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Hum hai rahi pyar ke
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Kahani me sab kuchh anootha ho raha hai par avishwasniiya nahi hai siway dekhe Bina dawai lagane ke ha ha . Bahut khoob.३२ – ये तो सोचा न था…
[(३१ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…
जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…
और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…
जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था… ]
जुगल
जुगल की हालत पिंजरे में कैद हिरन जैसी थी. रात को शराब के नशे में उसने क्या किया वो उसे बिल्कुल याद नहीं आ रहा था. झनक की स्कर्ट उसने निकाल दी यह झनक ने पापा उसे सीसीटीवी पर दिखा रहे थे… जुगल एकदम से खड़ा हो गया. सरदार जी ने कोम्युटर पर चल रही फुटेज को पोज़ में रोक कर जुगल से पूछा.
‘क्या हुआ?’
‘यह मैं आप के सामने नहीं देख पाऊंगा. मैंने क्या किया मुझे याद नहीं - आप को जो सजा देनी हो दे दीजिये, इसे बंद कर दीजिये प्लीज़-’
तभी झनक उस कमरे में आई. सरदार जी ने जुगल से कहा.
‘ओये? बैठ जा. ये कोई ब्लू फिल्म है जो तुम अकेले में देखना चाहते हो?’ फिर झनक से कहा. ‘आ जा तू भी. देख. तेरे दोस्त ने कल रात क्या कांड किया.’
झनक ने बैठते हुए जुगल से कहा. ‘मैंने बोला था तुमको की हर कमरे में सीसीटीवी है.’
जुगल कुछ बोल नहीं पाया.
‘अब बैठ भी जाओ! या पापा के पैरों में पड़ने का इरादा है?’
यह सुन सरदार जी ने झनक के सामने देखा. झनक ने कहा.
‘मैंने बताया था ना आपको मैं कपडे बदल रही थी तब ये मेरे कमरे में आ गया था. मैं बिलकुल नंगी थी. फिर दोबारा मिला तो मेरे पैर पड़ गया और कहने लगा की गलती हो गई…’
‘देखते है कल इसने क्या गलती की…’
कहते हुए सरदार जी ने सीसीटीवी फुटेज चलाना शुरू किया. जुगल विवश हो कर बैठ पड़ा. - आज ये बाप बेटी मेरा भरता बना कर ही मानेंगे - यह सोचते हुए.
***
जगदीश
अस्पताल के उस वॉर्ड में शालिनी अर्ध नग्न अवस्था में जगदीश के सामने लेटी हुई थी. कपड़ो के पर्दो के पार्टीशन ने उन दोनों को दुनिया से काट कर एक दूजे के सामने अकेला कर दिया था…
जगदीश ने उसे टुकुर टुकुर निहार रहे शालिनी के उस स्तन को देखा जिस पर उसने दवाई मलनी थी…और एक पल के लिए वो आंखें मूंद गया.
ये शालिनी का वही स्तन था जो साजन भाई के कहने पर शालिनी ने अपनी कुर्ती से बाहर कर के जगदीश को दिखाया था और जगदीश जिसे देख हतप्रभ और उत्तेजित हो गया था.
आज वही स्तन जगदीश के सामने नग्न था. पर आज यह उत्तेजना जगाने के सबब नग्न नहीं था. बल्कि उस घायल स्तन को आज दुरुस्ती अफ़ज़ाई की उम्मीद थी…
इंसान के मन की सोचने की गति रौशनी के फैलावे से भी तेज होती है. इस एक पल में जगदीश ने यह भी याद कर लिया की ऐसी ही नाजुक स्थिति में शालिनी ने अपनी हया और अपने संकोच को दरकिनार करते हुए उसके टेस्टिकल का मसाज किया था. शालिनी को किस क्षोभ को सहन पड़ा होगा उस बात का अब उसे अंदाजा आया… जगदीश ने आंखें खोली और शालिनी के सामने देख मुस्कुराया.
‘क्या सोच रहे हो भैया?’ शालिनी ने पूछा.
‘एक बात पुछु?’
‘दवाई? वो कब लगाओगे?’
‘लगाऊंगा. पहले बताओ, मोहिते ने तूलिका की जो बातें की वो सुन कर तुम मुझ पर गुस्सा हो गई थी- वो क्यों?’
‘गुस्सा नहीं आएगा? वो चुड़ैल आप पर चान्स मार रही है, आप को छेड़ रही है, आपका चुम्मा जबरदस्ती ले रही है और आप अमीर नवाबजादे की तरह अपना खजाना लुटाते जा रहे हो, न उसे रोकते हो न मुझे कुछ बताते हो.’
‘तुम्हें बता कर क्या करता? मतलब उससे क्या होता?’
‘क्या होता मतलब? मुझे कोई परवाह नहीं कोई क्या सोचेगा उस बात की, मैंने उसे आड़े हाथ लेकर पूछा होता की तुम क्या मेरे जेठ जी को पब्लिक प्रॉपर्टी समझ रही हो क्या? ख़बरदार अगर इनके सामने भी देखा तो!’
यह सुन क्र जगदीश जोरों से हंस पड़ा. शालिनी ने आहत होते हुए पूछा.
‘इसमें हंसने वाली कौन सी बात है?’
‘तुम उसे यह कहती के मैं तुम्हारा जेठ जी हूं ?’
‘ओह हां, यह तो मैं भूल ही गई थी…’ शालिनी ने शर्माकर अपना एक हाथ अपनी आंखों पर ढंकते हुए कहा.
जगदीश ने शालिनी की आंखों पर से उसका हाथ हटाते हुए कहा. ‘बाद में शर्माना, अभी मुझ से बात करो.’
‘बात ही तो कर रही हूं.’
‘बात करते करते यूं आंखें बंद कर दोगी तो बात कैसे होगी?’
‘शर्म आ जाए तो क्या करूं, शर्माने भी नहीं दोगे?’
‘बहुत शर्मा लिया, अब बताओ, तूलिका से तुम क्या कहती?’
‘बोलती की मेरे पति से तुम दूर रहो-’
‘मेरा पति! ऐसा बोल देती?’
‘ओ भैया… जाओ ना, क्यों छेड़ रहे हो मुझे…’ फिर से लजा कर अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए शालिनी ने कहा.
जगदीश ने झुक कर अपना चेहरा शालिनी के सामने रखा. शालिनी ने अपना चेहरा फिर एक हाथ से छुपाते हुए कहा.
‘हटो मुझे शर्म आ रही है..’
‘पर किस बात की शर्म ये तो बताओ? तुम मुझ पर तो बडी भड़क रही थी की -आप से तो बाद में बात करूंगी - और जब तूलिका से बात करने की बारी आई तो शर्मा रही हो? शालिनी ये तो कोई बात नहीं हुई ! गैरों पे करम अपनों पे सितम?’
‘अब आप पर मैं ने कौन सा सितम कर दिया, बताओगे?’
‘ठीक से बात ही नहीं करती बार बार लजा रही हो, यह सितम नहीं?’
‘कोई बात नहीं करनी, अब सीधा आप को दिखा दूंगी की उस तूलिका का मैं क्या करती हूं , अब कोई ऐसी वैसी कोई हरकत ! उसकी ख़ैर नहीं.’
‘अच्छा छोडो तूलिका की बात, पर तुम क्या कह रही थी मेरे बारे में की मैं अगर किसी लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिलु तब भी मुझ पर शक नहीं करोगी! इतना भरोसा है मुझ पर?’
‘भैया, इन तीन दिनों में मैंने आप को बहुत जान लिया.’
‘अच्छा ! क्या क्या जान लिया, बताओ.’
‘मैंने ऐसे बहुत कम मर्द देखे है जो सामने औरत खड़ी हो और उसकी छाती की ओर नजर न डाले…’
‘ओके तो?’
‘अभी दस मिनिट से मैं आपके सामने हूं और मेरी छाती बिना कपड़ो के खुली हुई है और आप ने अब तक एक नजर भी नहीं डाली, लगातार मुझ से बात किये जा रहे हो, मुझ पर, मेरे चहेरे की ओर ही आपकी नजर है - ऐसा मर्द मिलना मुश्किल है इतना तो मैं समझती हूं.’
‘अरे हां, मैं तो बातों में लग गया, दवाई लगाना तो भूल ही गया…’
‘कुछ भूल नहीं गए, आप अब बहाने मत निकालो, मैं जानती हूं यह काम आप कर ही नहीं सकते.’
‘अरे, कर क्यों नहीं सकता!’
‘मेरी नंगी छाती आप देख नहीं सकते तो दवाई लगाने के लिए छुओगे कैसे!’
‘ओह… अब ऐसी बात भी नहीं, मैं कोशिश तो कर ही सकता हूं.’
‘देख ली आप की कोशिश.’ कहते हुए शालिनी ने अपनी छाती वॉर्डरोब से ढंकते हुए कहा. ‘नर्स को बुलाइए. दर्द होगा पर दवाई तो उसके अलावा लगने से रही.’
‘ठीक है. बुलाता हूं नर्स को.’ कहते हुए जगदीश बाहर गया.
शालिनी के मन में एक अजीब निराशा फ़ैल गई.
कुछ ही पल में नर्स और जगदीश लौटे.
