याद आती है उसे किसी चीज की जरूरत नहीं है
वह राजेश के कमरे की ओर चली जाती है इधर राजेश अपनी पलंग पर बैठा हुआ था सुनीता कमरे के अंदर आती है
राजेश से कहती है कैसे हो बेटे
राजेश कहता है ठीक हूं मम्मी
राजेश के शरीर में अभी भी दर्द था क्योंकि लड़कों ने उसे बुरी तरह से पीटा था वह दर्द अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ था
सुनीता राजेश से पूछती है शरीर का दर्द कम हुआ
राजेश कहता है पहले से थोड़ा कम हुआ ना राजेश को इसमें भी पेशाब लग लग रहा था उसे पेशाब करने जाना था पर वह मां को कह नहीं पा रहा था सुनीता राजेश से कहती है ठीक है बेटा कुछ काम हो तो मुझे बताना अब मैं जा रही हूं घर के काम करने हैं हरवा कमरे से जाने लगी ठीक उसी समय राजेश ने अपने मां को आवाज दी मां सुनीता अपने को पुकारते हुए सुनकर रुक गई और बोली क्या है बेटा कुछ काम था क्या राजेश ने हक लाते हुए कहा ना वह पेशाब आ रही सुनीता आया सुनकर उसके पास आती है और कहती है बेटा इसमें शर्माते क्या पहले बताना था चलो बाथरूम में राजेश बाथरूम में चला गया उसके साथ सुनीता भी उसके पीछे-पीछे चली गई राजेश वीर नल पाठ के सामने खड़ा हो गया सुनीता अब जानती थी कि उसे क्या करना है वाह राजेश के पीछे खड़ी हो गई और दोनों हाथों से उसके लोगों और अंडरवियर को नीचे किसका दी इस समय राजेश का दिल जोरों से धड़क रहा था इधर सुनीता का भी यही हाल था सर्व कुछ कम हो गया था सुनीता अपने दाएं हाथ राजू के लिंग की ओर ले गई और वह राजू के लिंग को अपने दाएं हाथ से अच्छे से पकड़ ली लिंग अभी भी लटका हुआ था सुनीता उसे अपने हाथों से पकड़ कर सीधा कर ली और और राजेश से बोली लो बेटा अब पेशाब करो सुनीता राजीव के लिंग को अच्छे से पकड़ी थी और सावधानी भी रख रही थे कहीं पेशाब लो वरना गिर जाए और वह लिंग को पीछे से देखने लगी राजू अपने लिंग पर दबाव डाला पेशाब की तेज धार यूरिनल पोट फॉर जाने लगा पेशाब के गिरने की आवाज आने लगी इधर सुनीता राजू के लिंग को ही देख रही थी और पेशाब कहीं इधर-उधर ना गिरने लगे अच्छे से पकड़े हुई थी इस समय सुनीता को बहुत ही शर्म महसूस हो रहा था राजू राजेश की पेशाब की गन सुनीता के नाक तक पहुंची उसे अजीत सा महसूस होने लगा राजेश ने पेशाब करना बंद कर दिया राजेश ने मां से कहा हां हो गया तब सुनीता ने राजू के लिंग पर थोड़ा दबाव बनाया और लिंक को दबाकर थोड़ा आगे पीछे किया उसे ही माया ताकि पेशाब के बुंदे लिंग के अंदर हो हुआ अभी बाहर आ जाए उसके बाद युवकों अंडर वियर को ऊपर खींच दी और दोनों मां-बेटे बाथरूम से से बाहर आ गए इस बार दोनों को इतना ज्यादा शर्म महसूस नहीं हुआ सुनीता राजू से गोली ठीक है बेटा अब मैं चलती हूं और कुछ काम हो तो बताना राजेश ने कहा ठीक है मां
दोस्तों कहानी को अब आगे बढ़ाते हैं हमने देखा किस प्रकार सुनीता और राजेश के बीच शर्म कुछ कम हो रहा था
शाम को 4:30 बजे स्वीटी कॉलेज से घर आती है और देखती है उसकी मां कीचन में काम कर रही है
वह अपने मम्मी से कहती है मम्मी भैया कहां है
सुनीता कहती है कॉलेज से आ गई बेटी
स्वीटी कहती है हां मम्मी
सुनिता कहती है कि तुम्हारे भैया अपने रूम में आराम कर रहाहैं
