सगुन को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, आंखों को बंद किए हुए अपने खूबसूरत अंग पर खुरई हरकत को महसूस करके वह यही समझ रही थी कि उसके साथ इस तरह की हरकत करने वाला उसका भाई है,,, लेकिन दरवाजे पर जाते हुए जब वह अपने पापा को देखी तो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मचने लगी थी,,,, पल भर में ही उसकी बुरे से मदन रस की धारा फूट पड़ी,,, इतना तो वह जानती थी कि उसके पापा के प्रति वह पूरी तरह से आकर्षित थी लेकिन आज उसे इस बात का पक्का यकीन हो गया कि उसके पापा भी उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित है,,,, अभी भी सगुन की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, वह गहरी सांस लेते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी,,,,अपनी खूबसूरत फूली हुई गुलाबी बुर को देख कर उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कुछ पल पहले उसके पापा उसके अंदर अपनी उंगली घुसाने की कोशिश कर रहे थे,,,, और लगभग लगभग वह अपने इरादे में कामयाब भी हो जाती है अगर वह कसमसाती नहीं तो,,, शगुन को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था क्योंकि आज उसके लिए बहुत ही अच्छा मौका था अगर वह कसमसाती नहीं तो शायद उसके पापा अपनी पूरी उंगली उसकी बुर में डाल देते और इसके बाद क्या पता उसकी किस्मत का दरवाजा भी खुद उसके पापा ही खोलते,,,
अपने पापा की कामुक हरकत की वजह से शगुन पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,,जिस तरह से संजय अपनी बेटी की खुबसूरत बुर की मादक गर्मी को अपने अंदर महसूस करके पूरी तरह से गर्म हो चुका था और अपनी गर्मी शांत करने के लिए बाथरूम में चला गया था वैसे ही सगुन भी अपने पापा की गरम हरकत की वजह से अपने अंदर की जवानी के जोश को ठंडा करने के लिए अपने बाथरूम में चली गई और जाते ही अपने सारे कपड़े उतार दि वैसे भी वह कमर के नीचे पहले से ही नंगी थी और बाथरूम के अंदर घुसते ही अपनी टी-शर्ट निकालकर एकदम मादरजात नंगी हो गई,,, भगवान ने उसे झोली भर भर कर हुस्न दिया था,,, तभी तो आईने में अपने नंगे बदन को देख कर वह शर्माने के साथ-साथ उत्तेजित भी हो गई,,,, और जो काम उसके पापा ने अधूरा छोड़ कर भाग गए थे उसी काम को पूरा करने के लिए वह एक साथ अपनी दो उंगली को अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगी और अपनी गर्म सिसकारी के साथ पूरे बाथरूम को मादकता भरे गरम सिसकारी की मादक संगीत से भरने लगी,,, और थोड़ी ही देर में अपनी गर्म जवानी मदन रस में घोलकर बहाने लगी,,,।
पूरे घर में बस दिन-रात मां बेटे और बाप बेटी चारों के दिमाग में एक दूसरे के प्रति चुदाई का आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था और चारों के दिमाग में बस चुदाई चुदाई चुदाई गी चल रही थी,,, और वो भी किसी गैर से नहीं बल्कि अपनों से ही,,,
संध्या और सोनू धीरे धीरे आपस में खुलकर बातें करने लगे थे लेकिन 2 अर्थों में अभी तक दोनों के बीच शब्दों में संपूर्ण रूप से खुलापन नहीं आया था,,,। ऐसे ही एक दिन शाम के 5:00 बजे,,, सोनू अपने पापा के घर में ही बने छोटे से जिम में कसरत करके पसीना बहा रहा था,,, कसरत करते समय सोनू भी केवल शोर्ट ही पहनता था,,,, क्योंकि इससे उसे कसरत करने में बड़ा आरामदायक महसूस होता था,,,,। सोनू को रोजाना कसरत करने की आदत सी पड़ गई थी वह भी अपने फिटनेस को बरकरार करने के लिए तभी तो उसके डोले शोले एकदम किसी फिल्मी हीरो की तरह लगते थे,,, चौड़ी छाती,,, मजबूत कंधा बॉडी जबरदस्त,,, वैसे भी वह हैंडसम ही था लेकिन उसे इस अवस्था में अगर कोई भी लड़की या औरत देख ले तो उसकी दीवानी हो जाए,,, ऐसे ही वह 5 5 किलो का डंबल लेकर अपनी बॉडी बना रहा था,,,, और संध्या छत पर सुख रहे कपड़ों को इकट्ठा करके नीचे अपने कमरे में रखने के लिए जा रही थी कि तभी बाजू वाले कमरे का दरवाजा खुला देखकर वह अनायास ही उस तरफ आगे बढ़ गई और जैसे ही दरवाजे पर पहुंची सामने अपने बेटे को कसरत करता हुआ देखकर और उसकी जबरदस्त फिल्मी हीरो की तरह बॉडी देखकर दंग रह गई,,, ऐसा नहीं था कि वहअपने बेटे को इससे पहले नहीं देखी थी लेकिन आज की बात कुछ और थी क्योंकि अब उसका नजरिया अपने बेटे को देखने का बिल्कुल भी बदल गया था अब उसे अपने बेटे के अंदर बेटा नहीं बल्कि एक मर्द नजर आता था और वह भी एक दम प्यासा नौजवान,,, दरवाजे पर खड़े होकर उसकी दिल की धड़कन बढ़ने लगी अपने बेटे की चौड़ी छाती मजबूत कंधा मोटी मोटी जांघों को देखकर उसे अपनी दोनों जांघों के बीच हलचल महसूस होने लगी,,,सोनू अपनी मस्ती में बारी-बारी से उस पांच 5 किलो के वजन को उठा रहा था जिससे उसकी हाथों की बॉडी और ज्यादा फूलती हुई नजर आ रही थी जिसे देखकर संध्या की खुद की रसीली बुर तवे पर पड़ी गरम रोटी की तरह फुलने पिचकने लगी थी,,,,
सोनू का लंड वाकई में ईतना बड़ा था कि छोटी सी चड्डी के अंदर उसका उभार बड़ा ही मनमोहक और मादकता से भरा हुआ लगता था
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संध्या के हाथों में कपड़ों का ढेर था,, और वह सब कुछ भूल कर केवल अपने बेटे को देखने में मशगूल हो गई थी,,,उसकी नजर ऊपर से लेकर के धीरे-धीरे नीचे की तरफ आ रही थी वजह से ही उसकी नाभि के नीचे उसकी नजर गई तो शॉर्ट में ऊभरा हुआ उसका दमदार लंड वाला भाग नजर आने लगा जिसे देखते ही संध्या की बुर में खुजली होना शुरू हो गया,,, हालांकि अभी शोर्ट के अंदरसोनू का लंड बिल्कुल सामान्य अवस्था में था लेकिन फिर भी उसका उभरा हुआ भाग ऐसा लग रहा था कि मानो,,, शोर्ट के अंदर उसका लैंड खड़ा हो रहा है,,,,संध्या की निगाहें अच्छी तरह से अपने बेटे के बदन के हर एक कोने का निरीक्षण कर रही थी,,,, उसकी चौड़ी छाती पर पसीने की बूंदे मोती की तरह चमक रही थी,,,।सोनू अपने बदन को ज्यादा गठीला बनाने के लिए पसीना बहा रहा था जिसे देखकर उसकी मां की बुर अपना पसीना निकाल रही थी,,,, तभी सोनू की नजर दरवाजे पर खड़ी अपनी मां पर गई,,, और उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे,,, वह मन ही मन खुशी से झूम उठा,,,कोई और समय होता तो शायद वह अपनी अवस्था को कपड़ों से डरने की जरूरत को समझता लेकिन ना जाने क्यों वह अपनी मां की आंखों के सामने अपनी अवस्था को बिल्कुल भी छुपाने की कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि वह तो यही सोच रहा था कि उसकी मां उसे उस अवस्था में देखें उसके मर्दाना जिस्म को देखकर अपनी गर्म जवानी को पिघलने पर मजबूर कर दे,,,,,, सोनू अच्छी तरह से जानता था कि शोर्ट में सामान्य अवस्था में होने के बावजूद भी उसका लंड काफी उभरा हुआ लगता था,,, और उसे यकीन था कि उसकी मां उसके मर जाना जिस्म के साथ-साथ उसकी दोनों टांगों के बीच के उस कुंडली को भी देख रही होगी,,, और वह यही चाहता भी था,,,,,,, क्योंकि जिस तरह की हरकत उसकी मां उसके साथ करने लगी थी सोनू को लगने लगा था कि उसकी मां को कुछ चाहिए,,,।,,, सोनू अपनी मां को दरवाजे पर देखकर बोला,,,।
मम्मी तुम यहां,,,,,
क्यों नहीं आ सकती क्या,,,,
नहीं ऐसी कोई बात नहीं है आना चाहिए मैं तो कहता हूं कि आपको भी रोज जिम करना चाहिए,,,
(अपनी बेटी की बात सुनकर संध्या मुस्कुरा दी,,,, उसका मन तो कर रहा था कि वही खड़ी होकर अपने बेटे की खूबसूरत मजबूर कटीले बदन का दीदार कर सके लेकिन,,, उसे ऐसा लग रहा था कि कहीं उसका बेटा उसकी उपस्थिति में अपनी हालत पर शर्मा ना जाए,,, इसलिए वह बोली,,,)
तू कसरत कर मै जा रही हु,,,,(इतना कहने के साथ जैसे ही संध्या अपना कदम पीछे हटाई वैसे ही सोनू बोल पड़ा,,,)
कहां जा रही हो मम्मी थोड़ी मेरी मदद करो,,,,
भला मैं तेरी कैसे मदद कर सकती हूं,,,,
अरे ज्यादा कुछ नहीं करना है,,,, बस में वेटलिफ्टिंग करने जा रहा हूं और तुम उसका वजन बढ़ाना,,,,(इतना कहने के साथ ही सुनो अपने हाथ में लिए हुए डंबल को नीचे रख दिया,,,, वह पूरी तरह से पसीने से भीगा हुआ था,,, पूरे कमरे में उसके पसीने की गंध फैली हुई थी लेकिन इस समय संध्या को अपने बेटे के पसीने की गंध और ज्यादा मादक लग रही थी,,, क्योंकि उसका बेटा मर्दाना ताकत से भरा हुआ नौजवान था,,। सोनू 60 किलो के वजन को अपनी मां की आंखों के सामने उठाने लगा,, यह देखकर संध्या दंग हुए जा रही थी,,,,देखते ही देखते सोनू अपनी मां की आंखों के सामने ही भारी-भरकम वजन को उठाकर अपने कंधों से उपर कर लिया,,,। सोनू का गठीला बदन पसीने से भीगा हुआ था उसकी चौड़ी छाती फुल कर और ज्यादा चोडी हो गई थी,,, और यह देखकर संध्या की बुर फुलने लगी थी,,।
वाह वाह बेटा वाह,,,, तेरे में तो बहुत दम है,,,, 60 किलो तु उठा लिया और वो भी ईतने आराम से,,,,।
अरे यह तो कुछ भी नहीं है मम्मी 120 किलो भी मैं आराम से उठा लु,,,,(इतना कहते हुए सोनू 60 किलो के वजन को वापस नीचे रखते हुए बोला) अब मम्मी तुम उधर 10 किलो वाला वजन तीन इसमें डालो और तीन उस छोर पर डालो,,,
(इतना सुनते ही संध्या आश्चर्य से बोली)
इतना वजन नहीं नहीं सोनू,,, उठाने में तकलीफ हो गई तो कमर में मोच आ गई तो मुसीबत हो जाएगी नहीं नहीं ऐसा मत कर,,,।
क्या मम्मी तुम भी बच्चों जैसी बात करती हो,,, मेरा रोज का है आज पहली बार नहीं उठा रहा हूं,,,,
फिर भी मुझे डर लग रहा है,,,।
(संध्या का डर लाजमी था क्योंकि उसका बेटा 120 किलो वजन उठाने की बात कर रहा था जो कि बहुत ज्यादा था संध्या को इस बात का डर लग रहा था कि कहीं वजन उठाने की वजह से उसकी कमर में मोच ना आ जाए,,,।)
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी मुझ पर विश्वास रखो,,, बस जैसा मैं कहता हूं वैसा ही कर दो,,,
(संध्या को अंदर ही अंदर घबराहट हो रही थी लेकिन उसे अपने बेटे की कही बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे लग रहा था कि उसका बेटा 120 किलो का वजन उठा लेगा ,,, इसलिए वह अपने बेटे के कहे अनुसार वजन रखने लगी और देखते ही देखते वह 120 किलो का हो गया,,, लेकिन इस बात को शायद घबराहट की वजह से संध्या भूल गई थी कि हाथ में ढेर सारे कपड़ों का ढेर लिए वह जब पहली बार वजन को उठाने के लिए नीचे झुकी तो वैसे ही उसकी साड़ी तुरंत उसके कंधे से नीचे गिर गए जिसकी वजह से उसके दोनों दशहरी आम एकदम से सोनू की आंखों के सामने नाचने लगे,,,, यह देखकर सोनू के मुंह में पानी आ गया था,,,,सोनू को लग रहा था कि उसकी मां की भारी-भरकम चुचियों का भार शायद उसके ब्लाउज के छोटे-छोटे बटन नहीं उठा पाएंगे और टूट कर बिखर जाएंगे जिससे उसके दोनों चुचीयां उसके ब्लाउज से निकलकर बाहर लहराने लगेंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,,, लेकिन सोनू के तन बदन में आग लग गई उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, और संध्या अपना साड़ी का पल्लू ठीक ना करके कपड़ों के ढेर को वही कुर्सी पर रखकर अपने बेटे के कहे अनुसार वजन रखने लगी लेकिन इस दौरान उसके साड़ी का पल्लू नीचे ही गिरा हुआ था जिससे ,, और यह मादकता भरा नजारा देखकर सोनू के छोटे से शोर्ट में उसका लंड जो कि अब तक कुंडली मार कर बैठा हुआ था वह फुंफकारने लगा था,,
छोटी सी चड्डी में बने अपने बेटे के लंड के उभार को देखकर अक्सर संध्या अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की बारे में कल्पना करती रहती थी।
और देखते ही देखते मां छोटी सी चड्डी में तंबू बनाना शुरू कर दिया था,,,, अब तक संध्या की नजर अपने बेटे की छोटी सी चड्डी में बने तंबू पर नहीं पड़ी थी,,, लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गई थी और उसके दोनों खरबूजे ब्लाउज में से बाहर उछल पढ़ने के लिए बेताब थे और यह भी पता था कि उसके बेटे की प्यासी नजर उसके ब्लाउज के ऊपर ही टिकी हुई थी,,,, यह अद्भुत रोमांचकारी एहसास संध्या की दोनों टांगों के बीच खलबली मचाने लगा,,,, सोनू पूरी तरह से तैयार था वजन उठाने के लिए,,, सोनू के लिए बिल्कुल भी नया नहीं था लेकिन संध्या के लिए यह बिल्कुल अलग किस्म का अनुभव था 120 किलो का वजन मायने रखता था,,,,सोनू वेटलिफ्टिंग करते समय झुका हुआ था जिससे संध्या को अपने बेटे के छोटी सी चड्डी में बना तंबू नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे ही सुनो पूरा बैलेंस बनाकर 120 किलो वजन को जैसे ही अपने कलाइयों का जोर दिखाते हुए उसे ऊपर उठाया,,, और अपनी छातियों तक लाकर जैसे ही उसे अपने कंधे के ऊपर लाकर और जोर से झटका देकर एकदम आसमान की तरफ ले गया वैसे ही तुरंत वह पूरी तरह से खड़ा हो गया संध्या हैरान थी अपने बेटे की ताकत को देख कर उसके भुजाओं के बल को देखकर,,, 120 किलो का बदन उसके हाथों में था,,,, संध्या का मुंह आश्चर्य से खुला खुला रह गया था,,,। सोनू खुश था मुस्कुरा रहा था अपनी मम्मी को इंप्रेस करने में पूरी तरह से कामयाब हो चुका था,,,,,,, सोनू को इस बात का अहसास था कि छोटी सी चड्डी में उसका मोटा लंबा पूरी तरह से तंबू बना चुका था और ऐसा लग रहा था कि उस चड्डी को चेंध करके उसका लंड बाहर आ जाएगा,,,और वह किसी भी तरह से अपनी छोटी सी चड्डी में बने कमरों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश ना करते हुए जानबूझकर अपनी कमर को थोड़ा सा और हल्के से आगे की तरफ कर दिया मानो कि जैसे वह जानबूझकर अपनी मां को दिखाना चाहता हो,,,और संध्या की नजर अपने बेटे की चौड़ी छाती से होती हुई नीचे की तरफ आ गई और अपने बेटे की छोटी सी चड्डी में बने तंबू को देखकर उसकी बुर कुल बुलाने लगी,,,,, वह तो आंख फाड़े अपने बेटे के तंबू को देखे जा रही थी,,,,, उत्तेजना और आश्चर्य से उसका गला सूखता जा रहा था,,,, और सोनू अपनी मां को यह सब नहीं दिलाना चाहता था कि उसे इस बारे में पता है कि उसका लंड खड़ा हो चुका है इसलिए वह सहज बनते हुए बोला,,,।
- अक्सर सोनू अपनी मां के बारे में सोचता था तो इसी तरह से उसका लंड खड़ा हो जाता था जिसे वह अपने हाथ से मसलकर शांत करने की कोशिश करता था,,,
देख ली ना मम्मी अपने बेटे की ताकत,,,, कोई भी तुम्हारे बेटे के आगे खड़ा नहीं हो सकता,,,,(सोनू जानबूझकर दो अर्थो वाली भाषा बोल रहा था,,,संध्या भी अपने बेटे के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह भी बोली,,,)
हां बेटा देख रही हूं और आज अच्छी तरह से जानती हूं तेरी ताकत को,,, तेरे से ज्यादा सचमुच किसी का खड़ा,,,, मेरा मतलब है तेरे आगे कोई भी खड़ा नहीं हो सकता,,,,(जल्दी से अपने शब्दों को सुधारते हुए बोली,,,)
मम्मी मैं तुम्हें भी बहुत ही आराम से उठा सकता हूं,,, यह तो तुम मस्ती किचन में देख ही चुकी हो,,,(सोनू ऊस वजन को नीचे जमीन पर रखते हुए बोला,,, लेकिन उसके मन में एक बार फिर से उस दिन की तरह आज भी अपनी मां को उठाने की इच्छा हो रही थी ताकि वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच अपने तंबू को धंशा सके अपनी मां की बुर की गर्मी को अपने लंड पर महसूस कर सके,,,) कहो तो फिर से उठाकर दिखाऊं,,,,
नहीं नहीं मुझे डर लगता है कहीं गिर गई तो,,,,(संध्या अपने बेटे की बात सुनकर बोली वैसे उसका भी मन नहीं हो रहा था जो सोनू के मन में चल रहा था वह भी अपनी बेटी के लैंड के दबाव को अपनी मखमली फुली हुई बुर के ऊपर महसूस करना चाहती थी,,,,,,) नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं,,,,
अरे कुछ नहीं होगा मम्मी नहीं ,, गिरोगी,,,
(संध्या ना ना ना कहती रह गई लेकिन सोनू कहां मानने वाला था लेकिन संध्या का मन भी तो यही कह रहा था,,, सोनू एक बार फिर से भुजाओं का दम दिखाते हुए अपनी मां को उसके नितंबों के इर्द-गिर्द अपनी भुजाओ का घेरा बनाकर उसे उठा लिया,,,एक बार फिर से दोनों के तन बदन में अद्भुत एहसास और अत्यधिक उत्तेजना का प्रसार होने लगा,,, मादकता और मदहोशी का संचार दोनों के बदन में बड़ी तेजी से हो रहा था,,,,सोनू एक बार फिर से अपने होठों को अपनी मां की नाभि पर रखकर उसे अनजाने में चुंबन करके मदहोश होने लगा,,,, अपने बेटे के होंठों का स्पर्श से अपनी नाभि की गहराई में अच्छे से महसूस हो रही थी इसकी वजह से उसकी बुर से नमकीन पानी का रिसाव होने लगा,,, वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी क्योंकि उसका बेटा सोनू लगभग लगभग नग्न अवस्था में ही था कि वह छोटी सी चड्डी उसके बदन पर थी जो कि उसके बमपिलाट लंड को ढक पाने में असमर्थ साबित हो रही थी,,,, अपने बेटे की नंगी छातियों पर अपने बदन को स्पर्श महसूस करते हैं संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो रही थी,,,, सोनू की भी हालत पल पल खराब होती जा रही थी,,, वह अपनी उत्तेजना और जज्बातों पर काबू करते हुए बोला,,,।
देखी ना मम्मी मैं कितने आराम से तुम्हें उठाकर तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम्हारा वजन बहुत ज्यादा है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तुम फूल की तरह नाजुक हो तुम्हारा वजन एकदम फूल की तरह है,,,
(अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर संध्या गदगद हुए जा रही थी,,, अपनी बेटी की बाहों में उसे बहुत अच्छा लग रहा है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि उसका बेटा उसे अपने भुजाओं के सहारे उठाया हुआ है वह बिल्कुल सामान्य था,,, लेकिन यह बात शायद संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि कितना बार सामान्य दिख रहा था उसके अंदर हो रही खलबली सामान्य बिल्कुल भी नहीं थी खास करके उसके दोनों टांगों के बीच लटकता हुआ उसका दमदार हथियार,,, संध्या को इस बात का एहसास होने लगा था कि वजन रखने के लिए जब वह झुकी थी तो उसके साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था और उसे ब्लाउज मैं से झांक रहे उसकी दोनों चूचियों को देखकर ही उसके बेटे का लंड पूरी तरह से खराब हो गया था क्योंकि झुकने से पहले उसके बेटे का लंड एकदम सामान्य था,, इस बात का एहसास उसके बदन में मादकता की चिकोटि काट रही थी,,, सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)
मम्मी तुम बहुत खूबसूरत हो अगर थोड़ा सा भी अपने ऊपर ध्यान दो तो तुम्हारे आगे तो हीरोइन भी फेल है,,,।
बस कर कितनी तारीफ करेगा,,,
मम्मी तुम हो ही तारीफ के लायक,,, जितनी भी की जाए कम है,,,
चल अब बस मुझे नीचे उतार,,,,
नहीं पहले कहो सुबह सुबह मेरे साथ दौड़ने चलोगी,,,
मुझे बहुत काम रहता है सोनू,,,,(संध्या अभी भी अपने बेटे की भुजाओ मे थी,,,)
नहीं मैं कुछ सुनना नहीं चाहता मैं भी चाहता हूं कि मेरी मम्मी सबसे फिट रहे,,,,
कभी कभार तो चली जाती हु ना,,,
कभी कभार से काम नहीं चलेगा रोज चलना पड़ेगा,,,,
तु बहुत जिद करता है,,,,
पहले हां कहोगी तभी नीचे उतारुंगा,,,,
थक जाएगा,,,,
मैं नहीं थकूंगा देखना चाहती हो,,,,
(संध्या को अपनी बेटे पर पूरा भरोसा था,,, लेकिन फिर भी वहां जानबूझकर शंका जताते हुए बोली,,,।)
हां देखना चाहती हूं,,,,
(फिर क्या था लगभग लगभग 10 मिनट तक सोनू उसी तरह से अपनी मां को अपने हाथों में उठाए हुए पूरे कमरे में इधर से उधर घूमता रहा,,, लेकिन उसके चेहरे पर या बदन में जरा भी थकान का अहसास तक नहीं हो रहा था,,,संध्या मन ही मन अपने बेटे की ताकत पर पूरी तरह से फिदा हो चुकी थी,,, आखिरकार खुद ही हार मानते हुए वह बोली।)
अच्छा बाबा मैं चलूंगी तेरे साथ सुबह दौड़ लगाने बस अब मुझे नीचे उतार दे,,,,
(संध्या को पूरा यकीन था कि उसका बेटा उसे नीचे उतारते समय अपने तंबू को उसकी दोनों टांगों के बीच जरुर दबाएगा,,, और ऐसा ही हुआ,,, सोनू भी इसी पल का इंतजार कर रहा था उसका लंड था कि ढीला पड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था,,, और वह सच में अपनी मां को नीचे उतारते समय अपने तंबू को उसकी दोनों टांगों के बीच जोर से दबाव देते हुए नीचे उतारने लगा,,, जिससे सोनू का खड़ा लंड संध्या की मखमली बुर के ऊपर पूरी तरह से दबाव बनाने लगा,,,, और दोनों मां-बेटे अद्भुत संभोग कारी सुख के अनुभव से गदगद हो गए,,, संध्या जल्दी से वहां से सूखे हुए कपड़े उठाकर बाहर निकल गई और सोनू अपनी मां को जाते हुए उसकी बड़ी-बड़ी मटकती गांड को देखकर छोटी सी चड्डी के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा,,,।
संध्या को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड को देखने की लालसा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी,,,
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