नर्स ने पूछा. ‘लगा दी दवाई? ‘
शालिनी ने कहा. ‘नहीं.’ और जगदीश ने कहा. ‘लगा दी.’
नर्स ने दोनों को बारी बारी देखते हुए आश्चर्य से पूछा. ‘लगाई या नहीं?’
जगदीश ने कहा. ‘आप चेक कर लीजिए, ठीक से लगाई है क्या?’
नर्स ने शालिनी का वॉर्डरोब खोला. शालिनी को ताजुब्ब हुआ की जेठ जी ‘दवाई लगाई.’ ऐसा क्यों बोल रहे है?
नर्स ने शालिनी के स्तन को बारीकी से देख, खुश हो कर कहा. ‘एकदम परफेक्ट लगाई है आपने दवाई सर, थैंक यु.’
‘इन्हो ने कोई दवाई नहीं लगाई सिस्टर, ये तो मेरे साथ गप्पे हांक रहे थे.’
नर्स ने स्मित करते हुए शालिनी से कहा. ‘मेडम आप खुद देख लो ना?’
शालिनी ने अपना घायल स्तन जांचा, उस पर दवाई लगी हुई थी.
‘ये कब लगाई आपने!’ शालिनी ने हैरत से जगदीश को पूछा.
‘तुम से बात करते हुए. तुम्हें बातों में इसी लिए उलझाया ताकि तुम्हे पता न चले की मैं दवाई लगा रहा हूं. अगर पता चलता तो दर्द होने का डर था.’
‘पर देखे बिना कैसे क्या? आप तो मेरे साथ बात करते हुए एक पल भी नजर यहां वहां नहीं किये !’ शालिनी ने अपना स्तन देखते हुए पूछा. उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था,
‘दवाई तो उंगली से लगानी थी, देखने की क्या जरूरत? अगर देखने की कोशिश करता तो तुम्हे पता चल जाता की मैं दवाई लगा रहा हूं.’
शालिनी दंग रह गई. नर्स शालिनी का वॉर्डरोब ठीक से ढंकते हुए हंस कर बोली. ‘अब हम लोगो को दवाई कैसे लगाने का वो आप से ट्रेनिंग लेना पड़ेगा सर, आप कैसा ट्रिक किया की मेडम को पता भी नहीं चला और आपने दवाई लगा दिया!’
जगदीश सिर्फ हंस दिया. नर्स जाते हुए शालिनी से बोली. ‘आप तो बहुत लकी हो मेडम!’
नर्स के जाने के बाद शालिनी ने जगदीश से पूछा. ‘ये कैसे किया आपने ? आप मेरे स्तन को मुझे पता न चले उस तरह कैसे छू लिए!’
‘यह सब तुम से ही सीखा हूं शालिनी.’ शालिनी के करीब बैठते हुए जगदीश ने कहा. ‘तुम ने भी मेरे छोटे महाराज के सिपाहियों की कितनी नजाकत से मालिश की थी? मुझे भी पता नहीं चला था.’
‘उस वक्त तो आप मारे दर्द के सो गए थे… ‘
‘हम्म. तुम जाग रही थी इसलिए कठिन तो था पर हो गया.’ जगदीश ने मुस्कुराते हुए कहा.
‘ओफ्फो. मैंने तो सोच कर रखा था की जैसे ही आप मेरे स्तन को छुओगे, मैं जोर जोर से झूठमूठ का चीखूंगी…पर वो तो मेरी मन की मन में ही रह गई…’
‘ओह! तुम चीखती तो फिर मेरे लिए उंगली के बजाय जीभ से दवाई लगाने की नौबत आती!’
‘अरे! ये दवाई कोई जीभ पर नहीं लगा सकता.’
‘तुम जीभ पर सरसों का तेल लगा सकती हो और मैं यह दवाई जीभ पर नहीं लगा सकता?’
‘भैया, यह तेल नहीं, दवाई है -पता नहीं इस में क्या क्या रसायन मिले होंगे! इसे जीभ पर लगाना खतरा हो सकता है.’
‘अभी तो तुम कह रही थी की मेरे बारे में बहुत कुछ जानती हो! इतना खतरा मैं लेता या नहीं ? बताओ?’
शालिनी शर्मा गई.
‘अब बताओ भी, फिर क्यों शर्मा गई?’
‘मान गई भैया, आप कुछ भी कर सकते हो.’ कह कर शालिनी ने जगदीश की छाती में अपना मुंह छिपाते हुए कहा. ‘जो आदमी किसी औरत की छाती पर अपनी उंगलियां फेरे और उस औरत को पता न चलने दे वो कुछ भी कर सकता है…’
***
जुगल
सीसीटीवी फुटेज ज्यों ज्यों आगे बढ़ता गया, जुगल नर्वस होता गया. कहीं मैंने झनक के साथ संभोग तो नहीं कर डाला रात को! हे भगवान अब क्या होगा ? अपने नाख़ून चबाते हुए जुगल देख रहा था की रात को उसने क्या किया था…
फुटेज में : जुगल ने झनक की स्कर्ट निकाल दी फिर उसके दोनों पैरो को खोला…
जुगल ने यह देख अपनी आंखें मूंद ली.. आधी मिनट के बाद डरते हुए उसने कोम्युटर स्क्रीन की ओर देखा तो झनक के दो पैरो के बीच में अपने दोनों हाथों की कोहनी टिका कर अपना चेहरा अपनी हथेलीओ पर सटा कर वो झनक की योनि का बारीकी से मुआयना कर रहा था !
फुटेज में : एक दो मिनट जुगल ने झनक की योनि को निहारा फिर झनक के टॉप को गले तक ऊपर किया और झनक के सुंदर स्तनों को देखने लगा.
जुगल को खुद को आश्चर्य हुआ : मैं कर क्या रहा हूं…
अचानक सरदार जी ने फुटेज को रोक दिया और कोम्युटर बंद कर दिया.
जुगल ने आश्चर्य से सरदार जी की ओर देखा. झनक ने पूछा. ‘क्या हुआ पापा? बंद क्यों कर दिया?’
‘आगे है ही नहीं कुछ देखने जैसा. यह बंदा कभी तुम्हारी योनि देख रहा है, कभी छाती… और इसने कुछ किया ही नहीं. आधा घंटा यूं ध्यान से देखा जैसे सुबह उठ कर तुम्हारे फिगर के बारे में एक्ज़ाम देने वाला हो - फिर लुढ़क कर सो गया.’ सरदार जी ने कहा.
‘जुगल?’ झनक ने जुगल से गुस्से में कहा.
जुगल ने झनक की ओर देखा.
‘तुम मुझे समझते क्या हो?’
जुगल कुछ बोले उससे पहले सरदार जी उठ कर जाने लगे. झनक ने पूछा. ‘कहां जा रहे हो? क्या चाहिए?’
‘मुझे कोफ़ी चाहिए.’
‘आप बैठिए, मैं बना लाती हूं.’ झनक उठते हुए बोली.
‘जुगल के लिए भी ले आना, हम दोनों को जरूरी बात करनी है…’ कह कर टेरेस की ओर जाते हुए सरदार जी ने कहा. ‘आओ जुगल.’
***
जगदीश
जगदीश शालिनी के वॉर्ड से बाहर आया. और सुभाष की खबर लेने गया. सुभाष को अभी होश नहीं आया था. मोहिते डॉक्टर से बात कर रहा था, जगदीश भी उनसे जुड़ गया. डॉक्टर ने कहा की रिकवरी पॉज़िटिव है. डॉक्टर से मोहिते और कुछ टेक्निकल बातें करने लगा. जगदीश डॉक्टर की केबिन से बाहर आ कर सोचने लगा की जुगल और चांदनी से मुझे फोन पर बात कर लेनी चाहिए -
दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? जुगल सह पाएगा ?
***
जुगल
झनक तीनो के लिए कोफ़ी ले कर टेरेस पर आई.
सरदार जी ने कोफ़ी का सीप लेते हुए कहा.
‘जुगल.’
जुगल ने सरदार जी की ओर देखा.
‘रात को तुमने जो किया उस बारे में बात करनी है पर उससे ज्यादा जरूरी है चांदनी की ट्रीटमेंट. अभी एक घंटे में आप लोग चांदनी को लेकर डॉक्टर को मिलने निकलो. मैंने फोन कर दिया है.’
‘जी. बहुत शुक्रिया.’
‘शुक्रिया बाद में अदा करना. पहले अपने भाई को फोन लगाओ.’
‘भैया को? क्यों ?’
‘चांदनी की ट्रीटमेंट के लिए उसका यहां होना जरुरी है.’
‘नहीं अंकल, मैं भाभी की इस हालत के बारे में भैया को नहीं बता सकता.’
‘बताना पड़ेगा जुगल, कोई चारा नहीं. चांदनी को सेक्स्युअल एब्यूज़ की वजह से सदमा लगा है. इसकी ट्रीटमेंट के लिए उसके पति का मौजूद होना निहायत जरूरी है.’
जुगल सोच में पड़ गया. : दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? भैया सह पायेंगे ?
दोनों भाई सोच रहे थे की जो कभी सोचा न था वो हो रहा है - क्या बात करें?