स्वीटी राजेश के रूम की तरफ चली जाती हैं
राजेश के कमरे में प्रवेश करती है वह देखते हैं कि राजेश सोया हुआ है
वह राजेश से कहती है भैया उठो आपकी तबीयत कैसी है
राजेश switi की आवाज सुनकर उठ जाता है
अरे स्वीटी कॉलेज से आ गई वह स्वीटी से कहता है
हां भैया मुझे आज कॉलेज जाने का बिल्कुल मन नहीं था कॉलेज में मेरा मन नहीं लग रहा था तुम्हारी चिंता हो रही थी
राजेश कहता है अरे पगली मैं बिल्कुल ठीक हूं मेरी चिंता मत करो और तुम पढ़ाई में ध्यान लगाओ
स्वीटी कहती है भैया यह सब मेरे कारण ही हुआ है सॉरी भैया
राजेश कहता है नहीं पगली इसमें तुम्हारा कोई दोस्त नहीं है तुम्हें अपने भैया से सॉरी बोलने की कोई जरूरत नहीं
भैया तुम मुझे कितना प्यार करते हो और भाई राजेश को गले लगा लेती हैं
स्वीटी राजेश से कहती है ठीक है भैया मैं अपने कपड़े बदल लेती हूं कुछ काम रहेगा तो मुझे आवाज देना
राजेश के कैमरे से जाने को होती है तभी राजेश स्वीटी से से कहता है स्वीटी थोड़ा मम्मी को भेजना
स्वीटी कहती भैया मम्मी किचन में काम कर रही है कुछ काम है तो मुझे बता दो मैं कर दूंगी
नहीं स्वीटी तुम मम्मी को बुला दो
भैया कुछ काम हो तो मुझे बताओ ना मैं कर दूंगी नहीं
स्वीटी तुम मॉ को भेजो
ठीक है भैया मैं मम्मी को भेजती हूं और स्वीटी किचन क्यों चली जाती है
स्वीटी किचन में जाक वह अपनी मम्मी से कहती है
मम्मी भैया को आपसे कुछ काम है वह आपको बुला रहे हैं
सुनीता कहती है क्या काम है
स्वीटी कहती है मैंने भैया से कहा कि क्या काम है मैं कर देती हूं तो उसने मुझे कुछ बताया नहीं
सुनीता कहती है अभी शायद उसको पेशाब लगी हो उसके मुंह से अचानक ही निकल जाता है जिसे सुनकर स्वीटी चौक जाती है
सुनीता राजेश के कमरे की ओर चली जाती है
Switi सोचने लगती है क्या सच में भैया को पेशाब लगी होगी और वह मम्मी को बुला रही है मम्मी कैसी मदद करेगी भैया की यह सोचकर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है
उसे जाकर देखने की इच्छा होती है और वह भी राजेश की कमरे की ओर जाने लगती है
इधर सुनीता राजेश के कमरे में पहुंच चुकी होती है और राजेश से पूछती है बेटा कुछ काम है
राजेश पहले की अपेक्षा आसानी से बोल दिया कि मुझे पेशाब लग रही और बोल कर थोड़ा शर्मा गया
सुनीता राजेश से कहती है ठीक है बेटा चलो बाथरूम में
इधर स्वीटी राजेश के कमरे में पहुंचते हैं वह राजेश और अपनी मम्मी को बाथरूम में घुसते हुए देखती हैं
सुनीता स्वीटी को देख लेती है
Switi को देखते ही वह स्वीटी से कहती है अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गई
अरे मां मैं यहां देखने आई हूं भैया को ऐसा क्या काम है जो मुझसे नहीं कहा
सुनीता ने कहा राजेश को पेशाब लगा है उसकी मदद करनी होगी
तुम जाओ यहां से और सुनीता बाथरूम के अंदर चली जाती हैं और बाथरूम के दरवाजे बंद कर देती है
इधर राजेश urinal pot के सामने खड़ा हो चुका था
वह अपनी मम्मी से कहता हैं मम्मी क्या स्वीटी आई थी
सुनीता ने कहा हां बेटा वह चली गई है कि नहीं पता नहीं
बेटा मैंने उसको कमरे से जाने के लिए कहा उसको छोड़ो तुम पेशाब करो
