Update 15
फिर कलुआ नहा कर आता है और दोनो मां बेटे साथ में बैठ नाश्ता करते हैं और फिर दोनों अपने खेत की ओर चल पड़े। रांझा ने पोटली में रोटी और प्याज दोपहर में खाने को ले लिया था। अब रास्ते में रांझा आगे आगे तो कलुआ उसके पीछे चल रहा था। आज कलुआ पहली बार अपनी मां के साथ ऐसे चल रहा था कि उसका सारा ध्यान अपनी मां की हिलती हुई गांड़ पर थी । पगडंडी पे रांझा मटक मटक कर चल रही थी जिससे उसकी गांड़ पूरी हिल रही थी। आज पहली बार कलुआ को अपनी मां की गांड़ देख कर लंद टाइट होने लगा था और उसे जोरो की पेशाब लग जाती है। तो वो बोलता है
मां, थोड़ा रुक जाओ, मुझे पेशाब लगी है।
अच्छा, रुक जाती हूं, तू जा कर ले पेशाब ।घर से पेशाब कर के नही चला था क्या
और ऐसा कह कर वो अपने बेटे के लंद को देखती है, तो उसे वहां उभार दिखता है। इधर कलुआ पगडंडी के किनारे खड़ा होकर अपनी धोती में से लंद निकाल कर पेशाब करने लगता है। रांझा भी तिरछी नजरों से अपने बेटे के लंद को देख कर सिहर जाती है। फिर कहती है
कितना पेशाब करेगा बेटा। आज पूरे साल की पेशाब निकलेगा क्या। पेशाब कर लिया हो तो अब चल।
ठीक है मां, चलता हूं। यह कह कर कलुआ चल देता है और मन में सोचता है ( मां ये लंद तुम्हारी गांड़ देख कर ही खड़ा हुआ है, लेकिन तुम्हें कैसे बताऊं) फिर दोनो अपने खेत की ओर चल पड़े।
वहां पहुंच कर दोनो अपने खेत पर काम में लग जाते हैं। दोनो खेत की सुहाई करने लगते हैं जिससे खेत से खर पतवार साफ कर के उसे अगली फसल को तैयार कर सकें। लेकिन मौसम गर्म हो चुका इसलिए दोनों दोपहर तक थक जाते हैं और रांझा कहती है
चल बेटा रोटी खा ले और आ जा बरगद के पेड़ के नीचे जरा सुस्ता ले, कितना काम करेगा।
इस पर कलुआ भी धोती अपनी कमर में खोसे आ गया और खेत के बगल से बह रही नदी में जाकर हाथ मुंह धोकर आता है और पेड़ की छाव में बैठ जाता है। रांझा रोटी की पोटली खोलती है और कलुआ से सामने रख कर बैठ जाती है और कहती है
खा ले बेटा, उसके बाद आराम कर लेते हैं।
रांझा अपनी साड़ी घुटनों तक सरका कर कलुआ के सामने जांघ खोल कर बैठी थी,इतनी गर्मी जो थी और रोटी खा रही थी। रांझा के ऐसे बैठने से कलुआ की नजर बार बार अपनी मां की जांघों की जड़ मे चली जा रही थी। रांझा कलुआ की नजर को भांप लेती है और मन में सोचती है ( हाय दईया, ये तो मेरी योनि देखना चाह रहा है, बेशरम कहीं का ) ऐसा सोच कर वह मन में मुस्कुरा देती है और अपनी जांघें भींच लेती है। लेकिन ये ख्याल आते ही उसकी योनि गीली हो जाती है।
खाना खा कर दोनों वहीं आराम करने लगते हैं। तभी रांझा को पेशाब आती है और वह पेड़ के पीछे पेशाब करने चली जाती है। कलुआ जाग रहा था। वह समझ गया कि मां पेशाब करने गई है। वह भी चुपके से उठता है और पेड़ के पीछे चला जाता है जहां रांझा साड़ी उठा कर पेशाब कर रही थी और उसकी गांड़ दिख रही थी। कलुआ ने पहली बार औरत की गांड़ देखी थी भले वह उसकी अपनी सगी मां की ही थी। कलुआ का लंद खड़ा हो जाता है और वह धोती के ऊपर से ही लंद को सहलाने लगता है। इधर रांझा को लगता है कि पीछे कोई खड़ा है तो वह झटके से सिर पीछे घुमा कर देखती है तो कलुआ को खड़े होकर अपना लंद सहलाते देख लेती है। दोनों की नजर आपस में मिलती है तो कलुआ सकपका जाता है,कलुआ ने सोचा नहीं था कि मां ऐसे घूम जायेगी। दोनो कुछ देर तक एक दूसरे की आंखों में देखते हैं। फिर कलुआ वहां से भाग जाता है। रांझा भी पेशाब करके वापस वहा आती है और लेट जाती है। थोड़ी देर में कलुआ रांझा के चिल्लाने की आवाज सुन कर उठता है तो देखता है कि थोड़ी दूर पर रांझा पैर उठाए चिल्ला रही है। कलुआ भागते हुए वहां पहुंचता है तो रांझा कहती है
पैर में कांटा चुभ गया है बेटे, बहुत दर्द हो रहा है।
मैं देखता हूं मा, आप थोड़ा पैर उठाओ।