(३२ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश
ये जुगल एक दम चूतिआ इंसान है भाभी के साथ बिना कुछ देखे भाले लग गया और झनक को देख देख कर बायोलॉजी के एग्जाम की तयारी कर रहा था।३२ – ये तो सोचा न था…
[(३१ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…
जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…
और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…
जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था… ]
जुगल
जुगल की हालत पिंजरे में कैद हिरन जैसी थी. रात को शराब के नशे में उसने क्या किया वो उसे बिल्कुल याद नहीं आ रहा था. झनक की स्कर्ट उसने निकाल दी यह झनक ने पापा उसे सीसीटीवी पर दिखा रहे थे… जुगल एकदम से खड़ा हो गया. सरदार जी ने कोम्युटर पर चल रही फुटेज को पोज़ में रोक कर जुगल से पूछा.
‘क्या हुआ?’
‘यह मैं आप के सामने नहीं देख पाऊंगा. मैंने क्या किया मुझे याद नहीं - आप को जो सजा देनी हो दे दीजिये, इसे बंद कर दीजिये प्लीज़-’
तभी झनक उस कमरे में आई. सरदार जी ने जुगल से कहा.
‘ओये? बैठ जा. ये कोई ब्लू फिल्म है जो तुम अकेले में देखना चाहते हो?’ फिर झनक से कहा. ‘आ जा तू भी. देख. तेरे दोस्त ने कल रात क्या कांड किया.’
झनक ने बैठते हुए जुगल से कहा. ‘मैंने बोला था तुमको की हर कमरे में सीसीटीवी है.’
जुगल कुछ बोल नहीं पाया.
‘अब बैठ भी जाओ! या पापा के पैरों में पड़ने का इरादा है?’
यह सुन सरदार जी ने झनक के सामने देखा. झनक ने कहा.
‘मैंने बताया था ना आपको मैं कपडे बदल रही थी तब ये मेरे कमरे में आ गया था. मैं बिलकुल नंगी थी. फिर दोबारा मिला तो मेरे पैर पड़ गया और कहने लगा की गलती हो गई…’
‘देखते है कल इसने क्या गलती की…’
कहते हुए सरदार जी ने सीसीटीवी फुटेज चलाना शुरू किया. जुगल विवश हो कर बैठ पड़ा. - आज ये बाप बेटी मेरा भरता बना कर ही मानेंगे - यह सोचते हुए.
***
जगदीश
अस्पताल के उस वॉर्ड में शालिनी अर्ध नग्न अवस्था में जगदीश के सामने लेटी हुई थी. कपड़ो के पर्दो के पार्टीशन ने उन दोनों को दुनिया से काट कर एक दूजे के सामने अकेला कर दिया था…
जगदीश ने उसे टुकुर टुकुर निहार रहे शालिनी के उस स्तन को देखा जिस पर उसने दवाई मलनी थी…और एक पल के लिए वो आंखें मूंद गया.
ये शालिनी का वही स्तन था जो साजन भाई के कहने पर शालिनी ने अपनी कुर्ती से बाहर कर के जगदीश को दिखाया था और जगदीश जिसे देख हतप्रभ और उत्तेजित हो गया था.
आज वही स्तन जगदीश के सामने नग्न था. पर आज यह उत्तेजना जगाने के सबब नग्न नहीं था. बल्कि उस घायल स्तन को आज दुरुस्ती अफ़ज़ाई की उम्मीद थी…
इंसान के मन की सोचने की गति रौशनी के फैलावे से भी तेज होती है. इस एक पल में जगदीश ने यह भी याद कर लिया की ऐसी ही नाजुक स्थिति में शालिनी ने अपनी हया और अपने संकोच को दरकिनार करते हुए उसके टेस्टिकल का मसाज किया था. शालिनी को किस क्षोभ को सहन पड़ा होगा उस बात का अब उसे अंदाजा आया… जगदीश ने आंखें खोली और शालिनी के सामने देख मुस्कुराया.
‘क्या सोच रहे हो भैया?’ शालिनी ने पूछा.
‘एक बात पुछु?’
‘दवाई? वो कब लगाओगे?’
‘लगाऊंगा. पहले बताओ, मोहिते ने तूलिका की जो बातें की वो सुन कर तुम मुझ पर गुस्सा हो गई थी- वो क्यों?’
‘गुस्सा नहीं आएगा? वो चुड़ैल आप पर चान्स मार रही है, आप को छेड़ रही है, आपका चुम्मा जबरदस्ती ले रही है और आप अमीर नवाबजादे की तरह अपना खजाना लुटाते जा रहे हो, न उसे रोकते हो न मुझे कुछ बताते हो.’
‘तुम्हें बता कर क्या करता? मतलब उससे क्या होता?’
‘क्या होता मतलब? मुझे कोई परवाह नहीं कोई क्या सोचेगा उस बात की, मैंने उसे आड़े हाथ लेकर पूछा होता की तुम क्या मेरे जेठ जी को पब्लिक प्रॉपर्टी समझ रही हो क्या? ख़बरदार अगर इनके सामने भी देखा तो!’
यह सुन क्र जगदीश जोरों से हंस पड़ा. शालिनी ने आहत होते हुए पूछा.
‘इसमें हंसने वाली कौन सी बात है?’
‘तुम उसे यह कहती के मैं तुम्हारा जेठ जी हूं ?’
‘ओह हां, यह तो मैं भूल ही गई थी…’ शालिनी ने शर्माकर अपना एक हाथ अपनी आंखों पर ढंकते हुए कहा.
जगदीश ने शालिनी की आंखों पर से उसका हाथ हटाते हुए कहा. ‘बाद में शर्माना, अभी मुझ से बात करो.’
‘बात ही तो कर रही हूं.’
‘बात करते करते यूं आंखें बंद कर दोगी तो बात कैसे होगी?’
‘शर्म आ जाए तो क्या करूं, शर्माने भी नहीं दोगे?’
‘बहुत शर्मा लिया, अब बताओ, तूलिका से तुम क्या कहती?’
‘बोलती की मेरे पति से तुम दूर रहो-’
‘मेरा पति! ऐसा बोल देती?’
‘ओ भैया… जाओ ना, क्यों छेड़ रहे हो मुझे…’ फिर से लजा कर अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए शालिनी ने कहा.
जगदीश ने झुक कर अपना चेहरा शालिनी के सामने रखा. शालिनी ने अपना चेहरा फिर एक हाथ से छुपाते हुए कहा.
‘हटो मुझे शर्म आ रही है..’
‘पर किस बात की शर्म ये तो बताओ? तुम मुझ पर तो बडी भड़क रही थी की -आप से तो बाद में बात करूंगी - और जब तूलिका से बात करने की बारी आई तो शर्मा रही हो? शालिनी ये तो कोई बात नहीं हुई ! गैरों पे करम अपनों पे सितम?’
‘अब आप पर मैं ने कौन सा सितम कर दिया, बताओगे?’
‘ठीक से बात ही नहीं करती बार बार लजा रही हो, यह सितम नहीं?’
‘कोई बात नहीं करनी, अब सीधा आप को दिखा दूंगी की उस तूलिका का मैं क्या करती हूं , अब कोई ऐसी वैसी कोई हरकत ! उसकी ख़ैर नहीं.’
‘अच्छा छोडो तूलिका की बात, पर तुम क्या कह रही थी मेरे बारे में की मैं अगर किसी लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिलु तब भी मुझ पर शक नहीं करोगी! इतना भरोसा है मुझ पर?’
‘भैया, इन तीन दिनों में मैंने आप को बहुत जान लिया.’
‘अच्छा ! क्या क्या जान लिया, बताओ.’
‘मैंने ऐसे बहुत कम मर्द देखे है जो सामने औरत खड़ी हो और उसकी छाती की ओर नजर न डाले…’
‘ओके तो?’
‘अभी दस मिनिट से मैं आपके सामने हूं और मेरी छाती बिना कपड़ो के खुली हुई है और आप ने अब तक एक नजर भी नहीं डाली, लगातार मुझ से बात किये जा रहे हो, मुझ पर, मेरे चहेरे की ओर ही आपकी नजर है - ऐसा मर्द मिलना मुश्किल है इतना तो मैं समझती हूं.’
‘अरे हां, मैं तो बातों में लग गया, दवाई लगाना तो भूल ही गया…’
‘कुछ भूल नहीं गए, आप अब बहाने मत निकालो, मैं जानती हूं यह काम आप कर ही नहीं सकते.’
‘अरे, कर क्यों नहीं सकता!’
‘मेरी नंगी छाती आप देख नहीं सकते तो दवाई लगाने के लिए छुओगे कैसे!’
‘ओह… अब ऐसी बात भी नहीं, मैं कोशिश तो कर ही सकता हूं.’
‘देख ली आप की कोशिश.’ कहते हुए शालिनी ने अपनी छाती वॉर्डरोब से ढंकते हुए कहा. ‘नर्स को बुलाइए. दर्द होगा पर दवाई तो उसके अलावा लगने से रही.’
‘ठीक है. बुलाता हूं नर्स को.’ कहते हुए जगदीश बाहर गया.
शालिनी के मन में एक अजीब निराशा फ़ैल गई.
कुछ ही पल में नर्स और जगदीश लौटे.