राजेश के दिल का धड़कन बढ़ चुका था इधर सुनीता ने राजेश के लोअर और अंडरवियर को उनके जांग से नीचे किसका दिया सुनीता ने अपने दाएं हाथ आगे ले जा कर राजेश के लिंग को पकड़ लिया इस बार राजेश के शरीर में कपकपी आ गया
राजेश अपने लिंग पर थोड़ा दबाव डालें जिससे उसका पेशाब तेजी से बाहर आने लगा
इस समय सुनीता सोच रही थी स्वीटी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी उसे बहुत ही गिल्टी फील हो रहा था
इधर राजेश को उसकी मां का लिंग पकड़ना अच्छा महसूस हो रहा था
राजेश जब पेशाब कर लिया ततव वह सुनीता से कहा मम्मी हो गया
तब सुनीता ने राजेश के लिंग को थोड़ा दिलाया राजेश को यह बहुत ही अच्छा लगा
पेशाब करने के बाद दोनों कमरे से बाहर निकले
स्वीटी बाहर हाल में बैठी थी जब उसकी मां किचन की ओर आई
अपनी मां से पूछी मम्मी क्या भैया ने पेशाब कर लिया
सुनीता यह सुनकर शरमा गई चुप रे पगली
उसे अपनी बेटी के सामने शर्मिंदा होना पड़ रहा था
उसने स्वीटी से कहा बेटा देखो तुम्हारे भैया को पेशाब कर पाने में दिक्कत होती है इसलिए उसकी मदद करनी पड़ती है
तब स्वीटी ने कहा मैं समझ सकती हूं मम्मी और थैंक्स देती है अपने भैया की मदद करने के लिए
तब सुनीता कहती है मैं उसकी मम्मी मम्मी हूं मेरे लिए वह छोटा बच्चा ही है मैं उसकी मदद नहीं करूंगी तो और कौन करेगा
स्वीटी अपने मां को गले लगा लेती हैऔर कहती है आप सही कह रही है मम्मी और स्वीटी अपने कमरे में चली जाती है
सुनीता को अच्छा महसूस हो रहा था क्योंकि स्वीटी समझदार लड़की है वह मजबूरी को समझ सकती है
इधर स्वीटी अपने कमरे में जाने के बाद उस पल को
याद करने लगती है जब राजेश और उसकी मां बाथरूम मे राजेश को पेशाब कराने ले जाती है और दरवाजा बंद कर देती हैं
और वह सोचती रहती हैं की मम्मी ने भैया का कैसे किस तरह मदद की होगी यह सोचकर ही उसके शरीर में अजीब सी हलचल होना शुरू हो जाती हैं
रात्रि 8:00 बजे शेखर ड्यूटी से अपने घर आता है वैसे तो बैंक का कार्य आम लोगों के लिए शाम के 5:00 बजे तक के लिए ही रहता है लेकिन कर्मचारियों को दिन भर का हिसाब किताब करना होता है हिसाब किताब करते-करते रात्रि के 7 से 8 बज जाते हैं इस तरह शेखर को घर आने में रोज रात्रि के 8:00 से 8:30 बजे का समय हो ही जाता है
घर आते ही वह अपने रूम में चला जाता है और वहां कपड़े चेंज कर फ्रेश होता है वह कीचन में जाता सुनीता किचन में काम कर रही होती है
सुनीता से पूछता है राजेश कहां है उसकी तबीयत कैसी है
सुनीता कहती है राजेश अपने रूम में आराम कर रहा होगा
शेखर राजेश के कमरे की ओर चला जाता है
वहां जाकर देखता है तो राजेश सोया हुआ रहता है
राजेश से कहता है कैसे हो बेटा तबीयत कैसी है
अपने पापा के बातों को सुनकर राजेश कहता है मैं ठीक हूं पापा आप ड्यूटी से कब आए
शेखर ने कहा जस्ट अभी आया हूं
फिर राजेश से पूछता है तुम्हारे बदन का दर्द ठीक हुआ राजेश कहता है पहले से ठीक हूं पापा पहले से दर्द कम है
शेखर कहता है अच्छी बात है तुम जल्दी ही ठीक हो जाओगे
तब राजेश कहता है जी पापा
फिर शेखर राजेश से कहता है ठीक है बेटा तुम आराम करो और वह राजेश के कमरे से चला जाता है
और हाल में जाकर बैठ जाता है और टीवी पर आज तक न्यूज़ देखने लगता है
