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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Sanju@

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अपनी मां को बिस्तर पर पेट के बल लेट हुए देखकर सोनू की आंखों में एक नई दुनिया का नजारा नजर आ रहा था,,, सोनू अपनी खूबसूरत कामाग्नि से भरी हुई मां को लेकर मदहोश कर देने वाले सपने बुनने शुरू कर दिया था,,,,संध्या जानती थी कि उसका बेटा उसके कमरे में आने वाला है इसलिए वह दरवाजा खुला छोड़ रखी थी और अपने बेटे पर अपनी जवानी का अपने हुस्न का तो छोड़ने के लिए बहुत पेट के बल लेट कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उठाकर अपनी दोनों टांगों को आपस में हिलाते हैं मोबाइल चला रही थी और अपनी साड़ी को अपनी जान ऊपर नीचे कर दी थी ताकि उसकी गोरी गोरी मक्खन जैसी टांगें उसकी मदहोश कर देने वाली मांसल जांघें,,, उसके बेटे को साफ साफ दिखाई दे और यही तो उसका काम बाण था क्योंकि सीधे उसके बेटे सोनू की दोनों टांगों के बीच जाकर लगा था,,, उत्तेजना के मारे अपने थूक को गले से नीचे निगलते हुई वह कमरे में प्रवेश किया,,,, अपने बेटे की आहट संध्या महसूस कर चुकी थी इसलिए वह बोली,,,।

दरवाजा लॉक कर दे,,,( यह जानते हुए भी कि घर में उन दोनों के सिवा दूसरा कोई भी नहीं था फिर भी संध्या जो कुछ भी करना चाहती थी बंद कमरे के अंदर करना चाहती थी,, दरवाजा लॉक कर देने वाली बात सुनकर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, क्योंकि बिस्तर पर लेटी हुई कामदेवी भले ही उसकी मां थी लेकिन इस समय सोनू उसे एक औरत के रूप में देख रहा थाऔर संध्या भी अपने बेटे को अपने बेटे के रूप में ना देख कर उसे एक मर्द के रूप में देख रही थी,,,, जैसे ही सोनू दरवाजा लॉक करके बिस्तर के करीब पहुंचा तो संध्या मोबाइल बंद करके उसे एक तरफ रखते हुए देखा पीछे की तरफ लाकर अपनी कमर पर रख कर बोली,,,)

बहुत दर्द कर रहा है सोनू शायद तेरी मालिश से मुझे आराम मिल जाए,,,।


कोई बात नहीं मम्मी ऐसा ही होगा मैं तुम्हारी अच्छे से मालिश करूंगा,,,,( और इतना कहकर वहां बिस्तर पर अपनी मां के करीब बैठ गया और आयोडेक्स का ढक्कन खोलने लगा और अपनी उंगली में आयोडेक्स निकाल कर उसे अपनी मां की चिकनी कमर पर चारों तरफ मलने लगा,,,अपनी मां की मक्खन जैसी चिकनी कमर पर हाथ रखते हैं सोनू के तन बदन में आग लगने लगे उसका लंड अपनी मां की जवानी को देखकर सलामी भरने लगा,,,सोनू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी पहली बार अपनी मां की कमर पर हाथ रखा था,,,, धीरे-धीरे अपनी उंगलियों के सहारे अपनी मां की कमर की मालिश करना शुरू कर दिया लेकिन सोनू पर पर मदहोश होता चला जा रहा था उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी और यही हाल संध्या का भी था अपने बेटे की हथेलियों को अपनी कमर पर महसुस करते ही उसके तन बदन में गर्मी सी छाने लगी,,
वह गहरी सांस लेते हुए तकिए पर अपना सर रख कर आराम से लेट गई लेकिन इस दौरान वह अपनी दोनों टांगों को घुटनों से ऊपर की तरफ उठाए हुए थी क्योंकि वह जानती थी कि इस तरह से उसकी बेटी को उसकी नंगी गोरी टांग और जांघ दोनों नजर आ रही होगी पर यह बात भी भली-भांति जानती थी कि मर्दों के सर्वप्रथम आकर्षण औरतों की गांड की तरफ ही होता है जो कि वह खुद जिस तरह से लेटी हुई थी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे की नजर उसकी भारी-भरकम गांड पर ही टिकी हुई होगी भले ही वह साड़ी में क्यों न लिपटी हुई हो उसकी पैनी नजर कल्पना के माध्यम से साड़ी के अंदर के नजारे को प्रचलित कर रही होगी,,,।

सोनू का मजा आ रहा था आनंद के महासागर में गोते लगाने के लिए वह पूरी तरह से तैयार था वह जानता था कि अपनी मां को गंदी नजर से देखना गलत बात है लेकिन फिर भी ना जाने क्यों अपनी मां के आकर्षण से पूरी तरह से बंधता चला जा रहा था,,, थोड़ी देर तक मालिश करने के बाद वह औपचारिक रूप से ही अपनी मां से बोला,,,।


अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,,।


अच्छा लग रहा है लेकिन अभी भी दर्द हो रहा है,,,


तुम चिंता मत करो कुछ ही देर में दर्द खत्म हो जाएगा,,,।
(दर्द भरी बातें केवल औपचारिक ही थी क्योंकि यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते हैं कि कोई दर्द है बदन में नहीं था बस एक दोनों के प्रति आकर्षण था जिसका व दोनों भरपूर आनंद ले रहे थे सोनू थोड़ा सा आयोडेक्स लेकर अपनी मां की कमर के बीच से उभरी हुई गहरी आई नो माय लकीर में जो की ऊपरी सतह पीठ पर जा रही थी उसके अंदर अधीक्षक आकर मालिश करना शुरू कर दिया उसकी मां की पीठ के बीचोबीच जो लकीर थी वह काफी गहरी थी सोनू का मन उसमें डूब जाने को कर रहा था अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर उसे पीठ की इस गहरी लकीर में भी अपने लंड को रगड़ने का मौका मिले तो भी वह अपने आप को भाग्यशाली समझेगा,,,,,,

धीरे-धीरे समय गुजर रहा था दोनों के पास वक्त काफी था 11:30 का समय हो चुका था और सोनू अपनी मां की कमर की मालिश कर रहा था कमर इतनी चिकनी और मक्खन जैसी थी कि सोनू का मन उसे अपनी जीभ लगाकर चाटने को कर रहा था,,,,,,,, और संध्या अपनी हरकतों से सोनू की हालत और खराब कर रही थी वह आपने घुटनों से काम को मोड़ कर ऊपर करके अपनी पायल को बजा रही थी जिसकी आवाज सोनू को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी बार-बार उसकी नजर अपनी मां की भारी-भरकम गांड और उसकी मोटी मोटी जांघों की तरफ चली जा रही थी,,,,सोनू का मन अपनी मां की गांड को और उसकी मोटी मोटी मांसल जांघों को छूने का कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,,,

उसे वह नजारा साफ नजर आ रहा था जहां कमर तक उसकी मां ने सारी बातें हुई थी उसके बीचो-बीच उसे वह लकीर नजर आ रही थी जो कि औरतों के दोनों कुल्हो को अलग करने की लकीर होती है,,,, यह नजारा देखते ही उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,,उसे इस बात पर यकीन हो गया कि वह नजारा इतनी आसानी से नजर नहीं आता है जरूर उसकी मां ने अपनी साड़ी को जानबूझकर नीचे की तरफ बांधी थी ताकि उसे उसकी गांड की लकीर साफ नजर आए और वह भाग थोड़ा सा उभरा हुआ भी था,,, यह देखकर सोनु की आदत खराब होने लगी,,, वो काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,अपनी मां के कमरे में आने से पहले अपने कपड़ों को उतार कर एक ढीली सी टीशर्ट और ढीला सा पायजामा पहन लिया था और उस पजामे के अंदर उसका लंड लोहे के रोड की तरह टनटनाकर खड़ा हो चुका था,,,,, हालात सोनू के लिए बदतर हुआ जा रहा था,,,, सोनु के लिए अधिकतर उत्तेजना से पाना मुश्किल हो रहा था क्योंकि वह इस खेल में वह अभी बिल्कुल ही नया था,,,, इस तरह के हालात पर काबू पाना उसके पास में बिल्कुल भी नहीं था उसे लगने लगा था कि उसके लंड से किसी भी पल पानी निकल जाएगा क्योंकि बार-बार उसकी नजर उसकी मां के लिए कमरों की पत्नी शुरुआती पतली लकीर पर चली जा रही थी,,,, यह लकीर महज एक पतली सी लीटी थी नितंबों के लिए लेकिन मर्दों के लिए यह उत्तेजना और मादकता का वह छलकता जाम था जिसे होठों से लगाने के लिए हर मर्द तड़पता रहता था,,,, सोनू से रहा नहीं जा रहा था और वहमालिश करने के बहाने धीरे-धीरे अपनी एक उंगली को उस पतली,,, दरार मे रगडते हुएसाड़ी के अंदर की तरफ सरकार ने लगा इस बात का अहसास होते ही संध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी मदहोशी चिकोटी काटने लगी,,,। संध्या को समझ में आ गया कि उसका बेटा मदहोश हो रहा है वरना वह उसकी साड़ी में उंगली डालने की हिम्मत ना करता लेकिन अपने बेटे की इस हरकत से वह खुश थी,,,,,, उसकी उम्मीद का दिया जलता हुआ नजर आ रहा था,,,, मंजिल दूर थी लेकिन रास्ता कठिन बिल्कुल भी नहीं बस एक दूसरे का साथ देकर आगे बढ़ना था,,,,।
कुछ देर तक सोनू बिना कुछ बोले अपनी उंगली को अपनी मां की साड़ी के अंदर सरकार ने की कोशिश करता रहा और जितनी उंगली अंदर जाती थी उससे उसके मक्खन जैसे नितंबों के उभार की शुरुआत को छूकर अपने तन बदन को मदहोश कर रहा था,,,मन तो उसका कर रहा था कि पूरी हथेली अपनी मां की साड़ी के अंदर डाल कर उसके बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर जोर जोर से मसल डाले,,,लेकिन अभी वह ऐसा नहीं कर सकता था लेकिन फिर भी ऐसे बहुत मजा आ रहा था उत्तेजना के परम शिखर करो पूरी तरह से विराजमान हो चुका था आंखों से वह अपनी मां के संपूर्ण बदन के भूगोल को नाप चुका था,,, बस उसे अपने हाथों में लेकर मसलकर छुकर स्पर्श करके महसूस करना बाकी था, ,,,, संध्या का भी हाल यही था,,, उसे भी उत्तेजना के मारे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि अपने बेटे के कारण उसे इतनी उत्तेजना का अनुभव करना पड़ेगा,,,,,,

संध्या के बदन में दर्द बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी वह अपने बेटे के द्वारा की गई मालिश से पूरी तरह से संतुष्ट नजर आ रही थी उसे अच्छा लग रहा था उसका सहलाना दबाना मसल ना,,,, लेकिन संध्या इससे ज्यादा बढ़ना चाहती थी,,,वह अपने बेटे की उंगलियों को हथेलियों को अपने बदन के हर एक हिससे पर महसूस करना चाहती थी,,,। इसलिए वह बोली,,,,


बेटा थोड़ा इधर भी मालिश कर दे,,,,(अपने हाथ को पीछे की तरफ लाकर उंगली से अपनी ब्लाउज के निचले हिस्से से दो अंगुल ऊपर की तरफ इशारा करते हुए बोली क्योंकि वह जानती थी कि उधर पर मालिश करना और वह भी ब्लाउज पहने हुए मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और उधर के मालिश करवाने के लिए सपना ब्लाउज उतारना भी पड़ता इसलिए जानबूझकर संध्या युक्ति रची थी,,,) इधर भी ऐसा लग रहा है कि बहुत दर्द कर रहा है,,,,


हां कर तो दूंगा लेकिन,,,


क्या लेकिन,,,,


ब्लाउज पहने हुए,,,,,,, मालिश नहीं हो पाएगी,,,


तो,,,,


तो क्या ब्लाउज उतारना पड़ेगा,,,,(सोनू एक झटके से बोला,,और अपने बेटे की यह बात सुनकर ही संध्या पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गई उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई लड़का उसके साथ संबंध बनाने के लिए उसे अपने कपड़े उतारने के लिए कह रहा हो,,,)

हां यह तो तु ठीक कह रहा है,,, रुक अभी उतारती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही संध्या धीरे से बैठ गई लेकिन अपना मुंह दूसरी तरफ किए हुए थी,,,मन तो उसका हो रहा था कि अपने बेटे की आंखों के सामने अपनी छाती ब्लाउज नुमा पर्दे को हटा दें,,, लेकिन अभी भी उसमें शर्मो हया बाकी थी,,,इसलिए दूसरी तरफ मुंह करके अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी सोनू ठीक उसके पीछे बैठा हुआ था जहां से उसे अपनी मां के हाथों की हरकत बराबर नजर आ रही थी वह अच्छी तरह से समझ रहा था कि इस समय उसकी मां ब्लाउज के बटन खोल रही हैं,,, ब्लाउज के बटन खोलने का एहसास ही सोनू के तन बदन में आग लगा रहा था देखते ही देखते संध्या अपना ब्लाउज उतार कर बिस्तर पर रख दी,,, ब्लाउज के उतारते ही मरून रंग की ब्रा नजर आने लगी,,, और अपनी मां के गोरे बदन पर मरुन रंग की ब्रा देखते ही,,, उसकी आंखों में चमक नजर आने लगी और उत्तेजना के मारे हो अपनी उंगली को अपनी मां की साड़ी के और अंदर की तरफ सरकार ने लगा तो उसे उसकी मां की पेंटी स्पर्श होने लगी जिसका एहसास उसे मदहोशी के सागर में डूबोए लिए चला जा रहा था,,,। ब्लाउज उतार देने के बाद संध्या का मन अपनी करा दी उतारने का कर रहे थे कि वह अपने दोनों अमरूदों का अपने बेटे को दिखाना चाहती थी हालांकि वह पहले भी देख चुका था लेकिन उस तरह से देखने में और इस तरह से दिखाने में जमीन आसमान का फर्क था,,।फिर भी अपने बेटे की राय लेना चाहती थी कि उसके मन में क्या चल रहा है हालांकि इस बात का एहसास हो सच कहा था कि उसका बेटा भी यही चाहता होगा कि उसकी मां अपनी मां को भी उतार दें और कमर के ऊपर से पूरी तरह से नंगी हो जाए इसलिए वह जानबूझकर बात बनाते हुए बोली,,,।

अब ठीक है ना हो जाएगी ना मालिश,,,,


वह तो जाएगी लेकिन,,,,,,(अपने हाथ को आगे बढ़ाकर ब्रा की पट्टी पर उंगली रखते हुए,,) इस पट्टी की वजह से ठीक से नहीं हो पाएगा,,,, एक काम करो ना मम्मी ब्रा भी उतार दो,,,,..

(बस फिर क्या था यही तो संध्या सुनना चाहती थी,,,)

ठीक है रुक इसे भी उतार देती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर ब्रा के हुक खोलने लगी लेकिन वो जानबूझकर उसके हुक को खोल नहीं रही थी वह चाहती थी कि उसका बेटा उसकी ब्रा की हुक को खोले इसलिए थोड़ी देर तक मशक्कत करने के बाद वह बोली,,,)

ओफ्फो,,, यह मुझसे खुल नहीं रहा है बेटा तू ही खोल दे तो,,,।

(इतना सुनते ही सोनू का पूरा बदन गनगना गया,,, उसे अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसके कानों ने सुना था वह बिल्कुल सच था उसे उसकी मां ब्रा का हुक खोलने के लिए कह रही थी जो कि एक औरत अपने प्रेमी या पति को ही यह इजाजत देती है,,,,सोनू की खुशी का ठिकाना ना था पहली बार वह किसी औरत की ब्रा का हुक खोलने जा रहा था,,, फिर भी अपने कानों से सुनी बात को पूरी तरह से निश्चित कर लेने के लिए वह बोला,)

कककक,,,क्या ,,, मैं खोलु,,,,,!


हां तो क्या और कौन खोलेगा,,,,


ठीक है लेकिन मैंने कभी ब्रा का हुक नहीं खोला,,,


तो क्या हुआ अभी खोल ले एक न एक दिन तो खोलेगा ही अपनी बीवी की,,,,,,(संध्या यह बात जानबूझकर मुस्कुराते हुए बोली थी चौकी अपनी मां की यह बात सुनकर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड उठी थी,,, अपनी मां की बात मानते हुए,,,वह अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने जा रहा था,,, इसलिए वह बोला,,,)


ठीक है मैं कोशिश करता हूं मुझसे खुलती है कि नहीं,,,


अरे खुल जाएगी कोई कठिन काम थोड़ी है,,,

(संध्या अपनी बेटी का हौसला बढ़ाते हुए बॉडी और सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां के ब्रा के हुक को खोलने में लग गया,,,जो कि उसने यह काम कभी भी नहीं किया था इसलिए उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि किस तरह से खोला जाता है फिर भी वह मशक्कत करने लगा और थोड़ी देर मशक्कत करने के बाद वह अपनी मां की ब्रा के हुक को खोलने में कामयाबी हासिल कर लिया,,,,,, और संध्या उसे अपनी बाहों में से बाहर निकालकर ब्लाउज के पास बिस्तर पर रख दी,,, मक्खन जैसी चिकनी नंगी पीठ सोनु की आंखों के सामने चमक रही थी,,, सोनू का मन मक्खन जैसी चिकनी पीठ को जीभ से चाटने को कर रहा था,,।


देखा कितने आराम से खुल गया,,,


हां सच में,,,,


अब तो ठीक से मालिश कर लेगा ना,,,


हां मम्मी अब ठीक है,,,,


चल अच्छा अब सही से मालिश करना,,,(इतना कहने के साथ ही अपनी ब्रा को जोड़ने का नाटक करते हुए संध्या बांए से हल्का सा घुम कर अपने बेटे की तरफ नजर डाले बिना बोली,,,) अरे मैंने ब्रा कहां रख दी,,,(उसका सिर्फ इतना घूमना ही था कि उसकी बांई चुची सोनू को एकदम से नजर आ गई क्या मदमस्त कर देने वाली चुची थी,,, एकदम हाफुस आम की तरह गजब का नजारा था पल भर में ही सोनु की नजर में बस गया था,,, लेकिन संध्या इस नजारे को देखने के लिए अपने बेटे को दूसरा पल नहीं दी और दूसरी तरफ घूम कर अपनी ब्रा को उठाते हुए बोली,,)

अरे ये रहा,,,,,(उसने कहने के साथ ही वह बिस्तर पर लेट गई,,,,, सोनू की हालत खराब थी सांसो की गति जवाब दे रही क्या पजामे में गदर मचा हुआ था अरमानों का धुंआ,, सांसों से बाहर उड़ रहा था,,, सोनू के सामने जैसे कोई पॉर्न मूवी चल रही हो,,,, सब कुछ गजब था,,, इस पल के लिए सोनू बार-बार अपनी किस्मत पर गर्व कर रहा था 11:30 से ऊपर का समय हो रहा था,,,और सोनू अपनी मां के कमरे में उसके बिस्तर पर बैठा हुआ उसकी चिकनी पेट की मालिश करने जा रहा था,,,, संध्या बड़े आराम से तकिए पर सिर रखकर लेटी हुई थी उसे मालूम था कि किसी भी वक्त उसके बेटे की हथेलियां उसकी चिकनी पीठ पर मक्खन की तरह फिसलने लगेगी,,, उसकी दिल की भी धड़कन भारी हो चलो ठीक टांगों के बीच की पतली दरार में बाढ़ आ चुका था,,, इतना पानी संध्या ने अपनी शादी की पहली रात में भी नहीं छोड़ी थी जितना कि आज अपने बेटे के साथ छोड़ रही थी,,,। संध्या की बुर से निकलने वाला पानी की हर एक मोड़ गवाही दे रहा था कि संध्या हद से ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रही है,,,,,

कुछ देर तक सोनू नजर भर कर अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ को देखता ही रह गया जो कि ट्यूबलाइट की सफेद रोशनी में दूधिया रंग की तरह चमक रही थी,,,,सोनू जल्द से जल्द अपनी मां की छिपकली पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसकी गर्मी को अपने अंदर महसूस करना चाहता था इसलिए मलहम को अपनी उंगली में अपनी मां की चिकनी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया,,,,,,अपने बेटे की हथेली को अपनी नंगी चिकनी पीठ पर महसूस करते ही संध्या का तन बदन मचल उठा उसके मुंह से आह की आवाज़ निकलते निकलते रह गई,,,,,,सोनू का मजा आ रहा था सोनू अपनी दोनों हथेलियों को अपनी मां की चिकनी पीठ पर ऊपर से नीचे की तरफ सरका रहा था,,, सोनू का मन अपनी मां को चोदने के लिए प्रबल हुआ जा रहा था,,,, वह अपने मन में ही सोच रहा था कि किस तरह से वह अपनी मां की चुदाई कर सकें लेकिन उसे कोई भी युक्ति नजर नहीं आ रही थी,,, लेकिन संध्या अपने लिए रास्ता बना रहे थे वह जानते थे कि रिश्ते की नई शुरुआत करने के लिए थोड़ा समय लगता जरूर है लेकिन मंजिल तक पहुंचा जा सकता है और इसी आशा से वह अपने बेटे को और ज्यादा उकसाने के लिए बातों का दौर शुरू कर दी,,,।
संध्या अपने बिस्तर पर लेटी हुई

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तू इतना घबरा क्यों रहा था जब वह दुकान वाला तेरे हाथ में आयोडेक्स की जगह कंडोम का पैकेट दे दिया था,,,।
(अपनी मां की इस तरह कि खुली बात सुनते हीसोनू का दिमाग सन्न रह गया,,,उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां अपने मुंह से कंडोम शब्द का प्रयोग करेगी,,, अपनी मां के सवाल का जवाब सोनू कुछ सूझ नहीं रहा था वह खामोश रहा तो फिर उसकी मां बोली,,)

बोलना तु इतना घबरा क्यों रहा था,,,और उस लड़के को देखा नहीं तेरी उम्र का था कैसे बिंदास उस पैकेट को लेकर चला गया,,,।(संध्या लंबी आहें भरते हुए बोली)

मममम,,, मैं कैसे ले सकता था मैंने कभी खरीदा नहीं,,,(अपनी मां की पीठ पर अपनी हथेली फिराते हुए घबराते हुए सोनू बोला,,,)


अरे मैं जानती हूं तूने कभी खरीदा नहीं है लेकिन एक ना एक दिन तो खरीदेगा इसलिए तुझे घबराना नहीं चाहिए,,,,


मममम,,, मैं मैं क्यों खरीदुंगा,,,,


अरे बुद्धू खरीदना ही पड़ेगा सेफ्टी के लिए इतने बड़े डॉक्टर का बेटा होकर भी इतना नहीं समझता,,,, और तूने देखा था कंडोम का पैकेट ले जाकर उसने किस को थमाया था,,,।


हां भाई के पास एक औरत खड़ी थी उसको दिया था,,,,


जरा सोच उस औरत की उम्र और लड़के की उम्र कितना फर्क था ,,, जैसे कि तेरी और मेरी उम्र वह लड़का तेरी उम्र का था और वह औरत मेरी उम्र की,,,,(संध्या जानबूझकर उम्र का अंतर बता कर सोनू को उलझा रही थी और ऐसा भी नहीं था कि सोनू उलझना नहीं चाहता था वह तो खुद ईस टेढ़ी मेढी डगर पर चलने के लिए तैयार हो चुका था,,,)

मैं कुछ समझा नहीं मम्मी,,,,(सोनू अपनी मां की चिकनी पीठ के स्पर्श का आनंद लेते हुए बोला)


अरे बुद्धू,,,, वह औरत ओर कोई नहीं उसकी मां थी,,,,


तुम्हें कैसे मालूम मम्मी उसकी लवर भी तो हो सकती है,,,।


पागल हो गया क्या एक लड़का अपनी मां की उम्र की औरत को अपनी लवर बनाएगा,,,, मैं शत-प्रतिशत दावे के साथ कहती हूं कि वह औरत उसकी मां ही थी,,,,।


लेकिन एक बेटा बेझिझक अपनी मां को कंडोम का पैकेट कैसे दे सकता है,,,।


तू सोनू सच में बुद्धू है,,, देखा नहीं था बगीचे में वह लड़का और वह औरत दोनों मां बेटे थे ना,,, वह लड़का कैसे अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,(संध्या जानबूझकर खुले शब्दों में बोलना शुरू कर दी थी क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा आगे बढ़कर कुछ करने वाला नहीं है इसलिए अपनी बातों के जाल में उसे फंसा कर मां बेटे के बीच शारीरिक संबंध स्थापित करना चाहती थी और उन लड़कों का और उन औरतों का उदाहरण देकर उसे समझाना चाहती थी कि मां बेटे के बीच में भी शारीरिक संबंध स्थापित हो सकता है जैसा कि वह अपनी आंखों से देख चुका है,,, अपनी मां की मौसी चुदाई शब्द सुनकर सोनू के अंग का तार तार झनझना उठा,,, पल भर में ही उसका लंड गदर मचाने के लिए तैयार हो गया,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

देखा था कि नहीं देखा था,,,


देखा था मम्मी,,,,


तो फिर तू ही बोल एक बेटा मैं अपनी मां की चुदाई करता है तो वह अपनी मां के सामने कितना खुल जाता है उसे कंडोम का पैकेट भी काम आ सकता है वह भी बेझिझक,,,


लेकिन किसी को पता भी तो चल सकता है कि दोनों मां बेटे हैं,,,।


कैसे पता चल सकता है बाहर की दुनिया वाले थोड़ी जानते हैं कि वह दोनों मां-बेटे हैं उन्हें तो ऐसा ही लगेगा कि वह औरत और आदमी है,,,, जब तक खुद अपने मुंह से बाहर जाकर नहीं बताएंगे कि मैं अपनी मां को चोदता हूं या उसकी मां यह कहेंगी कि मैं अपने बेटे से चुदवाती हूं,,
(सोनू का दिमाग काम करना बंद कर दिया था उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां उससे इतना खुलकर बातें करेगी,,, लेकिन जो कुछ भी हो रहा था सोनू को मजा आ रहा था,, सोनू को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह से उससे बातें करेंगी,,। लेकिन इतने से भी सोनु की मा रुकी नहीं थी,,,, वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि वह लड़का अपनी मां को चोदने के लिए कंडोम लेकर जा रहा था,,,,
(अपनी मां की बातें सुनकर सोनू एकदम खामोश हो गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी मां से क्या मुझे जिस तरह से उसकी मां चुदाई वाली बातें कर रही थी और वह भी एक मां बेटे के बीच की सोनू की हालत खराब होते जा रही थी सोनू बार-बार उस लड़के की जगह अपने आपको और उस औरत की जगह अपनी मां को रखकर कल्पना कर रहा था और इस तरह की कल्पना करने में उसे काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, फिर भी अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)


ममम,,, मुझे नहीं मालूम,,,, लेकिन क्या मां बेटे के बीच चुदाई हो सकती है,,,?(सोनू के सवाल में आश्चर्य और इच्छा दोनों थी,,, अपनी मां से सवाल पूछ रहा था लेकिन इस सवाल में उसकी मां की इच्छा भी जानना चाहता था वह एक तरह से एक मां बेटे की संभोग कि संभावना को जानना भी चाहता था और उसकी मां की तरफ से उसकी सहमति भी चाहता था,,, अपने बेटे का सवाल सुनकर संध्या बोली,,,)

देखा तो था तु अपनी आंखों से,,,, झाड़ियों के बीच उस बगीचे मेंवो लड़का अपनी मां को चोद रहा था परिवार उसकी मां कितने मजे लेकर अपने बेटे से चुदवा रही थी,,,(संध्या अपने बेटे से बेझिझक बोली)


लेकिन मम्मी क्या ऐसा करने पर दोनों को पछतावा नहीं होता,,,,।


पछतावा अगर होता तो यह सब बिल्कुल ना होता,,, बल्कि शायद इसमें मजा ही ज्यादा आता है,,,,,, ऐसा तभी होता है जब औरत संतुष्ट नहीं होती अपने पति से तभी वह बाहर या घर में इस तरह के रिश्ते कायम कर लेती हैं,,, दुनिया की नजर में भरे रिश्ता गंदा हो पाप हो,,, लेकिन उस औरत की नजर से उस लड़के के नजर से तो सारे रिश्ते से बेहतर ही है,,, बस किसी को कानों कान खबर ना पड़े यह रिश्ता जारी रहता है,,,,

(अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू को इतना तो समझ में आ गया था कि मां बेटे के बीच चुदाई संभव है और शायद उसकी मां भी यहीं चाहती हैवरना उसकी मां इस रिश्ते को कभी भी इतना बड़ा चाहना कर नहीं मिलती बल्कि इसके खिलाफ रहती लेकिन वह तो खुद अपने ही बेटे के सामने मां बेटे के बीच चुदाई को संभव और संतुष्टि का नाम दे रही थी,,,,,,अपना की बातें उसके मन की बातों को सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे लगने लगा था कि उसकी मां भी उससे चुदवाना चाहती हैं इस बात का एहसास होते ही,,,, सोनू का लंड जोरो से अकड़ने लगा था,,, और वह उत्तेजना में पूरी तरह से पागल हो जा रहा था उसका चेहरा उत्तेजना के मारे एकदम लाल हो चुका था वह मदहोश हो चुका था उसकी आंखों में खुमारी छा चुकी थी और अपनी मां की चुदाई करने के लिए अपना मन बना चुका था बार-बार उसका लंड अपनी मां की मस्त जवानी देख कर सलामी दे रहा,, था,,,, और उत्तेजना में आकर वह अपनी मां की साड़ी में ऊपर से अपनी उंगली को सरकाते सरकाते,,, अपनी मां की पेंटी के अंदर हाथ डाल दिया हालांकि हाथ तो नहीं गया था लेकिन उंगली चली गई थी,,, और ऊंगली सीधे सोनू ने अपनी मां की गांड की दरार के बीचोबीच ऊपरी सतह तक स्पर्श करा दिया और उस गांड की दरार में हल्के हल्के अपनी उंगली को आगे पीछे करते हुए मालिश करने लगा संध्या की हालत अपने बेटे की इस हरकत पर पूरी तरह से खराब हो गई उसकी बुर से पानी का सैलाब फुट पड़ा,,,, पहली बार वह इस तरह से चुदवाए बिना ही झड़ी थी,,,, सोनू की भी हालत खराब थी अपनी मां की साड़ी के अंदर हो गई को डालकर उसे होली को अपनी मां की गांड की दरार के बीचोबीच रखकर उसे हल्के से आगे पीछे करके मालीश,, करते हुए बोला,,,।


तुम क्या चाहती हो मम्मी,,,,,
(सोनू का इतना ही पूछना था कि वह अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया और उसका लावा फूट पड़ा वह झड़ रहा था उसकी हालत खराब हो रही थी उसके चेहरे का रंग बदलने लगा था,,,, अपने बेटे के सवाल पर संध्या को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें,,, एक बार उसका मन कह रहा था कि वह अपने बेटे से कह दे कि वह चुदवाना चाहती है अपने बेटे से,,,लेकिन ना जाने क्यों सब कुछ कहने के बावजूद भी इतना कहने से वह शर्मा रही थी वो कुछ बोली नहींदूसरी तरफ सोनू की हालत खराब थी उसका पैजामा पूरा गीला हो चुका था ढेर सारा लावा जो उसके लंड ने ईगल दिया था,,,वह बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया था उसकी मां उसकी तरफ देखे बिना हीं बोली,,,)

क्या हुआ,,,?


कुछ नहीं जोरो की पिशाब लगी अभी जाकर आता हूं,,,


अरे नीचे मत जा यही बाथरूम यूज कर ले,,,,


ठीक है मम्मी,,,,(और इतना कहते ही सोना रूम से अटैच बाथरूम में घुस गया)
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,820
19,441
158
सोनू बाथरूम में मुतने नहीं गया था बल्कि अपने लंड के हालात का जायजा लेने गया था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां की मद मस्त जवानी की गर्मी से उसका लंड पूरी तरह से बेहाल हो चुका था इसीलिए तो लावा उगल दिया था,,,, सोनू अभी इस खेल में कच्चा खिलाड़ी था इसलिए अपने आप को संभाल नहीं पाया था और वक्त से पहले ही बिना कुछ किए ही ढेर हो गया था लेकिन अपने इस हार से ही उसे सीखना था अपने आप को मजबूत बनाना ताकि वह,, जवानी की आंधी में अपने आप को संभाल सके,,,।
बाथरूम में घुसते ही सोनू ने तुरंत अपने पजामे को नीचे कर दिया उसका लंड पूरी तरह से झड़ चुका था लेकिन अभी भी उसमें से कुछ बूंदे नीचे टपक रही थी अपने लंड की हालत को देखकर सोनू को भी ताज्जुब हो रहा था क्योंकि झड़ जाने के बावजूद भी उसका लंड पूरी तरह से लोहे के रोड की टनटनाया हुआ था,,,,,,, सोनू अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करते हुए दो तीन बार झटका देकर उस में फंसी दो चार बूंदों को और बाहर निकाल दिया,,, भले ही अपने आप निकल गया था लेकिन सोनू को मजा बहुत आया था सोने को बाकी के अंदर वह कल याद आ रहा था जब वह अपनी उंगली को उसकी मां की साड़ी के अंदर सरका कर पर उसकी पेंटी के नीचे उंगली डालकर उसकी गांड की दरार को सहला रहा था,,,सोनु अपने मन में यही सोच रहा था कि जब इतने से ही इतना मजा आता है तो जब चुदाई करेगा तो कितना मजा आएगा,,, यह एहसास ही सोनू के लिए काफी था,,,,,


बाहर बिस्तर पर लेटी हुई संध्या अपने बेटे के सवाल पर पूरी तरह से सोच में पड़ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस सवाल का जवाब क्या दें अपने मन में यह सोच रही थी कि यह सवाल पूछ कर कहीं उसका बेटा उसके मन में क्या चल रहा है यह तो नहीं जानना चाहता,,,,,,संध्या अपने मन में सोच रही थी कि जो भी हुआ जो अपने बेटे के साथ संबंध बनाकर रहेगी,,, यह बात होगी अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा भी यही चाहता है क्योंकि कुछ दिनों से जो कुछ भी बदला उसमें हो रहा था उसी से साफ पता चल रहा था कि उसका बेटा उसके प्रति पूरी तरह से आकर्षित होता जा रहा है,,,वह जो अपनी बेटी को लेकर कल्पना करती है वही कल्पना उसका बेटा भी करता है,,, तभी तो इस समय की मालिश करने के बहाने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया,,था,,,। यह ख्याल आते ही संध्या के होठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,,,,, वह बिस्तर पर बैठ गई थी और बाकी के दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठी थी उसकी नंगी छातीया बवाल मचाने को तैयार थी,,,,, वो दरवाजा खुलने का इंतजार कर रही थी आज की रात वह अपने बेटे के ऊपर पूरी तरह से छा जाना चाहती थी अपनी जवानी का नशा अपने बेटे को चखा कर उसे अपने हुस्न का गुलाम बना लेना चाहती थी,,,। सोनु जैसे ही दरवाजा खोला संध्या पूरी तरह से तैयार बैठी थी वह एक बार फिर से अपनी छलकती जवानी के दर्शन अपने बेटे को कराना चाहती थी उसका मन तो अपना अंग का हर एक कोना अपने बेटे के सामने परोसने का मन कर रहा था,,, लेकिन थोड़ी हिचक उसमें अभी बाकी थी,,,। संध्या जानबूझकर अपने साड़ी के पदों को कंधे पर लेकर अपनी दोनों दशहरी आम को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी और जैसे ही दरवाजा खुला सोनू की नजर वैसे ही बिस्तर पर बैठी अपनी मां पर पड़ी,,, एक बार फिर से उसकी दोनों छलकती जवानी को देखकर उसके होश उड़ गए,,,,, उसे अंदाजा नहीं था कि बाथरूम से बाहर निकलते ही उसे इस तरह का लुभावना द्रशय देखने को मिलेगा,,,, लेकिन इस बार भी पल भर के लिए ही था,,,संध्या यह बात जानती थी कि उसका बेटा उसकी चूचियों पर नजर मार चुका है इसलिए अपने बेटे की तरफ देखे बिना ही वह अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर पलंग पर से उठते हुए बोली,,,।


मुझे भी बड़े जोरों की लगी है रुक में आती हूं,,,,(इतना कहकर वह बिस्तर से खड़ी होगी और बाथरूम की तरफ कदम आगे बढ़ा दी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे पर पड़ी तो,,, संध्या की दोनों टांगों के बीच कुलबुलाहट बढ़ने लगी,,,। झड़ जाने के बाद भी सोनू का लंड उसी तरह से खड़ा था,,,,संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं है कि उसका बेटा उसकी मालिश करते करते झड़ गया है,,, वह अपनी चुचियों को साड़ी से ढककर बाथरूम में जाने लगी,,, लेकिन संध्या की सूचियों का आकार कुछ ज्यादा ही बड़ा था जिसकी वजह से सारी मैं छुपाने से भी नहीं छुप रहा था और सोनू को इन हालात में अपनी मां की चूचियां और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,, थोड़ी देर में संध्या बाथरूम में घुस गई और सोनू बिस्तर पर आकर बैठ गया लेकिन दरवाजा बंद होने का आवाज उसे बिल्कुल भी नहीं आया,,, संध्या ने दरवाजा बंद नहीं की थी ,,,, उसे वास्तव में जोरो की पेशाब लगी हुई थी,,, बाथरूम में जाते ही वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी उसकी नजर अपनी पेंटी पर पड़ी तो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी अपनी गीली पेंटिं को देखकर वो मुस्कुराने लगी,,, आज जरूरत से ज्यादा उसकी बुर ने पानी बहाया था,,, अपनी पेंटी को जांघों तक सर का कर ,, वह अपनी चिकनी बुर का जायजा लेने लगी,,, उत्तेजना के मारे उसकी बुर कचोरी की तरफ फूल गई थी जिसे देखकर उसकी आंखों में भी चमक आने लगी थी,,, वह नीचे बैठ गई और मुतने लगी,,,, उसकी बुर से कुछ ज्यादा ही प्रेशर से पेशाब बाहर निकल रही थी पर्स की गुलाबी पुर की गुलाब की पत्तियों के बीच में से सुमधुर सीटी की आवाज निकलना शुरू हो गई जो कि तुरंत सोनू के कानों तक पहुंच गई सोनू एकदम से मदहोश हो गया वह मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी मां पैशाब कर रही होगी,,,, इस समय का माहौल सोनू के लिए बिल्कुल भी बर्दाश्त के बाहर झड़ने के बावजूद भी उसके लंड की नसें अकड़ रही थी,,,, लगातार आ रही सीटी की आवाज से सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका है संध्या को भी इस बात का आभास था कि उसकी पुर से निकल रही तेज सीटी की आवाज उसके बेटे के कानों तक पहुंच रही होगी और वह ऐसा चाहती भी थी वह तुझे भी चाह रही थी कि उसका बेटा चोरी से उसे पेशाब करता हुआ देखे उसकी बड़ी बड़ी गांड को देखें और मस्त होकर उस की चुदाई करें लेकिन सोनू वहीं बैठा रहा,,,,

थोड़ी ही देर में संध्या पेशाब करके बाथरूम से बाहर आ गई,,,, वह अपने बेटे को देखकर मुस्कुरा रही थी,,, और जैसे ही पलंग पर बैठने के लिए वो थोड़ा नीचे जो कि उसका साड़ी का पल्लू कंधे पर सिर नीचे गिर गया और उसके दशहरी आम हवा में झुलने लगे,,,,,,, सोनू की आंखों के सामने उसकी मां की दोनों चूची हवा में लहरा रही थी पपैया की तरह उसका शेप हो चुका था,,, सोनू की तो हालत खराब हो गई संध्या जानबूझकर नहीं बल्कि अपने आप ही साड़ी कंधे से नीचे गिर जाने की वजह से और ज्यादा खुश नजर आ रही थी,,,, उसे लग रहा था कि जैसे पूरा वातावरण उस के पक्ष में हो,,,सोनू के ठीक आपके सामने उसकी मां की चूचियां पके हुए आम की तरह लटक रही थी,,, सोनू से बर्दाश्त नहीं हो रहा था यह अनजाने में हुआ था इसलिए सैलरी आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और सोनू अपनी मां की तरफ,,,, दोनों की नजरें आपस में टकराई दोनों के बीच आकर्षण का पुल बंधता चला जा रहा था,,,,,,,

सोनू के लिए यह पल बेहद कामुकता से भरा हुआ था माता-पिता से भरी उसकी मां की चूचियां उसकी आंखों के सामने किलकारी कर रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे संध्या की चूचियां इशारा करके उसे अपने पास बुला रही हो,,, उसकी दोनों चूचियां हवा में ऐसे झूल रही थी जैसे पेड़ से झूला बांध दिया गया हो,,,सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छोरियों को पकड़ना चाहता था उन्हें स्पर्श करना चाहता था वह कठोर है या नरम यह महसूस करना चाहता था,,,,, कुछ पल तक ऐसा ही चलता रहा संध्या अपने दोनों चुचियों को छुपाने की बिल्कुल की कोशिश नहीं कर रही थी,,, उसकी आंखों में अपनी बेटी के लिए आमंत्रण था,,,, जैसे कि वह अपने बेटे को अपनी चुचियों को पकड़ने का निर्देश दे रही हो आज्ञा दे रही हो,,, यह सब कुछ आंखों ही आंखों में हो रहा था,,,, संध्या की साड़ी का आंचल कंधे से सरक कर नीचे जमीन पर गिर चुकी थी,,,, सोनू कोई समय कुछ नजर नहीं आ रहा था शिवाय उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो के और उसके खूबसूरत चेहरे के,,,,,,,

संध्या जानबूझकर कुछ पल तक इसी तरह से झुकी रही शायद उसे इस बात का अंदाजा था कि उसका बेटा अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी बड़ी चूची को थामेगा पकड़ेगा मसलेगा,,,, और ऐसा ही हुआ सोनू अपनी मां की खूबसूरत चुचियों को देखकर अपने आपे से बाहर हो गया उत्तेजना उसके सर पर सवार हो गई और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर बेझिझक अपनी मां की चूचियों को थाम लिया,,,, और अपनी मां की आंखों में झांकने लगा,,, सोनू अपनी मां की चूचियों को बस अपनी हथेली में भरकर हल्के से तराजू की तरह उठाया ही था उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था मानो के जैसे इसे आगे कुछ करने के लिए अपनी मां की इजाजत चाहता हो उसकी मांअपनी बेटी की इस हरकत से पूरी तरह से खुश नजर आ रही थी उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी अभी अपने बेटे की आंखों में देखते हुए बोली,,,।


तू पूछ रहा था ना मैं क्या चाहती हूं,,,,,(सोनू कुछ कहता इससे पहले ही उत्तेजित अवस्था में मदहोश होते हुए,,, संध्या अपने चेहरे को नीचे की तरफ लाइव और तुरंत गुलाबी होठों को अपने बेटे के होठों पर रखकर चूसना शुरु कर दी,,,, सोनू को तो कुछ समझ में नहीं आया और संध्या अपने बेटे के होंठों को चुंबन करते हुए चूसते हुए उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे दी लेकिन फिर भी सोनु उसी तरह से अपनी मां की चूचियों को थामें रह गया,,,,,, पल भर में ही सोनू की सांसे तेज चलने लगी संध्या मदहोश हो चुकी थी पागल हो चुकी थी उसे अपने बेटे में अपना प्रेमी नजर आया था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने बेटे को नहीं बल्कि अपने प्रेमी को पहली बार चुंबन कर रही हो,,,,,,कुछ देर में जब सोनू को भी समझ में आया तो वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी का रस और होंठों से चखते ही,,, वह भी अपनी मां का साथ देती है तेरी मां के गुलाबी होठों को मुंह में भर कर चुसना शुरू कर दिया इस तरह के चुंबन को वह आज तक मूवी में ही देखता आया था खास करके हॉलीवुड की इसलिए उसे थोड़ा बहुत ज्ञान था वह अपनी मां की चूची को थामे अपनी मां के होंठों को चूस रहा था,,,,, उत्तेजना पूरी तरह से दोनों मां-बेटे पर सवार हो चुकी थी,,,,सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसकी हथेली खाता था उसकी मां की चुचियों पर बढ़ता जा रहा था जैसे जैसे उसकी हथेलियां चूची पर कश्ती जा रही थी वैसे वैसे संध्या के तन बदन में आग लग रही थी और सोनू को भी अपनी मां की चुचियों को कस के दबाने में मजा आ रहा था,,, सोनू अपनी मां की निप्पल सहित चुचियों को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहा था उत्तेजना के मारे संध्या की निप्पल चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,

जब यह चुंबन की श्रंखला टूटी तो संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और वह अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी सोनू भी अपनी मां को देख कर मुस्कुरा रहा था संध्या गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।


तुमसे पूछ रहा था ना कि मैं क्या चाहती हूं मैं भी यही चाहती हूं जो बगीचे में झाड़ियों के अंदर वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,,(संध्या एक झटके में गहरी सांस लेते हुए अपने मन की बात बोल गई और सोनू अपनी मां की यह बात सुनकर पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हो गया उसे अपनी खुशी समा नहीं रही थी,,,सोनू को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी बिल्कुल सच था सोनू तो इस बात के एहसास से ही पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया था कि उसकी मां उससे चुदवाना चाहती है,,,। अपनी मां के पास सुनकर सोनू बोला,,,)


तुम सच कह रही हो मम्मी,,,?


बिल्कुल सच कह रही हूं,,,,,



लेकिन मुझे तो नहीं आता,,,,


क्या नहीं आता,,,,?(संध्या अपनी साड़ी को कमर से खोलते हुए बोली,,, सोना अपनी मां को साड़ी खोलता हुआ देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,)

ववव, वही जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे,,,



अरे मेरे बुद्धु आ जाएगा,,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली सोनू को तो इस पल के लिए बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी जिंदगी में यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा,,, देखते ही देखते संध्या अपनी साड़ी को उतार कर नीचे फर्श पर फेंक दी इस समय उसके बदन पर केवल पेटीकोट थी बाकी उसका पूरा बदन नंगा था ट्यूबलाइट की रोशनी में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां चमक रही थी उसका पूरा बदन चमक रहा था उसकी गहरी नाभि मैं सोनू का मन डूब जाने को कर रहा था,,,। संध्या अपने बेटे की हालत पर मंद मंद मुस्कुरा रही थी क्योंकि अच्छी तरह से जानते थे कि उसका बेटा इस खेल में बिल्कुल नया खिलाड़ी है इसलिए उसके मन में अजीब अजीब से सवाल उठ रहे होंगे वह सभी सवालों का जवाब देते हुए संध्या बोली,,,)



अब तुझे मैं दुनिया की सबसे बेहतरीन और खूबसूरत चीज दिखाती हुं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बिस्तर पर बैठ कर लेट गई व पीठ के बल लेट गई थी सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या दिखाने की बात कर रही है,,, तकिया को अपने सिर के नीचे लगा कर अपनी टांग को अच्छी तरह से फैलाते हुए बोली,,, सोनू बिस्तर के किनारे पलंग के नीचे पैर लटकाए बैठा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है,,,,अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देख रहा था उसकी तनी हुई चुचियों को बड़े गौर से देख रहा था उसके पेट के बीच में गहरी नाभि को प्यासी नजरों से देख रहा था और कमर पर बंदी पेटिकोट की डोरीको बडी आस भरी नजरों से देख रहा था कि मानो जैसे पेटिकोट की डोरी खुद-ब-खुद खुल जाएगी अपने बेटे की आंखों में चमक देखकर उसकी उत्सुकता और भोलापन देखकर संध्या मन ही मन में खुश हो रही थी,,,, सुनो अपनी मां की तरफ देखकर आश्चर्य भरे स्वर में बोला,,,)

कौन सी बेशकीमती चीज दिखाना चाहती हो मम्मी,,,,

(अपने बेटे कैसे खोलें पन से भरे सवाल को सुनकर संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,)


सबर कर लेकिन इसके लिए तुझे खुद ही देखना होगा,,,,
(सोनू को अपनी मां की बात समझ में आ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगे पल भर में सोनू का चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था लेकिन वह हीचकीची रहा था उसकी मां अपने बेटे की हीचकीचाहट को समझते हुए बड़े प्यार से बोली,,,,)


मेरी पेटीकोट की डोरी खोल,,,,

(अपनी मां की मादक स्वर को सुनते ही सोनू की नशे अकड़ने लगी उसे डर लगने लगा कि कहीं एक बार फिर से उसके लंड का पानी न छूट जाए क्योंकि यह बात कह कर तो उसकी मां ने अपनी बदन का पूरा खजाना उसके सामने परोस दी थी सोनू पलभर में ही कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा ने लगा अपने मन में बिना पेटीकोट की डोरी खोलें ही सोचने लगा कि पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसे कैसा लगेगा जब उसकी मां की टांगों के बीच की पतली दरार कैसी नजर आएगी यह सब सोचकर वह पूरी तरह से दीवाना हुआ जा रहा था,,,, अपनी बेटी को इस तरह से आंखें फाड़े देखता हुआ पाकर संध्या बोली,,,)

क्या हुआ क्या सोच रहा है तेरा मन नहीं कर रहा है क्या,,,?


नहीं नहीं ऐसा नहीं है,,,(सोनू तपाक से बोला जैसे कि उसके हाथ से यह मौका वापस उसकी मां छीन ना ले,,,)


तो खोलना पेटीकोट की डोरी,,,।
(सोनू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था आज वह अपनी मां का एक नया रूप देख रहा था सोनू पैसे में लगी नहीं रहा था कि जैसे बिस्तर पर उसकी आंखों के सामने अर्धनग्न अवस्था में लेटी हुई औरत उसकी मां है उसे ऐसा लग रहा था कि कोई और औरत है क्योंकि उसके बोलने का तरीका भी बदल चुका था,,, लेकिन जो भी हो सोनू को तो इसमें मजा ही मजा आ रहा था वह अपनी मां की जवानी लूट लेने के लिए बिल्कुल तैयार था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की पेटीकोट की डोरी खोलने लगा लेकिन पेटीकोट की डोरी खोलते समय उसके हाथों की उंगलियां कांप रही थी,,, जिसमें उत्तेजना और डर दोनों बराबर मिला हुआ था,,, संध्या को उसकी कॉपी में उंगलियां देखा कर हंसी छूट रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी पर काबू किए हुए थी संध्या को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका बेटा कोई बम को डिफ्यूज करने के लिए अपने ऊंगलीयो को हरकत दे रहा हो और डर के मारे कांप रहा हो,,,,,,पेटिकोट की डोरी कैसे खोली जाती है यह भी सोनू को नहीं आता था लेकिन जिस तरह से मशक्कत करके उसने अपनी मां की ब्रा का हुक खोला था उसी तरह से अपनी मां की पेटीकोट की डोरी में भी उलझा हुआ था,, लेकिन जल्द ही उसने पेटिकोट की डोरी का एक सिरा पकड़कर उसे खींच दिया,,,,, जैसे ही पेटीकोट की डोरी खुली सोनू के दिल की धड़कन बढ़ गई और संध्या के भी तन बदन में कसमसाहट होने लगी,,,,,, संध्या के बदन मे उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,। नाभि के नीचे वाला हिस्सा उत्तेजना के मारे थरथरा रहा था,,,।

पेटिकोट की डोरी खोल कर सोनू प्रश्नार्थक मुद्रा में अपनी मां की तरफ देखने लगा मानो कि पूछ रहा हो कि अब क्या करना है,,,, लेकिन अपने बेटे की आंखों में संध्या को उसके मन का सवाल साफ झलक रहा था इसलिए वह खुद ही बोली,,,।


अब इसे उतार ,,,,

(सोनू के लिए यह पल बेहद अद्भुत और बेहद नाजुक था इस तरह के वाक्ये उसने आज तक नहीं गुजरा था,,, उसके लिए यह जिंदगी में पहला मौका था जब वह किसी औरत की किसी और औरत की नहीं बल्कि अपनी ही मां की पेटीकोट को उतारने जा रहा था,,,,,,अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर पेटीकोट के दोनों छोर को अपनी उंगली में उलझा कर नीचे की तरफ खींचने लगा यह पल सोनू के लिए उत्तेजना से भरा हुआ था यह पल किसी भी मर्द के लिए बेहद अनमोल और उन्मादक होता ही है,,,जिंदगी में पहली बार कोई मर्द जब किसी औरत के कपड़े उतारता है कि उसके तन बदन में जो हलचल मची हुई होती है उसका बयान कर पाना शायद नामुमकिन है,,, वही हाल सोनु का भी थाक्योंकि सोनू जानता था कि पेटीकोट उतारने के बाद उसे उसकी मां की दोनों टांगों के बीच का अनमोल खजाना नजर आने लगेगा जिसके बारे में वह सिर्फ कल्पना किया करता था,,,,, संध्या के भी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी जिंदगी में उसके कपड़े सिर्फ उसके पति नहीं उतारे थे और आज दूसरी बार उसके बेटे के हाथों यह शुभ काम होने वाला था जिसमें संध्या को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,सोनू पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगा लेकिन संध्या की भारी-भरकम गांड के भार के नीचे पेटीकोट नीचे की तरफ सरक नहीं पा रही थी,,,संध्या भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी इसलिए वह अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी भारी भरकम कलाकार गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, अपनी मां सहकार और उसकी हरकत को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया,,, किसी भी औरत का इस तरह से सहकर देना इस बात को साबित करता है कि वह पूरी तरह से उस मर्द को समर्पित हो चुकी है,,,,,,
उत्तेजना के मारे सुख के गले को अपने थूक से गीला करते हुए सोनू अपनी मां की पेटीकोट को तुरंत नीचे की तरफ खींचने लगा उसे लगा था कि पेटिकोट के नीचे आते ही,, उसे उसकी मां की बुर का संपूर्ण भूगोल अपनी आंखों से नजर आने लगेगा,,, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था पेटिकोट के अंदर उसके बारे में पेंटी पहनी हुई थी,,,, पेटिकोट के नीचे पेंटी को देखकर ,,, सोनू को निराशा नहीं बल्कि और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा,,, क्योंकि उसके मां के खूबसूरत गोरे बदन पर लाल रंग की पैंटी और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,, और इस बात की खुशी और भी थी कि उसे अपनी मां की पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पैंटी भी उतारनी पड़ेगी,,,,

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संध्या अपनी गांड ऊपर करके पेटिकोट उतारने अपने बेटे की बहुत ही अच्छी तरीके से मदद की थी,,,,सोनू जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर बिस्तर पर रख दिया था अब वह उसकी आंखों के सामने केवल पेंटी में थी और पेंटिं में संध्या बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे बिस्तर पर खुद कामदेवी लेटी हो,, अब आगे क्या करना है सोनू ने अपनी मां से बिल्कुल भी नहीं पूछा और अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पेंटिं के दोनों छोर पर अपने हाथ रखकर पेंटी उतारने लगा,,,, पेंटी पर हाथ लगते ही संध्या कसमसाने लगी उसके बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,,पेंटी के आगे वाला भाग पूरी तरह से गिला हो चुका था जो कि संध्या की बुर से निकला मदन रास्ता और वह सोनू को बड़े अच्छे से नजर आ रहा था,,,

धड़कते दिल के साथ सोने अपनी मां की पेंटिंग करने लगा और जिस तरह से पेटीकोट उतारने में उसकी मां ने उसकी सहायता की थी उसी तरह से इस बार भी वह अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दी और सोनू तुरंत अपनी मां की पेंटिं को घुटनो खींच लिया,,,,उसके बाद तो सोनू भूल ही गया क्या उसे क्या करना है क्योंकि उसकी आंखों के सामने दुनिया की सबसे बेशकीमती और सबसे खूबसूरत चीज थी उसकी आंखों के सामने का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस तरह से अपनी मां की बुर के दर्शन करेगा,,,,सोनू को साफ नजर आ रहा था कि उसकी मां की सुर्खी गुलाबी पत्तियों के बीच से बदल रस की बूंदें टपक रही थी जो कि किसी बेशकीमती मोती की तरह लग रही थी सोनू पहली बार बुर को इतने करीब से देख रहा था,,,। इसलिए उसकी आंखें चौंधिया गई थी,,,, पल भर में सांसों की गति कम तेज हो गई थी और होती भी क्यों नहीं संघ के बारे में वह कल्पना करके रात दिन अपना हाथ से हिलाया करता था आज उसे अपनी आंखों के सामने देख रहा था उसके भूगोल से परिचित हो रहा था संध्या पूरी तरह से उत्तेजित थी वह बड़ेगौर से अपने बेटे की तरफ देख रही थी और जिस तरह से उसका बेटा आंखें उसकी बुर को देख रहा था संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, संध्या कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा क्या वह अपने बेटे को अपनी बुर दिखाएगी,,,, जिस अंग को वह दुनिया से छुपाए रखी थी ढंककर रखती थी,, साड़ी के नीचे पेटीकोट के अंदर और पेंटी के पीछे लेकिन आज सब कुछ उजागर हो गया था,,,,संध्या की सांसो की गति पर तेजी से चल रही थी और सांसो के साथ-साथ उसके पानी भरे गुब्बारों की तरह दोनों चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी सोनू के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसका सारा ध्यान संध्या की दोनों टांगों के बीच स्थिर हो चुकी थी,,,, संध्या की बुर भी बेहद अद्भुत थी,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी और उम्र के इस दौरान भी उसकी बुर क्या थी एक पतली दरार थी,,,, जो कि तवे पर रखी हुई गरम रोटी की तरह फूल गई थी,,,, उसमें से मदन रस ऐसे बह रहा था मानो रसमलाई से रस टपक रहा हो,,,,।

अपने बेटे की हालात का संध्या को दया आ रही थीउसे समझते देर नहीं लगी कितना हैंडसम और खूबसूरत होने के बावजूद भी उसका बेटा पहली बार किसी औरत की बुर को देख रहा है वरना अब तक वह अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई भी कर दिया होता,,,


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं है क्या,,,?


नहीं आज से पहले मैंने कभी नहीं देखा,,,,


कमरे में तेरी आंखों के सामने मेरी टावल नीचे गिर गई थी तब भी नहीं देखा था,,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं सच कहूं तो तुम इतनी खूबसूरत हो कि तुम्हारे बदन का कौन सा अंग देखना है यह मुझे पता ही नहीं चला,,,
(संध्या को अपने बेटे की मासूमियत पर हंसी भी आ रही थी और दया भी आ रहा था,,,)


चल कोई बात नहीं आज तो देख लिया ना,,, कैसा लग रहा है तुझे,,?(संध्या खुद अपने ऊपर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का सवाल मां अपने बेटे से कैसे पूछ सकती है और किस तरह के सवाल पूछने की हिम्मत उसमें कैसे आ गई यह कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था लेकिन जो कुछ भी वह पूछ रही थी उससे उसके तन बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,)


बहुत खूबसूरत मैंने आज तक ऐसा नजारा कभी नहीं देखा,,,,,, क्या मम्मी मैं इसे छु सकता हूं,,,,,(सोनू एकदम से भोलेपन में यह सवाल पूछा तो संध्या मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली)


अरे बुद्धू तो जो भी सकता है और बहुत कुछ कर भी सकता है आज से यह तेरी है,,,


सच मम्मी,,,,(इतना कहने के साथ ही सुनो अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर कांपती उंगलियों को अपनी मां की बुर के उपर रख दिया,,,,, और जैसे ही संध्या को अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे की उंगली का स्पर्श हुआ तो उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सससहहहहहह,,,,,,,
(और अपनी मां के मुंह से निकली हुई है आवाज सुनकर सोनू एकदम से मदहोश हो गया और वह अपनी पूरी हथेली अपनी मां की बुर के ऊपर रखकर उस छोटी-सी लकीर को ढक दिया,,,, बुर एकदम गरम थी सोनू कक्कड़ के लिए लगाकर कैसे हो अपनी हथेली को अपनी मां की बुर के ऊपर नहीं बल्कि तपते हुए तवे पर रख दिया हो,,, सोनू को मजा आ रहा है एक अद्भुत सुख से पूरी तरह से भीगने लगा था सोनू अपनी हथेली को अपनी मां की ओर के ऊपर आगे पीछे करते हुए हौले हौले से रगड़ने और जैसे-जैसे वहअपनी मां की बुर को रगड़ रहा था वैसे वैसे संध्या की हालत खराब होती जा रही थी,,,।)

बहुत गर्म है मम्मी,,,,

यह इसी तरह से रहती है एकदम गर्म,,, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है क्या,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है,,,,,


तो मेरी पैंटी तो पूरी उतार दे घुटनों में फंसा कर रखा है,,,


(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि उसने अपनी मां की बुर देखने में पेंटिं उतारना भूल ही गया थाऔर अगले ही पल वहां अपनी मां की पेंटि को पूरी तरह से उसकी मन की चिकनी कमर से बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दिया अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,,, बहुत ही खूबसूरत ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बदन के हर एक अंग के कटाव को उभार को भगवान ने अपने हाथों से बनाया हो,,,, बिस्तर पर लेटी हूं संध्या किसी चित्रकार की चित्रकारी का बेहद अद्भुत उम्दा चित्र लग रही थी,,,, किसी मूर्तिकार के हाथों से बनाया हुआ शिल्प लग रही थी,,,, संध्या अपने आप में बेजोड़ थी बहुत ही खूबसूरत कामुकता से भरी हुई गठीला बदन की मालकीन गदराए जिस्म की मालकिन,,,, जिसे देखकर ही,, आह निकल जाए,,,,।



रात के 12:00 बज रहे थे और संध्या अपने बेटे के साथ अपने ही कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी और उसका बेटा बिस्तर पर बैठा हुआ था जो कि उसकी बेशकीमती रसीली बुर को अपनी आंखों से देख कर उसके मदन रस को अपनी आंखों से ही पी रहा था,,, सोनू की हथेलीअभी भी उसकी मां की बुर पर थी जिसमें से निकल रहा मदन रस उसकी हथेली को भीगो रहा था,,,,,,,

संध्या की हालत खराब हो रही थी सोनू काफी देर से उसकी बुर पर हथेली रखकर उसे हल्के हल्के रगड़ रहा था जिससे संध्या मदहोश होने जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, संध्या का मन अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए कर रहा था लेकिन इतनी जल्दबाजी दिखाना ठीक नहीं था,,,, इसलिए गहरी सांस लेते हुए अपने बेटे से बोली,,,।



सोनू क्या तू चाहता है कि हम दोनों भी वही करें जो झाड़ियों में वह दोनों मां-बेटे कर रहे थे जो मेडिकल पर वह लड़का कंडोम खरीद रहा था अपनी मां को चोदने के लिए,,,
(अपनी मां का इस तरह का सवाल सुनते ही सोनू की हालत एकदम से खराब हो गई क्योंकि सीधे-सीधे उसकी मां उसे चोदने के लिए आमंत्रित कर रही थी सोनू भला कब इनकार करता उसे तो इसी दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार था वह तो चाहता था अपनी मां को चोदना लेकिन इस तरह से इतना आसान होगावह कभी सपने में भी नहीं सोचा था इसलिए अपनी मां का इस तरह का आमंत्रण सुनते ही बोला,,,)


क्या ऐसा हो सकता है मम्मी,,,,?(यह सवाल पूछते हुए सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,)

क्यों नहीं हो सकता हो सकता है तु अपनी आंखों से देखा था ना एक बेटा कैसे अपनी मां की चुदाई करता है और एक बेटा कैसे कंडोम खरीदा था अपनी मां को चोदने के लिए तो ऐसा हो सकता है,,,,

लेकिन किसी को पता चल गया तो ,,,,,,

कैसे पता चलेगा,,,,


अगर पापा को पता चलेगा तो,,,,



किसी को कान्हा कान्हा पता तक नहीं चलेगा और मैं जानती हूं कि तू इतना बड़ा बेवकूफ तो है नहीं हम दोनों के बीच की बात किसी और को बताएगा,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनु ना में सिर हिलाया,,,)


तो बस फिर क्या जवानी का मजा ले देख कितना मजा आता है,,,,और हां इस खेल में कूदने से पहले अपने कपड़े तो उतार ले मेरा तो सब कुछ देख लिया मुझे भी तो दिखा कि तेरे पास कैसा हथियार है,,,,

(अपनी मां की बात सुनकर सोनू एकदम से शर्मा गया क्योंकि अपनी मां की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारने में झिझक महसूस कर रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर उसे अच्छा लग रहा था क्योंकि उसकी मां उसके लंड को देखना चाहती थी,,,। सोनू कुछ देर तक उसी तरह बैठा रहा तो संध्या बोली,,,)

क्या हुआ शर्मा क्यों रहा है,,, अगर इसी तरह से शर्माएगा तो मेरे साथ आगे कैसे बढ़ेगा,,, अच्छा रूक में ही कुछ करती हुं,,,, तो बिस्तर पर अच्छे से घुटनों के बल खड़े हो जा,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही उसकी बात मानते हुए सोनू बिस्तर पर अच्छी तरह से बैठ गया और घुटनों के ऊपर खड़े हो गया लेकिन इस समय के पजामे में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था और संध्या की नजर उस के तंबू पर पड़ते ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,,आश्चर्य से अपने मुंह पर हाथ रखते हुए संध्या बोली,,,)

बाप रे पजामे के ऊपर से ही इतना खतरनाक लग रहा है,,,,, अब तो मेरी उत्सुकता और बढ़ गई है तेरे लंड को देखने के लिए,,,(संध्या एकदम खुले शब्दों में बोल रही थी और अपनी मां के मुंह से एक लंड शब्द सुनते ही उत्तेजना के मारे सोनू एकदम से गनगना गया,, संध्या बिस्तर पर बैठकर घुटनों के बल हो गई थी और एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बेहद करीब पहुंच गई थी उसकी नजर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू पर था उसकी अनुभवी आंखों ने पजामे के ऊपर से ही अंदाजा लगा लिया था कि पजामे के अंदर धमाल मचा देने वाला खतरनाक औजार है,,, संध्या का मन ललचा उठा,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड का दीदार कर लेना चाहती थी,,,। सोनू के पजामे में बने तंबू को देखकर ही संध्या की हालत खराब होने लगी,,, वह जल्द से जल्द अपने बेटे के को देखने के लिए तड़पने लगी,,,इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर वह अपने बेटे के पजामे पर रखकर उसे एक झटके में नीचे घुटनों तो खींच दी,,, ओर पजामा के नीचे आते ही सोनू का बम पिलाट लंड हवा में लहराने लगा,,, संध्या की आंखें फटी की फटी रह गई,,, संध्या को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वाकई में उसके बेटे का लंड बेहद जानदार था एकदम तगड़ा मोटा लंबा,,, और उसका सुपाड़ा आलू बुखारे की तरह था,,, संध्या के दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर जल्द से जल्द महसूस करना चाहती थी,,, वह प्यासी नजरों से अपने बेटे के लंड को देख रही थी और सोनू अपनी मां को इस तरह से देखता हुआ पाकर अपने अंदर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,, अपनी मां के मन में क्या चल रहा है यह जानने के लिए सोनू बोला,,,)


क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों देख रही हो,,,?


बाप रे इतना बड़ा मैं तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,, तेरे पापा से भी तगड़ा है,,,(अपनी मां के मुंह से यह बात सुनते ही अपने लंड की तुलना अपने बाप से होता हुआ देखकर सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा और उत्तेजना के मारे उसका लंड ऊपर नीचे होने लगा,,, मानो कि जैसे गहरी सांस ले रहा हो,,,)

क्या सच में,,,,


हारे में बिल्कुल सही कह रही हुं,,,, मेरा तो मन इसको पकड़ने को कर रहा है,,,(और इतना कहने के साथ ही संध्या अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में भर ली,,,, अपने लंड को अपनी मां के हाथ में देखते ही सोनू एकदम से धधक उठा उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,)

सहहहहहह,,,,,,, बाप रे,,,,
(संध्या को अब कुछ सूझ नहीं रहा था वह अपने बेटे के लंड से जी भर कर प्यार करना चाहती थी,,, उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगी हिलाते समय उसका लंड और ज्यादा जानदार लग रहा था,,,, संध्या अपने बेटे के लंड को आगे पीछे करके मुठिया रही थी,,,,मोटे तगड़े अपने बेटे के लंड को देखकर संध्या की आंखों में चमक जाग उठी थी,,, सोनू का लंड अपनी मां के हाथों में आते ही और ज्यादा कड़क हो गया,,,, सोनू अपने मन में ही सोच रहा था कि अगरउसकी मां उसके लंड को मुंह में लेकर चूसती तो और मजा आता,,,और जैसे कि उसके मन की बात उसकी मां ने सुन ली हो इस तरह से अपनी होंठों को अपने बेटे के लंड की तरफ आगे बढ़ाने लगी,,,जैसे-जैसे संध्या आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे सोनु के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, सोनू का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था,,,,,
और देखते ही देखते सोनू को बिना समय दिया संध्या अपनी गुलाबी होठों को खोलकर अपने बेटे की लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,, सोनू पर उसकी मां की तरफ से यह जबरदस्त शारीरिक हमला था जिसके लिए सोनू बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया उसकी सांस अटक गई,,,उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसकी मां एक झटके से उसके लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरु कर देगी,,, क्योंकि आखिरकार वह कोई गैर औरत नहीं बल्कि उसकी मां थी,,,,,, सोनू अपने पिता को संभाल नहीं सका और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फोटो पड़ी,,,,।

सहहहहहह,,,आहहहहहहहह,,,,
(अपने बेटे के मुख से सिसकारी की आवाज सुनते ही संध्या ऊपर नजर करके अपने बेटे की तरफ देखने लगी जो की पूरी तरह से मस्त हो चुका था संध्या अब रुकने वाली बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि उसके हाथों में उसका पसंदीदा खिलौना जो मिल गया था,,,। संध्या को इस बात का एहसास हो गया कि उसके बेटे के लंड का सुपाड़ा उसके पति के लंड का सुपाड़ा उसके पति से काफी बड़ा है,,,,अपने बेटे के लंड को चुसते चुसते संध्या के मन में यह ख्याल भी आ रहा था कि इतना मोटा सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में घुस पाएगा कि नहीं,,,, वो बाद की बात थी,,, इस समय संध्या को बहुत मजा आ रहा था,,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसे अपने बेटे का लंड चूसना पड़ेगा,,,,,,,,

धीरे-धीरे करते हुए संध्या अपने बेटे के लंड को अपने गले तक उतार ले गई गले तक पहुंचते ही संध्या की बुर कलबुलाबुलाने लगी,,,,अपने मन में यही सोच रही थी कि जब गले तक उसका बेटे का नाम क्या मजा दे रहा है तो उसकी बुर की गहराइयों करेगा तो उसे कितना मजा देगा,,,,

और सोनू कभी सपने में भी नहीं सोचा कि उसे अपनी मां का यह रूप देखने को मिलेगा वह चाहे कैसी भी थी लेकिन बिस्तर पर इस तरह से खुली औरत होगी इस बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा था,,, लेकिन सब कुछ भूल कर सोनू लंड चुसाई का मजा ले रहा था,,,।

Sandhya apne bete k lund ko make lekar chusti huyi

आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे,,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह अपनी टी-शर्ट को अपने हाथों से निकाल कर बिस्तर पर फेंक दिया था,,,, क्योंकि वह जानता था भले ही इस खेल में गया था लेकिन फिर भी इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से था कि बिस्तर में औरत के साथ नंगे होकर ही मजा आता है,,,,सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी थी शर्म का पर्दा हट नहीं लगा था वैसे भी अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर संध्या खुद आगे से मर्यादा और रिश्ते नाते की दीवार को गिरा चुकी थी,,,सोनू को बिल्कुल भी हर्ज नहीं था उस दीवार को लांघ कर आगे बढ़ जाने में,,,,,,, इसलिए अपनी तरफ से खुले पन का एहसास दिलाते हुए मदहोशी के आलम में वह अपनी कमर आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया था,,,।चुदाई का बिल्कुल अनुभव और ज्ञान नहीं था लेकिन फिर भी वह जानता था कि चोदने के लिए कमर को आगे पीछे करना पड़ता है और ऐसा करने में सोनू को अद्भुत सुख का अनुभव हो रहा था,,, संध्या मदहोश हुए जा रहे थे उत्तेजित हुए जा रही थी,, उत्तेजित अवस्था में वह अपनी दोनों हथेलियों को अपने बेटे की गांड पर रखकर उसे जोर जोर से दबा रही थी सोनू को भी अपनी मां की हरकत बेहद लुभावनी लग रही थी,,,, कुछ देर तक अपने बेटे का लंडड चुसती रही,,,लेकिन अब वह इस खेल में आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि उसकी बुर में चीटियां रेंग रही थी इसलिए वह,,,, अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल दी,,, उसकी सांस अटक रही थी तो कुछ देर तक अपनी सांसो को दुरुस्त करती रही अपने मन में ही सोचती रही किउसके पति से ज्यादा मजा उसके बेटे के लंड को चूसने में आ रहा था,,,,,,,

घुटनों में फंसे पजामे कोसंध्या अपने हाथों से नीचे करके उसके पैरों में से निकाल दी अब बिस्तर पर दोनों मां-बेटे एकदम नंगे थे ट्यूबलाइट की रोशनी में दोनों के बदन चमक रहे थे अपने बेटे के गठीले मजबूत शरीर को देखकर खास करके उसके मुसल जैसे लंड को देख कर संध्या के मुंह में पानी आ रहा था,,,, सोनू के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह सिर्फ अपनी मां के आदेश का पालन करना चाहता था और वह जानता था कि इसी में उसकी भलाई है,,,।


बाप रे तेरा लंड तो बहुत ताकतवर है,,,, आगे चलकर ना जाने कैसा गुल खिलाएगा,,,,


तुम्हें मजा आया मम्मी,,,,


पूछना कितना मजा आया कि मैं बता नहीं सकती जिंदगी में मुझे ऐसा मजा कभी नहीं मिला,,,,


अब क्या करना है,,,,।


करना क्या है तेरी मेरी मलाई चाटनी,,, जो कि तेरे लंड की वजह से कुछ ज्यादा ही निकल रही है,,,, मलाई चाटने का मतलब जानता है ना,,,,
(मलाई चाटने के मतलब को सोनू समझ नहीं पाया,, इसलिए ना में सिर हिला दिया उसके भोलेपन को देखकर उसकी मां मुस्कुराने लगी मुस्कुराते हुए बोली,,,)


अरे बुद्धू मलाई चाटने का मतलब होता है बुर चाटना,,,
(अपनी मां के मुंह से निकले शब्द सुनकर सोने की निरंतर बढ़ती ही जा रही थी क्योंकि आज तक उसने अपनी मां के मुंह से इस तरह के गंदे शब्द कभी नहीं सुना था और ना तो किसी को जोर से बोलते हुए सुना था,,, इसलिए सोनू के लिए यह सब बिल्कुल नया और अद्भुत था,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

चाटेगा ना मेरी बुर को,,,
(आप औरत के द्वारा इस प्रस्ताव को कोई बेवकूफ ही होगा जो ईंकार कर पाएगा,,, लेकिन सोनू ना हा बोला था और ना ,,,,लेकिन संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की सबसे पसंदीदा चीज क्या होती है इसलिए वो जानती थी उसका बेटा कभी इंकार नहीं कर पाएगा,,,इसलिए वह अपने बेटे का जवाब मिले बिना ही बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई अपनी दोनों टांगों को फैला दी और अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे जोर जोर से मसल कर अपने बेटे को दूसरे हाथ की उंगली से इशारा करके अपने पास बुलाने लगी,,, संध्या की यह हरकत बेहद कामुक और अपने आप में बेहद मादकता से भरी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पोर्न मूवी चल रही है और उसकी मां कोई पोर्न एक्ट्रेस हो,,,,सोनू अपनी मां की माता पिता भरी हरकत से अपने आप को रोक नहीं पाया और घुटनों के बल चलता हुआ उसकी दोनों टांगों के बीच पहुंच गया,,,
सोनू के लिए यह पहला मौका था जब वो किसी औरत की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना रहा था और वह भी खुद की अपनी मां के टांगों के बीच ,,,,यह पल उसके लिए बेहद यादगार साबित होने वाला था उसने कभी नजर भर कर किसी औरत की बुर नहीं देखा था ना उसे छुआ था ना मसला था ना उससे मिलने वाले सुख को कभी महसूस किया था लेकिन आज का दिन आज का ही है पर आज की रात उसके लिए बेहद अतुल्य थी,,,, अपनी मां की पनियाई बुर को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, उससे रहा नहीं जा रहा था और उसकी मां आज भरी नजरों से अपने बेटे को ही देख रही थी,,,, संध्या की कचोरी की तरह फुली हुई बुर बहुत ही खूबसूरत लग रही थी,,, बाल का एक रेशा तक नहीं था एकदम चिकनी बुर थी संध्या की,,, और सोनू ईस बात अच्छी तरह से जानता था कि आज ही उसकी मां ने वीट क्रीम लगाकर अपनी बुर को साफ की है,,,।

सोनू पूरी तरह से तैयार था एक नई दुनिया में कदम रखने के लिए,,,, वह अपने हौसलों को बुलंद कर रहा था क्योंकि यही एक पल थी जब वह अपनी मां पर पूरी तरह से छा जाना चाहता था,,, इसलिए सोनू अपने प्यासे होठों को अपनी मां की दहहती हुई बुर के करीब ले जाने लगा,,, संध्या का बदन कसमसाने लगा,,,, एक अद्भुत पल को वह जीने जा रही थी, एक नए,, एहसास की उत्सुकता उसके तन बदन में बढ़ती जा रही थी,,,

आखिर कार वह पल आ गया जब सोनू के प्यासे होंठ संध्या की बुर पर स्पर्श हो गए,,,, सोनू पागल हो गया पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके होंठ उसकी मां की बुर के बीचोबीच थे,,,, बुर चाटना सोनू को बिल्कुल भी नहीं आता था वह अपनी मां की बुर पर अपने होठों को रगड़ना शुरु कर दिया लेकिन इतने से भी सोनू की उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हो रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,


जीभ निकालकर बेटा,,,,,(संध्या मदहोश होते हुए बोली और सोनू अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी मां की बुर की पतली दरार में डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,, पहले तो सोनू को अपनी मां की बुर के मदन रस का स्वाद थोड़ा कसैला लगा लेकिन धीरे-धीरे वह कैसे रासवाल मीठे फल में बदलता चला गया खारे पन में बदलता चला रह रह कर बुर से निकलने वाले मदन रस का स्वाद बदलता जा रहा था,,,,,,सोनू की हालत खराब होने लगी थी अब सोनु को सिखाने की जरूरत नहीं थी सोनू अच्छी तरह से समझ गया था कि अबक्या करना है,,,क्योंकि मोबाइल में पोर्न मूवी में वह सब कुछ देख चुका था बस उससे अवगत नहीं था,,,,
सोनू मारे उत्तेजना के तड़प रहा था और वह अपनी तड़प अपनी मां की बुर पर निकाल रहा थादेखते ही देखते सोनू जितना हो सकता था उसने अपनी जीभ को अपनी मां की बुर की गहराई में डालकर उसे चाट कर मजा ले रहा था,,, संध्या की हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुर पानी छोड़ रही थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इतने अच्छे से उसकी बुर की चटाई करेगा,,,,


सहहहहह आहहहहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,सोनू मेरे बेटे,,,,,, बस ऐसे ही,,,,,,, ऐसे ही,,,,, जोर जोर से चाट,,,,,,,,बहुत मजा आ रहा है बेटा,,,,,,सीईईईईईईईई,,,,,
आहहहहह,,,,,
(सोनु अपनी मां की बातेऔर उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि वह अपनी मां को इस तरह से खुश कर पाएगा लेकिन उसकी गरम सिसकारी को सुनकर सोनू को विश्वास हो गया कि जो कुछ भी वो कर रहा है वह बिल्कुल सही है,,, इसलिए वह और मस्ती के साथ अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, बेहद मादकता से भरा हुआ,,, यह नजारा था मां अपने कमरे में अपने बिस्तर पर नंगी होकर अपनी दोनों टांगें फैलाकर अपने बेटे को अपनी बुर चटवां रही थी,,,, सोनू से रहा नहीं जा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की बुर के भूगोल से वाकिफ हो चुका हो,,,, इसलिए वह जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर चोदना चाहता था,,,, अपने बेटे की मस्ती भरी बुर चटाई की वजह से संध्या दो बार झड़ चुकी थी,,,,,अब वह भी अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए मचल रही थी तड़प रही थी,,,,इसलिए वह मद भरी गहरी गहरी सांसे लेते हुए बोली,,,,,।


आहहहहहह,,,,, सोनू मेरे बेटे मेरी बुर में खुजली मची हुई है,,,, बिल्कुल भी देर मत कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, में तेरे लंड को अपनी बुर में लेना चाहती हुं,,,,ओहहहहह,,,सोनु,,,,,,,(ऐसा कहते हुए संध्या अपने बेटे के बालों में उंगली घुमाने लगी सोनू को और क्या चाहिए था वह अपनी मां के मुंह से यही सुनना चाहता था,,,, अपने होठों पर अपनी मां की बुर से हटाते हुए वह घुटनों के बल खड़ा हो गया,,,, संध्या की नजर अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड पर पड़ी जो की छत की तरह मुंह उठाए खड़ा था तो उसे देखते ही संध्या के मुंह से आह निकल गई,,,,,)


अब तुझे मालूम है ना क्या करना है,,,,

(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू हां में सिर हिला दिया और संध्या हंसते हुए बोली)

यह तो पता ही होगा,,,,, बस अब शुरू हो जा मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,
(अपनी मां की तडप देखकर सोनू की भी तड़प बढ़ रही थीं,,, वह भी जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मां की बुर में डाल देना चाहता था,,, इसलिए वह घुटनों के बल दो कदम और चलकर अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया,,,, अपने बेटे को अपने करीब आता देखकर संध्या अपनी दोनों टांगों को और ज्यादा फैला दी,,,,, सोनू की नजर अपनी मां की बुर से बिल्कुल भी नहीं हट रही थी,,,, वह एक हाथ से अपने लंड को हिला रहा था,,, उत्तेजना के मारे संध्या का गला सूख रहा था सोनू अपनी मां के बेहद करीब पहुंच कर और अपने दोनों हाथ को अपनी मां की गांड के नीचे की तरफ लाकर उसे हल्के से अपनी तरफ खींचा,,, अब लंड और बुर दोनों आमने सामने थी तकरीबन दो अंगुल की दूरी थी दोनों के बीच सोनू ने अपने लैंड को हाथ से पकड़ कर अपनी मां की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखते हुए वह दूरी भी मिटा दिया,,,,,, लेकिन सोनू के अपनी मां की बुलंद रखते ही संध्या की हालत एकदम से खराब हो गईपल भर गई संध्या को पुरानी यादें ताजा हो गई जब वह पहली बार शादी करके अपने ससुराल आई थी और संजय ने पहली बार अपने लंड को उसकी बुर के ऊपर रखा था ठीक उसी तरह का अनुभव वह इस समय महसूस कर रही थी,,, संध्या का मन एकदम से मचल उठा,,,,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन एकदम से कसमसाने लगा,,,,
सोनू का धैर्य जवाब दे रहा था,,,सोनू अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मां की बुर की पतली दरार के बीचों बीच रखकर ऊपर नीचे करके अपने सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड़ रहा था इससे संध्या की हालत और ज्यादा खराब हो जा रही थी उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी पूछ रही थी और उत्तेजना के मारे वह अपना सर दाएं बाएं पटक रही थीऔर खुद भी कोशिश कर रही थी कि वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले ले इसलिए वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ हल्के हल्के हिलाते हुए उछाल रही थी,,,,

अपनी मां की तरफ देख कर सोनू को उसकी ऊतेजना का एहसास हो रहा था,,,, सोनू से भी रहा नहीं जा रहा था,,,अपनी मां के गुलाबी छेद का अंदाजा उसे अच्छी तरह से हो गया था इसलिए वह अपने सुपाड़े को उस गुलाबी छेद पर टिका कर अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला तो उसका लंड का सुपाड़ा धीरे से उसकी मां की बुर के अंदर सरकने लगा,,,,, इस पर सोनू को अपनी खुशी का ठिकाना ना था,,, वह अपनी कमर को और आगे की तरफ ठेलने लगा,,,,सोनू कैलेंडर का सुपाड़ा काफी मोटा था लेकिन फिर भी उसकी मां की अनुभवी बुर उसे अंदर लेने में सक्षम थी इसलिए अपने बेटे के लंड को अंदर की तरफ सरकता हुआ महसूस करके वह भी अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी काफी उत्तेजित भी,,,,,। वह अपने बेटे का हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,,।

आहहहहह,,,, आहहहहह,,,, बस ऐसे ही बेटा अंदर आने दे और जोर लगा बहुत मजा आ रहा है देखना थोड़ी देर में तेरा लंड मेरी बुर के अंदर होगा और तु मुझे चोद रहा होगा,,,


फिर क्या था अपनी मां की बात सुनकर सोनू का जोश बढ़ने लगा और वह अपनी मां की कमर थाम कर अपने लंड को और तेजी से अंदर की तरफ ठेलने लगा,, देखते ही देखते बुर की चिकनाहट पाकर सोनू का लंड पूरी तरह से संध्या की बुर में समा गया,,,,, सोनू को तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका लंड उसकी मां की बुर की गहराई में पूरा का पूरा घुसश गया है,,,,वह बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था और बुर में घुसा हुआ उसका लंड को देख रहा था उसकी सासे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो वह भी उसी को देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों के होंठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, सोनू समझ गया था कि उसे क्या करना है,,,, वह कमर को आगे पीछे करना शुरू कर दिया था,,,और बड़े गौर से अपनी मां की बुर देख रहा था जिसमें उसका लंड अंदर बाहर हो रहा था,,,, सोनू को यह देख कर बहुत मजा आ रहा था,,, और संध्या को अपने बेटे के लंड बुर की गहराई में महसूस करके आनंद आ रहा था,,,,।

दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी बस दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे,,,, आंखों ही आंखों से बातें हो रही थी,,,,,,, सोनू का लंडउसकी मां की बुर की अंदर की दीवारों में रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था जिससे संध्या की उन्मआदकता और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,, गहरी सांस लेते हुए गरमा गरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,,,


आहहहहहह,,सहहहहहहहह,,,,आहहहहहह,सीईईईईईईईई,,ऊई,,,,, मां,,,,,,ओहहहहहरहहह,,,,,,हाय मर गई रे बहुत मोटा है रे तेरा लेकिन बहुत मजा आ रहा है अब थोड़ा जोर से पेल,,,,,
(इतना सुनते ही सोनू अपनी कमर को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया,,, अब सोनू का लंड बड़ी रफ्तार से बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,। अब बड़े अच्छे से सोनू अपनी मां को चोद रहा था,,,, उसके हर एक धक्के पर संध्या की आह निकल जा रही थी और जितनी जोर से धक्के लगा रहा था उसके बदन के साथ-साथ संध्या की बड़ी-बड़ी चूचियां भी पानी भरे गुब्बारे की तरह छतिया पर इधर-उधर घूम रही थीं,,, जिसे देखकर सोनू का मन ललच रहा था उससे रहा नहीं गया और अब अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की दोनों चुचीयो को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मां की चुची को अपने हाथों से पकड़कर दबा रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था उसे उम्मीद नहीं थी कि चूची दबाने में इतना मजा आता होगा,,,,

kids in distress

संध्या अपने बेटे के मोटे लंड को लेकर पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,उसे आज अपने पति से भी ज्यादा अपने बेटे से चुदवाने मजा आ रहा है,,,,,, सोनू के धक्के पड़े तेजी से चल रहे थे,,,, और देखते ही देखते संध्या की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी वह तीसरी बार झड़ने के कगार पर थी,,, उसका बदन अकड़ रहा था और सोनू अपनी मां की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपना लंड पेल रहा था,,,,, संध्या गरम सिसकारी लेते हुए तीसरी बार भी झडने लगी,,,, संध्या चाहती थी कि यह चुदाई और देर तक चालू रहे लंबी चली लेकिन सोनू का यह पहली बार था इसलिए वह अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया संध्या के ऊपर ही ढेर हो गया,,,।
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
आखिर कर सोनू और संध्या की मेहनत रंग लाई दोनो तरफ लगी आग आज शांत हो गई अब तो धमाकेदार चूदाई होगी उधर सगुण और संजय की भी चूदाई करवा दो
 
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सोनू का यह अनुभव पहली बार का था इसलिए वह ज्यादा देर टिक नहीं पाया था,,,जिस तरह से वह अपनी मां की बुर में धक्के लगा रहा था उसका मन और ज्यादा करने को कर रहा था,,,,अपनी मां की बुर में अपने लंड की रबड़ को महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो रहा था,,,,, लेकिन अपनी मां की बुर की गर्मी उसके ताप को वह ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और बहुत ही जल्द अपनी मां की पुर में पिघल गया,,,,, संध्या गीत इससे ज्यादा की अपेक्षा रखी थी लेकिन वह भी समझ सकती थी कि उसका बेटा पहली बार चुदाई कर रहा था,,,, लेकिन फिर भी इस दौरान उसके बेटे ने उसे 3 बार झाड़ चुका था,,, यही उसके लिए काफी था,,,,

सोनू अपनी मां के चूचियों के बीच मुंह छुपा कर गहरी गहरी सांस ले रहा था,,, संध्या को अपने बेटे पर बहुत प्यार आ रहा था,,, वह अपने बेटे के बालों में ऊंगली घुमाते हुए बोली,,,।


कैसा लगा तुझे,,,


बहुत मजा आया मैं बता नहीं सकता,,,


ईसीको चुदाई कहते हैं,,,(संध्या मुस्कुराते हुए बोली,,,,,) कितना मजा आता है ना जब लंड बुर में जाता है,,,,


बहुत मजा आता है मम्मी,,, तुम्हारी बुर बहुत गर्म है ,,, मैं तो बहुत जल्दी पिघल गया,,,।


चल कोई बात नहीं शुरू शुरू में ऐसा ही होता है,,, लेकिन तुने मुझे तीन बार झाड़ दिया,,,,,,, बहुत मजा आया,,,,


मम्मी अगर यह सब पापा को पता चल गया तो,,,,


कैसे पता चल जाएगा तू बताएगा क्या,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू ना में सिर हिला दिया,,,)

तो फिर कैसे पता चलेगा जब तू नहीं बताएगा मैं नहीं बताऊंगी तो पता कैसे चलेगा,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू मुस्कुरा दिया उसे समझ में आ गया था कि अब यह सिलसिला शुरू हो चुका है,,, सोनू को अपनी मां की नरम नरम बड़ी-बड़ी चूचियां बहुत अच्छी लग रही थी सोनू अपनी मां की छाती पर सिर रखे हुए था,,, और अपनी मां की कड़ी निप्पल को देखकर सोनु सिरहाने गया और वह उसे छूकर दबाने लगा,,,,,,,, और बोला,,,)

मम्मी तुम्हारी निप्पल कितनी खूबसूरत लग रही है,,, एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह,,,,
(अपनी निप्पल की तुलना कैडबरी चॉकलेट से होते ही संध्या हंसने लगी,,,)

हां तो सच कह रहा है एकदम कैडबरी चॉकलेट की तरह लेकिन उसे खाना पड़ता है और इसे मुंह में भर कर पीना पड़ता है,,,,


तो क्या मे ईसे मुंह में भरकर पी सकता हूं,,,,(निप्पल को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में लेकर मसलते हुए बोला,,,)

क्यों नहीं ईसी तरह से तो खेला जाता है,,, औरतों की चूची से मुंह में लेकर किया जाता है दबाया जाता है मसला जाता है ऐसा करने से तुम मर्दों को भी मजा आता है और हम औरतों को भी,,,,


क्या सच में मैंने तुम्हें भी मजा आता है जोर-जोर से दबाने में लेकिन दुखता तो होगा ना,,,,।


दुखता तो है लेकिन दुखने के दर्द से ज्यादा उसे दबाने के बाद जो मजा आता है उसकी अपेक्षा में हर औरत उस दर्द को भूल जाती है और बस मजा लेती है,,,

(सोनू अपनी मां की बात बड़े गौर से सुन रहा था आज उसके सामने उसकी मां संभोग से जुड़े हर एक पहलु को एक-एक करके खोल रही थी मानो जैसे कि वह संभोग की अध्यापिका हो और संभोग की किताब के हर एक पृष्ठ को खोल कर उसे पढ़ा रही हो,,,अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू को बहुत कुछ सीखने को मिल रहा था जो कि इस समय और आने वाले समय में उसके लिए बहुत ही लाभकारी होने वाला था,,,, अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)


तो क्या मम्मी तुम्हें भी मजा आ रहा था जब मैं जोर-जोर से तुम्हारी चूचियों को दबा रहा था,,,


हारे बहुत मजा आ रहा था,,,जब तू धक्के लगाते हुए मेरी चूची को जोर जोर से दबा रहा था तो पूछ मत कितना मजा आ रहा था,,, लेकिन इससे भी ज्यादा मजा तब आता जब तुझसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पीता,,,,,,
(जो सोनु का मन कर रहा था वही बात उसकी मां ने कह दी थी,,,,,, फिर क्या था सोनू अपनी मां की छाती के ऊपर से खड़ा हुआ और बिस्तर पर बैठ कर मैं दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा,,,अपनी मां के चेहरे के बदलते हाव-भाव को देखकर सोनू को अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह सच था,,,,पसीने वाली के चक्कर अपनी मां की निप्पल को मुंह में भर लियाऔर उसे चूसना शुरू कर दिया जैसे कि एक छोटा बच्चा अपनी मां का दूध पीते हुए चुसता है,,, सोनू को मजा आ रहा है आज जिंदगी में दूसरी बार हो अपनी मां की चूची को अपनी मुंह में लेकर पी रहा था एक तब जब वह छोटा बच्चा था और अब जब वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,,,,, मर्दों के मुंह में औरतों की चूची दो ही बार आती है एक तो तब जब वह अपनी भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में लेकर दूध पीता है और दूसरा तब जब वह अपने तन की भूख मिटाने के लिए उसे मुंह में ले कर पीता है,,,,इसमें कोई शक नहीं था कि संध्या को बहुत मजा आ रहा था सोनू धीरे-धीरे इस कला में पारंगत होता जा रहा था वह बारी-बारी से अपनी मां की दोनों चूचियों को मुंह में भरकर जोर-जोर से पी रहा था,,, संध्या की गरम सिसकारी एक बार फिर से पूरे कमरे में गुंजने लगी थी,,,,

संध्या को इस बात से पूरी तरह से राहत था कि इस समय घर में सिर्फ वह और उसका बेटा ही था,,,, इसलिए तो जोर-जोर से सिसकारी की आवाज निकाल रही थी क्योंकि उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी वहां सुनने वाला नहीं था,,, और अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर वह और ज्यादा दीवाना हुआ जा रहा था वह और ज्यादा मदहोश होता चला जा रहा था,,,,,,,,

आहहहहह,,,सईईईईईईईईईईई,,,,, और जोर-जोर से पी और जोर से लगा नीचोड डाल मेरे दूध को,,,,आहहहहह,,, मेरे लाल क्या मस्त दूध पीता है तु,,,,ऊहहहहहहह,,,,,ओहहह मेरे बेटे,,,,,

(सोनू तो अपनी मां की गरम सिसकारी की आवाज और उसकी बातें सुनकर पुरई तरह से जोश में आ गया और वो जितना हो सकता था उतना दम लगा कर अपनी मां की चूचियों को दशहरी आम की तरह दबा दबा कर पीने लगा,,,, संध्या के बदन में खुमारी छाने लगी थी,,,,,, तीन बार पानी छोड़ चुकी संध्या फिर से तैयार हो चुकी थी,,, और यही हाल सोनू का भी था अभी पूरी तरह से उसका लंड ढीला भी नहीं हुआ था कि उस में तनाव आना शुरू हो गया था,,,। कुछ देर तक वह अपनी मां की चूचियों को दबा देना उसे मुंह में भरकर पीता रहा यह सब अनुभव उसे पहली बार मिल रहा था और उसे इतना मजा आ रहा था कि पूछो मत ऐसा लग रहा था कि उसके हाथों में दुनिया भर का खजाना लग गया हो संध्या की आंखें बंद थी उसके तन बदन में चार बोतल का नशा सा छाने लगा था,,, एक बार फिर अपने होश खोने लगी थी सोनू अपनी मां की तरफ देखा तो देखता ही रह गया उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था और उसके लाल लाल होंठ खुले रह गए थे अपनी मां के लाल लाल होठों को रंग देखकर सोनू का मन ललच उठा और वह सूचियों से ध्यान हटा ते हुए अपनी मां के लाल हैं फोटो पर ध्यान केंद्रित करके अपने होठों को अपनी मां के लाल लाल होठों पर रख दिया संध्या की आंखें बंद थी लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसके पूरे बदन में जैसे बिजली सी दौड़ने लगी वह अपनी आंखों को खोल नहीं पाई,,, क्योंकि अपने बेटे की इस मादक हरकत की वजह से वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,सोनू पागल हो गया अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह में भर कर उसके रस को पीने लगा उसे चबाने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे उसमें से मधुर रस टपक रहा हो और उसकी हर एक बूंद को अपने गले में उतार लेना चाहता हो,,,संध्या का हाथ अपने आप ही नीचे की तरफ आ गया और वहां अपने बेटे के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हीलाना शुरू कर दी हालांकि उसकी आंखें बंद थी लेकिन उसे अपने बेटे के लिंग की मोटाई का जायजा अपनी हथेली में बराबर महसूस हो रहा था जो कि कुछ देर पहले ही वह अपनी बुर में लेकर मस्त हो चुकी थी,,, अपनी मां की हरकत से सोनू को भी मजा आने लगा,,, एक और फिर से दोनों मां बेटे तैयार हो चुके थे अगले राउंड के लिए,,,,,
कुछ देर तक वह अपनी मां के होंठों का रस पीता रहा,,,,और जब अपने होठों को अपनी मां के होठों से जुदा किया तो उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रह गया संध्या धीरे से अपनी आंखें खोली तो अपने बेटे को अपने चेहरे की तरफ देखता पाकर एकदम से शर्मा गई यह पहला मौका था जब वह बिस्तर पर अपने बेटे से शर्मा रही थी,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जबकि वो एक बार अपने बेटे से जमकर चुदवा चुकी थी फिर भी उससे ना जाने क्यों शर्माने लगी थी,,,, अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए सोनू मुस्कुराते हुए बोला,,,,


क्या हुआ मम्मी शर्मा क्यों रही हो,,,,


पता नहीं कि मुझे एकदम से शर्म आ गई,,,,


अभी अभी तो तुमने मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाई हो फिर भी,,,,


हारे में भी तो यही सोच रही हूं,,,,(इतना कहकर संध्या मुस्कुराने लगी और सोनू भी तुम सोनू अपनी मां की दोनो टांगों के बीच एक नजर मारता हुआ बोला,,,)

मम्मी मेरा मन फिर कर रहा है कि मैं तुम्हारी बुर को चाटु,,
, Sonu apni ma ki boor chatta hua

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तो चाटना मना किसने किया है ,,,(संध्या एकदम से मदहोश होते हुए बोली,,,,तो फिर क्या था इतना कहते ही समझा एक बार फिर से अपनी दोनों टांगों को अपने बेटे के लिए खोल दि और एक बार फिर से सोनू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया और उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया लेकिन इस बार का स्वाद कुछ अलग था क्योंकि दोनों के गर्म लावे का मिश्रण हो चुका था और उसे जीभ से सोनू चाट रहा था इस बार संध्या को और ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि उसके पति ने कभी भी एक बार अपना पानी उसकी बुर में गिराने के बाद बुर को चांटा नहीं था लेकिन इस बार कुछ नया था उसका बेटा उसकी बुर को चाट रहा था और वह भी अपना पानी गिराने के बाद,,,,, इसलिए संध्या पूरी तरह से जोश से भर गई,,,, कुछ देर तक वह अपने बेटे से चटाई का मजा लेती रही,,,और फिर मदहोश होकर उसे अपने लंड को अपनी बुर में डालने के लिए बोली लेकिन इस बार आसान अलग था तरीका वही था,,, बस कमर को हिलाना और संध्या हाथ की कोहनी और घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में लहराते हुए अपने बेटे की तरफ सरका दी और बोली,,,,)

Sonu अपनी मां की बुर चाट कर झाड दीया

बेटा तुझे पीछे से डालना है,,,


ठीक है मम्मी तुम जहां से बोलोगी मैं वहां से डालूंगा,,,,


मेरा अच्छा बेटा तुझे मेरे बुर का छेद तो दिखाई दे रहा है ना,,,

(सोनू अपना ही खत्म अपनी मां की गांड पर रखकर उसे अंगूठे से हल्का सा फैलाते हुए अपनी मां की गुलाबी बुर के छेद को अच्छी तरह से देखते हुए बोला,,,)


हां मम्मी तुम्हारी फिर मुझे एकदम साफ नजर आ रही है,,,


बस अब तुझे क्या करना है तुझे मालूम ही होगा,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मैं तुम्हें एकदम मस्त कर दूंगा,,,
(इतना कहने के साथ ही वह भी घुटनों के बल खड़ा हो गया,,, और आगे बढ़ कर अपनी मां की गांड के करीब पहुंच गया सोनू ने किसी पोर्न मूवी में देखा था कि मूवी का हीरो हीरोइन की गांड पर जोर जोर से चपत लगाता है,इसलिए अपनी मां की नंगी बड़ी बड़ी गांड को देखकर सोनू का भी मन करने लगा कि वह भी जोर जोर से अपनी मां की गांड पर चपत लगाए,,,, और लगातार दो चार चपत अपनी मां की गांड पर लगा दिया,,,,,,,,,,
संध्या अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करते हुए



आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहा है तू दुखता है,,,,


तुमही तो कह रही थी मम्मी,,,, दुखने के बाद मजा भी देता है,,,


तो ऐसा थोड़ी कही थी कि तू मेरी गांड पर थप्पड़ लगा,,,


क्या करूं मम्मी तुम्हारी बड़ी बड़ी गोरी गोरी गांड मुझे बहुत अच्छी लग रही थी,,,,।


अच्छी लगेगी तो क्या चाट भी लेगा,,,,


हां मम्मी चाट भी लूंगा मुझे तुम्हारी गांड बहुत अच्छी लगती है,,,,

तो चाट के दिखा,,,,
(संध्या का इतना कहना है कि सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया और अपने चेहरे को उसकी गांड के बीचो बीच ले जाने लगा संध्या अपनी नजरों को पीछे घुमा कर अपने बेटे की हरकत को देख रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि उसका बेटा मजाक कर रहा है और वह मजाक में ही बोली थी,,, पर जैसे ही उसे अपनी गांड के भूरे रंग के छेद कर अपने बेटे की जीभ का स्पर्श हुआ वह पूरी तरह से लहरा उठी,,,, उसका तन बदन पूरी तरह से मचल उठा,,,उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह की हरकत करेगा वह सिर्फ इसे मजाक समझ रही थी लेकिन यह बिल्कुल सच था उसका बेटा उसकी गान्ड के बुरे रंग के छेद को से कुरेद कुरेद कर चाट रहा था ,,,पल भर में ही संध्या को इतना मजा आने लगा कि वह अपने बेटे को इनकार नहीं कर पाई उसे रोक नहीं पाई और उसे अपनी गांड चाटने दी,,, संध्या पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी क्योंकि शादी के इतने वर्षों में जो काम संजय में नहीं कर पाया था आज उसके बेटे ने कर दिखाया था संध्या की ख्वाहिश हमेशा से यही रही थी कि उसका पति उसकी गांड को भी चाटेलेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया था ना तो संजय खुद ही उसकी गांड चाटा था ना ही संध्या ने अपने मन की बात उसे बता पाई थी,,,इसलिए अपने बेटे के द्वारा अपने मन की इच्छा पूरी होती देखकर संध्या इंकार नहीं पाई और मज़े लेने लगी वह खुद ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने बेटे के चेहरे पर रगड़ने लगी,,,सोनू अपनी मां की गांड चाटने में इतना मस्त हो चुका था कि उसे बिल्कुल भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह क्या कर रहा है उसे तो बस मजा मिल रहा है,,,,,,
सोनु और संध्या


सोनू की हरकत की वजह से संध्या की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई उसकी इच्छा हो रही थी कि अपने बेटे के लंड को अपनी गांड के छेद में डलवा ले और जिंदगी में पहली बार गांड मरवाने का सुख प्राप्त कर ले,,,लेकिन वह इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ थी कि उसकी बेटी का लंड को ज्यादा ही मोटा था उसकी गांड का छेद अभी छोटा था ना तो उसे गांड मरवाने का कोई अनुभव था इसलिए अपनी इस मन की इच्छा को मन में ही दबा ली,,,, लेकिन अब वह जल्द से जल्द अपने बेटे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए अपने बेटे से बोली,,,।


आहहहहह ,,,,, बस बेटा बस अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है अब तु चोद मुझे,,,,आहहहहहह,,, डाल अपने लंड को मेरी बुर में,,,।

(सोनू के भी लंड की हालत खराब थी,,, उससे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह जल्दी से खड़ा हुआ और उतावलापन दिखाते हुए अपने खड़े लंड को अपनी मां की बुर पर रखकर अपने दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को थाम कर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दिया,,,, और संध्या के मुंह से हल्की सी आ निकली और लंड एक बार फिर से बुर को चीरता हुआ उसके बच्चेदानी से जा टकराया,,,,, एक बार फिर से सोनू का लंड उसकी मां की बुर की गहराई में उतर चुका था,,,, संध्या कसमसा उठी उसका बदन पूरी तरह से लहरा उठा,,,, सोनू धीरे धीरे से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया वह चाहता था कि इस बार वह अपनी मां की चुदाई लंबे समय तक कर सके इसलिए उतावलापन दिखा नहीं रहा था लेकिन फिर भी जोश में आकर रह रहे कर दो चार धक्के बड़ी तेजी से लगा दे रहा था,,, जिससे संध्या को मजा के साथ साथ उसका जोश भी बढ जा रहा था,,,, जिससे वह अपने बेटी का हौसला बढ़ाते हुए जोर जोर से बोल रही थी,,,,।

आहहहहह आहहहहह,,,,बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगालबहुत मजा आ रहा है ,,,आहहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरे बच्चे बहुत मजा आ रहा है जोरों का ठोकर लग रहा है मेरी बुर के अंदर,,,,,,ऊममममममम,,,, सससहहहहहह,,,,,,,


आहहहहह,,,,आहहहह,,,, मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मम्मी क्या मस्त बुर है तुम्हारी,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,,, क्या मस्त गांड है मम्मी तुम्हारी (अपनी मां की गांड पर जोर से चपत लगाते हुए) ऐसी गांड मैंने जिंदगी में नहीं देखा बहुत मस्त है,,,,ओहहहहह,,,,


चोद मुझे,,,, चोद मुझे मेरे बच्चे ,,,,मेरे बेटे चोद मुझे आहहहहहह,,,, बहुत मोटा लंड है तेरा तेरे पापा से भी ज्यादा दमदार है,,,,आहहहहहह,,,,।
(सोनू अपनी लंड की तुलना अपने पापा से होता हुआ देखकर और ज्यादा जोश में आकर क्योंकि उसकी मां अपने पति से ज्यादा अहमियत अपने बेटे के लंड को दे रही थी इसलिए सोनू का जोश दुगुना हो चुका था और वह जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया था संध्या की दोनों चूचियां पके हुए पपैया की तरह हवा में झूल रही थी,,, जिसे सोनू अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया और उसे जोर जोर से दबाने लगा और यही अदा संध्या को और ज्यादा मस्तीखोर बना रही थी वह अपनी बेटी की सरकार से और ज्यादा जोश में आ गई थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के लंड के ठाप का जवाब देते हुए जोर-जोर से पीछे की तरफ ठेल रही थी,,,,

सोनू के धक्के इतनी तेज थी कि पूरा पलंग चर मरा रहा था,,, यह बिस्तर संध्या के चुदासपन की निसानी थी,,, जिस पर वह बरसों से अपने पति के साथ और अब अपने बेटे के साथ चुदाई का मज़ा लुट रही थी,,,,,,

संध्या की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी वो झड़ने वाली थी,,,,

आहहहहह,,,,आहहहहहह,,,, मेरा निकलने वाला है मैं झड़ने वाली हूं और जोर से धक्के मार,,,और और जोर से और जोर से,,,,,,

(इतना सुनते ही सोनु समझ गया और अपने धक्कों की रफ़्तार को और तेज कर दिया देखते ही देखते हल्की चीख के साथ संध्या का पानी निकल गया और कुछ धक्कों के बाद सोनू भी अपना पानी अपनी मां की बुर में निकाल दिया,,,, दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर चुके थे,,,,

दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे ही कब सो गए दोनों को पता नहीं चला,,,, सुबह- जब आंख खुली तो संध्या अपने आपको अपने बेटे की बाहों में पाई और औपचारिक रूप से अपने बेटे के खड़े लंड को अपने गांड पर महसूस करके वह एक बार फिर से चुदासी हो गई,,, अपने बेटे को बिना जगाए वह अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,संध्या की हरकत की वजह से सोनू की भी नहीं खुल गई लेकिन अपनी मां को अपने पर झुका हुआ था करवा कुछ बोल नहीं पाया उसे भी मजा आ रहा था,,, लेकिन इस बार संध्या पूरा चार्ज अपने हाथ में ले ली थी और अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर अपने बेटे के लंड पर सवार हो गई,,, सोनू के लिए यह आसन भी बिल्कुल नया था देखते ही देखते संध्या ने अपने बेटे की लंड को अपने बुर की गहराई में छुपा ली और अपने बेटे के लंड पर उठक बैठक करने लगी,,, सोनू को बहुत मजा आ रहा था और यह अनुभव सोनू के लिए बिल्कुल नया था,,,, थोड़ी देर में एक बार फिर से दोनों चरम सुख को प्राप्त कर लिए,,,।


दूसरी तरफ सुबह होते ही शगुन की नींद खुली तो वह बिस्तर से उठ कर कमरे में ही बने अटैच बाथरूम में चली गई,,, रात को जब वह दोनों होटल पर पहुंचे थे तो खाना खाकर सो गए थे दोनों ने एक ही कमरा बुक कराया था एक ही बिस्तर पर दोनों दिन भर की थकान की वजह से आराम से सो गए थे,,,, बाथरूम के दरवाजे की आवाज से संजय की नींद खुल गई तो उसने पाया कि बिस्तर पर उसकी बेटी सगुन नहीं थी जो कि बाथरूम में गई थी,,, पर थोड़ी देर में उसके कानों में बाथरूम से आ रही सीटी की आवाज सुनाई देने लगीऔर इस आवाज को संजय भली-भांति जानता था उसे समझते देर नहीं लगी की बाथरूम के अंदर उसकी बेटी पेशाब कर रही है,,,।
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
सोनू और संध्या में जबरदस्त चूदाई हुई मजा आ गया दूसरी तरफ सगुण और संजय दोनो में आग लगी है अपनी बेटी को बाथरूम मे पेसाब की आवाज सुनकर उसका बुरा हाल हो रहा है अब तो उन दोनो की भी दमदार चूदाई करवा दो:sex::sex::sex::sex:
 

NEHAVERMA

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बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
सोनू और संध्या में जबरदस्त चूदाई हुई मजा आ गया दूसरी तरफ सगुण और संजय दोनो में आग लगी है अपनी बेटी को बाथरूम मे पेसाब की आवाज सुनकर उसका बुरा हाल हो रहा है अब तो उन दोनो की भी दमदार चूदाई करवा दो:sex::sex::sex::sex:
m bhi isi ka wait kar rahi hu, bas jaldi se ho jaye to un dono ko bhi sukun aaye, shayad shagun ko jyada jarurat h.
 

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m bhi isi ka wait kar rahi hu, bas jaldi se ho jaye to un dono ko bhi sukun aaye, shayad shagun ko jyada jarurat h.

Ho gaya hai unka khela
 

Sanju@

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सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।

सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर‌ रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,

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थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,

कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,

संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।


आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,

उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,


यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,



संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,



अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,

शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।

उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)

कितना बज रहा है,,,


6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,


ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।

संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,।
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है संजय की तो हालत खराब हो गई अपनी बेटी को पूरी नंगी देखने में सगुण को अपने पापा को तडपाने में मजा आ रहा है
 
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Sanju@

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शगुन अपना एग्जाम बड़े अच्छे से दे पाई,,,,, लेकिन सुबह की बात याद करके वह दिन भर परेशान हो रही थी,,, वह अपने मन में बार-बार यही सोच रही थी की उसके पापा ने उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख लिया तभी तो उनका लंड खड़ा हो गया था जिसे बाथरूम में जाते-जाते शगुन अपनी आंखों से अपने पापा के पजामे में बने तंबू को देख ली थी,,,। और यह सब उसके नंगे बदन के कारण हुआ था यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, सुबह-सुबह जो हरकत उसने अपने पापा की आंखों के सामने की थी उससे वह बहुत खुश थी और उत्तेजित भी,,, शकुन पहली बार इस तरह की हरकत की थी और वह भी अपने पापा की आंखों के सामने और अपने पापा के लिए इससे उसका रोमांच कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था,,,। सगुन अब पीछे हटने वाली नहीं थी,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने चोरी-छिपे खिड़की से देखें जाने वाला वह दृश्य उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था,,,, जब वह अपने मम्मी पापा को चुदाई करते हुए देख रही थी,,,। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि क्या नजारा था,,। जब उसके पापा का बम पिलाट लंड उसकी मां की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था,,,, उस नजारे को ईस समय याद करके सगुन की पेंटी गीली होने लगी थी,,,। वह कभी नहीं सोची थी कि अपनी आंखों से उसे अपनी मां की चुदाई देखने को मिलेगी और उसी नजारे को देख कर उसके तन बदन है उसी समय से कुछ कुछ होने लगा था जब भी वह कभी अपने पापा के नजदीक होती तो उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी बार-बार अपने पापा की मौजूदगी में उसे अपने पापा का मोटा तगड़ा लंड नजार‌ आता था,,,,,,

एग्जाम हो चुकी थी वह कॉलेज से बाहर निकल कर पार्किंग में खड़ी होकर अपने पापा का इंतजार कर रही थी जो कि,,, वहां मौजूद थे इसलिए सगुन फोन करके अपने पापा को वहां बुला ली,,,,।


एग्जाम हो गया,,,


हां पापा,,,


कैसा गया पेपर,,,,


बहुत अच्छा उम्मीद से भी कहीं अच्छा,,,


मुझे पूरा विश्वास था कि तुम्हारा पेपर बहुत अच्छा होगा,,,,(ऐसा कहते हुए संजय अपनी बेटी के खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक नजर दौड़ा कर देखने लगा जो कि सलवार सूट में बहुत खूबसूरत लग रही थी खास करके उसकी कसी हुई सलवार जिसमें से उसकी मोटी मोटी जांगे और उभरती हुई गांड साफ नजर आ रही थी,,, लड़कियों को, कपड़ों के ऊपर से भी देखने का मर्दों का एक अलग नजरिया होता है कपड़ों में भी औरतें कुछ ज्यादा ही सेक्सी लगती है जो कि यहां पर सगुन के पहरावे को देख कर संजय की उत्तेजना बढ़ रही थी,,,, वैसे तो संजय के दिमाग में सुबह वाला वह खूबसूरत ऊन्मादक नजारा ही घूम रहा था,,,,, जिसमें उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी,,,। दोनों गाड़ी में बैठ गए थे और संजय गाड़ी को पार्किंग में से निकालकर सड़क पर दौड़ाना शुरू कर दिया था,,,, अपने पापा का साथ सगुन को ना जाने क्यों उत्तेजित कर देता था,,,,, अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, संजय का ईमान डोल रहा था बाप बेटी के बीच की मर्यादा की दीवार को वह अपनी कल्पना में ध्वस्त होता हुआ देख रहा था,,,,जिस तरह का नजारा देखकर वह उत्तेजित हो जाता था और अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे देखते हुए उसे लगने लगा था कि वह रिश्ते की डोर के आगे कमजोर पड़ जाएगा,,,,,, उसे यह सब बहुत गंदा भी लग रहा था और उत्तेजना पूर्ण भी लग रहा था,,,दोनों के पास समय काफी का इसलिए दोनों इधर-उधर घूमते रहे शहर काफी सुंदर था घूमने में उन दोनों को बहुत मजा आ रहा था लेकिन दोनों के मन में कुछ और ही चल रहा था दोनों से तो बाप बेटी लेकिन घूमते समय ना जाने क्यों एक दूसरे को प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे इसका एक ही कारण था दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण,,,,,,,,,,

रात के 8:00 बज गई दोनों होटल पर पहुंच गए और डिनर करने लगे,,, होटल का स्टाफ दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे,,, क्योंकि संजय की कदकाठी और शरीर का गठन बहुत अच्छा था जिसमें वह उम्र वाला बिल्कुल भी नहीं लगता था,,,,,,,

खाने का बिल चुकाते समय काउंटर पर एक लेडी बैठी हुई थी जो कि कलेक्शन करने के बाद संजय को नाइस कपल कहकर संबोधित की जो कि शगुन भी पास में ही थी यह सुनते ही सगुन का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया,,, और संजय भी भौचक्का रह गया संजय को तो अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था वह चाहता था उस लेडी को अपने रिश्ते के बारे में बता सकता था लेकिन वह खामोश रहा न जाने कि उसका मन कह रहा था कि होटल के लोग जो कुछ भी समझते हो उससे उसे बिल्कुल भी परेशानी नहीं है,,,,। बिल चुकाने के बाद संजय और शगुन अपने कमरे की तरफ जाने लगे तो शगुन हंसने लगी,,, शगुन को हंसता हुआ देखकर संजय बोला,,,।

क्या हुआ हंस क्यों रही हो,,,,?


हंसने वाली तो बात ही है पापा,,,,


क्यों,,,?


क्योंकि वह लेडी हम दोनों को कपल समझ रही थी,,,,,


तो क्या हम दोनों लगते नहीं है क्या,,,,(संजय को यही मौका था अपनी बेटी के साथ फ्लर्ट करने का,,, वह जानना चाहता था कि वह उसकी बेटी को कैसा लगता है,,, पहले तो सगुन अपने पापा की यह बात सुनकर आश्चर्य से देखने लगी फिर हंसते हुए बोली,,,)


लगते हैं ना क्यों नहीं लगते,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ अपने पापा के हाथ के अंदर डालकर उन्हें पकड़कर चलने लगी,,, अपनी बेटी की हरकत पर संजय के तन बदन में आग लग गई,,,) तुम तो अभी भी एकदम जवान लगते हो पापा,,,(इतना कहने के साथ ही शगुन हंसने लगे तो उसे हंसता हुआ देखकर संजय फिर बोला,,,)


तुम मुझे बना रही हो ना,,,(कमरे का दरवाजा खोलते हुए)


नहीं तो बिल्कुल भी बना नहीं रही हूं,,,, तुम सच में काफी हैंडसम हो पापा,,,, तुम्हारा कसरती बदन एकदम सलमान खान की तरह है,,,,(वह अपने हाथों से अपने पापा के कोट को उतरते हुए बोली,,, संजय को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था,,,,)

सलमान खान तो हीरो हैं,,,।


लेकिन तुम मेरे हीरो हो,,,,(सगुन अपने पापा की आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,, संजय की बोलती एकदम बंद हो गई थी अपनी बेटी की बातों से उसे इतना तो पता चल रहा था कि उसकी बेटी को वह अच्छा लगता था,,, उसका कसरती जवान बदन अच्छा लगता था,,,, इसलिए अपनी बेटी की बातों को सुनकर वह उत्तेजित होने लगा था,,,। उसके पेंट का आगे वाला भाग उठने लगा था लेकिन ना जाने क्यों संजय उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बेटी की नजर उस पर पड़े,,, और ऐसा ही हुआ शगुन की नजर उसके पापा के पेंट के आगे वाले भाग पर पड़ गई जोकि धीरे-धीरे अपने उठान पर आ रहा था,,, पेंट के अंदर उसकी जवानी की गर्मी बढ़ती चली जा रही थी,,,, अपने पापा के पेंट के आगे वाले भाग को उठता हुआ देखकर सगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, ऐसा नहीं था कि उसका मन अपने पापा के नंगे लंड को देखने के लिए तड़प ना रहा हो,, वह बेहद उतावली और उत्सुक थी अपने पापा के लंड को देखने के लिए लेकिन अपने मुंह से कैसे कह सकती थी कि पापा मुझे अपना लंड दिखाओ,,, वह तो उन हालात का इंतजार कर रहे थे जब इंसान खुद मजबूर हो जाता है वह सब करने के लिए जो एक मर्द और औरत के बीच होता है,,,, इसलिए वहां से कपड़े चेंज करने का बहाना करके वह बाथरूम में चली गई,,,, लेकिन इस बार साथ में कपड़े भी लेती गई,,, संजय पैंट के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,,, अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा वजह सोचने लगा कि अगर घर से दूर दूसरे से मेरे में होटल की इस कमरे में उन दोनों के बीच वह हो जाए जो होना नहीं चाहिए तो क्या होगा,,, वह सारी शक्यताओ के बारे में विचार करने का था उसे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा वह अपने आप को दिखाने लगा कि वह अपनी बेटी के बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है,,,,। नहीं नहीं अब वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,,,, वह अपने मन में यही सोच कर कसम खाने लगा कि अब ऐसा कभी नहीं करेगा लेकिन तभी उसके कानों में एक बार फिर से सु सु की सीटी की आवाज भूख नहीं लगी और जो कुछ भी अपने आप को रोकने के लिए कसमें खाया था वह सब कुछ धुंधलाता हुआ नजर आने लगा,,,, और एक बार फिर से वह अपनी बेटी की बुर से निकल रहे सिटी की आवाज के मदहोशी में पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,,

शगुन को भी पेशाब करते समय अपनी बुर से निकल रही सीटी की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज निकलते हुए सुनाई दे रही थीशकुन को इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बुर से निकलने वाली सीटी की आवाज उसके पापा के कानों मे जरूर पहुंच रही होगी,,,, यह एहसास शगुन को पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,,,, बाहर बिस्तर पर बैठे संजय की हालत तो खराब होने लगी थी वह अपनी बेटी को पेशाब करते हुए देखना चाहता था,,,, इसलिए वह बिस्तर पर से उठा हूं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होकर की होल से अंदर की तरफ झाकने लगा,,,, और उसकी मेहनत रंग लाई की होली में से उसे बाथरूम के अंदर का नजारा साफ नजर आने लगा क्योंकि अंदर लाइट जल रही थी,,,, पल भर में ही संजय का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,,,संजय को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बेटी सामने दीवाल की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसकी गोलाकार नंगी गोरी गांड,,, उसे साफ नजर आ रही थी,,,हालांकि उसने अपनी बेटी को सुबह-सुबह ही एकदम नंगी देख चुका था,,,, लेकिन फिर भी इस समय के हालात और माहौल दोनों अलग था,,, उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने पेशाब करने बैठे थे जो कि सदन को इस बारे में पता नहीं था लेकिन उसे अपने बाथरूम के दरवाजे पर कुछ आहट जरूर हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके पापा बाथरूम के दरवाजे के करीब आए हो और की होल से देख रहे हो,,,,,लेकिन उसका यह शक यकीन में बदल गया जब उसे बाथरूम के दरवाजे पैरों से लगने की आवाज सुनाई दी जो कि उसके पापा के पैरों से अनजाने में ही लग गई थी और वह बहुत संभाल कर की होल में से अंदर झांक रहा था,,,, यह एहसास से ही उसका रोम-रोम झनझना उठा था,,, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक पल को तो वह अपने बदन को छुपाने की कोशिश करने ही वाली थी लेकिन अगले ही पल,,, उसके दिमाग की बत्ती जलने लगी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी अपने मन में सोचने लगी आज इसी बाथरूम में अपने पापा को अपने बदन का हर एक हिस्सा दिखाएंगी,,,, इसलिए वह वहां से उठी नहीं,,, और पेशाब करती रही हालांकि पेशाब कर चुकी थी लेकिन फिर भी वह एक बहाने से अपने पापा को अपनी सुडोल गांड के दर्शन जी भर कर कराना चाहती थी,,,, इसलिए पेशाब करते समय वह अपनी उभरी हुई गांड को बाथरूम के दरवाजे की तरफ उभारने लगती थी,,, और सब उनकी यही अदा संजय के दिल पर बिजलीया गिरा रही थी,,, इस तरह के बहुत से मादक नजारे संजय अपनी आंखों से ना जाने कितनी बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में बात ही कुछ और थी,,,, यह नजारा किसी भी उम्र के मर्दों के बदन में जोश बढ़ा देने के लिए काफी था,,,।

और वैसे भी सुकून किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं लगती थी पूरा बदन एकदम गोरा मक्खन की तरह था,,, एकदम तराशा हुआ,, उभार वाली जगह पर एकदम नापतोल कर उभार बना हुआ था,,, अंगों का मरोड़ जैसे किसी शिल्पी कार ने अपने हाथों की करामात दिखाई हो,,, अद्भुत बदन की मालकिन थी सगुन और उसके लिए पहला मौका था जब अपने नाम के भजन क्यों किसी मर्द को किसी मर्द को क्या अपने ही बाप को दिखा रही थी और धीरे-धीरे उसे ध्वस्त कर रही थी अपनी बेटी की मदमस्त जवानी को देखकर संजय का किला ध्वस्त होता हुआ नजर आ रहा था,,,, वह इस समय बिल्कुल भी भूल चुका था कि वह एक बात है उस बेटी का जो बाथरूम के अंदर पेशाब कर रही है संजय सब कुछ भूल कर बस इतना ही जानता था कि बाथरूम के अंदर जो पेशाब कर रही है वह एक औरत है और बाहर खड़ा वह एक मर्द,,,,

शगुन पेशाब कर चुकी थी,,, लेकिन फिर भी बैठी रहीक्योंकि वह अपनी मदहोश कर देने वाली जवानी अपने पापा को जी भर कर दिखाना चाहती थी,,, बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच जो कि अभी पूरी तरह से खीली नहीं थीउसने फंसी अपनी पेशाब की बुंदो को पूरी तरह से नीचे गिरा देने के लिए वह अपनी गोलाकार गांड को झटके देकर उसे नीचे गिराने लगी लेकिन उसकी यह हरकत संजय की हालत को और ज्यादा खराब कर रही थी,,,अपनी बेटी की हिलती हुई गांड को देखकर संजय का मन कर रहा था कि इतने बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाएऔर उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ ले,,,, लेकिन यह मुमकिन नहीं था,,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि किसी तरह से और ज्यादा अपने लगने बदन की नुमाइश बाथरूम में की जाए और बाथरूम के बाहर खड़े उसके पापा इस नजारे को देखें तो शायद जिस तरह से उसके पापा का लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होता था आज की रात उसकी बुर की किस्मत खुल जाए,,,। और इसीलिए वहा खड़ी हो गई लेकिन अपनी सलवार को ऊपर करने की जगह उसे नीचे करने लगी और देखते ही देखते वह अपने सलवार को उतार दी,,,, संजय का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,। उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी,,,, सलवार उतारने के बाद वह अपनी कमीज उतारने में बिल्कुल भी समय नहीं ली और उसे उतारकर हेंगर पर टांग दी,,,,।

बाथरूम में वो केवल ब्रां और पेंटिं में खड़ी थी संजय की उत्तेजना बेकाबू होती जा रही थी,,, शगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पापा सब कुछ देख रहे हैं,,,।इसलिए अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी जो कि सुबह-सुबह हम अपनी ब्रा का हुक लगाने में जानबूझकर देरी कर रही थी,,, उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी,,, संजय से सब्र नहीं हो रहा था मैं जानता था कि उसकी बेटी ब्रा उतार रही है और ब्रा उतारने के बाद उसके दोनों अमरूद एकदम आजाद हो जाएंगे जिसे देखने के लिए उसका मन मचल रहा था,,,, देखते ही देखते सगुन अपनी ब्रा उतार कर उसे भी हैंघर पर टांग दी,, कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन उसके नंगे पन को पूरी तरह से नंगा करने के लिए अभी भी पेंटिं को उतारना जरूरी था जिस पर उसकी दोनों नाजुक उंगलियों को देखते ही संजय का दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगा,,,,और वह अपनी नाज़ुक ऊंगलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे अपनी पेंटिं को नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,जैसे-जैसे पेंटिं नीचे की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसकी गोलाकार गांड और ज्यादा उजागर होती जा रही थी,,,, देखते ही देखते शगुन,,, अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अच्छी तरह से चाहती थी कि बाथरूम के कीहोल से उसके पापा अंदर की तरफ देख रहे हैं लेकिन वह बिल्कुल भी यह जताना नहीं चाहती थी कि उसे सब कुछ पता है वह अनजान बनी रही,,,।

बाथरूम के अंदर शगुन पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और अपनी बेटी को नंगी देखकर उसकी गोल-गोल गांड को देखकर संजय का लंड बावरा हुआ जा रहा था,,, जिसे वह बार-बार पेंट में दबा रहा था,,,, शगुन सामने से अपनी चुचियों का और अपनी बुर अपने पापा को दिखाना चाहती आमने सामने होती तो शायद इतनी हिम्मत नहीं दिखा पाती लेकिन इस समय वहां बाथरूम के अंदर अंजान थी अनजान बनने का नाटक कर रही थी,,, इसलिए उसके लिए यह सब करना कोई मुश्किल काम नहीं था,,,, इसलिए गीत गुनगुनाते हुए वहा दरवाजे की तरफ घूम गई और संजय सामने से अपने बेटी के नंगे हुस्न को देखकर पूरी तरह से मचल उठा,,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड पानी छोड़ते छोड़ते बचा था,,,,,, सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी संजय ने इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव बरसों बाद कर रहा था,,,,,, उसके लिए सगुन का हुस्न मदीना का काम कर रहा था जिसकी नशे में वह पूरी तरह से लिप्त हो चुका था,,,,।

संजय को यकीन तो पूरा था लेकिन कभी अपनी आंखों से भरोसा करने लायक ज्यादा कुछ देखा नहीं था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने सब कुछ साफ था सगुन की दोनों चूचियां,,, कच्चे अमरूद की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रहे थे चिकना पतला पेट बीच में गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर से कम नहीं थी,,, और चिकनी सुडोल जांघें मक्खन की तरह नरम जिस पर संजय का ईमान फिसल रहा था,,,।
और सबसे ज्यादा बेशकीमती अतुल्य खजाना उसकी दोनों टांगों के बीच छुपी हुई थी मानो कि जैसे संजय को अपनी तरफ बुला रही हो,,,, संजय तो अपनी बेटी की बुर को देखकर देखता ही रह गया उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कोई बुर इतनी खूबसूरत हो सकती है,,, संजय का मन उसमें अपनी जीभ डालने को उसकी मलाई को चाटने को कर रहा था,,,, मन बेकाबू हो कर रहा था जिस पर संजय का बिल्कुल भी काबू नहीं था और बाथरूम के अंदर शगुन उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके पापा उसके नंगे बदन को देख रहे हैं,,,,


अपने पापा की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने के लिए और तूने और ज्यादा तड़पाने के लिए शगुन जानबूझकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे रगड़ कर अपनी हथेली से सहलाने लगी संजय का दिल तड़पता संजय का मन कर रहा था कि अभी अपने पेंट से लंड को बाहर निकाल कर मुट्ठ मार ले,,,,, संजय की आंखें बाथरूम के कि होल से बराबर टिकी हुई थी,,,ऐसा लग रहा था कि अंदर का एक भी नजारा वह चूकना नहीं चाहता था,,,,।

शगुन बाथरूम के अंदर चल रही इस फिल्म को और ज्यादा बड़ा नहीं चाहती थी इसलिए ढीला ढीला सा पाजामा पहन ली लेकिन पैंटी नहीं पहनी यह देखकर संजय का दील उछलने लगा,,, और इसके बाद एक टी-शर्ट पहन ली और वह भी ब्रा पहने बिना,,,,संजय के तो पसीने छूट रहे थे वह साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी बेटी कपड़ों के अंदर ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही पेंटिं,,, किसी भी वक्त सगुन बाथरूम से बाहर आने वाली थी इसलिए संजय तुरंत खड़ा हुआ और बिस्तर पर जाकर बैठ गया और कॉफी का ऑर्डर कर दिया,,,,

बाथरूम से निकलने के बाद ढीले पजामे और टीशर्ट में शगुन बेहद कामुक लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में पानी आ रहा था,,,,।

कपड़े बदल‌ ली,,

हां पापा,,, सोते समय मुझे ढीले कपड़े पसंद है,,,, तुम भी जाकर बदल लो,,,,

ठीक है,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजय बाथरूम में कुछ किया और अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके मुठ मारने लगे शगुन का मन कर रहा था कि जिस तरह से उसके पापा की होल से सब कुछ देख रहे थे वह भी बाथरूम के अंदर के नजारे को देखेंलेकिन उसकी हिम्मत नहीं है क्योंकि उसे पता चल गया था कि उसके पापा की ओर से सब कुछ देख रहा है और उसे डर था कि कहीं उसके पापा को पता चल गया कि वह सब कुछ देख रही है तो,,, इसीलिए वह हिम्मत नहीं जुटा पाई,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों कॉफी की चुस्की लेने लगे,,,, देखते ही देखते दस बज गया था,,, दोनों सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि दूसरे दिन भी एग्जाम देने जाना था,,,, एक ही बिस्तर पर दोनों सोने लगे लेकिन दोनों की नींद गायब थी,,,, संजय का मन आगे बढ़ने को कर रहा थालेकिन उसे डर लग रहा था हालांकि इस तरह से हुआ ना जाने कितनी लड़कियों के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था लेकिन आज बिस्तर पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी खुद की बेटी थी जो कि खुद यही चाहती थी कि उसके पापा आगे बढ़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था दोनों के मन में डर था,,,, धीरे-धीरे ठंडक बढ़ती जा रही थी,,,, और दोनों एक ही चादर के अंदर अपने मन पर काबू रख कर संजय सो चुका था रात के 12:00 बज रहे थे लेकिन सगुन की आंखों से नींद गायब थी,,,, वह किसी भी तरह से चुदवाना चाहती थी उसकी बुर बार-बार गीली हो रही थी,,, उसकी पीठ उसके पापा की तरफ थी,,,, उसे ठंड भी लग रही थी,,, इसलिए वह चादर के अंदर पीछे की तरफ सरक रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी गांड मचल रही थी अपने पापा के लंड को स्पर्श करने के लिए,,,, और पीछे सरकते सरकते उसकी गोलाकार गांड संजय के आगे वाले भाग से स्पर्श हो गई,,,, शगुन की हालत खराब होने लगी,,,, लेकिन ऐसा करने पर अपने बदन में गर्माहट महसूस करते ही संजय की नींद खुल गई और अपने लंड से अपनी बेटी की गांड सटी हुई देखते ही उसके होश उड़ गए लेकिन वह कुछ बोला नहीं उसी तरह से नींद में रहने का नाटक करने लगा,,,,,
सगुन अपनी गांड को और पीछे की तरफ ला रही थी,, अपनी बेटी की हरकत से संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, और देखते ही देखते बड़ी मुश्किल से सोया हुआ उसका लंड पजामे में धीरे-धीरे मुंह उठाने लगा सांसों की गति तेज होने लगी,,,, लेकिन अभी तक शगुन को अपने पापा के मोटे खड़े लंड का एहसास नहीं हुआ था लेकिन जैसे ही वह पूरी तरह से अपनी औकात में आया तो शगुन को अपनी गांड में कुछ कडक चीज चुभती हुई महसूस हुई और वह मारे खुशी के मारे और ज्यादा उत्तेजित होने लगी,,,, संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,, सगुन को अपने पापा का लंड मोहक और बेहद उत्तेजना से भरा हुआ लग रहा था,,, सगुन को अपने पापा के लंड पर अपनी गांड को रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था,,,। धीरे-धीरे उसकी सांसे तेजी से चलने लगी थी वह यह बात भी घूम रही थी कि उसकी हरकत से उसके पापा की नींद खुल सकती है शायद वह आज अपने मन में ठान ली थी कि जो भी होगा देखा जाएगा क्योंकि इस बात का अंदाजा उसे दिखाकर उसके पापा कि उसे चोदना चाहते हैं वरना बादल के की होसेस के नंगे बदन को देखने की कोशिश और हिम्मत बिल्कुल भी नहीं करते हो सुबह-सुबह सोए रहने का नाटक करके उसके नंगे पन का रस अपनी आंखों से पी नहीं रहे होते,,।सगुन यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी होगा अच्छा ही होगा सब कुछ उसके ही पक्ष में होगा,,,। इसलिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश जारी रखे हुए वह अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के आगे वाले भाग पर रगड़ रही थी,,,

सगुन की हरकत बिजलीया गिरा रही थी वह बड़ी मुश्किल से अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए था लेकिन अब सफेदाबाद टूटता हुआ नजर आ रहा है उसे यकीन हो चला था कि उसकी बेटी को क्या चाहिए क्योंकि वह जमाना घूम चुका था देख चुका था औरतों को कब क्या चाहिए वह भली भांति जानता इसलिए वह अपना एक हाथ आगे की तरफ लाकर उसे सीधे अपने बेटी के कमर पर रख दिया,,, शगुन के तन बदन में हलचल सी उठने लगी उसे पता चल गया था कि उसके पापा की आंख खुल चुकी है नींद गायब हो चुकी है वह कुछ बोली नहीं क्योंकि वह भी यही चाहती थी धीरे-धीरे उसके पापा अपने हाथ को उसके चिकने पेट पर लाकर धीरे-धीरे ऊपर बढ़ाने लगेगा अगले ही पल संजय का दाया हाथ शगुन की टी-शर्ट के अन्दर घुसकर उसके दोनों फड़फड़ाते कबूतरों पर पहुंच गए,,, और संजय से रहा नहीं गया वह अपनी मुट्ठी में अपनी बेटी के एक कबूतर को दबोच लिया,,,, और जैसे उस कबुतर की गर्दन उसके हाथों में आ गई हो और वह छूटने के लिए फड़फड़ा रही हो इस तरह से शगुन के मुंह से आहहह निकल गई,,,।

आहहहहहह,,,,,
(लेकिन इस आह में दर्द से ज्यादा मिठास भरी हुई थी आनंद भरा हुआ था संजय को रुकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे,,, और संजय भी मजा हुआ खिलाड़ी था,,, वह इतने आसानी से आए हुए बाजी को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह लगातार अपनी बेटी के दोनों चूची को,,, दबाने लगा मसलने लगा अपने पापा की हरकत की वजह से सगुन की हालत खराब हो रही थी उसे मजा आ रहा था पहली बार उसकी चूचियां किसी मर्दाना हाथ में थी,,, जो मन लगाकर उनसे खेल रहा था,,,, सगुन बिना रुके अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के लंड पर रगड़ रही थी हालांकि अभी भी वह पजामे के अंदर था,,,, संजय पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था वह अच्छी तरह से जानता था की पूरा कमान‌ अब उसके हाथों में आ गया है,,,,, संजय अपनी बेटी के गर्दन पर चुंबनो की बारिश कर दिया,,, शगुन उत्तेजना के मारे पानी पानी हुई जा रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से जानता था कि पजामे के अंदर उसकी बेटी कच्छी नहीं पहनी है,,, इसलिए चूचियों पर से अपना हाथ हटाकर वह पजामे में अरना हाथ डाल दिया,,, और अपनी बेटी की गरम बुर को सहलाना शुरू कर दिया,,,, शगुन के लिए यह सब बर्दाश्त के बाहर था,,,, वह आनंद की अनुभूति को पहली बार महसूस कर रही थी,,,,
संजय इस पल को गवाना नहीं चाहता था इसलिए शगुन का हाथ पकड़कर पीछे की तरफ लाकर उसे अपने पंजामे में डाल दिया,,,, सगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है,,, पहली बार वह किसी मर्द के लंड को पकड़न जा रही थी,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि अपने पापा के सामने उसे ऐसे पेश आना पड़ेगा,,,,

अपने पापा के मोटे तगड़े लंड पर हाथ पडते ही सगुन के पसीने छूट गए,,, वह अभी तक दूर से ही अपने पापा के लंड के दर्शन करते आ रही थी,,,। इसलिए उसके हकीकत से पूरी तरह से वाकिफ नहीं थी आज अपने हाथ में आते ही उसके पसीने छूटने लगे थे उसे अपनी हथेली में अपने पापा का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा लंबा लग रहा था लेकिन उतेजना के मारे अपने पापा के लंड को वह छोड़ भी नहीं रही थी उसे मजा आ रहा था ,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी पर फतेह पाने के लिए संजय बिल्कुल भी समय नहीं लगाना नहीं चाहता था,,, इसलिए करवट लेकर वह पूरी तरह से अपनी बेटी के ऊपर आ गया दोनों की नजरें आपस में टकराई और आंखों ही आंखों में कुछ इशारा हुआ जो कि वह दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे,,, संजय अपने होठों को अपनी बेटी के गुलाबी होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया क्योंकि यही एक पक्का हथियार था किसी औरत पर काबू पाने के लिए और ऐसा ही हुआ शगुन धराशाई होने लगे हालांकि वह खुद चाहती थी अपने पापा के चुंबन का जवाब वह भी अपने होठों को खोल कर देने लगी,,,,, देखते ही देखते संजय ने अपनी बेटी के बदन पर से उसकी टीशर्ट उतार कर अलग कर दिया उसकी आंखों के सामने शगुन की नंगी दोनों जवानियां फुदक रही थी,,, जिसे वह अपने मुंह में लेकर काबू करने की कोशिश करने लगा अगले ही पल शगुन के मुंह से गर्म सिसकारियों की आवाज आने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहह,,, पापा,,,,,ओहहहहहरहहह,,,(और ऐसी गर्म सिसकारी की आवाज के साथ ही शगुन अपनी उंगलियों को अपने पापा के बालों में फिराने लगीसंजय रुकने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह बारी-बारी से उसकी दोनों चूची को मुंह में लेकर पी रहा था,,, अमरूद जैसे चुचियों को पीने में संजय को बहुत मजा आया था उसका स्वाद ही कुछ अलग था,,,, टेबल पर टेबल नंबर चल रहा था बाकी पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था टेबल लैंप के मध्यम रोशनी में शगुन अपनी जवानी लुटा रही थी और वह भी अपने पापा के हाथों,,,संजय कमरे में ज्यादा उजाला करने के लिए ट्यूब लाइट जलाना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि सगुन का पहली बार है इसलिए उसे शर्म आती होगी और अंधेरे में कुछ ज्यादा ही अच्छे तरीके से खुलकर मजा ले पाएगी,,,

धीरे धीरे संजय नीचे की तरफ आ रहा था क्योंकि सबसे बेशकीमती खजाना नीचे ही था,,,, जैसे-जैसे संजय नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे सगुन की हालत खराब होती जा रही थी,,, दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही है,,,, और देखते ही देखते संजय ने वही किया जो सगुन चाहती थी,,,, संजय ने अपने दोनों हाथों से शगुन की पजामी को खींचकर निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया था और बिस्तर पर इस समय शगुन एकदम नंगी थी,,,। लाल रंग की मध्यम रोशनी में भी संजय अपनी बिल्कुल के दोनों टांगों के बीच के उस बेशकीमती खजाने को अच्छी तरह से देखता रहा था,,,, उत्तेजना के मारे संजय का गला सूख रहा था और यही हाल सगुन का भी था दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद इस माहौल में यही सही था,,, क्योंकि दोनों की प्राथमिकता यही थी अपनी प्यास बुझाना,,,,

और संजय अपनी परिपक्वता दिखाते हुए शगुन की दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दिया और अपनी जीभ निकालकर उसकी कश्मीरी सेब की तरह लाल बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, शकुन इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि बुर चाटने पर औरतों की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है उसे इतना अधिक आनंद मिलता है कि वह सब कुछ भूल जाती है,,,, ओर यही सगुन के साथ में पल भर में ही पूरे कमरे में शगुन की गर्म सिसकारियां गुंजने लगीलेकिन इस कर्म सिसकारी की आवाज कोई और सुन लेगा इस बात का डर दोनों में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि होटल का पूरा स्टाफ उन दोनों को कपल ही समझते थे,,,।

शगुन की उत्सुकता और गर्माहट को देखकर संजय अपने लिए जगह बनाने लगा पहले एक उंगली और फिर थोड़ी देर बाद दूसरी दोनों उंगली को एक साथ बुर में डालकर वह अपने मोटे लंड के लिए जगह बना रहा था,, हालांकि अपने पापा के ईस हरकत पर शगुन को चुदाई जैसा ही मजा मिल रहा था और इस दौरान में दो बार पानी छोड़ चुकी थी,,,,

अपने लिए जगह बना लेने पर संजय घुटनों के बल अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को पकड़कर अपनी जांघों पर खींच लिया अब उसका लंड और बुर के दौरान दो अंगुल का फासला था जिसे वह ढेर सारा थूक लगाकर पूरा कर दिया शगुन की सांस अटक रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि आप उस की चुदाई होने वाली है जिंदगी में पहली बार जिसके लिए वह सपने देखा करती थी,,,,

उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने पापा की तरफ देख रही थी लाल रंग की मद्धम रोशनी में उसके चेहरे पर शर्म बिल्कुल भी नहीं थी बल्कि उत्तेजना कूट-कूट कर भरी हुई थी अगर यही ट्यूबलाइट की रोशनी में होता तो शायद सगुन इस तरह से सहकार नहीं कर पाती,,,,
देखते ही देखते संजय अपने लंड के सुपाड़े को गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दिया,,,, कार्य बहुत ही मुश्किल था लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और संजय उसे साकार करते हुए आगे बढ़ने लगा हालांकि शगुन को दर्द तो हो रहा था लेकिन उसे विश्वास भी था की दर्द के आगे जीत है,,, लेकिन सारी मुश्किलों को आसान करने का काम संजय की दो ऊंगलिया पहले ही कर चुकी थी,,,, जैसे-जैसे संजय का मोटा लंड शगुन की मुलायम बुर के अंदर सरक रहा था शगुन को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर फट जाएगी,,,।

धीरे-धीरे संजय ने अपने अंदर लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल दिया लेकिन वह एक साथ डालना चाहता था इसलिएनीचे झुका है और एक बार फिर से अपनी बेटी की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया जिससे शगुन की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी वह और ज्यादा मचलने लगी,,, वह अपने दोनों हाथों को अपने पापा के पीठ पर रखकर सहलाने लगी,,, और यही मौके की तलाश में संजय था इस बात संजय ने जोरदार ताकत दिखाते हुए धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड एक बार में ही शगुन की बुर में समा गया,,,इस जबर्दस्त प्रहार को सगुन सह नहीं पाई थी और वह चीखने हीं वाली थी कि संजय समय को परखते हुए अपने होठों को अपनी बेटी के होठों पर रखकर चूमना शुरू कर दिया वह जानता था कि उसे दर्द हो रहा होगा लेकिन वह उसी स्थिति में होंठों का रस चूसता रहा और धीरे-धीरे से चूची को दबाता रहा,,,, धीरे-धीरे शगुन का दर्द कम होने लगा और फिर शुरू हुई सगुन की चुदाई धीरे धीरे संजय की कमर ऊपर नीचे होने लगी और शगुन को भी मजा आने लगा,,,,
बरसों बाद संजय को कसी हुई बुर चोदने को मिल रही थी,,, इतना मजा अपनी सुहागरात को सगुन की मां को चोदने में भी उसे नहीं आया था,,,, शगुन को मजा आ रहा है इस बात को उसकी गरम सिसकारी ही बता रही थी,,, धीरे-धीरे संजय की रफ्तार बढ़ने लगी,,, बाप ने बेटी को अच्छी तरीके से चोदना शुरू कर दिया,,, पूरे कमरे में गर्म सिसकारी की आवाज गुंजने लगी,,, शगुन हैरान थी कि ईतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर में वह कैसे ले ली,,, लेकिन यह हकीकत था,,,

शगुन की यह पहली चुदाई थी और वह भी अपने ही बाप के साथ,,, कमरे का बिस्तर इस समय ऐसा लग रहा था कि मानो मदिरा से भरा हुआ बड़ा पतीला हो और उसमें संजय और शगुन दोनों डूब रहे हो,,, थोड़ी देर बाद दोनों की सांसो की गति बढ़ने लगी संजय शगुन को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, और थोड़ी ही देर बाद शगुन के साथ साथ संजय भी झड़ गया,,,।
Excellent update
बहुत ही कामुक अपडेट है आखिर सगुण और संजय एक हो गए दोनो की दमदार चूदाई हो गई दोनो की आग आज शांत हो गई अब तो रोज दमदार चूदाई होगी मजा आ गया:sex::sex::sex::sex::applause::applause::applause:


एक दम धांसू अपडेट है
 
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NEHAVERMA

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शगुन अपना एग्जाम बड़े अच्छे से दे पाई,,,,, लेकिन सुबह की बात याद करके वह दिन भर परेशान हो रही थी,,, वह अपने मन में बार-बार यही सोच रही थी की उसके पापा ने उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख लिया तभी तो उनका लंड खड़ा हो गया था जिसे बाथरूम में जाते-जाते शगुन अपनी आंखों से अपने पापा के पजामे में बने तंबू को देख ली थी,,,। और यह सब उसके नंगे बदन के कारण हुआ था यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, सुबह-सुबह जो हरकत उसने अपने पापा की आंखों के सामने की थी उससे वह बहुत खुश थी और उत्तेजित भी,,, शकुन पहली बार इस तरह की हरकत की थी और वह भी अपने पापा की आंखों के सामने और अपने पापा के लिए इससे उसका रोमांच कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था,,,। सगुन अब पीछे हटने वाली नहीं थी,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने चोरी-छिपे खिड़की से देखें जाने वाला वह दृश्य उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था,,,, जब वह अपने मम्मी पापा को चुदाई करते हुए देख रही थी,,,। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि क्या नजारा था,,। जब उसके पापा का बम पिलाट लंड उसकी मां की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था,,,, उस नजारे को ईस समय याद करके सगुन की पेंटी गीली होने लगी थी,,,। वह कभी नहीं सोची थी कि अपनी आंखों से उसे अपनी मां की चुदाई देखने को मिलेगी और उसी नजारे को देख कर उसके तन बदन है उसी समय से कुछ कुछ होने लगा था जब भी वह कभी अपने पापा के नजदीक होती तो उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी बार-बार अपने पापा की मौजूदगी में उसे अपने पापा का मोटा तगड़ा लंड नजार‌ आता था,,,,,,

एग्जाम हो चुकी थी वह कॉलेज से बाहर निकल कर पार्किंग में खड़ी होकर अपने पापा का इंतजार कर रही थी जो कि,,, वहां मौजूद थे इसलिए सगुन फोन करके अपने पापा को वहां बुला ली,,,,।


एग्जाम हो गया,,,


हां पापा,,,


कैसा गया पेपर,,,,


बहुत अच्छा उम्मीद से भी कहीं अच्छा,,,


मुझे पूरा विश्वास था कि तुम्हारा पेपर बहुत अच्छा होगा,,,,(ऐसा कहते हुए संजय अपनी बेटी के खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक नजर दौड़ा कर देखने लगा जो कि सलवार सूट में बहुत खूबसूरत लग रही थी खास करके उसकी कसी हुई सलवार जिसमें से उसकी मोटी मोटी जांगे और उभरती हुई गांड साफ नजर आ रही थी,,, लड़कियों को, कपड़ों के ऊपर से भी देखने का मर्दों का एक अलग नजरिया होता है कपड़ों में भी औरतें कुछ ज्यादा ही सेक्सी लगती है जो कि यहां पर सगुन के पहरावे को देख कर संजय की उत्तेजना बढ़ रही थी,,,, वैसे तो संजय के दिमाग में सुबह वाला वह खूबसूरत ऊन्मादक नजारा ही घूम रहा था,,,,, जिसमें उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी,,,। दोनों गाड़ी में बैठ गए थे और संजय गाड़ी को पार्किंग में से निकालकर सड़क पर दौड़ाना शुरू कर दिया था,,,, अपने पापा का साथ सगुन को ना जाने क्यों उत्तेजित कर देता था,,,,, अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, संजय का ईमान डोल रहा था बाप बेटी के बीच की मर्यादा की दीवार को वह अपनी कल्पना में ध्वस्त होता हुआ देख रहा था,,,,जिस तरह का नजारा देखकर वह उत्तेजित हो जाता था और अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे देखते हुए उसे लगने लगा था कि वह रिश्ते की डोर के आगे कमजोर पड़ जाएगा,,,,,, उसे यह सब बहुत गंदा भी लग रहा था और उत्तेजना पूर्ण भी लग रहा था,,,दोनों के पास समय काफी का इसलिए दोनों इधर-उधर घूमते रहे शहर काफी सुंदर था घूमने में उन दोनों को बहुत मजा आ रहा था लेकिन दोनों के मन में कुछ और ही चल रहा था दोनों से तो बाप बेटी लेकिन घूमते समय ना जाने क्यों एक दूसरे को प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे इसका एक ही कारण था दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण,,,,,,,,,,

रात के 8:00 बज गई दोनों होटल पर पहुंच गए और डिनर करने लगे,,, होटल का स्टाफ दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे,,, क्योंकि संजय की कदकाठी और शरीर का गठन बहुत अच्छा था जिसमें वह उम्र वाला बिल्कुल भी नहीं लगता था,,,,,,,

खाने का बिल चुकाते समय काउंटर पर एक लेडी बैठी हुई थी जो कि कलेक्शन करने के बाद संजय को नाइस कपल कहकर संबोधित की जो कि शगुन भी पास में ही थी यह सुनते ही सगुन का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया,,, और संजय भी भौचक्का रह गया संजय को तो अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था वह चाहता था उस लेडी को अपने रिश्ते के बारे में बता सकता था लेकिन वह खामोश रहा न जाने कि उसका मन कह रहा था कि होटल के लोग जो कुछ भी समझते हो उससे उसे बिल्कुल भी परेशानी नहीं है,,,,। बिल चुकाने के बाद संजय और शगुन अपने कमरे की तरफ जाने लगे तो शगुन हंसने लगी,,, शगुन को हंसता हुआ देखकर संजय बोला,,,।

क्या हुआ हंस क्यों रही हो,,,,?


हंसने वाली तो बात ही है पापा,,,,


क्यों,,,?


क्योंकि वह लेडी हम दोनों को कपल समझ रही थी,,,,,


तो क्या हम दोनों लगते नहीं है क्या,,,,(संजय को यही मौका था अपनी बेटी के साथ फ्लर्ट करने का,,, वह जानना चाहता था कि वह उसकी बेटी को कैसा लगता है,,, पहले तो सगुन अपने पापा की यह बात सुनकर आश्चर्य से देखने लगी फिर हंसते हुए बोली,,,)


लगते हैं ना क्यों नहीं लगते,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ अपने पापा के हाथ के अंदर डालकर उन्हें पकड़कर चलने लगी,,, अपनी बेटी की हरकत पर संजय के तन बदन में आग लग गई,,,) तुम तो अभी भी एकदम जवान लगते हो पापा,,,(इतना कहने के साथ ही शगुन हंसने लगे तो उसे हंसता हुआ देखकर संजय फिर बोला,,,)


तुम मुझे बना रही हो ना,,,(कमरे का दरवाजा खोलते हुए)


नहीं तो बिल्कुल भी बना नहीं रही हूं,,,, तुम सच में काफी हैंडसम हो पापा,,,, तुम्हारा कसरती बदन एकदम सलमान खान की तरह है,,,,(वह अपने हाथों से अपने पापा के कोट को उतरते हुए बोली,,, संजय को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था,,,,)

सलमान खान तो हीरो हैं,,,।


लेकिन तुम मेरे हीरो हो,,,,(सगुन अपने पापा की आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,, संजय की बोलती एकदम बंद हो गई थी अपनी बेटी की बातों से उसे इतना तो पता चल रहा था कि उसकी बेटी को वह अच्छा लगता था,,, उसका कसरती जवान बदन अच्छा लगता था,,,, इसलिए अपनी बेटी की बातों को सुनकर वह उत्तेजित होने लगा था,,,। उसके पेंट का आगे वाला भाग उठने लगा था लेकिन ना जाने क्यों संजय उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बेटी की नजर उस पर पड़े,,, और ऐसा ही हुआ शगुन की नजर उसके पापा के पेंट के आगे वाले भाग पर पड़ गई जोकि धीरे-धीरे अपने उठान पर आ रहा था,,, पेंट के अंदर उसकी जवानी की गर्मी बढ़ती चली जा रही थी,,,, अपने पापा के पेंट के आगे वाले भाग को उठता हुआ देखकर सगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, ऐसा नहीं था कि उसका मन अपने पापा के नंगे लंड को देखने के लिए तड़प ना रहा हो,, वह बेहद उतावली और उत्सुक थी अपने पापा के लंड को देखने के लिए लेकिन अपने मुंह से कैसे कह सकती थी कि पापा मुझे अपना लंड दिखाओ,,, वह तो उन हालात का इंतजार कर रहे थे जब इंसान खुद मजबूर हो जाता है वह सब करने के लिए जो एक मर्द और औरत के बीच होता है,,,, इसलिए वहां से कपड़े चेंज करने का बहाना करके वह बाथरूम में चली गई,,,, लेकिन इस बार साथ में कपड़े भी लेती गई,,, संजय पैंट के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,,, अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा वजह सोचने लगा कि अगर घर से दूर दूसरे से मेरे में होटल की इस कमरे में उन दोनों के बीच वह हो जाए जो होना नहीं चाहिए तो क्या होगा,,, वह सारी शक्यताओ के बारे में विचार करने का था उसे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा वह अपने आप को दिखाने लगा कि वह अपनी बेटी के बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है,,,,। नहीं नहीं अब वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,,,, वह अपने मन में यही सोच कर कसम खाने लगा कि अब ऐसा कभी नहीं करेगा लेकिन तभी उसके कानों में एक बार फिर से सु सु की सीटी की आवाज भूख नहीं लगी और जो कुछ भी अपने आप को रोकने के लिए कसमें खाया था वह सब कुछ धुंधलाता हुआ नजर आने लगा,,,, और एक बार फिर से वह अपनी बेटी की बुर से निकल रहे सिटी की आवाज के मदहोशी में पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,,

शगुन को भी पेशाब करते समय अपनी बुर से निकल रही सीटी की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज निकलते हुए सुनाई दे रही थीशकुन को इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बुर से निकलने वाली सीटी की आवाज उसके पापा के कानों मे जरूर पहुंच रही होगी,,,, यह एहसास शगुन को पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,,,, बाहर बिस्तर पर बैठे संजय की हालत तो खराब होने लगी थी वह अपनी बेटी को पेशाब करते हुए देखना चाहता था,,,, इसलिए वह बिस्तर पर से उठा हूं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होकर की होल से अंदर की तरफ झाकने लगा,,,, और उसकी मेहनत रंग लाई की होली में से उसे बाथरूम के अंदर का नजारा साफ नजर आने लगा क्योंकि अंदर लाइट जल रही थी,,,, पल भर में ही संजय का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,,,संजय को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बेटी सामने दीवाल की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसकी गोलाकार नंगी गोरी गांड,,, उसे साफ नजर आ रही थी,,,हालांकि उसने अपनी बेटी को सुबह-सुबह ही एकदम नंगी देख चुका था,,,, लेकिन फिर भी इस समय के हालात और माहौल दोनों अलग था,,, उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने पेशाब करने बैठे थे जो कि सदन को इस बारे में पता नहीं था लेकिन उसे अपने बाथरूम के दरवाजे पर कुछ आहट जरूर हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके पापा बाथरूम के दरवाजे के करीब आए हो और की होल से देख रहे हो,,,,,लेकिन उसका यह शक यकीन में बदल गया जब उसे बाथरूम के दरवाजे पैरों से लगने की आवाज सुनाई दी जो कि उसके पापा के पैरों से अनजाने में ही लग गई थी और वह बहुत संभाल कर की होल में से अंदर झांक रहा था,,,, यह एहसास से ही उसका रोम-रोम झनझना उठा था,,, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक पल को तो वह अपने बदन को छुपाने की कोशिश करने ही वाली थी लेकिन अगले ही पल,,, उसके दिमाग की बत्ती जलने लगी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी अपने मन में सोचने लगी आज इसी बाथरूम में अपने पापा को अपने बदन का हर एक हिस्सा दिखाएंगी,,,, इसलिए वह वहां से उठी नहीं,,, और पेशाब करती रही हालांकि पेशाब कर चुकी थी लेकिन फिर भी वह एक बहाने से अपने पापा को अपनी सुडोल गांड के दर्शन जी भर कर कराना चाहती थी,,,, इसलिए पेशाब करते समय वह अपनी उभरी हुई गांड को बाथरूम के दरवाजे की तरफ उभारने लगती थी,,, और सब उनकी यही अदा संजय के दिल पर बिजलीया गिरा रही थी,,, इस तरह के बहुत से मादक नजारे संजय अपनी आंखों से ना जाने कितनी बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में बात ही कुछ और थी,,,, यह नजारा किसी भी उम्र के मर्दों के बदन में जोश बढ़ा देने के लिए काफी था,,,।

और वैसे भी सुकून किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं लगती थी पूरा बदन एकदम गोरा मक्खन की तरह था,,, एकदम तराशा हुआ,, उभार वाली जगह पर एकदम नापतोल कर उभार बना हुआ था,,, अंगों का मरोड़ जैसे किसी शिल्पी कार ने अपने हाथों की करामात दिखाई हो,,, अद्भुत बदन की मालकिन थी सगुन और उसके लिए पहला मौका था जब अपने नाम के भजन क्यों किसी मर्द को किसी मर्द को क्या अपने ही बाप को दिखा रही थी और धीरे-धीरे उसे ध्वस्त कर रही थी अपनी बेटी की मदमस्त जवानी को देखकर संजय का किला ध्वस्त होता हुआ नजर आ रहा था,,,, वह इस समय बिल्कुल भी भूल चुका था कि वह एक बात है उस बेटी का जो बाथरूम के अंदर पेशाब कर रही है संजय सब कुछ भूल कर बस इतना ही जानता था कि बाथरूम के अंदर जो पेशाब कर रही है वह एक औरत है और बाहर खड़ा वह एक मर्द,,,,

शगुन पेशाब कर चुकी थी,,, लेकिन फिर भी बैठी रहीक्योंकि वह अपनी मदहोश कर देने वाली जवानी अपने पापा को जी भर कर दिखाना चाहती थी,,, बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच जो कि अभी पूरी तरह से खीली नहीं थीउसने फंसी अपनी पेशाब की बुंदो को पूरी तरह से नीचे गिरा देने के लिए वह अपनी गोलाकार गांड को झटके देकर उसे नीचे गिराने लगी लेकिन उसकी यह हरकत संजय की हालत को और ज्यादा खराब कर रही थी,,,अपनी बेटी की हिलती हुई गांड को देखकर संजय का मन कर रहा था कि इतने बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाएऔर उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ ले,,,, लेकिन यह मुमकिन नहीं था,,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि किसी तरह से और ज्यादा अपने लगने बदन की नुमाइश बाथरूम में की जाए और बाथरूम के बाहर खड़े उसके पापा इस नजारे को देखें तो शायद जिस तरह से उसके पापा का लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होता था आज की रात उसकी बुर की किस्मत खुल जाए,,,। और इसीलिए वहा खड़ी हो गई लेकिन अपनी सलवार को ऊपर करने की जगह उसे नीचे करने लगी और देखते ही देखते वह अपने सलवार को उतार दी,,,, संजय का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,। उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी,,,, सलवार उतारने के बाद वह अपनी कमीज उतारने में बिल्कुल भी समय नहीं ली और उसे उतारकर हेंगर पर टांग दी,,,,।

बाथरूम में वो केवल ब्रां और पेंटिं में खड़ी थी संजय की उत्तेजना बेकाबू होती जा रही थी,,, शगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पापा सब कुछ देख रहे हैं,,,।इसलिए अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी जो कि सुबह-सुबह हम अपनी ब्रा का हुक लगाने में जानबूझकर देरी कर रही थी,,, उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी,,, संजय से सब्र नहीं हो रहा था मैं जानता था कि उसकी बेटी ब्रा उतार रही है और ब्रा उतारने के बाद उसके दोनों अमरूद एकदम आजाद हो जाएंगे जिसे देखने के लिए उसका मन मचल रहा था,,,, देखते ही देखते सगुन अपनी ब्रा उतार कर उसे भी हैंघर पर टांग दी,, कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन उसके नंगे पन को पूरी तरह से नंगा करने के लिए अभी भी पेंटिं को उतारना जरूरी था जिस पर उसकी दोनों नाजुक उंगलियों को देखते ही संजय का दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगा,,,,और वह अपनी नाज़ुक ऊंगलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे अपनी पेंटिं को नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,जैसे-जैसे पेंटिं नीचे की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसकी गोलाकार गांड और ज्यादा उजागर होती जा रही थी,,,, देखते ही देखते शगुन,,, अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अच्छी तरह से चाहती थी कि बाथरूम के कीहोल से उसके पापा अंदर की तरफ देख रहे हैं लेकिन वह बिल्कुल भी यह जताना नहीं चाहती थी कि उसे सब कुछ पता है वह अनजान बनी रही,,,।

बाथरूम के अंदर शगुन पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और अपनी बेटी को नंगी देखकर उसकी गोल-गोल गांड को देखकर संजय का लंड बावरा हुआ जा रहा था,,, जिसे वह बार-बार पेंट में दबा रहा था,,,, शगुन सामने से अपनी चुचियों का और अपनी बुर अपने पापा को दिखाना चाहती आमने सामने होती तो शायद इतनी हिम्मत नहीं दिखा पाती लेकिन इस समय वहां बाथरूम के अंदर अंजान थी अनजान बनने का नाटक कर रही थी,,, इसलिए उसके लिए यह सब करना कोई मुश्किल काम नहीं था,,,, इसलिए गीत गुनगुनाते हुए वहा दरवाजे की तरफ घूम गई और संजय सामने से अपने बेटी के नंगे हुस्न को देखकर पूरी तरह से मचल उठा,,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड पानी छोड़ते छोड़ते बचा था,,,,,, सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी संजय ने इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव बरसों बाद कर रहा था,,,,,, उसके लिए सगुन का हुस्न मदीना का काम कर रहा था जिसकी नशे में वह पूरी तरह से लिप्त हो चुका था,,,,।

संजय को यकीन तो पूरा था लेकिन कभी अपनी आंखों से भरोसा करने लायक ज्यादा कुछ देखा नहीं था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने सब कुछ साफ था सगुन की दोनों चूचियां,,, कच्चे अमरूद की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रहे थे चिकना पतला पेट बीच में गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर से कम नहीं थी,,, और चिकनी सुडोल जांघें मक्खन की तरह नरम जिस पर संजय का ईमान फिसल रहा था,,,।
और सबसे ज्यादा बेशकीमती अतुल्य खजाना उसकी दोनों टांगों के बीच छुपी हुई थी मानो कि जैसे संजय को अपनी तरफ बुला रही हो,,,, संजय तो अपनी बेटी की बुर को देखकर देखता ही रह गया उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कोई बुर इतनी खूबसूरत हो सकती है,,, संजय का मन उसमें अपनी जीभ डालने को उसकी मलाई को चाटने को कर रहा था,,,, मन बेकाबू हो कर रहा था जिस पर संजय का बिल्कुल भी काबू नहीं था और बाथरूम के अंदर शगुन उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके पापा उसके नंगे बदन को देख रहे हैं,,,,


अपने पापा की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने के लिए और तूने और ज्यादा तड़पाने के लिए शगुन जानबूझकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे रगड़ कर अपनी हथेली से सहलाने लगी संजय का दिल तड़पता संजय का मन कर रहा था कि अभी अपने पेंट से लंड को बाहर निकाल कर मुट्ठ मार ले,,,,, संजय की आंखें बाथरूम के कि होल से बराबर टिकी हुई थी,,,ऐसा लग रहा था कि अंदर का एक भी नजारा वह चूकना नहीं चाहता था,,,,।

शगुन बाथरूम के अंदर चल रही इस फिल्म को और ज्यादा बड़ा नहीं चाहती थी इसलिए ढीला ढीला सा पाजामा पहन ली लेकिन पैंटी नहीं पहनी यह देखकर संजय का दील उछलने लगा,,, और इसके बाद एक टी-शर्ट पहन ली और वह भी ब्रा पहने बिना,,,,संजय के तो पसीने छूट रहे थे वह साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी बेटी कपड़ों के अंदर ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही पेंटिं,,, किसी भी वक्त सगुन बाथरूम से बाहर आने वाली थी इसलिए संजय तुरंत खड़ा हुआ और बिस्तर पर जाकर बैठ गया और कॉफी का ऑर्डर कर दिया,,,,

बाथरूम से निकलने के बाद ढीले पजामे और टीशर्ट में शगुन बेहद कामुक लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में पानी आ रहा था,,,,।

कपड़े बदल‌ ली,,

हां पापा,,, सोते समय मुझे ढीले कपड़े पसंद है,,,, तुम भी जाकर बदल लो,,,,

ठीक है,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजय बाथरूम में कुछ किया और अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके मुठ मारने लगे शगुन का मन कर रहा था कि जिस तरह से उसके पापा की होल से सब कुछ देख रहे थे वह भी बाथरूम के अंदर के नजारे को देखेंलेकिन उसकी हिम्मत नहीं है क्योंकि उसे पता चल गया था कि उसके पापा की ओर से सब कुछ देख रहा है और उसे डर था कि कहीं उसके पापा को पता चल गया कि वह सब कुछ देख रही है तो,,, इसीलिए वह हिम्मत नहीं जुटा पाई,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों कॉफी की चुस्की लेने लगे,,,, देखते ही देखते दस बज गया था,,, दोनों सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि दूसरे दिन भी एग्जाम देने जाना था,,,, एक ही बिस्तर पर दोनों सोने लगे लेकिन दोनों की नींद गायब थी,,,, संजय का मन आगे बढ़ने को कर रहा थालेकिन उसे डर लग रहा था हालांकि इस तरह से हुआ ना जाने कितनी लड़कियों के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था लेकिन आज बिस्तर पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी खुद की बेटी थी जो कि खुद यही चाहती थी कि उसके पापा आगे बढ़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था दोनों के मन में डर था,,,, धीरे-धीरे ठंडक बढ़ती जा रही थी,,,, और दोनों एक ही चादर के अंदर अपने मन पर काबू रख कर संजय सो चुका था रात के 12:00 बज रहे थे लेकिन सगुन की आंखों से नींद गायब थी,,,, वह किसी भी तरह से चुदवाना चाहती थी उसकी बुर बार-बार गीली हो रही थी,,, उसकी पीठ उसके पापा की तरफ थी,,,, उसे ठंड भी लग रही थी,,, इसलिए वह चादर के अंदर पीछे की तरफ सरक रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी गांड मचल रही थी अपने पापा के लंड को स्पर्श करने के लिए,,,, और पीछे सरकते सरकते उसकी गोलाकार गांड संजय के आगे वाले भाग से स्पर्श हो गई,,,, शगुन की हालत खराब होने लगी,,,, लेकिन ऐसा करने पर अपने बदन में गर्माहट महसूस करते ही संजय की नींद खुल गई और अपने लंड से अपनी बेटी की गांड सटी हुई देखते ही उसके होश उड़ गए लेकिन वह कुछ बोला नहीं उसी तरह से नींद में रहने का नाटक करने लगा,,,,,
सगुन अपनी गांड को और पीछे की तरफ ला रही थी,, अपनी बेटी की हरकत से संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, और देखते ही देखते बड़ी मुश्किल से सोया हुआ उसका लंड पजामे में धीरे-धीरे मुंह उठाने लगा सांसों की गति तेज होने लगी,,,, लेकिन अभी तक शगुन को अपने पापा के मोटे खड़े लंड का एहसास नहीं हुआ था लेकिन जैसे ही वह पूरी तरह से अपनी औकात में आया तो शगुन को अपनी गांड में कुछ कडक चीज चुभती हुई महसूस हुई और वह मारे खुशी के मारे और ज्यादा उत्तेजित होने लगी,,,, संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,, सगुन को अपने पापा का लंड मोहक और बेहद उत्तेजना से भरा हुआ लग रहा था,,, सगुन को अपने पापा के लंड पर अपनी गांड को रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था,,,। धीरे-धीरे उसकी सांसे तेजी से चलने लगी थी वह यह बात भी घूम रही थी कि उसकी हरकत से उसके पापा की नींद खुल सकती है शायद वह आज अपने मन में ठान ली थी कि जो भी होगा देखा जाएगा क्योंकि इस बात का अंदाजा उसे दिखाकर उसके पापा कि उसे चोदना चाहते हैं वरना बादल के की होसेस के नंगे बदन को देखने की कोशिश और हिम्मत बिल्कुल भी नहीं करते हो सुबह-सुबह सोए रहने का नाटक करके उसके नंगे पन का रस अपनी आंखों से पी नहीं रहे होते,,।सगुन यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी होगा अच्छा ही होगा सब कुछ उसके ही पक्ष में होगा,,,। इसलिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश जारी रखे हुए वह अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के आगे वाले भाग पर रगड़ रही थी,,,

सगुन की हरकत बिजलीया गिरा रही थी वह बड़ी मुश्किल से अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए था लेकिन अब सफेदाबाद टूटता हुआ नजर आ रहा है उसे यकीन हो चला था कि उसकी बेटी को क्या चाहिए क्योंकि वह जमाना घूम चुका था देख चुका था औरतों को कब क्या चाहिए वह भली भांति जानता इसलिए वह अपना एक हाथ आगे की तरफ लाकर उसे सीधे अपने बेटी के कमर पर रख दिया,,, शगुन के तन बदन में हलचल सी उठने लगी उसे पता चल गया था कि उसके पापा की आंख खुल चुकी है नींद गायब हो चुकी है वह कुछ बोली नहीं क्योंकि वह भी यही चाहती थी धीरे-धीरे उसके पापा अपने हाथ को उसके चिकने पेट पर लाकर धीरे-धीरे ऊपर बढ़ाने लगेगा अगले ही पल संजय का दाया हाथ शगुन की टी-शर्ट के अन्दर घुसकर उसके दोनों फड़फड़ाते कबूतरों पर पहुंच गए,,, और संजय से रहा नहीं गया वह अपनी मुट्ठी में अपनी बेटी के एक कबूतर को दबोच लिया,,,, और जैसे उस कबुतर की गर्दन उसके हाथों में आ गई हो और वह छूटने के लिए फड़फड़ा रही हो इस तरह से शगुन के मुंह से आहहह निकल गई,,,।

आहहहहहह,,,,,
(लेकिन इस आह में दर्द से ज्यादा मिठास भरी हुई थी आनंद भरा हुआ था संजय को रुकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे,,, और संजय भी मजा हुआ खिलाड़ी था,,, वह इतने आसानी से आए हुए बाजी को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह लगातार अपनी बेटी के दोनों चूची को,,, दबाने लगा मसलने लगा अपने पापा की हरकत की वजह से सगुन की हालत खराब हो रही थी उसे मजा आ रहा था पहली बार उसकी चूचियां किसी मर्दाना हाथ में थी,,, जो मन लगाकर उनसे खेल रहा था,,,, सगुन बिना रुके अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के लंड पर रगड़ रही थी हालांकि अभी भी वह पजामे के अंदर था,,,, संजय पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था वह अच्छी तरह से जानता था की पूरा कमान‌ अब उसके हाथों में आ गया है,,,,, संजय अपनी बेटी के गर्दन पर चुंबनो की बारिश कर दिया,,, शगुन उत्तेजना के मारे पानी पानी हुई जा रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से जानता था कि पजामे के अंदर उसकी बेटी कच्छी नहीं पहनी है,,, इसलिए चूचियों पर से अपना हाथ हटाकर वह पजामे में अरना हाथ डाल दिया,,, और अपनी बेटी की गरम बुर को सहलाना शुरू कर दिया,,,, शगुन के लिए यह सब बर्दाश्त के बाहर था,,,, वह आनंद की अनुभूति को पहली बार महसूस कर रही थी,,,,
संजय इस पल को गवाना नहीं चाहता था इसलिए शगुन का हाथ पकड़कर पीछे की तरफ लाकर उसे अपने पंजामे में डाल दिया,,,, सगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है,,, पहली बार वह किसी मर्द के लंड को पकड़न जा रही थी,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि अपने पापा के सामने उसे ऐसे पेश आना पड़ेगा,,,,

अपने पापा के मोटे तगड़े लंड पर हाथ पडते ही सगुन के पसीने छूट गए,,, वह अभी तक दूर से ही अपने पापा के लंड के दर्शन करते आ रही थी,,,। इसलिए उसके हकीकत से पूरी तरह से वाकिफ नहीं थी आज अपने हाथ में आते ही उसके पसीने छूटने लगे थे उसे अपनी हथेली में अपने पापा का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा लंबा लग रहा था लेकिन उतेजना के मारे अपने पापा के लंड को वह छोड़ भी नहीं रही थी उसे मजा आ रहा था ,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी पर फतेह पाने के लिए संजय बिल्कुल भी समय नहीं लगाना नहीं चाहता था,,, इसलिए करवट लेकर वह पूरी तरह से अपनी बेटी के ऊपर आ गया दोनों की नजरें आपस में टकराई और आंखों ही आंखों में कुछ इशारा हुआ जो कि वह दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे,,, संजय अपने होठों को अपनी बेटी के गुलाबी होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया क्योंकि यही एक पक्का हथियार था किसी औरत पर काबू पाने के लिए और ऐसा ही हुआ शगुन धराशाई होने लगे हालांकि वह खुद चाहती थी अपने पापा के चुंबन का जवाब वह भी अपने होठों को खोल कर देने लगी,,,,, देखते ही देखते संजय ने अपनी बेटी के बदन पर से उसकी टीशर्ट उतार कर अलग कर दिया उसकी आंखों के सामने शगुन की नंगी दोनों जवानियां फुदक रही थी,,, जिसे वह अपने मुंह में लेकर काबू करने की कोशिश करने लगा अगले ही पल शगुन के मुंह से गर्म सिसकारियों की आवाज आने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहह,,, पापा,,,,,ओहहहहहरहहह,,,(और ऐसी गर्म सिसकारी की आवाज के साथ ही शगुन अपनी उंगलियों को अपने पापा के बालों में फिराने लगीसंजय रुकने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह बारी-बारी से उसकी दोनों चूची को मुंह में लेकर पी रहा था,,, अमरूद जैसे चुचियों को पीने में संजय को बहुत मजा आया था उसका स्वाद ही कुछ अलग था,,,, टेबल पर टेबल नंबर चल रहा था बाकी पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था टेबल लैंप के मध्यम रोशनी में शगुन अपनी जवानी लुटा रही थी और वह भी अपने पापा के हाथों,,,संजय कमरे में ज्यादा उजाला करने के लिए ट्यूब लाइट जलाना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि सगुन का पहली बार है इसलिए उसे शर्म आती होगी और अंधेरे में कुछ ज्यादा ही अच्छे तरीके से खुलकर मजा ले पाएगी,,,

धीरे धीरे संजय नीचे की तरफ आ रहा था क्योंकि सबसे बेशकीमती खजाना नीचे ही था,,,, जैसे-जैसे संजय नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे सगुन की हालत खराब होती जा रही थी,,, दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही है,,,, और देखते ही देखते संजय ने वही किया जो सगुन चाहती थी,,,, संजय ने अपने दोनों हाथों से शगुन की पजामी को खींचकर निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया था और बिस्तर पर इस समय शगुन एकदम नंगी थी,,,। लाल रंग की मध्यम रोशनी में भी संजय अपनी बिल्कुल के दोनों टांगों के बीच के उस बेशकीमती खजाने को अच्छी तरह से देखता रहा था,,,, उत्तेजना के मारे संजय का गला सूख रहा था और यही हाल सगुन का भी था दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद इस माहौल में यही सही था,,, क्योंकि दोनों की प्राथमिकता यही थी अपनी प्यास बुझाना,,,,

और संजय अपनी परिपक्वता दिखाते हुए शगुन की दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दिया और अपनी जीभ निकालकर उसकी कश्मीरी सेब की तरह लाल बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, शकुन इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि बुर चाटने पर औरतों की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है उसे इतना अधिक आनंद मिलता है कि वह सब कुछ भूल जाती है,,,, ओर यही सगुन के साथ में पल भर में ही पूरे कमरे में शगुन की गर्म सिसकारियां गुंजने लगीलेकिन इस कर्म सिसकारी की आवाज कोई और सुन लेगा इस बात का डर दोनों में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि होटल का पूरा स्टाफ उन दोनों को कपल ही समझते थे,,,।

शगुन की उत्सुकता और गर्माहट को देखकर संजय अपने लिए जगह बनाने लगा पहले एक उंगली और फिर थोड़ी देर बाद दूसरी दोनों उंगली को एक साथ बुर में डालकर वह अपने मोटे लंड के लिए जगह बना रहा था,, हालांकि अपने पापा के ईस हरकत पर शगुन को चुदाई जैसा ही मजा मिल रहा था और इस दौरान में दो बार पानी छोड़ चुकी थी,,,,

अपने लिए जगह बना लेने पर संजय घुटनों के बल अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को पकड़कर अपनी जांघों पर खींच लिया अब उसका लंड और बुर के दौरान दो अंगुल का फासला था जिसे वह ढेर सारा थूक लगाकर पूरा कर दिया शगुन की सांस अटक रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि आप उस की चुदाई होने वाली है जिंदगी में पहली बार जिसके लिए वह सपने देखा करती थी,,,,

उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने पापा की तरफ देख रही थी लाल रंग की मद्धम रोशनी में उसके चेहरे पर शर्म बिल्कुल भी नहीं थी बल्कि उत्तेजना कूट-कूट कर भरी हुई थी अगर यही ट्यूबलाइट की रोशनी में होता तो शायद सगुन इस तरह से सहकार नहीं कर पाती,,,,
देखते ही देखते संजय अपने लंड के सुपाड़े को गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दिया,,,, कार्य बहुत ही मुश्किल था लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और संजय उसे साकार करते हुए आगे बढ़ने लगा हालांकि शगुन को दर्द तो हो रहा था लेकिन उसे विश्वास भी था की दर्द के आगे जीत है,,, लेकिन सारी मुश्किलों को आसान करने का काम संजय की दो ऊंगलिया पहले ही कर चुकी थी,,,, जैसे-जैसे संजय का मोटा लंड शगुन की मुलायम बुर के अंदर सरक रहा था शगुन को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर फट जाएगी,,,।

धीरे-धीरे संजय ने अपने अंदर लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल दिया लेकिन वह एक साथ डालना चाहता था इसलिएनीचे झुका है और एक बार फिर से अपनी बेटी की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया जिससे शगुन की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी वह और ज्यादा मचलने लगी,,, वह अपने दोनों हाथों को अपने पापा के पीठ पर रखकर सहलाने लगी,,, और यही मौके की तलाश में संजय था इस बात संजय ने जोरदार ताकत दिखाते हुए धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड एक बार में ही शगुन की बुर में समा गया,,,इस जबर्दस्त प्रहार को सगुन सह नहीं पाई थी और वह चीखने हीं वाली थी कि संजय समय को परखते हुए अपने होठों को अपनी बेटी के होठों पर रखकर चूमना शुरू कर दिया वह जानता था कि उसे दर्द हो रहा होगा लेकिन वह उसी स्थिति में होंठों का रस चूसता रहा और धीरे-धीरे से चूची को दबाता रहा,,,, धीरे-धीरे शगुन का दर्द कम होने लगा और फिर शुरू हुई सगुन की चुदाई धीरे धीरे संजय की कमर ऊपर नीचे होने लगी और शगुन को भी मजा आने लगा,,,,
बरसों बाद संजय को कसी हुई बुर चोदने को मिल रही थी,,, इतना मजा अपनी सुहागरात को सगुन की मां को चोदने में भी उसे नहीं आया था,,,, शगुन को मजा आ रहा है इस बात को उसकी गरम सिसकारी ही बता रही थी,,, धीरे-धीरे संजय की रफ्तार बढ़ने लगी,,, बाप ने बेटी को अच्छी तरीके से चोदना शुरू कर दिया,,, पूरे कमरे में गर्म सिसकारी की आवाज गुंजने लगी,,, शगुन हैरान थी कि ईतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर में वह कैसे ले ली,,, लेकिन यह हकीकत था,,,

शगुन की यह पहली चुदाई थी और वह भी अपने ही बाप के साथ,,, कमरे का बिस्तर इस समय ऐसा लग रहा था कि मानो मदिरा से भरा हुआ बड़ा पतीला हो और उसमें संजय और शगुन दोनों डूब रहे हो,,, थोड़ी देर बाद दोनों की सांसो की गति बढ़ने लगी संजय शगुन को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, और थोड़ी ही देर बाद शगुन के साथ साथ संजय भी झड़ गया,,,।
उफ़्फ़फ़फ़ ये पहली चुदाई, इसका कोई मुकाबला नहीं, वो हर पहला एहसास पहली बार मसला जाना पहली बार चूसा जाना पहली बार चुदने का एहसास
मजा आ गया
 

Chote babu

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Atyadhik Romanchit karti Utkrisht aur ullekhaniy kahani.
 
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