नर्स ने पूछा. ‘लगा दी दवाई? ‘
शालिनी ने कहा. ‘नहीं.’ और जगदीश ने कहा. ‘लगा दी.’
नर्स ने दोनों को बारी बारी देखते हुए आश्चर्य से पूछा. ‘लगाई या नहीं?’
जगदीश ने कहा. ‘आप चेक कर लीजिए, ठीक से लगाई है क्या?’
नर्स ने शालिनी का वॉर्डरोब खोला. शालिनी को ताजुब्ब हुआ की जेठ जी ‘दवाई लगाई.’ ऐसा क्यों बोल रहे है?
नर्स ने शालिनी के स्तन को बारीकी से देख, खुश हो कर कहा. ‘एकदम परफेक्ट लगाई है आपने दवाई सर, थैंक यु.’
‘इन्हो ने कोई दवाई नहीं लगाई सिस्टर, ये तो मेरे साथ गप्पे हांक रहे थे.’
नर्स ने स्मित करते हुए शालिनी से कहा. ‘मेडम आप खुद देख लो ना?’
शालिनी ने अपना घायल स्तन जांचा, उस पर दवाई लगी हुई थी.
‘ये कब लगाई आपने!’ शालिनी ने हैरत से जगदीश को पूछा.
‘तुम से बात करते हुए. तुम्हें बातों में इसी लिए उलझाया ताकि तुम्हे पता न चले की मैं दवाई लगा रहा हूं. अगर पता चलता तो दर्द होने का डर था.’
‘पर देखे बिना कैसे क्या? आप तो मेरे साथ बात करते हुए एक पल भी नजर यहां वहां नहीं किये !’ शालिनी ने अपना स्तन देखते हुए पूछा. उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था,
‘दवाई तो उंगली से लगानी थी, देखने की क्या जरूरत? अगर देखने की कोशिश करता तो तुम्हे पता चल जाता की मैं दवाई लगा रहा हूं.’
शालिनी दंग रह गई. नर्स शालिनी का वॉर्डरोब ठीक से ढंकते हुए हंस कर बोली. ‘अब हम लोगो को दवाई कैसे लगाने का वो आप से ट्रेनिंग लेना पड़ेगा सर, आप कैसा ट्रिक किया की मेडम को पता भी नहीं चला और आपने दवाई लगा दिया!’
जगदीश सिर्फ हंस दिया. नर्स जाते हुए शालिनी से बोली. ‘आप तो बहुत लकी हो मेडम!’
नर्स के जाने के बाद शालिनी ने जगदीश से पूछा. ‘ये कैसे किया आपने ? आप मेरे स्तन को मुझे पता न चले उस तरह कैसे छू लिए!’
‘यह सब तुम से ही सीखा हूं शालिनी.’ शालिनी के करीब बैठते हुए जगदीश ने कहा. ‘तुम ने भी मेरे छोटे महाराज के सिपाहियों की कितनी नजाकत से मालिश की थी? मुझे भी पता नहीं चला था.’
‘उस वक्त तो आप मारे दर्द के सो गए थे… ‘
‘हम्म. तुम जाग रही थी इसलिए कठिन तो था पर हो गया.’ जगदीश ने मुस्कुराते हुए कहा.
‘ओफ्फो. मैंने तो सोच कर रखा था की जैसे ही आप मेरे स्तन को छुओगे, मैं जोर जोर से झूठमूठ का चीखूंगी…पर वो तो मेरी मन की मन में ही रह गई…’
‘ओह! तुम चीखती तो फिर मेरे लिए उंगली के बजाय जीभ से दवाई लगाने की नौबत आती!’
‘अरे! ये दवाई कोई जीभ पर नहीं लगा सकता.’
‘तुम जीभ पर सरसों का तेल लगा सकती हो और मैं यह दवाई जीभ पर नहीं लगा सकता?’
‘भैया, यह तेल नहीं, दवाई है -पता नहीं इस में क्या क्या रसायन मिले होंगे! इसे जीभ पर लगाना खतरा हो सकता है.’
‘अभी तो तुम कह रही थी की मेरे बारे में बहुत कुछ जानती हो! इतना खतरा मैं लेता या नहीं ? बताओ?’
शालिनी शर्मा गई.
‘अब बताओ भी, फिर क्यों शर्मा गई?’
‘मान गई भैया, आप कुछ भी कर सकते हो.’ कह कर शालिनी ने जगदीश की छाती में अपना मुंह छिपाते हुए कहा. ‘जो आदमी किसी औरत की छाती पर अपनी उंगलियां फेरे और उस औरत को पता न चलने दे वो कुछ भी कर सकता है…’
***
जुगल
सीसीटीवी फुटेज ज्यों ज्यों आगे बढ़ता गया, जुगल नर्वस होता गया. कहीं मैंने झनक के साथ संभोग तो नहीं कर डाला रात को! हे भगवान अब क्या होगा ? अपने नाख़ून चबाते हुए जुगल देख रहा था की रात को उसने क्या किया था…
फुटेज में : जुगल ने झनक की स्कर्ट निकाल दी फिर उसके दोनों पैरो को खोला…
जुगल ने यह देख अपनी आंखें मूंद ली.. आधी मिनट के बाद डरते हुए उसने कोम्युटर स्क्रीन की ओर देखा तो झनक के दो पैरो के बीच में अपने दोनों हाथों की कोहनी टिका कर अपना चेहरा अपनी हथेलीओ पर सटा कर वो झनक की योनि का बारीकी से मुआयना कर रहा था !
फुटेज में : एक दो मिनट जुगल ने झनक की योनि को निहारा फिर झनक के टॉप को गले तक ऊपर किया और झनक के सुंदर स्तनों को देखने लगा.
जुगल को खुद को आश्चर्य हुआ : मैं कर क्या रहा हूं…
अचानक सरदार जी ने फुटेज को रोक दिया और कोम्युटर बंद कर दिया.
जुगल ने आश्चर्य से सरदार जी की ओर देखा. झनक ने पूछा. ‘क्या हुआ पापा? बंद क्यों कर दिया?’
‘आगे है ही नहीं कुछ देखने जैसा. यह बंदा कभी तुम्हारी योनि देख रहा है, कभी छाती… और इसने कुछ किया ही नहीं. आधा घंटा यूं ध्यान से देखा जैसे सुबह उठ कर तुम्हारे फिगर के बारे में एक्ज़ाम देने वाला हो - फिर लुढ़क कर सो गया.’ सरदार जी ने कहा.
‘जुगल?’ झनक ने जुगल से गुस्से में कहा.
जुगल ने झनक की ओर देखा.
‘तुम मुझे समझते क्या हो?’
जुगल कुछ बोले उससे पहले सरदार जी उठ कर जाने लगे. झनक ने पूछा. ‘कहां जा रहे हो? क्या चाहिए?’
‘मुझे कोफ़ी चाहिए.’
‘आप बैठिए, मैं बना लाती हूं.’ झनक उठते हुए बोली.
‘जुगल के लिए भी ले आना, हम दोनों को जरूरी बात करनी है…’ कह कर टेरेस की ओर जाते हुए सरदार जी ने कहा. ‘आओ जुगल.’
***
जगदीश
जगदीश शालिनी के वॉर्ड से बाहर आया. और सुभाष की खबर लेने गया. सुभाष को अभी होश नहीं आया था. मोहिते डॉक्टर से बात कर रहा था, जगदीश भी उनसे जुड़ गया. डॉक्टर ने कहा की रिकवरी पॉज़िटिव है. डॉक्टर से मोहिते और कुछ टेक्निकल बातें करने लगा. जगदीश डॉक्टर की केबिन से बाहर आ कर सोचने लगा की जुगल और चांदनी से मुझे फोन पर बात कर लेनी चाहिए -
दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? जुगल सह पाएगा ?
***
जुगल
झनक तीनो के लिए कोफ़ी ले कर टेरेस पर आई.
सरदार जी ने कोफ़ी का सीप लेते हुए कहा.
‘जुगल.’
जुगल ने सरदार जी की ओर देखा.
‘रात को तुमने जो किया उस बारे में बात करनी है पर उससे ज्यादा जरूरी है चांदनी की ट्रीटमेंट. अभी एक घंटे में आप लोग चांदनी को लेकर डॉक्टर को मिलने निकलो. मैंने फोन कर दिया है.’
‘जी. बहुत शुक्रिया.’
‘शुक्रिया बाद में अदा करना. पहले अपने भाई को फोन लगाओ.’
‘भैया को? क्यों ?’
‘चांदनी की ट्रीटमेंट के लिए उसका यहां होना जरुरी है.’
‘नहीं अंकल, मैं भाभी की इस हालत के बारे में भैया को नहीं बता सकता.’
‘बताना पड़ेगा जुगल, कोई चारा नहीं. चांदनी को सेक्स्युअल एब्यूज़ की वजह से सदमा लगा है. इसकी ट्रीटमेंट के लिए उसके पति का मौजूद होना निहायत जरूरी है.’
जुगल सोच में पड़ गया. : दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? भैया सह पायेंगे ?
दोनों भाई सोच रहे थे की जो कभी सोचा न था वो हो रहा है - क्या बात करें?
