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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

NEHAVERMA

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आज शगुन अपने पापा का एक नया रूप देख रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था वह शत-प्रतिशत सत्य था,,,, अपनी ही सेक्रेटरी के साथ चुदाई का खेल खेल रहे अपने पापा को देखकर से कम इतना तो समझ गई थी कि इसके पापा रंगीन मिजाज के हैं,,,, लेकिन वह यह सोच में पड़ गई कि इतनी खूबसूरत सुंदर सेक्सी बीवी होने के बावजूद भी उसके पापा दूसरी औरतों के साथ इस तरह के संबंध क्यों बनाते हैं,,, इसका जवाब शगुन को खुद ही मिल गया था धीरे-धीरे वह मर्दों की फितरत से वाकिफ होने लगी थी वह समझने लगी थी कि हर औरत को देखकर मर्द का खड़ा हो जाता है,,।

जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे शगुन की बुर कुछ ज्यादा ही फुदकने लगी थी,,, आखिरकार इसमें उसका बिल्कुल भी दोस्त नहीं था यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है और वह भी वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और तो और अपनी आंखों से अपनी मां बाप के साथ साथ अपने बाप और अपने बाप की सेक्रेटरी के बीच चुदाई का गरमा गरम खेल जो देख चुकी थी,, इसलिए तो उसके बदन की गर्मी उसे और ज्यादा परेशान कर रही थी,,।


ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह,,, शगुन उठी,,,वह बिस्तर में एकदम नंगी सोई हुई थी,,, उठकर वह तुरंत फ्रॉक पहन ली,,, ना तो वह फ्रॉक के नीचे ब्रा पहनी और ना ही पेंटिं,,, फ्रॉक के नीचे में पूरी तरह से नंगी थी और वो भी फ्रॉक इतनी छोटी की,,,, बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों का घेराव उससे छुप पा रहा था,,‍ लेकिन शगुन इस कपड़े में अपने आप को बेहद सहज महसूस कर रही थी,,, आज उसका टेस्ट था जिसकी तैयारी करना बहुत जरूरी था,,, टेस्ट दोपहर से शुरू होने वाले थे,, उसके पास अभी भी काफी समय था इसलिए वह वैसे ही बिना फ्रेश हुए बिस्तर पर किताब खोल कर बैठ गई और पढ़ने लगी,,।

उसे एक चैप्टर समझ में नहीं आ रहा था,,, अपने कमरे से बाहर आई और सीढ़ियों पर खड़ी होकर नीचे डाइनिंग टेबल की तरफ नजर घुमाई जहां पर उसके पापा नाश्ता कर रहे थे उन्हें देखते ही शगुन बोली,,,।


पापा आज मेरा टेस्ट है,,, और मुझे चैप्टर समझ में नहीं आ रहा है आप आकर समझा देते तो अच्छा होता,,,


ठीक है मैं अभी नाश्ता करके आता हूं,,,(संजय एक ही नजर में सीढ़ीयों के पास खड़ी शगुन के खूबसूरत बदन का जायजा ले लिया,,, छोटे से फ्रॉक में उसकी चिकनी मांसल जांघें साफ नजर आ रही थी जिसे देखते ही संजय के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,। संजय नाश्ता करते हुए हैं शगुन को जाते हुए देखने लगा छोटे से फ्रॉक में उसकी गोलाकार गांड बहुत खूबसूरत लग रही थी,,, शगुन वापस अपने कमरे में चली गई,, और वापस जाकर बिस्तर पर बैठ गई पन्नों को इधर-उधर पलटते हुए वह टेस्ट के बारे में ही सोच रही थी,,,, उसके दिमाग में अभी ऐसा कुछ भी नहीं था,,,

दूसरी तरफ संजय नाश्ता करके तुरंत सीढ़ीयो के रास्ते ऊपर जाने लगा,,, शगुन के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था संजय दरवाजे पर खड़ा होकर पहले बिस्तर पर बैठी शगुन को देखने लगा,, उसकी चिकनी जांघें उसकी नंगी टांगे बड़े आराम से नजर आ रही थी,,, जिसे देख कर संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, दरवाजे पर खड़े अपने पापा को देखकर शगुन बोली,,।


आओ ना पापा यह वाला चैप्टर मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है,,,,


कोई बात नहीं मैं अभी समझा देता हूं,,,(इतना कहकर संजय कमरे के अंदर प्रवेश किया और एहतियात के रूप में दरवाजे को बंद कर दिया लेकिन लोक नहीं किया,,, संजय भी बिस्तर पर बैठ गया था,,,,, संचय उसे उस चैप्टर के बारे में समझाने लगा,,, संजय की नजर अपनी बेटी की चिकनी टांगों पर घूम रही थी और उसकी चिकनी टांग को देखकर संजय का मन फिसल रहा था,,,। संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी देख कर संजय की पेंट में गुबार उठ रहा था,। सगुन अपने पापा के प्रति पूरी तरह से आकर्षित थी लेकिन ऐसे में इसका पूरा ध्यान से कुछ एक्टर को समझने में लगा हुआ था उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि जाने-अनजाने में उसकी चिकनी नंगी टांग को उसके पापा प्यासी नजरों से देख रहे हैं,,।

उत्तेजना रहित होने के बावजूद भी संजय बड़े अच्छे से शकुन कोर्स चैप्टर के बारे में समझा रहा था ताकि टेस्ट में उसके मार्क कम ना आवे,,,,थोड़ी ही देर में संजय अच्छी तरह से सगुन को उस चैप्टर के बारे में समझा दिया,,,, उसका समय हो रहा था इसलिए वह बोला,,,।


अच्छी तरह से समझ ली हो ना,,,


हां,,, पापा,,,


कोई दिक्कत तो नहीं है ना,,,।


नहीं कोई भी दिक्कत नहीं है,,,,


ठीक है मेरा समय हो रहा है मैं चलता हूं,,,, (इतना कहकर संजय बिस्तर पर से उठ गया लेकिन जैसे ही वहशगुन की दोनों टांगों के बीच रखी हुई किताब पर से अपनी नजर हटाने वाला था कि तभी उसकी नजर ऐसी खास जगह पर पहुंच गई जिसे देखते ही वो एकदम से सन्न रह गया,,,उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,। अपनी बेटी की बुर देख कर संजय की आंखों में चमक आ गई थी,,, संजय ललचाए आंखों से अपनी बेटी की बुर को देख रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे जिंदगी में उसने इस तरह की खूबसूरत बुर को कभी नहीं देखा है हालांकि वो अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी बुर के दर्शन कर चुका था और भोग भी चुका था लेकिन शायद अपनी बेटी की बुर को देखना उसके लिए सबसे अध्भुत नजारा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,

शगुन को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी बुर दिखाई दे रही है वह तो अपना पूरा ध्यान चैप्टर को समझने में लगाई हुई थी,,,, पर संजय अपना पूरा ध्यान अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच लगाया हुआ था,,,संजय अपने मन में अपनी बेटी की बुर को देखकर नहीं सोच रहा था कि वाकई में उसकी बेटी की बुर कितनी खूबसूरत है,,, एकदम चिकनी बालों का नामोनिशान नहीं था संजय इतना समझ गया था कि उसकी बेटी रोज क्रीम लगाकर साफ करती है तभी तो उसकी बुर ईतनी चिकनी है,,, एक दम दाग रहीत ,,,
संजय को अपनी बेटी की बुर के रूप में केवल एक पतली दरार ही नजर आ रही थी,,, एकदम अनछुई,,, इस अद्भुत नजारे को देख कर संजय के मुंह में पानी आ गया,,, साथ ही उसके लंड में भी,,,,जो कि इस बेहद खूबसूरत नजारे को देखकर धीरे-धीरे अपनी औकात में आ रहा था,,,
संजय की हालत खराब हो रही थी अपनी बेटी की रसीली बुर को देखकर वह यह भी भूल गया कि वह किसी गैर लड़की की नहीं बल्कि अपनी ही बेटी की बुर को देख रहा है,,,, संजय का मन शगुन की बुर में अपना लंड डालने को कर रहा था,,, क्योंकि शगुन की दोनों टांगों के बीच का अद्भुत नजारा संजय के दिलो-दिमाग पर छा चुका था,,,।
संजय अपनी बेटी की बुर को छुना चाहता था,, उसे अपनी हथेली में दबाना चाहता था,,, लेकिन इतनी हिम्मत अभी उसमे नहीं थी,,, तभी चैप्टर को समझ रही शगुन का ध्यान अब तक खड़े अपने पापा पर गया तो वह अपने पापा की तरफ देखते हुए बोली,,,।

पापा ,,, आप अभी तक,,,,, यहां,,,,,,,,(इतना कहना था कि,, शगुन अपने पापा की तरफ देखी और उनकी नजर के सिधान की दिशा को जैसे ही समझी वह पूरी तरह से चौक गई,,, वह झटके से अपने पापा की तरफ और फिर अपनी दोनों टांगों की तरफ देखकर स्तब्ध रह गई उसे अब जाकर इस बात का आभास हुआ कि दोनों पानी फैलाने की वजह से उसकी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी,,, यह देखते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,,,, सगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, क्योंकि उसके पापा उसकी बुर को खा जाने वाली नजर से देख रहे थे,,, सगुन को अपने पापा की आंखों वासना साफ नजर आ रही थी,,, सगुन अपने पापा की नजरों को देखकर साफ समझ रही थी कि,, उसके पापा उसे चोदने वाली नजर से देख रही थी और यह ख्याल इस बात का आभास शगुन को होते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,,
ना जाने क्यों शर्मसार होने के बावजूद भी कुछ देर तक शगुन जानबूझकर अपनी बुर को अपने पापा को देखने का मौका दे रही थी और संजय भी इस मौके का पूरा फायदा उठा रहा था,,, लेकिन देखते ही देखते उसके पैंट में अच्छा खासा तंबू बन चुका था,,, और अपने पापा के पेंट में बने तंबू पर सगुन की नजर जा चुकी थी,,,यह नजारा शगुन के लिए भी बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ था क्योंकि शगुन इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,, उसके पापा का लंड उसकी बुर को देखकर ही खड़ा हुआ है,,,,,, लेकिन अब इस नजारे पर परदा डालना बेहद जरूरी हो चुका था ,,,क्योंकि काफी समय हो चुका था और उसकी मम्मी किसी भी समय कमरे में आ सकती थी,,, इसलिए शगुन अपने कपड़ों के साथ-साथ खुद को ठीक तरह से कर ली,,, अब संजय के लिए भी ज्यादा देर तक वहां खड़ा रहना ठीक नहीं था लेकिन जाते जाते दोनों की नजरें एक दूसरे से टकरा गई दोनों की आंखों में एक दूसरे को पाने की ललक और उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,,, लेकिन शगुन अपने पापा की आंखों में एक अद्भुत चमक देखकर शरमा गई और अपनी नजरों को शर्मा कर नीचे कर ली,,, संजय कमरे से बाहर जा चुका था,,, लेकिन उसके तन बदन में शगुन ने अपनी जवानी से आग लगा चुकी थी,,,
अपने पापा के बाहर जाते ही,,, शगुन उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों टांगों के बीच अपना हाथ ले जाकर अपनी हथेली को जोर से अपनी बुर पर रगड़ ते हुए लंबी आह भरी और वापस टेस्ट की तैयारी करने लगी,,,।
उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,।
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Royal boy034

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सोनू का यह अनुभव पहली बार का था इसलिए वह ज्यादा देर टिक नहीं पाया था,,,जिस तरह से वह अपनी मां की बुर में धक्के लगा रहा था उसका मन और ज्यादा करने को कर रहा था,,,,अपनी मां की बुर में अपने लंड की रबड़ को महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो रहा था,,,,, लेकिन अपनी मां की बुर की गर्मी उसके ताप को वह ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और बहुत ही जल्द अपनी मां की पुर में पिघल गया,,,,, संध्या गीत इससे ज्यादा की अपेक्षा रखी थी लेकिन वह भी समझ सकती थी कि उसका बेटा पहली बार चुदाई कर रहा था,,,, लेकिन फिर भी इस दौरान उसके बेटे ने उसे 3 बार झाड़ चुका था,,, यही उसके लिए काफी था,,,,

सोनू अपनी मां के चूचियों के बीच मुंह छुपा कर गहरी गहरी सांस ले रहा था,,, संध्या को अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था,,, वह अपने बेटे के बालों में ऊंगली घुमाते हुए बोली,,,।


कैसा लगा तुझे,,,


बहुत मजा आया मैं बता नहीं सकता,,,


ईसीको चुदाई कहते हैं,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,,,) कितना मजा आता है ना जब लंड बुर में जाता है,,,,


बहुत मजा आता है मम्मी,,, तुम्हारी बुर बहुत गर्म है ,,, मैं तो बहुत जल्दी पिघल गया,,,।


चल कोई बात नहीं शुरू शुरू में ऐसा ही होता है,,, लेकिन तुने मुझे तीन बार झाड़ दिया,,,,,,, बहुत मजा आया,,,,


मम्मी अगर यह सब पापा को पता चल गया तो,,,,


कैसे पता चल जाएगा तू बताएगा क्या,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू ना में सिर हिला दिया,,,)

तो फिर कैसे पता चलेगा जब तू नहीं बताएगा मैं नहीं बताऊंगी तो पता कैसे चलेगा,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू मुस्कुरा दिया उसे समझ में आ गया था कि अब यह सिलसिला शुरू हो चुका है,,, सोनू को अपनी मां की नरम नरम बड़ी-बड़ी चूचियां बहुत अच्छी लग रही थी सोनू अपनी मां की छाती पर सिर रखे हुए था,,, और अपनी मां की कड़ी निप्पल को देखकर सोनु सिरहाने गया और वह उसे छूकर दबाने लगा,,,,,,,, और बोला,,,)

मम्मी तुम्हारी निप्पल कितनी खूबसूरत लग रही है,,, एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह,,,,
(अपनी निप्पल की तुलना कैडबरी चॉकलेट से होते ही संध्या हंसने लगी,,,)

हां तो सच कह रहा है एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह लेकिन उसे खाना पड़ता है और इसे मुंह में भर कर पीना पड़ता है,,,,


तो क्या मे ईसे मुंह में भरकर पी सकता हूं,,,,(निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर मसलते हुए बोला,,,)

क्यों नहीं ईसी तरह से तो खेला जाता है,,, औरतों की चूची से मुंह में लेकर किया जाता है दबाया जाता है मसला जाता है ऐसा करने से तुम मर्दों को भी मजा आता है और हम औरतों को भी,,,,


क्या सच में मैंने तुम्हें भी मजा आता है जोर-जोर से दबाने में लेकिन दुखता तो होगा ना,,,,।


दुखता तो है लेकिन दुखने के दर्द से ज्यादा उसे दबाने के बाद जो मजा आता है उसकी अपेक्षा में हर औरत उस दर्द को भूल जाती है और बस मजा लेती है,,,

(सोनू अपनी मां की बात बड़े गौर से सुन रहा था आज उसके सामने उसकी मां संभोग से जुड़े हर एक पहलु को एक-एक करके खोल रही थी मानो जैसे कि वह संभोग की अध्यापिका हो और संभोग की किताब के हर एक पृष्ठ को खोल कर उसे पढ़ा रही हो,,,अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा था जो कि इस समय और आने वाले समय में उसके लिए बहुत ही लाभकारी होने वाला था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)


तो क्या मम्मी तुम्हें भी मजा आ रहा था जब मैं जोर-जोर से तुम्हारी चूचियों को दबा रहा था,,,


हारे बहुत मजा आ रहा था,,,जब तू धक्के लगाते हुए मेरी चूची को जोर जोर से दबा रहा था तो पूछ मत कितना मजा आ रहा था,,, लेकिन इससे भी ज्यादा मजा तब आता जब तुझसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पीता,,,,,,
(जो सोनु का मन कर रहा था वही बात उसकी मां ने कह दी थी,,,,,, फिर क्या था सोनू अपनी मां की छाती के ऊपर से खड़ा हुआ और बिस्तर पर बैठ कर मैं दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा,,,अपनी मां के चेहरे के बदलते हाव-भाव को देखकर सोनू को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह सच था,,,,पसीने वाली के चक्कर अपनी मां की निप्पल को मुंह में भर लियाऔर उसे चूसना शुरू कर दिया जैसे कि एक छोटा बच्चा अपनी मां का दूध पीते हुए चुसता है,,, सोनू को मजा आ रहा है आज जिंदगी में दूसरी बार हो अपनी मां की चूची को अपनी मुंह में लेकर पी रहा था एक तब जब वह छोटा बच्चा था और अब जब वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,,,,, मर्दों के मुंह में औरतों की चूची दो ही बार आती है एक तो तब जब वह अपनी भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में लेकर दूध पीता है और दूसरा तब जब वह अपने तन की भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में ले कर पीता है,,,,इसमें कोई शक नहीं था कि संध्या को बहुत मजा आ रहा था सोनू धीरे-धीरे इस कला में पारंगत होता जा रहा था वह बारी-बारी से अपनी मां की दोनों चूचियों को मुंह में भरकर जोर-जोर से पी रहा था,,, संध्या की गरम सिसकारी एक बार फिर से पूरे कमरे में गुंजने लगी थी,,,,

संध्या को इस बात से पूरी तरह से राहत था कि इस समय घर में सिर्फ वह और उसका बेटा ही था,,,, इसलिए तो जोर-जोर से सिसकारी की आवाज निकाल रही थी क्योंकि उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी वहां सुनने वाला नहीं था,,, और अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर वह और ज्यादा दीवाना हुआ जा रहा था वह और ज्यादा मदहोश होता चला जा रहा था,,,,,,,,

आहहहहह,,,सईईईईईईईईईईई,,,,, और जोर-जोर से पी और जोर से लगा नीचोड डाल मेरे दूध को,,,,आहहहहह,,, मेरे लाल क्या मस्त दूध पीता है तु,,,,ऊहहहहहहह,,,,,ओहहह मेरे बेटे,,,,,

(सोनू तो अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज और उसकी बातें सुनकर पुरई तरह से जोश में आ गया और वो जितना हो सकता था उतना दम लगा कर अपनी मां की चूचियों को दशहरी आम की तरह दबा दबा कर पीने लगा,,,, संध्या के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,,,,, तीन बार पानी छोड़ चुकी संध्या फिर से तैयार हो चुकी थी,,, और यही हाल सोनू का भी था अभी पूरी तरह से उसका लंड ढीला भी नहीं हुआ था कि उस में तनाव आना शुरू हो गया था,,,। कुछ देर तक वह अपनी मां की चूचियों को दबा देना उसे मुंह में भरकर पीता रहा यह सब अनुभव उसे पहली बार मिल रहा था और उसे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत ऐसा लग रहा था कि उसके हाथों में दुनिया भर का खजाना लग गया हो संध्या की आंखें बंद थी उसके तन बदन में चार बोतल का नशा सा छाने लगा था,,, एक बार फिर अपने होश खोने लगी थी सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो देखता ही रह गया उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था और उसके लाल लाल होंठ खुले रह गए थे अपनी मां के लाल लाल होठों को रंग देखकर सोनू का मन ललच उठा और वह सूचियों से ध्यान हटा ते हुए अपनी मां के लाल हैं फोटो पर ध्यान केंद्रित करके अपने होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रख दिया संध्या की आंखें बंद थी लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसके पूरे बदन में जैसे बिजली सी दौड़ने लगी वह अपनी आंखों को खोल नहीं पाई,,, क्योंकि अपने बेटे की इस मादक हरकत की वजह से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,सोनू पागल हो गया अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में भर कर उसके रस को पीने लगा उसे चबाने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे उसमें से मधुर रस टपक रहा हो और उसकी हर एक बूंद को अपने गले में उतार लेना चाहता हो,,,संध्या का हाथ अपने आप ही नीचे की तरफ आ गया और वहां अपने बेटे के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हीलाना शुरू कर दी हालांकि उसकी आंखें बंद थी लेकिन उसे अपने बेटे के लिंग की मोटाई का जायजा अपनी हथेली में बराबर महसूस हो रहा था जो कि कुछ देर पहले ही वह अपनी बुर में लेकर मस्त हो चुकी थी,,, अपनी मां की हरकत से सोनू को भी मजा आने लगा,,, एक और फिर से दोनों मां बेटे तैयार हो चुके थे अगले राउंड के लिए,,,,,
कुछ देर तक वह अपनी मां के होंठों का रस पीता रहा,,,,और जब अपने होठों को अपनी मां के होठों से जुदा किया तो उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रह गया संध्या धीरे से अपनी आंखें खोली तो अपने बेटे को अपने चेहरे की तरफ देखता पाकर एकदम से शर्मा गई यह पहला मौका था जब वह बिस्तर पर अपने बेटे से शर्मा रही थी,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जबकि वो एक बार अपने बेटे से जमकर चुदवा चुकी थी फिर भी उससे ना जाने क्यों शर्माने लगी थी,,,, अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए सोनू मुस्कुराते हुए बोला,,,,


