जरुरअच्छी कहानी। शगुन और संजय जरूर कोई लज़ीज़ गुनाह करने की फिराक में हैं। खुदा खैर करे
Ahjhhjjj beti..संजय सिंह जब अपने घर पहुंचा तो रात के 10:00 बज रहे थे,,,,, शगुन और सोनू दोनों खाना खाकर अपने अपने कमरे में जा चुके थे,,,, संध्या डाइनिंग टेबल पर खाना परोसने लगी,,, वह खाना खा चुकी थी क्योंकि पहले से ही उसकी आदत थी कि समय होते ही वह खाना खा लेती थी क्योंकि संजय का कोई ठिकाना नहीं रहता था कि वह कब वापस लौट आएगा इसलिए इंतजार करके कोई मतलब नहीं था,,,,, संध्या नाइट गाउन पहने हुए थी ,,,संजय फ्रेश होने के बाद तुरंत डाइनिंग टेबल पर आया और खाना खाने लगा,, साथ में जो वह बुक लाया था वह टेबल पर रख दिया था,,,, वह अपने हाथों से शगुन को वह बुक देना चाहता था इसलिए वह संध्या से बोला,,,।
संध्या तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो मैं थोड़ी देर में आता हूं,,,
ठीक है मैं जा रही हूं मुझे भी नींद आ रही है,,,(इतना कहकर संध्या कुर्सी पर से उठी और सीढ़ियां चढ़कर अपने कमरे की तरफ जाने लगी,,,खाना खाते खाते संजय की नजर सीढीया पर चढ रही संध्या पर पड़ी तो वह संध्या की मटकती हुई गांड को देखकर एक दम मस्त हो गया,,, एकदम बड़ी-बड़ी गांड की दोनों टांगों के बीच की गहराई में उसका नाइट गाउन फंसा हुआ था,,, उसे देखकर संजय का लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा,,, सीढ़ियों पर अपने कदम उठाकर रखते हुए उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकल जा रहा था जिसे देखकर संजय की हालत खराब होती जा रही थी ऐसा नहीं था कि वह पहले इस तरह का नजारा ना देखा हो लेकिन इस समय उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी और वह भी अपनी ही बेटी सगुन को लेकर,,,,,, जब जब उसके जेहन में शगुन को लेकर कोई भी ख्याल आता था तो उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगती थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच उसके लटकते हुए हथियार के अंदर,,,,, अपने बदन में अपनी बेटी को लेकर इस तरह के आए बदलाव को देखकर वह दंग रह जाता था और अपने आप से ग्लानी भी करता था,,, उसे अपने आप पर गुस्सा भी आता था कुछ देर के लिए अपने मन को एकदम शांत कर लेता था लेकिन फिर वही हाल हो जाता था,,,किसी जवान लड़की जो कि उसकी बेटी की हम उम्र हो उसे देखते ही उसके जीवन में एक बार फिर से शगुन की ही छवि उमडने लगती थी लाख कोशिश करने के बाद भी वह अपना नजरिया बदल नहीं पा रहा था,,,,, लेकिन एक बात को अपने अंदर जरूर महसूस करता था कि जब जब वह सब उनके बारे में सोचता था तोउसका लंड खड़ा होकर इतना जबरदस्त टाइट हो जाता था कि वैसा कभी भी नहीं हो पाता था,,,,
संध्या अपने कमरे में जा चुकी थी और संजय खाना खा चुका था,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था टेबल पर रखी बुक जो कि मेडिकल से संबंधित थे उसे उठाकर शगुन के कमरे की तरफ जाने लगा,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि इस समय अपनी बेटी के कमरे में जाना उचित होगा या नहीं,,, ना जाने वह क्या कर रही होगी पढ़ रही होगी या सो रही होगी इस बारे में वह बिल्कुल भी नहीं जानता था,,,,,,, वह अपने मन में यह सोच रहा था कि वह इस बुक को तो सुबह भी दे सकता है जरूरी तो नहीं कि इतनी रात को वहां अपनी बेटी के कमरे में जाकर अब्बू कर दे उसकी बेटी क्या समझेगी यह सब ख्यालात उसके मन में आ रहे थे और वह अपनी बेटी के कमरे में इस समय नहीं जाना चाहता था लेकिन,,, बार-बार