ऐसा कहकर वह रांझा का पैर उठा देता है और तलवे के नीचे कांटा देखने लगता है। कांटा तो नही दिखता है। लेकिन पैर उठाने से साड़ी भी ऊपर हो जाती है और रांझा की जांघें खुल जाती हैं। कलुआ कांटा खोजने में व्यस्त था। तभी उसने जैसे अपना सिर उठाया उसे अपनी मां की योनि दिख गई। अपनी मां की योनि इतनी आसानी से देख कर वह उत्तेजित हो गया।उसे रांझा की योनि पे हल्के हल्के बाल दिख रहे थे। रांझा की योनि सुंदर तो थी ही तभी तो राजमाता देवकी ने भी उसकी योनि की प्रशंसा की थी। कलुआ कुछ देर अपनी मां की योनि देखता रहा फिर अपना लंद धोती के ऊपर से रगड़ दिया।
तभी रांझा यह जानते हुए कि उसका पुत्र उसकी योनि देख रहा है, कहती है
कांटा मिला पुत्र।
नहीं माते, कांटा तो नही मिला।
तो लगता है दूसरे पैर में कांटा चुभ गया है, आओ पेड़ की छाव में देखते हैं।
फिर दोनो पेड़ की छाव में बैठ जाते हैं और रांझा घुटने मोड़ कर लेट जाती है
कलुआ , लाओ मां, कांटा देख लूं।
हां बेटा देख ले।लेकिन देख कही हिरण या नीलगाय तो नहीं आ रहे।नही तो दूसरी फसलों को नुकसान पहुंचाएंगे। एक काम कर, तू पेड़ पर चढ़ कर देख लें हिरण या कोई और जानवर कही से आ तो नही रहे हैं। ( रांझा पेड़ पर से चारों ओर दिखवाकर आश्वस्त हो जाना चाहती थी की इस गर्मी में कोई इधर आ तो नही रहा है क्योंकि उस पेड़ से 2 कोस की दूरी तक की चीजे दिख जाती थी।
कलुआ पेड़ के सबसे ऊपर तने पर चढ़ कर देखता है और कहता है
यहां से कोसों दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा ना ही कोई आदमी है न ही कोई जानवर। तुम जानवर की बात कर रही हो मां, यहां तो चिड़िया भी नहीं दिख रही है।
ठीक है बेटा तब तू नीचे आ जा।
कलुआ नीचे आता है और अपनी मां के दूसरे पैर में कांटा ढूंढने लगा। रांझा पेड़ के नीचे साड़ी घुटनों तक उठा कर लेटी थी, ब्लाउज पर से आंचल हटा हुआ था। आज गर्मी बहुत ज्यादा थी और पसीना बहुत निकल रहा था। इसलिए रांझा की चोली फिर से गीली हो गई थी और उसके स्तन ब्लाउज में बिल्कुल साफ दिख रहे थे। इधर कलुआ इस तरह रांझा के पैर उठा कर कांटा देख रहा था कि रांझा की साड़ी उसके जांघों तक आ पहुंची। और उसके बीच इतनी जगह बन गई की रांझा की योनि साफ साफ दिखने लगी। कलुआ अपनी मां की योनि देख कर मंत्र मुग्ध हो गया जिसे रांझा देख लेती है और शर्मा जाती है , लेकिन योनि पनिया जाती है। वह कहती हैं
कांटा मिला पुत्र।
नहीं मां, मै देख रहा हूं
मैं देख रही हूं तुम कांटा नहीं खोज पा रहे हो , अच्छे से कांटा खोजो और ऐसे बोल कर मुस्कुरा देती है और अपनी जांघें थोड़ी सी और खोल देती है जिससे उसकी योनि और साफ साफ दिखने लगती है।
कलुआ कुछ झेंपता है लेकिन मन मे सोचता है लगता है बात कुछ बनेगी मां भी मूड में है। वह कांटा ढूंढने के बहाने अपनी मां की योनि को देख कर मंत्र मुग्ध हो गया था। उत्तेजना से उसका लंद उसकी धोती में खड़ा हो गया था जिसे रांझा भी देख लेती है और मन ही मन मुस्कुराने लगती है। और कहती है
लगता है कांटा नहीं मिलेगा बेटा और ऐसा बोलते हुए अपनी जांघें बंद कर लेती है।वो थोड़ा कलुआ को तरसाना चाह रही थी।
मैं तो कांटा ही ढूंढ रहा था, अब नहीं मिला तो इसमें मेरी गलती थोड़े ही है। लेकिन मां, मै एक बताऊं तुम्हारे पैर बड़े मुलायम हैं और ऐसा बोल कर वह रांझा के जांघ पर अपने हाथ फेर देता है।
तभी रांझा बोल पड़ती है
आजा बेटा , तू भी थोड़ा आराम कर ले। फिर उसकी धोती की ओर देखते हुए कहती हैं
बेटा तुझे पेशाब आई है क्या।
रांझा के ऐसा पूछने से कलुआ सकपका जाता है और कहता है
नहीं मां, ऐसा नहीं है
तो फिर तुम्हारी धोती में तुम्हारा लिंग क्यों खड़ा है
अपनी मां के इतना खुल्लम खुल्ला पूछने से कलुआ घबरा भी जाता है और उत्तेजना भी महसूस करता है और बात को थोड़ा आगे बढ़ाना चाह रहा था।
