Nasn
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बहुत ही मदमस्त अपडेट था।सुबह के 7:00 बज रहे थे,,, संध्या किचन में अपना काम कर रहे थे संजय अपनी बेटी के कमरे में उसे जगाने के लिए आया था,,, लेकिन उसकी आंखों ने जो नजारा देखा था उसे देखकर उसकी आंखें चकाचौंध हो गई थी,,, उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,, शगुन पीठ के बल चित्त लेटी हुई थी और उसके ऊपर चादर थी लेकिन चादर से उसकी एक टांग बाहर झांक रही थी शगुन की एक टांग पूरी की पूरी ऊपरी सतह से चादर के बाहर थी,,।, संजय अपनी बेटी शगुन की इस हालत को देखकर हक्का बक्का रह गया था सब उनका गोरा बदन एकदम चमक रहा था,, संजय का दिमाग काम करना बंद हो गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बेटी की तरफ आगे बढ़े या वापस कमरे से बाहर निकल जाए,,,, लेकिन अपनी बेटी की मद मस्त जवानी का आकर्षण ऊसे अपनी तरफ खींच रहा था,,, और संजय धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ाने लगा तो देखते ही देखते वह अपनी बेटी के बिस्तर के बेहद करीब पहुंच गया,,, जहां से उसे सब कुछ नजर आ रहा था चादर एकदम उसकी जांघ के ऊपरी कटाव से ढकी हुई थी जिससे उसकी एक जांघ बिल्कुल नंगी नजर आ रही थी,,। उत्तेजना के मारे संजय का गला सूख रहा था शगुन की केले के पत्ते की तरह मोटी सुडोल जांघ चांद की तरह चमक रहा था,,, संजय गहरी गहरी सांसें ले रहा था,,, चादर ठीक शगुन की बुर को ढक कर अलग हो चुकी थी इसलिए संजय अपने मन में यही दुआ करने लगा की काश चादर 2 इंच और उधर सरक गई होती तो आज उसे अपनी खूबसूरत बेटी की खूबसूरत बुर देखने को मिल जाती,,, बुर को ढकी हुई चादर मै से संजय की पारखी नजर अपनी बेटी शगुन की दूर की आकार का अच्छी तरह से नाप ले रहा था,, वह बिना देखे बता सकता था कि शगुन की बुर किस तरह की दिखती होगी लेकिन फिर भी वह अपनी बेटी की बुर को देखने के लिए मचल उठा था,,, हालांकि संजय ने अपनी जिंदगी में बहुत सारी बुर के दर्शन कर चुका था और उन्हें भोग भी चुका था,,, लेकिन अब तक उसने कुंवारी को ना देखा था और ना ही उसमे लंड डालने का सुख प्राप्त कर पाया था,,,उसकी जिंदगी में आने वाली केवल एक ही औरत को मारी थी और वह भी उसकी खुद की बीवी संध्या बाकी जितनी भी औरतों की या लड़कियों की उसने चुदाई किया था वह पहले से ही लंड खा चुकी थी,,,,,, लेकिन अपनी बेटी को लेकर उसके मन में एक समान जरूर पनप रहा था कि उसकी बेटी की बुर कुंवारी होगी क्या चुद चुकी होगी,,, संजय किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रहा था,,, लेकिन उसके मन में शंका भी जरूर हो रहा था कि शगुन हकीकत मे उसका फिगर बहुत ही सेक्सी और जानलेवा था और बला की खूबसूरत भी थी और ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था कि इतनी खूबसूरत और उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने पर उसकी पुर कुंवारी हो,,,
