Sanju@
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अब लगता है की बाप बेटी और मां बेटे की चुदाई का खेल शुरु होने वाला है मजा आ जायेगाहंसता खेलता एक सुखी परिवार धीरे धीरे वासना के सागर में खींचता चला जा रहा था,,,। संजय सिंह अपनी दुनिया में मस्त था,,,,अपनी पोजीशन अपनी रुतबा का पूरा फायदा उठा कर वह किसी न किसी खूबसूरत यौैवन से अपनी प्यास बुझाता था,,, संध्या संस्कार और मर्यादा की दीवार में कैद होने के बावजूद भी अपने पति के सानिध्य में संभोग सुख का आनंद ले रही थी लेकिन कुछ दिनों से उसका नजरिया सोचने समझने का ढंग पूरी तरह से बदलता जा रहा था अब उसे अपने ही जवान बेटे की तरफल खिंचाव सा महसूस होने लगा था,,, और यही हाल संध्या के बेटे सोनू का था,,, अपनी मां के खूबसूरत बदन उसकी मदमस्त है महकती जवानी की खुशबू अपनी छातियों के अंदर महसूस करके उसका भी जवान दिन धड़कने लगा था और शगुन डॉक्टर की तैयारी करने के साथ-साथ जवानी की किताब के पन्ने भी पलटने शुरू कर दि थी,,, लेकिन उसकी किताब में उसके पापा के प्रति बढ़ती जा रही आकर्षण का अध्याय जुड़ता जा रहा था,,, और यह निरंतर बढ़ता ही जा रहा था,,,,
ऐसे ही 1 दिन संजय अपने बंगले में बने जीम के अंदर मेहनत करके अपने पसीने निकाल रहा था,,, जिम में कसरत करते हुए वह केवल छोटी सी शॉर्ट ही पहनता था,,, जिसमें उसका मर्दाना अंग बराबर काले नाग की तरह कुंडली मार कर बैठा हुआ नजर आता था,,, अगर वह खड़ा हो जाए तो शार्ट में इतना जबरदस्त तंबू बन जाता था कि मानो शादी विवाह के लिए शामियाना का तंबू तान दिया गया हो,,,, एक डॉक्टर होने के नाते संजय अपने शरीर का पूरा ख्याल रखता था,,, रोज एक डेढ़ घंटा वह अपने जिम में गुजारता था तभी तो उसका बदन एकदम कसरती हो चुका था,, तभी तो औरतों का आकर्षण उसकी तरफ कुछ ज्यादा ही रहता था यहां तक कि अब तो सब उनका भी आकर्षण अपने पापा की तरफ बढ़ने लगा था,,, संजय अपने दोनों हाथों में पाठ 5 किलो का वजन उठाकर बारी-बारी से उसी से कसरत कर रहा था जिससे उसके डोले शोले बेहतरीन नजर आ रहे थे एकदम फिल्मी हीरो के तरह,,, संध्या रोज एक गिलास संतरे का जूस संजय के लिए पहुंचाया करती थी लेकिन उस दिन देर हो जाने की वजह से शगुन को संतरे का जूस ले जाना पड़ा,,, शगुन भी हल्की फुल्की कसरत और योगा करती थी जिसकी वजह से वह भी अपने बदन पर एक पजामी और ढीली टी-शर्ट डाल रखी थी पजामी ऐसी थी उसके नितंबों का घेरा और गांड की फांकों के बीच की गहरी दरार साफ नजर आती थी,,,, शगुन एक ट्रे में संतरे के जूस का गिलास लेकर अपने पापा के रूम में गई जहां पर वह कसरत कर रहा था दरवाजा खुला हुआ था,,,, दरवाजे पर पहुंचते ही सब उनकी नजर जैसे ही अपने पापा पर पड़ी जोकि पाच पाच किलो का वजन बारी-बारी से उठा रहा था उसे देखते ही एकदम से दंग रह गई संजय उस समय शॉर्ट में था,,, उसका कसरती बदन देखते ही सगुन के दिल में कुछ कुछ होने लगा,,, शगुन की हालत अजीब सी होती जा रही थी अजीब सी कशमकश उसके तन बदन को अपनी आगोश में लिए जा रहा था वह नहीं चाहती थी कि वह अपने पापा को इस नजरिए से देखें लेकिन ना चाहते हुए भी जब भी उसके पापा उसकी आंखों के सामने आते थे तब उसको देखने का नजरिया एकदम से बदल जाता था अपनी पापा में उसे अपने सपनों का राजकुमार नजर आने लगा था खास करके उस रात से जब वह अपनी आंखों से अपने पापा के लंबे मोटे और लंबे लंड को अपनी मां की बुर में अंदर-बाहर होता हुआ देखी थी,,,, अपनी मां को अपने पापा के लंड से चुदवाती हुए और मस्ती भरी आए हैं लेते हुए देखकर शगुन के तन बदन में जो हलचल हुई थी उस हलचल के चलते उसके सोचने समझने का और देखने का नजरिया दोनों बदल चुका था,,,। इत्तेफाक से जिस समय शगुन दरवाजे पर पहुंची थी उसी समय कसरत करते हुए संजय के ख्यालों में एक बार फिर से सरिता का खूबसूरत है गदराया बदन घूमने लगा