इधर संगीता रात का भोजन तैयार कर चुकी होती है वह भोजन लेकर राजेश के कमरे की ओर चली जाती है
राजेश के कमरे में जाकर वह राजेश हुए कहती है उठो बेटा भोजन करो
सुनीता राजेश को सहारा देकर बेड से उठाती है और वह राजेश को अपने हाथों से भोजन कराने लगती है
राजेश अपनी मां की सेवा को देखकर उसकी आंख भर आता है
सुनीता उनकी आंखों में आंसू देख कर राजेश से पूछती है क्या हुवा बेटा तुम्हारी आखो मे आंसू कैसी
मम्मी तुम कितना प्यार करती हो हमें तुम कितनी अच्छी हो आई लव यू मम्मी
सुनीता कहती है यह तो हर मां अपने बच्चों के लिए करती है बेटा
और आंखों से उसके बहते हुए आंसू को पूछने लगती है
सुनीता राजेश को अपने गले से लगा लेती
कुछ समय तक वह राजेश को अपने गले से लगाए रखती है फिर सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा अब खाना जल्दी से खत्म करो तुम्हारे पापा भी खाने के लिए इंतजार कर रहे होंगे
राजेश कहता है ओके मम्मी
भोजन कर लेने के बाद सुनीता राजेश के कमरे से बाहर जाने लगती है जाते हुए हुआ राजेश से कहती है बेटा कुछ समय के बाद में दवाई लेकर फिर आऊंगी
तब तक तुम आराम करो
और वह राजेश के कमरे से चली जाती है
वहां से वह सीधे किचन में चली जाती है किचन से ही शेखर को आवाज लगाती है चलिए आप लोग भी खाना खा लीजिए
और बेटी को खाने के लिए बुला
लो
शेखर स्वीटी को आवाज लगाती है
स्वीटी पढ़ाई कर रही होती है अपने पापा की आवाज सुनकर वह खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर आकर बैठजाती है
सुनीता डाइनिंग टेबल पर खाना लगाती है तीनों भोजन कर लेते हैं
स्वीटी भोजन करके अपने रूम में चली जाती है शेखर हार में बैठकर टीवी देखने लगता है
सुनीता दवाई लेकर राजेश के कैमरे में चली जाती है और उसे दवाई खिलाकर वापस आ जाती है
इधर शेखर टीवी देख रहा हूं ता है कुछ समय टीवी देखने के बाद उसे नींद आने लगती है वह सोने के लिए अपने रूम में चला जाता है
सुनीता किचन का काम निपटाने के बाद अपने रूम में चली जाती है
शेखर अभी सोया नहीं रहता सुनीता को देखकर वह
सुनीता से कहता है तुम्हें राजेश की मदद करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी तो नहीं हुई
सुनीता शर्माते हुए बोली नहीं जी हमारा बेटा बहुत समझदार है
राजेश ने कहा मुझे तुमसे यही उम्मीद थी
सुनीता बोली मैं उनकी मां हूं तो यह मेरा फर्ज भी है कि मैं अपने बेटे का मदद करू
शेखर ने आगे कहा तुम सोने से पहले एक बार राजेश के पास जाकर उससे पूछ लेना उसे किसी चीज की जरूरत तो नहीं
नहीतो रात में उसे परेशानी होगी
सुनीता अपने पति से कहती है ठीक है जी
सुनीता सोने की तैयारी करने लगती है वह सोने के लिए नाइटी पहन लेती है
सोने से पहले वह घर हो अच्छे से चेक कर लेती है सब दरवाजा खिड़की से बंद है कि नहीं और
सीधे राजेश के कैमरे की ओर चल देती है राजेश के कमरे में जाने के बाद वह देखती है कि राजेश सो रहा है
वाह राजेश को जगाती है बेटा सो गया क्या
मां की आवाज को सुनकर राजेश उठजाता है
मम्मी नींद लग गई थी क्या बात है
मैं पूछने आई थी कि तुम्हें किसी चीज जरूरत तो नहीं है नहीं तो रात में तुम्हें परेशानी होगी