सगुन एकदम बेशुध होकर सोई हुई थी उसे इस बात का आभास तक नहीं था कीउसके पापा उसके कमरे में घुस के बिस्तर के बेहद करीब खड़े होकर उसकी नंगी जवानी का रसपान कर रहे हैं,,, संजय दत्त ने बेटी के खूबसूरत बदन को स्पर्श करना चाहता था उसे छूना चाहता था उसकी मदमस्त खूबसूरत जवानी की गर्मी को अपनी हथेली में महसूस करना चाहता था,,, लेकिन डर भी रहा था कि कहीं उसकी बेटी की आंख खुल गई तो वह उसके बारे में क्या सोचेगी,,, यही सोच कर वह अपने मन पर काबू किए हुए था लेकिन फिर भी मन तो मन होता है एकदम नदी के बहाव की तरह उसे कितना भी बांध कर रखो वह बंधन में बंधने वाला नहीं,,,और यही संजय के साथ भी हो रहा था लाख कोशिशों के बावजूद भी वह अपनी बेटी के खूबसूरत चिकनी जांघों को छुने के लालच को अपने अंदर दफन नहीं कर पाया और वह अपनेहाथ को अपनी बेटी की जांघ की तरफ आगे बढ़ाने लगा हालांकि ऐसा करते हुए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी उसका हाथ कांप रहा था पैर थरथरा रहे थे फिर भी वह इस अद्भुत सुख से वंचित नहीं रहना चाहता था। ऐसा करते हुए संजय पीछे नजर घुमाकर दरवाजे की तरफ देख लेना हवा की दरवाजा बंद था लेकिन फिर भी उसे डर लग रहा था पर एक नजर अपनी बेटी के खूबसूरत चेहरे की तरफ डालकर एकदम से मदहोशी से परिपूर्ण होते हुए वह अपनी हरकत को अंजाम दे रहा था,,,। और देखते ही देखते संजय अपने काम पर हाथों को आगे बढ़ा कर अपनी हथेली को अपनी बेटी की चिकनी जांघ पर रख दिया,,,,
अद्भुत अतुल्य संवेदना युक्त मदहोशी से भरा हुआ स्पर्श पाते ही,, संजय का लंड टन टनाकर खड़ा हो गया,, संजय की सांसे तेज चलने लगी वह अपनी हथेली को हल्के हल्के अपनी बेटी शगुन की चिकनी जांघों पर फिरा रहा था,,, शगुन के नरम नरम जांघो का स्पर्श पाते ही संजय एकदम से मदहोश होने लगा उसकी आंखों में 4 बोतलों का नशा छाने लगा वह यह अंदाजा नहीं लगा पा रहा था कि उसकी बेटी की चिकनी जांघों में से और रुई दोनों मे सबसे ज्यादा मुलायम कौन है,,,,। संजय से रहा नहीं जा रहा था उत्तेजना के परम शिखर पर वह धीरे धीरे आगे बढ़ता जा रहा था,,, पेंट के अंदर लंड गदर मचाए हुए था,,। अब उसके तन बदन मैं आग लगने लगी थी उसकी इच्छा भड़कने लगी थी उसका मन कर रहा था कि उसकी बेटी की बुर को अपनी आंखों से देखें,,, लेकिन अपनी इच्छा पूर्ति करने के लिए संजय को उसकी दोनों जांघों के बीच पड़ी चादर को हटाना जरूरी था,,, और ऐसा करने के लिए संजय मैं हिम्मत नहीं आप आ रही थी इसके लिए उसे हिम्मत जुटाना जरूरी था लेकिन जहां चाह होती है वहीं राह होती वह अपने मन में ठान लिया था कि आज वह अपनी बेटी की बुर को देखकर ही रहेगा,,, वैसे भी संजय जवान औरतों का शौकीन था हर हफ्ते में उसे नई औरत अपने बिस्तर पर चाहिए थी भले ही वह शहर का माना-जाना बड़ा डॉक्टर था,,, लेकिन डॉक्टर से पहले वहां एक इंसान था और हर एक इंसान का दो रूप होता है बाहर समाज में प्रतिष्ठित व्यक्ति का रूप और घर के अंदर वासना से युक्त काम पुरुष का रुप,,,,अपने नीचे रिश्ते में औरतों के प्रति या लड़कियों के प्रति इस तरह का शारीरिक आकर्षण बहुत लोगों ने होता है लेकिन संजय में यह कोई नई बात नहीं थी इससे पहले भी वह जब स्कूल में पढ़ता था तब अपनी ही मामी की लड़की के साथ चुदाई का खेल खेलता था,,,जिसके बारे में पता चलते ही उसके मामा और मामी दोनों ने उसे अपने घर से निकाल दिया था,,,, उसके बाद अपने चाचा के घर रहने लगा जहां पर उसे अपनी चचेरी बहन से प्यार हो गया उसके साथ भी वह शारीरिक सुख का मजा लूटता रहा,,, और यह सिलसिला तब तक चलता रहा था कि उसकी चचेरी बहन की शादी नहीं हो गई लेकिन इस दौरान उसका संबंध अपनी बड़ी चाची के साथ भी बना रहा,,, इसका किस्सा भी बड़ा दिलचस्प था,,, संजय की