था,,,, और संजय की आंखों के सामने वही दृश्य नजर आने लगा था जब वह सरिता की गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर अपना लंबा लंबा लंड उसकी बुर में पेल रहा था,,, और अत्यधिक कामोत्तेजना और मादकता से भरपूर ऊस दृश्य का ख्याल मन में आते ही शार्ट के अंदर कुंडली मारकर सोया हुआ सांप जागने लगा,,, संजय खिड़की की तरफ मुंह करके पांच 5 किलो का वजन उठा रहा था और शगुन जहां पर खड़ी थी वहां से संजय का बदन साइड से नजर आ रहा था,,,, और पूरी तरह से जवान हो चुकी शगुन की नजर औपचारिक रूप से अपने पापा के शार्ट के ऊपर थी जो की साइड से नजर आ रही थी लेकिन संजय के ख्यालों में सरिता का ध्यान आते ही उसकी शार्ट में शांत हुआ उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा जैसे-जैसे उसका लंड खड़ा हो रहा था वैसे वैसे उसका शॉट आगे की तरफ से बढ़ता चला जा रहा था अब तक तो सब कुछ ठीक था सिर्फ शगुन आकर्षण बस दरवाजे पर खड़ी थी और वह भी हाथ में संतरे का जूस दिए लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपने पापा के बढ़ते हुए शोर्ट पर पड़ी वह हैरान रह गई,,, उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी हालत खराब होने लगी एक खूबसूरत जवान लड़की होने के नाते उसे इतना तो समझ में आ रहा था कि उसके पापा का शाोर्ट आगे से क्यों बढ़ता जा रहा है,,,। शगुन की आंखों के सामने उसके पापा के छोटे से शोर्ट में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था और देखते ही देखते तंबू की शक्ल ले चुका था,,, शकुन तो एकदम हैरान थी दरवाजे पर खड़ी होकर वह एक-एक पल के बेहतरीन कामोत्तेजना से भरपूर नजारे को अपनी आंखों से देखती रही थी और उसे मन की आंखों में कैद भी कर रही थी,,,, शगुन अपने पापा के शॉर्ट मे बनी तंबू को देखकर अंदाजा लगा रही थी कि उसके पापा का लंड तकरीबन 1 फीट का था,,,और अपने पापा के लंबे तगड़े मोटे लंड की कल्पना करते हुए अपने मन में यह सोच रही थी कि अगर उसके पापा चाहे तो खिड़की की जाली पर खड़े होकर भी किसी भी औरत की चुदाई आराम से कर सकती है बस उन्हें खिड़की की जाली से अपने लंड को कमरे के अंदर उतारना है और उसके बाद कोई भी औरत अपनी बुर में उसके पापा के लंड से चुदाई का अद्भुत सुख प्राप्त कर सकती हैं,,,, यह उसकी कल्पना मात्र थी उसकी सोच थी हालांकि अभी तक उसने संभोग सुख से वाकिफ नहीं हो पाई थी बस जिंदगी में पहली बार खिड़की से अपने मम्मी पापा के चुदाई के खेल को देखी भर थी,,, इससे ज्यादा ज्ञान उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,संजय अपनी मस्ती में सविता के ख्यालों में खोया हुआ पांच 5 किलो का वजन उठाते हुए उत्तेजित हुआ जा रहा था उसकी छोटी सी चड्डी में पूरी तरह से तंबू बन चुका था,,,, और वह केवल चड्डी में होने के नाते उसका कसरती बदन पूरी तरह से शगुन की आंखों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ था,,,,अपने पापा की छोटी सी चड्डी में बने तंबू को देखकर शगुन की दोनों टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गया था उसे अपनी पेंटिं गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,, उसका संपूर्ण वजूद कांप रहा था,,,एक पल को तो ऐसा लगा कि जैसे उसके हाथों से जूस की ट्रे छूट कर नीचे गिर जाएगी लेकिन वह बड़ी मजबूती से ट्रे कों पकड़ी हुई थी,,,।
तभी कसरत करते हुए संजय सिंह को यह एहसास हुआ कि दरवाजे पर कोई खड़ा है इसलिए उसकी नजर दरवाजे पर गई तो दरवाजे पर शगुन को देखकर एकदम से हड़बड़ा गया,,,क्योंकि वह जानता था कि इस समय जूस लेकर उसकी पत्नी संध्या कमरे में आती थी इसलिए वह निश्चिंत होकर छोटी सी चड्डी पहन कर कसरत किया करता था लेकिन अपनी बेटी को दरवाजे पर खड़ा देखकर वह एकदम से हडबडाते हुए बोला,,,,
ओहहहह,,, शगुन तुम,,,,, मम्मी कहां है तुम्हारी,,,, ?