तभी उसकी नजर अपनी मां की चोली पे पड़ी जो पसीने से पूरी भीग गई थी। तब वह कहता है
मां, तुम्हारी चोली तो पसीने से पूरी भीग गई है और तुम्हारे स्तन पूरे नंगे दिख रहे हैं जैसे सुबह दिख रहे थे।
रांझा ने ऐसा सोचा नहीं था कि कलुआ इतने आराम से ये बात बोल देगा। लेकिन उसे सुनकर अच्छा लग रहा था। तभी कलुआ फिर बोलता है
मां, तुम अपनी चोली उतार ही दो , तो वह सुख भी जायेगी और तुम्हे भी थोड़ी ठंडक मिलेगी
अरे बेशरम, तू मुझे अपने सामने चोली उतरने को बोल रहा है, तुझे जरा भी शर्म नहीं आई अपनी मां से ये बात बोलते हुए।
नहीं मां, शर्म की बात नही है। मै तो इसलिए तुम्हें बोल रहा था की ऐसे भी चोली से तुम्हारे स्तन पूरे नंगे दिख ही रहे हैं तो फिर इसको पहनने से क्या फायदा और यहां मेरे तुम्हारे अलावा कोई और है भी नहीं जो कहीं बतायेगा।
अच्छा तू ये ठीक कह रहा है।और ये कह कर वो अपनी चोली उतार कर कलुआ को पेड़ पर टांगने को दे देती है। लेकिन जो भी कहो, कलुआ जब अपने मां के स्तन बिना कपड़ों के देखता है तो वह पागल हो जाता है। उसने इतनी सुंदर चीज पहली बार जो देखी थी
वह उत्तेजनावश बोल पड़ता है
मां, तुम्हारे ये स्तन बहुत सुन्दर लग रहे हैं, कितने गोरे और मुलायम दिख रहे है।
हट बेशरम, पहले तो तुमने मुझे चोली निकालने को कहा और फिर उसे घूर रहा है।
अब मां, ये इतने सुन्दर है तो इसमें मेरी क्या गलती है और आज तक मैंने अभी तक किसी औरत के स्तन नहीं देखे थे, इसीलिए इनको देख कर मैं पागल हो गया। और मेरी तो कोई प्रेमिका भी नहीं है और ये बोलकर वह थोड़ा रूवासा हो जाता है। इस पर रांझा को बड़ा प्यार आता है और वह कहती है
कोई बात नही पुत्र , मैं हूं ना, देख ले इन स्तनों को जितना देखना चाहे, ये तेरे ही तो हैं, तूने ही तो इनका दूध पी पी कर इसे बड़ा कर दिया था। और तुम्हे भी पेशाब लगी है क्या । तुम्हारी धोती में उभार जो दिख रहा है।
हां मां, लगी तो है। मै अभी आया और ये बोल कर वह नदी के पास चला गया। लेकिन आज इन मां बेटे की किस्मत तो देखो। नदी से लौटते समय कलुआ का पैर फिसल गया और वह नदी के पानी मे गिर गया और उसकी धोती पूरी गीली होकर उसके पैर से चिपक गई। उसकी धोती में उसका लिंग साफ साफ दिखने लगा।
कलुआ जैसे अपनी मां के पास वह उसे देख कर हसने लगी और पूछा
ये तुम भीग कैसे गए, तुम्हारी धोती तो पूरी गीली हो गई।
हां मां, वो मै नदी में गिर गया था
इसपर रांझा हसने लगी है और कहती है
इसुलिये दूसरों पर नहीं हंसते। अब तुम्हारी ही धोती गीली हो गई और तुम्हारे अंदर का सब दिख रहा है, ऐसा कर तू भी धोती निकाल कर सूखने को डाल दें, जल्दी सुख जायेगी। इस पर कलुआ धोती खोल कर पेड़ पर सूखने को टांग देता है और रांझा के बगल में आ कर नंगा ही लेट जाता है। थोड़ी देर में वो रांझा के तरफ करवट लेता है और कहता है
एक बात कहूं, मां तुम बहुत खूबसूरत हो और बिना चोली के तुम्हारे ये स्तन बिल्कुल संगमरमर की तरह चमकदार और कोमल दिख रहे हैं, इन्ही से दूध पिया करता था ना मां। पिता जी कितने भग्यशाली है मां, जो उन्हें तुम्हारे जैसी सुन्दर पत्नी मिली है।
इस पर रांझा शरमा जाती है और बोलती है
धत्त बेटा, मै मां हूं, और पुत्र को अपनी मां से ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए और न ही मां के इन अंगों को देखना ही चहिए।
लेकिन एक बात कहूंगी,
पुत्र तुम्हें ऐसे मुझे पेशाब करते हुए नही देखना चाहिए था, आखिर मैं मां हूं तुम्हारी। और किसी पुत्र को अपनी मां को पेशाब करते नहीं देखना चाहिए, ये गलत है।
वो मां मै आपकी पेशाब की आवाज सुन कर वहां चल गया था
कोई बात नहीं पुत्र, यहां तो कोई नहीं है।लेकिन किसी के भी सामने ऐसा मत करना। लोग क्या सोचेंगे हमारे बारे में। रांझा भी कलुआ के तरफ करवट लेकर लेट जाती है। कलुआ कहता है
मां, आपसे एक बात पूछूं,।
हां पूछो
