• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Nasn

Well-Known Member
2,905
4,779
158
सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।

सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर‌ रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,

free image hosting
थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,

कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,

संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।


आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,

उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,


यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,



संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,



अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,

शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।

उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)

कितना बज रहा है,,,


6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,


ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।

संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,
सबसे उम्दा,बेहतरीन अपडेट......
 
  • Like
Reactions: Rinkp219 and Sanju@

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
6,666
25,376
204
सुबह के 5:00 बज रहे थे,,,, सूरज की पहली किरण धरती पर आने के लिए अंधेरों को चीरते आगे बढ़ रही थी,,,,,, सुबह की ठंडक में अभी भी बहुत से लोग बिस्तर में मीठी नींद का मजा ले रहे थे,,,, होटल में अभी भी चारों तरफ शांति छाई हुई थी,,,,,, लेकिन कपिल की आंख बहुत जल्दी खुल गई क्योंकी आज उसका एग्जाम था,,,उसे जल्दी तैयार होना था और कॉलेज भी जाना था जहां पर एग्जाम होने वाली थी,,,उसकी नींद खुली तो बिस्तर पर सो रहे उसके पापा पर उसकी नजर पड़ी जो की गहरी नींद में सो रहे थे वह चाहती थी कि उसके पापा से उठने से पहले हुए हैं नहा धोकर तैयार हो जाएगी,इसलिए सुबह-सुबह पेशाब के प्रेशर के साथ ही उसकी नींद खुल गई और वह बाथरूम में जाकर पेशाब करने लगी,,,पेशाब करते समय उसकी बुलाकी बुर के गुलाबी छेद से आ रही सिटी की जबरदस्त आवाज संजय कानों में पड़ते ही संजय की नींद उड़ गई,,,,, वह मधुर मादक सिटी की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,और यह जानने के लिए की सिटी की माता का भाषा कहां से रही है इसलिए अब अपने बिस्तर पर नजर दौड़ा या तो शगुन वहां पर नहीं थी उसे समझते देर नहीं लगी कि बाथरूम के अंदर उसकी बेटी है,,,उत्तेजित होने के लिए यह एहसास ही उसके लिए काफी था पल भर में ही उसका लंड तनकर एकदम खड़ा हो गया,,,,,, पेशाब करने की आवाज से ही संजय पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने पजामी को घुटनों का सरका कर मुत रही होगी,,, या हो सकता है वह अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर मुत रही हो,,,,,अपने मन में यह सोचने लगा की पेशाब की धार उसकी गुलाबी बुर के छोटे से छेद से निकलती हुई कैसी लग रही होगी,,, उसकी गोलाकार सुडोल,, गांड बैठने की वजह से कैसे निकल कर बाहर उभर आई होगी,,,, यह सब सोचकर संजय पागल हुआ जा रहा था और उसका हाथ अपने आप उसके पजामें में चला गया और उसने खड़े लंड को सहलाना शुरु कर दिया,,,, अभी भी बाथरूम से सीटी की आवाज लगातार आ रही थी संजय को समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी को जोरों से पेशाब लगी हुई थी,,,,,,,
संजय बाथरूम के अंदर के नजारे को देखने के लिए तड़प उठा,,, लेकिन वो जानता था कि अंदर का नजारा देख सकना नामुमकिन है इसलिए अपने मन में ही अपनी कल्पनाओं का घोड़ा दौड़ा रहा था,,,,,, संजय को अपने पजामे में भूचाल उठता हुआ महसूस हो रहा था,,,संजय की हालत खराब थी अपने बेटी की मुतने की आवाज को सुनकर,,,, इस बात से बेखबर शगुन इत्मीनान से पेशाब करने के बाद उठ खड़ी हुई और अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई,,, बाथरूम में लगे मिरर में,,, अपने संपूर्ण वजूद को देखकर खुद सगुन शर्मा गई,,,,,, उसे अपनी खूबसूरती पर गर्व हो रहा था उसका बदन संगमरमर से तराशा हुआ प्रतीत हो रहा था छातियों की शोभा बढ़ाती उसकी दोनों गोलाइयां,,, पेड़ में लगे अमरूद की तरह नजर आ रही थी,,,, लाल-लाल होठों में जैसे कि गुलाब की पत्तियों का सारा रस निचोड़ कर भर दिया गया हो,,,, शगुन की नजर अपनी दोनों टांगों के बीच गई तो वह शर्म से लाल हो गई,,, हल्के हल्के रोए उसे अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों के इर्द-गिर्द नजर आ रहे थे जिसे वह तीन-चार दिन हो गए थे क्रीम लगाकर साफ नहीं की थी यूं तो शगुन को अपनी दोनों टांगों के बीच सफाई ज्यादा ही पसंद थी,,, लेकिन तीन-चार दिनों से एग्जाम की तैयारी करने की वजह से उसे समय नहीं मिला था लेकिन फिर भी वह रेशमी रोए उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,,, अपने आप ही शगुन की हथेली अपनी दोनों टांगों के बीच पहुंच गई और वह अपने हाथों से अपनी बुर को मसल दी,,,।

सहहहहह ,,,,,की गरम सिसकारी की आवाज के साथ वह अपनी हथेली को अपनी बुर के ऊपर से हटा ली,,,,सावर चालू करने से पहले वहां पीछे घूम कर मिरर में अपने नितंबों की गोलाई को अपनी आंखों से नापने लगी,,, गजब का नजारा मिरर में नजर आ रहा था अपनी उभरती हुई गांड को देखकर खुद शगुन दांतो तले उंगली दबा ली,,,,,,,धीरे-धीरे अपने ही नंगे बदन को देख कर सब उनके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह अपनी उत्तेजना को इस समय उभरने नहीं देना चाहती थी,,,क्योंकि वह अपना सारा ध्यान एग्जाम पर केंद्रित करना चाहती थी इसलिए सांवर चालू करके नहाने लगी,,, कुछ ही देर में गरम हुए बदन पर पानी की ठंडी बुंदे पडते ही,,, शगुन को थोड़ा राहत हुई लेकिन सावर से गिर‌ रहे पानी की आवाज को सुनकर संजय का मन बेचैन हो गया,,,उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बेटी बाथरूम के अंदर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहा रही है,,, उसका मन अपनी बेटी को नंगी देखने के लिए ललच रहा था,,,हालांकि वह अपने मन में आए गंदे विचार को लेकर काफी परेशान भी था लेकिन जवानी का जोश खूबसूरत नंगे बदन को देखने की लालच पर उसका अंकुश बिल्कुल भी नहीं रह गया था,,,,,,,

free image hosting
थोड़ी ही देर में अपनी खूबसूरत संगेमरमरई बदन पर टावल लपेटकर वह बाथरूम से बाहर आ गई वह बाथरूम में अपने कपड़े ले जाना भूल गई थी,,,,जैसे ही वह बाथरूम से बाहर निकली वैसे ही समझे जानबूझकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और गहरी नींद में सो रहे होने का नाटक करने लगा बाथरूम से निकलने के बाद शगुन एक नजर अपने पापा पर डाली और वह गहरी नींद में सो रहे हैं यह जानकर इत्मीनान से रूम में लगी मिरर के सामने खड़ी हो गई,,,,,, कुछ देर तक आईने में दीख रहे अपने अक्स को देखने लगी,,,,,और मुस्कुराने लगी उसका मन गीत गुनगुनाने को कर रहा था लेकिन अपने पापा की नींद में कोई खलल न हो जाए इसलिए वह अपने आप को रोके हुए थी,,,,

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह इस तरह से अपने पापा के कमरे में या उनके सामने कपड़े बदले और इस तरह से टॉवल में आए लेकिन आज का दिन और माहौल कुछ और था,,,वह अपने घर में नहीं बल्कि एक होटल में थी जहां पर वह एग्जाम देने आई थी और एक ही कमरा था जहां पर ना चाहते हुए भी उसे अपने कपड़े बदलना पड़ रहा था ऐसे तो वह बाथरूम में जाकर कपड़े बदल सकते थे लेकिन उसके पापा अभी नींद में थे इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े बदलने के लिए तैयार थी ,,,
संजय धीरे से अपनी आंखों को खोल कर अपनी बेटी को भीगे हुए खूबसूरत जिस्म को देख रहा था जिस पर एकता व लिपटी हुई थी लेकिन उसकी अनुभवी आंखें टॉवल में लिपटी हुई उसके संपूर्ण बदन के भूगोल को अपनी आंखों से टटोल रही थी,,,,,, संजय अपनी बेटी के गांड के उभार को देखकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, संजय का लंड अभी भी उसके पजामे में गदर मचा रहा था,,,, वह अपनी अधिक खुली आंखों से सब कुछ देख रहा था उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,,, शकुन अपने बैग में से कपड़े निकालने के लिए नीचे झुकी तो उसके झुकने की वजह से जो नजारा संजय की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, शगुन की गांड संजय की नजर की आंखों के सामने उभर कर आ गई थी और टांगों के बीच कि उसकी पतली दरार भी उसे साफ नजर आने लगी थी,,,अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार को देखते ही संजय की सांस रुकते रुकते बची थी,,, और उसके लंड में लावा का उबाल बढने लगा,,,, संजय की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी थी और दूसरी तरफ शगुन इस बात से अनजान कि उसके पापा अपनी आंखों को खोल कर उसके बेशकीमती खजाने को अपनी आंखों से ही लूट रहे हैं वह बैग में रखे अपने कपड़े को ढूंढ रही थी,,,,, सबसे पहले वह बैग में से अपनी लाल रंग की पैंटी को ढुंढ कर उसे हाथों में लेकर उसे पहहने के लिए खड़ी हुई तो उसकी टावल तुरंत खुल कर नीचे गिर गई,,,इस बात का अंदाजा सगुन को बिल्कुल भी नहीं था वह टावल के गिरने की वजह से पूरी तरह से नंगी हो गई थी और एकदम से चौक गई थीक्योंकि इस समय वह बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहे हैं अपने पापा की आंखों के सामने इसलिए वह तुरंत पीछे नजर घुमाकर अपने पापा की तरफ देखने लगी लेकिन समय को भापकर संजय ने तुरंत अपनी आंखों को बंद कर लिया और चैन से गहरी नींद में सोए रहने का नाटक करने लगा,,,, अपने पापा को गहरी नींद में सोया हुआ देखकर सगुन ने राहत की सांस ली और ,,,,

कोई भी नहीं देख रहा है इस बात का एहसास होते ही शगुन नीचे गिरी अपनी टावल को उठाने की भी तस्दी नहीं ली,,,, और उसी तरह से नंगी खड़ी रही,,, क्यों किस बात का उसे इतना ना हो चुका था कि उसके पापा गहरी नींद में सो रहे हैं लेकिन इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि उसके पापा उसकी जवानी का रस को अपनी अधखुली आंखों से पी रहे हैं,,,,,,, संजय ने धीरे से अपनी आंखों को खोला तो उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी पूरी तरह से नंगी खड़ी गिरेबान उसकी पीठ पर चिपक गए थे और उसमें से गिर रही पानी की बूंदे किसी मोती के दाने की तरह उसकी कमर से होती उसके नितंबों के घेराव को अपनी आगोश में लेकर नीचे फर्श पर गिर रहे थे,,,। संजय का होश ठिकाने बिल्कुल भी नहीं था,,,, अपने लंड को अपनी बेटी की चिकनी पीठ उसकी कमर पर उसके नितंबों के दरार के बीच रगड़ना चाहता था,,,, उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,,
शकुन अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनने के लिए अपनी एक टांग उठा कर उसके छेद में डाल दी और उसी तरह से अपने दूसरा पैर भी उठाकर पेंटी के दूसरे छेद में डाल दी ऐसा करने पर बार-बार उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही उभर जाता था जिसे देखकर संजय का लंड ठुनकी मार रहा था,,,

संजय पहली बार अपनी बेटी को पेंटी पहनते हुए देख रहा था और उसकी गोरी गोरी गांड पर लाल रंग की पेंटिं क्या खूब लग रही थी,,,,, लेकिन शकुन अपने बाकी के कपड़े बैग से लेने के लिए नीचे झुकती कि तभी उसकी नजर मिरर में पड़ी और अपने पापा की खुली आंखों को देखकर वो एकदम से चौक गई,,, उसे पता चल गया कि उसके पापा नींद में नहीं है बल्कि जाग रहे हैं और उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहे हैं,,,, यह देखते ही सगुन की हालत खराब होने लगी,,, संजय अभी भी शगुन को ही देख रहा था शगुन कुछ देर तक यूं ही खड़ी नहीं संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहे हैं लेकिन सब अपने मन में सोच रही थी और उसके होंठों पर कामुक मुस्कान तैरने लगी,,,।


आखिरकार वो भी किसी न किसी बहाने अपने पापा को अपने नंगे जिस्म का दर्शन कराना चाहती थी उसे उत्तेजित कराना चाहती थी ताकि जिस तरह कि वह कल्पना करती थी वह साकार हो सके,,,, अब वह अपने पापा को खुलकर अपने बदन का दर्शन करना चाहती थी,,, इसलिए वह कुछ देर तक खड़ी होकर सोचने के बाद, अपनी पेंटी के दोनों छोरों पर अपनी नाजुक नाजुक ऊंगलियो को रखकर उसे,,, नीचे की तरफ खींच कर उतारने लगी,,,, संजय को समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी बेटी क्या कर रही है,,, लेकिन उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,,देखते ही देखते हल्के हल्के होले होले अपनी गांड को मटका अपनी पेंटी को अपनी लंबी चिकनी टांगों से उतार ली,,, एक बार फिर से वह अपने पापा की आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो गई,,,,, सामने का खूबसूरत मादकता भरा नजारा देखकर और अपनी ही बेटी के नंगे जिस्म को देखकर संजय को दिल का दौरा पडते-पडते रह गया,,,,, संजय का हाथ अभी भी पजामे के अंदर था,,, और वह अपने लंड को जोर-जोर से मुठ्ठी में भींच रहा था,,,,,,

उसके पापा को बिल्कुल भी शक ना हो इसलिए अपनी पेंटी को अपने हाथ में लेकर एक बार फिर से झुक कर उसे ,बैग में रखते हुए बोली,,,


यह लाल रंग का नहीं एग्जाम के लिए यह लाल रंग मुझे बिल्कुल लकी साबित नहीं हो रहा है अाज में आसमानी रंग की पहनुंगी,,,,(पर ऐसा क्या कर रहा अपनी बैग में से आसमानी रंग की दूसरी पेंटी को निकाल लीअपनी बेटी की बातों को सुनकर संजय को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ कि वह जानबूझकर अपनी पेंटिं को उसे दिखाने के लिए निकाली है,,,, और इस तरह से अपनी लाल रंग की पैंटी को पहनी थी उसी तरह से अपनी आसमानी रंग की पैंटी को पहन ली,,, शगुन के गोरे रंग पर कोई भी रंग जच रहा था और संजय की उत्तेजना को बढ़ा रहा था,,,, शगुन चाहती तोइसी से मैं अपने पापा को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस खूबसूरत दरार को दिखा देती जिसे बुर कहां जाता है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है और जिसे देख कर ही ना जाने कितनों का पानी निकल जाता है लेकिन शगुन अपने पापा को और तड़पाना चाहती थे क्योंकि वह जान रही थी आईने में जिस तरह से उसके पापा उसे प्यासी नजर से देख रहे हैं अंदर ही अंदर कितना तड़प रहे होंगे,,,पर ना जाने क्यों आज उसे अपने पापा को अपना खूबसूरत जिस्म दिखाकर तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था और ऐसा सब उनके साथ पहली बार हो रहा था कि वह किसी मर्द के आंखों के सामने ही अपनी नंगे बदन पर एक एक कर के कपड़े पहन रही हो और उसकी आंखों के सामने नंगी खड़ी हो,,,



संजय गहरी सांस लेते हुए अपनी आंखों के सामने के नजारे का लुफ्त उठा रहा था और सगुन एक बार फिर से नीचे की तरफ झुक कर अपनी सलवार और कुर्ती निकालने लगी वह एग्जाम देने के लिए इसे ही पहनने वाली थी क्योंकि इसमें उसे आराम मिलता था,,,, वह सलवार कुर्ता पहनने के लिए अपनी टांग उठा रही थी कि उसे याद आया कि उसने बुरा तो पहनी नहीं अपने पापा को अपने नंगे बदन का दर्शन कराने के चक्कर में भूल गई थी वह भी आईने में अपने पापा को देख रही थी जो कि आंख फाड़े उसी को ही देख रहे थे,,,,लेकिन ब्रा पहनने से पहले वह एक बार अपने पापा को अपनी दोनों चूचियां दिखाना चाहती थी जो कि अमरूद की तरह एकदम ठोस थी,,,,,,,ऐसा लग रहा था कि कैसे हो अपने पापा पर तरस खा रही हो क्योंकि वह अपनी बुर दिखाई नहीं थी और उसी के एवज में अपनी चूची दिखाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़पाना चाहती थी,,,। और इसीलिए ब्रा लेने के बहाने वह अपने पापा की तरफ घूम गई लेकिन अपनी नजरों को नीचे की हुई थी ताकि उसके पापा को यह ना लगे कि उसे पता चल गया है वह अपने पापा की नजरों में अंजान बने रहना चाहती थी,,,,,,



अपने पापा की तरह घूम जाने की वजह से संजय की आंखों के सामने जो नजारा पेश हुआ उसे देखकर संजय के तन बदन में चुदास पन की लहर दौड़ने लगी,,, अपने बेटी के दोनों अमरुदो को देखकर संजय का मन उसे अपने हाथों में पकड़ने को करने लगा और उसे मुंह में भर कर पीने को करने लगा क्योंकि उसकी बेटी की दोनों चूचियां एकदम जवान थी,,, संजय जानता था कि ऐसी चुचियों को हाथ में लेकर दबाने में बहुत मजा आता है और इस हरकत पर लड़कियां भी एकदम मस्त हो जाती है,,,,, संजय की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और शगुन की दोनों चूचियां एकदम तनी हुई थी ऐसा करने में शगुन भी उत्तेजित हो रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी चूचियों के दोनों निप्पल कैडबरी की छोटी सी चॉकलेट की तरह तन कर खड़ी हो गई थी,,,, जिसे संजय अपने मुंह में लेकर अपने दांतो से दबाना चाहता था,,,। उसे काटना चाहता था हालांकि अपनी इस ख्यालों को लेकर और पूरी तरह से परेशान भी था क्योंकि वह अपनी बेटी के बारे में इतने गंदे गंदे विचार अपने मन में ला रहा था लेकिन वह हालात से मजबूर था उसके सामने का नजारा था ही इतना मादक कि वह खुद उसके नशे में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,,,,

शगुन जानती थी कि उसके पापा ने उसकी दोनों चूचियों को नजर भर कर देख लिया है इसलिए वह नीचे झुक कर अपनी ब्रा उठाकर उसे पहनने लगी,,,, पर एक बार फिर से आईने की तरफ मुंह करके घूम गई अपनी ब्रा का हुक बंद करने के लिए अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने पापा को और ज्यादा तड़प आते हुए ब्रा के हुक को ना लगाते हुए उसे इधर-उधर करके अठखेलियां करने लगी,,, संजय का मन कर रहा था कि वह बिस्तर से उठे और खुद जाकर अपनी बेटी के ब्रा के हुक को लगा दे या तो फिर उसे पूरी तरह से उतार कर फेंक दे,,,,,। आखिरकार शगुन अपनी ब्रा का हुक लगा दी,,, ब्रा के अंदर के कैद उसके दोनों अमरुद बहोत खूबसूरत लग रहे थे,,,।
देखते ही देखते शगुन अपनी सलवार और कुर्ती भी पहन ली वह तैयार हो चुकी थी अपनी बालों को सवारने लगे और घड़ी में 6:00 बज चुके थे इसलिए वह अपने पापा को जगाना चाहती थी जो कि पहले से ही जगे हुए थे लेकिन फिर भी औपचारिकता दिखाते हुए वह अपने पापा के बिस्तर के करीब बढी और यह देख कर अपनी आंखों को बंद कर लिया अपने पापा की हरकत को देखकर सगुन मुस्कुराने लगी,,,, और अपने पापा के हाथ को पकड़ कर उन्हें जगाते हुए बोली,,,।

