pawanqwert
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Welcome Rakesh brother
thanks a lot for expressing such generous praising words-
Welcome Rakesh brother
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I agree percentBro your level of consistency is on another level. Regular updates dekar aapne saare writers ke saamne ek misal pesh ki hai. Hats off to you brother
Bole to jhakaas३१ – ये तो सोचा न था…
[(३० – ये तो सोचा न था… में आपने पढ़ा :
जगदीश को मजबूरन बैठना पड़ा. नर्स ने ड्रेसिंग में सहूलियत हो इसलिए पूरी छाती पर से गाउन हटा दिया…शालिनी के अदभुत और मनहर स्तन एकदम अनावृत्त हो गए. जगदीश शालिनी की नादानी पर मन ही मन में चिढ़ गया : क्या प्रॉब्लम है यह तो इस अकक्ल से नाबालिग लड़की को खुदा जाने कब समझ में आएगा! जगदीश के चहेरे पर की झुंझलाहट पढ़ते हुए नर्स ने जगदीश से कहा. ‘आप की बात सही है सर, ड्रेसिंग के टाइम रिलेटिव को बाहर जाने बोलते है. पर पेशंट का कम्फर्ट लेवल भी देखना पड़ता है. आपकी वाइफ खुद बोल रही है की आप सामने हो तो उनको दर्द फील नहीं होता…’
जगदीश ने ऑक्वर्ड फील करते हुए शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने मीठा सा स्मित किया.
जगदीश ने सोचा : क्या कोई किसी को इतना अपना मान सकता है की रिश्तों की औपचारिकता भी पिघल जाए?]
दूसरे दिन सुबह
जगदीश
सुबह तड़के एक और नाजुक ऑपरेशन के बाद सुभाष अब खतरे से पूरी तरह बाहर था पर अस्पताल में उसे और दस दिन रुकना पड़ेगा. शालिनी को दूसरे दिन शाम तक डिस्चार्ज मिल जाएगा. उसे अब अस्पताल की कैंटीन तक जाने की रजामंदी मिली थी. जगदीश, शालिनी और मोहिते अस्पताल की कैंटीन में सुबह का चाय नाश्ता कर रहे थे. जगदीश कुछ खोया खोया था. शालिनी ने यह नोटिस किया. जगदीश से पूछा की क्या हुआ है पर जगदीश बात टाल गया.
‘हमला करने वालों के निशाने पर कौन था ? मैं या सुभाष ?’ जगदीश ने पूछा.
‘यह लोग साजन भाई के कनेक्शन में तो नहीं थे. नाइनटी नाइन परसेंट यह मामला डिपार्टमेंट के अगेंस्ट है…’
मोहिते ने जवाब दिया. फिर कुछ पल सभी चुपचाप नाश्ता करते रहे.
मोहिते भी कुछ परेशान सा था. नाश्ता निपटाने के बाद उसने जगदीश का हाथ थाम कर कहा. ‘मुझे तुमसे दो बातें करनी है. एक तो यह की सुभाष के लिए तुमने जो कुछ भी किया…’
‘अरे!’ जगदीश ने सुभाष का हाथ झटक कर कहा. ‘कोई बड़ी बात नहीं, मेरी जगह पर कोई भी होता तो जो करता वो ही मैंने भी किया.’
‘अरे पर-’ मोहिते कुछ बोलने गया तब शालिनी ने मोहिते को कहा. ‘ प्लीज़ ऐसी बातें कर के हमें शर्मिंदा न कीजिये मोहित भाई-’
तब मोहिते ने शालिनी से कहा. ‘आप को पता है इन्होने सुभाष के लिए क्या किया? मैं वक्त पर अस्पताल ले आने की और अपना खून देने की बात नहीं कर रहा. मुंबई से स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दो गुना फी केश चुका कर इन्होने सुभाष के आज सुबह के ऑपरेशन का इंतज़ाम किया यह आप को पता है?’