(३२ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश
जुगल तो पूरा chutiya है उसको नसे में क्या कर रहा है ये भी याद नही रहता है३२ – ये तो सोचा न था…
[(३१ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…
जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…
और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…
जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था… ]
जुगल
जुगल की हालत पिंजरे में कैद हिरन जैसी थी. रात को शराब के नशे में उसने क्या किया वो उसे बिल्कुल याद नहीं आ रहा था. झनक की स्कर्ट उसने निकाल दी यह झनक ने पापा उसे सीसीटीवी पर दिखा रहे थे… जुगल एकदम से खड़ा हो गया. सरदार जी ने कोम्युटर पर चल रही फुटेज को पोज़ में रोक कर जुगल से पूछा.
‘क्या हुआ?’
‘यह मैं आप के सामने नहीं देख पाऊंगा. मैंने क्या किया मुझे याद नहीं - आप को जो सजा देनी हो दे दीजिये, इसे बंद कर दीजिये प्लीज़-’
तभी झनक उस कमरे में आई. सरदार जी ने जुगल से कहा.
‘ओये? बैठ जा. ये कोई ब्लू फिल्म है जो तुम अकेले में देखना चाहते हो?’ फिर झनक से कहा. ‘आ जा तू भी. देख. तेरे दोस्त ने कल रात क्या कांड किया.’
झनक ने बैठते हुए जुगल से कहा. ‘मैंने बोला था तुमको की हर कमरे में सीसीटीवी है.’
जुगल कुछ बोल नहीं पाया.
‘अब बैठ भी जाओ! या पापा के पैरों में पड़ने का इरादा है?’
यह सुन सरदार जी ने झनक के सामने देखा. झनक ने कहा.
‘मैंने बताया था ना आपको मैं कपडे बदल रही थी तब ये मेरे कमरे में आ गया था. मैं बिलकुल नंगी थी. फिर दोबारा मिला तो मेरे पैर पड़ गया और कहने लगा की गलती हो गई…’
‘देखते है कल इसने क्या गलती की…’
कहते हुए सरदार जी ने सीसीटीवी फुटेज चलाना शुरू किया. जुगल विवश हो कर बैठ पड़ा. - आज ये बाप बेटी मेरा भरता बना कर ही मानेंगे - यह सोचते हुए.
***
जगदीश
अस्पताल के उस वॉर्ड में शालिनी अर्ध नग्न अवस्था में जगदीश के सामने लेटी हुई थी. कपड़ो के पर्दो के पार्टीशन ने उन दोनों को दुनिया से काट कर एक दूजे के सामने अकेला कर दिया था…
जगदीश ने उसे टुकुर टुकुर निहार रहे शालिनी के उस स्तन को देखा जिस पर उसने दवाई मलनी थी…और एक पल के लिए वो आंखें मूंद गया.
ये शालिनी का वही स्तन था जो साजन भाई के कहने पर शालिनी ने अपनी कुर्ती से बाहर कर के जगदीश को दिखाया था और जगदीश जिसे देख हतप्रभ और उत्तेजित हो गया था.
आज वही स्तन जगदीश के सामने नग्न था. पर आज यह उत्तेजना जगाने के सबब नग्न नहीं था. बल्कि उस घायल स्तन को आज दुरुस्ती अफ़ज़ाई की उम्मीद थी…
इंसान के मन की सोचने की गति रौशनी के फैलावे से भी तेज होती है. इस एक पल में जगदीश ने यह भी याद कर लिया की ऐसी ही नाजुक स्थिति में शालिनी ने अपनी हया और अपने संकोच को दरकिनार करते हुए उसके टेस्टिकल का मसाज किया था. शालिनी को किस क्षोभ को सहन पड़ा होगा उस बात का अब उसे अंदाजा आया… जगदीश ने आंखें खोली और शालिनी के सामने देख मुस्कुराया.
‘क्या सोच रहे हो भैया?’ शालिनी ने पूछा.
‘एक बात पुछु?’
‘दवाई? वो कब लगाओगे?’
‘लगाऊंगा. पहले बताओ, मोहिते ने तूलिका की जो बातें की वो सुन कर तुम मुझ पर गुस्सा हो गई थी- वो क्यों?’
‘गुस्सा नहीं आएगा? वो चुड़ैल आप पर चान्स मार रही है, आप को छेड़ रही है, आपका चुम्मा जबरदस्ती ले रही है और आप अमीर नवाबजादे की तरह अपना खजाना लुटाते जा रहे हो, न उसे रोकते हो न मुझे कुछ बताते हो.’
‘तुम्हें बता कर क्या करता? मतलब उससे क्या होता?’
‘क्या होता मतलब? मुझे कोई परवाह नहीं कोई क्या सोचेगा उस बात की, मैंने उसे आड़े हाथ लेकर पूछा होता की तुम क्या मेरे जेठ जी को पब्लिक प्रॉपर्टी समझ रही हो क्या? ख़बरदार अगर इनके सामने भी देखा तो!’
यह सुन क्र जगदीश जोरों से हंस पड़ा. शालिनी ने आहत होते हुए पूछा.
‘इसमें हंसने वाली कौन सी बात है?’
‘तुम उसे यह कहती के मैं तुम्हारा जेठ जी हूं ?’
‘ओह हां, यह तो मैं भूल ही गई थी…’ शालिनी ने शर्माकर अपना एक हाथ अपनी आंखों पर ढंकते हुए कहा.
जगदीश ने शालिनी की आंखों पर से उसका हाथ हटाते हुए कहा. ‘बाद में शर्माना, अभी मुझ से बात करो.’
‘बात ही तो कर रही हूं.’
‘बात करते करते यूं आंखें बंद कर दोगी तो बात कैसे होगी?’
‘शर्म आ जाए तो क्या करूं, शर्माने भी नहीं दोगे?’
‘बहुत शर्मा लिया, अब बताओ, तूलिका से तुम क्या कहती?’
‘बोलती की मेरे पति से तुम दूर रहो-’
‘मेरा पति! ऐसा बोल देती?’
‘ओ भैया… जाओ ना, क्यों छेड़ रहे हो मुझे…’ फिर से लजा कर अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए शालिनी ने कहा.
जगदीश ने झुक कर अपना चेहरा शालिनी के सामने रखा. शालिनी ने अपना चेहरा फिर एक हाथ से छुपाते हुए कहा.
‘हटो मुझे शर्म आ रही है..’
‘पर किस बात की शर्म ये तो बताओ? तुम मुझ पर तो बडी भड़क रही थी की -आप से तो बाद में बात करूंगी - और जब तूलिका से बात करने की बारी आई तो शर्मा रही हो? शालिनी ये तो कोई बात नहीं हुई ! गैरों पे करम अपनों पे सितम?’
‘अब आप पर मैं ने कौन सा सितम कर दिया, बताओगे?’
‘ठीक से बात ही नहीं करती बार बार लजा रही हो, यह सितम नहीं?’
‘कोई बात नहीं करनी, अब सीधा आप को दिखा दूंगी की उस तूलिका का मैं क्या करती हूं , अब कोई ऐसी वैसी कोई हरकत ! उसकी ख़ैर नहीं.’
‘अच्छा छोडो तूलिका की बात, पर तुम क्या कह रही थी मेरे बारे में की मैं अगर किसी लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिलु तब भी मुझ पर शक नहीं करोगी! इतना भरोसा है मुझ पर?’
‘भैया, इन तीन दिनों में मैंने आप को बहुत जान लिया.’
‘अच्छा ! क्या क्या जान लिया, बताओ.’
‘मैंने ऐसे बहुत कम मर्द देखे है जो सामने औरत खड़ी हो और उसकी छाती की ओर नजर न डाले…’
‘ओके तो?’
‘अभी दस मिनिट से मैं आपके सामने हूं और मेरी छाती बिना कपड़ो के खुली हुई है और आप ने अब तक एक नजर भी नहीं डाली, लगातार मुझ से बात किये जा रहे हो, मुझ पर, मेरे चहेरे की ओर ही आपकी नजर है - ऐसा मर्द मिलना मुश्किल है इतना तो मैं समझती हूं.’
‘अरे हां, मैं तो बातों में लग गया, दवाई लगाना तो भूल ही गया…’
‘कुछ भूल नहीं गए, आप अब बहाने मत निकालो, मैं जानती हूं यह काम आप कर ही नहीं सकते.’
‘अरे, कर क्यों नहीं सकता!’
‘मेरी नंगी छाती आप देख नहीं सकते तो दवाई लगाने के लिए छुओगे कैसे!’
‘ओह… अब ऐसी बात भी नहीं, मैं कोशिश तो कर ही सकता हूं.’
‘देख ली आप की कोशिश.’ कहते हुए शालिनी ने अपनी छाती वॉर्डरोब से ढंकते हुए कहा. ‘नर्स को बुलाइए. दर्द होगा पर दवाई तो उसके अलावा लगने से रही.’
‘ठीक है. बुलाता हूं नर्स को.’ कहते हुए जगदीश बाहर गया.
शालिनी के मन में एक अजीब निराशा फ़ैल गई.
कुछ ही पल में नर्स और जगदीश लौटे.
नर्स ने पूछा. ‘लगा दी दवाई? ‘
शालिनी ने कहा. ‘नहीं.’ और जगदीश ने कहा. ‘लगा दी.’