उठो पापा देर हो रही है,,,,(पहले तो संजय जानबूझकर गहरी नहीं तो मैं सोने का नाटक करने लगा और यह देख कर शगुन बंद बंद मुस्कुराने लगी यह सोच कर कि उसके पापा कितना नाटक कर रहे हैं उसकी कमसिन खूबसूरत नंगी जवानी को अपनी आंखों से देख कर अपना लंड खड़ा कर लिए हैं फिर भी सोने का नाटक कर रहे हैं,,, एक दो बार और कोशिश करने पर संजय समझ गया क्या उसे उठना ही पड़ेगा और वह आलस मरोड़ ते हुए लेटे हुए बोला,,,)

कितना बज रहा है,,,


6:00 बज के 9:00 एग्जाम है हमें जल्दी निकलना है,,,,


ओहहह ,,,,, मैं तो सोया ही रह गया,,,,(अपने ऊपर से चादर को हटाकर एक तरफ रखते हुए वह जानता था कि उसके पजामे में उसका लंड तनकर एकदम तंबू बना हुआ है,,, और वह जानबूझकर अपनी बेटी को उसके पजामे में बने तंबू को दिखाना चाहता था,,,, और ऐसा हुआ भी,,,, संजय बेझिझक बिस्तर पर से खड़ा हुआ और बाथरूम की तरफ जाने लगा वह जानता था कि उसकी बेटी की नजर उसके पजामे पर जरूर पड़ेगी क्योंकि वह इस समय पूरी तरह से खुंटे की शक्ल ले चुका था,,,। जैसा वह चाहता था ऐसा हुआ कि बाथरूम में पहुंचने से पहले ही सगुन की नजर अपने पापा के पजामे के आगे वाले भाग पर पड़ी तो वह एक दम से चौंक गई,,,, पजामे में बने तंबु को देखकर वह दंग हो गई थी,,,, संजय बाथरूम में घुस गया था और सगुन के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी थी,,, क्योंकि वह जानती थी उसके पापा की हालत उसकी वजह से ही हुई है,,,।

संजय अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया था और बाथरूम में घुस कर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था और तब तक मिला था जब तक कि उसका गर्म लावा बाहर ना निकल गया,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों तैयार होकर नाश्ता करके एग्जाम देने के लिए कॉलेज की तरफ रवाना हो गए,,,।
Awesome update
 
  • Like
Reactions: Sanju@

Sanju@

Well-Known Member
4,820
19,441
158
शगुन और संजय दोनों बाप बेटी एक दूसरे की उत्तेजक अंगों के दर्शन कर चुके थे,, और उस अंग को लेकर अपने मन में अद्भुत कल्पना को आकार दे रहे थे,,, शगुन की आंखों के सामने बार-बार उसके पापा के द्वारा लंड हिला हिला कर पेशाब करने वाला द्रशय याद आ रहा था,,, और वह दृश्य शगुन के कोमल मन पर भारी पड़ रहा था बार बार उसको अपनी पेंटिं गीली होते हुए महसूस हो रही थी,,, उसका मन बहक रहा था अपने पापा के मोटे तगड़े खड़े लंड को अपने हाथों से छूना चाहती थी उसे दबाना चाहती थी,,, और तो और उसे मुंह में लेकर उसे चूसने की कल्पना तक वह कर डाल रही थी,,, शगुन के कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से गतिमान हो रहा था उसके मन में रह-रहकर कल्पनाओं का बवंडर सा ऊड रहा था,,, बिस्तर पर पड़े पड़े वह आंखों को बंद करके कल्पना कर रही थी कि वह कैसे अपने पापा के मोटे तगड़े लंड को पकड़ कर उसे मुंह में लेकर चूस रही है,, और उसी लंड को उसके पापा उसकी दोनों टांगों को अपने हाथों से फैला कर उसकी मखमली गुलाबी छेद पर रख कर उसे धीरे धीरे अंदर डाल रहे हैं हालांकि शगुन अब तक किसी दूसरे के लंड को ना तो कभी देखी थी और ना ही उसके बारे में कल्पना की थी,,, यह पहली बार था जब वह अपने पापा के लंड को देखी थी,,, लंड को मुंह में लेकर चूसना और संभोग क्रिया को सुबह ठीक तरह से समझती भी नहीं थी लेकिन फिर भी कल्पना में उस क्रिया के बारे में सोच कर ही वह पूरी तरह से गीली होते हुए झड़ चुकी थी,,,।

दूसरी तरफ संजय का बुरा हाल था,,, गाड़ी चलाते समय भी उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी शगुन की गोरी गोरी कोरपड़ गांड नजर आ रही थी जिसे वह अंतिम क्षण पर नजर भर कर देख लिया था वरना कुछ सेकेंड की देरी हो जाती तो शायद इतना लुभावना दृश्य वह अपनी आंखों से कभी नहीं देख पाता,, उसने अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी जवान लड़कियों के नंगे बदन को अपनी आंखों से देख चुका था और उन्हें भोग भी चुका था लेकिन अपनी बेटी शगुन की मात्र गोलाकार नितंब की झलक भर देख लेने से उसकी हालत खराब हो रही थी दुनिया की सबसे खूबसूरत गांड उसे अपनी बेटी शगुन की लग रही थी,,, हालांकि सर्वश्रेष्ठ और उत्तम किस्म की औरत का पति होने के बावजूद भी उसका मन बहक रहा था,,, और घर पर पहुंचते ही अपने बदन की अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने के लिए वह एक बहाने से संध्या को अपने कमरे में ले जाकर तुरंत अपने हाथों से संपूर्ण रूप से नंगी करके और खुद भी नंगा हो करके उसे बिस्तर पर पटक कर चोदना शुरू कर दिया,,, आज उसके जेहन में शगुन की मादकता भरी गांड बसी हुई थी इसलिए वह अपनी बीवी संध्या की गांड को शगुन की गांड समझकर जोर-जोर से चोद रहा था संध्या भी हैरान थी अपने पति की ताकत को देख कर वह पहले ही अपने बेटे सोनू की वजह से काम ज्वाला में तप रही थी इसलिए अपने पति के द्वारा चुदाई होने पर वह अपने पति की जगह अपने बेटे सोनू की कल्पना करके चुदाई का मजा ले रही थी,,, जिससे उसकी भी उत्तेजना अत्यधिक बढ़ चुकी थी और उसे अपने पति से चुदाई का भरपूर मजा मिल रहा था,,,

सोनू सुबह-सुबह बगीचे में झाड़ियों के अंदर का दृश्य देखते हुए अनजाने में जो उसने अपनी मां के साथ हरकत कर दिया था और झड़ गया था,, इसलिए वहां शर्मिंदा होकर अपनी मां से नजर तक मिला नहीं पा रहा था और यह बात संध्या अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह एकदम सहज बनी हुई थी,,, लेकिन वास्तव में झाड़ियों के अंदर के दृश्य को देखकर उस मां बेटे की गरमा गरम चुदाई को देखकर इस तरह की हरकत वह खुद और सोनू उसके साथ किया था उससे उसके पूरे बदन में गर्मी छा गई थी,,, अपनी गांड पर अपनी बेटे के लंड के कड़क पन की रगड बार-बार उसे अपने नितंबों पर महसूस हो रही थी,,,, जिस तरह से वह उसकी चूची को दबा रहा था उसे पूरा यकीन था कि मौका मिलने पर उसका बेटा उसकी दोनों चुची से उसका सारा रस निचोड़ डालेगा,,,

धीरे धीरे 1 सप्ताह बीत गया लेकिन सोनू अपनी मां से खुल कर बात नहीं कर पाया और ना ही उससे नजरें मिला पा रहा था,,,,। लेकिन संध्या की हालत खराब होती जा रही थी अपने पति से भरपूर प्यार और शारीरिक सुख पाने के बावजूद उसका मन भटक रहा था,, हर एक औरत में उसके मन के कोने में कहीं ना कहीं चोरी छुपे या खुलकर किसी गैर से शारीरिक संबंध बनाकर भरपूर संतुष्टि प्राप्त करने का लालच छिपा होता है,,, और अधिकतर औरतें इस बारे में कल्पना भी करती रहती हैं लेकिन समाज अपने संस्कार और परिवार की इज्जत के खातिर अधिकतर औरतें इस तरह के कदम उठाने से कतराती रहती हैं,,, लेकिन अगर कोई ऐसा मिल जाए जिसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद किसी को इस बारे में कानो कान पता ना चल जाने की गारंटी हो तो औरतें इस तरह के संबंध बनाने से बिल्कुल भी नहीं कतराती,,,। और वैसे भी चोरी छुपे किसी गैर के साथ शारीरिक संबंध बनाने में जो सुख प्राप्त होता है वैसा सुख पति या पत्नी के साथ घर के बिस्तर में कभी नहीं मिलता,,और संध्या की इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वह अपने ही बेटे सोनू के साथ सारिक संबंध बनाती है तो इस बारे में किसी को खबर तक नहीं पड़ेगी और उसे अपने बेटे के साथ संपूर्ण संतुष्टि का अहसास होगा जो कि उसे उसके पति के साथ भी बराबर मिल रहा था लेकिन पति को छोड़कर घर में किसी अपने सदस्य के साथ शारीरिक संबंध बनाने का मजा ही कुछ और होता है,,,।
संध्या बार-बार अपने बेटे के बारे में कल्पना करके उत्तेजित हो जाती थी,,, वह बार-बार यही सोचती रहती थी कि जिस तरह से उसने झाड़ियों के अंदर मां बेटे के बीच गरमागरम चुदाई का नजारा देखकर उसका बेटा उसकी गांड पर अपना लंड रगड़ रहा था और उसकी चूची दबा रहा था अब तक कोई और होता तो उसकी चुदाई कर दिया होता,,, यह बात अपने मन में सोच कर संध्या को अपने बेटे पर थोड़ा गुस्सा भी आता,,, था,,,, लेकिन वो अच्छी तरह से समझती थी कि अगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो शायद उसका बेटा उस दिन बगीचे में हीं उसकी चुदाई कर दिया होता,,, शायद सोनू क्या आगे बढ़ने में मां बेटे का रिश्ता बाधा डाल रहा था लेकिन मैं भी अच्छी तरह से जानती थी कि सोनू मौका मिलने पर अपना कदम पीछे नहीं हटाएगा बल्कि उसके ऊपर चढ़ जाएगा,,, यह सोचकर संध्या के बदन में उत्तेजना की लाइट दौड़ने लगती थी,,, संध्या को लगता था कि सोनू को आगे बढ़ने में थोड़ा वक्त लगेगा उसे और ज्यादा उकसाने की जरूरत है,,,, यही सोचकर व अपने मन में उसे उकसाने की युक्ति ढूंढने लगी लेकिन उसका दिमाग काम नहीं कर रहा था ऐसे ही एक दिन रविवार का दिन था शगुन एक्स्ट्रा क्लासेस के लिए बाहर गई हुई थी और संजय भी हॉस्पिटल के काम में व्यस्त था घर पर केवल सोनू और संध्या ही थे,,,। 10:00 का समय हो रहा था संध्या के खुराफाती दिमाग में अपने बेटे को उकसाने की युक्ति सुझ रही थी,,, रविवार के दिन संध्या को ढेर सारे कपड़े धोने होते हैं जो कि वह वाशिंग मशीन में ही धोती थी,,,। वह सोनू के कमरे में गई,,, कमरे का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था,,,। वह दरवाजे पर दस्तक दीए बिना हीं दरवाजे को खोलते हुए सोनू को आवाज लगाते हुए बोली,,,

सोनू,,,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह आगे नहीं बोल पाई,,, क्योंकि उसकी आंखों ने जो देखा उसे देखते ही रह गई उसकी आंखें फटी की फटी रह गई सोनू टेबल पर अपनी गांड टीकाएं मोबाइल में व्यस्त था,,, व्यस्त क्या था मोबाइल में पोर्न मूवीस देख रहा था इसलिए पूरी तरह से उत्तेजित था और इस समय वह केवल अंडर वियर में ही था,,,और पोर्न मूवीस देखने की वजह से उत्तेजित अवस्था में वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,उसकी मस्ती उसकी दोनों टांगों के बीच छाई हुई थी जिसकी वजह से उसकी छोटी सी अंदर भी और में बहुत ही विशाल तंबू बना हुआ था माना कि कोई हैंगर हो और उस पर कपड़े टांगा जाता हो,,, उस अद्भुत और लंबे-तंबु को देखकर संध्या की आंखें फटी की फटी रह गई वह एक टक अपने बेटे के अंडरवियर को ही देखते रह गई जिसमें उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर तंबू बनाया हुआ था मानो कि कोई शामियाना लगने वाला,,, संध्या उसके अंडरवियर में बने तंबू को देख कर आश्चर्य के साथ-साथ मस्त भी हुए जा रही थी,,,, वह तंबू को देखकर उसके अंदर के बंबू की लंबाई और मोटाई का अंदाजा अच्छी तरह से लगा पा रही थी,,,, सोनू चुदाई वाली मूवी देखने में मस्त था,,, लेकिन यु एकाएक दरवाजा खोलने की वजह से वो एकदम से चौक गया और तुरंत पास में पड़ी टावल को अपने कमर से लपेट लिया लेकिन फिर भी वह अपने तंबू को छुपा नहीं पाया टावल मे भी तंबू बना हुआ था,,,,। वह तुरंत बिस्तर पर बैठ गया और हकलाते हुए बोला,,,।


मममम,,, मम्मी तुम यहां,,,,


क्यों नहीं आ सकती,,, मुझे अंदर आने की इजाजत नहीं है क्या,,,(संध्या एकदम सहज स्वर में बोली,,)

नहीं नही मम्मी ऐसी कोई भी बात नहीं है तुम तो जब चाहे तब कमरे में आ सकती हो,,,

फिर इतना घबराया हुआ क्यों है,,,(संध्या एकदम सहज होते हुए बोल रही थी ताकि उसके बेटे को यह आभास ना हो कि उसने वह सब कुछ देख ली है जो वह छुपाने की कोशिश कर रहा है,,,,)

नहीं नहीं मैं कहां घबराया हुआ,,,हुं,,,वो तो में कपड़े नहीं पहना हु इसलिए,,,,,


मेरे सामने क्यों इतना शर्मा रहा है,,,, जानता है ना मैं तेरी मां हूं मैं तुझे हर हाल में देख चुकी हूं चाहे कपड़े पहना हो या फिर नंगा हो,,,(संध्या नंगा शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर देते हुए बोली,,,) मुझसे शर्माने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,.

(अपनी मां को इस तरह से शहर छोड़ कर बात करते हुए देख कर सोनू को महसूस होने लगा कि उसकी मां ने वह कुछ भी नहीं देखी है जो वह छुपा रहा है इसलिए वह भी सामान्य होने लगा इसलिए बोला,,,)


कोई काम था क्या मम्मी,,,।


हारे कपड़े धोने थे और वॉशिंग मशीन चल नहीं रही है,,,मैं सोच रही थी तू अगर मेरे काम में हाथ बता देता तो अच्छा होता,,,।


मैं,,,(आश्चर्य से सोनू बोला)


हां हां तू क्या तू अपनी मां का हाथ नहीं बटाएगा जानता है ना तो अच्छा बेटा वही होता है जो अपनी मां के काम में हाथ बंटाता है उसकी मदद करता है,,, क्या तू अच्छा बेटा नहीं है,,)


नहीं नहीं मैं अच्छा बेटा हूं मैं तुम्हारे काम में हाथ बटाऊंगा,,,


तो फिर जल्दी से आजा,,, बाथरूम में,,,,(बाथरूम शब्द संध्या बेहद मादक स्वर में बोली,,,सोनू को अपनी मां का इस तरह से बाथरूम में बुलाना रोमांचित कर गया मानो कि जैसे उसकी मां बाथरूम के अंदर उससे चुदवाने के लिए बुला रही हो,,, संध्या मादक स्वर बिखेरते हुए कमरे से जा चुकी थी,,, और सोनू का तंबू भी शांत होकर बैठ चुका था वह जल्दी से कपड़े पहना और अपनी मां का हाथ बताने के लिए अपने कमरे से बाहर आ गया,,,।)
बहुत ही गरमागरम और कामुक अपडेट है अब तो लगता है कि सोनू और संध्या की चूदाई देखने को मिलेगी
 

Sanju@

Well-Known Member
4,820
19,441
158
संध्या बहुत खुश थी और मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि उसका तुक्का काम आ जाए बाथरूम में पहले से ही वह वाशिंग मशीन का प्लाग निकाल चुकी थी ताकि कहीं अगर सोनू स्विच दबाकर चेक करने लगा तो सब काम बिगड़ जाएगा,,,

बाथरूम में पहले से ही ढेर सारे कपड़े रखे हुए थे कुछ तो गंदे थे लेकिन संध्या ने कुछ कपड़ों को भी वजह ही वहीं रख‌ दी थी,,, ताकि कपड़े धोने के बहाने वह कुछ ज्यादा वक्त अपने बेटे के साथ बिता सके और जो वह चाहती है वह सफल हो सके,,, बाथरूम में संध्या और सोनू दोनों आ चुके थे,,, संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जो काम वह करने के लिए आज अपने मन में ठान ली थी उस तरह का काम उसने आज तक नहीं की थी,,, संध्या पहले से ही अपने ब्लाउज के ऊपर वाले बटन को अपने हाथों से खोल चुकी थी और सोनू के बाथरूम में आने से पहले ही वह आईने में अपने खुले हुए बटन के साथ अपने ब्लाउज को देख रही थी जिसमें से उसके दोनों खरबूजे बराबर अपनी आभा बिखेर रहे थे,,,। आईने में अपनी दोनों चुचियों को ब्लाउज के अंदर ही देख कर वह खुद मस्त हो रही थी और मस्ती में आकर खुद ही अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों चुची को दबा के देख ली थी,,।
रोहन गंजी और लोअर पहना हुआ था क्योंकि वह जानता था कि कपड़े धोते समय उसके कपड़े भी गीले हो जाएंगे,,,

बताओ मम्मी मुझे क्या करना है,,, (सोनू अपनी कमर पर हाथ रख कर बड़े आराम से बोला,,, सोनू की यह बात सुनकर संध्या की नजर सबसे पहले उसकी दोनों टांगों के बीच जहां पर कुछ देर पहले लाजवाब तंबू बना हुआ था लेकिन इस समय वहां बिल्कुल शांति थी एकदम खामोशी छाई हुई थी मानो रणभूमि मैं युद्ध से पहले की शांति छाई हो,,,)

देख सबसे पहले तुझे यह सारे कपड़ों को इन दोनों बाल्टी में डालना है मैं पहले से ही इसमें पाउडर डाल चुकी हूं और कपड़ों को डालने के बाद,,, कपड़ों को बराबर उस पाउडर के घोल में घोलना है,,,।


