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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Suryasexa

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सोनू बाथरूम में मुतने नहीं गया था बल्कि अपने लंड के हालात का जायजा लेने गया था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की मद मस्त जवानी की गर्मी से उसका लंड पूरी तरह से बेहाल हो चुका था इसीलिए तो लावा उगल दिया था,,,, सोनू अभी इस खेल में कच्चा खिलाड़ी था इसलिए अपने आप को संभाल नहीं पाया था और वक्त से पहले ही बिना कुछ किए ही ढेर हो गया था लेकिन अपने इस हार से ही उसे सीखना था अपने आप को मजबूत बनाना ताकि वह,, जवानी की आंधी में अपने आप को संभाल सके,,,।
बाथरूम में घुसते ही सोनू ने तुरंत अपने पजामे को नीचे कर दिया उसका लंड पूरी तरह से झड़ चुका था लेकिन अभी भी उसमें से कुछ बूंदे नीचे टपक रही थी अपने लंड की हालत को देखकर सोनू को भी ताज्जुब हो रहा था क्योंकि झड़ जाने के बावजूद भी उसका लंड पूरी तरह से लोहे के रोड की टनटनाया हुआ था,,,,,,, सोनू अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए दो तीन बार झटका देकर उस में फंसी दो चार बूंदों को और बाहर निकाल दिया,,, भले ही अपने आप निकल गया था लेकिन सोनू को मजा बहुत आया था सोने को बाकी के अंदर वह कल याद आ रहा था जब वह अपनी उंगली को उसकी मां की साड़ी के अंदर सरका कर पर उसकी पेंटी के नीचे उंगली डालकर उसकी गांड की दरार को सहला रहा था,,,सोनु अपने मन में यही सोच रहा था कि जब इतने से ही इतना मजा आता है तो जब चुदाई करेगा तो कितना मजा आएगा,,, यह एहसास ही सोनू के लिए काफी था,,,,,


बाहर बिस्तर पर लेटी हुई संध्या अपने बेटे के सवाल पर पूरी तरह से सोच में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस सवाल का जवाब क्या दें अपने मन में यह सोच रही थी कि यह सवाल पूछ कर कहीं उसका बेटा उसके मन में क्या चल रहा है यह तो नहीं जानना चाहता,,,,,,संध्या अपने मन में सोच रही थी कि जो भी हुआ जो अपने बेटे के साथ संबंध बनाकर रहेगी,,, यह बात होगी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा भी यही चाहता है क्योंकि कुछ दिनों से जो कुछ भी बदला उसमें हो रहा था उसी से साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा उसके प्रति पूरी तरह से आकर्षित होता जा रहा है,,,वह जो अपनी बेटी को लेकर कल्पना करती है वही कल्पना उसका बेटा भी करता है,,, तभी तो इस समय की मालिश करने के बहाने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया,,था,,,। यह ख्याल आते ही संध्या के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,,,, वह बिस्तर पर बैठ गई थी और बाकी के दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठी थी उसकी नंगी छातीया बवाल मचाने को तैयार थी,,,,, वो दरवाजा खुलने का इंतजार कर रही थी आज की रात वह अपने बेटे के ऊपर पूरी तरह से छा जाना चाहती थी अपनी जवानी का नशा अपने बेटे को चखा कर उसे अपने हुस्न का गुलाम बना लेना चाहती थी,,,। सोनु जैसे ही दरवाजा खोला संध्या पूरी तरह से तैयार बैठी थी वह एक बार फिर से अपनी छलकती जवानी के दर्शन अपने बेटे को कराना चाहती थी उसका मन तो अपना अंग का हर एक कोना अपने बेटे के सामने परोसने का मन कर रहा था,,, लेकिन थोड़ी हिचक उसमें अभी बाकी थी,,,। संध्या जानबूझकर अपने साड़ी के पदों को कंधे पर लेकर अपनी दोनों दशहरी आम को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी और जैसे ही दरवाजा खुला सोनू की नजर वैसे ही बिस्तर पर बैठी अपनी मां पर पड़ी,,, एक बार फिर से उसकी दोनों छलकती जवानी को देखकर उसके होश उड़ गए,,,,, उसे अंदाजा नहीं था कि बाथरूम से बाहर निकलते ही उसे इस तरह का लुभावना द्रशय देखने को मिलेगा,,,, लेकिन इस बार भी पल भर के लिए ही था,,,संध्या यह बात जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों पर नजर मार चुका है इसलिए अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर पलंग पर से उठते हुए बोली,,,।


मुझे भी बड़े जोरों की लगी है रुक में आती हूं,,,,(इतना कहकर वह बिस्तर से खड़ी होगी और बाथरूम की तरफ कदम आगे बढ़ा दी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे पर पड़ी तो,,, संध्या की दोनों टांगों के बीच कुलबुलाहट बढ़ने लगी,,,। झड़ जाने के बाद भी सोनू का लंड उसी तरह से खड़ा था,,,,संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं है कि उसका बेटा उसकी मालिश करते करते झड़ गया है,,, वह अपनी चुचियों को साड़ी से ढककर बाथरूम में जाने लगी,,, लेकिन संध्या की सूचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा था जिसकी वजह से सारी मैं छुपाने से भी नहीं छुप रहा था और सोनू को इन हालात में अपनी मां की चूचियां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, थोड़ी देर में संध्या बाथरूम में घुस गई और सोनू बिस्तर पर आकर बैठ गया लेकिन दरवाजा बंद होने का आवाज उसे बिल्कुल भी नहीं आया,,, संध्या ने दरवाजा बंद नहीं की थी ,,,, उसे वास्तव में जोरो की पेशाब लगी हुई थी,,, बाथरूम में जाते ही वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी उसकी नजर अपनी पेंटी पर पड़ी तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी अपनी गीली पेंटिं को देखकर वो मुस्कुराने लगी,,, आज जरूरत से ज्यादा उसकी बुर ने पानी बहाया था,,, अपनी पेंटी को जांघों तक सर का कर ,, वह अपनी चिकनी बुर का जायजा लेने लगी,,, उत्तेजना के मारे उसकी बुर कचोरी की तरफ फूल गई थी जिसे देखकर उसकी आंखों में भी चमक आने लगी थी,,, वह नीचे बैठ गई और मुतने लगी,,,, उसकी बुर से कुछ ज्यादा ही प्रेशर से पेशाब बाहर निकल रही थी पर्स की गुलाबी पुर की गुलाब की पत्तियों के बीच में से सुमधुर सीटी की आवाज निकलना शुरू हो गई जो कि तुरंत सोनू के कानों तक पहुंच गई सोनू एकदम से मदहोश हो गया वह मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी मां पैशाब कर रही होगी,,,, इस समय का माहौल सोनू के लिए बिल्कुल भी बर्दाश्त के बाहर झड़ने के बावजूद भी उसके लंड की नसें अकड़ रही थी,,,, लगातार आ रही सीटी की आवाज से सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका है संध्या को भी इस बात का आभास था कि उसकी पुर से निकल रही तेज सीटी की आवाज उसके बेटे के कानों तक पहुंच रही होगी और वह ऐसा चाहती भी थी वह तुझे भी चाह रही थी कि उसका बेटा चोरी से उसे पेशाब करता हुआ देखे उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखें और मस्त होकर उस की चुदाई करें लेकिन सोनू वहीं बैठा रहा,,,,

थोड़ी ही देर में संध्या पेशाब करके बाथरूम से बाहर आ गई,,,, वह अपने बेटे को देखकर मुस्कुरा रही थी,,, और जैसे ही पलंग पर बैठने के लिए वो थोड़ा नीचे जो कि उसका साड़ी का पल्लू कंधे पर सिर नीचे गिर गया और उसके दशहरी आम हवा में झुलने लगे,,,,,,, सोनू की आंखों के सामने उसकी मां की दोनों चूची हवा में लहरा रही थी पपैया की तरह उसका शेप हो चुका था,,, सोनू की तो हालत खराब हो गई संध्या जानबूझकर नहीं बल्कि अपने आप ही साड़ी कंधे से नीचे गिर जाने की वजह से और ज्यादा खुश नजर आ रही थी,,,, उसे लग रहा था कि जैसे पूरा वातावरण उस के पक्ष में हो,,,सोनू के ठीक आपके सामने उसकी मां की चूचियां पके हुए आम की तरह लटक रही थी,,, सोनू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था यह अनजाने में हुआ था इसलिए सैलरी आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और सोनू अपनी मां की तरफ,,,, दोनों की नजरें आपस में टकराई दोनों के बीच आकर्षण का पुल बंधता चला जा रहा था,,,,,,,

सोनू के लिए यह पल बेहद कामुकता से भरा हुआ था माता-पिता से भरी उसकी मां की चूचियां उसकी आंखों के सामने किलकारी कर रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे संध्या की चूचियां इशारा करके उसे अपने पास बुला रही हो,,, उसकी दोनों चूचियां हवा में ऐसे झूल रही थी जैसे पेड़ से झूला बांध दिया गया हो,,,सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छोरियों को पकड़ना चाहता था उन्हें स्पर्श करना चाहता था वह कठोर है या नरम यह महसूस करना चाहता था,,,,, कुछ पल तक ऐसा ही चलता रहा संध्या अपने दोनों चुचियों को छुपाने की बिल्कुल की कोशिश नहीं कर रही थी,,, उसकी आंखों में अपनी बेटी के लिए आमंत्रण था,,,, जैसे कि वह अपने बेटे को अपनी चुचियों को पकड़ने का निर्देश दे रही हो आज्ञा दे रही हो,,, यह सब कुछ आंखों ही आंखों में हो रहा था,,,, संध्या की साड़ी का आंचल कंधे से सरक कर नीचे जमीन पर गिर चुकी थी,,,, सोनू कोई समय कुछ नजर नहीं आ रहा था शिवाय उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो के और उसके खूबसूरत चेहरे के,,,,,,,

संध्या जानबूझकर कुछ पल तक इसी तरह से झुकी रही शायद उसे इस बात का अंदाजा था कि उसका बेटा अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को थामेगा पकड़ेगा मसलेगा,,,, और ऐसा ही हुआ सोनू अपनी मां की खूबसूरत चुचियों को देखकर अपने आपे से बाहर हो गया उत्तेजना उसके सर पर सवार हो गई और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर बेझिझक अपनी मां की चूचियों को थाम लिया,,,, और अपनी मां की आंखों में झांकने लगा,,, सोनू अपनी मां की चूचियों को बस अपनी हथेली में भरकर हल्के से तराजू की तरह उठाया ही था उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था मानो के जैसे इसे आगे कुछ करने के लिए अपनी मां की इजाजत चाहता हो उसकी मांअपनी बेटी की इस हरकत से पूरी तरह से खुश नजर आ रही थी उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी अभी अपने बेटे की आंखों में देखते हुए बोली,,,।


तू पूछ रहा था ना मैं क्या चाहती हूं,,,,,(सोनू कुछ कहता इससे पहले ही उत्तेजित अवस्था में मदहोश होते हुए,,, संध्या अपने चेहरे को नीचे की तरफ लाइव और तुरंत गुलाबी होठों को अपने बेटे के होठों पर रखकर चूसना शुरु कर दी,,,, सोनू को तो कुछ समझ में नहीं आया और संध्या अपने बेटे के होंठों को चुंबन करते हुए चूसते हुए उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे दी लेकिन फिर भी सोनु उसी तरह से अपनी मां की चूचियों को थामें रह गया,,,,,, पल भर में ही सोनू की सांसे तेज चलने लगी संध्या मदहोश हो चुकी थी पागल हो चुकी थी उसे अपने बेटे में अपना प्रेमी नजर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे को नहीं बल्कि अपने प्रेमी को पहली बार चुंबन कर रही हो,,,,,,कुछ देर में जब सोनू को भी समझ में आया तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी का रस और होंठों से चखते ही,,, वह भी अपनी मां का साथ देती है तेरी मां के गुलाबी होठों को मुंह में भर कर चुसना शुरू कर दिया इस तरह के चुंबन को वह आज तक मूवी में ही देखता आया था खास करके हॉलीवुड की इसलिए उसे थोड़ा बहुत ज्ञान था वह अपनी मां की चूची को थामे अपनी मां के होंठों को चूस रहा था,,,,, उत्तेजना पूरी तरह से दोनों मां-बेटे पर सवार हो चुकी थी,,,,सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी हथेली खाता था उसकी मां की चुचियों पर बढ़ता जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेलियां चूची पर कश्ती जा रही थी वैसे वैसे संध्या के तन बदन में आग लग रही थी और सोनू को भी अपनी मां की चुचियों को कस के दबाने में मजा आ रहा था,,, सोनू अपनी मां की निप्पल सहित चुचियों को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था उत्तेजना के मारे संध्या की निप्पल चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,

जब यह चुंबन की श्रंखला टूटी तो संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और वह अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी सोनू भी अपनी मां को देख कर मुस्कुरा रहा था संध्या गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।


तुमसे पूछ रहा था ना कि मैं क्या चाहती हूं मैं भी यही चाहती हूं जो बगीचे में झाड़ियों के अंदर वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,,(संध्या एक झटके में गहरी सांस लेते हुए अपने मन की बात बोल गई और सोनू अपनी मां की यह बात सुनकर पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे अपनी खुशी समा नहीं रही थी,,,सोनू को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी बिल्कुल सच था सोनू तो इस बात के एहसास से ही पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था कि उसकी मां उससे चुदवाना चाहती है,,,। अपनी मां के पास सुनकर सोनू बोला,,,)


तुम सच कह रही हो मम्मी,,,?


बिल्कुल सच कह रही हूं,,,,,



लेकिन मुझे तो नहीं आता,,,,


क्या नहीं आता,,,,?(संध्या अपनी साड़ी को कमर से खोलते हुए बोली,,, सोना अपनी मां को साड़ी खोलता हुआ देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,)

ववव, वही जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,



अरे मेरे बुद्धु आ जाएगा,,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली सोनू को तो इस पल के लिए बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी जिंदगी में यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा,,, देखते ही देखते संध्या अपनी साड़ी को उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दी इस समय उसके बदन पर केवल पेटीकोट थी बाकी उसका पूरा बदन नंगा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां चमक रही थी उसका पूरा बदन चमक रहा था उसकी गहरी नाभि मैं सोनू का मन डूब जाने को कर रहा था,,,। संध्या अपने बेटे की हालत पर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अच्छी तरह से जानते थे कि उसका बेटा इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी है इसलिए उसके मन में अजीब अजीब से सवाल उठ रहे होंगे वह सभी सवालों का जवाब देते हुए संध्या बोली,,,)



अब तुझे मैं दुनिया की सबसे बेहतरीन और खूबसूरत चीज दिखाती हुं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बैठ कर लेट गई व पीठ के बल लेट गई थी सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या दिखाने की बात कर रही है,,, तकिया को अपने सिर के नीचे लगा कर अपनी टांग को अच्छी तरह से फैलाते हुए बोली,,, सोनू बिस्तर के किनारे पलंग के नीचे पैर लटकाए बैठा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है,,,,अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देख रहा था उसकी तनी हुई चुचियों को बड़े गौर से देख रहा था उसके पेट के बीच में गहरी नाभि को प्यासी नजरों से देख रहा था और कमर पर बंदी पेटिकोट की डोरीको बडी आस भरी नजरों से देख रहा था कि मानो जैसे पेटिकोट की डोरी खुद-ब-खुद खुल जाएगी अपने बेटे की आंखों में चमक देखकर उसकी उत्सुकता और भोलापन देखकर संध्या मन ही मन में खुश हो रही थी,,,, सुनो अपनी मां की तरफ देखकर आश्चर्य भरे स्वर में बोला,,,)

कौन सी बेशकीमती चीज दिखाना चाहती हो मम्मी,,,,

(अपने बेटे कैसे खोलें पन से भरे सवाल को सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,)


सबर कर लेकिन इसके लिए तुझे खुद ही देखना होगा,,,,
(सोनू को अपनी मां की बात समझ में आ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगे पल भर में सोनू का चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था लेकिन वह हीचकीची रहा था उसकी मां अपने बेटे की हीचकीचाहट को समझते हुए बड़े प्यार से बोली,,,,)


मेरी पेटीकोट की डोरी खोल,,,,

(अपनी मां की मादक स्वर को सुनते ही सोनू की नशे अकड़ने लगी उसे डर लगने लगा कि कहीं एक बार फिर से उसके लंड का पानी न छूट जाए क्योंकि यह बात कह कर तो उसकी मां ने अपनी बदन का पूरा खजाना उसके सामने परोस दी थी सोनू पलभर में ही कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा ने लगा अपने मन में बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ही सोचने लगा कि पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसे कैसा लगेगा जब उसकी मां की टांगों के बीच की पतली दरार कैसी नजर आएगी यह सब सोचकर वह पूरी तरह से दीवाना हुआ जा रहा था,,,, अपनी बेटी को इस तरह से आंखें फाड़े देखता हुआ पाकर संध्या बोली,,,)

क्या हुआ क्या सोच रहा है तेरा मन नहीं कर रहा है क्या,,,?


नहीं नहीं ऐसा नहीं है,,,(सोनू तपाक से बोला जैसे कि उसके हाथ से यह मौका वापस उसकी मां छीन ना ले,,,)


तो खोलना पेटीकोट की डोरी,,,।
(सोनू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आज वह अपनी मां का एक नया रूप देख रहा था सोनू पैसे में लगी नहीं रहा था कि जैसे बिस्तर पर उसकी आंखों के सामने अर्धनग्न अवस्था में लेटी हुई औरत उसकी मां है उसे ऐसा लग रहा था कि कोई और औरत है क्योंकि उसके बोलने का तरीका भी बदल चुका था,,, लेकिन जो भी हो सोनू को तो इसमें मजा ही मजा आ रहा था वह अपनी मां की जवानी लूट लेने के लिए बिल्कुल तैयार था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की पेटीकोट की डोरी खोलने लगा लेकिन पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसके हाथों की उंगलियां कांप रही थी,,, जिसमें उत्तेजना और डर दोनों बराबर मिला हुआ था,,, संध्या को उसकी कॉपी में उंगलियां देखा कर हंसी छूट रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर काबू किए हुए थी संध्या को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका बेटा कोई बम को डिफ्यूज करने के लिए अपने ऊंगलीयो को हरकत दे रहा हो और डर के मारे कांप रहा हो,,,,,,पेटिकोट की डोरी कैसे खोली जाती है यह भी सोनू को नहीं आता था लेकिन जिस तरह से मशक्कत करके उसने अपनी मां की ब्रा का हुक खोला था उसी तरह से अपनी मां की पेटीकोट की डोरी में भी उलझा हुआ था,, लेकिन जल्द ही उसने पेटिकोट की डोरी का एक सिरा पकड़कर उसे खींच दिया,,,,, जैसे ही पेटीकोट की डोरी खुली सोनू के दिल की धड़कन बढ़ गई और संध्या के भी तन बदन में कसमसाहट होने लगी,,,,,, संध्या के बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,। नाभि के नीचे वाला हिस्सा उत्तेजना के मारे थरथरा रहा था,,,।

पेटिकोट की डोरी खोल कर सोनू प्रश्नार्थक मुद्रा में अपनी मां की तरफ देखने लगा मानो कि पूछ रहा हो कि अब क्या करना है,,,, लेकिन अपने बेटे की आंखों में संध्या को उसके मन का सवाल साफ झलक रहा था इसलिए वह खुद ही बोली,,,।


अब इसे उतार ,,,,

(सोनू के लिए यह पल बेहद अद्भुत और बेहद नाजुक था इस तरह के वाक्ये उसने आज तक नहीं गुजरा था,,, उसके लिए यह जिंदगी में पहला मौका था जब वह किसी औरत की किसी और औरत की नहीं बल्कि अपनी ही मां की पेटीकोट को उतारने जा रहा था,,,,,,अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर पेटीकोट के दोनों छोर को अपनी उंगली में उलझा कर नीचे की तरफ खींचने लगा यह पल सोनू के लिए उत्तेजना से भरा हुआ था यह पल किसी भी मर्द के लिए बेहद अनमोल और उन्मादक होता ही है,,,जिंदगी में पहली बार कोई मर्द जब किसी औरत के कपड़े उतारता है कि उसके तन बदन में जो हलचल मची हुई होती है उसका बयान कर पाना शायद नामुमकिन है,,, वही हाल सोनु का भी थाक्योंकि सोनू जानता था कि पेटीकोट उतारने के बाद उसे उसकी मां की दोनों टांगों के बीच का अनमोल खजाना नजर आने लगेगा जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना किया करता था,,,,, संध्या के भी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जिंदगी में उसके कपड़े सिर्फ उसके पति नहीं उतारे थे और आज दूसरी बार उसके बेटे के हाथों यह शुभ काम होने वाला था जिसमें संध्या को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,सोनू पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगा लेकिन संध्या की भारी-भरकम गांड के भार के नीचे पेटीकोट नीचे की तरफ सरक नहीं पा रही थी,,,संध्या भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम कलाकार गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, अपनी मां सहकार और उसकी हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, किसी भी औरत का इस तरह से सहकर देना इस बात को साबित करता है कि वह पूरी तरह से उस मर्द को समर्पित हो चुकी है,,,,,,
उत्तेजना के मारे सुख के गले को अपने थूक से गीला करते हुए सोनू अपनी मां की पेटीकोट को तुरंत नीचे की तरफ खींचने लगा उसे लगा था कि पेटिकोट के नीचे आते ही,, उसे उसकी मां की बुर का संपूर्ण भूगोल अपनी आंखों से नजर आने लगेगा,,, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था पेटिकोट के अंदर उसके बारे में पेंटी पहनी हुई थी,,,, पेटिकोट के नीचे पेंटी को देखकर ,,, सोनू को निराशा नहीं बल्कि और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा,,, क्योंकि उसके मां के खूबसूरत गोरे बदन पर लाल रंग की पैंटी और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,, और इस बात की खुशी और भी थी कि उसे अपनी मां की पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पैंटी भी उतारनी पड़ेगी,,,,

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संध्या अपनी गांड ऊपर करके पेटिकोट उतारने अपने बेटे की बहुत ही अच्छी तरीके से मदद की थी,,,,सोनू जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर बिस्तर पर रख दिया था अब वह उसकी आंखों के सामने केवल पेंटी में थी और पेंटिं में संध्या बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे बिस्तर पर खुद कामदेवी लेटी हो,, अब आगे क्या करना है सोनू ने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं पूछा और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पेंटिं के दोनों छोर पर अपने हाथ रखकर पेंटी उतारने लगा,,,, पेंटी पर हाथ लगते ही संध्या कसमसाने लगी उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,पेंटी के आगे वाला भाग पूरी तरह से गिला हो चुका था जो कि संध्या की बुर से निकला मदन रास्ता और वह सोनू को बड़े अच्छे से नजर आ रहा था,,,

धड़कते दिल के साथ सोने अपनी मां की पेंटिंग करने लगा और जिस तरह से पेटीकोट उतारने में उसकी मां ने उसकी सहायता की थी उसी तरह से इस बार भी वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी और सोनू तुरंत अपनी मां की पेंटिं को घुटनो खींच लिया,,,,उसके बाद तो सोनू भूल ही गया क्या उसे क्या करना है क्योंकि उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे बेशकीमती और सबसे खूबसूरत चीज थी उसकी आंखों के सामने का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अपनी मां की बुर के दर्शन करेगा,,,,सोनू को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की सुर्खी गुलाबी पत्तियों के बीच से बदल रस की बूंदें टपक रही थी जो कि किसी बेशकीमती मोती की तरह लग रही थी सोनू पहली बार बुर को इतने करीब से देख रहा था,,,। इसलिए उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,,, पल भर में सांसों की गति कम तेज हो गई थी और होती भी क्यों नहीं संघ के बारे में वह कल्पना करके रात दिन अपना हाथ से हिलाया करता था आज उसे अपनी आंखों के सामने देख रहा था उसके भूगोल से परिचित हो रहा था संध्या पूरी तरह से उत्तेजित थी वह बड़ेगौर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और जिस तरह से उसका बेटा आंखें उसकी बुर को देख रहा था संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, संध्या कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा क्या वह अपने बेटे को अपनी बुर दिखाएगी,,,, जिस अंग को वह दुनिया से छुपाए रखी थी ढंककर रखती थी,, साड़ी के नीचे पेटीकोट के अंदर और पेंटी के पीछे लेकिन आज सब कुछ उजागर हो गया था,,,,संध्या की सांसो की गति पर तेजी से चल रही थी और सांसो के साथ-साथ उसके पानी भरे गुब्बारों की तरह दोनों चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी सोनू के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका सारा ध्यान संध्या की दोनों टांगों के बीच स्थिर हो चुकी थी,,,, संध्या की बुर भी बेहद अद्भुत थी,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी और उम्र के इस दौरान भी उसकी बुर क्या थी एक पतली दरार थी,,,, जो कि तवे पर रखी हुई गरम रोटी की तरह फूल गई थी,,,, उसमें से मदन रस ऐसे बह रहा था मानो रसमलाई से रस टपक रहा हो,,,,।

अपने बेटे की हालात का संध्या को दया आ रही थीउसे समझते देर नहीं लगी कितना हैंडसम और खूबसूरत होने के बावजूद भी उसका बेटा पहली बार किसी औरत की बुर को देख रहा है वरना अब तक वह अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई भी कर दिया होता,,,


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं है क्या,,,?


नहीं आज से पहले मैंने कभी नहीं देखा,,,,


कमरे में तेरी आंखों के सामने मेरी टावल नीचे गिर गई थी तब भी नहीं देखा था,,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे बदन का कौन सा अंग देखना है यह मुझे पता ही नहीं चला,,,
(संध्या को अपने बेटे की मासूमियत पर हंसी भी आ रही थी और दया भी आ रहा था,,,)


चल कोई बात नहीं आज तो देख लिया ना,,, कैसा लग रहा है तुझे,,?(संध्या खुद अपने ऊपर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का सवाल मां अपने बेटे से कैसे पूछ सकती है और किस तरह के सवाल पूछने की हिम्मत उसमें कैसे आ गई यह कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो कुछ भी वह पूछ रही थी उससे उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,)


बहुत खूबसूरत मैंने आज तक ऐसा नजारा कभी नहीं देखा,,,,,, क्या मम्मी मैं इसे छु सकता हूं,,,,,(सोनू एकदम से भोलेपन में यह सवाल पूछा तो संध्या मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


अरे बुद्धू तो जो भी सकता है और बहुत कुछ कर भी सकता है आज से यह तेरी है,,,


सच मम्मी,,,,(इतना कहने के साथ ही सुनो अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों को अपनी मां की बुर के उपर रख दिया,,,,, और जैसे ही संध्या को अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे की उंगली का स्पर्श हुआ तो उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सससहहहहहह,,,,,,,
(और अपनी मां के मुंह से निकली हुई है आवाज सुनकर सोनू एकदम से मदहोश हो गया और वह अपनी पूरी हथेली अपनी मां की बुर के ऊपर रखकर उस छोटी-सी लकीर को ढक दिया,,,, बुर एकदम गरम थी सोनू कक्कड़ के लिए लगाकर कैसे हो अपनी हथेली को अपनी मां की बुर के ऊपर नहीं बल्कि तपते हुए तवे पर रख दिया हो,,, सोनू को मजा आ रहा है एक अद्भुत सुख से पूरी तरह से भीगने लगा था सोनू अपनी हथेली को अपनी मां की ओर के ऊपर आगे पीछे करते हुए हौले हौले से रगड़ने और जैसे-जैसे वहअपनी मां की बुर को रगड़ रहा था वैसे वैसे संध्या की हालत खराब होती जा रही थी,,,।)

बहुत गर्म है मम्मी,,,,

यह इसी तरह से रहती है एकदम गर्म,,, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है,,,,,


तो मेरी पैंटी तो पूरी उतार दे घुटनों में फंसा कर रखा है,,,


(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि उसने अपनी मां की बुर देखने में पेंटिं उतारना भूल ही गया थाऔर अगले ही पल वहां अपनी मां की पेंटि को पूरी तरह से उसकी मन की चिकनी कमर से बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दिया अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,,, बहुत ही खूबसूरत ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बदन के हर एक अंग के कटाव को उभार को भगवान ने अपने हाथों से बनाया हो,,,, बिस्तर पर लेटी हूं संध्या किसी चित्रकार की चित्रकारी का बेहद अद्भुत उम्दा चित्र लग रही थी,,,, किसी मूर्तिकार के हाथों से बनाया हुआ शिल्प लग रही थी,,,, संध्या अपने आप में बेजोड़ थी बहुत ही खूबसूरत कामुकता से भरी हुई गठीला बदन की मालकीन गदराए जिस्म की मालकिन,,,, जिसे देखकर ही,, आह निकल जाए,,,,।



रात के 12:00 बज रहे थे और संध्या अपने बेटे के साथ अपने ही कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी और उसका बेटा बिस्तर पर बैठा हुआ था जो कि उसकी बेशकीमती रसीली बुर को अपनी आंखों से देख कर उसके मदन रस को अपनी आंखों से ही पी रहा था,,, सोनू की हथेलीअभी भी उसकी मां की बुर पर थी जिसमें से निकल रहा मदन रस उसकी हथेली को भीगो रहा था,,,,,,,

संध्या की हालत खराब हो रही थी सोनू काफी देर से उसकी बुर पर हथेली रखकर उसे हल्के हल्के रगड़ रहा था जिससे संध्या मदहोश होने जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, संध्या का मन अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए कर रहा था लेकिन इतनी जल्दबाजी दिखाना ठीक नहीं था,,,, इसलिए गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे से बोली,,,।



सोनू क्या तू चाहता है कि हम दोनों भी वही करें जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे जो मेडिकल पर वह लड़का कंडोम खरीद रहा था अपनी मां को चोदने के लिए,,,
(अपनी मां का इस तरह का सवाल सुनते ही सोनू की हालत एकदम से खराब हो गई क्योंकि सीधे-सीधे उसकी मां उसे चोदने के लिए आमंत्रित कर रही थी सोनू भला कब इनकार करता उसे तो इसी दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार था वह तो चाहता था अपनी मां को चोदना लेकिन इस तरह से इतना आसान होगावह कभी सपने में भी नहीं सोचा था इसलिए अपनी मां का इस तरह का आमंत्रण सुनते ही बोला,,,)


क्या ऐसा हो सकता है मम्मी,,,,?(यह सवाल पूछते हुए सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,)

क्यों नहीं हो सकता हो सकता है तु अपनी आंखों से देखा था ना एक बेटा कैसे अपनी मां की चुदाई करता है और एक बेटा कैसे कंडोम खरीदा था अपनी मां को चोदने के लिए तो ऐसा हो सकता है,,,,

लेकिन किसी को पता चल गया तो ,,,,,,

कैसे पता चलेगा,,,,


अगर पापा को पता चलेगा तो,,,,



किसी को कान्हा कान्हा पता तक नहीं चलेगा और मैं जानती हूं कि तू इतना बड़ा बेवकूफ तो है नहीं हम दोनों के बीच की बात किसी और को बताएगा,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनु ना में सिर हिलाया,,,)


तो बस फिर क्या जवानी का मजा ले देख कितना मजा आता है,,,,और हां इस खेल में कूदने से पहले अपने कपड़े तो उतार ले मेरा तो सब कुछ देख लिया मुझे भी तो दिखा कि तेरे पास कैसा हथियार है,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर सोनू एकदम से शर्मा गया क्योंकि अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारने में झिझक महसूस कर रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर उसे अच्छा लग रहा था क्योंकि उसकी मां उसके लंड को देखना चाहती थी,,,। सोनू कुछ देर तक उसी तरह बैठा रहा तो संध्या बोली,,,)

क्या हुआ शर्मा क्यों रहा है,,, अगर इसी तरह से शर्माएगा तो मेरे साथ आगे कैसे बढ़ेगा,,, अच्छा रूक में ही कुछ करती हुं,,,, तो बिस्तर पर अच्छे से घुटनों के बल खड़े हो जा,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही उसकी बात मानते हुए सोनू बिस्तर पर अच्छी तरह से बैठ गया और घुटनों के ऊपर खड़े हो गया लेकिन इस समय के पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था और संध्या की नजर उस के तंबू पर पड़ते ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,,आश्चर्य से अपने मुंह पर हाथ रखते हुए संध्या बोली,,,)

बाप रे पजामे के ऊपर से ही इतना खतरनाक लग रहा है,,,,, अब तो मेरी उत्सुकता और बढ़ गई है तेरे लंड को देखने के लिए,,,(संध्या एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी और अपनी मां के मुंह से एक लंड शब्द सुनते ही उत्तेजना के मारे सोनू एकदम से गनगना गया,, संध्या बिस्तर पर बैठकर घुटनों के बल हो गई थी और एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बेहद करीब पहुंच गई थी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर था उसकी अनुभवी आंखों ने पजामे के ऊपर से ही अंदाजा लगा लिया था कि पजामे के अंदर धमाल मचा देने वाला खतरनाक औजार है,,, संध्या का मन ललचा उठा,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड का दीदार कर लेना चाहती थी,,,। सोनू के पजामे में बने तंबू को देखकर ही संध्या की हालत खराब होने लगी,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के को देखने के लिए तड़पने लगी,,,इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर वह अपने बेटे के पजामे पर रखकर उसे एक झटके में नीचे घुटनों तो खींच दी,,, ओर पजामा के नीचे आते ही सोनू का बम पिलाट लंड हवा में लहराने लगा,,, संध्या की आंखें फटी की फटी रह गई,,, संध्या को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वाकई में उसके बेटे का लंड बेहद जानदार था एकदम तगड़ा मोटा लंबा,,, और उसका सुपाड़ा आलू बुखारे की तरह था,,, संध्या के दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर जल्द से जल्द महसूस करना चाहती थी,,, वह प्यासी नजरों से अपने बेटे के लंड को देख रही थी और सोनू अपनी मां को इस तरह से देखता हुआ पाकर अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, अपनी मां के मन में क्या चल रहा है यह जानने के लिए सोनू बोला,,,)


क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों देख रही हो,,,?