राजेश ने अपनी मां सुनीता से कहा मां तुमने अच्छा किया जो यहां आ गई
बोलो बेटा कुछ काम काम है क्या राजेश में सुनीता से थोड़ा शर्माते हुए संकोच करते हुए कहा मां मुझे रात में पेशाब करके सोने की आदत है परंतु पेशाब अभी नहीं लग रही
सुनीता ने कहा ठीक है बेटा चलो तुम्हें पेशाब करा देती हूं नहीं तो रात में तुम परेशान हो जाओगे
पेशाब ज्यादा ना लगे होने पर भी राजेश पेशाब करने बाथरूम की ओर जाने लगता है सुनीता भी उसके पीछे-पीछे चली जाती है
राजेश पेशाब करने के लिए नयूरिनल पारट के सामने खड़ा हो जाता है
राजेश का दिल फिर से धड़कने लगता है क्योंकि वह
सोचने लगता है कि उसकी मां उसके लिंग को फिर से अपने हाथों में लेने वाली है
सुनीता राजेश के पीछे खड़े होकर अपना दाया हाथ राजेश के लिंग की ओर बढ़ा देती है उसका भी दिल धड़कने लगता है
आखिर वह एक मां होने के साथ-साथ एक औरत भी थी और इस तरह किसी के लिंग को अपने हाथ से पकड़ लेना राजेश अब छोटा नहीं था इसलिए उसके हाथों में भी कपकपी आने लगता है
अपने कप कपाते हाथों से राजेश के लिंग को फिर से एक बार पकड़ लेती है
राजेश को बहुत ही अच्छा महसूस होने लगता है
राजेश पेशाब करने के लिए अपने लिंग पर जोर लगाता है पर पेशाब ज्यादा ना लगे होने के कारण पेशाब बाहर नहीं निकलता
सुनीता पूछती है क्या हुआ बेटा पेशाब क्यों नहीं कर रहे
राजेश अपनी मम्मी से कहता है पेशाब ज्यादा नहीं लगे होने के कारण बाहर आने मैं थोड़ा समय लगेगा
सुनीता को समझ नहीं आ रहा था अब क्या करें
कुछ समय के बाद फिर से वह राजेश से कहती है बेटा पेशाब आ रही है
राजेश अपने मां से कहती है मैं कोशिश कर रहा हूं अब शायद आने वाली है
सुनीता को ना जाने क्या सुझता है कि वह राजेश के लिंग पर अपने अंगूठे दबाव बढ़ा देता है और लिंग को आगे की ओर खींचने लगती है
अंगूठे का दबाव लिंग के मुख पर पढ़ते हैं राजेश को बहुत ही अच्छा लगने लगता वह दूसरी दुनिया में खो जाता है
कुछ देर सुनीता के ऐसे करने के बाद पेशाब की धार लिंग से बाहर निकलने लगता है
पेशाब रुक जाने के बाद सुनीता राजेश के लिंग को हिलाती है ताकि पेशाब की बूंद अगर लिंग में में रुका हो वह बाहर निकल जाए
इधर राजेश होश में आता है उसकी मम्मी उसके लोवर को ऊपर कर देती है
दोनों मां-बेटे बाथरूम से बाहर आ जाते हैं
सुनीता राजेश को गुड नाईट बेटा करके उसके कमरे से चली जाती है अपने कमरे में आकर देखती है शेखर सो चुका था सुनीता भी बेड पर लेट जाती है
सुनीता बेड पर लेट कर आज दिनभर हुई घटना को याद करती है
मैं किस प्रकार अपने बेटे के लिए को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करायी
यह सोचकर ही उसे बहुत ही शर्म महसूस होने लगती है और मन में कहती है यह भगवान यह मुझे क्या दिन देखने पड़ रहे हैं
कुछ पल के बाद फिर वह राजेश के लिंग को याद करने लगती है
राजेश का अंडकोष कितना बड़ा है सोए हुए भी वह कितना बड़ा लगता है
फिर अगले ही पल वाह ग्लानि से भर जाती है
यह क्या सोचने लगी अपने ही बेटे बेटे के बारे में
हे भगवान मुझे क्षमा कर दो यह सब सोचते सोचते हैं उसे पता नहीं कब नींद लग जाती है
सुनीता रोज की तरह अगली सुबह सोकर उठती है फिर नहाने की तैयारी करनी लगती है
