महारानी ने उस बालक के एक भाग को अपने साथ लेकर वंहा से दूर चली आयी और अपने साथ उन सभी लोगो को लेकर भी आई और फिर बोली
रूपलेखा :- "देखो तुम लोग इस बात का खास ध्यान रखना की आर्यन के बारे में जितने कम लोगो को पता चले उतना ही अच्छा होगा नही तो इसकी जान को खतरा हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो समझ लेना कि महाराज को छुड़ाना फिर नामुमकिन हो जाएगा ।"
आदमी 1 :-"महारानी आप बिलकुल भी चिंता ना करे हम अपनी जान देकर भी इसकी रक्षा करेंगे ।
महारानी :-आप लोग इसे इस संसार मे जितने तरह के युद्ध कला है और पुरातन ज्ञान है वह प्रदान करियेगा ।
सब एक साथ बोलते है जी ऐसा ही होगा और इसके बाद वह सब महारानी को प्रणाम करके वंहा से चले जाते है फिर महारानी भी वापस आकर अपने बिस्तर पर सो जाती है ।
सुबह होते ही वह अपने समय से उठती है तो देखती है सीमा बहुत ध्यान से आर्यन को देख रही है उसे इस तरह से देखते हुए देख कर रूपा बोलती है कि
(दोस्तो महारानी जब पाताल लोक के निवासियों से बात करेंगी तो उन्हें रूपलेखा और जब धरतीलोक के वासियो से बात करंगी तो रूपा लिखूंगा )
रूपा :क्या बात है सीमा बहुत ध्यान से आर्यन को देख रही हो ।
सीमा :दीदी मैं यही देख रही हु की आर्या कल के अपेक्षा आज कुछ कमजोर दिखाई दे रहा है ।
रूपा :ऐसी कोई बात नही है बस यह तूम्हारे मन का भर्म है और कुछ भी नही।
सीमा :ठीक है दी मुझे भी ऐसा ही लग रहा है चलिए कोई बात नही है मै आज थोड़ा जल्दी ऑफिस जा रही हु बॉस ने कुछ काम दिया है जो आज पूरा करना है ।
रूपा :हा जा तू लेकिन एक बात का ख्याल रखना कि
सीमा :हा मैं जानती हूं आखिर कितनी बार एक बात समझोगी दी आप ।
रूपा :हा मैं जानती हूं तू बहुत समझदार हो गयी है लेकिन मेरी बात को भूलना मत समझी की नही ।
सीमा : हा मैं समझ गयी और अगर आपकी इजाजत होतो क्या मैं अब जा सकती हूं।
रूपा :हा जाओ।
इसके बाद सीमा तैयार होकर अपने काम पर चली जाती है और रूपा आर्यन को तैयार करके स्कूल निकल जाती है और उसे वंहा छोड़ कर घर आ जाती है ।जब वह घर पहुचती है तो देखती है कि उसकी बेटी एनी घर मे बैठी उसका इन्तजार कर रही थी। अपनी बेटी को देखकर महारानी बहुत ही खुश होतीं है और अपनी बेटी के गले लगती है और उसे बैठने को बोलती है फिर एनी बोलती है कि
एनी :माँ आखिर कर यह सब क्या हो रहा है मुझे तो कुछ भी समझ मे नही आ रहा है ।वंहा पर पिता जी को भाई ने बन्दी बना कर कारागार में डाल दिया है और इधर आप एक मामूली इंसान की जिंदगी जीने पर विवश है ।जो भाई पिता जी के सामने सर नही उठा सकता था आज वह पिता जी को बन्दी बना रखा है ।
रूपलेखा :बेटी मैं तुम्हे ज्यादा तो नही बता सकती बस इतना जान लो अतीत एक बार फिर से खुद को दोहराने वाला है और अगर ऐसा हुआ तो समझ लो सब खत्म हो जाएगा ।बस हम लोग उसी से बचने का उपाय कर रहे है ।
एनी : मा मुझे जब सूचना मिली तो इसके बाद मैं किसी तरह से बच कर यंहा तक आने में सफल हो सकी है तो बताये आखिर किस लिए आपने मुझे याद किया है।
रूपलेखा :हमने तुम्हे बस इसलिए बुलाया है कि तुम्हे कुछ बातों से अवगत करा सकू।
एनी :ऐसी कौन सी बात है माँ जो आप इतना परेशान हो रही हो।
रूपलेखा :सुनो बेटी तुम और तुम्हारी जैसी चार लड़कियों की तलाश तुम्हारा भाई कर रहा है और अगर उसे यह पता चला कि तुम उनमे से एक हो तो यह हम सबके लिए ठीक नही होगा।
एनी :माँ आखिर आप कहना क्या चाहती है कुछ समझी नही।
रूपलेखा :तुमने पाताल लोक के प्रथम राजा का इतिहास तो पढ़ी हो ना तो बातओ उनकी कुल कितनी पत्नी थी ।
एनी : माँ जंहा तक मुझे याद है उनकी कुल 5 पत्निया थी ।एक मिनट आपके कहने का मतलब यह तो नही है ना कि मैं उनमे से एक हु ।
रूपलेखा : हा मैं यही कहना चाहती हु इसलिए जब तक तुमको तुम्हारे पूर्वजन्म के सम्राट नही मिल जाते तब तक तुम किसी के साथ शादी नही कर सकती और कुछ भी नही।
एनी : हा माँ मैं समझ गयी लेकिन मैं यह पूछ सकती हूं वह कौन है और इस वक्त कहा है ।
रूपलेखा :जब वह तुम्हारे सामने आएंगे या तुमको छू भी लिया तो तुम्हारा रूप परिवर्तन हो जाएगा