चाची बेहद खूबसूरत औरत थी उसके चाचा बैंक में मैनेजर थे,,, संजय और उसकी चाची और चाचा तीनों उनकी बैंक की मैनेजर के घर उसके बर्थडे पर गए,,, संजय की चाची को इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि उसके पति का चक्कर उसके बैंक मैनेजर के साथ है जो कि 35 वर्षीय विधवा थी पार्टी के खत्म होने के बाद संजय और उसकी चाची दोनों नीचे इंतजार कर रहे थे लेकिन आप सभी गुजर जाने के बाद भी संजय का चाचा नीचे नहीं आया तो उसे ढूंढते हुए संजय की चाची ऊपर कमरे में जाने लगी आप घर पर कोई भी नहीं था संजय की चाची को यह सब अजीब लग रहा था ,,,वह अपने पति को ढूंढते हुए ऊपर के कमरे तक पहुंच गई जहां का दरवाजा खुला हुआ था,,, अंदर से ट्यूबलाइट की जूतियां रोशनी कमरे के दरवाजे के नीचे से बाहर की तरफ आ रही थी,,,, और संजय की चाची कमरे के दरवाजे को हल्का सा धक्का देकर खोल दी और फिर कमरे के अंदर का नजारा जो उसकी चाची ने देखा उसके तो होश उड़ गए,,,, बिस्तर पर उसका पति और बैंक की मैनेजर दोनों एक दूसरे के साथ संभोग क्रिया में रत थे,,,। यह देखते ही संजय की चाची के पैरों तले जमीन खिसक गई उन दोनों की भी नजर संजय की चाची पर पड़ गई थी वह दोनों भी एकदम से घबरा गए थे,,, और संजय की चाची गुस्से में पेड़ भटकते हुए नीचे आ गई और बिना कुछ बोले संजय को अपने साथ लेकर घर आ गई रास्ते भर संजय पूछता रह गया कि क्या हुआ एक शब्द नहीं कही,,, लेकिन वह भी अपने पति के द्वारा उसके साथ की गई नाइंसाफी का बदला लेना चाहती थी और इसके लिए वह संजय को अपने कमरे में लेकर गई और उसके सामने अपने सारे कपड़े उतार कर करने की और उसके सारे कपड़े उतार कर उसे भी नंगा कर दी वह तो अपने पति से बदला लेना चाहती थी लेकिन संजय के जानदार लंड को देखकर उसके मन में अजीब सी हलचल होने लगीदरवाजा खुला छोड़ रखी थी ताकि उसका पति घर पर आने पर उन दोनों को उसी अवस्था में देख सके जिस तरह से उसने अपने पति और उस बैंक की मैनेजर को देखी थी,,,, संजय को और क्या चाहिए था एक जवान और खूबसूरत है तेरे बदन की मालकिन उसकी आंखों के सामने कपड़े उतार कर एकदम नंगी खड़ी थी जो कि उसे खुला निमंत्रण दे रही थी और भला इस तरह का निमंत्रण ठुकरा पाना दुनिया में किसी भी मर्द के बस की बात नहीं है,,थी,,, उसने तो पहले से ही औरतों की बुर आशिक हो चुका था,,, इसलिए मौका पाते ही वह अपनी चाची को बिस्तर पर लिटा कर उन पर चढ़ गया और अपनी चाची की चुदाई करना शुरू कर दिया जैसा कि उसकी चाची ने सोच रखी थी वैसा ही हुआ उसका पति घर पर आकर अपने कमरे का दरवाजा खुला पाकर जैसे ही कमरे के अंदर का दृश्य देखा हक्का बक्का रह गया लेकिन बोल कुछ नहीं पाया,, वह समझ गया कि उसकी बीवी उससे बदला ले रही है उसके बाद तो यह उन दोनों का रोज का काम हो गया,,,
इसलिए संजय के लिए रिश्ते में शारीरिक आकर्षण कोई नई बात नहीं थी लेकिन समझे कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी ही बेटी के प्रति इस तरह से आकर्षित हो जाएगा,,, वह हिम्मत जुटाकर अपनी बेटी के ऊपर पड़ी चादर को धीरे से पकड़ कर उसे हटाने लगा जैसे ही हल्के सेवा चादर को हटाया वैसे ही उसकी आंखों के सामने उसकी बेटी शगुन की गुलाबी बुर चमकने लगी,,, अपनी बेटी की खूबसूरत फुली हुई बुर को देखकर संजय की तो सांस ही अटक गई,,, वह उसकी खूबसूरत बुर की खूबसूरती को