वह बाथरूम में जाकर व्रश करने लगती है
जब वह ब्रश कर रही होती है तब उसे राजेश का ख्याल आता है
वह अपने मन में कहती हैं राजेश को अगर किसी चीज की जरूरत होगी तो कहीं वह सोकर उठ न गया हो
अरे मुझे उसके कमरे में जाकर देखना चाहिए
वह ब्रश करने के बाद वह नाइटी पहने हुए राजेश के कमरे की ओर चल पड़ती है
राजेश के कमरे का दरवाजा लॉक नहीं था क्योंकि वह दरवाजा बंद नहीं कर सकता था अतः वह दरवाजा धकेल कर कमरे में प्रवेश कर गई
सुनीता ने राजेश को देखा कि वह लेटा हुआ परंतु उसकी आंख खुली हुई है वह राजेश से कहती है गुड मॉर्निंग बेटा कैसे हो
राजेश अपनी मां सुनीता से कहती हैं गुड मॉर्निंग मम्मी मैं ठीक हूं मम्मी
सुनीता कहती है बेटा मैं यहां देखने आई थी कि तुम्हे किसी चीज की जरूरत तो नहीं है तुम्हें मेरी मदद की आवश्यकता तो नहीं है
राजेश कुछ बोलता नहीं है इस समय राजेश को जोरो से पेशाब के साथ-साथ टॉयलेट भी लग रहा होता है लेकिन एक बड़ी समस्या हो गई थी पेशाब के कारण उसका लिंग पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जैसा किअधिकांश लोगों के साथ सुबह-सुबह होता है इसलिए राजेश वह अपनी मां को बताने में हिचकी जा रहा था कि उसे जोरों की पेशाब और टॉयलेट लग रहा है
वह समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या करें
तभी सुनीता को ये महसूस हो जाता है की राजेश को जरूर कोई समस्या है पर वह मुझे बता नहीं पा रहा है
वह राजेश को फिर से पूछती है बेटा बताओ क्या कुछ समस्या है तुम शरमाओ मत
मां के जोर देने पर राजेश शर्माते हुए धीरे से कहता है
मां वह पेशाब और टॉयलेट भी लगी है
सुनीता कहती हैं बेटा इसमें शर्माने की क्या बात है चलो उठो
इस समय राजेश का शरीर चादर से ढका हुआ था और उसका लिंग उसके लोवर मे सीधा खड़ा हुआ था
अभी सुनीता इससे अनजान थी
इधर राजेश सोच रहा था अब क्या होगा इस हालत में देखेगी तो क्या समझेगी
इधर सुनीता राजेश को उठाने के लिए चादर उसके शरीर से हटा देती है
जैसे ही चादर उठाती है तो उसकी नजर राजेश के लोअर पर जाती है वह देखती है कि लोवर का सामने वाला भाग एकदम उठा हुआ है
हुआ समझ जाती है कि उसके बेटा कॉ लिंग इस समय खड़ा हुआ है
यह सोचते ही उसके शरीर में कपकपी आने लगती है
उसे बहुत ही शर्मिंदा महसूस होने लगती है वह सोचने लगती है हे भगवान मैं कहां फस गई यह मेरी कैसे परीक्षा ले रहे हो
फिर भी वह सोचती है कि मुझे राजेश की मदद तो करनी होगी और वह हिम्मत जुटा कर कहती है चलो बेटा उठो और राजेश को बेड से उठाती है बेटा चलो बाथरूम में
इस समय राजेश बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रहा था क्योंकि उसने अपनी मां को अपने लोवर को घूरते हुए देख लिया था उसे बहुत ही खराब महसूस हो रहा था
राजेश बाथरूम की ओर जाने लगता है पीछे पीछे सुनीता चली जाती है सुनीता का दिल जोरों से धड़क रहा था अब क्या होगा
राजेश टॉयलेट सीट के पास जाकर खड़ा हो जाता है वह टॉयलेट सीट में बैठने के लिए घुम जाता है
सुनीता को मालूम था कि अब क्या करना होगा वह नीचे झुक कर राजेश लोवर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे खींच कर उसके पैरों से पूरा अलग कर देती है