क्या हुआ मम्मी शर्मा क्यों रही हो,,,,


पता नहीं कि मुझे एकदम से शर्म आ गई,,,,


अभी अभी तो तुमने मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाई हो फिर भी,,,,


हारे में भी तो यही सोच रही हूं,,,,(इतना कहकर संध्या मुस्कुराने लगी और सोनू भी तुम सोनू अपनी मां की दोनो टांगों के बीच एक नजर मारता हुआ बोला,,,)

मम्मी मेरा मन फिर कर रहा है कि मैं तुम्हारी बुर को चाटु,,,


तो चाटना मना किसने किया है ,,,(संध्या एकदम से मदहोश होते हुए बोली,,,,तो फिर क्या था इतना कहते ही समझा एक बार फिर से अपनी दोनों टांगों को अपने बेटे के लिए खोल दि और एक बार फिर से सोनू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया लेकिन इस बार का स्वाद कुछ अलग था क्योंकि दोनों के गर्म लावे का मिश्रण हो चुका था और उसे जीभ से सोनू चाट रहा था इस बार संध्या को और ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि उसके पति ने कभी भी एक बार अपना पानी उसकी बुर में गिराने के बाद बुर को चांटा नहीं था लेकिन इस बार कुछ नया था उसका बेटा उसकी बुर को चाट रहा था और वह भी अपना पानी गिराने के बाद,,,,, इसलिए संध्या पूरी तरह से जोश से भर गई,,,, कुछ देर तक वह अपने बेटे से चटाई का मजा लेती रही,,,और फिर मदहोश होकर उसे अपने लंड को अपनी बुर में डालने के लिए बोली लेकिन इस बार आसान अलग था तरीका वही था,,, बस कमर को हिलाना और संध्या हाथ की कोहनी और घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहराते हुए अपने बेटे की तरफ सरका दी और बोली,,,,)


बेटा तुझे पीछे से डालना है,,,


ठीक है मम्मी तुम जहां से बोलोगी मैं वहां से डालूंगा,,,,


मेरा अच्छा बेटा तुझे मेरे बुर का छेद तो दिखाई दे रहा है ना,,,

(सोनू अपना ही खत्म अपनी मां की गांड पर रखकर उसे अंगूठे से हल्का सा फैलाते हुए अपनी मां की गुलाबी बुर के छेद को अच्छी तरह से देखते हुए बोला,,,)


हां मम्मी तुम्हारी फिर मुझे एकदम साफ नजर आ रही है,,,


बस अब तुझे क्या करना है तुझे मालूम ही होगा,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मैं तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा,,,
(इतना कहने के साथ ही वह भी घुटनों के बल खड़ा हो गया,,, और आगे बढ़ कर अपनी मां की गांड के करीब पहुंच गया सोनू ने किसी पोर्न मूवी में देखा था कि मूवी का हीरो हीरोइन की गांड पर जोर जोर से चपत लगाता है,इसलिए अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर सोनू का भी मन करने लगा कि वह भी जोर जोर से अपनी मां की गांड पर चपत लगाए,,,, और लगातार दो चार चपत अपनी मां की गांड पर लगा दिया,,,,,,,,,,

आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहा है तू दुखता है,,,,


तुमही तो कह रही थी मम्मी,,,, दुखने के बाद मजा भी देता है,,,


तो ऐसा थोड़ी कही थी कि तू मेरी गांड पर थप्पड़ लगा,,,


क्या करूं मम्मी तुम्हारी बड़ी बड़ी गोरी गोरी गांड मुझे बहुत अच्छी लग रही थी,,,,।


अच्छी लगेगी तो क्या चाट भी लेगा,,,,


हां मम्मी चाट भी लूंगा मुझे तुम्हारी गांड बहुत अच्छी लगती है,,,,

तो चाट के दिखा,,,,
(संध्या का इतना कहना है कि सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने चेहरे को उसकी गांड के बीचो बीच ले जाने लगा संध्या अपनी नजरों को पीछे घुमा कर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि उसका बेटा मजाक कर रहा है और वह मजाक में ही बोली थी,,, पर जैसे ही उसे अपनी गांड के भूरे रंग के छेद कर अपने बेटे की जीभ का स्पर्श हुआ वह पूरी तरह से लहरा उठी,,,, उसका तन बदन पूरी तरह से मचल उठा,,,उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह की हरकत करेगा वह सिर्फ इसे मजाक समझ रही थी लेकिन यह बिल्कुल सच था उसका बेटा उसकी गान्ड के बुरे रंग के छेद को से कुरेद कुरेद कर चाट रहा था ,,,पल भर में ही संध्या को इतना मजा आने लगा कि वह अपने बेटे को इनकार नहीं कर पाई उसे रोक नहीं पाई और उसे अपनी गांड चाटने दी,,, संध्या पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी क्योंकि शादी के इतने वर्षों में जो काम संजय में नहीं कर पाया था आज उसके बेटे ने कर दिखाया था संध्या की ख्वाहिश हमेशा से यही रही थी कि उसका पति उसकी गांड को भी चाटेलेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया था ना तो संजय खुद ही उसकी गांड चाटा था ना ही संध्या ने अपने मन की बात उसे बता पाई थी,,,इसलिए अपने बेटे के द्वारा अपने मन की इच्छा पूरी होती देखकर संध्या इंकार नहीं पाई और मज़े लेने लगी वह खुद ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,सोनू अपनी मां की गांड चाटने में इतना मस्त हो चुका था कि उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह क्या कर रहा है उसे तो बस मजा मिल रहा है,,,,,,
सोनू की हरकत की वजह से संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसकी इच्छा हो रही थी कि अपने बेटे के लंड को अपनी गांड के छेद में डलवा ले और जिंदगी में पहली बार गांड मरवाने का सुख प्राप्त कर ले,,,लेकिन वह इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि उसकी बेटी का लंड को ज्यादा ही मोटा था उसकी गांड का छेद अभी छोटा था ना तो उसे गांड मरवाने का कोई अनुभव था इसलिए अपनी इस मन की इच्छा को मन में ही दबा ली,,,, लेकिन अब वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए अपने बेटे से बोली,,,।


आहहहहह ,,,,, बस बेटा बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है अब तु चोद मुझे,,,,आहहहहहह,,, डाल अपने लंड को मेरी बुर में,,,।

(सोनू के भी लंड की हालत खराब थी,,, उससे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह जल्दी से खड़ा हुआ और उतावलापन दिखाते हुए अपने खड़े लंड को अपनी मां की बुर पर रखकर अपने दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को थाम कर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दिया,,,, और संध्या के मुंह से हल्की सी आ निकली और लंड एक बार फिर से बुर को चीरता हुआ उसके बच्चेदानी से जा टकराया,,,,, एक बार फिर से सोनू का लंड उसकी मां की बुर की गहराई में उतर चुका था,,,, संध्या कसमसा उठी उसका बदन पूरी तरह से लहरा उठा,,,, सोनू धीरे धीरे से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया वह चाहता था कि इस बार वह अपनी मां की चुदाई लंबे समय तक कर सके इसलिए उतावलापन दिखा नहीं रहा था लेकिन फिर भी जोश में आकर रह रहे कर दो चार धक्के बड़ी तेजी से लगा दे रहा था,,, जिससे संध्या को मजा के साथ साथ उसका जोश भी बढ जा रहा था,,,, जिससे वह अपने बेटी का हौसला बढ़ाते हुए जोर जोर से बोल रही थी,,,,।

आहहहहह आहहहहह,,,,बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगालबहुत मजा आ रहा है ,,,आहहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरे बच्चे बहुत मजा आ रहा है जोरों का ठोकर लग रहा है मेरी बुर के अंदर,,,,,,ऊममममममम,,,, सससहहहहहह,,,,,,,


आहहहहह,,,,आहहहह,,,, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मम्मी क्या मस्त बुर है तुम्हारी,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,,, क्या मस्त गांड है मम्मी तुम्हारी (अपनी मां की गांड पर जोर से चपत लगाते हुए) ऐसी गांड मैंने जिंदगी में नहीं देखा बहुत मस्त है,,,,ओहहहहह,,,,


चोद मुझे,,,, चोद मुझे मेरे बच्चे ,,,,मेरे बेटे चोद मुझे आहहहहहह,,,, बहुत मोटा लंड है तेरा तेरे पापा से भी ज्यादा दमदार है,,,,आहहहहहह,,,,।
(सोनू अपनी लंड की तुलना अपने पापा से होता हुआ देखकर और ज्यादा जोश में आकर क्योंकि उसकी मां अपने पति से ज्यादा अहमियत अपने बेटे के लंड को दे रही थी इसलिए सोनू का जोश दुगुना हो चुका था और वह जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया था संध्या की दोनों चूचियां पके हुए पपैया की तरह हवा में झूल रही थी,,, जिसे सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा और यही अदा संध्या को और ज्यादा मस्तीखोर बना रही थी वह अपनी बेटी की सरकार से और ज्यादा जोश में आ गई थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड के ठाप का जवाब देते हुए जोर-जोर से पीछे की तरफ ठेल रही थी,,,,

सोनू के धक्के इतनी तेज थी कि पूरा पलंग चर मरा रहा था,,, यह बिस्तर संध्या के चुदासपन की निसानी थी,,, जिस पर वह बरसों से अपने पति के साथ और अब अपने बेटे के साथ चुदाई का मज़ा लुट रही थी,,,,,,

संध्या की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी वो झड़ने वाली थी,,,,

आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, मेरा निकलने वाला है मैं झड़ने वाली हूं और जोर से धक्के मार,,,और और जोर से और जोर से,,,,,,

(इतना सुनते ही सोनु समझ गया और अपने धक्कों की रफ़्तार को और तेज कर दिया देखते ही देखते हल्की चीख के साथ संध्या का पानी निकल गया और कुछ धक्कों के बाद सोनू भी अपना पानी अपनी मां की बुर में निकाल दिया,,,, दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर चुके थे,,,,

दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे ही कब सो गए दोनों को पता नहीं चला,,,, सुबह- जब आंख खुली तो संध्या अपने आपको अपने बेटे की बाहों में पाई और औपचारिक रूप से अपने बेटे के खड़े लंड को अपने गांड पर महसूस करके वह एक बार फिर से चुदासी हो गई,,, अपने बेटे को बिना जगाए वह अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,संध्या की हरकत की वजह से सोनू की भी नहीं खुल गई लेकिन अपनी मां को अपने पर झुका हुआ था करवा कुछ बोल नहीं पाया उसे भी मजा आ रहा था,,, लेकिन इस बार संध्या पूरा चार्ज अपने हाथ में ले ली थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर अपने बेटे के लंड पर सवार हो गई,,, सोनू के लिए यह आसन भी बिल्कुल नया था देखते ही देखते संध्या ने अपने बेटे की लंड को अपने बुर की गहराई में छुपा ली और अपने बेटे के लंड पर उठक बैठक करने लगी,,, सोनू को बहुत मजा आ रहा था और यह अनुभव सोनू के लिए बिल्कुल नया था,,,, थोड़ी देर में एक बार फिर से दोनों चरम सुख को प्राप्त कर लिए,,,।


दूसरी तरफ सुबह होते ही शगुन की नींद खुली तो वह बिस्तर से उठ कर कमरे में ही बने अटैच बाथरूम में चली गई,,, रात को जब वह दोनों होटल पर पहुंचे थे तो खाना खाकर सो गए थे दोनों ने एक ही कमरा बुक कराया था एक ही बिस्तर पर दोनों दिन भर की थकान की वजह से आराम से सो गए थे,,,, बाथरूम के दरवाजे की आवाज से संजय की नींद खुल गई तो उसने पाया कि बिस्तर पर उसकी बेटी सगुन नहीं थी जो कि बाथरूम में गई थी,,, पर थोड़ी देर में उसके कानों में बाथरूम से आ रही सीटी की आवाज सुनाई देने लगीऔर इस आवाज को संजय भली-भांति जानता था उसे समझते देर नहीं लगी की बाथरूम के अंदर उसकी बेटी पेशाब कर रही है,,,।
Akhir Sonu ne maa chod di, waiting for Sanjay and Shagun
 

rohnny4545

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उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,।
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धन्यवाद
 

pprsprs0

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उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,।
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Waah
 

NEHAVERMA

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शाम ढलने वाली थी और संजय की गाड़ी बंद पड़ गई थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,,,,,,।


क्या हुआ पापा,,,?


पता नहीं क्या हुआ गाड़ी बंद हो गई है,,,,(संजय कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकलते हुए बोला,,,,,, हाईवे के किनारे केवल एक ढाबा भर था,,, संजय एकदम से परेशान हो गया था वह खुद ही,,, कार की बोनेट चढ़ाकर खुद से प्रयास करने लगा लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था,,,,,, यह जगह से कुछ ठीक नहीं लग रही थी क्योंकि ढाबे पर अधिकतर शराबी लोग ही नजर आ रहे थे जो कि उन्हें ही घूर घूर कर देख रहे थे,,,,,, संजय को थोड़ी चिंता हो रही थी क्योंकि कार में उसकी बेटी थी,,,,, अपने पापा को प्रयास करता हुआ देखकर वह कार से बाहर निकल गए क्योंकि यह बात संजय को अच्छे नहीं लगी लेकिन फिर भी कुछ बोल नहीं पाया,,,,।


क्या हुआ पापा,,,, चालू तो हो जाएगी ना,,,,


कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,, और आसपास कोई गैराज भी नहीं है,,,(अपने चारों तरफ नजर दौड़ाता हुआ बोला,,,) रुको मैं ढाबे पर जाकर थोड़ी पूछताछ करके आता हूं शायद कोई मैकेनिक मिल जाए,,,(इतना कहने के साथ ही संजय ढाबे की तरफ आगे बढ़ गया,,,,,, ढाबे पर पहुंचकर उसने मैकेनिक के बारे में पूछताछ किया तो पास के ही गांव में एक मैकेनिक रहता है इस बारे में जानकारी दिया,,, और वह उसे ले जाने के लिए तैयार भी हो गया,,,,वैसे तो संजय जाना नहीं चाहता था उसे पैसे देकर बुला लेना चाहता था लेकिन,,, वह साथ में उसे ले गया,,, संजय को सगुन की चिंता हो रही थी लेकिन मजबूरी थी जाना भी जरूरी था वरना इस अनजान सुनसान जगह पर उन्हें रात बितानी पड़ जाती तब और भी ज्यादा दिक्कत बढ़ सकती थी,,,,,,
15 मिनट जैसा समय गुजर चुका था शगुन को बड़े चोरों की प्यास लगी हुई थी और गाड़ी बंद होने की वजह से बाहर गर्मी भी बहुत लग रही थी,,,,,,, ढाबे पर भीड़भाड़ कम होने लगी थी,,, उसे ढाबे पर तीन-चार औरतें भी नजर आ रही थी इसलिए वह हिम्मत करके ढाबे की तरफ आगे बढ़ी,,,,,,, ढाबे पर पहुंचकर उसने पानी की बोतल खरीदी और वहीं बैठ कर पीने लगी,,,, थोड़ी दूर पर खड़ी औरतें उसे ही घूर कर देख रही थी,,,,,,,,, लेकिन वह उन औरतों को अनदेखा कर रही थी,,,,

अभी थोड़ी देर बाद एक बाइक वाला आकर उसके पास ही बाइक रोककर उससे बोला,,,,


चलेगी क्या,,,,


क्या,,,,?(शगुन आश्चर्य से बोली)

अरे चलना है क्या,,,,



कहां,,,,(फिर आश्चर्य से बोली उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था)



यही पास में,,,,
(शगुन फिर उसे आश्चर्य से उसे देखने लगी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,)


अरे बोलना कितना लेगी नखरे क्यों कर रही है,,,,( वह बाइक वाला शगुन की खूबसूरती और उसकी मदमस्त जवानी पर मोहित हो चुका था,,, इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) 3000 5000 कि 10000 लेगी पूरी रात का,,, बोलना नखरे क्यों दिखा रही हैं,,, मक्खन जैसी है तभी तो मक्खन जैसा भाव भी दे रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह बाइक वाला आदमी शगुन के गोरे गाल पर अपनी उंगली फेर दिया,,,, सगुन एकदम से घबरा गई,,, घबराते हुए बोली,,,,)


मुझे कहीं नहीं जाना और इस तरह से मेरे साथ बात मत करो,,,, भागो यहां से वरना मैं अपने पापा को बुला दूंगी,,,

(दाल गलती ना देख कर वह आदमी समझ गया कि यह धंधे वाली नहीं है लेकिन फिर भी उसकी खूबसूरती देखकर वह पूरी तरह से मोहित हो गया था इसलिए गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)


तो मादरचोद यहां क्यों बैठी है चल जा कहीं और,,,( और इतना कहने के साथ ही वह उन औरतों की तरफ बाइक लेकर चल दिया उसके जाते ही सगुन राहत की सांस ली,,, लेकिन 5 मिनट बाद फिर एक बाइक वाला आया और एक ही बाइक पर दो लोग बैठे हुए थे,,,, पीछे वाला बाइक को शगुन के पास खड़ी रखने के लिए बोला और बाइक के खड़ी होते ही वह पीछे वाला बाइक से नीचे उतर गया और शगुन से बोला,,,)


और जानेमन चलने का इरादा है एक साथ दो दो,,,


एक साथ दो दो मतलब,,,


अरे मतलब की तू और हम दोनों,,,(अपने दोस्त की तरफ इशारा करते हुए)

देखिए मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पा रही हूं,,,,(शगुन आश्चर्य जताते हुए बोली,,)


अरे मेरा मतलब है कि तेरे को हम दोनों एक साथ चोदेंगे,,, एतराज ना हो तो एक तेरी बुर में और दूसरा तेरी गांड में,,,और गांड में नहीं लेना हो तो बारी-बारी से तेरी बुर में
(इतना सुनते ही शगुन के हाथ पांव कांपने लगी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि वह दोनों से क्या समझ रहे थे वह जो बाइक वाला गया है वह क्या समझ रहा था,,, शगुन एकदम से घबरा चुकी थी,,, एकदम से घबराहट भरे स्वर में बोली,,,)

देखो मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं,,,


अरे मैं जानता हूं तु हाई क्लास है,,, तभी तो तुझे अच्छी सी होटल में ले चलेंगे खाना पीना सब कुछ हमारा और काम खत्म होने के बाद तुझे बख्शीश भी देंगे,,,,,,


माइंड योर लैंग्वेज,,,, मैं कब से कह रही हूं जो तुम लोग समझ रहे हो मैं वह नहीं हूं,,,,,,, फिर भी समझ नहीं आ रहा है तुमको,,,( शगुन एकदम से चिल्लाते हुए बोली,,, तो वह एकदम से घबरा गया,,,,तब तक संजय भी वहां पहुंच चुका था साथ में मैकेनिक लेकर अपनी बेटी को इस तरह से चिल्लाते हुए देखा तो भागते हुए उसके करीब आया तब तक वह लड़का बाइक चालू करके वहां से नौ दो ग्यारह हो चुका था,,,)


क्या हुआ वह बाइक वाला कौन था,,,,

वो,,,वो,,,(अपने पापा को देखकर सगुन राहत की सांस लेते हुए बोली लेकिन वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही उसके साथ आया हुआ मैकेनिक बोला)

वो लड़के इन्हें धंधे वाली लड़की समझ रहे थे,,,,


क्या,,,,?(संजय आश्चर्य से अपनी बेटी की तरफ देखते हुए बोला तो शगुन शर्मिंदा होते हुए अपनी नजरें नीचे झुका कर हां में सिर हिला दी)