ठीक है मम्मी ये तो बिल्कुल आसान है,,,(और इतना कहने के साथ हीसोनू एक एक करके उन कपड़ों को बाल्टी में डालना शुरू कर दिया,,,, कुछ कपड़ों को बाल्टी में डालने के बाद,, सोनू जैसे ही नीचे झुक कर गंदे कपड़े उठाने लगा वैसे ही तुरंत उसकी नजर लाल रंग की पैंटी पर पड़ी उसे देखते ही उसके तन बदन में खलबली मचने लगी,,, पेंटीको देखकर सोनू के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना का लहर दौड़ने लगा,,,। सोनू उस पेंटी को देखकर अपनी मां की तरफ देखने लगा जोकि आईने में अपने आप को देख रही थी लेकिन आईने में देखने से पहले वह सोनू कोई देख रही थी क्योंकि वह जानबूझकर कपड़ों के ढेर के नीचे पेंटी रखी थी और वो देखना चाहती थी कि,, पेंटी को देखकर उसके बेटे के चेहरे के भाव कैसे बदलते हैं,,,और वह अपने बेटे के चेहरे पर बदलते हुए भाव को देखकर खुश हो रही थी,,,संध्या जानबूझकर अपने आपको आईने में व्यस्त कर ली थी लेकिन आईने के अंदर उसे उसका बेटा साफ नजर आ रहा था,,, और सोनू अपनी मां को इस तरह से आईने में अपने आप को निहारने में व्यस्त होता देखकर इस पल का आनंद उठा लेना चाहता था,,। इसलिए वह उस पेंटिं को उठाकर अपने हाथ में ले लिया और उसे ठीक से इधर-उधर घुमा कर देखने लगा उस पर पेंटी की चौड़ाई को देखकर वह इतना तोअंदाजा लगा चुका था कि वह पेंटिं उसकी मां की थी और यह सांस उसके तन बदन में अजीब सी हरकत को जन्म दे रही थी,,, संजय आईने में अपने बेटे की हरएक हरकत को बड़ी बारीकी से देख रही थी वह जानबूझकर अपने बालों को संवारने में लगी हुई थी ताकि उसके बेटे को यह न लगे कि वह कुछ देख रही है,,,, सोनू थोड़ा निश्चिंत थाकि उसकी मां उसकी तरफ नहीं ध्यान दे रही है इसलिए वह उस पेंटी को अपनी उंगलियों से छुकर उसे रगड़ रगड़ कर देख रहा था खास करके उसकी बुर वाली जगह की पेंटी के हिस्से को अपने अंगूठे और अंगुली से रगड़ रगड़ कर देख रहा था मानो कि ऊसमें कुछ लगा हो,,,, सोनू एक बार अपनी मां की तरफ देखकर और निश्चिंत होकर,,, वह पेंटी के उस हिस्से को जहां पर उसकी मां की बुर आती थी उसे नाक से लगाकर सुंघने लगा,,,,, सोनू एकदम मस्त हो गया उसमें से उसकी मां की बुर की ताजा ताजा खुशबू आ रही थी और यह वास्तविक ही था क्योंकि संध्या ने कल की पहनी हुई पेंटी उतार कर रखी हुई थी जिसमें से उसकी गुल की खुशबू आना लाजमी था लेकिन वह खुशी उसके बेटे को इतनी अच्छी अधिक पसंद आएगी उसे इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था अपने बेटे की इस हरकत पर आईने में देखकर पूरी तरह से शर्म से पानी-पानी हो गई लेकिन आनंदित भी हो उठी,,, और उसकी बुर कुलबुलाने लगी,,, सोनू अपनी मां की तरफ देख ले रहा था लेकिन उसकी मां आईने में व्यस्त थी और यह देख कर अपनी जीभ हल्की सी निकालकर जीभ के छोर को,, बस बुर वाले हीस्से को चाटने लगा यह देखकर संध्या की हालत खराब हो गई उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका बेटा इस तरह की भी हरकत करेगा,,, सोनू अपनी मां की पेंटीकी बुर वाले हिस्से को ऐसे चाट रहा था मानो जैसे वह सच में अपनी मां की बुर चाट रहा हो,,,और यह साथ संध्या को भी हो रहा था आईने में उसे साफ नजर आ रहा था कि उसका बेटा उसकी पैंटी को और खास करके उसकी बुर वाली हिस्से को जीभ से चाट रहा है यह देखकर संध्या की हालत खराब होने लगी उसे ऐसा एहसास होने लगा कि जैसे वह खुद अपनी दोनों टांगें फैलाकर बिस्तर पर लेटी हुई है और उसका बेटा उसकी बुर को चाट रहा है,,, ऐसा एहसास संध्या के तन बदन में आग लगा रहा था,,,, संध्या आईने में अपने बेटे की हरकत को देखकर मस्त हुए जा रही थी,,, सोनू दो-तीन बार अपनी मां की पेंटी को जीभ लगाकर चाटा,,, उसकी मां देखना है उसे बाल्टी में डाल दिया वह ऐसा ही सोच रहा था कि उसकी मां नहीं देख रही है जबकि उसकी मां उसकी हर एक क्रियाकलाप को अच्छी तरह से देख कर मस्त हुए जा रही थी,,,, 2 4 कपड़े और बाल्टी में डालने के बाद उसे लाल रंग की जालीदार ब्रा मिली जिसे देखकर वह समझ गया कि यह ब्रा भी उसकी मां की ही थी क्योंकि उसका कप कुछ ज्यादा ही बड़ा था,,, एक बार फिर से सुनाओ अपनी मां के नजर बचाकर उस कप को अपने दोनों हाथों में लेकर उसे दबाने की एक्टिंग करने लगा यह देखकर संध्या के बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,,सोनू की हरकत को देखकर संध्या को ऐसा ही लग रहा था जैसे ही वह ब्रा के अंदर कैद उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा हो,,,,धीरे-धीरे करके सोना सारे कपड़ों को दोनों पार्टी में डाल दिया और उसे पानी के झाग में अच्छी तरह से मिलाने लगा,,, संध्या अभी भी आईने मैं अपने आप को व्यस्त रखने की कोशिश कर रही थी,,, लेकिन उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी गुलाबी बुर में आग लगी हुई थी,,, कपड़ों को अच्छे से बाल्टी में मिलाने के बाद सोनू अपनी मां से बोला,,,।

हो गया मम्मी,,,(इतना कहकर वह वहीं बैठ गया था क्योंकि उसके पजामे में तंबू बन चुका था जो कि खड़े रहने की वजह से उसकी मां की नजर में आ सकता था इसलिए वह बैठ गया था,,, संध्या अपने बेटे की बात सुनकर पीछे मुड़कर सोनू की तरफ देखी और दोनों बाल्टी को देखी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

तु बहुत अच्छा बेटा है,,,, अब चल कपड़े धोने में मेरी मदद कर,,,,
(और इतना कहते हुए संध्या अपनी साड़ी को कमर की तरफ से पकड़ कर उसे थोड़ा सा ऊपर उठाई और अपनी कमर में उस कपड़े के गुच्छे को ठुंस ली,,, जिससे उसकी साड़ी नीचे से ऊपर की तरफ फट गई और उसकी गोरी गोरी टांगें एक तरफ से घुटनों तक नजर आने लगी,,,, अपनी मां की साड़ी अपनी आंखों के सामने उठती देख कर सोनू के तन बदन में हलचल होने लगी,,,, और वह वहीं पर दोनों टांगों को फैला कर बैठ गई जिसकी वजह से उसकी साड़ी उसकी दोनों टांगों की पिंडलियों के ऊपरी सतह पर पहुंच गई,,,, सोनू की हालत खराब हो रही थी,,, संध्या बैठकर कपड़े धोने लगी थी,,,, और सोनू के कपड़े धोने में अपनी मां की मदद करने लगा,,,, संध्या की हालत खराब हो रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी क्योंकि जिस तरह से उसका बेटा उसकी पेंटी को अपनी जीभ लगाकर चाट रहा था वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर सच में उसका बेटा उसकी बुर चाटेगा तो कितना मजा आएगा,,,।
संध्या अपने बेटे की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कपड़े धो रही थी और सोनू भी कपड़े धो रहा था,,, संजय इतना तो जानती थी कि उसका बेटा उत्तेजित हो चुका था अगर ऐसा ना होता तो वह उसकी पैंटी को नाक लगाकर सुंघता नहीं और ना ही जीभ लगाकर चाटता,,,।

संध्या कपड़ों को धो धो रही थी लेकिन जानबूझकर ना अपनी पेंटिं धो रही थी और ना ही ब्रा धो रही थी,,, वह चाहती थी कि उसकी ब्रा और पेंटी उसका बेटा अपने हाथों से धोएं,,, और ऐसा ही हुआ टी शर्ट के साथ उसके हाथ में उसकी मां की पैंटी भी आ गई सोनू टी-शर्ट धो रहा था और अपनी मां की पेंटी को भी साथ में धो रहा था,,, हालांकि वह थोड़ा डर भी रहा था और शर्मा भी रहा था और उसके इसी डर को और शर्म को दूर करते हुए संध्या बोली,,,।


तो सच में बहुत अच्छा बेटा है जो मेरी पैंटी तो रहा है वरना यह ब्रा और पेंटी धोने का काम तो पति भी नहीं करते,,,।


तो क्या मम्मी पापा ने भी आज तक तुम्हारी ब्रा और पेंटी को नहीं धोए है,,,


नहीं कभी नहीं लेकिन मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तेरी बीवी तुझसे बहुत खुश रहेगी,,,, पता है तुझे औरत और आदमी में कोई अंतर नहीं होना चाहिए और अच्छी तरह से आदमी का हर काम पूरा करती है आदमी को भी चाहिए कि वह औरतों का हर काम पूरा करें उनका ध्यान रखें,,,देख तेरे पापा को मेरी ब्रा और पेंटी और मेरे कपड़े धोने में दिक्कत होती है वह कभी नहीं धोते,,, क्योंकि उनका मानना है कि औरतो के कपड़ोंको मर्द नहीं देते जबकि हम औरत मर्द के हर एक कपड़े को धोते हैं यहां तक कि उनकी चड्डी भी,,, तु क्या मानता है,,,।

नहीं मम्मी मैं पापा की तरह नहीं सोचता मेरा मानना है कि औरत जिससे आदमी का हर काम पूरा करती है आदमी को औरत का हर काम करना चाहिए,,। औरत अगर आदमी का हर एक कपड़ा यहां तक कि उनकी चड्डी भी हो सकती है तो आदमी को भी चाहिए कि औरत की चड्डी तक अपने हाथों से धो डालें,,,


इसलिए तु मेरी चड्डी धो रहा है,,, तु सच में बहुत अच्छा बेटा है,,,(संध्या खुश होते हुए बोली,,, लेकिन इस बीच में अपनी हरकत को अंजाम दे रही थी वह जब जब बाल्टी में से कपड़े निकाल रही थी धोने के लिए तब तक वह कपड़ों में से गिरते पानी को अपने ऊपर गिरा रही थी और धीरे-धीरे करके उसका ब्लाउज पूरी तरह से भीग गया था लेकिन अभी तक उस पर सोनू की नजर नहीं पड़ी थी,,, और उसकी नजर अपनी तरफ करने के लिए संध्या बोली,,)

ओफ्फो,,, यह क्या हो गया मैं तो पूरी तरह से गीली हो गई ,,,(अपने दोनों हाथों से अपने कंधों पर के ब्लाउज को पकड़ते हुए बोली,,, वह दो अर्थ में बातें कर रही थी,,, कपड़े उसके कीड़े हो गई थी लेकिन साड़ी के अंदर वह खुद पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,, संध्या अपनी तरफ अपने बेटे का ध्यान आकर्षित करना चाहती थी और ऐसा ही हुआ जैसे ही सोनू की नजर अपनी मां के ब्लाउज पर गई वह पूरी तरह से सन्न रह गया क्योंकि पानी की वजह से उसका पूरा ब्लाउज गीला हो चुका था और ब्लाउज में से उसकी तनी हुई निप्पल साफ़ नजर आ रही थी सोनू देखता ही रह गया और अपनी मां की ब्लाउज में से साफ नजर आ रही सूचियों को देखते हुए बोला,,।)

तुम इतनी जल्दी गीली हो गई मम्मी,,,, अभी तो शुरू ही हुआ था,,,(सोनू भी दो अर्थ वाली बात कर रहा था,,)


तेरी वजह से मैं इतनी जल्दी गीली हो गई,,,


मैं क्या कर दिया,,,


कुछ किया नहीं तभी तो मेरा यह हाल है,,, अगर तू अपने हाथों से कपड़े निकाल कर देता तो शायद मैं गीली नहीं होती,,।


कोई बात नहीं मम्मी यह काम ही ऐसा है हर औरत गीली हो जाती है,,, कपड़े धोने के बाद नहा लेना शायद थोड़ी ठंडक मिल जाए,,,


कहां ठंडक मिलने वाली है,,, रात को ही मिलेगी,,,,(संध्या कपड़े धोते हुए मुस्कुराते हुए बोली अपनी मां की हर बात का मतलब सोनू अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन फिर भी वह चौक ते हुए बोला)

रात को,,,,


अरे मेरा मतलब है कि सोने से पहले थोड़ा सा ठंडे पानी से नहाने के बाद ही,,,,

(सोनू को अपनी मां से इस तरह से बातें करने में मजा आ रहा था और बात बात में उसकी हाथ में ब्रा आ गई और वह ब्रा को धोने लगा,,, अपनी मां के ब्रा पर साबुन लगाते हुए उसे ऐसा ऐसा सो रहा था कि जैसे वहां अपनी मां की चूचियों की मालिश कर रहा हो,,, वह मस्त हुए जा रहा था,,, सदा मुस्कुराते भी अपने बेटे को अपनी ही ब्रा धोते हुए देख रही थी,,, उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,,, देखते ही देखते सारे कपड़े धुल गए थे,,, लेकिन संध्या जो दिखाना चाहती थी शायद अभी भी वह नहीं दिखा पाई थी, को दिखाने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन कामयाब नहीं हो पा रही थी,,, इसलिए एक बहाने से सोनू से बोली,,,)


बेटा उस बकेट मैं देख कुछ कपड़े होंगे उसे भी लेकर आ,,,

ठीक है मम्मी,,,(इतना कहकर वह खड़ा हो गया और उस बकेट की तरफ जाने लगा,,, अभी भी सोनू के पजामे में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था,,, जिस पर संध्या की नजर पड़ते ही उसकी कुलबुलाने लगी,,,, सोनू उस बकेट में से गंदे कपड़े निकालने लगा उसे निकाल कर बाहर अपने हाथों में लेकर देखने लगा जिसके अंदर शगुन के कपड़े थे उसकी जींस उसकी टीशर्ट और तभी उसकी नजर जेसे ही पेंटी और ब्रा पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए यह बताने वाली बात नहीं थी कि उसकी ब्रा और पेंटी किसकी थी उसकी बहन की थी खूबसूरत शगुन की अपनी बहन की पेंटिं को अपने हाथ में लेकर वह उसके उठाव के बारे में कल्पना करने लगा,,, संध्या यह सब देख रही थी,,, वो जानती थी कि उसके हाथ में शगुन की ब्रा और पेंटी है लेकिन वह कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि वह चाहती थी कि सोनु और ज्यादा उत्तेजित हो जाए,,,,लेकिन तब तक वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा और घुटनों से नीचे की तरफ सरका कर अपनी दोनों टांगों को और ज्यादा फैला दी थी ताकि उसे साड़ी के अंदर का दृश्य नजर आने लगे,,,,


क्या कर रहा है सोनू जल्दी ला कर दे,,,

(इतना सुनते ही सोनू उन कपड़ों को लाकर बाल्टी में डाल दिया और उसे अच्छी तरह से साबुन वाले पानी में भिगोने लगा,,,, सोनू कैसा है दिमाग से यह बात निकल चुकी थी कि उसके पहचानने में तंबू बना हुआ है,,, इसलिए संध्या साफ तौर पर अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को देख रही थी और मस्त हो रही थी,,, संध्या जल्दी से बाल्टी में से सगुन के कपड़ों को निकाल करते धोने लगी,,,लेकिन अभी भी सोनू का ध्यान अपनी मां की साड़ी के बीच में बने गेप मैं बिल्कुल भी नहीं था वह अपनी बहन की पेंटी को देख रहा था तभी संध्या एक बार फिर से सोनू की नजर को अपनी दोनों टांगों के बीच आकर्षित करने के लिए,,, एक बार फिर से बाल्टी में से कपड़ों को निकालते हुए उन कपड़ों से गिर रहे पानी को अपनी दोनों टांगों के बीच गिराते हुए एकदम से चौक ते हुए बोली,,,।


अरे बाप रे,,,,(इतना कहने के साथ ही अपनी दोनों टांगों को और ज्यादा फैला दी,,,, सोनू का ध्यान तुरंत अपनी मां की साड़ी के बीच बने गेप में गया,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,)

बाप रे में तो पूरी तरह से गिली हो गई,,,


कोई बात नहीं मम्मी फिर से नहा लेना क्योंकि कपड़े इशारे गीले हो चुकी है और तुम खुद गीली हो चुकी हो,,,(इस बार सोनू यह बात अपनी मां की गीली हो रही बुर के बारे में बोला था,। जो कि यह बात संध्या अच्छी तरह से जानती थी और समझती थी,,,


तो सच कह रहा है मुझे फिर से नहाना होगा,,,(अपनी दोनों टांगों को फैलाए हुए ही वह बोली सोनू अपनी तेज नजरों को अपनी मां की साड़ी के अंदर तक घुमाने लगा लेकिन अंदर अंधेरा ही अंधेरा था,,, रोशनी बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन सोनू के मन में उम्मीद की रोशनी जगी हुई थी पहचानता था कि अंधेरे के बाद उजाला आता है अगर अंधेरा दूर हो गया तो उसे अपनी मां की रसीली मखमली खूबसूरत अनमोल बुर देखने को मिल जाएगी,,, और यही सोचते हुए वह अपनी मां की साड़ी में से अपनी नजर को हटा नहीं रहा था,,,सोनू चाहता था कि उसकी मां थोड़ी सी साड़ी को और नीचे की तरफ कर देना कि वह उसकी रसीली बुर के दर्शन करके धन्य हो जाए,,, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था और संध्या शर्म के मारे लिहाज करते हुए अपनी साड़ी को नीचे की तरफ नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसे भी इस बात का अंदाजा लग गया था कि उसकी शाडी के अंदर अंधेरा ही अंधेरा था जिससे उसके बेटे को उसकी बुर देखने को नहीं मिल रही थी,,, लेकिन सोनू अपनी मां की छातियों को देखकर अत्यधिक उत्तेजित हुआ जा रहा थाक्योंकि उसका ब्लाउज की पूरी तरह से गीला हो चुका था और ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से,,और सोनू क्या ऊपर की तरफ से देखने की वजह से सोनू को अपनी मां की आधी से ज्यादा चुचीया नजर आ रही थी,,,लेकिन जो चीज वह देखना चाहता था और संध्या दिखाना चाहती थी उस चीज पर अभी तक उसकी नजर नहीं पहुंच पाई थी संध्या भी उत्सुक थी अपनी दोनों टांगों के बीच के खजाने को दिखाने के लिए लेकिन ऐसा हो पाना इस समय संभव नहीं हो पा रहा था ऐसा करने के लिए संध्या को और ज्यादा प्लीज साड़ी को जांघों के नीचे तक सरकाना पड़ता,,, लेकिन इस समय कोई जुगाड़ नजर नहीं आ रहा था इसलिए संध्या एक बहाने से सोनू को उसके कमरे में भेज कर उसे गंदे पर्दे उतारकर लाने के लिए बोली,,, सोनू जाना नहीं चाहता था उसकी आंखों के सामने बेहतरीन कामुकता भरा दृश्य जो नजर आ रहा था लेकिन फिर भी उसे अपनी मां की बात मानते हुए जाना पड़ा,,,, जैसे ही सोनू बाथरूम से बाहर गया संध्या अपने मन में विचार करने लगी कैसे अपने प्लान को अंजाम दिया जाए,,,
यही सोचते-सोचते 10 मिनट गुजर चुके थे और सोनू अपनी मां के कमरे में से गंदे परदो को उतार चुका था,,, सीडियो से उतरने की आवाज और उसकी गाना गाने की आवाज संध्या के कानों में पहुंच रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कैसे वह अपने बेटे को अपना नंगा बदन दिखाएं,,, धीरे धीरे सोनू के गुनगुनाने की आवाज संध्या के और ज्यादा करीब आती जा रही थी जैसे जैसे वह करीब आ रहा था वैसे वैसे संध्या के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, वो एकदम से करीब पहुंच गया तकरीबन 2 मीटर की दूरी पर ही वह होगा तभी संध्या अपनी साड़ी कमर तक उठा कर तुरंत वहीं बैठ गई और पेशाब करने लगी,,, उसकी गांड दरवाजे की तरफ थी जो कि थोड़ा सा खुला हुआ था,,, सोनू इस बात से अनजान था कि उसकी मां बाथरूम में बैठकर पेशाब कर रही है इसलिए वह आते ही दरवाजा को धक्का देकर खोल दिया और जैसे ही उसकी नजर सामने पड़ी वह सामने का नजारा देखकर एकदम भौंचक्का रह गया,,, उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसकी मां उसकी आंखों के सामने ही साड़ी को कमर तक उठाए हुए बैठकर मुत रही थी उसकी बड़ी बड़ी गांड एकदम साफ नजर आ रही थी शायद इतने करीब से वह अपनी मां की गांड को पहली बार देख रहा था एकदम गोरी एकदम चिकनी अगर अंधेरे में वह बैठकर इस तरह से गांड दिखाते हुए पेशाब करे तो उसकी चमकती हुई गांड अंधेरे में भी साफ नजर आए,,,, सोनू तो देखता ही रह गया,,, एकाएक उसके लंड का तनाव एकदम से बढ़ गया उसे डर था कि कहीं उसका पैजामा फाड़ कर उसका लंड बाहर ना आ जाए,,, संध्या जानती थी कि दरवाजा खोलकर उसका बेटा बाथरूम के अंदर खड़ा है,,, जानबूझकर संध्या उसे अपनी गांड देखने का मौका दे रही थी जोकी इस मौके का फायदा सोनू अच्छी तरह से उठा रहा था,,, जब संध्या को ऐसा लगने लगा कि उसका बेटा पूरी तरह से उसकी मस्त गांड के दर्शन कर चुका है तब वह चौक ते हुए बोली,,,।