( संजय की बातों मैं शगुन का बिल्कुल भी ध्यान नहीं था संजय उसकी तरफ घूम गया था और इस समय शगुन का सारा ध्यानसंजय की छोटी सी चट्टी में बने तंबू पर ही था जब इस बात का एहसास संजय सिंह को हुआ तो वह एकदम से घबरा कर अपनी टांगों के बीच की तरफ देखा और जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी शोर्ट में पूरी तरह से तंबू तना हुआ है तो वह एकदम शर्मिंदा होकर दूसरी तरफ घूम गया ,,,,,, और हकलाते हुए बोला,,,)
शशश,,,, शगुन तुम जूस लेकर क्यो आई अपनी मम्मी को भेज दी होती,,,,
( इस बार अपने पापा की आवाज सुनकर शगुन की तंद्रा भंग हुई तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और वह एकदम शर्मिंदा होकर,,, हडबडाते हुए लगभग हकलाते हुए बोली,,,)
वववव,,वो,,,ममममम,,मैं,,,, वह क्या है ना मम्मी किचन में परेशान थी इसलिए मुझे भेज दी,,,,(शगुन शर्म के मारे इधर-उधर नजरें घुमाते हुए बोली,,,)
ठठ,, ठीक है शगुन तुम,,,, वही टेबल पर जूस का गिलास रख दो,,,,(संजय बार-बार पीछे नजर घुमाकर अपनी बेटी की तरफ देखते हुए बोला,,,,,,, शगुन की हालत खराब थी वह कांपते हुए पैरों को आगे बढ़ा कर कमरे में दाखिल हुई है और पास में पड़ी टेबल पर जूस का गिलास रखने लगी संजय एकदम घबराया हुआ था अनुभव से भरा हुआ संजय अपनी बेटी की आंखों में आई चमक जोकि उसके तंबू को देख कर आई थी इतना तो समझ गया था कि उसकी बेटी शगुन क्या देख रही थी,,,, वह पीछे नजर घुमाकर शगुन की तरफ देखने लगा जो कि वह टेबल पर बड़े आराम से जूस की ट्रे रख रही थी संजय की नजर सीधे अपनी बेटी के गोलाकार नितंबों पर पड़ी जोकि पजामी पहनने की वजह से पजामी के ऊपर से भी उसकी गोलाकार सुडोल गांड की फांक जोकि काफी गहरी नजर आ रही थी वह बड़े साफ तौर पर नजर आ रही थी,,, ना जाने कैसा सुरूर ना जाने कैसी खुमारी संजय पर छा गई कि वह एक पल के लिए अपनी बड़ी बेटी की मदमस्त गांड को पजामी के ऊपर से ही निहारने लगा,,,, उसे अपनी बेटी की गांड में अजीब सा अद्भुत सा आकर्षण नजर आने लगा जो कि निर्वस्त्र ना होने के बावजूद भी पजामी के ऊपर से बेहतरीन तरीके से एक एक कटाव उभरा हुआ नजर आ रहा था,,,,। ना चाहते हुए भी अपनी बेटी की गांड को देखकर संजय सिंह के लंड का तनाव बढ़ गया,,,, सरीता के मदमस्त जवानी से भरपूर बदन की खुमारी उसके ऊपर पहले से ही छाई थी और उसी खुमारी के नतीजन संजय अपनी बेटी की गांड को प्यासी आंखों से देखने लगा,,,, वैसे भी शर्म के मारे शगुन का संपूर्ण बदन कसमसा रहा था जिसकी वजह से ट्रे मै से जुस का ग्लास रखते हुए उसके नितंबों में अद्भुत तरह की थिरकन हो रही थी,,, जिसे देखकर संजय एकदम मस्त हुआ जा रहा था कुछ पल के लिए वह भूल गया कि जिसकी मदमस्त गांड को देखकर उसकी आंखें चमक रही है वह किसी गैर लड़की की नहीं बल्कि उसकी खुद की बड़ी लड़की की गांड थी,,,,, संजय के लंड का तनाव बढ़ता जा रहा था,,संजय को इस तरह का अद्भुत एहसास करा देने वाला तनाव काफी बरसों के बाद अपने लंड मे महसूस हो रहा था,,,उस तनाव को महसूस करके संजय को लगने लगा था कि जैसे उसके जवानी के दिन वापस आ गए हो,,,, वह अभी भी नजरों को पीछे घुमा