नर्स ने दोनों को बारी बारी देखते हुए आश्चर्य से पूछा. ‘लगाई या नहीं?’
जगदीश ने कहा. ‘आप चेक कर लीजिए, ठीक से लगाई है क्या?’
नर्स ने शालिनी का वॉर्डरोब खोला. शालिनी को ताजुब्ब हुआ की जेठ जी ‘दवाई लगाई.’ ऐसा क्यों बोल रहे है?
नर्स ने शालिनी के स्तन को बारीकी से देख, खुश हो कर कहा. ‘एकदम परफेक्ट लगाई है आपने दवाई सर, थैंक यु.’
‘इन्हो ने कोई दवाई नहीं लगाई सिस्टर, ये तो मेरे साथ गप्पे हांक रहे थे.’
नर्स ने स्मित करते हुए शालिनी से कहा. ‘मेडम आप खुद देख लो ना?’
शालिनी ने अपना घायल स्तन जांचा, उस पर दवाई लगी हुई थी.
‘ये कब लगाई आपने!’ शालिनी ने हैरत से जगदीश को पूछा.
‘तुम से बात करते हुए. तुम्हें बातों में इसी लिए उलझाया ताकि तुम्हे पता न चले की मैं दवाई लगा रहा हूं. अगर पता चलता तो दर्द होने का डर था.’
‘पर देखे बिना कैसे क्या? आप तो मेरे साथ बात करते हुए एक पल भी नजर यहां वहां नहीं किये !’ शालिनी ने अपना स्तन देखते हुए पूछा. उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था,
‘दवाई तो उंगली से लगानी थी, देखने की क्या जरूरत? अगर देखने की कोशिश करता तो तुम्हे पता चल जाता की मैं दवाई लगा रहा हूं.’
शालिनी दंग रह गई. नर्स शालिनी का वॉर्डरोब ठीक से ढंकते हुए हंस कर बोली. ‘अब हम लोगो को दवाई कैसे लगाने का वो आप से ट्रेनिंग लेना पड़ेगा सर, आप कैसा ट्रिक किया की मेडम को पता भी नहीं चला और आपने दवाई लगा दिया!’
जगदीश सिर्फ हंस दिया. नर्स जाते हुए शालिनी से बोली. ‘आप तो बहुत लकी हो मेडम!’
नर्स के जाने के बाद शालिनी ने जगदीश से पूछा. ‘ये कैसे किया आपने ? आप मेरे स्तन को मुझे पता न चले उस तरह कैसे छू लिए!’
‘यह सब तुम से ही सीखा हूं शालिनी.’ शालिनी के करीब बैठते हुए जगदीश ने कहा. ‘तुम ने भी मेरे छोटे महाराज के सिपाहियों की कितनी नजाकत से मालिश की थी? मुझे भी पता नहीं चला था.’
‘उस वक्त तो आप मारे दर्द के सो गए थे… ‘
‘हम्म. तुम जाग रही थी इसलिए कठिन तो था पर हो गया.’ जगदीश ने मुस्कुराते हुए कहा.
‘ओफ्फो. मैंने तो सोच कर रखा था की जैसे ही आप मेरे स्तन को छुओगे, मैं जोर जोर से झूठमूठ का चीखूंगी…पर वो तो मेरी मन की मन में ही रह गई…’
‘ओह! तुम चीखती तो फिर मेरे लिए उंगली के बजाय जीभ से दवाई लगाने की नौबत आती!’
‘अरे! ये दवाई कोई जीभ पर नहीं लगा सकता.’
‘तुम जीभ पर सरसों का तेल लगा सकती हो और मैं यह दवाई जीभ पर नहीं लगा सकता?’
‘भैया, यह तेल नहीं, दवाई है -पता नहीं इस में क्या क्या रसायन मिले होंगे! इसे जीभ पर लगाना खतरा हो सकता है.’
‘अभी तो तुम कह रही थी की मेरे बारे में बहुत कुछ जानती हो! इतना खतरा मैं लेता या नहीं ? बताओ?’
शालिनी शर्मा गई.
‘अब बताओ भी, फिर क्यों शर्मा गई?’
‘मान गई भैया, आप कुछ भी कर सकते हो.’ कह कर शालिनी ने जगदीश की छाती में अपना मुंह छिपाते हुए कहा. ‘जो आदमी किसी औरत की छाती पर अपनी उंगलियां फेरे और उस औरत को पता न चलने दे वो कुछ भी कर सकता है…’
***
जुगल
सीसीटीवी फुटेज ज्यों ज्यों आगे बढ़ता गया, जुगल नर्वस होता गया. कहीं मैंने झनक के साथ संभोग तो नहीं कर डाला रात को! हे भगवान अब क्या होगा ? अपने नाख़ून चबाते हुए जुगल देख रहा था की रात को उसने क्या किया था…
फुटेज में : जुगल ने झनक की स्कर्ट निकाल दी फिर उसके दोनों पैरो को खोला…
जुगल ने यह देख अपनी आंखें मूंद ली.. आधी मिनट के बाद डरते हुए उसने कोम्युटर स्क्रीन की ओर देखा तो झनक के दो पैरो के बीच में अपने दोनों हाथों की कोहनी टिका कर अपना चेहरा अपनी हथेलीओ पर सटा कर वो झनक की योनि का बारीकी से मुआयना कर रहा था !
फुटेज में : एक दो मिनट जुगल ने झनक की योनि को निहारा फिर झनक के टॉप को गले तक ऊपर किया और झनक के सुंदर स्तनों को देखने लगा.
जुगल को खुद को आश्चर्य हुआ : मैं कर क्या रहा हूं…
अचानक सरदार जी ने फुटेज को रोक दिया और कोम्युटर बंद कर दिया.
जुगल ने आश्चर्य से सरदार जी की ओर देखा. झनक ने पूछा. ‘क्या हुआ पापा? बंद क्यों कर दिया?’
‘आगे है ही नहीं कुछ देखने जैसा. यह बंदा कभी तुम्हारी योनि देख रहा है, कभी छाती… और इसने कुछ किया ही नहीं. आधा घंटा यूं ध्यान से देखा जैसे सुबह उठ कर तुम्हारे फिगर के बारे में एक्ज़ाम देने वाला हो - फिर लुढ़क कर सो गया.’ सरदार जी ने कहा.
‘जुगल?’ झनक ने जुगल से गुस्से में कहा.
जुगल ने झनक की ओर देखा.
‘तुम मुझे समझते क्या हो?’
जुगल कुछ बोले उससे पहले सरदार जी उठ कर जाने लगे. झनक ने पूछा. ‘कहां जा रहे हो? क्या चाहिए?’
‘मुझे कोफ़ी चाहिए.’
‘आप बैठिए, मैं बना लाती हूं.’ झनक उठते हुए बोली.
‘जुगल के लिए भी ले आना, हम दोनों को जरूरी बात करनी है…’ कह कर टेरेस की ओर जाते हुए सरदार जी ने कहा. ‘आओ जुगल.’
***
जगदीश
जगदीश शालिनी के वॉर्ड से बाहर आया. और सुभाष की खबर लेने गया. सुभाष को अभी होश नहीं आया था. मोहिते डॉक्टर से बात कर रहा था, जगदीश भी उनसे जुड़ गया. डॉक्टर ने कहा की रिकवरी पॉज़िटिव है. डॉक्टर से मोहिते और कुछ टेक्निकल बातें करने लगा. जगदीश डॉक्टर की केबिन से बाहर आ कर सोचने लगा की जुगल और चांदनी से मुझे फोन पर बात कर लेनी चाहिए -
दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? जुगल सह पाएगा ?
***
जुगल
झनक तीनो के लिए कोफ़ी ले कर टेरेस पर आई.
सरदार जी ने कोफ़ी का सीप लेते हुए कहा.
‘जुगल.’
जुगल ने सरदार जी की ओर देखा.
‘रात को तुमने जो किया उस बारे में बात करनी है पर उससे ज्यादा जरूरी है चांदनी की ट्रीटमेंट. अभी एक घंटे में आप लोग चांदनी को लेकर डॉक्टर को मिलने निकलो. मैंने फोन कर दिया है.’
‘जी. बहुत शुक्रिया.’
‘शुक्रिया बाद में अदा करना. पहले अपने भाई को फोन लगाओ.’
‘भैया को? क्यों ?’
‘चांदनी की ट्रीटमेंट के लिए उसका यहां होना जरुरी है.’
‘नहीं अंकल, मैं भाभी की इस हालत के बारे में भैया को नहीं बता सकता.’
‘बताना पड़ेगा जुगल, कोई चारा नहीं. चांदनी को सेक्स्युअल एब्यूज़ की वजह से सदमा लगा है. इसकी ट्रीटमेंट के लिए उसके पति का मौजूद होना निहायत जरूरी है.’
जुगल सोच में पड़ गया. : दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? भैया सह पायेंगे ?
दोनों भाई सोच रहे थे की जो कभी सोचा न था वो हो रहा है - क्या बात करें?