बाप रे इतना बड़ा मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,, तेरे पापा से भी तगड़ा है,,,(अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही अपने लंड की तुलना अपने बाप से होता हुआ देखकर सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा और उत्तेजना के मारे उसका लंड ऊपर नीचे होने लगा,,, मानो कि जैसे गहरी सांस ले रहा हो,,,)

क्या सच में,,,,


हारे में बिल्कुल सही कह रही हुं,,,, मेरा तो मन इसको पकड़ने को कर रहा है,,,(और इतना कहने के साथ ही संध्या अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भर ली,,,, अपने लंड को अपनी मां के हाथ में देखते ही सोनू एकदम से धधक उठा उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सहहहहहह,,,,,,, बाप रे,,,,
(संध्या को अब कुछ सूझ नहीं रहा था वह अपने बेटे के लंड से जी भर कर प्यार करना चाहती थी,,, उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगी हिलाते समय उसका लंड और ज्यादा जानदार लग रहा था,,,, संध्या अपने बेटे के लंड को आगे पीछे करके मुठिया रही थी,,,,मोटे तगड़े अपने बेटे के लंड को देखकर संध्या की आंखों में चमक जाग उठी थी,,, सोनू का लंड अपनी मां के हाथों में आते ही और ज्यादा कड़क हो गया,,,, सोनू अपने मन में ही सोच रहा था कि अगरउसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर चूसती तो और मजा आता,,,और जैसे कि उसके मन की बात उसकी मां ने सुन ली हो इस तरह से अपनी होंठों को अपने बेटे के लंड की तरफ आगे बढ़ाने लगी,,,जैसे-जैसे संध्या आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे सोनु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, सोनू का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था,,,,,
और देखते ही देखते सोनू को बिना समय दिया संध्या अपनी गुलाबी होठों को खोलकर अपने बेटे की लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, सोनू पर उसकी मां की तरफ से यह जबरदस्त शारीरिक हमला था जिसके लिए सोनू बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया उसकी सांस अटक गई,,,उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसकी मां एक झटके से उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरु कर देगी,,, क्योंकि आखिरकार वह कोई गैर औरत नहीं बल्कि उसकी मां थी,,,,,, सोनू अपने पिता को संभाल नहीं सका और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फोटो पड़ी,,,,।

सहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,,
(अपने बेटे के मुख से सिसकारी की आवाज सुनते ही संध्या ऊपर नजर करके अपने बेटे की तरफ देखने लगी जो की पूरी तरह से मस्त हो चुका था संध्या अब रुकने वाली बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके हाथों में उसका पसंदीदा खिलौना जो मिल गया था,,,। संध्या को इस बात का एहसास हो गया कि उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा उसके पति के लंड का सुपाड़ा उसके पति से काफी बड़ा है,,,,अपने बेटे के लंड को चुसते चुसते संध्या के मन में यह ख्याल भी आ रहा था कि इतना मोटा सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में घुस पाएगा कि नहीं,,,, वो बाद की बात थी,,, इस समय संध्या को बहुत मजा आ रहा था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसे अपने बेटे का लंड चूसना पड़ेगा,,,,,,,,

धीरे-धीरे करते हुए संध्या अपने बेटे के लंड को अपने गले तक उतार ले गई गले तक पहुंचते ही संध्या की बुर कलबुलाबुलाने लगी,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि जब गले तक उसका बेटे का नाम क्या मजा दे रहा है तो उसकी बुर की गहराइयों करेगा तो उसे कितना मजा देगा,,,,

और सोनू कभी सपने में भी नहीं सोचा कि उसे अपनी मां का यह रूप देखने को मिलेगा वह चाहे कैसी भी थी लेकिन बिस्तर पर इस तरह से खुली औरत होगी इस बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था,,, लेकिन सब कुछ भूल कर सोनू लंड चुसाई का मजा ले रहा था,,,।

Sandhya apne bete k lund ko make lekar chusti huyi

आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह अपनी टी-शर्ट को अपने हाथों से निकाल कर बिस्तर पर फेंक दिया था,,,, क्योंकि वह जानता था भले ही इस खेल में गया था लेकिन फिर भी इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि बिस्तर में औरत के साथ नंगे होकर ही मजा आता है,,,,सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी थी शर्म का पर्दा हट नहीं लगा था वैसे भी अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर संध्या खुद आगे से मर्यादा और रिश्ते नाते की दीवार को गिरा चुकी थी,,,सोनू को बिल्कुल भी हर्ज नहीं था उस दीवार को लांघ कर आगे बढ़ जाने में,,,,,,, इसलिए अपनी तरफ से खुले पन का एहसास दिलाते हुए मदहोशी के आलम में वह अपनी कमर आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया था,,,।चुदाई का बिल्कुल अनुभव और ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी वह जानता था कि चोदने के लिए कमर को आगे पीछे करना पड़ता है और ऐसा करने में सोनू को अद्भुत सुख का अनुभव हो रहा था,,, संध्या मदहोश हुए जा रहे थे उत्तेजित हुए जा रही थी,, उत्तेजित अवस्था में वह अपनी दोनों हथेलियों को अपने बेटे की गांड पर रखकर उसे जोर जोर से दबा रही थी सोनू को भी अपनी मां की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी,,,, कुछ देर तक अपने बेटे का लंडड चुसती रही,,,लेकिन अब वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी इसलिए वह,,,, अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी,,, उसकी सांस अटक रही थी तो कुछ देर तक अपनी सांसो को दुरुस्त करती रही अपने मन में ही सोचती रही किउसके पति से ज्यादा मजा उसके बेटे के लंड को चूसने में आ रहा था,,,,,,,

घुटनों में फंसे पजामे कोसंध्या अपने हाथों से नीचे करके उसके पैरों में से निकाल दी अब बिस्तर पर दोनों मां-बेटे एकदम नंगे थे ट्यूबलाइट की रोशनी में दोनों के बदन चमक रहे थे अपने बेटे के गठीले मजबूत शरीर को देखकर खास करके उसके मुसल जैसे लंड को देख कर संध्या के मुंह में पानी आ रहा था,,,, सोनू के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह सिर्फ अपनी मां के आदेश का पालन करना चाहता था और वह जानता था कि इसी में उसकी भलाई है,,,।


बाप रे तेरा लंड तो बहुत ताकतवर है,,,, आगे चलकर ना जाने कैसा गुल खिलाएगा,,,,


तुम्हें मजा आया मम्मी,,,,


पूछना कितना मजा आया कि मैं बता नहीं सकती जिंदगी में मुझे ऐसा मजा कभी नहीं मिला,,,,


अब क्या करना है,,,,।


करना क्या है तेरी मेरी मलाई चाटनी,,, जो कि तेरे लंड की वजह से कुछ ज्यादा ही निकल रही है,,,, मलाई चाटने का मतलब जानता है ना,,,,
(मलाई चाटने के मतलब को सोनू समझ नहीं पाया,, इसलिए ना में सिर हिला दिया उसके भोलेपन को देखकर उसकी मां मुस्कुराने लगी मुस्कुराते हुए बोली,,,)


अरे बुद्धू मलाई चाटने का मतलब होता है बुर चाटना,,,
(अपनी मां के मुंह से निकले शब्द सुनकर सोने की निरंतर बढ़ती ही जा रही थी क्योंकि आज तक उसने अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द कभी नहीं सुना था और ना तो किसी को जोर से बोलते हुए सुना था,,, इसलिए सोनू के लिए यह सब बिल्कुल नया और अद्भुत था,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

चाटेगा ना मेरी बुर को,,,
(आप औरत के द्वारा इस प्रस्ताव को कोई बेवकूफ ही होगा जो ईंकार कर पाएगा,,, लेकिन सोनू ना हा बोला था और ना ,,,,लेकिन संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे पसंदीदा चीज क्या होती है इसलिए वो जानती थी उसका बेटा कभी इंकार नहीं कर पाएगा,,,इसलिए वह अपने बेटे का जवाब मिले बिना ही बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई अपनी दोनों टांगों को फैला दी और अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर जोर से मसल कर अपने बेटे को दूसरे हाथ की उंगली से इशारा करके अपने पास बुलाने लगी,,, संध्या की यह हरकत बेहद कामुक और अपने आप में बेहद मादकता से भरी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पोर्न मूवी चल रही है और उसकी मां कोई पोर्न एक्ट्रेस हो,,,,सोनू अपनी मां की माता पिता भरी हरकत से अपने आप को रोक नहीं पाया और घुटनों के बल चलता हुआ उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच गया,,,
सोनू के लिए यह पहला मौका था जब वो किसी औरत की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना रहा था और वह भी खुद की अपनी मां के टांगों के बीच ,,,,यह पल उसके लिए बेहद यादगार साबित होने वाला था उसने कभी नजर भर कर किसी औरत की बुर नहीं देखा था ना उसे छुआ था ना मसला था ना उससे मिलने वाले सुख को कभी महसूस किया था लेकिन आज का दिन आज का ही है पर आज की रात उसके लिए बेहद अतुल्य थी,,,, अपनी मां की पनियाई बुर को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, उससे रहा नहीं जा रहा था और उसकी मां आज भरी नजरों से अपने बेटे को ही देख रही थी,,,, संध्या की कचोरी की तरह फुली हुई बुर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,,, बाल का एक रेशा तक नहीं था एकदम चिकनी बुर थी संध्या की,,, और सोनू ईस बात अच्छी तरह से जानता था कि आज ही उसकी मां ने वीट क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ की है,,,।

सोनू पूरी तरह से तैयार था एक नई दुनिया में कदम रखने के लिए,,,, वह अपने हौसलों को बुलंद कर रहा था क्योंकि यही एक पल थी जब वह अपनी मां पर पूरी तरह से छा जाना चाहता था,,, इसलिए सोनू अपने प्यासे होठों को अपनी मां की दहहती हुई बुर के करीब ले जाने लगा,,, संध्या का बदन कसमसाने लगा,,,, एक अद्भुत पल को वह जीने जा रही थी, एक नए,, एहसास की उत्सुकता उसके तन बदन में बढ़ती जा रही थी,,,

आखिर कार वह पल आ गया जब सोनू के प्यासे होंठ संध्या की बुर पर स्पर्श हो गए,,,, सोनू पागल हो गया पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके होंठ उसकी मां की बुर के बीचोबीच थे,,,, बुर चाटना सोनू को बिल्कुल भी नहीं आता था वह अपनी मां की बुर पर अपने होठों को रगड़ना शुरु कर दिया लेकिन इतने से भी सोनू की उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,


जीभ निकालकर बेटा,,,,,(संध्या मदहोश होते हुए बोली और सोनू अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी मां की बुर की पतली दरार में डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,, पहले तो सोनू को अपनी मां की बुर के मदन रस का स्वाद थोड़ा कसैला लगा लेकिन धीरे-धीरे वह कैसे रासवाल मीठे फल में बदलता चला गया खारे पन में बदलता चला रह रह कर बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद बदलता जा रहा था,,,,,,सोनू की हालत खराब होने लगी थी अब सोनु को सिखाने की जरूरत नहीं थी सोनू अच्छी तरह से समझ गया था कि अबक्या करना है,,,क्योंकि मोबाइल में पोर्न मूवी में वह सब कुछ देख चुका था बस उससे अवगत नहीं था,,,,
सोनू मारे उत्तेजना के तड़प रहा था और वह अपनी तड़प अपनी मां की बुर पर निकाल रहा थादेखते ही देखते सोनू जितना हो सकता था उसने अपनी जीभ को अपनी मां की बुर की गहराई में डालकर उसे चाट कर मजा ले रहा था,,, संध्या की हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतने अच्छे से उसकी बुर की चटाई करेगा,,,,


सहहहहह आहहहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,सोनू मेरे बेटे,,,,,, बस ऐसे ही,,,,,,, ऐसे ही,,,,, जोर जोर से चाट,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा है बेटा,,,,,,सीईईईईईईईई,,,,,
आहहहहह,,,,,
(सोनु अपनी मां की बातेऔर उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि वह अपनी मां को इस तरह से खुश कर पाएगा लेकिन उसकी गरम सिसकारी को सुनकर सोनू को विश्वास हो गया कि जो कुछ भी वो कर रहा है वह बिल्कुल सही है,,, इसलिए वह और मस्ती के साथ अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, बेहद मादकता से भरा हुआ,,, यह नजारा था मां अपने कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी होकर अपनी दोनों टांगें फैलाकर अपने बेटे को अपनी बुर चटवां रही थी,,,, सोनू से रहा नहीं जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की बुर के भूगोल से वाकिफ हो चुका हो,,,, इसलिए वह जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना चाहता था,,,, अपने बेटे की मस्ती भरी बुर चटाई की वजह से संध्या दो बार झड़ चुकी थी,,,,,अब वह भी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए मचल रही थी तड़प रही थी,,,,इसलिए वह मद भरी गहरी गहरी सांसे लेते हुए बोली,,,,,।


आहहहहहह,,,,, सोनू मेरे बेटे मेरी बुर में खुजली मची हुई है,,,, बिल्कुल भी देर मत कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, में तेरे लंड को अपनी बुर में लेना चाहती हुं,,,,ओहहहहह,,,सोनु,,,,,,,(ऐसा कहते हुए संध्या अपने बेटे के बालों में उंगली घुमाने लगी सोनू को और क्या चाहिए था वह अपनी मां के मुंह से यही सुनना चाहता था,,,, अपने होठों पर अपनी मां की बुर से हटाते हुए वह घुटनों के बल खड़ा हो गया,,,, संध्या की नजर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड पर पड़ी जो की छत की तरह मुंह उठाए खड़ा था तो उसे देखते ही संध्या के मुंह से आह निकल गई,,,,,)


अब तुझे मालूम है ना क्या करना है,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू हां में सिर हिला दिया और संध्या हंसते हुए बोली)

यह तो पता ही होगा,,,,, बस अब शुरू हो जा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,
(अपनी मां की तडप देखकर सोनू की भी तड़प बढ़ रही थीं,,, वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल देना चाहता था,,, इसलिए वह घुटनों के बल दो कदम और चलकर अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया,,,, अपने बेटे को अपने करीब आता देखकर संध्या अपनी दोनों टांगों को और ज्यादा फैला दी,,,,, सोनू की नजर अपनी मां की बुर से बिल्कुल भी नहीं हट रही थी,,,, वह एक हाथ से अपने लंड को हिला रहा था,,, उत्तेजना के मारे संध्या का गला सूख रहा था सोनू अपनी मां के बेहद करीब पहुंच कर और अपने दोनों हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे की तरफ लाकर उसे हल्के से अपनी तरफ खींचा,,, अब लंड और बुर दोनों आमने सामने थी तकरीबन दो अंगुल की दूरी थी दोनों के बीच सोनू ने अपने लैंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखते हुए वह दूरी भी मिटा दिया,,,,,, लेकिन सोनू के अपनी मां की बुलंद रखते ही संध्या की हालत एकदम से खराब हो गईपल भर गई संध्या को पुरानी यादें ताजा हो गई जब वह पहली बार शादी करके अपने ससुराल आई थी और संजय ने पहली बार अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रखा था ठीक उसी तरह का अनुभव वह इस समय महसूस कर रही थी,,, संध्या का मन एकदम से मचल उठा,,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन एकदम से कसमसाने लगा,,,,
सोनू का धैर्य जवाब दे रहा था,,,सोनू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मां की बुर की पतली दरार के बीचों बीच रखकर ऊपर नीचे करके अपने सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड़ रहा था इससे संध्या की हालत और ज्यादा खराब हो जा रही थी उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी पूछ रही थी और उत्तेजना के मारे वह अपना सर दाएं बाएं पटक रही थीऔर खुद भी कोशिश कर रही थी कि वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले ले इसलिए वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ हल्के हल्के हिलाते हुए उछाल रही थी,,,,

अपनी मां की तरफ देख कर सोनू को उसकी ऊतेजना का एहसास हो रहा था,,,, सोनू से भी रहा नहीं जा रहा था,,,अपनी मां के गुलाबी छेद का अंदाजा उसे अच्छी तरह से हो गया था इसलिए वह अपने सुपाड़े को उस गुलाबी छेद पर टिका कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला तो उसका लंड का सुपाड़ा धीरे से उसकी मां की बुर के अंदर सरकने लगा,,,,, इस पर सोनू को अपनी खुशी का ठिकाना ना था,,, वह अपनी कमर को और आगे की तरफ ठेलने लगा,,,,सोनू कैलेंडर का सुपाड़ा काफी मोटा था लेकिन फिर भी उसकी मां की अनुभवी बुर उसे अंदर लेने में सक्षम थी इसलिए अपने बेटे के लंड को अंदर की तरफ सरकता हुआ महसूस करके वह भी अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी काफी उत्तेजित भी,,,,,। वह अपने बेटे का हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,,।

आहहहहह,,,, आहहहहह,,,, बस ऐसे ही बेटा अंदर आने दे और जोर लगा बहुत मजा आ रहा है देखना थोड़ी देर में तेरा लंड मेरी बुर के अंदर होगा और तु मुझे चोद रहा होगा,,,


फिर क्या था अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ने लगा और वह अपनी मां की कमर थाम कर अपने लंड को और तेजी से अंदर की तरफ ठेलने लगा,, देखते ही देखते बुर की चिकनाहट पाकर सोनू का लंड पूरी तरह से संध्या की बुर में समा गया,,,,, सोनू को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका लंड उसकी मां की बुर की गहराई में पूरा का पूरा घुसश गया है,,,,वह बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था और बुर में घुसा हुआ उसका लंड को देख रहा था उसकी सासे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो वह भी उसी को देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, सोनू समझ गया था कि उसे क्या करना है,,,, वह कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था,,,और बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था जिसमें उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था,,,, सोनू को यह देख कर बहुत मजा आ रहा था,,, और संध्या को अपने बेटे के लंड बुर की गहराई में महसूस करके आनंद आ रहा था,,,,।

दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी बस दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे,,,, आंखों ही आंखों से बातें हो रही थी,,,,,,, सोनू का लंडउसकी मां की बुर की अंदर की दीवारों में रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था जिससे संध्या की उन्मआदकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, गहरी सांस लेते हुए गरमा गरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,,,


आहहहहहह,,सहहहहहहहह,,,,आहहहहहह,सीईईईईईईईई,,ऊई,,,,, मां,,,,,,ओहहहहहरहहह,,,,,,हाय मर गई रे बहुत मोटा है रे तेरा लेकिन बहुत मजा आ रहा है अब थोड़ा जोर से पेल,,,,,
(इतना सुनते ही सोनू अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया,,, अब सोनू का लंड बड़ी रफ्तार से बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,। अब बड़े अच्छे से सोनू अपनी मां को चोद रहा था,,,, उसके हर एक धक्के पर संध्या की आह निकल जा रही थी और जितनी जोर से धक्के लगा रहा था उसके बदन के साथ-साथ संध्या की बड़ी-बड़ी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छतिया पर इधर-उधर घूम रही थीं,,, जिसे देखकर सोनू का मन ललच रहा था उससे रहा नहीं गया और अब अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की दोनों चुचीयो को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मां की चुची को अपने हाथों से पकड़कर दबा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि चूची दबाने में इतना मजा आता होगा,,,,

kids in distress

संध्या अपने बेटे के मोटे लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,उसे आज अपने पति से भी ज्यादा अपने बेटे से चुदवाने मजा आ रहा है,,,,,, सोनू के धक्के पड़े तेजी से चल रहे थे,,,, और देखते ही देखते संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी वह तीसरी बार झड़ने के कगार पर थी,,, उसका बदन अकड़ रहा था और सोनू अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपना लंड पेल रहा था,,,,, संध्या गरम सिसकारी लेते हुए तीसरी बार भी झडने लगी,,,, संध्या चाहती थी कि यह चुदाई और देर तक चालू रहे लंबी चली लेकिन सोनू का यह पहली बार था इसलिए वह अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया संध्या के ऊपर ही ढेर हो गया,,,।
Lajwab bhai sab maja aa gya
 

Sanju@

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45 वर्षीय संजय पेसे से माना जाना डॉक्टर था जिसका खुद का हॉस्पिटल था,,,। पैसा रुतबा सब कुछ उसके पास था किसी चीज की कोई कमी नहीं थी,,। रोज सुबह उठकर घर में ही बने जिम में कम से कम 2 घंटे मेहनत करके अपने पसीने निकालता था जिसका फल उसे मिल रहा था इस उम्र में भी उसका बदन हट्टा कट्टा और गठीला था,,। 6 फीट लंबाई लिए हुए वह काफी आकर्षक लगता था,,। संजय काफी रंगीन मिजाज का था उसके ना जाने कितनी औरतों और लड़कियों के साथ नाजायज संबंध थे,,, और इस बारे में किसी को कानो कान खबर नहीं था यहां तक कि उसकी बीवी संध्या भी अपने पति के चरित्र के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी उसे तो यही लगता था कि उसका पति सिर्फ उसी से प्यार करता है,,,। ऐसा नहीं था कि संध्या में किसी बात की कमी थी 38 की उम्र में भी वह बला की खूबसूरत लगती थी एक डॉक्टर की बीवी होने के नाते और ग्रेजुएट होने के कारण वह अपने बदन का अच्छे से ध्यान रखती थी वह भी घर में बने जीवन में योगा और कसरत करके अपने बदन को एकदम फिट रखी थी तभी तो * 30 की उम्र में भी 20 की लगती थी,,, बदन भरा हुआ था गदराया जिस्म लेकिन चर्बी का नामोनिशान नहीं था भगवान ने छाती की सजावट के लिए खरबूजे समान दोनों चूचियां इतनी आकर्षक बनाई थी कि मानो वो खुद अपने हाथों से बनाए हो,,, और इस उम्र में भी एकदम तनी हुई जरा भी लचक नहीं थी ब्लाउज पहनने के बाद मानो ऐसा लगता था कि दुनिया भर का खजाना वह अपने ब्लाउज के अंदर समेट कर रख ली हो,,, औरतों के आकर्षण का केंद्र बिंदु हमेशा से ऊभारदार नितंब ही रहे हैं,,,, और वह भगवान संध्या को तोहफे के रुप में बख्शा था,,,, जिसकी भी नजर संध्या के उभार दार नितंबों पर जाती थी वह बस देखता ही रह जाता था,,, नितंबों का घेराव और उठाव इस कदर आकर्षक लगता था कि मानो छोटी छोटी दो पहाड़िया हो,, जिन पर चढ़ाई करना सबके बस की बात नहीं थी किस्मत वाले ही वहां तक पहुंच पाते थे और संजय उसका पति बेहद किस्मत का धनी था जो कि संजय जैसी खूबसूरत औरत उसकी बीवी थी,,, 5 फुट 4 इंच की लंबाई संजय की खूबसूरती में चार चांद लगा कर रहे थे,,, चिकना समतल पेट और पेट के बीच की गहरी नाभि मानो कुदरत की बनाई हुई कोई घाटी हो,,,
मोटी चिकनी सुडौल जांघें,, इतनी चिकनी कि उस पर से नजर फिसल जाए,,, संध्या को देख कर कोई यह नहीं कह सकता था कि मैं दो बच्चों की मां है और वह भी जवान बच्चे की,,,, धन दौलत के साथ-साथ भगवान ने संजय और संध्या का दो खूबसूरत औलाद भी दिए थे जिसमें बड़ी बेटी शगुन और छोटा बेटा आकाश जीसे प्यार से घर वाले सोनू कहते थे,,,,,,,

ऐसा नहीं था कि संध्या को चुदाई में मजा नहीं आता,,, संध्या भी बिस्तर पर बेहद कामुक और सेक्सी थी जो अपनी संतुष्टि और तृप्ति का अपने तरीके से ख्याल रखती थी लेकिन वहां तक पहुंचने में उसे शर्म के चादर को उतारना पड़ता था वह काफी शर्मिली थी और संस्कारी थी,,। संजय को भी अपनी बीवी के साथ चुदाई करने में बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी क्योंकि अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी बेहद खूबसूरत और गदराए बदन की मालकीन है,,। लेकिन वह अपनी आदत से मजबूर था घर की मुर्गी दाल बराबर यह कहावत संजय सिंह पर बराबर बैठती थी,,, लेकिन कुछ भी हो जाए उड़ता हुआ पंछी चाहे जितनी दूर चला जाए शाम को घर वापस लौटता ही है,,,।
इसलिए तो,,,, संजय सिंह अपनी बीबी संध्या की खूबसूरती और कामुकता का दीवाना था,,,,,

रात के 1:30 बज रहे थे लेकिन संजय सिंह और संध्या की नींद गायब थी क्योंकि दोनों एक दूसरे में एकाकार होने की भरपूर कोशिश कर रहे थे और संजय सिंह बिस्तर पर पीठ के बल लेटकर अपने मोटे तगड़े लंड़ को अपने हाथ से हिलाते हुए अपनी बीवी को अपना गाऊन निकाल कर बिस्तर पर आने के लिए बोल रहा था,,,। संजय सिंह यह भी जानता था कि उसकी बीवी बिस्तर पर आने से पहले जब तक गर्म नहीं हो जाती तब तक एकदम शर्मीली बनी रहती है लेकिन उसके बाद ऐसा परफॉर्मेंस देती है कि पोर्न मूवी की एक्ट्रेस भी दांतो तले उंगली दबा ले,,, संजय सिंह का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी खूबसूरत बीवी संध्या अपने गांऊन का बटन खोल रही थी,,,, यही हाल संध्या का भी था, बार-बार चोर नजरों से वह अपने पति के आसमान की तरफ मुंह उठाकर देखते हुए खड़ी लंड को देख ले रही थी,,उसकी बुर में भी कुलबुलाहट हो रही थी अपने पति के लंड को अपनी बुर की गहराई तक ले लेने के लिए,,,,, कुछ देर पहले वह शर्मा रही थी,,, लेकिन अपने पति के खड़े लंड को देखकर उसके बदन में गर्मी बढ़ने लगी थी इसलिए वह जल्द से जल्द अपे गांऊन को उतार कर नंगी हो जाना चाहती थी,,। आखिरकार वहां अपनी गाउन का आखरी बटन खोल कर जल्द से जल्द उसे अपने बदन से अलग कर दी,,,।
अब अब संध्या केवल ब्रा और पेंटी में बिस्तर के किनारे खड़ी थी,,,, अपने बीवी को केवल ब्रा और पेंटी में देखकर संजय सिंह की आंखों में वासना उतर आई,,, लाल रंग की ब्रा और पेंटी में काम की देवी लग रही थी संध्या,,, ब्रा का साइज चुचियों के साईज से छोटा ही था जिसकी वजह से उसके दोनों खरबूजे आपस में इस कदर चोटे हुए थे की बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही लंबी और गहरी नजर आ रही थी,,,,,,।

जल्दी से आओ मेरी जान मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,

अरे थोड़ा तो सब्र करो तुम से तो बिल्कुल भी सब्र नहीं होता,,( इतना कहने के साथ संध्या अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोल दिए और अगले ही पल वह अपने बदन से ब्रा को उतार फेंकी,,, फुर्ती दिखाते हुए अपनी लाल रंग की पैंटी को भी अपनी लंबी टांगों से अलग कर दी,,, संजय सिंह की नजर संध्या की दोनों टांगों के बीच की पतली लकीर पर ही टिकी हुई थी जो कि बेहद खूबसूरत और उत्तेजना के मारे सूजी हुई लग रही थी,,, संजय सिंह अपनी बीवी की खूबसूरत बुर को देखकर अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,,, और संध्या उत्तेजना में आकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे हल्के से मसलने लगी,,, और खुद ही उसके मुख से गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,ससहहहहहहह आहहहहहहहह,,,,,,, और अपनी बीवी के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज सुनकर संजय सिंह कामुकता भरे स्वर में बोला,,,।

मेरी रानी वही खड़े-खड़े मचलती रहोगी या बिस्तर पर भी आओगी,,,,।

आती हूं मेरे राजा मुझे मजा आता है तुम्हें इस तरह से तड़पते हुए देखने में,,,,।

मुझे कितना तड़पाओगी लंड जाने के बाद ऊतना जोर-जोर से चिल्लाओगी,,,,।

मुझे चिल्लाने में बहुत मजा आता है,,,(इतना कहते हुए संध्या घुटनों के बल बिस्तर पर चढ गई,,,, और देखते ही देखते अपने पति के कमर के इर्द-गिर्द अपने दोनों घुटने रखकर एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के,,अपने पति के लंड को पकड़े ली और उसे अपनी बुर के गुलाबी छेद का रास्ता दिखाते हुए उसे अपने अंदर लेना शुरू कर दी,,, जैसे-जैसे संध्या आपने भारी-भरकम गोलाकार गांड का दबाव अपने पति के मोटे तगड़े लंबे लंड पर बढ़ा रही थी वैसे वैसे संजय का लंड उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ अंदर की तरफ जा रहा था,,, और वैसे वैसे संजय सिंह के चेहरे का हाव भाव बदलता जा रहा था ऊसे अद्भुत सुख का एहसास हो रहा था,,,देखते ही देखते संध्या अपने पति के लंबे लंड को अपने बुर की गहराई में छुपा ली,,,,।

दूसरी तरफ उसकी बेटी शगुन एमबीबीएस की तैयारी करते हुए पढ़ाई कर रही थी आखिरकार बाप जो मारा जाना डॉक्टर था तो बेटी का भी फर्ज बनता था अपने बाप के नक्शे कदम पर चलना इसलिए वह दिन रात जुटी हुई थी एमबीबीएस की तैयारी करने में रात के 1:30 बजे का अलार्म हुआ हमेशा लगा कर रखी थी क्योंकि इसके बाद वह सो जाते थे और इसीलिए 1:30 का अलार्म बसते हैं अपनी किताब बंद करके सोने की तैयारी कर रही थी कि उसे जोरों की पेशाब लगी और वह अपने कमरे से बाहर आ गई बाथरूम जाने के लिए,,,वैसे तो उसके कमरे में भी बाथरुम था लेकिन उसका क्लास खराब हो चुका था इसलिए वह दूसरे बाथरूम में जाने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गई थी,,,, जैसे ही वह अपने मम्मी पापा के कमरे के करीब पहुंची तो खिड़की खुली होने की वजह से हल्की हल्की रोशनी बाहर आती नजर आ रही थी,,, बस ऐसे ही खिड़की के पास पहुंची तो कमरे में से अजीब अजीब सी आवाज आ रही थी जो कि संध्या के सिसकारी लेने की आवाज थी लेकिन यह सब शगुन के लिए नया था,,,,, वह को तुम्हारे पास खिड़की के पास खड़ी हो गई है और हल्की सी खुली खिड़की में से अंदर झांकने की कोशिश करने लगी,,, अंदर ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी पूरे कमरे में फैली हुई थी,,,। जैसे ही उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी वह दंग रह गई उसकी सांस रुक गई वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे अपनी आंखों से इस तरह का दृश्य देखना पड़ेगा,,, बिस्तर पर का गरमा गरम दृश्य देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,, उसका गला सूखने लगा,, कर भी क्या सकती थी बिस्तर पर का दृश्य ही गरमा गरम था कि वह चाह कर भी उससे नजर नहीं फिरा पा रही थी,,,।

बिस्तर पर उसकी मां जोर-जोर से बाप के मोटे खड़े लंड पर कूद रही थी शगुन की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि उसे अच्छी तरह से दिखाई दे रहा था कि उसकी मां की बुर मैं उसके बाप का मोटा खड़ा लंड बहुत ही जल्दी जल्दी अंदर बाहर हो रहा था,,, जिंदगी में पहली बार ना किसी औरत और मर्द के साथ चुदाई करते हुए देख रही थी वह भी किसी गैर को नहीं बल्कि अपने ही मम्मी पापा को इसलिए तो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी पहली बार ही उसे इस बात का अहसास हुआ था कि मर्द का लंड कैसा होता है,,,, शगुन की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, शगुन वहां से चली जाना चाहती थी लेकिन उसके पैर जवाब दे दिए थे,, वह चाह कर भी वहां से नहीं जा पा रही थी,,, वह अपनी मम्मी को जोर-जोर से अपने बाप के लंड परकुदते हुए देख रही थी,,,, पहली बार उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां नंगी होने के बाद कितनी ज्यादा खूबसूरत लगती है अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर उसके तन बदन में भी आग लग रही थी,,, शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच कंपन महसूस हो रही थी,,,। सांसो की गति पर उसका जरा भी नियंत्रण नहीं था,,,,उसकी आंखों के सामने जिस तरह का नजारा था उस नजारे के बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,, अपनी मां को इस अवस्था में देख कर उसे शर्म महसूस हो रही थी और अपने बाप को इस तरह की हरकत करते हुए देख कर उसे अजीब लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों उस नजारे में आकर्षण हो रहा था,,,,

शगुन की आंखों के सामने इसकी मां की गुलाबी‌ बुर के अंदर उसके बाप का लंबा लंड बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था, कि तभी उसकी मां की बुर के अंदर से संजय का लंड छटक कर बाहर आ गया,,,, जिसे संध्या फिर से पकड़ कर उसे वापस अपनी बुर के अंदर ले ली,,यह देखकर सब उनकी हालत खराब हो गई तो ऊतेजना के मारे उसका रोम-रोम कांपने लगा,,,,उसकी सांसें और तेज़ चलने लगी क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह खड़े लंड को देख रही थी और वह भी अपने बाप के,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि लंड इतना मोटा तगड़ा और लंबा भी हो सकता है,,,,वह दोनों के बीच किस तरह की बातें हो रही थी वह शगुन के कानों में तो पड रही थी लेकिन दिमाग तक नहीं पहुंच रही थी,,, क्योंकि उसका सारा ध्यान सिर्फ उसकी मां की बुर और उसके पापा के लंड पर थी,,,अत्यधिक उत्तेजना आत्मक कामुकता से भरे हुए दृश्य को और देर तक देख पाना शगुन के लिए मुश्किल हुआ जा रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और वह ज्यादा देर तक वहां रुक नहीं पाई और बाथरूम जाने के बजाय वह वापस अपने कदम मोड़ कर अपने कमरे में आ गई,,,
बहुत ही सुन्दर और कामुक अपडेट है संध्या की दमदार चूदाई हो रही है मजा आ गया
 
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Sanju@

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शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था वह कमरे के अंदर के कामुक दृश्य को बर्दाश्त नहीं कर पाई और वहां से अपने कमरे में आ गई उसे जोरों की पेशाब लगी लेकिन पेशाब करने के लिए भी वह बाथरूम में नहीं गई,,,,, वह अपने कमरे में बिस्तर पर नीचे जमीन पर पांव टीका कर बैठी हुई थी उसका दिल अभी भी जोरों से धड़क रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड नजर आ रही थी जो कि वह जोर-जोर से उसके पापा के बड़े मोटे खड़े लंड पर पटक रही थी,,,। शगुन एक खूबसूरत जवान लड़की की लेकिन अब तक वह किताबों में ही अपना दिमाग लगा दी थी ना कि इधर-उधर की बातों में,, वापस अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई को पूरा करना चाहती थी और जल्द से जल्द अपने पापा की तरह डॉक्टर बन जाना चाहती थी इसलिए वह अपनी सहेलियों के साथ इधर-उधर घूमती भी नहीं थी बस मेडिकल कॉलेज से घर और घर से मेडिकल कॉलेज बस उसका यही रूटीन था लव प्यार के चक्कर में वह कभी भी नहीं पड़ी थी ऐसा नहीं था कि उसे लव प्यार यह सब के बारे में मालूम नहीं था उसे यह सब पता तो चलता था लेकिन वह कभी भी प्रेम के चक्कर में नहीं पड़ी थी लड़के उसके पीछे जरूर पड़े हुए थे लेकिन वह किसी को भी भाव नहीं देती थी उसे बस अपने काम से मतलब था अपनी पढ़ाई से मतलब था,,,,।
लेकिन आज उसकी आंखों ने देखा था वह उसकी सोच से विपरीत था एक मेडिकल स्टूडेंट होने के बावजूद भी और एक जवान लड़की होने के बावजूद भी वह कभी अपने मम्मी पापा के बारे में इस तरह की कल्पना नहीं की थी ना ही उन्हें कभी इस तरह से संभोग रत देखी थी लेकिन आज अपनी आंखों से यह सब देख कर उसे बड़ा अजीब लग रहा था उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह कभी सोची नहीं थी कि उसकी मां इस तरह की हरकत करती होगी,,,।
शगुन का पूरा वजूद कांप रहा था,,, उसकी मां के मुख से निकलने वाली गर्म सिसकारियां अभी तक उसके कानों में गूंज रही थी उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि जिस तरह कि उसकी मां आवाज निकाल रही थी उसे दर्द हो रहा था या मजा आ रहा था इन दोनों के बीच के मतलब को शगुन समझ नहीं पा रही थी,,, एक औरत होने के नाते वह अपने बदन की बनावट से भलीभांति परिचित थी,, और अपने पापा के लंबे मोटे लंड को देखकर उसे बड़ा ताज्जुब हो रहा था कि छोटी सी बुर के छेद में इतना मोटा लंड बड़े आराम से जा कैसे रहा था,,, यह सोच कर उसका दिल और जोरों से धड़क रहा था,,,, अनजाने में ही वह काफी उत्तेजित हो चुकी थी उसका गला सूख रहा था वह टेबल पर पड़ा पानी का जाग उठा कर उसे कांच के गिलास में उड़ेलने लगी,,,, और एक ही सांस में पूरे गिलास का पानी गटगटा गई,,, वह बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई और कुछ देर पहले देखे गए दृश्य के बारे में सोचने लगी,,,। उसकी आंखों के सामने बार-बार उसके पापा का मोटा खड़ा लंड जो कि उसकी सोच के बिल्कुल विपरीत साइज का था वह दृश्य के बारे में सोच कर ही उसकी टांगों के बीच हलचल होने लगती थी,,, और उसकी मां की बड़ी-बड़ी गोरी भरावदार गांड,,,, उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसकी मां की गांड इतनी खूबसूरत होगी,,,, यह तो अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मां बेहद खूबसूरत है लेकिन अब तक उसने अपनी मां को बिना कपड़ों के कभी नहीं देखी थी जिंदगी में पहली बार वह खिड़की से अपनी मां के नंगे बदन को देखकर उत्तेजना के मारे सिहर उठी थी,,, इस बात को भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी मां बेहद संस्कारी और मर्यादा सील औरत है हमेशा पूजा-पाठ और अपने बच्चों का ख्याल रखने वाली मां है,,,,। शगुन अपनी मां के इस रूप के बारे में अच्छी तरह से जानती थी लेकिन आज उसकी आंखों के सामने वह अपनी मां का एक अलग नया रूप देख रही थी,,, जो कि उसके सोच के बिल्कुल विपरीत ही था,,,,।

शगुन इतना तो जानती थी कि उसके मम्मी पापा कमरे में जो क्रिया कर रहे थे उसे चुदाई कहते हैं लेकिन आज तक उसने इस शब्द को अपने होठों पर नहीं आने दी थी,,, आज अनायास ही अपने मम्मी पापा को संभोग रत देखकर उसके मन मस्तिष्क में अश्लील शब्द एक-एक करके अपना भेद खोल रहे थे,,,। वह काफी बेचैनी महसूस कर रही थी वह अपनी मम्मी पापा के बारे में सोचते हुए बिस्तर पर इधर से उधर करवट बदल रही थी उसकी टांगों के बीच की पतली दरार में से उसे कुछ रिसता हुआ महसूस हो रहा था,,,, उसे बड़ा अजीब लग रहा था उसे ऐसा समझ में आ रहा था कि कहीं जोर की पेशाब लगने की वजह से कहीं पेशाब की बूंदे तो नहीं टपक रही उसकी बुर से,,, वह नाईट ड्रेस में पैजामा और कुर्ती पहनी हुई थी अनायास ही वह अपनी बुर से निकल रहे पेशाब के बारे में जानने के लिए अपने पजामे को लेटे-लेटे ही दोनों हाथ से आगे की तरफ खींच कर अंदर की तरफ नजर दौड़ाने लगी,,,, इस तरह से उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था बस केवल उसकी बुर की दोनों फांके फूली हुई नजर आ रही थी,,,, बस थोड़ा सा अपने पजामे को नीचे की तरफ करके ठीक से देखने के लिए वह थोड़ा सा उठ गई और अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को देखने लगी जो कि उस समय एकदम चिकनी और मखमली लग रही थी बालों का रेशा तक उस पर नहीं था इसका कारण यही था कि शगुन हफ्ते में दो बार उस पर क्रीम लगाकर इसे साफ करती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि ढेर सारे बालों की वजह से उसे खुजली हो,,, इसलिए तुम इस समय उसकी पुर दूध जैसी गोरी चिकनी और फूली हुई नजर आ रही थी जैसे कि मानो तवे पर रोटी सेकी गई हो,,, शगुन के लिए अपनी बुर की रचना भले ही सामान्य लग रही हो लेकिन किसी मर्द के लिए उसकी टांगों के बीच नजर डालना किसी अद्भुत अतुल्य खजाने देखने से कम नहीं था,,,
वह बड़े गौर से अपनी बुर को देख रही थी और उसमें से रिस रहे मदन रस को जिसे वह पेशाब समझ रही थी,,, वह उत्सुकता बस अपनी तो उंगली बुर के ऊपर रखकर उस रिस रहे मदन रस के बारे में जानने के लिए रखी तो वह मदन रस उसे बेहद चिपचिपा महसूस होने लगा उसे बड़ा अजीब लगा,,, क्योंकि शायद उसकी जानकारी में पहली बार उसकी बुर से इस तरह का रस निकल रहा था जो कि बेहद चिपचिपा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या है,,,, रुमाल से अपनी उंगली को साफ की और उसी रुमाल को अपनी बुर को भी साफ कि यह सोच कर कि सुबह उसे अच्छे से धो डालेगी,,, और वह पैजामा ऊपर करके वापस पीठ के बल लेट गई,,,, फिर से उसकी आंखों के सामने वही कमरे वाला कामुक दृश्य घूमने लगा वह फिर से उसी देश के बारे में सोचते सोचते गहरी नींद में सो गई,,,

लेकिन अभी भी उसके मम्मी पापा के कमरे में उठापटक चालू थी अब पोजीशन बदल चुकी थी संध्या नीचे पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगों को जितना हो सकता था उतना फैलाकर अपने पति संजय के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर की गहराई में महसूस कर रही थी,,,।

आहहहह,,आहहहह,आहहहहह,,,( संजय के जबरदस्त प्रहार के साथ संध्या की आह निकल जा रही थी लेकिन उसे बेहद आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी,,,।)

मादरचोद रंडी भोसड़ा चोदी जब तक मेरा लंड तेरी बुर की गहराई नहीं नापता तब तक तुझे चोदने का मजा नहीं आता,,, साली रंडी,,,,( गंदी गंदी गालियां देते हुए संजय जोर-जोर से अपनी कमर हिला रहा था और संध्या संजय का हर धक्का बड़े आराम से झेलते हुए आनंद विभोर हुए जा रही थी और वह भी जवाब में गंदी गंदी गालियां दे रही थी,,,)

भोसड़ी के साले कुत्ते तू मेरा गुलाम है मादरचोद मेरी बुर चाट कर ही तुझे मजा आता है और सच कहूं तो जब तू कुत्ते की तरह मेरी बुर चाटता है तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं हवा में उड़ रही हूं मादरचोद,,,


तो क्या करूं कुत्तिया तेरी बुर एकदम मलाईदार है और तेरी बुर से मलाई निकलती है जिसे चाटने के लिए मुझे कुत्ता बनना पड़ता है,,,,,,।


भोसड़ी के मादरचोद मेरी बुर में इतना दम है तभी तो एक जाने-माने इतनी बड़ी डॉक्टर को मेरी टांगों के बीच कुत्ता बनकर बुर चाटना पड़ता है,,,,,आहहहह आहहहहह आहहहहह,,,,, फाड़ दे मेरी बुर को मादरचोद।।
( अपनी बीवी की इतनी गंदी बात सुनकर संजय का जोश दुगुना हो गया और वह जोर-जोर से अपनी कमर हिलाने लगा पूरा पलंग चर मरा रहा था संध्या की गरम सिसकारी की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,, वह दोनों इस बात से बेखबर थे कि कुछ देर पहले उनकी बड़ी बेटी उन दोनों के संभोग लीला को अपनी आंखों से देख कर गई थी,,, वह दोनों अपनी मस्ती में चुदाई का आनंद ले रहे थे,,, पढ़े-लिखे सज्जन समाज में रहने के बावजूद भी संजय और संध्या संभोग रत होने के बाद,,,, किसी गंदी बस्ती के रंडी और रंडी को छोड़कर अपनी प्यास बुझाने वाला ग्राहक की तरह बातें कर के मजे लेते थे,,,, अच्छा ही हुआ था कि शगुन इस कामोत्तेजना से भरे हुए दृश्य को झेल नहीं पाई और अपने कमरे में चली गई वरना अपने मम्मी पापा के मुंह से इस तरह की गंदी गंदी बातें सुनकर वह अपनी मम्मी पापा के बारे में क्या सोचती उसे तो यकीन ही नहीं आता कि,,, उसकी आंखों के सामने बिस्तर पर चुदाई करने वाले उसके मम्मी और पापा हैं,,,,,।

आखिरकार संजय के जबरदस्त धमाकेदार प्रहार को झेलते हुए संध्या चर्मसुख के करीब पहुंचने लगी जिससे उसकी गर्म सिसकारियां और तेज गूंजने लगी,,, संजय इस नाजुक पल के बारे में अच्छी तरह से परिचित था इसलिए वह अपने धक्कों को और तेज कर दिया और देखते ही देखते दोनों एक दूसरे की बाहों में अपना गर्म पानी छोड़ने लगे,,,, दोनों एक दूसरे को संतुष्ट और तृप्त करने में किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ते थे इसलिए तो दोनों एक दूसरे के साथ बेहद खुश थे,,,, संजय उसी तरह से अपनी बीवी की बुर में गर्म पानी का छिड़काव करते हुए उसके ऊपर लेटा ही रह गया और संध्या भी उसे अपनी बाहों में दबोचे हुए उसकी पीठ को सहलाने लगी,,,।
Fantastic update
 

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सुबह की पहली किरण के साथ शगुन की आंख खुली तो खिड़की मैं से हल्की-हल्की सूरज की रोशनी अंदर बिस्तर पर आ रही थी,,,। शीतल हवा से खिड़की के पर्दे लहरा रहे थे बड़ा ही खुशनुमा मौसम था,,,, शगुन अंगड़ाई लेते हुए बिस्तर पर बैठ गई,,,, शगुन उसकी मां की तरह ही एकदम गोरी चिकनी और बेहद खूबसूरत थी गाल एकदम लाल टमाटर की तरह,,, गोलाकार चेहरा अच्छी खासी लंबाई पतली सी कमर कमर के नीचे नितंबों का उभार एकदम जानलेवा था ,,, छातियों की शोभा बढ़ाते दोनों संतरे अभी बेहद कोमल और सीमित आकार में थे लेकिन निप्पल का कभी कभार तन कर खड़ा हो जाना ऐसा लगता था कि मानो कोई योद्धा युद्ध के लिए अपने भाले को तैयार कर रहा हो,,,,
वह बिस्तर पर बैठे-बैठे अंगड़ाई ले रही थी कि तभी उसे रात वाली बात याद आ गई जो उसने अपनी आंखों से देखी थी शायद इस बारे में सब उनको भी नहीं पता था लेकिन इस नई सुबह की शुरुआत से ही उसके जीवन में बदलाव आना शुरू हो गया था उसके सोचने समझने की दिशा बदलने लगी थी जिस काम से वह बिल्कुल अनजान थी अब उसे जानने की उत्सुकता उसके अंदर बढ़ने लगी थी,,,। ना चाहते हुए भी बार-बार उसकी मां की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड ऊछलती हुई और वह भी उसके पापा के लंड पर बार-बार यह नजारा उसकी आंखों के सामने तेर जा रहा था,,,, उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा का मोटा तगड़ा और काफी लंबा लंड उसकी मां की गुलाबी छोटे से छेद में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी,,,, सगुन भले ही मेडिकल की छात्रा थी लेकिन संभोग रचना और संभोग क्रिया से बिल्कुल भी अनजान थी उसकी जिंदगी में उसने बहुत सी किताबों का अध्ययन की थी लेकिन संभोग का अध्याय अब तक पठन नहीं कर पाई थी इसीलिए उसकी उत्सुकता संभोग के बारे में जानने की कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी,,,। शगुन इस समय एक वृक्ष का बेहद कोमल लापता थी और संभोग उसके लिए एक तूफान की तरह था जो कि उसे वृक्ष की टहनियों से उखाड़ देने की ताकत रखता था अब देखना यह था कि शगुन कब तक अपनी कोमलता को वृक्ष की टहनी पर संजो कर रख पाती है,,,, जो कि शायद इस उम्र में उसके लिए तो क्या उसकी उम्र की सारी लड़कियों के लिए नामुमकिन था,,, इसलिए तो रात वाले दृश्य के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में हलचल बचने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली सी दरार के अंदर जो कि इस तरह की हलचल को उसने कभी भी अपने अंदर महसूस नहीं की थी,,,,

किचन में से बर्तनों की आवाज आना शुरू हो गई थी जिसका मतलब साफ था कि उसकी मां कीचन में नाश्ता तैयार कर रही थी,,,। संध्या घर में सबसे पहले उठती थी और सबसे पहले नहा धोकर पूजा पाठ करके तैयार हो जाती थी और कॉलेज जाने और उसके पति के हॉस्पिटल जाने से पहले ही वह नाश्ता तैयार कर देती थी यह उसकी रोज की दिनचर्या थी जिसमें वह कभी भी आनाकानी नहीं दिखाती थी,,,,,

शगुन भी मस्ती भरी ख्यालों के साथ आलस को समेटते हुए बिस्तर पर से उठ खड़ी हुई,,,, और सीधे कमरे से बाहर निकल कर बाथरूम में चली गई,,,, ब्रश करके फ्रेश होने के बाद वह नहाने के लिए अपनी कुर्ती के बटन खोलने लगी,,, उसके जेहन में अभी भी उसके मम्मी पापा के काम क्रीड़ा वाला दृश्य घूम रहा था जिससे उसके बदन में मस्ती भरी लहर उठ रही थी देखते देखते वह अपने कुर्ती के सारे बटन खोल कर कुर्ती को नीचे फर्श पर गिरा दी,,,, बड़े आईने के सामने वह अपने वस्त्र निकाल रही थी आज वह बड़े गौर से अपने बदन की रूपरेखा को निहार रही थी,,, उसके होठों की लाली बेहद खूबसूरत लग रही थी जो कि कृत्रिम नहीं थी कुदरती थी,,,, उसकी नजर अपने दोनों संतरो पर गई तो वह आईने में अपने संतरो को देखकर शरमा गई,,,, काली रंग की ब्रा में जो कि बेहद खूबसूरत दिखाई दे रहे थे एकदम गुलाबी,,,। लेकिन अपनी मां की चुचियों को देखकर वह अपनी मां की चुचियों से अपनी चुचियों की तुलना करते हुए इतना तो समझ गई थी कि साइज में उसकी मां की चूचियां खरबूजे जैसी थी और उसकी संतरे जैसी जिस में जमीन आसमान का फर्क था लेकिन आकर्षण दोनों की चुचियों में था,,, दबाने में और मुंह में लेकर चूसने में दोनों की सूचियों में बेहद आनंद की प्राप्ति की गारंटी निश्चित थी,,,। शगुन की मां की चूचियां न जाने कितने सावन को देख चुकी थी और शगुन की चूचियों का सावन अब शुरू होने वाला था,,,,।
अपने मम्मी पापा के काम क्रीड़ा वाले दृश्य को सोचकर उसके गाल उत्तेजना के मारे लाल गुलाबी होते जा रहे थे और वह अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपने ब्रा के हुक को खोल कर एक झटके में ही अपनी ब्रा को खोल दी और उसे अपनी गोरी गोरी बाहों में से आजाद करते हुए नीचे फर्श पर गिरा दी अब उसकी आंखों के सामने आईने में उसकी मौत मस्त चूचियां जो कि संतरे के आकार थी अपनी पूरी रूपरेखा लेकर एकदम उभरकर नजर आ रही थी,,,। जिसे देखकर ना जाने क्यों शगुन के तन बदन में हलचल सी मच रही थी शगुन के लिए यह पहला मौका था जब वह अपनी संतरे जैसे चूचियों को बड़े गौर से देख रही थी,,, ना चाहते हुए भी अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ लाकर दोनों संतो को अपनी हथेली में भर ली और उसे हल्के से दबा दी,,,, और अपनी इस हरकत की वजह से उसके मुख से आनायास ही आह की आवाज निकल गई,,,। अद्भुत तरंग उसके तन बदन में दौड़ने लगी उससे यह तरंग बर्दाश्त नहीं हुई और वह झट से अपना हाथ अपनी चूची पर से हटा ली,,,। उसे अपना बदन बेहद खूबसूरत लग रहा था,,, जो कि हकीकत में वह बला की खूबसूरत थी वह अपने दोनों हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने पजामी को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, लेकिन ऐसा करने में उसके हाथ में उसकी काली रंग की पैंटी नहीं आई तो वह दोबारा अपनी उंगलियों को हरकत देते हुए अपने पजामी के साथ में अपनी पेंटी को भी पकड़ ली और उन दोनों को धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,,,। शगुन की यह हरकत बेहद औपचारिक ही था लेकिन इस समय शगुन के तन बदन में मस्ती की लहर उठ रही थी इसलिए यह हरकत बेहद कामुक लग रही थी,,,। वह आईने में अपने प्रतिबिंब को देख रही थी आईने में धीरे-धीरे उसका पूरा वजूद वस्त्र विहीन होता जा रहा था,,, आज उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से दौड़ रही थी उसके तन बदन में कसमसाहट उत्पन्न हो रही थी, जिसका शायद उसे अंदाजा नहीं था,,,
देखते ही देखते सगुन अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा लेकर अपनी पेंटी और पजामी दोनों को अपने घुटनों तक ला दी,,,,, और थोड़ा सा गर्दन को झुका कर अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच पतली दरार पर स्थिर कर दी जहां का नजारा बेहद लुभावना और कोमलता से भरा हुआ था शगुन की दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी वह अपनी रसीली और मनमोहक बुर के आकार को बड़े गौर से देख रही थी जोकि अपनी बुर के आकार में आए बदलाव को वह अच्छे से देख रही थी और उसे समझने की कोशिश कर रही थी लेकिन शायद सब उनके लिए उसके आकार में आए बदलाव को समझ पाना इस समय मुश्किल था क्योंकि उत्तेजना के मारे उसकी गुलाबी फूल तवे पर पडी गरम रोटी की तरह फूल गई थी और उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी चोट की वजह से या खुजलाने की वजह से उसकी बुर की दोनों फांकों में सूजन आ गई है,,,। और इसी सूजन को समझने के लिए अपना एक हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच ले जाकर के अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों के पोरों से अपनी फूली हुई मखमली बुर पर रखकर हल्के हल्के दबाने लगी ऐसा करने से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी जिसके बारे में वह महसूस करते ही एकदम से गन गना गई,,,, कुछ ही देर में उसे अपनी उंगलियों से अपनी बुर को स्पर्श करना अच्छा लगने लगा,,,, उत्तेजना के मारे वह एक बार तो अनजाने में ही अपनी हथेली में अपनी छोटी सी मखमली खूबसूरत बुर को पूरी तरह से दबोच ली और ऐसा करने में उसके तन बदन की आग सुलगने लगी और उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,।

ससससहहहह आहहहहह,,,,,,,
( इस तरह की गरमा गरम आवाज उसके मुख से पहली बार निकली थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन अपनी इस हरकत की वजह से उसे आनंद की अनुभूति हुई थी जो कि इस तरह की अनुभूति वह कभी भी महसूस नहीं की थी उसे अपनी हरकत दोहराने की इच्छा हो रही थी और वह दोबारा अपनी ऐसी हरकत को दोहराते हुए एक बार फिर से अपनी छोटी सी मखमली गुलाबी बुर को अपनी हथेली में लेकर जोर से दबोच ली और एक बार फिर से उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,। उसे मजा आने लगा था अनजाने नहीं उसके तन बदन में उत्तेजना की आग सुलगने लगी थी जिंदगी में पहली बार वह अपनी बुर के साथ इस तरह की कामुक हरकत कर रही थी,,,, वह बेहद शर्मीले स्वभाव की थी एक मेडिकल स्टूडेंट होने के बावजूद भी उसका यह स्वभाव उसके प्रोफेशन से बिल्कुल भी मैच नहीं खाता था लेकिन शगुन ऐसी ही थी लेकिन रात को जो उसने अपनी मम्मी पापा के कमरे में अपनी आंखों से कामुकता पर एक काम क्रीड़ा के दृश्य को देखी थी तब से उसके अंदर बदलाव आना शुरू हो गया था,,,।

इसलिए तो वह अपनी आंखों को उत्तेजना के आगोश में मुंद ली और आंखों को बंद करते ही उसके जेहन में वही दृश्य गूंजने लगा जब उसकी मम्मी अपनी बड़ी बड़ी बहन को अपने पति के मतलब उसके पापा के लंड पर जोर जोर से पटक रही थी इस दृश्य के बारे में सोचते ही शगुन के तन बदन में कामोत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही ऊंची उठने लगी वह बड़ी जोर जोर से अपनी छोटी सी बुर को अपनी हथेली में दबाए जा रही थी अब तक उसने दूसरी लड़कियों की तरह हस्तमैथुन नहीं की थी इसलिए उसे नहीं पता था कि अपने आप को किस तरह से संतुष्ट किया जाता है वह बस उसी तरह से अपनी बुर को जोर-जोर से अपनी हथेली में लेकर मसल रही थी,,,,। उसके मुख से ना चाहते हुए भी गर्म सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,

ससहहहह आहहहहह आहहहहहहह,,,,
( शगुन इस मस्ती भरे पल में अपने आप को पूरी तरह से डूबा देना चाहती थी कि तभी उसकी बुर से भल भलाकर मदन रस निकलने लगा,,,,, और उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी,,,,। देखते ही देखते उसकी पूरी हथेली चिपचिपा पदार्थ से एकदम गीली हो गई उसे यह अहसास होते ही समझ में नहीं आया कि उसकी बुर से यह निकला क्या,,,, वह अपनी हथेली को आपस में रगड़ कर देख रही थी कि व चिपचिपा पानी क्या है लेकिन शायद अपने ही इस सवाल का जवाब इस समय मिलना उसके लिए मुश्किल था उसे यह अहसास हो रहा था कि उसे बड़ी जोरों की पेशाब लगी है वैसे भी है वो रात का अपना प्रेशर रोक कर रखी हुई थी इसलिए इस समय बाथरूम के अंदर उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह जल्दी से अपनी पजामी और पेंटि दोनों को अपनी नंगी चिकनी टांगों से निकालकर नीचे फर्श पर रख दी और वहीं पर बैठ गई उसे इतनी जोरो की पिशाब लगी हुई थी कि बैठते बैठते ही उसकी बुर से पेशाब की धार फूट पड़ी और सामने चमकती हुई टाइल्स पर बौछार मारने लगी,,,। पूरे बाथरूम में उसकी बुर से निकल रही सिटी की मधुर आवाज गूंजने लगी,,,। उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज किसी बांसुरी की मधुर आवाज से कम नहीं थी,,,, इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसे कॉलेज जाने के लिए देर हो रही है और वहां झटपट नहा कर तैयार होकर बाथरूम से बाहर आ गई,,,,। गुलाबी रंग के सूट सलवार में शगुन का गोरा बदन खेल रहा था वह बेहद खूबसूरत और खिली खिली लग रही थी,,,, डाइनिंग टेबल पर पहले से ही उसका छोटा भाई आकाश जो कि प्यार से सोनू के नाम से जाना जाता था वह और उसके पापा बैठे हुए थे उसके पापा पर नजर पड़ते हैं उसके तन बदन में हलचल होने लगी उसके पापा अखबार पढ़ रहे थे,,,,। अखबार पढ़ते पढ़ते संजय सिंह की नजर सगुन पर पड़ी तो वह उसके खिले हुए खूबसूरत रूप को देखकर मन ही मन प्रसन्न होते वह बोला,,,।

गुड मॉर्निंग बेटा आज बहुत देर कर दी तुमने,,,।

गुड मॉर्निंग पापा आज थोड़ा नींद लग गई थी इसलिए,,,।
( इतना कहते हुए शगुन कुर्सी खींच कर थोड़ा सा बाहर की और उस पर बैठ गई,,,।)

गुड मॉर्निंग दी आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,।

आज का क्या मतलब है तुझे में हमेशा क्या खराब लगती हुं,,,


नहीं नहीं दी ऐसा तो नहीं है,,,, आप खूबसूरत हो लेकिन आज कुछ ज्यादा ही खिली खीली लग रही हो,,,।

थैंक यू,,,,,

यू वेलकम दी,,,,,( सोनू मुस्कुराते हुए बोला अभी-अभी सोनू कॉलेज में आया था बहुत ही सीधा साधा लड़का था एकदम संस्कारी अपने से बड़ों की हमेशा इज्जत करता था अपनी दीदी से उसे कुछ ज्यादा ही लगाव था क्योंकि वह हमेशा उसकी मदद करती थी पढ़ाई में या किसी भी और काम में और शगुन भी अपने छोटे भाई सोनू से बेहद प्यार करती थी सोनू काफी आकर्षक और गठन एबदन वाला लड़का था लेकिन अभी तक लड़की के चक्कर में नहीं आया था वह भी सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता था,,,, उसके ज्यादा दोस्त नहीं थे गिनती के एकाद या दो थे,,,, और उनसे भी सिर्फ कॉलेज में ही मुलाकात होती थी,,,, शगुन बार-बार अपने पापा की तरफ चोर नजरों से देख ले रही थी इस समय वह काफी शरीफ और इज्जतदार इंसान दिखाई दे रहे थे जो संस्कारों से परिपूर्ण थे लेकिन रात वाले अपने पापा के बारे में सोचकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगती थी अपने पापा को देखकर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रात को सुबह उसकी मम्मी की चुदाई कर रहे थे,,, डाइनिंग टेबल पर बैठे-बैठे जब भी हो अपने पापा की तरफ देख ली तब तक उसे उसके पापा का लंबा तगड़ा मोटा लंड याद आ जा रहा था जो कि बड़े आराम से उसकी मां की गुलाबी बुर के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,, एक बार फिर से शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल होती हुई महसूस होने लगी,,, तभी उसकी मम्मी नाश्ते की ट्रे ले करके वहां आ गई और बारी-बारी से सबको नाश्ता देने लगी,,,।

गुड मॉर्निंग शगुन,,,,

मॉर्निंग मम्मी,,,,

गुड मॉर्निंग बेटा चलो नाश्ता करो,,,

मॉर्निंग मम्मी,,,,,

और आप अखबार ही पढ़ते रहेंगे या नाश्ता भी करेंगे हॉस्पिटल नहीं जाना क्या आपका,,,,।


नाश्ता भी करना है हॉस्पिटल भी जाना है,,,,। चलो तुम भी साथ में बैठ कर नाश्ता कर लो,,,,


नहीं मुझे अभी बहुत काम है मैं बाद में कर लूंगी,,,,


अरे ऐसे कैसे मैं कह रहा हूं आज जल्दी से हम हम लोगों के साथ बैठकर नाश्ता करो,,,,


हां मम्मी साथ में नाश्ता कर लो बाद में काम कर लेना,,,( शगुन ब्रेड पर बटर लगाते हुए बोली,,,।)

ठीक है तुम सब कहते हो तो मैं भी आज साथ में नाश्ता कर लेती हूं( इतना कहने के साथ ही शगुन के पास वाली कुर्सी पर संध्या बैठ गई और वह भी नाश्ता करने लगी शगुन को यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पास में बैठी हुई उसकी सीधी साधी संस्कारी आज्ञाकारी और उसको दुलार करने वाली मम्मी है जो कि रात को अपने संस्कारों और मर्यादा का चोला उतार कर एकदम नंगी होकर बेशर्म की तरह अपनी बड़ी बड़ी गांड बड़ी मस्ती के साथ उसके पापा के लंड पर पटक रही थी,,,,। शगुन ना जाने क्यों रात वाले वाक्ये की वजह से शर्म के मारे ना तो अपने पापा से और ना ही अपनी मम्मी से ठीक से नजरें मिला पा रही थी शायद वह अपने मम्मी-पापा के बीच के पति पत्नी के रिश्ते को समझ नहीं पा रही थी वह एक बेटी के नजरिए से अपनी मां और अपने पापा को देख रहे थे जो कि उसके नजर में सबसे अच्छे इंसान और अच्छे मम्मी पापा थे लेकिन शायद यह बात वह भूल गई थी कि एक मम्मी पापा होने के पहले वह दोनों पति-पत्नी है जिनके बीच इस तरह के शारीरिक रिश्ते बनते चले आ रहे हैं,,,,, शगुन जल्दी से अपना नाश्ता खत्म की और बैग लेकर जाने को हुई कि तभी संध्या गिलास का दूध लेकर कुर्सी पर से खड़ी हो गई और उसे थमा ते हुए बोली,,,,

अरे भागी कहां चली जा रही है पहले दूध तो पी ले,,,, सेहत का ख्याल नहीं रखेगी तो डॉक्टर कैसे बन पाएगी,,,, चल ले जल्दी से पी जा,,,,।

( यह रोज की बात थी इसलिए शगुन अपनी मां की इस बात से इंकार नहीं कर पाई और दूध का गिलास लेकर पी गई और वह जल्दी से अपने मम्मी पापा को बाय बोल कर घर से निकल गई उसके पास खुद की स्कूटी थी जिससे उसे कॉलेज जाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आती थी और वह स्कूटी पर बैठकर अपने कॉलेज के लिए निकल गई थोड़ी देर बाद सोनू और उसके पापा भी अपने अपने रास्ते निकल गए,,,,।)
बहुत ही सुन्दर और कामुक अपडेट है
 
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Sanju@

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संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं था कि रात की जबरदस्त गरमा गरम चुदाई को उसकी बेटी खुद अपनी आंखों से देख चुकी है,,, वह तो अपने काम में एकदम मस्त होकर घर का काम करने लगी,,, संध्या अपनी जिंदगी और वैवाहिक जीवन से एकदम संतुष्ट थी,,, कोई कमी नहीं थी उसकी जिंदगी में एक लड़की और एक लड़के की मा होकर और संजय सिंह जैसे सफल माने जाने डॉक्टर की बीवी होने में उसे गर्व महसूस होता था,,।
जवानी से लेकर उम्र के इस पड़ाव तक अब तक संध्या के पैर डगमगाए नहीं थी संभोग सुख का सफल और पहला अनुभव शादी के बाद उसे अपने पति संजय सिंह के द्वारा ही प्राप्त हुआ था और जो कि अब तक बरकरार था,,,। पहली बार संध्या अपने पति के मोटे कपड़े लंबे लंड को देखकर एकदम घबरा गई थी अपनी सुहागरात के दिन उसे बहुत डर लगा था जब उसके पति ने उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर एक दम नंगा हो गया था और अपने खड़े लंड को हीलाता हुआ उसे अपने हाथ में लेने के लिए बोला था,,,, संध्या की घबराहट एक डॉक्टर होने के नाते संजय को पता चल गई थी और वहां अपनी बीवी संध्या की खूबसूरती में इस कदर डूब गया था कि पहले दिनों का अपनी बीवी से रात भर सिर्फ बातें ही करता रहा धीरे-धीरे उसे मना कर और उसके मन का डर भगाकर अपने लंड उसके हाथों में पकड़ाया था जिंदगी में पहली बार संध्या मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ कर एकदम से घबरा गई थी लेकिन संजय के समझाने के बाद वह धीरे-धीरेअपने पति के लंड से खेलना शुरू कर दी थी लेकिन अभी भी उसे डर लगता था क्योंकि वह अपने पति के लंड की मोटाई चौड़ाई और लंबाई से पूरी तरह से अवगत हो चुकी थी और अपनी गुलाबी बुर के छोटे से छेद के बारे में भी अच्छी तरह से जानती थी,,, घाट घाट का पानी पी चुका संजयकुंवारी लड़की को किस तरह से चुदवाने के लिए तैयार करना है इस बारे में अच्छी तरह से जानता था आखिरकार सफलता को प्राप्त करते हुए संजय इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी खूबसूरत बीवी संध्या की बुर की गहराई तक उतार दिया था,,,, दर्द की परम काष्ठा को महसूस करते ही संध्या हार मान ली थी कि वह कभी कुछ संभोग से प्राप्त नहीं कर पाएगी उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन संजय की सूझबूझ का नतीजा था कि दर्द के बाद उसे एहसास होगा कि आज तक वह उसे सुख को महसूस करने के लिए हर रात अपने पति के लंड पर चढ़ जाती है,,,।
अपनी जवानी के दिनों को याद करके संध्या मंद मंद मुस्कुराते हुए रसोई का काम कर रही थी,,,,
और दूसरी तरफ संजय अपने केबिन में बैठकर अपने एक पेशेंट के ऑपरेशन करने की तैयारी में जुटा हुआ फाइलें चेक कर रहा था,,, ऑपरेशन आज ही करना था कि तभी दरवाजे पर नोक हुआ,,,।

मेय आई कम इन सर,,,,,
( बेहद सुरीली आवाज कानों में पड़ते ही संजय की नजर सीधे दरवाजे पर गई और अपनी हॉस्पिटल की बेहद खूबसूरत नर्स रूबी को देखते ही संजय सिंह की आंखों में चमक आ गई,,,)

आ सकती हो बताओ क्या काम है,,,(संजय खुली हुई फाइल को बंद करता हुआ बोला)

शर्मा जी की बीवी आपसे मिलना चाहती हैं,,,।(रूबी कमरे में दाखिल होते हुए बोली)

वही शर्मा जी जिसका आज ऑपरेशन है,,,।

जी सर उनकी ही बीवी,,,,,,(अपने हाथ में ली हुई फाइल को अपने सीने से लगाते हुए रूबी बोली और ऐसा करने से उसकी छाती के दोनों संतरे नरम नरम रुई की तरह हल्के से दब गए,,,,और रूबी की चुचियों का फाइल के दबाव से दबना यह संजय सिंह की आंखों से बच नहीं पाया और रूबी के बदन की हरकत को देखकर उसके पेंट में लंड की हालत खराब होने लगी,,,,, बड़ी मुश्किल से वह अपने आप को संभालते हुए बोला,,)

ठीक है उन्हें अंदर भेजो,,,,

जी सर,,,,,(इतना कहकर रूबी मुस्कुराते हैं केबिन से बाहर जाने लगी तो संजय की नजर उसके गोलाकार नितंबों पर टिक गई जो कि उसके चलने पर कुछ ज्यादा ही मटकती थी,,,। रूबी बहुत ही खूबसूरत 25 साल की जवानी से भरपूर नर्श थी,,,। अपनी खूबसूरती का कब कैसे और कहां पर ऊपयोग करना है यह उसे अच्छी तरह से मालूम था,,,। संजय सिंह उसकी खूबसूरत बदन को देख कर ला कर रखा है यह बात भी उसे अच्छी तरह से मालूम थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि इस समय वह उसकी मदमस्त गोलाकार गांड को ही देख रहा होगा,,,और यही कंफर्म करने के लिए वह जैसे ही दरवाजे पर पहुंची वैसे ही तुरंत पलटकर संजय सिंह की तरफ देखने लगी और उसका सोचना बिल्कुल सही निकला, वह प्यासी नजरों से उसकी गांड को ही देख रहा था,,, रूबी के पीछे पलट कर देखने की वजह से दोनों की नजरें आपस में टकराई और संजय सिंह , जल्दी से अपनी नजरों को नीचे कर लिया और रूबी मुस्कुराते हुए केबिन से बाहर निकल गई,,,। और कुछ ही देर में शर्मा जी की बीवी दरवाजे पर पहुंच गई तो उसे देखते ही संजय सिंह उसे अंदर आने के लिए बोला,,,।

नमस्ते सर,,,


जी नमस्ते कहिए कैसे आना हुआ,,,


जी मै शर्मा जी की बीवी हुं,,, जिनका आज ऑपरेशन है,,

ओहहह,,,, देखिए घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है ऑपरेशन होते ही आपके पति खतरे से बाहर हो जाएंगे और पहले की तरह एकदम स्वस्थ हो जाएंगे इत्मीनान रखिए,,,,।
( इतना कहते हुए संजय शर्मा की बीवी को बड़े गौर से देख रहा था उसके चेहरे को देखकर संजय उसके बारे में अंदाजा लगा रहा था गोरा रंग गोल मुखड़ा बेहद खूबसूरत घने बाल गदराया बदन उसे देखते ही संजय समझ गया कि 40 या 42की होगी,,,, भरा हुआ बदन देखकर संजय के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जब संजय उससे बातें कर रहा था तो वह शर्म के मारे इधर-उधर नजरें घुमा रही थी,,, उसके हावभाव को देखकर संजय समझ गया की बात कुछ और थी इसलिए वह इतना कह कर चुप हो गया और उसे बोलने का मौका दिया,,,।)

देखिए सर,,,(शर्म के मारे इधर-उधर देखते हुए,,,)मैं आपसे कैसे कहूं मुझे समझ में नहीं आ रहा है मुझे कहते हुए शर्म आ रही है,,,(वह इधर उधर देखते हुए बोली,,,)

देखिए मुझसे शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,, एक डॉक्टर से कभी भी कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए,,,।(संजय उसे सांत्वना देते हुए बोला,,, लेकिन वह अपना सब्र खो बेठी और रोने लगी,,,उसे रोता हुआ देखकर संजय तुरंत अपनी जगह से खड़ा हो गया और उसके करीब पहुंच गया,,, उसका ढांढस बंधाते हुए उसके कंधे पर हाथ रख दिया कंधे पर हाथ महसुस करते ही शर्मा की बीवी एकदम से सिहर उठी,,,, संजय उसे बोला,,,)

देखो रोने से काम चलने वाला नहीं है जो कुछ भी तुम्हारे मन में है या किसी बात की सरकारी मुझे बता दो मैं उसका समाधान करूंगा,,,
( डॉक्टर की बात सुनकर उसमें थोड़ी हिम्मत आने लगी डॉक्टर का नरम रवैया देखकर उसे लगने लगा कि डॉक्टर उसकी बात जरूर समझेगा इसलिए अपने आंसुओं को पोंछते हुए बोली,,,)


डॉक्टर साहब मैं जानती हूं कि मुझे यह नहीं कहना चाहिए लेकिन मैं मजबूर हूं मुझे कहना पड़ रहा है,,, मेरे पास ऑपरेशन कराने के पूरे पैसे नहीं है,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से रोना शुरू कर दी,,, और यह देखकर संजय उसे फिर से चुप कराने लगा,,,, इस बार अनजाने में भी उसके साड़ी का पल्लू कंधे पर से नीचे गिर गया जिसका प्यार उसे भी बिल्कुल नहीं था संजय उसे चुप कराने के लिए उसके कंधे पर जैसे ही हाथ रखा उसकी नजर उसके ब्लाउज में से झांकते हुए उसके बड़े-बड़े कबूतरों पर पड़ गई जो कि एकदम बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे थे,,,,शर्मा की बीवी के ब्लाउज को देखते हैं और उसकी भारी-भरकम गोल-गोल चुचियों को देखते ही समझ गया कि अपने ब्लाउज के साइज से कम माप का ब्लाउज पहनी हुई है,,, उसकी बड़ी बड़ी चूचियों के बीच की पतली गहरी लकीर को देखते ही संजय के तन बदन में आग लग गई,,,संजय अपने दोनों हाथों को बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों में भरकर उसे दबाने और मसलने का आनंद लेना चाहता था लेकिन इस समय ऐसा करना ठीक नहीं था,,,, फिर भी संजय उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे समझाते हुए बोला,,,।


देखो,,,, क्या नाम है तुम्हारा,,,,?

सरिता,,,,,(वह अपने आंसू को नीचे गिरे हुए साड़ी के पल्लू को उठाकर पोछते हुए बोली,,, पर उसके ऐसा करने पर एक बेहद खूबसूरत मादक नजारे पर पर्दा पड़ गया,,, जो कि यह बात संजय को अच्छी नहीं लगी,,,,।)

बेहद खूबसूरत नाम है तुम्हारा जैसा कि तुम खुद भी बहुत खूबसूरत हो,,,,(डॉक्टर के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सरिता एकदम से चौक गई,,, लेकिन बोली कुछ नहीं क्योंकि उसकी मजबूरी थी,,,,) देखो मैं जानता हूं कि पैसे ना भर पाना इस समय तुम्हारी मजबूरी है लेकिन पैसे बिना ऑपरेशन मुमकिन नहीं है,,,(इतना सुनते ही वह फिर से रोने लगी) देखो सरिता जी रोओ मत तुम इस तरह से रोओगी तो अच्छा नहीं लगेगा,,,, ऑपरेशन तो मैं कर दूंगा लेकिन उसके बाद तुम्हें पैसे भरना पड़ेगा और जब तक पैसे नहीं भरोगे तब तक आगे का इलाज मुमकिन नहीं है,,, मैं इतना तुम्हारे लिए कर सकता हूं,,,,।( इस बार फिर से सरिता की साड़ी उसके कंधों से नीचे गिर गई पर एक बार फिर से संजय को उसके खूबसूरत कबूतरों को देखने का सौभाग्य प्राप्त हो गया उसे देखते ही पेंट के अंदर संजय का लंड हरकत करने लगा,,,वैसे भी अच्छी तरह से देख रहा था कि सरिता में किसी बात की कोई कमी नहीं थी एक औरत के पास जिस तरह की खूबसूरत अंग होने चाहिए अब तक उसे सब कुछ वैसा ही नजर आ रहा था,, संजय की बात सुनकर शर्मा के बीवी बोली,,,)

डॉक्टर साहब मैं पूरी कोशिश करूंगी लेकिन जितना आप का ऑपरेशन की फीस है मैं शायद उतना नहीं जुटा पाऊंगी,,,(एक बार फिर से वो आंसू बहाते हुए बोली,,,, उसकी मजबूरी और उसकी खूबसूरती देखकर संजय के मन में कुछ और चल रहा था और यही उसका स्वभाव भी था,,, ओ जानता था कि अगर कोशिश की जाएगी तो सरिता ऑपरेशन के बाद उसके नीचे होगी उसकी जवानी मदहोश कर देने वाली थी जिसका अंदाजा उसे लग गया था व सरिता के खूबसूरत बदन को भोगना चाहता था जो कि उसके लिए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं था इसलिए वह दोनों हाथों से उसके दोनों कंधों को पकड़कर हल्के से दबाते हुए बोला,,,,)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सरिता सब कुछ मुझ पर छोड़ दो,,, तुम्हारे पति का अच्छे से इलाज हो जाएगा इसकी गारंटी मैं लेता हूं,,, लेकिन इसके बदले में जैसा मैं कहूंगा वैसा तुम्हें करना होगा,,,,(संजय की यह बात सुनकर सरिता एकदम से सहम गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि डॉक्टर के कहने का मतलब क्या है,,,, इसीलिए वह शंका जताते हुए बोली।)


मैं कुछ समझी नहीं तो फिर साहब आप क्या कहना चाहते हैं,,,।


सब समझ जाओगी और जो कुछ भी मैं कह रहा हूं वह सब तुम्हारे बस में है,,,(इतना कहने के साथ संजय है उसके दोनों कंधों को एक बार फिर से थोड़ा दबाव देकर दबाते हुए अपने आगे वाला भाग एकदम कुर्सी से सटा दिया,,, उसकी पेंट में उत्तेजना के कारण पूरी तरह से तंबू बन चुका था और उसकी इस हरकत की वजह से उसका तंबू सीधे पीछे की तरफ से सरिता के गालों पर स्पर्श करने लगा तिरछी नजर से सरिता जब उसकी पेंट में बने तंबू को देखी तो एकदम से सिहर उठी,,,उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसकी टांगों के बीच की स्थिति एकदम कंपनमय हो गई,,,,सरिता के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल पाया वह कुछ बोलने के लायक बिल्कुल भी नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि उसके पति के ऑपरेशन के बदले में डॉक्टर क्या चाहता है,,,,उसकी खामोशी को देखकर डॉक्टर को इतना तो अंदाजा लग गया कि उसकी बात को वह समझ गई है इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

सरिता जी अब आप एकदम इत्मीनान रखिए आपके पति बिल्कुल ठीक हो जाएंगे,,, और उसके लिए आपको 1 रुपए भी खर्चा नहीं करना पड़ेगा,,,, सब कुछ मेरी तरफ से,,, अब आपसे हॉस्पिटल का कोई भी मेंबर पेमेंट के बारे में कुछ भी नहीं कहेगा,,,,, अब आप जाइए अपने पति की सेवा करिए लेकिन ऑपरेशन के बाद मैं जब भी तुम्हें बुलाऊं इसी जगह पर मेरी केबिन में आ जाना,,,
(डॉक्टर की बात सुनकर सरिता समझ गई थी उसे क्या करना है लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, उसके पास पैसे बिल्कुल भी नहीं थे और ना ही उसके रिश्तेदारों से किसी भी तरह की उम्मीद थी ऐसी हालात में उसके पास डॉक्टर की बात मान लेने के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था,,,, वह धीरे से उठी और केबिन से बाहर जाने लगी लेकिन कुर्सी से उठते समय वह एक नजर डॉक्टर के पेंट के आगे वाले भाग पर डाल चुकी थी और उसे अच्छा खासा तंबू उसकी पेंट में बना हुआ नजर आ रहा था जो कि साफ पता चलता था कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उसका दिल जोर से धड़कने लगा और वह तुरंत केबिन से बाहर निकल गई लेकिन उसे जाते हुए देख कर उसके भारी भरकम भरावदार मदमस्त गांड को देखकर संजय का मन एकदम से डोलने लगा उसकी आंखों में खुमारी मदहोशी एक साथ छाने लगी,,, सरिता की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेने का ख्वाब देखने लगा,,, और सरिता के बारे में सोचते हुए वह कुर्सी पर बैठ गया,,,।

शगुन अपने कॉलेज में बैठकर लेक्चर अटेंड कर रही थी लेकिन उसका मन आज बिल्कुल भी नहीं लग रहा था उसकी आंखों के सामने बार-बार वही रात वाला दृश्य नजर आ जा रहा था जिसके चलते उसका मन विचलित हो रहा था वह पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही थी,,, उसे इस तरह से खोया हुआ देखकर उसकी सहेली प्रीति जोकि बचपन से ही उसके साथ एक ही क्लास में पढ़ती आ रही थी और आज जाकर दोनों एक साथ एमबीबीएस की तैयारी कर रही थी वह बोली,,,,।

क्या बात है शगुन किन ख्यालों में खोई हुई है,,,


कुछ नहीं यार आज बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा है,,


चल फिर एक काम करते हैं कैंटीन में जाकर बैठते हैं वैसे भी आज मैं जल्दबाजी में नाश्ता करके नहीं आई हूं चल वहां कुछ खा लेते हैं,,,,


लेक्चर खत्म होने के बाद चलते हैं,,,

ठीक है जैसी तेरी मर्जी,,,,,
(थोड़ी देर बाद लेक्चर खत्म होते ही दोनों अपनी क्लास से बाहर निकल कर कैंटीन में पहुंच गई जहां पर प्रीति ने ही दो समोसे और चाय का आर्डर किया थोड़ी ही देर में उसकी टेबल पर चाय और समोसे दोनों पहुंच गए,,, प्रीति चाय का कप और समोसा शगुन की तरफ बनाते हुए बोली)

तुझे इतना परेशान में कभी नहीं देखी कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी को दिल दे बैठी है,,,,।( चाय की चुस्की लेते हुए प्रीति बोली)


क्या प्रीति तु फिर शुरू हो गई,,,,


क्योंकि तु शुरू नहीं हो रही है इसलिए मुझे शुरू करना पड़ रहा है,,, चाय पी वरना ठंडी हो जाएगी,,,,


जैसा तू सोच रही है,,, वैसा कुछ भी नहीं है बस थोड़ा सा तबीयत सही नहीं लग रही है,,,,।


मेरी जान इसीलिए कहती हूं कि तू भी किसी से प्यार व्यार कर ले,,,,,


तू करी है क्या,,,,
(तभी प्रीति के मोबाइल में मैसेज आने का टोन बजे था और वह चहकते हुए बोली,,,)

हां करी हूं ,,,,देख उसी का मैसेज भी आ गया,,,,
(प्रीति मोबाइल में मैसेज पढ़ने लगी,,,, जिसमें रात को 8:00 बजे उसके बॉयफ्रेंड के घर आने का प्रोग्राम था,,,इतना पढ़ते ही उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,, उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर सगुन बोली,,,)

क्या हुआ बड़ी खुश नजर आ रही है ऐसा क्या आ गया मैसेज में,,,।

आज रात को उसके घर पर मिलने का प्रोग्राम है,,,।(चाय की चुस्की लेते हुए प्रीति बोली)

उसके मम्मी पापा से मिलना है,,,।

फुल,,,, एकदम बेवकूफ है तू उसकी मम्मी पापा से मिलकर मैं क्या करूंगी उसके मम्मी पापा घर पर नहीं है तभी तो मिलने के लिए घर पर बुलाया है,,,,
(प्रीति की बात सुनकर सब उनका दिल जोरों से धड़क रहा था थोड़ा बहुत तो उसे समझ में आ रहा था लेकिन फिर भी वह अपनी शंका को दूर करने के लिए बोली)

अकेले में उसके घर पर मिलना और वह भी रात को क्या तुझे ठीक लगता है,,,।


जो काम करने के लिए बुला रहा है उसके लिए अकेले मिलना ही ठीक रहता है,,,,।


ममममम मैं समझी नहीं प्रीति तु क्या कहना चाहती है,,,।

अरे यार एक लड़का लड़की को अकेले में क्यों बुलाता है अच्छा छोड़ो तुझे तो सब के बारे में पता ही नहीं होगा मैं तुझे बताती हूं,,,, एक लड़का अकेले में लड़की को तभी बुलाता है जब उसे सेक्स करना रहता है,,,,।
(इतना सुनते ही शगुन एकदम से सन्न रह गई उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि प्रीति क्या कह रही है,,,।)

आर यू मैड तुझे पता भी है तु क्या कह रही है,,,,, ऐसे किसी के भी साथ भी तुम कर लेगी और वो भी शादी के पहले,,,


शगुन तु सच में पागल है,,,, मैं जिसके पास जा रही हूं कोई ऐरा गैरा नत्थू खैरा नहीं है पान तंबाकू बीड़ी बेचने वाला नहीं है एमडी का लास्ट ईयर है और वह इस साल के अंत में एम डी बन जाएगा,,,, और वो मुझसे प्यार करता है,,,


प्यार करता है तो शादी के पहले ही,,,,।


अरे बेवकूफ इसका क्या अचार डालेगी,,,(वह हाथ से अपनी दोनों टांगों के बीच इशारा करते हुए बोली जिस का इशारा शकुन अच्छी तरह से समझ रही थी,,)भगवान ने जो हमको दोनों टांगों के बीच दिया है ना मजे लेने के लिए,,, उसका सही उपयोग करने के लिए दिया है,,, और इसका उपयोग करके मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ मजे भी देती है और आगे की तैयारी में वह मुझे काम भी होता है,,, तू सोच कल जब वह एम डी बन जाएगा,,,तुम मुझे उससे कितनी मदद मिलेगी,,, कल को उसका खुद का हॉस्पिटल होगा उसके मम्मी पापा बिजनेसमैन है मेरे आगे की तैयारी एकदम आसान हो जाएगी,,,,अगर मेरी शादी उसके साथ हो गई तो समझ लो सब कुछ सैटल है अगर नहीं भी हुई फिर भी मुझे बहुत ज्यादा उससे मदद मिलने वाली है जो कि अभी भी मिल रही है,,
(शगुन तो उसकी बातें सुनकर एकदम हैरान थी और कुछ हद तक उत्तेजित भी क्योंकि उसकी बातों को सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होती हुई महसूस हो रही थी,,,, कुछ देर शांत रहने के बाद सगुन बोली,,,)

अफ कोर्स यार पहले भी कर चुकी हु,,, तभी तो जिंदगी के असली मजे के बारे में जानती हूं,,, और अगर मैं सच में तो तूने अभी तक अपनी बुर के अंदर अपनी उंगली भी नहीं डाली होगी,,,।

धत्,,,, कैसी बातें करती है तू,,(शगुन अपने आसपास नजर डालते हुए बोली,, उसे ऐसा था कि कहीं उसकी बात कोई सुन ना लिया हो,,,)

मुझे मालूम था तू एकदम डरपोक है,,,(प्रीति हंसते हुए बोली)

चल मैं जैसी भी हूं ठीक हूं,,,

यार तू मेरी बातों का बुरा मत मानना देख तेरी लाइफ तो सेट है तेरा तो खुद का हॉस्पिटल है तु तेरे पापा के साथ रहकर प्रेक्टिस कर सकती है लेकिन मेरे लिए तो कोई साथी चाहिए ना,,,,,,


प्रीति कुछ भी हो लेकिन जो कुछ भी हो रहा है यह तो गलत ही है उसे तो तेरी मदद करनी चाहिए बदले में वह तो तेरा उपयोग कर रहा है तेरे साथ वह सब करके,,,

यार शगुन कौन बेमतलब का किसी का साथ देता है ,,, कोई भी इंसान साथ तभी देता है जब उसका कोई मतलब होता है,,, मेरा बॉयफ्रेंड मदद करेंगे के एवज में मुझसे कुछ चाहता है और वह मैं उसे देती हु,,, हिसाब बराबर ,,, मुझे आगे बढ़ने में वह मेरी मदद करता है और बदले में वह चुदाई करता हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है,,, दोनों तरफ से फायदा तो मेरा ही है मदद भी मिल जाती है और जवानी के मजे भी,,,, खैर छोड़ तु यह सब नहीं समझेगी,,,, अब जल्दी से अपनी चाय खत्म कर वरना सच में ठंडी हो जाएगी,,,।

(प्रीति के मुंह से चुदाई शब्द सुनकर शगुन के तन बदन में अजीब सी हलचल मचने लगी जवानी पूरी तरह से उसके तन बदन को अपनी आगोश में लेकर चिकोटी काटने लगी थी,,, शगुन को प्रीति का व्यक्तित्व आज पहली बार इतनी गहराई से समझ में आ रहा था,,, थोड़ी ही देर में वह दोनों चाय खत्म करके दूसरे लेक्चर के लिए क्लास में चले गए,,,।

शाम के वक्त संध्या मार्केट में सब्जी खरीदने के लिए अकेले ही चल दी,,, मार्केट तकरीबन आधा किलोमीटर की दूरी पर था जहां से वह किराना का सामान और सब्जियां खरीदती थी,,, संध्या अपनी स्कूटी से भी जा सकती थी लेकिन वह पैदल ही जाती थी उसका मानना था कि इस तरह से पैदल चलने से फिटनेस बनी रहती है और उसका मानना सच भी था तकरीबन रोज एक डेढ़ किलोमीटर पैदल आ जाती थी जिससे उसके शरीर का मेंटेनेंस बना रहता था तभी तो इस उम्र में भी वह काफी फिट नजर आती थी,,, और यही उसका प्लस्पॉइंट भी था सड़क पर चलते हुए आते जाते मर्दों की नजर चाहे वह बूढ़े हो या जवान संध्या पर पड़ी जाती थी उसकी खूबसूरती के चमक सबकी आंखों में एक आकर्षण पैदा करते थे खास करके उसके नितंबों का घेराव जिसे देखते ही मर्दों की लंड में हलचल होने लगती थी उनके मुंह में पानी आ जाता था,,,और वहां कल्पना में ही संध्या के कपड़ों को उतार कर उसके अंदर की खूबसूरती के बारे में सोच कर मस्त हुआ करते थे और घर जाकर अपने हाथ से ही अपना लंड हीलाकर अपनी जवानी की गर्मी को संध्या के खूबसूरत कल्पना में गुजार कर शांत किया करते थे,,,संध्या को आगे से देखो या पीछे से बचा दोनों तरफ से मिलता था आगे से कामाग्नि को भड़काने के लिए नितंबों का मदमस्त प्रचुर मात्रा में उसका घेराव और आगे से उसकी रसीद ही खूबसूरत खरबूजे सी चुचियों का आकार दोनों मर्दों की आंखों के साथ-साथ उनके तन बदन में कामुकता की कामाग्नि को भड़काने में सक्षम थे,,,,, आते जाते पैदल चलने वाले मोटर साइकिल से चलने वाला या फोर व्हीलर से चलने वाले सब की नजर संध्या पर पड़ ही जाती थी,,।
ऐसे ही वह अपनी मस्ती में फुटपाथ पर हाई हील का सैंडल पहन कर अपनी गांड मटकाते हुए जा रही थी,, किताबी फुटपाथ के किनारे कांटे वाली तार के जाने का सहारा लेकर खड़े दो छोकरे जिनकी उम्र बहुत ही कम थी,, दोनों की नजर संध्या पर पढ़ते ही दोनों आपस में ही बातें करने लगे,,,

यार देख तो सही क्या मस्त माल आ रही है,,,

हां यार यह तो स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही है,,,,

कसम से उक्षईसकी चुचिया तो एकदम खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी है यार,,,,,आहहहहह काश ईसे मुंह में भर कर पीने को मिल जाता तो मजा आ जाता,,,
( संध्या उन दोनों लड़कियों को देख रही थी वह दोनों उसी को देख रहे थे और संध्या उन लड़कों की नजर का पीछा करते हुए इतना तो समझ गई थी कि वह दोनों लड़के उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को ही देख रहे थे और आपस में बातें करके हंस रहे थे,,,, तभी उनमें से एक लड़का बोला।)

कसम से यार अगर इसको अपनी आंखों से ब्लाउज उतारते हुए देख लो तो खड़े-खड़े लंड का पानी निकल जाए,,,

हां यार तू सच कह रहा है अपने हाथों से इसके ब्लाउज उतारने में कितना मजा आएगा,,, किस्मत वाला होगा जो अपनी हाथों से इस के कपड़े उतारता होगा,,,
(वह दोनों संध्या पर फब्तियां कस रहे थे तभी उन दोनों को इग्नोर करते हुए संध्या उन दोनों के पास से गुजरने लगी कि तभी उनमें से एक लड़का बोला,,,)

बाप रे यार इसकी गांड तो देख कितनी बड़ी बड़ी है ईसकी गांड साड़ी में इतनी जबरदस्त लग रही है तो नंगी कितनी कहर ढाती होगी,,,,, कसम से यार उसकी गांड देखने वाला बड़ा किस्मत वाला होगा,,,,
(उस लड़के की बात संध्या के कानों में पड़ गए वह उन लड़कों की बात सुनकर एकदम से आश्चर्य में पड़ गई क्योंकि उन लड़कों की अभी मुंह से भी नहीं होती थी और इस तरह की गंदी बातें कर रहे थे तभी उनमें से एक लड़का जो बोला उड़ा उसके होश उड़ा दिया)

कसम से यार मैं अगर इसका बेहतर होता तो दिन रात किसके खूबसूरत बदन को देखता रहता और तब तो इसको नंगी देखने का सौभाग्य भी मिल जाता,,,


साले तू बस इतना ही सोच मैं ईसकी बेटा होता तो अब तक इसको पटा कर इसकी चुदाई कर दिया होता ,, साली कीतनी जबरदस्त लगती है,,,,


इसका बेटा किस्मत वाला होगा जो इसके घर पैदा हुआ दीन रात ईसको देखता होगा,,,,


हां यार क्या पता अपने बेटे से ही चुदवीती हो,,
(ऐसा कहते हुए दोनों आपस में हंसने लगेलेकिन संध्या की हालत खराब हो गई संध्या कभी सपने में भी नहीं सोचा होगी कि इतने छोटे लड़के इस तरह की गंदी बातें करते होंगे वह जल्दी जल्दी वहां से आगे निकल गए और मार्केट से सब्जी खरीद कर वापस घर पर आने लगी शाम ढलने लगी थी,,,, घर पर पहुंच कर वह फ्रेश होकर रसोई बनाने लगी तब तक सोनू और सगुन दोनों घर पर ट्यूशन क्लासेस से आ चुके थे,,,, संध्या उन दोनों के लिए चाय बना कर हम दोनों को देकर वापस किचन में चली गई शगुन चाय का कप लेकर अपने कमरे में आ गई और खिड़की पर खड़ी होकर बाहर सड़क की तरफ देखते हुए अपने मम्मी पापा और अपनी सहेली की कहीं गई बातों के बारे में सोचने लगी,,, वह ठीक है अपनी मां से नजर नहीं मिला पा रही थी क्योंकि जब भी उसकी नजर अपनी मां पर पड़ती तो उसका शोम्य और खूबसूरत चेहरे की जगह वही संभोग रत वासना युक्त और मदहोशी में बंद हुई आंखों वाला चेहरा उसे नजर आने लगता था,,, खिड़की पर खड़ी है सोच रही थी कि क्या औरत और मर्द के जीवन में संभोग का होना स्वभाविक है या मन पर आधार रखता है,,,, वह खिड़की पर खड़ी थी अपने विचारों में मग्न होकर गुलाबी रंग का घुटनों तक का फ्रॉक पहनी हुई थी जो कि उसकी खूबसूरत बदन पर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उसकी पतली पतली गोरी टांगें घुटनों के नीचे से नजर आ रही थी,,। और उसका पतला फ्रॉक खिड़की से चल रही हवा के झोंकों से इधर-उधर लहरा रही थी,,, वह अपने ही विचारों में मशहूर थी,,,,
प्रीति के खुले व्यक्तित्व के बारे में उसने आज तक इस तरह से गहन विचार मग्न नहीं हुई थी लेकिन आज उसकी बातों ने उसे झकझोर कर रख दिया था,,,, उसकी बातों से साफ जाहिर था कि वह संभोग सुख बहुत बार भोग चुकी थी जिसके बारे में अब तक संध्या को कुछ मालूम ही नहीं था,,, और शाम को फिर से संभोग का प्रोग्राम बन चुका था संभोग के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी प्रीति की बातें बार-बार उसके दिमाग को झटक रही थी,,, प्रीति के कहे अनुसार वह अपना उल्लू सीधा करने के लिए उस लड़के से संभोग या सीधा सीधा उससे चुदवा रही थी,,, संध्या अब तक चुदाई जैसे शब्दों को अपने होठों पर नहीं लाई थी इसलिए मन में ही उन शब्दों के बारे में सोचकर उसके तन बदन में हलचल होने लगती थी,,,,,
और वह लड़का प्रीति का उल्लू सीधा करने के चक्कर में अपनी रात और शाम दोनों रंगीन कर रहा था,,,, शगुन का कोमल मन इस बात को बिल्कुल भी पचा नहीं पा रहा था कि लोग एक दूसरे की मदद करने के एवज में उनके शरीर का भोग लेते हैं उनसे संभोग करते हैं उनसे चुदाई करते हैं और सामने वाला या वाली भी इसमें पूरी तरह से सहबागी होकर उस पर का पूरी तरह से हम लोग तो उठाता है,,,,
शगुन को अच्छी तरह से याद था कि उसकी सहेली प्रीति यह बात कह रही थी कि उसका तो सब कुछ सैटल है उसके पापा खुद इतने बड़े हॉस्पिटल के मालिक हैं और इतने बड़े डॉक्टर हैं और उसे प्रैक्टिस करा देंगे यह सोचते हुए शगुन यह सोचने लगी कि अगर उसके पापा इतने बड़े डॉक्टर नहीं होते तो,,,उसे भी प्रैक्टिस करने के लिए किसी सीनियर की जरूरत पड़ती है तो क्या हुआ सीनियर भी उसके साथ चुदाई करता तो क्या वो खुद आगे बढ़ने के लिए अपने सीनियर के साथ चुदाई करवाती उसके साथ संभोग करके आगे बढ़ती,,,, यह सब सवाल शगुन के कोमल मन पर हथौड़े की तरह चल रहे थे,,,,,तभी उसके मन में जो ख्याल आया उसके बारे में सोचते ही उसके तन बदन में कामाग्नि भड़क उठी,,, वह खिड़की पर खड़ी होकर बाहर सड़क की तरफ देखते हुए चाय की चुस्की लेते हुए विचार की अगर उसके पापा भी हमसे आगे बढ़ाने के लिए क्या आगे की प्रैक्टिस कराने के लिए उसके साथ चुदाई करें तो,,, यह ख्याल मन में आते ही सब उनकी आंखों के सामने उसके पापा का मोटा तगड़ा लंबा लंड लहराने लगा,,, जोकि उसे उसकी मां की गुलाबी बुर के अंदर अंदर बाहर होता हुआ नजर आ रहा था,,,और यह दृश्य बदल कर तुरंत उसकी आंखों के सामने ऐसी कल्पना होने लगी कि उसकी मां की जगह वह खुद अपने पापा के लंड पर चढ़कर अपनी गोलाकार गांड को अपने पापा के मोटे तगड़े खड़े लंड पर अपनी गुलाबी बुर को जोर जोर से पटक रही है और उसकी छोटी सी गुलाबी बुर के अंदर उसके पापा का मोटा खड़ा लंबा लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा है और वह जोर-जोर से,,,, आहहहहह ,,,,,, पापा,,,,ओहहहहह पापा,,,, कहते हुए गरम सिसकारी ले रही है और उसके पापा अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी गोरी गोरी गांड को जोर जोर से दबा कर चुदाई का मजा ले रहे हैं,,,,।

इस कामोत्तेजना से भरपूर ख्याल मन में आते हीशगुन के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसकी टांगों के बीच की पतली दरार पूरी तरह से गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,तभी उसकी मां की आवाज के साथ उसकी तंद्रा भंग हुई जो कि उसे किसी काम के लिए आवाज दे रही थी और तुरंत अपने आप को संभालते हुए अपनी मां की मदद करने के लिए किचन में चली गई,,,।
Nice update 👌👌👌👌👌
 