कर अपनी बेटी के मदमस्त यौवन को अपनी आंखों से पी रहा था,,,,, तभी शगुन जूस का गिलास रखकर ट्रै कों हाथ में लिए एक बार फिर से अपने पापा की तरफ नजर घुमा कर देखी तो उसके होश उड़ गए यह देखकर कि उसके पापा झुकी होने की वजह से उसकी गांड की तरफ देख रहे थे शगुन पहले अपने पापा को और तुरंत अपनी नजरों को अपनी गांड की तरफ घुमा कर देखने लगी यह अद्भुत नजारा था संजय की आंखों में यह नजारा पूरी तरह से कैद हो चुका था अपने बेटी की नजाकत उसे ना चाहते हुए भी अद्भुत एहसास करा गई थी,,, पहले अपने पापा को देखना और फिर अपनी नजर को अपनी गांड की तरफ दौड़ाने का साफ मतलब था की सगुन अपने पापा की प्यासी नजरों की दिशा और सीधान दोनों को भाप गई थी,,,, सगुन के लिए भी यह पल शर्म से पानी पानी कर देने वाला था,,, एक अजीब सी लहर उसके तन बदन को झकझोर के रख दी,,,, पल भर के लिए शगुन एकदम से उत्तेजना में सराबोर होकर गनगना गई,,,, अपने आप को संभाल कर वह झट से कमरे से बाहर निकल गई,,,,।
संजय अपनी बेटी को रूम से बाहर जाता हुआ देख रहा था खास करके उसकी निगाह उसकी कमर के नीचे नितंबों के घेराव पर टिकी हुई थी जो कि जाते समय उसके नितंब अजीब सी थिरकन हुए मटक रहे थे,, संजय पूरी तरह से उत्तेजना से लिप्त हो चुका था उसका हाथ कब अपनी छोटी सी चड्डी के ऊपर अपने लंड पर आ गया उसे पता तक नहीं चला,,,उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी ना चाहते हुए भी अपने आप को संभाल पाने में असमर्थ साबित हो रहा था,,,, वह टेबल के पास आकर जूस का गिलास उठाया और एक झटके में गटक गया,,,नारंगी के जूस को पीकर भी उसका दिमाग शांत नहीं हुआ बल्कि और ज्यादा गर्म होने लगा क्योंकि उसके दिमाग को शांत करने की ताकत नारंगी के जूस में नहीं बल्कि शगुन की छातियों की शोभा बढ़ा रहे दोनों अमरुद में थे,,, इस समय संजय सही गलत सब कुछ भूल चुका था एक माना जाना डॉक्टर होने के बावजूद भी वह वासना की पतली भेद रेखा को समझ पाने में असमर्थ हो रहा था,,,, इस समय उसकी गर्मी बुर का पानी ही शांत कर सकती थी,,, जो कि इस समय संभव नहीं था कि वह अपनी बीवी- की चुदाई कर सकें,,, इसलिए वह तुरंत अपनी कमरे में क्या और कमरे में चाहते ही कमरे में बनी बाथरूम में घुसकर बाथरूम का दरवाजा बंद कर लिया और अपनी छोटी सी चड्डी को भी निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,,, वह आदम कद आईने में अपने आप को देख रहा था,,, आईने में उसका संपूर्ण नंगा बदन दिखाई दे रहा था साथ ही उसका खड़ा लंड,,, जोकि इस समय पूरी अपनी औकात में आ चुका था एकदम टाइट मानो की हाड़ मांस का बना हुआ लंड नहीं बल्कि लोहे की छड़ हो,,,,।
दूसरी तरफ शगुन की हालत खराब थी उसे इस बात का अहसास होते ही कि उसके पापा प्यासी नजरों से उसकी गांड को देख रहे थे इस बात का एहसास उसे पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, भाभी अपने कमरे में बने बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई,,, अपनी कोरी बेदाग जवानी को देख कर उसे अपने खूबसूरत बदन पर गर्व होने लगा,,,, शगुन एकदम उत्तेजित हो चुकी थी बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके पापा के छोटी सी चड्डी में खड़े होते हुए लंड वाला दृश्य नजर आराम उससे गरमा गरम कृषि को याद करके अपनी दोनों टांगों को फैला कर आईने के सामने ही अपनी गुलाबी बुर को अपनी हथेली से मसलने लगी,,,,सससहहहहह,आहहहहहहहह,,,पल भर में ही उसकी आंखें बंद हो गई और उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फुटने लगी,,,,