आप गुस्सा तो नही करोगी।
नहीं करूंगी गुस्सा, अब पूछ तो।
मां, क्या पिता जी का लिंग भी मेरी तरह ही है या और बड़ा है।
ये क्या पूछ रहा है पुत्र।
मैने कहा था ना मां, आप गुस्सा करोगी।
अच्छा गुस्सा नही करती बेटा।
तो बताओ ना मां। (और कलुआ रांझा के नंगे कंधे पर हाथ रख कर कहता है।)
इस पर रांझा कलुआ के लिंग को देखती है और आहें भरते हुए कहती है
बिल्कुल तेरे पिताजी के लिंग की छाया है तेरा लिंग। मुझे ऐसा लग रहा है मै तेरा लिंग नहीं, तेरे पिताजी का लिंग देख रही हूं।
अपनी मां के देखने से कलुआ के लिंग मे तनाव आ जाता है और वह खड़ा हो कर अपनी मां को सलामी देने लगता है और कहता है
सच मां, मेरा लिंग बिलुल पिता जी की तरह ही है। इसीलिए ये आपको देख कर खड़ा हो गया।
तभी रांझा बोलती है,
बेटा ये क्यों खड़ा हुआ ये मुझे पता है इसने अपनी सहेली को देख लिया है, है ना और ये बोलकर वह मुस्कुरा देती है।
अभी जो तुम घाघरे के नीचे देख रहे थे, वह तुम्हें अपनी मां की नही देखनी चाहिए। यह पुत्र के लिए निषेध है।
इस पर कलुआ शरमा गया और कहा
लेकिन मुझे जो जगह बड़ी प्यारी दिख रही है जो तुम्हारी घाघरे के नीचे है। मेरी तो नजर ही नहीं हट रही है। बड़ी सुंदर है ये। मैने पहली बार देखी है।
अच्छा तो मेरे पुत्र को वो जगह प्यारी लगी। लेकिन पुत्र तुम्हे वो जगह नहीं देखनी चाहिए आओ, ।
लेकिन मां, अब तो मैने उसे देख लिया है। मुझे पिता जी से ईर्ष्या हो रही है जो इतनी सुंदर योनि के मालिक है वो।
अपने पुत्र द्वारा इतना खुल्लम खुल्ला बोलने से वह भी उत्तेजित हो जाती है। तभी कलुआ बोलता है
मां, इतनी गर्मी है। अपना घाघरा उतार दो ना। वैसे भी इसके नीचे जो तुमने छिपाया है वो तो मैने देख ही लिया है।
लेकिन अगर कोई आ गया तो
इतनी गर्मी की दोपहर में कौन आ रहा है मां।
इस पर रांझा अपना घाघरा उतार कर दूसरी तरफ रख देती है। अब दोनों मां बेटे पेड़ के नीचे नंगे लेटे थे। तभी कलुआ कहता है
मुझे तुम्हारा दूध पीना है मां।
तो पी ले बेटा, लेकिन किसी को भी पता नही चलना चाहिए।
बिल्कुल पता नही चलेगा और ये कह कर वो अपनी मां के एक स्तन को मुंह में लेता है और चूसने लगता है जैसे कोई छोटा बच्चा दूध पी रहा हो। अपनी मां के स्तनग्र को होठों के बीच दबा कर चूसने लगता है और दूसरे हाथ से वह अपनी मां के दूसरे स्तन को दबाने लगता है। रांझा की आहें निकलने लगी और वह अपने पुत्र की बाहों मे पिघल रही थी। उसे अपने पेट पर अपने पुत्र का खडा लिंग चुभ रहा था जिसे कलुआ जन बुझ कर इसके नाभि पर रगड़ रहा था।इससे रांझा बहकने लगी। कलुआ कहता है
देखो ना मां, ये तुम्हें कितने प्यार से देख रहा है
रांझा देखती है तो सही में कलुआ का लंद उसे बड़े प्यार से देख रहा था। तभी कलुआ रांझा का हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख देता है जिससे रांझा मस्त हो जाती है और कलुआ के लिंग को पकड़ कर सहलाने लगी।
कलुआ _ मां, मैने आज पहली बार जिंदगी में योनि देखी है। मै इस पर पिता जी की तरह ही प्यार करना चाहता हूं।
रांझा _ लेकिन कोई जान गया तब
कलुआ _ कोई नहीं जानेगा मां और ऐसा बोल कर वह अपना एक हाथ सीधे उसकी योनि पर रख कर उसे सहलाने लगता है जिससे उसे झटका लगता है।
रांझा _ लेकिन ये बात किसी को भी मत बताना बेटा। ये बात हमारे तुम्हारे बीच राज रहेगी और ये कह कर वह कलुआ को आगोश मे ले लेती है। दोनो मां बेटे पुराने प्रेमी की तरह एक दूसरे से चिपक का चुम्बन लेने लगते हैं। इसी बीच कलुआ अपनी मां के ऊपर आ कर अपना लिंग उसकी योनि में डाल देता है जिससे रांझा पागल हो जाती है।। अपने ही पुत्र का लिंग अपनी योनि मे लेने का अलग ही आनंद आता है। फिर घमासान सम्भोग के बाद कलुआ अपनी मां की योनि में झड़ जाता है और अपना सारा वीर्य अपनी मां की योनि में ही छोड़ देता है