शालिनी को यह पता नहीं था. उसने जगदीश की ओर देखा. जगदीश ने शालिनी के सामने देख एक स्मित किया और मोहिते से कहा. ‘ऐसी बातों का ढिंढोरा नहीं पीटते. छोडो. बताओ दूसरी क्या बात कहनी है?’
‘वो बाद में कहूंगा.’ मोहिते ने कहा.
चाय ख़त्म हुई. शालिनी खड़े होते हुए बोली. ‘आप लोग बातें कीजिए, मेरा ड्रेसिंग का समय हुआ है… मैं चलती हूं.’
शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने कहा. ‘दूसरी बात थोड़ी अजीब है, समझ में नहीं आता की कैसे कहु…’
‘अरे इतना संकोच क्यों?’
‘बात ही ऐसी है की…’
‘अब बता भी दो.’
मोहिते ने गला साफ किया. उसी वक्त शालिनी वापस आई जो अपना सेल फोन टेबल पर गलती से भूल गई थी. मोहिते केंटीन के दरवाजे की ओर पीठ कर के बैठा था सो शालिनी आ रही है यह उसे नहीं दिखा और जगदीश का पूरा ध्यान मोहिते की बातों में था सो उसने भी शालिनी लौटी यह नहीं देखा...शालिनी दोनों की ओर बढ़ी और यहां मोहिते ने कहा. ‘तूलिका ने तुम्हारी शिकायत की है…’
यह सुन शालिनी ठिठक कर खड़ी रह गई.
जगदीश ने मुस्कुराकर पूछा.
‘अच्छा ? मेरी शिकायत?’
‘ जगदीश, यह मत समझो कि मुझे उसकी बात पर यकीं है पर उसने शिकायत की है.’
‘ठीक है, क्या शिकायत यह तो बताओ?’
‘वो जाने दो, मुझे लगता है की तूलिका पगला गई है…मुझे समझ में नहीं आ रहा की वो तुम्हारे बारे में गलत बात क्यों बोल रही है.’
शालिनी अब भी पीछे खड़ी मोहिते की बात सुन रही थी. जगदीश ने अब शालिनी को देखा फिर मोहिते से कहा.
‘पर क्या किया मैंने वो तो बताया होगा न तूलिका ने?’
‘बकवास बातें कर रही थी…’
‘मैं बताऊं , तूलिका ने क्या शिकायत की होगी?’
शालिनी और मोहिते दोनों ने जगदीश को आश्चर्य से देखा.
जगदीश ने कहा. ‘तूलिका ने कहा होगा की कार में सफर करते वक्त मैं सारा समय ड्राइविंग मिरर से उसी को ताड़ रहा था ?’
‘हां.’ मोहिते ने कहा. ‘यह उसने कहा.’
‘और यह भी की होटल के वॉशरूम की संकरी गली में मैंने उसे जबरदस्ती किस कर दी?’
शालिनी और मोहिते को और आश्चर्य हुआ. मोहिते ने कहा. ‘हां यह भी कहा तूलिका ने…’
‘और सुभाष को यहां एडमिट किया तब सांत्वना देने के बहाने मैंने उसे बांहों में ले लिया?’
‘ओह जगदीश क्या है यह सब? मतलब क्या उसकी सारी शिकायते सही है? बिलकुल यही बातें तूलिका ने मुझे बताई है…’ मोहिते ने हैरानी के साथ पूछा.
जगदीश सिर्फ मुस्कुराया, शालिनी अब मोहिते के सामने आ कर कुछ गुस्से में बोली. ‘यह सब हुआ होगा यह सच है पर शिकायत झूठी है…’
‘भाभी आप!’ मोहिते शालिनी को देख बौखला गया. ‘आप छुप कर हमारी बातें सुन रही थी?’
‘हां, छुप कर सुनना पड़ता है, क्योंकि इनको तो संत आदमी का ओस्कार एवॉर्ड लेना है इसलिए इन के सर पर हाथी आ कर बैठ जाएगा तब भी ये तो उफ़ नहीं करेंगे!’ जगदीश को गुस्से से देखते हुए शालिनी ने जवाब दिया.