सॉरी बेटा मुझे बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,, तू बाहर खड़ा हो जा,,,।
(बाथरूम से बाहर जाने की इच्छा सोनू की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी लेकिन इस तरह से ग्रुप के अंदर खड़े होकर अपनी मां को पेशाब करते हुए देखतेरहना शायद उसे ठीक नहीं लग रहा था इसलिए अपना मन मार कर बाथरूम के बाहर चला गया,,, संध्या बहुत खुश थी हालांकि वह सोनू को अपनी बुर दिखाना चाहती थी लेकिन आनन-फानन में वह कुछ समझ नहीं पाई और मौके की नजाकत को देखते हुए अपनी बड़ी बड़ी गांड ही दिखा दी वैसे भी मर्दों की उत्तेजना का केंद्र बिंदु औरतों की बड़ी-बड़ी गांड़ ही रही है,, वह जानती थी कि सोनू उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका होगा ऐसे में वह उत्तेजना के मारे उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो जाएगा,,, वह बहुत खुश थी पेशाब कर देने के बाद भी खड़ी होकर अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी और कपड़ों को दूर करने के बाद में अपने बेटे को आवाज लगाते हुए बोली,,,।

हो गया बेटा अब आजा,,,,
(सोनू के चेहरे पर तो तेज ना के भाव साफ नजर आ रहे थे उसके होश उड़े हुए थे,,,अपनी मां की बात सुनते ही पर एक बार फिर से दरवाजा खोलकर अंदर की तरफ गया लेकिन तब तक एक बेहद मादकता से भरे हुए दृश्य पर पर्दा पड़ चुका था,,, वह अपनी मां के कमरे में से गाए हुए परदो को बाल्टी में डाल कर भीगोने लगा,,, तभी डोर बेल बजने लगी,,,, डोर बेल की आवाज सुनते ही सोनू और संध्या दोनों का मूड खराब हो गया उन दोनों को लगने लगा कि इतनी जल्दी कौन आ गया,,, इसलिए संध्या उसे जाकर दरवाजा खोलने के लिए बोली हो सोनू निराश होकर बाथरुम से बाहर आ गया और दरवाजा खोलने के लिए दरवाजे की तरफ़ बढ़ गया,,,सोनू और संध्या को लग रहा था कितनी जल्दी कौन आ गया लेकिन वह शायद यह भूल चुके थे कि दोनों को देखने दिखाने के कार्यक्रम में 3 घंटे गुजर चुके थे जो कि देखने दिखाने के चक्कर में 3 घंटे कब गुजर गए उन दोनों को पता नहीं चला,।
बहुत ही सुन्दर और कामुक अपडेट है बार बार सोनू का klpd हो जाता है अब तो दोनो की धुआधार चूदाई करवा दो
 

rohnny4545

Well-Known Member
13,316
34,704
259
शगुन अपना एग्जाम बड़े अच्छे से दे पाई,,,,, लेकिन सुबह की बात याद करके वह दिन भर परेशान हो रही थी,,, वह अपने मन में बार-बार यही सोच रही थी की उसके पापा ने उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख लिया तभी तो उनका लंड खड़ा हो गया था जिसे बाथरूम में जाते-जाते शगुन अपनी आंखों से अपने पापा के पजामे में बने तंबू को देख ली थी,,,। और यह सब उसके नंगे बदन के कारण हुआ था यह बात भी अच्छी तरह से जानती थी,,,, सुबह-सुबह जो हरकत उसने अपने पापा की आंखों के सामने की थी उससे वह बहुत खुश थी और उत्तेजित भी,,, शकुन पहली बार इस तरह की हरकत की थी और वह भी अपने पापा की आंखों के सामने और अपने पापा के लिए इससे उसका रोमांच कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था,,,। सगुन अब पीछे हटने वाली नहीं थी,,,। बार-बार उसकी आंखों के सामने चोरी-छिपे खिड़की से देखें जाने वाला वह दृश्य उसकी आंखों के सामने घूमने लगता था,,,, जब वह अपने मम्मी पापा को चुदाई करते हुए देख रही थी,,,। वह अपने मन में यही सोच रही थी कि क्या नजारा था,,। जब उसके पापा का बम पिलाट लंड उसकी मां की बुर में बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था,,,, उस नजारे को ईस समय याद करके सगुन की पेंटी गीली होने लगी थी,,,। वह कभी नहीं सोची थी कि अपनी आंखों से उसे अपनी मां की चुदाई देखने को मिलेगी और उसी नजारे को देख कर उसके तन बदन है उसी समय से कुछ कुछ होने लगा था जब भी वह कभी अपने पापा के नजदीक होती तो उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी बार-बार अपने पापा की मौजूदगी में उसे अपने पापा का मोटा तगड़ा लंड नजार‌ आता था,,,,,,

एग्जाम हो चुकी थी वह कॉलेज से बाहर निकल कर पार्किंग में खड़ी होकर अपने पापा का इंतजार कर रही थी जो कि,,, वहां मौजूद थे इसलिए सगुन फोन करके अपने पापा को वहां बुला ली,,,,।


एग्जाम हो गया,,,


हां पापा,,,


कैसा गया पेपर,,,,


बहुत अच्छा उम्मीद से भी कहीं अच्छा,,,


मुझे पूरा विश्वास था कि तुम्हारा पेपर बहुत अच्छा होगा,,,,(ऐसा कहते हुए संजय अपनी बेटी के खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक नजर दौड़ा कर देखने लगा जो कि सलवार सूट में बहुत खूबसूरत लग रही थी खास करके उसकी कसी हुई सलवार जिसमें से उसकी मोटी मोटी जांगे और उभरती हुई गांड साफ नजर आ रही थी,,, लड़कियों को, कपड़ों के ऊपर से भी देखने का मर्दों का एक अलग नजरिया होता है कपड़ों में भी औरतें कुछ ज्यादा ही सेक्सी लगती है जो कि यहां पर सगुन के पहरावे को देख कर संजय की उत्तेजना बढ़ रही थी,,,, वैसे तो संजय के दिमाग में सुबह वाला वह खूबसूरत ऊन्मादक नजारा ही घूम रहा था,,,,, जिसमें उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी थी,,,। दोनों गाड़ी में बैठ गए थे और संजय गाड़ी को पार्किंग में से निकालकर सड़क पर दौड़ाना शुरू कर दिया था,,,, अपने पापा का साथ सगुन को ना जाने क्यों उत्तेजित कर देता था,,,,, अभी दोनों के पास बहुत समय था,,, संजय का ईमान डोल रहा था बाप बेटी के बीच की मर्यादा की दीवार को वह अपनी कल्पना में ध्वस्त होता हुआ देख रहा था,,,,जिस तरह का नजारा देखकर वह उत्तेजित हो जाता था और अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसे देखते हुए उसे लगने लगा था कि वह रिश्ते की डोर के आगे कमजोर पड़ जाएगा,,,,,, उसे यह सब बहुत गंदा भी लग रहा था और उत्तेजना पूर्ण भी लग रहा था,,,दोनों के पास समय काफी का इसलिए दोनों इधर-उधर घूमते रहे शहर काफी सुंदर था घूमने में उन दोनों को बहुत मजा आ रहा था लेकिन दोनों के मन में कुछ और ही चल रहा था दोनों से तो बाप बेटी लेकिन घूमते समय ना जाने क्यों एक दूसरे को प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे इसका एक ही कारण था दोनों के बीच शारीरिक आकर्षण,,,,,,,,,,

रात के 8:00 बज गई दोनों होटल पर पहुंच गए और डिनर करने लगे,,, होटल का स्टाफ दोनों को बाप बेटी नहीं बल्कि प्रेमी प्रेमिका की नजर से देख रहे थे,,, क्योंकि संजय की कदकाठी और शरीर का गठन बहुत अच्छा था जिसमें वह उम्र वाला बिल्कुल भी नहीं लगता था,,,,,,,

खाने का बिल चुकाते समय काउंटर पर एक लेडी बैठी हुई थी जो कि कलेक्शन करने के बाद संजय को नाइस कपल कहकर संबोधित की जो कि शगुन भी पास में ही थी यह सुनते ही सगुन का चेहरा शर्म से लाल पड़ गया,,, और संजय भी भौचक्का रह गया संजय को तो अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था वह चाहता था उस लेडी को अपने रिश्ते के बारे में बता सकता था लेकिन वह खामोश रहा न जाने कि उसका मन कह रहा था कि होटल के लोग जो कुछ भी समझते हो उससे उसे बिल्कुल भी परेशानी नहीं है,,,,। बिल चुकाने के बाद संजय और शगुन अपने कमरे की तरफ जाने लगे तो शगुन हंसने लगी,,, शगुन को हंसता हुआ देखकर संजय बोला,,,।

क्या हुआ हंस क्यों रही हो,,,,?


हंसने वाली तो बात ही है पापा,,,,


क्यों,,,?


क्योंकि वह लेडी हम दोनों को कपल समझ रही थी,,,,,


तो क्या हम दोनों लगते नहीं है क्या,,,,(संजय को यही मौका था अपनी बेटी के साथ फ्लर्ट करने का,,, वह जानना चाहता था कि वह उसकी बेटी को कैसा लगता है,,, पहले तो सगुन अपने पापा की यह बात सुनकर आश्चर्य से देखने लगी फिर हंसते हुए बोली,,,)


लगते हैं ना क्यों नहीं लगते,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना एक हाथ अपने पापा के हाथ के अंदर डालकर उन्हें पकड़कर चलने लगी,,, अपनी बेटी की हरकत पर संजय के तन बदन में आग लग गई,,,) तुम तो अभी भी एकदम जवान लगते हो पापा,,,(इतना कहने के साथ ही शगुन हंसने लगे तो उसे हंसता हुआ देखकर संजय फिर बोला,,,)


तुम मुझे बना रही हो ना,,,(कमरे का दरवाजा खोलते हुए)


नहीं तो बिल्कुल भी बना नहीं रही हूं,,,, तुम सच में काफी हैंडसम हो पापा,,,, तुम्हारा कसरती बदन एकदम सलमान खान की तरह है,,,,(वह अपने हाथों से अपने पापा के कोट को उतरते हुए बोली,,, संजय को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था,,,,)

सलमान खान तो हीरो हैं,,,।


लेकिन तुम मेरे हीरो हो,,,,(सगुन अपने पापा की आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,, संजय की बोलती एकदम बंद हो गई थी अपनी बेटी की बातों से उसे इतना तो पता चल रहा था कि उसकी बेटी को वह अच्छा लगता था,,, उसका कसरती जवान बदन अच्छा लगता था,,,, इसलिए अपनी बेटी की बातों को सुनकर वह उत्तेजित होने लगा था,,,। उसके पेंट का आगे वाला भाग उठने लगा था लेकिन ना जाने क्यों संजय उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी बेटी की नजर उस पर पड़े,,, और ऐसा ही हुआ शगुन की नजर उसके पापा के पेंट के आगे वाले भाग पर पड़ गई जोकि धीरे-धीरे अपने उठान पर आ रहा था,,, पेंट के अंदर उसकी जवानी की गर्मी बढ़ती चली जा रही थी,,,, अपने पापा के पेंट के आगे वाले भाग को उठता हुआ देखकर सगुन का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, ऐसा नहीं था कि उसका मन अपने पापा के नंगे लंड को देखने के लिए तड़प ना रहा हो,, वह बेहद उतावली और उत्सुक थी अपने पापा के लंड को देखने के लिए लेकिन अपने मुंह से कैसे कह सकती थी कि पापा मुझे अपना लंड दिखाओ,,, वह तो उन हालात का इंतजार कर रहे थे जब इंसान खुद मजबूर हो जाता है वह सब करने के लिए जो एक मर्द और औरत के बीच होता है,,,, इसलिए वहां से कपड़े चेंज करने का बहाना करके वह बाथरूम में चली गई,,,, लेकिन इस बार साथ में कपड़े भी लेती गई,,, संजय पैंट के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसलते हुए बिस्तर पर बैठ गया,,,, अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा वजह सोचने लगा कि अगर घर से दूर दूसरे से मेरे में होटल की इस कमरे में उन दोनों के बीच वह हो जाए जो होना नहीं चाहिए तो क्या होगा,,, वह सारी शक्यताओ के बारे में विचार करने का था उसे यह सब अच्छा नहीं लग रहा था वह अपने मन में ही सोच रहा था कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा वह अपने आप को दिखाने लगा कि वह अपनी बेटी के बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है,,,,। नहीं नहीं अब वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,,,, वह अपने मन में यही सोच कर कसम खाने लगा कि अब ऐसा कभी नहीं करेगा लेकिन तभी उसके कानों में एक बार फिर से सु सु की सीटी की आवाज भूख नहीं लगी और जो कुछ भी अपने आप को रोकने के लिए कसमें खाया था वह सब कुछ धुंधलाता हुआ नजर आने लगा,,,, और एक बार फिर से वह अपनी बेटी की बुर से निकल रहे सिटी की आवाज के मदहोशी में पूरी तरह से मदहोश होने लगा,,,,

शगुन को भी पेशाब करते समय अपनी बुर से निकल रही सीटी की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज निकलते हुए सुनाई दे रही थीशकुन को इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी बुर से निकलने वाली सीटी की आवाज उसके पापा के कानों मे जरूर पहुंच रही होगी,,,, यह एहसास शगुन को पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,,,, बाहर बिस्तर पर बैठे संजय की हालत तो खराब होने लगी थी वह अपनी बेटी को पेशाब करते हुए देखना चाहता था,,,, इसलिए वह बिस्तर पर से उठा हूं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा होकर की होल से अंदर की तरफ झाकने लगा,,,, और उसकी मेहनत रंग लाई की होली में से उसे बाथरूम के अंदर का नजारा साफ नजर आने लगा क्योंकि अंदर लाइट जल रही थी,,,, पल भर में ही संजय का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,,,संजय को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बेटी सामने दीवाल की तरफ मुंह करके बैठी हुई थी,,, और उसकी गोलाकार नंगी गोरी गांड,,, उसे साफ नजर आ रही थी,,,हालांकि उसने अपनी बेटी को सुबह-सुबह ही एकदम नंगी देख चुका था,,,, लेकिन फिर भी इस समय के हालात और माहौल दोनों अलग था,,, उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने पेशाब करने बैठे थे जो कि सदन को इस बारे में पता नहीं था लेकिन उसे अपने बाथरूम के दरवाजे पर कुछ आहट जरूर हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके पापा बाथरूम के दरवाजे के करीब आए हो और की होल से देख रहे हो,,,,,लेकिन उसका यह शक यकीन में बदल गया जब उसे बाथरूम के दरवाजे पैरों से लगने की आवाज सुनाई दी जो कि उसके पापा के पैरों से अनजाने में ही लग गई थी और वह बहुत संभाल कर की होल में से अंदर झांक रहा था,,,, यह एहसास से ही उसका रोम-रोम झनझना उठा था,,, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक पल को तो वह अपने बदन को छुपाने की कोशिश करने ही वाली थी लेकिन अगले ही पल,,, उसके दिमाग की बत्ती जलने लगी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी अपने मन में सोचने लगी आज इसी बाथरूम में अपने पापा को अपने बदन का हर एक हिस्सा दिखाएंगी,,,, इसलिए वह वहां से उठी नहीं,,, और पेशाब करती रही हालांकि पेशाब कर चुकी थी लेकिन फिर भी वह एक बहाने से अपने पापा को अपनी सुडोल गांड के दर्शन जी भर कर कराना चाहती थी,,,, इसलिए पेशाब करते समय वह अपनी उभरी हुई गांड को बाथरूम के दरवाजे की तरफ उभारने लगती थी,,, और सब उनकी यही अदा संजय के दिल पर बिजलीया गिरा रही थी,,, इस तरह के बहुत से मादक नजारे संजय अपनी आंखों से ना जाने कितनी बार देख चुका था लेकिन आज के नजारे में बात ही कुछ और थी,,,, यह नजारा किसी भी उम्र के मर्दों के बदन में जोश बढ़ा देने के लिए काफी था,,,।

और वैसे भी सुकून किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं लगती थी पूरा बदन एकदम गोरा मक्खन की तरह था,,, एकदम तराशा हुआ,, उभार वाली जगह पर एकदम नापतोल कर उभार बना हुआ था,,, अंगों का मरोड़ जैसे किसी शिल्पी कार ने अपने हाथों की करामात दिखाई हो,,, अद्भुत बदन की मालकिन थी सगुन और उसके लिए पहला मौका था जब अपने नाम के भजन क्यों किसी मर्द को किसी मर्द को क्या अपने ही बाप को दिखा रही थी और धीरे-धीरे उसे ध्वस्त कर रही थी अपनी बेटी की मदमस्त जवानी को देखकर संजय का किला ध्वस्त होता हुआ नजर आ रहा था,,,, वह इस समय बिल्कुल भी भूल चुका था कि वह एक बात है उस बेटी का जो बाथरूम के अंदर पेशाब कर रही है संजय सब कुछ भूल कर बस इतना ही जानता था कि बाथरूम के अंदर जो पेशाब कर रही है वह एक औरत है और बाहर खड़ा वह एक मर्द,,,,

शगुन पेशाब कर चुकी थी,,, लेकिन फिर भी बैठी रहीक्योंकि वह अपनी मदहोश कर देने वाली जवानी अपने पापा को जी भर कर दिखाना चाहती थी,,, बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच जो कि अभी पूरी तरह से खीली नहीं थीउसने फंसी अपनी पेशाब की बुंदो को पूरी तरह से नीचे गिरा देने के लिए वह अपनी गोलाकार गांड को झटके देकर उसे नीचे गिराने लगी लेकिन उसकी यह हरकत संजय की हालत को और ज्यादा खराब कर रही थी,,,अपनी बेटी की हिलती हुई गांड को देखकर संजय का मन कर रहा था कि इतने बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर घुस जाएऔर उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ ले,,,, लेकिन यह मुमकिन नहीं था,,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि किसी तरह से और ज्यादा अपने लगने बदन की नुमाइश बाथरूम में की जाए और बाथरूम के बाहर खड़े उसके पापा इस नजारे को देखें तो शायद जिस तरह से उसके पापा का लंड उसकी मां की बुर में अंदर बाहर होता था आज की रात उसकी बुर की किस्मत खुल जाए,,,। और इसीलिए वहा खड़ी हो गई लेकिन अपनी सलवार को ऊपर करने की जगह उसे नीचे करने लगी और देखते ही देखते वह अपने सलवार को उतार दी,,,, संजय का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,। उसकी बेटी उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी,,,, सलवार उतारने के बाद वह अपनी कमीज उतारने में बिल्कुल भी समय नहीं ली और उसे उतारकर हेंगर पर टांग दी,,,,।

बाथरूम में वो केवल ब्रां और पेंटिं में खड़ी थी संजय की उत्तेजना बेकाबू होती जा रही थी,,, शगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पापा सब कुछ देख रहे हैं,,,।इसलिए अपने दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी जो कि सुबह-सुबह हम अपनी ब्रा का हुक लगाने में जानबूझकर देरी कर रही थी,,, उसकी पीठ दरवाजे की तरफ थी,,, संजय से सब्र नहीं हो रहा था मैं जानता था कि उसकी बेटी ब्रा उतार रही है और ब्रा उतारने के बाद उसके दोनों अमरूद एकदम आजाद हो जाएंगे जिसे देखने के लिए उसका मन मचल रहा था,,,, देखते ही देखते सगुन अपनी ब्रा उतार कर उसे भी हैंघर पर टांग दी,, कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन उसके नंगे पन को पूरी तरह से नंगा करने के लिए अभी भी पेंटिं को उतारना जरूरी था जिस पर उसकी दोनों नाजुक उंगलियों को देखते ही संजय का दिल बड़ी तेजी से धड़कने लगा,,,,और वह अपनी नाज़ुक ऊंगलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे अपनी पेंटिं को नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,जैसे-जैसे पेंटिं नीचे की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसकी गोलाकार गांड और ज्यादा उजागर होती जा रही थी,,,, देखते ही देखते शगुन,,, अपनी पैंटी को उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अच्छी तरह से चाहती थी कि बाथरूम के कीहोल से उसके पापा अंदर की तरफ देख रहे हैं लेकिन वह बिल्कुल भी यह जताना नहीं चाहती थी कि उसे सब कुछ पता है वह अनजान बनी रही,,,।

बाथरूम के अंदर शगुन पूरी तरह से नंगी खड़ी थी और अपनी बेटी को नंगी देखकर उसकी गोल-गोल गांड को देखकर संजय का लंड बावरा हुआ जा रहा था,,, जिसे वह बार-बार पेंट में दबा रहा था,,,, शगुन सामने से अपनी चुचियों का और अपनी बुर अपने पापा को दिखाना चाहती आमने सामने होती तो शायद इतनी हिम्मत नहीं दिखा पाती लेकिन इस समय वहां बाथरूम के अंदर अंजान थी अनजान बनने का नाटक कर रही थी,,, इसलिए उसके लिए यह सब करना कोई मुश्किल काम नहीं था,,,, इसलिए गीत गुनगुनाते हुए वहा दरवाजे की तरफ घूम गई और संजय सामने से अपने बेटी के नंगे हुस्न को देखकर पूरी तरह से मचल उठा,,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड पानी छोड़ते छोड़ते बचा था,,,,,, सांसों की गति बड़ी तेजी से चल रही थी संजय ने इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव बरसों बाद कर रहा था,,,,,, उसके लिए सगुन का हुस्न मदीना का काम कर रहा था जिसकी नशे में वह पूरी तरह से लिप्त हो चुका था,,,,।

संजय को यकीन तो पूरा था लेकिन कभी अपनी आंखों से भरोसा करने लायक ज्यादा कुछ देखा नहीं था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने सब कुछ साफ था सगुन की दोनों चूचियां,,, कच्चे अमरूद की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रहे थे चिकना पतला पेट बीच में गहरी नाभि किसी छोटी सी बुर से कम नहीं थी,,, और चिकनी सुडोल जांघें मक्खन की तरह नरम जिस पर संजय का ईमान फिसल रहा था,,,।
और सबसे ज्यादा बेशकीमती अतुल्य खजाना उसकी दोनों टांगों के बीच छुपी हुई थी मानो कि जैसे संजय को अपनी तरफ बुला रही हो,,,, संजय तो अपनी बेटी की बुर को देखकर देखता ही रह गया उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि कोई बुर इतनी खूबसूरत हो सकती है,,, संजय का मन उसमें अपनी जीभ डालने को उसकी मलाई को चाटने को कर रहा था,,,, मन बेकाबू हो कर रहा था जिस पर संजय का बिल्कुल भी काबू नहीं था और बाथरूम के अंदर शगुन उत्तेजना से भर्ती चली जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसके पापा उसके नंगे बदन को देख रहे हैं,,,,


अपने पापा की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाने के लिए और तूने और ज्यादा तड़पाने के लिए शगुन जानबूझकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे रगड़ कर अपनी हथेली से सहलाने लगी संजय का दिल तड़पता संजय का मन कर रहा था कि अभी अपने पेंट से लंड को बाहर निकाल कर मुट्ठ मार ले,,,,, संजय की आंखें बाथरूम के कि होल से बराबर टिकी हुई थी,,,ऐसा लग रहा था कि अंदर का एक भी नजारा वह चूकना नहीं चाहता था,,,,।

शगुन बाथरूम के अंदर चल रही इस फिल्म को और ज्यादा बड़ा नहीं चाहती थी इसलिए ढीला ढीला सा पाजामा पहन ली लेकिन पैंटी नहीं पहनी यह देखकर संजय का दील उछलने लगा,,, और इसके बाद एक टी-शर्ट पहन ली और वह भी ब्रा पहने बिना,,,,संजय के तो पसीने छूट रहे थे वह साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी बेटी कपड़ों के अंदर ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही पेंटिं,,, किसी भी वक्त सगुन बाथरूम से बाहर आने वाली थी इसलिए संजय तुरंत खड़ा हुआ और बिस्तर पर जाकर बैठ गया और कॉफी का ऑर्डर कर दिया,,,,

बाथरूम से निकलने के बाद ढीले पजामे और टीशर्ट में शगुन बेहद कामुक लग रही थी,,, जिसे देखकर संजय के मुंह में पानी आ रहा था,,,,।

कपड़े बदल‌ ली,,

हां पापा,,, सोते समय मुझे ढीले कपड़े पसंद है,,,, तुम भी जाकर बदल लो,,,,

ठीक है,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजय बाथरूम में कुछ किया और अपने सारे कपड़े उतार के अपनी बेटी के नंगे बदन को याद करके मुठ मारने लगे शगुन का मन कर रहा था कि जिस तरह से उसके पापा की होल से सब कुछ देख रहे थे वह भी बाथरूम के अंदर के नजारे को देखेंलेकिन उसकी हिम्मत नहीं है क्योंकि उसे पता चल गया था कि उसके पापा की ओर से सब कुछ देख रहा है और उसे डर था कि कहीं उसके पापा को पता चल गया कि वह सब कुछ देख रही है तो,,, इसीलिए वह हिम्मत नहीं जुटा पाई,,,।


थोड़ी ही देर में दोनों कॉफी की चुस्की लेने लगे,,,, देखते ही देखते दस बज गया था,,, दोनों सोने की तैयारी करने लगे क्योंकि दूसरे दिन भी एग्जाम देने जाना था,,,, एक ही बिस्तर पर दोनों सोने लगे लेकिन दोनों की नींद गायब थी,,,, संजय का मन आगे बढ़ने को कर रहा थालेकिन उसे डर लग रहा था हालांकि इस तरह से हुआ ना जाने कितनी लड़कियों के साथ चुदाई का सुख भोग चुका था लेकिन आज बिस्तर पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी खुद की बेटी थी जो कि खुद यही चाहती थी कि उसके पापा आगे बढ़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था दोनों के मन में डर था,,,, धीरे-धीरे ठंडक बढ़ती जा रही थी,,,, और दोनों एक ही चादर के अंदर अपने मन पर काबू रख कर संजय सो चुका था रात के 12:00 बज रहे थे लेकिन सगुन की आंखों से नींद गायब थी,,,, वह किसी भी तरह से चुदवाना चाहती थी उसकी बुर बार-बार गीली हो रही थी,,, उसकी पीठ उसके पापा की तरफ थी,,,, उसे ठंड भी लग रही थी,,, इसलिए वह चादर के अंदर पीछे की तरफ सरक रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी गांड मचल रही थी अपने पापा के लंड को स्पर्श करने के लिए,,,, और पीछे सरकते सरकते उसकी गोलाकार गांड संजय के आगे वाले भाग से स्पर्श हो गई,,,, शगुन की हालत खराब होने लगी,,,, लेकिन ऐसा करने पर अपने बदन में गर्माहट महसूस करते ही संजय की नींद खुल गई और अपने लंड से अपनी बेटी की गांड सटी हुई देखते ही उसके होश उड़ गए लेकिन वह कुछ बोला नहीं उसी तरह से नींद में रहने का नाटक करने लगा,,,,,


सगुन अपनी गांड को और पीछे की तरफ ला रही थी,, अपनी बेटी की हरकत से संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, और देखते ही देखते बड़ी मुश्किल से सोया हुआ उसका लंड पजामे में धीरे-धीरे मुंह उठाने लगा सांसों की गति तेज होने लगी,,,, लेकिन अभी तक शगुन को अपने पापा के मोटे खड़े लंड का एहसास नहीं हुआ था लेकिन जैसे ही वह पूरी तरह से अपनी औकात में आया तो शगुन को अपनी गांड में कुछ कडक चीज चुभती हुई महसूस हुई और वह मारे खुशी के मारे और ज्यादा उत्तेजित होने लगी,,,, संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,।,,, सगुन को अपने पापा का लंड मोहक और बेहद उत्तेजना से भरा हुआ लग रहा था,,, सगुन को अपने पापा के लंड पर अपनी गांड को रगड़ने में बहुत मजा आ रहा था,,,। धीरे-धीरे उसकी सांसे तेजी से चलने लगी थी वह यह बात भी घूम रही थी कि उसकी हरकत से उसके पापा की नींद खुल सकती है शायद वह आज अपने मन में ठान ली थी कि जो भी होगा देखा जाएगा क्योंकि इस बात का अंदाजा उसे दिखाकर उसके पापा कि उसे चोदना चाहते हैं वरना बादल के की होसेस के नंगे बदन को देखने की कोशिश और हिम्मत बिल्कुल भी नहीं करते हो सुबह-सुबह सोए रहने का नाटक करके उसके नंगे पन का रस अपनी आंखों से पी नहीं रहे होते,,।सगुन यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी होगा अच्छा ही होगा सब कुछ उसके ही पक्ष में होगा,,,। इसलिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश जारी रखे हुए वह अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के आगे वाले भाग पर रगड़ रही थी,,,


सगुन की हरकत बिजलीया गिरा रही थी वह बड़ी मुश्किल से अपनी उत्तेजना को काबू में किए हुए था लेकिन अब सफेदाबाद टूटता हुआ नजर आ रहा है उसे यकीन हो चला था कि उसकी बेटी को क्या चाहिए क्योंकि वह जमाना घूम चुका था देख चुका था औरतों को कब क्या चाहिए वह भली भांति जानता इसलिए वह अपना एक हाथ आगे की तरफ लाकर उसे सीधे अपने बेटी के कमर पर रख दिया,,, शगुन के तन बदन में हलचल सी उठने लगी उसे पता चल गया था कि उसके पापा की आंख खुल चुकी है नींद गायब हो चुकी है वह कुछ बोली नहीं क्योंकि वह भी यही चाहती थी धीरे-धीरे उसके पापा अपने हाथ को उसके चिकने पेट पर लाकर धीरे-धीरे ऊपर बढ़ाने लगेगा अगले ही पल संजय का दाया हाथ शगुन की टी-शर्ट के अन्दर घुसकर उसके दोनों फड़फड़ाते कबूतरों पर पहुंच गए,,, और संजय से रहा नहीं गया वह अपनी मुट्ठी में अपनी बेटी के एक कबूतर को दबोच लिया,,,, और जैसे उस कबुतर की गर्दन उसके हाथों में आ गई हो और वह छूटने के लिए फड़फड़ा रही हो इस तरह से शगुन के मुंह से आहहह निकल गई,,,।

आहहहहहह,,,,,
(लेकिन इस आह में दर्द से ज्यादा मिठास भरी हुई थी आनंद भरा हुआ था संजय को रुकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे थे,,, और संजय भी मजा हुआ खिलाड़ी था,,, वह इतने आसानी से आए हुए बाजी को अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह लगातार अपनी बेटी के दोनों चूची को,,, दबाने लगा मसलने लगा अपने पापा की हरकत की वजह से सगुन की हालत खराब हो रही थी उसे मजा आ रहा था पहली बार उसकी चूचियां किसी मर्दाना हाथ में थी,,, जो मन लगाकर उनसे खेल रहा था,,,, सगुन बिना रुके अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपने पापा के लंड पर रगड़ रही थी हालांकि अभी भी वह पजामे के अंदर था,,,, संजय पूरी तरह से उत्तेजना से भर चुका था वह अच्छी तरह से जानता था की पूरा कमान‌ अब उसके हाथों में आ गया है,,,,, संजय अपनी बेटी के गर्दन पर चुंबनो की बारिश कर दिया,,, शगुन उत्तेजना के मारे पानी पानी हुई जा रही थी,,,, संजय अच्छी तरह से जानता था कि पजामे के अंदर उसकी बेटी कच्छी नहीं पहनी है,,, इसलिए चूचियों पर से अपना हाथ हटाकर वह पजामे में अरना हाथ डाल दिया,,, और अपनी बेटी की गरम बुर को सहलाना शुरू कर दिया,,,, शगुन के लिए यह सब बर्दाश्त के बाहर था,,,, वह आनंद की अनुभूति को पहली बार महसूस कर रही थी,,,,
संजय इस पल को गवाना नहीं चाहता था इसलिए शगुन का हाथ पकड़कर पीछे की तरफ लाकर उसे अपने पंजामे में डाल दिया,,,, सगुन अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है,,, पहली बार वह किसी मर्द के लंड को पकड़न जा रही थी,,, यह पल उसके लिए अद्भुत था,,, वो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि अपने पापा के सामने उसे ऐसे पेश आना पड़ेगा,,,,

अपने पापा के मोटे तगड़े लंड पर हाथ पडते ही सगुन के पसीने छूट गए,,, वह अभी तक दूर से ही अपने पापा के लंड के दर्शन करते आ रही थी,,,। इसलिए उसके हकीकत से पूरी तरह से वाकिफ नहीं थी आज अपने हाथ में आते ही उसके पसीने छूटने लगे थे उसे अपनी हथेली में अपने पापा का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा लंबा लग रहा था लेकिन उतेजना के मारे अपने पापा के लंड को वह छोड़ भी नहीं रही थी उसे मजा आ रहा था ,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी पर फतेह पाने के लिए संजय बिल्कुल भी समय नहीं लगाना नहीं चाहता था,,, इसलिए करवट लेकर वह पूरी तरह से अपनी बेटी के ऊपर आ गया दोनों की नजरें आपस में टकराई और आंखों ही आंखों में कुछ इशारा हुआ जो कि वह दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे,,, संजय अपने होठों को अपनी बेटी के गुलाबी होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया क्योंकि यही एक पक्का हथियार था किसी औरत पर काबू पाने के लिए और ऐसा ही हुआ शगुन धराशाई होने लगे हालांकि वह खुद चाहती थी अपने पापा के चुंबन का जवाब वह भी अपने होठों को खोल कर देने लगी,,,,, देखते ही देखते संजय ने अपनी बेटी के बदन पर से उसकी टीशर्ट उतार कर अलग कर दिया उसकी आंखों के सामने शगुन की नंगी दोनों जवानियां फुदक रही थी,,, जिसे वह अपने मुंह में लेकर काबू करने की कोशिश करने लगा अगले ही पल शगुन के मुंह से गर्म सिसकारियों की आवाज आने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहह,,, पापा,,,,,ओहहहहहरहहह,,,(और ऐसी गर्म सिसकारी की आवाज के साथ ही शगुन अपनी उंगलियों को अपने पापा के बालों में फिराने लगीसंजय रुकने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था वह बारी-बारी से उसकी दोनों चूची को मुंह में लेकर पी रहा था,,, अमरूद जैसे चुचियों को पीने में संजय को बहुत मजा आया था उसका स्वाद ही कुछ अलग था,,,, टेबल पर टेबल नंबर चल रहा था बाकी पूरे कमरे में अंधेरा छाया हुआ था टेबल लैंप के मध्यम रोशनी में शगुन अपनी जवानी लुटा रही थी और वह भी अपने पापा के हाथों,,,संजय कमरे में ज्यादा उजाला करने के लिए ट्यूब लाइट जलाना नहीं चाहता था क्योंकि वह जानता था कि सगुन का पहली बार है इसलिए उसे शर्म आती होगी और अंधेरे में कुछ ज्यादा ही अच्छे तरीके से खुलकर मजा ले पाएगी,,,

धीरे धीरे संजय नीचे की तरफ आ रहा था क्योंकि सबसे बेशकीमती खजाना नीचे ही था,,,, जैसे-जैसे संजय नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे सगुन की हालत खराब होती जा रही थी,,, दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही है,,,, और देखते ही देखते संजय ने वही किया जो सगुन चाहती थी,,,, संजय ने अपने दोनों हाथों से शगुन की पजामी को खींचकर निकाल कर बिस्तर के नीचे फेंक दिया था और बिस्तर पर इस समय शगुन एकदम नंगी थी,,,। लाल रंग की मध्यम रोशनी में भी संजय अपनी बिल्कुल के दोनों टांगों के बीच के उस बेशकीमती खजाने को अच्छी तरह से देखता रहा था,,,, उत्तेजना के मारे संजय का गला सूख रहा था और यही हाल सगुन का भी था दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद इस माहौल में यही सही था,,, क्योंकि दोनों की प्राथमिकता यही थी अपनी प्यास बुझाना,,,,


और संजय अपनी परिपक्वता दिखाते हुए शगुन की दोनों टांगों के बीच अपना मुंह डाल दिया और अपनी जीभ निकालकर उसकी कश्मीरी सेब की तरह लाल बुर को चाटना शुरू कर दिया,,,, शकुन इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि बुर चाटने पर औरतों की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है उसे इतना अधिक आनंद मिलता है कि वह सब कुछ भूल जाती है,,,, ओर यही सगुन के साथ में पल भर में ही पूरे कमरे में शगुन की गर्म सिसकारियां गुंजने लगीलेकिन इस कर्म सिसकारी की आवाज कोई और सुन लेगा इस बात का डर दोनों में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि होटल का पूरा स्टाफ उन दोनों को कपल ही समझते थे,,,।

शगुन की उत्सुकता और गर्माहट को देखकर संजय अपने लिए जगह बनाने लगा पहले एक उंगली और फिर थोड़ी देर बाद दूसरी दोनों उंगली को एक साथ बुर में डालकर वह अपने मोटे लंड के लिए जगह बना रहा था,, हालांकि अपने पापा के ईस हरकत पर शगुन को चुदाई जैसा ही मजा मिल रहा था और इस दौरान में दो बार पानी छोड़ चुकी थी,,,,

अपने लिए जगह बना लेने पर संजय घुटनों के बल अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने दोनों हाथों से उसके नितंबों को पकड़कर अपनी जांघों पर खींच लिया अब उसका लंड और बुर के दौरान दो अंगुल का फासला था जिसे वह ढेर सारा थूक लगाकर पूरा कर दिया शगुन की सांस अटक रही थी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि आप उस की चुदाई होने वाली है जिंदगी में पहली बार जिसके लिए वह सपने देखा करती थी,,,,

उसका दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने पापा की तरफ देख रही थी लाल रंग की मद्धम रोशनी में उसके चेहरे पर शर्म बिल्कुल भी नहीं थी बल्कि उत्तेजना कूट-कूट कर भरी हुई थी अगर यही ट्यूबलाइट की रोशनी में होता तो शायद सगुन इस तरह से सहकार नहीं कर पाती,,,,
देखते ही देखते संजय अपने लंड के सुपाड़े को गुलाबी छेद में डालना शुरू कर दिया,,,, कार्य बहुत ही मुश्किल था लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं था और संजय उसे साकार करते हुए आगे बढ़ने लगा हालांकि शगुन को दर्द तो हो रहा था लेकिन उसे विश्वास भी था की दर्द के आगे जीत है,,, लेकिन सारी मुश्किलों को आसान करने का काम संजय की दो ऊंगलिया पहले ही कर चुकी थी,,,, जैसे-जैसे संजय का मोटा लंड शगुन की मुलायम बुर के अंदर सरक रहा था शगुन को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर फट जाएगी,,,।

धीरे-धीरे संजय ने अपने अंदर लंड को अपनी बेटी की बुर में डाल दिया लेकिन वह एक साथ डालना चाहता था इसलिएनीचे झुका है और एक बार फिर से अपनी बेटी की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया जिससे शगुन की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी वह और ज्यादा मचलने लगी,,, वह अपने दोनों हाथों को अपने पापा के पीठ पर रखकर सहलाने लगी,,, और यही मौके की तलाश में संजय था इस बात संजय ने जोरदार ताकत दिखाते हुए धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड एक बार में ही शगुन की बुर में समा गया,,,इस जबर्दस्त प्रहार को सगुन सह नहीं पाई थी और वह चीखने हीं वाली थी कि संजय समय को परखते हुए अपने होठों को अपनी बेटी के होठों पर रखकर चूमना शुरू कर दिया वह जानता था कि उसे दर्द हो रहा होगा लेकिन वह उसी स्थिति में होंठों का रस चूसता रहा और धीरे-धीरे से चूची को दबाता रहा,,,, धीरे-धीरे शगुन का दर्द कम होने लगा और फिर शुरू हुई सगुन की चुदाई धीरे धीरे संजय की कमर ऊपर नीचे होने लगी और शगुन को भी मजा आने लगा,,,,
बरसों बाद संजय को कसी हुई बुर चोदने को मिल रही थी,,, इतना मजा अपनी सुहागरात को सगुन की मां को चोदने में भी उसे नहीं आया था,,,, शगुन को मजा आ रहा है इस बात को उसकी गरम सिसकारी ही बता रही थी,,, धीरे-धीरे संजय की रफ्तार बढ़ने लगी,,, बाप ने बेटी को अच्छी तरीके से चोदना शुरू कर दिया,,, पूरे कमरे में गर्म सिसकारी की आवाज गुंजने लगी,,, शगुन हैरान थी कि ईतना मोटा तगड़ा लंबा लंड अपनी बुर में वह कैसे ले ली,,, लेकिन यह हकीकत था,,,

शगुन की यह पहली चुदाई थी और वह भी अपने ही बाप के साथ,,, कमरे का बिस्तर इस समय ऐसा लग रहा था कि मानो मदिरा से भरा हुआ बड़ा पतीला हो और उसमें संजय और शगुन दोनों डूब रहे हो,,, थोड़ी देर बाद दोनों की सांसो की गति बढ़ने लगी संजय शगुन को कसकर अपनी बाहों में भर लिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगा,,,, और थोड़ी ही देर बाद शगुन के साथ साथ संजय भी झड़ गया,,,।
 
Last edited:

chusu

Member
145
252
63
sahi..............
 
  • Like
Reactions: Sanju@

Sanju@

Well-Known Member
4,820
19,441
158
दोनोंगीली बुर और खड़े लंड पर पानी फिर गया था,,, इस समय संध्या और सोनू दोनों को डोरबेल की आवाज इतनी खराब लगी थी कि पूछो मत,,, दोनों का मूड खराब हो गया था संध्या इतनी मेहनत करके हिम्मत दिखाते हुए अपने बेटे को रिझाने के लिए अपने खूबसूरत अंगों का प्रदर्शन कर रही थी,,, लेकिन दूरबीन की आवाज नहीं सब कुछ मानो उजाड़ सा दिया था,,,संध्या को पूरा यकीन था कि उसकी हरकत की वजह से उसका बेटा पूरी तरह से लाइन पर आ रहा था,, उसकी आंखों के सामने बैठकर पेशाब करने वाली हरकत ने उसके बेटे के तन बदन में वासना की चिंगारी को शोला का रूप दे दिया था,,, लेकिन यह शोला आग में तब्दील होती उससे पहले ही उस पर पानी पड़ चुका था,,, दरवाजा खोलने का मन सोनू का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था और ना ही संध्या चाहती थी कि उसका बेटा जाकर दरवाजा खोले क्योंकि वह जानती थी कि अब ना जाने कभी ऐसा मौका मिले और कब वह इतनी हिम्मत दिखाते हुए अपने अंगो का प्रदर्शन अपने बेटे की आंखों के सामने कर पाएगी,,, कर पाएगी भी या नहीं यही सब सवाल उसके मन में घूम रहा था और इसीलिए वह चाहती थी कि उसका बेटा दरवाजा ना खोलें,,,। लेकिन लगातार डोर बेल की आवाज कमरे में गूंज रही थी,,,।

सोनू दरवाजे की तरफ जा चुका था,,,उसके पजामे में अभी भी तंबू बना हुआ था लेकिन यह तंबू अब थोड़ा सुस्त हो चुका था हालांकि डोर बेल बजने से पहले सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी खूबसूरत नंगी गांड को देखकर और खास करके उसे पेशाब करता हुआ देखकर पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था जिसके चलते उसका लोहे के रोड की तरह पूरी तरह से गरमा गरम होकर खड़ा हो गया था,,, सोनू के लिए अपनी मां को इस अवस्था में इस तरह से देखना पहला मौका था,,, और वह इस मौके का पूरा का पूरा फायदा उठा लेना चाहता था लेकिन बात कुछ बनी नहीं थी,,।

आखिरकार बेमन से सोनू दरवाजा खोला और दरवाजे पर शगुन खड़ी थी,,।

इतनी देर क्यों कर दी मैं कब से बेल बजा रही हूं,,, और अपनी हालत क्या कर दिया है,,,(इतना कहते हुए सगुन सोनू को ऊपर से नीचे तक नजर मार कर देखी तो उसकी निगाह पल भर के लिए उसके पजामें में बने तंबू पर ठहर गई,,, थोड़ा कम लेकिन फिर भी एक औरत के लिए सोनू के पजामी बना तंबू पूरी तरह से आकर्षण का केंद्र बिंदु था और उत्तेजना का भी इसलिए तो सब उनके तन बदन में अजीब सी हलचल सी मचने लगी,,,,)

वो मै मम्मी के साथ कपड़े धोने में मदद कर रहा था,,,(सोनू एकदम निराश होता हुआ बोला,,)

तू मदद कर रहा था और वह भी कपड़े धोने में,,, वाशिंग मशीन,,,,

वह चल नहीं रही है इसलिए मम्मी ने मुझे कपड़े धोने में मदद करने के लिए बोली,,,,
(सोनू एकदम सहज भाव से बोल रहा था लेकिन शब्दों में निराशा साफ झलक रही थी और सगुन की नजर रह-रहकर उसके पजामे की तरफ चली जा रही थी,,, सोनू अभी भी इस बात से पूरी तरह से अनजान था कि उसके पहचाने में लंड खड़ा होने की वजह से तंबू बना हुआ है और जिस पर उसकी बड़ी बहन की नजर बार-बार चली जा रही है,,,)

चल ठीक है मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कह कर सगुन अपने कमरे की तरफ चली गई और सोनू दरवाजा बंद कर दिया,,, बातचीत की आवाज सुनकर संध्या को इतना तो पता चल गया था कि सगुन आई है,,, इसलिए वह अपने कपड़ों को पूरी तरह से दुरुस्त कर ली अपने ब्लाउज का ऊपर वाला बटन जोकि वह जानबूझकर खोल दी थी जल्दी से बंद कर दी,,, और अपनी साड़ी का एकदम दुरुस्त कर ली,,, शगुन अपने कमरे में फ्रेश होने के लिए चली गई थी उसके जाते ही सोनू को इस बात का एहसास हुआ कि वह जब तक शगुन फ्रेश नहीं हो जाती तब तक वह अपनी मां के खूबसूरत बदन को देख कर अपने आप को गर्म कर सकेगा इसलिए वह वापस बाथरूम में घुस गया लेकिन इधर भी उसे निराशा हाथ लगी,, बाथरूम में घुसते ही वह सबसे पहले,, अपनी मा के खूबसूरत छातीयों पर नजर डाला,,लेकिन डोरबेल बजने से पहले जो ब्लाउज का बटन खुला हुआ था वह अब बंद हो चुका था,,, गोरी गोरी पिंडलिया साड़ी से ढक चुकी थी,,,वह, एकदम से निराश हो गया,,, निराशा संध्या के चेहरे पर भी साफ दिखाई दे रहा था अपना अंग प्रदर्शन अपने बेटे के सामने करने में उसे आनंद के साथ साथ उत्तेजना भी महसूस हो रही थी,,, सोनू फिर भी कपड़े धोने में अपनी मां की मदद करने लगा और अपने मन में यह सोचने लगा कि उसकी मैं जानबूझकर तो अपने अंगों को ऊसे नहीं दिखा रही थी,,,अगर अनजाने में ऐसा होता तो उसका ब्लाउज का बटन खुला होता है और सारी घुटनों तक चढ़ी होती सगुन के आने के बाद सब कुछ बदल गया था मतलब साफ था कि वह अनजाने में नहीं बल्कि जान पहुंचकर उसे अपना सब कुछ दिखा रही थी,,,यह ख्याल मन में आते ही सोनू के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उत्तेजना के मारे उसके शरीर में कंपन होने लगाअब तो कुछ ऐसा ही लग रहा था कि सब कुछ अनजाने में हो रहा है लेकिन अब सब कुछ साफ था वह समझ चुका था कि उसकी मां जानबूझकर उसे अपना अंग दिखा रही थी,,,, और तो और उसका पेशाब करना भी जानबूझकर ही था वह चाहती तो दरवाजे की कड़ी लगाकर पेशाब कर सकती थी,,, भले ही कितनी जोरों से क्यों ना लगी हो औरत हमेशा दरवाजे की कड़ी लगाकर ही पेशाब करती है लेकिन उसकी मां ने ऐसा नहीं कि वह जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ रखी थी उसे मालूम था कि थोड़ी देर में वह वापस आने वाला है और ऐसा ही हुआ उसने अपनी मां को पेशाब करते हुए देख लिया यह सब ख्याल मन में आते ही सोनू पूरी तरह से उत्तेजित होने लगा और जो कि थोड़ा बहुत ढीला हो चुका लंड अब अपनी मां के ख्यालों और उसकी साजिश को समझते ही एक बार फिर से टनटनाकर खड़ा हो गया,,, सोनू अच्छी तरह से समझ गया था कि एक औरत अपने जिस्म की नुमाइश कब एक मर्द के सामने करती है,, वह समझ गया था कि उसकी मां उसके साथ चुदवाना चाहती है,,, पल भर में उसकी आंखों के सामने सब कुछ फिल्म की तरह चलने लगा बगीचे वाला दृश्य,,, जब वह अपनी मां के ठीक नीचे खड़ा होकर अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ रहा था अगर उसकी मां को जरा भी ऐतराज होता तो वह हट जाती या उसे डांटती,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बल्कि वह तो उसे और ज्यादा उक साते हुए अपनी गांड को पीछे की तरफ खेल रही थी और झाड़ियों के अंदर उस मां बेटे की जबरदस्त चुदाई का आनंद ले रहीथी,,,, सोनू को धीरे-धीरे सब कुछ समझ में आ रहा था,,,,


और दूसरी तरफ सगुन अपने कमरे में पहुंचकर अपने कपड़े उतारते हुए सोनू के बारे में सोच रही थी उसके पजामें में बने तंबू के बारे में सोच रही थी,,,वह सोच रही थी कि अगर मां अपनी मां की मदद कर रहा था तो उसका लंड क्यों खड़ा हो गया,,, और सोनू ने तो आज तक कभी भी मां की मदद नहीं किया खासकर के कपड़ों को धोने में,,, सोनू बाथरूम के अंदर ऐसा क्या देख लिया कि उसका लंड खड़ा हो गया जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था,,, शगुन इतना तो जानती थी कि एक मर्द का लंड क्यों खड़ा होता है वह तभी खड़ा होते हैं जब वह चुदवासा हो या तो वह कोई गरमा गरम द्रशय देख लिया हो,,,,,, शगुन बेचैन हुए जा रही थी अपने छोटे भाई और अपनी मां के बारे में सोच सोच कर उसकी हालत खराब हो रही थी पल भर में उसे इस बात का एहसास होने लगा कि कहीं जिस तरह से वह अपने पापा को उसके पापा उसे देखकर उत्तेजित हो जाते हैं कहीं ऐसा तो नहीं सोनू मां को देखकर और मां सोनू के प्रति पूरी तरह आकर्षित हुए जा रही है,,, वरना ऐसा कैसे हो सकता है बाथरूम से निकलने के बाद सोनू का लंड खड़ा क्यों था,,?
कहीं ऐसा तो नहीं जिस तरह से वह अपने पापा का लंड देख चुकी है,,, कहीं मां ने भी तो सोनू का लंड नहीं देख लिया,,, और कहीं सोनू ने तो मां को एकदम नंगी नहीं देख लिया या माने तो कहीं जानबूझकर उसे अपने नंगे पन का दर्शन तो नहीं करा दिया,,,,यह सब सोचकर उसका माता घूमने लगा था और साथ ही उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में से मदन रस का बहाव होना शुरू हो गया था,,, शगुन भले ही अपने भाई और अपनी मां के बारे में इस तरह की बातें सोच रही थी जिससे उसे अंदर ही अंदर गुस्सा भी आ रहा था लेकिन जिस तरह से उसकी बुर में से नमकीन पानी टपक रहा था जाहिर था कि उसे अपने भाई और अपनी मां के बीच इस तरह के आकर्षण के बारे में सोचकर मज़ा भी आ रहा था,,,वह अपने शक को पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी इसलिए जल्दी से कपड़े पहन कर कमरे से बाहर आ गई और बाथरूम में चली गई जहां पर उसका भाई और उसकी मां कपड़े धो रहे थे,,,।


मम्मी आज क्या बात है सोनू तुम्हारी मदद कर रहा है,,,


हां रे मैंने हीं ईसे मदद करने के लिए कही थी,,, वो क्या है ना कि आज वाशिंग मशीन चालू नहीं हो रहा था,,,,।


चलो कोई बात नहीं मैं भी मदद कर देती हूं,,,(इतना कहने के साथ सगुन भी धुले हुए कपड़ों को पानी में डालकर धोनी लगी और अपनी नजर को अपनी मां के ऊपर ऊपर से नीचे तक घुमाने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसकी मां के कपड़े पानी में पूरी तरह से गीले हो चुके थे,,, उसकी नजर जब उसके ब्लाउज पर गई तो उसके होश उड़ गए,,, शगुन बड़े गौर से अपनी मां की ब्लाउज की तरफ देख रही थी क्योंकि पानी में इस कदर कि नहीं हो चुके थे कि मानो उस पर जानबूझकर पानी डाला गया हो,,,क्योंकि वह भी साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसकी मां की तनी हुई निप्पल एकदम साफ नजर आ रही थी,,,और उसे यह भी दिखाई दे रहा था कि उसकी मां ने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी जो कि ऐसा भी कभी नहीं हुआ था,,,बिना ब्रा के उसकी मां ब्लाउज नहीं पहनती थी तो आज ऐसा क्यों हुआ,,, अपने मन में सोचने लगी कि कहीं मैंने जानबूझकर तो ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी है और जानबूझकर अपने ऊपर पानी डाल दि हो ताकि ब्लाउज गीला होने से उसकी चूची एकदम साफ नजर आने लगे और ऐसा हो भी रहा था उसकी चुची एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,, यह सब देख कर शगुन का दिमाग चकरा रहा था,,,,एक बार फिर से उसकी नजर सोनू के पजामे की तरफ गई तो उसके होश उड़ गए,,, क्योंकि जब सोनू ने दरवाजा खोला था तब उसके पजामे में बने तंबू का आकार और इस समय बाथरूम के अंदर पहुंचने के बाद उसके तंबू का आकार कुछ ज्यादा ही था या यूं कह लो कि,,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था तो दरवाजा खोलने के बाद बाथरूम में आते ही उसने ऐसा क्या देख लिया कि उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,, शगुन को अपने ही सवाल का जवाब अपनी मां के गीले ब्लाउज को देखकर मिल चुका था गीली ब्लाउज में से उसकी चूचियां साफ़ नजर आ रही थी क्योंकि वह जानबूझकर ब्रा ना पहनकर सोनू को दिखाने के लिए ही ब्लाउज को गीला कर ली थी,,,
एक बार फिर से साबुन अपनी नजरों और सोच को पूरी तरह से तसल्ली कि शक्ल देने के लिए अपनी मां की तरफ देखी तो वह तिरछी नजर से सोनू के पजामे बने तंबू को ही देख रही थी,,, सोने की तरह देखे तो सोनू भी चोर नजरों से अपनी मां के गीले ब्लाउज में से झलक रही उसकी चूचियों को ही घूर रहा था दोनों को इस बात का आभास तक नहीं बाकी सब उनको दोनों की नजरों के बारे में पता चल गया है उन दोनों को यही लग रहा था कि सगुन कपड़े धोने में मदद करने के लिए बाथरूम में आई है,,,

खैर जैसे-तैसे करके,,, कपड़ों को तीनों ने मिलकर धो लिया,,, तो संध्या ने सगुन को छत के ऊपर कपड़ों को डालने के लिए बोली,,,, और शगुन बहाना बनाकर सोनू को कपड़े डालने के लिए बोल दी ,,, सोनू कपड़ों की बाल्टी लेकर छत के ऊपर चला गया और संध्या अपने गीले कपड़ों को निकालकर नहाने की तैयारी कर रही थी और सगुन बाथरुम से बाहर आ गई,,, वह सोनू से बात करना चाहती थी इसलिए थोड़ी देर बाद वह भी छत की तरफ जाने लगी,,,,,,

संध्या के सारे किए कराए पर ,, पानी फिर चुका था ,, बदन की गर्माहट ठंडक में बदल जाती इससे पहले ही वह बाथरूम के दरवाजे की कड़ी लगाकर,, अपने गीले कपड़ों को उतारकर एकदम नंगी हो गई,,।,,, संध्या अत्यधिक उत्तेजना से भरी हुई थी वह अपने आपे में बिल्कुल भी नहीं थी,, पल-पल उसे क्या हो रहा है था वह खुद नहीं जानती थी रह रह कर अपने बेटे के प्रति बढ़ता हुआ शारीरिक आकर्षण की वजह से वह अपने आप को धिक्कारती भी थी,, और दोबारा ऐसा ना करने का अपने आपको वचन भी देती थी,,, लेकिन अगले ही पल सब बेकार सारे वचन सारे कश्मे धरी की धरी रह जाती थी,,, आखिरकार शारीरिक आकर्षण और वासना चीज ही ऐसी होती है जो किसी भी रिश्ते नाते संस्कार की दीवारों उसके बंधनों को ना मानते हुए उन्हें तोड़कर आगे बढ़ने की पूरी कोशिश करते हैं,,, और यही संध्या भी कर रही थी,,,अपने पति से संपूर्ण रूप से संतुष्ट होने के बावजूद भी उसे अपने बेटे में अपनी प्यास नजर आती थी,,

बाथरूम में इस समय वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,, वासना की आग में जल रहा बदन ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा था जवानी की आग में संध्या तप रही थी,, अपनी नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथ में लेकर वह खुद ही उसे दबा दबा कर स्तनमर्दन का आनंद लेने लगी,,, वह पहले ऐसी बिल्कुल भी ना थी लेकिन कब उसका पूरा वजूद बदल गया उसे अहसास तक नहीं हुआ,,, भले ही शारीरिक आकर्षण और वासना के चलते वह अपने बेटे को पूरी तरह से पाने को वह अपनी मंजिल बना ली थी,,, उस मंजिल तक पहुंचने में राह बहुत कठिन थी,,, लेकिन फिर भी इस रास्ते पर चलने में संध्या को बेहद मजा आ रहा था इसलिए वो और ज्यादा आगे बढ़ना चाहती थी क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि जब सफर में इतना मजा आ रहा है तो,,, मंजिल पर पहुंचने पर कितना मजा आएगा,,,इसी एहसास के साथ वह अपनी दोनों चुचियों को जोर जोर से दबा रही थी,,, जो कि रात में उसके पति ने उस पर बहुत मेहनत की थी,,, अपने हाथों से ही स्तन मर्दन करते हुए संध्या के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी,,,, संध्या को मजा आ रहा था,,, संध्या की बुर में आग लगी हुई थी इसलिए वह एक हाथ आगे बढ़ाकर सावर के हत्थे को अपने हाथ में पकड़ ली और सावर चालू करके उसके बौछार अपनी एक टांग को कमोड के ऊपर रखकर अपनी बुर पर मारने लगी,,, लेकिन ठंडे पानी की मार बुर की गुलाबी पत्तियों पर पड़ते ही,,, ठंडी होने की जगह वह और ज्यादा गर्म होने लगी,,, संध्या से रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह अपने हाथ की दो उंगली एक साथ अपनी बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करने लगी,,

ससससहहहह ,,,आहहहहहहह,,,, सोनू,,, मेरे बेटे,,,आहहहहहह,,,,,,,,
(संध्या एक दम मस्त हो चुकी थी और मस्तीयाते हुए,,वह अपनी आंखों को बंद करके अपनी बुर में अपनी दो उंगली पेल रही थी,, और ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे,, उसका बेटा सोनू उसको चोद रहा हो इसलिए तो वह और ज्यादा मस्त हो रही थी,,,, आखिरकार अपने बदन की गर्मी को अपनी उंगली से शांत करने की पूरी कोशिश करते हुए झड़ गई,,, दूसरी तरफ शगुन धीरे-धीरे अपने पैर बढ़ाते हुए सीढ़ियां चढ़ रही थी,,, दीवार की ओट के पीछे खड़ी होकर अपने भाई सोनू को देखने लगी जोकि धीरे-धीरे एक-एक करके कपड़ों को उठाकर रस्सी पर डाल रहा था,,, बाथरूम वाली बात के बारे में शगुन खुलासा करना चाहती थी वह सोनू से बात करना चाहती थी इसलिए जैसे ही वह पांव बढ़ाई वैसे ही उसकी आंखों ने जो देखा उसे देखकर वह वही खड़ी की खड़ी रह गई,,, सोनू के हाथ में लाल रंग की पैंटी आ चुकी थी शकुन सोनू के हाथ में उस लाल रंग की पेंटिं को देखकर यह सोच रही थी कि वह शर्मा कर उसे कपड़ों के नीचे टांग देगा,,, लेकिन उसके सोचने के विरुद्ध सोनू उस लाल रंग की पेंटिं को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर इधर-उधर घुमा कर देख रहा था,,, यह देखकर शगुन वहीं खड़ी रही,,, तभी शगुन के होश उड़ गए जब वह उस पेंटिं को अपने होठों से लगाकर उसे चूमने लगा और अपनी नाक से जोर से उसकी खुशबू को अपने अंदर भरने लगा ऐसा करते हुए सोनू के चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ झलक रहे थे और यह देखकर सगुन दंग रह गई,,, सोनू जानता था कि वह लाल रंग की पेंटी उसकी मां की है,,।और वह उस लाल रंग की पैंटी के अंदर अपनी मां की पड़ी पड़ी गोलीकांड की कल्पना करते हुए उसे अपने हाथों में लेकर मानो जैसे अपनी मां की गांड को सहला रहा हो इस तरह की कल्पना कर रहा था और साथ ही उसे नाक से लगाकर सुंघते समय ऐसा महसूस कर रहा था कि जैसे वह अपनी मां की बुर को सुंघ रहा हो,, यह सब काफी उत्तेजित कर देने वाला था सोनू मस्त हुआ जा रहा था,,। अपने भाई की हरकत को देखकर सगुन के तनबदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह यकीन नहीं कर पा रही थी कि जो उसकी आंखें देख रही है वास्तव में सच है उसे अपने भाई से ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी वह तो तहत सीधा साधा और संस्कारी लड़का था लेकिन शगुन पूरी तरह से हैरान थी अपने भाई के रवैए को देखकर,,, जब से वह घर में आई थी तब से वह अपने भाई पर नजर गड़ाए हुए थी,,। उसके तने के तंबू को देखकर ही उसके मन में शंका चाहती थी पर अपने संका की तसल्ली के लिएवह बाथरूम में अपनी मां की मदद करने के बहाने कहीं भी थी और बाथरूम के अंदर वह अपनी मां और अपने भाई के बीच में जिस प्रकार का आकर्षण हो रहा था उसे देखकर हैरान थी,,,

अभी भी सगुन को साफ नजर आ रहा था कि उसके भाई के पजामे में तंबू बना हुआ है,,, और उस तंबू को देखकर ना चाहते हुए भी सगुन की भी हालत खराब हो रही थी,,, सोनू मदहोश हो चुका था अपनी मां की पेंटिं से खेलते हुए उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका लंड फट जाएगा इसलिए वह अपने लंड को शांत करने के लिए अपनी मां की पैंटी को अपने पजामे में डाल कर,,, अपने लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया यह देखकर शगुन की आंखें फटी की फटी रह गई,,, उसे अब तो और भी विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी आंखों के सामने खड़ा लड़का उसका सगा भाई है,,,। सोनू की आंखों में वासना भरी हुई थी लेकिन अपनी भाई की हरकत को देखकर ना चाहते हुए भी शगुन खुद उत्तेजित होने लगी थी,,, उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन कर भी क्या सकती थी सामने के गरमा-गरम दृश्य को देखकर ऊसके पाव वही जम गए थे,, कुछ देर तक सोनू अपनी मां की पेंटी को,, अपने लंड पर रगड़ता रहा,,, फिर उस पेंटिं को अपनी मां के साड़ी के नीचे टांग दिया और दूसरों कपड़ों को रस्सी पर टांगने लगा,,, तभी उसे अपनी बहन की पेंटी नजर आई उसे उठाकर हाथ में लेकर उसे भी इधर-उधर घुमा कर देखने लगा रघु के हाथों में एक और पेंटिं को देखकर शगुन सन्न रह गई,, अच्छी तरह से पहचानती थी कि सोनू के हाथ में,, जो पेंटी है वह उसकी खुद की है,,, यह देखते ही शगुन के दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी उसे यकीन था कि वह उसकी पैंटी को भी अपने पजामे में डालेगा और उसके सोचने के मुताबिक वैसा ही हुआ सोनू अपनी बहन की पेंटी को भी अपने पजामे में डाल कर उसे कुछ देर तक अपने खड़े लंड पर रगड़ता रहा,,, शगुन का दिमाग काम नहीं कर रहा था वह छत पर अपने भाई से बात करने के लिए आई थी की उसके और उसकी मां के बीच क्या चल रहा है लेकिन उसके खुद के होश उड़ चुके थे अपने भाई की हरकत को देखकर वह कुछ बोलने लायक नहीं थी बस देख रही थी और उसका भाई था कि एकदम बेशर्मी की तरह रिश्तेदारों को एक तरफ रख कर अपनी ही मां बहन की पेंटिं को अपने लंड से रगड रहा था,,। कुछ देर तक अपनी बहन की भी पेंटिं के साथ खेलने के बाद वह उसे भी अपनी बहन के कपड़े के नीचे टांग दिया,,, और अपनी बहन के कपड़ों पर अपने गाल को रगडने लगा,,,,,, मानो जैसेउस कपड़े में उसकी बहन का खूबसूरत जिस्म हो,,,,,
अपनी मां और अपनी बड़ी बहन की ब्रा को भी उसी तरह से वह रख चुका था,,, लेकिन ब्रा के साथ वह किसी भी प्रकार की हरकत नहीं किया था,, मानो जैसे उसे अपनी मां बहन की चूचियों से नहीं बल्कि अपनी मां बहन की गांड और उसकी बुर से मतलब हो,,,,

सोनू कपड़ों को टांग चुका था इसलिए ज्यादा देर तक यहां रुकना ठीक नहीं था और शगुन वैसे ही दबे पांव वापस अपने कमरे में आ गई,,, शगुन दरवाजा बंद करके बिस्तर पर बैठ गई,, और जो कुछ भी अपनी आंखों से देखेी उसके बारे में सोचने लगी,,, उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है दरअसल वो यकीन नहीं कर पा रही थी अपनी मां और अपने भाई की हरकत को देख कर,,, अपने आप से सवाल कर रही थी क्या सच में उसकी मां और उसका भाई एक दूसरे के प्रति आकर्षित हुए जा रहे हैं,,,लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है एक मां और बेटे के बीच में इस तरह का रिश्ता,,, नहीं-नहीं ऐसा सोच भी नहीं सकती,,, शगुन अपने मन में यह सब विचार करके खुद ही इसे मानने से इंकार कर रही थी,,,, लेकिन तभी उसे अपनी और अपनी बाप के बीच बढ़ रहे आकर्षण के बारे में ख्याल आया और अपने मन में सोचने लगी,,, हो कैसे नहीं सकता हैवह भी तो अपने पापा की प्रति आकर्षित हुए जा रही है रात दिन अपने पापा के लंड के बारे में सोचती रहती है,,, और वह खुद क्यो,,, उसके पापा भी तो उसको देखकर मस्त होते हैं,,, उसके नंगे पन के एहसास से उनके चेहरे पर बदलते भाव को अच्छी तरह से पहचानती थी,,, वह भी तो मेरी नंगी गांड को देखकर कैसे मस्त हो गए थे,,,। यह सब सोचकर उसे लगने लगा कि आपसी रिश्तो में भी आकर्षण होता है,,,, उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस होने लगी,,,, उसके बदन में भी खुमारी चढने लगी,,, और देखते ही देखतेवह अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर एकदम नंगी हो गई और अपनी दोनों टांगों को फैला कर नरम नरम तकिए को अपनी मुलायम बुर के गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ना शुरू कर दी और तब तक रगडती रही जब तक कि उसका पानी नहीं निकल गया,,।
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है आग तीनो तरफ लगी है बस चिंगारी की जरूरत है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,820
19,441
158
शगुन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी सब कुछ हैरान कर देने वाला था अपने भाई और अपनी मां के बीच इस तरह से एक दूसरे को उत्तेजित करने वाली क्रिया को देख कर उसे अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी मां और अपने भाई के बीच के इस उत्तेजनात्मक क्रीया को लेकर उत्सुकता के साथ साथ मादकता और आकर्षण का भी एहसास हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब मम्मी भाई को रिझाने के लिए कपड़े धोने के बहाने मशीन खराब होने का बहाना करके बाथरूम में उसके साथ उत्तेजना भरा मटरगश्ती कर सकती हैं उसे रिझाने के लिए अपने बदन पर पानी डालकर अपने अंगों को दिखा सकती है तो वह क्यों नहीं कर सकती,,, जिस तरह का तंबू उसने अपने भाई के पजामे में देखी थी उसे देखकर इतना तो वह समझ गई थी कि मां की बस मस्त जवानी देखकर उसका आकर्षण देगा तो उसका भाई पागल हो चुका था तभी तो उसका मूड खराब हो गया था वरना आकर के मन में मां को लेकर गंदी विचार ना होते तो उसका लंड खड़ा नहीं होता और वह छत पर कपड़े सूखाने के बहाने मम्मी और उसकी खुद की पेंटिं अपने लंड पर ना रगडता ,,, यह सब सोचकर शगुन की हालत खराब होने लगी थी और बार बार उसकी पैंटी गीली होती जा रही थी,,,

दूसरे दिन शगुन सिर्फ चेक करने के लिए वॉशिंग मशीन चालू की तो वहां चालू हो गया था बिना किसी रूकावट के वह तुरंत वाशिंग मशीन बंद कर दी और सारा माजरा समझ में आ गया था,,,अब से पक्का यकीन हो गया था कि उसकी मां और आपके भाई के बीच कुछ चल जरूर रहा है जैसा कि उसके खुद के और ऊसके पापा के बीच चल रहा था,,,
अब वह अपनी मां और अपने भाई पर बराबर ध्यान देने लगी थी उनकी हर एक हरकतों को बारीकी से निरीक्षण करती थी,,, शगुन अपनी आंखें हमेशा खुली रखने लगी थी जब भी उसकी मां और भाई एक साथ होते तो वह दोनों को उनकी हरकतों को देखती रहती थी,,। सोनू की नजर उसे हमेशा अपनी मां की गांड पर उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर घूमती नजर आती थी,,, यह देख कर उसे भी उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,, अपनी मां पर भी नजर रखने पर उसे पता चला कि उसकी मां भी कोई ना कोई बहाना उसेअपना खूबसूरत बदन दिखाने की भरपूर कोशिश करती थी हालांकि वह अपने कपड़ों को उतारकर नंगी होकर अपने अंगों को नहीं दिखा पाती थी,,,लेकिन फिर भी कभी अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी भरपूर चुचियों की गहरी दरार दिखाकर तो कभी झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड भले ही वह साड़ी के अंदर कैद रहती थी लेकिन फिर भी अपना पूरा असर दिखाती थी,,,यह देखकर उसका भाई जिस तरह से उत्तेजित होता था उसे देखकर सगुन की हालत खराब हो जाती थी,,,। कुछ दिन पहले ही अपनी सहेली से उसे इस बात का पता चला था कि लड़की ने जिस तरह से अपने आप को शांत करने के लिए अपनी बुर में उंगली डालकर अपना पानी निकालती है उसी तरह से जब लड़कों का मन करता है उनका लंड खड़ा हो जाता है तो वो अपने हाथ से हिला कर अपने लंड का पानी निकाल देते हैं,,,,, और अपने भाई के पजामे में बने तंबू को देखकर शगुन को इस बात का एहसास था कि उसके भाई का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, अपने आप को शांत करने के लिए अपने हाथ से ही हीलाता होगा जैसा कि वह खुद जब गर्म हो जाती है तो उसे अपनी उंगली को अपनी बुर में डालना ही पड़ता है,,, यही सोचकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी,,,और फिर वह अपने पापा के बारे में सोचने लगी कि उसके पापा भी तो उसे देखकर उत्तेजित हो जाते हैं उनका भी तो खड़ा हो जाता है,,,,,उसे पूरा विश्वास था कि उसके पापा का खड़ा हो जाने के बाद वह अपने हाथ से हिला कर अपना पानी नहीं निकालते होंगे,, क्योंकि उनके पास दुनिया की सबसे खूबसूरत और जो थी उनकी बीवी मतलब जिसकी खूबसूरत रोटी जैसी फुली हुई बुर में लंड डालकर अपनी सारी गर्मी निकाल देते होंगे,,,।

सगुन अपने कमरे में बैठकर यही सब सोच रही थी,,, उसका दिमाग खराब हो रहा था यह सोच कर कि क्या उसका भाई अपनी सगी मां को चोदना चाहता है और क्या उसकी मां खुद अपने बेटे से चुदवाना चाहती है,,, दोनों की हरकतें देखकर तो ऐसा ही लग रहा था,,,, सगुन यही सोच रही थी कि अगर मौका मिले तो उसका भाई मां की चुदाई करने से पीछे नहीं देगा और उसकी मां की मौके का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगी,,,यह सब सोचते ही सब उनको तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, यह सब विचार मन में लाकर वह अपने आप को धिक्कारती भी थी,,, लेकिन ना जाने क्यों इस तरह के विचार उसके तन बदन में अजीब सा सुकून पैदा करते थे,,,। इस तरह के गंदे विचारों से अपना ध्यान हटाने के लिए वह पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी,,,।


दूसरी तरफ हॉस्पिटल में रुबी का बढ़ता हुआ वर्चस्व देखकर संजना से रहा नहीं जा रहा था,,, वह बार-बार इस बारे में संजय से बात भी कर चुकी थी लेकिन संजय इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि संजय को क्या चाहिए और किस लिए रुबी को ज्यादा वर्चस्व दे रहा है,,,। इसलिए 1 दिन दोपहर में जब पेशेंट कीआवाजाही बिल्कुल भी नहीं थी तब संजना सीधे संजय के केबिन में चली गई संजय किसी फाइल को देख रहा था,,,, वह फाइलों की अलमारी के लग खड़ा था,,, और फाइल देख रहा था,,,।


क्या बात है सर आजकल रूबी पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे हैं,,, रूबी मुझसे ज्यादा मजा देती है क्या,,,?


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,(एक नजर संजना पर डाल कर वापिस फाइल को देखते हुए बोला)


नहीं लगता है कि मेरी जवानी अब आपको कम पड़ने लगी है,,,


नहीं सर ऐसी कोई भी बात नहीं है वह तो इसलिए कि तुम पर काम का बहुत ज्यादा रहता है,,, तुम्हारा काम का बोझ कम हो जाए इसके लिए,,,


और इसीलिए आप सारा बोझ अपने नीचे लेने लगे हैं,,,।

( संजना के कहने का मतलब को संजय अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए बोला कुछ नहीं,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला)

संजना मेरे लिए तुम आज भी वैसी हो जैसा कि इस हॉस्पिटल को शुरू करते समय थी तुम्हारे बिना मैं यह हॉस्पिटल को ऊंचाई तक नहीं ले जा सकता था,,


तो फिर अब भेदभाव क्यों,,, रूबी एकदम जवान है इसलिए एक बात समझ लीजिए संजय सर,,, उम्र मायने नहीं रखती तजुर्बा मायने रखता है,,,और जिस काम के लिए आप रूपी को इतना महत्व दे रहे हैं उसका हमने मेरा तजुर्बा कुछ ज्यादा ही है देखना चाहते हैं,,,,
(संजय कुछ बोल पाता इससे पहले ही संजना,,, उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और तुरंत संजय की पेंट कीजिए संजय कुछ समझ पाता इससे पहले संजना पेंट की जीप के अंदर अपनी तो उंगली डालकर टटोल ते हुए संजय की अंडरवियर के आगे वाले छेद में से अपनी दोनों उंगलियों को डाल कर उसके अधखडे लंड को बाहर निकाल ली,,,और उसे अपनी मुट्ठी में भरकर हल्के हल्के हीलाते हुए संजय की आंखों में देखने लगी पलभर में ही संजय की आंखो में खुमारी छाने लगी,.,,, देखते ही देखते मानो पिचके हुए गुब्बारे में हवा भरने लगी हो इस तरह से संजय का मुरझाया लंड खिलने लगा था,,और देखते ही देखते हैं कब वह पूरी अपनी औकात में आ गया यह संजय को भी पता नहीं चला,,,लेकिन संजना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि संजय किस तरह से और कैसे उत्तेजित होता है और अपनी औकात पर आता है,,, क्योंकि बरसों से ही वह संजय के साथ इस तरह का खेल खेलते आ रही थी,,, संजय कुछ बोल नहीं पा रहा था काफी दिन हो गए थे समझे ना के साथ पल बिताए हुए,,, संजना‌अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी,,, क्योंकि संजय का लंड अपनी औकात दिखा रहा था,,, संजना संजय की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी जीत के छोर से वह संजय के खड़े लंड के छोटे से छेद को चाटना शुरू कर दी,,,, संजना की यह हरकत संजय की हालत खराब कर देती थी,,, संजना के हाथों और उसकी जीभ का जादू संजय के लंड के ऊपर अब भी बरकरार था,,,संजना की हरकत की वजह से सन से पूरी तरह से उत्तेजित होने लगा उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, वह अपनी जीभ को नुकीली करके संजय के छेद पर कब आने लगी जिससे उसके लंड का छेद हल्का-हल्का खुलने लगा,,,, एहसास संजय को हवा में लिए उड़ रहा था,,,, अभी तो संजना ने सिर्फ संजय के लंड को जीभ से चाटना भर शुरू की थी,,,, तो भी संजय का बुरा हाल था,,,

देखते ही देखते समझना संजय को पर बिजलियां गिराते हुए उसके लंड के सुपाड़े को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,,,,आहहहहहहहह,,, की गरम सिसकारी संजय के मुंह से फुट पड़ी,,, संजय कमजोर पड़ता जा रहा था संजना की हरकत की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,। थोड़ी देर तक संजना संजय के लंड के सुपाड़े को बेकरी के क्रीम कि तरह मुंह में भर कर उसके स्वाद का मजा लेती रही,,

सससहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहहह,,,,,,संजय कीमत भरी आवाज एक बार फिर से संजना के कानों में पड़ी जो कि संजना को इस बात का एहसास दिला रही थी कि उसकी हरकत संजय को उसके सामने घुटनों के बल बैठने पर मजबूर कर रही है,,,, संजना अब संजय के पूरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,।वह संजय कैलेंडर को पूरा का पूरा मुंह में लेकर उसे चूसने का मजा ले रही थी और संजय को दे रही थी और अपने दोनों हाथों से संजय के पेंट की बटन खोलने लगी और अगले ही पल वह संजय की पेंट के बटन को खोल कर उसे नीचे खींच कर उसके घुटनों से नीचे ला दी,,,, संजय के लंड कि वह हमेशा से दीवानी रही थी उसे पूरा यकीन था कि उसके बीवी के बाद संजय के ऊपर उसका पूरा हक है लेकिन कुछ दिनों से रूबी के ऊपर संजय ज्यादा ध्यान दे रहा था जो कि संजना से देखा नहीं जा रहा था और इस कार्य में संजना ने संजय से बात भी की थी लेकिन संजय इसका जवाब नहीं दे पा रहा था बस बात को टाल रहा था रूबी की तरफ बढ़ते झुकाव संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि किस वजह से है,,, रूबी एकदम जवान लड़की की जवानी की दहलीज पर कदम रख कर इस मुकाम पर पहुंची थी,,, और संजय की सबसे बड़ी कमजोरी थी जवान खूबसूरत कसी हुई बुर जो कि रूबी के पास बखूबी थी,,, संजना किसी भी तरह से संजय का ध्यान रूबी पर से अपने ऊपर लाना चाहती थी इसलिए वह आज संजय के केबिन में उसे स्वर्ग का सुख दे रही थी,,,,

संजना अपने आप ही संजय के समूचे लंड को अपने गले तक उतार कर मजे ले रही थी और अपनी उंगलियों का जादू उसके लंड के नीचे के गोटियो को पकड़कर चला रही थी,,,,,, संजय को संजना की हर एक हरकत कामुकता से भरी हुई लग रही थी उसे स्वर्ग का सुख नहीं रहा था मानो जैसे वह हवा में उड़ रहा हो,,,,,

सजना की स्कर्ट पहनी हुई थी काले रंग की स्कर्ट में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था संजय के लैंड को मुंह में लेकर चूसते हुए वहां अपने दोनों हाथों से अपनी स्कर्ट को बैठे बैठे अपनी कमर तक उठा दी थी,,। लाल रंग की पैंटी में वह अपना हाथ डालकर अपनी गुलाबी बुर की पंखुड़ियों को मसल रही थी,,,। संजय को संजय की यह हरकत पागल बना रही थी संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है इसलिए वह घुटनों के बल से खड़ी हुई और उसी तरह से झुके हुए ही वह संजय के लंड को मुंह में ही रह गई,,, संजय के एक हाथ दूरी पर संजना की गोरी गोरी गांड नजर आ रही थी और संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है,,,और संजना के सोचने के मुताबिक संजय अपना हाथ आगे बढ़ाकर संजना की गांड को एक हाथ से पकड़ कर उसे दबाने लगा,,,, और उस पर चपत लगाने लगा,,,, कुछ देर तक यह खेल ऐसे ही चलता रहा,,। संजना भी काफी गर्म हो चुकी थी उसे भी अपनी बुर के अंदर संजय के लंड को लेने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,। इसलिए वह संजय के लंड को मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हुई,,,।इतना मोटा तगड़ा लंड मुंह में लेने की वजह से उसकी सांसे भारी चल रही थी,,


कैसा लगा,,,,?(मादक अदाओं से संजय की तरफ देखते हुए बोली)


बहुत अच्छा संजना,,,


क्या रूबी इतना मजा देती है,,,
(संजय संजना के सवाल का जवाब नहीं दे पाया,,, लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि संजना के जैसा मजा रुबी नहीं दे पाती थी,,, वह सिर्फ इतना ही बोला।)


तुम बहुत अच्छी हो संजना,,,,,,


तो फिर मेरे पर क्यों काट रहे हैं,,,,(संजना उत्तेजना आत्मक तरीके से अपनी पेंटी में हाथ डालते हुए बोली यह देख कर संजय की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,)

मैं कहां पर काट रहा हूं संजना,,,,


लगता तो ऐसा ही है रुबी मेरी बात नहीं मानती,,,


मानेगी संजना मानेगी,,,, मैं आज ही उसे बुलाकर अपने सीनियर से इजाजत लेने की कहुंगा,,,(इतना सुनते ही संजना के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे,,,) अब मुझसे रहा नहीं जाता मेरी जान,,,,
(और इतना कहने के साथ ही,,, संजय उतावलापन दिखाते हुएसंजना को पकड़कर उसे टेबल पर चुका दिया तो उसकी पेंट को खींच कर नीचे घुटनों तक कर दिया,,, सजना की गोरी गोरी गांड देखकर और उसकी गुलाबी छेद को देखकर संजय पागल हो गया और अगले ही पल अपने खड़े लंड को संजना की गुलाबी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीया संजना खुश नजर आ रही थी संजय लगातार टेबल पर संजना को झुका कर उसकी चुदाई कर रहा था और तभी सहज रूप से दरवाजा खुला और अंदर का नजारा देखकर शगुन की हालत खराब हो गई उसके हाथ पैर सुन्न हो गए वह उस नजारे को देखती ही रह गई,,,

शगुन यहां से गुजर रही थी तो सोची हॉस्पिटल से होकर घर जाएंगी और इसीलिए,, वह हॉस्पिटल में अपने पापा के केबिन में उनसे मिलने आई थी लेकिन यहां का नजारा ही कुछ और था शगुन ज्यादा से ज्यादा 15 सेकंड तक इस नजारे को देखती रही और इस 15 सेकंड में उसने सब कुछ देख ली,,, उसके पापा और संजना चुदाई में इतने मजबूर हो गए थे कि दरवाजा खुलने का उन्हें अहसास तक नहीं हुआ,,, और शगुन दरवाजे को फिर से बंद करके वहां से वापस लौट गई,,,,।
Excellent update
Damkedar chudai ho rahi h Sanjay aur sanjna me sagun ko dikha diya ab to sagun ki bhi chudai karwa do
 
  • Like
Reactions: rohnny4545

Sanju@

Well-Known Member
4,820
19,441
158
आज शगुन अपने पापा का एक नया रूप देख रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था वह शत-प्रतिशत सत्य था,,,, अपनी ही सेक्रेटरी के साथ चुदाई का खेल खेल रहे अपने पापा को देखकर से कम इतना तो समझ गई थी कि इसके पापा रंगीन मिजाज के हैं,,,, लेकिन वह यह सोच में पड़ गई कि इतनी खूबसूरत सुंदर सेक्सी बीवी होने के बावजूद भी उसके पापा दूसरी औरतों के साथ इस तरह के संबंध क्यों बनाते हैं,,, इसका जवाब शगुन को खुद ही मिल गया था धीरे-धीरे वह मर्दों की फितरत से वाकिफ होने लगी थी वह समझने लगी थी कि हर औरत को देखकर मर्द का खड़ा हो जाता है,,।

जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे शगुन की बुर कुछ ज्यादा ही फुदकने लगी थी,,, आखिरकार इसमें उसका बिल्कुल भी दोस्त नहीं था यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है और वह भी वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और तो और अपनी आंखों से अपनी मां बाप के साथ साथ अपने बाप और अपने बाप की सेक्रेटरी के बीच चुदाई का गरमा गरम खेल जो देख चुकी थी,, इसलिए तो उसके बदन की गर्मी उसे और ज्यादा परेशान कर रही थी,,।


ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह,,, शगुन उठी,,,वह बिस्तर में एकदम नंगी सोई हुई थी,,, उठकर वह तुरंत फ्रॉक पहन ली,,, ना तो वह फ्रॉक के नीचे ब्रा पहनी और ना ही पेंटिं,,, फ्रॉक के नीचे में पूरी तरह से नंगी थी और वो भी फ्रॉक इतनी छोटी की,,,, बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों का घेराव उससे छुप पा रहा था,,‍ लेकिन शगुन इस कपड़े में अपने आप को बेहद सहज महसूस कर रही थी,,, आज उसका टेस्ट था जिसकी तैयारी करना बहुत जरूरी था,,, टेस्ट दोपहर से शुरू होने वाले थे,, उसके पास अभी भी काफी समय था इसलिए वह वैसे ही बिना फ्रेश हुए बिस्तर पर किताब खोल कर बैठ गई और पढ़ने लगी,,।

उसे एक चैप्टर समझ में नहीं आ रहा था,,, अपने कमरे से बाहर आई और सीढ़ियों पर खड़ी होकर नीचे डाइनिंग टेबल की तरफ नजर घुमाई जहां पर उसके पापा नाश्ता कर रहे थे उन्हें देखते ही शगुन बोली,,,।


पापा आज मेरा टेस्ट है,,, और मुझे चैप्टर समझ में नहीं आ रहा है आप आकर समझा देते तो अच्छा होता,,,


ठीक है मैं अभी नाश्ता करके आता हूं,,,(संजय एक ही नजर में सीढ़ीयों के पास खड़ी शगुन के खूबसूरत बदन का जायजा ले लिया,,, छोटे से फ्रॉक में उसकी चिकनी मांसल जांघें साफ नजर आ रही थी जिसे देखते ही संजय के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,। संजय नाश्ता करते हुए हैं शगुन को जाते हुए देखने लगा छोटे से फ्रॉक में उसकी गोलाकार गांड बहुत खूबसूरत लग रही थी,,, शगुन वापस अपने कमरे में चली गई,, और वापस जाकर बिस्तर पर बैठ गई पन्नों को इधर-उधर पलटते हुए वह टेस्ट के बारे में ही सोच रही थी,,,, उसके दिमाग में अभी ऐसा कुछ भी नहीं था,,,

दूसरी तरफ संजय नाश्ता करके तुरंत सीढ़ीयो के रास्ते ऊपर जाने लगा,,, शगुन के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था संजय दरवाजे पर खड़ा होकर पहले बिस्तर पर बैठी शगुन को देखने लगा,, उसकी चिकनी जांघें उसकी नंगी टांगे बड़े आराम से नजर आ रही थी,,, जिसे देख कर संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, दरवाजे पर खड़े अपने पापा को देखकर शगुन बोली,,।


आओ ना पापा यह वाला चैप्टर मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है,,,,


कोई बात नहीं मैं अभी समझा देता हूं,,,(इतना कहकर संजय कमरे के अंदर प्रवेश किया और एहतियात के रूप में दरवाजे को बंद कर दिया लेकिन लोक नहीं किया,,, संजय भी बिस्तर पर बैठ गया था,,,,, संचय उसे उस चैप्टर के बारे में समझाने लगा,,, संजय की नजर अपनी बेटी की चिकनी टांगों पर घूम रही थी और उसकी चिकनी टांग को देखकर संजय का मन फिसल रहा था,,,। संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी देख कर संजय की पेंट में गुबार उठ रहा था,। सगुन अपने पापा के प्रति पूरी तरह से आकर्षित थी लेकिन ऐसे में इसका पूरा ध्यान से कुछ एक्टर को समझने में लगा हुआ था उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि जाने-अनजाने में उसकी चिकनी नंगी टांग को उसके पापा प्यासी नजरों से देख रहे हैं,,।

उत्तेजना रहित होने के बावजूद भी संजय बड़े अच्छे से शकुन कोर्स चैप्टर के बारे में समझा रहा था ताकि टेस्ट में उसके मार्क कम ना आवे,,,,थोड़ी ही देर में संजय अच्छी तरह से सगुन को उस चैप्टर के बारे में समझा दिया,,,, उसका समय हो रहा था इसलिए वह बोला,,,।


अच्छी तरह से समझ ली हो ना,,,


हां,,, पापा,,,


कोई दिक्कत तो नहीं है ना,,,।


नहीं कोई भी दिक्कत नहीं है,,,,


ठीक है मेरा समय हो रहा है मैं चलता हूं,,,, (इतना कहकर संजय बिस्तर पर से उठ गया लेकिन जैसे ही वहशगुन की दोनों टांगों के बीच रखी हुई किताब पर से अपनी नजर हटाने वाला था कि तभी उसकी नजर ऐसी खास जगह पर पहुंच गई जिसे देखते ही वो एकदम से सन्न रह गया,,,उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,। अपनी बेटी की बुर देख कर संजय की आंखों में चमक आ गई थी,,, संजय ललचाए आंखों से अपनी बेटी की बुर को देख रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे जिंदगी में उसने इस तरह की खूबसूरत बुर को कभी नहीं देखा है हालांकि वो अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी बुर के दर्शन कर चुका था और भोग भी चुका था लेकिन शायद अपनी बेटी की बुर को देखना उसके लिए सबसे अध्भुत नजारा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,

शगुन को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी बुर दिखाई दे रही है वह तो अपना पूरा ध्यान चैप्टर को समझने में लगाई हुई थी,,,, पर संजय अपना पूरा ध्यान अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच लगाया हुआ था,,,संजय अपने मन में अपनी बेटी की बुर को देखकर नहीं सोच रहा था कि वाकई में उसकी बेटी की बुर कितनी खूबसूरत है,,, एकदम चिकनी बालों का नामोनिशान नहीं था संजय इतना समझ गया था कि उसकी बेटी रोज क्रीम लगाकर साफ करती है तभी तो उसकी बुर ईतनी चिकनी है,,, एक दम दाग रहीत ,,,
संजय को अपनी बेटी की बुर के रूप में केवल एक पतली दरार ही नजर आ रही थी,,, एकदम अनछुई,,, इस अद्भुत नजारे को देख कर संजय के मुंह में पानी आ गया,,, साथ ही उसके लंड में भी,,,,जो कि इस बेहद खूबसूरत नजारे को देखकर धीरे-धीरे अपनी औकात में आ रहा था,,,
संजय की हालत खराब हो रही थी अपनी बेटी की रसीली बुर को देखकर वह यह भी भूल गया कि वह किसी गैर लड़की की नहीं बल्कि अपनी ही बेटी की बुर को देख रहा है,,,, संजय का मन शगुन की बुर में अपना लंड डालने को कर रहा था,,, क्योंकि शगुन की दोनों टांगों के बीच का अद्भुत नजारा संजय के दिलो-दिमाग पर छा चुका था,,,।
संजय अपनी बेटी की बुर को छुना चाहता था,, उसे अपनी हथेली में दबाना चाहता था,,, लेकिन इतनी हिम्मत अभी उसमे नहीं थी,,, तभी चैप्टर को समझ रही शगुन का ध्यान अब तक खड़े अपने पापा पर गया तो वह अपने पापा की तरफ देखते हुए बोली,,,।

पापा ,,, आप अभी तक,,,,, यहां,,,,,,,,(इतना कहना था कि,, शगुन अपने पापा की तरफ देखी और उनकी नजर के सिधान की दिशा को जैसे ही समझी वह पूरी तरह से चौक गई,,, वह झटके से अपने पापा की तरफ और फिर अपनी दोनों टांगों की तरफ देखकर स्तब्ध रह गई उसे अब जाकर इस बात का आभास हुआ कि दोनों पानी फैलाने की वजह से उसकी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी,,, यह देखते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,,,, सगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, क्योंकि उसके पापा उसकी बुर को खा जाने वाली नजर से देख रहे थे,,, सगुन को अपने पापा की आंखों वासना साफ नजर आ रही थी,,, सगुन अपने पापा की नजरों को देखकर साफ समझ रही थी कि,, उसके पापा उसे चोदने वाली नजर से देख रही थी और यह ख्याल इस बात का आभास शगुन को होते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,,
ना जाने क्यों शर्मसार होने के बावजूद भी कुछ देर तक शगुन जानबूझकर अपनी बुर को अपने पापा को देखने का मौका दे रही थी और संजय भी इस मौके का पूरा फायदा उठा रहा था,,, लेकिन देखते ही देखते उसके पैंट में अच्छा खासा तंबू बन चुका था,,, और अपने पापा के पेंट में बने तंबू पर सगुन की नजर जा चुकी थी,,,यह नजारा शगुन के लिए भी बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ था क्योंकि शगुन इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,, उसके पापा का लंड उसकी बुर को देखकर ही खड़ा हुआ है,,,,,, लेकिन अब इस नजारे पर परदा डालना बेहद जरूरी हो चुका था ,,,क्योंकि काफी समय हो चुका था और उसकी मम्मी किसी भी समय कमरे में आ सकती थी,,, इसलिए शगुन अपने कपड़ों के साथ-साथ खुद को ठीक तरह से कर ली,,, अब संजय के लिए भी ज्यादा देर तक वहां खड़ा रहना ठीक नहीं था लेकिन जाते जाते दोनों की नजरें एक दूसरे से टकरा गई दोनों की आंखों में एक दूसरे को पाने की ललक और उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,,, लेकिन शगुन अपने पापा की आंखों में एक अद्भुत चमक देखकर शरमा गई और अपनी नजरों को शर्मा कर नीचे कर ली,,, संजय कमरे से बाहर जा चुका था,,, लेकिन उसके तन बदन में शगुन ने अपनी जवानी से आग लगा चुकी थी,,,
अपने पापा के बाहर जाते ही,,, शगुन उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों टांगों के बीच अपना हाथ ले जाकर अपनी हथेली को जोर से अपनी बुर पर रगड़ ते हुए लंबी आह भरी और वापस टेस्ट की तैयारी करने लगी,,,।
कामुक और गरमागरम अपडेट है अब तो सगुण और संजय में चूदाई कर वा दो
 
Top