Dashing deep
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Welcome back rohnny bhai mast update ummeed karte hai ab update continue ayenge waiting for next update
अपने मन में उमड़ रहे कामोत्तेजना से भरपूर खयालों की बदौलत उसकी पेंटी बार-बार गीली होती जा रही थी जो कि उसे बेहद असहज महसूस हो रहा था और वह बार-बार अपने हाथों से अपनी पेंटिं को एडजस्ट कर रही थी,,,,,। वह नाश्ता तैयार कर रही थी सुबह का समय था,,,हालांकि बाप और बेटी दोनों जल्दी जा चुके थे सोनू अपने कमरे में तैयार हो रहा था,,,घर में और कोई मौजूद ना होने की वजह से संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी एक मां होने के बावजूद अंतर्वस्त्र और अपनी खूबसूरत अंग को अपने बेटे को दिखाने की उत्सुकता बढ़ रही थी,,,। लेकिन कैसे दिखाएं यह उसकी समझ के बिल्कुल बाहर था,,,
थोड़ी ही देर में तैयार होकर सोनू नाश्ता करने के लिए नीचे आ गया डायनिंग टेबल पर किसी को भी ना पाकर वह सीधे किचन में चला गया जहां पर उसकी मां उसके लिए नाश्ता तैयार कर रही थी और उसके आने से पहले ही वह अपनी साड़ी को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से खोंश रखी थी,,, उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी जिसे देखते ही सोनू के पेंट में कुंडली बनना शुरू हो गया था,,, सोनू अपनी मां के करीब पहुंचकर बोला,,,।
मम्मी दीदी और पापा कहां गए,,,
आज वो लोग जल्दी नाश्ता करके चले गए हैं,,,,,,(संध्या तवे पर रखी हुई रोटी के फुलने पर उसे दूसरी तरफ पलटते ही बोली,,,फूली हुई रोटी को देखकर यही सोच रही थी कि इस समय उसकी बुर भी रोटी की तरह फूल चुकी है,,, सोनू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें सोनू की आंखें अपनी मां की गोलाकार नितंबों पर टिकी हुई थी जिसमें हो रही थिरकन उसके होश उड़ा रही थी,,, संध्या के भी तन बदन में गुदगुदी हो रही थी,,, अपनी जालीदार ब्रा और पेंटी दिखाने के लिए वह मचल रही थी,,, लेकिन कैसे यह अभी तक उसे समझ में नहीं आ रहा था,,,वह उसी तरह से रोटी पकाती रही,,,,
मम्मी नाश्ता तैयार हो गया है क्या,,,,,?(सोनू अपनी मां की गोल गोल गांड के साथ-साथ उसकी गोरी गोरी पिंडलियों को देखते हुए बोला,,,)
हां बेटा तैयार हो गया,,,,, थोड़ा रुक जा मैं तुझे नाश्ता देती हूं,,,,(इतना कहते हुए वह जानबूझकर अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपनी पेंटी के ऊपर साड़ी के ऊपर से ही पकड़ कर उसे खुजलाने जैसी हरकत करने लगी,,,, और जानबूझकर अपने बेटे का ध्यान उस पर लाते हुए बोली,,,)
तेरे पसंद की पहनी हु ना,,,, और वो जालीदार है,,, इसलिए ठीक तरह से एडजस्ट नहीं हो पा रहा है,,, लगता है कि मेरी साईज से छोटी ले ली हुं,,,,।
(अपनी मां को इस तरह से अपनी पुर वाली जगह पर खिलाते हुए देखकर सोनू के तन बदन में आग लगने लगी और वह अपनी मां की बात सुनकर बोला,,,)
नहीं नहीं मम्मी आपके ही नाप की है,,,, आपने लगता है पहले कभी जालीदार पैंटी नहीं पहनी हो इसलिए आपको ऐसा महसूस हो रहा है,,,,
नहीं नहीं मुझे तो लगता है कि मेरी साईज से छोटी है,,, वरना एकदम आरामदायक महसूस होता,,,।
मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा मम्मी क्योंकि मैं,, ठीक तरह से देख कर लिया था तुम्हारे मखमली नरम नरम बदन पर वह जालीदार पेंटिं एकदम आरामदायक महसूस कराती,,
(सोनू बातों ही बातों में अपनी मां के खूबसूरत बदन की तारीफ कर दिया था जो कि संध्या को अपने बेटे की यह बात उसके मुंह से अपने खूबसूरत बदन की तारीफ सुनकर अच्छा लगा था,,,)
मैं जानती हूं बेटा की को अच्छा ही सोच कर लिया होगा लेकिन ना जाने क्यों मुझे एकदम कसी हुई महसूस हो रही है,,,,,(रोटी को तवे पर रखकर संध्या अपने बेटे की तरफ घूम कर उसकी आंखों में आंखें डालकर और एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर साड़ी के ऊपर से अपनी बुर खुजाते हुए बोली,,,।और सोनू अपनी मां की यह हरकत देखकर उत्तेजित होने लगा पैंट के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा,,, उसकी मां पेंटी के बारे में उससे इतना खुलकर बातें करेगी यह अंदाजा उसे बिल्कुल भी नहीं था,,,लेकिन अपनी मां के मुंह से इस तरह की खुली बातें सुनकर उसे अच्छा लग रहा था और उत्तेजना महसूस हो रहा था,,, अपनी मां की बात सुनकर सोनू बोला,,,)
पता नहीं ऐसा क्यों हो रहा है मम्मी लेकिन जब आपको दिक्कत हो रही है तो आपको उतार देना चाहिए था उसे पहनना नहीं चाहिए था,,,,
वह तो तेरी बात रखने के लिए मैं पहन ली क्योंकि पहली बार तो अपनी पसंद का कपड़ा मुझे पहनने के लिए बोला था,,,,(इतना कहते हुए संध्या वापस घूम कर तवे पर पड़ी रोटी को घुमा घुमा कर पलटने लगी,,,, सोनू अपनी मां की बात सुनकर खुश होने लगा खुशी ना जाने क्यों अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर उसे प्यार करने का मन कर रहा था वह अपने आप को रोक नहीं पा रहा था इस समय संध्या की पिंक उसकी आंखों के सामने थी सोनू अपनी मां को ऊपर से नीचे की तरफ बराबर देख रहा था उसकी आंखों में वासना और उत्तेजना की चमक साफ नजर आ रही थी,,,, कमर के नीचे गजब का उभार लिए हुए संध्या के नितंब पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर-उधर घूम रहे थे ना जाने क्यों सोने का मन उसे अपने हाथों से पकड़ कर मसलने को कर रहा था,,, अपनी मां के मुंह से बात रखने वाली बात सुनते ही आगे बढ़ाओ अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भर कर उसके घर को प्यार से चुमते हुए बोला,,,)
ओहहहहह,,, मम्मी तुम कितनी प्यारी हो कि मेरी बात रखने के लिए ना चाहते हुए भी परेशानी सहकर पेंटी पहन रही हो,,,(सोनू की थोड़ा खुल कर बोलो सोनू की यह बात संध्या को भी अच्छी लग रही थी लेकिन जिस तरह से उसने अपनी बाहों में उसे पीछे से भर लिया था संध्या के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि सोनू के पेंट में उत्तेजना के मारे उसका लंड खड़ा हो गया था जो किसी ने उसकी दोनों गांड की फांकों के बीच की दरार में धंसने लगा था,,,,, सोनू के लंड को अपनी गांड पर महसूस करते ही,,, संध्या के रसीली बुर उत्तेजना के मारे मदन रस टपकाने लगी,,,। संध्या कुछ बोली नहीं बस अपना काम करती रही वह रोटी बेल रही थी जिसकी वजह से उसका बदन हिल रहा था,,, और साथ ही ऊसकी बड़ी बड़ी गांड भी हील रही थी जो कि सोनू की खडे लंड पर मानो चोट कर रही हो, सोनू की तो हालत खराब होती जा रही थी जिस तरह से उसकी मां की गांड उसके लंड पकड़ कर रही थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कहीं उसका लंड पानी ना छोड़ दे,,,, सोनू भी काफी उत्तेजित हो चुका था वह अपनी मां के गले में दोनों बाहें डालकर खड़ा था एकदम उसके पिछवाड़े से सटके ,,,,वह भी अपनी मां को दुलारता हुआ अपनी कमर को दाएं बाएं हल्के हल्के हिला रहा था जिसे से सोनू का खड़ा लंड पेंट में होने के बावजूद भी संध्या को साड़ी पहने होने के बावजूद भी अपनी गांड पर दाएं बाएं जाता हुआ एकदम से रगड़ खाता हुआ महसूस हो रहा था,,,। संध्या अपने बेटे की हरकत से काफी उत्तेजित में जा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उत्तेजना के मारे उससे खुद से ही गलती ना हो जाए इसलिए वह अपने बेटे को प्यार से पुचकारते हुए बोली,,,।)
चल अब रहने भी दे आज तुझे बहुत प्यार आ रहा है अपनी मां पर,,,,।
आज नहीं नहीं मुझे तो रोज ही आप पर प्यार आता है,,,
क्यों ऐसा क्या खास है मुझ में,,,,?
तुम बहुत प्यारी हो बहुत खूबसूरत भी,,,,(सोनू उसी तरह से अपनी मां को बाहों में जकड़े हुए बोला,,,अपने बेटे की हरकत और उसकी बातें संध्या को बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन तवे पर जलती हुई रोटी को देखकर वह बोली,,,)
बस कर अब छोड़ मुझे,,,, तेरी रोटी में घी लगाना है,,,, ऊपर से मुझे डिब्बा उतारना है जा स्टुल लेकर आ जा,,,,
ओहहहहह,,, मम्मी तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो,,,,
हां तो ख्याल रखूंगी ना तू मेरा बेटा जो है,,,जा अब जल्दी जाकर स्टुल लेकर आ घी का डिब्बा उतारना है,,,,
ठीक है मम्मी मैं अभी लेकर आता हूं,,,।(इतना कहने के साथ ही सोनू स्टुल लेने के लिए किचन से बाहर चला गया,,, सोनू के कीचन से बाहर जाते ही,,, संध्या राहत की सांस लेते हुए अपने मन में बोली,,,।)
बाप रे कुछ देर और सोनू मुझे अपनी बाहों में भरे रहता तो उसके लंड की चुभन,, मैं अपनी गांड पर बर्दाश्त नहीं कर पाती और मजबूरन मुझे आज ही अपनी साड़ी कमर तक उठा देना पड़ता,,, बाप रे इसका लंड इतना मोटा और लंबा है कि पेंट में होने के बावजूद भी मुझे मेरी गांड की दरार के बीचो बीच अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,,,(अपने आप से ही यह सब बातें कहते हुए उत्तेजना के मारे उसके पसीने छूट रहे थे,,, उसे अपने बेटे की लंड की चुभन अपनी गांड के ऊपर बराबर महसूस हो रही थी,, संध्या को उस दिन बगीचे वाला दृश्य याद आ गया जब वह झाड़ियों के पीछे छुप कर झाड़ियों के अंदर एक औरत और एक लड़के के बीच की जबरदस्त चुदाई को देख रही थी और सोनू की थी उसके पीछे खड़े होकर उसकी गांड पर अपना लंड धंसाते हुए उस मनोरम दृश्य का आनंद लूट रहा था,,।
दूसरी तरफ सोनू किचन के बाहर कर इधर-उधर छोटी सी स्टूल ढूंढ रहा था,,, लेकिन उसे मिल नहीं रही थी सोनू के मन में भी ढेर सारे सवालों का बवंडर उठ रहा था,,, उसे अपनी मां का बदला हुआ रवैया काफी उत्तेजित और आनंदमय लग रहा था जिस तरह से उसकी मां बेझिझक पेंटी की बातें कर रही थी,, उसे लेकर सोनू के तन बदन में और उसके अंतर्मन में अजीब सी खलबली मची हुई थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मा ऊससे इस तरह की बातें क्यों करने लगी थी,,,, लेकिन जो बातें भी वर्क कर रहे थे उससे सोनू को अद्भुत सुख का अहसास होता था,,, सोनू अपने मन में यही सोच रहा था कि किचन में उसका लंड पूरी तरह से कहां पड़ा जिससे वह अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भर कर खाना था और अपने लंड को उसके गांड पर रगड़ रहा था जरूर उसकी मां को भी उसके लंड की चुभन अपनी गांड के ऊपर महसूस हुई होगी,,,इसी बात को लेकर वह हैरान था कि उसकी मां उसे रोकी क्यों नहीं उसे डांटी क्यो नहीं,,, कहीं ऐसा तो नहीं कि लंड की चुभन उसे अच्छी लग रही हो,,,,एक पल के लिए यह बात सोचते ही उसके लंड ने एक बार फिर से अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया,,,। इधर-उधर ढूंढते हुए उसे स्टुल नहीं मिली,,,। वह वापस किचन में प्रवेश करते हुए बोला,,,।)
मम्मी स्टुल तो नहीं मिली,,, लाइए में उतार देता हूं,,,,
अरे तू नहीं उतार पाएगा ऊंचाई पर है,,,,
अरे देखने तो दो,,,,(इतना कहने के साथ ही सोनू किचन के सबसे ऊपर के ड्रोअर तक हाथ पहुंचाने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी कोशिश नाकाम साबित हो रही थी क्योंकि ऊपर का डोवर कुछ ज्यादा ऊंचाई पर था,,,।)
देख लिया कह रही थी ना,,,,
तो आप कैसे उतरेगा मम्मी,,,,(तभी सोनू के दिमाग में युक्ति सूझी और वह बोला) इधर आओ मम्मी,,,,
क्यों क्या हुआ,,,,? (संध्या आश्चर्य से बोली)
अरे हुआ कुछ नहीं इधर आओ तो सही,,,,
(सोनू की बात सुनकर संध्या उसके करीब आ गई संध्या को इतना तो एहसास हो गया था कि सोनू क्या करने वाला है लेकिन वह उत्सुक भी थी इसलिए उसके करीब आकर खड़ी हो गई...)
ले आ गई अब,,,,
( संध्या के इतने कहते ही सोनू अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर उसके नितंबों के घेराव के नीचे अच्छे से पकड़कर उठाना शुरू कर दिया,,,,)
अरे अरे यह क्या कर रहा है,,, छोड़ मुझे गिर जाऊंगी,,,
अरे नहीं गिरोगी मम्मी उस पर भरोसा नहीं क्या,,,,?
(और देखते ही देखते सोने अपनी भुजाओं का बल दिखाते को अपनी मां को उठा लिया,,,, पल भर में ही संध्या उस अलमारी के खाने के करीब पहुंच गई,,, जहां से आराम से वह घी का डब्बा ले सकती थी,,,,अपने बेटे की ताकत को देखकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे इस तरह से अपनी गोद में उठा लेगा क्योंकिअच्छी तरह से जानती थी कि उसका वजन कुछ ज्यादा ही था लेकिन जीतने आराम से उसके बेटे ने उसे उठाया था उसे यकीन नहीं हो रहा था,,,,अपने बेटे की इस हरकत की वजह से उसके तन बदन में उत्तेजना की गुदगुदी हो रही थी अपने बेटे पर उसकी ताकत देखकर गर्व के साथ साथ अत्यधिक उत्तेजना का भी अनुभव हो रहा था क्योंकि इस समय वह उसकी दोनों भुजाओं के सहारे उठी हुई थी और उसकी दोनों बुझाओ से उसके नितंबों का घेराव दबा हुआ था और जितना ऊपर वह उठाया हुआ था उसकी नाभि एकदम उसके होंठों के करीब थी,,, जहां से वह आराम से अपनी मां की नाभि में अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने का सुख भोग सकता था लेकिन उसे डर लग रहा था लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके अपने होठों को अपनी मां की नाभि से सटा दिया था,,,अपने बेटे के गर्म होठों को अपनी मां की पर महसूस करके संध्या अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी उसकी हालत खराब होती जा रही थी खासकर के उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में भूचाल सा मचा हुआ था,,, सोनू अपनी मां को उठा रही हूं मैं उसकी नाभि पर अपने होंठ रख कर उत्तेजना बस गहरी गहरी सांसे ले रहा था,,और उसकी गर्म सांसे संध्या को साफ महसूस हो रही थी वह अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,, नाभि से उसकी बुर की दूरी तकरीबन पांच छः लअंगुल की ही रह गई थी,,,, लेकिन सोनू के द्वारा नाभि पर हो रही हरकत उसकी बुर के अंदर सनसनी पैदा कर रही थी,,,। सोनू को भी ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी नाक में उसकी नाभि की खुशबू नहीं बल्कि उसकी मां की रसीली बुर की मादक खुशबू जा रही है इसलिए तो उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,, संध्या को अपने बेटे की भुजाओं पर पूरा विश्वास होने लगा था इसलिए वह निश्चिंत होकर अलमारी का खाना खोलकर उसमें से घी का डब्बा निकाल रही थी,,, नरम नरम गांड को अपनी भुजाओं में भरकर सोनू अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था पहला मौका था जब वह इस तरह से अपनी मां की गांड को स्पर्श कर रहा था,,,, जो हरकत सोनू अपनी मां की नाभि के ऊपर अपने होंठ रख कर कर रहा था वही हरकत सोनू अपना मुंह अपने होंठअपनी मां की बुर के ऊपर रखकर करना चाहता था भले ही इस समय साड़ी के ऊपर से ही सही लेकिन वह अपनी इच्छा को रोक नहीं पा रहा था,,,इसलिए वह थोड़ा सा और दम लगा कर अपनी मां को थोड़ा सा और उत्तर उठा लिया उतना कि जहां उसका मुंह उसकी मां की दोनों टांगों के बीच ठीक उसकी बुर वाली जगह पर आकर रुक जाए और वैसा ही होगा जैसे ही संध्या की बुर उसके होठों के बेहद करीब आ गई तब वह बोला,,,)
आराम से मम्मी कोई जल्दी नहीं है,,,,(और इतना कहने के साथ ही सोनू अपने होठों को उसके पेट के निचले हिस्से के खड्डे में जहां से उसकी जांघों के बीच कब अद्भुत हिस्सा शुरू होता है जो कि औरत का अनमोल खजाने के समान होता है जिसे पाने के लिए दुनिया का हर मर्द आंखें बिछाए रहता हैं,,, सोनू के प्यासे होठ जैसे ही उस जगह पर पहुंचे उसके तन बदन में अजीब सी झुर्झुरी पैदा होने लगी,,, गोदावास होने लगा,,, और वह धीरे से अपने होठों को अपनी मां के दोनों टांगों के बीच उसकी बुर वाली जगह पर हल्के से दबाते हुए गहरी सांस लेने लगा मानो कि वह अपनी मां की बुर की मादक खुशबू को अपने अंदर नथुनों के द्वारा उतार लेना चाहता हो,,,,अपने बेटे की हरकत की वजह से संध्या के तन बदन में आग लगने लगी और पल भर मे ही उसकी बुर से,,, पानी की धार फुट पड़ी,,,,।