शगुन का खूबसूरत जवान जिसमें उसकी आंखों के सामने नाच उठता था जिसके आकर्षण में वह पूरी तरह से मस्त होकर अपने कदमों को उसके कमरे के अंदर तक जाने के लिए रोक नहीं पा रहा था,,,और वैसे भी जिस तरह से आज वह अपने ऑफिस के अंदर अपनी ही बेटी के हम उम्र रूबी के मदमस्त यौवन का रसपान किया था उसे याद करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, यह सब सोचकर उसके पैंट में तंबू सा बन चुका था,,,, और वह धीरे-धीरे अपनी बेटी के कमरे के दरवाजे तक पहुंच गया,,,
दरवाजे के नीचे से हल्की हल्की रोशनी बाहर की तरफ आ रही थी जिसका मतलब साफ था कि अभी सगुन जाग रही है यह सोच कर संजय के चेहरे पर मुस्कान आ गई,,,, दरवाजा खुला हुआ था इसका एहसास उसे हो गया अब तो वह कमरे में जाने के लिए मचलने लगा क्योंकि वह जानता था कि जवान लड़कियां अपने कमरे में अस्त-व्यस्त हालत में रहती हैं छोटे कपड़ों में तो कभी बिना कपड़ों में,,, यही सोचकर उसका दिल जोर से धड़कने लगा वह अब पूरी तरह से बिना पूछे बिना दरवाजे पर दस्तक दी में दबे पांव कमरे में जाने के लिए तैयार था,,, संजय अपने मन में यह सोच रहा था कि ना जाने उसकी बेटी शगुन कमरे में किस हालत में होगी और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि काश शगुन अपने बिस्तर पर बिना कपड़ों के हो एकदम नंगी हो और वह उसके खूबसूरत जवान बदन को अपनी आंखों से देख सके,,,
और धड़कते दिल के साथ वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और दरवाजा अपने आप ही खुलता चला गया,,,, दरवाजे के खुलते ही संजय अपनी नजरों को कमरे के अंदर तक घुमाने लगा ट्यूबलाइट की सफेद रोशनी में पूरा कमरा जगमग आ रहा था ,,,, शगुन बिस्तर पर अस्त-व्यस्त हालत में तो नहीं लेकिन बिस्तर अस्त-व्यस्त हालत में था,,, बुक इधर-उधर बिखरे पड़े हुए थे,,, शगुन बिस्तर पर नहीं थी यह देखकर संजय थोड़ा सा हैरान हो गया और वह दबे पांव कमरे में दाखिल हो गया कि तभी उसे जो आवाज उसके कानों में सुनाई दी उसे सुनकर वह पूरी तरह से मदहोश हो गया उसे तसल्ली करने में बिल्कुल भी समय नहीं लगा कि वह आवाज जो उसके कानों में पढ़ रही है वह किस चीज से आ रही है,,,, उस मधुर आवाज को सुनकर संजय का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि वह आवाज ही इतनी मादक और मदहोश कर देने वाली थी कीसंजय की जगह अगर और कोई भी होता तो उस का भी यही हाल होता । वह सु मधुर मादक आवाज़ बाथरूम में से आ रही थी और वह भी वह मधुर संगीत किसी और चीज से नहीं बल्कि शगुन की मदमस्त अनछुई रसीली बुर से आ रही थी,,,, संजय को इस बात का पता चल गया था कि बाथरूम में उसकी बेटी शगुन मुत रही थी,,, और इस बात का एहसास पलक झपकते ही उसके लंड को पूरी तरह से खड़ा कर गया उसके पैंट में अच्छा-खासा तंबू बन चुका था,,,, लगातार बाथरूम के अंदर से आ रही बुर से सीटी की आवाज किसी बांसुरी की मधुर संगीत की तरह संजय को अपने आकर्षण में बांधती चली जा रही थी,,,। संजय अपने मन में सोच रहा था कि उसकी बेटी शगुन कितना मुत रही हैं,,,,, वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी अपना पजामा उतार कर और साथ में अपनी पेंटिं उतार कर और बाथरूम में बैठकर कैसे मुत रही होगी,,, इस तरह की कल्पना उसको पूरी तरह से मस्त कर दे रही थी अपनी बेटी के बारे में कल्पना करते हुए वह पैंट के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को दबाने लगा,,,,संजय मदहोश होकर अपनी आंखों को बंद कर चुका था और अपनी बेटी के ख्यालों में पूरी तरह से खो चुका था,,,, इतना खो चुका था कि उसे इस बात का पता भी नहीं चला कि,,, शगुन पेशाब कर चुकी है और वह किसी भी वक्त बाथरूम से बाहर आ सकती है,,,, और ऐसा ही हुआ शकुन पेशाब कर चुकी थी और वह तुरंत बाथरूम का दरवाजा खोलकर जैसे ही बाहर अपने कदम रखी वैसे ही उसकी नजर अपने पापा पर चली गई जोकी बाथरूम के एकदम बगल में खड़े होकर कुछ सोच रहे थे ,,,सगुन को ऐसा ही लगा लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपने पापा के हाथ पर पड़ी तो वह दंग रह गई क्योंकि उसके पापा का हाथ उसके लंड पर था जो कि वहां पेंट के ऊपर से ही पकड़े हुए था यह देखकर वह पूरी तरह से हैरान हो गए और वह एकाएक बोल पड़ी,,,।
ओहहह पापा आप,,,,(इतना सुनते ही संजय हड़बड़ाहट में अपनी आंख खोलकर जैसे ही बाथरूम की तरफ देखा तो उसकी बेटी शगुन खड़ी थी और वह भी कमर के नीचे एक पेंटी के सिवा उसने कुछ नहीं पहन रखी थी,,, अपनी बेटी का गोरा बदन और उसकी मोटी मोटी सूट और जांघों को देखकर संजय की आंखों में एकदम से चमक आ गई और वह हैरानी से अपनी बेटी के कमर के नीचे अर्ध नग्न बदन को देखते हुए बोला,,,।
सगुन,,,,,,,(वह इतना ही बोल पाया था कि शगुन तुरंत अपनी कमर के नीचे की तरफ देखी तो हुआ एकदम से हड़बड़ा कर अपने नंगे पन को छुपाने के लिए तुरंत बाथरूम में घुस गई और बाथरूम का दरवाजा फटाक से बंद कर दी,,,,बाथरूम के अंदर उसका बुरा हाल था उसकी सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी क्योंकि उसकी नजरों ने जो कुछ भी देखी थी वह उसके सोचकर बिल्कुल भी विरुद्ध था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उस समय उसके पापा उसके कमरे में आएंगे क्योंकि आज तक ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ था और वह जिस हालत में बाथरूम के बाहर कदम रखकर अपने पापा की स्थिति को देखी थी उस से वह काफी हैरान थी,,,, वह समझ गई थी कि उसके पापा को चलो इस बात का एहसास हो गया होगा कि वह बाथरूम के अंदर है और पेशाब कर रही हैं,,,क्योंकि बाथरूम के चारदीवारी के अंदर बैठकर पेशाब करके वह दुनिया की नजरों से तो बच सकती थी और अपने पापा के नजरों से भी लेकिन दूर से आ रही गजब की सीटी की आवाज को वह बाथरूम के चारदीवारी से बाहर जाने से भला कैसे रोक पाती और उसे इस बात का एहसास हो चुका था कि उसके पेशाब करते समय निकलने वाली सीटी की आवाज और उसके पापा के कानों में पहुंच चुकी थी तभी तो उसके पापा एकदम मस्त होकर अपना लंड पकड़े हुए खड़े थे,,, इस बात का ख्याल शगुन को आते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, बस इस बात का भी अच्छी तरह से पता था कि उसके कमर के नीचे के नंगे बदन पर उसके पापा की नजर पड़ गई थी वह थोड़ी घबराई हुई थी लेकिन जिस तरह का हादसा उसके साथ हुआ था उसके तन बदन में मदहोशी की उमंग फैलने लगी थी जिसके चलते उसके होठों पर मुस्कान आ गई थी और वह तुरंत बाथरूम में टंगी अपने पजामे को उतार कर तुरंत पहन ली और बाथरूम से बाहर आ गई तब तक उसके पापा बिस्तर पर बैठ चुके थे,,,, शगुन के बाहर आते ही बात करने का कोई भी बहाना ना देख कर संजय बोल पड़ा।
शगुन तुमने जो फोन करके मुझसे बुक मंगाई थी वह मैं ले आया हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजय अपने हाथ में लिए हुए बुक को वहीं बिस्तर पर रख दिया,,, शगुन भी धीरे-धीरे खत्म बढ़ाते हुए अपने पापा के पास गई और बिस्तर पर रखी हुई बुक उठाकर उसे पन्ना पलट कर देखते हुए जब पूरी तरह से संतुष्ट हो गई कि उसके द्वारा मंगाई गई बुक वही है तो वह मुस्कुरा कर बोली,,,)
थैंक्स पापा यह वही बुक है जो में आपसे मंगाई थी,,,
(संजय की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपने बेटी से नजरें मिलाकर बात कर सके बंद कर उधर देखता हुआ बोला)
शगुन दरवाजा तो बंद कर लेना चाहिए था,,,,।
जी पापा शायद जल्दबाजी में दरवाजा लॉक करना भूल गई,,,।(इतना कहते हुए वह भी बिस्तर पर बैठ गई,,, और जैसे ही संजय की नजर उसकी छातियों पर पड़ी वह एक बार फिर से मदहोश होने लगा,,,, क्योंकि संजय को साफ दिखाई दे रहा था कि इसलिए विलेज पतली सी कमीज के अंदर उसकी बेटी में ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे संतरे की तरह गोल गोल उसकी चूचियां पतले से कमीज के अंदर एकदम साफ साफ नजर आ रहे थे,,, और खास करके उसकी दोनों गोलाईयों का हल्का सा भाग भी नजर आ रहा था,,,, संजय का अप वहां बैठ पा ना बिल्कुल मुश्किल हुए जा रहा था,,,क्योंकि उसे इस बात का डर था कि उसकी बेटी की मदहोश कर देने वाली जवानी के आगे वह कहीं अपना आपा ना खोदे,,,, और इसलिए वह हड़बड़ाहट में बिस्तर पर से खड़ा हुआ और वहां से जाने लगा लेकिन वह यह बात भूल गया किउत्तेजना की वजह से उसके पेंट में अच्छा खासा तंबू सा बन गया है और वह जैसे ही खड़ा हुआ वह अपने तंबू को छिपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया वह पूरी तरह से भूल चुका था लेकिन सब उनकी नजर में उसके पेंट में बना तंबू पूरी कहां से आ चुका था और वह अपने पापा के पेंट में बने तंबू को देखती ही रह गई,,,
संजय बिना कुछ बोले शगुन के कमरे से बाहर जा चुका था और जाते-जाते एक बड़ा सा तूफान छोड़ गया था अपने अंदर भी और अपनी बेटी के अंदर भी,,,, शगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए लेकिन इस बात का एहसास हो से हो गया था कि उसके पापा उसे देखकर उत्तेजित हो चुके थे तभी तो उनके पेंट में अच्छा खासा तंबू बन गया था,,,, शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके कमरे से निकलकर उसके पापा अपने कमरे में जाकर उसकी मां की चुदाई जरूर करेंगे क्योंकि उनकी हालत देखकर यही लगता था कि वह पूरी तरह से उत्तेजित और चुदवासे हो चुके थे,,,, और यही देखने के लिए सगुन,,5 मिनट बाद अपने कमरे में से बाहर निकल गई और अपने पापा के कमरे की तरफ जाने लगी उसके मन में ना जाने क्यों इस तरह के ख्याल आ रहे थे कि उसके पापा जरूर उसकी मां को चोदेंगे और यह देखने के लिए उसका मन मचल रहा था,,, और वह थोड़ी ही देर मेंअपने पापा के कमरे के बाहर पहुंच गई और उसकी किस्मत अच्छी थी कि खिड़की भी हल्की सी खुली हुई थी खिड़की के अंदर झांक कर देखे तो अंदर ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, उसकी मां नींद में थी लेकिन फिर भी उसके पापा उसके गाउन को ऊपर तक उठाने लगे और देखते ही देखते उसे कमर तक उठा दिए यह देखकर सगुन उनके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,और उसकी आंखों के सामने ही उसके पापा उसकी मां के ऊपर चढ़ गए और उन्हें नींद में ही चोदना शुरु कर दिए,,, यह देख कर सगुन की हालत खराब होने लगी,,, उसकी बुर से भी पानी निकलने लगा और उसकी पैंटी गीली होने लगी,,,, सगुन से रहा नहीं गया और अपने कमरे में जाकर अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गई और अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी उंगली का सहारा लेकर अपनी गर्म जवानी की आग बुझाने लगी थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया वह नींद की आगोश में चली गई,,,।
Bahot behtareen shaandaar updateसंजय सिंह जब अपने घर पहुंचा तो रात के 10:00 बज रहे थे,,,,, शगुन और सोनू दोनों खाना खाकर अपने अपने कमरे में जा चुके थे,,,, संध्या डाइनिंग टेबल पर खाना परोसने लगी,,, वह खाना खा चुकी थी क्योंकि पहले से ही उसकी आदत थी कि समय होते ही वह खाना खा लेती थी क्योंकि संजय का कोई ठिकाना नहीं रहता था कि वह कब वापस लौट आएगा इसलिए इंतजार करके कोई मतलब नहीं था,,,,, संध्या नाइट गाउन पहने हुए थी ,,,संजय फ्रेश होने के बाद तुरंत डाइनिंग टेबल पर आया और खाना खाने लगा,, साथ में जो वह बुक लाया था वह टेबल पर रख दिया था,,,, वह अपने हाथों से शगुन को वह बुक देना चाहता था इसलिए वह संध्या से बोला,,,।
संध्या तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो मैं थोड़ी देर में आता हूं,,,
ठीक है मैं जा रही हूं मुझे भी नींद आ रही है,,,(इतना कहकर संध्या कुर्सी पर से उठी और सीढ़ियां चढ़कर अपने कमरे की तरफ जाने लगी,,,खाना खाते खाते संजय की नजर सीढीया पर चढ रही संध्या पर पड़ी तो वह संध्या की मटकती हुई गांड को देखकर एक दम मस्त हो गया,,, एकदम बड़ी-बड़ी गांड की दोनों टांगों के बीच की गहराई में उसका नाइट गाउन फंसा हुआ था,,, उसे देखकर संजय का लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा,,, सीढ़ियों पर अपने कदम उठाकर रखते हुए उसके नितंबों का घेराव कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकल जा रहा था जिसे देखकर संजय की हालत खराब होती जा रही थी ऐसा नहीं था कि वह पहले इस तरह का नजारा ना देखा हो लेकिन इस समय उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी और वह भी अपनी ही बेटी सगुन को लेकर,,,,,, जब जब उसके जेहन में शगुन को लेकर कोई भी ख्याल आता था तो उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगती थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच उसके लटकते हुए हथियार के अंदर,,,,, अपने बदन में अपनी बेटी को लेकर इस तरह के आए बदलाव को देखकर वह दंग रह जाता था और अपने आप से ग्लानी भी करता था,,, उसे अपने आप पर गुस्सा भी आता था कुछ देर के लिए अपने मन को एकदम शांत कर लेता था लेकिन फिर वही हाल हो जाता था,,,किसी जवान लड़की जो कि उसकी बेटी की हम उम्र हो उसे देखते ही उसके जीवन में एक बार फिर से शगुन की ही छवि उमडने लगती थी लाख कोशिश करने के बाद भी वह अपना नजरिया बदल नहीं पा रहा था,,,,, लेकिन एक बात को अपने अंदर जरूर महसूस करता था कि जब जब वह सब उनके बारे में सोचता था तोउसका लंड खड़ा होकर इतना जबरदस्त टाइट हो जाता था कि वैसा कभी भी नहीं हो पाता था,,,,
संध्या अपने कमरे में जा चुकी थी और संजय खाना खा चुका था,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था टेबल पर रखी बुक जो कि मेडिकल से संबंधित थे उसे उठाकर शगुन के कमरे की तरफ जाने लगा,,, वह अपने मन में यही सोच रहा था कि इस समय अपनी बेटी के कमरे में जाना उचित होगा या नहीं,,, ना जाने वह क्या कर रही होगी पढ़ रही होगी या सो रही होगी इस बारे में वह बिल्कुल भी नहीं जानता था,,,,,,, वह अपने मन में यह सोच रहा था कि वह इस बुक को तो सुबह भी दे सकता है जरूरी तो नहीं कि इतनी रात को वहां अपनी बेटी के कमरे में जाकर अब्बू कर दे उसकी बेटी क्या समझेगी यह सब ख्यालात उसके मन में आ रहे थे और वह अपनी बेटी के कमरे में इस समय नहीं जाना चाहता था लेकिन,,, बार-बार शगुन का खूबसूरत जवान जिसमें उसकी आंखों के सामने नाच उठता था जिसके आकर्षण में वह पूरी तरह से मस्त होकर अपने कदमों को उसके कमरे के अंदर तक जाने के लिए रोक नहीं पा रहा था,,,और वैसे भी जिस तरह से आज वह अपने ऑफिस के अंदर अपनी ही बेटी के हम उम्र रूबी के मदमस्त यौवन का रसपान किया था उसे याद करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, यह सब सोचकर उसके पैंट में तंबू सा बन चुका था,,,, और वह धीरे-धीरे अपनी बेटी के कमरे के दरवाजे तक पहुंच गया,,,
दरवाजे के नीचे से हल्की हल्की रोशनी बाहर की तरफ आ रही थी जिसका मतलब साफ था कि अभी सगुन जाग रही है यह सोच कर संजय के चेहरे पर मुस्कान आ गई,,,, दरवाजा खुला हुआ था इसका एहसास उसे हो गया अब तो वह कमरे में जाने के लिए मचलने लगा क्योंकि वह जानता था कि जवान लड़कियां अपने कमरे में अस्त-व्यस्त हालत में रहती हैं छोटे कपड़ों में तो कभी बिना कपड़ों में,,, यही सोचकर उसका दिल जोर से धड़कने लगा वह अब पूरी तरह से बिना पूछे बिना दरवाजे पर दस्तक दी में दबे पांव कमरे में जाने के लिए तैयार था,,, संजय अपने मन में यह सोच रहा था कि ना जाने उसकी बेटी शगुन कमरे में किस हालत में होगी और वह अपने मन में यही सोच रहा था कि काश शगुन अपने बिस्तर पर बिना कपड़ों के हो एकदम नंगी हो और वह उसके खूबसूरत जवान बदन को अपनी आंखों से देख सके,,,
और धड़कते दिल के साथ वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और दरवाजा अपने आप ही खुलता चला गया,,,, दरवाजे के खुलते ही संजय अपनी नजरों को कमरे के अंदर तक घुमाने लगा ट्यूबलाइट की सफेद रोशनी में पूरा कमरा जगमग आ रहा था ,,,, शगुन बिस्तर पर अस्त-व्यस्त हालत में तो नहीं लेकिन बिस्तर अस्त-व्यस्त हालत में था,,, बुक इधर-उधर बिखरे पड़े हुए थे,,, शगुन बिस्तर पर नहीं थी यह देखकर संजय थोड़ा सा हैरान हो गया और वह दबे पांव कमरे में दाखिल हो गया कि तभी उसे जो आवाज उसके कानों में सुनाई दी उसे सुनकर वह पूरी तरह से मदहोश हो गया उसे तसल्ली करने में बिल्कुल भी समय नहीं लगा कि वह आवाज जो उसके कानों में पढ़ रही है वह किस चीज से आ रही है,,,, उस मधुर आवाज को सुनकर संजय का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि वह आवाज ही इतनी मादक और मदहोश कर देने वाली थी कीसंजय की जगह अगर और कोई भी होता तो उस का भी यही हाल होता । वह सु मधुर मादक आवाज़ बाथरूम में से आ रही थी और वह भी वह मधुर संगीत किसी और चीज से नहीं बल्कि शगुन की मदमस्त अनछुई रसीली बुर से आ रही थी,,,, संजय को इस बात का पता चल गया था कि बाथरूम में उसकी बेटी शगुन मुत रही थी,,, और इस बात का एहसास पलक झपकते ही उसके लंड को पूरी तरह से खड़ा कर गया उसके पैंट में अच्छा-खासा तंबू बन चुका था,,,, लगातार बाथरूम के अंदर से आ रही बुर से सीटी की आवाज किसी बांसुरी की मधुर संगीत की तरह संजय को अपने आकर्षण में बांधती चली जा रही थी,,,। संजय अपने मन में सोच रहा था कि उसकी बेटी शगुन कितना मुत रही हैं,,,,, वह अपने मन में कल्पना करने लगा कि कैसे उसकी बेटी अपना पजामा उतार कर और साथ में अपनी पेंटिं उतार कर और बाथरूम में बैठकर कैसे मुत रही होगी,,, इस तरह की कल्पना उसको पूरी तरह से मस्त कर दे रही थी अपनी बेटी के बारे में कल्पना करते हुए वह पैंट के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को दबाने लगा,,,,संजय मदहोश होकर अपनी आंखों को बंद कर चुका था और अपनी बेटी के ख्यालों में पूरी तरह से खो चुका था,,,, इतना खो चुका था कि उसे इस बात का पता भी नहीं चला कि,,, शगुन पेशाब कर चुकी है और वह किसी भी वक्त बाथरूम से बाहर आ सकती है,,,, और ऐसा ही हुआ शकुन पेशाब कर चुकी थी और वह तुरंत बाथरूम का दरवाजा खोलकर जैसे ही बाहर अपने कदम रखी वैसे ही उसकी नजर अपने पापा पर चली गई जोकी बाथरूम के एकदम बगल में खड़े होकर कुछ सोच रहे थे ,,,सगुन को ऐसा ही लगा लेकिन जैसे ही उसकी नजर अपने पापा के हाथ पर पड़ी तो वह दंग रह गई क्योंकि उसके पापा का हाथ उसके लंड पर था जो कि वहां पेंट के ऊपर से ही पकड़े हुए था यह देखकर वह पूरी तरह से हैरान हो गए और वह एकाएक बोल पड़ी,,,।
ओहहह पापा आप,,,,(इतना सुनते ही संजय हड़बड़ाहट में अपनी आंख खोलकर जैसे ही बाथरूम की तरफ देखा तो उसकी बेटी शगुन खड़ी थी और वह भी कमर के नीचे एक पेंटी के सिवा उसने कुछ नहीं पहन रखी थी,,, अपनी बेटी का गोरा बदन और उसकी मोटी मोटी सूट और जांघों को देखकर संजय की आंखों में एकदम से चमक आ गई और वह हैरानी से अपनी बेटी के कमर के नीचे अर्ध नग्न बदन को देखते हुए बोला,,,।
सगुन,,,,,,,(वह इतना ही बोल पाया था कि शगुन तुरंत अपनी कमर के नीचे की तरफ देखी तो हुआ एकदम से हड़बड़ा कर अपने नंगे पन को छुपाने के लिए तुरंत बाथरूम में घुस गई और बाथरूम का दरवाजा फटाक से बंद कर दी,,,,बाथरूम के अंदर उसका बुरा हाल था उसकी सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी क्योंकि उसकी नजरों ने जो कुछ भी देखी थी वह उसके सोचकर बिल्कुल भी विरुद्ध था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उस समय उसके पापा उसके कमरे में आएंगे क्योंकि आज तक ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ था और वह जिस हालत में बाथरूम के बाहर कदम रखकर अपने पापा की स्थिति को देखी थी उस से वह काफी हैरान थी,,,, वह समझ गई थी कि उसके पापा को चलो इस बात का एहसास हो गया होगा कि वह बाथरूम के अंदर है और पेशाब कर रही हैं,,,क्योंकि बाथरूम के चारदीवारी के अंदर बैठकर पेशाब करके वह दुनिया की नजरों से तो बच सकती थी और अपने पापा के नजरों से भी लेकिन दूर से आ रही गजब की सीटी की आवाज को वह बाथरूम के चारदीवारी से बाहर जाने से भला कैसे रोक पाती और उसे इस बात का एहसास हो चुका था कि उसके पेशाब करते समय निकलने वाली सीटी की आवाज और उसके पापा के कानों में पहुंच चुकी थी तभी तो उसके पापा एकदम मस्त होकर अपना लंड पकड़े हुए खड़े थे,,, इस बात का ख्याल शगुन को आते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, बस इस बात का भी अच्छी तरह से पता था कि उसके कमर के नीचे के नंगे बदन पर उसके पापा की नजर पड़ गई थी वह थोड़ी घबराई हुई थी लेकिन जिस तरह का हादसा उसके साथ हुआ था उसके तन बदन में मदहोशी की उमंग फैलने लगी थी जिसके चलते उसके होठों पर मुस्कान आ गई थी और वह तुरंत बाथरूम में टंगी अपने पजामे को उतार कर तुरंत पहन ली और बाथरूम से बाहर आ गई तब तक उसके पापा बिस्तर पर बैठ चुके थे,,,, शगुन के बाहर आते ही बात करने का कोई भी बहाना ना देख कर संजय बोल पड़ा।
शगुन तुमने जो फोन करके मुझसे बुक मंगाई थी वह मैं ले आया हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही संजय अपने हाथ में लिए हुए बुक को वहीं बिस्तर पर रख दिया,,, शगुन भी धीरे-धीरे खत्म बढ़ाते हुए अपने पापा के पास गई और बिस्तर पर रखी हुई बुक उठाकर उसे पन्ना पलट कर देखते हुए जब पूरी तरह से संतुष्ट हो गई कि उसके द्वारा मंगाई गई बुक वही है तो वह मुस्कुरा कर बोली,,,)
थैंक्स पापा यह वही बुक है जो में आपसे मंगाई थी,,,
(संजय की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपने बेटी से नजरें मिलाकर बात कर सके बंद कर उधर देखता हुआ बोला)
शगुन दरवाजा तो बंद कर लेना चाहिए था,,,,।
जी पापा शायद जल्दबाजी में दरवाजा लॉक करना भूल गई,,,।(इतना कहते हुए वह भी बिस्तर पर बैठ गई,,, और जैसे ही संजय की नजर उसकी छातियों पर पड़ी वह एक बार फिर से मदहोश होने लगा,,,, क्योंकि संजय को साफ दिखाई दे रहा था कि इसलिए विलेज पतली सी कमीज के अंदर उसकी बेटी में ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे संतरे की तरह गोल गोल उसकी चूचियां पतले से कमीज के अंदर एकदम साफ साफ नजर आ रहे थे,,, और खास करके उसकी दोनों गोलाईयों का हल्का सा भाग भी नजर आ रहा था,,,, संजय का अप वहां बैठ पा ना बिल्कुल मुश्किल हुए जा रहा था,,,क्योंकि उसे इस बात का डर था कि उसकी बेटी की मदहोश कर देने वाली जवानी के आगे वह कहीं अपना आपा ना खोदे,,,, और इसलिए वह हड़बड़ाहट में बिस्तर पर से खड़ा हुआ और वहां से जाने लगा लेकिन वह यह बात भूल गया किउत्तेजना की वजह से उसके पेंट में अच्छा खासा तंबू सा बन गया है और वह जैसे ही खड़ा हुआ वह अपने तंबू को छिपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया वह पूरी तरह से भूल चुका था लेकिन सब उनकी नजर में उसके पेंट में बना तंबू पूरी कहां से आ चुका था और वह अपने पापा के पेंट में बने तंबू को देखती ही रह गई,,,
संजय बिना कुछ बोले शगुन के कमरे से बाहर जा चुका था और जाते-जाते एक बड़ा सा तूफान छोड़ गया था अपने अंदर भी और अपनी बेटी के अंदर भी,,,, शगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए लेकिन इस बात का एहसास हो से हो गया था कि उसके पापा उसे देखकर उत्तेजित हो चुके थे तभी तो उनके पेंट में अच्छा खासा तंबू बन गया था,,,, शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसके कमरे से निकलकर उसके पापा अपने कमरे में जाकर उसकी मां की चुदाई जरूर करेंगे क्योंकि उनकी हालत देखकर यही लगता था कि वह पूरी तरह से उत्तेजित और चुदवासे हो चुके थे,,,, और यही देखने के लिए सगुन,,5 मिनट बाद अपने कमरे में से बाहर निकल गई और अपने पापा के कमरे की तरफ जाने लगी उसके मन में ना जाने क्यों इस तरह के ख्याल आ रहे थे कि उसके पापा जरूर उसकी मां को चोदेंगे और यह देखने के लिए उसका मन मचल रहा था,,, और वह थोड़ी ही देर मेंअपने पापा के कमरे के बाहर पहुंच गई और उसकी किस्मत अच्छी थी कि खिड़की भी हल्की सी खुली हुई थी खिड़की के अंदर झांक कर देखे तो अंदर ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, उसकी मां नींद में थी लेकिन फिर भी उसके पापा उसके गाउन को ऊपर तक उठाने लगे और देखते ही देखते उसे कमर तक उठा दिए यह देखकर सगुन उनके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,,और उसकी आंखों के सामने ही उसके पापा उसकी मां के ऊपर चढ़ गए और उन्हें नींद में ही चोदना शुरु कर दिए,,, यह देख कर सगुन की हालत खराब होने लगी,,, उसकी बुर से भी पानी निकलने लगा और उसकी पैंटी गीली होने लगी,,,, सगुन से रहा नहीं गया और अपने कमरे में जाकर अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गई और अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी उंगली का सहारा लेकर अपनी गर्म जवानी की आग बुझाने लगी थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया वह नींद की आगोश में चली गई,,,।