फिर कलुआ नहा कर आता है और दोनो मां बेटे साथ में बैठ नाश्ता करते हैं और फिर दोनों अपने खेत की ओर चल पड़े। रांझा ने पोटली में रोटी और प्याज दोपहर में खाने को ले लिया था। अब रास्ते में रांझा आगे आगे तो कलुआ उसके पीछे चल रहा था। आज कलुआ पहली बार अपनी मां के साथ ऐसे चल रहा था कि उसका सारा ध्यान अपनी मां की हिलती हुई गांड़ पर थी । पगडंडी पे रांझा मटक मटक कर चल रही थी जिससे उसकी गांड़ पूरी हिल रही थी। आज पहली बार कलुआ को अपनी मां की गांड़ देख कर लंद टाइट होने लगा था और उसे जोरो की पेशाब लग जाती है। तो वो बोलता है
मां, थोड़ा रुक जाओ, मुझे पेशाब लगी है।
अच्छा, रुक जाती हूं, तू जा कर ले पेशाब ।घर से पेशाब कर के नही चला था क्या
और ऐसा कह कर वो अपने बेटे के लंद को देखती है, तो उसे वहां उभार दिखता है। इधर कलुआ पगडंडी के किनारे खड़ा होकर अपनी धोती में से लंद निकाल कर पेशाब करने लगता है। रांझा भी तिरछी नजरों से अपने बेटे के लंद को देख कर सिहर जाती है। फिर कहती है
कितना पेशाब करेगा बेटा। आज पूरे साल की पेशाब निकलेगा क्या। पेशाब कर लिया हो तो अब चल।
ठीक है मां, चलता हूं। यह कह कर कलुआ चल देता है और मन में सोचता है ( मां ये लंद तुम्हारी गांड़ देख कर ही खड़ा हुआ है, लेकिन तुम्हें कैसे बताऊं) फिर दोनो अपने खेत की ओर चल पड़े।
वहां पहुंच कर दोनो अपने खेत पर काम में लग जाते हैं। दोनो खेत की सुहाई करने लगते हैं जिससे खेत से खर पतवार साफ कर के उसे अगली फसल को तैयार कर सकें। लेकिन मौसम गर्म हो चुका इसलिए दोनों दोपहर तक थक जाते हैं और रांझा कहती है
चल बेटा रोटी खा ले और आ जा बरगद के पेड़ के नीचे जरा सुस्ता ले, कितना काम करेगा।
इस पर कलुआ भी धोती अपनी कमर में खोसे आ गया और खेत के बगल से बह रही नदी में जाकर हाथ मुंह धोकर आता है और पेड़ की छाव में बैठ जाता है। रांझा रोटी की पोटली खोलती है और कलुआ से सामने रख कर बैठ जाती है और कहती है
खा ले बेटा, उसके बाद आराम कर लेते हैं।
रांझा अपनी साड़ी घुटनों तक सरका कर कलुआ के सामने जांघ खोल कर बैठी थी,इतनी गर्मी जो थी और रोटी खा रही थी। रांझा के ऐसे बैठने से कलुआ की नजर बार बार अपनी मां की जांघों की जड़ मे चली जा रही थी। रांझा कलुआ की नजर को भांप लेती है और मन में सोचती है ( हाय दईया, ये तो मेरी योनि देखना चाह रहा है, बेशरम कहीं का ) ऐसा सोच कर वह मन में मुस्कुरा देती है और अपनी जांघें भींच लेती है। लेकिन ये ख्याल आते ही उसकी योनि गीली हो जाती है।
खाना खा कर दोनों वहीं आराम करने लगते हैं। तभी रांझा को पेशाब आती है और वह पेड़ के पीछे पेशाब करने चली जाती है। कलुआ जाग रहा था। वह समझ गया कि मां पेशाब करने गई है। वह भी चुपके से उठता है और पेड़ के पीछे चला जाता है जहां रांझा साड़ी उठा कर पेशाब कर रही थी और उसकी गांड़ दिख रही थी। कलुआ ने पहली बार औरत की गांड़ देखी थी भले वह उसकी अपनी सगी मां की ही थी। कलुआ का लंद खड़ा हो जाता है और वह धोती के ऊपर से ही लंद को सहलाने लगता है। इधर रांझा को लगता है कि पीछे कोई खड़ा है तो वह झटके से सिर पीछे घुमा कर देखती है तो कलुआ को खड़े होकर अपना लंद सहलाते देख लेती है। दोनों की नजर आपस में मिलती है तो कलुआ सकपका जाता है,कलुआ ने सोचा नहीं था कि मां ऐसे घूम जायेगी। दोनो कुछ देर तक एक दूसरे की आंखों में देखते हैं। फिर कलुआ वहां से भाग जाता है। रांझा भी पेशाब करके वापस वहा आती है और लेट जाती है। थोड़ी देर में कलुआ रांझा के चिल्लाने की आवाज सुन कर उठता है तो देखता है कि थोड़ी दूर पर रांझा पैर उठाए चिल्ला रही है। कलुआ भागते हुए वहां पहुंचता है तो रांझा कहती है
पैर में कांटा चुभ गया है बेटे, बहुत दर्द हो रहा है।
मैं देखता हूं मा, आप थोड़ा पैर उठाओ।
ऐसा कहकर वह रांझा का पैर उठा देता है और तलवे के नीचे कांटा देखने लगता है। कांटा तो नही दिखता है। लेकिन पैर उठाने से साड़ी भी ऊपर हो जाती है और रांझा की जांघें खुल जाती हैं। कलुआ कांटा खोजने में व्यस्त था। तभी उसने जैसे अपना सिर उठाया उसे अपनी मां की योनि दिख गई। अपनी मां की योनि इतनी आसानी से देख कर वह उत्तेजित हो गया।उसे रांझा की योनि पे हल्के हल्के बाल दिख रहे थे। रांझा की योनि सुंदर तो थी ही तभी तो राजमाता देवकी ने भी उसकी योनि की प्रशंसा की थी। कलुआ कुछ देर अपनी मां की योनि देखता रहा फिर अपना लंद धोती के ऊपर से रगड़ दिया।
तभी रांझा यह जानते हुए कि उसका पुत्र उसकी योनि देख रहा है, कहती है
कांटा मिला पुत्र।
नहीं माते, कांटा तो नही मिला।
तो लगता है दूसरे पैर में कांटा चुभ गया है, आओ पेड़ की छाव में देखते हैं।
फिर दोनो पेड़ की छाव में बैठ जाते हैं और रांझा घुटने मोड़ कर लेट जाती है
कलुआ , लाओ मां, कांटा देख लूं।
हां बेटा देख ले।लेकिन देख कही हिरण या नीलगाय तो नहीं आ रहे।नही तो दूसरी फसलों को नुकसान पहुंचाएंगे। एक काम कर, तू पेड़ पर चढ़ कर देख लें हिरण या कोई और जानवर कही से आ तो नही रहे हैं। ( रांझा पेड़ पर से चारों ओर दिखवाकर आश्वस्त हो जाना चाहती थी की इस गर्मी में कोई इधर आ तो नही रहा है क्योंकि उस पेड़ से 2 कोस की दूरी तक की चीजे दिख जाती थी।
कलुआ पेड़ के सबसे ऊपर तने पर चढ़ कर देखता है और कहता है
यहां से कोसों दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा ना ही कोई आदमी है न ही कोई जानवर। तुम जानवर की बात कर रही हो मां, यहां तो चिड़िया भी नहीं दिख रही है।
ठीक है बेटा तब तू नीचे आ जा।
कलुआ नीचे आता है और अपनी मां के दूसरे पैर में कांटा ढूंढने लगा। रांझा पेड़ के नीचे साड़ी घुटनों तक उठा कर लेटी थी, ब्लाउज पर से आंचल हटा हुआ था। आज गर्मी बहुत ज्यादा थी और पसीना बहुत निकल रहा था। इसलिए रांझा की चोली फिर से गीली हो गई थी और उसके स्तन ब्लाउज में बिल्कुल साफ दिख रहे थे। इधर कलुआ इस तरह रांझा के पैर उठा कर कांटा देख रहा था कि रांझा की साड़ी उसके जांघों तक आ पहुंची। और उसके बीच इतनी जगह बन गई की रांझा की योनि साफ साफ दिखने लगी। कलुआ अपनी मां की योनि देख कर मंत्र मुग्ध हो गया जिसे रांझा देख लेती है और शर्मा जाती है , लेकिन योनि पनिया जाती है। वह कहती हैं
कांटा मिला पुत्र।
नहीं मां, मै देख रहा हूं
मैं देख रही हूं तुम कांटा नहीं खोज पा रहे हो , अच्छे से कांटा खोजो और ऐसे बोल कर मुस्कुरा देती है और अपनी जांघें थोड़ी सी और खोल देती है जिससे उसकी योनि और साफ साफ दिखने लगती है।
कलुआ कुछ झेंपता है लेकिन मन मे सोचता है लगता है बात कुछ बनेगी मां भी मूड में है। वह कांटा ढूंढने के बहाने अपनी मां की योनि को देख कर मंत्र मुग्ध हो गया था। उत्तेजना से उसका लंद उसकी धोती में खड़ा हो गया था जिसे रांझा भी देख लेती है और मन ही मन मुस्कुराने लगती है। और कहती है
लगता है कांटा नहीं मिलेगा बेटा और ऐसा बोलते हुए अपनी जांघें बंद कर लेती है।वो थोड़ा कलुआ को तरसाना चाह रही थी।
मैं तो कांटा ही ढूंढ रहा था, अब नहीं मिला तो इसमें मेरी गलती थोड़े ही है। लेकिन मां, मै एक बताऊं तुम्हारे पैर बड़े मुलायम हैं और ऐसा बोल कर वह रांझा के जांघ पर अपने हाथ फेर देता है।
तभी रांझा बोल पड़ती है
आजा बेटा , तू भी थोड़ा आराम कर ले। फिर उसकी धोती की ओर देखते हुए कहती हैं
बेटा तुझे पेशाब आई है क्या।
रांझा के ऐसा पूछने से कलुआ सकपका जाता है और कहता है
नहीं मां, ऐसा नहीं है
तो फिर तुम्हारी धोती में तुम्हारा लिंग क्यों खड़ा है
अपनी मां के इतना खुल्लम खुल्ला पूछने से कलुआ घबरा भी जाता है और उत्तेजना भी महसूस करता है और बात को थोड़ा आगे बढ़ाना चाह रहा था।
तभी उसकी नजर अपनी मां की चोली पे पड़ी जो पसीने से पूरी भीग गई थी। तब वह कहता है
मां, तुम्हारी चोली तो पसीने से पूरी भीग गई है और तुम्हारे स्तन पूरे नंगे दिख रहे हैं जैसे सुबह दिख रहे थे।
रांझा ने ऐसा सोचा नहीं था कि कलुआ इतने आराम से ये बात बोल देगा। लेकिन उसे सुनकर अच्छा लग रहा था। तभी कलुआ फिर बोलता है
मां, तुम अपनी चोली उतार ही दो , तो वह सुख भी जायेगी और तुम्हे भी थोड़ी ठंडक मिलेगी
अरे बेशरम, तू मुझे अपने सामने चोली उतरने को बोल रहा है, तुझे जरा भी शर्म नहीं आई अपनी मां से ये बात बोलते हुए।
नहीं मां, शर्म की बात नही है। मै तो इसलिए तुम्हें बोल रहा था की ऐसे भी चोली से तुम्हारे स्तन पूरे नंगे दिख ही रहे हैं तो फिर इसको पहनने से क्या फायदा और यहां मेरे तुम्हारे अलावा कोई और है भी नहीं जो कहीं बतायेगा।
अच्छा तू ये ठीक कह रहा है।और ये कह कर वो अपनी चोली उतार कर कलुआ को पेड़ पर टांगने को दे देती है। लेकिन जो भी कहो, कलुआ जब अपने मां के स्तन बिना कपड़ों के देखता है तो वह पागल हो जाता है। उसने इतनी सुंदर चीज पहली बार जो देखी थी
वह उत्तेजनावश बोल पड़ता है
मां, तुम्हारे ये स्तन बहुत सुन्दर लग रहे हैं, कितने गोरे और मुलायम दिख रहे है।
हट बेशरम, पहले तो तुमने मुझे चोली निकालने को कहा और फिर उसे घूर रहा है।
अब मां, ये इतने सुन्दर है तो इसमें मेरी क्या गलती है और आज तक मैंने अभी तक किसी औरत के स्तन नहीं देखे थे, इसीलिए इनको देख कर मैं पागल हो गया। और मेरी तो कोई प्रेमिका भी नहीं है और ये बोलकर वह थोड़ा रूवासा हो जाता है। इस पर रांझा को बड़ा प्यार आता है और वह कहती है
कोई बात नही पुत्र , मैं हूं ना, देख ले इन स्तनों को जितना देखना चाहे, ये तेरे ही तो हैं, तूने ही तो इनका दूध पी पी कर इसे बड़ा कर दिया था। और तुम्हे भी पेशाब लगी है क्या । तुम्हारी धोती में उभार जो दिख रहा है।
हां मां, लगी तो है। मै अभी आया और ये बोल कर वह नदी के पास चला गया। लेकिन आज इन मां बेटे की किस्मत तो देखो। नदी से लौटते समय कलुआ का पैर फिसल गया और वह नदी के पानी मे गिर गया और उसकी धोती पूरी गीली होकर उसके पैर से चिपक गई। उसकी धोती में उसका लिंग साफ साफ दिखने लगा।
कलुआ जैसे अपनी मां के पास वह उसे देख कर हसने लगी और पूछा
ये तुम भीग कैसे गए, तुम्हारी धोती तो पूरी गीली हो गई।
हां मां, वो मै नदी में गिर गया था
इसपर रांझा हसने लगी है और कहती है
इसुलिये दूसरों पर नहीं हंसते। अब तुम्हारी ही धोती गीली हो गई और तुम्हारे अंदर का सब दिख रहा है, ऐसा कर तू भी धोती निकाल कर सूखने को डाल दें, जल्दी सुख जायेगी। इस पर कलुआ धोती खोल कर पेड़ पर सूखने को टांग देता है और रांझा के बगल में आ कर नंगा ही लेट जाता है। थोड़ी देर में वो रांझा के तरफ करवट लेता है और कहता है
एक बात कहूं, मां तुम बहुत खूबसूरत हो और बिना चोली के तुम्हारे ये स्तन बिल्कुल संगमरमर की तरह चमकदार और कोमल दिख रहे हैं, इन्ही से दूध पिया करता था ना मां। पिता जी कितने भग्यशाली है मां, जो उन्हें तुम्हारे जैसी सुन्दर पत्नी मिली है।
इस पर रांझा शरमा जाती है और बोलती है
धत्त बेटा, मै मां हूं, और पुत्र को अपनी मां से ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए और न ही मां के इन अंगों को देखना ही चहिए।
लेकिन एक बात कहूंगी,
पुत्र तुम्हें ऐसे मुझे पेशाब करते हुए नही देखना चाहिए था, आखिर मैं मां हूं तुम्हारी। और किसी पुत्र को अपनी मां को पेशाब करते नहीं देखना चाहिए, ये गलत है।
वो मां मै आपकी पेशाब की आवाज सुन कर वहां चल गया था
कोई बात नहीं पुत्र, यहां तो कोई नहीं है।लेकिन किसी के भी सामने ऐसा मत करना। लोग क्या सोचेंगे हमारे बारे में। रांझा भी कलुआ के तरफ करवट लेकर लेट जाती है। कलुआ कहता है
मां, आपसे एक बात पूछूं,।
हां पूछो
आप गुस्सा तो नही करोगी।
नहीं करूंगी गुस्सा, अब पूछ तो।
मां, क्या पिता जी का लिंग भी मेरी तरह ही है या और बड़ा है।
ये क्या पूछ रहा है पुत्र।
मैने कहा था ना मां, आप गुस्सा करोगी।
अच्छा गुस्सा नही करती बेटा।
तो बताओ ना मां। (और कलुआ रांझा के नंगे कंधे पर हाथ रख कर कहता है।)
इस पर रांझा कलुआ के लिंग को देखती है और आहें भरते हुए कहती है
बिल्कुल तेरे पिताजी के लिंग की छाया है तेरा लिंग। मुझे ऐसा लग रहा है मै तेरा लिंग नहीं, तेरे पिताजी का लिंग देख रही हूं।
अपनी मां के देखने से कलुआ के लिंग मे तनाव आ जाता है और वह खड़ा हो कर अपनी मां को सलामी देने लगता है और कहता है
सच मां, मेरा लिंग बिलुल पिता जी की तरह ही है। इसीलिए ये आपको देख कर खड़ा हो गया।
तभी रांझा बोलती है,
बेटा ये क्यों खड़ा हुआ ये मुझे पता है इसने अपनी सहेली को देख लिया है, है ना और ये बोलकर वह मुस्कुरा देती है।
अभी जो तुम घाघरे के नीचे देख रहे थे, वह तुम्हें अपनी मां की नही देखनी चाहिए। यह पुत्र के लिए निषेध है।
इस पर कलुआ शरमा गया और कहा
लेकिन मुझे जो जगह बड़ी प्यारी दिख रही है जो तुम्हारी घाघरे के नीचे है। मेरी तो नजर ही नहीं हट रही है। बड़ी सुंदर है ये। मैने पहली बार देखी है।
अच्छा तो मेरे पुत्र को वो जगह प्यारी लगी। लेकिन पुत्र तुम्हे वो जगह नहीं देखनी चाहिए आओ, ।
लेकिन मां, अब तो मैने उसे देख लिया है। मुझे पिता जी से ईर्ष्या हो रही है जो इतनी सुंदर योनि के मालिक है वो।
अपने पुत्र द्वारा इतना खुल्लम खुल्ला बोलने से वह भी उत्तेजित हो जाती है। तभी कलुआ बोलता है
मां, इतनी गर्मी है। अपना घाघरा उतार दो ना। वैसे भी इसके नीचे जो तुमने छिपाया है वो तो मैने देख ही लिया है।
लेकिन अगर कोई आ गया तो
इतनी गर्मी की दोपहर में कौन आ रहा है मां।
इस पर रांझा अपना घाघरा उतार कर दूसरी तरफ रख देती है। अब दोनों मां बेटे पेड़ के नीचे नंगे लेटे थे। तभी कलुआ कहता है
मुझे तुम्हारा दूध पीना है मां।
तो पी ले बेटा, लेकिन किसी को भी पता नही चलना चाहिए।
बिल्कुल पता नही चलेगा और ये कह कर वो अपनी मां के एक स्तन को मुंह में लेता है और चूसने लगता है जैसे कोई छोटा बच्चा दूध पी रहा हो। अपनी मां के स्तनग्र को होठों के बीच दबा कर चूसने लगता है और दूसरे हाथ से वह अपनी मां के दूसरे स्तन को दबाने लगता है। रांझा की आहें निकलने लगी और वह अपने पुत्र की बाहों मे पिघल रही थी। उसे अपने पेट पर अपने पुत्र का खडा लिंग चुभ रहा था जिसे कलुआ जन बुझ कर इसके नाभि पर रगड़ रहा था।इससे रांझा बहकने लगी। कलुआ कहता है
देखो ना मां, ये तुम्हें कितने प्यार से देख रहा है
रांझा देखती है तो सही में कलुआ का लंद उसे बड़े प्यार से देख रहा था। तभी कलुआ रांझा का हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख देता है जिससे रांझा मस्त हो जाती है और कलुआ के लिंग को पकड़ कर सहलाने लगी।
कलुआ _ मां, मैने आज पहली बार जिंदगी में योनि देखी है। मै इस पर पिता जी की तरह ही प्यार करना चाहता हूं।
रांझा _ लेकिन कोई जान गया तब
कलुआ _ कोई नहीं जानेगा मां और ऐसा बोल कर वह अपना एक हाथ सीधे उसकी योनि पर रख कर उसे सहलाने लगता है जिससे उसे झटका लगता है।
रांझा _ लेकिन ये बात किसी को भी मत बताना बेटा। ये बात हमारे तुम्हारे बीच राज रहेगी और ये कह कर वह कलुआ को आगोश मे ले लेती है। दोनो मां बेटे पुराने प्रेमी की तरह एक दूसरे से चिपक का चुम्बन लेने लगते हैं। इसी बीच कलुआ अपनी मां के ऊपर आ कर अपना लिंग उसकी योनि में डाल देता है जिससे रांझा पागल हो जाती है।। अपने ही पुत्र का लिंग अपनी योनि मे लेने का अलग ही आनंद आता है। फिर घमासान सम्भोग के बाद कलुआ अपनी मां की योनि में झड़ जाता है और अपना सारा वीर्य अपनी मां की योनि में ही छोड़ देता है
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