वह क्या है ना साहब शाम ढलते ही यहां पर धंधे वाली औरतें आना शुरू हो जाती है वो औरतें देख रहे हो,(उंगली से पास में खड़ी चार पांच औरतों की तरफ इशारा करते हुए) वह औरतें वही है पर यहां पर आपकी बेटी भी बैठी हुई थी इसलिए बोलो इन्हें भी वही समझ रहे थे,,,।


ओहह,,,गोड,,,, अच्छा हुआ मै सही समय पर आ गया,,, तुम जल्दी से मेरी कार ठीक कर दो यह जगह ठीक नहीं है और वैसे भी रात हो रही है,,,।


ठीक है साहब,,,,
(इतना कहकर वह तीनों कार के करीब आ गए और वह मैकेनिक अपने काम में लग गया तकरीबन 15 मिनट में ही उसने कार को ठीक कर दिया कुछ प्रॉब्लम की वजह से कार बंद पड़ गई थी लेकिन अब आराम से स्टार्ट हो रही थी,,,उसमें कैनिक ने संजय से ₹500 मांगे थे लेकिन संजय मौके की नजाकत को देखते हुए उसे हजार रुपया दिया था जिसे पाकर वह मैकेनिक एकदम खुश हो गया था,,, संजीय शगुन वापस ने कार में बैठ गए थे और संजय कार स्टार्ट करके आगे बढ़ा दिया,,, मंजिल बेहद करीब थी,,,, शगुन को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि कोई उसे धंधे वाली लड़की समझ लेगा इसलिए जो कुछ भी हुआ था उस पर यकीन नहीं कर पा रही थी संजय भी सहमा हुआ था उसे इस बात से चिंता थी की अगर उसकी बेटी के साथ कुछ गलत हो जाता तो इसलिए वह मन ही मन भगवान को धन्यवाद दे रहा था,,,।
संजय कार को तेज रफ्तार से नहीं बल्कि बड़े आराम से ही ले जा रहा था लेकिन उसका दिमाग डोलने लगा था ना चाहते हुए भी उसके मन में अजीब अजीब से ख्याल आने लगे थे अपने मन में सोच रहा था कि वह लड़की उसकी बेटी से क्या कहें होंगे,, उसे भाव पूछें होगे कि कितना लेती है,,,, क्या भाव है पूरी रात का क्या नाम है घंटे का क्या भाव है,,, आगे से देती है या पीछे से भी,,,,।अपनी बेटी के बारे में यह सोचते ही संजय का लंड खड़ा होने लगा,,,, अपनी बेटी से पूछना नहीं चाहता था लेकिन जो कुछ भी हुआ था उससे वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, एक पल के लिए कार में बैठे-बैठे उस घटना के बारे में सोचते हुए शगुन भी ना जाने क्यों उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा कि कि कोई उसे धंधे वाली लड़की समझ लेगा और उससे उसका भाव पूछेगा बार-बार उस लड़के की बात उसे याद आ रही थी,,, जब वह उसे से दो दो लड़कों को एक साथ लेने के लिए बोल रहा था एक बुर में एक गांड में,,,, यह बात याद आते ही ना जाने क्यों उसकी बुर से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,,,,,, वह उत्तेजित होने लगी थी,,,।


वहां क्या हुआ था शगुन,,,( सब कुछ जानते हुए भी समझे जानबूझकर यह सवाल पूछ रहा था)

वो वो, वो लोग मुझे गंदी लड़की समझ रहे थे,,,


लेकिन ऐसा क्यों,,,,?(उसने कहने के लिए संजय को साफ साफ शब्दों में बताया था फिर भी संजय या जानबूझकर पूछ रहा था और अपने बाप के सवाल पर शगुन को भी आश्चर्य हुआ था लेकिन फिर भी वह बोली)


क्योंकि वहां और भी औरतें इकट्ठा थी,,,,


किस लिए इकट्ठा थी,,,,


धंधा करने के लिए,,,(अपनी नजरों को नीचे झुकाते हुए बोली)


तुमसे वह लड़के क्या बोल रहे थे,,,?
(अपने पापा के इस सवाल पर शगुन थोड़ा सा झेंप गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था अपने पापा के सवाल का क्या जवाब दें जबकि उसके पापा को अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर क्या हो रहा था,,, लेकिन धीरे-धीरे उसके बदन में भी धंधे वाली लड़की की बात को लेकर खुमारी छाने लगी थी,,, और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर अपने घर से दूर इधर कुछ करना है तो शर्म को दूर करना और अपने पापा के सवालों का जवाब देना होगा इसलिए वह थोड़ी देर बाद बोली,,,)


मैं वहां पानी पीने के लिए बैठी थी,,, पहले एक बाइक वाला आया,,,,,

फिर,,,,(संजय अपनी आंखों को सड़क पर स्थिर किए हुए था लेकिन उसके कान अपनी बेटी की बातों को सुनने के लिए चौंक्कने थे,,,)

फिर वो लड़का मेरे पास आकर बाइक खड़ी किया और बाइक से उतरे बिना ही बोला,,, चलेगी क्या,,,?


क्या ऐसा कहा उसने,,,



हा पापा,,, मैं तो उसकी बात को समझ ही नहीं पाई,,,, वह बार-बार कह रहा था कितना लेगी 3000 5000 10000,,, लेकिन फिर भी मैं उसकी बात को समझ नहीं पाई,,,।


फिर क्या हुआ,,,,,(संजय उत्सुकता जगाते हुए बोला अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसके लंड में सनसनाहट हो रही थी और यही हाल सगुन का भी था,,, उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,।)


फिर वह इतने गंदे शब्दों में मुझे बोला कि मैं हैरान रह गई मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं इस तरह के शब्द कभी सुनूंगी,,,।


क्यों क्या कहा उसने,,,,(संजय को भी बेहद जल्दी थी अपनी बेटी की बात सुनने के लिए और सगुन को जल्दी थी अपनी बात सुनाने के लिए वह अपने पापा के चेहरे को अच्छी तरह से पढ़ पा रही थीशगुन को साफ पता चल रहा था कि उसकी बातों को सुनकर उसके पापा को अंदर ही अंदर मजा आ रहा है,,,)

उसने कहा,,, उसने कहा कि,,,,,अब कैसे बताऊं मुझे तो शर्म आ रही है,,,,।


अरे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है,,,,, बता दो क्या कहा उसने,,,,



लेकिन आपके सामने,,,,,


तो क्या हुआ मुझे अब अपना दोस्त ही समझो,,,,


लेकिन पापा वह बहुत गंदी बात बोला था,,,,


वही तो मैं सुनना चाहता हूं कि,,,, तुम्हें धंधेवाली समझकर वह क्या बोला था,,,,,,,
(कुछ देर की खामोशी के बाद शगुन बोली)


वैसे तो पापा मैं तुम्हें पता नहीं वाली नहीं थी लेकिन तुम कह रहे हो कि मुझे अपना दोस्त समझो तो मैं बताती हूं,,,, जब मैं उसे बोली कि मुझे तुम्हारी बात समझ में नहीं आ रही है कि तुम क्या कर रहे हो तो वह बोला,,, चुदवाने का कितना पैसा लेगी,,,
(अपनी बेटी के मुंह से चुदवाने वाली बात सुनते ही संजय के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया,,,, और सब उनकी भी हालत खराब हो गई थी जब उसके मुंह से चुदवाने वाली बात निकलेगी जिंदगी में पहली बार उसने इस शब्द का प्रयोग की थी और वह भी अपने पापा के सामने इसलिए उसकी बुर पानी कुछ ज्यादा ही छोड़ने लगी थी,,, अपनी बेटी की बातें सुनकर अफसोस जताते हुए बोला,,,)


बाप रे ये कहा उसने अगर मुझे मालूम होता तो मैं तुम्हें वहां अकेली नहीं छोड़ता,,, उसकी बात सुनकर तुमने क्या कि,,,



मैं तो एकदम से घबरा गई,,, बार-बार मुझे कह रहा था कि तू मक्खन जैसी जैसी के मक्खन जैसा भाव भी दे रहा हूं,,,
(अपनी बेटी की बात सुनकर संजय अपने मन में कहने लगा कि वाकई में उसकी बेटि एकदम मक्खन की तरह चीकनी है,,,)


फिर तुम क्या कहीं,,,


मुझे बार-बार यह समझा रही थी कि भी गंदी लड़की नहीं है मै ऐसा वैसा काम नहीं करती,,,, तब जाकर वह माना जाते जाते मुझे गाली दे गया,,,,


क्या वह तुम्हें गाली दिया,,,,


एकदम गंदी,,,,


कौन सी गाली,,,,?


अब ये भी बताऊं,,,,


तो क्या हुआ बता दो ना,,,,


मादरचोद,,,,,


ओहहहहह,,,वह, लड़का वाकई में बहुत हारामी था,,,


कुछ मत पापा मेरे दिल पर क्या गुजर रही थी,,,


मैं समझ सकता हूं सगुन,,,, साला मादरचोद बोलकर गया,,,, समझती हो इसका मतलब,,,,

(शगुन बोली कुछ नहीं लेकिन अपने पापा की बात सुनकर ना मैं सिर हिला दी,,,वह अपने पापा के चेहरे के भाव को पढ़ रही थी ऐसा लग रहा है कि जैसे उसकी आपबीती सुनकर उसके पापा को मजा आ रहा था और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था तभी तो वह मादरचोद गाली के मतलब को समझाने के लिए उत्सुकता दर्शा रहे थे,,)

मादरचोद उसे कहते हैं जो अपनी मां को चोदता है,,,
(अपने बाप के मुंह से उस गाली का मतलब सुनते ही शगुन एकदम सन्न रह गई उस मतलब की बात सुनकर नहीं बल्कि अपने पापा की उत्सुकता देखकर कितनी गंदी बात वहां कितने आराम से उसके सामने कह रहे थे लेकिन ना जाने क्यों अपने पापा के मुंह से मादरचोद का शब्द का अर्थ समझते हुए उसे उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसकी बुर ऊतेजना के मारे फुल पीचक रही थी,,,, जानबूझकर वह अपने पापा के सामने उस गालई का मतलब समझते ही आश्चर्य से अपना मुंह खुला छोड़ दी,,,, संजय कोअपनी बेटी से इस तरह से बातें करने में बहुत उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से एक्सेस कर रहा था और उसकी यह हरकत शगुन की नजर से बच नहीं पा रही थी और उसे अपने पापा के लिए हरकत बेहद कामुक लग रही थी,,, कुछ देर तक कार में एकदम शांति छा गई ओर ईस शांति को खुद शगुन भंग करते हुए बोली,,,)


इसके बाद वही 2 लड़के आए जो भाग खड़े हुए थे,,,


क्या दो लड़के भी,,,,


हां पापा उन दोनों की बातें तो मुझे और डरावनी लग रही थी,,,।


डरावनी क्यो,,,,?


क्योंकि वह दोनों एक साथ चोदने की बात कर रहे थे,,,,
(चोदना शब्द कहकर एक बार फिर से सगुन की सांस ऊपर नीचे हो गई और यह शब्द सुनकर संजय की हालत खराब हो गई,,,)


क्या एक साथ,,,


हां पापा वह कह रहा था कि एक बबबबब,,बुर में देगा और दूसरा गांड में,,,,,
(यह शब्द कहते हुए खुद सगुन की बुर से पानी की धारा फूट पड़ी और संजय तो झरते झरते बचा,,, बुर और गांड शब्द कहने में,,, शगुन को जितनी हिम्मत जुटाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी थी कितनी मशक्कत उसे और कोई काम करने में आज तक नहीं पड़ी थी,,,, संजय तू अपनी बेटी के मुंह से यह शब्द सुनकर पूरी तरह से बावला हो गया था,,,,)


बाप रे में तो कभी सोच भी नहीं सकता,,,,


मैं तो रो देने वाली थी कि तभी तुम आ गए,,,।


अच्छा हुआ कि मैं सही समय पर आ गया वरना आज ना जाने क्या हो जाता,,,,।

(कुछ देर के लिए कार में पूरी तरह से खामोशी छा गई सगुन हैरान थे कि वह अपने पापा के सामने इतनी गंदी शब्दों में बात कर रही थी और उसके पापा भी मजे ले कर उसकी बात को सुन रहे थे और गंदी गंदी बातें भी कर रहे थे दोनों के बीच ऐसा लग रहा था कि दूरियां कम होने लगी थी दोनों के बीच की दीवार धीरे-धीरे रहने लगी थी जिसकी शुरुआत हो चुकी थी ,,, थोड़ी ही देर में एक आलीशान होटल आ गया और होटल के पार्किंग में कार खड़ी करके संजय और सगुन दोनों कार से बाहर आ गए,,,।)
Tooo hot update
 

NEHAVERMA

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सोनू बाथरूम में मुतने नहीं गया था बल्कि अपने लंड के हालात का जायजा लेने गया था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की मद मस्त जवानी की गर्मी से उसका लंड पूरी तरह से बेहाल हो चुका था इसीलिए तो लावा उगल दिया था,,,, सोनू अभी इस खेल में कच्चा खिलाड़ी था इसलिए अपने आप को संभाल नहीं पाया था और वक्त से पहले ही बिना कुछ किए ही ढेर हो गया था लेकिन अपने इस हार से ही उसे सीखना था अपने आप को मजबूत बनाना ताकि वह,, जवानी की आंधी में अपने आप को संभाल सके,,,।
बाथरूम में घुसते ही सोनू ने तुरंत अपने पजामे को नीचे कर दिया उसका लंड पूरी तरह से झड़ चुका था लेकिन अभी भी उसमें से कुछ बूंदे नीचे टपक रही थी अपने लंड की हालत को देखकर सोनू को भी ताज्जुब हो रहा था क्योंकि झड़ जाने के बावजूद भी उसका लंड पूरी तरह से लोहे के रोड की टनटनाया हुआ था,,,,,,, सोनू अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए दो तीन बार झटका देकर उस में फंसी दो चार बूंदों को और बाहर निकाल दिया,,, भले ही अपने आप निकल गया था लेकिन सोनू को मजा बहुत आया था सोने को बाकी के अंदर वह कल याद आ रहा था जब वह अपनी उंगली को उसकी मां की साड़ी के अंदर सरका कर पर उसकी पेंटी के नीचे उंगली डालकर उसकी गांड की दरार को सहला रहा था,,,सोनु अपने मन में यही सोच रहा था कि जब इतने से ही इतना मजा आता है तो जब चुदाई करेगा तो कितना मजा आएगा,,, यह एहसास ही सोनू के लिए काफी था,,,,,


बाहर बिस्तर पर लेटी हुई संध्या अपने बेटे के सवाल पर पूरी तरह से सोच में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस सवाल का जवाब क्या दें अपने मन में यह सोच रही थी कि यह सवाल पूछ कर कहीं उसका बेटा उसके मन में क्या चल रहा है यह तो नहीं जानना चाहता,,,,,,संध्या अपने मन में सोच रही थी कि जो भी हुआ जो अपने बेटे के साथ संबंध बनाकर रहेगी,,, यह बात होगी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा भी यही चाहता है क्योंकि कुछ दिनों से जो कुछ भी बदला उसमें हो रहा था उसी से साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा उसके प्रति पूरी तरह से आकर्षित होता जा रहा है,,,वह जो अपनी बेटी को लेकर कल्पना करती है वही कल्पना उसका बेटा भी करता है,,, तभी तो इस समय की मालिश करने के बहाने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया,,था,,,। यह ख्याल आते ही संध्या के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,,,, वह बिस्तर पर बैठ गई थी और बाकी के दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठी थी उसकी नंगी छातीया बवाल मचाने को तैयार थी,,,,, वो दरवाजा खुलने का इंतजार कर रही थी आज की रात वह अपने बेटे के ऊपर पूरी तरह से छा जाना चाहती थी अपनी जवानी का नशा अपने बेटे को चखा कर उसे अपने हुस्न का गुलाम बना लेना चाहती थी,,,। सोनु जैसे ही दरवाजा खोला संध्या पूरी तरह से तैयार बैठी थी वह एक बार फिर से अपनी छलकती जवानी के दर्शन अपने बेटे को कराना चाहती थी उसका मन तो अपना अंग का हर एक कोना अपने बेटे के सामने परोसने का मन कर रहा था,,, लेकिन थोड़ी हिचक उसमें अभी बाकी थी,,,। संध्या जानबूझकर अपने साड़ी के पदों को कंधे पर लेकर अपनी दोनों दशहरी आम को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी और जैसे ही दरवाजा खुला सोनू की नजर वैसे ही बिस्तर पर बैठी अपनी मां पर पड़ी,,, एक बार फिर से उसकी दोनों छलकती जवानी को देखकर उसके होश उड़ गए,,,,, उसे अंदाजा नहीं था कि बाथरूम से बाहर निकलते ही उसे इस तरह का लुभावना द्रशय देखने को मिलेगा,,,, लेकिन इस बार भी पल भर के लिए ही था,,,संध्या यह बात जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों पर नजर मार चुका है इसलिए अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर पलंग पर से उठते हुए बोली,,,।


मुझे भी बड़े जोरों की लगी है रुक में आती हूं,,,,(इतना कहकर वह बिस्तर से खड़ी होगी और बाथरूम की तरफ कदम आगे बढ़ा दी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे पर पड़ी तो,,, संध्या की दोनों टांगों के बीच कुलबुलाहट बढ़ने लगी,,,। झड़ जाने के बाद भी सोनू का लंड उसी तरह से खड़ा था,,,,संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं है कि उसका बेटा उसकी मालिश करते करते झड़ गया है,,, वह अपनी चुचियों को साड़ी से ढककर बाथरूम में जाने लगी,,, लेकिन संध्या की सूचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा था जिसकी वजह से सारी मैं छुपाने से भी नहीं छुप रहा था और सोनू को इन हालात में अपनी मां की चूचियां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, थोड़ी देर में संध्या बाथरूम में घुस गई और सोनू बिस्तर पर आकर बैठ गया लेकिन दरवाजा बंद होने का आवाज उसे बिल्कुल भी नहीं आया,,, संध्या ने दरवाजा बंद नहीं की थी ,,,, उसे वास्तव में जोरो की पेशाब लगी हुई थी,,, बाथरूम में जाते ही वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी उसकी नजर अपनी पेंटी पर पड़ी तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी अपनी गीली पेंटिं को देखकर वो मुस्कुराने लगी,,, आज जरूरत से ज्यादा उसकी बुर ने पानी बहाया था,,, अपनी पेंटी को जांघों तक सर का कर ,, वह अपनी चिकनी बुर का जायजा लेने लगी,,, उत्तेजना के मारे उसकी बुर कचोरी की तरफ फूल गई थी जिसे देखकर उसकी आंखों में भी चमक आने लगी थी,,, वह नीचे बैठ गई और मुतने लगी,,,, उसकी बुर से कुछ ज्यादा ही प्रेशर से पेशाब बाहर निकल रही थी पर्स की गुलाबी पुर की गुलाब की पत्तियों के बीच में से सुमधुर सीटी की आवाज निकलना शुरू हो गई जो कि तुरंत सोनू के कानों तक पहुंच गई सोनू एकदम से मदहोश हो गया वह मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी मां पैशाब कर रही होगी,,,, इस समय का माहौल सोनू के लिए बिल्कुल भी बर्दाश्त के बाहर झड़ने के बावजूद भी उसके लंड की नसें अकड़ रही थी,,,, लगातार आ रही सीटी की आवाज से सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका है संध्या को भी इस बात का आभास था कि उसकी पुर से निकल रही तेज सीटी की आवाज उसके बेटे के कानों तक पहुंच रही होगी और वह ऐसा चाहती भी थी वह तुझे भी चाह रही थी कि उसका बेटा चोरी से उसे पेशाब करता हुआ देखे उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखें और मस्त होकर उस की चुदाई करें लेकिन सोनू वहीं बैठा रहा,,,,