दूसरी तरफ संजय ना चाहते हुए भी अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाने लगा उसके जेहन में शगुन का ही ख्याल आ रहा था और ना जाने क्यों इस समय अपने बेटी का ख्याल करके उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी वह बिल्कुल भी नहीं चाह रहा था कि वह अपनी बेटी की कल्पना करके मुठ मारे लेकिन एक अद्भुत अलौकिक एहसास उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ा रहा था,,, अपनी बेटी के ख्यालों में खोते हुए,,,उसे अद्भुत शुक्ला के साथ सो रहा था ना चाहते हुए भी अपनी बेटी को याद करके अपने लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दिया,,,,
आहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहह,,,,ओहहहहहह,,,,
गरम सिसकारी लेते हुए संजय सिंह के कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ रहा था संजय की कल्पना अद्भुत और बेहद साफ नजर आ रही थी संजय अपनी आंखों को बंद करके पूरी तरह से अपनी कल्पनाओं की दुनिया में खो गया था,, उसे वह पल याद आ रहा था जब उसकी बेटी झुककर ट्रे में से जुश का ग्लास टेबल पर रख रही थी और जो कि होने की वजह से उसकी गांड मस्त नजर आ रही थी उसी समय संजय आगे बढ़ा और अपनी बेटी की पजामी को दोनों हाथों से पकड़कर नीचे घुटनों तक एक झटके में कर दिया,,, उसकी नंगी नंगी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर फैलाता हुआअपने खड़े लंड को उसकी बुर में डालकर उसे चोदना शुरु कर दिया इस तरह की कल्पना करत हुए बहुत ही जल्द,,, वह अपने लंड की पिचकारी बाथरूम की टाइल्स पर मारने लगा उसे अद्भुत सुख का अहसास हुआ था इस तरह का सुख उसे कभी भी मुठिया मारने में नहीं आया था,,,
दूसरी तरफ शगुन किसी भी तरह से संभोग सुख का अहसास और सुख नहीं पहुंच पाई थी उसे इस तरह का मौका ही प्राप्त नहीं हुआ था लेकिन फिर भी कल्पना करते हुए वहां अपनी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को जोर जोर से मसल रही थी,,, उसकी कल्पनाओं का राजकुमार उसके पापा,,, उसकी कल्पनाओं को और ज्यादा रंगीन कर रहे थे,,,, उसकी कल्पना भी बेहद अद्भुत थी वह इस तरह की कल्पना कर रही थी कि उसके पापा उसे बिस्तर पर लिटा कर उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपनी मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को उसकी बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दिए थे और वह जोर-जोर से अपनी बुर को मसल रही थी,,, पानी छोड़ने में ऊसे ज्यादा वक्त नहीं लगा,,, और देखते ही देखते हो आप ही अपने हाथों से ही चरम सुख को प्राप्त कर ली,,,।
बहुत ही गरमागरम और कामुक उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया