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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Sanju@

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शगुन की मखमली अनछुई बुर को देखकर संजय का दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,, दिन भर उसकी आंखों के सामने शगुन की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार नजर आती रही,,, जिसके बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी बिना पिए उसे 4 बोतलों का नशा हो गया था,,, आखिरकार उसने अपनी आंखों से दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा जो देख लिया था,,,।


दूसरी तरफ सगुन की भी हालत खराब थी,,, वह अपने मन में यही सोचती रहती थी कि,,, वह अपनी बुर अपने पापा को कैसे दिखाएं क्योंकि जवानी के दहलीज पर कदम रखते ही उसे इतना तो समझ में आ गया था कि,, दुनिया का हर मर्द औरतों की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लिए ही पागल है,,,बाबा सोचते ही रह जाती थी लेकिन उसे दिखाने की हिम्मत नहीं हो पाती थी लेकिन अनजाने में ही,, उसने अपनी बुर का दीदार अपने पापा को करवा चुकी थी,,। इस बात का एहसास से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी,,, अपने टेस्ट की तैयारी वो अच्छी तरह से कर चुकी थी और नहा धोकर टेस्ट देने कॉलेज चली गई थी,,,।

दोपहर के समय सोनू घर पर ही था,,, अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था,,,, कुछ देर तक पढ़ने के बाद उसे भूख लगने लगी और वह अपनी मां से खाना परोसने के लिए बोलने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को तलाश करने लगा लेकिन उसकी मां कहीं दिखाई नहीं दी तो वह अपनी मां के कमरे में जाने लगा,,, जहां पर दिन भर की थकान से चूर होकर वह अपने कमरे में बिस्तर पर सो रही थी,,, सोनू अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया वह दरवाजे पर दस्तक देने जा ही रहा था कि दरवाजे पर हाथ रखते ही दरवाजा खुद ब खुद खुलता चला गया,,, संध्या दरवाजे को लॉक करना भूल गई थी,,, सोनू दरवाजा खुलते ही अपनी मां को आवाज लगाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसके मुंह से शब्द मानो उसके गले में अटक से गए,,, सामने बिस्तर पर उसकी मां उसे लेटी हुई नजर आई,,, जो की पीठ के बल लेटी हुई थी और अपनी एक टांग को घुटनों से मोड़कर रखी हुई थी और एक टांग सीधी थी,,, दरवाजे पर खड़े खड़े ही सोनू को अपनी मां की नंगी टांगों के दर्शन हो गए,,,, और अपनी मां की नंगी टांगों को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पेट की भूख पर जिस्म की भूख हावी होने लगी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजे पर खड़े रहे या अंदर जाए या फिर कमरे से बाहर ही चला जाए लेकिन यहां से अपने कदम को पीछे ले जाना शायद सोनू जैसे जवान लड़के के लिए गवारा नहीं था,,, क्योंकि जब आंखों के सामने दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत अपनी नंगी टांगों को दिखाते हुए लेटी हो,,, तो भला वह कौन सा मर्द होगा जो ऐसी मौके का फायदा उठाते हुए अपनी आंखों के ना सेंके,,,। इसलिए दुनिया की यह मर्दों वाली दस्तूर में सोनू भी उससे अछूता नहीं था भले ही सामने पलंग पर लेटी हुई उसकी मा ही क्यों ना थी,, सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था वह दरवाजे पर खड़े होकर पूरी तरह से मुआयना कर लेने के बाद धीरे-धीरे अपना कदम कमरे में बढ़ाने लगा,,, संध्या गहरी नींद में सोई हुई थी,,, जैसे-जैसे सोनू अपना कदम आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे सोनू के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,देखते-देखते सोनू अपनी मां के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया जहां से उसे दुनिया का सबसे खूबसूरत नजारा नजर आ रहा था,,, संध्या की नंगी चिकनी काम पूरी तरह से सोनू को अपनी तरफ प्रभावित कर रही थी संध्या की मोटी मोटी जांघें केले के तने के समान एकदम चिकनी थी,,, सोनू का मन अपनी मां की जांघों को अपने हाथों में लेकर मसलने को कर रहा था,,, टांग को घुटनों से मोड़कर रखने की वजह से साड़ी सरक कर नीचे कमर के इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गई थी,,, सोनू अपनी मां की बुर देखना चाहता था,,, लेकिन शायद ऊसकी किस्मत खराब थी क्योंकि साड़ी नीचे सरकने की वजह से उसकी बुर वाली जगह पर इकट्ठा हो गई थी जिसकी वजह से साड़ी के अंदर उसकी बुर ढंक चुकी थी,,, यह देखकर सोनू का दिमाग खराब हो गया,,,अपनी मां की नंगी चिकनी टांगों को देखकर उसे उम्मीद थी कि जरूर उसकी मां की बुर उसे देखने को मिल जाएगी लेकिन,,, उम्मीद पर पानी फिर चुका था,,, जांघों की चिकनाहट ऊसका गोरापन,,, सोनू के दिल की धड़कन बढ़ा रहा था और धीरे-धीरे उसका लैंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,,, लेकिन उत्तेजना का संपूर्ण केंद्र बिंदु साड़ी के नीचे ढका हुआ था जिसकी वजह से सोनू को निराशा हाथ लगी थी,,,

सोनू अब तक अपनी मां की कमर के नीचे वाले हिस्से को ही देख रहा था लेकिन जैसे ही उसकी नजर ऊपर अपनी मां की छातीयो पर गई उसके होश उड़ गए क्योंकि ब्लाउज के दो बटन खुले हुए थे जिसमें से संध्या की खरबूजे जैसी चुचिया पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज के अंदर छाती पर लहरा रही थी,,, ब्लाउज का बटन खुला होने की वजह से आधे से ज्यादा चूचियां बाहर झूल रही थी जिससे सोनू को अपनी मां की चूचियों के निप्पल के इर्द-गिर्द वाला भूरे रंग का घेरा,,, और वो भी दोनों चूचियों का,, लेकिन साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सोनू की आंखों की चमक बढ़ने लगी अपनी मां के चेहरे की तरफ देखा वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर गहरी नींद में सो रही थी वह काफी देर से अपनी मां के बिस्तर के करीब खड़ा था लेकिन उसके आने की आहट उसकी मां को बिल्कुल भी पता नहीं चल रही थी इसलिए सोनू की हिम्मत बढ़ने लगी,,, अपनी सारी हिम्मत अपनी मां की बुर देखने में लगा देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसके हाथों में कंपन होने लगा था क्योंकि जो काम करने जा रहा था अगर ऐसे में उसकी मां की नहीं खुल जाती तो लेने के देने पड़ जाते,,,, लेकिन बुर देखने की चाह पकड़े जाने के डर पर हावी होता जा रहा था,,,,सोनू धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की साड़ी को हल्कै से पकड़ लिया जो कि उसकी बुर वाली जगह को ढकी हुई थी,,,। सोनू की सांसे बड़ी गहरी चल रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि इससे आगे तो क्या करें क्योंकि अभी तक वह केवल अपनी मां की साड़ी को पकड़े भरता और इतने में ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी पजामी में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया था,,,। सांसों की गति पर उसका बिल्कुल भी काबू नहीं था,,,।

घर पर संध्या और सोनू के शिकार तीसरा कोई भी नहीं था दोपहर का समय हो रहा था और अभी शगुन आने वाली नहीं थी और ना ही उसके पापा संजय,,,, दोपहर की गर्मी में कमरे के अंदर ऐसी की ठंडक का मजा लेते हुए संध्या नींद की आगोश में पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि काफी देर से उसका बेटा उसके नंगे पन के मधुर रस को अपनी आंखों से पी रहा है,,,।
साड़ी को पकड़े हुए हीसोनू साड़ी के नीचे वाली पतली दरार के बारे में अपने मन में उसके संपूर्ण भूगोल की कल्पना करने लगा था,,,, आखिरकार हिम्मत जुटाकर पर अपनी मां की साड़ी को हल्के से ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, सारी उठाते से मैं उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां पेंटी ना पहनी हो,,, क्योंकि अगर पेंटी पहनी हुई तो उसके किए कराए पर पानी फिर जाएगा इसलिए मन में भगवान से प्रार्थना करते हैं वह अपनी मां की साड़ी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा,,,, वो बार-बार अपनी मां की तरफ देख ले रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं गई लेकिन वह उसी तरह से निश्चिंत निश्चेत पड़ी रही,,,, और देखते ही देखते सोनू अपनी मां की साड़ी को 5 अंगुल तक ऊपर उठा दिया और उसकी खुशी का ठिकाना ना रहा,,, क्योंकि उसकी मां ने आज पेंटी नहीं पहनी थी,,,। साड़ी को हल्के से उठाते ही,,, सोनू की आंखों में चमक आ गई क्योंकि जिस चीज को वह देखना चाहता था जिसके लिए उत्सुक था वह चीज उसकी आंखों के सामने थी,,,, और सबसे ज्यादा उत्तेजना उसे इस बात की थी कि वह खुद अपने हाथों से साड़ी हटाकर उस अंग को देख रहा था,,,,,, सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था वह अपनी मां की बुर के भूगोल को पूरी तरह से अपनी आंखों से टटोल रहा था,,,, एकदम कचोरी की तरह फुली हुई,,, हल्के हल्के रेशमी बाल ऊगे हुए थे ,,, अपनी मां के बुरके के ईर्द-गिर्दहल्के हल्के बाल को देखकर सोनू इतना समझ गया था कि चार-पांच दिन पहले ही उसकी मां अपने झांठ के बाल को साफ की है,,, सोनू की हालत एकदम खराब होती जा रही थी,,,वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां की पूर्व को देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी एकदम कचोरी की तरह फुली हुई और हल्की सी पतली दरार और दरार के बीच में से झांकती हुई गुलाबी पंखुड़ियां,,,, यह नजारा सोनू के लिए एकदम जानलेवा था उसकी सांसे अटक गई थी वह,,सोनू बार-बार कभी अपनी मां के चेहरे की तरफ तो कभी अपनी मां की दोनों टांगों की तरफ देख ले रहा था,,,अभी तक उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसीलिए उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,, उसका मैंने अपनी मां की बुर को छूने को कर रहा था,,, वह देखना चाहता था कि बुर को छूने से बदन में कैसी हरकत होती है,,, सोनू उस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहता था इसलिए थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए वह जिससे सारी पकड़ा था उसी हाथ से हल्के से अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की फुली हुई बुर पर रख दिया,,,, सोनू की सांसे अटक गई सोनू के लिए पहला मौका था जब वह अपनी जिंदगी में पहली बार किसी की बुर को अपनी उंगली से छू रहा था और वह भी अपनी ही मां की बुर को,,,,,, सोनू से सांस लेना मुश्किल हो रहा था अभी भी उसकी मां में बिल्कुल भी हरकत नहीं हुई थी इसलिए सोनू,,, अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की बुर की पत्नी दरार पर ऊपर से नीचे तक हल्के-हल्के घुमाने लगा,,,, सोनू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक अद्भुत सुख से उसका बदन कसमसा रहा था,,, वक्त जैसे यहीं रुक गया हो,,, सोनू कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे अपनी ही मां की बुर को ऊंगली से छूने का मौका मिलेगा ,,,,, दो-तीन बार सोनू अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर उंगली रखकर ऊपर से नीचे किया,,,,लेकिन अभी भी संध्या में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हुई थी जिससे सोनू की हिम्मत और बढ़ती जा रही थी और इस बार वह अपनी मां की गहरी नींद का फायदा उठाते हुए अपनी मुझे को अपनी मां की बुर के अंदर डालने की सोचा,,, और अपनी सोच को हकीकत में बदलने के लिए वह बुर के ऊपरी सतह पर अपने बीच वाली उंगली को पतली दरार पर रखकर अंदर की तरफ सरकाने लगा,,, यहां पर सोनू नादानी कर गया था बुर्के भूगोल के बारे में वह संपूर्ण रूप से अवगत नहीं था उसे नहीं मालूम था कि बुर का छेद किस जगह होता है,,,, वह अपनी बीच वाली उंगली पर दबाव बनाता होगा अपनी मां की बुर की ऊपरी सतह पर उंगली डालने लगा,,, सोनू का पूरा ध्यान अपनी मां की दोनों टांगों के बीच और उसकी हरकत की वजह से संध्या की नींद अचानक खुल गई,,, और अपनी बेटी को अपनी दोनों टांगों के बीच पाकर एकदम से स्तब्ध रह गई,,,, संध्या भी अपने बेटे की तरह पूरी तरह से आकर्षित थी इसलिएजानबूझकर तुरंत अपनी आंखों को बंद करके वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा क्या कर रहा है इतना तो समझ गई थी कि जिस तरह से वह अपनी ऊंगली का दबाव उसकी बुर पर बना रहा था वह अपनी उंगली को उसकी बुर में डालना चाहता है,,,पर यह भी समझ गई कि भले ही उसका बेटा जवान हो गया है लेकिन उसने अपनी औरतों की बुर का छेद किस जगह होता है यह नहीं मालुम,,, अपने बेटे की नादानी पर उसे हंसी आ रही थी लेकिन अपनी हंसी को वह रोके हुए थे और इस समय अपने बेटे की इस नदानी पर उसे गुस्सा भी आ रहा था,,, क्योंकि वह चाहती थी कि उसके बेटे की उंगली उसकी बुर के अंदर हो,,,,

सोनू लगातार कोशिश कर रहा था संध्या अपनी आंखों को जानबूझकर बंद किए हुए थी,,,,सोनू अपनी मां की बुर के गुलाबी छेद को टटोलते हुए अपनी उंगली को नीचे की तरफ लाने लगा,,, आखिरकार सोनू की मेहनत रंग लाने लगी,,,।
अचानक उसे अपनी मां का गुलाबी छेद मिल गया था अब तक की हरकत की वजह से संध्या भी गरम हो चुकी थी जिससे उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,, सोनू की उंगली आधे से कम उसकी मां की बुर में घुस चुकी थी,,, सोनू के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे और काफी उत्तेजित नजर आ रहा था उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल हो गया था और उसे अपनी उंगली गीली होती महसूस थोड़ा और हिम्मत करके अपनी उंगली को अपनी मां की डालने लगा और उसकी आधी संध्या की बुर में चली गई अब जाकर सोनू को इस बात का अहसास हुआ कि,, बुर के अंदर कितनी गर्मी होती है,,, सोनू को समझ नहीं आ रहा था क्या करें हालत बिल्कुल खराब होती जा रही थी और सोनू से भी ज्यादा हालत खराब हो रही थी संध्या की,,, क्योंकि उंगली घुस जाने के बाद संध्या की लालच बढ़ती जा रही थी वह चाहती थी कि सोनू और हिम्मत दिखाएं और अपनी ऊंगली की जगह अपना लंड उसकी बुर में डाल दे,,,लेकिन अपने बेटे की इस हरकत की वजह से वह अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी और उसके बदन में हरकत होने लगी उसका बदन कसमसाने लगा,,,, और सोनू अपनी मां के बदन में हो रही हलचल को देखके एकदम से घबरा गया और तुरंतअपनी उंगली को अपनी मां की बुर में से निकाल कर वहां से फौरन कमरे से बाहर निकल गया,,,, संध्या को इस बार अपने आप पर गुस्सा मिलेगा कि वह अपनी उत्तेजना को काबू में क्यों नहीं कर पाई,,, सोनू कमरे से बाहर चला गया था उसने अपनी हालत को देखकर एकदम शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी उसे ऐसा ही लग रहा था कि उसका बेटा उसकी साड़ी को कमर तक उठाया है,,, यह सांसों से कहा कि उत्तेजना का अनुभव करा रहा था,,,, वह अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो दंग रह गई उसकी पूरी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,। अपने बेटे की हरकत पर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,उत्तेजना के मारे उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी और वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, उसके कमरे में भी अटैच बाथरूम था लेकिन वह दूसरी बाथरूम की तरफ जाने लगी जहां पर सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में न कर पाने की स्थिति में खुद बाथरूम में चला गया था और बाथरूम में जाते ही अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और टॉयलेट के कमोड पर नंगा ही बैठ गया,,,

क्रमशः
आज दोनो तरफ लगी है बस चिंगारी लगाने की देरी है देखते हैं कि माचिस कोन लगाता है
 

Sanju@

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, सोनू की जवानी उबाल मार रही थी,,, वह कभी सोचा नहीं था कि उसे इस तरह का दृश्य देखने को मिल जाएगा अपनी मां की नंगी बुर को देखकर वह अपने आप को रोक नहीं पाया था और उसे छूने की उसी गरमाहट को महसूस करने की और उसने अपनी उंगली डालने की लालच को वह रोक नहीं पाया और डरते हुए लेकिन वासियों के अधीन होकर वह अपनी उंगली को अपनी मां की बुर में डालकर उसकी गर्माहट को पूरी तरह से अपने अंदर महसूस करने लगा था जिसकी वजह से उसका लंड लोहे की रोड की तरह एकदम कड़क हो गया था,,,। अपनी मां के बदन में कसमसाहट महसूस करते ही सोनू वहां से वापस आ गया लेकिन अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए बात करने के लिए और अपने सारे कपड़े उतार कर टॉयलेट के कमोड पर बैठ गया,,,,,,उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,अपनी मां की चिकनी बुर को देखकर अपने लंड के इर्द-गिर्द ऊगे हुए घूंघराले बालों को साफ करने का उसका भी मन हो गया,,, इसलिए वह,,बाथरूम के ड्रोवर में से रखी हुई वीट क्रीम को बाहर निकाल लिया,,, और अपनी दोनों टांगों के बीच अपने झांठ के बाल पर क्रीम लगाने लगा वह कम उसके इर्द-गिर्द अपनी दोनों टांग करके खड़ा था,,,
दूसरी तरफ संध्या अपने बेटे की कामुक हरकत की वजह से पूरी तरह से स्तब्ध थी,,, लेकिन उसे अपने बेटे की यह हरकत,,, बहुत अच्छी लगी अपने बेटे की इस हरकत पर वह पूरी तरह से खुमारी के रंग में चढ़ने लगी थी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था ऊसका बेटा अपनी ऊंगली को ऊसकी बुर में डाल देगा,,, लेकिन उसके लिए वह पल बेहद अद्भुत था,,, कामोत्तेजना से भरा हुआ,,, अपने पति के मोटे तगड़े लंड को वह ना जाने कितनी बार अपनी बुर की गहराई में उतार चुकी थी,,, लेकिन जो सुख जो एहसास उसे अपने बेटे की ऊंगली से हुआ उसका वर्णन शायद वह अपने शब्दों में नहीं कर सकती थी,,,,। पल भर में ही उसके बेटे ने उसे उत्तेजना के परम शिखर पर लाकर पटक दिया था,,,, जैसे ही उसे सोनू कमरे से बाहर जाता हुआ नजर आया वैसे ही वह बिस्तर पर उठ कर बैठ गई और थोड़ी देर बाद वह भी सोनू के पीछे पीछे बाथरूम तक आ गई वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा बाथरूम में क्या करता है क्योंकि वह पूरी तरह से उत्तेजित था और संध्या इतना तो जानती थी कि उत्तेजित अवस्था में मर्द क्या करता है,,,, संध्या की किस्मत अच्छी थी कि दरवाजा खुला हुआ था पूरा नहीं लेकिन थोड़ा सा ,,, जिसमें से अंदर का सब कुछ नजर आ रहा था,,,, और संध्या इस मौके को अपने हाथ से कैसे जाने देना चाहती थी,,, उसे इतना तो एहसास था ही की,, उसकी गर्म जवानी और बुर देखकर वह अपना पानी निकाले बिना नहीं रह सकता इसलिए आज उसके मन में अपने बेटे के मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को देखने की हसरत जाग उठी थी और जैसे ही दरवाजे की ओट में से एक बाथरूम के अंदर का नजारा देखी तो दंग रह गई,,, अंदर का नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था कमोड के ईर्द-गिर्द अपना पांव रखकर सोनू खड़ा था और साथ ही उसका लंड की पूरी औकात में था संध्या तो अपने बेटे के खड़े लंबे लंड को देखकर हैरान रह गई,,, वाकई में सोनू का लंड बेहद लंबा और मोटा था,,,, यह एहसास ऊसे अपने बेटे के नंगे लंड को देखकर हो गया,,,,,,, उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी और इस समय सोनू भी अपने झांठ के बाल पर वीट क्रीम लगा रहा था यह देखकर उसे पता चल गया कि उसका बेटा अपने झांठ के बाल साफ करने जा रहा है,,, संध्या की सांसे ऊपर नीचे होने लगी सोनू क्रीम लगा चुका था और कुछ देर तक क्रीम लगे हुए ही अपने लंड को मुट्ठी में भरकर आगे पीछे करने लगा यह नजारा संध्या के लिए बेहद उत्तेजनात्मक था,,, शायद ऐसा नजारा संध्या ने आज तक अपनी जिंदगी में नहीं देखी थी सोनू मस्त होकर अपने लंड को आगे पीछे करके मुठिया रहा था संध्या अपने मन में ही सोचने लगे कि उसका बेटा अपने लंड को हिलाते हुए उसके ही बारे में सोच रहा है जो कि यह सच था,,,। सोनू के मन में उस समय उसकी मां का खूबसूरत बदन नाच रहा था खास करके वह दृश्य उसकी आंखों के सामने बार बार घूम रहा था जब वह अपनी मां की नींद में होने का फायदा उठाते हुए अपनी उंगली को उसकी रसीली गुलाबी बुर के अंदर डालने की कोशिश कर रहा था,,,,। सोनू मदहोश हो चुका था दरवाजे पर खड़ी संध्या अपने होश खो रही थी अपने बेटे के लंड को देखकर वह पूरी तरह से अपने बेटे के प्रति आकर्षित होती जा रही थी अपने बेटे के लैंड के आकार को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि वाकई में वो किसी भी औरत को पानी-पानी कर देने में पूरी तरह से सक्षम है संध्या को वह दिन याद आने लगा जब वह बगीचे में खड़ी होकर झाड़ियों के अंदर मां बेटे की चुदाई देख रही थी,,,। उसका बेटा ठीक उसके पीछे खड़ा था और अंदर के नजारे को देखकर एकदम मस्त हो गया था,,, दोनों मां-बेटे तुम गर्म हो चुके थे और सोनू अपनी मां के भजन की गर्मी और अंदर से गरम नजारे को देखकर एकदम चुदवासा हो गया था और पैंट के अंदर ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था,,, जोकि साड़ी के ऊपर से ही संध्या की गांड पर रगड़ खा रहा था और साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर के ऊपर मर्दाना ताकत से भरे हुए अपने बेटे के लंड की ठोकर को महसुस करके वह एकदम मस्त हो गई थी,, आज अपनी आंखों से अपने बेटे के खड़े लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि किस लिए साड़ी के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को एकदम साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी उसे यकीन हो गया कि उसके बेटे की लैंड में बहुत ताकत है और दूसरों की तुलना में उसके बेटे का लंड मोटा और लंबा कुछ ज्यादा ही है,,, दूसरों का क्या वह खुद अपने पति के लंड की तुलना अपने बेटे के लंड से करने लगी थी जो कि संध्या को भी मानना पड़ रहा था कि उसके बेटे का लंड उसके पति से ज्यादा दमदार है,,,।


संध्या गर्म आहें भरते हुए अंदर के नजारे को देखने लगी,,,, सोनू अब टावल लेकर क्रीम को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में सोनू के झांठ के बाल पूरी तरह से गायब हो चुके थे और लंड वाली जगह एकदम चिकनाहट से भर चुकी थी संध्या भी अपने बेटे की संपूर्ण लंड का दर्शन करके मस्त हो गई थी वह पूरी तरह से अपनी औकात में था छत की तरफ उठाएं मानो कि चैलेंज कर रहा हो कि आ जाओ जिसमें दम हो मेरे लंड की ठोकर को बर्दाश्त करने की,,,,

सोनू कमोड पर बैठ नहीं रहा था बल्कि उसी पर खड़ा होकर के अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया,,, संध्या यह नजारा देखकर एक दम मस्त हो चुकी थी,,,उसकी बुर में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी,,,,,, संध्या का मन कर रहा था कि वह बाथरूम में घुस जाए,,, और आज अपने मन की हसरत मिटा ले,,,, वाकई में सोनु का लंड इतना दमदार था कि उसे कोई भी औरत देख ले तो उसे पाने के लिए तड़प उठे,,,

बाथरूम के अंदर सोनू एकदम नंगा था,,,संध्या के जीवन में यह दूसरा मरता था जिसे वह संपूर्ण रूप से नंगा देख रही थी और वह भी खुद के बेटे को,,,, सोनू की हालत खराब होती जा रही थी वह अपने लंड की गर्मी को निकाल कर शांत होना चाहता था,,। इसलिए अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए मुठीया रहा था,,,। और शायद यह भी संध्या के लिए पहली बार ही था जब वह किसी को मुठिया मारते हुए देख रही थी,,,संध्या से रहा नहीं जा रहा था और उसके यहां की खुद-ब-खुद साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर के ऊपर पहुंच गए,,, और वह जोर-जोर से साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को मसलना शुरू कर दी,।,,,,

आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी लेकिन आगे बढ़कर उसे बुझाने की पहल कोई भी नहीं कर पा रहा था,,,सोनू के दिलो-दिमाग पर उसकी मां का खूबसूरत जिस्म छाया हुआ था,,,,, कुछ देर पहले ही वह अपनी मां के अर्ध नग्न बदन के साथ-साथ अपनी मां की गुलाबी बुर के दर्शन भी कर चुका था और उसे छूकर उसकी गरमाहट को महसूस कर चुका था और उसी की गर्मी उसके तन बदन में भरी हुई थी जिसे वह बाहर निकाल कर शांत होना चाहता था,,,।
संध्या की आंखें पलके झपका ना भूल चुकी थी,,,, वह अपलक अपने बेटे के चेहरे की तरफ नहीं बल्कि उसकी लंबे लंड की तरफ देखे जा रही थी जो कि बेहद लुभावना लग रहा था संध्या की बुर में चींटियां रेंग रही थी,,,वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,,, और उसे यह भी पता था कि उसका चुदासपन अपने बेटे से चुदवाए बिना नहीं मिटने वाला क्योंकि अपने बेटे की आकर्षण के बाद से जो कि वह अपने पति के साथ संभोग रथ होती थी तो उसके मन में उसके पति की जगह केवल उसका बेटा ही रहता था,,,।


ओहहहह,,, मम्मी,,,,,, आई लव यू मम्मी,,, तुम बहुत सेक्सी हो ,,, मम्मी,,,,, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं ,,,,,,तुम्हारी बुर में लंड डालना चाहता हूं,,,,,(सोनू की आंखें बंद थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आगोश में चला गया था उसे बिलकुल भी होश नहीं था,,, संध्या उसके मुंह से यह बात सुनते ही एकदम से चौकते हुए मदहोश हो गई,,, उसी पक्के तौर पर यकीन हो गया कि उसका बेटा उसके बारे में ही सोच कर मुठिया रहा है,,,, उसकी बातें संध्या के आज का बदन में आग लगाने लगी,,, अपने बेटे के मन के अंदर की बात को जानकर संध्या की हसरतें और ज्यादा बढ़ने लगी उसके चेहरे पर उत्तेजना और खुशी के भाव नजर आने लगी अपने बेटे की बात सुनकर उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका बेटा उसे चोदना चाहता है,,,,लेकिन शायद मां बेटे के पवित्र रिश्ते की वजह से अभी तक वह शांत है उसे बस एक ही सहारे की जरूरत है और दोनों की हसरत पूरी हो जाएगी क्योंकि जितना उत्सुक वह अपनी मां को चोदने के लिए था उससे ज्यादा उत्सुकता संध्या की अपने बेटे से चुदवाने की थी,,,, सोनू की बातें संध्या के तन बदन में काम ज्वाला को भड़काने लगी अपने बेटे को अपना नाम लेकर गंदी गंदी बात करते हुए मुठीयाते हुए देखकर संध्या से भी नहीं रहा गया और वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी नंगी पुर में दो उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी,,,,,,

सोनू के चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ झलक रही थी और उसकी बातें बेहद मादकता फैला रही थी,,,।

ओहहहहह,,,, मम्मी तुम्हारी बुर मुझे चाहिए तुम्हारी बुर में में अपना लंड डालना चाहता हूं,,,,,, तुम्हारी जैसी कोई नहीं है मम्मी,,,,,, तुम बहुत सेक्सी हो,,,, आ जाओ प्लीज आ जाओ मम्मी,,,,मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने इसे अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बुर में डालो मम्मी,,,आहहहहह,,,आहहहहहहहहहह,,,, मम्मी तुम्हारी बुर में पानी निकलने वाले मैं झड़ने वाला हूं मम्मी,,,,,आहहहह,,,,आहहहहह,,,,और इतना कहते हैं सोनू के लंड से पानी की पिचकारी निकलने लगी जो कि इतनी जबरदस्त और तीव्र थी कि सामने की दीवार की टाइल्स पर गिरने लगी,,, यह नजारा,,,,और अपने बेटे की बातें संध्या के लिए अद्भुत थी ,,,, उसका खुद का पानी निकालने के लिए काफी था,,, और यही हुआ भी जैसे ही सोनू के नंबर से पानी की पिचकारी बाहर निकली वैसे ही संध्या की बुर ने भी पानी छोड़ दिया,,, पहली बार संध्या इतनी जल्दी चढ़ी थी यह शायद सोनू की गंदी बातें जो कि उसके खुद के लिए थी और अपने ही बेटे के खड़े लंड को देखकर उसके प्रति आकर्षण का नतीजा तो संध्या इतनी जल्दी अपना पानी निकाल दी थी,,,, सोनू भी शांत हो चुका था,,, वासना का तूफान गुजर चुका था लेकिन अपने निशान छोड़ गया था,,, सोनू जोर-जोर से हांफ ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां के बारे में सोच सोच कर अपना पानी नहीं बल्कि अपनी मां को चोद कर अपना पानी निकाल दिया हो,,, संध्या का अब यहां खड़ा रहना उचित नहीं था इसलिए वह अपने कदम पीछे ले चुकी थी और कमर तक उठाई हुई साड़ी को नीचे कदमों में गिरा दी थी लेकिन चूड़ियों की खनक ने की आवाज सोनू के कानों तक पहुंच चुकी थी क्योंकि इस बात का एहसास हो गया को बिल्कुल भी नहीं पापा तो वापस जाने लगी थी लेकिन चूड़ियों की आवाज को सुनकर सोनू सतर्क हो चुका था,,, वह तुरंत दरवाजे की तरफ देखा जो कि थोड़ा सा खुला ही था वह उसी तरह से नंगा ही दरवाजे तक आया और अपना सिर बाहर निकाल कर गैलरी की तरफ देखने लगा चुकी उसे अपनी मां जाती हुई दिखाई दे रही थी उसे समझते देर नहीं लगी कि खुले दरवाजे पर खड़ी होकर उसकी मां क्या देख रही थी,,,। सोनू के बदन में एकदम से हलचल सी दौड़ने लगी वह बर्फ की तरह ठंडा पड़ने लगा,,, वह घबराने लगा,,, लेकिन तभी उसे कुछ दिनों कि सारी घटनाएं याद आने लगी बगीचे वाली अपनी मां से किए गए 2 अर्थ वाली बातें,,, और ऐसी कई बातें थी जो कि सोनू को राहत पहुंचा रही थी उसका डर कम होने लगा था उसका एहसास नहीं लगा था कि अगर उसकी मां को यह सब गलत लगता तो वह कब से रोक चुकी होती और उसपर डांट फटकार भी लगाती,,,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था जिसका मतलब साफ था कि उसकी मां भी यही चाहती थी,,,तभी तो बगीचे में सब कुछ साफ़ साफ़ महसूस करते हुए भी उसकी मां ने उसे रोकी नहीं थी,,,

यह सब बातें और बाथरूम के दरवाजे पर अपनी मां की मौजूदगी को महसूस करते ही सोनू किसान से ऊपर नीचे होने लगी उसके तन बदन में फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे इस बात का एहसास होने लगा किअपने लंड में देहाती हुए वह अपनी मां के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था और उसकी मां जरूर उसकी बातों को सुनी होगी अगर ऐसा है तो जो वह उत्तेजना में आकर कह रहा था कि वह मां को चोदना चाहते हैं यह बात सुनकर उसकी मां को अच्छा लगा होगा वरना वह बाथरूम में आकर उसे दो चपत लगा दी होती सोनू यह सब बातें सोच कर अपने मन को राहत दे रहा था और उसे लगने लगा था कि आने वाले समय में मंजिल तक पहुंचना कोई कठिन काम नहीं है वह जरूर अपनी मंजिल तक पहुंच जाएगा और जो उसके मन में हसरत है अपनी मां को चोदने का वह जरूर पूरी होगी,,,,। यह सब बातें सोच कर एक बार फिर से उसके लंड की अकड़ वापस लौटने लगी थी,,,।

और दूसरी तरफ संध्या अपने कमरे में पहुंच चुकी थी पर अपने बेटे के बारे में सोच रही थी जो कि अपने लंड को मुठ जाते हुए उसके बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा था अपने बेटे की बात को सुनकर संध्या अपने मन में सोच कर खुश हो रही थी कि उसका बेटा भी उसे चोदना चाहता है,,,, और इस बात को सोचकर उसकी आंखों के सामने सोनू का खडा लंड झुलने लगा,,,उत्तेजना के मारे उसकी बुर फूलने पिचकने लगी थी कि अब बहुत ही जल्द उसके बेटे का खड़ा लंड उसकी बुर के अंदर प्रवेश करेगा और उसे एक अद्भुत सुख के साथ-साथ एक अद्भुत और अतुल्य एहसास कराएगा,,,,,,।


शाम ढलने लगी थी सगुन घर पर आ चुकी थी,,,बाथरूम वाली घटना के कारण सोनू अपनी मां से नजर नहीं मिला पा रहा था वही हालत संध्या की भी हो रही थी वह शर्म आ रही थी अपने बेटे के सामने आने के लिए उसे इस बात का बिल्कुल भी नहीं था बाथरूम में उसकी उपस्थिति का एहसास उसके बेटे को हो गया था तू अपने कमरे में अपने बेटे की हरकत की वजह से शर्मा रही थी जिस तरह से उसके बेटे नेउसके नंगे बदन के दर्शन करते हुए खास करके उसकी बुर को देखकर उत्तेजना महसूस किया था और अपनी मोगली को उसकी पूरी की गुलाबी छेद में डालने की कोशिश किया था यह सब बातें सोच कर संध्या शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी हालांकि अपने बेटे की हरकत ऊसे बहुत ही अच्छी लगी थी और अपने बेटे की हीम्मत पर उसे गर्व भी हो रहा था,,, लेकिन फिर भी वह अपने बेटे से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,,।


जैसे तैसे करके समय गुजरने लगा संध्या की हसरत अपने बेटे के लंड को अपने पूर्व में लेने के लिए बढ़ती जा रही थी और सोनू की चाहत अपनी मां को चोदने के लिए और तीव्र होती जा रही थी दोनों एक दूसरे के प्रति पूरी तरह से आकर्षण मैं बंध चुके थे,,,, और यही हाल शगुन और उसके पापा संजय का भी था,,, संजय जबसे शगुन की चिकनी पुर के दर्शन किया था कब से उसकी हालत खराब हो चुकी थी रात दिन उसकी आंखों के सामने केवल शगुन की बुर ही नजर आती थी सिर्फ पतली दरार और कुछ नहीं,,, शगुन भी अपने पापा को अपनी बुर के दर्शन करा कर अपने आप को धन्य समझने लगी थी और तो और वह इस बात से भी इनकार नहीं कर पा रही थी कि अपने पापा को अपनी दूर दिखाकर में पूरी तरह से अपने पापा को अपने काबू में कर चुकी है हालांकि अभी भी दोनों के बीच कुछ भी नहीं हुआ था लेकिन आकर्षण का रिश्ता बढ़ता ही जा रहा था,,,,।

देखते ही देखते सब उनके एग्जाम आ गए और उसे एग्जाम देने के लिए शहर से बाहर जाना पड़ रहा था और वह भी 3 दिनों के लिए संध्या और संजय अच्छी तरह से जानते थे कि शकुन का इस तरह से दूसरे शहर में अकेले जाना ठीक नहीं है इसलिए संध्या के कहने पर ही संजय बाहर जाने के लिए तैयार हो गया,,,पहले तो इंकार करता रहा ,,, क्योंकि हॉस्पिटल में काम बहुत था लेकिन शगुन के साथ अकेलेपन के बारे में सोचते हैं उसके दिमाग में उथल-पुथल होने लगा और वह तुरंत बाहर जाने के लिए तैयार हो गया,,,।
Excellent update 👌👌👌
 

Sanju@

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शगुन बेहद उत्सुक थी शहर के बाहर जाकर एग्जाम देने के लिए क्योंकि उसका सपना जो पूरा होने वाला था यही एग्जाम था जो पास करके वह डॉक्टर बन सकती थी,,,।उससे भी ज्यादा उत्सुकता उसे इस बात की थी कि वहां 3 दिन तक अपने पापा के साथ शहर से बाहर रहने वाली थी,,, डॉक्टर बनने के सपने के साथ-साथ उसे जवानी की जरूरत भी पूरी होती हुई महसूस हो रही थी उसे लगने लगा था कि इन 10 दिनों में जरूर उसके मन की और तन की इच्छा पूरी होगी,,, इसलिए वह एक बैग में अपने कपड़े समेटने लगी,,, दूसरी तरफ संजय की भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी जब से वह शगुन की कोरी चिकनी बुर के दर्शन किया था तब से उसकी हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही थी,,, उसकी आंखों के सामने बार बार अपनी ही बेटी की मदमस्त रसीली फूली हुई बुर नजर आती थी,,,, वह बार-बार अपने मन को दूसरी तरफ लगाने की कोशिश करता था लेकिन वह इस कोशिश में कामयाब नहीं हो पाता था पूरी तरह से शगुन उसके दिलो-दिमाग पर छा चुकी थी उसके खूबसूरत महकते जिस्म की खुशबू महसूस होते ही संजय का लंड खड़ा हो जाता था,,, यह सफर उसकी भी जीवन का बेहद अनमोल पल बनने वाला था जिसका उसे बेसब्री से इंतजार था आखिरकार इंतजार की घड़ी खत्म हो चुकी थी और वह भी बैग में अपने कपड़े भर रहा था संध्या दौड़ दौड़ कर उन दोनों की जरूरतों की चीजें लाकर दे रही थी ऐसा लग रहा था कि मानो वह उन दोनों को जल्द से जल्द घर से बाहर भेजना चाहती थी जिसमें उसका ही अपना स्वार्थ छिपा हुआ था,,, वह भी इस बात से बेहद उत्सुक थी कि 3 दिन तक वह अपने बेटे के साथ अकेली रहने वाली थी और इन 3 दिनों में ही वह अपने बेटे को पूरी तरह से अपने काबू में कर लेना चाहती थी वैसे भी उसे इस बात का अहसास था कि उसका बेटा पूरी तरह से उसके खूबसूरत जिस्म के आकर्षण में डूब चुका है जिसका जीता जागता सबूत वह बार-बार पा चुकी थी,,,और जब से वह अपनी आंखों से अपने बेटे को बाथरूम के अंदर उसका नाम लेकर मुट्ठ मारते हुए देखी थी तब से अपने ही बेटे के साथ चुदवाने का उसकी इच्छा प्रबल होती जा रही थी,,,।

सुबह के 10:00 बजने वाले थे और संजय और शगुन शहर से बाहर जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके थे,,,।

शगुन रास्ते के लिए मैंने खाना बनाकर टिफिन में रख दी हूं दोपहर में तुम ओर तुम्हारे पापा खा लेना,,,, कब तक पहुंचोगो वहां पर,,,,(संध्या संजय की तरफ देखते हुए बोली,,,)



रात के 8:00 बज जाएंगे वहां पहुंचने के बाद हमें कोई होटल में रुकना होगा,,,(होटल का नाम सुनते ही सब उनके तन बदन में हलचल मचने लगी,, उसकी दोनों टांगों के बीच की कड़ी दरार में कुलबुलाहट होने लगी,,,,) और सुबह 11:00 एग्जाम देने जाने के लिए सेंटर पर जाना होगा,,,,


चलो कोई बात नहीं आराम से पहुंच जाना और बेटा सगुन अच्छे से परीक्षा देना ताकि इस बार पहले ट्राई में ही तुम डॉक्टर बन जाओ,,,


तुम चिंता मत करो मम्मी ऐसा ही होगा,,,,(शगुन अपने बैग की चैन को बंद करते हुए बोली).



चलो ठीक है,,,,(इतना कहने के साथ ही संध्या लगभग भागते हुए किचन में गई और एक कटोरी में दही लेकर आई और चम्मच से पहले शगुन को उसके बाद संजय को खिलाते हुए बोली) भगवान सब कुछ ठीक करेंगे,,,

(सारे क्रियाकलाप को सोनू वहीं पास में बैठा देख रहा था उन लोगों की बातो पर उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं था वह केवल अपनी मां को देख रहा था उसके खूबसूरत बदन को देख रहा था उसके कमर में कसी हुई साड़ी को देख रहा था जिसमें उसकी गोलाकार नितंब बेहद उधार लिए हुए नजर आ रहे थे और जब वो चलती थी तू उसमें हो रही थीरकन को देखकर उसका मन मचल उठ रहा था,,, सोनू के पेंट में बगावत हो रही थी अपनी मां की खूबसूरत हो जिसमें को साड़ी में लिपटा हुआ देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना के शोले भड़क रहे थे वह भी अपने पापा और अपने बहन के बाहर जाने का इंतजार कर रहा था वह चाहता था कि इन 3 दिनों में,,, जो वह चाहता है वह हो जाए,,, वहीं 3 दिनों का भरपूर फायदा उठाना चाहता था वह जानता था कि जो उसके मन में चल रहा है वही उसकी मां के भी मन में चल रहा है,,, तभी तो उसकी हरकत पर उसकी मां बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं करती थी उसे रोक की नहीं थी उसे डांटती नहीं थी मैं उसे समझाने की कोशिश करती थी बल्कि मौका मिलते ही किसी न किसी बहाने अपने अंगों को दिखाने की भरपूर कोशिश करती थी और जब से वह अपनी मां के कमरे में जाकर उसे अर्धनग्न अवस्था में देखकर उसकी मदमस्त प्रमुख नौकरी डाला था तब से उसका मन अपनी बांकीपुर में उंगली की जगह अपना लंड डालने को कर रहा था हालांकि अब तक सोनू संभोग के महआ अध्याय से बिल्कुल परिचित नहीं था उसे बिल्कुल भी क्या नहीं था की औरतों की चुदाई कैसे की जाती है क्या किया जाता है कैसे किया जाता है लेकिन फिर भी अपनी मां को लेकर उसके मन में अरमान जाग रहे थे वह किसी भी तरह से अपनी मां को चोदना चाहता था संभोग सुख से तृप्त होना चाहता था लेकिन वह आया कैसे करेगा इस बारे में भी उसे बिल्कुल भी पता नहीं था उसकी हिम्मत नहीं होती थी उसे डर लगता था और अपनी मंजिल तक पहुंचना भी चाहता था,,,, उसके मन में अपनी मां को लेकर ढेर सारी भावनाएं जाग रही थी देखते ही देखते हैं संजय और सगुन दोनों बाहर जाने के लिए तैयार हो गए,,, अपने भाई को ख्यालों में खोया हुआ देखकर सगुन बोली,,)


अरे कहां खोया हुआ है नींद आ रही है क्या तुझे,,,


नहीं नहीं दीदी ऐसी कोई भी बात नहीं है बस तुम लोग जा रहे थे तो अच्छा नहीं लग रहा था,,,।


अरे हमेशा के लिए थोड़ी जा रही है 3 दिनों की तो बात है और वैसे भी एग्जाम देने जा रही हूं सब कुछ सही हो गया तो इस घर में एक और डॉक्टर बन जाएगी,,,।


ऐसा ही होगा दीदी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है,,,,


अरे मेरा बुद्धू भाई,,,(ऐसा कहते हुए शगुन आगे बढ़कर अपने भाई को गले लगा ली,, सोनु भी अपने दोनों हाथ को सकून की पीठ पर रख दिया लेकिन सगुन कुछ ज्यादा ही गर्मजोशी दिखाते हुए उसे अपने गले लगाने की जिससे उसकी दोनों चूचियां सोनू की छाती पर महसूस होने लगी सोनू एकदम से गनगना गया,,,ऊसे,इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी बहन की दोनों चूचियां उसकी छाती पर रगड़ खा रही है,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी,,,, पल भर में वह भी उत्तेजित हो गया और जिस तरह से उसकी बहन उसे अपनी बाहों में भरकर उसे गले लगाई थी उसी तरह से वह भी अपनी दोनों हथेली को उसकी पीठ पर कसते हुए दबाव बनाने लगा,,,,,, इससे सोनू को उसकी बहन की दोनों अच्छे से अपनी छाती पर महसूस होने लगी उसे अपनी छाती के दोनों हिस्सों पर कुछ नुकीली चीज चुभती हुई महसूस हो रही थी सोनू को यह समझते देर नहीं लगी कि वह दोनों नुकीली चीज कुछ और नहीं बल्कि उसकी बहन की चुचियों की दोनों निप्पल है,,, एहसास से सोनू पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,,, कुछ देर तक और वह अपनी बाहों में मुझे अपनी बहन की चूची का मजा लेता इससे पहले ही संजय बोला,,,।


चलो जल्दी करो शगुन जल्दी निकलना है,,,,।
(इतना सुनते ही सगुन अलग हुई और संजय और सगुन दोनों घर से बाहर निकल गएसोनू और संध्या दोनों बाहर तक छोड़ने आए और तब तक खड़े रह जब तक की कार उनकी आंखों से ओझल नहीं हो गई नजरों से कार के दूर होते ही वापस घर में कदम रखते ही संध्या की हालत खराब होने लगी उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ क्योंकि आप 3 दिन तक वह और उसका बेटा अकेले रहने वाले थे,,,लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की शुरुआत कैसे करें क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा आगे से पहल नहीं कर पाएगा क्योंकि वह कमरे में ही उसकी हरकत को देख ली थी जिस तरह से वह भाग खड़ा हुआ था अगर उसकी जगह कोई और होता तो जिस तरह से अपनी उंगली उसकी बुर में डाल रहा था,,, वह उसके खूबसूरत बदन को देखकर उंगली नहीं बल्कि अपना लंड उसकी पुर में डाल देता,,,,इसलिए अपने मन में सोच रही थी कि शुरुआत उसे ही करना होगा लेकिन कैसे उसे समझ में नहीं आ रहा था कुछ सोच नहीं रहा था,,,,

दूसरी तरफ सोनू की भी हालत खराब थी क्योंकि उसे भी पता था कि आप 3 दिन तक पूरे घर में वह और उसकी मां अकेले ही रहने वाले हैं उसके लिए अरमान जाग रहे थे,,, लेकिन पहल करने से उसे भी डर लग रहा था,,,।


दोनों सीढ़ियां चढ़ने लगे,,,, तो संध्या उससे बोली,,,


अरे सोनू बेटा जरा बाथरूम में से धुले हुए कपड़े की बाल्टी ला देना तो,,,, ऊपर छत पर सुखाना है,,,,।


अरे तुम क्यों चिंता करती हो मम्मी मैं लेकर आता हूं ना,,, तुम छत पर चलो,,,


अच्छा ठीक है ,,,,(और इतना कहकर संध्या छत के ऊपर चली गई,,, सोनू तुरंत बाथरूम में पहुंच गया और धुले हुए कपड़ों की बाल्टी में कपड़ों को ढूंढने लगा वह धोए हुए कपड़ों में ब्रा और पेंटी ढूंढ रहा था,,, वह इन 3 दिनों में कुछ ऐसा उत्तेजना पूर्ण करना चाहता था कि जिसे देखकर उसकी मां खुद उसे से चुदवाने के लिए पहन कर दे और यही सोचकर वह बाल्टी में ब्रा और पेंटी ढूंढ रहा था ताकि वह अपनी मां के सामने उन कपड़ों को रस्सी पर डाल सके और यह देख सके कि उसके हाथों में अपनी खुद की ब्रा और पैंटी देख कर उसके चेहरे पर क्या प्रतिक्रिया आती है,,, जल्द ही उसे उस बाल्टी में अपनी मां की ब्रा और पेंटिं के साथ-साथ अपनी बहन की भी ब्रा और पेंटिं हाथ लग गई,,, सोनू जानबूझकर उसे बाल्टी में ओर नीचे रखकर बाल्टी लेकर छत पर पहुंच गया,,,।
Lagta h ab to Sonu aur Sandhya ki chudai ho jaye gi maja aayega
 

Sanju@

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छत पर हल्की हल्की धूप बिखरी हुई थी,,,,,, संध्या पहले ही छत पर पहुंच गई थी वह छत पर अपने बेटे का इंतजार कर रही थी,,, घर में अकेलेपन होने का एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था वह जानती थी कि इस समय वह अपने बेटे के साथ घर में अकेली है,,, वह अपने मन का कर सकती थी वह यह बात भी जानती थी कि एक जवान लड़की को इस उम्र में क्या चाहिए और एक जवानी से भरी हुई औरत को इस उमर में किस की जरूरत होती है संध्या को पूरा एहसास था,,,, वह चाहती थी कि उसका बेटा भी उसके साथ वही करें जो बगीचे में वह लड़का अपनी मां के साथ कर रहा था वह बात भी जानती थी कि ऐसा करने से दोनों के बीच के पवित्र रिश्ते की मर्यादा तार-तार हो जाएगी लेकिन ना जाने क्यों वह ऐसा ही करना चाहती थी लेकिन कैसे करना है इसी सोच में वह पड़ी हुई थी उसे कोई राह नजर नहीं आ रही थी,,,,

दूसरी तरफ यही हाल सोनू का भी था वह किसी भी तरह से अपनी मां को पूरी तरह से उत्तेजित करना चाहता था ताकि वह खुद अपने मुंह से चोदने के लिए बोले,,,,संभोग की संपूर्ण अध्याय से अपरिचित होने के बावजूद भी सोनू संभोग के सुख से परिचित होना चाहता था,,, वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि संभोग में दुनिया का सबसे अतुल्य और अद्भुत सुख छुपा हुआ है,,, और इस सुख को पाकर वह भी धन्य होना चाहता है,,,, धीरे धीरे बाल्टी को हाथ में लिए हुए मन में आगे की राह की तांता बा्ता बुनते हुए सोनू छत पर पहुंच गया जहां पर पहले से ही उसकी मां मौजूद थी जिसे देखते ही सोनू के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और पेंट में हलचल होने लगी,,,, सोनू छत पर पहुंचकर बाल्टी नीचे रख दिया यह देखकर संध्या उसकी तरफ आगे बढ़ी और बोली,,,।


अच्छा हुआ तू बाल्टी छत पर ले आया आज मेरी कमर बहुत दुख रही है,,,, ला में कपड़े रस्सी पर डाल देती हूं,,,,(ऐसा कहते हो मैं संध्या बाल्टी में से कपड़े खोलने के लिए नीचे झुकी और उसकी सारी का पल्लू तुरंत नीचे गिर गया और उसकी भारी-भरकम छातिया ब्लाउज के अंदर से नज़र आने लगी,,,, यह देखते ही सोनु की हालत खराब हो गई,,,, क्योंकि उसकी मां की चुचियों का ज्यादातर हिस्सा ब्लाउज के बाहर छलक आया था,,,, सोनू के पेंट में हलचल होने लगा यह नजारा उसके लिए आग में घी का काम कर रहा था,,,वह अपनी मां की चूचियों को बेहद नजदीक से देखना चाहता था इसलिए तुरंत अपनी मां को रोकते हुए नीचे झुका और बाल्टी में से कपड़े लेते हुए बोला,)
रहने दो मम्मी मैं डाल देता हूं,,,,(इतना कहते हुए सोनू अपनी मां की चूचियों से पूरी तरह से आकर्षित होकर बाल्टी में हाथ डाले हुए ही उसकी भारी-भरकम छातियों की तरफ नजर गड़ाए हुए झुका रह गया,,, संध्या को भी इस बात का एहसास हो गया कि इस तरह से झुकने की वजह से उसकी साडी का पल्लू कंधे पर से नीचे गिर गई है जिसकी वजह से उसकी ज्यादातर चूचियां नजर आने लगी,,,,,,, यही तो वह चाहती थी लेकिन यह जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था लेकिन उसके मन का हुआ था वह उसी तरह से जानबूझकर झुकी रह गई वह अपनी मदमस्त चूचियों को अपने बेटे को दिखाना चाहती थी,,, सोनू की वासना भरी नशे में चूर निगाहों को अपनी चुचियों पर घूमता हुआ पाकर वह पूरी तरह से बेहाल हो गई,,,,,, उसके मन में हो रहा था कि काश उसका बेटा अपने दोनो हाथो आगे बढ़ाकर ब्लाउज के बटन को खोल दे और उसकी बड़ी बड़ी चूची को बाहर निकालकर अपने हाथ में भरकर जोर-जोर से मसले,,,, यही सोच कर वह उत्तेजित हो रही थी और उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी जिसकी वजह से उसकी झुकी हुई चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी सोनू तो अपनी मां की दशहरी रूपी चूची को देखकर मस्त हो रहा था उसके मुंह में पानी आ रहा था जो बात उसकी मां सोच रही थी वही बात वह अपने मन में सोच रहा था कि काश उस में इतनी हिम्मत होती वह अपने हाथ पाकर बनाकर अपनी मां की ब्लाउज के बटन को खोल कर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबाता उसे मुंह में लेकर पीता,,,, लेकिन इतनी हिम्मत उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,, सोनू की भी सांसे भारी चलने लगी थी वह साफ तौर पर अपनी मां के ब्लाउज को देख रहा था और उस में लगा हुआ बटन को देख रहा था अपनी मां की भारी-भरकम चुचियों के वजन को देखते हुए उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं उसकी मां के ब्लाउज का बटन चुचियों के भार से टूट ना जाए,,,। वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की चुचियों में बेहद दम है,,,, कुछ सेकंड तक दोनों इसी तरह से चुके रहे एक दूसरे की आंखों में डूब जाने वाली निगाहों से देखते रहे आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी,,,, लेकिन तभी संध्या को एहसास हुआ और शर्मा कर अपनी नजरों को दूसरी तरफ कर‌ ली और अपनी पल्लू को वापस अपने कंधे पर डालते हुए खड़ी हो गई,,,, जानबूझकर अपनी कमर पकड़कर बोली,,,।

आहहहहहहह,,,, मेरी कमर आज तो हालत खराब हो गई है,,,,



क्या हुआ मम्मी कुछ ज्यादा दर्द कर रही है क्या,,,।


हां,,,रे आज तो मेरी कमर बहुत दर्द कर रही है,,,,,, (इतना कहने के साथ ही संध्या छत पर पड़ी खटिया पर बैठ गई,,,)


ठीक है मम्मी तुम यहीं बैठो मैं कपड़ों को रस्सी पर डाल देता हूं,,,,(सोनू मन में खुश होता हुआ बोला और वह आगे बढ़कर बाल्टी में से एक एक करके कपड़ों को निकालकर रस्सी पर डालने लगा,,, संध्या खटिया पर बैठे हुए अपने बेटे के गठीले बदन को देख रही थी,,, अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने बेटे की बाहों में उसे कैसा महसूस होगा जवान मर्दहो चुका उसका बेटा जब उसे खुद अपनी बाहों में करेगा तो कैसा लगेगा यह सोचकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,, और दूसरी तरफ सोनू को अपनी मां की ब्रा और पेंटी को अपने हाथ में उसकी आंखों के सामने लेने का इंतजार था और,,, देखते ही देखते सोनू बाल्टी में से अपनी मां की ब्रा को उठा लिया,,, लाल रंग की वह ब्रा एकदम जालीदार थी जिसमें से संध्या की चुचियों का संपूर्ण भूगोल खुली आंखों से नजर आता था,,,संध्या अपने बेटे को ही बड़े गौर से देख रही थी वह यह बात को बिल्कुल भूल चुकी थी की बाल्टी में उसके अंडर गारमेंट भी धोकर रखे हुए हैं लेकिन जैसे ही उसे अपनी ब्रा अपने बेटे की हाथ में नजर आई वैसे ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, उसकी आंखों में चमक आ गई,,,, उसे लगा था कि वह ब्रा को भी रस्सी पर सूखने के लिए डाल देगा लेकिन वह उसे घुमा फिरा कर देखने लगा अपने बेटे से संध्या को इसकी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी,,,,,, इसलिए संध्या की उत्सुकता और ज्यादा बढने लगी,,,,सोनू जानबूझकर अपनी मां की आंखों के सामने ही उसकी ब्रा को उलट पलट कर देख रहा था मानो के जैसे उसके हाथों में उसकी मां की ब्रा नहीं बल्कि उसकी मां की चूची आ गई हो,,,संध्या को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका बेटा उसकी ब्रा के साथ कर क्या रहा है लेकिन उसकी हर एक हरकत संध्या के तन बदन में आग लगा रही थी,,,, तभी अपनी मां की आंखों के सामने ही बेशर्म बनता हुआ बुरा के कब को अपनी हथेली मैं एक गेंद की तरह पकड़ते हुए वह अपनी मां से बोला,,,।


यह किसकी ब्रा है मम्मी,,,?(सोनु उत्सुकता दिखाते हुए बोला,,,, अपने बेटे के इस सवाल पर थोड़ा सा झेंप गईक्योंकि सोनू इस तरह से सीधे-सीधे उसे यह सवाल पूछ लेगा इसकी उम्मीद उसे बिल्कुल भी नहीं थी संध्या अपने बेटे को और उसकी हरकत को बड़े गौर से देख रही थी वह अभी भी ब्रा के कप को अपनी हथेली में गेंद की तरह पकड़ने की कोशिश कर रहा था,,। फिर भी अपने तन बदन में चल रही मादकता बड़ी हलचल की वजह से संध्या भी एकदम सपाट उत्तर देते हुए बोली,,,)

मेरी ही तो है तुझे नहीं मालूम क्या,,,,?


मुझे कैसे मालूम होगा मैं देखा हूं क्या,,,?


फिर पूछ कैसे रहा था,,,,?


वह तो बस अंदाजा लगा रहा था,,,,



और अंदाजा कैसे लगा रहा था,,,,



ब्रा की कप की गोलाई देखकर,,,,(सोनू अभी भी पर आकर कब को अपनी हथेली में लेते हुए बोला अपने बेटे की यह हरकत संध्या के तन बदन में आग लगा रही थी क्योंकि उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वापरा के कप का नहीं बल्कि उसकी चूची को ही अपने हाथ में लेकर दबा रहा हो,,,)


और क्या अंदाजा लगाया गोलाई देखकर,,,,?


यही कि मम्मी है तुम्हारी नहीं लग रही है और दीदी की भी नहीं लग रही है,,,,(सोनू बड़े गौर से जानबूझकर अपना सारा ध्यान ब्रा की तरफ लगाते हुए बोला,,, और सोनू के मुंह पर इस हालात में अपनी बड़ी बेटी का जिक्र आते ही संध्या के तन बदन में ना जाने क्यों और उत्सुकता बढ़ने लगी,,,)

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है,,,,?


क्योंकि ब्रा की जो साइज है उसे देखते हुए मुझे नहीं लगता कि आप की चुची,,,(इतना कहते ही सोनू एकदम से खामोश हो गया और आश्चर्य से अपनी मां की तरफ देखने लगा जैसे कि वह कोई गलती कर दिया हो और उसका क्या परिणाम आता है यह देख रहा हूं संध्या भी अपने बेटे के मुंह से चूची शब्द सुनकर एकदम से सिहर उठी,,, लेकिन बोली कुछ नहीं वह जानती थी कि ऐसे हालात में अगर वह अपने बेटे को इन शब्दों के लिए डांट देती है तो शायद उसका काम बनता हुआ भी बिगड़ जाए इसलिए वह कुछ बोली नहीं और अपनी मां को खामोश देखकर वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मेरा मतलब है कि आप की वो,,,,


वो,,, क्या जरा फिर से बोलना तो,,,,(संध्या एकदम से चहकते हुए बोली,,,)


अरे कुछ नहीं वही वह तो मेरे मुंह से निकल गया,,,,


क्या निकल गया था तेरे मुंह से मैं फिर से सुनना चाहती हूं,,,


अब मैं कैसे बोलूं मुझे तो शर्म आती है वह तो अचानक ही मेरे मुंह से निकल गया था,,,,(सोनू ब्रा के कप को अपनी मां की चूची समझ कर उसे हल्के हल्के सहलाते हुए बोला,,,)


अरे क्या निकल गया था अचानक मैं भी तो सुनना चाहती हूं,,,, बोलना शर्मा क्यों रहा है मुझसे,,,, बोल बोल शर्मा मत,,,,
(अपनी मां की बातें सुनकर सोनू को लगने लगा कि उसकी मां वही शब्द सुनना चाहती है जो शब्द वह जानबूझकर बोला था वह समझ गया था कि उसके मुंह से उसकी मां चुची शब्द सुनना चाहती हैं,,,, इसमें भला सोनू को क्या दिक्कत थी वह तो चाहता ही था अपनी मां से व खुले शब्दों में बात करें लेकिन फिर भी जानबूझकर अपनी मां के सामने शर्माने का नाटक करते हुए वह बोला,,,)

चचचचचच,,, चुची,,,,, मेरा मतलब है कि ब्रा के कप के साइज के मुकाबले आप की चुची कुछ ज्यादा ही बड़ी है,,,, मुझे नहीं लगता कि इस ब्रा में आप की चूची पूरी तरह से समा जाती होगी,,,,(सोनू एक साथ में ही सब कुछ बोल गया,,, लेकिन यह बात बोलने में उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी उसके पजामे का आकार बढ़ने लगा था,,,, संध्या हैरान थी लेकिन हैरानी से ज्यादा उसे अपने बेटे के इन शब्दों में आनंद की अनुभूति हो रही थी वह आंख फाड़े अपने बेटे को देख रही थी,,,, और बिना किसी शर्म के वह बोली,,,)


वाह,,,, तू तो बड़ा हो गया सोनु,,,, औरतों की (हथेली से अपनी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए) इसे क्या कहते हैं तुझे पता चल गया जानकार हो गया है तु,,,(अपनी मां की बातों को सुनकर सोनू एकदम से शर्मा क्या उसे लगने लगा कि कहीं वह गलत तो नहीं बोल गया वह इस बात से और ज्यादा घबरा गया था कि कहीं वह अपनी मां के मन को समझने में भूल तो नहीं कर गया,,, संध्या खटिया पर से उठी और स धीरे-धीरे अपने बेटे की तरफ आगे कदम बढ़ाने लगी ,,,, सोनू अभी भी अपनी मां की ब्रा को अपने हाथ में पकड़े हुए था,,, सोनू घबरा रहा था उसकी मां उसके बेहद करीब पहुंच गई थी,,,, संख्या को लगने लगा कि उसका बेटा घबरा रहा है और वो नहीं चाहती थी कि उसका बेटा लग रहा है इसलिए वह एकदम सहज होते हुए बोली,,,)

यह तो अपने हाथ में पकड़े हुए हैं ना यह मेरी ही है यह मेरी ही ब्रा,,, और इसमें मेरी बड़ी बड़ी ये,,,(एक बार फिर से अपने हाथों से अपनी चूचू की तरफ इशारा करते हुए) अच्छी तरह से समझ आती है थोड़ी मुश्किल होती है लेकिन फिर भी एक दम कंफर्टेबल तरीके से आ जाती है,,,, तुझे यकीन नहीं हो रहा है ना सोनु,,,(अपनी मां की सहजता से कही गई बात को सुनकर सोनू को राहत महसूस हो रही थी और वह फिर से अपनी मां को जवाब देते हुए बोला,,,)

नहीं मम्मी मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा है,,,, मैं भला कैसे विश्वास करूं,,,,की एक अच्छा खासा बड़ा खरबूजा जेब में आ जाएगा,,,,

(अपने बेटे की यह बात सुनकर संध्या खिलखिला कर हंसने लगी उसे अपने बेटे की बात पर हंसी आने लगी और उसके हंसने की वजह से उसकी भारी भरकम छातियां ऊपर नीचे होने लगी,,, यह देख कर सोनू की हालत खराब होने लगी,,,)


तेरी बातें बड़ी अजीब होती है,,, ना चाहते हुए भी मुझे हंसी आ गई,,,, मेरी चूचियां क्या,,,, सॉरी मेरा मतलब है कि मेरी ये,,, खरबूजे जैसी है जो तू इन्हें खरबूजा कह रहा है,,,।
(संध्या जानबूझकर अपने मुंह से चूची शब्द कही थी वह अपने बेटे को अपनी बातों से उत्तेजित करना चाहती थी,, और सोनू की अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुनकर गनगना गया,,,)


नहीं मम्मी मेरा कहने का बिल्कुल भी ऐसा मतलब नहीं था लेकिन इनकी साइज एकदम खरबूजे जैसी ही है इसलिए तो मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि इतना बड़ा होने के बावजूद भी,,, इतनी छोटे से कप में,,(ब्रा के कप में अपनी हथेली डूबाते हुए,,,) आ कैसे जाता है,,,,।
(संध्या अपने बेटे की हरकत और उसकी बातों को देखकर यही समझ रही थी कि वाकई में उसके बेटे को लगता है कि छोटे से ब्रा मे उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां कैसे समा जाती है,,, जबकि वह अपनी इस शंका भरी बातों से अपनी मां को ऊकसा रहा था,,, और उसकी मां भी अपने बेटे के मन में आए शंका को दूर करने के लिए बोली,,)



रुक जा तूझे में दिखाती हुं,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने बेटे की आंखों के सामने ही वह अपने ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू करके देख कर सोनू के तन बदन में आग लगने लगी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने उसकी मां इस तरह की हरकत करने लगेगी वह अपने बटन को खोलते हुए बोली,,,) अभी तुझे यकीन आ जाएगा जब अपनी आंखों से देखेगा,,,(ऐसा कहते हुए संध्या अपने ब्लाउज का आखिरी बटन भी खोल दी अगर चाहता तो सोनू अपनी मां को ऐसा करने से रोक सकता था लेकिन वह तो यही चाहता ही था,,, जो चाहता था उसकी मां वही कर रही थी क्योंकि उसके मन में भी यही हो रहा था कि वह अपने बेटे को अपनी भारी-भरकम छातीया नजदीक से दिखाएं,,, जैसे-जैसे संध्या अपने ब्लाउज का आखिरी बटन खोल रही थी उसकी नरम नरम नाज़ुक उंगलियों को आखरी बटन पर इधर-उधर घूमता हुआ देखकर सोनू के पजामे में हलचल होने लगी थी ,,,,सोनू को लग रहा था कि उसके उकसाने से उसकी मां अपने ब्लाउज के बटन खोल रही है लेकिन संध्या जानबूझकर अपनी छातियां दिखाने के लिए अपने ब्लाउज के बटन खोल रही थी दोनों एक दूसरे को अपनी तरफ से पूरी तरह से उकसा रहे थे आगे बढ़ने के लिए,,,, दोनों मंजिल पाना चाहते थे लेकिन सफर में दोनों इधर-उधर हो जा रहे थे,,,,सोनू के पजामे के आगे वाले भाग का साइज बढ़ना शुरू कर दिया था,,,,,)
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है आज तो सोनू को चूची के दर्शन हो आयेगे
 
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संध्या आहीस्ता आहीस्ता अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी बस आखरी बटन खोलने की तैयारी में थी संध्या के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी बेहद अद्भुत अहसास से वह भरी जा रही थी,,, एक औरत के लिए जवान लड़के के सामने और अभी खुद के अपने सगे बेटे के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोल कर अपनी भारी-भरकम चुचियों का प्रदर्शन करना अजीब होता है लेकिन उत्तेजनात्मक यह क्रिया औरत के तन बदन में मादकता के अद्भुत नशे को भर देता है,,,, सोनू की आंखें एकाग्र हो चुकी थी अपनी मां के ब्लाउज पर और संध्या अपने बेटे की आंखों के सामने ही अपने ब्लाउज का आखरी बटन खोल चुकी थी,,,, और ब्लाउज के दोनों चोर को पकड़ कर उसे फैलाते हुए अपनी विशाल काय छाती को अपने बेटे को दिखाने लगी और बोली,,,


देख ले तुझे विश्वास नहीं हो रहा है ना जो ब्रा तेरे हाथ में है जिस साइज की है वही ब्रा में पहनी हूं उसी साइज की थोड़ा सा भी माप इधर-उधर नहीं है बोल अब क्या कहता है,,,(ऐसा कहकर संध्या अपने बेटे की तरफ मादकता भरी निगाह से देखने लगी,,, सोनू की तो आंखें फटी की फटी रह गई उसकी आंखों के सामने बेहद अद्भुत नजारा था ,,, उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं फुट रहे थे,,,, बोलने के लिए कुछ बचा ही नहीं था,,,।उत्तेजना के मारे सोनू का गला सूख रहा था और वह अपने थुक से अपने गले को गीला करने की कोशिश कर रहा था,,, सोनू अपनी मां की चूचियों के बेहद नजदीक था जहां से जालीदार ब्रा में से लगभग लगभग सब कुछ नजर आ रहा था,,,, वाकई में सोनू को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी मां की चुचियों के साइज से ब्रा का साइज बहुत कम है,,,, सोनू की नजरें सब कुछ देख पा रही थी,,, सोनू को अपनी मां के जालीदार ब्रा में से सब कुछ झलक रहा था गोरे रंग का खरबूजा तनी हुई निप्पल जो कि दिखाई नहीं दे रही थी लेकिन ब्रा के ऊपर भाले की तरह निकली हुई थी जो कि इस बात का एहसास दिला रही थी कि उस जगह पर उसकी मां की निप्पल है,,, और जालीदार ब्रा में से निप्पल के इर्द-गिर्द का भूरे रंग का वह गोलाकार अंग साफ तौर पर एक मदमस्त चुची की परिभाषा को फलीभूत कर रहा था,,,,। सूचियों का साइज बड़ा और ब्रा का साइज छोटा होने की वजह से संध्या की मदमस्त बड़ी-बड़ी चूचियां छोटे से ब्रां मे बड़ी मुश्किल से समा जा रही थी लेकिन ब्रा से बाहर शराब की तरह छलक जा रही थी,,,। जिससे दोनों की चीजों के बीच गहरी खाई की तरह गहरी दरार से लेकिन बेहद लंबी नजर आ रही थी सोनू का मन अपनी मां की चूचियों के बीच की दरार में डूब जाने को कर रहा था,,,। चलो अपनी मां की चुचियों को मादकता भरी निगाहों से देख रहा था,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की चूचियों को खा जाएगा जिस तरह की ब्रा सोनू के हाथ में ठीक उसी तरह की ब्रा उसकी मां पहनी हुई थी,,, संध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उत्तेजना के मारे उसके दोनों घुटने कांप रहे थे,,,उसे अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह अपने बेटे के सामने अपने ब्लाउज के बटन खोल कर उसे अपनी चूचियां दिखा रही है जो कि इस समय जालीदार ब्रा के अंदर कैद थी,,,,,, संध्या को इस बात का अच्छी तरह से एहसास था कि उसका बेटा ब्रा में छिपी उसकी चुचियों के दर्शन करके एक दम मस्त हो गया है लेकिन ना तो वह वापस ब्लाउज के बटन लगाना चाहती थी और ना ही सोनू अपनी नजरों को उसकी मदमस्त छातियों से हटाना चाहता था,,,,,सोनू जिस तरह से बदहवास होकर मदहोशी के आलम में उसकी चूचियों को आंखें फाड़े देख रहा था संध्या को लग रहा था कि वह किसी भी वक्त उसकी चूची को अपने हाथ में भर लेना और वो खुद ऐसा चाहती थी,,,,।


अब तो विश्वास हो गया ना तुझे कि मेरे छोटी सी ब्रा में मेरी बड़ी बड़ी चूचीया कैसे आ जाती है,,,(संध्या के मुंह से अनजाने में ही एकदम तपाक से सब निकल गई जिसे सुनकर सोनू और ज्यादा बावला हो गया,,, वह अपनी मां की चूचियों को देखते हुए लंबी आह भरकर बोला,,,)


सच कहूं तो मम्मी मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है क्योंकि देखने से ही तुम्हारी चूचियां,,, सॉरी तुम्हारी यह,,,, बड़ी लग रही है,,,(अपने बेटे के मुंह से अपने दोनों दूध कितने चूचियां शब्द सुनकर उत्तेजना से संध्या एकदम से सिहर उठी,,,) और तुम्हारी ब्रा छोटी लग रही है जैसे कि यह है,,,(एक बार फिर से ब्रा के कप में अपने हाथ का मुक्का बनाकर उसमें डालते हुए) देख रही हो,,,(संध्या अपने बेटे की बातें सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी उसे अपने बेटे की बातें भोली लग रही थी,,, लेकिन वह यह नहीं जानती थी कि सोनू जानबूझकर यह सब नाटक कर रहा है,,,) रुको मुझे अच्छी तरह से देखने दो,,,(और इतना कहने के साथ ही सुनने अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर बिना कुछ बोले अपनी दोनों हथेलियों को अपनी मां की दोनों चुचियों पर रख दिया जोकी ब्रा के अंदर कैद थी लेकिन फिर भी सोनू को अपनी मां की सूचियों का एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था,,,,सोनू हल्के हल्के अपनी हथेली को अपनी मां की चूचियों के गोलाकार कर रखकर दबा रहा था,,,, संध्या की हालत खराब होने की वह छत पर इधर-उधर देखने लगी कहीं कोई देख तो नहीं रहा है हालांकि उसकी छत बाकी ओके छत से बहुत ऊपर थी जहां पर किसी की भी नजर पहुंच पाना नामुमकिन था लेकिन फिर भी इस तरह की हरकत तो ना छत के ऊपर खड़ी कर रहे थे इस वजह से संध्या को थोड़ा डर भी लग रहा था कि कहीं दोनों किसी की निगाह में ना आ जाए,,,, सोनू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी जैसे ही संध्या की नजर अपने बेटे के पजामी पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर तंबू की शक्ल ले चुका था यह नजारा देखते ही संध्या की बुर में कुलबुलाहट होने लगी,,,,उसका भी मन कर रहा था कि जिस तरह से उसका बेटा उसकी चूचियों के साथ हरकत कर रहा है वही हरकत वह अपने बेटे के लंड के साथ करें,,,, लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि तभी उत्तेजना के मारे सोना ब्रा के ऊपर से ही अपनी मां की चूचियों पर दोनों है तेरी रखे हुए ही जोर से अपनी मां की चूची को दबा दिया और संध्या के मुंह से हल्की सी कराहने की आवाज निकल गई,,,।

आहहहहह,,,,, क्या कर रहा है,,,?


ककककक,,, कुछ नहीं मम्मी बस मैं देखना चाहता था कि यह कठोर होती है या नरम नरम,,,,


तुझे कैसा लगा,,,,


बहुत नरम नरम देखने में तो खरबूजे जैसी ठोस नजर आती है,,,,


हां यह ऐसी ही होती है,,, दिखती भले ही ठोस हैलेकिन होती नरम नरम है,,,,(संध्या भी बड़ी बेशर्मी से जवाब देते हुए बोली,,, सोनू को मजा आ रहा थाअपनी मां की इस तरह की बातें सुन तो उसके तन बदन में आग लग रही थी वह अभी भी ब्रा के ऊपर से अपनी मां की चूची को पकड़े हुए था बड़ा ही सुहावना मनमोहक दृश्य था,,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी,,,, जिस तरह से उत्तेजना के मारे सोनू का लंड खड़ा हो गया था उसी तरह से उत्तेजना तमक स्थिति में संध्या की बुर की पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से उसकी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,, सोनू बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)


कसम से मम्मी बहुत ही अद्भुत है,,,,

क्या,,,,?


तुम्हारी चूचियां और इन चुचियों को अपने अंदर समा लेने वाली यह छोटी सी ब्रा,,,, बेहद अद्भुत है,,,


तू पागल है तू अभी औरतों के बारे में ज्यादा कुछ जानता नहीं है इसलिए ऐसी बातें कर रहा है,,,मेरी छोटी सी ब्रा जानबूझकर पहनती हुं,,,


जानबूझकर मैं कुछ समझा नहीं,,,(सोनू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)


यह बात मैं तुझे बाद में बताऊंगी,,,,(संध्या अपने ब्लाउज के बटन को बंद करते हुए बोली,,, और सोनू को अपनी मां की यह हरकत अच्छी नहीं लगी वह चाहता था कि उसकी मां ने ब्रा के हुक खोल कर अपनी नंगी चूचियों को उसे दिखाएं लेकिन उसकी मां तो ब्लाउज के बटन बंद करना शुरू कर दी थी,,,सोनू को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि अपनी मां को ऐसा करने से रोक भी नहीं सकता था क्योंकि उसमें हिम्मत नहीं थी लेकिन फिर भी वह धीरे-धीरे हिम्मत दिखा रहा था,,,, संध्या अपने ब्लाउज का आखरी बटन बंद करते हुए बोली,,,,)

अब यह कपड़े तो रससी पर डाल दें,,,

ओहहह सॉरी,,,(अपने हाथ में लिए हुए अपनी मां की ब्रा को देखते हुए बोला और उसे रस्सी पर डाल दिया,,,, बाल्टी में से उसने अपनी मां की पेंटिं निकाल कर उसे अपनी मां की तरफ दिखाने लगा उसे देखकर संध्या बोली,,,)


अभी से देखकर यह मत बोल देना कि मेरी बड़ी बड़ी गां,,,,,(इतना कहकर वह चुप हो गई वह जानबूझकर अधूरा ही शब्द बोली थीक्योंकि उसे इस बात का एहसास है इस अधूरे शब्दों को अपने मन में सोनू पूरा करके और ज्यादा उत्तेजित हो जाएगा और वैसा हो भी रहा था,,,)

नहीं नहीं यह तो बिल्कुल सही है,,,(पेंटी को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर उसे फैलाते हुए बोला,,, धीरे-धीरे करके सोनू कपड़ों को रस्सी पर डालने लगा और संध्या वापस जाकर खटिया पर बैठ गई,,,वह जानबूझकर अपने ब्लाउज के बटन बंद करके एक बेहतरीन नाटक पर पर्दा डाल दी थी वह जानती थी और उसे इस बात का चित्र से एहसास हो गया था कि उसका बेटा पूरी तरह से उसके बदन का दीवाना हो चुका है,,,, वह जब चाहे तब अपने बेटे को उसके घुटनों के बल ला सकती थी इस उम्र में भी उसे अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था,,, सोनू सारे कपड़ों को रस्सी पर डाल दिया था खटिया पर बैठी हुई संध्या आगे की युक्ति बना रही थी,,,,सोनू को दिखा कर बार-बार वह अपना हाथ अपनी कमर पर रख ले रही थी और दर्द होने का एहसास दिला रही थी,,,, अपनी मां को देखकर उसके चेहरे पर आए दर्द के भाव को समझकर सोनू अपनी मां से बोला,,,)


बहुत दर्द हो रहा है क्या मम्मी,,,,


हां रे आज मेरी कमर बहुत दर्द कर रही है लगता है बाल्टी उठाने में नस खिंचा गई है,,, मुझे मेरी कमर पर मालिश करना पड़ेगा तब जाकर आराम पड़ेगा,,,।


अरे तुम क्यों करोगी मैं हूं ना मैं तुम्हारी कमर पर मालिश कर दूंगा,,,


तुझे आता है क्या मालिश करना,,,


अरे नहीं आता तो क्या हुआ धीरे-धीरे सीख जाऊंगा,,,


चल ठीक है,,,,



चलो अभी कर देता हूं,,,,(सोनू काफी उत्सुक था मालिश करने के बहाने अपनी मां की चिकनी कमर को छूने के लिए ,,,)


अरे अभी नहीं रात को करना ताकि उसके बाद कोई काम ना करना पड़े,,,,


ठीक है मम्मी मैं कर दूंगा,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर संध्या मुस्कुरा दी,,, और बोली)

चल अब नीचे चलते हैं थोड़ा काम बचा है उसे कर दुं

(इतना कहकर संध्या खाट पर से उठी और आगे आगे चलती हुई सीढ़ियां उतरने लगी पीछे-पीछे सोनू अपनी निगाहों को अपनी मां के संपूर्ण बदन के भूगोल पर इधर-उधर घुमा रहा था खास करके अपनी मां के नितंबों के घेराव पर जोकि सोनू के होश उड़ा रही थी,,, साड़ी में लिपटी हुई अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की थिरकन को देखकर सोनू का लंड बावला हुआ जा रहा था,,,,वह अपने मन में सोच रहा था कि ना जाने कब उसे मौका मिलेगा कि अपने हाथों से अपनी मां की साड़ी उतार कर उसे नंगी करेगा और उसकी बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन कर पाएगा,,, देखते ही देखते दोनों सीढ़ियां उतरकर घर में आ गए और संध्या अधूरे काम को पूरा करने लगी और सोनु अपने कमरे में चला गया,,,)
Super update Aaj raat kaam ban jayega
 

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दूसरी तरफ संजय और शगुन कार से आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, संजय के मन में ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के प्रति कामुक ख्याल आ रहे थे,,, उसकी आंखों के सामने उसकी गोरी गोरी सुडोल गांड नाच रही थी,,, संजय को अच्छी तरह से याद था वह पल जब वह अनजाने में ही अचानक कार के पीछे बैठकर पेशाब कर रही शगुन को उठते हुए और अपनी सलवार कमर तक लाते हुए देखा था बस कुछ ही सेकंड का वह दृश्य था लेकिन उस छोटे से पल में संजय अपनी बेटी की मांसल चिकनी गोल-गोल गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,,,वह बात अच्छी तरह से जानता था कि जो कुछ भी वह सोच रहा है उसके मन में जो ख्याल आ रहे हैं वह बिल्कुल गलत है ऐसा उसे सपने में भी नहीं सोचना चाहिए था लेकिन ख्यालों पर किसका बस रहता है ख्याल ही कल्पना को जन्म देते हैं और कल्पना में संजय अपनी बेटी के साथ उसके जवान खूबसूरत जिस्म के साथ सभी प्रकार से क्रीडा कर चुका था,,, यही हाल शगुन का भी था,,,अपने बाप के करीब रहते हैं उसके तन बदन में अजीब सी उलझन पैदा होने लगती थी उसका बदन कसमसाने लगता था सबसे ज्यादा असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होती थी,,, मन ही मन में वह आपने बाप को हीरो समझने लगी थी,,,,,, और वैसे भी वह अपने पापा को चुदाई करते हुए अपनी आंखों से देख चुकी थी एक तो अपनी मां के साथ और दूसरा हॉस्पिटल में,,,, तब से ना जाने क्यों वह अपने पापा के मर्दाना अंग को अपने अंदर महसूस करने के लिए तड़प रही थी,,, हालांकि वह संभोग सुख से बिल्कुल भी परिचित नहीं थे संभोग क्रिया के बारे में कैसे किया जाता है मुझे उसे बिल्कुल भी समझ नहीं था लेकिन उस पल को अपने अंदर महसूस करने की लालच उसके अंदर पनपने लगी थी,,,।

कब तक पहुंच जाएंगे पापा,,,,


शाम को तो पहुंच ही जाएंगे,,,, वैसे भी जिस जगह पर हम जा रहे हैं वह टूरिस्ट स्पॉट है बहुत मजा आएगा,,,।

(शगुन अपने पापा की बात सुनकर खुश हो गई लेकिन ना जाने क्यों उसके अंदर अपने पापा की बात सुनकर मदहोशी सी छाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी एग्जाम देने के लिए नहीं बल्कि हनीमून के लिए जा रही हो,,, संजय और शगुन दोनों के मन में पहले से कोई भी प्लान नहीं था कि वहां जाकर क्या करना है बस एक ही बात मालूम थी कि वहां जाकर एग्जाम देना है,,, लेकिन दोनों के मन में अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं आशा की किरण जरूर नजर आ रही थी कि वहां जाकर दोनों के बीच कुछ ना कुछ जरूर होगा इसी आशा के साथ शगुन मन ही मन में खुश हो रही थी,,, कार अपनी रफ्तार से चली जा रही थी,,,,)

और दूसरी तरफ सोनू जोकि अपनी मां की मस्त जवानी को अपनी दोनों हाथों में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था उसका बस चलता तो छत पर ही अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,, अपने से भी ज्यादा खुश किस्मत उस लड़के को समझ रहा था जो झाड़ियों में अपनी मां को छुपा कर उसकी चुदाई कर रहा था उसकी मां की मजे लेकर अपने बेटे का लंड को अपने बुर में डलवा कर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,वह मन ही मन अपनी मां से गुस्सा भी हो रहा था बार-बार वह अपनी मां को उस लड़के की मां से तुलना कर रहा था जो कि अपने बेटे के सुख के लिए उसके लिए अपनी दोनों टांगें खोल दी थी,,, और एक उसकी मां की जो उसके लिए अभी तक कुछ भी नहीं करी थी,,,,
छत पर जो कुछ भी हुआ था सोनू उसके लिए काफी उत्तेजित हो चुका था,,, सोनू की मां संध्या अपने काम में लगी हुई थी लेकिन सोनू का मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में कैद नजर आ रही थी,,, लेकिन एक बात सेवा पूरी तरह से उत्सुकत था की मालिश करने के बहाने उसे अपनी मां के खूबसूरत बदन को छूने का मौका मिलेगा,,, और वह इस इंतजार में घड़ियां गिन रहा था लेकिन दोनों टांगों के बीच इस तरह की हलचल हो रही थी उसे शांत करना बेहद जरूरी था इसलिए वह बाथरूम में घुस गया अपने सारे कपड़े उतार के एकदम नंगा हो गया,,,,
उत्तेजना के मारे सोनू का लंड लोहे के रोड की तरह एकदम टाइट हो गया था और एकदम गरम,,,,इस अवस्था में अगर कोई औरत उसके लंड को देख ले तो उसके लंड की दीवानी हुए बिना ना रह सकेगी,,,,,, सोनू को अपने लंड पर बहुत ज्यादा गर्व था क्योंकि वह मोबाइल में इंटरनेट के जरिए एक से एक मोटे तगड़े लंड को देख चुका था और उनमें से ही एक उसका भी लंड था,,,, हालांकि अभी तक उसने कीसी के साथ संभोग नहीं किया था लेकिन उसे अपने ऊपर और अपने लंड पर पूरा विश्वास था कि,,, जिस किसी की भी बुर में वह लंड डालेगा पूरी तरह से उसे संतुष्ट करके ही बाहर आएगा,,, और इस तरह के अनुभव के लिए उसकी नजर अपनी मां पर ही थी क्योंकि ऐसा दूसरी और कोई नहीं था जिसकी बुर में वह लंड डाल सके क्योंकि उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी,,,,,,, और वैसे भी उसे अपनी मां की खूबसूरती पर पूरी तरह से गर्व था क्योंकि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, उसका बदन बेहद कटीला और कसाव वाला था,,,,,, दोनों दशहरी आम रस से भरे हुए थे और उभारदार गांड किसी के भी होश उड़ा देने के लिए काफी है इसलिए वह अपनी मां का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था इसीलिए तो अपनी मां के ख्यालों में पूरी तरह से उत्तेजित होकर वह बाथरूम में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपने खड़े लंड को देखकर बार-बार उसकी आंखों के सामने,,, उसे अपनी मां नजर आ रही थी वह अपनी मां के बारे में कल्पना करते हुए अपनी आंखों को बंद कर लिया और कल्पना करते हुए अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हिलाने लगा उसकी कल्पना भी बेहद रंगीन थी,,, और कल्पना कर रहा था कि जैसे वह बाथरूम में है और उसकी मां पेशाब करने के लिए बाथरूम का दरवाजा जैसे ही खोली उसे लंड खिलाता हुआ देखकर दरवाजे पर ही खड़ी की खड़ी रह गई वह उसे डांटती इससे पहले उसकी नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ गई जिसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उससे रहा नहीं गया और वह बाथरूम का दरवाजा बंद कर के अंदर आ गई,,,,,, सोनू अपनी मां की कल्पना करते हुए पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,,।
कल्पना में संध्या बिना कुछ सोचे समझे अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बेटे के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चुसना शुरू कर दी,,,, इस तरह की कल्पना करते हुए सोनु एकदम मदहोश हुआ जा रहा था,,,, और संध्या पूरा का पूरा उसे अपनी मुंह में लेकर चूस रही थी,,,, सोनू का लंड अभी पानी नहीं छोड़ा था इसलिए कल्पना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक इसी तरह से लैंड चूसने के बाद उसकी मां खड़ी हुई और टॉयलेट पोट कर अपना एक पैर रखकर अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की तरफ कर ली दोनों की आंखों में खुमारी छाई हुई थी और संध्या धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस दी वह पेंटी नहीं पहनी थी,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देख कर,,,


संध्या अपने बेटे को ऊंगली से ईसारा कर रही थी उसकी आंखों में मदहोशी छाई हुई थी,,, सोनू से रहा नहीं गया वह एक कदम आगे बढ़करअपनी मां की गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे फैलाते हुए उसकी गुलाबी बुर को अपनी आंखों से देखने लगा,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर देखकर पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, सोनू से रहा नहीं गया और वह कल्पना में मस्त होता हुआ अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रख दिया और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड अपनी मां की बुर में गहराई तक डाल दिया संध्या के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अपनी कल्पना को मस्त करते हुए सोनू जोर-जोर से अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, उसकी कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि बहुत ही जल्द उसके लंड से पानी का फावारा छूट पड़ा जो कि सामने की दीवार में लगी टाइल्स पर गिरने लगा,,, सपनों की दुनिया से बाहर आते ही वो थोड़ा शांत होगा और अपने मन ही मन में यह दुआ करने लगा की काश यह कल्पना सच हो जाए,,,।




शाम होने वाली थी और सोनू को रात का इंतजार था जब सारे काम खत्म करके उसकी मां सोने के लिए जाती है,,, लेकिन रात होने में अभी बहुत समय था और घर पर मालिश करने के लिए मूव क्रीम भी नहीं थी,,, इसलिए वहां अपनी मां से बोला,,,।

चलो ना मम्मी आज मार्केट घूम कर आते हैं और वैसे भी घर पर सिर्फ हम दोनों जने हैं तो आज खाना मत बनाना बाहर ही खा कर आते हैं,,,


क्या बात है आज तो एकदम हीरोगिरी दिखा रहा है,,,(संध्या अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए बोली,,)

नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं होनी और वैसे भी आपकी मर्जी जो करना है और घर पर कोई क्रीम भी नहीं है इसी बहाने क्रीम भी खरीद लेंगे,,,,


हां क्रीम से याद आया मुझे भी अपने लिए क्रीम खरीदना है,,,


कौन सी क्रीम मम्मी,,,


अरे है कोई क्रीम मैं खरीद लूंगी चल में जल्दी से तैयार हो जाती हूं,,,,(पर इतना कहकर संध्या अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई,,, और सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगा,,,, क्रीम वाली बात पर सोनू का दिमाग बड़ी तेजी से करने लगा था उसे लगने लगा था कि कहीं उसकी मां बालों को साफ करने वाली क्रीम की बात तो नहीं कर रही है क्योंकि उसने उसे नाम भी नहीं बताई थी बालों को साफ करने वाली क्रीम के बारे में सोचते ही वह अपने मन में अपनी मां की क्रीम से साफ हुई चिकनी बुर के बारे में सोचने लगा और अपनी मां की बुर के बारे में सोचते ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया,,,।
थोड़ी ही देर में उसकी मा तैयार होकर आ गई वह अपनी मां को देखते ही रह गया तैयार होने के बाद वह और ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी,,,,,, सोनू अपनी बाइक निकालकर बाहर स्टार्ट करके खड़ा हो गया और उसकी मां दरवाजे पर लॉक लगाकर उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक के पीछे बैठ गई,,, और सोनू एक्सीलेटर देखकर बाइक आगे बढ़ा दिया,,,।
Bahut hi shandar aur kamuk update
 
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Sanju@

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सोनू अपनी मां को बाइक के पीछे बिठाकर मार्केट की तरफ लिए चला जा रहा था और संध्या अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर उससे जानबूझकर चिपकी हुई थी उसकी दाईं चूची बराबर सोनू की पीठ पर दबाव डाल रही थी और सोनू को अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची अपनी पीठ पर दबाव बनाती हुई महसूस भी हो रही थी,,,,,इसलिए सोनू जानबूझकर रह-रहकर ब्रेक लगा दे रहा था जिससे उसकी मां पूरी तरह से उसकी पीठ पर झुक जा रही थी सोनू को मजा आ रहा था और साथ ही उत्तेजना भी,,,,,, सोनू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,, संध्या अपने बेटे से बात करते हुए बोली,,,।


आज मैं सोच रही हूं कि घर पर खाना ना बनाओ यहीं से कुछ खा कर चलते हैं,,,,


मैं भी यही सोच रहा था मम्मी,,,, खामखा परेशान हो जाओगी,,,,


मेरा अब ज्यादा ख्याल रखने लगा है,,,


अरे मम्मी तुम्हारा ख्याल में नहीं रखूंगा तो और कौन रखेगा,,,


सही बात है रखना भी चाहिए वैसे भी एक बेटे का फर्ज होता है अपनी मम्मी का हर हाल में ख्याल रखना,,,( संध्या खुश होते हुए बोली,,,,,, और इस बार वह अपना हाथ अपने बेटे के कंधे पर से हटा कर अपने बेटे के कमर पर रख दी,,, अपनी मम्मी के कोमल हथेली को अपनी कमर पर महसूस करते ही सोनू पूरी तरह से बाहर गया एक अद्भुत सुख के एहसास से उसका पूरा बदन कांप उठा,,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

तेरे साथ बाइक पर बैठकर कहीं भी जाने में मुझे बहुत अच्छा लगता है,,, कार में मजा नहीं आता जितना तेरी बाइक पर आता है,,,


तो बोलना चाहिए ना मम्मी मैं हमेशा तुम्हें बाइक पर बिठाकर मार्केट लेकर आता,,,


अरे इतना समय कहां होता है,,,, आज समय मिला है तो,,, आ गई तेरे साथ,,,


चलो कोई बात नहीं आगे से मैं हमेशा तुम्हें मार्केट लेकर आया करूंगा,,,,,
(संध्या को अपने बेटे की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी न जाने क्यों उसे अपने बेटे में उसे अपना प्रेमी नजर आया ऐसा लग रहा था कि जैसे सोनू उसका बेटा ना हो करके उसका प्रेमी हो और उसे बाइक पर बिठाकर शेर सपाटा करा रहा है,,, इस ख्याल से ही संध्या का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, वह अपने बेटे के खयालो में पूरी तरह से खोई हुई थी कि तभी अचानक सोनू ने ब्रेक लगा दिया और हड़बड़ाहट में उसका हाथ कमर से फिसल कर सीधा उसके पेंट में बने तंबू पर चला गया और वह अपने आप को बचाने के चक्कर में पेंट में बने तंबू को कस के अपने हाथों से पकड़ ली,,,,,,कुछ पल के लिए तू संध्या को समझ में नहीं आया कि वह क्या पकड़ी है लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह अनजाने में अपने आप को बचाने के चक्कर में अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर उसका सहारा लेकर अपने आप को संभाले हुए हे तो वह पूरी तरह से हक्की बक्की रह गई,,,,, हथेली में अपने बेटे के मोटे तगड़े फूले हुए लंड को वह अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी,,,,,,पल भर में ही संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो गई अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को पकड़ने के एहसास से ही उसकी बुर गीली होने लगी,,, 7 8 सेकंड तक अपने बेटे के लंड़ को पकड़े रहने के बाद वह झटके से उसे छोड़कर वापस कमर थाम ली,,,, यह सब बहुत जल्दी ही हुआ था सोनू जब तक यह समझ पाता कि उसकी मां अपने हाथों से उसके लंड को पेंट से ऊपर पकड़ी हुई है तब तक उसकी मां उसके लंड को छोड़ चुकी थी,,, इस पल भर के उन्मादक एहसास से सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, उसकी बाइक का आगे वाला पहिया पानी भरे गड्ढे में उतर चुका था संध्या और सोनू दोनों गिरते-गिरते बचे थे सही समय पर सोनू ने ब्रेक लगा दिया था वरना दोनों पलटी खा जाते इसलिए बचे जाने पर सोनू राहत की सांस लेते हुए बोला,,,,,,


बाप रे बाल बाल बचे वरना अभी तो गिर जाते,,,


सही कह रहा है बेटा अभी तो ना जाने क्या हो जाता,,,,

कुछ नहीं मम्मी जब तक मेरे हाथों में बाइक है तब तक चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,


मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है,,,,(संध्या खुश होते हुए बोली उसकी खुशी में अपने बेटे के लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ लेने की मदहोशी भी छाई हुई थी,,, और सोनू इस बात से खुश हो रहा था कि उसकी मां ने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ रखी थी,, सोनू दोनों पैरों को जमीन पर रखकर सहारा देते हुए बाइक के पिछले पहिए को उस छोटे से गड्ढे में से बाहर निकाला संध्या अपने बेटे की कोशिश को देखकर उतर जाने के लिए बोल रही थी लेकिन वह उसे मना कर दिया और बड़े आराम से उस छोटे से खड्डे में से बाइक निकाल दिया,,, एक्सीलेटर देकर उसे आगे बढ़ा दिया,,, पल भर के इस अचानक लंड पकड़ने की क्रिया से दोनों मां-बेटे पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे संध्या तो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,, उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,, देखते ही देखते मार्केट आ गया उस दिन की तरहआज भी सोनू अपनी बाइक को सी जगह पर खड़ा किया जहां पर उस दिन खड़ा किया था और जहां पर दो लड़के संध्या को देखकर भक्ति आकाश रहे थे उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी बड़ी बड़ी चूची यों के बारे में मजे लेकर बोल रहे थे और उनकी उसी गंदी बातों को सुनकर संध्या का नजरिया अपने बेटे के प्रति बदलने लगा था,,,आज उसी का पर पहुंचने पर संध्या की नजरें उन दोनों लड़कों को ढूंढने लगी थी लेकिन इस समय वहां कोई नहीं था,,,, सोनू बाइक को स्टैंड पर लगा रहा था तभी संध्या बोली,,,!

मार्केट आ ही गए हैं तो थोड़ी सब्जियां भी खरीद लेती हूं कल काम आएगी,,,


ठीक है मम्मी तुम सब्जियां खरीदो मैं आता हूं,,,

(संध्या सब्जियां खरीदने लगी और थोड़ी देर में सोनू भी उसके पास आ गया और दोनों मिलकर सब्जियां खरीदने लगे,,, सोनू सब्जी बेचने वालों के दो अर्थ वाली बातों को अच्छी तरह से समझ रहा था और शायद वहां पर सब्जियां खरीदने आई हुई औरतें भी समझ रही होंगी लेकिन बोलती कुछ नहीं थी,,,, ईस बात का एहसास सोनू को तब हुआ जब उसकी मां आलू के ढेर में से बड़े-बड़े अच्छे-अच्छे आलू निकालकर तराजू में रख रही थी और वह सब्जी वाला उसकी मां की बड़ी बड़ी छातियों को घुरती हुआ जोर जोर से बोल रहा था,,,।)

ले लो गोल-गोल बड़े-बड़े आलू बहुत स्वादिष्ट है,,, एकदम पोस्टिक बड़े-बड़े आलू,,, ले लो मैडम जी बड़े बड़े हैं,,,
(सोनू सब्जी वाले के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था पता नहीं उसकी मां समझ रही थी कि नहीं इस बात का अंदाजा सोनू को बिल्कुल भी नहीं था लेकिन वहां पर जितने भी सब्जी वाले हैं सब लोग इसी तरह से अपने अपने सब्जियों के साईज को लेकर के दो अर्थ वाली बातें करते सब्जियां बेच रहे थे,,,, संध्या सब्जियां खरीद चुकी थी,,,, सोनू अपनी मां से बोला,,,)

सब्जियां हो गई ना,,,


हां दो-तीन दिन की सब्जियां मैं खरीद ली हूं,,,

ठीक है मम्मी तो चलो आयोडेक्स खरीद लेते हैं,,,।


हां हां चलो उस मेडिकल पर मिलेगी,,,(संध्या हाथ से इशारा करके मेडिकल दिखाते हुए बोली,,,दोनों मां बेटे उस मेडिकल पर पहुंच गए जहां पर तीन-चार कस्टमर पहले से ही मौजूद थे,,, मेडिकल का मालिक काउंटर पर बैठकर बिल बना रहा था और पैसे काट रहा था उसके दो सहायक काम करने वाले दवा निकाल निकाल कर काउंटर पर रख रहे थे दोनों मां बेटी काउंटर पर खड़े हो गए थे अभी उन दोनों ने कुछ बोला भी नहीं था कि तभी मेडिकल में काम करने वाला एक लड़का सोनू के आगे माचिस के साइज का एक डिब्बा रख दिया और बोला,,।

80 रुपए,,,,(इतना कहकर वो दूसरी दवाइयां निकालने लगा,,, अनजाने में ही सोनू उस पैकेट को अपने हाथ में ले लिया संध्या भी उस पैकेट को देखी लेकिन वह पहचान गई थी,,, लेकिन पल भर के लिए उसे भी कुछ समझ में नहीं आया सोनू उस पैकेट को लेकर उसके ऊपर छपे हुए नाम को पड़ा था उसे इस बात का एहसास हो गया कि वह अनजाने में किस पैकेट को पकड़ लिया है,,, उस पैकेट पर ड्यूरेक्स कंडोम लिखा हुआ था सोनू निगम से हड़बड़ा कर अपनी मां की तरफ देखा संध्या भी अपने बेटे की तरफ देखो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए थे सोनू ने तुरंत उस पैकेट को अपने हाथ से आगे कर दिया,,,, अपने बेटे की हड़बड़ाहट को देखकर संध्या मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, लेकिन अपने बेटे से अपने चेहरे को छुपा कर दूसरी तरफ देखने लगी थी तभी वह मेडिकल में काम करने वाला आया और फिर से बोला,,)

लाईए सर ₹80 निकालिए,,,

जी,,,जी,,,, यह मेरा नहीं है,,,,, मुझे तो आयोडेक्स चाहिए,,,,,(सोनू हड बडाते हुए बोला,,, अपने बेटे की इस हड़बड़ाहट को देखकर संध्या मन ही मन में मुस्कुरा रही थी लेकिन उसे अपने बेटे की इस नादानी पर गुस्सा भी आ रहा था,, क्योंकि संध्या की नजर में सोनू मॉडर्न लड़का था और आज के जमाने का लड़का होने के बावजूद भी कंडोम के नाम पर उसके माथे से पसीना टपकने लगे थे अपने मन में यही सोच रही थी कि जब यह कंडोम के नाम पर इतना डर रहा है तो चोदेगा कैसे,,,,, सोनू की बात सुनकर उस मेडिकल वाले को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और वह,,, माफी मांगते हुए बोला,,)


सॉरी,,, अरे वह भाई साहब कहां चले गए,,,,
(इतना कहना था कि तभी फोन पर बात कर रहा एक सक्स हाथ उपर करते हुए बोला,,)

अरे यह मेरा है लाओ दो इधर,,,,(वह लगभग सोनू के ही उम्र का लड़का था जोकि एकदम बिंदास होकर मेडिकल से कंडोम खरीद रहा था उस मेडिकल वाले ने उसके हाथ में ड्यूरेक्स कंडोम का पैकेट थमा दिया,,, जिसे वह बेझिझक अपने हाथ में लिए हुए था और उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था,,, फोन काट कर मोबाइल को अपने जेब में रखकर वह अपने बटुए से पैसे निकालकर उस मेडिकल वाले को थमा दिया,,,, और वापस ₹20 लेकर उसे बटुए में रखकर अपनी जींस के पीछे वाले जेब में रख दिया,,, और उस कंडोम को रखने के लिए दुकान वाले से पॉलीथिन की थैली भी लिया,,,, मेडिकल पर खड़े बाकी कस्टमर अपने-अपने काम में लगे हुए थे,, लेकिन सोनू और संध्या का ध्यान उस लड़के पर था,,, उस लड़के को देखकर सोनु मन ही मन उसकी हिम्मत को दाद दे रहा था और संध्या अपने बेटे के उम्र के उस लड़के के बिंदास पन को देखकर पूरी तरह से बागबाग हो गई थी,,, अपने मन में सोच रही थी कि काश उसका बेटा भी उस लड़के की तरह बिंदास होता,,,, दोनों मां-बेटे उस लड़के को देखकर अपने अपने मन में धारणा बना ही रहे थे कि वह लड़का बड़े आराम से अपनी बाइक तक गया जहां पर एक संध्या की ही उम्र की औरत को देखकर दोनों मां बेटे चौक गए,,, वह लड़का उस औरत को कंडोम की थैली पकड़ा दिया था जिसे वह मुस्कुराते हुए अपने हाथ में पकड़ ली थी लेकिन एक बार अपनी तसल्ली के लिए पॉलिथीन को खोल कर अंदर नजर मारी थी और अंदर अपने मतलब की चीज देख कर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई थी,,,,,, इसके बाद वह लड़का बाइक स्टार्ट कर दिया और वह औरत उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक पर बैठ गई और वह लड़का बड़ी तेजी से निकल गया,,, उन दोनों को देखकर संध्या एकदम पक्के तौर पर अपने मन में यह बात कह रही थी कि वह लड़का कंडोम लेकर उस औरत को चोदने के लिए ही गया था,,,, दोनों की उम्र के बीच के अंतर को देखकर संध्या अपने और अपने बेटे के बीच के अंतर को समझने लगी वह लड़का और वह औरत भी मां बेटे के उम्र के ही लग रहे थे,,,
संध्या अपने मन में सोचने लगी कि दोनों के बीच कौन सा रिश्ता होगा वह औरत कौन हो सकती है उसकी भाभी चाची मामी या कोई और या फिर उसकी मां भी हो सकती है,,,, ,, संध्या और दोनों के बीच के रिश्ते की कल्पना अपने मन में करने लगी और अपने आप से ही बोलने लगी कि क्या वह लड़का कंडोम लेकर अपनी मां को ही चोदने के लिए जा रहा था क्या मां बेटे के पवित्र रिश्ते के बीच ऐसा संभव हो सकता है फिर अपने आपके सवाल का जवाब भी वह खुद देते हुए बोली,,,।

क्यों नहीं हो सकता हो सकता है इससे पहले भी वह बगीचे में मां बेटे के बीच के नाजायज रिश्ते को दोनों के बीच के सारे संबंध को अपनी आंखों से देख चुकी है जो कि खुशी खुशी एक मां अपने बेटे से चुदवाने का आनंद लूट रही थी और उसका बेटा भी एकदम मस्ती के साथ अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,
सोनू का भी माथा चकरा रहा था,,, उस औरत की उम्र को देखकर सोनू की समझ गया था कि वह उसकी मां की उम्र की औरत है जैसा कि उसकी खुद की मां वह भी अपने मन में नहीं सोचने लगा कि वह लड़का कंडोम लेकर अपनी मां को चोदने के लिए ही जा रहा है लेकिन वह लड़का कितना बिंदास था तुझे कंडोम खरीदा और कंडोम की थैली को उस औरत के हाथों में थमा कर आराम से बाइक पर बैठा कर ले गया सोनू अपने मन में यह कल्पना करके एकदम मस्त हो रहा था कि वह लड़का उस औरत को कहां ले जाकर चोदेगा,,, अपने ही घर में या किसी होटल में,,, हो सकता है अपने ही घर में क्योंकि जिस तरह से उसे घर में एकांत मिला है मौका मिला है हो सकता है उसे भी अपने घर में मौका मिला हो,,,, वह अपने मन में यह सब सोच रहा था कि तभी वह मेडिकल वाला काउंटर पर आयोडेक्स,, रखते हुए बोला,,,,


लाइए सर जल्दी पैसे दीजिए,,,,

ओ,,, हा,,,,(उस मेडिकल वाले की आवाज सुनते ही जैसे सोनू की तंद्रा भंग हुई हो इस तरह से वह हक लाते हुए बोला ,,, और अपने बटुए से पैसे निकाल कर उस मेडिकल वाले को थमा दिया,,,,,,सोनू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसे मुंह में लेना था लेकिन हड़बड़ाहट में उसके मुंह से आयोडेक्स निकल गया था इसलिए वह आयोडेक्स ले चुका था,,, आयोडेक्स लेकर वह मेडिकल की सीढीया नीचे उतर गया लेकिन संध्या जैसे ही उसका बेटा सीढ़ियों से नीचे उतरा अपने पर्स में से,,, सो का नोट निकालकर उस मेडिकल वाले को थमाते हुए धीरे से वीट क्रीम मांगी,,, वह मेडिकल वाला संध्या के हाथों से पैसा लेते हुए वीट क्रीम के नाम से मुस्कुराने लगा क्योंकि क्रीम के नाम से ही और संध्या की खूबसूरती को देखकर वह अपने मन में संध्या की चिकनी बुर की कल्पना करने लगा,,,, संध्या मेडिकल वाले को मुस्कुराता देख कर कुछ बोली नहीं लेकिन जानती थी कि वह अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,, संध्या वीट क्रीम लेकर उसे अपने पर्स में रख ली,,,, और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी,,,,)

तुम क्या लेने लगी थी मम्मी,,,

कुछ नहीं तेरे काम की नहीं है,,,,


मेरे काम की क्या नहीं है,,,,


अरे क्रीम ली थी तेरे काम की नहीं है,,,


अरे यह तो बता सकती हो कौन सी क्रीम,,,
(सोनू की बात सुनकर संध्या को भी बताने का मन कर रहा था लेकिन वह इसकी जा रही थी लेकिन फिर भी अपने बेटे के द्वारा इस तरह से पूछे जाने पर वह बोली)


वीट क्रीम ली थी वह क्या है कि खत्म हो गई ना इसलिए,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा अपने बेटे की मुस्कुराहट के मतलब को संध्या भी अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि सब मर्द एक जैसे ही होते हैं औरत के अंतर्वस्त्र से लेकर उनके लगाने वाली क्रीम तक की बात सुनते ही वह आपने मन में उस औरत के साथ साथ उनके अंगों के बारे में कल्पना करते ही हैं,,,संध्या क्षेत्र से समझ रही थी कि वीत क्रीम का नाम सुनते ही उसका बेटा उसके अंदर के बारे में मन में कल्पना कर रहा होगा और इस बात का एहसास से संध्या फिर से उत्तेजना से सिहर उठी,,,, तभी आगे बढ़ते हुए सोनू पानी पुरी के ठेले पर रुक गया और अपनी मम्मी से बोला,,,)

मम्मी पानी पूरी खा लेते हैं,,,

मैं भी तुझसे यही कहने वाली थी,,, वैसे भी पानीपुरी मुझे बहुत पसंद है लेकिन खा नहीं पाती,,,।

तो चलो आज दिल के सारे अरमान पूरे कर लो,,,,
(संध्या अपनी बेटे की इस बात पर हंस दी,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसे उसके मन की मुराद पूरी करने का नहीं उठा दे रहा हो,,,दोनों मां बेटी पानीपुरी के ठेले पर खड़े हो गए और पानी पुरी वाला दोनों को पानी पुरी बनाकर खिलाने लगा,,,,)

भैया थोड़ी सी तीखी चटनी ज्यादा मिला देना,,,, जब तक मम्मी के मुंह से सीईईईई,,,सीईईईईईई,,, की आवाज नहीं निकलती तब तक मम्मी को मजा नहीं आता,,,(सोनू पानीपुरी खाते हुए बोला,,, सोनू यह बात दूसरे काम के लिए बोला था ,,,, लेकिन संध्या अपने बेटे की यह बात समझ नहीं पाई थी,,, उसे ऐसा ही लगा था कि पीछे पन के कारण मुंह से निकलने वाली आवाज के बारे में बोल रहा है,,,, सोनू चार पांच पानीपुरी ही खाया,,,,इसके बाद वह अपनी मां को पानी पूरी खत्म हुआ देखने लगा जिस तरह से बड़ी बड़ी पानीपुरी को संध्या अपना पूरा मुंह खोल कर मुंह में ले रही थी सोनू कल्पना करने लगा था कि इसी तरह से उसकी मां उसके मोटे तगड़े लंड को अपना पूरा मुंह खोल कर अपने मुंह में गप्प गप्प लेगी,,,, संध्या पानी पूरी खाते हुए बेहद खूबसूरत लग रही थी पानी पुरी में से पानी नीचे ना गिर जाए इसलिए वह थोड़ा सा आगे की ओर झुकी हुई थी जिससे उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए मचलने लगे थे जिस पर पानी पुरी वाले की नजर बार-बार चली जा रही थी,,,सोनू अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां की बड़ी बड़ी चूची को देखकर पानीपूरीवाला ललचा रहा है,,,,,,परसों ने यह बात अच्छी तरह से समझता था कि इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी क्योंकि उसकी मां थी ही इतनी सेक्सी और खूबसूरत कि उसको देखकर ही ना जाने कितने लोगों का लंड खड़ा हो जाता था,,,,,, सोनु यह बात सोचते हुए एक नजर अपनी मां की भारी-भरकम उभरी हुई गांड पर डाला जो की कसी हुई साड़ी में बेहद खूबसूरत कहर ढा रही थी,,, अपने मन में सोचने लगा कि अगर कोई भी मर्द ज्यादा कुछ नहीं बस पीछे से भले ही साड़ी के ऊपर से ही अगर उसे सिर्फ अपना लंड ही छुआने को मिल जाए तो भी उसके लंड से पानी निकल जाए,,,, सोनू को इसीलिए अपनी मां की मदमस्त भरावदार गोल गोल गांड पर गर्व होता था,,, देखते ही देखते संध्या एक के बाद एक के बाद एक कुल मिलाकर 30 पानी पुरी गप्प कर गई थी,,,, आज जी भर कर संध्या पानी पुरी खाई थी,,,, तीखे पन की वजह से उसके गोरे गोरे गाल एकदम लाल हो गए थे उसकी कनपटी भी लाल हो चुकी थी और अपनी मां के लाल लाल कश्मीरी सेव की तरह गाल को देखकर सोनू का लंड खड़ा हो रहा था,,,, अब ऐसा बार बार होता था दिन में ना जाने कितनी बार अपनी मां की झलक भर देख कर ही उसका लंड खड़ा होने लगता था,,,।

धीरे-धीरे शाम ढल रही थी अभी भी दोनों मार्केट में घूम रहे थे,,,, संध्या बार-बार मेडिकल वाले वाक्ये के बारे में सोच रही थी,,,,, ना जाने किस के मन में हो रहा है विकास उसका बेटा भी कंडोम का पैकेट रख लिया होता तो हो सकता है दोनों के बीच कुछ हो जाए,,, तो कंडोम काम आता,,,,, संध्या यही सोच रही थी कि,, एक अच्छी सी रेस्टोरेंट के सामने दोनों खड़े हो गए तो सोनू बोला,,,।

चलो मम्मी आज तो खाना बनाने का प्रोग्राम है नहीं तो यहीं पर कुछ खा लेते हैं,,,


नहीं सोनू मुझसे तो इसमें बिल्कुल भी खाया नहीं जाएगा एक काम कर तू खाना पैक करा लें घर पर ही जाकर खाएंगे,,,


हां मम्मी यह ठीक रहेगा,,,,,, तुम यहीं रुको मैं खाना पैक करा कर लाता हूं,,,

(इतना कहकर सोनू रेस्टोरेंट में खाना पेक कराने के लिए चला गया और संध्या वही रुकी रही,,, थोड़ी ही देर में खाना पैक करा कर सोनू वापस आ गया तो दोनों,,, बाइक के पास आ गए सोनू बाइक स्टार्ट कर दिया और संध्या बाइक पर बैठ गई आज उसे बहुत मजा आया था अपने बेटे के साथ मार्केट में आना उसे बहुत अच्छा लग रहा था ऐसा नहीं थाकि आज वह पहली बार अपनी बेटी के साथ मार्केट आ गई थी पहले भी वह कई बार मार्केट में आ चुके थे लेकिन आज की बात कुछ और थी क्योंकि आज उसे अपने बेटे को देखने का नजरिया जो बदल गया था ना जाने क्यों उसे अपने बेटे में एक नौजवान प्रेमी नजर आने लगा था जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था,,,, देखते ही देखते घर आ गया,,,, अभी अंधेरा नहीं हुआ था,,,, और घर में प्रवेश करते ही,,, संध्या बोली,,,।


मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,,,,,,,,,(इतना कहकर वह अपना पर्स टेबल पर रख दी और बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, जैसे ही वह बाथरूम में घुसी,,, सोनू तुरंत अपनी मां का पर्स तलाशने लगा वह देखना चाहता था कि वाकई में उसकी मां ने कौन सी क्रीम खरीदी है,,, वैसे तो संध्या खुद अपने मुंह से बता चुकी थी लेकिन फिर भी वह अपनी तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए पर्स की चैन खोलकर अंदर की तरह खंगालने लगा लेकिन पर्स में उसे कोई भी क्रीम नहीं मिली तो उसे यकीन हो गया कि उसकी मां उस क्रीम को बाथरूम में अपने साथ ले गई है,,,किस बात का एहसास होता है कि सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और पल भर में उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां बाथरूम में अपनी बुर‌पर वह क्रीम लगाकर उसे चिकनी करेगी,,, जो कि वह पहले से ही अपनी बुर को चिकनी रखती है यह बात सोनू अच्छी तरह से जानता था जब उसकी मां खुद उसे अपनी पेंटी दिखा रही थी,,,, लेकिन सोनू बाथरूम में उसकी मां क्या कर रही होगी इस बारे में पूरी तरह से कल्पना करने लगा था और वही कुर्सी पर बैठ गया था,,,।

बाथरूम में संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,, खास करके मेडिकल वाले वाक्ये को याद करके वह बाथरूम में घुसते ही,, अपनी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट उतारकर एकदम नंगी हो गई थी,,,, उससे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वह एक साथ अपनी दो उंगली अपनी बुर में डालकर से अंदर बाहर करते हुए अपने बेटे की कल्पना करने लगी,,, और कुछ ही मिनटों में झड़ गई,,, इसके बाद वह वीट क्रीम निकाल कर अपनी बुर की गुलाबी लकीर के इर्द-गिर्द पूरी तरह से लगा ली और थोड़ी देर बाद उसे टावल से साफ कर दी,,,, इसके बाद तो उसकी बुर मक्खन की तरह चमकने लगी फिसलने लगी अपनी बुर को देखकर एक बार खुद संध्या भी अपनी बुर पर मोहित हो गई उसे पूरा यकीन था कि अगर उसका बेटा उसकी बुर को देखेगा तो उसमें अपना लंड डाले बिना नहीं रह पाएगा,,, इसलिए वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपने नंगे बदन के साथ-साथ अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी,,,,पहले तो वह सावर चालू करके नहाना शुरू कर दी,,, उसके नंगे चिकने बदन पर पानी की बुंदे मोतियों के दाने की तरह फिसल रही थी,,,,,,दूसरी तरफ बाहर सोनू की हालत खराब हो रही थी वह अपनी मां के बारे में ना जाने कैसे-कैसे कल्पना करके मस्त हुआ जा रहा था,,,,,,,, वह अपनी मां के कमरे में जाकर बैठ गया क्योंकि उसे मालूम था कि नहाने के बाद उसकी मां कमरे में ही आएगी वह अपनी मां की खूबसूरत है पानी से भीगे हुए बदन को देखना चाहता था उसके गीले बालों से उठ रही मादक खुशबू को अपने अंदर महसूस करना चाहता था,,,,,,
संध्या नहा चुकी थी और जानबूझकर अपने कपड़े को बाथरूम में नहीं लाई थी इसलिए निकलते समय एक टावर लपेट ली जो कि उसकी चुचियों के आधे भाग के साथ-साथ उसकी बड़ी बड़ी गांड को भी सिर्फ आधी ही ढंक पा रही थी,,,, वह बाथरूम से बाहर निकल गई वह अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा ड्राइंग रूम में ही बैठा होगा लेकिन बाहर उसे ना देख कर वह सोचने लगी कि उसका बेटा कहां चला गया क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपना नंगा बदन दिखाना चाहती,, थी,,, कुछ देर तक वह वही खड़ी होकर इधर-उधर अपने बेटे को देखने लगी,,, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आया तो निराश होकर अपने कमरे की तरफ चल दी,,,,,,ऊसे लगने लगा कि इस हाल में वह अपनी बेटी को अपनी नंगी खूबसूरत बदन के दर्शन नहीं करा पाएगी,,,लेकिन जैसे ही वह अपने कमरे के दरवाजे तक पहुंची तो उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और अंदर से ट्युब लाइट की रोशनी आ रही थी,,, वह समझ गई कि उसका बेटा अंदर है,,,,,,उसका दिमाग बड़ी तेजी से दौड़ने लगा उसे अच्छी तरह से पता था कि कमरे में दाखिल होते ही उसे क्या करना है,,,, वह अपनी टावल को थोड़ा सा ढीला कर ली,,, ताकि दो कदम चलते ही उसकी टावल खुद-ब-खुद नीचे गिर जाए,,, और ऐसा ही हुआ अनजान बनते हुए जैसे ही संध्या अपने कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश की वैसे ही अपने बेटे को बेड पर बैठा हुआ पाकर चौक ने का नाटक करते हुए एकदम से हड़बड़ा गई और इसी हड़बड़ाहट में उसकी टावर छूटकर नीचे उसके कदमों में गिर गई और वह अपने बेटे की आंखों के सामने संपूर्ण रूप से एकदम नंगी हो गई,,,,सोनू अपनी मां को अपनी आंखों के सामने इस तरह से एकदम नंगी देखकर पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया उसे उम्मीद नहीं थी की उसे उम्मीद से ज्यादा देखने को मिल जाएगा वह आंखें फाड़े अपनी मां के नंगे बदन को ऊपर से नीचे की तरफ घूरने लगा,,, पल भर में ही सोनू की आंखें अपनी मां की खूबसूरत बदन के हर एक कोने को नापने लगी अपनी मां की मदमस्त खरबूजे जैसी गोल गोल चुचियों को देखकर वहां पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, उसकी नजर बड़ी तेजी से नीचे की तरफ चल रही थी और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी लकीर को देखते ही सोनू उत्तेजना से भर गया और उसका लंड अपनी मां की मदमस्त जवानी को सलामी भरने लगा,,,, संध्या जानबूझकर कुछ सेकेंड तक इसी तरह से अपने नंगे बदन का रसपान अपने बेटे को कराती रही,,, और जैसे कीवह होश में आई हो इस तरह से तुरंत नीचे झुका कर टावर उठा लिया और उसे नंगे बदन पर लपेट ली और शर्माने का नाटक करते हुए बोली,,,।

ओहह,,, सॉरी बेटा,,,, टावल गिर गया,,,,

(सोनू के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे वह अपनी मां को आंखें फाड़े अभी भी देखें जा रहा था,,, और वह भी जैसे होश में आया हो इस तरह से,,, बेड पर से खड़ा हुआ और वह भी अपनी मां को सॉरी बोल कर कमरे से बाहर निकल गया लेकिन कमरे से बाहर निकलते निकलते एक नजर टॉवल में लिपटी हुई अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर नजर मारता,,,गया,,,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबते चली जा रही थी बड़ी हिम्मत करके उसने अपने बेटे के सामने जानबूझकर टावल गिराने का नाटक की थी,,,, पल भर में ही अपने बेटे को अपने नंगे बदन का दर्शन करा कर,,, उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,।

दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी और संजय अभी भी अपनी मंजिल से 15 किलोमीटर की दूरी पर था लेकिन तभी उसकी गाड़ी बंद हो गई,,,।

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Nice update 👌👌👌👌👌
 

Sanju@

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शाम ढलने वाली थी और संजय की गाड़ी बंद पड़ गई थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,,,,,,।


क्या हुआ पापा,,,?


पता नहीं क्या हुआ गाड़ी बंद हो गई है,,,,(संजय कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकलते हुए बोला,,,,,, हाईवे के किनारे केवल एक ढाबा भर था,,, संजय एकदम से परेशान हो गया था वह खुद ही,,, कार की बोनेट चढ़ाकर खुद से प्रयास करने लगा लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था,,,,,, यह जगह से कुछ ठीक नहीं लग रही थी क्योंकि ढाबे पर अधिकतर शराबी लोग ही नजर आ रहे थे जो कि उन्हें ही घूर घूर कर देख रहे थे,,,,,, संजय को थोड़ी चिंता हो रही थी क्योंकि कार में उसकी बेटी थी,,,,, अपने पापा को प्रयास करता हुआ देखकर वह कार से बाहर निकल गए क्योंकि यह बात संजय को अच्छे नहीं लगी लेकिन फिर भी कुछ बोल नहीं पाया,,,,।


क्या हुआ पापा,,,, चालू तो हो जाएगी ना,,,,


कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,, और आसपास कोई गैराज भी नहीं है,,,(अपने चारों तरफ नजर दौड़ाता हुआ बोला,,,) रुको मैं ढाबे पर जाकर थोड़ी पूछताछ करके आता हूं शायद कोई मैकेनिक मिल जाए,,,(इतना कहने के साथ ही संजय ढाबे की तरफ आगे बढ़ गया,,,,,, ढाबे पर पहुंचकर उसने मैकेनिक के बारे में पूछताछ किया तो पास के ही गांव में एक मैकेनिक रहता है इस बारे में जानकारी दिया,,, और वह उसे ले जाने के लिए तैयार भी हो गया,,,,वैसे तो संजय जाना नहीं चाहता था उसे पैसे देकर बुला लेना चाहता था लेकिन,,, वह साथ में उसे ले गया,,, संजय को सगुन की चिंता हो रही थी लेकिन मजबूरी थी जाना भी जरूरी था वरना इस अनजान सुनसान जगह पर उन्हें रात बितानी पड़ जाती तब और भी ज्यादा दिक्कत बढ़ सकती थी,,,,,,
15 मिनट जैसा समय गुजर चुका था शगुन को बड़े चोरों की प्यास लगी हुई थी और गाड़ी बंद होने की वजह से बाहर गर्मी भी बहुत लग रही थी,,,,,,, ढाबे पर भीड़भाड़ कम होने लगी थी,,, उसे ढाबे पर तीन-चार औरतें भी नजर आ रही थी इसलिए वह हिम्मत करके ढाबे की तरफ आगे बढ़ी,,,,,,, ढाबे पर पहुंचकर उसने पानी की बोतल खरीदी और वहीं बैठ कर पीने लगी,,,, थोड़ी दूर पर खड़ी औरतें उसे ही घूर कर देख रही थी,,,,,,,,, लेकिन वह उन औरतों को अनदेखा कर रही थी,,,,

अभी थोड़ी देर बाद एक बाइक वाला आकर उसके पास ही बाइक रोककर उससे बोला,,,,


चलेगी क्या,,,,


क्या,,,,?(शगुन आश्चर्य से बोली)

अरे चलना है क्या,,,,



कहां,,,,(फिर आश्चर्य से बोली उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था)



यही पास में,,,,
(शगुन फिर उसे आश्चर्य से उसे देखने लगी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,)


अरे बोलना कितना लेगी नखरे क्यों कर रही है,,,,( वह बाइक वाला शगुन की खूबसूरती और उसकी मदमस्त जवानी पर मोहित हो चुका था,,, इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) 3000 5000 कि 10000 लेगी पूरी रात का,,, बोलना नखरे क्यों दिखा रही हैं,,, मक्खन जैसी है तभी तो मक्खन जैसा भाव भी दे रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह बाइक वाला आदमी शगुन के गोरे गाल पर अपनी उंगली फेर दिया,,,, सगुन एकदम से घबरा गई,,, घबराते हुए बोली,,,,)


मुझे कहीं नहीं जाना और इस तरह से मेरे साथ बात मत करो,,,, भागो यहां से वरना मैं अपने पापा को बुला दूंगी,,,

(दाल गलती ना देख कर वह आदमी समझ गया कि यह धंधे वाली नहीं है लेकिन फिर भी उसकी खूबसूरती देखकर वह पूरी तरह से मोहित हो गया था इसलिए गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)


तो मादरचोद यहां क्यों बैठी है चल जा कहीं और,,,( और इतना कहने के साथ ही वह उन औरतों की तरफ बाइक लेकर चल दिया उसके जाते ही सगुन राहत की सांस ली,,, लेकिन 5 मिनट बाद फिर एक बाइक वाला आया और एक ही बाइक पर दो लोग बैठे हुए थे,,,, पीछे वाला बाइक को शगुन के पास खड़ी रखने के लिए बोला और बाइक के खड़ी होते ही वह पीछे वाला बाइक से नीचे उतर गया और शगुन से बोला,,,)


और जानेमन चलने का इरादा है एक साथ दो दो,,,


एक साथ दो दो मतलब,,,


अरे मतलब की तू और हम दोनों,,,(अपने दोस्त की तरफ इशारा करते हुए)

देखिए मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पा रही हूं,,,,(शगुन आश्चर्य जताते हुए बोली,,)


अरे मेरा मतलब है कि तेरे को हम दोनों एक साथ चोदेंगे,,, एतराज ना हो तो एक तेरी बुर में और दूसरा तेरी गांड में,,,और गांड में नहीं लेना हो तो बारी-बारी से तेरी बुर में
(इतना सुनते ही शगुन के हाथ पांव कांपने लगी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि वह दोनों से क्या समझ रहे थे वह जो बाइक वाला गया है वह क्या समझ रहा था,,, शगुन एकदम से घबरा चुकी थी,,, एकदम से घबराहट भरे स्वर में बोली,,,)

देखो मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं,,,


अरे मैं जानता हूं तु हाई क्लास है,,, तभी तो तुझे अच्छी सी होटल में ले चलेंगे खाना पीना सब कुछ हमारा और काम खत्म होने के बाद तुझे बख्शीश भी देंगे,,,,,,


माइंड योर लैंग्वेज,,,, मैं कब से कह रही हूं जो तुम लोग समझ रहे हो मैं वह नहीं हूं,,,,,,, फिर भी समझ नहीं आ रहा है तुमको,,,( शगुन एकदम से चिल्लाते हुए बोली,,, तो वह एकदम से घबरा गया,,,,तब तक संजय भी वहां पहुंच चुका था साथ में मैकेनिक लेकर अपनी बेटी को इस तरह से चिल्लाते हुए देखा तो भागते हुए उसके करीब आया तब तक वह लड़का बाइक चालू करके वहां से नौ दो ग्यारह हो चुका था,,,)


क्या हुआ वह बाइक वाला कौन था,,,,

वो,,,वो,,,(अपने पापा को देखकर सगुन राहत की सांस लेते हुए बोली लेकिन वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही उसके साथ आया हुआ मैकेनिक बोला)

वो लड़के इन्हें धंधे वाली लड़की समझ रहे थे,,,,


क्या,,,,?(संजय आश्चर्य से अपनी बेटी की तरफ देखते हुए बोला तो शगुन शर्मिंदा होते हुए अपनी नजरें नीचे झुका कर हां में सिर हिला दी)


वह क्या है ना साहब शाम ढलते ही यहां पर धंधे वाली औरतें आना शुरू हो जाती है वो औरतें देख रहे हो,(उंगली से पास में खड़ी चार पांच औरतों की तरफ इशारा करते हुए) वह औरतें वही है पर यहां पर आपकी बेटी भी बैठी हुई थी इसलिए बोलो इन्हें भी वही समझ रहे थे,,,।


ओहह,,,गोड,,,, अच्छा हुआ मै सही समय पर आ गया,,, तुम जल्दी से मेरी कार ठीक कर दो यह जगह ठीक नहीं है और वैसे भी रात हो रही है,,,।


ठीक है साहब,,,,
(इतना कहकर वह तीनों कार के करीब आ गए और वह मैकेनिक अपने काम में लग गया तकरीबन 15 मिनट में ही उसने कार को ठीक कर दिया कुछ प्रॉब्लम की वजह से कार बंद पड़ गई थी लेकिन अब आराम से स्टार्ट हो रही थी,,,उसमें कैनिक ने संजय से ₹500 मांगे थे लेकिन संजय मौके की नजाकत को देखते हुए उसे हजार रुपया दिया था जिसे पाकर वह मैकेनिक एकदम खुश हो गया था,,, संजीय शगुन वापस ने कार में बैठ गए थे और संजय कार स्टार्ट करके आगे बढ़ा दिया,,, मंजिल बेहद करीब थी,,,, शगुन को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि कोई उसे धंधे वाली लड़की समझ लेगा इसलिए जो कुछ भी हुआ था उस पर यकीन नहीं कर पा रही थी संजय भी सहमा हुआ था उसे इस बात से चिंता थी की अगर उसकी बेटी के साथ कुछ गलत हो जाता तो इसलिए वह मन ही मन भगवान को धन्यवाद दे रहा था,,,।
संजय कार को तेज रफ्तार से नहीं बल्कि बड़े आराम से ही ले जा रहा था लेकिन उसका दिमाग डोलने लगा था ना चाहते हुए भी उसके मन में अजीब अजीब से ख्याल आने लगे थे अपने मन में सोच रहा था कि वह लड़की उसकी बेटी से क्या कहें होंगे,, उसे भाव पूछें होगे कि कितना लेती है,,,, क्या भाव है पूरी रात का क्या नाम है घंटे का क्या भाव है,,, आगे से देती है या पीछे से भी,,,,।अपनी बेटी के बारे में यह सोचते ही संजय का लंड खड़ा होने लगा,,,, अपनी बेटी से पूछना नहीं चाहता था लेकिन जो कुछ भी हुआ था उससे वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, एक पल के लिए कार में बैठे-बैठे उस घटना के बारे में सोचते हुए शगुन भी ना जाने क्यों उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा कि कि कोई उसे धंधे वाली लड़की समझ लेगा और उससे उसका भाव पूछेगा बार-बार उस लड़के की बात उसे याद आ रही थी,,, जब वह उसे से दो दो लड़कों को एक साथ लेने के लिए बोल रहा था एक बुर में एक गांड में,,,, यह बात याद आते ही ना जाने क्यों उसकी बुर से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,,,,,, वह उत्तेजित होने लगी थी,,,।


वहां क्या हुआ था शगुन,,,( सब कुछ जानते हुए भी समझे जानबूझकर यह सवाल पूछ रहा था)

वो वो, वो लोग मुझे गंदी लड़की समझ रहे थे,,,


लेकिन ऐसा क्यों,,,,?(उसने कहने के लिए संजय को साफ साफ शब्दों में बताया था फिर भी संजय या जानबूझकर पूछ रहा था और अपने बाप के सवाल पर शगुन को भी आश्चर्य हुआ था लेकिन फिर भी वह बोली)


क्योंकि वहां और भी औरतें इकट्ठा थी,,,,


किस लिए इकट्ठा थी,,,,


धंधा करने के लिए,,,(अपनी नजरों को नीचे झुकाते हुए बोली)


तुमसे वह लड़के क्या बोल रहे थे,,,?
(अपने पापा के इस सवाल पर शगुन थोड़ा सा झेंप गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था अपने पापा के सवाल का क्या जवाब दें जबकि उसके पापा को अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर क्या हो रहा था,,, लेकिन धीरे-धीरे उसके बदन में भी धंधे वाली लड़की की बात को लेकर खुमारी छाने लगी थी,,, और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर अपने घर से दूर इधर कुछ करना है तो शर्म को दूर करना और अपने पापा के सवालों का जवाब देना होगा इसलिए वह थोड़ी देर बाद बोली,,,)


मैं वहां पानी पीने के लिए बैठी थी,,, पहले एक बाइक वाला आया,,,,,

फिर,,,,(संजय अपनी आंखों को सड़क पर स्थिर किए हुए था लेकिन उसके कान अपनी बेटी की बातों को सुनने के लिए चौंक्कने थे,,,)

फिर वो लड़का मेरे पास आकर बाइक खड़ी किया और बाइक से उतरे बिना ही बोला,,, चलेगी क्या,,,?


क्या ऐसा कहा उसने,,,



हा पापा,,, मैं तो उसकी बात को समझ ही नहीं पाई,,,, वह बार-बार कह रहा था कितना लेगी 3000 5000 10000,,, लेकिन फिर भी मैं उसकी बात को समझ नहीं पाई,,,।


फिर क्या हुआ,,,,,(संजय उत्सुकता जगाते हुए बोला अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसके लंड में सनसनाहट हो रही थी और यही हाल सगुन का भी था,,, उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,।)


फिर वह इतने गंदे शब्दों में मुझे बोला कि मैं हैरान रह गई मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं इस तरह के शब्द कभी सुनूंगी,,,।


क्यों क्या कहा उसने,,,,(संजय को भी बेहद जल्दी थी अपनी बेटी की बात सुनने के लिए और सगुन को जल्दी थी अपनी बात सुनाने के लिए वह अपने पापा के चेहरे को अच्छी तरह से पढ़ पा रही थीशगुन को साफ पता चल रहा था कि उसकी बातों को सुनकर उसके पापा को अंदर ही अंदर मजा आ रहा है,,,)

उसने कहा,,, उसने कहा कि,,,,,अब कैसे बताऊं मुझे तो शर्म आ रही है,,,,।


अरे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है,,,,, बता दो क्या कहा उसने,,,,



लेकिन आपके सामने,,,,,


तो क्या हुआ मुझे अब अपना दोस्त ही समझो,,,,


लेकिन पापा वह बहुत गंदी बात बोला था,,,,


वही तो मैं सुनना चाहता हूं कि,,,, तुम्हें धंधेवाली समझकर वह क्या बोला था,,,,,,,
(कुछ देर की खामोशी के बाद शगुन बोली)


वैसे तो पापा मैं तुम्हें पता नहीं वाली नहीं थी लेकिन तुम कह रहे हो कि मुझे अपना दोस्त समझो तो मैं बताती हूं,,,, जब मैं उसे बोली कि मुझे तुम्हारी बात समझ में नहीं आ रही है कि तुम क्या कर रहे हो तो वह बोला,,, चुदवाने का कितना पैसा लेगी,,,
(अपनी बेटी के मुंह से चुदवाने वाली बात सुनते ही संजय के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया,,,, और सब उनकी भी हालत खराब हो गई थी जब उसके मुंह से चुदवाने वाली बात निकलेगी जिंदगी में पहली बार उसने इस शब्द का प्रयोग की थी और वह भी अपने पापा के सामने इसलिए उसकी बुर पानी कुछ ज्यादा ही छोड़ने लगी थी,,, अपनी बेटी की बातें सुनकर अफसोस जताते हुए बोला,,,)


बाप रे ये कहा उसने अगर मुझे मालूम होता तो मैं तुम्हें वहां अकेली नहीं छोड़ता,,, उसकी बात सुनकर तुमने क्या कि,,,



मैं तो एकदम से घबरा गई,,, बार-बार मुझे कह रहा था कि तू मक्खन जैसी जैसी के मक्खन जैसा भाव भी दे रहा हूं,,,
(अपनी बेटी की बात सुनकर संजय अपने मन में कहने लगा कि वाकई में उसकी बेटि एकदम मक्खन की तरह चीकनी है,,,)


फिर तुम क्या कहीं,,,


मुझे बार-बार यह समझा रही थी कि भी गंदी लड़की नहीं है मै ऐसा वैसा काम नहीं करती,,,, तब जाकर वह माना जाते जाते मुझे गाली दे गया,,,,


क्या वह तुम्हें गाली दिया,,,,


एकदम गंदी,,,,


कौन सी गाली,,,,?


अब ये भी बताऊं,,,,


तो क्या हुआ बता दो ना,,,,


मादरचोद,,,,,


ओहहहहह,,,वह, लड़का वाकई में बहुत हारामी था,,,


कुछ मत पापा मेरे दिल पर क्या गुजर रही थी,,,


मैं समझ सकता हूं सगुन,,,, साला मादरचोद बोलकर गया,,,, समझती हो इसका मतलब,,,,

(शगुन बोली कुछ नहीं लेकिन अपने पापा की बात सुनकर ना मैं सिर हिला दी,,,वह अपने पापा के चेहरे के भाव को पढ़ रही थी ऐसा लग रहा है कि जैसे उसकी आपबीती सुनकर उसके पापा को मजा आ रहा था और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था तभी तो वह मादरचोद गाली के मतलब को समझाने के लिए उत्सुकता दर्शा रहे थे,,)

मादरचोद उसे कहते हैं जो अपनी मां को चोदता है,,,
(अपने बाप के मुंह से उस गाली का मतलब सुनते ही शगुन एकदम सन्न रह गई उस मतलब की बात सुनकर नहीं बल्कि अपने पापा की उत्सुकता देखकर कितनी गंदी बात वहां कितने आराम से उसके सामने कह रहे थे लेकिन ना जाने क्यों अपने पापा के मुंह से मादरचोद का शब्द का अर्थ समझते हुए उसे उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसकी बुर ऊतेजना के मारे फुल पीचक रही थी,,,, जानबूझकर वह अपने पापा के सामने उस गालई का मतलब समझते ही आश्चर्य से अपना मुंह खुला छोड़ दी,,,, संजय कोअपनी बेटी से इस तरह से बातें करने में बहुत उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से एक्सेस कर रहा था और उसकी यह हरकत शगुन की नजर से बच नहीं पा रही थी और उसे अपने पापा के लिए हरकत बेहद कामुक लग रही थी,,, कुछ देर तक कार में एकदम शांति छा गई ओर ईस शांति को खुद शगुन भंग करते हुए बोली,,,)


इसके बाद वही 2 लड़के आए जो भाग खड़े हुए थे,,,


क्या दो लड़के भी,,,,


हां पापा उन दोनों की बातें तो मुझे और डरावनी लग रही थी,,,।


डरावनी क्यो,,,,?


क्योंकि वह दोनों एक साथ चोदने की बात कर रहे थे,,,,
(चोदना शब्द कहकर एक बार फिर से सगुन की सांस ऊपर नीचे हो गई और यह शब्द सुनकर संजय की हालत खराब हो गई,,,)


क्या एक साथ,,,


हां पापा वह कह रहा था कि एक बबबबब,,बुर में देगा और दूसरा गांड में,,,,,
(यह शब्द कहते हुए खुद सगुन की बुर से पानी की धारा फूट पड़ी और संजय तो झरते झरते बचा,,, बुर और गांड शब्द कहने में,,, शगुन को जितनी हिम्मत जुटाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी थी कितनी मशक्कत उसे और कोई काम करने में आज तक नहीं पड़ी थी,,,, संजय तू अपनी बेटी के मुंह से यह शब्द सुनकर पूरी तरह से बावला हो गया था,,,,)


बाप रे में तो कभी सोच भी नहीं सकता,,,,


मैं तो रो देने वाली थी कि तभी तुम आ गए,,,।


अच्छा हुआ कि मैं सही समय पर आ गया वरना आज ना जाने क्या हो जाता,,,,।

(कुछ देर के लिए कार में पूरी तरह से खामोशी छा गई सगुन हैरान थे कि वह अपने पापा के सामने इतनी गंदी शब्दों में बात कर रही थी और उसके पापा भी मजे ले कर उसकी बात को सुन रहे थे और गंदी गंदी बातें भी कर रहे थे दोनों के बीच ऐसा लग रहा था कि दूरियां कम होने लगी थी दोनों के बीच की दीवार धीरे-धीरे रहने लगी थी जिसकी शुरुआत हो चुकी थी ,,, थोड़ी ही देर में एक आलीशान होटल आ गया और होटल के पार्किंग में कार खड़ी करके संजय और सगुन दोनों कार से बाहर आ गए,,,।)
Very hot update
 

Nasn

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शगुन अपना एग्जाम बड़े अच्छे से दे पाई,,,,, लेकिन सुबह की बात याद करके वह दिन भर परेशान हो रही थी,,, वह अपने मन में बार-बार यही सोच रही थी की उसके पापा ने उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख लिया तभी तो उनका लंड खड़ा हो गया था जिसे बाथरूम में जाते-जाते शगुन अपनी आंखों से अपने पापा के पजामे में बने तंबू को देख ली थी,,,। और यह सब उसके नंगे बदन के कारण हुआ था यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, सुबह-सुबह जो हरकत उसने अपने पापा की आंखों के सामने की थी उससे वह बहुत खुश थी और उत्तेजित भी,,, शकुन पहली बार इस तरह की हरकत की थी और वह भी अपने पापा की आंखों के सामने और अपने पापा के लिए इससे उसका रोमांच कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था,,,। सगुन अब पीछे हटने वाली नहीं थी,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने चोरी-छिपे खिड़की से देखें जाने वाला वह दृश्य उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था,,,, जब वह अपने मम्मी पापा को चुदाई करते हुए देख रही थी,,,। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि क्या नजारा था,,। जब उसके पापा का बम पिलाट लंड उसकी मां की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था,,,, उस नजारे को ईस समय याद करके सगुन की पेंटी गीली होने लगी थी,,,। वह कभी नहीं सोची थी कि अपनी आंखों से उसे अपनी मां की चुदाई देखने को मिलेगी और उसी नजारे को देख कर उसके तन बदन है उसी समय से कुछ कुछ होने लगा था जब भी वह कभी अपने पापा के नजदीक होती तो उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी बार-बार अपने पापा की मौजूदगी में उसे अपने पापा का मोटा तगड़ा लंड नजार‌ आता था,,,,,,

एग्जाम हो चुकी थी वह कॉलेज से बाहर निकल कर पार्किंग में खड़ी होकर अपने पापा का इंतजार कर रही थी जो कि,,, वहां मौजूद थे इसलिए सगुन फोन करके अपने पापा को वहां बुला ली,,,,।


एग्जाम हो गया,,,


हां पापा,,,


कैसा गया पेपर,,,,


बहुत अच्छा उम्मीद से भी कहीं अच्छा,,,


मुझे पूरा विश्वास था कि तुम्हारा पेपर बहुत अच्छा होगा,,,,(ऐसा कहते हुए संजय अपनी बेटी के खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक नजर दौड़ा कर देखने लगा जो कि सलवार सूट में बहुत खूबसूरत लग रही थी खास करके उसकी कसी हुई सलवार जिसमें से उसकी मोटी मोटी जांगे और उभरती हुई गांड साफ नजर आ रही थी,,, लड़कियों को, कपड़ों के ऊपर से भी देखने का मर्दों का एक अलग नजरिया होता है कपड़ों में भी औरतें कुछ ज्यादा ही सेक्सी लगती है जो कि यहां पर सगुन के पहरावे को देख कर संजय की उत्तेजना बढ़ रही थी,,,, वैसे तो संजय के दिमाग में सुबह वाला वह खूबसूरत ऊन्मादक नजारा ही घूम रहा था,,,,, जिसमें उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी,,,। दोनों गाड़ी में बैठ गए थे और संजय गाड़ी को पार्किंग में से निकालकर सड़क पर दौड़ाना शुरू कर दिया था,,,, अपने पापा का साथ सगुन को ना जाने क्यों उत्तेजित कर देता था,,,,, अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, संजय का ईमान डोल रहा था बाप बेटी के बीच की मर्यादा की दीवार को वह अपनी कल्पना में ध्वस्त होता हुआ देख रहा था,,,,जिस तरह का नजारा देखकर वह उत्तेजित हो जाता था और अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे देखते हुए उसे लगने लगा था कि वह रिश्ते की डोर के आगे कमजोर पड़ जाएगा,,,,,, उसे यह सब बहुत गंदा भी लग रहा था और उत्तेजना पूर्ण भी लग रहा था,,,दोनों के पास समय काफी का इसलिए दोनों इधर-उधर घूमते रहे शहर काफी सुंदर था घूमने में उन दोनों को बहुत मजा आ रहा था लेकिन दोनों के मन में कुछ और ही चल रहा था दोनों से तो बाप बेटी लेकिन घूमते समय ना जाने क्यों एक दूसरे को प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे इसका एक ही कारण था दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण,,,,,,,,,,

रात के 8:00 बज गई दोनों होटल पर पहुंच गए और डिनर करने लगे,,, होटल का स्टाफ दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे,,, क्योंकि संजय की कदकाठी और शरीर का गठन बहुत अच्छा था जिसमें वह उम्र वाला बिल्कुल भी नहीं लगता था,,,,,,,

खाने का बिल चुकाते समय काउंटर पर एक लेडी बैठी हुई थी जो कि कलेक्शन करने के बाद संजय को नाइस कपल कहकर संबोधित की जो कि शगुन भी पास में ही थी यह सुनते ही सगुन का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया,,, और संजय भी भौचक्का रह गया संजय को तो अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था वह चाहता था उस लेडी को अपने रिश्ते के बारे में बता सकता था लेकिन वह खामोश रहा न जाने कि उसका मन कह रहा था कि होटल के लोग जो कुछ भी समझते हो उससे उसे बिल्कुल भी परेशानी नहीं है,,,,। बिल चुकाने के बाद संजय और शगुन अपने कमरे की तरफ जाने लगे तो शगुन हंसने लगी,,, शगुन को हंसता हुआ देखकर संजय बोला,,,।

क्या हुआ हंस क्यों रही हो,,,,?


हंसने वाली तो बात ही है पापा,,,,


क्यों,,,?


क्योंकि वह लेडी हम दोनों को कपल समझ रही थी,,,,,


तो क्या हम दोनों लगते नहीं है क्या,,,,(संजय को यही मौका था अपनी बेटी के साथ फ्लर्ट करने का,,, वह जानना चाहता था कि वह उसकी बेटी को कैसा लगता है,,, पहले तो सगुन अपने पापा की यह बात सुनकर आश्चर्य से देखने लगी फिर हंसते हुए बोली,,,)


लगते हैं ना क्यों नहीं लगते,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ अपने पापा के हाथ के अंदर डालकर उन्हें पकड़कर चलने लगी,,, अपनी बेटी की हरकत पर संजय के तन बदन में आग लग गई,,,) तुम तो अभी भी एकदम जवान लगते हो पापा,,,(इतना कहने के साथ ही शगुन हंसने लगे तो उसे हंसता हुआ देखकर संजय फिर बोला,,,)


तुम मुझे बना रही हो ना,,,(कमरे का दरवाजा खोलते हुए)


नहीं तो बिल्कुल भी बना नहीं रही हूं,,,, तुम सच में काफी हैंडसम हो पापा,,,, तुम्हारा कसरती बदन एकदम सलमान खान की तरह है,,,,(वह अपने हाथों से अपने पापा के कोट को उतरते हुए बोली,,, संजय को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था,,,,)

सलमान खान तो हीरो हैं,,,।


लेकिन तुम मेरे हीरो हो,,,,(सगुन अपने पापा की आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,, संजय की बोलती एकदम बंद हो गई थी अपनी बेटी की बातों से उसे इतना तो पता चल रहा था कि उसकी बेटी को वह अच्छा लगता था,,, उसका कसरती जवान बदन अच्छा लगता था,,,, इसलिए अपनी बेटी की बातों को सुनकर वह उत्तेजित होने लगा था,,,। उसके पेंट का आगे वाला भाग उठने लगा था लेकिन ना जाने क्यों संजय उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बेटी की नजर उस पर पड़े,,, और ऐसा ही हुआ शगुन की नजर उसके पापा के पेंट के आगे वाले भाग पर पड़ गई जोकि धीरे-धीरे अपने उठान पर आ रहा था,,, पेंट के अंदर उसकी जवानी की गर्मी बढ़ती चली जा रही थी,,,, अपने पापा के पेंट के आगे वाले भाग को उठता हुआ देखकर सगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, ऐसा नहीं था कि उसका मन अपने पापा के नंगे लंड को देखने के लिए तड़प ना रहा हो,, वह बेहद उतावली और उत्सुक थी अपने पापा के लंड को देखने के लिए लेकिन अपने मुंह से कैसे कह सकती थी कि पापा मुझे अपना लंड दिखाओ,,, वह तो उन हालात का इंतजार कर रहे थे जब इंसान खुद मजबूर हो जाता है वह सब करने के लिए जो एक मर्द और औरत के बीच होता है,,,, इसलिए वहां से कपड़े चेंज करने का बहाना करके वह बाथरूम में चली गई,,,, लेकिन इस बार साथ में कपड़े भी लेती गई,,, संजय पैंट के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,,, अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा वजह सोचने लगा कि अगर घर से दूर दूसरे से मेरे में होटल की इस कमरे में उन दोनों के बीच वह हो जाए जो होना नहीं चाहिए तो क्या होगा,,, वह सारी शक्यताओ के बारे में विचार करने का था उसे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा वह अपने आप को दिखाने लगा कि वह अपनी बेटी के बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है,,,,। नहीं नहीं अब वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,,,, वह अपने मन में यही सोच कर कसम खाने लगा कि अब ऐसा कभी नहीं करेगा लेकिन तभी उसके कानों में एक बार फिर से सु सु की सीटी की आवाज भूख नहीं लगी और जो कुछ भी अपने आप को रोकने के लिए कसमें खाया था वह सब कुछ धुंधलाता हुआ नजर आने लगा,,,, और एक बार फिर से वह अपनी बेटी की बुर से निकल रहे सिटी की आवाज के मदहोशी में पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,,

शगुन को भी पेशाब करते समय अपनी बुर से निकल रही सीटी की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज निकलते हुए सुनाई दे रही थीशकुन को इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बुर से निकलने वाली सीटी की आवाज उसके पापा के कानों मे जरूर पहुंच रही होगी,,,, यह एहसास शगुन को पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,,,, बाहर बिस्तर पर बैठे संजय की हालत तो खराब होने लगी थी वह अपनी बेटी को पेशाब करते हुए देखना चाहता था,,,, इसलिए वह बिस्तर पर से उठा हूं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होकर की होल से अंदर की तरफ झाकने लगा,,,, और उसकी मेहनत रंग लाई की होली में से उसे बाथरूम के अंदर का नजारा साफ नजर आने लगा क्योंकि अंदर लाइट जल रही थी,,,, पल भर में ही संजय का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,,,संजय को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बेटी सामने दीवाल की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसकी गोलाकार नंगी गोरी गांड,,, उसे साफ नजर आ रही थी,,,हालांकि उसने अपनी बेटी को सुबह-सुबह ही एकदम नंगी देख चुका था,,,, लेकिन फिर भी इस समय के हालात और माहौल दोनों अलग था,,, उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने पेशाब करने बैठे थे जो कि सदन को इस बारे में पता नहीं था लेकिन उसे अपने बाथरूम के दरवाजे पर कुछ आहट जरूर हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके पापा बाथरूम के दरवाजे के करीब आए हो और की होल से देख रहे हो,,,,,लेकिन उसका यह शक यकीन में बदल गया जब उसे बाथरूम के दरवाजे पैरों से लगने की आवाज सुनाई दी जो कि उसके पापा के पैरों से अनजाने में ही लग गई थी और वह बहुत संभाल कर की होल में से अंदर झांक रहा था,,,, यह एहसास से ही उसका रोम-रोम झनझना उठा था,,, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक पल को तो वह अपने बदन को छुपाने की कोशिश करने ही वाली थी लेकिन अगले ही पल,,, उसके दिमाग की बत्ती जलने लगी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी अपने मन में सोचने लगी आज इसी बाथरूम में अपने पापा को अपने बदन का हर एक हिस्सा दिखाएंगी,,,, इसलिए वह वहां से उठी नहीं,,, और पेशाब करती रही हालांकि पेशाब कर चुकी थी लेकिन फिर भी वह एक बहाने से अपने पापा को अपनी सुडोल गांड के दर्शन जी भर कर कराना चाहती थी,,,, इसलिए पेशाब करते समय वह अपनी उभरी हुई गांड को बाथरूम के दरवाजे की तरफ उभारने लगती थी,,, और सब उनकी यही अदा संजय के दिल पर बिजलीया गिरा रही थी,,, इस तरह के बहुत से मादक नजारे संजय अपनी आंखों से ना जाने कितनी बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में बात ही कुछ और थी,,,, यह नजारा किसी भी उम्र के मर्दों के बदन में जोश बढ़ा देने के लिए काफी था,,,।

और वैसे भी सुकून किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं लगती थी पूरा बदन एकदम गोरा मक्खन की तरह था,,, एकदम तराशा हुआ,, उभार वाली जगह पर एकदम नापतोल कर उभार बना हुआ था,,, अंगों का मरोड़ जैसे किसी शिल्पी कार ने अपने हाथों की करामात दिखाई हो,,, अद्भुत बदन की मालकिन थी सगुन और उसके लिए पहला मौका था जब अपने नाम के भजन क्यों किसी मर्द को किसी मर्द को क्या अपने ही बाप को दिखा रही थी और धीरे-धीरे उसे ध्वस्त कर रही थी अपनी बेटी की मदमस्त जवानी को देखकर संजय का किला ध्वस्त होता हुआ नजर आ रहा था,,,, वह इस समय बिल्कुल भी भूल चुका था कि वह एक बात है उस बेटी का जो बाथरूम के अंदर पेशाब कर रही है संजय सब कुछ भूल कर बस इतना ही जानता था कि बाथरूम के अंदर जो पेशाब कर रही है वह एक औरत है और बाहर खड़ा वह एक मर्द,,,,

शगुन पेशाब कर चुकी थी,,, लेकिन फिर भी बैठी रहीक्योंकि वह अपनी मदहोश कर देने वाली जवानी अपने पापा को जी भर कर दिखाना चाहती थी,,, बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच जो कि अभी पूरी तरह से खीली नहीं थीउसने फंसी अपनी पेशाब की बुंदो को पूरी तरह से नीचे गिरा देने के लिए वह अपनी गोलाकार गांड को झटके देकर उसे नीचे गिराने लगी लेकिन उसकी यह हरकत संजय की हालत को और ज्यादा खराब कर रही थी,,,अपनी बेटी की हिलती हुई गांड को देखकर संजय का मन कर रहा था कि इतने बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाएऔर उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ ले,,,, लेकिन यह मुमकिन नहीं था,,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि किसी तरह से और ज्यादा अपने लगने बदन की नुमाइश बाथरूम में की जाए और बाथरूम के बाहर खड़े उसके पापा इस नजारे को देखें तो शायद जिस तरह से उसके पापा का लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होता था आज की रात उसकी बुर की किस्मत खुल जाए,,,। और इसीलिए वहा खड़ी हो गई लेकिन अपनी सलवार को ऊपर करने की जगह उसे नीचे करने लगी और देखते ही देखते वह अपने सलवार को उतार दी,,,, संजय का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,। उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी,,,, सलवार उतारने के बाद वह अपनी कमीज उतारने में बिल्कुल भी समय नहीं ली और उसे उतारकर हेंगर पर टांग दी,,,,।

बाथरूम में वो केवल ब्रां और पेंटिं में खड़ी थी संजय की उत्तेजना बेकाबू होती जा रही थी,,, शगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पापा सब कुछ देख रहे हैं,,,।इसलिए अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी जो कि सुबह-सुबह हम अपनी ब्रा का हुक लगाने में जानबूझकर देरी कर रही थी,,, उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी,,, संजय से सब्र नहीं हो रहा था मैं जानता था कि उसकी बेटी ब्रा उतार रही है और ब्रा उतारने के बाद उसके दोनों अमरूद एकदम आजाद हो जाएंगे जिसे देखने के लिए उसका मन मचल रहा था,,,, देखते ही देखते सगुन अपनी ब्रा उतार कर उसे भी हैंघर पर टांग दी,, कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन उसके नंगे पन को पूरी तरह से नंगा करने के लिए अभी भी पेंटिं को उतारना जरूरी था जिस पर उसकी दोनों नाजुक उंगलियों को देखते ही संजय का दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगा,,,,और वह अपनी नाज़ुक ऊंगलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे अपनी पेंटिं को नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,जैसे-जैसे पेंटिं नीचे की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसकी गोलाकार गांड और ज्यादा उजागर होती जा रही थी,,,, देखते ही देखते शगुन,,, अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अच्छी तरह से चाहती थी कि बाथरूम के कीहोल से उसके पापा अंदर की तरफ देख रहे हैं लेकिन वह बिल्कुल भी यह जताना नहीं चाहती थी कि उसे सब कुछ पता है वह अनजान बनी रही,,,।

बाथरूम के अंदर शगुन पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और अपनी बेटी को नंगी देखकर उसकी गोल-गोल गांड को देखकर संजय का लंड बावरा हुआ जा रहा था,,, जिसे वह बार-बार पेंट में दबा रहा था,,,, शगुन सामने से अपनी चुचियों का और अपनी बुर अपने पापा को दिखाना चाहती आमने सामने होती तो शायद इतनी हिम्मत नहीं दिखा पाती लेकिन इस समय वहां बाथरूम के अंदर अंजान थी अनजान बनने का नाटक कर रही थी,,, इसलिए उसके लिए यह सब करना कोई मुश्किल काम नहीं था,,,, इसलिए गीत गुनगुनाते हुए वहा दरवाजे की तरफ घूम गई और संजय सामने से अपने बेटी के नंगे हुस्न को देखकर पूरी तरह से मचल उठा,,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड पानी छोड़ते छोड़ते बचा था,,,,,, सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी संजय ने इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव बरसों बाद कर रहा था,,,,,, उसके लिए सगुन का हुस्न मदीना का काम कर रहा था जिसकी नशे में वह पूरी तरह से लिप्त हो चुका था,,,,।

संजय को यकीन तो पूरा था लेकिन कभी अपनी आंखों से भरोसा करने लायक ज्यादा कुछ देखा नहीं था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने सब कुछ साफ था सगुन की दोनों चूचियां,,, कच्चे अमरूद की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रहे थे चिकना पतला पेट बीच में गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर से कम नहीं थी,,, और चिकनी सुडोल जांघें मक्खन की तरह नरम जिस पर संजय का ईमान फिसल रहा था,,,।
और सबसे ज्यादा बेशकीमती अतुल्य खजाना उसकी दोनों टांगों के बीच छुपी हुई थी मानो कि जैसे संजय को अपनी तरफ बुला रही हो,,,, संजय तो अपनी बेटी की बुर को देखकर देखता ही रह गया उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कोई बुर इतनी खूबसूरत हो सकती है,,, संजय का मन उसमें अपनी जीभ डालने को उसकी मलाई को चाटने को कर रहा था,,,, मन बेकाबू हो कर रहा था जिस पर संजय का बिल्कुल भी काबू नहीं था और बाथरूम के अंदर शगुन उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके पापा उसके नंगे बदन को देख रहे हैं,,,,


अपने पापा की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने के लिए और तूने और ज्यादा तड़पाने के लिए शगुन जानबूझकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे रगड़ कर अपनी हथेली से सहलाने लगी संजय का दिल तड़पता संजय का मन कर रहा था कि अभी अपने पेंट से लंड को बाहर निकाल कर मुट्ठ मार ले,,,,, संजय की आंखें बाथरूम के कि होल से बराबर टिकी हुई थी,,,ऐसा लग रहा था कि अंदर का एक भी नजारा वह चूकना नहीं चाहता था,,,,।

शगुन बाथरूम के अंदर चल रही इस फिल्म को और ज्यादा बड़ा नहीं चाहती थी इसलिए ढीला ढीला सा पाजामा पहन ली लेकिन पैंटी नहीं पहनी यह देखकर संजय का दील उछलने लगा,,, और इसके बाद एक टी-शर्ट पहन ली और वह भी ब्रा पहने बिना,,,,संजय के तो पसीने छूट रहे थे वह साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी बेटी कपड़ों के अंदर ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही पेंटिं,,, किसी भी वक्त सगुन बाथरूम से बाहर आने वाली थी इसलिए संजय तुरंत खड़ा हुआ और बिस्तर पर जाकर बैठ गया और कॉफी का ऑर्डर कर दिया,,,,

बाथरूम से निकलने के बाद ढीले पजामे और टीशर्ट में शगुन बेहद कामुक लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में पानी आ रहा था,,,,।

कपड़े बदल‌ ली,,

हां पापा,,, सोते समय मुझे ढीले कपड़े पसंद है,,,, तुम भी जाकर बदल लो,,,,

ठीक है,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजय बाथरूम में कुछ किया और अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके मुठ मारने लगे शगुन का मन कर रहा था कि जिस तरह से उसके पापा की होल से सब कुछ देख रहे थे वह भी बाथरूम के अंदर के नजारे को देखेंलेकिन उसकी हिम्मत नहीं है क्योंकि उसे पता चल गया था कि उसके पापा की ओर से सब कुछ देख रहा है और उसे डर था कि कहीं उसके पापा को पता चल गया कि वह सब कुछ देख रही है तो,,, इसीलिए वह हिम्मत नहीं जुटा पाई,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों कॉफी की चुस्की लेने लगे,,,, देखते ही देखते दस बज गया था,,, दोनों सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि दूसरे दिन भी एग्जाम देने जाना था,,,, एक ही बिस्तर पर दोनों सोने लगे लेकिन दोनों की नींद गायब थी,,,, संजय का मन आगे बढ़ने को कर रहा थालेकिन उसे डर लग रहा था हालांकि इस तरह से हुआ ना जाने कितनी लड़कियों के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था लेकिन आज बिस्तर पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी खुद की बेटी थी जो कि खुद यही चाहती थी कि उसके पापा आगे बढ़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था दोनों के मन में डर था,,,, धीरे-धीरे ठंडक बढ़ती जा रही थी,,,, और दोनों एक ही चादर के अंदर अपने मन पर काबू रख कर संजय सो चुका था रात के 12:00 बज रहे थे लेकिन सगुन की आंखों से नींद गायब थी,,,, वह किसी भी तरह से चुदवाना चाहती थी उसकी बुर बार-बार गीली हो रही थी,,, उसकी पीठ उसके पापा की तरफ थी,,,, उसे ठंड भी लग रही थी,,, इसलिए वह चादर के अंदर पीछे की तरफ सरक रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी गांड मचल रही थी अपने पापा के लंड को स्पर्श करने के लिए,,,, और पीछे सरकते सरकते उसकी गोलाकार गांड संजय के आगे वाले भाग से स्पर्श हो गई,,,, शगुन की हालत खराब होने लगी,,,, लेकिन ऐसा करने पर अपने बदन में गर्माहट महसूस करते ही संजय की नींद खुल गई और अपने लंड से अपनी बेटी की गांड सटी हुई देखते ही उसके होश उड़ गए लेकिन वह कुछ बोला नहीं उसी तरह से नींद में रहने का नाटक करने लगा,,,,,
सगुन अपनी गांड को और पीछे की तरफ ला रही थी,, अपनी बेटी की हरकत से संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, और देखते ही देखते बड़ी मुश्किल से सोया हुआ उसका लंड पजामे में धीरे-धीरे मुंह उठाने लगा सांसों की गति तेज होने लगी,,,, लेकिन अभी तक शगुन को अपने पापा के मोटे खड़े लंड का एहसास नहीं हुआ था लेकिन जैसे ही वह पूरी तरह से अपनी औकात में आया तो शगुन को अपनी गांड में कुछ कडक चीज चुभती हुई महसूस हुई और वह मारे खुशी के मारे और ज्यादा उत्तेजित होने लगी,,,, संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,, सगुन को अपने पापा का लंड मोहक और बेहद उत्तेजना से भरा हुआ लग रहा था,,, सगुन को अपने पापा के लंड पर अपनी गांड को रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था,,,। धीरे-धीरे उसकी सांसे तेजी से चलने लगी थी वह यह बात भी घूम रही थी कि उसकी हरकत से उसके पापा की नींद खुल सकती है शायद वह आज अपने मन में ठान ली थी कि जो भी होगा देखा जाएगा क्योंकि इस बात का अंदाजा उसे दिखाकर उसके पापा कि उसे चोदना चाहते हैं वरना बादल के की होसेस के नंगे बदन को देखने की कोशिश और हिम्मत बिल्कुल भी नहीं करते हो सुबह-सुबह सोए रहने का नाटक करके उसके नंगे पन का रस अपनी आंखों से पी नहीं रहे होते,,।सगुन यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी होगा अच्छा ही होगा सब कुछ उसके ही पक्ष में होगा,,,। इसलिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश जारी रखे हुए वह अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के आगे वाले भाग पर रगड़ रही थी,,,

सगुन की हरकत बिजलीया गिरा रही थी वह बड़ी मुश्किल से अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए था लेकिन अब सफेदाबाद टूटता हुआ नजर आ रहा है उसे यकीन हो चला था कि उसकी बेटी को क्या चाहिए क्योंकि वह जमाना घूम चुका था देख चुका था औरतों को कब क्या चाहिए वह भली भांति जानता इसलिए वह अपना एक हाथ आगे की तरफ लाकर उसे सीधे अपने बेटी के कमर पर रख दिया,,, शगुन के तन बदन में हलचल सी उठने लगी उसे पता चल गया था कि उसके पापा की आंख खुल चुकी है नींद गायब हो चुकी है वह कुछ बोली नहीं क्योंकि वह भी यही चाहती थी धीरे-धीरे उसके पापा अपने हाथ को उसके चिकने पेट पर लाकर धीरे-धीरे ऊपर बढ़ाने लगेगा अगले ही पल संजय का दाया हाथ शगुन की टी-शर्ट के अन्दर घुसकर उसके दोनों फड़फड़ाते कबूतरों पर पहुंच गए,,, और संजय से रहा नहीं गया वह अपनी मुट्ठी में अपनी बेटी के एक कबूतर को दबोच लिया,,,, और जैसे उस कबुतर की गर्दन उसके हाथों में आ गई हो और वह छूटने के लिए फड़फड़ा रही हो इस तरह से शगुन के मुंह से आहहह निकल गई,,,।

आहहहहहह,,,,,
(लेकिन इस आह में दर्द से ज्यादा मिठास भरी हुई थी आनंद भरा हुआ था संजय को रुकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे,,, और संजय भी मजा हुआ खिलाड़ी था,,, वह इतने आसानी से आए हुए बाजी को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह लगातार अपनी बेटी के दोनों चूची को,,, दबाने लगा मसलने लगा अपने पापा की हरकत की वजह से सगुन की हालत खराब हो रही थी उसे मजा आ रहा था पहली बार उसकी चूचियां किसी मर्दाना हाथ में थी,,, जो मन लगाकर उनसे खेल रहा था,,,, सगुन बिना रुके अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के लंड पर रगड़ रही थी हालांकि अभी भी वह पजामे के अंदर था,,,, संजय पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था वह अच्छी तरह से जानता था की पूरा कमान‌ अब उसके हाथों में आ गया है,,,,, संजय अपनी बेटी के गर्दन पर चुंबनो की बारिश कर दिया,,, शगुन उत्तेजना के मारे पानी पानी हुई जा रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से जानता था कि पजामे के अंदर उसकी बेटी कच्छी नहीं पहनी है,,, इसलिए चूचियों पर से अपना हाथ हटाकर वह पजामे में अरना हाथ डाल दिया,,, और अपनी बेटी की गरम बुर को सहलाना शुरू कर दिया,,,, शगुन के लिए यह सब बर्दाश्त के बाहर था,,,, वह आनंद की अनुभूति को पहली बार महसूस कर रही थी,,,,
संजय इस पल को गवाना नहीं चाहता था इसलिए शगुन का हाथ पकड़कर पीछे की तरफ लाकर उसे अपने पंजामे में डाल दिया,,,, सगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है,,, पहली बार वह किसी मर्द के लंड को पकड़न जा रही थी,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि अपने पापा के सामने उसे ऐसे पेश आना पड़ेगा,,,,

अपने पापा के मोटे तगड़े लंड पर हाथ पडते ही सगुन के पसीने छूट गए,,, वह अभी तक दूर से ही अपने पापा के लंड के दर्शन करते आ रही थी,,,। इसलिए उसके हकीकत से पूरी तरह से वाकिफ नहीं थी आज अपने हाथ में आते ही उसके पसीने छूटने लगे थे उसे अपनी हथेली में अपने पापा का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा लंबा लग रहा था लेकिन उतेजना के मारे अपने पापा के लंड को वह छोड़ भी नहीं रही थी उसे मजा आ रहा था ,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी पर फतेह पाने के लिए संजय बिल्कुल भी समय नहीं लगाना नहीं चाहता था,,, इसलिए करवट लेकर वह पूरी तरह से अपनी बेटी के ऊपर आ गया दोनों की नजरें आपस में टकराई और आंखों ही आंखों में कुछ इशारा हुआ जो कि वह दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे,,, संजय अपने होठों को अपनी बेटी के गुलाबी होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया क्योंकि यही एक पक्का हथियार था किसी औरत पर काबू पाने के लिए और ऐसा ही हुआ शगुन धराशाई होने लगे हालांकि वह खुद चाहती थी अपने पापा के चुंबन का जवाब वह भी अपने होठों को खोल कर देने लगी,,,,, देखते ही देखते संजय ने अपनी बेटी के बदन पर से उसकी टीशर्ट उतार कर अलग कर दिया उसकी आंखों के सामने शगुन की नंगी दोनों जवानियां फुदक रही थी,,, जिसे वह अपने मुंह में लेकर काबू करने की कोशिश करने लगा अगले ही पल शगुन के मुंह से गर्म सिसकारियों की आवाज आने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहह,,, पापा,,,,,ओहहहहहरहहह,,,(और ऐसी गर्म सिसकारी की आवाज के साथ ही शगुन अपनी उंगलियों को अपने पापा के बालों में फिराने लगीसंजय रुकने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह बारी-बारी से उसकी दोनों चूची को मुंह में लेकर पी रहा था,,, अमरूद जैसे चुचियों को पीने में संजय को बहुत मजा आया था उसका स्वाद ही कुछ अलग था,,,, टेबल पर टेबल नंबर चल रहा था बाकी पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था टेबल लैंप के मध्यम रोशनी में शगुन अपनी जवानी लुटा रही थी और वह भी अपने पापा के हाथों,,,संजय कमरे में ज्यादा उजाला करने के लिए ट्यूब लाइट जलाना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि सगुन का पहली बार है इसलिए उसे शर्म आती होगी और अंधेरे में कुछ ज्यादा ही अच्छे तरीके से खुलकर मजा ले पाएगी,,,

धीरे धीरे संजय नीचे की तरफ आ रहा था क्योंकि सबसे बेशकीमती खजाना नीचे ही था,,,, जैसे-जैसे संजय नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे सगुन की हालत खराब होती जा रही थी,,, दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही है,,,, और देखते ही देखते संजय ने वही किया जो सगुन चाहती थी,,,, संजय ने अपने दोनों हाथों से शगुन की पजामी को खींचकर निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया था और बिस्तर पर इस समय शगुन एकदम नंगी थी,,,। लाल रंग की मध्यम रोशनी में भी संजय अपनी बिल्कुल के दोनों टांगों के बीच के उस बेशकीमती खजाने को अच्छी तरह से देखता रहा था,,,, उत्तेजना के मारे संजय का गला सूख रहा था और यही हाल सगुन का भी था दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद इस माहौल में यही सही था,,, क्योंकि दोनों की प्राथमिकता यही थी अपनी प्यास बुझाना,,,,

और संजय अपनी परिपक्वता दिखाते हुए शगुन की दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दिया और अपनी जीभ निकालकर उसकी कश्मीरी सेब की तरह लाल बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, शकुन इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि बुर चाटने पर औरतों की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है उसे इतना अधिक आनंद मिलता है कि वह सब कुछ भूल जाती है,,,, ओर यही सगुन के साथ में पल भर में ही पूरे कमरे में शगुन की गर्म सिसकारियां गुंजने लगीलेकिन इस कर्म सिसकारी की आवाज कोई और सुन लेगा इस बात का डर दोनों में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि होटल का पूरा स्टाफ उन दोनों को कपल ही समझते थे,,,।

शगुन की उत्सुकता और गर्माहट को देखकर संजय अपने लिए जगह बनाने लगा पहले एक उंगली और फिर थोड़ी देर बाद दूसरी दोनों उंगली को एक साथ बुर में डालकर वह अपने मोटे लंड के लिए जगह बना रहा था,, हालांकि अपने पापा के ईस हरकत पर शगुन को चुदाई जैसा ही मजा मिल रहा था और इस दौरान में दो बार पानी छोड़ चुकी थी,,,,

अपने लिए जगह बना लेने पर संजय घुटनों के बल अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को पकड़कर अपनी जांघों पर खींच लिया अब उसका लंड और बुर के दौरान दो अंगुल का फासला था जिसे वह ढेर सारा थूक लगाकर पूरा कर दिया शगुन की सांस अटक रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि आप उस की चुदाई होने वाली है जिंदगी में पहली बार जिसके लिए वह सपने देखा करती थी,,,,

उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने पापा की तरफ देख रही थी लाल रंग की मद्धम रोशनी में उसके चेहरे पर शर्म बिल्कुल भी नहीं थी बल्कि उत्तेजना कूट-कूट कर भरी हुई थी अगर यही ट्यूबलाइट की रोशनी में होता तो शायद सगुन इस तरह से सहकार नहीं कर पाती,,,,
देखते ही देखते संजय अपने लंड के सुपाड़े को गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दिया,,,, कार्य बहुत ही मुश्किल था लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और संजय उसे साकार करते हुए आगे बढ़ने लगा हालांकि शगुन को दर्द तो हो रहा था लेकिन उसे विश्वास भी था की दर्द के आगे जीत है,,, लेकिन सारी मुश्किलों को आसान करने का काम संजय की दो ऊंगलिया पहले ही कर चुकी थी,,,, जैसे-जैसे संजय का मोटा लंड शगुन की मुलायम बुर के अंदर सरक रहा था शगुन को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर फट जाएगी,,,।

धीरे-धीरे संजय ने अपने अंदर लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल दिया लेकिन वह एक साथ डालना चाहता था इसलिएनीचे झुका है और एक बार फिर से अपनी बेटी की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया जिससे शगुन की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी वह और ज्यादा मचलने लगी,,, वह अपने दोनों हाथों को अपने पापा के पीठ पर रखकर सहलाने लगी,,, और यही मौके की तलाश में संजय था इस बात संजय ने जोरदार ताकत दिखाते हुए धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड एक बार में ही शगुन की बुर में समा गया,,,इस जबर्दस्त प्रहार को सगुन सह नहीं पाई थी और वह चीखने हीं वाली थी कि संजय समय को परखते हुए अपने होठों को अपनी बेटी के होठों पर रखकर चूमना शुरू कर दिया वह जानता था कि उसे दर्द हो रहा होगा लेकिन वह उसी स्थिति में होंठों का रस चूसता रहा और धीरे-धीरे से चूची को दबाता रहा,,,, धीरे-धीरे शगुन का दर्द कम होने लगा और फिर शुरू हुई सगुन की चुदाई धीरे धीरे संजय की कमर ऊपर नीचे होने लगी और शगुन को भी मजा आने लगा,,,,
बरसों बाद संजय को कसी हुई बुर चोदने को मिल रही थी,,, इतना मजा अपनी सुहागरात को सगुन की मां को चोदने में भी उसे नहीं आया था,,,, शगुन को मजा आ रहा है इस बात को उसकी गरम सिसकारी ही बता रही थी,,, धीरे-धीरे संजय की रफ्तार बढ़ने लगी,,, बाप ने बेटी को अच्छी तरीके से चोदना शुरू कर दिया,,, पूरे कमरे में गर्म सिसकारी की आवाज गुंजने लगी,,, शगुन हैरान थी कि ईतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर में वह कैसे ले ली,,, लेकिन यह हकीकत था,,,

शगुन की यह पहली चुदाई थी और वह भी अपने ही बाप के साथ,,, कमरे का बिस्तर इस समय ऐसा लग रहा था कि मानो मदिरा से भरा हुआ बड़ा पतीला हो और उसमें संजय और शगुन दोनों डूब रहे हो,,, थोड़ी देर बाद दोनों की सांसो की गति बढ़ने लगी संजय शगुन को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, और थोड़ी ही देर बाद शगुन के साथ साथ संजय भी झड़ गया,,,।
बहुत ही बेहतरीन फाडू अपडेट था

One Of The Best Writer

क्या लिखते हो ।
भाई......👌

बाप बेटी का इससे अच्छा
अपडेट नहीं पड़ा.....