थोड़ी ही देर में संध्या पेशाब करके बाथरूम से बाहर आ गई,,,, वह अपने बेटे को देखकर मुस्कुरा रही थी,,, और जैसे ही पलंग पर बैठने के लिए वो थोड़ा नीचे जो कि उसका साड़ी का पल्लू कंधे पर सिर नीचे गिर गया और उसके दशहरी आम हवा में झुलने लगे,,,,,,, सोनू की आंखों के सामने उसकी मां की दोनों चूची हवा में लहरा रही थी पपैया की तरह उसका शेप हो चुका था,,, सोनू की तो हालत खराब हो गई संध्या जानबूझकर नहीं बल्कि अपने आप ही साड़ी कंधे से नीचे गिर जाने की वजह से और ज्यादा खुश नजर आ रही थी,,,, उसे लग रहा था कि जैसे पूरा वातावरण उस के पक्ष में हो,,,सोनू के ठीक आपके सामने उसकी मां की चूचियां पके हुए आम की तरह लटक रही थी,,, सोनू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था यह अनजाने में हुआ था इसलिए सैलरी आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और सोनू अपनी मां की तरफ,,,, दोनों की नजरें आपस में टकराई दोनों के बीच आकर्षण का पुल बंधता चला जा रहा था,,,,,,,

सोनू के लिए यह पल बेहद कामुकता से भरा हुआ था माता-पिता से भरी उसकी मां की चूचियां उसकी आंखों के सामने किलकारी कर रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे संध्या की चूचियां इशारा करके उसे अपने पास बुला रही हो,,, उसकी दोनों चूचियां हवा में ऐसे झूल रही थी जैसे पेड़ से झूला बांध दिया गया हो,,,सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छोरियों को पकड़ना चाहता था उन्हें स्पर्श करना चाहता था वह कठोर है या नरम यह महसूस करना चाहता था,,,,, कुछ पल तक ऐसा ही चलता रहा संध्या अपने दोनों चुचियों को छुपाने की बिल्कुल की कोशिश नहीं कर रही थी,,, उसकी आंखों में अपनी बेटी के लिए आमंत्रण था,,,, जैसे कि वह अपने बेटे को अपनी चुचियों को पकड़ने का निर्देश दे रही हो आज्ञा दे रही हो,,, यह सब कुछ आंखों ही आंखों में हो रहा था,,,, संध्या की साड़ी का आंचल कंधे से सरक कर नीचे जमीन पर गिर चुकी थी,,,, सोनू कोई समय कुछ नजर नहीं आ रहा था शिवाय उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो के और उसके खूबसूरत चेहरे के,,,,,,,

संध्या जानबूझकर कुछ पल तक इसी तरह से झुकी रही शायद उसे इस बात का अंदाजा था कि उसका बेटा अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को थामेगा पकड़ेगा मसलेगा,,,, और ऐसा ही हुआ सोनू अपनी मां की खूबसूरत चुचियों को देखकर अपने आपे से बाहर हो गया उत्तेजना उसके सर पर सवार हो गई और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर बेझिझक अपनी मां की चूचियों को थाम लिया,,,, और अपनी मां की आंखों में झांकने लगा,,, सोनू अपनी मां की चूचियों को बस अपनी हथेली में भरकर हल्के से तराजू की तरह उठाया ही था उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था मानो के जैसे इसे आगे कुछ करने के लिए अपनी मां की इजाजत चाहता हो उसकी मांअपनी बेटी की इस हरकत से पूरी तरह से खुश नजर आ रही थी उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी अभी अपने बेटे की आंखों में देखते हुए बोली,,,।


तू पूछ रहा था ना मैं क्या चाहती हूं,,,,,(सोनू कुछ कहता इससे पहले ही उत्तेजित अवस्था में मदहोश होते हुए,,, संध्या अपने चेहरे को नीचे की तरफ लाइव और तुरंत गुलाबी होठों को अपने बेटे के होठों पर रखकर चूसना शुरु कर दी,,,, सोनू को तो कुछ समझ में नहीं आया और संध्या अपने बेटे के होंठों को चुंबन करते हुए चूसते हुए उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे दी लेकिन फिर भी सोनु उसी तरह से अपनी मां की चूचियों को थामें रह गया,,,,,, पल भर में ही सोनू की सांसे तेज चलने लगी संध्या मदहोश हो चुकी थी पागल हो चुकी थी उसे अपने बेटे में अपना प्रेमी नजर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे को नहीं बल्कि अपने प्रेमी को पहली बार चुंबन कर रही हो,,,,,,कुछ देर में जब सोनू को भी समझ में आया तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी का रस और होंठों से चखते ही,,, वह भी अपनी मां का साथ देती है तेरी मां के गुलाबी होठों को मुंह में भर कर चुसना शुरू कर दिया इस तरह के चुंबन को वह आज तक मूवी में ही देखता आया था खास करके हॉलीवुड की इसलिए उसे थोड़ा बहुत ज्ञान था वह अपनी मां की चूची को थामे अपनी मां के होंठों को चूस रहा था,,,,, उत्तेजना पूरी तरह से दोनों मां-बेटे पर सवार हो चुकी थी,,,,सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी हथेली खाता था उसकी मां की चुचियों पर बढ़ता जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेलियां चूची पर कश्ती जा रही थी वैसे वैसे संध्या के तन बदन में आग लग रही थी और सोनू को भी अपनी मां की चुचियों को कस के दबाने में मजा आ रहा था,,, सोनू अपनी मां की निप्पल सहित चुचियों को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था उत्तेजना के मारे संध्या की निप्पल चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,

जब यह चुंबन की श्रंखला टूटी तो संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और वह अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी सोनू भी अपनी मां को देख कर मुस्कुरा रहा था संध्या गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।


तुमसे पूछ रहा था ना कि मैं क्या चाहती हूं मैं भी यही चाहती हूं जो बगीचे में झाड़ियों के अंदर वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,,(संध्या एक झटके में गहरी सांस लेते हुए अपने मन की बात बोल गई और सोनू अपनी मां की यह बात सुनकर पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे अपनी खुशी समा नहीं रही थी,,,सोनू को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी बिल्कुल सच था सोनू तो इस बात के एहसास से ही पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था कि उसकी मां उससे चुदवाना चाहती है,,,। अपनी मां के पास सुनकर सोनू बोला,,,)


तुम सच कह रही हो मम्मी,,,?


बिल्कुल सच कह रही हूं,,,,,



लेकिन मुझे तो नहीं आता,,,,


क्या नहीं आता,,,,?(संध्या अपनी साड़ी को कमर से खोलते हुए बोली,,, सोना अपनी मां को साड़ी खोलता हुआ देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,)

ववव, वही जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,



अरे मेरे बुद्धु आ जाएगा,,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली सोनू को तो इस पल के लिए बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी जिंदगी में यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा,,, देखते ही देखते संध्या अपनी साड़ी को उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दी इस समय उसके बदन पर केवल पेटीकोट थी बाकी उसका पूरा बदन नंगा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां चमक रही थी उसका पूरा बदन चमक रहा था उसकी गहरी नाभि मैं सोनू का मन डूब जाने को कर रहा था,,,। संध्या अपने बेटे की हालत पर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अच्छी तरह से जानते थे कि उसका बेटा इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी है इसलिए उसके मन में अजीब अजीब से सवाल उठ रहे होंगे वह सभी सवालों का जवाब देते हुए संध्या बोली,,,)



अब तुझे मैं दुनिया की सबसे बेहतरीन और खूबसूरत चीज दिखाती हुं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बैठ कर लेट गई व पीठ के बल लेट गई थी सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या दिखाने की बात कर रही है,,, तकिया को अपने सिर के नीचे लगा कर अपनी टांग को अच्छी तरह से फैलाते हुए बोली,,, सोनू बिस्तर के किनारे पलंग के नीचे पैर लटकाए बैठा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है,,,,अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देख रहा था उसकी तनी हुई चुचियों को बड़े गौर से देख रहा था उसके पेट के बीच में गहरी नाभि को प्यासी नजरों से देख रहा था और कमर पर बंदी पेटिकोट की डोरीको बडी आस भरी नजरों से देख रहा था कि मानो जैसे पेटिकोट की डोरी खुद-ब-खुद खुल जाएगी अपने बेटे की आंखों में चमक देखकर उसकी उत्सुकता और भोलापन देखकर संध्या मन ही मन में खुश हो रही थी,,,, सुनो अपनी मां की तरफ देखकर आश्चर्य भरे स्वर में बोला,,,)

कौन सी बेशकीमती चीज दिखाना चाहती हो मम्मी,,,,

(अपने बेटे कैसे खोलें पन से भरे सवाल को सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,)


सबर कर लेकिन इसके लिए तुझे खुद ही देखना होगा,,,,
(सोनू को अपनी मां की बात समझ में आ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगे पल भर में सोनू का चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था लेकिन वह हीचकीची रहा था उसकी मां अपने बेटे की हीचकीचाहट को समझते हुए बड़े प्यार से बोली,,,,)


मेरी पेटीकोट की डोरी खोल,,,,

(अपनी मां की मादक स्वर को सुनते ही सोनू की नशे अकड़ने लगी उसे डर लगने लगा कि कहीं एक बार फिर से उसके लंड का पानी न छूट जाए क्योंकि यह बात कह कर तो उसकी मां ने अपनी बदन का पूरा खजाना उसके सामने परोस दी थी सोनू पलभर में ही कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा ने लगा अपने मन में बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ही सोचने लगा कि पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसे कैसा लगेगा जब उसकी मां की टांगों के बीच की पतली दरार कैसी नजर आएगी यह सब सोचकर वह पूरी तरह से दीवाना हुआ जा रहा था,,,, अपनी बेटी को इस तरह से आंखें फाड़े देखता हुआ पाकर संध्या बोली,,,)

क्या हुआ क्या सोच रहा है तेरा मन नहीं कर रहा है क्या,,,?


नहीं नहीं ऐसा नहीं है,,,(सोनू तपाक से बोला जैसे कि उसके हाथ से यह मौका वापस उसकी मां छीन ना ले,,,)


तो खोलना पेटीकोट की डोरी,,,।
(सोनू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आज वह अपनी मां का एक नया रूप देख रहा था सोनू पैसे में लगी नहीं रहा था कि जैसे बिस्तर पर उसकी आंखों के सामने अर्धनग्न अवस्था में लेटी हुई औरत उसकी मां है उसे ऐसा लग रहा था कि कोई और औरत है क्योंकि उसके बोलने का तरीका भी बदल चुका था,,, लेकिन जो भी हो सोनू को तो इसमें मजा ही मजा आ रहा था वह अपनी मां की जवानी लूट लेने के लिए बिल्कुल तैयार था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की पेटीकोट की डोरी खोलने लगा लेकिन पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसके हाथों की उंगलियां कांप रही थी,,, जिसमें उत्तेजना और डर दोनों बराबर मिला हुआ था,,, संध्या को उसकी कॉपी में उंगलियां देखा कर हंसी छूट रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर काबू किए हुए थी संध्या को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका बेटा कोई बम को डिफ्यूज करने के लिए अपने ऊंगलीयो को हरकत दे रहा हो और डर के मारे कांप रहा हो,,,,,,पेटिकोट की डोरी कैसे खोली जाती है यह भी सोनू को नहीं आता था लेकिन जिस तरह से मशक्कत करके उसने अपनी मां की ब्रा का हुक खोला था उसी तरह से अपनी मां की पेटीकोट की डोरी में भी उलझा हुआ था,, लेकिन जल्द ही उसने पेटिकोट की डोरी का एक सिरा पकड़कर उसे खींच दिया,,,,, जैसे ही पेटीकोट की डोरी खुली सोनू के दिल की धड़कन बढ़ गई और संध्या के भी तन बदन में कसमसाहट होने लगी,,,,,, संध्या के बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,। नाभि के नीचे वाला हिस्सा उत्तेजना के मारे थरथरा रहा था,,,।

पेटिकोट की डोरी खोल कर सोनू प्रश्नार्थक मुद्रा में अपनी मां की तरफ देखने लगा मानो कि पूछ रहा हो कि अब क्या करना है,,,, लेकिन अपने बेटे की आंखों में संध्या को उसके मन का सवाल साफ झलक रहा था इसलिए वह खुद ही बोली,,,।


अब इसे उतार ,,,,

(सोनू के लिए यह पल बेहद अद्भुत और बेहद नाजुक था इस तरह के वाक्ये उसने आज तक नहीं गुजरा था,,, उसके लिए यह जिंदगी में पहला मौका था जब वह किसी औरत की किसी और औरत की नहीं बल्कि अपनी ही मां की पेटीकोट को उतारने जा रहा था,,,,,,अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर पेटीकोट के दोनों छोर को अपनी उंगली में उलझा कर नीचे की तरफ खींचने लगा यह पल सोनू के लिए उत्तेजना से भरा हुआ था यह पल किसी भी मर्द के लिए बेहद अनमोल और उन्मादक होता ही है,,,जिंदगी में पहली बार कोई मर्द जब किसी औरत के कपड़े उतारता है कि उसके तन बदन में जो हलचल मची हुई होती है उसका बयान कर पाना शायद नामुमकिन है,,, वही हाल सोनु का भी थाक्योंकि सोनू जानता था कि पेटीकोट उतारने के बाद उसे उसकी मां की दोनों टांगों के बीच का अनमोल खजाना नजर आने लगेगा जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना किया करता था,,,,, संध्या के भी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जिंदगी में उसके कपड़े सिर्फ उसके पति नहीं उतारे थे और आज दूसरी बार उसके बेटे के हाथों यह शुभ काम होने वाला था जिसमें संध्या को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,सोनू पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगा लेकिन संध्या की भारी-भरकम गांड के भार के नीचे पेटीकोट नीचे की तरफ सरक नहीं पा रही थी,,,संध्या भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम कलाकार गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, अपनी मां सहकार और उसकी हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, किसी भी औरत का इस तरह से सहकर देना इस बात को साबित करता है कि वह पूरी तरह से उस मर्द को समर्पित हो चुकी है,,,,,,
उत्तेजना के मारे सुख के गले को अपने थूक से गीला करते हुए सोनू अपनी मां की पेटीकोट को तुरंत नीचे की तरफ खींचने लगा उसे लगा था कि पेटिकोट के नीचे आते ही,, उसे उसकी मां की बुर का संपूर्ण भूगोल अपनी आंखों से नजर आने लगेगा,,, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था पेटिकोट के अंदर उसके बारे में पेंटी पहनी हुई थी,,,, पेटिकोट के नीचे पेंटी को देखकर ,,, सोनू को निराशा नहीं बल्कि और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा,,, क्योंकि उसके मां के खूबसूरत गोरे बदन पर लाल रंग की पैंटी और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,, और इस बात की खुशी और भी थी कि उसे अपनी मां की पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पैंटी भी उतारनी पड़ेगी,,,,

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संध्या अपनी गांड ऊपर करके पेटिकोट उतारने अपने बेटे की बहुत ही अच्छी तरीके से मदद की थी,,,,सोनू जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर बिस्तर पर रख दिया था अब वह उसकी आंखों के सामने केवल पेंटी में थी और पेंटिं में संध्या बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे बिस्तर पर खुद कामदेवी लेटी हो,, अब आगे क्या करना है सोनू ने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं पूछा और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पेंटिं के दोनों छोर पर अपने हाथ रखकर पेंटी उतारने लगा,,,, पेंटी पर हाथ लगते ही संध्या कसमसाने लगी उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,पेंटी के आगे वाला भाग पूरी तरह से गिला हो चुका था जो कि संध्या की बुर से निकला मदन रास्ता और वह सोनू को बड़े अच्छे से नजर आ रहा था,,,

धड़कते दिल के साथ सोने अपनी मां की पेंटिंग करने लगा और जिस तरह से पेटीकोट उतारने में उसकी मां ने उसकी सहायता की थी उसी तरह से इस बार भी वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी और सोनू तुरंत अपनी मां की पेंटिं को घुटनो खींच लिया,,,,उसके बाद तो सोनू भूल ही गया क्या उसे क्या करना है क्योंकि उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे बेशकीमती और सबसे खूबसूरत चीज थी उसकी आंखों के सामने का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अपनी मां की बुर के दर्शन करेगा,,,,सोनू को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की सुर्खी गुलाबी पत्तियों के बीच से बदल रस की बूंदें टपक रही थी जो कि किसी बेशकीमती मोती की तरह लग रही थी सोनू पहली बार बुर को इतने करीब से देख रहा था,,,। इसलिए उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,,, पल भर में सांसों की गति कम तेज हो गई थी और होती भी क्यों नहीं संघ के बारे में वह कल्पना करके रात दिन अपना हाथ से हिलाया करता था आज उसे अपनी आंखों के सामने देख रहा था उसके भूगोल से परिचित हो रहा था संध्या पूरी तरह से उत्तेजित थी वह बड़ेगौर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और जिस तरह से उसका बेटा आंखें उसकी बुर को देख रहा था संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, संध्या कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा क्या वह अपने बेटे को अपनी बुर दिखाएगी,,,, जिस अंग को वह दुनिया से छुपाए रखी थी ढंककर रखती थी,, साड़ी के नीचे पेटीकोट के अंदर और पेंटी के पीछे लेकिन आज सब कुछ उजागर हो गया था,,,,संध्या की सांसो की गति पर तेजी से चल रही थी और सांसो के साथ-साथ उसके पानी भरे गुब्बारों की तरह दोनों चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी सोनू के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका सारा ध्यान संध्या की दोनों टांगों के बीच स्थिर हो चुकी थी,,,, संध्या की बुर भी बेहद अद्भुत थी,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी और उम्र के इस दौरान भी उसकी बुर क्या थी एक पतली दरार थी,,,, जो कि तवे पर रखी हुई गरम रोटी की तरह फूल गई थी,,,, उसमें से मदन रस ऐसे बह रहा था मानो रसमलाई से रस टपक रहा हो,,,,।

अपने बेटे की हालात का संध्या को दया आ रही थीउसे समझते देर नहीं लगी कितना हैंडसम और खूबसूरत होने के बावजूद भी उसका बेटा पहली बार किसी औरत की बुर को देख रहा है वरना अब तक वह अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई भी कर दिया होता,,,


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं है क्या,,,?