मोहिते को कुछ समझ में नहीं आया. जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘अरे मुझ पर क्यों बिगड़ रही हो?’
‘आप तो चुप ही रहो, हम बाद में बात करेंगे.’ शालिनी ने जगदीश से कातर आवाज में कहा. फिर मोहिते से पूछा. ‘समझ में आया क्या हुआ वो?’
मोहिते उलझन भरे चेहरे के साथ बोला. ‘कुछ भी नहीं, आप क्या कहना चाहती हो? प्लीज़ साफ़ साफ़ कहो.’
‘मोहिते भाई, तूलिका इन पर चांस मार रही थी, पर इन्हो ने उसे भाव नहीं दिया सो वो उल्टा दांव खेल कर अपनी इमेज बचा रही है - और कोई बात नहीं.’
मोहिते सोच में पड़ गया. फिर उसने शालिनी से पूछा. ‘आप को यह सब पता था?’
‘नहीं. मैंने तो अभी यह सब सुना, ये मोबाइल लेने वापस आई इस लिए सुनने मिला वरना ये तो मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं बताते….’
‘पर आप को ये सब हुआ वो ही जब पता नहीं, तो किसने किया होगा ये कैसे आप इतने यकीन से कह रहे हो?’ मोहिते ने शालिनी से पूछा.
शालिनी ने कहा. ‘मोहिते भाई, मैं तूलिका को नहीं जानती, पर इनको तो जानती हूं ना? ये इतने सीधे इन्सान है की अगर किसी कमरे में यह मुझे किसी अनजान लड़की के साथ बिना कपड़ो के मिले तब भी मैं यही समझूंगी की ‘कपडे निकालने की कोई ठोस वजह होगी - किसी लड़की को भोगने के लिए ये कपडे नहीं उतारेंगे…’
जगदीश ने शालिनी को उसका फोन देते हुए कहा. ‘बस. ये लो अपना फोन. अब जाओ. जरूरत से ज्यादा तुमने सुन भी लिया और बोल भी लिया.जाओ, तुम्हारा ड्रेसिंग का टाइम हो गया है.’
शालिनी ने जाते हुए मोहिते से कहा. ‘तूलिका का बचपना है ये, पर आप तो बड़े हो. बड़ो की तरह सोचना.’
शालिनी के जाने के बाद मोहिते ने अपना सिर पकड़ लिया. जगदीश ने कहा. ‘शालिनी की बात मन पर मत लेना, हर किसी को अपना ही सिक्का सच्चा लगता है. उसे मैं बेगुनाह लगता हूँ और तुम्हे तुम्हारी बहन निर्दोष लगती होगी- और ऐसा लगना गलत भी नहीं…’
जगदीश की बात काटते हुए मोहिते ने कहा. ‘न मैं तुम्हे गुनहगार मानता हूँ न मेरी बहन को निर्दोष. भाभी की सारी बातों से मैं सहमत हूं . मेरी दिक्कत यह है की तूलिका ने तुम्हारे नाम की झूठी शिकायत क्यों की होगी? इससे उसे क्या फायदा होगा?’
‘मैं समझता हूं तूलिका ने ऐसा क्यों किया. बता सकता हूं, पर क्या तुम सच्चाई झेल पाओगे?
मोहिते अब बहुत टेन्स हो गया. बोला. ‘ऐसे डायलॉग मारोगे तो मुझे सुने बिना चैन नहीं पड़ेगा, बोल दो भाई जो बोलना हो!’
‘तूलिका तुमसे प्यार करती है मोहिते - सेक्सुअल प्यार.’
मोहिते के पैरों तले से गोया जमीं खिसक गई…
***
जुगल
सुबह का वक्त था जुगल ब्रश कर के चाय का इतंज़ार कर रहा था. चांदनी भाभी बाथरूम में नहा रही थी. झनक दोनों के लिए चाय ले कर आई. जुगल को चाय दे कर झनक बैठ कर साथ में चाय पीते हुए जुगल को पूछने लगी.
‘रात को पापा के साथ कितनी शराब पी ?’
‘खास नहीं.’
‘कमरे में तुम लौटे तब होश में तो थे?’
‘बिलकुल होश में था. क्यों ऐसा पूछ रही हो?’
‘रात को मैं तो सो गई थी पर तुमने मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत तो नहीं की थी ना?’
‘अपनी बेहूदा बातें बंद करो.’ जुगल ने चिढ कर कहा.
‘जुगल.’ झनक की आवाज गंभीर थी. जुगल ने उसकी ओर देखा. झनक ने कहा.
‘इस घर में हर कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. ओके? अगर तुमने कोई हरकत की होगी तो वो कैमरे में दर्ज हुई होगी. और पापा ने अब तक देख भी लिया होगा. सो अगर तुमने कोई हरकत की है तो उसे छुपाना बिलकुल नहीं. बस यही कहना था.’ और इतना कह कर खड़े हो कर बाथरूम की ओर जाते हुए मनमे सोच रही थी. ‘चांदनी भाभी को नहाने में इतना समय क्यों लग रहा है?
और जुगल सीसीटीवी कैमरा वाली बात सुनकर सख्ते में आ गया था. पिछली रात उसने काफी नशा किया था. क्या नशे में उसने कोई गड़बड़ी की होगी?
जुगल सहम गया. - ये साला शराब बहुत बुरी चीज है… कुछ याद ही नहीं रहता.. पिछली बार भी शराब के नशे में किसी को शालिनी समझ कर…
जुगल अब टेन्स हो गया- रात को उसने कुछ ऐसा किया था जो नहीं करना चाहिए?
वो याद करे उससे पहले बाथरूम से चांदनी की आवाज आई : ‘पापा, ये मम्मी देखो ना जबरदस्ती पेंटी पहना रही है… ‘
चांदनी की शिकायत से परेशान होता हुआ जुगल बाथरूम की और गया. बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था. बाहर खड़े हो कर जुगल ने पूछा . ‘क्या प्रॉब्लम है?’
‘मैंने पेंटी नहीं पहनी थी, मम्मी ने पहना दी.’
‘तो बराबर है ना चांदनी? पेंटी पहननी ही चाहिए…’ जुगल बच्चो को समझाने के सुर में बोला.
‘पापा, फिर आप गुस्सा नहीं करोगे ना की मैंने पेंटी क्यों पहनी है? पनिशमेंट तो नहीं दोगे मुझे? ‘
जुगल यह सुन कर कांप उठा : चांदनी भाभी ने क्या क्या सहा है अपने पिता से!
***
जगदीश
मोहिते खड़े होते हुए बोला. ‘चलो अब यहाँ से उठते है.’
‘मैंने तूलिका के बारे में जो कहा वो क्यों कहा यह नहीं जानना ?’
‘नहीं.’
जगदीश मोहिते को देखता रहा.
मोहिते ने कहा. ‘इसलिए नहीं सुनना, क्योंकि मुझे डर है कि तुम मुझे कन्विंस कर दोगे की मेरी बहन मुझ पर सेक्सुअली मरती है.’
‘तो? तुम सच से इतना डरते क्यों हो?’
‘पागल हो गए हो जगदीश? तुम्हें अंदाजा है तुम क्या बोल रहे हो? तूलिका मेरी सगी बहन है - सगी.’
‘मेरे बोलने से ये हो जाएगा? या ये है इसलिए मैं बोल रहा हूं?’ जगदीश ने पूछा.
‘वो कुछ भी हो.’ मोहिते ने झुंझलाकर कहा. ‘तुम कह रहे हो वो अगर सच हो तब भी मैं उसमे कुछ नहीं कर सकता.’
जगदीश आगे कुछ बोले उससे पहले एक वॉर्डबॉय आया और जगदीश से कहने लगा. ‘सर वो ड्रेसिंग के लिए प्रॉब्लम हो रही है, आप की मेडम ने आप को बुलाया है…’
जगदीश ने खड़े होते हुए मोहिते से कहा. ‘ मोहिते इस मामले में कोई गर कुछ कर सकता है तो केवल तुम कर सकते हो. वो तुम्हारी बहन है और उसे तुम अनाथ की तरह समस्या सहने अकेली छोड़ नहीं सकते. यह एक प्रॉब्लम है और इसका हल ढूंढना होगा. इस बात पर सोचना. मैं मिलता हूँ शालिनी की ड्रेसिंग के बाद.’
और वॉर्डबॉय के साथ चला गया.
***
जुगल
जुगल झनक के पापा, सरदार जी के सामने बैठा था. उन्होंने जरूरी बात करने बुलाया था. क्या बात होगी यह सोच कर जुगल का दिल धड़क रहा था. सरदार जी ने उसे आया हुआ देख कर पूछा.
‘झनक नहीं आई?’
‘उसे भी बुलाया है?’
‘हां, तुम दोनों से बात करनी है. तुम्हारी भाभी की हालत ठीक नहीं कोई एक्शन जल्द लेनी होगी जुगल.’
‘जी.’
‘दूसरी बात, कल रात हम अलग हुए उसके बाद तुम होश में थे?’
जुगल का दिल जोरों से धड़कने लगा. - क्या रात को उसने झनक के साथ कुछ गलत किया होगा?
***
जगदीश
‘उई मां…’ जोरो से शालिनी चीख पड़ी. उसके स्तन पर ऑइंटमेंट लगाती हुई नर्स फिर सहम गई और जगदीश की ओर देखने लगी.
नर्स की यह तीसरी कोशिश थी. वो शालिनी के घायल स्तन पर हीलिंग ऑइंटमेंट लगाने की कोशिश करती थी और शालिनी जोरो से चीख पड़ती थी,इसलिए जगदीश को बुलाया था.
जगदीश ने शालिनी से कहा. ‘प्लीज़ थोड़ा सह लो शालिनी, वर्ना इलाज कैसे होगा?’
‘कल से अब तक मैंने कोई शिकायत की? आज दर्द हो रहा है इसलिए चीख रही हूं ना? मुझे क्या चीखने में मजा आता है?’ शालिनी ने जगदीश को कहा.
बात तो यह भी ठीक थी. जगदीश इस पर कुछ बोल नहीं पाया. उसने नर्स से पूछा. ‘पर मुझे क्यों बुलाया यहां ? इस मामले में मैं क्या कर सकता हूं ?’
‘ये दवा लगाना बहुत जरूरी है सर.’ नर्स ने नम्रता से कहा. ‘आप ट्राई करोगे क्या?‘
‘मैं?’ जगदीश ने चौंककर पूछा. ‘ट्राई ? मतलब मैं दवा लगाऊं?’
नर्स ने हां में सिर हिलाया. जगदीश ने शालिनी की ओर देखा. शालिनी ने पूछा. ‘आप को जमेगा?’
जगदीश उलझ गया. क्या करना चाहिए? उसे समझ नहीं आया.
नर्स ने शालिनी की छाती पर गाउन ढंकते हुए कहा. ‘रात को जो सिस्टर ड्यूटी पर थी उन्होंने कहा है की मैडम को पेईन होगा तो उनका हसबंड को बुला लेना, हसबंड सामने होगा तो मैडम को पेईन नहीं होगा…’
जगदीश ने नर्स से कहा. ‘ठीक है, लाओ मैं कोशिश करता हूं.’
नर्स ने जगदीश को दवा दी.
जगदीश शालिनी के करीब बैठा.
नर्स शालिनी के पलंग पर कपड़े का पार्टीशन खींचते हुए बाहर चली गई.
पलंग की चारो ओर कपडे का पार्टीशन था. जगदीश और शालिनी एक अजीब प्राइवेसी में एक दूसरे के साथ अब अकेले थे -
जगदीश ने एक हाथ में दवा थाम कर दूसरे हाथ से शालिनी की छाती पर से गाउन हटाया.
शालिनी का विशाल स्तन अपनी घायल स्थिति में जगदीश को ताकने लगा…
यह पल भी कभी आएगा यह जगदीश ने कभी सोचा न था…
***
जुगल
‘लगता है तुमको कुछ याद नहीं.’
सरदार जी ने करीब के टेबल पर पड़े कम्प्यूटर को ऑन करते हुए कहा. ‘खुद देख लो. यह सीसीटीवी फुटेज…’
जुगल सांस थामे देखने लगा.
कमरे में वो नशे में धुत हालत में दाखिल हुआ.
पलंग के पास गया.
पलंग पर चांदनी और झनक गहरी नींद में थे.
झनक का स्कर्ट उसकी जांघों तक ऊपर उठ चुका था…
जुगल ने देखा की वो झनक के करीब गया और उसने झनक का स्कर्ट खींच कर निकाल ही दिया…
और झनक के नग्न अनुपम सौंदर्य को निहारने लगा…
जुगल ने खुद को यह सब करते हुए कभी सोचा न था…
(३१ -ये तो सोचा न था…विराम, क्रमश
दोस्त बिलकुल ठीक जा रहे हो, ऐसे ही चलते रहो। साइट पर ज्यादातर पाठक गुप्त होते है जो पढ़ते है और निकल जाते है तो वो सिर्फ व्यूज काउंट बढ़ाते है। काफी पाठक सिर्फ एक या दो शब्दो में तारीफ कर के अगले अपडेट की मांग करते है। कुछ हम जैसे भी होते है जो की कुछ अपडेट के बारे में और कुछ भविष्य की संभावनाओं के बारे में लिखते है। आप किसी को भी बदल नही पाओगे जो जैसा है वो वैसी ही प्रतिक्रिया देगा। आप अपने आप पर और अपने लेखन पर भरोसा रखो और लिखते रहो। ना अपने साथ जबरदस्ती करो ना अपने को कष्ट दो आराम से लिखो और आनंद लो।यूं ही कुछ बातें शेयर कर रहा हूं.
पिछले प्रकरण ( ३१ प्रकरण) को २७,००० व्यू मिले है.
इतने सारे लोग कहानी पढ़ते होंगे?
पता नहीं.
पर अगर दस हजार लोग भी पढ़ रहे है तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी प्राप्ति है.
रोज के लंबे लंबे प्रकरण लिख कर खो सा जाता हूं. संतुलन टूट तो नहीं रहा? संवाद ठीक लिखे जा रहे है? इन्फर्मेशन में लोचे तो नहीं ? वर्णन होना चाहिए उतना है? कम है? ज्यादा है? कहानी में शृंगार रस है या नहीं? किरदार विश्वसनीय लग रहे है या नहीं? उनका व्यवहार सहज तो है?
यह सारे सवाल बारहां होते है जिसका जवाब तय करना मुश्किल हो जाता है. प्रतिक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण है. प्रतिक्रिया पाठक अपने हिसाब से देते है. कभी कभी तो एक या दो ही शब्द होते है. कभी जो लिखा गया उस बारे में न हो कर आगे क्या होगा इस बारे में पाठक अंदाजा लिखते है. कभी कुछ और.
मैं हर प्रतिक्रिया में जो पिछले जो प्रकरण मैंने पोस्ट किया वो कहाँ तक कितना पहुंचा यह समझने की कोशिश करता हूं. कभी कभी लगता है कि ठीक जा रहा है पर ज्यादातर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता. खेर.
शायद मुझे ब्रेक लेना चाहिए.
शायद रोज के एक प्रकरण का तरीका बदलना चाहिए.
शायद मैं बहुत जल्दबाजी में लिख रहा हूं.
शायद ये शायद वो….
कुल मिला कर मैं एक विश्वसनीय कहानी लिखना चाहता हूं…
आप लोगों से विनती है की हो सके उतनी विस्तृत प्रतिक्रिया दें …
______________/\______________________
आपकी लेखनी पर कोई संदेह नहीं कर सकता है क्युकी आप जो भी लिखते है वो ऐसा नही लगता है की कोई घटना एक दम से हो रही है सभी घटनाए एक दूसरे से जुड़ी रहती है और जो रीयल लाइफ में साधारण से व्यक्ति के साथ घटित होती है वैसा महसूस करती है तो आप बेझिझक लिखिए आपकी स्टोरी में कोई कमी नही हैयूं ही कुछ बातें शेयर कर रहा हूं.
पिछले प्रकरण ( ३१ प्रकरण) को २७,००० व्यू मिले है.
इतने सारे लोग कहानी पढ़ते होंगे?
पता नहीं.
पर अगर दस हजार लोग भी पढ़ रहे है तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी प्राप्ति है.
रोज के लंबे लंबे प्रकरण लिख कर खो सा जाता हूं. संतुलन टूट तो नहीं रहा? संवाद ठीक लिखे जा रहे है? इन्फर्मेशन में लोचे तो नहीं ? वर्णन होना चाहिए उतना है? कम है? ज्यादा है? कहानी में शृंगार रस है या नहीं? किरदार विश्वसनीय लग रहे है या नहीं? उनका व्यवहार सहज तो है?
यह सारे सवाल बारहां होते है जिसका जवाब तय करना मुश्किल हो जाता है. प्रतिक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण है. प्रतिक्रिया पाठक अपने हिसाब से देते है. कभी कभी तो एक या दो ही शब्द होते है. कभी जो लिखा गया उस बारे में न हो कर आगे क्या होगा इस बारे में पाठक अंदाजा लिखते है. कभी कुछ और.
मैं हर प्रतिक्रिया में जो पिछले जो प्रकरण मैंने पोस्ट किया वो कहाँ तक कितना पहुंचा यह समझने की कोशिश करता हूं. कभी कभी लगता है कि ठीक जा रहा है पर ज्यादातर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिलता. खेर.
शायद मुझे ब्रेक लेना चाहिए.
शायद रोज के एक प्रकरण का तरीका बदलना चाहिए.
शायद मैं बहुत जल्दबाजी में लिख रहा हूं.
शायद ये शायद वो….
कुल मिला कर मैं एक विश्वसनीय कहानी लिखना चाहता हूं…
आप लोगों से विनती है की हो सके उतनी विस्तृत प्रतिक्रिया दें …
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jitni baar thread open hota hai utni baar views badhte hainदस हजार लोग भी पढ़ रहे है तो यह मेरे लिए बहुत बड़ी प्राप्ति है
Mere hisaab se to kam hai , shayad bahot kam hai , mai pahle bhi bolne wala tha ki character dialogues aur bhadhana chahiye , kyunki sabse jyada character development dialogues se hi hote hain. Jis character ke jitne jyada dialogues honge utna jyada hi ham usse connect karengeवर्णन होना चाहिए उतना है? कम है?
aapke shuru ke updates aur akhiri kuch updates ko compare kare to aisa laga hai ki thodhi si ras ki kami hui hai , shayad isliye ki koi imp. erotic scene nhi aya , ya may be aap update khatam karne ki jaldi me hote hain isliyeकहानी में शृंगार रस है या नहीं?
Sir ji bas ek hi baar to kiya maine ki purane updates padh ke future ka andaaza lagayaकभी जो लिखा गया उस बारे में न हो कर आगे क्या होगा इस बारे में पाठक अंदाजा लिखते है
Mai apke kathan se purna tah sahmat hunशायद मुझे ब्रेक लेना चाहिए.
शायद रोज के एक प्रकरण का तरीका बदलना चाहिए.
शायद मैं बहुत जल्दबाजी में लिख रहा हूं.