देखता ही रह गया उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसने आज तक इतनी खूबसूरत बुर के दर्शन कभी नहीं किए थे,,। चादर हटाने की वजह से शगुन की नींद खुल चुकी थी लेकिन उसने अपनी आंखों को बंद किए हुए थे वही तो नहीं जानते थे कि उसके बेहद करीब कौन खड़ा है लेकिन अपने बेहद करीब बिस्तर के लग खड़े होने का एहसास हो रहा है,,,, उसे कुछ देर तक सब कुछ सामान्य लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे उसे असहज महसूस होने लगा,,, उसे इतना तो याद था कि रात को सोते समय वहां अपनी कमर के नीचे का पजामा और पेंटी दोनों उतार कर सोई थी मतलब साफ था कि कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी,,, वह अपने मन में सोच रही थी कि अगर बिस्तर के करीब उसकी मम्मी खड़ी होती तो इतनी देर तक वह कमर के नीचे के नंगे पन को नंगा नहीं रहने देती बल्कि उस पर चादर डालकर उसे उठा दी होती लेकिन बिस्तर के करीब उसकी मां नहीं कोई और था इस बात का अंदाजा वह अपने मन में लगाने लगी वह आंखों को खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,धीरे-धीरे उसे इस बात का एहसास होने लगा कि उसके बिस्तर के करीब उसकी मम्मी नहीं बल्कि उसका भाई सोनू या फिर उसके पापा हो सकते हैं,,,, लेकिन पर सोचने लगी कि उसके कमरे में तो उसके पापा जल्दी आती नहीं है तो इसका मतलब साफ था कि उसके बेहद करीब उसका भाई सोनू खड़ा था जो कि उसके नंगे पन को अपनी आंखों से देख रहा था इस बात के हिसाब से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसकी टांगों के बीच कंपन होने लगी,,, अपनी आंखों को बंद किए हुए ही अजीब सी उलझन में फंसी हुई थी,,,। अपने बदन में जरा सी हरकत भी कर पाने में वह असमर्थ थी,,
संजय की आंखों में अपनी बेटी की जवानी देख कर जिस तरह की वासना की चमक जाग रही थी उसे देखते हुए ऐसा लग रहा था कि आज और अपनी छोटी की दोनों टांगे फैलाकर अपना लंड उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई का शुभारंभ करेगा उसका लंड पूरी तरह से फटने के कगार पर आ चुका था उत्तेजना के परम शिखर पर वह अपने आप को विराजमान पा रहा था,,,, उसकी आंखों के सामने केवल उसकी बेटी की बुर नजर आ रही थी जो कि इस समय कचोरी की तरह फूली हुई थी और उस पर बालों का रेशा तक नहीं था एकदम चिकनी मानो कि जैसे कोई क्रीम लगी हो,,, संजय का मन कर रहा था कि उस पर अपनी चीज पर रखकर उसे चाटकर उसका स्वाद ले ले,,, लेकिन डर भी लग रहा था उसकी पेंट में पूरी तरह से तंबू बना हुआ था,,,,, संजय कभी उसके खूबसूरत चेहरे को तो कभी उसकी टांगों के बीच गुलाबी खूबसूरत अंग को देखता,,, पल-पल संजय की हालत खराब होती जा रही थी अपनी बेटी की बुर को देखकर और उसके बीच हल्की सी पतली दरार को देखकर उसे लगने लगा कि उसकी बेटी अभी तक कुंवारी है इसलिए उसके कुंवारे पन की जांच पड़ताल के लिए वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर सबसे पहले वह अपनी हथेली को अपनी बेटी की रसीली बुर पर रख दिया,,,ऐसा करने में उसके तन बदन में जिस प्रकार की ऊर्जा और गर्मी का संचार हुआ उस से खुद संजय भी हैरान था,,, लेकिन अपनी टांगों के बीच अपनी दहकती हुई बुर के ऊपर हथेली का स्पर्श पाते ही शगुन की हालत खराब हो गई,,, उसकी सांस अटक गई हल्की सी कसमसाहट ऊसे अपने बदन में महसूस होने लगी,,,,, उत्तेजना के मारे गला सूखने लगा शगुन के लिए यह पहला मौका था जब उसकी बुर के ऊपर किसी भी अपना हाथ रखा था और वह अब तक ही समझ रही थी कि वह दूसरा कोई नहीं उसका भाई ही था,,,अपने ही भाई के इस तरह की हरकत को महसूस करके उसके तन बदन में ज्वालामुखी फूटने लगा और पल भर में ही उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होने लगा,,,,,
संजय का अपनी उत्तेजना पर काबू कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था उसकी हथेली में उसकी बेटी की बुर थी जिसे वह कस के दबा ना चाहता था लेकिन ऐसा करने से उसकी बेटी की नींद खुल सकती थी और वह पकड़ा जा सकता था इसलिए बाय का नहीं कर पा रहा था,,,, लेकिन इतनी हिम्मत करने के बाद बा थोड़ा और हिम्मत दिखाना चाहता था इसलिए वह अपनी एक उंगली को हल्के से उसकी मखमली बुरर की मखमली छेद पर रख कर उस लड़का का अंदर की तरफ डालने लगा,,, दूसरी तरफ शगुन एकदम हैरान ऊसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भाई इस तरह की हरकत कर सकता है लेकिन अपने भाई की ईस तरह की हरकत के चलते उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,। और संजय धीरे-धीरे अपनी उंगली को अपनी बेटी की बुर में सरका रहा था,,, उत्तेजना के मारे सगुन की बुर गीली हो रही थी,,, जिसका एहसास संजय की उंगली पर भी हो रहा था उसकी उंगली भी गीली होने लगी थी,,, अनुभवी संजय अच्छी तरह से समझ गया था कि नींद में होने के बावजूद भी उसकी बेटी को उत्तेजना का एहसास हो रहा है,,, और इस खयाल से भी संजय और ज्यादा उत्तेजित होने लगा, और अपनी उंगली को थोड़ा सा और अंदर की तरफ डालने लगा,,, सगुन अब तक पूरी तरह से कुंवारी थी इसलिए छोटी सी उंगली का एहसास भी उसे लंड की तरह लग रहा था,,ऊसे,इतना तो एहसास हो चुका था कि उसकी बुर में उसका भाई उंगली डाल रहा है,,,
संजय पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था थोड़ा सा जोर लगाते अपनी ऊंगली को थोड़ा सा और अंदर की तरफ डाला तो शगुन का बदन दर्द के मारे थोड़ा सा कसमसाने लगा,,,, और संजय एकदम से घबरा गया और वैसे भी कमरे में आए हुए उसे काफी समय हो गया था किसी भी वक्त उसकी बीवी वहां आ सकती थी इसलिए वह अपनी बेटी शगुन की कसमसाहट को देखते हुए वह तुरंत बुर में से ऊंगली बाहर निकाला और बिना कुछ बोले कमरे से बाहर चला गया लेकिन उसे कमरे से बाहर निकलते निकलते शगुन हल्के से अपनी आंख खोलकर दरवाजे की तरफ देख ली थी और दरवाजे के बाहर अपने पापा को जाते हुए देखा और उसके तन बदन में अजीब सी उत्तेजना का संचार होने लगा,,,वह तक यही सोच रही थी कि उसके साथ इस तरह की हरकत करने वाला उसका भाई है लेकिन अपने पापा को दरवाजे पर देखकर वह पूरी तरह से मदहोश हो गई उसे यकीन नहीं हो रहा था उसके पापा ने इस तरह की हरकत किया लेकिन वह पूरी तरह से रोमांचित थी,,,,उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी सांसों की गति तेज हो गई और अपने पापा की मौजूदगी का अहसास से ही वह अपनी बुर से पानी छोड़ दी,,,,
संजय भी काफी उत्तेजित हो गया था उसके लिए अपनी गर्मी शांत करना जरूरी हो गया था इसके लिए वह तुरंत बाथरूम में गया और शगुन के बारे में कल्पना करते हुए अपना पानी निकाल दिया,,,।
दिल गार्डन गार्डन हो गया...
संजय और शगुन की
Seductive स्टोरी में सबसे
ज्यादा मज़ा आ रहा है।