नहीं आज से पहले मैंने कभी नहीं देखा,,,,


कमरे में तेरी आंखों के सामने मेरी टावल नीचे गिर गई थी तब भी नहीं देखा था,,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे बदन का कौन सा अंग देखना है यह मुझे पता ही नहीं चला,,,
(संध्या को अपने बेटे की मासूमियत पर हंसी भी आ रही थी और दया भी आ रहा था,,,)


चल कोई बात नहीं आज तो देख लिया ना,,, कैसा लग रहा है तुझे,,?(संध्या खुद अपने ऊपर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का सवाल मां अपने बेटे से कैसे पूछ सकती है और किस तरह के सवाल पूछने की हिम्मत उसमें कैसे आ गई यह कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो कुछ भी वह पूछ रही थी उससे उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,)


बहुत खूबसूरत मैंने आज तक ऐसा नजारा कभी नहीं देखा,,,,,, क्या मम्मी मैं इसे छु सकता हूं,,,,,(सोनू एकदम से भोलेपन में यह सवाल पूछा तो संध्या मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


अरे बुद्धू तो जो भी सकता है और बहुत कुछ कर भी सकता है आज से यह तेरी है,,,


सच मम्मी,,,,(इतना कहने के साथ ही सुनो अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों को अपनी मां की बुर के उपर रख दिया,,,,, और जैसे ही संध्या को अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे की उंगली का स्पर्श हुआ तो उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सससहहहहहह,,,,,,,
(और अपनी मां के मुंह से निकली हुई है आवाज सुनकर सोनू एकदम से मदहोश हो गया और वह अपनी पूरी हथेली अपनी मां की बुर के ऊपर रखकर उस छोटी-सी लकीर को ढक दिया,,,, बुर एकदम गरम थी सोनू कक्कड़ के लिए लगाकर कैसे हो अपनी हथेली को अपनी मां की बुर के ऊपर नहीं बल्कि तपते हुए तवे पर रख दिया हो,,, सोनू को मजा आ रहा है एक अद्भुत सुख से पूरी तरह से भीगने लगा था सोनू अपनी हथेली को अपनी मां की ओर के ऊपर आगे पीछे करते हुए हौले हौले से रगड़ने और जैसे-जैसे वहअपनी मां की बुर को रगड़ रहा था वैसे वैसे संध्या की हालत खराब होती जा रही थी,,,।)

बहुत गर्म है मम्मी,,,,

यह इसी तरह से रहती है एकदम गर्म,,, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है,,,,,


तो मेरी पैंटी तो पूरी उतार दे घुटनों में फंसा कर रखा है,,,


(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि उसने अपनी मां की बुर देखने में पेंटिं उतारना भूल ही गया थाऔर अगले ही पल वहां अपनी मां की पेंटि को पूरी तरह से उसकी मन की चिकनी कमर से बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दिया अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,,, बहुत ही खूबसूरत ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बदन के हर एक अंग के कटाव को उभार को भगवान ने अपने हाथों से बनाया हो,,,, बिस्तर पर लेटी हूं संध्या किसी चित्रकार की चित्रकारी का बेहद अद्भुत उम्दा चित्र लग रही थी,,,, किसी मूर्तिकार के हाथों से बनाया हुआ शिल्प लग रही थी,,,, संध्या अपने आप में बेजोड़ थी बहुत ही खूबसूरत कामुकता से भरी हुई गठीला बदन की मालकीन गदराए जिस्म की मालकिन,,,, जिसे देखकर ही,, आह निकल जाए,,,,।



रात के 12:00 बज रहे थे और संध्या अपने बेटे के साथ अपने ही कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी और उसका बेटा बिस्तर पर बैठा हुआ था जो कि उसकी बेशकीमती रसीली बुर को अपनी आंखों से देख कर उसके मदन रस को अपनी आंखों से ही पी रहा था,,, सोनू की हथेलीअभी भी उसकी मां की बुर पर थी जिसमें से निकल रहा मदन रस उसकी हथेली को भीगो रहा था,,,,,,,

संध्या की हालत खराब हो रही थी सोनू काफी देर से उसकी बुर पर हथेली रखकर उसे हल्के हल्के रगड़ रहा था जिससे संध्या मदहोश होने जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, संध्या का मन अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए कर रहा था लेकिन इतनी जल्दबाजी दिखाना ठीक नहीं था,,,, इसलिए गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे से बोली,,,।



सोनू क्या तू चाहता है कि हम दोनों भी वही करें जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे जो मेडिकल पर वह लड़का कंडोम खरीद रहा था अपनी मां को चोदने के लिए,,,
(अपनी मां का इस तरह का सवाल सुनते ही सोनू की हालत एकदम से खराब हो गई क्योंकि सीधे-सीधे उसकी मां उसे चोदने के लिए आमंत्रित कर रही थी सोनू भला कब इनकार करता उसे तो इसी दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार था वह तो चाहता था अपनी मां को चोदना लेकिन इस तरह से इतना आसान होगावह कभी सपने में भी नहीं सोचा था इसलिए अपनी मां का इस तरह का आमंत्रण सुनते ही बोला,,,)


क्या ऐसा हो सकता है मम्मी,,,,?(यह सवाल पूछते हुए सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,)

क्यों नहीं हो सकता हो सकता है तु अपनी आंखों से देखा था ना एक बेटा कैसे अपनी मां की चुदाई करता है और एक बेटा कैसे कंडोम खरीदा था अपनी मां को चोदने के लिए तो ऐसा हो सकता है,,,,

लेकिन किसी को पता चल गया तो ,,,,,,

कैसे पता चलेगा,,,,


अगर पापा को पता चलेगा तो,,,,



किसी को कान्हा कान्हा पता तक नहीं चलेगा और मैं जानती हूं कि तू इतना बड़ा बेवकूफ तो है नहीं हम दोनों के बीच की बात किसी और को बताएगा,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनु ना में सिर हिलाया,,,)


तो बस फिर क्या जवानी का मजा ले देख कितना मजा आता है,,,,और हां इस खेल में कूदने से पहले अपने कपड़े तो उतार ले मेरा तो सब कुछ देख लिया मुझे भी तो दिखा कि तेरे पास कैसा हथियार है,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर सोनू एकदम से शर्मा गया क्योंकि अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारने में झिझक महसूस कर रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर उसे अच्छा लग रहा था क्योंकि उसकी मां उसके लंड को देखना चाहती थी,,,। सोनू कुछ देर तक उसी तरह बैठा रहा तो संध्या बोली,,,)

क्या हुआ शर्मा क्यों रहा है,,, अगर इसी तरह से शर्माएगा तो मेरे साथ आगे कैसे बढ़ेगा,,, अच्छा रूक में ही कुछ करती हुं,,,, तो बिस्तर पर अच्छे से घुटनों के बल खड़े हो जा,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही उसकी बात मानते हुए सोनू बिस्तर पर अच्छी तरह से बैठ गया और घुटनों के ऊपर खड़े हो गया लेकिन इस समय के पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था और संध्या की नजर उस के तंबू पर पड़ते ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,,आश्चर्य से अपने मुंह पर हाथ रखते हुए संध्या बोली,,,)

बाप रे पजामे के ऊपर से ही इतना खतरनाक लग रहा है,,,,, अब तो मेरी उत्सुकता और बढ़ गई है तेरे लंड को देखने के लिए,,,(संध्या एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी और अपनी मां के मुंह से एक लंड शब्द सुनते ही उत्तेजना के मारे सोनू एकदम से गनगना गया,, संध्या बिस्तर पर बैठकर घुटनों के बल हो गई थी और एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बेहद करीब पहुंच गई थी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर था उसकी अनुभवी आंखों ने पजामे के ऊपर से ही अंदाजा लगा लिया था कि पजामे के अंदर धमाल मचा देने वाला खतरनाक औजार है,,, संध्या का मन ललचा उठा,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड का दीदार कर लेना चाहती थी,,,। सोनू के पजामे में बने तंबू को देखकर ही संध्या की हालत खराब होने लगी,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के को देखने के लिए तड़पने लगी,,,इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर वह अपने बेटे के पजामे पर रखकर उसे एक झटके में नीचे घुटनों तो खींच दी,,, ओर पजामा के नीचे आते ही सोनू का बम पिलाट लंड हवा में लहराने लगा,,, संध्या की आंखें फटी की फटी रह गई,,, संध्या को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वाकई में उसके बेटे का लंड बेहद जानदार था एकदम तगड़ा मोटा लंबा,,, और उसका सुपाड़ा आलू बुखारे की तरह था,,, संध्या के दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर जल्द से जल्द महसूस करना चाहती थी,,, वह प्यासी नजरों से अपने बेटे के लंड को देख रही थी और सोनू अपनी मां को इस तरह से देखता हुआ पाकर अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, अपनी मां के मन में क्या चल रहा है यह जानने के लिए सोनू बोला,,,)


क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों देख रही हो,,,?


बाप रे इतना बड़ा मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,, तेरे पापा से भी तगड़ा है,,,(अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही अपने लंड की तुलना अपने बाप से होता हुआ देखकर सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा और उत्तेजना के मारे उसका लंड ऊपर नीचे होने लगा,,, मानो कि जैसे गहरी सांस ले रहा हो,,,)

क्या सच में,,,,


हारे में बिल्कुल सही कह रही हुं,,,, मेरा तो मन इसको पकड़ने को कर रहा है,,,(और इतना कहने के साथ ही संध्या अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भर ली,,,, अपने लंड को अपनी मां के हाथ में देखते ही सोनू एकदम से धधक उठा उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सहहहहहह,,,,,,, बाप रे,,,,
(संध्या को अब कुछ सूझ नहीं रहा था वह अपने बेटे के लंड से जी भर कर प्यार करना चाहती थी,,, उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगी हिलाते समय उसका लंड और ज्यादा जानदार लग रहा था,,,, संध्या अपने बेटे के लंड को आगे पीछे करके मुठिया रही थी,,,,मोटे तगड़े अपने बेटे के लंड को देखकर संध्या की आंखों में चमक जाग उठी थी,,, सोनू का लंड अपनी मां के हाथों में आते ही और ज्यादा कड़क हो गया,,,, सोनू अपने मन में ही सोच रहा था कि अगरउसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर चूसती तो और मजा आता,,,और जैसे कि उसके मन की बात उसकी मां ने सुन ली हो इस तरह से अपनी होंठों को अपने बेटे के लंड की तरफ आगे बढ़ाने लगी,,,जैसे-जैसे संध्या आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे सोनु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, सोनू का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था,,,,,
और देखते ही देखते सोनू को बिना समय दिया संध्या अपनी गुलाबी होठों को खोलकर अपने बेटे की लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, सोनू पर उसकी मां की तरफ से यह जबरदस्त शारीरिक हमला था जिसके लिए सोनू बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया उसकी सांस अटक गई,,,उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसकी मां एक झटके से उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरु कर देगी,,, क्योंकि आखिरकार वह कोई गैर औरत नहीं बल्कि उसकी मां थी,,,,,, सोनू अपने पिता को संभाल नहीं सका और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फोटो पड़ी,,,,।

सहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,,
(अपने बेटे के मुख से सिसकारी की आवाज सुनते ही संध्या ऊपर नजर करके अपने बेटे की तरफ देखने लगी जो की पूरी तरह से मस्त हो चुका था संध्या अब रुकने वाली बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके हाथों में उसका पसंदीदा खिलौना जो मिल गया था,,,। संध्या को इस बात का एहसास हो गया कि उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा उसके पति के लंड का सुपाड़ा उसके पति से काफी बड़ा है,,,,अपने बेटे के लंड को चुसते चुसते संध्या के मन में यह ख्याल भी आ रहा था कि इतना मोटा सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में घुस पाएगा कि नहीं,,,, वो बाद की बात थी,,, इस समय संध्या को बहुत मजा आ रहा था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसे अपने बेटे का लंड चूसना पड़ेगा,,,,,,,,

धीरे-धीरे करते हुए संध्या अपने बेटे के लंड को अपने गले तक उतार ले गई गले तक पहुंचते ही संध्या की बुर कलबुलाबुलाने लगी,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि जब गले तक उसका बेटे का नाम क्या मजा दे रहा है तो उसकी बुर की गहराइयों करेगा तो उसे कितना मजा देगा,,,,

और सोनू कभी सपने में भी नहीं सोचा कि उसे अपनी मां का यह रूप देखने को मिलेगा वह चाहे कैसी भी थी लेकिन बिस्तर पर इस तरह से खुली औरत होगी इस बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था,,, लेकिन सब कुछ भूल कर सोनू लंड चुसाई का मजा ले रहा था,,,।

Sandhya apne bete k lund ko make lekar chusti huyi

आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह अपनी टी-शर्ट को अपने हाथों से निकाल कर बिस्तर पर फेंक दिया था,,,, क्योंकि वह जानता था भले ही इस खेल में गया था लेकिन फिर भी इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि बिस्तर में औरत के साथ नंगे होकर ही मजा आता है,,,,सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी थी शर्म का पर्दा हट नहीं लगा था वैसे भी अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर संध्या खुद आगे से मर्यादा और रिश्ते नाते की दीवार को गिरा चुकी थी,,,सोनू को बिल्कुल भी हर्ज नहीं था उस दीवार को लांघ कर आगे बढ़ जाने में,,,,,,, इसलिए अपनी तरफ से खुले पन का एहसास दिलाते हुए मदहोशी के आलम में वह अपनी कमर आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया था,,,।चुदाई का बिल्कुल अनुभव और ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी वह जानता था कि चोदने के लिए कमर को आगे पीछे करना पड़ता है और ऐसा करने में सोनू को अद्भुत सुख का अनुभव हो रहा था,,, संध्या मदहोश हुए जा रहे थे उत्तेजित हुए जा रही थी,, उत्तेजित अवस्था में वह अपनी दोनों हथेलियों को अपने बेटे की गांड पर रखकर उसे जोर जोर से दबा रही थी सोनू को भी अपनी मां की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी,,,, कुछ देर तक अपने बेटे का लंडड चुसती रही,,,लेकिन अब वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी इसलिए वह,,,, अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी,,, उसकी सांस अटक रही थी तो कुछ देर तक अपनी सांसो को दुरुस्त करती रही अपने मन में ही सोचती रही किउसके पति से ज्यादा मजा उसके बेटे के लंड को चूसने में आ रहा था,,,,,,,

घुटनों में फंसे पजामे कोसंध्या अपने हाथों से नीचे करके उसके पैरों में से निकाल दी अब बिस्तर पर दोनों मां-बेटे एकदम नंगे थे ट्यूबलाइट की रोशनी में दोनों के बदन चमक रहे थे अपने बेटे के गठीले मजबूत शरीर को देखकर खास करके उसके मुसल जैसे लंड को देख कर संध्या के मुंह में पानी आ रहा था,,,, सोनू के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह सिर्फ अपनी मां के आदेश का पालन करना चाहता था और वह जानता था कि इसी में उसकी भलाई है,,,।


बाप रे तेरा लंड तो बहुत ताकतवर है,,,, आगे चलकर ना जाने कैसा गुल खिलाएगा,,,,


तुम्हें मजा आया मम्मी,,,,


पूछना कितना मजा आया कि मैं बता नहीं सकती जिंदगी में मुझे ऐसा मजा कभी नहीं मिला,,,,


अब क्या करना है,,,,।


करना क्या है तेरी मेरी मलाई चाटनी,,, जो कि तेरे लंड की वजह से कुछ ज्यादा ही निकल रही है,,,, मलाई चाटने का मतलब जानता है ना,,,,
(मलाई चाटने के मतलब को सोनू समझ नहीं पाया,, इसलिए ना में सिर हिला दिया उसके भोलेपन को देखकर उसकी मां मुस्कुराने लगी मुस्कुराते हुए बोली,,,)


अरे बुद्धू मलाई चाटने का मतलब होता है बुर चाटना,,,
(अपनी मां के मुंह से निकले शब्द सुनकर सोने की निरंतर बढ़ती ही जा रही थी क्योंकि आज तक उसने अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द कभी नहीं सुना था और ना तो किसी को जोर से बोलते हुए सुना था,,, इसलिए सोनू के लिए यह सब बिल्कुल नया और अद्भुत था,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

चाटेगा ना मेरी बुर को,,,
(आप औरत के द्वारा इस प्रस्ताव को कोई बेवकूफ ही होगा जो ईंकार कर पाएगा,,, लेकिन सोनू ना हा बोला था और ना ,,,,लेकिन संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे पसंदीदा चीज क्या होती है इसलिए वो जानती थी उसका बेटा कभी इंकार नहीं कर पाएगा,,,इसलिए वह अपने बेटे का जवाब मिले बिना ही बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई अपनी दोनों टांगों को फैला दी और अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर जोर से मसल कर अपने बेटे को दूसरे हाथ की उंगली से इशारा करके अपने पास बुलाने लगी,,, संध्या की यह हरकत बेहद कामुक और अपने आप में बेहद मादकता से भरी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पोर्न मूवी चल रही है और उसकी मां कोई पोर्न एक्ट्रेस हो,,,,सोनू अपनी मां की माता पिता भरी हरकत से अपने आप को रोक नहीं पाया और घुटनों के बल चलता हुआ उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच गया,,,
सोनू के लिए यह पहला मौका था जब वो किसी औरत की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना रहा था और वह भी खुद की अपनी मां के टांगों के बीच ,,,,यह पल उसके लिए बेहद यादगार साबित होने वाला था उसने कभी नजर भर कर किसी औरत की बुर नहीं देखा था ना उसे छुआ था ना मसला था ना उससे मिलने वाले सुख को कभी महसूस किया था लेकिन आज का दिन आज का ही है पर आज की रात उसके लिए बेहद अतुल्य थी,,,, अपनी मां की पनियाई बुर को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, उससे रहा नहीं जा रहा था और उसकी मां आज भरी नजरों से अपने बेटे को ही देख रही थी,,,, संध्या की कचोरी की तरह फुली हुई बुर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,,, बाल का एक रेशा तक नहीं था एकदम चिकनी बुर थी संध्या की,,, और सोनू ईस बात अच्छी तरह से जानता था कि आज ही उसकी मां ने वीट क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ की है,,,।

सोनू पूरी तरह से तैयार था एक नई दुनिया में कदम रखने के लिए,,,, वह अपने हौसलों को बुलंद कर रहा था क्योंकि यही एक पल थी जब वह अपनी मां पर पूरी तरह से छा जाना चाहता था,,, इसलिए सोनू अपने प्यासे होठों को अपनी मां की दहहती हुई बुर के करीब ले जाने लगा,,, संध्या का बदन कसमसाने लगा,,,, एक अद्भुत पल को वह जीने जा रही थी, एक नए,, एहसास की उत्सुकता उसके तन बदन में बढ़ती जा रही थी,,,

आखिर कार वह पल आ गया जब सोनू के प्यासे होंठ संध्या की बुर पर स्पर्श हो गए,,,, सोनू पागल हो गया पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके होंठ उसकी मां की बुर के बीचोबीच थे,,,, बुर चाटना सोनू को बिल्कुल भी नहीं आता था वह अपनी मां की बुर पर अपने होठों को रगड़ना शुरु कर दिया लेकिन इतने से भी सोनू की उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,


जीभ निकालकर बेटा,,,,,(संध्या मदहोश होते हुए बोली और सोनू अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी मां की बुर की पतली दरार में डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,, पहले तो सोनू को अपनी मां की बुर के मदन रस का स्वाद थोड़ा कसैला लगा लेकिन धीरे-धीरे वह कैसे रासवाल मीठे फल में बदलता चला गया खारे पन में बदलता चला रह रह कर बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद बदलता जा रहा था,,,,,,सोनू की हालत खराब होने लगी थी अब सोनु को सिखाने की जरूरत नहीं थी सोनू अच्छी तरह से समझ गया था कि अबक्या करना है,,,क्योंकि मोबाइल में पोर्न मूवी में वह सब कुछ देख चुका था बस उससे अवगत नहीं था,,,,
सोनू मारे उत्तेजना के तड़प रहा था और वह अपनी तड़प अपनी मां की बुर पर निकाल रहा थादेखते ही देखते सोनू जितना हो सकता था उसने अपनी जीभ को अपनी मां की बुर की गहराई में डालकर उसे चाट कर मजा ले रहा था,,, संध्या की हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतने अच्छे से उसकी बुर की चटाई करेगा,,,,


सहहहहह आहहहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,सोनू मेरे बेटे,,,,,, बस ऐसे ही,,,,,,, ऐसे ही,,,,, जोर जोर से चाट,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा है बेटा,,,,,,सीईईईईईईईई,,,,,
आहहहहह,,,,,
(सोनु अपनी मां की बातेऔर उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि वह अपनी मां को इस तरह से खुश कर पाएगा लेकिन उसकी गरम सिसकारी को सुनकर सोनू को विश्वास हो गया कि जो कुछ भी वो कर रहा है वह बिल्कुल सही है,,, इसलिए वह और मस्ती के साथ अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, बेहद मादकता से भरा हुआ,,, यह नजारा था मां अपने कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी होकर अपनी दोनों टांगें फैलाकर अपने बेटे को अपनी बुर चटवां रही थी,,,, सोनू से रहा नहीं जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की बुर के भूगोल से वाकिफ हो चुका हो,,,, इसलिए वह जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना चाहता था,,,, अपने बेटे की मस्ती भरी बुर चटाई की वजह से संध्या दो बार झड़ चुकी थी,,,,,अब वह भी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए मचल रही थी तड़प रही थी,,,,इसलिए वह मद भरी गहरी गहरी सांसे लेते हुए बोली,,,,,।


आहहहहहह,,,,, सोनू मेरे बेटे मेरी बुर में खुजली मची हुई है,,,, बिल्कुल भी देर मत कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, में तेरे लंड को अपनी बुर में लेना चाहती हुं,,,,ओहहहहह,,,सोनु,,,,,,,(ऐसा कहते हुए संध्या अपने बेटे के बालों में उंगली घुमाने लगी सोनू को और क्या चाहिए था वह अपनी मां के मुंह से यही सुनना चाहता था,,,, अपने होठों पर अपनी मां की बुर से हटाते हुए वह घुटनों के बल खड़ा हो गया,,,, संध्या की नजर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड पर पड़ी जो की छत की तरह मुंह उठाए खड़ा था तो उसे देखते ही संध्या के मुंह से आह निकल गई,,,,,)


अब तुझे मालूम है ना क्या करना है,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू हां में सिर हिला दिया और संध्या हंसते हुए बोली)

यह तो पता ही होगा,,,,, बस अब शुरू हो जा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,
(अपनी मां की तडप देखकर सोनू की भी तड़प बढ़ रही थीं,,, वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल देना चाहता था,,, इसलिए वह घुटनों के बल दो कदम और चलकर अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया,,,, अपने बेटे को अपने करीब आता देखकर संध्या अपनी दोनों टांगों को और ज्यादा फैला दी,,,,, सोनू की नजर अपनी मां की बुर से बिल्कुल भी नहीं हट रही थी,,,, वह एक हाथ से अपने लंड को हिला रहा था,,, उत्तेजना के मारे संध्या का गला सूख रहा था सोनू अपनी मां के बेहद करीब पहुंच कर और अपने दोनों हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे की तरफ लाकर उसे हल्के से अपनी तरफ खींचा,,, अब लंड और बुर दोनों आमने सामने थी तकरीबन दो अंगुल की दूरी थी दोनों के बीच सोनू ने अपने लैंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखते हुए वह दूरी भी मिटा दिया,,,,,, लेकिन सोनू के अपनी मां की बुलंद रखते ही संध्या की हालत एकदम से खराब हो गईपल भर गई संध्या को पुरानी यादें ताजा हो गई जब वह पहली बार शादी करके अपने ससुराल आई थी और संजय ने पहली बार अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रखा था ठीक उसी तरह का अनुभव वह इस समय महसूस कर रही थी,,, संध्या का मन एकदम से मचल उठा,,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन एकदम से कसमसाने लगा,,,,
सोनू का धैर्य जवाब दे रहा था,,,सोनू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मां की बुर की पतली दरार के बीचों बीच रखकर ऊपर नीचे करके अपने सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड़ रहा था इससे संध्या की हालत और ज्यादा खराब हो जा रही थी उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी पूछ रही थी और उत्तेजना के मारे वह अपना सर दाएं बाएं पटक रही थीऔर खुद भी कोशिश कर रही थी कि वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले ले इसलिए वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ हल्के हल्के हिलाते हुए उछाल रही थी,,,,

अपनी मां की तरफ देख कर सोनू को उसकी ऊतेजना का एहसास हो रहा था,,,, सोनू से भी रहा नहीं जा रहा था,,,अपनी मां के गुलाबी छेद का अंदाजा उसे अच्छी तरह से हो गया था इसलिए वह अपने सुपाड़े को उस गुलाबी छेद पर टिका कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला तो उसका लंड का सुपाड़ा धीरे से उसकी मां की बुर के अंदर सरकने लगा,,,,, इस पर सोनू को अपनी खुशी का ठिकाना ना था,,, वह अपनी कमर को और आगे की तरफ ठेलने लगा,,,,सोनू कैलेंडर का सुपाड़ा काफी मोटा था लेकिन फिर भी उसकी मां की अनुभवी बुर उसे अंदर लेने में सक्षम थी इसलिए अपने बेटे के लंड को अंदर की तरफ सरकता हुआ महसूस करके वह भी अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी काफी उत्तेजित भी,,,,,। वह अपने बेटे का हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,,।

आहहहहह,,,, आहहहहह,,,, बस ऐसे ही बेटा अंदर आने दे और जोर लगा बहुत मजा आ रहा है देखना थोड़ी देर में तेरा लंड मेरी बुर के अंदर होगा और तु मुझे चोद रहा होगा,,,


फिर क्या था अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ने लगा और वह अपनी मां की कमर थाम कर अपने लंड को और तेजी से अंदर की तरफ ठेलने लगा,, देखते ही देखते बुर की चिकनाहट पाकर सोनू का लंड पूरी तरह से संध्या की बुर में समा गया,,,,, सोनू को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका लंड उसकी मां की बुर की गहराई में पूरा का पूरा घुसश गया है,,,,वह बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था और बुर में घुसा हुआ उसका लंड को देख रहा था उसकी सासे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो वह भी उसी को देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, सोनू समझ गया था कि उसे क्या करना है,,,, वह कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था,,,और बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था जिसमें उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था,,,, सोनू को यह देख कर बहुत मजा आ रहा था,,, और संध्या को अपने बेटे के लंड बुर की गहराई में महसूस करके आनंद आ रहा था,,,,।

दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी बस दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे,,,, आंखों ही आंखों से बातें हो रही थी,,,,,,, सोनू का लंडउसकी मां की बुर की अंदर की दीवारों में रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था जिससे संध्या की उन्मआदकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, गहरी सांस लेते हुए गरमा गरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,,,


आहहहहहह,,सहहहहहहहह,,,,आहहहहहह,सीईईईईईईईई,,ऊई,,,,, मां,,,,,,ओहहहहहरहहह,,,,,,हाय मर गई रे बहुत मोटा है रे तेरा लेकिन बहुत मजा आ रहा है अब थोड़ा जोर से पेल,,,,,
(इतना सुनते ही सोनू अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया,,, अब सोनू का लंड बड़ी रफ्तार से बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,। अब बड़े अच्छे से सोनू अपनी मां को चोद रहा था,,,, उसके हर एक धक्के पर संध्या की आह निकल जा रही थी और जितनी जोर से धक्के लगा रहा था उसके बदन के साथ-साथ संध्या की बड़ी-बड़ी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छतिया पर इधर-उधर घूम रही थीं,,, जिसे देखकर सोनू का मन ललच रहा था उससे रहा नहीं गया और अब अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की दोनों चुचीयो को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मां की चुची को अपने हाथों से पकड़कर दबा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि चूची दबाने में इतना मजा आता होगा,,,,

kids in distress

संध्या अपने बेटे के मोटे लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,उसे आज अपने पति से भी ज्यादा अपने बेटे से चुदवाने मजा आ रहा है,,,,,, सोनू के धक्के पड़े तेजी से चल रहे थे,,,, और देखते ही देखते संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी वह तीसरी बार झड़ने के कगार पर थी,,, उसका बदन अकड़ रहा था और सोनू अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपना लंड पेल रहा था,,,,, संध्या गरम सिसकारी लेते हुए तीसरी बार भी झडने लगी,,,, संध्या चाहती थी कि यह चुदाई और देर तक चालू रहे लंबी चली लेकिन सोनू का यह पहली बार था इसलिए वह अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया संध्या के ऊपर ही ढेर हो गया,,,।
OhhH gajab ka sean creat kia h aapne
 

NEHAVERMA

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सोनू बाथरूम में मुतने नहीं गया था बल्कि अपने लंड के हालात का जायजा लेने गया था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की मद मस्त जवानी की गर्मी से उसका लंड पूरी तरह से बेहाल हो चुका था इसीलिए तो लावा उगल दिया था,,,, सोनू अभी इस खेल में कच्चा खिलाड़ी था इसलिए अपने आप को संभाल नहीं पाया था और वक्त से पहले ही बिना कुछ किए ही ढेर हो गया था लेकिन अपने इस हार से ही उसे सीखना था अपने आप को मजबूत बनाना ताकि वह,, जवानी की आंधी में अपने आप को संभाल सके,,,।
बाथरूम में घुसते ही सोनू ने तुरंत अपने पजामे को नीचे कर दिया उसका लंड पूरी तरह से झड़ चुका था लेकिन अभी भी उसमें से कुछ बूंदे नीचे टपक रही थी अपने लंड की हालत को देखकर सोनू को भी ताज्जुब हो रहा था क्योंकि झड़ जाने के बावजूद भी उसका लंड पूरी तरह से लोहे के रोड की टनटनाया हुआ था,,,,,,, सोनू अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए दो तीन बार झटका देकर उस में फंसी दो चार बूंदों को और बाहर निकाल दिया,,, भले ही अपने आप निकल गया था लेकिन सोनू को मजा बहुत आया था सोने को बाकी के अंदर वह कल याद आ रहा था जब वह अपनी उंगली को उसकी मां की साड़ी के अंदर सरका कर पर उसकी पेंटी के नीचे उंगली डालकर उसकी गांड की दरार को सहला रहा था,,,सोनु अपने मन में यही सोच रहा था कि जब इतने से ही इतना मजा आता है तो जब चुदाई करेगा तो कितना मजा आएगा,,, यह एहसास ही सोनू के लिए काफी था,,,,,


बाहर बिस्तर पर लेटी हुई संध्या अपने बेटे के सवाल पर पूरी तरह से सोच में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस सवाल का जवाब क्या दें अपने मन में यह सोच रही थी कि यह सवाल पूछ कर कहीं उसका बेटा उसके मन में क्या चल रहा है यह तो नहीं जानना चाहता,,,,,,संध्या अपने मन में सोच रही थी कि जो भी हुआ जो अपने बेटे के साथ संबंध बनाकर रहेगी,,, यह बात होगी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा भी यही चाहता है क्योंकि कुछ दिनों से जो कुछ भी बदला उसमें हो रहा था उसी से साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा उसके प्रति पूरी तरह से आकर्षित होता जा रहा है,,,वह जो अपनी बेटी को लेकर कल्पना करती है वही कल्पना उसका बेटा भी करता है,,, तभी तो इस समय की मालिश करने के बहाने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया,,था,,,। यह ख्याल आते ही संध्या के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,,,, वह बिस्तर पर बैठ गई थी और बाकी के दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठी थी उसकी नंगी छातीया बवाल मचाने को तैयार थी,,,,, वो दरवाजा खुलने का इंतजार कर रही थी आज की रात वह अपने बेटे के ऊपर पूरी तरह से छा जाना चाहती थी अपनी जवानी का नशा अपने बेटे को चखा कर उसे अपने हुस्न का गुलाम बना लेना चाहती थी,,,। सोनु जैसे ही दरवाजा खोला संध्या पूरी तरह से तैयार बैठी थी वह एक बार फिर से अपनी छलकती जवानी के दर्शन अपने बेटे को कराना चाहती थी उसका मन तो अपना अंग का हर एक कोना अपने बेटे के सामने परोसने का मन कर रहा था,,, लेकिन थोड़ी हिचक उसमें अभी बाकी थी,,,। संध्या जानबूझकर अपने साड़ी के पदों को कंधे पर लेकर अपनी दोनों दशहरी आम को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी और जैसे ही दरवाजा खुला सोनू की नजर वैसे ही बिस्तर पर बैठी अपनी मां पर पड़ी,,, एक बार फिर से उसकी दोनों छलकती जवानी को देखकर उसके होश उड़ गए,,,,, उसे अंदाजा नहीं था कि बाथरूम से बाहर निकलते ही उसे इस तरह का लुभावना द्रशय देखने को मिलेगा,,,, लेकिन इस बार भी पल भर के लिए ही था,,,संध्या यह बात जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों पर नजर मार चुका है इसलिए अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर पलंग पर से उठते हुए बोली,,,।


मुझे भी बड़े जोरों की लगी है रुक में आती हूं,,,,(इतना कहकर वह बिस्तर से खड़ी होगी और बाथरूम की तरफ कदम आगे बढ़ा दी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे पर पड़ी तो,,, संध्या की दोनों टांगों के बीच कुलबुलाहट बढ़ने लगी,,,। झड़ जाने के बाद भी सोनू का लंड उसी तरह से खड़ा था,,,,संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं है कि उसका बेटा उसकी मालिश करते करते झड़ गया है,,, वह अपनी चुचियों को साड़ी से ढककर बाथरूम में जाने लगी,,, लेकिन संध्या की सूचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा था जिसकी वजह से सारी मैं छुपाने से भी नहीं छुप रहा था और सोनू को इन हालात में अपनी मां की चूचियां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, थोड़ी देर में संध्या बाथरूम में घुस गई और सोनू बिस्तर पर आकर बैठ गया लेकिन दरवाजा बंद होने का आवाज उसे बिल्कुल भी नहीं आया,,, संध्या ने दरवाजा बंद नहीं की थी ,,,, उसे वास्तव में जोरो की पेशाब लगी हुई थी,,, बाथरूम में जाते ही वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी उसकी नजर अपनी पेंटी पर पड़ी तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी अपनी गीली पेंटिं को देखकर वो मुस्कुराने लगी,,, आज जरूरत से ज्यादा उसकी बुर ने पानी बहाया था,,, अपनी पेंटी को जांघों तक सर का कर ,, वह अपनी चिकनी बुर का जायजा लेने लगी,,, उत्तेजना के मारे उसकी बुर कचोरी की तरफ फूल गई थी जिसे देखकर उसकी आंखों में भी चमक आने लगी थी,,, वह नीचे बैठ गई और मुतने लगी,,,, उसकी बुर से कुछ ज्यादा ही प्रेशर से पेशाब बाहर निकल रही थी पर्स की गुलाबी पुर की गुलाब की पत्तियों के बीच में से सुमधुर सीटी की आवाज निकलना शुरू हो गई जो कि तुरंत सोनू के कानों तक पहुंच गई सोनू एकदम से मदहोश हो गया वह मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी मां पैशाब कर रही होगी,,,, इस समय का माहौल सोनू के लिए बिल्कुल भी बर्दाश्त के बाहर झड़ने के बावजूद भी उसके लंड की नसें अकड़ रही थी,,,, लगातार आ रही सीटी की आवाज से सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका है संध्या को भी इस बात का आभास था कि उसकी पुर से निकल रही तेज सीटी की आवाज उसके बेटे के कानों तक पहुंच रही होगी और वह ऐसा चाहती भी थी वह तुझे भी चाह रही थी कि उसका बेटा चोरी से उसे पेशाब करता हुआ देखे उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखें और मस्त होकर उस की चुदाई करें लेकिन सोनू वहीं बैठा रहा,,,,

थोड़ी ही देर में संध्या पेशाब करके बाथरूम से बाहर आ गई,,,, वह अपने बेटे को देखकर मुस्कुरा रही थी,,, और जैसे ही पलंग पर बैठने के लिए वो थोड़ा नीचे जो कि उसका साड़ी का पल्लू कंधे पर सिर नीचे गिर गया और उसके दशहरी आम हवा में झुलने लगे,,,,,,, सोनू की आंखों के सामने उसकी मां की दोनों चूची हवा में लहरा रही थी पपैया की तरह उसका शेप हो चुका था,,, सोनू की तो हालत खराब हो गई संध्या जानबूझकर नहीं बल्कि अपने आप ही साड़ी कंधे से नीचे गिर जाने की वजह से और ज्यादा खुश नजर आ रही थी,,,, उसे लग रहा था कि जैसे पूरा वातावरण उस के पक्ष में हो,,,सोनू के ठीक आपके सामने उसकी मां की चूचियां पके हुए आम की तरह लटक रही थी,,, सोनू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था यह अनजाने में हुआ था इसलिए सैलरी आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और सोनू अपनी मां की तरफ,,,, दोनों की नजरें आपस में टकराई दोनों के बीच आकर्षण का पुल बंधता चला जा रहा था,,,,,,,

सोनू के लिए यह पल बेहद कामुकता से भरा हुआ था माता-पिता से भरी उसकी मां की चूचियां उसकी आंखों के सामने किलकारी कर रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे संध्या की चूचियां इशारा करके उसे अपने पास बुला रही हो,,, उसकी दोनों चूचियां हवा में ऐसे झूल रही थी जैसे पेड़ से झूला बांध दिया गया हो,,,सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छोरियों को पकड़ना चाहता था उन्हें स्पर्श करना चाहता था वह कठोर है या नरम यह महसूस करना चाहता था,,,,, कुछ पल तक ऐसा ही चलता रहा संध्या अपने दोनों चुचियों को छुपाने की बिल्कुल की कोशिश नहीं कर रही थी,,, उसकी आंखों में अपनी बेटी के लिए आमंत्रण था,,,, जैसे कि वह अपने बेटे को अपनी चुचियों को पकड़ने का निर्देश दे रही हो आज्ञा दे रही हो,,, यह सब कुछ आंखों ही आंखों में हो रहा था,,,, संध्या की साड़ी का आंचल कंधे से सरक कर नीचे जमीन पर गिर चुकी थी,,,, सोनू कोई समय कुछ नजर नहीं आ रहा था शिवाय उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो के और उसके खूबसूरत चेहरे के,,,,,,,

संध्या जानबूझकर कुछ पल तक इसी तरह से झुकी रही शायद उसे इस बात का अंदाजा था कि उसका बेटा अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को थामेगा पकड़ेगा मसलेगा,,,, और ऐसा ही हुआ सोनू अपनी मां की खूबसूरत चुचियों को देखकर अपने आपे से बाहर हो गया उत्तेजना उसके सर पर सवार हो गई और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर बेझिझक अपनी मां की चूचियों को थाम लिया,,,, और अपनी मां की आंखों में झांकने लगा,,, सोनू अपनी मां की चूचियों को बस अपनी हथेली में भरकर हल्के से तराजू की तरह उठाया ही था उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था मानो के जैसे इसे आगे कुछ करने के लिए अपनी मां की इजाजत चाहता हो उसकी मांअपनी बेटी की इस हरकत से पूरी तरह से खुश नजर आ रही थी उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी अभी अपने बेटे की आंखों में देखते हुए बोली,,,।


तू पूछ रहा था ना मैं क्या चाहती हूं,,,,,(सोनू कुछ कहता इससे पहले ही उत्तेजित अवस्था में मदहोश होते हुए,,, संध्या अपने चेहरे को नीचे की तरफ लाइव और तुरंत गुलाबी होठों को अपने बेटे के होठों पर रखकर चूसना शुरु कर दी,,,, सोनू को तो कुछ समझ में नहीं आया और संध्या अपने बेटे के होंठों को चुंबन करते हुए चूसते हुए उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे दी लेकिन फिर भी सोनु उसी तरह से अपनी मां की चूचियों को थामें रह गया,,,,,, पल भर में ही सोनू की सांसे तेज चलने लगी संध्या मदहोश हो चुकी थी पागल हो चुकी थी उसे अपने बेटे में अपना प्रेमी नजर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे को नहीं बल्कि अपने प्रेमी को पहली बार चुंबन कर रही हो,,,,,,कुछ देर में जब सोनू को भी समझ में आया तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी का रस और होंठों से चखते ही,,, वह भी अपनी मां का साथ देती है तेरी मां के गुलाबी होठों को मुंह में भर कर चुसना शुरू कर दिया इस तरह के चुंबन को वह आज तक मूवी में ही देखता आया था खास करके हॉलीवुड की इसलिए उसे थोड़ा बहुत ज्ञान था वह अपनी मां की चूची को थामे अपनी मां के होंठों को चूस रहा था,,,,, उत्तेजना पूरी तरह से दोनों मां-बेटे पर सवार हो चुकी थी,,,,सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी हथेली खाता था उसकी मां की चुचियों पर बढ़ता जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेलियां चूची पर कश्ती जा रही थी वैसे वैसे संध्या के तन बदन में आग लग रही थी और सोनू को भी अपनी मां की चुचियों को कस के दबाने में मजा आ रहा था,,, सोनू अपनी मां की निप्पल सहित चुचियों को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था उत्तेजना के मारे संध्या की निप्पल चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,

जब यह चुंबन की श्रंखला टूटी तो संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और वह अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी सोनू भी अपनी मां को देख कर मुस्कुरा रहा था संध्या गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।


तुमसे पूछ रहा था ना कि मैं क्या चाहती हूं मैं भी यही चाहती हूं जो बगीचे में झाड़ियों के अंदर वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,,(संध्या एक झटके में गहरी सांस लेते हुए अपने मन की बात बोल गई और सोनू अपनी मां की यह बात सुनकर पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे अपनी खुशी समा नहीं रही थी,,,सोनू को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी बिल्कुल सच था सोनू तो इस बात के एहसास से ही पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था कि उसकी मां उससे चुदवाना चाहती है,,,। अपनी मां के पास सुनकर सोनू बोला,,,)


तुम सच कह रही हो मम्मी,,,?


बिल्कुल सच कह रही हूं,,,,,



लेकिन मुझे तो नहीं आता,,,,


क्या नहीं आता,,,,?(संध्या अपनी साड़ी को कमर से खोलते हुए बोली,,, सोना अपनी मां को साड़ी खोलता हुआ देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,)

ववव, वही जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,



अरे मेरे बुद्धु आ जाएगा,,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली सोनू को तो इस पल के लिए बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी जिंदगी में यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा,,, देखते ही देखते संध्या अपनी साड़ी को उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दी इस समय उसके बदन पर केवल पेटीकोट थी बाकी उसका पूरा बदन नंगा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां चमक रही थी उसका पूरा बदन चमक रहा था उसकी गहरी नाभि मैं सोनू का मन डूब जाने को कर रहा था,,,। संध्या अपने बेटे की हालत पर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अच्छी तरह से जानते थे कि उसका बेटा इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी है इसलिए उसके मन में अजीब अजीब से सवाल उठ रहे होंगे वह सभी सवालों का जवाब देते हुए संध्या बोली,,,)



अब तुझे मैं दुनिया की सबसे बेहतरीन और खूबसूरत चीज दिखाती हुं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बैठ कर लेट गई व पीठ के बल लेट गई थी सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या दिखाने की बात कर रही है,,, तकिया को अपने सिर के नीचे लगा कर अपनी टांग को अच्छी तरह से फैलाते हुए बोली,,, सोनू बिस्तर के किनारे पलंग के नीचे पैर लटकाए बैठा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है,,,,अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देख रहा था उसकी तनी हुई चुचियों को बड़े गौर से देख रहा था उसके पेट के बीच में गहरी नाभि को प्यासी नजरों से देख रहा था और कमर पर बंदी पेटिकोट की डोरीको बडी आस भरी नजरों से देख रहा था कि मानो जैसे पेटिकोट की डोरी खुद-ब-खुद खुल जाएगी अपने बेटे की आंखों में चमक देखकर उसकी उत्सुकता और भोलापन देखकर संध्या मन ही मन में खुश हो रही थी,,,, सुनो अपनी मां की तरफ देखकर आश्चर्य भरे स्वर में बोला,,,)

कौन सी बेशकीमती चीज दिखाना चाहती हो मम्मी,,,,

(अपने बेटे कैसे खोलें पन से भरे सवाल को सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,)


सबर कर लेकिन इसके लिए तुझे खुद ही देखना होगा,,,,
(सोनू को अपनी मां की बात समझ में आ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगे पल भर में सोनू का चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था लेकिन वह हीचकीची रहा था उसकी मां अपने बेटे की हीचकीचाहट को समझते हुए बड़े प्यार से बोली,,,,)


मेरी पेटीकोट की डोरी खोल,,,,

(अपनी मां की मादक स्वर को सुनते ही सोनू की नशे अकड़ने लगी उसे डर लगने लगा कि कहीं एक बार फिर से उसके लंड का पानी न छूट जाए क्योंकि यह बात कह कर तो उसकी मां ने अपनी बदन का पूरा खजाना उसके सामने परोस दी थी सोनू पलभर में ही कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा ने लगा अपने मन में बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ही सोचने लगा कि पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसे कैसा लगेगा जब उसकी मां की टांगों के बीच की पतली दरार कैसी नजर आएगी यह सब सोचकर वह पूरी तरह से दीवाना हुआ जा रहा था,,,, अपनी बेटी को इस तरह से आंखें फाड़े देखता हुआ पाकर संध्या बोली,,,)

क्या हुआ क्या सोच रहा है तेरा मन नहीं कर रहा है क्या,,,?


नहीं नहीं ऐसा नहीं है,,,(सोनू तपाक से बोला जैसे कि उसके हाथ से यह मौका वापस उसकी मां छीन ना ले,,,)


तो खोलना पेटीकोट की डोरी,,,।
(सोनू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आज वह अपनी मां का एक नया रूप देख रहा था सोनू पैसे में लगी नहीं रहा था कि जैसे बिस्तर पर उसकी आंखों के सामने अर्धनग्न अवस्था में लेटी हुई औरत उसकी मां है उसे ऐसा लग रहा था कि कोई और औरत है क्योंकि उसके बोलने का तरीका भी बदल चुका था,,, लेकिन जो भी हो सोनू को तो इसमें मजा ही मजा आ रहा था वह अपनी मां की जवानी लूट लेने के लिए बिल्कुल तैयार था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की पेटीकोट की डोरी खोलने लगा लेकिन पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसके हाथों की उंगलियां कांप रही थी,,, जिसमें उत्तेजना और डर दोनों बराबर मिला हुआ था,,, संध्या को उसकी कॉपी में उंगलियां देखा कर हंसी छूट रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर काबू किए हुए थी संध्या को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका बेटा कोई बम को डिफ्यूज करने के लिए अपने ऊंगलीयो को हरकत दे रहा हो और डर के मारे कांप रहा हो,,,,,,पेटिकोट की डोरी कैसे खोली जाती है यह भी सोनू को नहीं आता था लेकिन जिस तरह से मशक्कत करके उसने अपनी मां की ब्रा का हुक खोला था उसी तरह से अपनी मां की पेटीकोट की डोरी में भी उलझा हुआ था,, लेकिन जल्द ही उसने पेटिकोट की डोरी का एक सिरा पकड़कर उसे खींच दिया,,,,, जैसे ही पेटीकोट की डोरी खुली सोनू के दिल की धड़कन बढ़ गई और संध्या के भी तन बदन में कसमसाहट होने लगी,,,,,, संध्या के बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,। नाभि के नीचे वाला हिस्सा उत्तेजना के मारे थरथरा रहा था,,,।

पेटिकोट की डोरी खोल कर सोनू प्रश्नार्थक मुद्रा में अपनी मां की तरफ देखने लगा मानो कि पूछ रहा हो कि अब क्या करना है,,,, लेकिन अपने बेटे की आंखों में संध्या को उसके मन का सवाल साफ झलक रहा था इसलिए वह खुद ही बोली,,,।


अब इसे उतार ,,,,

(सोनू के लिए यह पल बेहद अद्भुत और बेहद नाजुक था इस तरह के वाक्ये उसने आज तक नहीं गुजरा था,,, उसके लिए यह जिंदगी में पहला मौका था जब वह किसी औरत की किसी और औरत की नहीं बल्कि अपनी ही मां की पेटीकोट को उतारने जा रहा था,,,,,,अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर पेटीकोट के दोनों छोर को अपनी उंगली में उलझा कर नीचे की तरफ खींचने लगा यह पल सोनू के लिए उत्तेजना से भरा हुआ था यह पल किसी भी मर्द के लिए बेहद अनमोल और उन्मादक होता ही है,,,जिंदगी में पहली बार कोई मर्द जब किसी औरत के कपड़े उतारता है कि उसके तन बदन में जो हलचल मची हुई होती है उसका बयान कर पाना शायद नामुमकिन है,,, वही हाल सोनु का भी थाक्योंकि सोनू जानता था कि पेटीकोट उतारने के बाद उसे उसकी मां की दोनों टांगों के बीच का अनमोल खजाना नजर आने लगेगा जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना किया करता था,,,,, संध्या के भी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जिंदगी में उसके कपड़े सिर्फ उसके पति नहीं उतारे थे और आज दूसरी बार उसके बेटे के हाथों यह शुभ काम होने वाला था जिसमें संध्या को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,सोनू पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगा लेकिन संध्या की भारी-भरकम गांड के भार के नीचे पेटीकोट नीचे की तरफ सरक नहीं पा रही थी,,,संध्या भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम कलाकार गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, अपनी मां सहकार और उसकी हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, किसी भी औरत का इस तरह से सहकर देना इस बात को साबित करता है कि वह पूरी तरह से उस मर्द को समर्पित हो चुकी है,,,,,,
उत्तेजना के मारे सुख के गले को अपने थूक से गीला करते हुए सोनू अपनी मां की पेटीकोट को तुरंत नीचे की तरफ खींचने लगा उसे लगा था कि पेटिकोट के नीचे आते ही,, उसे उसकी मां की बुर का संपूर्ण भूगोल अपनी आंखों से नजर आने लगेगा,,, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था पेटिकोट के अंदर उसके बारे में पेंटी पहनी हुई थी,,,, पेटिकोट के नीचे पेंटी को देखकर ,,, सोनू को निराशा नहीं बल्कि और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा,,, क्योंकि उसके मां के खूबसूरत गोरे बदन पर लाल रंग की पैंटी और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,, और इस बात की खुशी और भी थी कि उसे अपनी मां की पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पैंटी भी उतारनी पड़ेगी,,,,

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संध्या अपनी गांड ऊपर करके पेटिकोट उतारने अपने बेटे की बहुत ही अच्छी तरीके से मदद की थी,,,,सोनू जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर बिस्तर पर रख दिया था अब वह उसकी आंखों के सामने केवल पेंटी में थी और पेंटिं में संध्या बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे बिस्तर पर खुद कामदेवी लेटी हो,, अब आगे क्या करना है सोनू ने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं पूछा और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पेंटिं के दोनों छोर पर अपने हाथ रखकर पेंटी उतारने लगा,,,, पेंटी पर हाथ लगते ही संध्या कसमसाने लगी उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,पेंटी के आगे वाला भाग पूरी तरह से गिला हो चुका था जो कि संध्या की बुर से निकला मदन रास्ता और वह सोनू को बड़े अच्छे से नजर आ रहा था,,,

धड़कते दिल के साथ सोने अपनी मां की पेंटिंग करने लगा और जिस तरह से पेटीकोट उतारने में उसकी मां ने उसकी सहायता की थी उसी तरह से इस बार भी वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी और सोनू तुरंत अपनी मां की पेंटिं को घुटनो खींच लिया,,,,उसके बाद तो सोनू भूल ही गया क्या उसे क्या करना है क्योंकि उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे बेशकीमती और सबसे खूबसूरत चीज थी उसकी आंखों के सामने का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अपनी मां की बुर के दर्शन करेगा,,,,सोनू को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की सुर्खी गुलाबी पत्तियों के बीच से बदल रस की बूंदें टपक रही थी जो कि किसी बेशकीमती मोती की तरह लग रही थी सोनू पहली बार बुर को इतने करीब से देख रहा था,,,। इसलिए उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,,, पल भर में सांसों की गति कम तेज हो गई थी और होती भी क्यों नहीं संघ के बारे में वह कल्पना करके रात दिन अपना हाथ से हिलाया करता था आज उसे अपनी आंखों के सामने देख रहा था उसके भूगोल से परिचित हो रहा था संध्या पूरी तरह से उत्तेजित थी वह बड़ेगौर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और जिस तरह से उसका बेटा आंखें उसकी बुर को देख रहा था संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, संध्या कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा क्या वह अपने बेटे को अपनी बुर दिखाएगी,,,, जिस अंग को वह दुनिया से छुपाए रखी थी ढंककर रखती थी,, साड़ी के नीचे पेटीकोट के अंदर और पेंटी के पीछे लेकिन आज सब कुछ उजागर हो गया था,,,,संध्या की सांसो की गति पर तेजी से चल रही थी और सांसो के साथ-साथ उसके पानी भरे गुब्बारों की तरह दोनों चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी सोनू के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका सारा ध्यान संध्या की दोनों टांगों के बीच स्थिर हो चुकी थी,,,, संध्या की बुर भी बेहद अद्भुत थी,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी और उम्र के इस दौरान भी उसकी बुर क्या थी एक पतली दरार थी,,,, जो कि तवे पर रखी हुई गरम रोटी की तरह फूल गई थी,,,, उसमें से मदन रस ऐसे बह रहा था मानो रसमलाई से रस टपक रहा हो,,,,।

अपने बेटे की हालात का संध्या को दया आ रही थीउसे समझते देर नहीं लगी कितना हैंडसम और खूबसूरत होने के बावजूद भी उसका बेटा पहली बार किसी औरत की बुर को देख रहा है वरना अब तक वह अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई भी कर दिया होता,,,


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं है क्या,,,?


नहीं आज से पहले मैंने कभी नहीं देखा,,,,


कमरे में तेरी आंखों के सामने मेरी टावल नीचे गिर गई थी तब भी नहीं देखा था,,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे बदन का कौन सा अंग देखना है यह मुझे पता ही नहीं चला,,,
(संध्या को अपने बेटे की मासूमियत पर हंसी भी आ रही थी और दया भी आ रहा था,,,)


चल कोई बात नहीं आज तो देख लिया ना,,, कैसा लग रहा है तुझे,,?(संध्या खुद अपने ऊपर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का सवाल मां अपने बेटे से कैसे पूछ सकती है और किस तरह के सवाल पूछने की हिम्मत उसमें कैसे आ गई यह कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो कुछ भी वह पूछ रही थी उससे उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,)


बहुत खूबसूरत मैंने आज तक ऐसा नजारा कभी नहीं देखा,,,,,, क्या मम्मी मैं इसे छु सकता हूं,,,,,(सोनू एकदम से भोलेपन में यह सवाल पूछा तो संध्या मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


अरे बुद्धू तो जो भी सकता है और बहुत कुछ कर भी सकता है आज से यह तेरी है,,,


सच मम्मी,,,,(इतना कहने के साथ ही सुनो अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों को अपनी मां की बुर के उपर रख दिया,,,,, और जैसे ही संध्या को अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे की उंगली का स्पर्श हुआ तो उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सससहहहहहह,,,,,,,
(और अपनी मां के मुंह से निकली हुई है आवाज सुनकर सोनू एकदम से मदहोश हो गया और वह अपनी पूरी हथेली अपनी मां की बुर के ऊपर रखकर उस छोटी-सी लकीर को ढक दिया,,,, बुर एकदम गरम थी सोनू कक्कड़ के लिए लगाकर कैसे हो अपनी हथेली को अपनी मां की बुर के ऊपर नहीं बल्कि तपते हुए तवे पर रख दिया हो,,, सोनू को मजा आ रहा है एक अद्भुत सुख से पूरी तरह से भीगने लगा था सोनू अपनी हथेली को अपनी मां की ओर के ऊपर आगे पीछे करते हुए हौले हौले से रगड़ने और जैसे-जैसे वहअपनी मां की बुर को रगड़ रहा था वैसे वैसे संध्या की हालत खराब होती जा रही थी,,,।)

बहुत गर्म है मम्मी,,,,

यह इसी तरह से रहती है एकदम गर्म,,, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है,,,,,


तो मेरी पैंटी तो पूरी उतार दे घुटनों में फंसा कर रखा है,,,


(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि उसने अपनी मां की बुर देखने में पेंटिं उतारना भूल ही गया थाऔर अगले ही पल वहां अपनी मां की पेंटि को पूरी तरह से उसकी मन की चिकनी कमर से बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दिया अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,,, बहुत ही खूबसूरत ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बदन के हर एक अंग के कटाव को उभार को भगवान ने अपने हाथों से बनाया हो,,,, बिस्तर पर लेटी हूं संध्या किसी चित्रकार की चित्रकारी का बेहद अद्भुत उम्दा चित्र लग रही थी,,,, किसी मूर्तिकार के हाथों से बनाया हुआ शिल्प लग रही थी,,,, संध्या अपने आप में बेजोड़ थी बहुत ही खूबसूरत कामुकता से भरी हुई गठीला बदन की मालकीन गदराए जिस्म की मालकिन,,,, जिसे देखकर ही,, आह निकल जाए,,,,।



रात के 12:00 बज रहे थे और संध्या अपने बेटे के साथ अपने ही कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी और उसका बेटा बिस्तर पर बैठा हुआ था जो कि उसकी बेशकीमती रसीली बुर को अपनी आंखों से देख कर उसके मदन रस को अपनी आंखों से ही पी रहा था,,, सोनू की हथेलीअभी भी उसकी मां की बुर पर थी जिसमें से निकल रहा मदन रस उसकी हथेली को भीगो रहा था,,,,,,,

संध्या की हालत खराब हो रही थी सोनू काफी देर से उसकी बुर पर हथेली रखकर उसे हल्के हल्के रगड़ रहा था जिससे संध्या मदहोश होने जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, संध्या का मन अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए कर रहा था लेकिन इतनी जल्दबाजी दिखाना ठीक नहीं था,,,, इसलिए गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे से बोली,,,।



सोनू क्या तू चाहता है कि हम दोनों भी वही करें जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे जो मेडिकल पर वह लड़का कंडोम खरीद रहा था अपनी मां को चोदने के लिए,,,
(अपनी मां का इस तरह का सवाल सुनते ही सोनू की हालत एकदम से खराब हो गई क्योंकि सीधे-सीधे उसकी मां उसे चोदने के लिए आमंत्रित कर रही थी सोनू भला कब इनकार करता उसे तो इसी दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार था वह तो चाहता था अपनी मां को चोदना लेकिन इस तरह से इतना आसान होगावह कभी सपने में भी नहीं सोचा था इसलिए अपनी मां का इस तरह का आमंत्रण सुनते ही बोला,,,)


क्या ऐसा हो सकता है मम्मी,,,,?(यह सवाल पूछते हुए सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,)

क्यों नहीं हो सकता हो सकता है तु अपनी आंखों से देखा था ना एक बेटा कैसे अपनी मां की चुदाई करता है और एक बेटा कैसे कंडोम खरीदा था अपनी मां को चोदने के लिए तो ऐसा हो सकता है,,,,

लेकिन किसी को पता चल गया तो ,,,,,,

कैसे पता चलेगा,,,,


अगर पापा को पता चलेगा तो,,,,



किसी को कान्हा कान्हा पता तक नहीं चलेगा और मैं जानती हूं कि तू इतना बड़ा बेवकूफ तो है नहीं हम दोनों के बीच की बात किसी और को बताएगा,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनु ना में सिर हिलाया,,,)


तो बस फिर क्या जवानी का मजा ले देख कितना मजा आता है,,,,और हां इस खेल में कूदने से पहले अपने कपड़े तो उतार ले मेरा तो सब कुछ देख लिया मुझे भी तो दिखा कि तेरे पास कैसा हथियार है,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर सोनू एकदम से शर्मा गया क्योंकि अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारने में झिझक महसूस कर रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर उसे अच्छा लग रहा था क्योंकि उसकी मां उसके लंड को देखना चाहती थी,,,। सोनू कुछ देर तक उसी तरह बैठा रहा तो संध्या बोली,,,)

क्या हुआ शर्मा क्यों रहा है,,, अगर इसी तरह से शर्माएगा तो मेरे साथ आगे कैसे बढ़ेगा,,, अच्छा रूक में ही कुछ करती हुं,,,, तो बिस्तर पर अच्छे से घुटनों के बल खड़े हो जा,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही उसकी बात मानते हुए सोनू बिस्तर पर अच्छी तरह से बैठ गया और घुटनों के ऊपर खड़े हो गया लेकिन इस समय के पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था और संध्या की नजर उस के तंबू पर पड़ते ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,,आश्चर्य से अपने मुंह पर हाथ रखते हुए संध्या बोली,,,)

बाप रे पजामे के ऊपर से ही इतना खतरनाक लग रहा है,,,,, अब तो मेरी उत्सुकता और बढ़ गई है तेरे लंड को देखने के लिए,,,(संध्या एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी और अपनी मां के मुंह से एक लंड शब्द सुनते ही उत्तेजना के मारे सोनू एकदम से गनगना गया,, संध्या बिस्तर पर बैठकर घुटनों के बल हो गई थी और एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बेहद करीब पहुंच गई थी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर था उसकी अनुभवी आंखों ने पजामे के ऊपर से ही अंदाजा लगा लिया था कि पजामे के अंदर धमाल मचा देने वाला खतरनाक औजार है,,, संध्या का मन ललचा उठा,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड का दीदार कर लेना चाहती थी,,,। सोनू के पजामे में बने तंबू को देखकर ही संध्या की हालत खराब होने लगी,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के को देखने के लिए तड़पने लगी,,,इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर वह अपने बेटे के पजामे पर रखकर उसे एक झटके में नीचे घुटनों तो खींच दी,,, ओर पजामा के नीचे आते ही सोनू का बम पिलाट लंड हवा में लहराने लगा,,, संध्या की आंखें फटी की फटी रह गई,,, संध्या को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वाकई में उसके बेटे का लंड बेहद जानदार था एकदम तगड़ा मोटा लंबा,,, और उसका सुपाड़ा आलू बुखारे की तरह था,,, संध्या के दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर जल्द से जल्द महसूस करना चाहती थी,,, वह प्यासी नजरों से अपने बेटे के लंड को देख रही थी और सोनू अपनी मां को इस तरह से देखता हुआ पाकर अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, अपनी मां के मन में क्या चल रहा है यह जानने के लिए सोनू बोला,,,)


क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों देख रही हो,,,?