मज़ा आ गया......
 

Sanju@

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थोड़ी ही देर में संध्या कपड़े पहन कर नीचे आ गई आसमानी रंग की साड़ी में स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा नजर आ रही थी,,, सोनू तो देखता ही रह गया,,,, गीले बालों की खुशबू सोनू के तन बदन में मादकता का एहसास दिला रही थी,,,सोनू की आंखों के सामने इस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत खड़ी थी जिसे देख कर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,, इस समय संध्या संपूर्ण रुप से भारतीय नारी का परिवेश धारण किए हुए थे जो कि कुछ दिन पहले ही सोनू अपनी आंखों से अपनी मां के नंगे खूबसूरत बदन के हर एक अंग के भूगोल को नाप चुका था,,,।,, और इस समय सोनू को अपनी मां कयामत लग रही थी संध्या जानबूझकर कर अपनी साड़ी को कमर से कुछ ज्यादा ही कसके बांधी हुई थी जिससे उसके गोलाकार नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही उबाल मार रहा था,,, लो कट ब्लाउज में उसके दोनों दशहरी आम अपना मीठा रस छलका रहे थे,,,, बैकलेस ब्लाउज उसकी नंगी चिकनी पीठ को और ज्यादा उजागर कर रहे थे ऐसा लग रहा था कि मानो संध्या किसी पार्टी में जाने के लिए तैयार हुई है,,,,। लेकिन वह तो अपने बेटे को अपनी तरफ पूरी तरह से रिझाने के लिए तैयार हुई थी और वैसे भी संध्या को कुछ ज्यादा मेहनत नहीं करनी थी अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए वह पहले से ही अपनी मां के खूबसूरत बदन के आकर्षण में बंध चुका था,,,, और कुछ मिनटों पहले ही संध्या अपने कमरे में अपने बेटे को अपनी जवानी का जलवा दिखा चुकी थी,,, वह तो बस हैरान इस बात से थी किउसे संपूर्ण रूप से नंगी देखने के बावजूद भी उसका बेटा अपने आप पर कंट्रोल कैसे कर लिया,,,,क्योंकि संध्या मर्दों की फितरत को अच्छी तरह से जानती थी,,,जिस तरह से वह अपने बेटे के सामने जान मुझको रमता बल्कि आकर अपने नंगे बदन का प्रदर्शन की थी अगर उसके बेटे की जगह कोई और होता तो शायद न जाने कब का उसके ऊपर चढ़ चुका होता,,,, खैर खाने की तैयारी चल रही थी,,,अपनी मां की खूबसूरत और रूप सौंदर्य को देखकर सोनू से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की तारीफ करते हुए बोला,,,,


आज तो तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो मम्मी,,,,,,


चल रहने दे बआते मत बना,,,,


मैं बातें नहीं बना रहा हूं मैं सच कह रहा हूं,,,, तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,,


पहले नहीं लगती थी क्या,,,?


ऐसी बात नहीं है मम्मी लेकिन आज की बात कुछ और है,,,


क्यों आज की बात कुछ और है मैं तो वही हूं पहले जो थी कहीं ऐसा तो नहीं कि आज मुझे पूरी तरह से नंगी देखने के बाद तेरा नजरिया बदल गया हो,,,
(अपनी मां की तरह की बात सुनते ही सोनु एकदम से सब पका गया उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह से उसके सामने नंगी शब्द का प्रयोग करें कि लेकिन उसकी बातें सुनकर एक तरफ उसके तन बदन झनझनाहट होने लगी और दूसरी तरफ वह शर्मा गया था,,, ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर मुस्कान खीलने लगी,,, संध्या को समझते देर नहीं लगी की उसके नंगे पन का यह नतीजा है,,, फिर भी अपनी मां की बात सुनकर अपना बचाव करते हुए बोला,,,)

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तुम पहले से ही बहुत खूबसूरत हो,,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर संध्या अंदर ही अंदर प्रसन्न होने लगी,,, और वैसे भी दुनिया की कोई भी ऐसी औरत नहीं होगी जिसे अपनी खूबसूरती की प्रशंसा सुनना अच्छा लगता हो,,,चालाक मर्दों का यही सबसे बड़ा तरीका भी होता है औरतों को अपने वश में करने का,,, लेकिन इस चालाकी से सोनू अनजान का लेकिन फिर भी वह अपनी मां की तारीफ कर रहा था,,,, जिसे सुनना संध्या को बहुत अच्छा लग रहा था,,,,वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अच्छा चल छोड़ चल खाना खाते हैं,,,,
(इतना कहने के साथ ही संध्या मुस्कुराते हुए कुर्सी पर बैठ गई हो सोनू की सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयआ और खाना खाने लगा,,, जिस होटल से सोनू ने खाना खाया था खाना बेहद स्वादिष्ट था,,,, स्वादिष्ट खाना खाने के बाद दोनों मां-बेटे दो दो रसगुल्ले भी खाए,,,,,, और ठंडा पानी पीने के बाद संध्या बोली,,)

वाह आज तो मजा ही आ गया होटल का खाना मुझे इतना पहले कभी भी अच्छा नहीं लगा था जितना कि आज,,,,


मुझे भी मम्मी,,,


चल अब थोड़ा छत पर चलकर टहल कर आते हैं,,,


ठीक है चलो मम्मी,,,,
(इतना कहकर दोनों कुर्सी से उठ खड़े हुए,,, सीढ़ियों से ऊपर छत की तरफ जाने लगे संध्या आगे-आगे चल रही थी और सोने पीछे-पीछे जिसका उसे एक फायदा मिल रहा था की सीढ़ियों पर चढ़ते समय संध्या की गोलाकार बड़ी-बड़ी मदमस्त कर देने वाली गांड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी जो कि सोनू की आंखों में चमक पैदा कर रही थी अपनी मां की हिलती डुलती गांड को देखकर सोनू का लंड खड़ा हो रहा था पहले से ही संध्या ने अपनी साड़ी को कस के बांधी हुई थी जिससे उसकी गांड का उभार कुछ ज्यादा ही बाहर को निकला हुआ था और ऐसा लग रहा था कि जैसे दुश्मनों को ध्वस्त करने के लिए तोप का मुंह किले से बाहर निकाल दिया गया और जोकि धाड धाड करके सोनू पर बरस रहा था,,, सोनू का मनललच रहा था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से पकडने के लिए उसे थामने के लिए,, लेकिन ऐसा कर सकने की हिम्मत सोनू मे अभी नहीं थीउसने इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से सीढ़ियां चल रही थी उसके बेटे की निगाह उसकी बड़ी-बड़ी कांड पर जरूर होगी और यही देखने के लिए अपनी निगाह पीछे घुमाई तो सोनु को अपनी बड़ी बड़ी गांड को देखता ही पाई और यह देखकर संध्या के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, उसे बहुत अच्छा लग रहा था इस तरह से जवान लड़के को अपनी बड़ी बड़ी गांड को घुरता हुआ पाकर,,,, दोनों मां बेटे अपने अपने तरीके से पूरी तरह से उत्तेजित हो रहे थे,,, संध्या जानबूझकर कुछ ज्यादा ही अपनी गांड को मटका कर चल रही थी क्योंकि वह चित्र से जानती थी कि मर्दों की उत्तेजना का और आकर्षण का सर्वप्रथम औरतों की बड़ी बड़ी गांड ही केंद्र बिंदु होती है,,,।

देखते ही देखते दोनों छत पर पहुंच गए,,,, जहां पर ठंडी हवा सांय सांय करके बह रही थी,,, ठंडी हवा का लुफ्त उठाते हुए संध्या बोली,,,।

वाह छत् खुली हवा का मजा लेने में कितना मजा आता है,,,


हां तुम सच कह रही हो मम्मी,,,,और यहां से नजारा देखने में भी कितना मजा आता है दूर-दूर तक देखो सिर्फ बल्ब चमकते हुए नजर आ रहे हैं और अंधेरे में यह चमकते हुए बल्ब कितने खूबसूरत लग रहे हैं,,,,,,,,,


हां तु सच कह रहा है,,, छत पर से नजारा देखने का मजा ही कुछ और होता है और वह भी रात में,,,,(सोनू छत की दीवार को पकड़ कर खड़ा था और इतना कहते हुए संध्या भी उसके करीब आ गई,,, संध्या के बदन से उठ रही मादक खुशबू सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रही थी,,,, छत पर हवा चल रही थी जिसकी वजह से संध्या के रेशमी खूबसूरत बाल हवा में लहरा रहे थे और वह बाल लहराते हुए सोनू के गालों पर स्पर्श कर रहे थे जिसका एहसास सोनू को बेहद उत्तेजनात्मक लग रहा था,,,। और संध्या को भी उसके बालों की हरकत अच्छी लग रही थी,,,,, संध्या भी छत की दीवार को पकड़ कर सोनू की तरफ देखते हूए बोली,,,।


सोनू तु टाइटैनिक मूवी देखा है,,,,


नहीं तो,,,,


उसमे एक सीन था,,, हीरोइन पानी वाली जहाज के सबसे ऊपरी हिस्से पर खड़ी होकर अपने दोनों हाथों को फैला लेती है और हीरो ठीक उसके पीछे खड़ा होकर अपने दोनों हाथों को उसी हीरोइन की तरह फैला लेता है,,,, सच कहती हूं उस समय यह हसीन इतना पॉपुलर हुआ था कि पूछो मत हर कोई लड़का लड़की इस तरह के सीन को क्रिएट करता था और बड़ा मजा आता था,,,,(संध्या मूवी का यह सीन बताते हुए एकदम उत्सुक नजर आ रही थी,,, और अपनी मां की उत्सुकता देखकर सोनू को भी अच्छा लग रहा था,,,)

तुम भी वह सीन क्रिएट करती थी,,,।


हां मैं भी वह सीन क्रिकेट करती थी,,, मैं और मेरी सहेलियां मिलकर किसी ऊंची जगह पर खड़ी हो जाती थी और उसी तरह से हाथ को फैलाकर जोर जोर से आवाज करते थे बहुत मजा आता था,,,,, आज अचानक वह सीन याद आ गया,,,,


लेकिन मैं तो वह मूवी देखा ही नहीं इसलिए मुझे नहीं पता कि वह सीन कैसा था,,,(सोनू थोड़ा निराश होता हुआ बोला)



तो इसमें क्या हुआ,,,, मैं तुझे बताती हूं कि वह सीन कैसा था,,,,(इतना कहने के साथ ही वहां एकदम सीधी खड़ी हो गई और अपने दोनों हाथों को हवा में फैला दी,,,, संध्या जानबूझकर एकदम सीधी खड़ी थी,,, अपनी छातियों को और ज्यादा फुलाकर,,, अपनी कमर को एकदम सीधी रखते हुएअपनी बड़ी बड़ी गांड को तो ज्यादा ही बाहर की तरफ निकाल कर खड़ी हो गई क्योंकि वह जानती थी कि,,, जिस तरह का वह सीन करने जा रही है उसके बेटे को ठीक उसके पीछे खड़ा रहना होगा और ऐसे में अगर उसकी गांड उसके लंड से स्पर्श खाती है तो वह पूरी तरह से खड़ा हो जाएगा और उसके खड़ेपन को उसके कड़क पन को वह अपनी गांड पर महसूस करना चाहती थी,,, इसलिए संध्या यह सीन क्रिएट करने के लिए कुछ ज्यादा ही उतावली नजर आ रही थी और ज्यादा ही उत्सुकता दिखा रही थी,,,, )
देख वह हीरोइन इस तरह से खड़ी रहती है उसके बाल एकदम खुले रहते हैं जो कि हवा में लहराते रहते हैं जैसे कि मेरे लहरा रहे हैं,,, और हीरो ठीक उसके पीछे खड़ा रहता है,,, अरे तु क्यों बगल में खड़ा है,,, इधर आ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो जा,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जिस तरह से वह खड़ी थी अपनी गांड को बाहर की तरफ निकाल कर सोनू को पक्का यकीन था कि अपनी मां के पीछे खड़े होने पर उसके लंड का स्पर्श उसकी गांड पर जरूर होगा,,, इसलिए सोनू की भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,, अपनी मां की बात सुनते ही ठीक है अपनी मां के पीछे खड़ा हो गया लेकिन अपनी मां से 4-5 इंच की दूरी बना कर खड़ा हुआ,,,। सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल संध्या का भी था वह चाहती थी कि उसका बेटा उसके बदन से एकदम चिपक कर खड़ा हो जाए लेकिन उसको थोड़ी दूरी बना कर खड़ा हुआ देखकर वह बोली,,,।)

अरे ऐसे नहीं और करीब आ एकदम चिपक कर जैसे कि वह हीरो उस मूवी में हीरोइन से चिपक कर खड़ा रहता है,,,
(अपनी मां की बातें सुनकर उत्तेजना से सोनू का गला सूखने लगा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें हालांकि वह भी उसी तरह से खड़ा होना चाहता था जिस तरह से उसकी मां उसे बता रही थी वह भी जल्द से जल्द अपनी मां के भराव दार पिछवाड़े का स्पर्श अपने लंड पर महसूस करना चाहता था,,, इसलिए जैसा उसकी मां बता भी ठीक वैसे ही वह खड़ा हो गया सोनू अपनी मां से एकदम सटा हुआ था उसकी मां की गांड,,, ठीक उसके पेंट के आगे वाले भाग से स्पर्श हो रही थी,,,अपने बेटे को अपनी पीछे इस तरह से बदन से बदन सटाकर खड़े होता हुआ महसूस करते ही संध्या एकदम से उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,,,,, और वह अपने थुक को गले के नीचे उतारते हुए बोली,,,)


हां ऐसे ही अब मेरी तरह तू भी अपने हाथ को फैला ले,,,,
(अपनी मां की बात मानते हुए सोनू अपने दोनों हाथों को अपनी मां की तरह हवा में फैला दिया और बोला)

ऐसे ही ना,,,


हां बिल्कुल सही ऐसे ही,,,,,


अब क्या करना है,,,,(सोनू आश्चर्य जताते हुए बोला लेकिन इतने में ही अपनी मां की गरम गरम गांड का स्पर्श पाकर उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया था,,, जिसका एहसास संध्या को अपनी गांड पर अच्छी तरह से महसूस होने लगा था और वह खुद उत्तेजित होते जा रही थी,,,।)

अब ,,,,,,अब क्या करना है,,,,, एकदम खुश होते हुए मानो कि जैसे तुम्हें पूरी दुनिया मिल गई हो इस तरह से गहरी गहरी सांस लो और छोडो,,,,,(ऐसा कहते हुए संध्या खुद गहरी सांस लेने लगी और साथ ही अपनी गांड का दबाव हल्के हल्की अपने बेटे के लंड की तरफ बढ़ाने लगी ,,, सोनू को साफ पता चल रहा था कि उसकी मां अपनी गांड का दबाव उसकी तरफ बढ़ा रही है,,,। सोनू की उतेजना बढ़ती जा रही थी,,, उसकी सांसों की गति तेज हो रही थी उसकी मां के बताए अनुसार वह भी गहरी गहरी सांस ले रहा था और छोड़ रहा था,,,, साथ ही अपनी मां की मादकता भरी हरकत की वजह से वह भीधीरे-धीरे अपने लंड का दबाव अपनी मां की गांड पर बढ़ाने लगा,,,, दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,, संध्या की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,अपने बेटे के लैंड के कड़क पन का एहसास उसे अपनी गांड पर बराबर महसूस हो रहा था जिसकी वजह से वह पूरी तरह से मदहोश हो चली थी,,,, गहरी सांस लेते हुए वह उतेजना भरे स्वर में बोली,,,।)


अब कैसा लग रहा है बेटा तुझे,,,,


बहुत अच्छा लग रहा है मम्मी,,,,, मैं बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा है,,,,,,

(अपने बेटे की बात सुनकर संध्या मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे यकीन हो चला था कि उसकी युक्ति काम कर रही थी,,,, क्योंकि रह रह कर उसे अपनी गांड के बीचो बीच अपने बेटे के लंड का दबाव बढता हुआ उसे महसूस हो रहा था जो कि उसके बेटे की तरफ से ही था,,, और संध्या हैरान भी थी,, क्योंकि उसके बेटे का लंड साड़ी के ऊपर से ही गजब का ठोकर मारता हुआ अंदर की तरफ सरक रहा था,,,,,, वह अपने बेटे के लंड की ताकत को नापने की पूरी कोशिश कर रही थी,,, और वह इसी नतीजे पर आई थी कि उसका बेटा अगर उसकी बुर में डालेगा तो उसका लंड बुर में जाकर धमाल मचा देगा,,,, यही सोच कर उसकी बुर से पानी निकलना शुरू हो गया,,,,)

हम लोगों को भी इसी तरह से मजा आता था,,,,(इतना बोली ही थी कि उत्तेजना के मारे उसके पैर लड़खड़ा गए और वाह गीरने को हुई तो तुरंत सोनू अपने हाथ का सहारा देकर अपनी मां को पीछे से थाम लिया और से सहारा देते समय उसके दोनों हाथ उसकी मांसल चिकनी पेट पर थे वह एक तरह से अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भरा हुआ था,,,,, संध्या संभल तो गई थी लेकिन खुद को अपने बेटे की बाहों में पाकर एकदम उत्साहित और उत्तेजित हो गई थी और इस तरह से अपनी मां को सहारा देने से सोनू का पैंट के अंदर टन टनाता हुआ लंड एकदम से साड़ी के ऊपर से उसकी मां की गांड के बीचोबीच धंस गया था जोकि संध्या को उसके बेटे का लंड सीधे उसकी बुर के द्वार पर दस्तक देता हुआ महसूस हो रहा था,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी,,,, सोनू भी अपनी मां को संभालने के एवज में उसके खूबसूरत बदन को अपनी बाहों में भर लिया था जिससे सोनू और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, कुछ सेकंड तक सोनू अपनी मां को उसी तरह से अपनी बाहों में भरे खड़ा रहा ठंडी हवा बराबर बह रही थी जिससे संध्या के रेशमी बाल हवा में लहरा रहे थे और लहराते हुए बाल सोनू के चेहरे पर अठखेलियां कर रहे थे,,,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली,,,।

बाप रे अभी तो मै गिरी होगी अच्छा हुआ तूने मुझे थाम लिया,,,।


हां सच कह रही हो मम्मी ठीक समय पर मैंने तुम्हें पकड़ लिया,,,,(इतना कहते हुए सोनू अपनी मां को अपनी बाहों से आजाद कर दिया हालांकि उसका मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा था अपनी बाहों से अपनी मां को जुदा करने के लिए लेकिन फिर भी करना पड़ा,,,, दोनों की सांसो की गति बता रही थी कि दोनों काफी उत्तेजना का अनुभव कर चुके थे और काफी उत्तेजित भी थे,,, संध्या अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसकी गांड और उसके बेटे के लंड के बीच साड़ी ना होती तो आज वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर,,, एक कामुकता भरे जीवन का शुभारंभ कर देती,,, रात के 11:00 बज रहे थे और दोनों मां बेटे छत पर कुछ और देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे इतना तो दोनों मां-बेटे समझ ही गए थे कि एक दूसरे के मन में क्या चल रहा है सोनू उत्साहित अगले पल के लिए क्योंकि उसे लगने लगा था कि आज की रात में अपनी मां की खूबसूरत हसीन बुर पर कब्जा कर लेगा,,, क्योंकि अभी उसकी मां की मालिश करना बाकी ही था इसलिए अपनी मां को याद दिलाते हुए बोला,,,।)


मम्मी रात के 11:00 बजे अपने कमरे में चलो मैं तुम्हारी आयोडेक्स से मालिश कर देता हूं,,,।

अरे हां मैं तो भूल ही गई थी मेरी कमर में अभी भी बहुत जोरों की दर्द हो रही है,,,(अपनी कमर पर हाथ रखकर दर्द भरा मुंह बनाते हुए बोली,,, सोनू समझ गया था कि उसकी मां को बिल्कुल भी कहीं भी दर्द नहीं है इसका मतलब साफ था कि वह जानबूझकर मालिश करवाना चाहती थी,,,, क्योंकि अभी तक सब कुछ सामान्य था उसकी मां ने जरा भी दर्द का जिक्र तक नहीं की थी और उसके याद दिलाते हैं उसकी मां के कमर में दर्द होने लगा था अपनी मां की युक्ति पर सोनू गदगद हुए जा रहा था क्योंकि फायदा उसी का ही मालिश करने के बहाने वह अपनी मां के खूबसूरत बदन को अच्छे से छु जो पाता,,,,)


ठीक है मम्मी तुम अपने कमरे में चलो,,,, मैं थोड़ी देर में आता हूं,,,,

ठीक है मैं तेरा इंतजार करूंगी,,,,(इतना कहकर संध्या मुस्कुराते छत से नीचे उतर कर अपने कमरे में चली गई और सोनू कुछ देर तक छत पर खड़ा हूं और छत पर जो कुछ भी टाइटेनिक वाला सीन दोहराने के चक्कर में हुआ था उसके बारे में सोचने लगा,,, जिसके कारण उसका लंड पूरी तरह से टनटना चुका था,,,, इसलिए वह अपना पेंट खोल कर एक नजर अपने अंडरवियर को हल्के से हटाकर अंदर की तरफ डाला तो हैरान रह गया,,,, उसका लंड पूरी तरह से जवानी के जोश से भरा हुआ था,,, क्योंकि अभी अभी वह बुर की खुशबू जो पा गया था भले ही साड़ी के ऊपर से ही सही,,,।

थोड़ी देर बाद में अपनी मां के कमरे के बाहर पहुंच गया अंदर से आ रही ट्यूबलाइट की रोशनी से साफ पता चल रहा था कि उसकी मां ने दरवाजा उसके लिए खुला छोड़ रखी थी,,, हल्के से दरवाजे को धक्का देकर जैसे ही सोनू कमरे के अंदर बिस्तर पर नजर डाला तो उसके होश उड़ गए,,,,,,। उसकी मां पेट के बल लेटी हुई थी और अपनी दोनों टांगों का घुटनों से मोड़कर इधर-उधर घुमाते हुए मोबाइल चला रही थी,,, जिसकी वजह से इसकी साड़ी जांघो तक आ चुकी थी,,,। उसकी चिकनी गोरी गोरी जांघें उसकी मांसल पिंडलिया ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रही थी,,,।
Excellent update
 
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