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रात के 10:00 बज रहे थे और संजय सिंह अभी तक घर वापस नहीं लौटा था शगुन और सोनू अपने अपने कमरे में पढ़ाई कर रहे थे संध्या अपने कमरे में साड़ी को उतार रही थी ताकि वह नाइट गाउन पहन सके,,, आदम कद आईने में अपने अक्स को देखकर वह,,,, सोच में पड़ गई थी क्योंकि शाम के वक्त मार्केट जाते समय उन 2 छोकरो की बात उसे याद आ रही थी,,,, उन दोनों की उम्र बहुत कम थी मुछे भी नहीं फूटी थी,,,,, संध्या अपनी साड़ी को उतारते समय यही सोच रही थी कि वह लड़की कितना गंदा बोल रहे थे लेकिन उनकी गंदी बातें न जाने क्यों संध्या के अंतर्मन पर अपना प्रभाव कर रही थी,,,,,वह अपनी साड़ी को उतार कर नीचे फर्श पर रख चुकी थी आईने के सामने वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में थी वह अपने आप को बड़े गौर से देख रही थी उन लड़कों की बात से उसे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि उम्र के इस पड़ाव पर भी वह काफी खूबसूरत और बेहद सेक्सी थी जो कि अपनी कला शूझ की वजह से अपने बदन के रखरखाव की वजह से अपनी उम्र से तकरीबन 10 साल कम की ही लगती थी,,। वह आईने में देखते हुए अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि बार-बार उसके कानों में उन लड़कों की बात गूंज रही थी,, जोकि गंदी सोच रखते हो उसकी चूचियों की तारीफ कर रहे थे,,,, ब्लाउज को उतारकर एक तरफ रखते हुए काली रंग की ब्रा में वह अपनी चुचियों को गौर से देखने लगी जिसके बीच की पतली दरार बेहद गहरी नजर आ रही थी,,,, वह बड़े गौर से ब्रा के अंदर के अपने दोनों फड़फड़ा ते हुए कबूतरों को देखकर मन ही मन सोचने लगी कि उन लड़कों की कही गई बातें गलत बिल्कुल भी नहीं थी भले उनकी सोच गलत थी लेकिन उनकी सोच के मुताबिक उनके मुंह से उसकी चूचियों की तारीफ ही निकल रही थी,,,,, एक पल के लिए उन लड़कों की बात याद करके उसे अपनी चूचियों पर गर्व होने लगा,,,और देखते ही देखते हो अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपने काले रंग की ब्रा का हुक खोल दी,,, ब्रा की कैद से आजाद होते ही खुली हवा में सांस लेने के लिए दोनों कबूतर अपने पंख फड़फड़ाने लगे,,, वह खुली हुई ब्रा को अपनी बाहों से निकाल कर उसे नीचे फर्श पर गिरा दी,,,, अब आईने में उसकी दोनों चूचियां आजाद हो चुकी थी,,, खुली हवा में दोनों चूचियां सांस लेते हुए बेहद खूबसूरत लग रही है कि वह कभी आईने में तो कभी अपनी नजरों को नीचे करके अपनी दोनों चूचियों की तरफ देख ले रही थी जो कि बेहद खूबसूरत और एकदम तनी हुई नजर आ रही थी यह बात उसे भी अच्छी तरह से पता थी कि इस उम्र के दौरान दूसरी औरतों की तुलना उसकी चुचियों का तनाव और कड़क पन बरकरार था जैसे कि जवान लड़कियों का होता है वरना इस उम्र में चूचियों का झूल जाना स्वाभाविक होता है लेकिन उसका ऐसा बिल्कुल भी नहीं था अभी भी जवान लड़कियों की तरह उसकी चूची एकदम तन कर खड़ी थी और चूचियों के बीच की निप्पल कश्मीरी किसमिस के दाने की तरह लग रही थी बड़ी-बड़ी बालों की कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट हो ऐसे भी मर्दों के लिए औरतों की निप्पल दुनिया की सबसे बेहतरीन चॉकलेट होती है जिसकी तुलना दुनिया के किसी भी चॉकलेट से होना असंभव है जिसे मर्द अपने मुंह में लेकर दुनिया के अद्भुत सुख को महसूस करते हुए उत्तेजित हो जाते हैं,,,
संध्या अपनी मदमस्त खूबसूरत गोलाई और आकार के लिए हुए चुचियों को देखकरअपने मन में यही सोच रही थी कि सड़क पर चलते हुए हर एक किसी की नजर उसके ऊपर ही रहती है यह बात उसे भी अच्छी तरह से मालूम थी लेकिन छोटे छोटे लड़कों की सोच से देखकर इतनी ज्यादा गंदी और कामुक होगी इस बात का अंदाजा और आभास उसे आज शाम के वक्त लग चुका था बार बार उन लड़कों की बात उसे याद आ रही थी जो कि उसकी चूचियों की तारीफ ही कर रहे थे,,,, अनायास ही संध्या के दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठकर चुचियों पर आकर थम गए,,, जिसे वह हल्के से दबा दी और वह लड़के तो उसे मुंह में भर कर जी भर कर पीने की बात कर रहे थे उसे जोर जोर से दबा कर उसका आनंद लेने की बात कर रहे थे,,,, और तभी उसे उन लड़कों की कही गई वह बात याद आ गई जो याद करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, वह बात उसके खुद के बेटे से जुड़ी हुई थी वह लड़के यही कह रहे थे कि अगर वह उसके लड़के होते तो जी भर के उसकी चुचियों से खेलते उसे मुंह में भर कर पीते,,,उन लड़कों की यह बात याद आते ही वह अपने मन में सोचने लगी कि वह लड़का उसके बारे में इतनी गंदी बातें सोच रहा था और तो और उनकी सोच में अपनी मां के लिए भी इतनी गंदी सोच थी कि उसे सुनकर शर्म आ रही थी तो क्या ऐसे लड़के भी होते हैं जो अपनी मां के बारे में इस तरह के ख्याल रखते हैं,,, क्या लड़के सच में अपनी मां की खूबसूरती और उनकी बड़ी बड़ी चूची देख कर उनकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं और उन्हें पीने का लालच मन में बना लेते हैं,,,, उन लड़कों की बातें संध्या के तन बदन के साथ-साथ उसके अंतर्मन में अजीब सी हलचल पैदा कर दी थी,, वह अपने पेटीकोट की डोरी खोलने लगी,,,पहली बार उसे अपनी पेटीकोट की डोरी खोलती हुई अपने हाथों की उंगलियों में कंपन महसूस हो रही थी और वह कंपनी उत्तेजना की वजह से थी,,, देखते ही देखते हो अपनी पेटीकोट की डोरी खोल दी और जैसे ही डोरी खोली वैसे ही खूबसूरत मंच के खूबसूरत नजारों को पेश करने के हेतु पर्दा सर सराकर नीचे कदमों में गिर गया,,,, और आईने में संध्या का खूबसूरत पूरा बदन चमकने लगा हालांकि अभी भी उसके तन पर उसके खूबसूरत और अद्भुत अतुल खजाने को छुपाए हुए उसकी काली रंग की पैंटी थी,, जिसके अंदर दुनिया भर का सुख सौभाग्य और कामोत्तेजना का केंद्र बिंदु छिपा हुआ था,, मर्दों के लिए औरतों की दोनों टांगों के बीच उत्तेजना का परम केंद्र बिंदु छुपा होता है जिस तक पहुंचने के लिए उन्हें ऐसे छोटे-छोटे ना जाने कितने केंद्र बिंदु को पार करना पड़ता है जो कि उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर को और ऊंचा उठाते रहते हैं,,,,,, लड़कों की बातें उसके तन बदन में उत्तेजना बढ़ा रही थी और उसी उत्तेजना के अधीन होकर संध्या आईने में अपनी प्रतिबिंब को देखते हुए अपना हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच ले जाकर के काली रंग की पैंटी के ऊपर से अपनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को हल्के से दबा दी और तुरंत उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आह निकल गई,,,, उन लड़कों की कही गई बात को याद करते हुए संध्या आईने के सामने घूम गई,, पीछे नजर घुमाकर आईने में अपनी गांड को देखते हुए अपने दोनों हाथ को अपने नितंबों पर रखी दी,,, पर अपने आप से ही बातें करते हुए मन में बोली,,,।

क्या वाकई में मेरी गांड ज्यादा बड़ी है,,,,
(और यह कहते हुए वह बड़े गौर से आईने में अपनी बड़ी बड़ी गांड को देखने लगी जो कि वाकई में संपूर्ण आकार लिए हुए थी,, एकदम गौर से देखने के बाद अपनी बड़ी बड़ी गांड को देखकर संध्या का अंतर मन प्रसन्न होने लगा,,, जो बात वह लड़के कह रहे थे वह बिल्कुल सच थी,,, अभी भी उसके नितंबों पर काले रंग की पेंटिं चढ़ी हुई थी,,, जैसे संध्या आईने में देखते हुए पेंटी के दोनों छोर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, और वह पेंटी को पकड़े हुए हीनीचे की तरफ एंटी को उतारते हुए झुकने लगी जिससे उसकी भारी-भरकम भरावदार गांड आईने में कुछ ज्यादा ही उभर कर नजर आने लगी,,,, यह देखकरसंध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी क्योंकि इस समय आईने में जिस तरह कि उसकी मदमस्त गोरी गोरी गांड पूछी उठी हुई नजर आ रही थी उसे देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे कोई भारी भरकम तोप दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने के लिए अपनी नालची उठाकर दुश्मनों के ऊपर बम दागने के लिए तैयार हो चुकी है,,,,, देखते ही देखते संध्या अपनी पेंटी को भी अपनी गोरी चिकनी टांगों से होते हुए उतार फेंकी,,,आदम कद आईने में अपने कमरे के अंदर संध्या संपूर्ण रूप से एकदम नंगी और चुकी थी,,,ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसका पूरा बदन कुछ ज्यादा ही चमक रहा था खूबसूरती की मिसाल अद्भुत सौंदर्य की मालकिन संध्या आईने में अपने नंगे बदन को देख कर उत्तेजित हो रही थी वह लड़के जो भी कह रहे थे वह बिल्कुल सच कह रहे थे वह कुछ ज्यादा ही खूबसूरत बड़े बड़े अंगों की मालकिन होने के साथ-साथ एक मां भीथी पर वह भी एक जवान लड़के की मां,,, जिसके बारे में वह दोनों लड़के गंदी गंदी फब्तियां कस रहे थे,,, उसे उन लड़कों की बात याद आ गई और अपनी बड़ी बड़ी गांड को देखते हुए उन लड़कों की बात याद करके ना जाने क्यों उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वह भी साधारण नहीं बेहद कामुक मुस्कान जो कि उसके लड़के के बारे में ही था,,,, फुटपाथ पर खड़े लड़के यह कह रहे थे कि अगर वह संध्या की संतान होते तो भी वह पटा कर उसकी चुदाई कर दीए होते,,,यह बात याद करके संध्या के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति खराब होने लगी थी,,,वह आईने में कभी अपनी बड़ी बड़ी गांड को तो कभी अपनी दोनों टांगों के बीच की फुली हुई बुर को देखती,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उन लड़कों के मन में इस तरह की गंदी बातें क्यों आ रही थी क्या उसके खूबसूरत हमको को देखकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देखकर या उसकी बड़ी बड़ी चूची को देखकर उन लड़कों की सोच बदल रही थी अगर ऐसा है तो,,, उसका खुद का लड़का है तो दिन भर उसे देखता है तो क्या उसके मन में भी यही सब बातें आती रहती हैं क्या उसके ख्याल बदल जाते हैं,,,क्या उसका खुद का लड़का उस के खूबसूरत रंगों को देख कर मन ही मन में उसे चोदने की कल्पना करता है,,,,, चोदने के बारे में ख्याल आते ही उत्तेजना के मारे संध्या की बुर से मदन रस बुध की शक्ल लेकर नीचे टपक गया और सीधे जाकर फर्श पर गिर गया,,,, संध्या अपने बदन में आए इस बदलाव को महसूस करते ही उसके तन बदन में कपकपी सी उठने लगी,, उसकी सांसो की गति गहराने लगी,,, वह अजीब सी दुविधा में थी अजीब सी कशमकश में अपने आप को घिरा हुआ महसूस कर रही थी,,,,उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे के बारे में कल्पना करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल क्यों होने लगी उसे बुरा क्यों नहीं लगा उसे एक पल के लिए सब कुछ अद्भुत और उत्तेजित कर देने वाला क्यों महसूस होने लगा,,,,।
उत्तेजना के मारे उसका गला सूख रहा था,,, वह घुमकर आईने के सामने हो गई,,, अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने लगी जो कि इस समय एकदम चिकनी और मखमली नजर आ रही थी बस उत्तेजना के मारे कचोरी की तरह फुल गई थी,,,हफ्ते में दो बार संध्या वीट क्रीम लगाकर अपनी दोनों टांगों के बीच की सफाई करती थी ताकि उसकी खूबसूरत बुर उसके पति की आंखों के सामने और ज्यादा खूबसूरत नजर आए,,और ऐसा होता कि का संजय जब भी अपनी बीवी की चिकनी बुर को देखता था तो एकदम पागल हो जाता था मदहोश जाता था,,, संध्या की बुर को देखते हुए उसकी आंखों में नशा सा छाने लगता था और तब तक के लिए वह अपने आपको अपनी बीवी की बुर की गहराई में उतार देता था जब तक कि उसकी जवानी का गरम लावा फुटकर बाहर नहीं आ जाता,,,

संध्या उत्तेजना के मारे एक हाथ से अपनी चूची को दबाते हुए दूसरे हाथ को अपने दोनों के बीच ले गई और को हथेली से मसलने लगी उसके जेहन में उन लड़कों की कही गई बातें याद आ रही थी क्योंकि वह लड़के यह भी कह रहे थे कि घर पर इसका लड़का उसको चोदता होगा,,, सीधे-सीधे संध्या को अपने ही बेटे से चुदवाने की बात कह रहा था,,,, वह अपनीबुर को मसलते हुए यही सोच रही थी कि क्या वह भी ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत है कि उसे देखकर उसका बेटा अपनी मर्यादा को भूल कर उस की चुदाई करेगा,,,, यह ख्याल मात्र उसके होश उड़ा रहे थे थोड़ी देर में उसकी हथेली पूरी उसकी बुर से निकले मदन रस से चिपचिपी हो गई,,,,,,

फुटपाथ पर खड़े उन दोनों लड़कों की कही गई बातें संध्या की सोच को पूरी तरह से बदल कर रख दिया था ना चाहते हुए भी बार-बार उसका ध्यान और लड़कों की कही गई बातों पर ही जा रहा था,,, ना जाने क्यों संध्या को भी अपनी बेटे की कल्पना करके अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती हुई महसूस हो रही थी वह इस तरह की कल्पना बिल्कुल भी नहीं करना चाहती थी लेकिन आज ना जाने क्यों उसके तन बदन में उस पर काबू पाना छोड़ दिया था,,, उत्तेजना और कल्पना की दुनिया में शेर करते हुए संध्या के तन बदन में आग लग रही थी उसका गोरा मुखड़ा टमाटर की तरह लाल हो चुका था,,,,,, उसका मन उसकी भावनाएं दिमाग का साथ बिल्कुल नहीं दे रही थी और संध्या खुद उन भावनाओं में बहती चली जा रही थी ना जाने क्यों उसके मन में आज अपने बेटे की कल्पना करके अपने गुड़ के साथ काम क्रीड़ा करने की इच्छा हो रही थी बार-बार उसका दिमाग उसी में करने से रोक रहा था लेकिन मन बेहद चंचलता दिखाते हुए उसके ऊपर हावी होता जा रहा था,,,,वह अपनी बुर के अंदर अपनी उंगली डालने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी और वह भी अपने बेटे की ख्यालों में डूबते हुए,,, पर इसीलिए अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी उंगली को अपने बेटे का मोटा तगड़ा लंड कल्पना तीत करके उसे अपनी बुर के अंदर घुसेडने वाली ही थी कि तभी,,, मोबाइल की घंटी बज उठी और उसकी तंद्रा भंग हुई तो वह टेबल पर पड़े मोबाइल की तरफ देखने लगी,,,, एक तरह से मोबाइल की घंटी में उसकी कल्पनाओं की डोर को तोड़ कर उसे नीचे जमीन पर ला दिया था,,,, वह होश में आते हुए अपने आप से ही बात करते हुए वह घबराकर बोली,,,,।

हे भगवान यह मै क्या कर रही थी,,,, छी इतना गंदा काम,,,,(संध्या अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेते हुए बोली) मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं इस तरह का काम कर सकती हूं,,,
(संध्या को अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था,,, वह तुरंत टेबल की तरफ गई,,, हालांकि वह अभी भी पूरी तरह से निर्वस्त्र थी एकदम नंगी और अपने कमरे में इधर से उधर जाते समय उसके नितंबों में जिस तरह का थिरकन हो रहा था वह बेहद अद्भुत था,,, ऐसा लग रहा था कि मानव जैसे उसके कमर के नीचे पानी भरे दो गुब्बारे हैं और चलने की वजह से इधर-उधर ऊपर नीचे हो रहे हैं,,,, इस समय अगर दूसरा कोई उसकी मटकती हुई बड़ी-बड़ी गांड को देख ले तो शायद बिना कुछ किए ही उसके लंड का पानी निकल जाए,, इस तरह का अनुपम सौंदर्य से भरपूर बदन था संध्या का,,,

वह मोबाइल उठाकर कॉल रिसीव कर ली क्योंकि वह कोल उसके पति संजय सिंह का था,,,

हलो,,,,,(उत्तेजना के मारे कांपते स्वर में बोली,,)

हेलो संध्या,,, मुझे लौटने में देर हो जाएगी तुम मेरा इंतजार मत करना सो जाना,,,,

ठीक है गुड नाइट,,,,,

गुड नाइट,,,(इतना कहकर संजय फोन काट दिया ,,, संध्या भी फोन को टेबल पर रख कर टेबल की किनारी से अपनी भारी-भरकम नितंबों को सेट आकर खड़ी हो गई और अपनी उखड़ती हुई सांसो को दुरुस्त करने लगी,,,, संध्या को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है,,, किस तरह की उत्तेजना का अनुभव से बहुत ही कम ही होता है लेकिन आज खुद से इतना अधिक उत्तेजना का अनुभव से पहली बार हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उत्तेजना का तूफान सा उठ गया हो और उसमें वह पूरी तरह से उलझ कर रह गई हो,,,, अपनी हरकतों की वजह से उसे अपने आप से शर्म आने लगी थी क्योंकि उसकी सोच और कल्पनाओं में आज उसका बेटा था वह मन ही मन फुटपाथ पर खड़े लड़कों को गाली देने लगी उन्हें भला-बुरा कहने लगी जिसकी वजह से उसके दिमाग की सोच बदल रही थी,,,,,
थोड़ी देर तक वह उसी स्थिति में टेबल से अपनी गांड टीकाएं खड़ी रही,,,वह शायद यह बात एकदम से भूल चुकी थी कि वह इस समय कमरे में जिस स्थिति में खड़ी थी उसके तन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा भी नहीं था वह पूरी तरह से नंगी थी और जब इस बात का आभास उसे हुआ तो वह शर्मा कर मुस्कुरा दी,,,, ना जाने क्यों उसे कपड़ा पहनने का मन नहीं कर रहा था वह उसी तरह से एकदम नंगी अपने कदम को आगे बढ़ाते हुए खिड़की के करीब गई,, खिड़की पर पर्दा लगा हुआ था,,, खिड़की पर लगे पर्दा हटाकर शीशे के आर-पार रोड की तरफ देखने लगी,,,,, जहां पर रात के 11:00 बजे भी गाड़ियों का आना जाना बरकरार था,,, दूर-दूर फ्लैट मैं चमक रहे बल्ब की रोशनी से वातावरण एकदम नहाया हुआ था,,,,, संध्या पहली बार इस तरह से नग्न अवस्था में खड़ी होकर खिड़की से बाहर का नजारा देख रही थी,,, ईस तरह से पहली बार ही वह कमरे में एकदम नंगी होकर इधर से उधर घूम रही थी वरना नंगी तो होती थी लेकिन केवल बिस्तर तक ही सीमित रहती थी बिस्तर का काम खत्म होने के बाद वह अपने कपड़े तुरंत पहन लेती थी,,,, लेकिन आज की बात कुछ और थी,,,, पूरे घर में ईधर से उधर नंगी होकर चहल कदमी करने में ऊसे अजीब सी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था एक सुखद अहसास उसके तन बदन को झकझोर कर रख दे रहा था।,,,,,

सामने सड़क पर एक दूसरे से आगे निकल जाने के लिए लोग बड़ी तेजी से अपनी गाड़ी लेकर गुजर रहे थे और उन्हें इस तरह से जल्दबाजी में आता जाता देख कर वह अपने मन में सोच रही थी कि,,,
इन लोगों को घर पहुंचने की कितनी जल्दबाजी है,,, सब चुदाई करने के लिए भाग रहे हैं,,,कोई अपनी बीवी की चुदाई करने के लिए तो कोई अपनी गर्लफ्रेंड की,,, कोई अपनी पड़ोसन की कोई अपनी चाची की तो कोई अपनी मां को चोदने के लिए भागा चला जा रहा है,,,,
यह ख्याल आनायस ही उसके मन में आया था,,, और ईस ख्याल के चलते एक बार फिर से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, खास करके अपनी मां को चोदने वाले ख्याल से वह फिर से उत्तेजित होने लगी,,,, वह अपने मन में खिड़की पर नंगी खड़ी होकर यही सोच रही थी क्या वास्तव में ऐसा होता होगा,,, जो ख्याल वो लड़के मुझे देखकर अपने मन में ला रहे थे क्या वही गंदा ख्याल वे लोग अपनी मां को देखकर अपने मन में लाते होगे,,,, अपने सवाल का जवाब खुद से ही देते हुए अपने मन में सोची,,,

हां हो सकता है कि ऐसा वास्तव में होता हो तभी तो वह लड़के मां बेटे के बीच में गंदे संबंध के बारे में बोल रहे थे या बोलो अपनी सगी मां को अपने ही बेटे के साथ संभोग करते हुए देखें होगे तभी उन लोगों के दिमाग में यह सब गंदे विचार चल रहे थे,,, पर वह लड़के खुद अपनी मां को चोदना चाहते होंगे,,,,,संध्या को समझ में नहीं आ रहा था कि वह दो लड़के दोस्त थे या भाई अगर दोस्त होंगे तो जरूर एक दूसरे की मां के बारे में गंदी बातें करते होंगे,, और अगर भाई होंगे तो दोनों की नियत अपनी मां के ऊपर खराब होगी,,,, यही सब सोच सोच कर संध्या का दिमाग घुमा जा रहा था वह कोई फैसला नहीं ले पा रही थी उसका खुद का मन भटक रहा था,,, तब ऊसे याद आया किआकर्षण तो किसी के भी प्रति हो सकता है आकर्षण को कोई बांधकर नहीं रख सकता आकर्षण की कोई सीमा नहीं होती,,,, तभी उसे याद आया कि वह खुद इस आकर्षण के दौर से गुजर चुकी थी,,, जब वह कॉलेज में पढ़ती थी तब उसके मामा का छोकरा पढ़ाई करने के लिए उसके घर आया हुआ था और इत्तेफाक से उसके ही कॉलेज में उसका भी एडमिशन हो गया था,,, मोटरसाइकिल पर बैठकर दोनों कॉलेज आने जाने लगे थे देखते ही देखते भाई बहन होने के बावजूद भी एक दूसरे के प्रति आकर्षण होने लगा और आकर्षण प्यार में बदल गया दोनों एक दूसरे को चाहने लगे,,, लेकिन अभी तक दोनों मर्यादा की रेखा को लांघे नहीं थे,,, लेकिन एक दिन अपने संस्कार और मर्यादा की रेखा को लगने का संध्या ने निश्चय कर लिया उसके मामा का लड़का बेहद आकर्षक और गठीला बदन वाला था,,, और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए खुद उतावली होने लगी और ऐसे ही 1 दिन मौका देखकर,,, संध्या अपने मामा के लड़के के साथ पहली बार संभोग सुख भोगने के लिए उसके कमरे में चली गई और देखते ही देखते उसके मामा का लड़का भी उसको चोदने के लिए तैयार हो गया एक बहन होने के बावजूद भी अपनी बहन को चोदने के लिए तैयार हो चुका था और संध्या अपने भाई से चुदवाने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, देखते ही देखते दोनों के तन से कपड़े कब ऊतर गए दोनों को पता नहीं चला,, संध्या के मामा का लड़का चलाक था इससे पहले भी वह कई लड़कियो के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था इसलिए अनुभव से भरा हुआ था संध्या को नर्म नर्म बिस्तर पर अपने नीचे लेकर उसकी दोनों टांगे से अपने लंड को उसकी ग्रुप में डालने वाला था कि तभी भड़ाक की आवाज के साथ दरवाजा खुला और संध्या अपनी मां को देखकर एकदम से घबरा गई,,,, एक मां होने के नाते समझा-बुझाकर संध्या को तो माफ कर दिया गया लेकिन उसके मामा के लड़के को तुरंत वहां से भगा दिया उस दिन के बाद से संध्या का मन और कदम दोनों कभी नहीं डगमगाए लेकिन आज उसके मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी उन छोटे लड़कों की बात में आकर संध्या अपना सुखचैन गंवा रही थी,,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि क्या उसका बेटा भी उसके बारे में उन्हीं लड़कों की तरह सोच रखता होगा क्या उसका सोनू भी उसे चोदने की लालसा मन में लाता होगा यह सब ख्याल मन में आते ही संध्या के तन बदन में कसमस आहट की लहर उठने लगी,,,, तभी उसे एहसास हुआ कि उसे जोरो की पेशाब लगी हुई है,,,, और वह तुरंत नंगी ही चलते हुए अपने रूम में बने बाथरूम में घुस गई,,उसे इतनी जोर की पेशाब लगी हुई थी कि उसे बैठने तक का मौका नहीं मिला और खड़े-खड़े ही उसकी बुर से पेशाब की धार निकल गई,,,,,, अब शायद उसके लिए बैठना जरूरी नहीं था,।
पेशाब की धार दूर से बाहर निकलते ही उसे राहत महसूस होने लगी,,, वह अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी गर्दन नीचे की तरफ झुका कर अपनी नजरों को सीधा अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों पर टिकाई हुई थी जिसमें से पेशाब की धार इस समय अमृत की धार की तरह निकल रही थी और सामने चमकती हुई टाइल्स पर बौछार मार रही थी,,, अपने आपको खुद इस तरह से पेशाब करती हुई देखकर संध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और अपने आप ही उसका एक हाथ तुरंत बुर के बीचो बीच पहुंच गया,,,और वह अपनी बुर की दरार के इर्द-गिर्द अपनी उंगलियां टीका कर उसे जोर से दबाते हुए पेशाब करने लगी,,, उसे आनंद आ रहा था अजीब सा हल-चल उसके तन बदन में छा रहा था,, तुरंत उसकी आंखें बंद हुई और वह कल्पना में खोने लगी,,,, उसकी कल्पना बेहद रंगीन थी जिसने खुद उसका सगा बेटा सोनू उसकी दोनों टांगे फैलाकर अपनी ही मां की बुर में अपना लंड डालना शुरू कर दिया था,,, इस कल्पना के अधीन होकर संध्या की उंगली कब बुर चली गई यह उसे भी पता नहीं चला,, वह उत्तेजना के मारे अपनी उंगली को अपनी बुर के अंदर अंदर बाहर करने लगी,,,, ऊसे मजा आ रहा था,,, वह आनंदित हो रही थी कल्पना में अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई तक ले सबसे अजीब सी अद्भुत आनंद महसूस हो रहा था,,,, वह कल्पना में अपने बेटे के नितंबों पर दोनों हाथ रख कर उसे कस के अपनी कमर के बीचो-बीच दबा रही थी इस तरह की कल्पना उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी देखते ही देखते उसके मुख से सिसकारी की आवाज आने लगी,,,

संध्या को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि वह बाथरूम के अंदर अपने ही बेटे की कल्पना करके बेहद शर्मनाक काम कर रही है लेकिन इस समय उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि जिस क्रिया को वह कर रही हैं वह बेहद शर्मनाक है उसे तो बस आनंद आ रहा था,,,ऐसा नहीं था कि वह अपनी बुर के अंदर उंगली को पहली बार डाल रही थी वह ऐसा पहले भी कर चुकी थी लेकिन जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव ऊसे आज हो रहा था अपने बेटे को लेकर इस तरह का उत्तेजना का अनुभव ऊसे पहले कभी नहीं हुआ था,,,, इसलिए तो अपने हाथ से ही वह बेहद उत्तेजक चरम सुख को प्राप्त करते हुए गहरी गहरी सांसे लेने लगी,,,, उसका पानी निकल चुका था पेशाब करने आई थी लेकिन उत्तेजना और अपनी कल्पनाओं के चलते चरम सुख को प्राप्त करके बाथरूम से बाहर जा रही थी एकदम नंगी थी बिस्तर पर पडते ही वह,,, गहरी नींद में सो गई,,,
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
 
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Sanju@

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आज हॉस्पिटल में शर्मा जी का ऑपरेशन था जो कि कोई बहुत बड़ा ऑपरेशन नहीं था बहुत ही मामूली सा पथरी का ऑपरेशन था लेकिन इस तरह का सीन क्रिएट किया गया था कि जैसे बहुत ही कठिन और गंभीर बीमारी का ऑपरेशन है,,, इसलिए तो सरिता घबरा गई थी और तुरंत गांव से शहर आई थी अपने पति का ऑपरेशन करवाने के लिए शर्मा जी सरकारी ऑफिस में मामूली से कलर्क थे,,, उसकी हैसियत बिल्कुल भी नहीं थी इतने बड़े हॉस्पिटल में ऑपरेशन करवाने की,,, इसीलिए तो उससे ऑपरेशन के पैसे का जुगाड़ बिल्कुल भी नहीं हो पाया था,,,। लेकिन संजय सिंह की सांत्वना को पाकर वह निश्चिंत हो चुकी थी,, लेकिन संजय सिंह की इस सांत्वना के पीछे छिपे गहरे राज को वह कुछ कुछ समझ रही थी लेकिन अपने पति की भलाई के लिए वह खामोश रहना ही उचित समझ रही थी,,, इसलिए वह घर से नहा धोकर जल्दी से हॉस्पिटल पहुंच चुकी थी,, शर्मा भले ही पैसों के मामले में अमीर नहीं था लेकिन किस्मत के मामले में बेहद धनी था जो उसे सरिता जैसी खूबसूरत बीवी मिली थी,,। भरे बदन की सरिता बेहद खूबसूरत लगती थी,, इसीलिए तो उसकी खूबसूरती पर पूरी तरह से मोह कर संजय सिंह उसके हॉस्पिटल का पूरा खर्चा माफ करने के लिए तैयार हो चुका था जो कि इस बारे में उसके हॉस्पिटल का किसी भी स्टाफ को पता नहीं था यह अंदर की बात थी जो कि सरिता और संजय सिंह को ही मालूम थी,,, घर पर वह करीब रात के 3:00 बजे पहुंचा था और जल्द ही 6:00 बजे ही घर से निकल चुका था,, 10:00 बजे शर्मा जी का ऑपरेशन करना था,,,। ऑपरेशन की पूरी तैयारी हो चुकी थी शर्मा जी को ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया था,,, ऑपरेशन बड़ा नहीं था इसलिए ऑपरेशन थिएटर में केवल 2 नर्श और संजय सिंह खुद था,,, 2 नर्स में रूबी भी थी।

ऑपरेशन थिएटर के बाहर सरिता बहुत परेशान नजर आ रही थी वह बार-बार आंखों को बंद करके भगवान से प्रार्थना कर रही थी बड़ी भोली और मासूम सी नजर आ रही थी और वैसे भी वह बहुत भोली ही थी गांव की होने के साथ-साथ वह बेहद संस्कारी और मर्यादा शील औरत थी,,, लेकिन इस समय ऑपरेशन थिएटर के बाहर उसके साथ कोई भी नहीं था घर के लोग शाम को आने वाले थे तब तक वह अकेली ही थी,,, वह परेशानी में इधर से उधर चहलकदमी कर रही थी,,, जब वह परेशान होकर इधर से इधर चहल कदमी करती थी,, तब उसके गोलाकार नितंबों की थिरकन आते जाते स्टाफ मेंबर और दूसरे मर्दों के तन बदन में हलचल पैदा कर देती थी,,,वह मन ही मन में भगवान से प्रार्थना करते हुए अपने पति की लंबी उम्र की दुआ मांग रही थी और अंदर ऑपरेशन शुरू हो चुका था,,,। संजय सिंह के लिए कोई बहुत बड़ा ऑपरेशन नहीं था या उसके लिए बाएं हाथ का काम था,,,
रूबी बार-बार संजय सिंह को अपनी तरफ रिझाने की कोशिश कर रही थी वैसे भी रूबी बला की खूबसूरत थी,,, ऑपरेशन थिएटर में स्कर्ट पहनी हुई थी और उस पर अपना सफेद रंग का नर्स का यूनिफॉर्म पहनी थी इस यूनिफार्म मे वह बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगती थी यह बात संजय भी अच्छी तरह से जानता था,,,, ऑपरेशन शुरू हो चुका था संजय बड़ी ईमानदारी से शर्मा जी के ऑपरेशन को अंजाम दे रहा था,,, और रूबी ठीक उसके बगल में खड़ी होकर ऑपरेशन में उपयोग में लिए जाने वाले औजारों को एक ट्रे में लेकर खड़ी थी,,, तकरीबन 1 घंटे के बाद ऑपरेशन एकदम कामयाब रहा लेकिन रूबी के मन में कुछ और चल रहा था ऐसा नहीं था कि संजय का ध्यान रूबी के ऊपर नहीं जा रहा था संजय का ध्यान बार-बार उसकी मटकती हुई गोलाकार गांड पर जा रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी लेकिन फिर भी वह अपना सारा ध्यान ऑपरेशन में लगाया हुआ था,,, और उसे यह भी पता था कि रूबी जानबूझकर इस तरह की हरकत कर रही है,,,। संजय चीरे पर टांका लेने की तैयारी कर रहा था,,, दूसरी नर्स टेबल के दूसरे छोर पर अपना काम कर रही थी,,, तभी संजय रूबी से बोला,,,,।

रूबी सुई देना तो,,,
(इतना सुनते ही रूबी को मौका मिल गया और वह जानबूझकर सुई को नीचे गिरा दी उसकी पीठ संजय की तरफ से और सुई के गिरते ही वह नाटक करते हुए बोली,,)

ओहहह शीट,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे सुई उठाने के लिए झुक गई,,, वह जानती थी कि संजय सिंह की नजर उसकी गांड पर जरूर पड़ेगी वो पहले से ही सारी तैयारी कर चुकी थी,,,, वजह से ही सही उठाने के लिए नीचे झुकी वैसे ही संजय सिंह की नजर भी उसके पिछवाड़े पर पड़ी और वह देखकर दंग रहेगा उसकी आंखों के सामने रूबी की एकदम खूबसूरत सुडौल आकार की गोरी गोरी गांड नजर आने लगी उसकी संपूर्ण गांडएकदम नंगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ही उसने अपनी गांड को ढकने के लिए पैंटी नहीं पहनी है लेकिन ऐसा नहीं था वह पेंट पहनी जरूर थी लेकिन वह पहनती सिर्फ एक पतली सी डोरी के रूप में थी जो कि उसकी गोलाकार गांड के बीचों बीच की दरार में फंसी हुई थी,,, जो कि बेहद ध्यान से देखने पर ही पता चल रही थी इस नजारे को देखकर संजय सिंह का खून एकदम से खोलने लगा उसके तन बदन में वासना की लहर उठने लगी,,,, अगर ऑपरेशन थिएटर में ना होता तो अब तक वह रूबी को उसने भी नहीं दिया होता और उसी पोजीशन में अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता जो कि रूबी खुद ऐसा चाहती थी,,, सुई उठाते समय रूबी यह देखने के लिए कि संजय की नजर उस पर पड़ती है या नहीं इसलिए वह अपनी नजरों को पीछे करके संजय की तरफ देखी तो वह उसकी भरी हुई मत मस्त खूबसूरत गांड को ही देख रहा था यह देखकर उसके होठों पर कामुक मुस्कान आ गई और वह संजय की तरफ मुस्कुराते हुए देख कर खड़ी हो गई संजय भीउसकी इस तरह की हरकतों को अच्छी तरह से समझ रहा था और वह मन में ठान लिया था कि मौका मिलने पर रूबी की बुर में लंड जरूर डालेगा,,,,, रूबी सुई उठाकर खड़ी होते हुए बोली,,,)

सॉरी सर लीजिए ,,,,(इतना कहकर सुई संजय सिंह की तरफ बढ़ा दी और संजय सूई अपने हाथ में लेकर टांका लेने लगा,,,, सब कुछ एकदम सही हो चुका था 1 घंटे बाद शर्मा को होश भी आ गया हल्का हल्का दर्द हो रहा था लेकिन कोई दिक्कत की बात नहीं थी,,,, सरिता अपने पति को होश में आया हुआ देखकर बेहद खुश नजर आ रही थी,,, वह अपने पति के पास टेबल पर बैठी हुई थी कि तभी नर्स उसके पास आई है और उसे सर के केबिन मैं उनसे मिलने के लिए बोल कर चली गई,,,)

मैं अभी आती हूं,,,,(इतना कहकर सरिता टेबल पर से उठ खड़ी हुई और संजय के केबिन की तरफ जाने लगी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह घबराई हुई थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि क्या होने वाला है एक पैसा भी उसका नहीं लगा था इसका मतलब साफ था कि उसे पैसों के बदले में कुछ और चुकाना होगा,,,,धीरे-धीरे वह संजय के केबिन के करीब पहुंच गई दरवाजा खुला हुआ था दरवाजे पर सरिता को देखते ही संजय खुश हो गया और उसे अंदर आने के लिए बोला,,,, सरिता डरी सहमी सी कुर्सी के करीब जाकर खड़ी हो गई तो संजय ही उसे बोला)

घबराओ मत बैठ जाओ,,,,(संजय की बात सुनकर सरिता टेबल के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई संजय अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) देखो सरिता मामला बहुत पेचीदा था लेकिन अब कोई घबराने की बात नहीं है सब कुछ सही हो चुका है अब तुम्हारे पति खतरे से एकदम बाहर है बस अब उनका इलाज ठीक से करवाना है और खाने पीने पर ध्यान देना है 15 दिन में एकदम सही हो जाएंगे,,,

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर साहब,,,

धन्यवाद मेरा नहीं भगवान का कर लो मैं तो सिर्फ अपना फर्ज निभाता हूं बाकी सब मर्जी भगवान की होती है और हां सरिता तुम्हारा कुल मिलाकर ऑपरेशन का खर्चा ₹120000 हुआ है अगर जुगाड़ हो चुका हो तो भर दो आगे भी दो-तीन दिन तक तुम्हारे पति को हॉस्पिटल में ही रहना होगा उसका खर्चा अलग से,,,,।

(इतना सुनते ही सरिता एकदम से घबरा गई इतना पैसा वह कहां से लाएगी यह सोचकर ही उसके पसीने छूटने लगे वह रोने जैसी हो गई उसकी आंखों में आंसू भर आए एकदम निराश हो गई उसके घर वाले भी इतने पैसे वाले नहीं थे की मदद कर सकते वह निराश हो चुकी थी उसके सामने कोई रास्ता नहीं था,, वो रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर तुरंत संजय अपनी कुर्सी पर से खड़ा हुआ है और सबसे पहले जाकर दरवाजे को बंद कर दिया,,,, दरवाजे के बंद होने की आवाज कानों में पड़ते ही सरिता का बदन एक अनजान डर से थरथर करके कांपने लगा.. और संजय मौके का फायदा उठाते हुए तुरंत उसके ठीक पीछे कुर्सी के करीब खड़ा होकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

डरने की कोई बात नहीं है सरिता अगर पैसों का जुगाड़ नहीं हो पाया हो फिर भी बोल सकती हो तुम्हारे पति का इलाज चलता रहेगा जब तक कि वह बिल्कुल ठीक नहीं हो जाते,,,, लेकिन इसके बदले में तुम्हें मेरी बात माननी होगी,,,


कककक,,,, कैसी बात,,,,,(सरिता संजय की हरकत की वजह से घबराहट भरे स्वर में बोली,,,, उसके बदन की थरथराहट संजय को अपनी हथेली में साफ महसूस हो रही थी सरिता के हाव भाव को देखकर संजय समझ गया कि वह बेहद भोली भाली और एकदम सीधी औरत थी,,,, ओर यह देखकर संजय के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी क्योंकि उसकी जिंदगी में इतनी सीधी साधी भोली भाली औरत पहली बार आई थी जिसके साथ वह संभोग करने के लिए व्याकुल होने लगा था,,,)

तुम्हें ज्यादा कुछ नहीं करना है सरिता,,,,(इतना कहने के साथ ही संजय उसके कंधे पर के पल्लू को पकड़कर नीचे की तरफ गिरा दिया और जैसे ही पल्लू उसके कंधे से सरक कर नीचे गिरा उसकी भारी भरकम दूध से भरी हुई छातियां एकदम उजागर हो गई जो कि ब्लाउज में अच्छी तरह से समा नहीं पा रही थी और ब्लाउज का बटन तोडकर बाहर आने के व्याकुल हो रही थी,,,, संजय उसकी बड़ी बड़ी चूचियों के बीच की गहरी लकीर को देखकर एकदम वासना से भर गया उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी,,, और सरिता एकदम से शर्मा गई गांव की औरत होने की वजह से वह एकदम से शर्म से गढ़ी जा रही थी अपने बदन को समेटे हुए छुपाने की कोशिश कर रही थी लेकिन संजय शायद जानता था कि उसके आगे समर्पण के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं है इसलिए अपने दोनों हाथ को कंधों से नीचे की तरफ ले जाकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी दोनों चूचियों को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए बोला,,,)
सरिता तुम चाहो तो सब कुछ हो सकता है तुम अपने पति का इलाज आगे भी जारी रख सकती हो जब तक कि वह ठीक नहीं हो जाते।(उत्तेजना वश संजयसरिता की दोनों चूचियों को क्लाउज के ऊपर से इतनी जोर से दबा रहा था कि ना चाहते हुए भी सरिता के मुंह से आह निकल गई,,,) मैं तुमसे ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा मैं बस इतना पूछना चाहता हूं कि क्या तुम चाहती हो कि तुम्हारे पति का इलाज आगे भी अच्छी तरह से जारी रहें ताकि बहुत ही जल्दी तुम्हारे पति ठीक हो कर घर जा सके,,,,

(संजय की बातें सुनकर सरिता कुछ बोल नहीं पा रही थी,, उसकी हालत खराब होती जा रही थी वह शर्म से गाड़ी जा रही थी जिंदगी में पहली बार किसी गैर मर्द ने उसके दोनों स्तनों को अपनी हथेली में भरकर दबाया था,,, सरिता का तन बदन उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि डॉक्टर की इस हरकत पर कैसे भाव प्रकट करें,, डॉक्टर की दोनों हथेलियां ताकत से भरी हुई थी इस बात का एहसास उसे बहुत जल्द हो गया था,,, चरित्रवान होने की वजह से संजय की कामुक हरकत पर सरिता का तन बदन उत्तेजना वाली हरकत बिल्कुल भी नहीं कर रहा था उसके दिमाग के साथ-साथ उसका बदन भी असमंजस में था कि डॉक्टर के इस तरह की कामुक हरकत के प्रतिभाव में वह कैसा भाव प्रकट करें उत्तेजित हो या क्रोध जता कर उसे दूर कर दे,,,लेकिन सरिता यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि हालात अब उसके बस में बिल्कुल भी नहीं थे 120000 का बिल उसके लिए भुगतान कर पाना बहुत बड़ी बात थी जिसका इंतजाम नामुमकिन था और आगे का इलाज यह सब सोचकर ही उसका दिमाग फटा जा रहा था,,,,सरिता की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया होती ना देख कर संजय अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
सरिता क्या तुम नहीं चाहती कि तुम्हारे पति का इलाज अच्छी तरह से मुमकिन हो सके,,,,(संजय शायद समझ चुका था कि उसका तीर ठीक निशाने पर लगा है उसकी बात मानने के सिवा सरिता के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था इस बात का अंदाजा लगते ही वह अपनी बात कहते हैं अपने हाथों से उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा क्योंकि वह अपने हाथ में आए इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था सरिता की खूबसूरत दोनों गोलाईयों को अपनी आंखों से नजर भर कर देखना चाहता था,,,,सरिता को इस बात का अहसास था कि डॉक्टर उसके ब्लाउज का बटन अपने हाथों से खोल रहा है यह उसके लिए शर्म से मर जाने वाली बात थी,, लेकिन इस समय वह कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं थी सवाल उसके पति के सेहत का था उसके इलाज का था जिसका भुगतान कर पाना शायद उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था उसके बस में था तो बस डॉक्टर की बात मान लेना,,,, और उसकी बात मान लेने पर उसके पति का इलाज बेहतरीन तरीके से संभव था,,, वह अपने आप को संजय सिंह की बात माल लेने के लिए तैयार कर रही थी और उसकी हामी आती इससे पहले ही संजय उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल चुका था,,, संजय सिंह की आंखों में वासना की चमक साफ नजर आने लगी जब उसकी नजर लाल रंग की ब्रा में छुपे हुए दोनों चूचियों पर गई दोनों चूचियां ऐसी लग रही थी मानो सीपी में छुपी हुई मोती,, जिनको पाने के लिए उसकी कीमत अदा कर पाना शायद किसी के बस में नहीं था क्योंकि दोनों चुचियां अनमोल थी,, जीन्हे पाना शायद किस्मत की बात थी,,, लेकिन शायद सरिता की किस्मत खराब थी जो संजय सिंह उसे किस्मत से नहीं बल्कि उसकी मजबूरी का फायदा उठा कर प्राप्त कर रहा था,,, सरिता का प्रति भाव जाने बिना ही संजय अपनी दोनों हथेलियों को सरिता की चुचियों के नीचे की तरफ लाकर उसकी लाल रंग की ब्रा को पकड़कर ऊपर की तरफ खींच दिया और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां फुटबॉल की तरह उछल कर बाहर आ गई,,,। यह देख कर संजय के मुंह में पानी आ गया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने बेहतरीन किस्म के दो दशहरी आम थाली में सजाकर रखे गए हो और जिस पर सिर्फ संजय का हक है,,, सरिता चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी,,, डॉक्टर उसे पल पल वस्त्र विहीन करता जा रहा था,,, लेकिन वह खामोश थी एकदम शांत थी खामोश थी सिर्फ और सिर्फ अपने पति के लिए क्योंकि जब नर्स उसे डॉक्टर के केबिन में जाने के लिए बोली थी तो वह कुर्सी से उठने के बाद अपने पति की तरफ नजर डाली थी और उसका पति अपनी बीवी को देखकर मुस्कुरा दिया था और सरिता अपने पति के चेहरे पर आई मुस्कुराहट को खोना नहीं चाहती थी क्योंकि इतनी तकलीफ में भी उसे देखकर वह मुस्कुरा रहा था उसकी मुस्कुराहट जीने देना सरिता के बस में बिल्कुल भी नहीं था उसके सामने बस अब डॉक्टर की बात मान लेने के सिवा कोई चारा नहीं था,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हुई जा रही थी,,,, सरिता की चुचियों को देखकर संजय को समझते देर नहीं लगी थी की खूबसूरती अमीरी या गरीबी देखकर नहीं मिलती,,, वह तो भगवान का तोहफा होता है किसी को भी मिल सकता है जैसा कि सामान्य परिवार से आने वाली सरिता को भगवान ने खूबसूरती दोनों हाथों से बटोर कर उसकी झोली में डाल दिया था और उसी झोली में से संजय अपने हिस्से की खुशियां लूटना चाहता था,,,। और यह हिस्सा भी उसने जबर्दस्ती का बनाया हुआ था,,,,,, सरिता मजबूर होकर हां कहना चाहती थी लेकिन हां कहने में भी उसे बेहद शर्म महसूस हो रही थी और संजय उसके जवाब का इंतजार किए बिना ही उसकी सूची के बीचो बीच की खूबसूरती बढ़ाते हुए उसके निप्पल जो कि एकदम किसमिस के दाने की तरह नजर आ रहे थे उसे संजय सिंह अपने दोनों हाथों की उंगलिययों का उपयोग करके उसे ंसलना शुरू कर दिया,,,,, और इस बार सरिता के मुंह से हल्की सी सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,।

सससहहहहहहहह,,,,।
(यह सिसकारी की आवाज सरिता के मुंह से उत्तेजना बस निकली थी आखिरकार वह भी एक औरत थी तब तक एक पराए मर्द की कामुक हरकतों की वजह से अपने आपको दवाई रह सकती थी,,,, आखिरकार बदन उसके दिमाग का साथ छोड़ रहा था,,, सरिता के मुंह से निकली गरमा-गरम सिसकारी की आवाज उसकी तरफ से पूर्ण समर्पण का एहसास दिला रहा था जिससे संजय बेहद खुश था,,,, देखते ही देखते संजय उसके खूबसूरत गर्दन पर अपने होंठ रख कर उस पर चुंबन लेना शुरू कर दिया साथ ही अपनी नाक से गरमा गरम सांस को उसके गर्दन पर छोड़ने लगा जिससे सरिता ना चाहते हुए भी मदहोशी का एहसास करने लगी,,,, उसका बदन कसमसाने लगा और संजय लगातार उसके निप्पल को मसलता रहा,,,, औरतों को उत्तेजित करने की कला संजय सिंह अच्छी तरह से जानता था संजय उसके कान के बाली पर अपनी जीभ निकालकर उसे चाटना शुरू कर दिया,,, वैसे भी कान के पीछे वाले भाग पर मर्दों के द्वारा उत्तेजित अवस्था में चुंबन लेने पर औरत एकदम काम भावना से ग्रस्त हो जाती है और यही सरिता के साथ हो रहा था,,,, संजय अच्छी तरह से जानता था कि सरिता अपने आप को उसके आगे समर्पित कर दे रही है वरना वह उसे ब्लाउज का बटन खोलने नहीं देती,,,,लेकिन एक बार फिर से सरिता के मन में क्या चल रहा है यह जानने के लिए वह धीरे से उसके कान में बोला,,,।

क्या कहती हो सरिता अपने पति का इलाज जारी रखना चाहती हो या यहीं पर रोक देना चाहती हो,,,

जजजज,,, जारी रखना चाहती हूं,,,,(सरिता कांपते स्वर में बोली,,,, और संजय यह सुनकर एकदम खुश हो गया,,,)

डेट्स गुड गर्ल,,,, यह हुई ना बात,,,,,(इतना कहने के साथ ही संजय उसकी बांह पकड़ कर उसे खड़ी करने लगा और सरिता कुर्सी से उठकर खड़ी हो गई,,,, संजय ठीक उसके सामने खड़े होकर उसकी खूबसूरती को देख रहा था खूबसूरत चेहरा एकदम गोरा लाल लाल होंठ कजरारी आंखें और छातीयो की शोभा बढ़ाती उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां जिसे दबा दबा कर संजय सिंह ने टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,, सरिता की लाल लाल दशहरी आम को देखकर उसे मुंह में लेकर चूसने की लालच को संजय दबा नहीं पाया और तुरंत अपना मुंह उसकी चूची पर रख कर उसकी कैडबरी जैसी चॉकलेटी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, शर्म और उत्तेजना का असर सरिता के खूबसूरत संस्कारी चेहरे और मन दोनों पर अजीब सी हलचल मचा रहा था,,,, आखिरकार एक औरत होने के नाते संजय जैसे एक बड़े डॉक्टर और उसके मर्दाना ताकत भरे हाथों का असर उसके तन बदन पर हो रहा था लेकिन वह अजीब सी कशमकश में थी,,,, वह अगर मजा लेना चाहती तो उसके पति से उसकी तरफ से दगा होता,,, लेकिन हालात के हाथों मजबूर थी वह यह सब करना नहीं चाहती थी लेकिन मजबूरी बस सब कुछ अपने आप होता चला जा रहा था संजय बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों का स्वाद ले रहा था,,,, सरिता शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद कर चुकी थी उसे यह शर्मनाक नजारा देखा नहीं जा रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह किसी पराए मर्द को इस तरह से अपने बदन को हाथ लगाने देगी,,,,,,, लेकिन कर भी क्या सकती थी,,,, ना चाहते हुए भी संजय की कामुक हरकतों की वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और देखते ही देखते उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन कहां पड़ा था उसे इस बात का डर था कि कहीं वह चक्कर खाकर गिर ना जाए इसलिए वह अपना दोनों हाथ संजय के कंधों पर रखकर उसके कंधे का सहारा ले ली थी और संजय उसके समर्पण की भावना को अच्छी तरह से समझ रहा था संजय ज्यादा देर नहीं लगाना चाहता था क्योंकि कोई भी आ सकता था,,, यह लंच का समय का इसलिए उसे कोई डिस्टर्ब नहीं कर रहा था अभी भी उसके पास 10 मिनट का समय था,,,,पेंट के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,,, अब देर करना उचित नहीं था,,,, अब संजय ना तो उसे कुछ समझा रहा था और ना ही सरिता कुछ समझने के लिए तैयार थी वह तो समय की बहाव में बहती चली जा रही थी,,,, देखते ही देखते संजय अपनी स्थिति को पूरी तरह से बदल लिया सरिता नहीं जानती थी कि संजय क्या करने वाला है वह इतना चाहती थी कि वह उस की चुदाई करेगा लेकिन कैसे करेगा यह हुआ बिल्कुल भी नहीं जानती थी,,,, देखते ही देखते संजय उसे टेबल की तरफ मुंह करके खड़ी कर दिया और पीछे खड़ा होकर उसकी साड़ी को उठाना शुरू कर दिया यह पल सरिता के लिए बेहद शर्मनाक था शर्म से गड़ जाने वाली बात थी उसके लिए लेकिन कुछ भी उसके हाथों में नहीं था देखते ही देखते संजय उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसका जबरदस्त भरावदार पिछवाड़ा नजर आने लगा जिस पर अभी भी काली रंग की चड्डी चढ़ी हुई थी,,,,सरिता शर्म के मारे अपनी नजर पीछे करके देख भी नहीं रही थी वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी इस शर्मनाक पल कि वह एकलौती गवाह थी,,,लेकिन उसने भी अपनी आंखों को बंद करके इस शर्मनाक हरकत को होने दे रही थी,,,,सरिता को अभी भी यह सब एक सपना जैसा लग रहा था क्योंकि वह सपने में भी नहीं सोची थी कि इतने बड़े हॉस्पिटल का मालिक इतना बड़ा डॉक्टर इतनी गंदी हरकत करेगा,,,, उसे साफ महसूस हो रहा था कि संजय उसके चिकनी मांसल कमर को अपनी हथेली से सहला रहा था,,, सरिता को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि डॉक्टर बहुत शातिर है औरतों के साथ किस तरह से काम लिया जाता है यह उसे अच्छी तरह से मालूम था तभी तो वह ना चाहते हुए भी मदहोश होने लगी थी,,, तभी उसके बदन में कपकपी सी छा गई जब संजय दोनों हाथों से उसकी काली रंग की चड्डी को पकड़कर उतारना शुरू कर दिया,,,, सरिता जानती थी कि एक ही पल में संजय उसे एकदम नंगी कर देगा और ऐसा हुआ भी संजय तुरंत उसकी चिकनी मांसल टांगो से होती हुई उसकी काली रंग की चड्डी को उतारकर वही डेस्क पर रख दिया,,,, इस बार हिम्मत करके सरिता अपनी नजर पीछे की तरफ करके संजय की तरफ देखी उसकी आंखों में उसकी गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड को देख कर उसे पाने की लालच साफ नजर आ रही थी,,, उसकी आंखों की लालच को देखकर सरिता को खुद शर्म आ गई और वापस अपनी नजर घुमा ली,,,,,, लेकिन अपनी पोजीशन अपने होदेकी शर्म संजय की आंखों में बिल्कुल नजर नहीं आ रही थी बल्कि अपनी पोजीशन का गलत फायदा उठाना कैसे आता है यह उसकी आंखों में साफ नजर आ रहा था,,, संजय सरिता की मदमस्त गोरी गोरी गांड को देखकर एकदम पागल हो गया था,,, समय का अभाव था वरना सरीता के खूबसूरत जिस्म से वह जी भर कर खेलता,,,, उत्तेजना बस संजय उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर दो चार चपत लगा दिया,,,, और सरिता के मुंह से आहह के सिवा और कुछ नहीं निकला,,,,, देखते ही देखते संजय अपने पेंट की बेल्ट और बटन खोल कर अंडरवियर सहित उसे घुटनों तक खींचकर सरका दिया,,,उसका मोटा तगड़ा मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड हवा में गोते खाने लगा,,,

सरिता का संपूर्ण वजूद थरथर कांप रहा था,,, उसके साथ डॉक्टर क्या करने वाला है यह उसे अच्छी तरह से मालूम था,,,, और देखते ही देखते संजय अपना एक हाथ सरिता की पीठ पर रखकर उसे दबाव देते हुए और थोड़ा झुक जाने का इशारा किया और देखते ही देखते सरिता अपनी बड़ी बड़ी चूची यों को झूला ते हुए डेस्क पर झुक गई,,, अब संजय के लिए सरिता की बुर तक पहुंच पाना एकदम आसान हो चुका था,,, बड़ी-बड़ी उभार दार गांड होने की वजह से उसकी बुर की गुलाबी पत्तियां गांड की गहरी दरार के अंदर छिपी हुई थी जिसे खोजने में संजय को ज्यादा वक्त नहीं लगा,,, और अगले ही पल संजय अपनी मोटे तगड़े लंड के सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रखकर हल्के से धक्का लगाया,,, सरिता भले यह सब करना नहीं चाहती थी लेकिन संजय की हरकतों की वजह से वह भी उत्तेजित हो चुकी थी और उसके बदन की गर्मी सहित बनकर उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों से टपक रही थी जिसकी चिकनाहट पाकर संजय का मोटा लंड आराम से अपने लक्ष्य को भेदने के लिए अपने निशाने पर आगे बढ़ने लगा,,, संजय का आधा लंड सरिता की बुर में घुस गया था और इतने से ही सरिता को एहसास हो गया था कि,,संजय का लंड काफी मोटा और तगड़ा है तभी तो जैसे जैसे उसका लंड बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे सरिता के चेहरे का भाव बदलता जा रहा था,,, संजय की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी इस बार सरिता की कमर को थाम कर एक जोरदार धक्का लगाया और संजय का लंड बुर के अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ सीधे जाकर उसके बच्चेदानी से टकरा गया,,, पर इस बार सरिता अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके मुंह से दर्द से भरी हुई चीख की आवाज निकल गई,,,।

आहहहहहहह,,,,,, डॉक्टर साहब,,,आहहहहहह,,,, बहुत दर्द कर रहा है प्लीज निकाल लीजिए,,,,,आहहहहहहह,,, मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,,,,
( सरिता की दर्द भरी आवाज सुनकर संजय समझ गया कि उसकी तुलना में उसके पति का लंड बहुत ही मामूली किस्म का होगा तभी सरिता को दर्द हो रहा है,,, इसलिए वह सरिता को समझाते हुए बोला,,)

बस बस हो गया सरिता आधे से ज्यादा काम हो चुका है,,, मेरा लंड तुम्हारी बुर की गहराई में पूरा का पूरा घुस चुका है,,, अब थोड़ी देर में तुम्हें भी मजा आने लगेगा,,,


नहीं नहीं डॉक्टर साहब मुझे नहीं लगता कि मैं झेल पाऊंगी प्लीज निकाल लीजिए मुझे बहुत दर्द कर रहा है,,,,(सरिता उसी तरह से डेस्क पर झुकी हुई बोली,,,)

तो बिल्कुल भी मत घबराओ सरिता सब कुछ ठीक हो जाएगा बस थोड़ा समय दो,,,,( इतना कहते हुए संजय हल्के हल्के धक्के लगाता हुआ अपने लंड को सरिता कि बुर में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था पर थोड़ी ही देर बाद संजय की कही बात और सरिता का धैर्य आनंद में बदलने लगा सरिता के मुंह से आने वाली दर्द से भरी कराहने की आवाज अब गरम सिसकारी में बदलने लगी थी,,, जो कि बड़ी मुश्किल से वह अपने अंदर समेटे हुए थी,,, लेकिन संजय के मर्दाना ताकत के आगे वह लाचार हो चुकी थी कुछ भी उसके बस में नहीं था और देखते ही देखते उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,, इसमें कोई दो राय नहीं थी कि सरिता को संजय सिंह के लंड से चोदने में मजा नहीं आ रहा है,,, सरिता को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी और ऐसा आनंद उसने कभी अपनी जिंदगी में कभी नहीं प्राप्त की थी,,,, चुदाई का असली सुख उसे आज डॉक्टर के केबिन में प्राप्त हो रहा था,,,,,, संजय एकदम से कामोत्तेजना से भर गया जब सरिता की तरफ से जवाबी कार्रवाई में उसे महसूस हुआ कि सरिता अपनी कार को पीछे की तरफ ठेल रही है,,,,अब संजय के लिए रोक पाना बेहद मुश्किल हो रहा था और वह अपनी रफ्तार को बढ़ा दिया देखते ही देखते उसका लंड सरिता की बुर में इंजन की तरह चलना शुरू हो गया सरिता एकदम आनंद से भाव विभोर हुए जा रही थी,,,, उसे अभी भी यह सब कल्पना और सपना की तरह लग रहा था क्योंकि जिंदगी में उसने इस तरह की सुख की कभी भी कामना नहीं की थी जिस तरह का सुख उसे डॉक्टर दे रहा था,,,,, देखते ही देखते सरिता की सांसे तेज चलने लगी संजय समझ गया कि वह एकदम चरम सुख के करीब पहुंच चुकी है इसलिए अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसके दोनों झूलते हुए दशहरी आम को पकड़ लिया और उसे दबाते हुए अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,, आखिरकार सरिता का मदन रस का लावा फूट पड़ा और थोड़ी ही देर में संजय सिंह की गर्मी भी सरिता की बुर में पिघलने लगी और वह निढाल होकर सरिता के ऊपर ही गिर गया,,,,।

सरिता मस्त हो चुकी थी अनजाने में मिलेगी इस सुख को वो जिंदगी भर नहीं भुलने वाली थी भले ही मजबूरी में सही जीवन में असली संभोग सुख को प्राप्त कर चुकी थी,,,, डेस्क पर पड़ी अपनी काली रंग की चड्डी को उठाकर का डॉक्टर से नजर बचाकर पहन ली लेकिन डॉक्टर उसे देख ही रहा था,, सरिता की यह नजाकत भरी हरकत डॉक्टर के मन में गड़ गई,,,, सरिता जाने को हुई तो वह बोला,,,।


सरिता तुमने मुझे खुश कर दिया लेकिन अभी तुमसे संपूर्ण सुख प्राप्त करना बाकी रह गया है,,,, रात को तुम्हें मेरे पास एक बार फिर आना होगा और तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तुम्हारे पति का ट्रीटमेंट बिल्कुल फ्री होगा,,,,

आना कहां है,,? (सरिता एकदम नजाकत भरे स्वर में बोली।)

यही ऊपर ही मैं अपने आराम करने के लिए कमरा बनवाया हु,,,, रात को 10:00 बजे के बाद चली आना,,,।

इतना सुनकर सरिता केबिन से बाहर निकल गई और संजय उसकी भारी-भरकम मदमस्त गांड को देखता रह गया,,,
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है सरिता की दमदार चूदाई हो गई मजा आ गया
 
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Sanju@

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शाम के तकरीबन 5:00 बज रहे थे,,,, संध्या का मन एक चित नहीं हो पा रहा था,,, उसका मन बहक रहा था,,, ना चाहते हुए भी बार-बार उसका ध्यान अपने बेटे की तरफ चला जा रहा था और उन्हें लड़कों की कही गई बात से अपने बेटे को जोड़कर वह अपने अंदर अजीब सी हलचल को महसूस कर रही थी,,,वह सब जानती थी कि जो कुछ भी हुआ अपने मन में सोच रही है वह बिल्कुल गलत है मर्यादा संस्कार और लोक लाज से बिल्कुल विपरीत है लेकिन फिर भी ना जाने क्यों इस तरह के ख्याल मन में आते ही उसे अजीब सा सुख का अनुभव होने लगता था अपने तन बदन में अद्भुत अहसास को महसूस करके वह अतृप्त भावना को महसूस करती थी ऐसा लगता था कि जैसे उसके बदन की प्यास और ज्यादा बढ़ जाती थी,,, इसीलिए अपना मन हल्का करने के उद्देश्य से आज वाक पर जाना चाहती थी,,,, इसलिए अपने कमरे में जाकर अपनी साड़ी को उतार कर बिस्तर पर रख दी,,, और देखते ही देखते अपने ब्लाउज के साथ-साथ अपनी पेटीकोट भी उतार कर बिस्तर पर फेंक दी,,, कमरे में वह केवल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी,,, वाक करने के लिए जब कभी भी व जाती थी तो एक हल्का टीशर्ट और ढीला पाजामा पहन लेती थी,,, इसलिए वह अलमारी खोलकर एक टी-शर्ट और पजामी निकाल ली,,, हल्का-फुल्का व्यायाम और दौड़ने के लिए अक्सर औरतें और लड़कियां इसी तरह के कपड़ों का चुनाव करती है क्योंकि इसमें उन्हें काफी आरामदायक और हल्का महसूस होता है,,, अलमारी से कपड़े निकालने के बाद वह उसे पहन ली और आईने के सामने खड़ी होकर अपने आप को निहारने लगी,,,, जिस तरह का वह टी-शर्ट पहनी थी उसने उसकी चूचियां कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आती थी और वह भी अपने संपूर्ण आकार को उभारे हुए,,, जिस पर नजर पड़ते ही भांपने वाला संध्या की चूचियों का आकार का नाप आंखों ही आंखों में ले लेता था,,, और वैसे भी संध्या के पास जिस तरह की मदमस्त खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां थी अक्सर मर्दों को इसी तरह की चूचियां अधिक भाती थी,,,, आईने में अपने आप को और खास करके अपनी खरबूजे जैसी चुचियों को टी-शर्ट से बाहर झांकता देखकर वह मन ही मन प्रसन्न हो गई और अपने कमरे से बाहर आ गई,,,,, नीचे आकर वह अपना स्पोर्ट्स शूज पहन कर उसकी डोरी बांधने के लिए नीचे झुक गई,,, जिस समय वह झुकी हुई थी उसी समय से ठंडे पानी की बोतल लेकर सोनु बाहर आया,,,,,किचन से बाहर आते आते हैं वह पानी की बोतल को मुंह में लगाकर पी रहा था कि तभी उसकी नजर,,, अपनी झुकी हुई मां पर पड़ी,,, और उसमें उसकी नजरों का दोष कहो या उसके मन का उसकी बड़ी बड़ी गांड की दरार के बीचो बीच फंसी हुई पजामी को देखकर पल भर में उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,,, यह हलचल सोनू के बदन में पहली बार हो रहा था जो कि इशारा था कि वह अब जवान हो चुका है,,, पहली बार सोनू की नजर इस तरह से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गदराई गांड पर पड़ी थी,,,, वह पानी पीना भूल गया,,, और वह बोतल को उसी तरह से मुंह से लगाए रह गया,, ,,। उसकी आंख अपनी ही मां की गदराई गांड पर टिकी की टीकी रह गई,,,,, ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपनी मां की गांड देख रहा था,,,इससे पहले भी वह अपनी मां की गांड को देख चुका था साड़ी में जींस में और पजामी में,,, अपनी मां की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड के जबरदस्त घेराव को पहले भी देख चुका था लेकिन देखने का नजरिया उस समय वैसा नहीं था जिस तरह का नजरिया आज उसकी आंखों में नजर आ रहा था,,,, बड़ी बड़ी गांड की गहरी दरार में फंसी पजामी सोनू के कोमल मन पर हथौड़े चला रही थी,,, उसके मन में किस तरह की हलचल हो रही थी वह उससे बिल्कुल भी वाकिफ नहीं था बस एक अजीब सा आकर्षण में बंधता चला जा रहा था,,,,, जूते की डोरी बांधते समय उसके नितंबों की थिरकन सोनू के होश उड़ा रही थी,,। पहली बार सोनु का अपनी मां की गांड को देखने का नजरिया बदला था,,,,। उसकी मां जैसे ही जूते की डोरी बांधकर खड़ी हुई वैसे ही सोनू जैसे होश में आया हो और वह अपने आप को संभाल कर पानी पीने लगा और पानी पीने के बाद अपनी मां से बोला,,,

कहां जा रही हो मम्मी,,,,

आज थोड़ा अजीब लग रहा था इसलिए सोच रही थी कि थोड़ी बाहर की हवा ले लु तो थोड़ा मन हल्का हो जाएगा,,,।


मैं भी चलूं क्या,,,? (बोतल का ढक्कन बंद करते हुए बोला)

हां हां तू भी चल,,, अच्छा ही रहेगा,,,,
(इतना कहकर संध्या आगे आगे चलने लगी और सोनू पीछे पीछे आज ना जाने क्यों उसका पूरा ध्यान अपनी मां की भारी-भरकम गांड पर चला जा रहा था,,,, अपने मन को लाख बनाने की समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन जब जब उसकी नजर संध्या की गांड पर पड़ती तो वह अपने होश खो दे रहा था,,, देखते ही देखते संध्या घर से बाहर निकल गई और पीछे पीछे सोनू एक अजीब सी हलचल उसे तन बदन में होने लगी थी क्योंकि इस पजामी में संध्या की गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर नजर आती थी,,,और जैसा की भरी हुई पड़ी पड़ी कार हमेशा से मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी रही है और सोनू भी जवान हो चुका था और एक जवान मर्द होने के नाते बेशक उसकी भी औरतों की बड़ी-बड़ी ऊभरी हुई गांड कमजोरी बन चुकी थी जिसका आभास सोनू को बिल्कुल भी नहीं था,,,।

संध्या लंबे लंबे कदम भर रही थी जो की साड़ी में बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था और साथ ही सोनू की अपनी मां की ताल में ताल मिला था हुआ कदम से कदम बढ़ाए जा रहा था,,, संध्या और सोनू दोनों फुटपाथ पर चल रहे थे और फुटपाथ पर चलते हुए संध्या को उन लड़कों की कही बात याद आने लगी,,, उन लड़कों का ध्यान उसकी बड़ी बड़ी गांड के साथ-साथ उसकी बड़ी बड़ी चूची होकर भी बराबर थी तभी तो वह उसके दोनों अंगों के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे थे,, उन लड़कों की बात याद आते ही एक अजीब सी हलचल संध्या के तन बदन में होने लगी,,, और खास करके अपने बेटे को लेकर,,, वह तेज कदमों से चलते हुए यही सोच रही थी कि अगर उन लड़कों की कही बात सच हो जाए तो क्या हो,,, यह सोचकर ही उसके तन बदन में गुदगुदी होने लगी थी,,,, अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर सच में उसका बेटा मतलब की सोनू उस की चुदाई करें तो कैसा लगेगा,,,,,, यह ख्याल मन में आते ही वह अपने आप से ही शरमाते हुए अपने मन में बोली हाय मैं तो शर्म से मर जाऊंगी,,,,, यही सब सोचते हुए घर से थोड़ी ही दूर पर बने बगीचे में दोनों पहुंच गए जहां पर और लोग भी हल्का-फुल्का व्यायाम और दौड़ने के लिए आए थे,,,, बगीचे में पहुंचते ही,,,, संध्या सोनू से बोली,,,।

सोनू तु मेरे साथ दौड़ लगा,,,

ठीक है मम्मी,,,(इतना कहने के साथ ही सोनू की अपनी मां के साथ दौड़ लगाने लगा दोनों बड़े आराम से दौड़ रहे थे सोनू जानबूझकर अपनी मां से थोड़ा सा पीछे दौड़ रहा था न जाने क्यों उसे बार-बार अपनी मां की मटकती हुई लहराती हुई मदमस्त गांड की लहर को देखने की इच्छा हो रही थी,,, जोकि दौड़ते समय बेहद मादक होकर गांड के दोनों फाके पजामे के अंदर उछाल मार रही थी,,,, सोनू मस्त हुआ जा रहा था यह सब उसे अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन वह अपनी इच्छा के आगे मजबूर हो चुका था,,,सोनू को आज पता चल रहा था कि दौड़ते समय उसकी मां और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई देती है,,, हवा में उसके लहराते बाल जो कि उसने एक छोटी सी रिबन लगाकर बांध रखी थी और दौड़ते समय वह ऊपर नीचे होकर उछल रहे थे,,, यह देख कर सोनू की हालत खराब होती जा रही थी,,,
ऐसा नहीं था कि सोनू पहली बार अपनी मां को दौड़ते हुए या उसके साथ पहली बार दौड़ रहा था ऐसा पहले भी वह अपनी मां का साथ देते हुए मॉर्निंग वॉक या इवनिंग ऑक पर जा चुका था ,,, लेकिन अपनी मां को और उसके खूबसूरत रंगों को इस तरह से देखने का उसका गंदा नजरिया कभी नहीं था,,, वक्त का तकाजा कहो या जवानी का असरसोनू का नजरिया अपनी मां को देखने का बिल्कुल बदलता जा रहा था इससे वह खुद हैरान था लेकिन अपने आपको अपनी मां को गंदी नजर से देखने का लालच वह दबा नहीं पा रहा था,,,, संध्या अपनी ही मस्ती में दौड़ लगा रही थी ऐसा नहीं था कि इस बगीचे में केवल सोनू और उसकी मा ही दौड़ लगा रहे थे बाकी लोग भी दौड़ लगा रहे थे और अपने अपने तरीके का व्यायाम कर रहे थे,,,,,,सोनू अभी भी अपनी मां से दो कदम पीछे दौड़ रहा था इसलिए संध्या पीछे की तरफ देख कर उसे आगे आने के लिए उसके साथ दौड़ने के लिए बोली तो उसकी नजर के सीधान को देखकर वो एकदम हैरान रह गई,,, उसके तन बदन में पल भर में हलचल सी मचने लगी,,,, संध्या को साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को देख रहा था जोकि इस समय काफी हील रही थी,,,,,, संध्या एकदम हैरान रह गई लेकिन अपने चेहरे पर आई हैरानी के भाव को अपने बेटे के आगे जताना नहीं चाहती थी इसलिए वह दौड़ते हुए ही सोनू से बोली,,,।

सोनू पीछे क्यों दौड़ रहा है मेरे साथ में दौड़ लगा,,, कोई देखेगा तो क्या कहेगा कि मेरा बेटा अपनी मां से भी ज्यादा कमजोर है जो अपनी मां के साथ भी नहीं दौड़ लगा पा रहा है,,,,
(अपनी मां की यह बात सुनकर सोनू को थोड़ा खराब लगा इसलिए वह बोला)

यह बात है मम्मी तुम्हारा बेटा एकदम घोड़े की तरह दौड़ेगा अब देखना,,,,(इतना कहने के साथ ही वह तेज दौड़ने लगा और अपनी मां से आगे निकल गया तो उसकी मां रोकते हुए बोली)

अरे इतना तेज भी नहीं तोड़ना है कि मुझसे आगे निकल जाए मेरे साथ दोड़ना है,,,(संध्या दौड़ते हुए बोली तो सोनू धीरे-धीरे दौड़ने लगा,,, और उसकी मां उसके करीब आकर दौड़ने लगी दोनों साथ में दोडने लगे,,,)

देखी मम्मी मैं कितना तेज दौड़ता हूं एकदम घोड़े की तरह,,,(सोनू तोड़ते हुए अपनी मां की तरफ देख कर यह बात कह रहा था लेकिन तभी उसकी नजर टी शर्ट में उछलते हुए अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो पर गई जो कि बेहद मादक स्थिति में फुटबॉल की तरह उछल रहे थे ऐसा लग रहा था कि मानो अभी टीशर्ट फाड़ कर बाहर आ जाएंगे,,,सोनू तो टीशर्ट में अपनी मां की ऊछलती हुई चुचियों को देखकर एकदम मंत्रमुग्ध हो गया और अपनी बात को आगे बोलना एकदम भूल गया और अपनी मां की टी-शर्ट के अंदर उबलते हुए जवानी के दोनों लावा को देखने लगा,,, संध्या इस बार भी अपने बेटे की प्यासी नजर को भांप गई,,,, वह अपनी छातियों की तरफ देखी तो वाकई मेंअपनी चलती हुई चुचियों की स्थिति देखकर एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई ऐसा लग रहा था कि उसकी चूचियां उससे एक कदम आगे दौड़ रही है,,,, संध्या अपने बेटे की नजर से एकदम से शर्मा गई थी लेकिन अपने बेटे की आंखों के सामने कुछ ऐसी हरकत नहीं करना चाहती थी कि उसे इस बात का आभास हो कि उसकी मां ने उसकी प्यासी नजरों को भांप ली है,,। वह सोनू की बात का जवाब देते हुए बोली,,,)

मुझे तुझ पर गर्व है बेटा हमेशा गधे की तरह नहीं बल्कि खोड़े कि तरह होना चाहिए,,,

लेकिन अब सोनू के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था,,, उसकी हालत खराब होती जा रही थी पेंट में तंबू सा बनने लगा था,,, सोनू कि इस तरह की हालत कभी नहीं हुई थी,,,लेकिन आज अपनी मां की मदमस्त जवानी की गर्मी उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी,,, सोनू बार-बार अपनी मां की ऊछलती हुई चूचियों पर से अपना ध्यान हटा ले रहा था लेकिन,,, जवानी की उमंग उसे बार-बार अपनी गलती को दोहराने के लिए उत्साहित कर रहा था और सोनू भी बार-बार अपनी नजरों को अपनी मां की मदमस्त जवानी दिखाकर उसे तृप्त कर दे रहा था,,,,। बगीचे में तीन चार राउंड मारने के बाद संध्या एकदम से हांफने लगी और वही रखी बेंच पर बैठ गई सोनू भी हांफते हुए अपनी मां के बगल में बैठ गया,,,। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे संध्या की टीशर्ट पसीने से भीग कर दोनों गोलाईयों से चिपक सी गई थी,, जिससे अनजाने में ही संध्या की चूची की निप्पल उत्तेजना के मारे एकदम भाले की नोक की तरह नुकीली होकर टी-शर्ट से बाहर आने के लिए उतावली हो रही थी और इतना मादक और मोहक दृश्य सोनू की नजर से बच नहीं सका,,,सोनू अपनी मां की चूची की कड़ी निप्पल को एकदम साफ तौर पर देख रहा था कि वह टीशर्ट में एकदम बेहतरीन नजारा पेश कर रहे थे,,, सोनू की हालत खराब होने लगी,,,,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, उसके बदन में कसमसाहट हो रही थी,,, एक तरफ उसे इस तरह से अपनी मां को देखना अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन दूसरी तरफ अपनी मां की खूबसूरत आंखों को अपनी आंखों से देखने की लालच को वह खुद रोक भी नहीं पा रहा था,,,,,संध्या अभी भी हांफ रही थी गहरी गहरी सांसे ले रही थी,,, और उसकी गहरी गहरी चलती सांसो के साथ उसकी छातियों के शोभा बढ़ाते दोनों खरबूजे ऊपर नीचे हो रहे थे जिसे देखने का सुख सोनू भोग रहा था। संध्या का ध्यान अभी तक सोनू के ऊपर नहीं था लेकिन जैसे ही उसका ध्यान सोनू के ऊपर गया और वह अपनी नजरों को अपनी दोनों छातियों पर घुमाई तो पसीने से तरबतर टी-शर्ट के ऊपरी सतह पर उसकी कड़ी निप्पल नजर आने लगी या देखते ही वह एक बार फिर से शर्म से पानी-पानी हो गई,,तभी उसे फुटपाथ पर खड़े दोनों लड़कों की बात याद आ गई और उन लड़कों की बात याद आते ही संध्या के तन बदन में अजीब सी हलचल महसूस होने लगी पल भर में ही उसे यह सब अच्छा लगने लगा उसे अपने बेटे का इस तरह से अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को घूर ना अच्छा लग रहा था,,,, संध्या अपने बेटे को इस बात का आभास तक नहीं होने देना चाहती थी कि उसकी नजरों को वह समझ गई है कहीं ऐसा आभास उसके बेटे को हो गया तो वह उसकी तरफ देखना बंद कर देगा और संध्या इस समय ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी,,,। अपनी नजरों को अपने बेटे के ऊपर ना घुमा कर पूरे बगीचे में इधर-उधर घुमा कर चारों तरफ का नजारा देख रही थी लेकिन उसका ध्यान अपने बेटे की तरफ ही था,,,, सोनू के पेंट में तो गदर मचा रहा था,,, इस तरह की अद्भुत हलचल को उसने पहले कभी भी अपने बदन में महसूस नहीं किया था इससे पहले वह कभी अपनी मां को इस तरह के नजरिए से देखा ही नहीं था अपने अंदर यह जबरदस्त बदलाव कहां से और कैसे आया इस बारे में उसे बिल्कुल भी आभास तक नहीं था,,,।

सोनू यहां का नजारा कितना खूबसूरत है एक चारों तरफ फूल ही फूल खिले हुए हैं ठंडी हवा चल रही है मन करता है बस यही बैठे रहे,,,

तो बैठे रहो ना मम्मी मना कौन करता है,,,,,(सोनू एक गहरी और प्यासी नजर अपनी मां की टी-शर्ट में से झांक रही चूचियों पर डाला और दूसरी तरफ नजर करते हुए बोला)


मे यही बैठी रह गई तो घर पर खाना कौन बनाएगा,,, डॉक्टर साहिबा तो खाना बनाने से रहीं सबको घर पर भूखा ही सोना पड़ेगा,,,

हां मम्मी यह बात तो तुमने सही कही,,,, खाना बनाना दीदी के बस की बात बिल्कुल भी नहीं है,,,,( सोनू यह बात अपनी नजरों को दूसरी तरफ स्थिर करते हुए बोला वह जानबूझकर अपनी मां की तरफ से अपनी नजरों को हटाना चाहता था वह अपने मन में कंधे ख्यालात नहीं लाना चाहता था लेकिन बार-बार उसका मन ललच जा रहा था अपनी मां की मदहोश जवानी को देखने के लिए,,,)

बाप रे में तो पसीना पसीना हो गई,,,(संध्या जानबूझकर अपनी टी-शर्ट को नीचे से पकड़ कर उसे झटका देते हुए बोली,,, जिससे उसकी निप्पल कुछ ज्यादा ही कड़ी होकर टीशर्ट से बाहर आने के लिए मचल रही थी,,,इस पर सोनू की नजर फिर से अपनी मां की भारी-भरकम छातियों पर पड़ गई और उसके यह नजाकत भरी हरकत उसके सीने पर छुरियां चलाने लगी,,। सोनू के मन मेहो रही हलचल का आभास संध्या को अच्छी तरह से हो रहा था और मन ही मन वह अपने बेटे की ईस हालत पर प्रसन्न हो रही थी,,, सोनू अब वहां बिल्कुल भी रुकना नहीं चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसकी मां को इस बात का पता चले कि वह चोर नजरों से उसकी चुचियों को देख रहा है,,, इसलिए वह एकदम से बेंच पर से खड़ा होता हुआ बोला,,,।)

मम्मी अब हमें चलना चाहिए,,,,,(सोनू के इस तरह से खड़े हो जाने से पेंट में खड़ा उसका लंड जो कि तंबू की शक्ल ले चुका था सोनू इस बात से बिल्कुल अनजान था और संध्या की हल्की सी नजर अपने बेटे के पेंट में बने तंबू पर पड़ी तो उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी ,,, संध्या चालाक थी वह खुले तौर पर अपने बेटे के पेंट में बने तंबू को देखना तो चाहती थी लेकिन वह ऐसा कर न सकी क्योंकि ऐसा करने से उसके बेटे को इस बात का पता चल सकता था और वह नहीं चाहती थी कि उसकी आंखों के सामने उसका बेटा शर्मिंदा हूं इसलिए चोर नजरों से अपने बेटे के पेंट में बने तंबू को देख कर वह एकदम से उत्साहित और उत्तेजित होने लगी,,,, अनुभवी आंखों में सोनू के पेंट में बने तंबू से यह आभास कर लिया की सोनू का हथियार उसके बाप से बिल्कुल भी कम नहीं था और उम्र के हिसाब से सोनू अपने बाप से चुदाई के मामले में बीस ही साबित होगा 19 नहीं,,,, यह सब सोचकर संध्या का तन बदन कसमसाने लगा,,, अपने अंदर हो रही हलचल को अच्छी तरह से समझ रही थी वह बिलकुल नादान नहीं थी कि अपने बेटे के पेंट में बनी तंबू को देखकर अपने तन बदन में हो रही हलचल को पहचान ना सके,,,,, संध्या अपनी दूसरी तरफ गुलाब के पौधों को देखते हुए बोली,,,।

सोनू बेटा वह देख गुलाब के फूल कितने सुंदर लगे हुए हैं चल एक दो फूल अपने तोड़ लेते हैं,,,,,,

हां मम्मी तुम सच कह रहे हो लेकिन इस तरह से बगीचे का फूल तोड़ना उचित है,,,(सोनू उसी तरह से खड़े खड़े ही बोला उसका ध्यान अभी तक आपने पेंट में बने तंबू पर बिल्कुल भी नहीं गया था,)

तू खामखा डर रहा है कोई कुछ नहीं बोलने वाला,,,, चल दो-तीन फूल तोड़ लेते हैं,,,,( इतना कहकर वह भी खड़ी हो गई,,, उसे अपने स्कूल का दिन याद आने लगा जब वह अपनी सारी सहेलियों में सबसे ज्यादा चंचल और शरारती भी एक बार फिर से उसे शरारत करने की सुझी थी,,, ना चाहते हुए भी सोनू को अपनी मां की बात मानना पड़ा और वह उसके साथ फूल तोड़ने के लिए चल दिया,,, शाम ढल रही थी हल्का हल्का अंधेरा छाने लगा था,,,,, और ऐसे माहौल का फायदा उठाते हुए संध्या गुलाब के खूबसूरत फूल को तोड़कर अपने अंदर छिपी स्कूल वाली संध्या को बाहर लाना चाहती थी,,,,दोनों देखते ही देखते गुलाब के पौधे के पास पहुंच गए जहां पर ढेर सारे फूल लगे हुए थे चारों तरफ झाड़ियां ही झाड़ियां थी,,,, संध्या गुलाब का फूल तोड़ना शुरू कर दी एक के बाद एक वह पांच फूल तोड़ ली,,,फूल तोड़ते हुए संध्या बेहद खूबसूरत लग रही थी और यही सोनू भी देख रहा था अपनी मां की खूबसूरती और चंचलता को देखकर वह अपनी मां की तरफ पूरी तरह से मोहित हो चुका था,,,, इस समय दोनों में से कोई एक शब्द भी नहीं बोल रहा था,,, दोनों खामोश थे फूल तोड़ने की खुशी संध्या के चेहरे पर साफ झलक रही थी कुछ देर पहले कि उन्मादकता को वह भूल चुकी थी और सोनू भी,,,
लेकिन तभी फूल तोड़ते हुए संध्या और सोनू दोनों को झाड़ियों के पीछे हलचल सी महसूस हुई एक पल के लिए तो दोनों एकदम से चौंक गए,,, लेकिन यह जानने की उत्सुकता की झाड़ियों के पीछे हो रही हलचल आखीर किस तरह की है,,, संध्या झाड़ियों के पीछे झाड़ियों में अपना मुंह डाल कर अंदर की तरफ देखने की कोशिश करते हुए बोली।

देखो तो सही आखीर यह हलचल कैसी है,,,,(इतना कहने के साथ ही संध्या घनी झाड़ियों को अपने दोनों हाथों से थोड़ा सा हटाकर अंदर की तरफ देखने की कोशिश करने लगी और सोनू भी ठीक अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अंदर की तरफ देखने की कोशिश करने लगा थोड़ी ही देर में संध्या की नजर जिस नजारे पर पड़ी उसे देखते ही उसके होश उड़ गए,,,, उसकी सांसों की गति तेज चलने लगी वह यह बात भी भूल गई कि जो नजारे को वह देख रही है उसका बेटा भी ठीक उसके पीछे खड़ा होकर झाड़ियों में मुंह डालकर उसी नजारे को देख रहा है संध्या के कुछ सेकंड बातें ही सोनू की भी नजर उस नजारे पर पड़ गई और देखते ही देखते उसकी हालत खराब होने लगी आखिर दोनों कर भी क्या सकते थे झाड़ियों के पीछे का नजारा है इतना मादकता से भरा हुआ था कि कोई चाहकर भी वहां से नजर हटा नहीं पाता,,,, संध्या को साफ नजर आ रहा था की झाड़ियों के पीछे एक 40 वर्षीय औरत लगभग उसी के उम्र की औरत अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर झुकी हुई थी,, और एक जवान हो रहा लड़का अपना लंड उसकी बुर में डाल कर उसके कमर को दोनों हाथों से थामैं अपनी कमर को हिलाता हुआ उसे चोद रहा था,,, संध्या तो इस नजारे को देखकर एकदम हैरान रह गई उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा है औरत उसी की उम्र की थी और उसे चोद रहा लड़का उसके बेटे की उम्र का था,,,। सोनू की अपनी आंखों के सामने के इस दृश्य को देखकर एकदम उत्तेजित हो गया,, जिंदगी में पहली बार सोनू अपनी आंखों से चुदाई का दृश्य देख रहा था यह देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, वह अपनी मां के ठीक पीछे खड़ा था एकदम सटकर,, संध्या की बड़ी-बड़ी नितंबों से एकदम सटकर झाड़ियों के पीछे का दृश्य देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, पेंट में सोनु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और एक बार फिर से तंबू की शक्ल ले चुका था,,,,संध्या को जैसे ही अपनी गांड के ऊपर चुभन सी महसूस हुई तो उसका ध्यान पीछे की तरफ गया और उसके होश उड़ गए उसे इस बात का एहसास अब जाकर हुआ कि सोनू ठीक उसके पीछे खड़ा था और वह भी उससे एकदम सटकर जिसकी वजह से उसका खडा लंड उसकी गांड पर चुभने लगा था,,, पल भर में ही संध्या उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हों गई,,, शायद इस बात का एहसास सोनू को भी हो चुका था,,,, उसे भी इस तरह से अपनी मां की गांड के पीछे अपना लंड सटाए खड़े रहने में आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,दोनों मस्त हुए जा रहे थे झाड़ियों के पीछे का दृश्य दोनों के तन बदन में आग लगा रहा था लड़का अपनी मां की उम्र की औरत को उसकी दोनों कमर थामें गचागच पेल रहा था।,,,,

तभी संध्या को एहसास हुआ कि कोई भी उन दोनों को इस स्थिति में देख सकता है इसलिए वह घबराकर एकदम से अपनी नजर को झाड़ियों के पीछे से हटाकर अपने बेटे से अलग हो गई,,, सोनू भी अपनी गलती को समझ गया था इसलिए दोनों बिना कुछ बोले बगीचे से बाहर निकल गए,,,।


रात के 11:00 बज रहे थे और संजय सिंह अपनी हॉस्पिटल में बने कमरे में बेसब्री से सरिता का इंतजार कर रहा था,,,
बडा ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है भाई मजा आ गया

धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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Sanju@

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रात के 11:00 बज रहे थे और सरिता हॉस्पिटल में बने संजय के कमरे में जाने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली थी,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,, अपने पति की खैरियत और उसकी खुशी की खातिर अपने आप को संजय के हाथों में सौंप चुकी थी,,,, लेकिन शायद संजय कातिल उसके खूबसूरत बदन से एक बार में भरा नहीं था इसलिए बात दोबारा उसे अपने कमरे में आने के लिए बोला था और यह बात सरिता अच्छी तरह से समझ रही थी भले ही वह मध्यमवर्ग की महिला थी लेकिन खूबसूरती के मामले में बेहद उच्च स्तर की औरत थी भगवान ने दोनों हाथों से भर भर कर खूबसूरती उसके अंदर समर्पित कीया था,,,,, संजय हॉस्पिटल में बने अपने आराम कक्ष में बैठकर सरिता का बेसब्री से इंतजार कर रहा था बार-बार वह दीवार में टंगी हुई घड़ी की तरफ भागती हुई सुईयो को देख रहा था,,,संजय ने अब तक ना जाने कितनी औरतों को भोग चुका था लेकिन सरिता को भोगने के लिए उसका मन तड़प रहा था एक अजीब सी कशिश एक अद्भुत आकर्षण सरिता के बदन में था जो कि संजय को उसकी तरफ बढ़ने के लिए विवश कर दे रहा था,, इसमें संजय कि कोई भी गलती नहीं थी सरिता का रूप रंग ही कुछ ऐसा था साधारण औरत होने के बावजूद भी अद्भुत सुंदर की मालकिन थी,,, और संजय उसकी खूबसूरती का गुलाम बनने के लिए तैयार था,,,दिन में उसके खूबसूरत कोमल अंग में अपने कठोर अंग की रगड़ को अच्छी तरह से महसूस करके इस समय भी उस पल को याद करके वह एकदम गरम हो चुका था,,, छातियों पर जवानी की डाली पर झुलते हुए उसके दशहरी आम को लटकता हुआ देखकर उसके मुंह में जिस तरह से पानी का सैलाब उठा था संजय दोनों दशहरी आम को अपने मुंह में लेकर चूस कर अपनी त्रष्णा को शांत करना चाहता था,,,,, जिस तरह से संजय सरिता एक बार फिर से एकाकार होने के लिए तड़प रहा था उसी तरह की तड़प सरिता के तन बदन में भी उठ रही थी आखिरकार एक पत्नी होने से पहले वह एक औरत थी वही औरत हाड मांस की बनी हुई जिसके बदन की कुछ जरूरते थी कुछ चाहत थी,,, पति शहर में रहता था और वह गांव में जिससे वह अपने शरीर की जरूरत पूरी नहीं कर पाती थी लेकिन जब भी वह अपने पति से मिलती थी फिर भी उसका पति उस तरह का सुख नहीं दे पाता था जिस तरह का सुख एक ही बार में संजय सिंह ने अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी बुर में डालकर उसे संभोग के असली सुख से वाकिफ कराया था,,,,और उसी सुख को दोबारा पाने के लिए सरिता का मन मचल रहा था,,, ऐसी विवशता ऐसी तड़प उसे पहले कभी भी महसूस नहीं हुई थी पति से दूर होने के बावजूद भी वह अपने आप में खुश थी अपने पति से बहुत प्यार करती थी अपने पति के द्वारा प्राप्त शरीर सुख से वह संतुष्ट थी, इससे ज्यादा की कामना शायद उसके मन में कभी नहीं थी लेकिन अपने पति की खातिर मजबूर होकर एक माने जाने बड़े डॉक्टर के साथ संभोग करके इतना तो समझ ही गई थी कि जिस तरह का संभोग उसका पति उसके साथ करता था वह संभोग के नाम पर केवल खिलवाड़ था असली सुख तो उसे डॉक्टर से प्राप्त हुआ था उसके मर्दाना ताकत से भरे यंत्र को अपनी दूर में महसूस करके जिस तरह की गर्मी से पिघलने का अनुभव उसमें अपनी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में महसूस की थी उस तरह का सुख उसके पति ने उसे कभी नहीं दिया था और इस बात से भी अनजान वह बिल्कुल नहीं थी कि डॉक्टर के लंड से उसके पति का लंड आधा भी नहीं था,,,।
मजबूरी में ही सही डॉक्टर के कमरे में जाने के लिए सरिता का भी मन लालाइत था एक बार फिर से वह डॉक्टर के कठोर अंग को अपने गुलाब की पंखुड़ी जैसे कोमल अंग में महसूस करना चाहती थी उसकी गर्माहट भरी रगड़ से अपनी मदहोश जवानी को पिघलता हुआ महसूस करना चाहती थी,,,, उसके दोनों हाथों में अपने बड़े-बड़े नितंबों को थमा कर उससे मसल वाना चाहती थी,,,, अपने पके हुए दशहरी आम का स्वाद डॉक्टर को चखाना चाहती थी,,,। सरिता शर्म और संस्कार दोनों से भरी हुई थी,,, लेकिन जवानी के भार से उसके पैर डगमगा रहे थे इसलिए मर्यादा की दीवार पर अपने शर्म संस्कार और संकोच तीनों को टांग कर वह ,,,,, लक्ष्मण रेखा पार करके डॉक्टर के कमरे में जाने के लिए तैयार हो चुकी थी जिसमें अब उसकी खुद की रजामंदी थी अब अपने पति के इलाज की चिंता उसे बिल्कुल भी नहीं थी,,,पति के इलाज का खामियाजा उसने खुद को डॉक्टर के हाथों में समर्पित करके भुगत चुकी थी अब वह अपने लिए डॉक्टर के कमरे में जाना चाहती थी अपनी खुशी के लिए अपनी खुशी के लिए अपने शरीर की जरूरत के लिए संभोग सुख की अद्भुत अहसास को महसूस करने के लिए वह डॉक्टर के कमरे में जाना चाहती थी,,,
रात के 11:00 बज चुके थे,, लगभग लगभग सभी लोग सो चुके थे इमरजेंसी केस ना होने की वजह से रात की ड्यूटी वाले डॉक्टर और नर्स वे लोग भी अपना काम खत्म करके सो गए थे मौका देख कर सरिता अपने पति के पास से खड़ी हुई और सीधा ऊपर के फ्लोर पर पहुंच गई,,,, अजीब सी हलचल उसके तन मन में हो रही थी उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से हो रहा था जो कुछ भी हो कर रही है वह गलत है लेकिन मजबूर थी और जरूरत भी,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह सबसे गंदी औरत है और रात को सबसे नजरें बचाकर व गैर मर्द के कमरे में संभोग के लिए जा रही है,,, वास्तव में ऐसी औरतों चरित्रहीन गंदी होती हैं जो अपने पति के साथ छल करते हुए,, किसी गैर मर्द के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाती है,,, लेकिन शायद यह बात समाज भूल जाता है कि भूख तो भूख होती है चाहे पेट की हो या फिर चाहे शरीर की ,,, हर हाल में दोनों की भूख मिटाना जरूरी होता है और अक्सर लोग स्वादिष्ट भोजन की तरफ ही पढ़ते हैं वह तो मजबूरी में स्वादिष्ट ना होने पर भी उसे खाकर संतुष्टि का अहसास करते हैं लेकिन जब आंखों के सामने स्वादिष्ट भोजन परोसा गया हो तो भला बेस्वाद भोजन करने का किसका मन करेगा,,,।
सरिता डॉक्टर के कमरे के बाहर खड़ी थी दरवाजा बंद है जरूर था लेकिन लोक नहीं था लेकिन फिर भी सरिता अपने आप से दरवाजा खोल कर अंदर जाने की हिम्मत जुटा नहीं पाई उसके पैर थरथर कांप रहे थे क्योंकि जो काम करने जा रही थी वह जिंदगी में पहली बार कर रही थी,,,घबराहट में चारों तरफ नजर घुमाकर देख भी ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन सभी लोग गहरी नींद में सो रहे थे वैसे भी ऊपर के फ्लोर पर डॉक्टर के कमरे के इर्द-गिर्द कुछ भी नहीं था जिससे वहां पर किसी के भी होने की शंका बिल्कुल भी नहीं थी,,।
सरिता की सांसे गहरी चल रही थी वह बार-बार साड़ी के पल्लू से अपने चेहरे को छुपाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उसके मन में ऐसा भ्रम हो रहा था कि उसे कोई देख रहा है,,, आखिर कार वह सीधी-सादी गांव की संस्कारी औरत थी इसलिए उसके मन में इस तरह की शंका होना जायज था,,,, उसके मुंह से शब्द नहीं पूछ रहे थे इसलिए वह दरवाजे पर दस्तक देने लगी,,, और दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनते ही संजय के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव तैरने लगे,,,,वह जल्दी से बिस्तर पर से उठ कर खड़ा हो गया और जल्दी से दरवाजे की तरफ आगे बढ़ा जो कि खुला हुआ ही था उसे जल्दी से खोल कर अपनी आंखों के सामने सरिता को देख कर वह एकदम से उसे अपनी बाहों में भरने के लिए मचल उठा और एक पल की भी देरी किए बिना उसका हाथ पकड़कर कमरे के अंदर खींच लिया और तुरंत दरवाजा बंद करके लॉक कर दिया,,,, संजय के द्वारा इस तरह से अपना हाथ पकड़े जाने पर सरिता के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, और दरवाजा बंद करते ही समझे उसे अपनी बांहों में भरते हुए बोला,,,,।

ओहो सरिता तुम नहीं जानती कि तुमसे मिलने के लिए मेरा मन कितना उतावला था,,,,(इतना कहने के साथ ही वह सरिता के गर्दन पर चुम्बनो की झड़ी बरसा दीया,,,, सरिता एकदम से कांप उठी,,, और देखते ही देखते संजय उसके लाल लाल रस से भरे हुए होठों को अपने फोटो में भरकर चूसना शुरू कर दिया,,,, सरिता उसकी इस हरकत से एकदम सूखे हुए पत्ते की तरह थरथरा गई,,, जिस तरह का चुंबन वह उसके होठों को अपने मुंह में भर कर कर रहा था इस तरह की चुंबन उसके पति ने कभी नहीं किया था,,, संजय उसके लाल-लाल होठों के रस को पी रहा था और साथ ही अपने दोनों हाथों को उसकी चिकनी पीठ पर घुमा रहा था जिससे सरिता के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी दोनों मदहोश हुए जा रहे थे,,, सरिता अपने आप को संभालने की कोशिश कर रही थी लेकिन उतना ज्यादा वह बहकती जा रही थी,,,और जैसे ही संजय अपने दोनों हथेली को उसकी चिकनी फीट से होते हुए उसकी कमर के नीचे नितंबों के उभार पर रखकर जितना हो सकता था उतना हाथ की हथेली में उसकी गांड को भरकर जोर से दबा या वैसे ही सरिता के मुंह से सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,


सीईईईईईईई,,,,,,,
(इस तरह की कामुक आवाज सरिता के मुंह से सुनते ही संजय एकदम से उसका दीवाना हो गया और वह जोर-जोर से उसकी गांड को दबाना शुरू कर दिया वह सरिता को एकदम कसके अपनी बाहों में भरे हुए था जिससे उसका खाना लंड पेंट में होने के बावजूद भी बड़ी कठोरता के साथ उसकी दोनों टांगों के बीच ठोकर मार रहा था और सरिता अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी मखमली बुर के मुख्य द्वार पर उसके कठोरपन की दस्तक को महसूस करके एकदम मस्त हुए जा रही थी... । लेकिन अभी तक वह मस्ती के आलम में भी अपने आप को अपने काबू में रखे हुए थी क्योंकि अभी तक वह संजय के बदन पर अपना हाथ नहीं रखी थी वह उसी तरह से मूर्ति बनकर खड़ी थी लेकिन कब तक वह अपने आप को संभाल पाती संजय के लंड की ठोकर बराबर उसकी बुर के मुख्य द्वार पर लग रही थी,,,, वह मदहोश में जा रही थी संजय अपनी हरकतों से फल खाने से पागल बनाता जा रहा था अपनी जवानी का रस उसकी जवानी में घोल रहा था लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए वह स्वर्ग के सुख को महसूस कर रहा था,,, आखिरकार संजय की कामुक हरकतों और अपने वतन की जरूरत से मजबूर होकर वह घुटने टेक दी और जिंदगी में पहली बार अद्भुत चुंबन का लुफ्त उठाते हुए सरिता भी संजय के होठों को अपनी गुलाबी होठों में भरकर चूसना शुरु कर दी दोनों एक दूसरे के मुंह में अपनी अपनी जीभ डाल कर एक दूसरे की जीभ को आपस में लड़ा रहे थे,,, संजय काफी अनुभवी था और सरिता इस तरह के सुख से बिल्कुल अनजान थी संजय बार बार उसकी रसीली जीभ को अपने होंठों के बीच दबा कर इसे चूसना शुरु कर देता,, था,, और संजय की इस हरकत की वजह से सरिता को अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी पतली दरार में सैलाब सा ऊठता हुआ महसूस हो रहा था,,,,

क्या पति के इलाज के पैसे के बदले में यह सब करना जरूरी है,,,।

हां क्यों नहीं सरिता हर काम का दाम होता है वह चाहे जिस रूप में हो उसे तय इंसान ही करता है,,,, वैसे तो मैं तुमसे एक रुपया भी नहीं लेता लेकिन तुम्हारी खूबसूरती की चमक मुझे मजबूर कर दे रही है अपना दाम वसूल करने के लिए तुम्हें देखते ही मेरे तन बदन में ना जाने कैसी हलचल होने लगी तुम्हें पाने को मेरा मन मचलने लगा,,,,(संजय सरिता के चेहरे पर आ रही बालों के लट को अपनी उंगली से उसके कानों के पीछे ले जाते हुए बोला) सच कहूं तो सरिता मैंने आज तक तुमसे खूबसूरत औरत कभी नहीं देखा,,,,
(संजय के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सरिता मन ही मन प्रसन्न होने लगी और अपने चेहरे पर आई शर्म की लालिमा को छुपाने के लिए वह अपने चेहरे को उसके सीने में छिपा दी और संजय उसे एक बार फिर से अपनी बाहों में भर कर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों में भरकर दबाना शुरू कर दिया सरिता मचल उठी मदहोश होने लगी संजय बेकाबू हुआ जा रहा था उत्तेजना के परम शिखर पर अपने आप उड़ता चला जा रहा था वह साड़ी के ऊपर से ही सरिता की बड़ी बड़ी गांड को दबाता हुआ उस पर भी और जोर से चपत लगा रहा था जिससे सरिता को तो हल्का दर्द हो रहा था लेकिन उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी जिस तरह की हरकत संजय उसकी गांड के साथ कर रहा था उसके पति ने उस तरह से उसकी गांड से कभी नहीं खेला था,,,।

दूसरी तरफ संध्या अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी आज जो अपनेबेटे के साथ मिलकर झाड़ियों के पीछे जिस तरह का कामुक दृश्य वह देखी वह उसकी आंखों से बिल्कुल भी ओझल नहीं हो पा रहा है,,, उसका मन विचलित हो रहा था तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे यह भी अच्छी तरह से याद था कि जब वह दौड़ लगा रही थी तो उसके बेटे की नजर उसके हिलते हुए नितंबों पर टिकी हुई थी,,,,उस पल जिस तरह की हलचल उसके तन बदन में महसूस हुई थी उसी तरह की हलचल उसे इस समय महसूस हो रही थी,,, बिस्तर पर पीठ के बल लेट कर संध्या उस पल को याद कर रही थी जब उसकी ऊछलती हुई चुचियों को उसका बेटा प्यासी नजरों से देख रहा था,,, उन पलों को याद करके संध्या काम भावना से ग्रस्त होते जा रही थी उसे यह सब अच्छा लगने लगा था प्यासी नजरों से अपने ही बदन को अपने ही बेटे के द्वारा देखे जाने पर उसे उत्तेजित किए जा रही थी,,,, संध्या किंग साइज बेड पर करवटें बदल रही थी क्योंकि इस समय उसकी दोनों टांगों के बीच की गर्मी को शांत करने वाला संजय घर पर नहीं था,,। वो धीरे धीरे अपने गाउन का बटन खोलने लगी,,,,

सोनू अपने कमरे में मदहोश हुआ जा रहा था खास करके अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी के दर्शन करके हालांकि अब तक वह अपनी मां को नग्न अवस्था में नहीं देख पाया था लेकिन फिर भी कपड़ों के ऊपर से ही उसके उभार लिए हुए अंको का हर एक कटाव उसे साफ नजर आता था,,,घर से निकलने से पहले अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड जिसमें उसकी पजामी फसी हुई थी,,, उसे फंसी हुई पजामी को देखकरसोनू को अनुभव ना होने के बावजूद भी अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड का एहसास साफ तौर पर हो रहा था और बगीचे में तो दौड़ते समय उसकी मां ने अपने हिलते हुए गांड के दर्शन करा कर सोनू के दिल पर छुरियां चला दी थी ,,,,सोनू को बगीचे में इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां की गांड के साथ-साथ उसकी मां की चूचियां भी बहुत बड़ी है,,, जोकि लूज टीशर्ट में कयामत ढा रही थी,,, उसकी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी के साथ-साथ झाड़ियों के पीछे चल रहे चुदाई के दृश्य को देखकर सोनू के तन बदन में आग लगी हुई थी जो कि वह तेरी सुबह अपनी मां के ठीक पीछे खड़ा हो कर देख रहा था और उस समय उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ था कि पर जाने में उसका खड़ा लंड उसकी मां की गांड पर ठोकर लगा रहा था,,,इस बात का एहसास सोनू को एकदम मदहोश करने लगा और वह मदहोशी के आलम में अपना एक हाथ अपने पजामे में डालकर अपने खड़े लंड को सहलाने लगा,,,, झाड़ियों के पीछे औरत और वह लड़का एकदम उसके और उसकी मां की उम्र के थे ना चाहते हुए भी सोनू की कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ने लगा और उस औरत की जगह वह अपनी मां की कल्पना करने लगा और उस लड़के की जगह खुद अपनी,,, इस तरह की कामुक कल्पना करते ही,,,सोनू के तन बदन में उत्तेजना किधर दौड़ने लगी उसका जोश दोगुना होने लगा और वह ना चाहते हुए भी अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हस्तमैथुन वाली हरकत करने लगा हालांकि अब तक उसने कभी मुठिया तक नहीं मारा था जब भी उसका संखलन होता था,,, वह सपने में किसी कामुक दृश्य को देखकर अपने आप हो जाता था इसलिए यह कहना संभव ही था कि सोनू को मुठिया मारने नहीं आता था लेकिन फिर भी अनजाने में वह उसी क्रिया को कर रहा था उस लड़के की जगह अपने आप को रखकर और उस औरत की जगह अपनी मां को इस तरह की कल्पना करते हुए अपने लंड को हीना शुरू कर दिया,,,, उसकी आंखें बंद थी और कल्पना का घोड़ा बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा था,,,, जहां पर संजय संध्या और सोनू तीनों अपनी-अपनी जगह पर लगे हुए थे वहीं पर शगुन भली कहां पीछे हटने वाली थी,,,,उस दिन के दृश्य को देखकर जिस तरह की गर्माहट और जवानी वह अपने बदन में महसूस की थी एक बार फिर से उसका मन मचलने लगा था खिड़की से अंदर के दृश्य को देखने के लिए और वही देखने के लिए वह अपनी मां के कमरे की तरफ गई थी लेकिन तब उसे याद आया कि आज उसके पापा घर पर आए नहीं है तो वह निराश होकर अपने कमरे में चली गई लेकिन जवानी का जोश उबाल मार रहा था इसलिए वह कमरे में घुसते ही दरवाजा बंद करके अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई और बिस्तर पर लेट गई,,,

वही हॉस्पिटल के ऊपर वाले फ्लोर पर संजय सरिता के साथ पूरी तरह से मदहोश हो चुका था इस समय सरिता के लाल लाल होठों से उसे स्वर्ग का अमृत का स्वाद मिल रहा था सरिता की बड़ी-बड़ी गांव उसके लिए सबसे बड़ी उत्तेजना का केंद्र बिंदु बनी हुई थी जिसे वह बार-बार अपने हाथों में लेकर जोर-जोर से दबाता हुआ उस पर चपत लगा रहा था संजय का इस तरह से उसके बदन के साथ खेलना सरिता के तन बदन में आग लगा रहा था कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि औरत के बदन के साथ इस तरह से भी खेला जाता है वरना उसका पति इच्छा होने पर बस उसके ऊपर चढ़ जाता था और काम खत्म होने पर उतर जाता था बस इतना ही संभोग के नाम पर सुख भोगती थी,,,, सरिता की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी अनजान जगह पर अजनबी हाथों में वह अपनी संपूर्ण जवानी सौंप चुकी थी,,,,लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वह अपनी जवानी को किसी बेवकूफ और नादान हाथों में नहीं सौंपी थी बल्कि अनुभव से भरे हुए हाथों में सौंपी थी जिसका उसे भी गर्व के साथ साथ आनंद का अनुभव हो रहा था,,, संजय सरिता के कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया था जिससे उसकी भारी भरकम छातियां उसकी आंखों के सामने उजागर हो चुकी थी ब्लाउज में से झांकती उसकी चूचियों के बीच की गहरी रेखा ऐसी लग रही थी मानो जैसे संजय को अपने अंदर समा लेने के लिए बुला रही हो,,,, संजय भी पागलों की तरह सरिता की चूचियों की गहराई में डूबने के लिए तैयार था और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर वह ब्लाउज के ऊपर से ही सरिता के दोनों दशहरी आम को थाम कर अपने होठों को उसकी चूचियों के बीच की गहरी लकीर में डालकर ऊसे चाटना शुरु कर दिया,,,,,

सससहहहहह आहहहहहहह,,,,,,,ं(सरिता के मुंह से मदहोशी भरी आवाज आने लगी थी,,,, देखते ही देखते संजय शंकर के ब्लाउज का बटन खोलने लगा और अगले ही पल के ब्लाउज के बटन खोल कर उसके बदन से ब्लाउज निकालकर नीचे फेंक दिया उसकी अनमोल रसीली गोलाईयों को छुपाने के लिए लाल रंग की ब्रा अभी भी उसके बदन पर थी,, सरिता शर्मा रही थी संकुचा रही थी वह अपनी खूबसूरत बदन को संजय की नजरों से बचाना चाहती थी,,,,जिस अनमोल खजाने को अब तक उसका पति देखता रहा था आज उसके ना चाहने के बावजूद भी संजय उसके खूबसूरत बदन का रसपान अपनी नजरों से कर रहा था जिसमें धीरे धीरे सरिता की भी सहमति होती जा रही थी सरिता अभी पूरी तरह से जवान थी एक बच्चे की मां थी,,,खेतों में काम करने की वजह से उसका बदन पूरी तरह से गठीला और सुडौल था जिसे देखकर किसी का भी लंड खड़ा होकर सलामी भरने लगे,,,,, संजय उसके ब्लाउज को उतारकर एक पल के लिए उसके खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक देखने लगा जो की कमर के नीचे अभी भी साड़ी में लिपटी हुई उसकी मदमस्त गांड कयामत ढा रही थी संजय सरिता के नंगे बदन को देखना चाहता था उसके खूबसूरत गांड को अपने हाथ में लेना चाहता था,,,, वह बेहद खुश था।

तुम बहुत खूबसूरत हो सरिता ने कभी सपने में भी सोच नहीं सकता था कि तुम इतनी खूबसूरत होगी,,,(अपनी तारीफ सुनकर सरिता के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव झलक ने लगे उसके पति ने अब तक कितने प्यार से उसकी तारीफ कभी नहीं किया था वह अपने काम में ही बिजी रहता था बीवी पर तो कभी ध्यान ही नहीं दिया था इसलिए संजय की इस तरह की बातें उसके दिल के अंदर तक उतर जा रही थी और इतना कहने के साथ ही संजय उसकी साड़ी की किनारी पकड़कर इतनी जोर से खींचा की सरिता दो चार बार अपने आप अपनी जगह पर घूम कर बिस्तर पर गिर गई,,,, वह बिस्तर पर पीठ के बल गिर गई थी,,उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि संजय इस तरह की हरकत करेगा इसलिए वह अपने आप को संभाल नहीं पाई थी लेकिन संजय की इस हरकत पर उसके होठों पर मुस्कान बिखर गई और उसकी मुस्कुराहट संजय के दिन में छोरियां चलाने लगी बेहद प्यारी मुस्कान थी सरिता की,,,)

वाह सरिता तुम मुस्कुराती हो तो ऐसा लगता है कि जैसे गुलाब का फूल खिल रहा हो,,,(सरिता बोली कुछ नहीं बस शर्मा कर जवाब में वह अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढक ली उसका चेहरा पूरी तरह से शर्म से लाल लाल हो चुकी थी,,। वो बिस्तर पर ब्रा और पेटीकोट में थी संजय सिंह अपने शर्ट के बटन खोलने लगा सरिता अपने चेहरे को ढके हुए ही उंगलियों के बीच में से संजय की तरफ देख रही थी संजय शर्ट के बटन खोल रहा था यह देखकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, एक औरत के लिए वह पल में उत्तेजना से भरा होता है जब वह शर्मा कर बिस्तर पर पड़ी होती है और मर्द उसकी आंखों के सामने अपने शर्ट के बटन खोल कर अपने कपड़े उतार रहा होता है क्योंकि उस समय औरत अच्छी तरह से इस बात को समझती है कि वह कपड़े उतार कर उसके साथ क्या करने वाला है और वही सरिता के तन बदन में हलचल पैदा कर रहा था देखते ही देखते संजय अपने सारे कपड़े उतार कर केवल अंडर वियर में बिस्तर के किनारे खड़ा था,,,। और उसके अंडरवियर में बना हुआ तंबू सरिता के होश उड़ा रहा था,,,, दोपहर में एक बार वाह संजय के लंड को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर महसूस कर चुकी थी एक बार फिर से उसे अपने अंदर लेने के लिए वह मचल उठी लेकिन वह पहल नहीं कर सकती लेकिन इस बात से भी अनजान नहीं थी कि संजय उसे संपूर्ण सुख की अनुभूति कराएगा,,,, और वही हुआ भी जैसे-जैसे संजय अपने कदम आगे बढ़ाकर बिस्तर पर घुटनों के बल आगे बढ़ने लगा वैसे वैसे सरिता के दिल की धड़कन बढ़ने लगी दिल की धड़कन के साथ साथ ब्रा के अंदर कैद उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिस पर ना चाहते हुए भी संजय का ध्यान चला जा रहा था क्योंकि वह इस समय पूरा ध्यान सरिता की दोनों टांगों के बीच केंद्रित करना चाहता था औरत होती ही ऐसी गजब की चीज है कि उसके हर एक अंग से जी भर के प्यार करने का मन करता है,,,,
संजय घुटनों के बल उसके बेहद करीब पहुंच चुका था उसके पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा था,,,, संजय की हरकत की वजह से सरिता का बदन कसमसा रहा था उसे अच्छी तरह से मालूम था कि संजय उसकी पेटीकोट को उतारने जा रहा है और देखते ही देखते संजय उसके पेटीकोट की दूरी को खोल कर उसकी पेटीकोट को दोनों हाथों से पकड़कर नीचे की तरफ सरका ने लगा लेकिन भारी भरकम गांड के दबाव के नीचे उसकी पेटीकोट दबी की दबी रह गई और नीचे नहीं आ रही थी सरिता जानती थी कि बिना उसके सहकार केसंजय उसकी पेटीकोट नहीं उतार पाएगा इसलिए वह खुद अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा ली,,, जिसमें संजय को आगे बढ़ने की संपूर्ण रूप से अनुमति थी,,, सरिता को अपनी गांड उठाते हुए देखकर संजय तुरंत पेटीकोट को खींचकर उसके पैरों से बाहर निकाल कर नीचे फर्श पर फेंक दिया इस समय सरिता उसकी आंखों के सामने लाल रंग की ब्रा और लाल रंग की पैंटी में बेहद कमाल की स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी,,, सरिता की गहरी नाभि रसीली बुर से कम नहीं थीऔर संजय एक बार उसकी दोनों टांगों के बीच आने से पहले अपनी जीभ को उसकी नाभि में डाल कर चाटना शुरू कर दिया सरिता गदगद हो गई उत्तेजना के मारे उसकी कमर में कंपन हो रहा था जिससे उसका चिकना पेट पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रहा था,,,,संजय उसी तरह से उसकी नाभि चाटते हुए अपना एक हाथ उसकी पैंटी के अंदर डालकर उसकी बुर को सहलाने लगा जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,, और वह सरिता की गीली बुर को सहलाते हुए बोला,,,।

ओहहहहहहसरिता तुम तो एकदम गीली हो गई हो तुम्हारी बुर पानी फेंक रही है,,,,,,सससहहहहह आहहहहहहहह,,(संजय सरिता की गीली बुर को सहलआते हुए गर्म आहे भर रहा था,,,, संजय की इस तरह की बातें सुनकर सरिता,, शर्म से पानी पानी हो गई और एक बार फिर से वह शर्मा कर दूसरी तरफ अपना मुंह फेर ली,,, संजय कुछ देर तक यु ही उसकी बुर और नाभि के साथ खेलने के बाद उसकी पैंटी को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे की तरफ सरका ने लगा,,,इस बार भी सरिता संजय की मदद करते हुए अपनी गांड को ऊपर उठा ली ताकि उसकी पेंटी आराम से निकल सके और देखते ही देखते संजय उसकी पैंटी उतार कर कमर के नीचे उसे एकदम नंगी कर दिया,,,,,सरिता की रसीली चिकनी और फूली हुई बुर को देखकर संजय के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया,,, संजय मदहोश हुआ जा रहा था जल्द से जल्द वह सरिता की बुर का मदन रस अपनी जीभ से चाटना चाहता था,,,,उसकी अभिलाषा पूरी हो रही थी वह सरिता के संपूर्ण बदन से खेलना चाहता था उसकी इत्मीनान से लेना चाहता था,,,।सरिता को ऐसा था कि आप समझे उसकी बुर में लंड डालेगा लेकिन उसके सोच के मुताबिक संजय कहां चलने वाला था वह तो घाट घाट का पानी जो पी चुका था वह औरतों के बदन से जी भर कर खेलने के बाद ही उसको चोदता था,,, और देखते ही देखते संजय सरिता की दोनों टांगों के बीच आ गया उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें ट्यूबलाइट की रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी,,, संजय की आंखों में सरिता की बुर को देखकर अजीब सी चमक आ रही थी,,,,संजय को इस बात का भी एहसास हो गया कि दोपहर में जब वहां सरिता की चुदाई किया था तब उसके बुर के ऊपर हल्के हल्के बाल थे और इसी में उसकी बुर पूरी तरह से चिकनी थी,,, इसका मतलब सरिता पूरी तरह से चुदवाने के लिए तैयार थी,,,, संजय यह बात सोचते ही पूरी तरह से मदहोश हो गया उत्तेजना से तरबतर हो गया और वह अपनी दो ऊंगली को एक साथ सरिता की बुर में डालकर बोला,,।

सरिता,,,,,


ऊंहहहह,,,


दोपहर में जब मैं तुम्हारी चुदाई किया था तब तो तुम्हारी बुर पर बाल था,,, लेकिन इस समय तो एकदम चिकनी है क्या तुमने अपने हाथों से इसे साफ करके आई हो,,,।
(संजय की यह बात उसे शर्म से पानी पानी कर रही थी लेकिन फिर भी संजय अपनी बात पर अड़ा हुआ था और फिर से बोला)

बोलो ना सरिता तुम्हारी बुर मुझे बहुत खूबसूरत लग रही है चिकनी बुर मुझे बेहद पसंद है,,,

आप इतने बड़े डॉक्टर हैं सफाई का ख्याल रखते होंगे इसलिए मुझे अपनी बुर को क्रीम लगाकर साफ करना पड़ा,,,(सरिता शरमाते हुए अपने चेहरे को दोनों हाथों से ढक कर बोली और संजय सरिता के मुंह से दूर शब्द सुनकर पूरी तरह से जोश से भर गया और एक पल की भी देन किए बिना अपना मुंह सरिता की दोनों टांगों के बीच डाल दिया और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया यह हरकत सरिता के सोच के बिल्कुल विरुद्ध थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इतना बड़ा डॉक्टर उसकी बुर को अपना मुंह लगाकर चाहेगा वह पूरी तरह से मदहोश हो गई और जैसे ही डॉक्टर की जीभ का स्पर्श वह अपनी बुर पर महसूस की वैसे ही उत्तेजना के मारे अपने आप उसकी कमर ऊपर की तरफ उठती चली गई,,, और संजय उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़कर कसके थामे रह गया,,, सरिता की यह जवानी के दिनों से ख्वाहिश थी कि उसका पति उसकी बुर को अपना मुंह लगाकर चाटे,,, लेकिन उसकी एक हमारी उसका पति कभी पूरी नहीं कर पाया था वह यह कह कर सरिता के मन को मार देता था कि। औरतों की बुर कोई चाटने की चीज है छी,,,,,,और सरिता अपना मन मसोस कर रह जाती थी लेकिन आज उसकी ख्वाहिश पूरी हो रही थी वह भी अपने पति के द्वारा नहीं बल्कि एक डॉक्टर के द्वारा,,, संजय अपनी जीभ का कमाल उसकी बुर पर दिखा रहा था,,, संजय अपना पूरा अनुभव सरिता की जवानी को चाटने में लगा दे रहा था सरिता मस्त हुए जा रही थी वह अपनी आंखों को बंद करके इस एहसास में पूरी तरह से अपने आप को डुबो दे रही थी संजय जितना हो सकता था उतना अपना जी भर के अंदर डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,, और सरिता सूखे हुए पत्ते की तरह थरथरा रही थी,,,, संजय सरिता की बुर को चाटते हुए सरिता का हाथ पकड़कर उसे अपने अंडरवियर पर रख दिया,,, सरिता जानती थी कि उसे क्या करना है इस समय में पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी जवानी के नशे में अपने आप को डुबो चुकी थी,,, और देखते ही देखते कामाग्नि की आग में जलते हुए सरिता अपने आप अपना हाथ संजय की अंडरवियर में डाल कर उसके खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ ली संजय के गरमा गरम मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ते ही ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथ में नहीं बल्कि कोई सुलगता हुआ लोहे का रोड पकड़ा दिया हो,,, उसकी गर्माहट में सरिता की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पिघलना शुरू कर दी जिसमें से निकल रहे मदन रस को संजय अपनी जीभ से चाट कर मस्त हुआ जा रहा था,,,,

स?हहहहह आहहहहहहह ऊइइइइइइइइ,,,,आहहहहहहहह,,,,,(सरिता के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज गूंजने लगी आखिरकार वह कब तक अपनी मदहोश कर देने वाली आवाज को अपने अंदर दबा कर रखती,,उसकी मदहोश कर देने वाली आवाज को सुनकर संजय का जोश दोगुना होता जा रहा था वह और जोर-जोर से अपनी जीभ को उसकी बुर के अंदर चला रहा था सरिता पूरी तरह से गर्मा चुकी थीउसे अब अपनी बुर के अंदर संजय का मोटा लंड चाहिए था इसलिए वह जोर-जोर से संजय के लंड को दबाकर उसे ईसारा कर रही थी,,, और साथ संजय भी उसके इशारे को समझ चुका था इसलिए वह सरिता की दोनों टांगों के बीच से अपना मुंह हटा लिया संजय एकदम मदहोश हो चुका था उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी सरिता उसके होठों से टपकते हुए अपनी बुर के मदनरस को देखकर शर्म से पानी पानी हो गई,,,। संजय बिस्तर पर पड़ी सरिता की चड्डी को उठाकर अपना मुंह साफ करते हुए बोला,,,

ओहहहह,,, सरिता इतनी लाजवाब बुर मैंने आज तक कभी नहीं देखा आज तो मजा आ गया तुम्हारी बुर चाटकर,,, आज देखना तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा मेरी जान,,,, तुम्हें कैसा लगा सरिता,,,,

(सरिता बोली कुछ नहीं बस शर्मा कर अपना मुंह दूसरी तरफ फेर ली जिसमें उसकी हा थी,,,,, संजय का मन ऊसे चोदने को कर रहा था लेकिन सरिता का हाथ अभी भी उसके अंडरवियर में था इसलिए संजय अपनी अंडरवियर को उतारकर एकदम नंगा हो गया सरिता को इस समय ना जाने क्यों अपनी मदहोश कर देने वाली जवानी पर गर्व हो रहा था कि उसकी जवानी को देखकर एक हॉस्पिटल का बड़ा डॉक्टर नंगा हो चुका था उसे पाने के लिए,,,संजय अपने लंड को पकड़कर खिलाते हुए घुटनों के बल आगे बढ़ा और सरिता के कंधों के इर्द-गिर्द अपना घुटना रखकर उसके होठों पर अपना लंड रगडने लगा,,,, बुर चाटना जिसे पसंद नहीं था वह खुद अपना लंड उसे चटाता था,,, इसलिए सरिता को क्या करना है यह अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह अपना मुंह खोल कर संजय के लंड को अपने मुंह में ले ली और से चूसना शुरु कर दी,,,, अपने पति के लंड को जब भी वह मुंह में लेती थी तो ऐसा लगता था कि जैसे छोटा गाजर मूली मुंह में लेकर काट रही हो लेकिन संजय का लंड काफी मोटा था और पूरा मुंह खोलने के बावजूद भी संजय का लंड बड़ी मुश्किल से सरिता के मुंह में जा रहा था,,,और इस बात से सरिता एकदम उत्तेजित हुए जा रही थी क्योंकि,,, पहली बार जिंदगी में उसे लंड चूसने का आनंद जो प्राप्त हो रहा था,,,, पहली बार सही मायने में वह एक लंड को अपने मुंह में ली थी,,, सरिता के द्वारा लंड चाटने पर संजय मदहोश हुआ जा रहा था वह हल्की-हल्की अपनी कमर को हिलाता हुआ उसके मुंह को चोद रहा था अभी भी सरिता के बदन पर लाल रंग की ब्रा थी जिसमें उसकी दोनों चूचियां कह दी थी संजय दोनों हाथों से उसकी ब्रा पकड़ कर ऊपर की तरफ खींच दिया जिससे उसके दोनों कबूतर आजाद हो गए,,,, और संजय उसके दोनों कबूतरों को हाथ में लेकर जोर-जोर से उसका गला घुटना शुरू कर दिया,,, लेकिन सरिता को मजा आ रहा था संजय बड़ी बेरहमी से उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था देखते देखते उसकी गोरे रंग की चूचियां टमाटर की तरह लाल हो गई सरिता दोनों तरफ से मजा ले रही थी संजय के लंड को हुआ धीरे-धीरे अपने गले तक उतार लेती थी लेकिन घुटने की वजह से उसे फिर वापस बाहर निकाल देती थी,,,, संजय का लंड पूरी तरह से तैयार हो चुका था सरिता की बुर के अंदर गदर मचाने के लिए। संजय धीरे से सरिता के मुंह में से अपना लंड वापस बाहर खींच लिया,,, सरिता हांफ रही थी,,संजय के मन में सरिता की चुचियों को मुंह में लेकर पीने की लालच जाग रही थी इसलिए वह एक बार फिर से सरिता की दोनों चुचियों पर टूट पड़ा और बच्चे की तरह उसकी दोनों चूचियों को मुंह में बारी-बारी से लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, एक बार फिर से सरिता मस्ती के सागर में खो गई उसे मजा आ रहा था संजय बारी-बारी से उसकी दोनों दशहरी आम को अपने मुंह में लेकर उसे जी भर कर चूस रहा था,,,, सरिता की बुर पानी छोड़ रही थी,,, वह ना चाहते हुए भी अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी,,,, संजय सरिता की यह कामुक हरकत को तिरछी नजर से देख लिया और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई वह उसकी दोनों चूचियों को छोड़ता हुआ बोला,,,।

सरिता मेरी रानी तुम्हें अपनी बुर के अंदर में मेरा लंड चाहिए ना,,,
(सरिता जवाब नहीं बोली कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दी वह बड़ी मासूम लग रही थी संजय उसकी हर एक अदा पर मर मिट रहा था इस बार वह सरिता की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया,,वह सरिता की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और देखते ही देखते सरिता की मोटी मोटी जांगे संजय की जांघों पर आ गई,,, यह पोजीशन चुदाई करने के लिए एकदम ठीक थी और देखते ही देखते संजय एक बार फिर से अपने लंड को सरिता की बुर में डाल दिया और धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,,,, उत्तेजना के मारे सरिता का गला सूखा जा रहा था और वह बार-बार अपने थुक से अपने गले को गीला करने की कोशिश कर रही थी,,,, संजय का लंड धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ने लगा था वह सरिता की दोनों चूचियों को अपने हाथों से थाम कर उसको चोदना शुरू कर दिया था,,, सरिता को अच्छी तरह से महसूस हो रहा था कि संजय का लंड रगड़ रगड़ कर उसकी बुर के अंदर बाहर हो रहा था।
संजय को मजा आ रहा था हॉस्पिटल के स्टाफ के किसी भी मेंबर को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि हॉस्पिटल के ऊपर के फ्लोर पर हॉस्पिटल का मालिक सबसे बड़ा डॉक्टर मरीज की औरत की चुदाई कर रहा है,,,, सब लोग गहरी नींद में थे लेकिन दोनों की आंखों से लिए कोसों दूर जा चुकी थी,,,, संजय का लंड सरिता की भरी हुई जवानी को तार-तार कर रहा था,,,संजय दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियों को काम कर अपनी कमर जोर जोर से हिला रहा था और सरिता हर धक्के के साथ आहहह ऊहहह की आवाज निकाल रही थी,,,, उसे जितना दर्द हो रहा था उससे कहीं ज्यादा मजा आ रहा था,,, हर धक्के के साथ सरिता लहरा उठती थी,,,किंग साइज का देश संजय के हर धक्के के साथ चरर मरर की आवाज कर रहा था,,,, सरिता का मुंह खुला का खुला रह गया वह अपने हाथों की कानून का सहारा लेकर हल्के से उठकर अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति को देख रही थी जो कि बेहद मदहोश कर देने वाली स्थिति में संजय का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर की गुलाबी क्षेंद में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था,,,।
संजय बड़ी तेजी से अपनी कमर हिलाता हुआ सरिता को चोदते हुए बोला,,,।

ओहहह सरिता मेरी जान तुम्हारी मदहोश कर देने वाली जवानी मेरे होश उड़ा दी कसम से मुझे तो आज जन्नत का मजा मिल रहा है तुम्हें खुश करने के लिए तुम्हें चोदने के लिए मेरे जैसे मर्द की जरूरत है मुझे नहीं लगता कि तुम्हारा पति तुम्हें संतुष्ट कर पाता होगा,,,, क्यों सरिता सच कह रहा हूं ना मैं,,,,

(इस बार भी सरिता बोली कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दी,, और सरिता की हामी को देखकर संजय अपनी रफ्तार को और तेजी से बढ़ा दिया वह ईतनी जोर जोर से धक्के लगा रहा था कि उसके हर धक्के के साथ सरिता आगे की तरफ खसक जा रही थी और इसलिए संजय उसके दोनों कंधों को पकड़कर उसके कंधों का सहारा लेकर जोर जोर से धक्के पेल रहा था,,, तकरीबन आधे घंटे की जबरदस्त घमासान चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए संजय अपना पानी निकालते समय उसे अपनी बाहों में कस कर दबोच लिया था संजय के जबरदस्त पानी की पिचकारी को सरिता अपनी बुर के बच्चेदानी के दीवार पर अच्छी तरह से महसूस करके एकदम तृप्त हो चुकी थी जिंदगी में पहली बार उसे इस तरह के सुख की प्राप्ति हो रही थी वह बेहद खुश थी,,,

दूसरी तरफ संध्या बिस्तर पर एकदम नंगी हो चुकी थी और अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर के अंदर एक साथ अपनी दो उंगलियां डालकर अपने बेटे के बारे में सोच रही थी क्योंकि उसके भी कल्पना में झाड़ियों के पीछे के दृश्य में उस औरत की जगह वह खुद को उस लड़के की जगह अपने बेटे को रखकर उस कल्पना का आनंद लेते हुए अपनी बुर में उंगली डाल रही थी,,,,जिस तरह से उसका बेटा उसे प्यासी नजरों से देख रहा था और झाड़ियों के पीछे के कृषि को देखते हुए उसी से एकदम सटकर अपने लंड की चुभन को उसकी गांड पर महसूस करा रहा था इस बात से संध्या को लगने लगा था कि फुटपाथ पर खड़े जो दो लड़के बातें कर रहे थे उनमें किसी हद तक सच्चाई जरूर है क्योंकि पहली बार वह सोनू की आंखों में हवस और प्यास देखी थी,,,।लेकिन अपने बेटे के इस तरह के बदलते नजरिए से ना जाने कि उसके मन में क्रोध की भावना बिल्कुल भी नहीं थी बल्कि उसे तो अपने बेटे के इस तरह के नजरिया को देखकर अच्छा महसूस हो रहा था।इसलिए तो उसकी कल्पना को ज्यादा ही रंगीन होती जा रही थी वह आंखों को बंद करके उसे झाड़ियों के पीछे की कल्पना कर रही थी उसे साफ नजर आ रहा था कि वह उस औरत की जगह खुद अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर खड़ी है और उसके पीछे उसका बेटा सोनू उसकी कमर को थाम कर अपनी खड़े लंड को उसकी बुर में डालकर चोद रहा है यह कल्पना इतना जबरदस्त था कि कुछ ही पल में अपनी उंगली से ही वह संतुष्ट हो गई,,,

और सोनू भी अपनी मां की कल्पना में खोया हुआ था वह अपने पजामे को घुटनों तक खींचकर अपने लंड को सहला रहा था,,, उसे मजा आ रहा था,,,,वह भी उसी देश की कल्पना कर रहा था जिस तरह की दृश्य की कल्पना करते हुए उसकी मां अपना पानी निकाल चुकी थी,,,वहभी कल्पना में झाड़ियों के पीछे खड़ा होकर खुद अपने हाथों से अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठाकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने हाथों में ले लेकर दबाते हुए अपनी खड़े लंड को उसके गुलाबी बुर में डालकर चोद रहा था,,, उसे मजा आ रहा था उसे मुठिया मारना बिल्कुल भी नहीं आता था लेकिन फिर भी वह अपने लंड से मजा ले रहा था उसकी आंखें बंद थी वह जोर-जोर से अपनी लंबी को दबा रहा था और देखते ही देखते हैं वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि अपनी मां की चुदाई की कल्पना करते हुए उसका पानी फेंक दिया और पानी इतना तेज रफ्तार से उसके नंबर से बाहर निकला कि लगभग 1 मीटर तक उछल कर खुद उसके ऊपर गिर गया,,,

शगुन को जो दृश्य देखने की इच्छा हो रही थी आज वह नहीं देख पा रही थी इसलिए अपने बिस्तर पर एकदम नंगी होकर अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी बुर में उंगली करते हुए अपनी मां की जगह अपने आप को और अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच पोजीशन लेते हुए देखकर कल्पना करके एकदम मस्त हुए जा रही थी,,, उसे साफ महसूस हो रहा था कि वह अपनी आंखों को बंद करके अपने पापा की कल्पना कर रही है और उसके पापा उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी बुर के साथ जी भर कर खेल रहे हैं,,,देखते ही देखते उसके पापा उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगे हो गए और शगुन खुदअपने पापा के लंड को पकड़ कर अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखते हुए उन्हें चोदने के लिए बोल रही है और देखते ही देखते उसके पापा अपना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर की गहराई में उतार कर उसे चोदना शुरू कर दिए,,, शगुन अपने पापा की कल्पना में खो कर अपनी बुर में खुद ही उंगली कर रही थी और देखते ही देखते उसकी बुर से भी पानी की धार फूट पड़ी,,,

संजय को लगा कि सरिता चुदवाने के बाद कमरे से बाहर निकल जाएगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ वह उसी तरह से बिस्तर पर लेटी रह गई तब संजय को इस बात का एहसास हो गया कि वह फिर से चुदवाना चाहती है वैसे भी संजय एक बार फिर से सरिता की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को देखकर मदहोश होने लगा था और उसका लंड एक बार फिर से कमरे की छत की तरफ देखता हुआ मुंह ऊठा लिया था सरिता भी संजय के खड़े होते लंड को देखकर मदहोश होने लगी और इस बार बिना किसी डॉक्टर के दिए दिशा निर्देश के वह खुद खड़ी हुई और संजय के लंड पर अपनी गुलाबी बुर का गुलाबी छेद रखकर बैठने लगी,,, एक बार फिर से दोनों एकाकार हो गए इस बार सरिता पूरी तरह से चार्ज संभाल ली थी वह संजय के दोनों कंधों को पकड़कर अपनी गांड को जोर-जोर से उसके लंड पर पटक रही थी।
एक बार फिर से दोनों मधुर मिलन की तृप्ति के एहसास में झड़ गए यह सिलसिला लगभग 3:00 बजे तक चला संजय सरिता की हर तरीके से हर तरह से पूरे कमरे में घूम घूम कर उसकी चुदाई किया सरिता भी एकदम तृप्त हो चुकी थी,,, पहली बार उसे अपने पास पैसे ना होने का सुख प्राप्त हो रहा था,,, इसके बाद संजय 3:00 बजे अपने घर के लिए निकल गया और सरिता नीचे अपने पति के पास आकर सो गई।


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बहुत ही गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर कामुक और उन्मादक अपडेट है भाई
मजा आ गया
संजय और सरिता की दमदार चूदाई हो गई
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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