(३२ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश
Boos mast update but mujhe maza nhi a rha khichdi pk rhi h kam se kam ke pura update jagdish or Shalini ka do fir ek pura update Jugal or chandni ka do aise maza nhi a rha chahe to poll kra kr dekh lo३२ – ये तो सोचा न था…
[(३१ – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…
जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…
और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…
जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था… ]
जुगल
जुगल की हालत पिंजरे में कैद हिरन जैसी थी. रात को शराब के नशे में उसने क्या किया वो उसे बिल्कुल याद नहीं आ रहा था. झनक की स्कर्ट उसने निकाल दी यह झनक ने पापा उसे सीसीटीवी पर दिखा रहे थे… जुगल एकदम से खड़ा हो गया. सरदार जी ने कोम्युटर पर चल रही फुटेज को पोज़ में रोक कर जुगल से पूछा.
‘क्या हुआ?’
‘यह मैं आप के सामने नहीं देख पाऊंगा. मैंने क्या किया मुझे याद नहीं - आप को जो सजा देनी हो दे दीजिये, इसे बंद कर दीजिये प्लीज़-’
तभी झनक उस कमरे में आई. सरदार जी ने जुगल से कहा.
‘ओये? बैठ जा. ये कोई ब्लू फिल्म है जो तुम अकेले में देखना चाहते हो?’ फिर झनक से कहा. ‘आ जा तू भी. देख. तेरे दोस्त ने कल रात क्या कांड किया.’
झनक ने बैठते हुए जुगल से कहा. ‘मैंने बोला था तुमको की हर कमरे में सीसीटीवी है.’
जुगल कुछ बोल नहीं पाया.
‘अब बैठ भी जाओ! या पापा के पैरों में पड़ने का इरादा है?’
यह सुन सरदार जी ने झनक के सामने देखा. झनक ने कहा.
‘मैंने बताया था ना आपको मैं कपडे बदल रही थी तब ये मेरे कमरे में आ गया था. मैं बिलकुल नंगी थी. फिर दोबारा मिला तो मेरे पैर पड़ गया और कहने लगा की गलती हो गई…’
‘देखते है कल इसने क्या गलती की…’
कहते हुए सरदार जी ने सीसीटीवी फुटेज चलाना शुरू किया. जुगल विवश हो कर बैठ पड़ा. - आज ये बाप बेटी मेरा भरता बना कर ही मानेंगे - यह सोचते हुए.
***
जगदीश
अस्पताल के उस वॉर्ड में शालिनी अर्ध नग्न अवस्था में जगदीश के सामने लेटी हुई थी. कपड़ो के पर्दो के पार्टीशन ने उन दोनों को दुनिया से काट कर एक दूजे के सामने अकेला कर दिया था…
जगदीश ने उसे टुकुर टुकुर निहार रहे शालिनी के उस स्तन को देखा जिस पर उसने दवाई मलनी थी…और एक पल के लिए वो आंखें मूंद गया.
ये शालिनी का वही स्तन था जो साजन भाई के कहने पर शालिनी ने अपनी कुर्ती से बाहर कर के जगदीश को दिखाया था और जगदीश जिसे देख हतप्रभ और उत्तेजित हो गया था.
आज वही स्तन जगदीश के सामने नग्न था. पर आज यह उत्तेजना जगाने के सबब नग्न नहीं था. बल्कि उस घायल स्तन को आज दुरुस्ती अफ़ज़ाई की उम्मीद थी…
इंसान के मन की सोचने की गति रौशनी के फैलावे से भी तेज होती है. इस एक पल में जगदीश ने यह भी याद कर लिया की ऐसी ही नाजुक स्थिति में शालिनी ने अपनी हया और अपने संकोच को दरकिनार करते हुए उसके टेस्टिकल का मसाज किया था. शालिनी को किस क्षोभ को सहन पड़ा होगा उस बात का अब उसे अंदाजा आया… जगदीश ने आंखें खोली और शालिनी के सामने देख मुस्कुराया.
‘क्या सोच रहे हो भैया?’ शालिनी ने पूछा.
‘एक बात पुछु?’
‘दवाई? वो कब लगाओगे?’
‘लगाऊंगा. पहले बताओ, मोहिते ने तूलिका की जो बातें की वो सुन कर तुम मुझ पर गुस्सा हो गई थी- वो क्यों?’
‘गुस्सा नहीं आएगा? वो चुड़ैल आप पर चान्स मार रही है, आप को छेड़ रही है, आपका चुम्मा जबरदस्ती ले रही है और आप अमीर नवाबजादे की तरह अपना खजाना लुटाते जा रहे हो, न उसे रोकते हो न मुझे कुछ बताते हो.’
‘तुम्हें बता कर क्या करता? मतलब उससे क्या होता?’
‘क्या होता मतलब? मुझे कोई परवाह नहीं कोई क्या सोचेगा उस बात की, मैंने उसे आड़े हाथ लेकर पूछा होता की तुम क्या मेरे जेठ जी को पब्लिक प्रॉपर्टी समझ रही हो क्या? ख़बरदार अगर इनके सामने भी देखा तो!’
यह सुन क्र जगदीश जोरों से हंस पड़ा. शालिनी ने आहत होते हुए पूछा.
‘इसमें हंसने वाली कौन सी बात है?’
‘तुम उसे यह कहती के मैं तुम्हारा जेठ जी हूं ?’
‘ओह हां, यह तो मैं भूल ही गई थी…’ शालिनी ने शर्माकर अपना एक हाथ अपनी आंखों पर ढंकते हुए कहा.
जगदीश ने शालिनी की आंखों पर से उसका हाथ हटाते हुए कहा. ‘बाद में शर्माना, अभी मुझ से बात करो.’
‘बात ही तो कर रही हूं.’
‘बात करते करते यूं आंखें बंद कर दोगी तो बात कैसे होगी?’
‘शर्म आ जाए तो क्या करूं, शर्माने भी नहीं दोगे?’
‘बहुत शर्मा लिया, अब बताओ, तूलिका से तुम क्या कहती?’
‘बोलती की मेरे पति से तुम दूर रहो-’
‘मेरा पति! ऐसा बोल देती?’
‘ओ भैया… जाओ ना, क्यों छेड़ रहे हो मुझे…’ फिर से लजा कर अपना मुंह दूसरी ओर करते हुए शालिनी ने कहा.
जगदीश ने झुक कर अपना चेहरा शालिनी के सामने रखा. शालिनी ने अपना चेहरा फिर एक हाथ से छुपाते हुए कहा.
‘हटो मुझे शर्म आ रही है..’
‘पर किस बात की शर्म ये तो बताओ? तुम मुझ पर तो बडी भड़क रही थी की -आप से तो बाद में बात करूंगी - और जब तूलिका से बात करने की बारी आई तो शर्मा रही हो? शालिनी ये तो कोई बात नहीं हुई ! गैरों पे करम अपनों पे सितम?’
‘अब आप पर मैं ने कौन सा सितम कर दिया, बताओगे?’
‘ठीक से बात ही नहीं करती बार बार लजा रही हो, यह सितम नहीं?’
‘कोई बात नहीं करनी, अब सीधा आप को दिखा दूंगी की उस तूलिका का मैं क्या करती हूं , अब कोई ऐसी वैसी कोई हरकत ! उसकी ख़ैर नहीं.’
‘अच्छा छोडो तूलिका की बात, पर तुम क्या कह रही थी मेरे बारे में की मैं अगर किसी लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिलु तब भी मुझ पर शक नहीं करोगी! इतना भरोसा है मुझ पर?’
‘भैया, इन तीन दिनों में मैंने आप को बहुत जान लिया.’
‘अच्छा ! क्या क्या जान लिया, बताओ.’
‘मैंने ऐसे बहुत कम मर्द देखे है जो सामने औरत खड़ी हो और उसकी छाती की ओर नजर न डाले…’
‘ओके तो?’
‘अभी दस मिनिट से मैं आपके सामने हूं और मेरी छाती बिना कपड़ो के खुली हुई है और आप ने अब तक एक नजर भी नहीं डाली, लगातार मुझ से बात किये जा रहे हो, मुझ पर, मेरे चहेरे की ओर ही आपकी नजर है - ऐसा मर्द मिलना मुश्किल है इतना तो मैं समझती हूं.’
‘अरे हां, मैं तो बातों में लग गया, दवाई लगाना तो भूल ही गया…’
‘कुछ भूल नहीं गए, आप अब बहाने मत निकालो, मैं जानती हूं यह काम आप कर ही नहीं सकते.’
‘अरे, कर क्यों नहीं सकता!’
‘मेरी नंगी छाती आप देख नहीं सकते तो दवाई लगाने के लिए छुओगे कैसे!’
‘ओह… अब ऐसी बात भी नहीं, मैं कोशिश तो कर ही सकता हूं.’
‘देख ली आप की कोशिश.’ कहते हुए शालिनी ने अपनी छाती वॉर्डरोब से ढंकते हुए कहा. ‘नर्स को बुलाइए. दर्द होगा पर दवाई तो उसके अलावा लगने से रही.’
‘ठीक है. बुलाता हूं नर्स को.’ कहते हुए जगदीश बाहर गया.
शालिनी के मन में एक अजीब निराशा फ़ैल गई.
कुछ ही पल में नर्स और जगदीश लौटे.
नर्स ने पूछा. ‘लगा दी दवाई? ‘
शालिनी ने कहा. ‘नहीं.’ और जगदीश ने कहा. ‘लगा दी.’
नर्स ने दोनों को बारी बारी देखते हुए आश्चर्य से पूछा. ‘लगाई या नहीं?’
जगदीश ने कहा. ‘आप चेक कर लीजिए, ठीक से लगाई है क्या?’
नर्स ने शालिनी का वॉर्डरोब खोला. शालिनी को ताजुब्ब हुआ की जेठ जी ‘दवाई लगाई.’ ऐसा क्यों बोल रहे है?
नर्स ने शालिनी के स्तन को बारीकी से देख, खुश हो कर कहा. ‘एकदम परफेक्ट लगाई है आपने दवाई सर, थैंक यु.’
‘इन्हो ने कोई दवाई नहीं लगाई सिस्टर, ये तो मेरे साथ गप्पे हांक रहे थे.’
नर्स ने स्मित करते हुए शालिनी से कहा. ‘मेडम आप खुद देख लो ना?’
शालिनी ने अपना घायल स्तन जांचा, उस पर दवाई लगी हुई थी.
‘ये कब लगाई आपने!’ शालिनी ने हैरत से जगदीश को पूछा.
‘तुम से बात करते हुए. तुम्हें बातों में इसी लिए उलझाया ताकि तुम्हे पता न चले की मैं दवाई लगा रहा हूं. अगर पता चलता तो दर्द होने का डर था.’
‘पर देखे बिना कैसे क्या? आप तो मेरे साथ बात करते हुए एक पल भी नजर यहां वहां नहीं किये !’ शालिनी ने अपना स्तन देखते हुए पूछा. उसे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था,
‘दवाई तो उंगली से लगानी थी, देखने की क्या जरूरत? अगर देखने की कोशिश करता तो तुम्हे पता चल जाता की मैं दवाई लगा रहा हूं.’
शालिनी दंग रह गई. नर्स शालिनी का वॉर्डरोब ठीक से ढंकते हुए हंस कर बोली. ‘अब हम लोगो को दवाई कैसे लगाने का वो आप से ट्रेनिंग लेना पड़ेगा सर, आप कैसा ट्रिक किया की मेडम को पता भी नहीं चला और आपने दवाई लगा दिया!’
जगदीश सिर्फ हंस दिया. नर्स जाते हुए शालिनी से बोली. ‘आप तो बहुत लकी हो मेडम!’
नर्स के जाने के बाद शालिनी ने जगदीश से पूछा. ‘ये कैसे किया आपने ? आप मेरे स्तन को मुझे पता न चले उस तरह कैसे छू लिए!’
‘यह सब तुम से ही सीखा हूं शालिनी.’ शालिनी के करीब बैठते हुए जगदीश ने कहा. ‘तुम ने भी मेरे छोटे महाराज के सिपाहियों की कितनी नजाकत से मालिश की थी? मुझे भी पता नहीं चला था.’
‘उस वक्त तो आप मारे दर्द के सो गए थे… ‘
‘हम्म. तुम जाग रही थी इसलिए कठिन तो था पर हो गया.’ जगदीश ने मुस्कुराते हुए कहा.
‘ओफ्फो. मैंने तो सोच कर रखा था की जैसे ही आप मेरे स्तन को छुओगे, मैं जोर जोर से झूठमूठ का चीखूंगी…पर वो तो मेरी मन की मन में ही रह गई…’
‘ओह! तुम चीखती तो फिर मेरे लिए उंगली के बजाय जीभ से दवाई लगाने की नौबत आती!’
‘अरे! ये दवाई कोई जीभ पर नहीं लगा सकता.’
‘तुम जीभ पर सरसों का तेल लगा सकती हो और मैं यह दवाई जीभ पर नहीं लगा सकता?’
‘भैया, यह तेल नहीं, दवाई है -पता नहीं इस में क्या क्या रसायन मिले होंगे! इसे जीभ पर लगाना खतरा हो सकता है.’
‘अभी तो तुम कह रही थी की मेरे बारे में बहुत कुछ जानती हो! इतना खतरा मैं लेता या नहीं ? बताओ?’
शालिनी शर्मा गई.
‘अब बताओ भी, फिर क्यों शर्मा गई?’
‘मान गई भैया, आप कुछ भी कर सकते हो.’ कह कर शालिनी ने जगदीश की छाती में अपना मुंह छिपाते हुए कहा. ‘जो आदमी किसी औरत की छाती पर अपनी उंगलियां फेरे और उस औरत को पता न चलने दे वो कुछ भी कर सकता है…’
***
जुगल
सीसीटीवी फुटेज ज्यों ज्यों आगे बढ़ता गया, जुगल नर्वस होता गया. कहीं मैंने झनक के साथ संभोग तो नहीं कर डाला रात को! हे भगवान अब क्या होगा ? अपने नाख़ून चबाते हुए जुगल देख रहा था की रात को उसने क्या किया था…
फुटेज में : जुगल ने झनक की स्कर्ट निकाल दी फिर उसके दोनों पैरो को खोला…
जुगल ने यह देख अपनी आंखें मूंद ली.. आधी मिनट के बाद डरते हुए उसने कोम्युटर स्क्रीन की ओर देखा तो झनक के दो पैरो के बीच में अपने दोनों हाथों की कोहनी टिका कर अपना चेहरा अपनी हथेलीओ पर सटा कर वो झनक की योनि का बारीकी से मुआयना कर रहा था !
फुटेज में : एक दो मिनट जुगल ने झनक की योनि को निहारा फिर झनक के टॉप को गले तक ऊपर किया और झनक के सुंदर स्तनों को देखने लगा.
जुगल को खुद को आश्चर्य हुआ : मैं कर क्या रहा हूं…
अचानक सरदार जी ने फुटेज को रोक दिया और कोम्युटर बंद कर दिया.
जुगल ने आश्चर्य से सरदार जी की ओर देखा. झनक ने पूछा. ‘क्या हुआ पापा? बंद क्यों कर दिया?’
‘आगे है ही नहीं कुछ देखने जैसा. यह बंदा कभी तुम्हारी योनि देख रहा है, कभी छाती… और इसने कुछ किया ही नहीं. आधा घंटा यूं ध्यान से देखा जैसे सुबह उठ कर तुम्हारे फिगर के बारे में एक्ज़ाम देने वाला हो - फिर लुढ़क कर सो गया.’ सरदार जी ने कहा.
‘जुगल?’ झनक ने जुगल से गुस्से में कहा.
जुगल ने झनक की ओर देखा.
‘तुम मुझे समझते क्या हो?’
जुगल कुछ बोले उससे पहले सरदार जी उठ कर जाने लगे. झनक ने पूछा. ‘कहां जा रहे हो? क्या चाहिए?’
‘मुझे कोफ़ी चाहिए.’
‘आप बैठिए, मैं बना लाती हूं.’ झनक उठते हुए बोली.
‘जुगल के लिए भी ले आना, हम दोनों को जरूरी बात करनी है…’ कह कर टेरेस की ओर जाते हुए सरदार जी ने कहा. ‘आओ जुगल.’
***
जगदीश
जगदीश शालिनी के वॉर्ड से बाहर आया. और सुभाष की खबर लेने गया. सुभाष को अभी होश नहीं आया था. मोहिते डॉक्टर से बात कर रहा था, जगदीश भी उनसे जुड़ गया. डॉक्टर ने कहा की रिकवरी पॉज़िटिव है. डॉक्टर से मोहिते और कुछ टेक्निकल बातें करने लगा. जगदीश डॉक्टर की केबिन से बाहर आ कर सोचने लगा की जुगल और चांदनी से मुझे फोन पर बात कर लेनी चाहिए -
दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? जुगल सह पाएगा ?
***
जुगल
झनक तीनो के लिए कोफ़ी ले कर टेरेस पर आई.
सरदार जी ने कोफ़ी का सीप लेते हुए कहा.
‘जुगल.’
जुगल ने सरदार जी की ओर देखा.
‘रात को तुमने जो किया उस बारे में बात करनी है पर उससे ज्यादा जरूरी है चांदनी की ट्रीटमेंट. अभी एक घंटे में आप लोग चांदनी को लेकर डॉक्टर को मिलने निकलो. मैंने फोन कर दिया है.’
‘जी. बहुत शुक्रिया.’
‘शुक्रिया बाद में अदा करना. पहले अपने भाई को फोन लगाओ.’
‘भैया को? क्यों ?’
‘चांदनी की ट्रीटमेंट के लिए उसका यहां होना जरुरी है.’
‘नहीं अंकल, मैं भाभी की इस हालत के बारे में भैया को नहीं बता सकता.’
‘बताना पड़ेगा जुगल, कोई चारा नहीं. चांदनी को सेक्स्युअल एब्यूज़ की वजह से सदमा लगा है. इसकी ट्रीटमेंट के लिए उसके पति का मौजूद होना निहायत जरूरी है.’
जुगल सोच में पड़ गया. : दिक्क्त यह थी की बात क्या करें ? जो हुआ है वो बताया जा सकता है? बताना चाहिए? भैया सह पायेंगे ?
दोनों भाई सोच रहे थे की जो कभी सोचा न था वो हो रहा है - क्या बात करें?
(३२ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश