रत्ना बड़बड़ाते जा रही थी और अपनी योनि की रगड़े जा रही थी। उत्तेजनावश वह अपनी चोली उतार फेकती है और अपने घाघरे का नाड़ा खोलकर घाघरे को भी पैरों के नीचे से निकाल देती है। अब वह मादरजात नंगी अपनी शैया पर लेटी हुई अपनी नंगी चूची को हाथ से मसले जा रही थी और कामुक आहें निकाल रही थी। दूसरे हाथ से अपनी योनि को फैलाकर रगड़ रही थी। उसकी योनि , योनि रस से गीली और चिकनी ही जाती है और उसकी अनामिका उंगली उसकी योनि में सरसराते हुए योनि की गहराइयों में चली जाती है।ये पहली बार था जब राजकुमारी रत्ना ने अपनी कुंवारी अनचूदी योनि में अपनी उंगली डाली थी। उसकी सांसे रुक जाती हैं। उसके योनिद्वार अभी ठीक से खुले भी नहीं थे। लेकिन योनि में ऊंगली की उपस्थिति अब उसे अच्छी लगने लगती है,,,धीरे धीरे वह अब सामान्य होती है। यह हस्तमैथुन का पहला अनुभव था। वह अपनी योनि में उंगली को तेजी से अंदर बाहर करने लगती है और बड़बड़ाने लगती है,,,,
चोदिये राजन चोदिए अपनी इस रानी को,,,,अपने मोटे लिंग से,,,,मेरी योनि बहुत प्यासी है जिसकी प्यास आपका मोटा लिंग ही बुझा सकता है। राजन मेरे स्तन चूसते हुए मेरी योनि की चोदिए। इसे फाड़ दीजिए। ऐसे चोदिए की आपका लिंग मेरी बच्चेदानी तक पहुंच जाए,,,, इस संसार में आपके लिंग से ही इस दिव्य योनि की प्यास बुझ सकती है,,,
ऐसे ही बड़बड़ाते हुए राजकुमारी रत्ना अपनी योनि में अपनी उंगली खूब तेजी से अंदर बाहर करने लगती है और करीब आधे घंटे के बाद चरमसुख को प्राप्त कर झड़ जाती है और उसकी योनि से भालभालाकर योनि रस की धार बहने लगती है। उसके हाथ योनि रस से भीग जाते हैं। वह योनि रस से भीगे हाथ अपने नक के पास लाती है और उसकी मादक सुगंध से मदहोश होने लगती है।
चुकी राजकुमारी रत्ना का हस्तमैथुन का ये पहला अनुभव था।अतः उन्हें यह अनुभव अदभुत लगता है। लगा जैसे शरीर हल्का होकर स्वर्ग की सैर कर रहा है। अपने पहले अनुभव के कारण राजकुमारी रत्ना यू ही बिल्कुल नग्न अवस्था में थक कर शैय्या पर सो जाती है और नींद में राजा विक्रम सेन के सपने देखने लगती है...........