बाप रे इतना बड़ा मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,, तेरे पापा से भी तगड़ा है,,,(अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही अपने लंड की तुलना अपने बाप से होता हुआ देखकर सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा और उत्तेजना के मारे उसका लंड ऊपर नीचे होने लगा,,, मानो कि जैसे गहरी सांस ले रहा हो,,,)

क्या सच में,,,,


हारे में बिल्कुल सही कह रही हुं,,,, मेरा तो मन इसको पकड़ने को कर रहा है,,,(और इतना कहने के साथ ही संध्या अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भर ली,,,, अपने लंड को अपनी मां के हाथ में देखते ही सोनू एकदम से धधक उठा उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सहहहहहह,,,,,,, बाप रे,,,,
(संध्या को अब कुछ सूझ नहीं रहा था वह अपने बेटे के लंड से जी भर कर प्यार करना चाहती थी,,, उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगी हिलाते समय उसका लंड और ज्यादा जानदार लग रहा था,,,, संध्या अपने बेटे के लंड को आगे पीछे करके मुठिया रही थी,,,,मोटे तगड़े अपने बेटे के लंड को देखकर संध्या की आंखों में चमक जाग उठी थी,,, सोनू का लंड अपनी मां के हाथों में आते ही और ज्यादा कड़क हो गया,,,, सोनू अपने मन में ही सोच रहा था कि अगरउसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर चूसती तो और मजा आता,,,और जैसे कि उसके मन की बात उसकी मां ने सुन ली हो इस तरह से अपनी होंठों को अपने बेटे के लंड की तरफ आगे बढ़ाने लगी,,,जैसे-जैसे संध्या आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे सोनु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, सोनू का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था,,,,,
और देखते ही देखते सोनू को बिना समय दिया संध्या अपनी गुलाबी होठों को खोलकर अपने बेटे की लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, सोनू पर उसकी मां की तरफ से यह जबरदस्त शारीरिक हमला था जिसके लिए सोनू बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया उसकी सांस अटक गई,,,उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसकी मां एक झटके से उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरु कर देगी,,, क्योंकि आखिरकार वह कोई गैर औरत नहीं बल्कि उसकी मां थी,,,,,, सोनू अपने पिता को संभाल नहीं सका और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फोटो पड़ी,,,,।

सहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,,
(अपने बेटे के मुख से सिसकारी की आवाज सुनते ही संध्या ऊपर नजर करके अपने बेटे की तरफ देखने लगी जो की पूरी तरह से मस्त हो चुका था संध्या अब रुकने वाली बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके हाथों में उसका पसंदीदा खिलौना जो मिल गया था,,,। संध्या को इस बात का एहसास हो गया कि उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा उसके पति के लंड का सुपाड़ा उसके पति से काफी बड़ा है,,,,अपने बेटे के लंड को चुसते चुसते संध्या के मन में यह ख्याल भी आ रहा था कि इतना मोटा सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में घुस पाएगा कि नहीं,,,, वो बाद की बात थी,,, इस समय संध्या को बहुत मजा आ रहा था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसे अपने बेटे का लंड चूसना पड़ेगा,,,,,,,,

धीरे-धीरे करते हुए संध्या अपने बेटे के लंड को अपने गले तक उतार ले गई गले तक पहुंचते ही संध्या की बुर कलबुलाबुलाने लगी,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि जब गले तक उसका बेटे का नाम क्या मजा दे रहा है तो उसकी बुर की गहराइयों करेगा तो उसे कितना मजा देगा,,,,

और सोनू कभी सपने में भी नहीं सोचा कि उसे अपनी मां का यह रूप देखने को मिलेगा वह चाहे कैसी भी थी लेकिन बिस्तर पर इस तरह से खुली औरत होगी इस बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था,,, लेकिन सब कुछ भूल कर सोनू लंड चुसाई का मजा ले रहा था,,,।

Sandhya apne bete k lund ko make lekar chusti huyi

आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह अपनी टी-शर्ट को अपने हाथों से निकाल कर बिस्तर पर फेंक दिया था,,,, क्योंकि वह जानता था भले ही इस खेल में गया था लेकिन फिर भी इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि बिस्तर में औरत के साथ नंगे होकर ही मजा आता है,,,,सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी थी शर्म का पर्दा हट नहीं लगा था वैसे भी अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर संध्या खुद आगे से मर्यादा और रिश्ते नाते की दीवार को गिरा चुकी थी,,,सोनू को बिल्कुल भी हर्ज नहीं था उस दीवार को लांघ कर आगे बढ़ जाने में,,,,,,, इसलिए अपनी तरफ से खुले पन का एहसास दिलाते हुए मदहोशी के आलम में वह अपनी कमर आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया था,,,।चुदाई का बिल्कुल अनुभव और ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी वह जानता था कि चोदने के लिए कमर को आगे पीछे करना पड़ता है और ऐसा करने में सोनू को अद्भुत सुख का अनुभव हो रहा था,,, संध्या मदहोश हुए जा रहे थे उत्तेजित हुए जा रही थी,, उत्तेजित अवस्था में वह अपनी दोनों हथेलियों को अपने बेटे की गांड पर रखकर उसे जोर जोर से दबा रही थी सोनू को भी अपनी मां की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी,,,, कुछ देर तक अपने बेटे का लंडड चुसती रही,,,लेकिन अब वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी इसलिए वह,,,, अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी,,, उसकी सांस अटक रही थी तो कुछ देर तक अपनी सांसो को दुरुस्त करती रही अपने मन में ही सोचती रही किउसके पति से ज्यादा मजा उसके बेटे के लंड को चूसने में आ रहा था,,,,,,,

घुटनों में फंसे पजामे कोसंध्या अपने हाथों से नीचे करके उसके पैरों में से निकाल दी अब बिस्तर पर दोनों मां-बेटे एकदम नंगे थे ट्यूबलाइट की रोशनी में दोनों के बदन चमक रहे थे अपने बेटे के गठीले मजबूत शरीर को देखकर खास करके उसके मुसल जैसे लंड को देख कर संध्या के मुंह में पानी आ रहा था,,,, सोनू के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह सिर्फ अपनी मां के आदेश का पालन करना चाहता था और वह जानता था कि इसी में उसकी भलाई है,,,।


बाप रे तेरा लंड तो बहुत ताकतवर है,,,, आगे चलकर ना जाने कैसा गुल खिलाएगा,,,,


तुम्हें मजा आया मम्मी,,,,


पूछना कितना मजा आया कि मैं बता नहीं सकती जिंदगी में मुझे ऐसा मजा कभी नहीं मिला,,,,


अब क्या करना है,,,,।


करना क्या है तेरी मेरी मलाई चाटनी,,, जो कि तेरे लंड की वजह से कुछ ज्यादा ही निकल रही है,,,, मलाई चाटने का मतलब जानता है ना,,,,
(मलाई चाटने के मतलब को सोनू समझ नहीं पाया,, इसलिए ना में सिर हिला दिया उसके भोलेपन को देखकर उसकी मां मुस्कुराने लगी मुस्कुराते हुए बोली,,,)


अरे बुद्धू मलाई चाटने का मतलब होता है बुर चाटना,,,
(अपनी मां के मुंह से निकले शब्द सुनकर सोने की निरंतर बढ़ती ही जा रही थी क्योंकि आज तक उसने अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द कभी नहीं सुना था और ना तो किसी को जोर से बोलते हुए सुना था,,, इसलिए सोनू के लिए यह सब बिल्कुल नया और अद्भुत था,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

चाटेगा ना मेरी बुर को,,,
(आप औरत के द्वारा इस प्रस्ताव को कोई बेवकूफ ही होगा जो ईंकार कर पाएगा,,, लेकिन सोनू ना हा बोला था और ना ,,,,लेकिन संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे पसंदीदा चीज क्या होती है इसलिए वो जानती थी उसका बेटा कभी इंकार नहीं कर पाएगा,,,इसलिए वह अपने बेटे का जवाब मिले बिना ही बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई अपनी दोनों टांगों को फैला दी और अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर जोर से मसल कर अपने बेटे को दूसरे हाथ की उंगली से इशारा करके अपने पास बुलाने लगी,,, संध्या की यह हरकत बेहद कामुक और अपने आप में बेहद मादकता से भरी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पोर्न मूवी चल रही है और उसकी मां कोई पोर्न एक्ट्रेस हो,,,,सोनू अपनी मां की माता पिता भरी हरकत से अपने आप को रोक नहीं पाया और घुटनों के बल चलता हुआ उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच गया,,,
सोनू के लिए यह पहला मौका था जब वो किसी औरत की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना रहा था और वह भी खुद की अपनी मां के टांगों के बीच ,,,,यह पल उसके लिए बेहद यादगार साबित होने वाला था उसने कभी नजर भर कर किसी औरत की बुर नहीं देखा था ना उसे छुआ था ना मसला था ना उससे मिलने वाले सुख को कभी महसूस किया था लेकिन आज का दिन आज का ही है पर आज की रात उसके लिए बेहद अतुल्य थी,,,, अपनी मां की पनियाई बुर को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, उससे रहा नहीं जा रहा था और उसकी मां आज भरी नजरों से अपने बेटे को ही देख रही थी,,,, संध्या की कचोरी की तरह फुली हुई बुर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,,, बाल का एक रेशा तक नहीं था एकदम चिकनी बुर थी संध्या की,,, और सोनू ईस बात अच्छी तरह से जानता था कि आज ही उसकी मां ने वीट क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ की है,,,।

सोनू पूरी तरह से तैयार था एक नई दुनिया में कदम रखने के लिए,,,, वह अपने हौसलों को बुलंद कर रहा था क्योंकि यही एक पल थी जब वह अपनी मां पर पूरी तरह से छा जाना चाहता था,,, इसलिए सोनू अपने प्यासे होठों को अपनी मां की दहहती हुई बुर के करीब ले जाने लगा,,, संध्या का बदन कसमसाने लगा,,,, एक अद्भुत पल को वह जीने जा रही थी, एक नए,, एहसास की उत्सुकता उसके तन बदन में बढ़ती जा रही थी,,,

आखिर कार वह पल आ गया जब सोनू के प्यासे होंठ संध्या की बुर पर स्पर्श हो गए,,,, सोनू पागल हो गया पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके होंठ उसकी मां की बुर के बीचोबीच थे,,,, बुर चाटना सोनू को बिल्कुल भी नहीं आता था वह अपनी मां की बुर पर अपने होठों को रगड़ना शुरु कर दिया लेकिन इतने से भी सोनू की उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,


जीभ निकालकर बेटा,,,,,(संध्या मदहोश होते हुए बोली और सोनू अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी मां की बुर की पतली दरार में डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,, पहले तो सोनू को अपनी मां की बुर के मदन रस का स्वाद थोड़ा कसैला लगा लेकिन धीरे-धीरे वह कैसे रासवाल मीठे फल में बदलता चला गया खारे पन में बदलता चला रह रह कर बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद बदलता जा रहा था,,,,,,सोनू की हालत खराब होने लगी थी अब सोनु को सिखाने की जरूरत नहीं थी सोनू अच्छी तरह से समझ गया था कि अबक्या करना है,,,क्योंकि मोबाइल में पोर्न मूवी में वह सब कुछ देख चुका था बस उससे अवगत नहीं था,,,,
सोनू मारे उत्तेजना के तड़प रहा था और वह अपनी तड़प अपनी मां की बुर पर निकाल रहा थादेखते ही देखते सोनू जितना हो सकता था उसने अपनी जीभ को अपनी मां की बुर की गहराई में डालकर उसे चाट कर मजा ले रहा था,,, संध्या की हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतने अच्छे से उसकी बुर की चटाई करेगा,,,,


सहहहहह आहहहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,सोनू मेरे बेटे,,,,,, बस ऐसे ही,,,,,,, ऐसे ही,,,,, जोर जोर से चाट,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा है बेटा,,,,,,सीईईईईईईईई,,,,,
आहहहहह,,,,,
(सोनु अपनी मां की बातेऔर उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि वह अपनी मां को इस तरह से खुश कर पाएगा लेकिन उसकी गरम सिसकारी को सुनकर सोनू को विश्वास हो गया कि जो कुछ भी वो कर रहा है वह बिल्कुल सही है,,, इसलिए वह और मस्ती के साथ अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, बेहद मादकता से भरा हुआ,,, यह नजारा था मां अपने कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी होकर अपनी दोनों टांगें फैलाकर अपने बेटे को अपनी बुर चटवां रही थी,,,, सोनू से रहा नहीं जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की बुर के भूगोल से वाकिफ हो चुका हो,,,, इसलिए वह जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना चाहता था,,,, अपने बेटे की मस्ती भरी बुर चटाई की वजह से संध्या दो बार झड़ चुकी थी,,,,,अब वह भी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए मचल रही थी तड़प रही थी,,,,इसलिए वह मद भरी गहरी गहरी सांसे लेते हुए बोली,,,,,।


आहहहहहह,,,,, सोनू मेरे बेटे मेरी बुर में खुजली मची हुई है,,,, बिल्कुल भी देर मत कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, में तेरे लंड को अपनी बुर में लेना चाहती हुं,,,,ओहहहहह,,,सोनु,,,,,,,(ऐसा कहते हुए संध्या अपने बेटे के बालों में उंगली घुमाने लगी सोनू को और क्या चाहिए था वह अपनी मां के मुंह से यही सुनना चाहता था,,,, अपने होठों पर अपनी मां की बुर से हटाते हुए वह घुटनों के बल खड़ा हो गया,,,, संध्या की नजर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड पर पड़ी जो की छत की तरह मुंह उठाए खड़ा था तो उसे देखते ही संध्या के मुंह से आह निकल गई,,,,,)


अब तुझे मालूम है ना क्या करना है,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू हां में सिर हिला दिया और संध्या हंसते हुए बोली)

यह तो पता ही होगा,,,,, बस अब शुरू हो जा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,
(अपनी मां की तडप देखकर सोनू की भी तड़प बढ़ रही थीं,,, वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल देना चाहता था,,, इसलिए वह घुटनों के बल दो कदम और चलकर अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया,,,, अपने बेटे को अपने करीब आता देखकर संध्या अपनी दोनों टांगों को और ज्यादा फैला दी,,,,, सोनू की नजर अपनी मां की बुर से बिल्कुल भी नहीं हट रही थी,,,, वह एक हाथ से अपने लंड को हिला रहा था,,, उत्तेजना के मारे संध्या का गला सूख रहा था सोनू अपनी मां के बेहद करीब पहुंच कर और अपने दोनों हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे की तरफ लाकर उसे हल्के से अपनी तरफ खींचा,,, अब लंड और बुर दोनों आमने सामने थी तकरीबन दो अंगुल की दूरी थी दोनों के बीच सोनू ने अपने लैंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखते हुए वह दूरी भी मिटा दिया,,,,,, लेकिन सोनू के अपनी मां की बुलंद रखते ही संध्या की हालत एकदम से खराब हो गईपल भर गई संध्या को पुरानी यादें ताजा हो गई जब वह पहली बार शादी करके अपने ससुराल आई थी और संजय ने पहली बार अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रखा था ठीक उसी तरह का अनुभव वह इस समय महसूस कर रही थी,,, संध्या का मन एकदम से मचल उठा,,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन एकदम से कसमसाने लगा,,,,
सोनू का धैर्य जवाब दे रहा था,,,सोनू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मां की बुर की पतली दरार के बीचों बीच रखकर ऊपर नीचे करके अपने सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड़ रहा था इससे संध्या की हालत और ज्यादा खराब हो जा रही थी उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी पूछ रही थी और उत्तेजना के मारे वह अपना सर दाएं बाएं पटक रही थीऔर खुद भी कोशिश कर रही थी कि वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले ले इसलिए वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ हल्के हल्के हिलाते हुए उछाल रही थी,,,,

अपनी मां की तरफ देख कर सोनू को उसकी ऊतेजना का एहसास हो रहा था,,,, सोनू से भी रहा नहीं जा रहा था,,,अपनी मां के गुलाबी छेद का अंदाजा उसे अच्छी तरह से हो गया था इसलिए वह अपने सुपाड़े को उस गुलाबी छेद पर टिका कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला तो उसका लंड का सुपाड़ा धीरे से उसकी मां की बुर के अंदर सरकने लगा,,,,, इस पर सोनू को अपनी खुशी का ठिकाना ना था,,, वह अपनी कमर को और आगे की तरफ ठेलने लगा,,,,सोनू कैलेंडर का सुपाड़ा काफी मोटा था लेकिन फिर भी उसकी मां की अनुभवी बुर उसे अंदर लेने में सक्षम थी इसलिए अपने बेटे के लंड को अंदर की तरफ सरकता हुआ महसूस करके वह भी अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी काफी उत्तेजित भी,,,,,। वह अपने बेटे का हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,,।

आहहहहह,,,, आहहहहह,,,, बस ऐसे ही बेटा अंदर आने दे और जोर लगा बहुत मजा आ रहा है देखना थोड़ी देर में तेरा लंड मेरी बुर के अंदर होगा और तु मुझे चोद रहा होगा,,,


फिर क्या था अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ने लगा और वह अपनी मां की कमर थाम कर अपने लंड को और तेजी से अंदर की तरफ ठेलने लगा,, देखते ही देखते बुर की चिकनाहट पाकर सोनू का लंड पूरी तरह से संध्या की बुर में समा गया,,,,, सोनू को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका लंड उसकी मां की बुर की गहराई में पूरा का पूरा घुसश गया है,,,,वह बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था और बुर में घुसा हुआ उसका लंड को देख रहा था उसकी सासे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो वह भी उसी को देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, सोनू समझ गया था कि उसे क्या करना है,,,, वह कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था,,,और बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था जिसमें उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था,,,, सोनू को यह देख कर बहुत मजा आ रहा था,,, और संध्या को अपने बेटे के लंड बुर की गहराई में महसूस करके आनंद आ रहा था,,,,।

दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी बस दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे,,,, आंखों ही आंखों से बातें हो रही थी,,,,,,, सोनू का लंडउसकी मां की बुर की अंदर की दीवारों में रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था जिससे संध्या की उन्मआदकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, गहरी सांस लेते हुए गरमा गरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,,,


आहहहहहह,,सहहहहहहहह,,,,आहहहहहह,सीईईईईईईईई,,ऊई,,,,, मां,,,,,,ओहहहहहरहहह,,,,,,हाय मर गई रे बहुत मोटा है रे तेरा लेकिन बहुत मजा आ रहा है अब थोड़ा जोर से पेल,,,,,
(इतना सुनते ही सोनू अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया,,, अब सोनू का लंड बड़ी रफ्तार से बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,। अब बड़े अच्छे से सोनू अपनी मां को चोद रहा था,,,, उसके हर एक धक्के पर संध्या की आह निकल जा रही थी और जितनी जोर से धक्के लगा रहा था उसके बदन के साथ-साथ संध्या की बड़ी-बड़ी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छतिया पर इधर-उधर घूम रही थीं,,, जिसे देखकर सोनू का मन ललच रहा था उससे रहा नहीं गया और अब अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की दोनों चुचीयो को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मां की चुची को अपने हाथों से पकड़कर दबा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि चूची दबाने में इतना मजा आता होगा,,,,

kids in distress

संध्या अपने बेटे के मोटे लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,उसे आज अपने पति से भी ज्यादा अपने बेटे से चुदवाने मजा आ रहा है,,,,,, सोनू के धक्के पड़े तेजी से चल रहे थे,,,, और देखते ही देखते संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी वह तीसरी बार झड़ने के कगार पर थी,,, उसका बदन अकड़ रहा था और सोनू अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपना लंड पेल रहा था,,,,, संध्या गरम सिसकारी लेते हुए तीसरी बार भी झडने लगी,,,, संध्या चाहती थी कि यह चुदाई और देर तक चालू रहे लंबी चली लेकिन सोनू का यह पहली बार था इसलिए वह अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया संध्या के ऊपर ही ढेर हो गया,,,।
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