इस समय सुनीता अपनी नजरों को दूसरी ओर कर ली थी अब अंडरवियर निकालने की बारी थी
सुनीता का हाथ कापने लगा
वह अपने कांपते हुए हाथों से राजेश के अंदर वियर को पकड़ कर धीरे-धीरे नीचे करने लगी
जैसे ही वह नीचे की राजेश का लिंग उछलकर उसके मुख के सामने आ गया सुनीता की नजरें ना चाहते हुए भी उसके लिंग की ओर चला गया
इस समय सुनीता का दिल की धड़कन बड़ गई थी उसकी सांसे तेज होने लगी थी
सुनीता विकास के विशाल लंड को देखकर उसके शरीर में सिहरन होने लगी
वह अपने आप को बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी कुछ छन राजेश के लंड* को देखने के बाद वह खड़ाीहो गई
इस समय राजेश भी बहुत ही शर्म महसूस कर रहा था
सुनीता राजेश से बोली लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो
मैं बाहर बैठी हूं जब टॉयलेट हो जाए तो मुझे बताना और बाहर चली गई
बाहर जाते हुए व बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा बंद कर दी ताकि राजेश बिना किसी झिझक के अच्छे से टॉयलेट कर सके और जाकर वह बेड पर बैठ गई और अभी जो घटना घटित हुई उसे सोच कर बहुत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी
इधर राजेश टॉयलेट सीट पर बैठ जाता है उसका लंड सीधा खड़ा था
जब राजेश टॉयलेट करने के लिए अपनी गांड पर जोर लगाता है उसके लंड से मूत निकल कर बाथरूम के दरवाजे पर पड़ने लगता है क्योंकि राजेश का लिंग खड़ा था जिससे उसकी मूत टॉयलेट सीट के अंदर ना जाकर उड़ता हुआ सीधे बाथरूम के दरवाजे पर गिरने लगा
पेशाब के दरवाजे पर गिरने की आवाज सुनकर सुनीता चौक जाती है और वह बाथरूम की ओर चली जाती है
यह देखने के लिए कि क्या हुआ वह दरवाजा खोल देती है जैसे ही दरवाजा खोलती है पेशाब सुनीता के ऊपर गिरने लगता है
राजेश या देख कर डर जाता है यह क्या हो गया वह पेशाब करना बंद कर देता है
सुनीता राजेश बेटा यह क्या किया मेरा पूरा कपड़ा खराब हो गया
मुझे माफ कर दो मा वह बहुत ही शर्मिंदा होने लगा
मैंने यह जानबूझकर नहीं किया मुझे माफ कर दो
सुनीता यह सोचने लगती है कि आखिर यह हुआ कैसे
तब वह राजेश के लंड* की ओर देखती है जो कि अभी भी खड़ा हुआ था
वह समझ जाती है माजरा क्या है
बेटा गलती मेरी है पहले तुम्हें पेशाब करा देना चाहिए था
हां मम्मी तुम सही कह रही
सुनीता राजेश से कहती है चलो बेटा तुम पहले पेशाब कर लो
राजेश टॉयलेट सीट से खड़ा हो जाता है इस समय उसका लंड खड़ा हुआ था
वह यूरिनल पाट के सामने जाकर खड़ा हो जाता है
इस समय उसका लंड ऊपर की ओर था
सुनीता समझ चुकी थी उसे क्या करना है
वह राजेश के लिंग को पीछे से अपने दाएं हाथ से पकड़ लेती है और सीधा कर देती है ताकि पेशाब यूरिनल पाठ में चली जाए
सुनीता लिंग को पकड़कर शर्म महसूस कर रही थी फिर सोचने लगी कि राजेश का लैंड कितना मोटा और लंबा है
उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी इधर राजेश को अपनी मां द्वारा लंड को पकड़ना बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था उसका भी शरीर कप कपा रहा था
पेशाब कर लेने के बाद सुनीता राजेश से कहती है लो बेटा अब तुम टॉयलेट कर लो मैं बाहर बैठी हूं
राजेश टॉयलेट सीट में बैठकर टॉयलेट करने लगता है
सुनीता राजेश की मदद करके वह अपने रूम में वापस आ जाती है
वह अपनी बाथरूम में जाकर नहाने के लिए के लिएपूरी तरह नंगी हो जाती है।
जब वह सावर में नहा रही होती है उसकी आंखें बंद हो जाती है और बेटे के रूम मे हुई घटनाओं को याद करने लगती है ।
वह अपने मन में अपने बेटे के लिंग को याद करके कहती है राजेश का लिंग कितना लंबा और मोटा है उसका लिंग अब नून्नू नहीरहा वह अब लंड बन चुका है।
वह अपने पति से राजेश की लंड की तुलना करने लगती और मन में कहती है राजेश के लंड शेखर के लंड से दोगुना हो गया और काफी मोटा भी है।
यह सोचते सोचते वह गर्म होने लगती है
उसका एक हाथ उसकी चुत पर चली जाती है दुसरे हाथ से अपने स्तन को मसलने लगती हैं ।
वह हाथ से अपने चूत को सहलाने लगती है ।
अपने बेटे के लंड को याद करते हुए वह गर्म होने लगती है ।
वह अपने हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगती है ।
अपने एक हाथ से अपने चूची के जोर जोर से मसलने लगती है ।
उसकी सांसे भारी हो चुकी होती है ।
वह अपनी चूत पर रगड़ बढा देती है। चूत को रगढते समय उसकी उंगली अचानक से उसके चूत की भग्नासा से टकरा है जाती है।
उंगली उसके भग्नासा से टकराने के कारण उसे चरम आनंद की अनुभूति होती है।
उसकी सांसे तेज होने लगती है वह जोर जोर से सांस लेने लगती है ।
सुनिता अपनी उंगली से अपनी चूत की भग्नासा को रगड़ने लगती है ।
उसकी सांसे धौकनी की तरह चलने लगती है।
उसकी चूचियां फूलने और पिचकने लगती है ।
अब उसेक् बर्दाश्त से बाहर होने लगता है ।
वह लंबी लंबी सासे लेने लगी। उसके शरीर कांपने लगी।
वह ह चरम सुख की अनुभुति मेअपने पैरों को आपस में रगड़ने लगी ।
अपने होठों को दांतो से चबाने लगी धीरे-धीरे अपने चरम की ओर बढ़ रही थी ।ऐसा चरम सुख का अहसास उसे पहले कभी नहीं हुआ था।
वह अपने चुत की भग्नासा को तेजी से रगडे जा रही थी
उसकी उंगलियां चूत के रस से पूरी तरह भीग चुकी थी।
सुनीता के चुत से रस निकलकर उसकी जांघों में बहने लगी ।
वह ठीक से खड़ी नहीं हो पा रही थी उसके पैर आनंद की अनुभूति के कारण थरथरा रहे थे।
वह काम विहिल होकर अपने हाथों की उंगलियों को को अपनी चूत के अंदर डालकर तेजी से अंदर बाहर करने लगी
उंगलियों की रफ्तार उसके चूत के अंदर समय के साथ बढ़ने लगी और कुछ ही पल के बाद उसके मुख से आह आह मम्मी की आवाज निकलने के साथ ही वह खड़े-खड़े झड़ने लगती है।
झड़ने के कुछ समय बाद उसे होश आता हैऔर अपने आप में बहुत ही शर्मिंदा महसूस करने लगती है।
वह सोचने लगती है कि यह मैंने क्या कर डाली अपने
बेटे के लंड को याद करते हुए मैं झड़ गई ।
यह मैं क्या कर बैठी वह आत्मग्लानि महसूस करने लगती है ।
वह भगवान से क्षमा मांगने लगती है हेभगवान मुझसे बहुत बड़ीपापहो गई ।मुझे क्षमा कर दो
उसे नॉर्मल होने में कुछ समय लगता है।
नहाने के बाद वह पूजा करके अपने रोज के काम में लग जाती है।
![Congrats :congrats: :congrats:](/uploads/smilies/congrats.jpeg.gif)
Story to sandar hai bhai Uspr Aapki lekhan shaili ne Kamal ka rang ghola hai... Padh kr anand aa gya bhai superb updates sandar jabarjast